• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
23,612
80,748
259
Last edited:

krish1152

Well-Known Member
6,522
17,920
188
भाग:–150


पुलिस आयी और गयी इस बीच में निशांत ने उसे वही दिखाया जिस से पुलिस जल्दी चली जाये। मौहौल जब शांत हुआ तब हर किसी में एक ही रोष था, विवियन जिंदा भाग गया।

युद्ध का रेतीला मैदान पूरा साफ था। पुलिस भी धीरे–धीरे नजरों से ओझल हो रही थी। जैसे ही पुलिस अल्फा पैक के दृष्टि से ओझल हुई, आर्यमणि भागता हुआ कैसल पहुंचा। रूही अब भी अचेत अवस्था में थी। आर्यमणि, संन्यासी शिवम के आगे हाथ जोड़कर खड़ा होते... "मुझे माफ कर दीजिए, रूही के गम ने पागल कर दिया था।"…

संन्यासी शिवम:– आप मोह से बंधे है जो किसी भी परिस्थिति में नही जायेगी। माफी मत मांगिए गुरुदेव। मैं पूरी परिस्थिति का अवलोकन करने के बाद यही कहूंगा की आप जल्द से जल्द भारत लौट आइये। मारने की कोशिश करने वालों को केवल एक बार नसीब चाहिए।

आर्यमणि:– हां मैं समझ रहा हूं शिवम् सर। इसलिए तो मैं एकांतवास में प्रस्थान कर रहा हूं, जहां आप टेलीपोर्टेशन के जरिए भी नही पहुंच सकते। जहां के पारिस्थितिक तंत्र को वहां के निवासी जीव के अलावा कोई छेड़ नही सकता। जब वहां से लौटूंगा तब अपनी पूर्ण सिद्धि में रहूंगा और तब शुरू होगा इन परिग्रही को उनके सही स्थान पर भेजना।

संन्यासी शिवम्:– क्या आप शेषनाग लोक में जाने की सोच रहे है?

आर्यमणि:– हां बिलकुल सही समझे है। एक पूरी दुनिया जो आज भी नागराज की कुंडली पर घूमता है। पृथ्वी ग्रह के अंदर का एक ग्रह जिसकी जानकारी बहुत कम लोगों को है।

संन्यासी शिवम्:– अनंत कीर्ति की पुस्तक को साथ लिये जाइएगा। वहां का विवरण मैं भी पढ़ना चाहूंगा। वैसे सिद्धि प्राप्त करने के लिये आपने काफी अनुकूल जगह को चुना है।

आर्यमणि:– आपका धन्यवाद। अब आप यदि रूही के विषय में कुछ बता देते तो मन को थोड़ी संतुष्टि मिल जाती। एक मन तो रूही पर ही अटका है।

संन्यासी शिवम्:– रूही की हालत ठीक है। आप दोनो का बच्चा भी स्वास्थ्य है। शायद रूही जानती थी कि कहां हमला हो रहा है इसलिए उसने अपने बच्चे को सुरक्षा देना पहली प्राथमिकता समझी...

आर्यमणि:– क्या वो लोग मेरे बच्चे को मार रहे थे...

संन्यासी:– अनजाने में ही सही लेकिन हां, उनका हमला पेट पर ही हुआ था... शिकारी का कुरुर नियम.. शिकार का पेट फाड़ दो... धीरे, धीरे खून बहने से शिकार दर्द और तड़प के साथ मरेगा और उनके साथी बौखलाहट में फसेंगे।

संन्यासी की बात सुनकर तो आर्यमणि के खून ने जैसे उबाल मार दिया हो। सन्यासी शिवम्, आर्यमणि के कंधे पर हाथ रखते... "गुरुदेव इतना गुस्सा जायज नहीं।”

आर्यमणि:– हम्मम… रूही कब तक होश में आयेगी...

संन्यासी:– रूही के नब्ज में जो जा रहा है उसे "सेल बॉडी सब्सटेंस" कहते है। शरीर में जहां कहीं भी क्षतिग्रस्त अंग हो, या शरीर का कोई हिस्सा पहले था, लेकिन बाद में किसी कारणवश पूर्ण रूप से गायब हो गया, उनकी जगह ये "सेल बॉडी सब्सटेंस" ले लेगा। ये “सेल बॉडी सब्सटेंस” शरीर का नेचुरल सेल ही होता है, जो शरीर के सभी क्षतिग्रस्त अंगों की कोशिकाओं को विकसित कर देता है। यही नहीं कोई अंग कट गया हो तो ये कोशिकाएं आपस में जुड़ती हुई उस पूरे अंग तक को विकसित कर सकती है। हां लेकिन रूही के बदन में आर–पार छेद हुआ था, इसलिए वह जगह नई कोशिकाओं से भर तो गई है किंतु पूरी तरह से हील होने में समय लगेगा...

आर्यमणि:– क्या मैं उसे हील कर दूं..

संन्यासी:– नही, कोशिकाएं आपस में जुड़ेंगी और फिर वहां के पूरे हिस्से को विकसित करेगी। यूं समझो की गड्ढे में कोई द्रव्य भरा है। आप हील करोगे तो वो द्रव्य सुख जायेगा। कोशिकाएं जुड़ तो जायेगी लेकिन गड्ढा पूरा भरेगा नही, जो रूही को तमाम उम्र परेशान करेगा। आप चिंता मत करो, उसकी खुद की हीलिंग ऐसी है कि वो कल तक लगभग पूरी रिकवर हो जायेगी। कल ही रूही को होश में आने दीजिए तो ज्यादा बेहतर होगा।

आर्यमणि:– मेरी पत्नी को बाजारू बनाया। उसके वस्त्र नोचे गये। पूरे परिवार को भी निशाना बनाया गया। यदि एलियन हमें मारने में सफल रहते, फिर वो लोग परिवार और दोस्तों को भी कहां छोड़ते। जिन्हे डराया था, वो तो मुझे ही डराने आ गये। रूही के जागने में अभी एक दिन का वक्त है, मुझे क्या करना चाहिए शिवम् सर?

संन्यासी शिवम:– सात्विक आश्रम पूरी दुनिया को काली शक्तियों से सुरक्षा का क्या भरोसा देगा, जब उसका रक्षक अपना और अपने कुटुंब की रक्षा ही न कर पाये। आप जो भी फैसला लीजिएगा उम्मीद है सबके हित में होगा।

आर्यमणि:– अल्फा पैक, ये नायजो जहां भी होंगे पेड़ पौधों की वहां कोई कमी नही होगी। हमे नायजो के किसी भी प्लेनेट पर जड़ों से खेलने का पूरा मौका मिलेगा। वहां हमे निशांत के भ्रम जाल का सहारा मिलेगा, तो नायजो के ऊपर ओजल की मंत्र शक्ति भी काम करेगी। अभी हमारे पास पूरे 24 घंटे है और इन 24 घंटों में हम नायजो को वह सबक सिखा सकते है, जिसको कल्पना किसी ने भी की न होगी।

निशांत:– तू करना क्या चाहता है?

आर्यमणि:– इनका मूल ग्रह, जिसे नायजो समुदाय अपना गृह ग्रह मानते है विषपर, वहां घुसकर उसके मुखिया को साफ कर देना।

अलबेली:– क्या एक देश के मुखिया को मार देना आसान होगा? और यदि आसान भी हो तो इसका परिणाम पृथ्वी पर क्या होगा?

आर्यमणि:– हम्मम... ठीक है पलक से कॉन्टैक्ट करो। कोई एक नाम और पता लो जहां वार करने से इनको पूरा अक्ल आ जाये।

निशांत:– उतना करने की जरूरत नही है। 24 घंटे में भारत से नायजो की जितनी आबादी साफ कर सकते हो कर दो। हम अंत में ये संदेश छोड़ देंगे की अगली बारी निशाना पृथ्वी के नायजो नही, बल्कि उनके मूल ग्रह जहां से खुद की उत्पत्ति मानते है, विषपर ग्रह के नाजयो का ये हाल करेंगे।

संन्यासी शिवम्:– गुरुदेव निशांत का सुझाव भी अच्छा है। बाकी अंतिम फैसला आपका।

आर्यमणि:– मुझे भी निशांत का सुझाव ज्यादा सही लगा। तो फिर चलो वन डे एक्शन खेलने...

एक बार जो फैसला हुआ उसका बाद तो जैसे अल्फा पैक कहर बनकर बरसे। अच्छे लोग जब बेरहम होते है, फिर कितने बेरहम हो सकते है, उसका एक प्रत्यक्ष उदाहरण तो अल्फा पैक ने जर्मनी में दे ही दिया था। एक बार फिर अल्फा पैक अपने कुरुरता के चरम पर थे और जहां भी गये सबको जड़ों में लिटाकर कैस्टर ऑयल प्लांट के जहर का मजा देते चले।

आज ना तो किसी को जलाकर उसकी मौत को आसान किया गया और न ही मुंह बांधकर उनके चिल्लाने को बंद किया गया। जड़ों में लिपटे कांटों की अर्थी पर कैस्टर ऑयल का जहर नायजो के शरीर में उतर रहा था। और उनका कान फाड़ चिल्लाना सुनकर ही बचाने के लिये पहुंचे नायजो के हाथ और पाऊं कांपने लगे थे।

नायजो के 22 वर्किंग स्टेशन को महज 24 घंटे में मौत की भावायवाह पुकार में बदलकर अल्फा पैक वापस से रूही के पास पहुंच चुके थे, जिसकी सुरक्षा के लिये वहां ओजल को छोड़ दिया गया था। भारत में लगभग 60 हजार नायजो तकरीबन 6 से 8 घंटे तक गला फाड़ चिंखते ही रहे। जो उन्हे बचाने पहुंचे उन्होंने जड़ों को काटने की कोशिश किये, परंतु जितना जड़ों को काटते उस से दुगना जड़ पल भर में उग आता।

जैसे आर्यमणि के पास नाजयो के किरणों के गोल घेरे का तोड़ नही था, ठीक उसी प्रकार नायजो के पास अल्फा पैक के जड़ों का तोड़ नही था। जबकि नायजो खुद को पेड़ पौधों के संरक्षक पुकारते थे। जड़ों को काटकर हटाने के लिये सारे टेक्नोलॉजी का प्रयोग करके देख लिये। पेट्रोल में डुबाकर जड़ों में आग तक लगाकर देख लिये, किंतु आर्यमणि ने सबके किस्मत में धीमा मौत लिख दिया था और उन्हे वही भायवाह मौत मिली। दर्द भरी चींख के बीच शरीर के एक–एक कोशिकाओं को खराब करते आगे बढ़ता कैस्टर ऑयल प्लांट का जहर।

हर वर्किंग स्टेशन में किसी को भी हाथ लगाने से पहले पलक से संपर्क किया गया, ताकि जो नायजो अपने समुदाय को गलत मानते है और पलक के साथ उनसे लड़ने की सोच रहे थे, उनके साथ कुछ भी गलत न हो। नागपुर वर्किंग स्टेशन को छोड़कर महाराष्ट्र, गुजरात और बंगाल के लगभग हर उस स्टेशन में मौत का मंजर दिखा, जहां भी नायजो बहुतुल्य थे।

हर वर्किंग स्टेशन की दीवार पर बड़े–बड़े अक्षरों से लिख दिया गया.... “यदि अगली बार कोई तुच्ची हरकत हुई फिर आज का 24 घंटे का एक्शन 240 दिनो का होगा और नायजो बसने वाले सभी 5 प्लेनेट पर हम बराबर–बराबर 48 दिन तक का मौत का तांडव होगा। बस एक बार और जर्मनी की संधि का उल्लंघन करके तो दिखाओ।”

इतना बड़ा कांड था, हाई–टेबल की बैठक तुरंत ही बिठाई गयी। देश, दुनिया और ग्रहों के सभी नेता सभा करने बैठ गये। सभा के बीच में ही नायजो के आम लोग झुंड बनाकर पहुंच गये। आक्रोशित भिड़ ने अपने हाई–टेबल पर बैठे नेताओं को खूब गालियां दी। हाई–टेबल की बैठक दूसरे नायजो प्लेनेट से भी हो रही थी। वहां बैठे नेताओं को भी सबने खूब खरी–खोटी सुना दिया।

हाई–टेबल पर बैठे नेता, आर्यमणि को सबक सिखाने की बात कर रहे थे, जिसके जवाब में पूरी भिड़ अपने नेताओं के गले में रस्सी फसाकर उसे दीवार से टांगकर साफ कहने लगे.... “बात चीत से मसला हल करो। अब यदि आर्यमणि के जर्मनी संधि का उल्लघंन हुआ तो आर्यमणि बाद में अपना 48 दिन का तांडव दिखाएगा, उस से पहले हम सब तुम नेताओं को मारकर आत्महत्या कर लेंगे। आर्यमणि की दी हुई मौत दुश्मन को भी नसीब न हो।”..

पलक और उसके साथी भी भिड़ का हिस्सा थे। आर्यमणि का खौफ और उसका परिणाम देखकर सभी अंदर ही अंदर मुस्कुरा रहे थे और उन्होंने पूरे मीटिंग का नतीजा आर्यमणि तक पहुंचा दिया।

महज 24 घंटा और पलक ने जब अल्फा पैक के उठाए कदम का परिणाम बताया, तब पूरा अल्फा पैक सुकून में था। वहीं से सभी फिर टेलीपोर्ट होकर सीधा लॉस एंजिल्स पहुंच गये। 22 दिसंबर की शाम, लॉस एंजिल्स के किसी होटल में आर्यमणि, रूही के पास बैठा था। बेहोसी की दावा दिन में ही दी गई थी, इसलिए उसका असर खत्म होने को था। रूही अपनी चेतना में लौट रही थी। उसके बदन में हलचल को देख आर्यमणि उसका हाथ थामे आंख खोलने का इंतजार कर रहा था।

जैसे ही रूही की आंखें खुली वो झटके के साथ उठी और अपना पेट टटोलने लगी। जब उसे अपना बच्चा सुरक्षित महसूस हुआ, आंखों से झर, झर करते झरना बहना शुरू हो गया। आर्यमणि रूही को गले लगाकर उसे सांत्वना देता रहा... "आर्य, जिन्होंने हम पर हमला किया था, उन सबका क्या हुआ?"..

आर्यमणि:– उस मौजूदा घटना का मुखिया विवियन बस भाग गया, बाकी कोई नही बचा...

रूही, आर्यमणि से लिपट कर उसे काफी जोर से पकड़ ली... "आर्य, मुझे लगा अब हम दोबारा कभी यूं गले नही लग पाएंगे। अभी तो जिंदगी ने खुशियां देनी शुरू की थी, और इतनी जल्दी मैं मर जाऊंगी"…

आर्यमणि:– शांत हो जाओ... तुम्हे कुछ नही होगा। और याद है ना हम एक दूसरे से बोर होने तक साथ रहेंगे...

"आह" की दर्द भरी चींख रूही के मुंह से निकल गई। आर्यमणि अलग होते... "तुम ठीक तो हो न"..

रूही:– कंधे के पास दर्द उठा था...

आर्यमणि अपने हाथो से रूही का दर्द खिंचते.… "चिंता की कोई बात नही। अकेले शायद मैं तुम्हे खो देता। लेकिन सन्यासी शिवम् पहले ही खतरे को भांप गये थे। उसी ने पहले अपने पूरे परिवार को निकाला फिर निशांत, इवान, अलबेली और ओजल के साथ हमारी मदद के लिए पहुंच गये..."

रूही:– अपना पूरा परिवार अभी कहां है?...

आर्यमणि:– सभी यहीं, लॉस एंजिल्स में ही है। लेकिन हम दूसरे होटल में है और वो दूसरे... किसी को भी हमले के बारे में पता नही। मां, पापा, भूमि दीदी, चित्रा और माधव को यहां किसी प्रकार के सरप्राइज़ का झांसा देकर सबने पहले भेज दिया था।

रूही:– हां मेरे बदन का छेद ही उनके लिये सरप्राइज़ होगा..

आर्यमणि एक बॉटल आगे बढ़ाते… "वो तो सरप्राइज नही हो सकता, चाहो तो खुद जाकर आईने में देख लो। और ये बॉटल अपने पास रखो.. 20 एमएल सीरप दिन में कम से कम 5 बार पीना”

आर्यमणि की बात सुनकर रूही भागती हुई आईने के पास पहुंची और कंधे से अपने ड्रेस को सरकाकर देखने लगी। काफी हैरानी से वो अपने कंधे के छेद के बारे में पूछी। तब आर्यमणि ने बताया की उसका इलाज सन्यास शिवम् ने किया था। उनके पास कोई "सेल बॉडी सब्सटेंस" थे जो डैमेज सेल की जगह ले लेते हैं। बॉटल में पड़ा सीरप वही सेल बॉडी सब्सटेंस ही है।

रूही जितनी हैरान थी, उतनी ही खुश भी। अपनी दोनो बांह, आर्यमणि के गले में डालकर उसे प्यार से चूमती... "हर वक्त तुम मेरे पास ही रहना जान"….

"हां बाबा मैं तुम्हे छोड़कर कहीं नही जा रहा"…

आर्यमणि सुकून से बिस्तर पर टेक लगाए थे और रूही अपना सर उसके सीने से टिकाकर चैन का श्वांस ले रही थी। दोनो खामोश थे लेकिन धड़कने जैसे सुरमई संगीत बजा रही हो। कब दोनो की आंख लग गई पता ही नही चला।

अगली सुबह दोनो की नींद खुली। आर्यमणि आंख खोलते ही प्यार से रूही के होंठ चूमा और उसके जख्म देखने लगा... रूही भी मुस्कुराती हुई अपनी आंखें खोल दी और प्यार से गले में हाथ डालती... "क्या देख रहे हो जान"..

"जख्म भर गये है और निशान भी नही। दर्द हो रहा है क्या?"..

"हां जान दर्द हो रहा है"…

आर्यमणि अपने हाथ से दर्द खिंचते… "मुझे तो पता नहीं चल रहा"…

आर्यमणि टेक लगाए बैठा था, रूही ठीक उसके ऊपर आकर, अपने ड्रेस को कंधे से सरकाई और ब्रा का हुक खोलकर, आर्यमणि का हाथ अपने स्तन पर डालती... "यहां हाथों की मालिश चाहिए और"…

आर्यमणि, प्यार से स्तन को दबाते... "और क्या"..

रूही, प्यारी सी मुस्कान अपने चेहरे पर लाते, अपने कमर को आर्यमणि के कमर से थोड़ा ऊपर उठाई। हाथ नीचे ले जाकर उसके लोअर को नीचे खिसकती लिंग को मुट्ठी में दबोच कर उससे प्यार से सहलाने लगी। आर्यमणि का बदन सिहर गया, उसका लिंग पूरा खड़ा... रूही अपने गाउन को कमर के ऊपर लाती, लिंग को अपने योनि पर रखती... "और जान यहां अंदर हलचल मचा है"…

"आउच.. ओह्ह्ह…"… तेज झटके के साथ लिंग अंदर और रूही की सिसकारियां बाहर। आर्यमणि रूही को अपने ऊपर लिटा दिया। दोनो के होंठ एक दूसरे को चूस रहे थे और प्रेम लीला का मधुर आनंद उठा रहे थे।

चरम सुख प्राप्ति के बाद दोनो जैसे तृप्त हो गये हो। रूही आर्यमणि के ऊपर ही सुकून से लेट गई। दोनो की मध्यम चलती धड़कने एक दूसरे के होने का मधुर एहसास करवा रही थी। सुबह के 11 बज रहे होंगे, जब बिना दरवाजा खट–खटाए एक बार फिर ओजल, इवान और अलबेली अंदर घुस चुके थे। अंदर घुसते ही तीनो दरवाजे की ओर मुंह कर लिए.… "बॉस याद तो होना चाहिए था की एक चाबी हमे ये कहकर दिये थे कि दरवाजा मत खट–खटाना, रूही की नींद खुल सकती है।"…
Nice update
 

krish1152

Well-Known Member
6,522
17,920
188
भाग:–151


चरम सुख प्राप्ति के बाद दोनो जैसे तृप्त हो गये हो। रूही आर्यमणि के ऊपर ही सुकून से लेट गई। दोनो की मध्यम चलती धड़कने एक दूसरे के होने का मधुर एहसास करवा रही थी। सुबह के 11 बज रहे होंगे, जब बिना दरवाजा खट–खटाए एक बार फिर ओजल, इवान और अलबेली अंदर घुस चुके थे। अंदर घुसते ही तीनो दरवाजे की ओर मुंह कर लिए.… "बॉस याद तो होना चाहिए था की एक चाबी हमे ये कहकर दिये थे कि दरवाजा मत खट–खटाना, रूही की नींद खुल सकती है।"…

रूही:– मुंह फेर कर जो तुम सब दरवाजे के ओर देख रहे, वहीं तुम्हारे दाएं बड़ा सा आईना लगा है। चलो बाहर निकलो और दरवाजा लगाते जाना। ..

कुछ देर बाद तीनो टीन वुल्फ की हंसी पूरे कमरे में गूंज रही थी और बेचारे दोनो शर्माए–शर्माए मुंह छिपा रहे थे... "दोनो बेशर्मों (ओजल और इवान), तुम्हारी बड़ी बहन हूं। कुछ तो लिहाज रखो"…

अलबेली:– एक बार मेरा पति लिहाज भी रख ले, लेकिन ये ओजल…

ओजल अपनी आंखें दिखाती.… "ओजल क्या? बेशर्म औरत..."

अलबेली, ओजल का बाल नोचती... "औरत किसे बोल रही है कामिनी"…

ओजल, छूटकर आर्यमणि के पीछे आती... "तू औरत और कुछ दिन बाद तेरा भी मटका टंगा होगा"…

अलबेली:– चुप हो जा वरना मैं तेरा मुंह नोच लूंगी...

ओजल:– हां तो मैं भी पिल्स की कहानी बता दूंगी...

अलबेली बिलकुल शांत आंखों से जैसे मिन्नत कर रही हो। ओजल खी–खी–खी करती आर्यमणि के ऊपर लद गई और अपनी ललाट ऊपर करती... "आ गई काबू में बेलगाम"..

आर्यमणि:– अब तुम सब ये बकवास बंद करो। ओजल क्या तुम मुझे बताओगी की यहां मैं अपने खानदान को कौन सा सरप्राइज़ दे दूं?

ओजल:– क्या खूब याद दिलाया है... आओ मेरे साथ..

सभी एक साथ... "लेकिन कहां"..

ओजल:– बस चलो.. बिना किसी सवाल के...

सभी टैक्सी में ओजल के साथ निकले। ओजल उन्हे एक सी–पोर्ट पर ले आयी। पोर्ट को देखकर आर्यमणि कहने लगा.… "तुम्हे कैसे पता की हम यहां से अपना समुद्री सफर शुरू करेंगे"…

ओजल:– सरप्राइज़ ये नही की आप यहां से सफर शुरू करेंगे। सरप्राइज़ ये है की यहां से हम सब साथ निकलेंगे...

आर्यमणि, अपनी जगह खड़ा होते... "कोई 2 चमाट लगाओ इसे... इसे सरप्राइज़ नही शॉक देना कहते है।"..

ओजल:– पूरी बात जाने बिना समीक्षा करने की आदत छोड़ दो जीजू और कोई भी अब एक शब्द नही कहेगा..

सभी चुपचाप ओजल के साथ चल दिये। ओजल बोट के बीच से एक शानदार क्रूज के सामने खड़ी होकर... "चलो अंदर"..

कोई भी बिना कोई सवाल किए क्रूज पर चढ़ गया। ओजल उसे क्रूज घूमती.… "अपस्यु गुरुजी के ओर से तुम सबका वेडिंग गिफ्ट"…

सभी आश्चर्य से... "क्या?"..

ओजल:– देखा हो गये ना सरप्राइज़... जाओ घूम लो अपना क्रूज... बाकी की डिटेल मैं होटल में दूंगी...

करीब 2 घंटे बाद सब बाहर आये। अलबेली और इवान तो खुशी से ओजल को उठाकर हवा में उछाल रहे थे।… "ओजल, क्रूज पर 2 जेट भी है"…

ओजल:– हां, वो इमरजेंसी के लिये है। किसी समान की जरूरत हो तो जेट उड़ाए और पास के किसी शहर में पहुंच गये।

आर्यमणि:– हां लेकिन ये जेट उड़ेगा कैसे...

ओजल:– वो सब आपकी यादों में है बॉस, बस जब जेट उड़ाने की तीव्र इक्छा हो तब उड़ा लेना। और दूसरा जेट हमारा है। कुछ दिन तक सबके साथ समुद्री सफर करने के बाद उसी जेट से भारत के लिये उड़ान भरेंगे।

अलबेली:– हां और ये जेट उड़ाने का तरीका भी ओजल के दिमाग में होगा...

ओजल:– जी नहीं, 2 पायलट साथ चलेंगे... अब तुम भी चलो यहां से।

अलबेली:– तेरी भाभी हुई मैं, इज्जत से बात कर वरना तेरा रहना मुश्किल कर दूंगी..

ओजल:– हवा आने दे झल्ली... और जाकर अपने पति को संभाल...

तीनो की कमाल की नोकझोंक शुरू थी। हालाकि द्वंद तो अलबेली और ओजल के बीच था, लेकिन पक्षपात की लपटे इवान को घेर लेती... कभी बीवी का पक्ष लेने का इल्जाम, तो कभी बहन का...

23 और 24 दिसंबर तक बड़ा सा परिवार लॉस एंजिल्स शहर का लुफ्त उठाते रहे। वैसे भी क्रिसमस के समय था, पूरे शहर में ही जलसा हो रहा हो था। इस दौरान परिवार के सभी सदस्य लॉस एंजिल्स आने का कारण पूछते रहे लेकिन आर्यमणि उन्हे 25 दिसंबर तक रुकने कहा...

25 दिसंबर की शाम, सभी सी–पोर्ट पर थे। यहां भी जैसे मेला लगा हो। आज तो कई सारे बड़े–बड़े शानदार क्रूज समुद्र में तारे की तरह टिमटिमा रहे थे। ओजल ने कॉल किया और एक छोटी सी बोट उनके पास आकर खड़ी हुई...

भूमि, ओजल का कान पकड़ती.… "हमे कैसिनो में जुआ खिलवाने और नंगी लड़कियों का नाच दिखाने का सरप्राइज़ है.…"

ओजल:– आव... आई कान छोड़ो... पहले देखो फिर कहना...

केशव:– मैं क्या कह रहा था, तुम लोग अपना प्रोग्राम करो, मैं जरा यहां क्रिसमस का लुफ्त उठा लूं..

जया, केशव के कान खींचती... "ज्यादा नैन सुख मत लो.. और ओजल खबरदार जो हमे किसी बकवास जगह लेकर गई तो"...

छोटी सी बहस के साथ ही सभी बोट में बैठ गये। जया और भूमि तो बोट के बीच में बैठी क्योंकि लहरों पर बोट जब ऊपर उठ जाती तब इनके प्राण हलख से निकलने लगते थे। कुछ ही देर में चमचमाते क्रूज के बीच से होते हुए ये लोग अपने क्रूज पर पहुंचे। क्रूज पर चढ़ने से पहले ही एक बार फिर बहस का दौड़ शुरू हो चुका था।

क्रूज के ऊपर पहला कदम और माला लिये क्रूज के क्रू सबका स्वागत करने लगे। जैसे ही सभी अंदर आये.. ओजल ग्लास से टोस्ट करती... "आप सबका हंस क्रूज पर स्वागत है। आप सबका अपना और बॉस के घोटाले के पैसे से ली गई शिप"…

जैसे ही यह बात कान में गई, आर्यमणि ओजल के कान में फुसफुसाते.… "ये क्या बक रही हो"..

ओजल सबको दोनो हाथ दिखाती.… "आप लोग यहां के शानदार पकवान और मजेदार वाइन का लुफ्त लीजिए, जबतक हम कुछ डिस्कस कर लेते हैं। वहां से दोनो एक किनारे पहुंचे। आर्यमणि अब भी ओजल को सवालिया नजरों से देख रहा था।

"अरे जीजू ऐसे खतरनाक लुक मत दो। आपसे बिना पूछे हमने आपके 100 मिलियन इस शिप पर खर्च कर दिये।"..

आर्यमणि:– क्या???????

ओजल:– अरे चील मारो... यदि अपने पैसे वापस चाहिए हो तो जब किनारे आना तो ये शिप हैंडओवर कर देना। 800 मिलियन की शिप 100 मिलियन में मिल रही फिर भी ऐसे रिएक्शन दे रहे। और यहां के जितने क्रू है उन्हे हमने हायर किया है। सबको अच्छी मोटी रकम सालाना देना है इसलिए आप जबतक चाहो समुद्री सफर का मजा ले सकते हो...

आर्यमणि:– 800 मिलियन डॉलर की शिप। अपस्यु पागल तो न हो गया। मुझसे 100 मिलियन लिये तो फिर बाकी के 700 मिलियन कहां से आये?

ओजल:– 400 मिलियन का तो हमें एफबीआई डायस्काउंट मिल गया था। बचे 300 मिलियन तो वो पैसे गुरु अपस्यु ने हवाला से लूटा था। वो सोच ही रहे थे कि उन पैसों का क्या करे, इतने में आपके महासागर में उतरने की कहानी सामने आ गयी।

आर्यमणि:– छोटे तो बड़ा दिलदार निकला। उस से कहना अपना काम आराम से खत्म करके एलियन के विषय पर ध्यान दे। उन्हे कैसे भागाना है, उसका पूरा ग्राउंड तैयार रखे। मै लौटकर सीधा उसी पर काम करूंगा।

ओजल:– “जब यहां गुरु जी की बातें उठी ही है तो मैं उनका संदेश दे दूं…. ये पूरा क्रूज हाई टेक है, किसी भी प्रकार की घुसपैठ हुई तो तुरंत सूचना मिल जायेगी। उसके अलावा कई सारे रक्षक मंत्र और पुराने पत्थर यहां रखे गये है जो काली शक्तियों को अंदर क्या इसके आस पास के दायरे से भी दूर रखेंगे... एक रबर बैंड सबके लिये है, इमरजेंसी के वक्त बस उसे थोडा सा घिसना है और जान बचाकर तब तक टाइम पास करना है, जबतक की मदद नही आ जाती। उन्होंने शख्त हिदायत दी है कि जिस दुश्मन को जानते नही, उनसे बिना बैकअप लड़ाई मोल न ले। ये आपके लिये नही बल्कि आपके साथ वालों की सुरक्षा के लिये जरूरी है।”

“आचार्य जी ने अपना संदेश होने वाली प्यारी सी बिटिया के लिये भेजा है। उन्होंने उनका नामकरण भी किया है... उन्होंने कहा है, होने वाली बिटिया काफी भाग्यशाली रहेगी और 4 शुभ योग में उसका जन्म होगा।”

आर्यमणि:– नाम क्या रखा है आचार्य जी ने...

ओजल:– अमेया... ओह हां आचार्य जी ने यह भी कहा था की जरूरी नही यही नाम हो। ये नामकरण उनकी ओर से एक सुझाव मात्र है...

आर्यमणि:– नही अच्छा नाम है। बताओ उन्हे ये तक पता है कि मेरी बेटी होने वाली है... मेरी लाडली.. और तुम उनके साथ क्या कर रही हो?

ओजल:– एक साधना में हूं... आचार्य जी ने कहा है जबतक साधना पूर्ण न हो किसी से जिक्र नहीं करने..

आर्यमणि:– बाप रे तुम्हारी भाषा तो काफी जटिल हो गयी है...

और दोनो हंसते हुए सभी के साथ हो लिये। इनका क्रूज लॉस एंजेलिस के समुद्र से उत्तरी प्रशांत महासागर की ओर बढ़ने लगा। करीब 4 दिन के लुभावना सफर और समुद्र के लहरों के बीच से ओजल पूरे परिवार को लेकर उड़ान भर चुकी थी। घर के सभी लोग संतुष्ट थे और उन्हें आर्यमणि के सफर की कोई चिंता नहीं थी।

इनका क्रूज अब उत्तरी प्रशांत महासागर से दक्षिणी प्रशांत महासागर की ओर चल दिया। एक ओर अलबेली और इवान थे, जिनका रोमांस इतना लंबा चल रहा था की पिछले 10 दिनों से कमरे के बाहर ही नहीं आये। वहीं रूही और आर्यमणि किनारे बैठकर घंटो महासागर की लहरों का लुफ्त उठाते और सतह पर तैरने वाले पानी के जीव को देखते रहते।

ढलती शाम और महासागर की लहरें जीवन को नया रोमांच दे रही थी। रूही, आर्यमणि के सीने पर अपना सर टिकाए डूबते सूरज को देखती हुई... "दिल में सुकून सा है। मैं बहुत खुश हूं आर्य"…

आर्यमणि, रूही के होटों पर प्यार से चुम्बन लेते... "मैं बता नही सकता... बस ऐसा लगता है की.. ऐसा लगता है"..

"कैसा लगता है आर्या"..

"ऐसा लगता है.. सारी उम्र तुम्हारे साथ ऐसे ही सुहाने सफर पर बीत जाये"..

"और हमारी बेटी... वो क्या इस संसार को जानेगी ही नही"…

"तुम भी ना... मतलब ठीक है वो संसार को जानेगी.. बस तुम सदा मेरे साथ रहो। प्यार आता है तुम्हे देखकर जो रुकता ही नही, बढ़ता ही चला जाता है"…

रूही, आर्यमणि के होटों को चूमती... "हां ऐसा ही मुझे भी लगता है"…

शहर की भीड़ से दूर। हर लड़ाई से दूर। प्यार की कस्ती में सवार दोनो चले जा रहे थे। हर शाम का लुफ्त उठाते। चलते हुए 16 दिन बीत चुके थे। क्रूज अब दक्षिणी प्रशांत महासागर में चल रही थी। ऐसी ही एक शाम प्यारी सी महफिल लगी थी। चारो समुद्र की लहरों का लुफ्त उठा रहे थे तभी उनके बीच डॉक्टर कृष्णन पहुंचते... "सर हम कहां जा रहे है। किसी से भी पूछो तो सब आपको पूछने बोलता। हम कब जमीन पर उतरेगा.. कब लोगों का इलाज करेगा"…

आर्यमणि:– कृष्णन तुम रूही का इलाज तो कर रहे न..

कृष्णन:– सार, हमको गरीब लोगों का सेवा करना है। अपने मां, अप्पा, चिनप्पा को दिखाना, मैं कितना मेहनत कर रहा।

रूही:– डॉक्टर साहब आपकी शादी हो गयी है?..

कृष्णन, शर्माते हुये... "नही मैम"

रूही:– कृष्णन वो अपने क्रू की इंजीनियर है न, एवलिन, उस से तुम्हारी बात चलाऊं...

कृष्णन जैसे खाब में खोया हो और मन के अंदर उसी अमेरिकन बाला की तस्वीर घूम रही हो। याद करके ही वो हिल गया... "क्या सच में मैडम ऐसा संभव है"..

रूही:– हां बिलकुल... जाओ बात तो करो...

कृष्णन वहां से चला गया और सभी लोग उसकी हालत देख हसने लगे। 2–3 दिन बाद अचानक ही गहमा गहमी होने लगी। आर्यमणि और बाकी सब लोग लॉबी में पहुंचे, जहां सभी क्रू मेंबर इकट्ठा थे। सभी हंस रहे थे और बीच में कृष्णन खड़ा था जिसे एवलिन भर–भर कर खड़ी खोटी सुना रही थी।... "हाउ डेयर यू, यू फक्किंग मॉरोन..इत्यादि इत्यादि... और बेचारा कृष्णन चुपचाप सुन रहा था। इसी बीच उसकी नजर आर्यमणि पर गयी... "मिस्टर आर्यमणि डॉक्टर कृष्णन को समझा लीजिए, दोबारा मुझसे फालतू की बात किया तो मैं उसे पानी में फेंक दूंगी"…

आर्यमणि, कृष्णन को लेकर अपने साथ आया... "क्या हो गया वो ऐसे भड़क क्यों गयी?"..

कृष्णन:– सर मैने तो केवल इतना कहा था की मुझसे शादी करेगी तो इलाज फ्री होता रहेगा..

आर्यमणि:– कृष्णन लव परपोजल देना था, न की बिजनेस एग्रीमेंट। वो लड़की 5 मिलियन यूएसडी सालाना कमाने वाली है और आप उसे फ्री इलाज का झांसा दे रहे थे....

कृष्णन:– तो मुझे क्या करना चाहिए..

आर्यमणि:– कोई मस्त रोमांटिक मूवी देखिए और कोशिश जारी रखिए...

डॉक्टर कृष्णन लग गया दूसरी ड्यूटी और तभी मिली आर्यमणि को राहत की बूटी। वरना तो दिन में 4 बार परेशान कर देता। कारवां आगे बढ़ते हुए प्रशांत महासागर और अंटार्टिका महासागर के बीच था। कैप्टन ने आकर आर्यमणि को तात्कालिक स्तिथि से अवगत करवाया।

आर्यमणि नेविगेशन मैप पर एक जगह प्वाइंट किया जो वर्तमान जगह से दक्षिण के ओर 1200 नॉटिकल माइल की दूरी पर था। कैप्टन उस प्वाइंट को ध्यान से देखते... "सर उस ओर कोई जहाज आज तक नही गया। हमे पता भी नही की वहां टापु है भी या नही"…

आर्यमणि:– कैप्टन आपकी बात में झूट की बू आ रही है। जो सच है वो न बताकर आप बात घुमा रहे हैं।

कैप्टन:– सर मेरे ख्याल से आप उस जगह न ही जाए तो बेहतर है। जिस प्वाइंट की बात आप कर रहे हैं, वो इनगल्फ आइलैंड है। बस यूं समझ लीजिए की आपने जहां पॉइंट किया है उस जगह पर जाने वाला कोई जहाज लौटा ही नही। और किसी भी प्रकार की सुनी सुनाई जानकारी पर यकीन करने वाले नही।

आर्यमणि:– बातें सुनी सुनाई हो या तथ्य से परिपूर्ण तुम तो सुनाओ।

कैप्टन:– तो सुनिए... जिस जगह को आपने पॉइंट किया है उसके 2 मिल के दायरे में महासागर का मिजाज ऐसा हो जाता है कि जहाज और उसके लोग कब काल की गाल में समा गये पता भी नही चलता। यदि पहली बढ़ा पार भी कर लिये तब आपका सामना होगा बड़े–बड़े काल जीवों का। ये इतने बड़े होते है कि पल भर में शिप को तबाह कर डूबा देते हैं।

आर्यमणि:– हां खतरनाक जगह तो है, लेकिन मैं उन्ही रहस्यों को खोज पर जा रहा हूं। यदि आपको ज्यादा डर लग रहा है तो मुझे ये जहाज चलाना सीखा दीजिए और आप अपने क्रू के साथ जेट से जहां मर्जी वहां जा सकते है।

कैप्टन:– ठीक है सर मैं क्रू मीटिंग बुलवा लेता हूं।

क्रू मीटिंग बुलाई गयी। 16 क्रू मेंबर में से 4 ने आइलैंड न जाने के पक्ष में वोट दिया और 12 जाने के लिये बहुत एक्साइटेड थे। अंत में यही फैसला हुआ की वो सभी चल रहे है। लगभग 8 दिन बाद क्रूज आइलैंड के समुद्री सीमा क्षेत्र के पास पहुंच चुकी थी। यदि सुनी सुनाई बात पर यकीन करे तो कुछ दूर आगे से पानी का वह क्षेत्र शुरू हो रहा था, जहां महासागर का मिजाज बदल जाता है।

चूंकि रात हो चुकी थी और आगे किस प्रकार की चुनौती मिलेगी उसका कोई अंदाजा नहीं था। इसलिए कप्तान ने रात भर विश्राम करने का फैसला लिया। क्रूज के इंजन को बिलकुल धीमा कर आगे बढ़ रहे थे। देर रात हुई होगी। 2 लोग नेविगेशन रूम में थे बाकी के क्रू आराम कर रहे थे। तभी नेविगेशन रूम में अचानक ही धुवां भर गया और वो दोनो क्रू मेंबर बेहोश।

कैप्टन के साथ समय बिताते हुये इवान को इंजन धीमा और तेज करने तो आ ही चुका था। इवान ने भी इंजन को तेज कर दिया। क्रूज अब काफी तेज गति से आगे भाग रही थी। अल्फा ने यही कोई 4 नॉटिकल माइल का सफर तय किया होगा, तभी आंखों ने वह हैरान करने वाला नजारा भी देखा जो हृदय की गति को ही रोक दे। कितना भी मजबूत दिलवाला क्यों न हो, जिसे अपने मृत्यु तक का भय नही, उनमें भी मृत्यु का भय डाल दे।

कुछ दूर आगे लगभग 1000 मीटर से जायदा गहराई का इतना बड़ा भंवर बना हुआ था जिसमे बड़े–बड़े 10 जहाज एक साथ दम तोड़ दे। और नजरें ऊपर जब गयी तो आगे और पीछे से एक साथ इतनी ऊंची लहर की दीवार दिख रही थी, जिसने महासागर के पानी को सीधा आकाश से ही मिला दिया था। दम साधे अपनी श्वांस रोककर पूरा अल्फा पैक ही हैरान थे।
Behtreen update
 

king cobra

Well-Known Member
5,258
9,926
189
Bilkul sasure viviyan ko king cobra uske bil se bahar nikalenge aur Aryamani use anjam tak pahuncha dega lekin filhaal waqt ho gaya hai ek aakhri journey ka... Kahani ka wah hissa jiska intzar log kahani chhapne se pahle se kar rahe the
achcha majaak hai bil se bahar noi nikalne ka balki bil me hi tapka dene ka
 

Sandyk123

Member
173
587
93
Sandy Bhai isme koi Shaq nahi ki maine wakai serious liya tha..... Bus thodi si confusion thi..... Mujhe laga koi silent reader hai jo update na milne ki khunnas me taunt kar raha aur jindgi me aaj se pahle kabhi kahani ke upar comment na kiya ho.

Basically jab aap silent the aur pahle kabhi kahani ke upar koi comment karne ki aapko fursat nahi hui to mai aapki kyon sunu.... Aur kyon aapke nakhre main jhelun..... Bus dimag me yahi chal Raha tha.... Jiska natija aap reply me saaf dekh sakte hain....

Hope u don't mind ... Beacuse my Munda was always kharab over such readers jo silent hokar padhte hain aur kabhi comment na karte....
Are na bhaiji main bahot sankochi vyakti
Bahot dil karata tha pahle ke reply karu
Par ye bade bade review dekhkar himmat na hui
Mujhe kuch hi lekhkon rachnayen pasand aaee chahe kisi bhi format me ho. Aap unmese EK ho
Aap ko galti se bhi naraz nahi kar sakta
Thank 3
 
Top