कहते हैं मनुष्य का नेचर,  कैरेक्टर और सिग्नेचर खूब ज्यादा चेंज नही होता लेकिन कभी कभी हालात ऐसे हो जाते हैं कि नेचर और कैरेक्टर चेंज ही नहीं बल्कि बहुत ज्यादा चेंज हो जाते हैं। जब किसी अपने को असीम दर्द खुद की वजह से ही हो जाए...जब खुद की वजह से कोई बड़ी हानि पंहुचे ...जब खुद को बदलना ही अवश्यंभावी हो जाए,  तो मनुष्य बदल ही जाते हैं।
आर्य का शेप शिफ्टिंग पर कंट्रोल की वजह यही थी। अपने इन्द्रियों पर कंट्रोल करना भागीरथ प्रयत्न जैसा ही है। भीषण तपस्या और कठोर लगन की जरूरत पड़ती है। जानते समझते हुए भी ओशुन खुद को बुरी तरह चोटिल पंहुचा कर आर्य को सही शिक्षा दे गई।
आर्य प्रेम के मामले मे बहुत सौभाग्यशाली है। मैत्री ने उसके प्रेम मे खुद को कुर्बान कर दिया और ओशुन ने सारी दीवारें और बन्धन तोड़कर उसे प्रेम का पाठ पढ़ा दिया। यह जानते हुए भी कि इस का अंजाम क्या होगा!
प्रेम की भाषा इंसान ही नही बल्कि जानवर भी समझते हैं। लेकिन जिस तरह इंसानों को प्रेम के कसौटी पर परखा जाता है उस तरह जानवरों मे नही होता। ईडन ने तो इंसानों को भी इस मामले मे पीछे छोड़ दिया ।
अद्भुत अपडेट नैन भाई।
नवरात्र,  दीपावली और छठ पर्व पर आपको हार्दिक बधाई।