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Romance Love in College. दोस्ती प्यार में बदल गई❣️ (completed)

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

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Raj_sharma

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Shandar update

प्रतीक्षा

good going ............... dost ................ :happy:

ये अद्धे में क्यों रोक दी भाई, कम से कम त्रिपाठी सिर की मजबूरी तो बता देते सही से 🤔

kya baat bahut badia :rock1:

Nice and superb update....

Fantastic 👌👌👌👌

Ye bakcdi main nhi karti :nono:

Ye sab kaam sirf ek hi banda kar sakta hai aur wo khud pm purush hai :laugh:

Mein aata hi nhi hu idhar ....par aaj raat is story jarur padhunga :yes2:


Also Congrats for the STORY :celebconf:

Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....

Ji boliye

ये लाइने तेरे रिव्यू के लिए ही लिखी गई है, 😁

218000+ and still getting

Jaha bete ke ese karam par shiv choudhary ko pata lagana chahiye tha ki bete ne kya kiya hai. Sirf bete ki hi bat nahi sun ni chahiye. Beri ke ped ko lagane se amrud nahi milte. Berry hi milenge. Par shiv charan to khud hi ganda inshan hai. Jo bete ki kartut ka badla lene bechare thiparthi ki beti ko agva kar liya. Ab aage dekhte hai. Shruti ke sath kya hoga.

Ye comment krne ke bad so Gaya tha bhai😂😂

Nice update....

Ok mil Gaya जवाब लेकिन ये सब क्लीयर नही था न कहानी में इसलिए पूछा

Nice update....
Ufaq saba
Tiger 786
kamdev99008
 

Raj_sharma

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Raj_sharma

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Update 6
त्रिपाठी: श्रुति.. मेरी बच्ची तू ठीक तो है ना? तू वाहा कैसे पहुच गई? तभी दूसरी तरफ से शिवचरण की आवाज आती है!! अगर मेल मिलाप हो गया तो काम की बात करें!! (जोर से आवाज लगाते हुए: इसे सामने वाले कमरे में बंद कर दो रे)
त्रिपाठी: क्या चाहते हो तुम मुझसे? अब आगे:
शिवचरण: बस यही सुन-ना चाहता था मैं तुमसे... तो सुन त्रिपाठी कल तुझे सबके सामने मेरे बेटे से माफ़ी माँगनी होगी। और याद रख वो लड़की भी वही होनी चाहिए। त्रिपाठी: देखिए शिवचरण जी आप समाज के नामचीन व्यक्ति हैं आपको ये सब सोभा नहीं देता आप मेरी बेटी को छोड़ दीजिए मैं वादा करता हूं कि मैं आपके बेटे से माफी मांगूंगा!! शिवचरण: वो तो तुझे मंगनी ही पड़ेगी त्रिपाठी पर याद रख अकेले में नहीं सबके सामने! और रही बात तेरी बेटी को छोड़ दें तो वो संभव नहीं है, वो तब ही हो सकता है जब तू अपनी नाक रगड़े मेरे बेटे के आगे।
क्यू की तेरे ही सिकायत की वजह से उसकी इतनी बेज्जती हुई है। और वह अपने दोस्तों से भी नज़र नहीं मिला पा रहा है।
त्रिपाठी: शिवचरण जी मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूं ऐसा मत बोलिए अगर मैंने ऐसा किया तो मैं किसी भी छात्र से नजर नहीं मिला पाऊंगा, मैं एक शिक्षक हूं और आपके बेटे को भी पढ़ाता हूं,
मेरा काम है बच्चों को सही शिक्षा देना, उसी के कारण मैंने आपके बेटे को सुधारने के लिए ही दंड दिलवाया था। अगर मैं उस समय चाहता था तो उसे कॉलेज से निकलवा भी सकता था,
पर मैने ऐसी कोई बात भी नहीं की और मेरी ऐसी कोई मनसा भी नहीं थी.
शिवचरण: चल ठीक है मैं तुझ पर केवल एक रहम कर सकता हूं कि तुझे माफ़ी सब के सामने ना मांग कर मेरे बेटे, उस लड़की और मेरे बेटे के दोस्तों के सामने मंगनी पड़ेगी।
पर माफ़ी तो मांगनी पड़ेगी ही.. हमसे मैं कुछ नहीं कर सकता। और याद रख ये मेरी दरिया-दिली ही है कि तेरी बेटी अब तक सुरक्षित है, वरना आज तक जो भी मेरे आड्रे पर आई वो बिना मुझे खुश किए वापस नहीं गई, या तो जिंदा ही नहीं रही।
त्रिपाठी: ऐसा मत बोलिए शिवचरण जी, मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूं, मेरी बेटी को छोड़ दीजिए।
शिवचरण: बोला ना छोड़ देंगे! पर पहले जो मैंने बोला है वो करो। त्रिपाठी: प्रति कॉलेज तो अब कल खुलेगा तब तक अगर कुछ ऊंच- नीच हो जाएगी तो मै किसी को मुंह दिखाने के लिए नहीं रहूंगा। शिवचरण: देख त्रिपाठी, मैं तेरी समस्या समझता हूं, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता, ये सब तुझे मेरे बेटे पर हाथ डालने से पहले सोचना था। और याद रख तेरे पास कल शाम तक का वक्त है, उसके बाद मैं अपने-आपको नहीं रोक पाऊंगा। क्यों की ताज़ा शराब और ताज़ा शबाब मेरी कमजोरी है। और तेरी बेटी तो माशा अल्लाह क्या कच्ची कली है, सोच ले!!
त्रिपाठी: ऐसा मत बोलो शिवचरण भगवान से डरो एक पिता के सामने उसकी बेटी के लिए ऐसे शब्द बोलते हुए तुमको शर्म आनी चाहिए! मैं कल पक्का माफ़ी मांग लूँगा तुम्हारे बेटे से। पर याद रखना मेरी बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए।
शिवचरण: अच्छी बात है. मुझे अपने बेटे के फोन का इंतजार रहेगा, जैसे ही वो मुझे फोन पर बोलेगा मैं फोरन तुम्हारी बेटी को रिहा कर दूंगा। और अब मुझे फोन मत करना। याद रखना तुम्हारी बेटी कल शाम तक ही सुरक्षित है!!
ये कहते हुए शिवचरण फोन रख देता है। और त्रिपाठी के पास रोने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। वाह बिस्तर पर मुँह टिकाये रोता रहा....पूरी रात उसे नींद नहीं आई कभी रोता तो कभी इधर-उधर टहलता हुआ सुबह का इंतजार करता रहा। जाने कितनी लंबी गुजरी वो रात पर कहते है ना समय कैसा भी हो गुजर ही जाता है, तो वो रात भी गुजर ही गई।
सुबह पक्षीयों की चह-चाहट से उसकी आंख वापस खुली जो अभी अभी लगी ही थी,
आंख खुलते ही उसने घड़ी की और देखा और फटा-फट फ्रेस होकर नहाया और कॉलेज की तयारी कर ली, पर इतनी सुबह कॉलेज में जाकर भी क्या करता?
कुछ समय और इंतजार करना ही था। कॉलेज का समय नजदीक आया त्रिपाठी जी भारी कदमों से कॉलेज की और चल पड़े, इतनी सुबह कोई भी विद्यार्थी नहीं आये थे केवल एक आधे कर्मचारी को छोड़ कर कोई भी नहीं था वाहा,
त्रिपाठी जी भी वही किसी पेड के नीचे राखी हुए बेंच पर जाकर बैठ गए और स्टूडेंट का इंतज़ार करने लगे। जैसे ही कॉलेज शुरू होने को आया सभी छात्र आने लगे और त्रिपाठी जी भी उठ कर मेन गेट के पास चल दिए, कुछ ही समय बाद उन्हें मोहित अपने दोस्तों के साथ आता हुआ दिखाया दिया! आज वो कुछ ज्यादा ही खुश दिख रहा था।
मोहित जैसा ही त्रिपाठी जी के पास से गुजरा त्रिपाठी जी ने उसको आवाज लगाई मोहित!!
मोहित: अजीब सी मुस्कुराहट के साथ: कहिये त्रिपाठी सर मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?
त्रिपाठी: मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है जरा एक और आओगे? मोहित: वो क्या है ना सर मुझे लेक्चर देने के लिए देर हो रही है, तो यहीं बोल दीजिए (अपने दोस्तों की और मुस्कुराहट करता हुआ). त्रिपाठी: कृपया मेरी रिक्वेस्ट है तुमसे एक बार इधर आओ।
मोहित: (मुस्कान) चलो सर, आप भी क्या याद रखेंगे कि किस स्टूडेंट से पाला पड़ा था। ये कहके मोहित अपने दोस्त को वही छोड़के त्रिपाठी जी के साथ एक और निकल जाता है,
वो लोग कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे रखी हुए बेंच पर बैठे, और त्रिपाठी जी ने बोलना शुरू किया:
त्रिपाठी: देखो मोहित में उमर में तुमसे बड़ा हूं, और तुम्हारा गुरु भी हूं, उसके नाते मैं तुम्हारे लिए सम्मान योग्य हूं, फिर भी मैं उस दिन वाले हादसे के लिए तुमसे माफी मांगता हूं।
मोहित: (मुस्कुराते हुए) किस हादसे के लिए सर? मुझे तो कुछ याद नहीं? त्रिपाठी: यदि ऐसा है तो अपने पिता को फोन करके बोल दो कि त्रिपाठी जी ने आपने जैसा बोला है वैसा कर दिया है। क्यू की मै एक टीचर हूं और यहां मेरी एक गरिमा है, अगर मैं तुम्हारे दोस्तों के सामने माफ़ी मांगता हूं तो मैं उनके सामने कभी अपनी नजर नहीं मिला पाऊंगा.
मोहित: शाबाश... यहीं तो मैं सुन-ना चाहता था त्रिपाठी (जोर की मुस्कान के साथ) अब आएगा मजा जब तू उनसब के सामने मुझसे माफी मांगेगा, तब तुझे पता लगेगा कि शर्मिंदा होना क्या होता है?
भूल गया उस दिन जब वो प्रिंसिपल मुझे तेरी वजह से कितना सुना रहा था, और मैं गर्दन झुकाए खड़ा था, अब तेरी बारी है त्रिपाठी, अगर तू चाहता है कि तेरी बेटी सही सलामत पहुंचे तो बुला उस लड़की को और उसके और मेरे दोस्तों के सामने माफ़ी माँग मुझसे वो भी हाथ जोड़ के।
त्रिपाठी: (पानी आंखो में लिए हुए) अच्छी बात है फिर बस एक एहसान कर दो आप लोग स्टाफ रूम से चलो मुझे उस लड़की को लेकर आता हूं। मोहित: अच्छी बात है आप भी क्या याद रखेंगे, जाओ और जल्दी आना हमारे पास ज्यादा समय नहीं है! हमें क्लास के लिए जाना है।
त्रिपाठी जी वाह से चले जाते हैं उस लड़की को ढूंढ़ने, इधर मोहित अपने दोस्तों को जा के पूरी कहानी मिर्च मसाले के साथ बताता है, जिसे सुन-ने के बाद सबलोग जोर-जोर से हंसने लगते हैं, और मोहित उन सबको लेकर स्टाफ रूम की और निकल जाता है।
उधर त्रिपाठी जी उस लड़की को ढूंढ कर उसे सारा माजरा समझ देते हैं हो हाथ जोड़कर उसे कहते हैं बेटी कुछ समय के लिए मेरे साथ वाह चलो, लड़की त्रिपाठी जी को मना नहीं कर सकती और उनके साथ स्टाफ रूम में चली जाती है।
स्टाफ रूम में घुसते ही त्रिपाठी जी को वोसभी लड़के बैठे हुए दिखाते हैं, जब त्रिपाठी जी वहां पहुंचे तो सभी लड़के खड़े हो गए सिवाए मोहित के। त्रिपाठी: देखो मोहित मुझे तुमसे इन सब के सामने उस दिन के लिए माफ़ी माँगता हूँ, त्रिपाठी जी हाथ जोड़ लेते हैं!
मोहित: सर उस लड़की को सामने लाओ और उसके सामने हाथ जोड़ के बोलो तब जा के मैं माफ़ करुंगा। त्रिपाठी जी लड़की को बुलाते हैं और फिर माफ़ी मांगते हैं।
मोहित: ठीक है सर जाओ आपको माफ़ किया, और तू लड़की देख लिया मेरा पावर! अगर मैं चाहूं तो तुझे आज ही अगवा कर के तेरा भोग लगा सकता हूं औरनकोई मेरा कुछ नही बिगाड सकेगा।
लेकिन तुझे छोड़ रहा हूँ !! अभी मेरा मूड अच्छा है तो भाग जा यहाँ से!! त्रिपाठी: मोहित जैसा तुमने कहा था मैंने वैसा ही किया अब तुम अपने पिताजी से बात करके मेरी बेटी को छोड़ने के लिए बोल दो प्लीज। मोहित: मोहित: (मुस्कान के साथ) ठीक है त्रिपाठी तेरी बेटी 2 घंटे में तेरे घर पे होगी, पर याद रखना अगर कभी भी और किसी को भी इस बात की शिकायत की तो आगे क्या हो सकता है तू खुद समझदार है। त्रिपाठी जी ऑफिस में जा कर छुट्टी का आवेदन दे कर अपने घर चले जाते हैं, घंटे भर बाद एक काले रंग की गाड़ी वहा आती है गाड़ी की आवाज सुनते ही त्रिपाठी गेट खोलता है ,
उस गाड़ी से उसकी बेटी उतरकर अपने पापा को देख कर दौड़ते हुए त्रिपाठी जी के गले लग जाती है, और जोर-जोर से रोने लगती है..!
त्रिपाठी: यहाँ नहीं बेटी अंदर चल यहाँ किसी ने देख लिया तो मैं किसी को मुँह नहीं दिखा पाऊँगा!
फिर वो दोनों अंदर चले जाते हैं, जहां त्रिपाठी जी श्रुति को बिठा कर चुप करवाते हैं और पानी पिलाते हैं,
श्रुति मेरी बच्ची तू ठीक तो है और ये कपड़े कैसे हो रखे हैं? तेरे मुँह से खून भी निकल रहा है? क्या किसी ने तुम्हें मारा?
श्रुति: जी पापा मैं ठीक हूं बस एक दो जगह चोट लगी है। मुहं में से खून तो इस लिए आ रहा है कि वाहा एक काला बड्डा सा आदमी था उसने मुझे थप्पड़ मारा था जब मैं उसकी गाड़ी में नहीं बैठ रही थी तो! और उनलोगो ने मुझे इधर-उधर छूने की भी कोशिश की.
त्रिपाठी: (रोते रोते)कोई बात नहीं बेटी!! बुरा सपना समझ के भुला दे इसे, अंत भला तो सब भला आगे से तू कहीं भी अकेली नहीं जायेगी ,मैं या तेरी माँ तेरे साथ जायेगी!!
फ्लैश बैक एंड.
त्रिपाठी: तो ये थी वो वजह रघुवीर बेटे जो मै ना तो किसी को बता सकता हूं और ना ही ठीक से जी पा रहा हूँ! बस अंदर ही अंदर घुट रहा हूं। रघुवीर: आप चिंता मत करना सर, आज से आपको केवल एक बेटी ही नहीं बल्कि एक बेटा भी है, और उसका नाम है रघुवीर!!
आप बेफिकर रहो आजके बाद उसको आपसे टकराने से पहले मुझसे निपटना होगा।
त्रिपाठी: नहीं रघुवीर नहीं, बेटे तुम उन लोगों को नहीं जानते वो बहुत खतरनाक है! मैं नहीं चाहता कि तुम्हारा भविष्य किसी खतरे में पड़े। मेरा क्या है मेरी तो आधी से ज्यादा उम्र गुजर चुकी है।

जारी है...✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Update 6
त्रिपाठी: श्रुति.. मेरी बच्ची तू ठीक तो है ना? तू वाहा कैसे पहुच गई? तभी दूसरी तरफ से शिवचरण की आवाज आती है!! अगर मेल मिलाप हो गया तो काम की बात करें!! (जोर से आवाज लगाते हुए: इसे सामने वाले कमरे में बंद कर दो रे)
त्रिपाठी: क्या चाहते हो तुम मुझसे? अब आगे:
शिवचरण: बस यही सुन-ना चाहता था मैं तुमसे... तो सुन त्रिपाठी कल तुझे सबके सामने मेरे बेटे से माफ़ी माँगनी होगी। और याद रख वो लड़की भी वही होनी चाहिए। त्रिपाठी: देखिए शिवचरण जी आप समाज के नामचीन व्यक्ति हैं आपको ये सब सोभा नहीं देता आप मेरी बेटी को छोड़ दीजिए मैं वादा करता हूं कि मैं आपके बेटे से माफी मांगूंगा!! शिवचरण: वो तो तुझे मंगनी ही पड़ेगी त्रिपाठी पर याद रख अकेले में नहीं सबके सामने! और रही बात तेरी बेटी को छोड़ दें तो वो संभव नहीं है, वो तब ही हो सकता है जब तू अपनी नाक रगड़े मेरे बेटे के आगे।
क्यू की तेरे ही सिकायत की वजह से उसकी इतनी बेज्जती हुई है। और वह अपने दोस्तों से भी नज़र नहीं मिला पा रहा है।
त्रिपाठी: शिवचरण जी मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूं ऐसा मत बोलिए अगर मैंने ऐसा किया तो मैं किसी भी छात्र से नजर नहीं मिला पाऊंगा, मैं एक शिक्षक हूं और आपके बेटे को भी पढ़ाता हूं,
मेरा काम है बच्चों को सही शिक्षा देना, उसी के कारण मैंने आपके बेटे को सुधारने के लिए ही दंड दिलवाया था। अगर मैं उस समय चाहता था तो उसे कॉलेज से निकलवा भी सकता था,
पर मैने ऐसी कोई बात भी नहीं की और मेरी ऐसी कोई मनसा भी नहीं थी.
शिवचरण: चल ठीक है मैं तुझ पर केवल एक रहम कर सकता हूं कि तुझे माफ़ी सब के सामने ना मांग कर मेरे बेटे, उस लड़की और मेरे बेटे के दोस्तों के सामने मंगनी पड़ेगी।
पर माफ़ी तो मांगनी पड़ेगी ही.. हमसे मैं कुछ नहीं कर सकता। और याद रख ये मेरी दरिया-दिली ही है कि तेरी बेटी अब तक सुरक्षित है, वरना आज तक जो भी मेरे आड्रे पर आई वो बिना मुझे खुश किए वापस नहीं गई, या तो जिंदा ही नहीं रही।
त्रिपाठी: ऐसा मत बोलिए शिवचरण जी, मैं आपके आगे हाथ जोड़ता हूं, मेरी बेटी को छोड़ दीजिए।

शिवचरण: बोला ना छोड़ देंगे! पर पहले जो मैंने बोला है वो करो। त्रिपाठी: प्रति कॉलेज तो अब कल खुलेगा तब तक अगर कुछ ऊंच- नीच हो जाएगी तो मै किसी को मुंह दिखाने के लिए नहीं रहूंगा। शिवचरण: देख त्रिपाठी, मैं तेरी समस्या समझता हूं, लेकिन मैं कुछ नहीं कर सकता, ये सब तुझे मेरे बेटे पर हाथ डालने से पहले सोचना था। और याद रख तेरे पास कल शाम तक का वक्त है, उसके बाद मैं अपने-आपको नहीं रोक पाऊंगा। क्यों की ताज़ा शराब और ताज़ा शबाब मेरी कमजोरी है। और तेरी बेटी तो माशा अल्लाह क्या कच्ची कली है, सोच ले!!
त्रिपाठी: ऐसा मत बोलो शिवचरण भगवान से डरो एक पिता के सामने उसकी बेटी के लिए ऐसे शब्द बोलते हुए तुमको शर्म आनी चाहिए! मैं कल पक्का माफ़ी मांग लूँगा तुम्हारे बेटे से। पर याद रखना मेरी बेटी को कुछ नहीं होना चाहिए।
शिवचरण: अच्छी बात है. मुझे अपने बेटे के फोन का इंतजार रहेगा, जैसे ही वो मुझे फोन पर बोलेगा मैं फोरन तुम्हारी बेटी को रिहा कर दूंगा। और अब मुझे फोन मत करना। याद रखना तुम्हारी बेटी कल शाम तक ही सुरक्षित है!!
ये कहते हुए शिवचरण फोन रख देता है। और त्रिपाठी के पास रोने के अलावा और कोई रास्ता नहीं था। वाह बिस्तर पर मुँह टिकाये रोता रहा....पूरी रात उसे नींद नहीं आई कभी रोता तो कभी इधर-उधर टहलता हुआ सुबह का इंतजार करता रहा। जाने कितनी लंबी गुजरी वो रात पर कहते है ना समय कैसा भी हो गुजर ही जाता है, तो वो रात भी गुजर ही गई।
सुबह पक्षीयों की चह-चाहट से उसकी आंख वापस खुली जो अभी अभी लगी ही थी,
आंख खुलते ही उसने घड़ी की और देखा और फटा-फट फ्रेस होकर नहाया और कॉलेज की तयारी कर ली, पर इतनी सुबह कॉलेज में जाकर भी क्या करता?
कुछ समय और इंतजार करना ही था। कॉलेज का समय नजदीक आया त्रिपाठी जी भारी कदमों से कॉलेज की और चल पड़े, इतनी सुबह कोई भी विद्यार्थी नहीं आये थे केवल एक आधे कर्मचारी को छोड़ कर कोई भी नहीं था वाहा,
त्रिपाठी जी भी वही किसी पेड के नीचे राखी हुए बेंच पर जाकर बैठ गए और स्टूडेंट का इंतज़ार करने लगे। जैसे ही कॉलेज शुरू होने को आया सभी छात्र आने लगे और त्रिपाठी जी भी उठ कर मेन गेट के पास चल दिए, कुछ ही समय बाद उन्हें मोहित अपने दोस्तों के साथ आता हुआ दिखाया दिया! आज वो कुछ ज्यादा ही खुश दिख रहा था।
मोहित जैसा ही त्रिपाठी जी के पास से गुजरा त्रिपाठी जी ने उसको आवाज लगाई मोहित!!
मोहित: अजीब सी मुस्कुराहट के साथ: कहिये त्रिपाठी सर मैं आपके लिए क्या कर सकता हूँ?
त्रिपाठी: मुझे तुमसे एक जरूरी बात करनी है जरा एक और आओगे? मोहित: वो क्या है ना सर मुझे लेक्चर देने के लिए देर हो रही है, तो यहीं बोल दीजिए (अपने दोस्तों की और मुस्कुराहट करता हुआ). त्रिपाठी: कृपया मेरी रिक्वेस्ट है तुमसे एक बार इधर आओ।
मोहित: (मुस्कान) चलो सर, आप भी क्या याद रखेंगे कि किस स्टूडेंट से पाला पड़ा था। ये कहके मोहित अपने दोस्त को वही छोड़के त्रिपाठी जी के साथ एक और निकल जाता है,
वो लोग कुछ दूरी पर एक पेड़ के नीचे रखी हुए बेंच पर बैठे, और त्रिपाठी जी ने बोलना शुरू किया:
त्रिपाठी: देखो मोहित में उमर में तुमसे बड़ा हूं, और तुम्हारा गुरु भी हूं, उसके नाते मैं तुम्हारे लिए सम्मान योग्य हूं, फिर भी मैं उस दिन वाले हादसे के लिए तुमसे माफी मांगता हूं।
मोहित: (मुस्कुराते हुए) किस हादसे के लिए सर? मुझे तो कुछ याद नहीं? त्रिपाठी: यदि ऐसा है तो अपने पिता को फोन करके बोल दो कि त्रिपाठी जी ने आपने जैसा बोला है वैसा कर दिया है। क्यू की मै एक टीचर हूं और यहां मेरी एक गरिमा है, अगर मैं तुम्हारे दोस्तों के सामने माफ़ी मांगता हूं तो मैं उनके सामने कभी अपनी नजर नहीं मिला पाऊंगा.
मोहित: शाबाश... यहीं तो मैं सुन-ना चाहता था त्रिपाठी (जोर की मुस्कान के साथ) अब आएगा मजा जब तू उनसब के सामने मुझसे माफी मांगेगा, तब तुझे पता लगेगा कि शर्मिंदा होना क्या होता है?
भूल गया उस दिन जब वो प्रिंसिपल मुझे तेरी वजह से कितना सुना रहा था, और मैं गर्दन झुकाए खड़ा था, अब तेरी बारी है त्रिपाठी, अगर तू चाहता है कि तेरी बेटी सही सलामत पहुंचे तो बुला उस लड़की को और उसके और मेरे दोस्तों के सामने माफ़ी माँग मुझसे वो भी हाथ जोड़ के।
त्रिपाठी: (पानी आंखो में लिए हुए) अच्छी बात है फिर बस एक एहसान कर दो आप लोग स्टाफ रूम से चलो मुझे उस लड़की को लेकर आता हूं। मोहित: अच्छी बात है आप भी क्या याद रखेंगे, जाओ और जल्दी आना हमारे पास ज्यादा समय नहीं है! हमें क्लास के लिए जाना है।
त्रिपाठी जी वाह से चले जाते हैं उस लड़की को ढूंढ़ने, इधर मोहित अपने दोस्तों को जा के पूरी कहानी मिर्च मसाले के साथ बताता है, जिसे सुन-ने के बाद सबलोग जोर-जोर से हंसने लगते हैं, और मोहित उन सबको लेकर स्टाफ रूम की और निकल जाता है।
उधर त्रिपाठी जी उस लड़की को ढूंढ कर उसे सारा माजरा समझ देते हैं हो हाथ जोड़कर उसे कहते हैं बेटी कुछ समय के लिए मेरे साथ वाह चलो, लड़की त्रिपाठी जी को मना नहीं कर सकती और उनके साथ स्टाफ रूम में चली जाती है।
स्टाफ रूम में घुसते ही त्रिपाठी जी को वोसभी लड़के बैठे हुए दिखाते हैं, जब त्रिपाठी जी वहां पहुंचे तो सभी लड़के खड़े हो गए सिवाए मोहित के। त्रिपाठी: देखो मोहित मुझे तुमसे इन सब के सामने उस दिन के लिए माफ़ी माँगता हूँ, त्रिपाठी जी हाथ जोड़ लेते हैं!
मोहित: सर उस लड़की को सामने लाओ और उसके सामने हाथ जोड़ के बोलो तब जा के मैं माफ़ करुंगा। त्रिपाठी जी लड़की को बुलाते हैं और फिर माफ़ी मांगते हैं।
मोहित: ठीक है सर जाओ आपको माफ़ किया, और तू लड़की देख लिया मेरा पावर! अगर मैं चाहूं तो तुझे आज ही अगवा कर के तेरा भोग लगा सकता हूं औरनकोई मेरा कुछ नही बिगाड सकेगा।
लेकिन तुझे छोड़ रहा हूँ !! अभी मेरा मूड अच्छा है तो भाग जा यहाँ से!! त्रिपाठी: मोहित जैसा तुमने कहा था मैंने वैसा ही किया अब तुम अपने पिताजी से बात करके मेरी बेटी को छोड़ने के लिए बोल दो प्लीज। मोहित: मोहित: (मुस्कान के साथ) ठीक है त्रिपाठी तेरी बेटी 2 घंटे में तेरे घर पे होगी, पर याद रखना अगर कभी भी और किसी को भी इस बात की शिकायत की तो आगे क्या हो सकता है तू खुद समझदार है। त्रिपाठी जी ऑफिस में जा कर छुट्टी का आवेदन दे कर अपने घर चले जाते हैं, घंटे भर बाद एक काले रंग की गाड़ी वहा आती है गाड़ी की आवाज सुनते ही त्रिपाठी गेट खोलता है ,
उस गाड़ी से उसकी बेटी उतरकर अपने पापा को देख कर दौड़ते हुए त्रिपाठी जी के गले लग जाती है, और जोर-जोर से रोने लगती है..!

त्रिपाठी: यहाँ नहीं बेटी अंदर चल यहाँ किसी ने देख लिया तो मैं किसी को मुँह नहीं दिखा पाऊँगा!
फिर वो दोनों अंदर चले जाते हैं, जहां त्रिपाठी जी श्रुति को बिठा कर चुप करवाते हैं और पानी पिलाते हैं,
श्रुति मेरी बच्ची तू ठीक तो है और ये कपड़े कैसे हो रखे हैं? तेरे मुँह से खून भी निकल रहा है? क्या किसी ने तुम्हें मारा?
श्रुति: जी पापा मैं ठीक हूं बस एक दो जगह चोट लगी है। मुहं में से खून तो इस लिए आ रहा है कि वाहा एक काला बड्डा सा आदमी था उसने मुझे थप्पड़ मारा था जब मैं उसकी गाड़ी में नहीं बैठ रही थी तो! और उनलोगो ने मुझे इधर-उधर छूने की भी कोशिश की.

त्रिपाठी: (रोते रोते)कोई बात नहीं बेटी!! बुरा सपना समझ के भुला दे इसे, अंत भला तो सब भला आगे से तू कहीं भी अकेली नहीं जायेगी ,मैं या तेरी माँ तेरे साथ जायेगी!!
फ्लैश बैक एंड.

त्रिपाठी: तो ये थी वो वजह रघुवीर बेटे जो मै ना तो किसी को बता सकता हूं और ना ही ठीक से जी पा रहा हूँ! बस अंदर ही अंदर घुट रहा हूं। रघुवीर: आप चिंता मत करना सर, आज से आपको केवल एक बेटी ही नहीं बल्कि एक बेटा भी है, और उसका नाम है रघुवीर!!
आप बेफिकर रहो आजके बाद उसको आपसे टकराने से पहले मुझसे निपटना होगा।
त्रिपाठी: नहीं रघुवीर नहीं, बेटे तुम उन लोगों को नहीं जानते वो बहुत खतरनाक है! मैं नहीं चाहता कि तुम्हारा भविष्य किसी खतरे में पड़े। मेरा क्या है मेरी तो आधी से ज्यादा उम्र गुजर चुकी है।

जारी है...✍️

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