शानदार
भाग:–120
“रूही ने कॉलर पकड़कर निशांत का होंठ निचोड़ चुम्मा ले ली।"..... “दीदी ने निशांत को फ्रेंच किस्स किया”... “पहले मैने कहा”... “पहले मैं बोली”... “पहले मैं बोली”...
अलबेली, ओजल और इवान ने एक ही वक्त में मामला बता दिया। बताने के बाद तीनो में “पहले मैं, पहले मैं” की जंग छिड़ चुकी थी और आर्यमणि... वह मुंह छिपाकर हंस रहा था।
आर्यमणि किसी तरह अपनी हंसी रोकते.... “तो तुम लोग अभी निशांत के साथ क्या करने जा रहे थे?”
इवान:– उसके हथियार को निरस्त करने जा रहे थे...
आर्यमणि:– हे भगवान!!! ये सब क्या सुनना पड़ रहा हा? मतलब एक तो रूही उसे चूम ली, और उल्टा निशांत को ही सजा दे रही है?
रूही:– होने वाली बीवी का लिप किस हो गया इस बात से बदन में आग नही लगी, उल्टा तुम्हारी छिछोड़ों जैसी हंसी निकल रही है। तुम्हे तो मैं बाद में देखती हूं। अलबेली तू मेरा मुंह मत देख, इसकी भ्रमित अंगूठी निकाल।
आर्यमणि:– अरे वो निशांत जबरदस्ती चूम लेता फिर न मैं एक्शन लेता। यहां तो तुम ही उसे चूमकर उल्टा उसे सजा दे रही ..
“हां मैने ही चूमा। लेकिन मेरा रोम–रोम तक जानता था, मैं किसे चूमी। मैने अपने आर्य को चूमा था। लेकिन वो आर्य एक भ्रम था और उस भ्रम के पीछे ये निशांत था। मैं अपने आर्य के अलावा किसी को चूम लूं, उस से पहले मुझे मौत न आ जाए। मेरे भावनाओ का मजाक उड़ाने वाला ये होता कौन है?”... रूही बड़े गुस्से में अपनी बात कही।
अलबेली रूही का हाथ थामकर उसे निशांत से अलग करती..... “माफ कर दो। मजाक–मजाक में भूल हो गयी। सारी गलती मेरी ही है। निशांत ने तो बस वही किया जो मै उसे कही थी। हमे नही पता था कि तुम दादा (आर्यमणि) को इतना मिस कर रही थी।”
आर्यमणि:– तुम दोनो (ओजल और इवान) भी निशांत को छोड़ो। निशांत तू बता...
निशांत:– हां गलती हम दोनो की है। मैं और अलबेली संयुक्त अभ्यास पर थे। उसी समय हमने रूही को चौकाने का सोचा था। मैने भ्रम पैदा किया जिस से मैं तुम्हारी तरह दिखने लगा। उसके बाद मैने सोचा...
अलबेली बीच में रोकती... “नही दादा केवल निशांत ने नही बल्कि हम दोनो ने सोचा की रूही को थोड़ा चौकाया जाये। हम दोनो ही एक साथ रूही के रूम में घुसे और रूही शायद आपके ही सपने संजोए बैठी थी। आपको सामने देख व्याकुल होकर भागी चली आयी। जबतक मैं पूरी बात बताई तब तक रूही एक बार चूम चुकी थी। हम दोनो ही दोषी है।”
आर्यमणि:– दोषी तो मैं हूं। शायद कुछ दिनों से रूही पर ध्यान नहीं दे रहा था। देखो जान मैने अपने दोनो कान पकड़ लिये। माफ कर दो अब से एक पल के लिये भी तुम्हारा साथ न छोड़ेंगे....
रूही रोते–रोते हंस दी। दौड़कर आकर आर्यमणि के गले लगती.... “हां सारी गलती तुम्हारी ही है। मुझमें एक पत्नी की भावना जगाकर, उसके साथ रहते हुये भी दूर रहते हो ये अच्छा नही लगता।”
आर्यमणि, रूही की पीठ पर प्यार से हाथ फेरते, उसे खुद से चिपका लिया और अपनी ललाट ऊपर कर, अपने नीले आंख के रंग को अल्फा के गहरी लाल आंखों में तब्दील कर ओजल और इवान को देखने लगा। ओजल और इवान सवालिया नजरों से आर्यमणि को देखते.... “क्या????”
आर्यमणि:– इस कहानी में तुम दोनो कहां थे?
इवान:– छोटी सी यात्रा पूरी करके जब लौटे तब रूही दीदी और निशांत के बीच कांड हो चुका था। जिस वक्त हम पहुंचे उस वक्त दीदी अपने पंजों से कमरे को कबाड़ रही थी और चिंखती हुई इतना ही कहती... “एक बार अपना भ्रम हटाओ, फिर देखो क्या होता है।”
आर्यमणि:– फिर निशांत पकड़ में कैसे आया?
ओजल:– मैने पकड़वाया... कमरा है ही कितना बड़ा, करते रहो भ्रम। हमने भी चादर पकड़ा और इस कोना से उस कोना तक नाप दिया। पकड़ा गया...
आर्यमणि:– क्या बात है। कमाल कर दिया। चलो इस कमरे से, और इवान रूम सर्विस को कॉल लगाकर यहां का हुलिया ठीक करवाओ।
वहां से सभी निशांत के कमरे में आ गये। बातें फिर शुरू हुई की अल्फा पैक आर्यमणि के गैर–मौजूदगी में क्या कर रही थी? वाकई इन लोगों ने अपने खाली समय का पूरा फायदा उठाया था। यूरोप भ्रमण पर निकले थे। यात्रा के दौरान निशांत के साथ रोज सुबह सुरक्षा मंत्र का अभ्यास तो करते ही थे, साथ में निशांत ने “वायु विघ्न” मंत्र का भी अभ्यास करवाया। “वायु विघ्न” यानी हवा के माध्यम से यदि कोई खतरा सीधा उनके ओर चला आ रहा हो तो इस मंत्र के प्रभाव से वह खतरा टल जायेगा।
इसके अलावा निशांत के साथ पूरे अल्फा पैक ने तरह–तरह के हथियार चलाने का भी अभ्यास किया, जैसे की लाठी, छोटी कुल्हाड़ी, खंजर और बंदूक। सभी को मात्र 7 दिन में ही निशांत ने खतरनाक हथियार चलाने वाला बना दिया था। और वुल्फ तो जैसे पैदाइशी निशानची हो। बंदूक से क्या निशाना लगाते थे, निशांत भी देखकर दंग। जिस अचूक निशाने को निशांत पिछले 1 साल से पाने की कोशिश में जुटा था, उसे तो इन लोगों ने मात्र 7 दिन में हासिल कर लिया।
बातों के दौरान ही पता चला की 2 दिन पहले रूही, अलबेली और निशांत फ्रांस पहुंचे, जबकि रूही ने ओजल और इवान को जर्मनी भेज दिया। चूंकि ओजल और इवान को कोई नहीं जानता था, इसलिए इनका काम था चुपके से पलक के होटल पहुंचना और वहां के चप्पे–चप्पे पर ऑडियो–वीडियो बग फिक्स कर देना, ताकि विपक्ष की पूरी योजना दिखाई तथा सुनाई दे।
दोनो कामयाब होकर लौट रहे थे। दोनो की कामयाबी उस स्वीट्स में दिख रही थी, जहां इनका सिस्टम लगा था। पलक जिस होटल में ठहरी थी, उसके अलावा उन 3–4 होटल में भी सारे बग फिक्स किये जा चुके थे जहां दूसरे एलियन को ठहराया गया था।
आर्यमणि तो सारा हिसाब किताब जान लिया। फिर बात उठने लगी की आर्यमणि ने इतने दिनो तक क्या किया और जर्मनी के लिये उसने क्या योजना बनाई है? तब आर्यमणि अपने योजना का खुलासा करते हुये कहने लगा.... “हमारी योजना उनकी योजना पर निर्भर करती है। यदि वुल्फ हाउस को ये लोग घेर लेंगे और वहां खतरा ज्यादा हुआ, तब मिलने की जगह मांट ब्लैंक (Mont Blanc) होगी। बाकी की योजना बताने नही दिखाने वाली है, इसलिए जर्मनी पहुंचकर सबका खुलासा होगा। तब तक रूही निशांत और अलबेली एक साथ अपना अभ्यास जारी रखेंगे, इसमें उनके साथ संन्यासी शिवम् भी जुड़ेंगे। इधर मैं अपने साला और साली के साथ अपने विपक्षी पर नजर डालेंगे।”
रूही चुटकी लेती.... “ए जी अपनी आधी घरवाली और खुदाई से ऊपर रहने वाले अपने जोरू के भाई का ख्याल रखना।”
रूही की बात पर सब हंसने लगे। 5 मार्च तक वहां का माहोल ऐसा रहा की रूही और आर्यमणि एक दूसरे की झलक तक नही देख पाये। 5 मार्च की सुबह सभी इकट्ठा हुये। ओजल और इवान को फ्लाइट से जर्मनी भेजा गया, वहीं आर्यमणि पूरी टुकड़ी के साथ पानी के रास्ते जर्मनी पहुंचता...
ओजल और इवान दोनो दोपहर के 3 बजे बर्लिन लैंड कर रहे थे। जैसे ही एयरपोर्ट से निकले बाहर पलक खड़ी थी। दोनो ने एक नजर पलक को देखा और हाथ हिलाते उसके करीब पहुंच गये.... “तो क्या खबर लाये हो दोनो।”
ओजल एक पत्र पलक के हाथ में थमा दी। पलक उस पत्र को पढ़ने लगी... “ये लोग खुद को अल्फा पैक कहते है। टेक्नोलॉजी तो इनकी गुलाम हो जैसे। पहले हमे ऊपर से लेकर नीचे तक स्कैन करो। हमारे कपड़ों में कहीं कोई बग तो नही छिपाया, फिर बात करेंगे”..
पलक, अपनी पलक झपकाकर सहमति दी और बिना कोई बात किये तीनो चले जा रहे थे। कार एक बंगलो के सामने रुकी जहां की सुरक्षा तो किसी देश के मुखिया के सुरक्षा से कम नही थी। उसी बंगलो के प्रवेश द्वार पर ही जांचने के सारे उपकरण लगे थे। उनकी जांच जब पूरी हो गयी, उसके बाद उनके मोबाइल को ऑफ करके वहीं बाहर रख दिये और तीनो बंगलो के अंदर।
सभी अपना स्थान ग्रहण करते.... “हां अब बताओ क्या खबर है?”
ओजल:– खबर कुछ अच्छी नहीं है। उन्हे आपकी और महा के बीच हुई कल (4 मार्च) की मीटिंग का पूरा पता है। दोनो भाई–बहन ने सच कहा था कि वो जासूसी करने आये है, बस ये नही बताया था कि हमारे मीटिंग हॉल में इन्होंने ऑडियो–वीडियो बग पहले से लगा चुके थे। हम सोचते रहे की ये लोग छिपकर जासूसी करने आये थे पर ये तो टेक्नोलॉजी वाले निकले।
पलक:– साला ढोंगी... हर चीज में निपुण है वो आर्य। तो वो हमारी मीटिंग के बारे में जानता है, इसका मतलब ये हुआ कि उसे ये भी पता होगा की हम उसके ठिकाने ढूंढ रहे। ठीक है ये बताओ आर्यमणि की क्या योजना है..
इवान:– उसे हमारी संख्या का पता है। डरा हुआ भी है, इसलिए कह रहा था यदि वुल्फ हाउस में ज्यादा खतरा दिखा तो फिर मिलने की जगह मांट ब्लैंक (Mont Blanc) रखेगा। दोनो जगह उसने ट्रैप बिछा रखा है।
पलक:– चलो अभी हमारे शिकारियों को पता करके खुश हो जाने दो की आर्यमणि का ठिकाना कहां है, मुझे तो पहले पता चल चुका है कि उसका ठिकाना क्या हो सकता है। मैं अपनी योजना खुद से बनाऊंगी, बांकी के चुतिये कुछ भी प्लान बनाए मेरे लिये माइंडब्लोइंग प्लान ही होगा। खैर ये बताओ आर्यमणि ने किस प्रकार का ट्रैप लगा रखा है?
इवान:– वो तो पता नही। सिर्फ इतना पता है की उस ट्रैप को जुबान से एक्सप्लेन न करके सीधा डेमो दिखाने की बात कर रहा था।
पलक:– हम्मम... ऐसा नहीं हो सकता की जर्मनी में कदम रखते ही हम अल्फा टीम को दबोच ले..
ओजल:– ये तो बड़ी आसानी से हो सकता है। वो लोग पानी के रास्ते आ रहे है। और पानी से होकर आने वाला एकमात्र रास्ता है, राइन नदी। नदी के रास्ते में पड़ने वाले सिटी पर यदि पहरा बिछा दीये तो वो लोग पकड़ में आ सकते है।
इवान:– और एक बात, आर्यमणि के साथ निशांत भी था। तो मियामी के शिकारी की जो
समीक्षा थी, वह सही थी। आर्यमणि को कम मत आंकना, वह 219 सुपीरियर शिकारी का शिकार कर चुका है।
पलक:– जानती हूं, लेकिन ये भी मत भूलो की उसने सामने से किसी को भी नही मारा, बल्कि छिपकर हमला किया था।
ओजल:– हां सो तो है.. आगे हम क्या करे?
पलक:– जर्मनी पहुंचने के बाद तुम दोनो को क्या करना था?
ओजल:– हमे तो वुल्फ हाउस पहुंचने के ऑर्डर मिले है।
पलक:– ठीक है तुम दोनो वहां निकलो। तुम दोनों के मोबाइल पर बग फिक्स किया जा चुका है। अब जो–जो तुम दोनो देखोगे और सुनोगे, वह सब मैं भी देख सुन रही होंगी...
इवान:– दो दिन से हमने पलक भी नही झपकी है। आर्यमणि तो भूत हो जैसे, सोता ही नही है। पहले आराम करेंगे फिर वुल्फ हाउस के लिये निकलेंगे...
पलक हामी भरकर वहां से निकल गयी और आराम से महा के खोजी दस्ते की रिपोर्ट आने का इंतजार करने लगी। इधर जबतक पलक ने राइन नदी के किनारे बसने वाले हर गांव, हर कस्बे और जर्रे–जर्रे तक यह खबर पहुंचा चुकी थी कि आर्यमणि का पता बताने वाले को 20000 यूरो का इनाम दिया जायेगा।
दरअसल एक सच्चाई तो यह भी थी पलक को जब अपनी बेवकूफी का पता चला की क्यों उसने आर्यमणि से मिलने की जगह नहीं पूछी, उसके बाद ही उसने आर्यमणि को ढूंढने की कभी कोशिश ही नही की। उसे बस आकलन किया था कि जैसे मिलने से पहले मैं उसके बारे में खबर रखना चाहती हूं, ठीक वैसे ही आर्यमणि भी कोशिश करेगा और बस उसके इसी एक गलती का इंतजार था।
यूं तो ओजल और इवान ने सारा काम बड़ी सफाई से किया था। इनके सिक्योर चैनल के हैक की मदद से सारे ठिकानों का पता लगाना। उन ठिकानों पर बग फिक्स करना। सबसे आखरी में ये दोनो भाई–बहन पलक के होटल पहुंचे थे। ये 2 मार्च की ही कहानी थी।
पलक तो पहले से ही उस होटल के हर स्टाफ से लेकर एक–एक कमरे में रुके गेस्ट पर नजर बनाए थी। उसके अपने निजी 30 विश्वसनीय लोग काम कर रहे थे, जिसका पता तो पलक के साथ रहने वाले 4 चमचों को भी नही था। 2 भारतीय मूल के अनजान टीनेजर चेहरे घुसे। घुसने के साथ ही दोनो के गतिविधि पर नजर रखी गयी। बग फिक्स करने से लेकर ताका–झांकी तक सब पलक की नजरों में था।
जैसे ही ओजल और इवान ने अपना काम खत्म किया, वैसे ही होटल प्रबंधन ने बड़ी चालाकी से दोनो को एक कमरे में भेज दिया। दोनो जैसे ही उस कमरे में घुसे, चारो ओर से धुएं ने ऐसा घेरा की सुरक्षा मंत्र तक पढ़ने का समय नहीं दिया। जब आंखें खुली तो ओजल और इवान खुद को ऐसे अंधेरे तहखाने में बंद पाये जहां उनकी वुल्फ विजन भी नही काम कर रही थी। बस एक दूसरे की आवाज सुन सकते थे, लेकिन वह भी संभव नही था। दोनो के मुंह बंधे थे। श्वान्स लेते तो अंदर अजीब सी बु आती, जो इनके दिमाग को बिलकुल स्थूल कर गई थी। दिमाग जैसे हर पल भारी हो रहा हो और किसी काम का ही न रह गया हो।
फिर ओजल और इवान से शुरू हुई थी पलक की पूछताछ। पूछताछ के दौरान यूं तो ओजल और इवान ने बहुत ज्यादा धैर्य का परिचय दिया। उनका प्रशिक्षण काम आया और जुबान नही खुले। जब पलक कुछ भी पता नहीं कर पायी तब बस अल्फा पैक के संपर्क करने का इंतजार करने लगी। बहुत ज्यादा इंतजार करना नही पड़ा और 2 मार्च की देर रात तक रूही ने दोनो से संपर्क कर लिया।
इधर ओजल और इवान के 2 ड्यूलिकेट एलियन तैयार थे। हां लेकिन पलक ने उन्ही 30 एलियन को अपने साथ रखा था, जो अपने शरीर पर एक्सपेरिमेंट करने से इंकार कर चुके थे। बाहर से 2 एलियन बुलाया गया, जिसे पलक ने इतना ही बताया था कि दोनो भाई बहन छिपकर जासूसी करने आये थे।
फिर पलक ने ओजल और इवान का मोबाइल दोनो को थमा कर, कैमरे में कैद दोनो भाई बहन के हाव भाव को दिखाई और उन दोनो एलियन को ओजल और इवान की जगह भेज दिया। वो तो शुक्र था कि आर्यमणि ने 2 दिनो तक केवल ओजल और इवान के बग को देखा था। यदि उनके सिक्योर चैनल को देखते, फिर इनका हैकिंग नजर में आ जाता।
पलक के हाथ 5 मार्च तक बहुत सारा इनफॉर्मेशन लग चुका था और उसे ये भी पता था कि आर्यमणि किस प्रकार के दुश्मन के खिलाफ तैयारी कर रहा होगा। जितना पलक आर्यमणि को समझती थी, उस हिसाब से वह तय कर चुकी थी कि आर्यमणि को एलियन के हर ताकत का पता होगा।
5 मार्च की मीटिंग जिसमें सुरंग खोदने की बात कही गयी। उसपर तो पलक की भी हंसी छूट गयी थी, लेकिन महा की तरह वह भी खामोश थी। पलक को समझते देर नहीं लगी कि महा भी वही सोच रहा था, जो पलक खुद सोच रही थी। लेकिन उसने महा के सामने खुद को बेवकूफ बनाए रखने का ही फैसला किया। भले ही एलियन ने आकर 2 जगह का वर्णन किया हो, लेकिन अब पलक सुनिश्चित थी कि आर्यमणि उनसे कहां मिलने वाला है। दोनो ओर से चूहे बिल्ली का जानदार खेल चल रहा था। मोहरों की बिसाद बिछ चुकी थी और अब बस सह और मात होना बाकी था।
जबरदस्त भाई लाजवाब update bhai jann superree duperrere update
Ye to ekdam se twist legaya yaha to I itna bada khel ab se
Ab dekhte hey age kya hota hey
Lekin kya arya नही pata chala hoga ki ye dono nakli hey