• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

Prime
23,612
80,748
259
Last edited:

Xabhi

"Injoy Everything In Limits"
10,210
42,688
174
भाग:–119


लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।

20 फरवरी की शाम तक वुल्फ पैक चोरी के समान ढूंढने निकली सभी प्रहरी टीम को गायब कर चुकी थी। काम खत्म करने के बाद जयदेव को देखने का अपना ही मजा था। एलियन का नेटवर्क हैक करने के बाद तो जैसे सारे राज से परदे उठ गये हो।

जयदेव अपने लोगों के बीच एक मीटिंग करके और खोजी भेजने की मांग कर रहा था। और बाकी के लोगों ने ऐसा धुतकारा की जयदेव अपने बाल खुद ही नोचते कह दिया, “अब समान ढूंढने कोई भी खोजी टुकड़ी नही जायेगी।”...

आर्यमणि को जब वह दृश्य दिखाया गया, आर्यमणि हंसते हुये कहने लगा.... “अभी तक तो सुकून से जीते आये थे। अब पता चलेगा पृथ्वी पर जिंदगी जीना कितना कठिन होता है।”

रूही:– हम न्यूयॉर्क में क्या कर रहे है आर्य? जर्मनी में 8 मार्च की मीटिंग जो फिक्स किये हो, उसपर नही सोचना क्या?

आर्यमणि:– सब अपने तय समय से होगा रूही, धैर्य रखो। फिलहाल मैं संन्यासी शिवम् सर के साथ कुछ दिनों के सफर पर निकल रहा हूं, जब तक तुम लोग भी मौज–मस्ती करो। एक भाग–दौड़ वाला काम समाप्त किया है, आगे एक सर दर्द वाला काम शुरू होने वाला है। बीच में थोड़ा वक्त मिला है तो मौज–मस्ती कर लो। जब दिमाग से चिंतन और बोझ निकलेगा तब जाकर काम करने में भी मजा आयेगा।

रूही:– बॉस ये थ्योरी तुम पर भी लागू होती है। तुम भी आओ मस्ती करने। (रूही बिलकुल धीमे होती) वैसे भी बहुत दिनों से हमारे बीच कुछ हुआ भी नही। मन में कैसी–कैसी उमंगे जगी है, कैसे समझाऊं...

अलबेली:– धीरे से क्या बुदबुदाई... कान लगाने पर भी नही सुन सके...

निशांत:– होने वाले मियां–बीवी है, जिस्म की उफनती प्यास पर ही चर्चा किये होंगे...

आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के साथ वहां से हड़बड़ी में निकलते.... “अल्फा पैक के साथ तुम्हारा समय भी मौज मस्ती में कटे निशांत।”

आर्यमणि अपनी बात कहकर संन्यासी शिवम् के साथ अंतर्ध्यान हो गया। दोनो टेलीपोर्ट होकर सीधा बर्कले, कैलिफोर्निया पहुंचे। सुकेश के घर से चोरी का सारा सामान को मिनी–पिकअप ट्रक में इकट्ठा किया, और पूरे ट्रक को टेलीपोर्ट करके सीधा कैलाश मठ पहुंच गये। कैलाश मठ में आचार्य जी के अलावा अपस्यु भी मौजूद था। दोनो की नजरें जैसे ही मिली, एक दूसरे के गले लगते हाल–चाल पूछने लगे।

आर्यमणि:– छोटे, जर्मनी का काम पूरा हो गया?

अपस्यु:– हां बड़े पूरा हो गया।

अपस्यु अपनी बात कहने के साथ ही वुल्फ हाउस का ले–आउट निकाला, साथ में अपना लैपटॉप भी खोल लिया। अपस्यु अपने लैपटॉप पर हर छोटे हिस्से को बड़ा करके दिखाते...

“वुल्फ हाउस के चारो ओर की जितनी भी प्रॉपर्टी को तुमने खरीदा था, वहां ट्रैप बिछा दिया गया है। हमने लगभग 5 किलोमीटर के एरिया को कवर कर लिया है। जमीन के नीचे हर 5 फिट की गहराई पर छोटे एक्सप्लोसिव लगाये है, जो 4o फिट नीचे गहराई तक जाते है।

आर्यमणि:– मतलब एक पॉइंट की गहराई में ऊपर से लेकर नीचे तक 8 एक्सप्लोसिव होंगे...

अपस्यु:– हां, एक पॉइंट पर 8 छोटे एक्सप्लोसिव है और हर 2 फिट की दूरी पर एक पॉइंट है। 10 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को यदि डेटोनेट करते हो तो 20 फिट का पूरा एरिया 40 फिट नीचे घुस जायेगा। इतना ही डिमांड था न बड़े...

आर्यमणि:– हां बस इतना ही डिमांड था छोटे। लेकिन एक सवाल है। नही–नही कुछ सवाल है छोटे... जैसे की मैने 100 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ाया और बाकी के एक्सप्लोसिव कोई इस्तमाल में ही नही आया, उसका क्या करेंगे...

अपस्यु:– बड़े ये एक्सप्लोसिव इतने छोटे है कि एक पॉइंट के एक या दो एक्सप्लोसिव खुद से भी फट गये तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। फर्क लाने के लिये एक साथ 4 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ना होगा तब इंपैक्ट आयेगा। दूसरा ये है कि ये जितने भी एक्सप्लोसिव है, उसका कवर घुलने वाली सामग्री से बनाया गया है। एक कमांड दोगे और बचा हुआ पूरा एक्सप्लोसिव का मैटेरियल मिट्टी में मिल जायेगा।

आर्यमणि:– शानदार छोटे... महल के अंदर की व्यवस्था बताओ...

अपस्यु:– बड़े जैसी तुम्हारी मांग थी, उसे पूरा कर दिया गया है। वैसे इतने बड़े महल की दीवार और फ्लोर को 3 इंच छिलवाने में 2000 मजदूरों की जरूरत आन पड़ी थी, लेकिन 3 दिन के अंदर काम पूरा हो गया। जाकर देखो तुम्हारा पूरा महल ही अब बाहर और अंदर से चमकने लगा है।

आर्यमणि:– महल तो नया हो गया लेकिन जो काम कहा था वो पूरा हुआ या नहीं?

अपस्यु:– पूरे घर में ही जाल बिछा दिया है।

आर्यमणि:– खुलकर पूरा बता छोटे...

अपस्यु:– तुम्हारी क्या डिमांड थी बड़े, तुम या अल्फा पैक किसी को देखो और वो एयर टाइड पैकिंग की तरह किसी पलस्टिक में ऐसे चिपके की बस आकर समझ में आये।

आर्यमणि:– हां बिलकुल...

अपस्यु:– वही तो बता रहा हूं बड़े। पूरे घर की हर दीवार, फ्लोर, फिर वो बाहरी दीवार या फ्लोर या फिर घर के अंदर की दीवार हो या फ्लोर उसे 4 इंच छिलवा दिया। छिले हुये हिस्से में पूरा मैकेनिकल सिस्टम इंस्टॉल कर दिया। सिस्टम की वायरिंग कंप्लीट कर दिया और फिर सबको अच्छे से पैक करवा दिया।

आर्यमणि:– इस से क्या होगा????

अपस्यु:– इस से ट्रैप होगा। पूरे घर और बाहर, हर 10 इंच के दूरी पर एक 5 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा शटर लगा है। शटर खुलेगा और उसके अंदर से 1 सेंटीमीटर मोटा बड़ा सा प्लास्टिक चादर उछल कर बाहर निकलेगा और अपने शिकार के ऊपर चिपक जाएगा।

आर्यमणि:– और वो शिकार अपने हाथ से उस प्लास्टिक चादर को उतार देगा।

अपस्यु:– बिलकुल नहीं... पहली बात एक टारगेट पर एक नही बल्कि 2 प्लास्टिक चादर उछलकर जायेगा। एक आगे और एक पीछे से। वह पास्टिक चादर जैसे ही हवा के कॉन्टैक्ट में आयेगा, वैसे ही सिकुड़ जायेगा।

आर्यमणि:– कितना सिकुड़ सकता है चादर...

अपस्यु:– 8 फिट की चादर सिकुड़ कर 1 या 2 सेंटीमीटर (1mm) का बन जायेगा। अब सोचकर देखो कितना टाइट पैकिंग होगी।

आर्यमणि:– वाह... कमाल... अद्भुत... हां लेकिन स्वांस न लेने के कारण दम घुटकर मरेगा तो नहीं...

अपस्यु:– यही तो कमाल है, किसी का दम घुटने की वजह से मौत न होगी। नाक की छेद पर जब प्लास्टिक टाइट होगा तो वहां कोई भी सपोर्टिंग सतह नही मिलेगा और वह प्लास्टिक टूटकर खुद–ब–खुद नाक के बाहरी और भीतरी दीवार से चिपक जायेगा।

आर्यमणि:– अच्छा और किसी के आंख से लेजर किरण निकलती हो, उसका क्या?

अपस्यु:– आंख खोलने का वक्त नहीं मिलेगा। जैसे ही पलक झपके उतना वक्त में तो चिपक चुके होंगे। और यदि कोई वीर आंख बंद नही किया, फिर वो कभी देख नही पायेगा। क्योंकि उसकी आंख से लेजर निकले उस से पहले ही वो प्लास्टिक आंखों पर किसी स्किन की तरह चिपक चुकी होगी। जैसे किसी की आंख पर पलक को स्थाई रूप से चढ़ा दिया गया हो।

आर्यमणि:– कमाल कर दिया छोटे... अब ये बता की हमारे देखने मात्र से अपना टारगेट एयर टाइट पैक कैसे होगा? ये ऑटो कमांड काम कैसे करेगा...

अपस्यु:– क्या बड़े, मजाक कर रहा था। ऐसा सिस्टम अभी डिवेलप कर पाना मुश्किल है। वैसे भी एक वक्त पर 100 लोग सामने है तो कितनो को देख लोगे...

आर्यमणि:– ठीक है समझ गया छोटे... तू कमांडिंग सिस्टम बता...

अपस्यु:– 4000 कैमरा पूरे 10 किलोमीटर के इलाके को कवर कर रहा है। सबको फेस रिकॉग्नाइजेशन मोड पर डाल देना। भिड़ यदि उमड़े तो एक साथ ट्रैप कमांड दे देना। वो लोग जैसे ही रेंज में आयेंगे, सब के सब चिपक जायेंगे। फिर यदि उनमें से किसी को छोड़ना हो तो फेस रिकॉग्नाइजेशन में सबकी तस्वीर पड़ी मिलेगी। वहां देखना, सर्च में डाल देना, कैमरा उसकी लोकेशन बता देगा।

आर्यमणि:– छोड़ेंगे कैसे...

अपस्यु:– आसान है.. हाथ में चाकू या ब्लेड न हो तो अपने पंजे से... जैसे दूसरे एयर टाइट पैक खोलते है।

आर्यमणि:– छोटे वैसे एक झोल है... यदि 20 लोग भिड़ लगाकर आयेंगे तब तो वो प्लास्टिक किनारे के लोगों को ही लपेटेगी, बीच के लोगों का क्या?

अपस्यु:– बड़े पलक झपकते ही जिन्हे चिपका दिया गया हो। जो अपनी उंगली तक को हिला नही पायेंगे, वह कितना देर पाऊं पर खड़े रहेंगे। अब जरा कल्पना करो। 100 लोगों की भिड़। कमांड दिये और पलक झपकते ही 20 लोग गिरे। फिर पलक झपके और फिर 20 लोग गिरे... फिर 20... और ऐसे ही, 10 –12 बार पलक झपकते ही काम खत्म...

आर्यमणि:– एक ही जगह पर होंगे तो कैसे काम खत्म। 5 इंच लंबे और 3 इंच चौड़ा शटर है। उसकी गहराई एक इंच से ज्यादा न होगी क्योंकि 3 इंच गहराई में मैकेनिकल काम भी हुआ है। उसके अलावा फ्लोर पर चलने से या दीवार को हाथ लगाने से कोई भी ट्रैपर बाहर न निकले, ये सिस्टम भी दिये होगे। तो एक जगह पर मात्र 2 प्लास्टिक होगा। हमला करने वाले रेंज में यदि 25 शटर हुये तब तो 10 लोग भी ट्रैप न होंगे।

अपस्यु:– बड़े ये कैसा कैलकुलेशन है? 25 शटर भी खुले तो 50 प्लास्टिक हुआ न...

आर्यमणि:– अच्छा और क्या गारंटी है कि एक के शरीर पर एक्स्ट्रा चादर न चढ़ेंगे। क्योंकि पलक झपकते उछल कर निकलने वाली चीज रिपीट होगी ही होगी।

अपस्यु:– बड़े तुम्हे क्या लग रहा है,उस पूरे घर में कितने ट्रैपर लगे होंगे..

आर्यमणि:– कितने... 500 या 1000...

अपस्यु:– 12लाख 85हजार 3सौ 72 (1285372) ट्रैपर लगे हैं। यदि 2 शिकार के ऊपर प्लास्टिक की चादर ओवरलैप कर गयी और वो ठीक से पैक न हो पाये, तो भी वो दूसरी बार में, तीसरी बार में कभी न कभी ट्रैप होंगे ही। पूरा काम करवाने में ऐसे ही नही मैने 1 करोड़ 56 लाख यूरो खर्च किये है।

आर्यमणि:– भारतीय रुपयों में बता...

अपस्यु:– 140 से 150 करोड़ के बीच...

आर्यमणि:– काफी ज्यादा खर्च हो गया छोटे। भरपाई करनी होगी। खैर कोई न... 8 मार्च को या तो सारा पैसा वसूल हो जायेगा। नही तो अपनी फिजूल खर्ची पर आंसू बहाने के लिये मैं न रहूंगा...

अपस्यु:– बड़े, ऐसा न कहो... कहो तो मैं भी अपनी टीम साथ ले लूं..

आर्यमणि:– नही छोटे... अभी सात्त्विक आश्रम के एक गुरु का भय उनके सामने आने दो। हम दोनो को उसने देख लिया तो दोनो के पीछे लग जायेंगे। मैं नही चाहता की आश्रम अब कमजोर हो।

अब तक जो मूक दर्शक बने आचार्य जी सुन रहे थे.... “गुरुजी फैसला तो सही है किंतु इसका परिणाम सोचा है। जर्मनी से निकल भी गये तो उसके बाद क्या होगा? मंत्र सिद्ध करने नही। कुंडलिनी चक्र जागृत नही करना और 6 करोड़ की आबादी से सीधा दुश्मनी। मुट्ठी भर लोग कितने भी ताकतवर क्यों न हो, अचानक उमरी भिड़ के आगे दम तोड़ ही देते है। तुम एक बार योजना बनाकर उन्हें मारने जा रहे हो लेकिन उसके बाद क्या? वो लोग हर पल तुम्हे मारने की योजना बनायेंगे... एक बात याद रखिए, बचने वाले को हर बार तकदीर की जरूरत पड़ती है लेकिन मारने वाले को बस एक मौका चाहिए। लागातार कोशिश के दौरान क्या उसका नसीब एक बार न लगेगा...

आर्यमणि:– इतनी जल्दी नही मारूंगा आचार्य जी। मैने अपने अभ्यास और मंत्र सिद्धि का स्थान ढूंढ लिया है। जर्मनी में आश्रम का अस्तित्व दिखाने के बाद मैं पूरी अल्फा टीम को लेकर ऐसे आइलैंड पर जाऊंगा जहां टेलीपोर्ट होकर भी नही आ सकते। वहीं मैं अपने अंदर के निहित ज्ञान को निखारूंगा और तब वापिस आऊंगा। तब तक आप लोग गुप्त रूप से सारा काम संभाल लोगे न।

अपस्यु:– मैं बेकार में चिंता कर रहा था। बड़े अच्छा सोचा है। यहां पर कुछ दिन के अभ्यास के बाद मैं भी दिल्ली निकल जाऊंगा। सही वक्त आ गया है।

आर्यमणि:– मेरी सुभकामनाएं है। चलो तो फिर युद्ध अभ्यास किया जाये।..

आचार्य जी दोनो के गले में (आर्यमणि और अपस्यु) अभिमंत्रित मणि की माला डालकर.... “अब आश्रम की पूरी जिम्मेदारी आप दोनो पर है।”.... फिर आर्यमणि के हाथ में एनर्जी फायर (एनर्जी स्टोन से बनी वही माला जिसमे जादूगर महान की आत्मा कैद थी) रखते.... “इसे अपने बाजुओं में धारण कर लीजिए। जब भी किसी को ताकत का भय दिखाना हो अथवा कहीं भिड़ में घिरे हो, आपको पता ही क्या करना है। अब अभ्यास शुरू कीजिए।”

अगले 7 दिनो तक अभ्यास चला। कैलाश पर्वत के मार्ग पर जमा देने वाली ठंडी और ऊबड़–खाबड़ पर्वतों के पथरीली जमीन पर चलती तेज तूफानों के बीच आत्मा तक को थका देने वाला अभ्यास चला। तेज हवाएं कदमों को लड़खड़ाने पर मजबूर कर दे। पर्वत के संकड़े आकर और उसका ऊबड़–खाबड़ होना, कदम को ठहरने न दे। कई तरह के जहरीले हर्ब और नशीले पदार्थ जब श्वांस द्वारा अंदर शरीर में जाता, तब बचा संतुलन भी कहीं हवा हो जाता। ऐसे विषम परिस्थिति में दोनो नंगे पाऊं अभ्यास कर रहे थे।

एक बार जब अभ्यास शुरू हुआ, फिर न तो रुके और न ही खुद को थकने दिया। ना ही सोए और न ही नींद को खुद पर हावी होने दिया। न भूख लगी न प्यास। रक्त से भूमि लाल होती रही, किंतु कदम रुके नहीं। बस एक दूसरे के साथ लड़ते रहे, अभ्यास करते रहे।

7 दिन बाद जब अभ्यास विराम हुआ, दोनो सीधा पर्वत के संकड़ी भूमि पर गिर गये। गिरे भी ऐसे की सीधा हजार फिट नीचे खाई की गोद में आराम करते। किंतु दोनो सिर्फ इतने होश में की एक दूसरे का हाथ थाम लिया। संकरे पर्वत के एक ओर आर्यमणि तो दूसरी ओर अपस्यु लटक रहा था। और अचेत अवस्था में भी दोनो के हाथ छूटे नहीं।

दोनो की जब आंखे खुली, दोनो आश्रम में लेटे थे। होश तो आ गया था, किंतु शरीर को अभी और आराम की जरूरत थी। 3 दिन फिर दोनो ने पूर्ण रूप से आराम किया। पौष्टिक सेवन और तरह–तरह की जादीबूटीयों से शारीरिक ऊर्जा और क्षमता को एक अलग ही स्तर दिया जा चुका था।

2 मार्च को दोनो (आर्यमणि और अपस्यु) आचार्य जी से विदा ले रहे थे। आर्यमणि, गुरु निशि और उनके शिष्य को जिंदा जलाने वालों के साजिशकर्ता एलियन से हिसाब लेने निकल रहा था, तो वहीं अपस्यु गुरु निशि और अपने सहपाठियों के कत्ल को जिन्होंने अंजाम दिया था, उनसे हिसाब लेने निकल रहा था। आर्यमणि और अपस्यु गले मिलकर एक दूसरे से विदा लिये।

संन्यासी शिवम् संग आर्यमणि 3 मार्च को अल्फा पैक से मिल रहा था। सभी फ्रांस की राजधानी पेरिस में थे। पेरिस के एक बड़े से होटल का ऊपरी मंजिल इन लोगों ने बुक कर रखा था। ऊपरी मंजिल पर 5 वीआईपी स्वीट्स थे। एक स्वीट में इनका डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम था। बाकी के 4 स्वीट्स में से एक निशांत, एक अलबेली, ओजल और रूही का था। एक इवान का और एक आर्यमणि के लिये छोड़ रखा था।

थे तो सबके अलग–अलग स्वीट्स, लेकिन पूरा अल्फा पैक रूही वाले स्वीट्स में ही था और सब मिलकर निशांत पर अत्याचार कर रहे थे। अंतर्ध्यान होकर आर्यमणि और संन्यासी शिवम् वहीं पहुंचे। चारो ओर सिरहाने की रूई फैली हुई थी। बिस्तर का पूरा चिथरा उड़ा हुआ था। स्वीट में रखे सोफे को नोच डाले थे। और उसी नोचे हुये सोफे पर निशांत लेटा था। अलबेली और रूही उसके दोनो हाथ पकड़े थे। ओजल और इवान उसके दोनो पाऊं और निशांत के तेज–तेज चिल्लाने की आवाज... “जालिम वुल्फ्स तुम सब मिलकर मेरा शिकार नही कर सकते”...

“यहां हो क्या रहा है?”.... आर्यमणि वहां का नजारा देखकर पूछने लगा...

निशांत:– मेरे दोस्त तू आ गया। भाई जान बचा ले वरना आज तो तेरा दोस्त गियो...

आर्यमणि:– यहां हो क्या रहा है। तुमलोग निशांत को ऐसे पकड़ क्यों रखे हो...

रूही:– जान तुम जरा दूर ही रहो। पहले हमारा काम हो जाने दो फिर बात करते है।

आर्यमणि:– अभी के अभी उसे छोड़ दो। मस्ती मजाक का समय समाप्त हो गया है, अब हमें काम पर ध्यान देंगे...

रूही:– हमारा समय अभी समाप्त नहीं हुआ है।

आर्यमणि:– पर हुआ क्या वो तो बताओ?

रूही:– वो मैं नही बता सकती।

आर्यमणि:– जो भी पहले बताएगा वो मेरे साथ एक्शन करेगा...

“रूही ने कॉलर पकड़कर निशांत का होंठ निचोड़ चुम्मा ले ली।"..... “दीदी ने निशांत को फ्रेंच किस्स किया”... “पहले मैने कहा”... “पहले मैं बोली”... “पहले मैं बोली”...

अलबेली, ओजल और इवान ने एक ही वक्त में मामला बता दिया। बताने के बाद तीनो में “पहले मैं, पहले मैं” की जंग छिड़ चुकी थी और आर्यमणि... वह मुंह छिपाकर हंस रहा था।
7 din ka yuddh abhyash apasyu or arya ke Bich or kya Khatarnak abhyash kiya dono ne, Wah!...

5 km ke area me trap ke liye explosive lgaya hai jamin me vo bhi Kai miter niche tk, ek ek point pe Kai sare...

Mahal me bhi dono taraf divale chhilva dali or uske andar explosive va trap lga diye hai Jo Sayad astronote ke airtite se bhi jyada advance yha lgaya hai, Chhote ke ginti btane pr mera muh khula ka khula rah gya bc itne sare air bags lgaye huye hai 150 carod kharch karne pade :wooow: :woohoo: face recognition system bhi lga diya hai pr samasya ye hai ki arya un sabhi ka face Yani photo kaha se laye, Sayad hack kiye huye database se...

Bade or Chhote dono hi alag alag jagah pr tandav karne vale hai, ab dekhte hai Kon kitna lucky hai...

Yha Alfa team Nishant ko pareshan karne me lge huye hai pr Nishant bhi kam thodi hai, usne bhi Pahle kuchh na kuchh kiya hoga or kamre ke halat dekh kar lag hi rha hai ki masti dam se kari gyi hai, ye ruhi ka Nishant ko kiss karna or baki ke logo ka chillana ki pahle usne bola hai, mujhe lagta hai bhramit anguthi ka prayog kiya hai jiske chalte arya muh chhupa kr has rha hai...

Superb update bhai sandar jabarjast lajvab planning with awesome writing skills Nainu bhaya :yourock:
 

Devilrudra

Active Member
514
1,437
123
भाग:–119


लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।

20 फरवरी की शाम तक वुल्फ पैक चोरी के समान ढूंढने निकली सभी प्रहरी टीम को गायब कर चुकी थी। काम खत्म करने के बाद जयदेव को देखने का अपना ही मजा था। एलियन का नेटवर्क हैक करने के बाद तो जैसे सारे राज से परदे उठ गये हो।

जयदेव अपने लोगों के बीच एक मीटिंग करके और खोजी भेजने की मांग कर रहा था। और बाकी के लोगों ने ऐसा धुतकारा की जयदेव अपने बाल खुद ही नोचते कह दिया, “अब समान ढूंढने कोई भी खोजी टुकड़ी नही जायेगी।”...

आर्यमणि को जब वह दृश्य दिखाया गया, आर्यमणि हंसते हुये कहने लगा.... “अभी तक तो सुकून से जीते आये थे। अब पता चलेगा पृथ्वी पर जिंदगी जीना कितना कठिन होता है।”

रूही:– हम न्यूयॉर्क में क्या कर रहे है आर्य? जर्मनी में 8 मार्च की मीटिंग जो फिक्स किये हो, उसपर नही सोचना क्या?

आर्यमणि:– सब अपने तय समय से होगा रूही, धैर्य रखो। फिलहाल मैं संन्यासी शिवम् सर के साथ कुछ दिनों के सफर पर निकल रहा हूं, जब तक तुम लोग भी मौज–मस्ती करो। एक भाग–दौड़ वाला काम समाप्त किया है, आगे एक सर दर्द वाला काम शुरू होने वाला है। बीच में थोड़ा वक्त मिला है तो मौज–मस्ती कर लो। जब दिमाग से चिंतन और बोझ निकलेगा तब जाकर काम करने में भी मजा आयेगा।

रूही:– बॉस ये थ्योरी तुम पर भी लागू होती है। तुम भी आओ मस्ती करने। (रूही बिलकुल धीमे होती) वैसे भी बहुत दिनों से हमारे बीच कुछ हुआ भी नही। मन में कैसी–कैसी उमंगे जगी है, कैसे समझाऊं...

अलबेली:– धीरे से क्या बुदबुदाई... कान लगाने पर भी नही सुन सके...

निशांत:– होने वाले मियां–बीवी है, जिस्म की उफनती प्यास पर ही चर्चा किये होंगे...

आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के साथ वहां से हड़बड़ी में निकलते.... “अल्फा पैक के साथ तुम्हारा समय भी मौज मस्ती में कटे निशांत।”

आर्यमणि अपनी बात कहकर संन्यासी शिवम् के साथ अंतर्ध्यान हो गया। दोनो टेलीपोर्ट होकर सीधा बर्कले, कैलिफोर्निया पहुंचे। सुकेश के घर से चोरी का सारा सामान को मिनी–पिकअप ट्रक में इकट्ठा किया, और पूरे ट्रक को टेलीपोर्ट करके सीधा कैलाश मठ पहुंच गये। कैलाश मठ में आचार्य जी के अलावा अपस्यु भी मौजूद था। दोनो की नजरें जैसे ही मिली, एक दूसरे के गले लगते हाल–चाल पूछने लगे।

आर्यमणि:– छोटे, जर्मनी का काम पूरा हो गया?

अपस्यु:– हां बड़े पूरा हो गया।

अपस्यु अपनी बात कहने के साथ ही वुल्फ हाउस का ले–आउट निकाला, साथ में अपना लैपटॉप भी खोल लिया। अपस्यु अपने लैपटॉप पर हर छोटे हिस्से को बड़ा करके दिखाते...

“वुल्फ हाउस के चारो ओर की जितनी भी प्रॉपर्टी को तुमने खरीदा था, वहां ट्रैप बिछा दिया गया है। हमने लगभग 5 किलोमीटर के एरिया को कवर कर लिया है। जमीन के नीचे हर 5 फिट की गहराई पर छोटे एक्सप्लोसिव लगाये है, जो 4o फिट नीचे गहराई तक जाते है।

आर्यमणि:– मतलब एक पॉइंट की गहराई में ऊपर से लेकर नीचे तक 8 एक्सप्लोसिव होंगे...

अपस्यु:– हां, एक पॉइंट पर 8 छोटे एक्सप्लोसिव है और हर 2 फिट की दूरी पर एक पॉइंट है। 10 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को यदि डेटोनेट करते हो तो 20 फिट का पूरा एरिया 40 फिट नीचे घुस जायेगा। इतना ही डिमांड था न बड़े...

आर्यमणि:– हां बस इतना ही डिमांड था छोटे। लेकिन एक सवाल है। नही–नही कुछ सवाल है छोटे... जैसे की मैने 100 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ाया और बाकी के एक्सप्लोसिव कोई इस्तमाल में ही नही आया, उसका क्या करेंगे...

अपस्यु:– बड़े ये एक्सप्लोसिव इतने छोटे है कि एक पॉइंट के एक या दो एक्सप्लोसिव खुद से भी फट गये तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। फर्क लाने के लिये एक साथ 4 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ना होगा तब इंपैक्ट आयेगा। दूसरा ये है कि ये जितने भी एक्सप्लोसिव है, उसका कवर घुलने वाली सामग्री से बनाया गया है। एक कमांड दोगे और बचा हुआ पूरा एक्सप्लोसिव का मैटेरियल मिट्टी में मिल जायेगा।

आर्यमणि:– शानदार छोटे... महल के अंदर की व्यवस्था बताओ...

अपस्यु:– बड़े जैसी तुम्हारी मांग थी, उसे पूरा कर दिया गया है। वैसे इतने बड़े महल की दीवार और फ्लोर को 3 इंच छिलवाने में 2000 मजदूरों की जरूरत आन पड़ी थी, लेकिन 3 दिन के अंदर काम पूरा हो गया। जाकर देखो तुम्हारा पूरा महल ही अब बाहर और अंदर से चमकने लगा है।

आर्यमणि:– महल तो नया हो गया लेकिन जो काम कहा था वो पूरा हुआ या नहीं?

अपस्यु:– पूरे घर में ही जाल बिछा दिया है।

आर्यमणि:– खुलकर पूरा बता छोटे...

अपस्यु:– तुम्हारी क्या डिमांड थी बड़े, तुम या अल्फा पैक किसी को देखो और वो एयर टाइड पैकिंग की तरह किसी पलस्टिक में ऐसे चिपके की बस आकर समझ में आये।

आर्यमणि:– हां बिलकुल...

अपस्यु:– वही तो बता रहा हूं बड़े। पूरे घर की हर दीवार, फ्लोर, फिर वो बाहरी दीवार या फ्लोर या फिर घर के अंदर की दीवार हो या फ्लोर उसे 4 इंच छिलवा दिया। छिले हुये हिस्से में पूरा मैकेनिकल सिस्टम इंस्टॉल कर दिया। सिस्टम की वायरिंग कंप्लीट कर दिया और फिर सबको अच्छे से पैक करवा दिया।

आर्यमणि:– इस से क्या होगा????

अपस्यु:– इस से ट्रैप होगा। पूरे घर और बाहर, हर 10 इंच के दूरी पर एक 5 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा शटर लगा है। शटर खुलेगा और उसके अंदर से 1 सेंटीमीटर मोटा बड़ा सा प्लास्टिक चादर उछल कर बाहर निकलेगा और अपने शिकार के ऊपर चिपक जाएगा।

आर्यमणि:– और वो शिकार अपने हाथ से उस प्लास्टिक चादर को उतार देगा।

अपस्यु:– बिलकुल नहीं... पहली बात एक टारगेट पर एक नही बल्कि 2 प्लास्टिक चादर उछलकर जायेगा। एक आगे और एक पीछे से। वह पास्टिक चादर जैसे ही हवा के कॉन्टैक्ट में आयेगा, वैसे ही सिकुड़ जायेगा।

आर्यमणि:– कितना सिकुड़ सकता है चादर...

अपस्यु:– 8 फिट की चादर सिकुड़ कर 1 या 2 सेंटीमीटर (1mm) का बन जायेगा। अब सोचकर देखो कितना टाइट पैकिंग होगी।

आर्यमणि:– वाह... कमाल... अद्भुत... हां लेकिन स्वांस न लेने के कारण दम घुटकर मरेगा तो नहीं...

अपस्यु:– यही तो कमाल है, किसी का दम घुटने की वजह से मौत न होगी। नाक की छेद पर जब प्लास्टिक टाइट होगा तो वहां कोई भी सपोर्टिंग सतह नही मिलेगा और वह प्लास्टिक टूटकर खुद–ब–खुद नाक के बाहरी और भीतरी दीवार से चिपक जायेगा।

आर्यमणि:– अच्छा और किसी के आंख से लेजर किरण निकलती हो, उसका क्या?

अपस्यु:– आंख खोलने का वक्त नहीं मिलेगा। जैसे ही पलक झपके उतना वक्त में तो चिपक चुके होंगे। और यदि कोई वीर आंख बंद नही किया, फिर वो कभी देख नही पायेगा। क्योंकि उसकी आंख से लेजर निकले उस से पहले ही वो प्लास्टिक आंखों पर किसी स्किन की तरह चिपक चुकी होगी। जैसे किसी की आंख पर पलक को स्थाई रूप से चढ़ा दिया गया हो।

आर्यमणि:– कमाल कर दिया छोटे... अब ये बता की हमारे देखने मात्र से अपना टारगेट एयर टाइट पैक कैसे होगा? ये ऑटो कमांड काम कैसे करेगा...

अपस्यु:– क्या बड़े, मजाक कर रहा था। ऐसा सिस्टम अभी डिवेलप कर पाना मुश्किल है। वैसे भी एक वक्त पर 100 लोग सामने है तो कितनो को देख लोगे...

आर्यमणि:– ठीक है समझ गया छोटे... तू कमांडिंग सिस्टम बता...

अपस्यु:– 4000 कैमरा पूरे 10 किलोमीटर के इलाके को कवर कर रहा है। सबको फेस रिकॉग्नाइजेशन मोड पर डाल देना। भिड़ यदि उमड़े तो एक साथ ट्रैप कमांड दे देना। वो लोग जैसे ही रेंज में आयेंगे, सब के सब चिपक जायेंगे। फिर यदि उनमें से किसी को छोड़ना हो तो फेस रिकॉग्नाइजेशन में सबकी तस्वीर पड़ी मिलेगी। वहां देखना, सर्च में डाल देना, कैमरा उसकी लोकेशन बता देगा।

आर्यमणि:– छोड़ेंगे कैसे...

अपस्यु:– आसान है.. हाथ में चाकू या ब्लेड न हो तो अपने पंजे से... जैसे दूसरे एयर टाइट पैक खोलते है।

आर्यमणि:– छोटे वैसे एक झोल है... यदि 20 लोग भिड़ लगाकर आयेंगे तब तो वो प्लास्टिक किनारे के लोगों को ही लपेटेगी, बीच के लोगों का क्या?

अपस्यु:– बड़े पलक झपकते ही जिन्हे चिपका दिया गया हो। जो अपनी उंगली तक को हिला नही पायेंगे, वह कितना देर पाऊं पर खड़े रहेंगे। अब जरा कल्पना करो। 100 लोगों की भिड़। कमांड दिये और पलक झपकते ही 20 लोग गिरे। फिर पलक झपके और फिर 20 लोग गिरे... फिर 20... और ऐसे ही, 10 –12 बार पलक झपकते ही काम खत्म...

आर्यमणि:– एक ही जगह पर होंगे तो कैसे काम खत्म। 5 इंच लंबे और 3 इंच चौड़ा शटर है। उसकी गहराई एक इंच से ज्यादा न होगी क्योंकि 3 इंच गहराई में मैकेनिकल काम भी हुआ है। उसके अलावा फ्लोर पर चलने से या दीवार को हाथ लगाने से कोई भी ट्रैपर बाहर न निकले, ये सिस्टम भी दिये होगे। तो एक जगह पर मात्र 2 प्लास्टिक होगा। हमला करने वाले रेंज में यदि 25 शटर हुये तब तो 10 लोग भी ट्रैप न होंगे।

अपस्यु:– बड़े ये कैसा कैलकुलेशन है? 25 शटर भी खुले तो 50 प्लास्टिक हुआ न...

आर्यमणि:– अच्छा और क्या गारंटी है कि एक के शरीर पर एक्स्ट्रा चादर न चढ़ेंगे। क्योंकि पलक झपकते उछल कर निकलने वाली चीज रिपीट होगी ही होगी।

अपस्यु:– बड़े तुम्हे क्या लग रहा है,उस पूरे घर में कितने ट्रैपर लगे होंगे..

आर्यमणि:– कितने... 500 या 1000...

अपस्यु:– 12लाख 85हजार 3सौ 72 (1285372) ट्रैपर लगे हैं। यदि 2 शिकार के ऊपर प्लास्टिक की चादर ओवरलैप कर गयी और वो ठीक से पैक न हो पाये, तो भी वो दूसरी बार में, तीसरी बार में कभी न कभी ट्रैप होंगे ही। पूरा काम करवाने में ऐसे ही नही मैने 1 करोड़ 56 लाख यूरो खर्च किये है।

आर्यमणि:– भारतीय रुपयों में बता...

अपस्यु:– 140 से 150 करोड़ के बीच...

आर्यमणि:– काफी ज्यादा खर्च हो गया छोटे। भरपाई करनी होगी। खैर कोई न... 8 मार्च को या तो सारा पैसा वसूल हो जायेगा। नही तो अपनी फिजूल खर्ची पर आंसू बहाने के लिये मैं न रहूंगा...

अपस्यु:– बड़े, ऐसा न कहो... कहो तो मैं भी अपनी टीम साथ ले लूं..

आर्यमणि:– नही छोटे... अभी सात्त्विक आश्रम के एक गुरु का भय उनके सामने आने दो। हम दोनो को उसने देख लिया तो दोनो के पीछे लग जायेंगे। मैं नही चाहता की आश्रम अब कमजोर हो।

अब तक जो मूक दर्शक बने आचार्य जी सुन रहे थे.... “गुरुजी फैसला तो सही है किंतु इसका परिणाम सोचा है। जर्मनी से निकल भी गये तो उसके बाद क्या होगा? मंत्र सिद्ध करने नही। कुंडलिनी चक्र जागृत नही करना और 6 करोड़ की आबादी से सीधा दुश्मनी। मुट्ठी भर लोग कितने भी ताकतवर क्यों न हो, अचानक उमरी भिड़ के आगे दम तोड़ ही देते है। तुम एक बार योजना बनाकर उन्हें मारने जा रहे हो लेकिन उसके बाद क्या? वो लोग हर पल तुम्हे मारने की योजना बनायेंगे... एक बात याद रखिए, बचने वाले को हर बार तकदीर की जरूरत पड़ती है लेकिन मारने वाले को बस एक मौका चाहिए। लागातार कोशिश के दौरान क्या उसका नसीब एक बार न लगेगा...

आर्यमणि:– इतनी जल्दी नही मारूंगा आचार्य जी। मैने अपने अभ्यास और मंत्र सिद्धि का स्थान ढूंढ लिया है। जर्मनी में आश्रम का अस्तित्व दिखाने के बाद मैं पूरी अल्फा टीम को लेकर ऐसे आइलैंड पर जाऊंगा जहां टेलीपोर्ट होकर भी नही आ सकते। वहीं मैं अपने अंदर के निहित ज्ञान को निखारूंगा और तब वापिस आऊंगा। तब तक आप लोग गुप्त रूप से सारा काम संभाल लोगे न।

अपस्यु:– मैं बेकार में चिंता कर रहा था। बड़े अच्छा सोचा है। यहां पर कुछ दिन के अभ्यास के बाद मैं भी दिल्ली निकल जाऊंगा। सही वक्त आ गया है।

आर्यमणि:– मेरी सुभकामनाएं है। चलो तो फिर युद्ध अभ्यास किया जाये।..

आचार्य जी दोनो के गले में (आर्यमणि और अपस्यु) अभिमंत्रित मणि की माला डालकर.... “अब आश्रम की पूरी जिम्मेदारी आप दोनो पर है।”.... फिर आर्यमणि के हाथ में एनर्जी फायर (एनर्जी स्टोन से बनी वही माला जिसमे जादूगर महान की आत्मा कैद थी) रखते.... “इसे अपने बाजुओं में धारण कर लीजिए। जब भी किसी को ताकत का भय दिखाना हो अथवा कहीं भिड़ में घिरे हो, आपको पता ही क्या करना है। अब अभ्यास शुरू कीजिए।”

अगले 7 दिनो तक अभ्यास चला। कैलाश पर्वत के मार्ग पर जमा देने वाली ठंडी और ऊबड़–खाबड़ पर्वतों के पथरीली जमीन पर चलती तेज तूफानों के बीच आत्मा तक को थका देने वाला अभ्यास चला। तेज हवाएं कदमों को लड़खड़ाने पर मजबूर कर दे। पर्वत के संकड़े आकर और उसका ऊबड़–खाबड़ होना, कदम को ठहरने न दे। कई तरह के जहरीले हर्ब और नशीले पदार्थ जब श्वांस द्वारा अंदर शरीर में जाता, तब बचा संतुलन भी कहीं हवा हो जाता। ऐसे विषम परिस्थिति में दोनो नंगे पाऊं अभ्यास कर रहे थे।

एक बार जब अभ्यास शुरू हुआ, फिर न तो रुके और न ही खुद को थकने दिया। ना ही सोए और न ही नींद को खुद पर हावी होने दिया। न भूख लगी न प्यास। रक्त से भूमि लाल होती रही, किंतु कदम रुके नहीं। बस एक दूसरे के साथ लड़ते रहे, अभ्यास करते रहे।

7 दिन बाद जब अभ्यास विराम हुआ, दोनो सीधा पर्वत के संकड़ी भूमि पर गिर गये। गिरे भी ऐसे की सीधा हजार फिट नीचे खाई की गोद में आराम करते। किंतु दोनो सिर्फ इतने होश में की एक दूसरे का हाथ थाम लिया। संकरे पर्वत के एक ओर आर्यमणि तो दूसरी ओर अपस्यु लटक रहा था। और अचेत अवस्था में भी दोनो के हाथ छूटे नहीं।

दोनो की जब आंखे खुली, दोनो आश्रम में लेटे थे। होश तो आ गया था, किंतु शरीर को अभी और आराम की जरूरत थी। 3 दिन फिर दोनो ने पूर्ण रूप से आराम किया। पौष्टिक सेवन और तरह–तरह की जादीबूटीयों से शारीरिक ऊर्जा और क्षमता को एक अलग ही स्तर दिया जा चुका था।

2 मार्च को दोनो (आर्यमणि और अपस्यु) आचार्य जी से विदा ले रहे थे। आर्यमणि, गुरु निशि और उनके शिष्य को जिंदा जलाने वालों के साजिशकर्ता एलियन से हिसाब लेने निकल रहा था, तो वहीं अपस्यु गुरु निशि और अपने सहपाठियों के कत्ल को जिन्होंने अंजाम दिया था, उनसे हिसाब लेने निकल रहा था। आर्यमणि और अपस्यु गले मिलकर एक दूसरे से विदा लिये।

संन्यासी शिवम् संग आर्यमणि 3 मार्च को अल्फा पैक से मिल रहा था। सभी फ्रांस की राजधानी पेरिस में थे। पेरिस के एक बड़े से होटल का ऊपरी मंजिल इन लोगों ने बुक कर रखा था। ऊपरी मंजिल पर 5 वीआईपी स्वीट्स थे। एक स्वीट में इनका डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम था। बाकी के 4 स्वीट्स में से एक निशांत, एक अलबेली, ओजल और रूही का था। एक इवान का और एक आर्यमणि के लिये छोड़ रखा था।

थे तो सबके अलग–अलग स्वीट्स, लेकिन पूरा अल्फा पैक रूही वाले स्वीट्स में ही था और सब मिलकर निशांत पर अत्याचार कर रहे थे। अंतर्ध्यान होकर आर्यमणि और संन्यासी शिवम् वहीं पहुंचे। चारो ओर सिरहाने की रूई फैली हुई थी। बिस्तर का पूरा चिथरा उड़ा हुआ था। स्वीट में रखे सोफे को नोच डाले थे। और उसी नोचे हुये सोफे पर निशांत लेटा था। अलबेली और रूही उसके दोनो हाथ पकड़े थे। ओजल और इवान उसके दोनो पाऊं और निशांत के तेज–तेज चिल्लाने की आवाज... “जालिम वुल्फ्स तुम सब मिलकर मेरा शिकार नही कर सकते”...

“यहां हो क्या रहा है?”.... आर्यमणि वहां का नजारा देखकर पूछने लगा...

निशांत:– मेरे दोस्त तू आ गया। भाई जान बचा ले वरना आज तो तेरा दोस्त गियो...

आर्यमणि:– यहां हो क्या रहा है। तुमलोग निशांत को ऐसे पकड़ क्यों रखे हो...

रूही:– जान तुम जरा दूर ही रहो। पहले हमारा काम हो जाने दो फिर बात करते है।

आर्यमणि:– अभी के अभी उसे छोड़ दो। मस्ती मजाक का समय समाप्त हो गया है, अब हमें काम पर ध्यान देंगे...

रूही:– हमारा समय अभी समाप्त नहीं हुआ है।

आर्यमणि:– पर हुआ क्या वो तो बताओ?

रूही:– वो मैं नही बता सकती।

आर्यमणि:– जो भी पहले बताएगा वो मेरे साथ एक्शन करेगा...

“रूही ने कॉलर पकड़कर निशांत का होंठ निचोड़ चुम्मा ले ली।"..... “दीदी ने निशांत को फ्रेंच किस्स किया”... “पहले मैने कहा”... “पहले मैं बोली”... “पहले मैं बोली”...

अलबेली, ओजल और इवान ने एक ही वक्त में मामला बता दिया। बताने के बाद तीनो में “पहले मैं, पहले मैं” की जंग छिड़ चुकी थी और आर्यमणि... वह मुंह छिपाकर हंस रहा था।
Amazing 👍👍👍
 

Parthh123

Active Member
592
1,837
138
Mast update nain bhai. Ekdm kdk. Esi ke bad wala seen ki story hai ek aur kahani apki. Bus usme sirf half part likha hai apne means bus apasyu wala aryamani ka jikra tak nhi usme. Kamal ke concept late ho ap aur kamal ki story writing. Maza a jata hai. Thank u nain bhai
 

king cobra

Well-Known Member
5,258
9,926
189
भाग:–119


लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।

20 फरवरी की शाम तक वुल्फ पैक चोरी के समान ढूंढने निकली सभी प्रहरी टीम को गायब कर चुकी थी। काम खत्म करने के बाद जयदेव को देखने का अपना ही मजा था। एलियन का नेटवर्क हैक करने के बाद तो जैसे सारे राज से परदे उठ गये हो।

जयदेव अपने लोगों के बीच एक मीटिंग करके और खोजी भेजने की मांग कर रहा था। और बाकी के लोगों ने ऐसा धुतकारा की जयदेव अपने बाल खुद ही नोचते कह दिया, “अब समान ढूंढने कोई भी खोजी टुकड़ी नही जायेगी।”...

आर्यमणि को जब वह दृश्य दिखाया गया, आर्यमणि हंसते हुये कहने लगा.... “अभी तक तो सुकून से जीते आये थे। अब पता चलेगा पृथ्वी पर जिंदगी जीना कितना कठिन होता है।”

रूही:– हम न्यूयॉर्क में क्या कर रहे है आर्य? जर्मनी में 8 मार्च की मीटिंग जो फिक्स किये हो, उसपर नही सोचना क्या?

आर्यमणि:– सब अपने तय समय से होगा रूही, धैर्य रखो। फिलहाल मैं संन्यासी शिवम् सर के साथ कुछ दिनों के सफर पर निकल रहा हूं, जब तक तुम लोग भी मौज–मस्ती करो। एक भाग–दौड़ वाला काम समाप्त किया है, आगे एक सर दर्द वाला काम शुरू होने वाला है। बीच में थोड़ा वक्त मिला है तो मौज–मस्ती कर लो। जब दिमाग से चिंतन और बोझ निकलेगा तब जाकर काम करने में भी मजा आयेगा।

रूही:– बॉस ये थ्योरी तुम पर भी लागू होती है। तुम भी आओ मस्ती करने। (रूही बिलकुल धीमे होती) वैसे भी बहुत दिनों से हमारे बीच कुछ हुआ भी नही। मन में कैसी–कैसी उमंगे जगी है, कैसे समझाऊं...

अलबेली:– धीरे से क्या बुदबुदाई... कान लगाने पर भी नही सुन सके...

निशांत:– होने वाले मियां–बीवी है, जिस्म की उफनती प्यास पर ही चर्चा किये होंगे...

आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के साथ वहां से हड़बड़ी में निकलते.... “अल्फा पैक के साथ तुम्हारा समय भी मौज मस्ती में कटे निशांत।”

आर्यमणि अपनी बात कहकर संन्यासी शिवम् के साथ अंतर्ध्यान हो गया। दोनो टेलीपोर्ट होकर सीधा बर्कले, कैलिफोर्निया पहुंचे। सुकेश के घर से चोरी का सारा सामान को मिनी–पिकअप ट्रक में इकट्ठा किया, और पूरे ट्रक को टेलीपोर्ट करके सीधा कैलाश मठ पहुंच गये। कैलाश मठ में आचार्य जी के अलावा अपस्यु भी मौजूद था। दोनो की नजरें जैसे ही मिली, एक दूसरे के गले लगते हाल–चाल पूछने लगे।

आर्यमणि:– छोटे, जर्मनी का काम पूरा हो गया?

अपस्यु:– हां बड़े पूरा हो गया।

अपस्यु अपनी बात कहने के साथ ही वुल्फ हाउस का ले–आउट निकाला, साथ में अपना लैपटॉप भी खोल लिया। अपस्यु अपने लैपटॉप पर हर छोटे हिस्से को बड़ा करके दिखाते...

“वुल्फ हाउस के चारो ओर की जितनी भी प्रॉपर्टी को तुमने खरीदा था, वहां ट्रैप बिछा दिया गया है। हमने लगभग 5 किलोमीटर के एरिया को कवर कर लिया है। जमीन के नीचे हर 5 फिट की गहराई पर छोटे एक्सप्लोसिव लगाये है, जो 4o फिट नीचे गहराई तक जाते है।

आर्यमणि:– मतलब एक पॉइंट की गहराई में ऊपर से लेकर नीचे तक 8 एक्सप्लोसिव होंगे...

अपस्यु:– हां, एक पॉइंट पर 8 छोटे एक्सप्लोसिव है और हर 2 फिट की दूरी पर एक पॉइंट है। 10 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को यदि डेटोनेट करते हो तो 20 फिट का पूरा एरिया 40 फिट नीचे घुस जायेगा। इतना ही डिमांड था न बड़े...

आर्यमणि:– हां बस इतना ही डिमांड था छोटे। लेकिन एक सवाल है। नही–नही कुछ सवाल है छोटे... जैसे की मैने 100 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ाया और बाकी के एक्सप्लोसिव कोई इस्तमाल में ही नही आया, उसका क्या करेंगे...

अपस्यु:– बड़े ये एक्सप्लोसिव इतने छोटे है कि एक पॉइंट के एक या दो एक्सप्लोसिव खुद से भी फट गये तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। फर्क लाने के लिये एक साथ 4 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ना होगा तब इंपैक्ट आयेगा। दूसरा ये है कि ये जितने भी एक्सप्लोसिव है, उसका कवर घुलने वाली सामग्री से बनाया गया है। एक कमांड दोगे और बचा हुआ पूरा एक्सप्लोसिव का मैटेरियल मिट्टी में मिल जायेगा।

आर्यमणि:– शानदार छोटे... महल के अंदर की व्यवस्था बताओ...

अपस्यु:– बड़े जैसी तुम्हारी मांग थी, उसे पूरा कर दिया गया है। वैसे इतने बड़े महल की दीवार और फ्लोर को 3 इंच छिलवाने में 2000 मजदूरों की जरूरत आन पड़ी थी, लेकिन 3 दिन के अंदर काम पूरा हो गया। जाकर देखो तुम्हारा पूरा महल ही अब बाहर और अंदर से चमकने लगा है।

आर्यमणि:– महल तो नया हो गया लेकिन जो काम कहा था वो पूरा हुआ या नहीं?

अपस्यु:– पूरे घर में ही जाल बिछा दिया है।

आर्यमणि:– खुलकर पूरा बता छोटे...

अपस्यु:– तुम्हारी क्या डिमांड थी बड़े, तुम या अल्फा पैक किसी को देखो और वो एयर टाइड पैकिंग की तरह किसी पलस्टिक में ऐसे चिपके की बस आकर समझ में आये।

आर्यमणि:– हां बिलकुल...

अपस्यु:– वही तो बता रहा हूं बड़े। पूरे घर की हर दीवार, फ्लोर, फिर वो बाहरी दीवार या फ्लोर या फिर घर के अंदर की दीवार हो या फ्लोर उसे 4 इंच छिलवा दिया। छिले हुये हिस्से में पूरा मैकेनिकल सिस्टम इंस्टॉल कर दिया। सिस्टम की वायरिंग कंप्लीट कर दिया और फिर सबको अच्छे से पैक करवा दिया।

आर्यमणि:– इस से क्या होगा????

अपस्यु:– इस से ट्रैप होगा। पूरे घर और बाहर, हर 10 इंच के दूरी पर एक 5 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा शटर लगा है। शटर खुलेगा और उसके अंदर से 1 सेंटीमीटर मोटा बड़ा सा प्लास्टिक चादर उछल कर बाहर निकलेगा और अपने शिकार के ऊपर चिपक जाएगा।

आर्यमणि:– और वो शिकार अपने हाथ से उस प्लास्टिक चादर को उतार देगा।

अपस्यु:– बिलकुल नहीं... पहली बात एक टारगेट पर एक नही बल्कि 2 प्लास्टिक चादर उछलकर जायेगा। एक आगे और एक पीछे से। वह पास्टिक चादर जैसे ही हवा के कॉन्टैक्ट में आयेगा, वैसे ही सिकुड़ जायेगा।

आर्यमणि:– कितना सिकुड़ सकता है चादर...

अपस्यु:– 8 फिट की चादर सिकुड़ कर 1 या 2 सेंटीमीटर (1mm) का बन जायेगा। अब सोचकर देखो कितना टाइट पैकिंग होगी।

आर्यमणि:– वाह... कमाल... अद्भुत... हां लेकिन स्वांस न लेने के कारण दम घुटकर मरेगा तो नहीं...

अपस्यु:– यही तो कमाल है, किसी का दम घुटने की वजह से मौत न होगी। नाक की छेद पर जब प्लास्टिक टाइट होगा तो वहां कोई भी सपोर्टिंग सतह नही मिलेगा और वह प्लास्टिक टूटकर खुद–ब–खुद नाक के बाहरी और भीतरी दीवार से चिपक जायेगा।

आर्यमणि:– अच्छा और किसी के आंख से लेजर किरण निकलती हो, उसका क्या?

अपस्यु:– आंख खोलने का वक्त नहीं मिलेगा। जैसे ही पलक झपके उतना वक्त में तो चिपक चुके होंगे। और यदि कोई वीर आंख बंद नही किया, फिर वो कभी देख नही पायेगा। क्योंकि उसकी आंख से लेजर निकले उस से पहले ही वो प्लास्टिक आंखों पर किसी स्किन की तरह चिपक चुकी होगी। जैसे किसी की आंख पर पलक को स्थाई रूप से चढ़ा दिया गया हो।

आर्यमणि:– कमाल कर दिया छोटे... अब ये बता की हमारे देखने मात्र से अपना टारगेट एयर टाइट पैक कैसे होगा? ये ऑटो कमांड काम कैसे करेगा...

अपस्यु:– क्या बड़े, मजाक कर रहा था। ऐसा सिस्टम अभी डिवेलप कर पाना मुश्किल है। वैसे भी एक वक्त पर 100 लोग सामने है तो कितनो को देख लोगे...

आर्यमणि:– ठीक है समझ गया छोटे... तू कमांडिंग सिस्टम बता...

अपस्यु:– 4000 कैमरा पूरे 10 किलोमीटर के इलाके को कवर कर रहा है। सबको फेस रिकॉग्नाइजेशन मोड पर डाल देना। भिड़ यदि उमड़े तो एक साथ ट्रैप कमांड दे देना। वो लोग जैसे ही रेंज में आयेंगे, सब के सब चिपक जायेंगे। फिर यदि उनमें से किसी को छोड़ना हो तो फेस रिकॉग्नाइजेशन में सबकी तस्वीर पड़ी मिलेगी। वहां देखना, सर्च में डाल देना, कैमरा उसकी लोकेशन बता देगा।

आर्यमणि:– छोड़ेंगे कैसे...

अपस्यु:– आसान है.. हाथ में चाकू या ब्लेड न हो तो अपने पंजे से... जैसे दूसरे एयर टाइट पैक खोलते है।

आर्यमणि:– छोटे वैसे एक झोल है... यदि 20 लोग भिड़ लगाकर आयेंगे तब तो वो प्लास्टिक किनारे के लोगों को ही लपेटेगी, बीच के लोगों का क्या?

अपस्यु:– बड़े पलक झपकते ही जिन्हे चिपका दिया गया हो। जो अपनी उंगली तक को हिला नही पायेंगे, वह कितना देर पाऊं पर खड़े रहेंगे। अब जरा कल्पना करो। 100 लोगों की भिड़। कमांड दिये और पलक झपकते ही 20 लोग गिरे। फिर पलक झपके और फिर 20 लोग गिरे... फिर 20... और ऐसे ही, 10 –12 बार पलक झपकते ही काम खत्म...

आर्यमणि:– एक ही जगह पर होंगे तो कैसे काम खत्म। 5 इंच लंबे और 3 इंच चौड़ा शटर है। उसकी गहराई एक इंच से ज्यादा न होगी क्योंकि 3 इंच गहराई में मैकेनिकल काम भी हुआ है। उसके अलावा फ्लोर पर चलने से या दीवार को हाथ लगाने से कोई भी ट्रैपर बाहर न निकले, ये सिस्टम भी दिये होगे। तो एक जगह पर मात्र 2 प्लास्टिक होगा। हमला करने वाले रेंज में यदि 25 शटर हुये तब तो 10 लोग भी ट्रैप न होंगे।

अपस्यु:– बड़े ये कैसा कैलकुलेशन है? 25 शटर भी खुले तो 50 प्लास्टिक हुआ न...

आर्यमणि:– अच्छा और क्या गारंटी है कि एक के शरीर पर एक्स्ट्रा चादर न चढ़ेंगे। क्योंकि पलक झपकते उछल कर निकलने वाली चीज रिपीट होगी ही होगी।

अपस्यु:– बड़े तुम्हे क्या लग रहा है,उस पूरे घर में कितने ट्रैपर लगे होंगे..

आर्यमणि:– कितने... 500 या 1000...

अपस्यु:– 12लाख 85हजार 3सौ 72 (1285372) ट्रैपर लगे हैं। यदि 2 शिकार के ऊपर प्लास्टिक की चादर ओवरलैप कर गयी और वो ठीक से पैक न हो पाये, तो भी वो दूसरी बार में, तीसरी बार में कभी न कभी ट्रैप होंगे ही। पूरा काम करवाने में ऐसे ही नही मैने 1 करोड़ 56 लाख यूरो खर्च किये है।

आर्यमणि:– भारतीय रुपयों में बता...

अपस्यु:– 140 से 150 करोड़ के बीच...

आर्यमणि:– काफी ज्यादा खर्च हो गया छोटे। भरपाई करनी होगी। खैर कोई न... 8 मार्च को या तो सारा पैसा वसूल हो जायेगा। नही तो अपनी फिजूल खर्ची पर आंसू बहाने के लिये मैं न रहूंगा...

अपस्यु:– बड़े, ऐसा न कहो... कहो तो मैं भी अपनी टीम साथ ले लूं..

आर्यमणि:– नही छोटे... अभी सात्त्विक आश्रम के एक गुरु का भय उनके सामने आने दो। हम दोनो को उसने देख लिया तो दोनो के पीछे लग जायेंगे। मैं नही चाहता की आश्रम अब कमजोर हो।

अब तक जो मूक दर्शक बने आचार्य जी सुन रहे थे.... “गुरुजी फैसला तो सही है किंतु इसका परिणाम सोचा है। जर्मनी से निकल भी गये तो उसके बाद क्या होगा? मंत्र सिद्ध करने नही। कुंडलिनी चक्र जागृत नही करना और 6 करोड़ की आबादी से सीधा दुश्मनी। मुट्ठी भर लोग कितने भी ताकतवर क्यों न हो, अचानक उमरी भिड़ के आगे दम तोड़ ही देते है। तुम एक बार योजना बनाकर उन्हें मारने जा रहे हो लेकिन उसके बाद क्या? वो लोग हर पल तुम्हे मारने की योजना बनायेंगे... एक बात याद रखिए, बचने वाले को हर बार तकदीर की जरूरत पड़ती है लेकिन मारने वाले को बस एक मौका चाहिए। लागातार कोशिश के दौरान क्या उसका नसीब एक बार न लगेगा...

आर्यमणि:– इतनी जल्दी नही मारूंगा आचार्य जी। मैने अपने अभ्यास और मंत्र सिद्धि का स्थान ढूंढ लिया है। जर्मनी में आश्रम का अस्तित्व दिखाने के बाद मैं पूरी अल्फा टीम को लेकर ऐसे आइलैंड पर जाऊंगा जहां टेलीपोर्ट होकर भी नही आ सकते। वहीं मैं अपने अंदर के निहित ज्ञान को निखारूंगा और तब वापिस आऊंगा। तब तक आप लोग गुप्त रूप से सारा काम संभाल लोगे न।

अपस्यु:– मैं बेकार में चिंता कर रहा था। बड़े अच्छा सोचा है। यहां पर कुछ दिन के अभ्यास के बाद मैं भी दिल्ली निकल जाऊंगा। सही वक्त आ गया है।

आर्यमणि:– मेरी सुभकामनाएं है। चलो तो फिर युद्ध अभ्यास किया जाये।..

आचार्य जी दोनो के गले में (आर्यमणि और अपस्यु) अभिमंत्रित मणि की माला डालकर.... “अब आश्रम की पूरी जिम्मेदारी आप दोनो पर है।”.... फिर आर्यमणि के हाथ में एनर्जी फायर (एनर्जी स्टोन से बनी वही माला जिसमे जादूगर महान की आत्मा कैद थी) रखते.... “इसे अपने बाजुओं में धारण कर लीजिए। जब भी किसी को ताकत का भय दिखाना हो अथवा कहीं भिड़ में घिरे हो, आपको पता ही क्या करना है। अब अभ्यास शुरू कीजिए।”

अगले 7 दिनो तक अभ्यास चला। कैलाश पर्वत के मार्ग पर जमा देने वाली ठंडी और ऊबड़–खाबड़ पर्वतों के पथरीली जमीन पर चलती तेज तूफानों के बीच आत्मा तक को थका देने वाला अभ्यास चला। तेज हवाएं कदमों को लड़खड़ाने पर मजबूर कर दे। पर्वत के संकड़े आकर और उसका ऊबड़–खाबड़ होना, कदम को ठहरने न दे। कई तरह के जहरीले हर्ब और नशीले पदार्थ जब श्वांस द्वारा अंदर शरीर में जाता, तब बचा संतुलन भी कहीं हवा हो जाता। ऐसे विषम परिस्थिति में दोनो नंगे पाऊं अभ्यास कर रहे थे।

एक बार जब अभ्यास शुरू हुआ, फिर न तो रुके और न ही खुद को थकने दिया। ना ही सोए और न ही नींद को खुद पर हावी होने दिया। न भूख लगी न प्यास। रक्त से भूमि लाल होती रही, किंतु कदम रुके नहीं। बस एक दूसरे के साथ लड़ते रहे, अभ्यास करते रहे।

7 दिन बाद जब अभ्यास विराम हुआ, दोनो सीधा पर्वत के संकड़ी भूमि पर गिर गये। गिरे भी ऐसे की सीधा हजार फिट नीचे खाई की गोद में आराम करते। किंतु दोनो सिर्फ इतने होश में की एक दूसरे का हाथ थाम लिया। संकरे पर्वत के एक ओर आर्यमणि तो दूसरी ओर अपस्यु लटक रहा था। और अचेत अवस्था में भी दोनो के हाथ छूटे नहीं।

दोनो की जब आंखे खुली, दोनो आश्रम में लेटे थे। होश तो आ गया था, किंतु शरीर को अभी और आराम की जरूरत थी। 3 दिन फिर दोनो ने पूर्ण रूप से आराम किया। पौष्टिक सेवन और तरह–तरह की जादीबूटीयों से शारीरिक ऊर्जा और क्षमता को एक अलग ही स्तर दिया जा चुका था।

2 मार्च को दोनो (आर्यमणि और अपस्यु) आचार्य जी से विदा ले रहे थे। आर्यमणि, गुरु निशि और उनके शिष्य को जिंदा जलाने वालों के साजिशकर्ता एलियन से हिसाब लेने निकल रहा था, तो वहीं अपस्यु गुरु निशि और अपने सहपाठियों के कत्ल को जिन्होंने अंजाम दिया था, उनसे हिसाब लेने निकल रहा था। आर्यमणि और अपस्यु गले मिलकर एक दूसरे से विदा लिये।

संन्यासी शिवम् संग आर्यमणि 3 मार्च को अल्फा पैक से मिल रहा था। सभी फ्रांस की राजधानी पेरिस में थे। पेरिस के एक बड़े से होटल का ऊपरी मंजिल इन लोगों ने बुक कर रखा था। ऊपरी मंजिल पर 5 वीआईपी स्वीट्स थे। एक स्वीट में इनका डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम था। बाकी के 4 स्वीट्स में से एक निशांत, एक अलबेली, ओजल और रूही का था। एक इवान का और एक आर्यमणि के लिये छोड़ रखा था।

थे तो सबके अलग–अलग स्वीट्स, लेकिन पूरा अल्फा पैक रूही वाले स्वीट्स में ही था और सब मिलकर निशांत पर अत्याचार कर रहे थे। अंतर्ध्यान होकर आर्यमणि और संन्यासी शिवम् वहीं पहुंचे। चारो ओर सिरहाने की रूई फैली हुई थी। बिस्तर का पूरा चिथरा उड़ा हुआ था। स्वीट में रखे सोफे को नोच डाले थे। और उसी नोचे हुये सोफे पर निशांत लेटा था। अलबेली और रूही उसके दोनो हाथ पकड़े थे। ओजल और इवान उसके दोनो पाऊं और निशांत के तेज–तेज चिल्लाने की आवाज... “जालिम वुल्फ्स तुम सब मिलकर मेरा शिकार नही कर सकते”...

“यहां हो क्या रहा है?”.... आर्यमणि वहां का नजारा देखकर पूछने लगा...

निशांत:– मेरे दोस्त तू आ गया। भाई जान बचा ले वरना आज तो तेरा दोस्त गियो...

आर्यमणि:– यहां हो क्या रहा है। तुमलोग निशांत को ऐसे पकड़ क्यों रखे हो...

रूही:– जान तुम जरा दूर ही रहो। पहले हमारा काम हो जाने दो फिर बात करते है।

आर्यमणि:– अभी के अभी उसे छोड़ दो। मस्ती मजाक का समय समाप्त हो गया है, अब हमें काम पर ध्यान देंगे...

रूही:– हमारा समय अभी समाप्त नहीं हुआ है।

आर्यमणि:– पर हुआ क्या वो तो बताओ?

रूही:– वो मैं नही बता सकती।

आर्यमणि:– जो भी पहले बताएगा वो मेरे साथ एक्शन करेगा...

“रूही ने कॉलर पकड़कर निशांत का होंठ निचोड़ चुम्मा ले ली।"..... “दीदी ने निशांत को फ्रेंच किस्स किया”... “पहले मैने कहा”... “पहले मैं बोली”... “पहले मैं बोली”...

अलबेली, ओजल और इवान ने एक ही वक्त में मामला बता दिया। बताने के बाद तीनो में “पहले मैं, पहले मैं” की जंग छिड़ चुकी थी और आर्यमणि... वह मुंह छिपाकर हंस रहा था।

superb update last me ivaan ki halat par to maja aa gawa bechara taiyari puri ho gayi ladai suru karo
 

CFL7897

Be lazy
455
952
93
Do taraf se jal bich chuka hai....
Dekane ki bat hogi kis tarf jayada nuksan hota hai..
Waise bhi abhi tak Aarya ne Jadugar se li hui vidya ko sidd nahi kiya hai time ke kami ki wajah se..nahi to abhi tak wo aur bhi takatwar ho jata aur apne pack ko bhi bana deta .
Mauj masti k nam par hotel me kuch jayad hi masti ho rahi hai ..khair dimag ko sant rakahne ka uttam upaya hai..
Ab Apasyu Aur Arya ka abhyas kitana rang lata hai aane wale update me dikh jayega...
Shandar update bhai.....
 
10,458
48,868
258
यह कैसा कब्र तैयार कर दिया आपने नैन भाई ! वुल्फ हाउस के बाहर करीब पांच किलोमीटर के दायरे मे जमीन के अंदर बारूद ही बारूद , हाउस के अंदर सभी दीवार और पूरी छत अंदर से घातक प्लास्टिक चदर से भरे हुए और आपरेट करते ही दुश्मन के शरीर पर जा चुम्बक की तरह चिपकते हुए और वो भी बिजली की गति के समान तेज रफ्तार लिए हुए , मतलब पलक झपकने से भी पहले।
वुल्फ हाउस को एक तरह से अभेद्य किला ही बना दिया गया है। शायद एक ऐसा तिलिस्म जो एलियन के वश का नही कि उसकी काट निकाल सके।
लेकिन यह समझ नही आया कि एक- दो सेंटीमीटर का यह प्लास्टिक चदर किस तरह का असर दिखा सकता है। इस की विशेषता क्या है ?

शायद यह वही वुल्फ हाउस है जहां आर्य एक कैदी की तरह महीनों बंद रहा।
" पलक झपकने " से एक कहानी फिर से याद आ गई। महाभारत के योद्धा बर्बरीक की। भीम का प्रपौत्र , घटोत्कच एवं अहिलावति का दुलारा।
एक ऐसा वीर जिन्हे हम " खांटु वाले श्याम जी " के नाम से पुजते है।

शायद एलियन के साथ युद्ध से पहले आर्य को टेलीपोर्ट सिद्धी प्राप्त करने के लिए कुछ समय अज्ञातवास का जीवन जीना पड़े !
क्या अज्ञातवास के दौरान आर्य के पैक पर कोई खतरा उत्पन्न हो सकता है ?

अपडेट हमेशा की तरह बेहतरीन और जगमग जगमग।
 
Last edited:

Vk248517

I love Fantasy and Sci-fiction story.
5,883
18,034
189
भाग:–119


लंबे–लंबे चर्चे और उस से भी लंबी वुल्फ पैक को मारने वालों की लिस्ट। इस बात से बेखबर की जिस होटल में पलक थी, उसका पूरा सिक्योरिटी सिस्टम हैक हो चुका था। आर्यमणि उनकी मीटिंग देख भी रहा था और सुन भी रहा था।

20 फरवरी की शाम तक वुल्फ पैक चोरी के समान ढूंढने निकली सभी प्रहरी टीम को गायब कर चुकी थी। काम खत्म करने के बाद जयदेव को देखने का अपना ही मजा था। एलियन का नेटवर्क हैक करने के बाद तो जैसे सारे राज से परदे उठ गये हो।

जयदेव अपने लोगों के बीच एक मीटिंग करके और खोजी भेजने की मांग कर रहा था। और बाकी के लोगों ने ऐसा धुतकारा की जयदेव अपने बाल खुद ही नोचते कह दिया, “अब समान ढूंढने कोई भी खोजी टुकड़ी नही जायेगी।”...

आर्यमणि को जब वह दृश्य दिखाया गया, आर्यमणि हंसते हुये कहने लगा.... “अभी तक तो सुकून से जीते आये थे। अब पता चलेगा पृथ्वी पर जिंदगी जीना कितना कठिन होता है।”

रूही:– हम न्यूयॉर्क में क्या कर रहे है आर्य? जर्मनी में 8 मार्च की मीटिंग जो फिक्स किये हो, उसपर नही सोचना क्या?

आर्यमणि:– सब अपने तय समय से होगा रूही, धैर्य रखो। फिलहाल मैं संन्यासी शिवम् सर के साथ कुछ दिनों के सफर पर निकल रहा हूं, जब तक तुम लोग भी मौज–मस्ती करो। एक भाग–दौड़ वाला काम समाप्त किया है, आगे एक सर दर्द वाला काम शुरू होने वाला है। बीच में थोड़ा वक्त मिला है तो मौज–मस्ती कर लो। जब दिमाग से चिंतन और बोझ निकलेगा तब जाकर काम करने में भी मजा आयेगा।

रूही:– बॉस ये थ्योरी तुम पर भी लागू होती है। तुम भी आओ मस्ती करने। (रूही बिलकुल धीमे होती) वैसे भी बहुत दिनों से हमारे बीच कुछ हुआ भी नही। मन में कैसी–कैसी उमंगे जगी है, कैसे समझाऊं...

अलबेली:– धीरे से क्या बुदबुदाई... कान लगाने पर भी नही सुन सके...

निशांत:– होने वाले मियां–बीवी है, जिस्म की उफनती प्यास पर ही चर्चा किये होंगे...

आर्यमणि, संन्यासी शिवम् के साथ वहां से हड़बड़ी में निकलते.... “अल्फा पैक के साथ तुम्हारा समय भी मौज मस्ती में कटे निशांत।”

आर्यमणि अपनी बात कहकर संन्यासी शिवम् के साथ अंतर्ध्यान हो गया। दोनो टेलीपोर्ट होकर सीधा बर्कले, कैलिफोर्निया पहुंचे। सुकेश के घर से चोरी का सारा सामान को मिनी–पिकअप ट्रक में इकट्ठा किया, और पूरे ट्रक को टेलीपोर्ट करके सीधा कैलाश मठ पहुंच गये। कैलाश मठ में आचार्य जी के अलावा अपस्यु भी मौजूद था। दोनो की नजरें जैसे ही मिली, एक दूसरे के गले लगते हाल–चाल पूछने लगे।

आर्यमणि:– छोटे, जर्मनी का काम पूरा हो गया?

अपस्यु:– हां बड़े पूरा हो गया।

अपस्यु अपनी बात कहने के साथ ही वुल्फ हाउस का ले–आउट निकाला, साथ में अपना लैपटॉप भी खोल लिया। अपस्यु अपने लैपटॉप पर हर छोटे हिस्से को बड़ा करके दिखाते...

“वुल्फ हाउस के चारो ओर की जितनी भी प्रॉपर्टी को तुमने खरीदा था, वहां ट्रैप बिछा दिया गया है। हमने लगभग 5 किलोमीटर के एरिया को कवर कर लिया है। जमीन के नीचे हर 5 फिट की गहराई पर छोटे एक्सप्लोसिव लगाये है, जो 4o फिट नीचे गहराई तक जाते है।

आर्यमणि:– मतलब एक पॉइंट की गहराई में ऊपर से लेकर नीचे तक 8 एक्सप्लोसिव होंगे...

अपस्यु:– हां, एक पॉइंट पर 8 छोटे एक्सप्लोसिव है और हर 2 फिट की दूरी पर एक पॉइंट है। 10 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को यदि डेटोनेट करते हो तो 20 फिट का पूरा एरिया 40 फिट नीचे घुस जायेगा। इतना ही डिमांड था न बड़े...

आर्यमणि:– हां बस इतना ही डिमांड था छोटे। लेकिन एक सवाल है। नही–नही कुछ सवाल है छोटे... जैसे की मैने 100 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ाया और बाकी के एक्सप्लोसिव कोई इस्तमाल में ही नही आया, उसका क्या करेंगे...

अपस्यु:– बड़े ये एक्सप्लोसिव इतने छोटे है कि एक पॉइंट के एक या दो एक्सप्लोसिव खुद से भी फट गये तो कोई फर्क नहीं पड़ने वाला। फर्क लाने के लिये एक साथ 4 पॉइंट के एक्सप्लोसिव को उड़ना होगा तब इंपैक्ट आयेगा। दूसरा ये है कि ये जितने भी एक्सप्लोसिव है, उसका कवर घुलने वाली सामग्री से बनाया गया है। एक कमांड दोगे और बचा हुआ पूरा एक्सप्लोसिव का मैटेरियल मिट्टी में मिल जायेगा।

आर्यमणि:– शानदार छोटे... महल के अंदर की व्यवस्था बताओ...

अपस्यु:– बड़े जैसी तुम्हारी मांग थी, उसे पूरा कर दिया गया है। वैसे इतने बड़े महल की दीवार और फ्लोर को 3 इंच छिलवाने में 2000 मजदूरों की जरूरत आन पड़ी थी, लेकिन 3 दिन के अंदर काम पूरा हो गया। जाकर देखो तुम्हारा पूरा महल ही अब बाहर और अंदर से चमकने लगा है।

आर्यमणि:– महल तो नया हो गया लेकिन जो काम कहा था वो पूरा हुआ या नहीं?

अपस्यु:– पूरे घर में ही जाल बिछा दिया है।

आर्यमणि:– खुलकर पूरा बता छोटे...

अपस्यु:– तुम्हारी क्या डिमांड थी बड़े, तुम या अल्फा पैक किसी को देखो और वो एयर टाइड पैकिंग की तरह किसी पलस्टिक में ऐसे चिपके की बस आकर समझ में आये।

आर्यमणि:– हां बिलकुल...

अपस्यु:– वही तो बता रहा हूं बड़े। पूरे घर की हर दीवार, फ्लोर, फिर वो बाहरी दीवार या फ्लोर या फिर घर के अंदर की दीवार हो या फ्लोर उसे 4 इंच छिलवा दिया। छिले हुये हिस्से में पूरा मैकेनिकल सिस्टम इंस्टॉल कर दिया। सिस्टम की वायरिंग कंप्लीट कर दिया और फिर सबको अच्छे से पैक करवा दिया।

आर्यमणि:– इस से क्या होगा????

अपस्यु:– इस से ट्रैप होगा। पूरे घर और बाहर, हर 10 इंच के दूरी पर एक 5 इंच लंबा और 2 इंच चौड़ा शटर लगा है। शटर खुलेगा और उसके अंदर से 1 सेंटीमीटर मोटा बड़ा सा प्लास्टिक चादर उछल कर बाहर निकलेगा और अपने शिकार के ऊपर चिपक जाएगा।

आर्यमणि:– और वो शिकार अपने हाथ से उस प्लास्टिक चादर को उतार देगा।

अपस्यु:– बिलकुल नहीं... पहली बात एक टारगेट पर एक नही बल्कि 2 प्लास्टिक चादर उछलकर जायेगा। एक आगे और एक पीछे से। वह पास्टिक चादर जैसे ही हवा के कॉन्टैक्ट में आयेगा, वैसे ही सिकुड़ जायेगा।

आर्यमणि:– कितना सिकुड़ सकता है चादर...

अपस्यु:– 8 फिट की चादर सिकुड़ कर 1 या 2 सेंटीमीटर (1mm) का बन जायेगा। अब सोचकर देखो कितना टाइट पैकिंग होगी।

आर्यमणि:– वाह... कमाल... अद्भुत... हां लेकिन स्वांस न लेने के कारण दम घुटकर मरेगा तो नहीं...

अपस्यु:– यही तो कमाल है, किसी का दम घुटने की वजह से मौत न होगी। नाक की छेद पर जब प्लास्टिक टाइट होगा तो वहां कोई भी सपोर्टिंग सतह नही मिलेगा और वह प्लास्टिक टूटकर खुद–ब–खुद नाक के बाहरी और भीतरी दीवार से चिपक जायेगा।

आर्यमणि:– अच्छा और किसी के आंख से लेजर किरण निकलती हो, उसका क्या?

अपस्यु:– आंख खोलने का वक्त नहीं मिलेगा। जैसे ही पलक झपके उतना वक्त में तो चिपक चुके होंगे। और यदि कोई वीर आंख बंद नही किया, फिर वो कभी देख नही पायेगा। क्योंकि उसकी आंख से लेजर निकले उस से पहले ही वो प्लास्टिक आंखों पर किसी स्किन की तरह चिपक चुकी होगी। जैसे किसी की आंख पर पलक को स्थाई रूप से चढ़ा दिया गया हो।

आर्यमणि:– कमाल कर दिया छोटे... अब ये बता की हमारे देखने मात्र से अपना टारगेट एयर टाइट पैक कैसे होगा? ये ऑटो कमांड काम कैसे करेगा...

अपस्यु:– क्या बड़े, मजाक कर रहा था। ऐसा सिस्टम अभी डिवेलप कर पाना मुश्किल है। वैसे भी एक वक्त पर 100 लोग सामने है तो कितनो को देख लोगे...

आर्यमणि:– ठीक है समझ गया छोटे... तू कमांडिंग सिस्टम बता...

अपस्यु:– 4000 कैमरा पूरे 10 किलोमीटर के इलाके को कवर कर रहा है। सबको फेस रिकॉग्नाइजेशन मोड पर डाल देना। भिड़ यदि उमड़े तो एक साथ ट्रैप कमांड दे देना। वो लोग जैसे ही रेंज में आयेंगे, सब के सब चिपक जायेंगे। फिर यदि उनमें से किसी को छोड़ना हो तो फेस रिकॉग्नाइजेशन में सबकी तस्वीर पड़ी मिलेगी। वहां देखना, सर्च में डाल देना, कैमरा उसकी लोकेशन बता देगा।

आर्यमणि:– छोड़ेंगे कैसे...

अपस्यु:– आसान है.. हाथ में चाकू या ब्लेड न हो तो अपने पंजे से... जैसे दूसरे एयर टाइट पैक खोलते है।

आर्यमणि:– छोटे वैसे एक झोल है... यदि 20 लोग भिड़ लगाकर आयेंगे तब तो वो प्लास्टिक किनारे के लोगों को ही लपेटेगी, बीच के लोगों का क्या?

अपस्यु:– बड़े पलक झपकते ही जिन्हे चिपका दिया गया हो। जो अपनी उंगली तक को हिला नही पायेंगे, वह कितना देर पाऊं पर खड़े रहेंगे। अब जरा कल्पना करो। 100 लोगों की भिड़। कमांड दिये और पलक झपकते ही 20 लोग गिरे। फिर पलक झपके और फिर 20 लोग गिरे... फिर 20... और ऐसे ही, 10 –12 बार पलक झपकते ही काम खत्म...

आर्यमणि:– एक ही जगह पर होंगे तो कैसे काम खत्म। 5 इंच लंबे और 3 इंच चौड़ा शटर है। उसकी गहराई एक इंच से ज्यादा न होगी क्योंकि 3 इंच गहराई में मैकेनिकल काम भी हुआ है। उसके अलावा फ्लोर पर चलने से या दीवार को हाथ लगाने से कोई भी ट्रैपर बाहर न निकले, ये सिस्टम भी दिये होगे। तो एक जगह पर मात्र 2 प्लास्टिक होगा। हमला करने वाले रेंज में यदि 25 शटर हुये तब तो 10 लोग भी ट्रैप न होंगे।

अपस्यु:– बड़े ये कैसा कैलकुलेशन है? 25 शटर भी खुले तो 50 प्लास्टिक हुआ न...

आर्यमणि:– अच्छा और क्या गारंटी है कि एक के शरीर पर एक्स्ट्रा चादर न चढ़ेंगे। क्योंकि पलक झपकते उछल कर निकलने वाली चीज रिपीट होगी ही होगी।

अपस्यु:– बड़े तुम्हे क्या लग रहा है,उस पूरे घर में कितने ट्रैपर लगे होंगे..

आर्यमणि:– कितने... 500 या 1000...

अपस्यु:– 12लाख 85हजार 3सौ 72 (1285372) ट्रैपर लगे हैं। यदि 2 शिकार के ऊपर प्लास्टिक की चादर ओवरलैप कर गयी और वो ठीक से पैक न हो पाये, तो भी वो दूसरी बार में, तीसरी बार में कभी न कभी ट्रैप होंगे ही। पूरा काम करवाने में ऐसे ही नही मैने 1 करोड़ 56 लाख यूरो खर्च किये है।

आर्यमणि:– भारतीय रुपयों में बता...

अपस्यु:– 140 से 150 करोड़ के बीच...

आर्यमणि:– काफी ज्यादा खर्च हो गया छोटे। भरपाई करनी होगी। खैर कोई न... 8 मार्च को या तो सारा पैसा वसूल हो जायेगा। नही तो अपनी फिजूल खर्ची पर आंसू बहाने के लिये मैं न रहूंगा...

अपस्यु:– बड़े, ऐसा न कहो... कहो तो मैं भी अपनी टीम साथ ले लूं..

आर्यमणि:– नही छोटे... अभी सात्त्विक आश्रम के एक गुरु का भय उनके सामने आने दो। हम दोनो को उसने देख लिया तो दोनो के पीछे लग जायेंगे। मैं नही चाहता की आश्रम अब कमजोर हो।

अब तक जो मूक दर्शक बने आचार्य जी सुन रहे थे.... “गुरुजी फैसला तो सही है किंतु इसका परिणाम सोचा है। जर्मनी से निकल भी गये तो उसके बाद क्या होगा? मंत्र सिद्ध करने नही। कुंडलिनी चक्र जागृत नही करना और 6 करोड़ की आबादी से सीधा दुश्मनी। मुट्ठी भर लोग कितने भी ताकतवर क्यों न हो, अचानक उमरी भिड़ के आगे दम तोड़ ही देते है। तुम एक बार योजना बनाकर उन्हें मारने जा रहे हो लेकिन उसके बाद क्या? वो लोग हर पल तुम्हे मारने की योजना बनायेंगे... एक बात याद रखिए, बचने वाले को हर बार तकदीर की जरूरत पड़ती है लेकिन मारने वाले को बस एक मौका चाहिए। लागातार कोशिश के दौरान क्या उसका नसीब एक बार न लगेगा...

आर्यमणि:– इतनी जल्दी नही मारूंगा आचार्य जी। मैने अपने अभ्यास और मंत्र सिद्धि का स्थान ढूंढ लिया है। जर्मनी में आश्रम का अस्तित्व दिखाने के बाद मैं पूरी अल्फा टीम को लेकर ऐसे आइलैंड पर जाऊंगा जहां टेलीपोर्ट होकर भी नही आ सकते। वहीं मैं अपने अंदर के निहित ज्ञान को निखारूंगा और तब वापिस आऊंगा। तब तक आप लोग गुप्त रूप से सारा काम संभाल लोगे न।

अपस्यु:– मैं बेकार में चिंता कर रहा था। बड़े अच्छा सोचा है। यहां पर कुछ दिन के अभ्यास के बाद मैं भी दिल्ली निकल जाऊंगा। सही वक्त आ गया है।

आर्यमणि:– मेरी सुभकामनाएं है। चलो तो फिर युद्ध अभ्यास किया जाये।..

आचार्य जी दोनो के गले में (आर्यमणि और अपस्यु) अभिमंत्रित मणि की माला डालकर.... “अब आश्रम की पूरी जिम्मेदारी आप दोनो पर है।”.... फिर आर्यमणि के हाथ में एनर्जी फायर (एनर्जी स्टोन से बनी वही माला जिसमे जादूगर महान की आत्मा कैद थी) रखते.... “इसे अपने बाजुओं में धारण कर लीजिए। जब भी किसी को ताकत का भय दिखाना हो अथवा कहीं भिड़ में घिरे हो, आपको पता ही क्या करना है। अब अभ्यास शुरू कीजिए।”

अगले 7 दिनो तक अभ्यास चला। कैलाश पर्वत के मार्ग पर जमा देने वाली ठंडी और ऊबड़–खाबड़ पर्वतों के पथरीली जमीन पर चलती तेज तूफानों के बीच आत्मा तक को थका देने वाला अभ्यास चला। तेज हवाएं कदमों को लड़खड़ाने पर मजबूर कर दे। पर्वत के संकड़े आकर और उसका ऊबड़–खाबड़ होना, कदम को ठहरने न दे। कई तरह के जहरीले हर्ब और नशीले पदार्थ जब श्वांस द्वारा अंदर शरीर में जाता, तब बचा संतुलन भी कहीं हवा हो जाता। ऐसे विषम परिस्थिति में दोनो नंगे पाऊं अभ्यास कर रहे थे।

एक बार जब अभ्यास शुरू हुआ, फिर न तो रुके और न ही खुद को थकने दिया। ना ही सोए और न ही नींद को खुद पर हावी होने दिया। न भूख लगी न प्यास। रक्त से भूमि लाल होती रही, किंतु कदम रुके नहीं। बस एक दूसरे के साथ लड़ते रहे, अभ्यास करते रहे।

7 दिन बाद जब अभ्यास विराम हुआ, दोनो सीधा पर्वत के संकड़ी भूमि पर गिर गये। गिरे भी ऐसे की सीधा हजार फिट नीचे खाई की गोद में आराम करते। किंतु दोनो सिर्फ इतने होश में की एक दूसरे का हाथ थाम लिया। संकरे पर्वत के एक ओर आर्यमणि तो दूसरी ओर अपस्यु लटक रहा था। और अचेत अवस्था में भी दोनो के हाथ छूटे नहीं।

दोनो की जब आंखे खुली, दोनो आश्रम में लेटे थे। होश तो आ गया था, किंतु शरीर को अभी और आराम की जरूरत थी। 3 दिन फिर दोनो ने पूर्ण रूप से आराम किया। पौष्टिक सेवन और तरह–तरह की जादीबूटीयों से शारीरिक ऊर्जा और क्षमता को एक अलग ही स्तर दिया जा चुका था।

2 मार्च को दोनो (आर्यमणि और अपस्यु) आचार्य जी से विदा ले रहे थे। आर्यमणि, गुरु निशि और उनके शिष्य को जिंदा जलाने वालों के साजिशकर्ता एलियन से हिसाब लेने निकल रहा था, तो वहीं अपस्यु गुरु निशि और अपने सहपाठियों के कत्ल को जिन्होंने अंजाम दिया था, उनसे हिसाब लेने निकल रहा था। आर्यमणि और अपस्यु गले मिलकर एक दूसरे से विदा लिये।

संन्यासी शिवम् संग आर्यमणि 3 मार्च को अल्फा पैक से मिल रहा था। सभी फ्रांस की राजधानी पेरिस में थे। पेरिस के एक बड़े से होटल का ऊपरी मंजिल इन लोगों ने बुक कर रखा था। ऊपरी मंजिल पर 5 वीआईपी स्वीट्स थे। एक स्वीट में इनका डिवाइस और ऑपरेटिंग सिस्टम था। बाकी के 4 स्वीट्स में से एक निशांत, एक अलबेली, ओजल और रूही का था। एक इवान का और एक आर्यमणि के लिये छोड़ रखा था।

थे तो सबके अलग–अलग स्वीट्स, लेकिन पूरा अल्फा पैक रूही वाले स्वीट्स में ही था और सब मिलकर निशांत पर अत्याचार कर रहे थे। अंतर्ध्यान होकर आर्यमणि और संन्यासी शिवम् वहीं पहुंचे। चारो ओर सिरहाने की रूई फैली हुई थी। बिस्तर का पूरा चिथरा उड़ा हुआ था। स्वीट में रखे सोफे को नोच डाले थे। और उसी नोचे हुये सोफे पर निशांत लेटा था। अलबेली और रूही उसके दोनो हाथ पकड़े थे। ओजल और इवान उसके दोनो पाऊं और निशांत के तेज–तेज चिल्लाने की आवाज... “जालिम वुल्फ्स तुम सब मिलकर मेरा शिकार नही कर सकते”...

“यहां हो क्या रहा है?”.... आर्यमणि वहां का नजारा देखकर पूछने लगा...

निशांत:– मेरे दोस्त तू आ गया। भाई जान बचा ले वरना आज तो तेरा दोस्त गियो...

आर्यमणि:– यहां हो क्या रहा है। तुमलोग निशांत को ऐसे पकड़ क्यों रखे हो...

रूही:– जान तुम जरा दूर ही रहो। पहले हमारा काम हो जाने दो फिर बात करते है।

आर्यमणि:– अभी के अभी उसे छोड़ दो। मस्ती मजाक का समय समाप्त हो गया है, अब हमें काम पर ध्यान देंगे...

रूही:– हमारा समय अभी समाप्त नहीं हुआ है।

आर्यमणि:– पर हुआ क्या वो तो बताओ?

रूही:– वो मैं नही बता सकती।

आर्यमणि:– जो भी पहले बताएगा वो मेरे साथ एक्शन करेगा...

“रूही ने कॉलर पकड़कर निशांत का होंठ निचोड़ चुम्मा ले ली।"..... “दीदी ने निशांत को फ्रेंच किस्स किया”... “पहले मैने कहा”... “पहले मैं बोली”... “पहले मैं बोली”...

अलबेली, ओजल और इवान ने एक ही वक्त में मामला बता दिया। बताने के बाद तीनो में “पहले मैं, पहले मैं” की जंग छिड़ चुकी थी और आर्यमणि... वह मुंह छिपाकर हंस रहा था।
Fadu updates🎉👍
 
Top