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Funny Dhamakedar News (fake)

vihan27

Blood Makes Empire Not Tear
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🔥 ब्रेकिंग न्यूज़ 🔥
X-Forum पर सबसे बड़ा बदलाव! LSB और Lounge का होने जा रहा है विलय (Merger)! 🤯
दिल्ली: X-Forum की दुनिया में आज एक ऐतिहासिक और विस्फोटक खबर सामने आई है! अभी-अभी X-Forum के विशिष्ट आधिकारिक सूत्रों से यह पता चला है कि प्लेटफॉर्म के दो सबसे चर्चित और अलग-थलग माने जाने वाले सेक्शन— LSB और Lounge (लाउंज) का बहुत जल्द ही विलय (Merger) होने वाला है।

क्यों हो रहा है यह विलय?
सूत्रों के अनुसार, इस बड़े कदम के पीछे मुख्य वजह 'भाईचारा बढ़ाना' और दोनों सेक्शन्स के बीच मेल-मिलाप को मज़बूत करना बताया जा रहा है।

प्रशासन का मानना है कि इस विलय से LSB वालों की भावनाओं को Lounge वाले सदस्य और भी अच्छे से समझ पाएंगे, जिससे फोरम पर एक सकारात्मक और एकजुट माहौल बनेगा। यह फैसला फोरम को एक अखंड समुदाय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

फोरम पर ख़ुशी और निराशा की लहर!
इस खबर से X-Forum के कई विशिष्ट सदस्यों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अब black , Elon musk, अपना Siraj भाई, Akash और कई अन्य यूज़र्स गर्व से कह सकेंगे कि "हम LSB से हैं," और उन्हें Lounge में जाने के लिए छुपकर या 'वीजा' लेकर नहीं जाना पड़ेगा।

वहीं, कुछ यूज़र्स इस फैसले से निराश भी नज़र आ रहे हैं। ये वे सदस्य हैं जिनके फोरम पर दो अलग-अलग ID हैं— एक LSB वाली और दूसरी Lounge वाली। इनमें अपने Avaran Agasthya @mistyvixcin Aakash. ओर JaideepRaj जैसे कई नाम शामिल हैं।

उनका सोचना अब यह है कि: "अब दोनों ID से एक साथ Chit Chat (गपशप) कैसे करेंगे?" उनके लिए यह एक मुश्किल दुविधा बन गई है कि क्या वे एक पहचान छोड़ दें या दोहरी पहचान के साथ जीएँ!

1.आप सब महानुभावों की क्या प्रतिक्रिया है इस बारे में?
2.क्या यह भाईचारा बढ़ाने का सही कदम है, या 'डबल ID' वाले यूज़र्स के लिए आफ़त?
विचार अवश्य साझा करें!
Laya bappu laya 😂
 
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Black

Mrityu hi Satya hai
Prime
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Dua do ki jyada din achhi chale.. Kaahe bad-dua dene me lage ho :mad:
Humari toh 3 mahina hi chali thi
6 mahina dua hi hai :cry:
 
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Agasthya

I'm flying solo...
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X-Forum पर सबसे बड़ा बदलाव! LSB और Lounge का होने जा रहा है विलय (Merger)! 🤯
दिल्ली: X-Forum की दुनिया में आज एक ऐतिहासिक और विस्फोटक खबर सामने आई है! अभी-अभी X-Forum के विशिष्ट आधिकारिक सूत्रों से यह पता चला है कि प्लेटफॉर्म के दो सबसे चर्चित और अलग-थलग माने जाने वाले सेक्शन— LSB और Lounge (लाउंज) का बहुत जल्द ही विलय (Merger) होने वाला है।

क्यों हो रहा है यह विलय?
सूत्रों के अनुसार, इस बड़े कदम के पीछे मुख्य वजह 'भाईचारा बढ़ाना' और दोनों सेक्शन्स के बीच मेल-मिलाप को मज़बूत करना बताया जा रहा है।

प्रशासन का मानना है कि इस विलय से LSB वालों की भावनाओं को Lounge वाले सदस्य और भी अच्छे से समझ पाएंगे, जिससे फोरम पर एक सकारात्मक और एकजुट माहौल बनेगा। यह फैसला फोरम को एक अखंड समुदाय बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

फोरम पर ख़ुशी और निराशा की लहर!
इस खबर से X-Forum के कई विशिष्ट सदस्यों में खुशी की लहर दौड़ गई है। अब black , Elon musk, अपना Siraj भाई, Akash और कई अन्य यूज़र्स गर्व से कह सकेंगे कि "हम LSB से हैं," और उन्हें Lounge में जाने के लिए छुपकर या 'वीजा' लेकर नहीं जाना पड़ेगा।

वहीं, कुछ यूज़र्स इस फैसले से निराश भी नज़र आ रहे हैं। ये वे सदस्य हैं जिनके फोरम पर दो अलग-अलग ID हैं— एक LSB वाली और दूसरी Lounge वाली। इनमें अपने Avaran Agasthya @mistyvixcin Aakash. ओर JaideepRaj जैसे कई नाम शामिल हैं।

उनका सोचना अब यह है कि: "अब दोनों ID से एक साथ Chit Chat (गपशप) कैसे करेंगे?" उनके लिए यह एक मुश्किल दुविधा बन गई है कि क्या वे एक पहचान छोड़ दें या दोहरी पहचान के साथ जीएँ!

1.आप सब महानुभावों की क्या प्रतिक्रिया है इस बारे में?
2.क्या यह भाईचारा बढ़ाने का सही कदम है, या 'डबल ID' वाले यूज़र्स के लिए आफ़त?
विचार अवश्य साझा करें!
Matlb samjh nahi aaya kuch but padh ke achha laga :hmm:
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Aakash.

ɪ'ᴍ ᴜꜱᴇᴅ ᴛᴏ ʙᴇ ꜱᴡᴇᴇᴛ ᴀꜱ ꜰᴜᴄᴋ, ɴᴏᴡ ɪᴛ'ꜱ ꜰᴜᴄᴋ & ꜰᴜᴄᴋ
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Bikhra hai mann kya Sitam :singer:
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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एक बार की बात है, एक छोटे से गाँव में जयदीप नाम का एक युवक रहता था। वह बहुत ही नेक दिल और मेहनती था। गाँव में एक और महिला रहती थी, जिसका नाम कामिनी था। कामिनी उम्र में जयदीप से बड़ी थीं, लेकिन उनकी आँखें बहुत गहरी और समझदार थीं। गाँव वाले उन्हें 'बुद्धिमान कामिनी' कहकर बुलाते थे, क्योंकि वह हर समस्या का समाधान बड़ी आसानी से निकाल लेती थीं।


जयदीप अक्सर कामिनी के पास सलाह लेने जाता था। कामिनी हमेशा उसकी मदद करती थीं और धीरे-धीरे जयदीप को उनकी समझदारी और शांत स्वभाव से प्यार हो गया। कामिनी भी जयदीप की सादगी और उसकी नेक दिली से प्रभावित थीं। उन्हें लगता था कि जयदीप में कुछ खास है, जो उसने किसी और पुरुष में नहीं देखा था।


एक दिन, गाँव में एक बड़ा तूफान आया। सभी लोग डर गए थे, लेकिन कामिनी और जयदीप ने मिलकर गाँव वालों की मदद की। उस रात, जब तूफान थोड़ा शांत हुआ, तो जयदीप और कामिनी एक साथ बैठे थे। उनकी आँखों में एक-दूसरे के लिए गहरा सम्मान और प्यार था। जयदीप ने कामिनी का हाथ अपने हाथों में लिया और कहा, "कामिनी जी, मैं आपसे बहुत प्यार करता हूँ।"


कामिनी मुस्कुराईं और उन्होंने भी जयदीप के प्यार को स्वीकार किया। उन दोनों ने एक-दूसरे को गले लगाया और उस रात, उनके प्यार ने तूफानी रात को भी रोशनी से भर दिया।
पूरी रात टपाटप चला, सुबह जब कामिनी उठी तो जयदीप गायब था...:dazed:3 दिन तक ढूँढ कर थक जाने पर जब जयदीप कहीॅ नही मिला तो कामिनी: इस बुढ़ापे मे मुझे अब ऐसा चाहने वाला कहां मिलेगा? :cry:
तभी उसके लहंगे में से आवाज आई: हम अभी जिंदा है:roll:
कामिनी: ये तो मेरे दीपू की आवाज है...

To be cont..........
अब आगे:

जैसे ही जयदीप की आवाज आई, कामिनी चौंक गई, उसने अपना हाथ अपने गुप्तांग पर रखा और उसे अपने गुप्तांग में कुछ महसूस हुआ ।

जैसे ही उसने अपने गुप्तांग में अपनी उंगली डाली तो जयदीप ने अपने दोनों हाथों से उसकी उंगली को पकड़ना चाहा पर कामरस से भीगा होने के कारण उसके हाथ फिसल गए।

जयदीप ने कामिनी को वही से आवाज दी के वो उसके गुप्तांग के पास उसके कामरस को चखने के लिए गया था परन्तु वह फिसलन इतनी थीं के फिसल गया और पूरा ही अंदर चला गया। और 3 दिन से वही चटकारे लेकर उसके कामरस को चाटने का आनंद ले रहा था। :lol1:


1759335632798-Screenshot-20251001-215011

‎ फिर कामिनी ने अपने हाथ से जयदीप को पकड़ कर बाहर निकाला तो वह जयदीप को देख कर चौंक गई।


जयदीप पूरा उसके कामरस से भीगा हुआ था। उसका चेहरा, उसके गला, उसका पूरा शरीर गाड़े सफेद पानी से भरा हुआ था और एक मादक सुगंध पूरे वातावरण में फैल गई थी।

कामिनी जयदीप को इसे देख उसे लिपट पड़ी और जयदीप ने भी उसे खुद से जकड लिया । ये मिलन ऐसा था जैसे रेगिस्तान में प्यासे को पानी मिल गया हो।

दोनों ही एक दूसरे को छोड़ने को तैयार नहीं थे। दोनों ने कस के एक दूसरे को जकड़ा हुआ था। कामिनी अपने ही गुप्तांग की सुगंध से मदहोश होने लगी और उसके जिस्म में आग भड़कने लगी ।


फिर थोड़ी देर बाद अचानक कामिनी को क्या सुझा के उसने अपना मुंह थोड़ा पीछे किया जयदीप को देखने लगी और अपनी जीभ निकाल के उसके होंठो को चूसने लगी।

उसने जैसे ही जीभ उसके होंठो पर रखी तो उसने अपने कामरस का स्वाद चखा और बस उसके बाद वह नहीं रुकी, कभी जयदीप के होंठ, कभी उसके गाल, उसका गला, उसका सीना, जहां जहां भी चूमती और चाटती उसके जिस्म में आग भड़कने लगती।

जयदीप भी कहा पीछे रहने वाला था, वो भी कामिनी के चाटे हुए कामरस को उसी के मुंह से फिर से चाटने लगा, जयदीप ने कामिनी के होंठो को अपने होंठो की गिरफ्त में ले लिया और उसे सांस लेने का भी मौका नहीं दिया।

बेचारी कामिनी अपनी ढलती उम्र के कारण ज्यादा सांस को रोक नहीं सकती थी, वो जयदीप को खुद से दूर करना चाह रही थी, उसके धकेल रही थी पर बुढ़ापे के कारण उसमें इतनी ताकत नहीं थी के वो उस जवान वहशी दरिंदे जयदीप को धकेल सके।

कामिनी की सांसे उखड़ने लगी, पर हवस के अंधे ठरकी जयदीप को कामिनी की हालत से क्या मतलब था, वो तो वासना में अंधा हो चुका था, वो लगातार उसके लटक चुके ढीले उरोजों को मसलने में लगा था।


अचानक से कामिनी ढीली पड़ने लगती है और उसकी प्रतिक्रिया आना बंद हो जाता है। :dazed:

आप सब की क्या प्रतिक्रिया है? क्या उस वहसी दरिन्दे जयदीप को उस बिचारी बुढिया के साथ ऐसा करना चाहिए था :sigh:
 
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Raj_sharma

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अब आगे:

जैसे ही जयदीप की आवाज आई, कामिनी चौंक गई, उसने अपना हाथ अपने गुप्तांग पर रखा और उसे अपने गुप्तांग में कुछ महसूस हुआ ।

जैसे ही उसने अपने गुप्तांग में अपनी उंगली डाली तो जयदीप ने अपने दोनों हाथों से उसकी उंगली को पकड़ना चाहा पर कामरस से भीगा होने के कारण उसके हाथ फिसल गए।

जयदीप ने कामिनी को वही से आवाज दी के वो उसके गुप्तांग के पास उसके कामरस को चखने के लिए गया था परन्तु वह फिसलन इतनी थीं के फिसल गया और पूरा ही अंदर चला गया। और 3 दिन से वही चटकारे लेकर उसके कामरस को चाटने का आनंद ले रहा था। :lol1:


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‎ फिर कामिनी ने अपने हाथ से जयदीप को पकड़ कर बाहर निकाला तो वह जयदीप को देख कर चौंक गई।


जयदीप पूरा उसके कामरस से भीगा हुआ था। उसका चेहरा, उसके गला, उसका पूरा शरीर गाड़े सफेद पानी से भरा हुआ था और एक मादक सुगंध पूरे वातावरण में फैल गई थी।

कामिनी जयदीप को इसे देख उसे लिपट पड़ी और जयदीप ने भी उसे खुद से जकड लिया । ये मिलन ऐसा था जैसे रेगिस्तान में प्यासे को पानी मिल गया हो।

दोनों ही एक दूसरे को छोड़ने को तैयार नहीं थे। दोनों ने कस के एक दूसरे को जकड़ा हुआ था। कामिनी अपने ही गुप्तांग की सुगंध से मदहोश होने लगी और उसके जिस्म में आग भड़कने लगी ।


फिर थोड़ी देर बाद अचानक कामिनी को क्या सुझा के उसने अपना मुंह थोड़ा पीछे किया जयदीप को देखने लगी और अपनी जीभ निकाल के उसके होंठो को चूसने लगी।

उसने जैसे ही जीभ उसके होंठो पर रखी तो उसने अपने कामरस का स्वाद चखा और बस उसके बाद वह नहीं रुकी, कभी जयदीप के होंठ, कभी उसके गाल, उसका गला, उसका सीना, जहां जहां भी चूमती और चाटती उसके जिस्म में आग भड़कने लगती।

जयदीप भी कहा पीछे रहने वाला था, वो भी कामिनी के चाटे हुए कामरस को उसी के मुंह से फिर से चाटने लगा, जयदीप ने कामिनी के होंठो को अपने होंठो की गिरफ्त में ले लिया और उसे सांस लेने का भी मौका नहीं दिया।

बेचारी कामिनी अपनी ढलती उम्र के कारण ज्यादा सांस को रोक नहीं सकती थी, वो जयदीप को खुद से दूर करना चाह रही थी, उसके धकेल रही थी पर बुढ़ापे के कारण उसमें इतनी ताकत नहीं थी के वो उस जवान वहशी दरिंदे जयदीप को धकेल सके।

कामिनी की सांसे उखड़ने लगी, पर हवस के अंधे ठरकी जयदीप को कामिनी की हालत से क्या मतलब था, वो तो वासना में अंधा हो चुका था, वो लगातार उसके लटक चुके ढीले उरोजों को मसलने में लगा था।


अचानक से कामिनी ढीली पड़ने लगती है और उसकी प्रतिक्रिया आना बंद हो जाता है। कामिनी की टिकट कट चुकी थी :dazed:

आप सब की क्या प्रतिक्रिया है? क्या उस वहसी दरिन्दे जयदीप को उस बिचारी बुढिया के साथ ऐसा करना चाहिए था :sigh:
Avaran
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