• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance Ek Duje ke Vaaste..

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Super-Moderator
41,746
58,938
304
waiting for the next update....

waiting for the next update....

Adirshi bhai next update kab tak aayega?

Besabari se intezaar rahega next update ka Adirshi bhai....

intezaar rahega....

intezaar rahega...

प्रतीक्षा रहेगी

intezaar rahega....
update bas thodi der me
 

Adirshi

Royal कारभार 👑
Staff member
Super-Moderator
41,746
58,938
304
Update 22





रघुवंशी परिवार अपने एकलौते बेटे के लिए परेशान था, उसका बेटा उनकी खुशी था गुरूर था जिसने अपने आप को सच जानने के बाद से ही अपने कमरे मे बंद करके रखा हुआ था, आज तीन दिन बीत चुके थे जब एकांश को सच पता चला था और वो इन तीन दिनों से अपने कमरे मे बंद था, घरवालों ने उससे बात करने की काफी कोशिश की लेकिन एकांश ने कीसी की भी बात का कोई जवाब नहीं दिया, कमरे से आती आवाजे बस उसके वहा होने का प्रमाण दे रही थी, एकांश ने एक बात भी अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला था, घरवालों ने दूसरी चाबी से दरवाजा खोलना चाहा लेकिन एकांश ने सबसे उसे अकेला छोड़ने कह दिया था

एकांश की मा उसे ऐसे देख रोए जा रही थी वही उसके पिताजी उन्हे संभालने मे लगे हुए थे, एकांश ने इन तीन दिनों से कुछ खाया भी नहीं था और ऑफिस जाने का तो सवाल ही नहीं था, ऑफिस का काम उसके पिताजी को देखना पड रहा था जिसमे रोहन और स्वरा उनकी मदद कर रहे थे एकांश के कई काम अधूरे थे जो अगर उसके पिताजी न देखते तो भारी नुकसान हो सकता था

अमर भी रोज एकांश से मिलने आ रहा था, उसे कमरे से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन एकांश उसकी भी कीसी बात का जवाब नहीं दे रहा था, अमर कऐसे भी करके अपने दोस्त को पहले जैसे देखना चाहता था और अब वो अपने आप को ही दोष दे रहा था के शायद एकांश को सच पता ना चलता तो वो इस हाल मे ना होता, लेकिन सच जो था वो कभी ना कभी तो सामने आना ही था

--

एकांश झटके के साथ नींद से जागा, उसका पूरा शरीर पसीने से तरबतर था और वो जोर जोर से हाफ रहा था, वो अक्षिता का नाम चिल्लाते हुए ही नींद से जागा था और जब उसने अपने आजू बाजू देखा तो अपने आप को अपने कमरे मे पाया और उसके ध्यान मे आया के वो बस एक बुरा सपना था, एकांश बेड के सहारे टिक कर बैठा और अपने हाथ से अपने माथे पर जमे पसीने को पोंछा

एकांश ने एक नजर खुद पर डाली और फिर आजू बाजू देखा तो पाया के वो जमीन पर ही सो गया था, उसका अपने पूरे बिखरे कमरे को देखा, आईना टूट गया था और उसके कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे, कमरे का आधे से ज्यादा सामान जमीन पर बिखरा हुआ था, अस कमरे की हालत ऐसी थी जैसे वहा भूकंप आया हो

फिर एकांश की नजर अपने बाजू मे रखी कुछ तस्वीरों पर गई, उसकी और अक्षिता की तस्वीरे, बस यही वो यादे थी जो उसके पास बची थी, उन तस्वीरों को देखते हुए उसकी आँखों से आँसू की एक बंद गिरी, वो अब भी इस सच को नहीं पचा पा रहा था के अक्षिता बस कुछ और दिनों की मेहमान है और यही सोचते हुए उसे और रोना आ रहा था

और सबसे ज्यादा तकलीफ उसे इस बात से हो रही थी के वो इस बारे मे कुछ नहीं कर पा रहा था, उसे तो ये भी नहीं पता था के अक्षिता है कहा और यही बात उसे खाए जा रही थी, इतने समय तक वो उसकी नजरों के सामने थी लेकिन वो कुछ नहीं समझ पाया था, वो उसे समझ ही नहीं पता था, उसकी बीमारी को नहीं भांप पाया था, अब उसे इस बात का भी पछतावा हो रहा था के उसने उस वक्त ही सब कुछ जानने की कोशिश क्यों नहीं नहीं, क्यू जाने दिया था उसे

सबकुछ उसकी आँखों के सामने था, वो अक्षिता की बिगड़ती सेहत को दिन बा दिन देख रहा था, उसकी चेहरे का उड़ता तेज आँखों के नीचे पड़ने वाले गड्ढे, उसकी वो लाल आंखे जैसे वो खूब रोई हो सब कुछ एकांश की आँखों के सामने था, वो तकलीफ मे थी और वो समझ नहीं पाया था, इन सब बातों को उसने इग्नोर कर दिया था और नहीं खयाल अब एकांश को तड़पा रहा था

एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखा जिसमे वो कैमरा मे देख मुस्कुरा रही थी, एकांश उस तस्वीर मे अक्षिता की आँखों की चमक उसके चेहरे से झलकती खुशी को देख रहा था, वो अक्सर सोचता था के जब अक्षिता ने उससे कहा था के वो उससे प्यार नहीं करती तो क्या उनके साथ बिताए वो सभी लम्हे झूठ थे? वो किस झूठी थी? उसके कुछ फीलिंगस नहीं थी? वो सभी यादे झूठी थी?

आज उसके पास जवाब था, वो सबकुछ सच था, हर एक पल झूठ था तो बस एक के अक्षिता उससे प्यार नहीं करती,

एकांश ने अपना चोटिल हाथ जमीन पर दे मारा जब उसके ध्यान मे आया के उसके बताए काम की वजह से अक्षिता को बेहोश होना पड़ा था, वो तब तक अपना हाथ जमीन पर मारता रहा जब तक उसमे से खून नहीं निकलने लगा

‘मुझे उस वक्त ही उसका यकीन ही करना चाहिए था’ एकांश ने अपने आप से कहा

‘जब वो मेरी जिंदगी से गई थी मुझे तब ही सच जानने की कोशिश करनी चाहिए थी’

‘अब क्या करू? क्या करू मैं अब वो वापिस कही चली गई है, कहा खोजू उसे? कैसे ढूंढू? मैं कुछ नहीं कर सकता अब’ एकांश अपने आप पर ही चिढ़ने लगा था

‘आइ एम सॉरी अक्षु मुझे माफ कर दो लेकिन प्लीज वापिस आ जाओ’ एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखते हुए कहा

--

“हैलो”

“हैलो अमर बेटा”

“हा आंटी, बोलिए सब ठीक?”

“जब तक एकांश सही नहीं होगा कुछ ठीक कैसे हो सकता है बेटा”

“मैं समझता हु आंटी, वो अब भी कमरे मे ही है ना? वो फोन का भी जवाब नहीं दे रहा है, मैं घर ही आ रहा हु”

“प्लीज आ जाओ, मैं उसे ऐसे नहीं देख सकती अमर, वो अपने आप को ही चोट ना पहुचा दे”

“डोन्ट वरी आंटी मैं करता हु कुछ”

“थैंक यू बेटा’

जिसके बाद फोन कट गया और अमर कुछ सोचने लगा

--

अमर ने अपने कार रोकी और बिल्डिंग के अंदर आया, उसने अंदर देखा तो सभी लोग अपने अपने काम मे बिजी थे, अमर थोड़ा और आगे बढ़ा और उन लोगों को देखने लगा जिनके लिए वो वहा आया था और वो उसे मिल भी गए

अमर अभी एकांश के ऑफिस मे आया हुआ था और वो रोहन और स्वरा को देख रहा था, तभी उसे स्वरा का आवाज आया जो कीसी से काम के बारे मे बात कर रही थी

“स्वरा..”

“अमर?” स्वरा अमर वो इस वक्त वहा देख थोड़ा चौकी तब तक अमर उसके पास आ गया था

“रोहन कहा है?”

“वो कीसी प्रेज़न्टैशन पर काम कर रहा है, क्यू?”

“एकांश के बारे मे बात करनी है” अमर ने कहा

“सर के बारे मे? क्या हुआ है उन्हे? वो ठीक है?” स्वरा ने चिंतित होते हुए पूछा, एकांश की हालत खराब है इसका तो उनको अंदाजा था लेकिन उस दिन उनके एकांश के घर से आने के बाद क्या हुआ ये उन्हे नहीं पता था, उन दोनों की बात सुन वहा मौजूद ऑफिस के कुछ लोगों ने उन्हे देखा जिसे उन दोनों ने ही इग्नोर कर दिया

“तुमने उससे कान्टैक्ट करने की कोशिश की?” अमर ने पूछा के अगर स्वरा का अक्षिता से कोई कान्टैक्ट हुआ हो तो..

“हा लेकिन उसका फोन बंद आ रहा है, उसके पेरेंट्स का फोन भी बंद है, मैंने उसे ईमेल किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया, उसने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद कर दिए है” स्वरा ने कहा और जैसा अमर को अंदाज था उसे निराशा ही मिली

“क्या हो रहा है?” रोहन ने अमर को वहा देखा तो उनके पास आते हुए पूछा

“वो एकांश सर...” स्वरा ने बताना चाहा

“क्या हुआ है उन्हे?”

“उसने अपने आप को तीन दिन से कमरे मे बंद कर लिया है, कीसी की भी कीसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा है” अमर ने बताया

अब इसपर क्या बोले ये रोहन और स्वरा दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था... और तबही स्वरा के दिमाग मे कुछ आया... उसने रोहन और अमर को देखा फिर अपने कलीग को कुछ काम बता कर बोली

“चलो...” स्वरा ने अपने फोन और पर्स लेते हुए कहा

“लेकिन कहा?”

“बॉस को कमरे से बाहर निकालने..” और इतना बोल स्वरा वहा से निकल गई और उसके पीछे पीछे रोहन और अमर भी...

--

वो तीनों एकांश के घर पहुचे तो वहा अलग ही उदासी भरा महोल था...

अमर उन दोनों दो एकांश के रूम तक ले आया था फिर स्वरा ने रोहन को देखा जिसने रूम का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं आया

“सर?” रोहन ने आवाज दी लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं मिला

“रोहन थोड़ा जोर से बोलो न” स्वरा ने कहा

“सर, मैं रोहन प्लीज दरवाजा खोलिए हमे आपने जरूरी बात करनी है” रोहन ने कहा जिसके बाद फिर से वहा शांती छा गई

“सर प्लीज, दरवाजा खोलिए जरूरी बात करनी है वरना भारी नुकसान हो सकता है” रोहन ने वापिस बहाना बनाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और अब स्वरा आगे आई और उसने एक लंबी सास ली

“सर, मैं स्वरा प्लीज दरवाजा खोलिए...” लेकिन सैम रिजल्ट

“सर, आपको पता है अक्षु आपके बारे मे क्या कहती थी....” और ये छोड़ा स्वरा ने तीर, वो जानती थी एकांश उन्हे सुन रहा था तो उसने आगे बोलना शुरू किया

“वो कहती थी के आपके साथ बिताए पल उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद है, आपके उसकी जिंदगी मे आने के बाद उसके प्यार का मतलब सीखा था,” स्वरा ने अक्षिता की बात को याद करते हुए कहा जब उसने अक्षिता से उसके और एकांश के बारे मे पूछा था

सब लोग शांति से स्वरा को सुन रहे थे और ये भी जानते थे के एकांश भी सुन रहा है

“वो आपसे बहुत प्यार करती है और हमेशा करती रहेगी और इसी प्यार की वजह से ही उसे आपसे दूर होना पड़ा है” स्वरा ने कहा और उन्हे एकांश के दरवाजे तक आने का आवाज आया

“आप जानते है उसने आपने तब और अब दूरी क्यू बनाई?’ स्वरा बोलते हए रुकी ताकि एकांश कुछ रीस्पान्स दे लेकिन वो कुछ नहीं बोला तब उसने आगे कहा

“इसीलिए नहीं क्युकी वो आपसे प्यार नहीं करती बल्कि इसलिए क्युकी वो आपसे बहुतउ प्यार करती है, वो जानती है आपके लिए वो क्या मायने रखती है, उसे पता था के आज इस सच का सामना नहीं कर पाएंगे, वो जानती थी के उसके जाने के बाद उसकी यादों मे आप अपनी जिंदगी तबाह कर लेंगे, कहती थी कुछ पल की नफरत से आप जिंदगी मे कमसे कम आगे तो बढ़ेंगे लेकिन सच आपको तोड़ के रख देगा, जब मैंने उसे आपको सब सच बताने कहा था तब उसकी कहा था के आप सच बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे” स्वरा ने कहा और बोलते हुए उसकी स्वज टूट रही थी...

“अक्षु कभी नहीं चाहती थी के आपको सच जान कर तकलीफ हो, अगर उसको आपकी इन हालत का पता चला तो वो इसका दोष भी अपने आप को देगी और उसकी तबीयत शायद और भी खराब हो क्या आप ये चाहते है? वो कभी नहीं चाहती के आप इस तरह अपने आप को तकलीफ दे और इसीलिए वो चली गई है और आप उसकी बात को सच साबित कर रहे है के आप सच बर्दाश्त नहीं कर सकते...” स्वरा ने कहा और तबही कमरे का दरवाजा खुला और एकांश सबके सामने था,

एकांश के कमरे का दरवाजा खुलते ही सबने राहत की सास ली लेकिन उसकी हालत देख कीसी को भी अच्छा नहीं लग रहा था, एकांश की हालत एकदम खस्ता थी, बिखरे बाद रो रो कर सूजी हुई आंखे बेढब हुए कपड़े...

और जिस बात ने उन्हे सबसे ज्यादा चौकाया वो एकांश के हाथ से बेहता खून.. क्लीन और नीट रहने वाले एकांश का कमरा पूरा बिखरा हुआ था

“एकांश....” साधनाजी ने रोते हुए अपने बेटे को लगे लगाया लेकिन एकांश कीसी बुत की तरह खड़ा रहा

“अक्षु?” एकांश ने मुह से रोहन को स्वरा को देखते हुए बस यही निकला

“हमे उसे ढूँढना होगा, हैना?” स्वरा ने कहा

“हा लेकिन कैसे?”

“बताती हु लेकिन उसके पहले कुछ और करना है.......” स्वरा ने कहा



क्रमश:
 

Tiger 786

Well-Known Member
6,276
22,762
188
Update 22





रघुवंशी परिवार अपने एकलौते बेटे के लिए परेशान था, उसका बेटा उनकी खुशी था गुरूर था जिसने अपने आप को सच जानने के बाद से ही अपने कमरे मे बंद करके रखा हुआ था, आज तीन दिन बीत चुके थे जब एकांश को सच पता चला था और वो इन तीन दिनों से अपने कमरे मे बंद था, घरवालों ने उससे बात करने की काफी कोशिश की लेकिन एकांश ने कीसी की भी बात का कोई जवाब नहीं दिया, कमरे से आती आवाजे बस उसके वहा होने का प्रमाण दे रही थी, एकांश ने एक बात भी अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला था, घरवालों ने दूसरी चाबी से दरवाजा खोलना चाहा लेकिन एकांश ने सबसे उसे अकेला छोड़ने कह दिया था

एकांश की मा उसे ऐसे देख रोए जा रही थी वही उसके पिताजी उन्हे संभालने मे लगे हुए थे, एकांश ने इन तीन दिनों से कुछ खाया भी नहीं था और ऑफिस जाने का तो सवाल ही नहीं था, ऑफिस का काम उसके पिताजी को देखना पड रहा था जिसमे रोहन और स्वरा उनकी मदद कर रहे थे एकांश के कई काम अधूरे थे जो अगर उसके पिताजी न देखते तो भारी नुकसान हो सकता था

अमर भी रोज एकांश से मिलने आ रहा था, उसे कमरे से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन एकांश उसकी भी कीसी बात का जवाब नहीं दे रहा था, अमर कऐसे भी करके अपने दोस्त को पहले जैसे देखना चाहता था और अब वो अपने आप को ही दोष दे रहा था के शायद एकांश को सच पता ना चलता तो वो इस हाल मे ना होता, लेकिन सच जो था वो कभी ना कभी तो सामने आना ही था

--

एकांश झटके के साथ नींद से जागा, उसका पूरा शरीर पसीने से तरबतर था और वो जोर जोर से हाफ रहा था, वो अक्षिता का नाम चिल्लाते हुए ही नींद से जागा था और जब उसने अपने आजू बाजू देखा तो अपने आप को अपने कमरे मे पाया और उसके ध्यान मे आया के वो बस एक बुरा सपना था, एकांश बेड के सहारे टिक कर बैठा और अपने हाथ से अपने माथे पर जमे पसीने को पोंछा

एकांश ने एक नजर खुद पर डाली और फिर आजू बाजू देखा तो पाया के वो जमीन पर ही सो गया था, उसका अपने पूरे बिखरे कमरे को देखा, आईना टूट गया था और उसके कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे, कमरे का आधे से ज्यादा सामान जमीन पर बिखरा हुआ था, अस कमरे की हालत ऐसी थी जैसे वहा भूकंप आया हो

फिर एकांश की नजर अपने बाजू मे रखी कुछ तस्वीरों पर गई, उसकी और अक्षिता की तस्वीरे, बस यही वो यादे थी जो उसके पास बची थी, उन तस्वीरों को देखते हुए उसकी आँखों से आँसू की एक बंद गिरी, वो अब भी इस सच को नहीं पचा पा रहा था के अक्षिता बस कुछ और दिनों की मेहमान है और यही सोचते हुए उसे और रोना आ रहा था

और सबसे ज्यादा तकलीफ उसे इस बात से हो रही थी के वो इस बारे मे कुछ नहीं कर पा रहा था, उसे तो ये भी नहीं पता था के अक्षिता है कहा और यही बात उसे खाए जा रही थी, इतने समय तक वो उसकी नजरों के सामने थी लेकिन वो कुछ नहीं समझ पाया था, वो उसे समझ ही नहीं पता था, उसकी बीमारी को नहीं भांप पाया था, अब उसे इस बात का भी पछतावा हो रहा था के उसने उस वक्त ही सब कुछ जानने की कोशिश क्यों नहीं नहीं, क्यू जाने दिया था उसे

सबकुछ उसकी आँखों के सामने था, वो अक्षिता की बिगड़ती सेहत को दिन बा दिन देख रहा था, उसकी चेहरे का उड़ता तेज आँखों के नीचे पड़ने वाले गड्ढे, उसकी वो लाल आंखे जैसे वो खूब रोई हो सब कुछ एकांश की आँखों के सामने था, वो तकलीफ मे थी और वो समझ नहीं पाया था, इन सब बातों को उसने इग्नोर कर दिया था और नहीं खयाल अब एकांश को तड़पा रहा था

एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखा जिसमे वो कैमरा मे देख मुस्कुरा रही थी, एकांश उस तस्वीर मे अक्षिता की आँखों की चमक उसके चेहरे से झलकती खुशी को देख रहा था, वो अक्सर सोचता था के जब अक्षिता ने उससे कहा था के वो उससे प्यार नहीं करती तो क्या उनके साथ बिताए वो सभी लम्हे झूठ थे? वो किस झूठी थी? उसके कुछ फीलिंगस नहीं थी? वो सभी यादे झूठी थी?

आज उसके पास जवाब था, वो सबकुछ सच था, हर एक पल झूठ था तो बस एक के अक्षिता उससे प्यार नहीं करती,

एकांश ने अपना चोटिल हाथ जमीन पर दे मारा जब उसके ध्यान मे आया के उसके बताए काम की वजह से अक्षिता को बेहोश होना पड़ा था, वो तब तक अपना हाथ जमीन पर मारता रहा जब तक उसमे से खून नहीं निकलने लगा

‘मुझे उस वक्त ही उसका यकीन ही करना चाहिए था’ एकांश ने अपने आप से कहा

‘जब वो मेरी जिंदगी से गई थी मुझे तब ही सच जानने की कोशिश करनी चाहिए थी’

‘अब क्या करू? क्या करू मैं अब वो वापिस कही चली गई है, कहा खोजू उसे? कैसे ढूंढू? मैं कुछ नहीं कर सकता अब’ एकांश अपने आप पर ही चिढ़ने लगा था

‘आइ एम सॉरी अक्षु मुझे माफ कर दो लेकिन प्लीज वापिस आ जाओ’ एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखते हुए कहा

--

“हैलो”

“हैलो अमर बेटा”

“हा आंटी, बोलिए सब ठीक?”

“जब तक एकांश सही नहीं होगा कुछ ठीक कैसे हो सकता है बेटा”

“मैं समझता हु आंटी, वो अब भी कमरे मे ही है ना? वो फोन का भी जवाब नहीं दे रहा है, मैं घर ही आ रहा हु”

“प्लीज आ जाओ, मैं उसे ऐसे नहीं देख सकती अमर, वो अपने आप को ही चोट ना पहुचा दे”

“डोन्ट वरी आंटी मैं करता हु कुछ”

“थैंक यू बेटा’

जिसके बाद फोन कट गया और अमर कुछ सोचने लगा

--

अमर ने अपने कार रोकी और बिल्डिंग के अंदर आया, उसने अंदर देखा तो सभी लोग अपने अपने काम मे बिजी थे, अमर थोड़ा और आगे बढ़ा और उन लोगों को देखने लगा जिनके लिए वो वहा आया था और वो उसे मिल भी गए

अमर अभी एकांश के ऑफिस मे आया हुआ था और वो रोहन और स्वरा को देख रहा था, तभी उसे स्वरा का आवाज आया जो कीसी से काम के बारे मे बात कर रही थी

“स्वरा..”

“अमर?” स्वरा अमर वो इस वक्त वहा देख थोड़ा चौकी तब तक अमर उसके पास आ गया था

“रोहन कहा है?”

“वो कीसी प्रेज़न्टैशन पर काम कर रहा है, क्यू?”

“एकांश के बारे मे बात करनी है” अमर ने कहा

“सर के बारे मे? क्या हुआ है उन्हे? वो ठीक है?” स्वरा ने चिंतित होते हुए पूछा, एकांश की हालत खराब है इसका तो उनको अंदाजा था लेकिन उस दिन उनके एकांश के घर से आने के बाद क्या हुआ ये उन्हे नहीं पता था, उन दोनों की बात सुन वहा मौजूद ऑफिस के कुछ लोगों ने उन्हे देखा जिसे उन दोनों ने ही इग्नोर कर दिया

“तुमने उससे कान्टैक्ट करने की कोशिश की?” अमर ने पूछा के अगर स्वरा का अक्षिता से कोई कान्टैक्ट हुआ हो तो..

“हा लेकिन उसका फोन बंद आ रहा है, उसके पेरेंट्स का फोन भी बंद है, मैंने उसे ईमेल किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया, उसने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद कर दिए है” स्वरा ने कहा और जैसा अमर को अंदाज था उसे निराशा ही मिली

“क्या हो रहा है?” रोहन ने अमर को वहा देखा तो उनके पास आते हुए पूछा

“वो एकांश सर...” स्वरा ने बताना चाहा

“क्या हुआ है उन्हे?”

“उसने अपने आप को तीन दिन से कमरे मे बंद कर लिया है, कीसी की भी कीसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा है” अमर ने बताया

अब इसपर क्या बोले ये रोहन और स्वरा दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था... और तबही स्वरा के दिमाग मे कुछ आया... उसने रोहन और अमर को देखा फिर अपने कलीग को कुछ काम बता कर बोली

“चलो...” स्वरा ने अपने फोन और पर्स लेते हुए कहा

“लेकिन कहा?”

“बॉस को कमरे से बाहर निकालने..” और इतना बोल स्वरा वहा से निकल गई और उसके पीछे पीछे रोहन और अमर भी...

--

वो तीनों एकांश के घर पहुचे तो वहा अलग ही उदासी भरा महोल था...

अमर उन दोनों दो एकांश के रूम तक ले आया था फिर स्वरा ने रोहन को देखा जिसने रूम का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं आया

“सर?” रोहन ने आवाज दी लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं मिला

“रोहन थोड़ा जोर से बोलो न” स्वरा ने कहा

“सर, मैं रोहन प्लीज दरवाजा खोलिए हमे आपने जरूरी बात करनी है” रोहन ने कहा जिसके बाद फिर से वहा शांती छा गई

“सर प्लीज, दरवाजा खोलिए जरूरी बात करनी है वरना भारी नुकसान हो सकता है” रोहन ने वापिस बहाना बनाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और अब स्वरा आगे आई और उसने एक लंबी सास ली

“सर, मैं स्वरा प्लीज दरवाजा खोलिए...” लेकिन सैम रिजल्ट

“सर, आपको पता है अक्षु आपके बारे मे क्या कहती थी....” और ये छोड़ा स्वरा ने तीर, वो जानती थी एकांश उन्हे सुन रहा था तो उसने आगे बोलना शुरू किया

“वो कहती थी के आपके साथ बिताए पल उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद है, आपके उसकी जिंदगी मे आने के बाद उसके प्यार का मतलब सीखा था,” स्वरा ने अक्षिता की बात को याद करते हुए कहा जब उसने अक्षिता से उसके और एकांश के बारे मे पूछा था

सब लोग शांति से स्वरा को सुन रहे थे और ये भी जानते थे के एकांश भी सुन रहा है

“वो आपसे बहुत प्यार करती है और हमेशा करती रहेगी और इसी प्यार की वजह से ही उसे आपसे दूर होना पड़ा है” स्वरा ने कहा और उन्हे एकांश के दरवाजे तक आने का आवाज आया

“आप जानते है उसने आपने तब और अब दूरी क्यू बनाई?’ स्वरा बोलते हए रुकी ताकि एकांश कुछ रीस्पान्स दे लेकिन वो कुछ नहीं बोला तब उसने आगे कहा

“इसीलिए नहीं क्युकी वो आपसे प्यार नहीं करती बल्कि इसलिए क्युकी वो आपसे बहुतउ प्यार करती है, वो जानती है आपके लिए वो क्या मायने रखती है, उसे पता था के आज इस सच का सामना नहीं कर पाएंगे, वो जानती थी के उसके जाने के बाद उसकी यादों मे आप अपनी जिंदगी तबाह कर लेंगे, कहती थी कुछ पल की नफरत से आप जिंदगी मे कमसे कम आगे तो बढ़ेंगे लेकिन सच आपको तोड़ के रख देगा, जब मैंने उसे आपको सब सच बताने कहा था तब उसकी कहा था के आप सच बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे” स्वरा ने कहा और बोलते हुए उसकी स्वज टूट रही थी...

“अक्षु कभी नहीं चाहती थी के आपको सच जान कर तकलीफ हो, अगर उसको आपकी इन हालत का पता चला तो वो इसका दोष भी अपने आप को देगी और उसकी तबीयत शायद और भी खराब हो क्या आप ये चाहते है? वो कभी नहीं चाहती के आप इस तरह अपने आप को तकलीफ दे और इसीलिए वो चली गई है और आप उसकी बात को सच साबित कर रहे है के आप सच बर्दाश्त नहीं कर सकते...” स्वरा ने कहा और तबही कमरे का दरवाजा खुला और एकांश सबके सामने था,

एकांश के कमरे का दरवाजा खुलते ही सबने राहत की सास ली लेकिन उसकी हालत देख कीसी को भी अच्छा नहीं लग रहा था, एकांश की हालत एकदम खस्ता थी, बिखरे बाद रो रो कर सूजी हुई आंखे बेढब हुए कपड़े...

और जिस बात ने उन्हे सबसे ज्यादा चौकाया वो एकांश के हाथ से बेहता खून.. क्लीन और नीट रहने वाले एकांश का कमरा पूरा बिखरा हुआ था

“एकांश....” साधनाजी ने रोते हुए अपने बेटे को लगे लगाया लेकिन एकांश कीसी बुत की तरह खड़ा रहा

“अक्षु?” एकांश ने मुह से रोहन को स्वरा को देखते हुए बस यही निकला

“हमे उसे ढूँढना होगा, हैना?” स्वरा ने कहा

“हा लेकिन कैसे?”

“बताती हु लेकिन उसके पहले कुछ और करना है.......” स्वरा ने कहा



क्रमश:
Awesome update
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
20,902
44,582
259
Idea do be heroine ko dhundhne ke :D
मौसी, बुआ, चाची के घर
पहाड़ों पर

या ऐसी जगह जहां अक्षु बेबी को बहुत पसंद हो।
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
28,630
66,829
304
Update 22





रघुवंशी परिवार अपने एकलौते बेटे के लिए परेशान था, उसका बेटा उनकी खुशी था गुरूर था जिसने अपने आप को सच जानने के बाद से ही अपने कमरे मे बंद करके रखा हुआ था, आज तीन दिन बीत चुके थे जब एकांश को सच पता चला था और वो इन तीन दिनों से अपने कमरे मे बंद था, घरवालों ने उससे बात करने की काफी कोशिश की लेकिन एकांश ने कीसी की भी बात का कोई जवाब नहीं दिया, कमरे से आती आवाजे बस उसके वहा होने का प्रमाण दे रही थी, एकांश ने एक बात भी अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला था, घरवालों ने दूसरी चाबी से दरवाजा खोलना चाहा लेकिन एकांश ने सबसे उसे अकेला छोड़ने कह दिया था

एकांश की मा उसे ऐसे देख रोए जा रही थी वही उसके पिताजी उन्हे संभालने मे लगे हुए थे, एकांश ने इन तीन दिनों से कुछ खाया भी नहीं था और ऑफिस जाने का तो सवाल ही नहीं था, ऑफिस का काम उसके पिताजी को देखना पड रहा था जिसमे रोहन और स्वरा उनकी मदद कर रहे थे एकांश के कई काम अधूरे थे जो अगर उसके पिताजी न देखते तो भारी नुकसान हो सकता था

अमर भी रोज एकांश से मिलने आ रहा था, उसे कमरे से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन एकांश उसकी भी कीसी बात का जवाब नहीं दे रहा था, अमर कऐसे भी करके अपने दोस्त को पहले जैसे देखना चाहता था और अब वो अपने आप को ही दोष दे रहा था के शायद एकांश को सच पता ना चलता तो वो इस हाल मे ना होता, लेकिन सच जो था वो कभी ना कभी तो सामने आना ही था

--

एकांश झटके के साथ नींद से जागा, उसका पूरा शरीर पसीने से तरबतर था और वो जोर जोर से हाफ रहा था, वो अक्षिता का नाम चिल्लाते हुए ही नींद से जागा था और जब उसने अपने आजू बाजू देखा तो अपने आप को अपने कमरे मे पाया और उसके ध्यान मे आया के वो बस एक बुरा सपना था, एकांश बेड के सहारे टिक कर बैठा और अपने हाथ से अपने माथे पर जमे पसीने को पोंछा

एकांश ने एक नजर खुद पर डाली और फिर आजू बाजू देखा तो पाया के वो जमीन पर ही सो गया था, उसका अपने पूरे बिखरे कमरे को देखा, आईना टूट गया था और उसके कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे, कमरे का आधे से ज्यादा सामान जमीन पर बिखरा हुआ था, अस कमरे की हालत ऐसी थी जैसे वहा भूकंप आया हो

फिर एकांश की नजर अपने बाजू मे रखी कुछ तस्वीरों पर गई, उसकी और अक्षिता की तस्वीरे, बस यही वो यादे थी जो उसके पास बची थी, उन तस्वीरों को देखते हुए उसकी आँखों से आँसू की एक बंद गिरी, वो अब भी इस सच को नहीं पचा पा रहा था के अक्षिता बस कुछ और दिनों की मेहमान है और यही सोचते हुए उसे और रोना आ रहा था

और सबसे ज्यादा तकलीफ उसे इस बात से हो रही थी के वो इस बारे मे कुछ नहीं कर पा रहा था, उसे तो ये भी नहीं पता था के अक्षिता है कहा और यही बात उसे खाए जा रही थी, इतने समय तक वो उसकी नजरों के सामने थी लेकिन वो कुछ नहीं समझ पाया था, वो उसे समझ ही नहीं पता था, उसकी बीमारी को नहीं भांप पाया था, अब उसे इस बात का भी पछतावा हो रहा था के उसने उस वक्त ही सब कुछ जानने की कोशिश क्यों नहीं नहीं, क्यू जाने दिया था उसे

सबकुछ उसकी आँखों के सामने था, वो अक्षिता की बिगड़ती सेहत को दिन बा दिन देख रहा था, उसकी चेहरे का उड़ता तेज आँखों के नीचे पड़ने वाले गड्ढे, उसकी वो लाल आंखे जैसे वो खूब रोई हो सब कुछ एकांश की आँखों के सामने था, वो तकलीफ मे थी और वो समझ नहीं पाया था, इन सब बातों को उसने इग्नोर कर दिया था और नहीं खयाल अब एकांश को तड़पा रहा था

एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखा जिसमे वो कैमरा मे देख मुस्कुरा रही थी, एकांश उस तस्वीर मे अक्षिता की आँखों की चमक उसके चेहरे से झलकती खुशी को देख रहा था, वो अक्सर सोचता था के जब अक्षिता ने उससे कहा था के वो उससे प्यार नहीं करती तो क्या उनके साथ बिताए वो सभी लम्हे झूठ थे? वो किस झूठी थी? उसके कुछ फीलिंगस नहीं थी? वो सभी यादे झूठी थी?

आज उसके पास जवाब था, वो सबकुछ सच था, हर एक पल झूठ था तो बस एक के अक्षिता उससे प्यार नहीं करती,

एकांश ने अपना चोटिल हाथ जमीन पर दे मारा जब उसके ध्यान मे आया के उसके बताए काम की वजह से अक्षिता को बेहोश होना पड़ा था, वो तब तक अपना हाथ जमीन पर मारता रहा जब तक उसमे से खून नहीं निकलने लगा

‘मुझे उस वक्त ही उसका यकीन ही करना चाहिए था’ एकांश ने अपने आप से कहा

‘जब वो मेरी जिंदगी से गई थी मुझे तब ही सच जानने की कोशिश करनी चाहिए थी’

‘अब क्या करू? क्या करू मैं अब वो वापिस कही चली गई है, कहा खोजू उसे? कैसे ढूंढू? मैं कुछ नहीं कर सकता अब’ एकांश अपने आप पर ही चिढ़ने लगा था

‘आइ एम सॉरी अक्षु मुझे माफ कर दो लेकिन प्लीज वापिस आ जाओ’ एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखते हुए कहा

--

“हैलो”

“हैलो अमर बेटा”

“हा आंटी, बोलिए सब ठीक?”

“जब तक एकांश सही नहीं होगा कुछ ठीक कैसे हो सकता है बेटा”

“मैं समझता हु आंटी, वो अब भी कमरे मे ही है ना? वो फोन का भी जवाब नहीं दे रहा है, मैं घर ही आ रहा हु”

“प्लीज आ जाओ, मैं उसे ऐसे नहीं देख सकती अमर, वो अपने आप को ही चोट ना पहुचा दे”

“डोन्ट वरी आंटी मैं करता हु कुछ”

“थैंक यू बेटा’

जिसके बाद फोन कट गया और अमर कुछ सोचने लगा

--

अमर ने अपने कार रोकी और बिल्डिंग के अंदर आया, उसने अंदर देखा तो सभी लोग अपने अपने काम मे बिजी थे, अमर थोड़ा और आगे बढ़ा और उन लोगों को देखने लगा जिनके लिए वो वहा आया था और वो उसे मिल भी गए

अमर अभी एकांश के ऑफिस मे आया हुआ था और वो रोहन और स्वरा को देख रहा था, तभी उसे स्वरा का आवाज आया जो कीसी से काम के बारे मे बात कर रही थी

“स्वरा..”

“अमर?” स्वरा अमर वो इस वक्त वहा देख थोड़ा चौकी तब तक अमर उसके पास आ गया था

“रोहन कहा है?”

“वो कीसी प्रेज़न्टैशन पर काम कर रहा है, क्यू?”

“एकांश के बारे मे बात करनी है” अमर ने कहा

“सर के बारे मे? क्या हुआ है उन्हे? वो ठीक है?” स्वरा ने चिंतित होते हुए पूछा, एकांश की हालत खराब है इसका तो उनको अंदाजा था लेकिन उस दिन उनके एकांश के घर से आने के बाद क्या हुआ ये उन्हे नहीं पता था, उन दोनों की बात सुन वहा मौजूद ऑफिस के कुछ लोगों ने उन्हे देखा जिसे उन दोनों ने ही इग्नोर कर दिया

“तुमने उससे कान्टैक्ट करने की कोशिश की?” अमर ने पूछा के अगर स्वरा का अक्षिता से कोई कान्टैक्ट हुआ हो तो..

“हा लेकिन उसका फोन बंद आ रहा है, उसके पेरेंट्स का फोन भी बंद है, मैंने उसे ईमेल किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया, उसने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद कर दिए है” स्वरा ने कहा और जैसा अमर को अंदाज था उसे निराशा ही मिली

“क्या हो रहा है?” रोहन ने अमर को वहा देखा तो उनके पास आते हुए पूछा

“वो एकांश सर...” स्वरा ने बताना चाहा

“क्या हुआ है उन्हे?”

“उसने अपने आप को तीन दिन से कमरे मे बंद कर लिया है, कीसी की भी कीसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा है” अमर ने बताया

अब इसपर क्या बोले ये रोहन और स्वरा दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था... और तबही स्वरा के दिमाग मे कुछ आया... उसने रोहन और अमर को देखा फिर अपने कलीग को कुछ काम बता कर बोली

“चलो...” स्वरा ने अपने फोन और पर्स लेते हुए कहा

“लेकिन कहा?”

“बॉस को कमरे से बाहर निकालने..” और इतना बोल स्वरा वहा से निकल गई और उसके पीछे पीछे रोहन और अमर भी...

--

वो तीनों एकांश के घर पहुचे तो वहा अलग ही उदासी भरा महोल था...

अमर उन दोनों दो एकांश के रूम तक ले आया था फिर स्वरा ने रोहन को देखा जिसने रूम का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं आया

“सर?” रोहन ने आवाज दी लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं मिला

“रोहन थोड़ा जोर से बोलो न” स्वरा ने कहा

“सर, मैं रोहन प्लीज दरवाजा खोलिए हमे आपने जरूरी बात करनी है” रोहन ने कहा जिसके बाद फिर से वहा शांती छा गई

“सर प्लीज, दरवाजा खोलिए जरूरी बात करनी है वरना भारी नुकसान हो सकता है” रोहन ने वापिस बहाना बनाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और अब स्वरा आगे आई और उसने एक लंबी सास ली

“सर, मैं स्वरा प्लीज दरवाजा खोलिए...” लेकिन सैम रिजल्ट

“सर, आपको पता है अक्षु आपके बारे मे क्या कहती थी....” और ये छोड़ा स्वरा ने तीर, वो जानती थी एकांश उन्हे सुन रहा था तो उसने आगे बोलना शुरू किया

“वो कहती थी के आपके साथ बिताए पल उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद है, आपके उसकी जिंदगी मे आने के बाद उसके प्यार का मतलब सीखा था,” स्वरा ने अक्षिता की बात को याद करते हुए कहा जब उसने अक्षिता से उसके और एकांश के बारे मे पूछा था

सब लोग शांति से स्वरा को सुन रहे थे और ये भी जानते थे के एकांश भी सुन रहा है

“वो आपसे बहुत प्यार करती है और हमेशा करती रहेगी और इसी प्यार की वजह से ही उसे आपसे दूर होना पड़ा है” स्वरा ने कहा और उन्हे एकांश के दरवाजे तक आने का आवाज आया

“आप जानते है उसने आपने तब और अब दूरी क्यू बनाई?’ स्वरा बोलते हए रुकी ताकि एकांश कुछ रीस्पान्स दे लेकिन वो कुछ नहीं बोला तब उसने आगे कहा

“इसीलिए नहीं क्युकी वो आपसे प्यार नहीं करती बल्कि इसलिए क्युकी वो आपसे बहुतउ प्यार करती है, वो जानती है आपके लिए वो क्या मायने रखती है, उसे पता था के आज इस सच का सामना नहीं कर पाएंगे, वो जानती थी के उसके जाने के बाद उसकी यादों मे आप अपनी जिंदगी तबाह कर लेंगे, कहती थी कुछ पल की नफरत से आप जिंदगी मे कमसे कम आगे तो बढ़ेंगे लेकिन सच आपको तोड़ के रख देगा, जब मैंने उसे आपको सब सच बताने कहा था तब उसकी कहा था के आप सच बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे” स्वरा ने कहा और बोलते हुए उसकी स्वज टूट रही थी...

“अक्षु कभी नहीं चाहती थी के आपको सच जान कर तकलीफ हो, अगर उसको आपकी इन हालत का पता चला तो वो इसका दोष भी अपने आप को देगी और उसकी तबीयत शायद और भी खराब हो क्या आप ये चाहते है? वो कभी नहीं चाहती के आप इस तरह अपने आप को तकलीफ दे और इसीलिए वो चली गई है और आप उसकी बात को सच साबित कर रहे है के आप सच बर्दाश्त नहीं कर सकते...” स्वरा ने कहा और तबही कमरे का दरवाजा खुला और एकांश सबके सामने था,

एकांश के कमरे का दरवाजा खुलते ही सबने राहत की सास ली लेकिन उसकी हालत देख कीसी को भी अच्छा नहीं लग रहा था, एकांश की हालत एकदम खस्ता थी, बिखरे बाद रो रो कर सूजी हुई आंखे बेढब हुए कपड़े...

और जिस बात ने उन्हे सबसे ज्यादा चौकाया वो एकांश के हाथ से बेहता खून.. क्लीन और नीट रहने वाले एकांश का कमरा पूरा बिखरा हुआ था

“एकांश....” साधनाजी ने रोते हुए अपने बेटे को लगे लगाया लेकिन एकांश कीसी बुत की तरह खड़ा रहा

“अक्षु?” एकांश ने मुह से रोहन को स्वरा को देखते हुए बस यही निकला

“हमे उसे ढूँढना होगा, हैना?” स्वरा ने कहा

“हा लेकिन कैसे?”

“बताती हु लेकिन उसके पहले कुछ और करना है.......” स्वरा ने कहा



क्रमश:
Mind blowing writing :laughclap: Adirshi bhai.
Ekansh ki kharab halat uske pyar se door ki wajah se hai👍 rahi baat uske kamre se bahar nikalne ki to uska kewal ek ho rasta tha. Or wo yahi tha jo swaraj ne apnaya👌🏻
Awesome update again 👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻🔥🔥🔥🔥🔥💥💥💥💥💥💥💥
💥
 

parkas

Well-Known Member
30,502
65,812
303
Update 22





रघुवंशी परिवार अपने एकलौते बेटे के लिए परेशान था, उसका बेटा उनकी खुशी था गुरूर था जिसने अपने आप को सच जानने के बाद से ही अपने कमरे मे बंद करके रखा हुआ था, आज तीन दिन बीत चुके थे जब एकांश को सच पता चला था और वो इन तीन दिनों से अपने कमरे मे बंद था, घरवालों ने उससे बात करने की काफी कोशिश की लेकिन एकांश ने कीसी की भी बात का कोई जवाब नहीं दिया, कमरे से आती आवाजे बस उसके वहा होने का प्रमाण दे रही थी, एकांश ने एक बात भी अपने कमरे का दरवाजा नहीं खोला था, घरवालों ने दूसरी चाबी से दरवाजा खोलना चाहा लेकिन एकांश ने सबसे उसे अकेला छोड़ने कह दिया था

एकांश की मा उसे ऐसे देख रोए जा रही थी वही उसके पिताजी उन्हे संभालने मे लगे हुए थे, एकांश ने इन तीन दिनों से कुछ खाया भी नहीं था और ऑफिस जाने का तो सवाल ही नहीं था, ऑफिस का काम उसके पिताजी को देखना पड रहा था जिसमे रोहन और स्वरा उनकी मदद कर रहे थे एकांश के कई काम अधूरे थे जो अगर उसके पिताजी न देखते तो भारी नुकसान हो सकता था

अमर भी रोज एकांश से मिलने आ रहा था, उसे कमरे से बाहर निकालने की कोशिश कर रहा था लेकिन एकांश उसकी भी कीसी बात का जवाब नहीं दे रहा था, अमर कऐसे भी करके अपने दोस्त को पहले जैसे देखना चाहता था और अब वो अपने आप को ही दोष दे रहा था के शायद एकांश को सच पता ना चलता तो वो इस हाल मे ना होता, लेकिन सच जो था वो कभी ना कभी तो सामने आना ही था

--

एकांश झटके के साथ नींद से जागा, उसका पूरा शरीर पसीने से तरबतर था और वो जोर जोर से हाफ रहा था, वो अक्षिता का नाम चिल्लाते हुए ही नींद से जागा था और जब उसने अपने आजू बाजू देखा तो अपने आप को अपने कमरे मे पाया और उसके ध्यान मे आया के वो बस एक बुरा सपना था, एकांश बेड के सहारे टिक कर बैठा और अपने हाथ से अपने माथे पर जमे पसीने को पोंछा

एकांश ने एक नजर खुद पर डाली और फिर आजू बाजू देखा तो पाया के वो जमीन पर ही सो गया था, उसका अपने पूरे बिखरे कमरे को देखा, आईना टूट गया था और उसके कांच के टुकड़े फर्श पर बिखरे पड़े थे, कमरे का आधे से ज्यादा सामान जमीन पर बिखरा हुआ था, अस कमरे की हालत ऐसी थी जैसे वहा भूकंप आया हो

फिर एकांश की नजर अपने बाजू मे रखी कुछ तस्वीरों पर गई, उसकी और अक्षिता की तस्वीरे, बस यही वो यादे थी जो उसके पास बची थी, उन तस्वीरों को देखते हुए उसकी आँखों से आँसू की एक बंद गिरी, वो अब भी इस सच को नहीं पचा पा रहा था के अक्षिता बस कुछ और दिनों की मेहमान है और यही सोचते हुए उसे और रोना आ रहा था

और सबसे ज्यादा तकलीफ उसे इस बात से हो रही थी के वो इस बारे मे कुछ नहीं कर पा रहा था, उसे तो ये भी नहीं पता था के अक्षिता है कहा और यही बात उसे खाए जा रही थी, इतने समय तक वो उसकी नजरों के सामने थी लेकिन वो कुछ नहीं समझ पाया था, वो उसे समझ ही नहीं पता था, उसकी बीमारी को नहीं भांप पाया था, अब उसे इस बात का भी पछतावा हो रहा था के उसने उस वक्त ही सब कुछ जानने की कोशिश क्यों नहीं नहीं, क्यू जाने दिया था उसे

सबकुछ उसकी आँखों के सामने था, वो अक्षिता की बिगड़ती सेहत को दिन बा दिन देख रहा था, उसकी चेहरे का उड़ता तेज आँखों के नीचे पड़ने वाले गड्ढे, उसकी वो लाल आंखे जैसे वो खूब रोई हो सब कुछ एकांश की आँखों के सामने था, वो तकलीफ मे थी और वो समझ नहीं पाया था, इन सब बातों को उसने इग्नोर कर दिया था और नहीं खयाल अब एकांश को तड़पा रहा था

एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखा जिसमे वो कैमरा मे देख मुस्कुरा रही थी, एकांश उस तस्वीर मे अक्षिता की आँखों की चमक उसके चेहरे से झलकती खुशी को देख रहा था, वो अक्सर सोचता था के जब अक्षिता ने उससे कहा था के वो उससे प्यार नहीं करती तो क्या उनके साथ बिताए वो सभी लम्हे झूठ थे? वो किस झूठी थी? उसके कुछ फीलिंगस नहीं थी? वो सभी यादे झूठी थी?

आज उसके पास जवाब था, वो सबकुछ सच था, हर एक पल झूठ था तो बस एक के अक्षिता उससे प्यार नहीं करती,

एकांश ने अपना चोटिल हाथ जमीन पर दे मारा जब उसके ध्यान मे आया के उसके बताए काम की वजह से अक्षिता को बेहोश होना पड़ा था, वो तब तक अपना हाथ जमीन पर मारता रहा जब तक उसमे से खून नहीं निकलने लगा

‘मुझे उस वक्त ही उसका यकीन ही करना चाहिए था’ एकांश ने अपने आप से कहा

‘जब वो मेरी जिंदगी से गई थी मुझे तब ही सच जानने की कोशिश करनी चाहिए थी’

‘अब क्या करू? क्या करू मैं अब वो वापिस कही चली गई है, कहा खोजू उसे? कैसे ढूंढू? मैं कुछ नहीं कर सकता अब’ एकांश अपने आप पर ही चिढ़ने लगा था

‘आइ एम सॉरी अक्षु मुझे माफ कर दो लेकिन प्लीज वापिस आ जाओ’ एकांश ने अक्षिता की तस्वीर को देखते हुए कहा

--

“हैलो”

“हैलो अमर बेटा”

“हा आंटी, बोलिए सब ठीक?”

“जब तक एकांश सही नहीं होगा कुछ ठीक कैसे हो सकता है बेटा”

“मैं समझता हु आंटी, वो अब भी कमरे मे ही है ना? वो फोन का भी जवाब नहीं दे रहा है, मैं घर ही आ रहा हु”

“प्लीज आ जाओ, मैं उसे ऐसे नहीं देख सकती अमर, वो अपने आप को ही चोट ना पहुचा दे”

“डोन्ट वरी आंटी मैं करता हु कुछ”

“थैंक यू बेटा’

जिसके बाद फोन कट गया और अमर कुछ सोचने लगा

--

अमर ने अपने कार रोकी और बिल्डिंग के अंदर आया, उसने अंदर देखा तो सभी लोग अपने अपने काम मे बिजी थे, अमर थोड़ा और आगे बढ़ा और उन लोगों को देखने लगा जिनके लिए वो वहा आया था और वो उसे मिल भी गए

अमर अभी एकांश के ऑफिस मे आया हुआ था और वो रोहन और स्वरा को देख रहा था, तभी उसे स्वरा का आवाज आया जो कीसी से काम के बारे मे बात कर रही थी

“स्वरा..”

“अमर?” स्वरा अमर वो इस वक्त वहा देख थोड़ा चौकी तब तक अमर उसके पास आ गया था

“रोहन कहा है?”

“वो कीसी प्रेज़न्टैशन पर काम कर रहा है, क्यू?”

“एकांश के बारे मे बात करनी है” अमर ने कहा

“सर के बारे मे? क्या हुआ है उन्हे? वो ठीक है?” स्वरा ने चिंतित होते हुए पूछा, एकांश की हालत खराब है इसका तो उनको अंदाजा था लेकिन उस दिन उनके एकांश के घर से आने के बाद क्या हुआ ये उन्हे नहीं पता था, उन दोनों की बात सुन वहा मौजूद ऑफिस के कुछ लोगों ने उन्हे देखा जिसे उन दोनों ने ही इग्नोर कर दिया

“तुमने उससे कान्टैक्ट करने की कोशिश की?” अमर ने पूछा के अगर स्वरा का अक्षिता से कोई कान्टैक्ट हुआ हो तो..

“हा लेकिन उसका फोन बंद आ रहा है, उसके पेरेंट्स का फोन भी बंद है, मैंने उसे ईमेल किया लेकिन कोई जवाब नहीं आया, उसने अपने सभी सोशल मीडिया अकाउंट भी बंद कर दिए है” स्वरा ने कहा और जैसा अमर को अंदाज था उसे निराशा ही मिली

“क्या हो रहा है?” रोहन ने अमर को वहा देखा तो उनके पास आते हुए पूछा

“वो एकांश सर...” स्वरा ने बताना चाहा

“क्या हुआ है उन्हे?”

“उसने अपने आप को तीन दिन से कमरे मे बंद कर लिया है, कीसी की भी कीसी भी बात का कोई जवाब नहीं दे रहा है” अमर ने बताया

अब इसपर क्या बोले ये रोहन और स्वरा दोनों को ही समझ नहीं आ रहा था... और तबही स्वरा के दिमाग मे कुछ आया... उसने रोहन और अमर को देखा फिर अपने कलीग को कुछ काम बता कर बोली

“चलो...” स्वरा ने अपने फोन और पर्स लेते हुए कहा

“लेकिन कहा?”

“बॉस को कमरे से बाहर निकालने..” और इतना बोल स्वरा वहा से निकल गई और उसके पीछे पीछे रोहन और अमर भी...

--

वो तीनों एकांश के घर पहुचे तो वहा अलग ही उदासी भरा महोल था...

अमर उन दोनों दो एकांश के रूम तक ले आया था फिर स्वरा ने रोहन को देखा जिसने रूम का दरवाजा खटखटाया लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं आया

“सर?” रोहन ने आवाज दी लेकिन कोई रीस्पान्स नहीं मिला

“रोहन थोड़ा जोर से बोलो न” स्वरा ने कहा

“सर, मैं रोहन प्लीज दरवाजा खोलिए हमे आपने जरूरी बात करनी है” रोहन ने कहा जिसके बाद फिर से वहा शांती छा गई

“सर प्लीज, दरवाजा खोलिए जरूरी बात करनी है वरना भारी नुकसान हो सकता है” रोहन ने वापिस बहाना बनाया लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ और अब स्वरा आगे आई और उसने एक लंबी सास ली

“सर, मैं स्वरा प्लीज दरवाजा खोलिए...” लेकिन सैम रिजल्ट

“सर, आपको पता है अक्षु आपके बारे मे क्या कहती थी....” और ये छोड़ा स्वरा ने तीर, वो जानती थी एकांश उन्हे सुन रहा था तो उसने आगे बोलना शुरू किया

“वो कहती थी के आपके साथ बिताए पल उसकी जिंदगी की सबसे खूबसूरत याद है, आपके उसकी जिंदगी मे आने के बाद उसके प्यार का मतलब सीखा था,” स्वरा ने अक्षिता की बात को याद करते हुए कहा जब उसने अक्षिता से उसके और एकांश के बारे मे पूछा था

सब लोग शांति से स्वरा को सुन रहे थे और ये भी जानते थे के एकांश भी सुन रहा है

“वो आपसे बहुत प्यार करती है और हमेशा करती रहेगी और इसी प्यार की वजह से ही उसे आपसे दूर होना पड़ा है” स्वरा ने कहा और उन्हे एकांश के दरवाजे तक आने का आवाज आया

“आप जानते है उसने आपने तब और अब दूरी क्यू बनाई?’ स्वरा बोलते हए रुकी ताकि एकांश कुछ रीस्पान्स दे लेकिन वो कुछ नहीं बोला तब उसने आगे कहा

“इसीलिए नहीं क्युकी वो आपसे प्यार नहीं करती बल्कि इसलिए क्युकी वो आपसे बहुतउ प्यार करती है, वो जानती है आपके लिए वो क्या मायने रखती है, उसे पता था के आज इस सच का सामना नहीं कर पाएंगे, वो जानती थी के उसके जाने के बाद उसकी यादों मे आप अपनी जिंदगी तबाह कर लेंगे, कहती थी कुछ पल की नफरत से आप जिंदगी मे कमसे कम आगे तो बढ़ेंगे लेकिन सच आपको तोड़ के रख देगा, जब मैंने उसे आपको सब सच बताने कहा था तब उसकी कहा था के आप सच बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे” स्वरा ने कहा और बोलते हुए उसकी स्वज टूट रही थी...

“अक्षु कभी नहीं चाहती थी के आपको सच जान कर तकलीफ हो, अगर उसको आपकी इन हालत का पता चला तो वो इसका दोष भी अपने आप को देगी और उसकी तबीयत शायद और भी खराब हो क्या आप ये चाहते है? वो कभी नहीं चाहती के आप इस तरह अपने आप को तकलीफ दे और इसीलिए वो चली गई है और आप उसकी बात को सच साबित कर रहे है के आप सच बर्दाश्त नहीं कर सकते...” स्वरा ने कहा और तबही कमरे का दरवाजा खुला और एकांश सबके सामने था,

एकांश के कमरे का दरवाजा खुलते ही सबने राहत की सास ली लेकिन उसकी हालत देख कीसी को भी अच्छा नहीं लग रहा था, एकांश की हालत एकदम खस्ता थी, बिखरे बाद रो रो कर सूजी हुई आंखे बेढब हुए कपड़े...

और जिस बात ने उन्हे सबसे ज्यादा चौकाया वो एकांश के हाथ से बेहता खून.. क्लीन और नीट रहने वाले एकांश का कमरा पूरा बिखरा हुआ था

“एकांश....” साधनाजी ने रोते हुए अपने बेटे को लगे लगाया लेकिन एकांश कीसी बुत की तरह खड़ा रहा

“अक्षु?” एकांश ने मुह से रोहन को स्वरा को देखते हुए बस यही निकला

“हमे उसे ढूँढना होगा, हैना?” स्वरा ने कहा

“हा लेकिन कैसे?”

“बताती हु लेकिन उसके पहले कुछ और करना है.......” स्वरा ने कहा



क्रमश:
Bahut hi shaandar update diya hai Adirshi bhai...
Nice and awesome update....
 
Top