भाग:–151
चरम सुख प्राप्ति के बाद दोनो जैसे तृप्त हो गये हो। रूही आर्यमणि के ऊपर ही सुकून से लेट गई। दोनो की मध्यम चलती धड़कने एक दूसरे के होने का मधुर एहसास करवा रही थी। सुबह के 11 बज रहे होंगे, जब बिना दरवाजा खट–खटाए एक बार फिर ओजल, इवान और अलबेली अंदर घुस चुके थे। अंदर घुसते ही तीनो दरवाजे की ओर मुंह कर लिए.… "बॉस याद तो होना चाहिए था की एक चाबी हमे ये कहकर दिये थे कि दरवाजा मत खट–खटाना, रूही की नींद खुल सकती है।"…
रूही:– मुंह फेर कर जो तुम सब दरवाजे के ओर देख रहे, वहीं तुम्हारे दाएं बड़ा सा आईना लगा है। चलो बाहर निकलो और दरवाजा लगाते जाना। ..
कुछ देर बाद तीनो टीन वुल्फ की हंसी पूरे कमरे में गूंज रही थी और बेचारे दोनो शर्माए–शर्माए मुंह छिपा रहे थे... "दोनो बेशर्मों (ओजल और इवान), तुम्हारी बड़ी बहन हूं। कुछ तो लिहाज रखो"…
अलबेली:– एक बार मेरा पति लिहाज भी रख ले, लेकिन ये ओजल…
ओजल अपनी आंखें दिखाती.… "ओजल क्या? बेशर्म औरत..."
अलबेली, ओजल का बाल नोचती... "औरत किसे बोल रही है कामिनी"…
ओजल, छूटकर आर्यमणि के पीछे आती... "तू औरत और कुछ दिन बाद तेरा भी मटका टंगा होगा"…
अलबेली:– चुप हो जा वरना मैं तेरा मुंह नोच लूंगी...
ओजल:– हां तो मैं भी पिल्स की कहानी बता दूंगी...
अलबेली बिलकुल शांत आंखों से जैसे मिन्नत कर रही हो। ओजल खी–खी–खी करती आर्यमणि के ऊपर लद गई और अपनी ललाट ऊपर करती... "आ गई काबू में बेलगाम"..
आर्यमणि:– अब तुम सब ये बकवास बंद करो। ओजल क्या तुम मुझे बताओगी की यहां मैं अपने खानदान को कौन सा सरप्राइज़ दे दूं?
ओजल:– क्या खूब याद दिलाया है... आओ मेरे साथ..
सभी एक साथ... "लेकिन कहां"..
ओजल:– बस चलो.. बिना किसी सवाल के...
सभी टैक्सी में ओजल के साथ निकले। ओजल उन्हे एक सी–पोर्ट पर ले आयी। पोर्ट को देखकर आर्यमणि कहने लगा.… "तुम्हे कैसे पता की हम यहां से अपना समुद्री सफर शुरू करेंगे"…
ओजल:– सरप्राइज़ ये नही की आप यहां से सफर शुरू करेंगे। सरप्राइज़ ये है की यहां से हम सब साथ निकलेंगे...
आर्यमणि, अपनी जगह खड़ा होते... "कोई 2 चमाट लगाओ इसे... इसे सरप्राइज़ नही शॉक देना कहते है।"..
ओजल:– पूरी बात जाने बिना समीक्षा करने की आदत छोड़ दो जीजू और कोई भी अब एक शब्द नही कहेगा..
सभी चुपचाप ओजल के साथ चल दिये। ओजल बोट के बीच से एक शानदार क्रूज के सामने खड़ी होकर... "चलो अंदर"..
कोई भी बिना कोई सवाल किए क्रूज पर चढ़ गया। ओजल उसे क्रूज घूमती.… "अपस्यु गुरुजी के ओर से तुम सबका वेडिंग गिफ्ट"…
सभी आश्चर्य से... "क्या?"..
ओजल:– देखा हो गये ना सरप्राइज़... जाओ घूम लो अपना क्रूज... बाकी की डिटेल मैं होटल में दूंगी...
करीब 2 घंटे बाद सब बाहर आये। अलबेली और इवान तो खुशी से ओजल को उठाकर हवा में उछाल रहे थे।… "ओजल, क्रूज पर 2 जेट भी है"…
ओजल:– हां, वो इमरजेंसी के लिये है। किसी समान की जरूरत हो तो जेट उड़ाए और पास के किसी शहर में पहुंच गये।
आर्यमणि:– हां लेकिन ये जेट उड़ेगा कैसे...
ओजल:– वो सब आपकी यादों में है बॉस, बस जब जेट उड़ाने की तीव्र इक्छा हो तब उड़ा लेना। और दूसरा जेट हमारा है। कुछ दिन तक सबके साथ समुद्री सफर करने के बाद उसी जेट से भारत के लिये उड़ान भरेंगे।
अलबेली:– हां और ये जेट उड़ाने का तरीका भी ओजल के दिमाग में होगा...
ओजल:– जी नहीं, 2 पायलट साथ चलेंगे... अब तुम भी चलो यहां से।
अलबेली:– तेरी भाभी हुई मैं, इज्जत से बात कर वरना तेरा रहना मुश्किल कर दूंगी..
ओजल:– हवा आने दे झल्ली... और जाकर अपने पति को संभाल...
तीनो की कमाल की नोकझोंक शुरू थी। हालाकि द्वंद तो अलबेली और ओजल के बीच था, लेकिन पक्षपात की लपटे इवान को घेर लेती... कभी बीवी का पक्ष लेने का इल्जाम, तो कभी बहन का...
23 और 24 दिसंबर तक बड़ा सा परिवार लॉस एंजिल्स शहर का लुफ्त उठाते रहे। वैसे भी क्रिसमस के समय था, पूरे शहर में ही जलसा हो रहा हो था। इस दौरान परिवार के सभी सदस्य लॉस एंजिल्स आने का कारण पूछते रहे लेकिन आर्यमणि उन्हे 25 दिसंबर तक रुकने कहा...
25 दिसंबर की शाम, सभी सी–पोर्ट पर थे। यहां भी जैसे मेला लगा हो। आज तो कई सारे बड़े–बड़े शानदार क्रूज समुद्र में तारे की तरह टिमटिमा रहे थे। ओजल ने कॉल किया और एक छोटी सी बोट उनके पास आकर खड़ी हुई...
भूमि, ओजल का कान पकड़ती.… "हमे कैसिनो में जुआ खिलवाने और नंगी लड़कियों का नाच दिखाने का सरप्राइज़ है.…"
ओजल:– आव... आई कान छोड़ो... पहले देखो फिर कहना...
केशव:– मैं क्या कह रहा था, तुम लोग अपना प्रोग्राम करो, मैं जरा यहां क्रिसमस का लुफ्त उठा लूं..
जया, केशव के कान खींचती... "ज्यादा नैन सुख मत लो.. और ओजल खबरदार जो हमे किसी बकवास जगह लेकर गई तो"...
छोटी सी बहस के साथ ही सभी बोट में बैठ गये। जया और भूमि तो बोट के बीच में बैठी क्योंकि लहरों पर बोट जब ऊपर उठ जाती तब इनके प्राण हलख से निकलने लगते थे। कुछ ही देर में चमचमाते क्रूज के बीच से होते हुए ये लोग अपने क्रूज पर पहुंचे। क्रूज पर चढ़ने से पहले ही एक बार फिर बहस का दौड़ शुरू हो चुका था।
क्रूज के ऊपर पहला कदम और माला लिये क्रूज के क्रू सबका स्वागत करने लगे। जैसे ही सभी अंदर आये.. ओजल ग्लास से टोस्ट करती... "आप सबका हंस क्रूज पर स्वागत है। आप सबका अपना और बॉस के घोटाले के पैसे से ली गई शिप"…
जैसे ही यह बात कान में गई, आर्यमणि ओजल के कान में फुसफुसाते.… "ये क्या बक रही हो"..
ओजल सबको दोनो हाथ दिखाती.… "आप लोग यहां के शानदार पकवान और मजेदार वाइन का लुफ्त लीजिए, जबतक हम कुछ डिस्कस कर लेते हैं। वहां से दोनो एक किनारे पहुंचे। आर्यमणि अब भी ओजल को सवालिया नजरों से देख रहा था।
"अरे जीजू ऐसे खतरनाक लुक मत दो। आपसे बिना पूछे हमने आपके 100 मिलियन इस शिप पर खर्च कर दिये।"..
आर्यमणि:– क्या???????
ओजल:– अरे चील मारो... यदि अपने पैसे वापस चाहिए हो तो जब किनारे आना तो ये शिप हैंडओवर कर देना। 800 मिलियन की शिप 100 मिलियन में मिल रही फिर भी ऐसे रिएक्शन दे रहे। और यहां के जितने क्रू है उन्हे हमने हायर किया है। सबको अच्छी मोटी रकम सालाना देना है इसलिए आप जबतक चाहो समुद्री सफर का मजा ले सकते हो...
आर्यमणि:– 800 मिलियन डॉलर की शिप। अपस्यु पागल तो न हो गया। मुझसे 100 मिलियन लिये तो फिर बाकी के 700 मिलियन कहां से आये?
ओजल:– 400 मिलियन का तो हमें एफबीआई डायस्काउंट मिल गया था। बचे 300 मिलियन तो वो पैसे गुरु अपस्यु ने हवाला से लूटा था। वो सोच ही रहे थे कि उन पैसों का क्या करे, इतने में आपके महासागर में उतरने की कहानी सामने आ गयी।
आर्यमणि:– छोटे तो बड़ा दिलदार निकला। उस से कहना अपना काम आराम से खत्म करके एलियन के विषय पर ध्यान दे। उन्हे कैसे भागाना है, उसका पूरा ग्राउंड तैयार रखे। मै लौटकर सीधा उसी पर काम करूंगा।
ओजल:– “जब यहां गुरु जी की बातें उठी ही है तो मैं उनका संदेश दे दूं…. ये पूरा क्रूज हाई टेक है, किसी भी प्रकार की घुसपैठ हुई तो तुरंत सूचना मिल जायेगी। उसके अलावा कई सारे रक्षक मंत्र और पुराने पत्थर यहां रखे गये है जो काली शक्तियों को अंदर क्या इसके आस पास के दायरे से भी दूर रखेंगे... एक रबर बैंड सबके लिये है, इमरजेंसी के वक्त बस उसे थोडा सा घिसना है और जान बचाकर तब तक टाइम पास करना है, जबतक की मदद नही आ जाती। उन्होंने शख्त हिदायत दी है कि जिस दुश्मन को जानते नही, उनसे बिना बैकअप लड़ाई मोल न ले। ये आपके लिये नही बल्कि आपके साथ वालों की सुरक्षा के लिये जरूरी है।”
“आचार्य जी ने अपना संदेश होने वाली प्यारी सी बिटिया के लिये भेजा है। उन्होंने उनका नामकरण भी किया है... उन्होंने कहा है, होने वाली बिटिया काफी भाग्यशाली रहेगी और 4 शुभ योग में उसका जन्म होगा।”
आर्यमणि:– नाम क्या रखा है आचार्य जी ने...
ओजल:– अमेया... ओह हां आचार्य जी ने यह भी कहा था की जरूरी नही यही नाम हो। ये नामकरण उनकी ओर से एक सुझाव मात्र है...
आर्यमणि:– नही अच्छा नाम है। बताओ उन्हे ये तक पता है कि मेरी बेटी होने वाली है... मेरी लाडली.. और तुम उनके साथ क्या कर रही हो?
ओजल:– एक साधना में हूं... आचार्य जी ने कहा है जबतक साधना पूर्ण न हो किसी से जिक्र नहीं करने..
आर्यमणि:– बाप रे तुम्हारी भाषा तो काफी जटिल हो गयी है...
और दोनो हंसते हुए सभी के साथ हो लिये। इनका क्रूज लॉस एंजेलिस के समुद्र से उत्तरी प्रशांत महासागर की ओर बढ़ने लगा। करीब 4 दिन के लुभावना सफर और समुद्र के लहरों के बीच से ओजल पूरे परिवार को लेकर उड़ान भर चुकी थी। घर के सभी लोग संतुष्ट थे और उन्हें आर्यमणि के सफर की कोई चिंता नहीं थी।
इनका क्रूज अब उत्तरी प्रशांत महासागर से दक्षिणी प्रशांत महासागर की ओर चल दिया। एक ओर अलबेली और इवान थे, जिनका रोमांस इतना लंबा चल रहा था की पिछले 10 दिनों से कमरे के बाहर ही नहीं आये। वहीं रूही और आर्यमणि किनारे बैठकर घंटो महासागर की लहरों का लुफ्त उठाते और सतह पर तैरने वाले पानी के जीव को देखते रहते।
ढलती शाम और महासागर की लहरें जीवन को नया रोमांच दे रही थी। रूही, आर्यमणि के सीने पर अपना सर टिकाए डूबते सूरज को देखती हुई... "दिल में सुकून सा है। मैं बहुत खुश हूं आर्य"…
आर्यमणि, रूही के होटों पर प्यार से चुम्बन लेते... "मैं बता नही सकता... बस ऐसा लगता है की.. ऐसा लगता है"..
"कैसा लगता है आर्या"..
"ऐसा लगता है.. सारी उम्र तुम्हारे साथ ऐसे ही सुहाने सफर पर बीत जाये"..
"और हमारी बेटी... वो क्या इस संसार को जानेगी ही नही"…
"तुम भी ना... मतलब ठीक है वो संसार को जानेगी.. बस तुम सदा मेरे साथ रहो। प्यार आता है तुम्हे देखकर जो रुकता ही नही, बढ़ता ही चला जाता है"…
रूही, आर्यमणि के होटों को चूमती... "हां ऐसा ही मुझे भी लगता है"…
शहर की भीड़ से दूर। हर लड़ाई से दूर। प्यार की कस्ती में सवार दोनो चले जा रहे थे। हर शाम का लुफ्त उठाते। चलते हुए 16 दिन बीत चुके थे। क्रूज अब दक्षिणी प्रशांत महासागर में चल रही थी। ऐसी ही एक शाम प्यारी सी महफिल लगी थी। चारो समुद्र की लहरों का लुफ्त उठा रहे थे तभी उनके बीच डॉक्टर कृष्णन पहुंचते... "सर हम कहां जा रहे है। किसी से भी पूछो तो सब आपको पूछने बोलता। हम कब जमीन पर उतरेगा.. कब लोगों का इलाज करेगा"…
आर्यमणि:– कृष्णन तुम रूही का इलाज तो कर रहे न..
कृष्णन:– सार, हमको गरीब लोगों का सेवा करना है। अपने मां, अप्पा, चिनप्पा को दिखाना, मैं कितना मेहनत कर रहा।
रूही:– डॉक्टर साहब आपकी शादी हो गयी है?..
कृष्णन, शर्माते हुये... "नही मैम"
रूही:– कृष्णन वो अपने क्रू की इंजीनियर है न, एवलिन, उस से तुम्हारी बात चलाऊं...
कृष्णन जैसे खाब में खोया हो और मन के अंदर उसी अमेरिकन बाला की तस्वीर घूम रही हो। याद करके ही वो हिल गया... "क्या सच में मैडम ऐसा संभव है"..
रूही:– हां बिलकुल... जाओ बात तो करो...
कृष्णन वहां से चला गया और सभी लोग उसकी हालत देख हसने लगे। 2–3 दिन बाद अचानक ही गहमा गहमी होने लगी। आर्यमणि और बाकी सब लोग लॉबी में पहुंचे, जहां सभी क्रू मेंबर इकट्ठा थे। सभी हंस रहे थे और बीच में कृष्णन खड़ा था जिसे एवलिन भर–भर कर खड़ी खोटी सुना रही थी।... "हाउ डेयर यू, यू फक्किंग मॉरोन..इत्यादि इत्यादि... और बेचारा कृष्णन चुपचाप सुन रहा था। इसी बीच उसकी नजर आर्यमणि पर गयी... "मिस्टर आर्यमणि डॉक्टर कृष्णन को समझा लीजिए, दोबारा मुझसे फालतू की बात किया तो मैं उसे पानी में फेंक दूंगी"…
आर्यमणि, कृष्णन को लेकर अपने साथ आया... "क्या हो गया वो ऐसे भड़क क्यों गयी?"..
कृष्णन:– सर मैने तो केवल इतना कहा था की मुझसे शादी करेगी तो इलाज फ्री होता रहेगा..
आर्यमणि:– कृष्णन लव परपोजल देना था, न की बिजनेस एग्रीमेंट। वो लड़की 5 मिलियन यूएसडी सालाना कमाने वाली है और आप उसे फ्री इलाज का झांसा दे रहे थे....
कृष्णन:– तो मुझे क्या करना चाहिए..
आर्यमणि:– कोई मस्त रोमांटिक मूवी देखिए और कोशिश जारी रखिए...
डॉक्टर कृष्णन लग गया दूसरी ड्यूटी और तभी मिली आर्यमणि को राहत की बूटी। वरना तो दिन में 4 बार परेशान कर देता। कारवां आगे बढ़ते हुए प्रशांत महासागर और अंटार्टिका महासागर के बीच था। कैप्टन ने आकर आर्यमणि को तात्कालिक स्तिथि से अवगत करवाया।
आर्यमणि नेविगेशन मैप पर एक जगह प्वाइंट किया जो वर्तमान जगह से दक्षिण के ओर 1200 नॉटिकल माइल की दूरी पर था। कैप्टन उस प्वाइंट को ध्यान से देखते... "सर उस ओर कोई जहाज आज तक नही गया। हमे पता भी नही की वहां टापु है भी या नही"…
आर्यमणि:– कैप्टन आपकी बात में झूट की बू आ रही है। जो सच है वो न बताकर आप बात घुमा रहे हैं।
कैप्टन:– सर मेरे ख्याल से आप उस जगह न ही जाए तो बेहतर है। जिस प्वाइंट की बात आप कर रहे हैं, वो इनगल्फ आइलैंड है। बस यूं समझ लीजिए की आपने जहां पॉइंट किया है उस जगह पर जाने वाला कोई जहाज लौटा ही नही। और किसी भी प्रकार की सुनी सुनाई जानकारी पर यकीन करने वाले नही।
आर्यमणि:– बातें सुनी सुनाई हो या तथ्य से परिपूर्ण तुम तो सुनाओ।
कैप्टन:– तो सुनिए... जिस जगह को आपने पॉइंट किया है उसके 2 मिल के दायरे में महासागर का मिजाज ऐसा हो जाता है कि जहाज और उसके लोग कब काल की गाल में समा गये पता भी नही चलता। यदि पहली बढ़ा पार भी कर लिये तब आपका सामना होगा बड़े–बड़े काल जीवों का। ये इतने बड़े होते है कि पल भर में शिप को तबाह कर डूबा देते हैं।
आर्यमणि:– हां खतरनाक जगह तो है, लेकिन मैं उन्ही रहस्यों को खोज पर जा रहा हूं। यदि आपको ज्यादा डर लग रहा है तो मुझे ये जहाज चलाना सीखा दीजिए और आप अपने क्रू के साथ जेट से जहां मर्जी वहां जा सकते है।
कैप्टन:– ठीक है सर मैं क्रू मीटिंग बुलवा लेता हूं।
क्रू मीटिंग बुलाई गयी। 16 क्रू मेंबर में से 4 ने आइलैंड न जाने के पक्ष में वोट दिया और 12 जाने के लिये बहुत एक्साइटेड थे। अंत में यही फैसला हुआ की वो सभी चल रहे है। लगभग 8 दिन बाद क्रूज आइलैंड के समुद्री सीमा क्षेत्र के पास पहुंच चुकी थी। यदि सुनी सुनाई बात पर यकीन करे तो कुछ दूर आगे से पानी का वह क्षेत्र शुरू हो रहा था, जहां महासागर का मिजाज बदल जाता है।
चूंकि रात हो चुकी थी और आगे किस प्रकार की चुनौती मिलेगी उसका कोई अंदाजा नहीं था। इसलिए कप्तान ने रात भर विश्राम करने का फैसला लिया। क्रूज के इंजन को बिलकुल धीमा कर आगे बढ़ रहे थे। देर रात हुई होगी। 2 लोग नेविगेशन रूम में थे बाकी के क्रू आराम कर रहे थे। तभी नेविगेशन रूम में अचानक ही धुवां भर गया और वो दोनो क्रू मेंबर बेहोश।
कैप्टन के साथ समय बिताते हुये इवान को इंजन धीमा और तेज करने तो आ ही चुका था। इवान ने भी इंजन को तेज कर दिया। क्रूज अब काफी तेज गति से आगे भाग रही थी। अल्फा ने यही कोई 4 नॉटिकल माइल का सफर तय किया होगा, तभी आंखों ने वह हैरान करने वाला नजारा भी देखा जो हृदय की गति को ही रोक दे। कितना भी मजबूत दिलवाला क्यों न हो, जिसे अपने मृत्यु तक का भय नही, उनमें भी मृत्यु का भय डाल दे।
कुछ दूर आगे लगभग 1000 मीटर से जायदा गहराई का इतना बड़ा भंवर बना हुआ था जिसमे बड़े–बड़े 10 जहाज एक साथ दम तोड़ दे। और नजरें ऊपर जब गयी तो आगे और पीछे से एक साथ इतनी ऊंची लहर की दीवार दिख रही थी, जिसने महासागर के पानी को सीधा आकाश से ही मिला दिया था। दम साधे अपनी श्वांस रोककर पूरा अल्फा पैक ही हैरान थे।
Bohot khubhsurat ho शानदार जबरदस्त update bade bhai
Yaha to bada kand hi hogya hey 400 million ka cruse Ko leliya hey yaha par aur sab ko ghumne ke vaste sab se bachane ka paln kar dala hey....
Aur yaha family bhi khush hogyi hey ye sab dekh ke, aur hasi khushi vapas chali gayi Apne ghar keliye vapas..
Aur uske sath mey oajl bhi gayi hey satwik ashrm keliye apni sadhana purn krene keliye....
Aur ye log vaha se apne safar par nikal pade hey ejoy karte huve...
Ye albeli aur Evan ne Kya khake ander ghuse the ki 10 dn tak bahar tak nhi agye hey....
Aur bichara doctor ko pasa diye ladki ke sath bichara
Aur ye kaisa bavar bana hey jo itna bada hey....
Jo in sab ko bhi vichar krne पार vivash kar dale....
Kya yahi se shesh nag लोक ki seema hey
Ya koi aur yaha par rehata hey kuch alag samuday me log