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Fantasy Aryamani:- A Pure Alfa Between Two World's

nain11ster

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भाग:–47






आर्यमणि अपने माता-पिता और अपनी मौसेरी बहन के अभिनय को देखकर अंदर ही अंदर नमन किया और वो भी सामान्य रूप से, बिना किसी बदलाव के सबसे बातें करता रहा। कुछ ही देर बाद पार्टी शुरू हो गई थी। उस पार्टी में आर्यमणि शिरकत करते एक ही बात नोटिस की, यहां बहुत से ऐसे लोग थे जिनकी भावना वो मेहसूस नहीं कर सकता था।


उनमें ना केवल पलक थी बल्कि कुछ लोगों को छोड़कर सभी एक जैसे थे। आर्यमणि आश्चर्य से उन सभी के चेहरे देख रहा था तभी पीछे से पलक ने उसके कंधे पर हाथ रखी। काले और लाल धारियों वाली ड्रेस जो उसके बदन से बिल्कुल चिपकी हुई थी, ओपन शोल्डर और चेहरे का लगा मेकअप, आर्यमणि देखते ही अपना छाती पकड़ लिया… "क्या हुआ आर्य"..


आर्यमणि:- श्वांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो रही है, यहां से चलो।


पलक, कंधे का सहारा देती, हड़बड़ी में उसके साथ निकली। दोनो चल रहे थे तभी आर्य को एक पैसेज दिखा और उसने पलक का हाथ खींचकर पैसेज की दीवार से चिपका दिया, और अपने होंठ आगे ही बढ़ाया ही था… "क्या कर रहे हो आर्य, यहां कोई आ जाएगा।"..


आर्यमणि उसके बदन की खुशबू लेते…. "आह्हहह ! तुम मुझे दीवाना बना रही हो पलक।"..


पलक:- हीहीहीहीही… कंट्रोल किंग, आप तो अपनी रानी को देखकर उतावले हो गये।


आर्यमणि आगे कोई बात ना करके अपने होंठ आगे बढ़ा दिया, पलक भी अपने बदन को ढीला छोड़ती, उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी। दोनो एक दूसरे के होंठ का स्पर्श पाकर एक अलग ही दुनिया में थे। तभी गले की खराश से दोनो का ध्यान टूटा…. "इतना प्रोग्रेस, लगता है तुम दोनो की एंगेजमेंट भी जल्द करवानी होगी।"..


आर्यमणि का ध्यान टूटा। दोनो ने जब सामने नम्रता को देखा तब झटके के साथ अलग हो गए। आर्यमणि, नम्रता के इमोशंस को साफ पढ़ सकता था, उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ और वो गौर से उसे देखने लगा… नम्रता हंसती हुई उसके बाल बिखेरते…. "पलकी संभाल इसे, ये तो मुझे ही घूरने लगा।"


पलक:- दीदी आप लग ही इतनी खूबसूरत रही हो। किसी की नजर थम जाए।


नम्रता:- और तुम दोनो जो ये सब कर रहे थे हां.. ये सब क्या है?


पलक:- इंसानी इमोशन है दीदी अपने पार्टनर को देखकर नहीं निकलेगा तो किसे देखकर निकलेगा।


आर्यमणि:- हमे चलना चाहिए।


दोनो वहां से वापस हॉल में चले आये। पलक आर्यमणि के कंधे पर अपने दोनो हाथ टिकाकर, चुपके से उसके गाल पर किस्स करती… "तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया आर्य। लेकिन ऐसा लगता है जैसे मैंने तुम्हारी वाह-वाही अपने नाम करवा ली है।"


आर्यमणि:- तुम भी तो मै ही हूं ना। तुम खुश तो मै खुश।


पलक, आर्यमणि के गाल खींचती… "लेकिन तुम तो यहां खुश नजर नहीं आ रहे आर्य। बात क्या है, किसी ने कुछ कह दिया क्या?"


आर्यमणि, पलक के ओर देखकर मुस्कुराते हुए… "चलो बैठकर कुछ बातें करते है।"


पलक:- हां अब बताओ।


आर्यमणि:- तुम्हे नहीं लगता कि मेरे मौसा जी थोड़े अजीब है। और साथ ने तुम्हारे पापा भी.. सॉरी दिल पर मत लेना..


यह सुनते पलक के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा… "आर्य, खुलकर कहो ना क्या कहना चाहते हो।"..


आर्यमणि:- मैंने भारतीय इतिहास की खाक छान मारी। आज से 400 वर्ष पूर्व युद्ध के लिये केवल 12 तरह के हथियार इस्तमाल होते थे। अनंत कीर्ति के पुस्तक को खोलने के लिए जो शर्तें बताई गई है वो एक भ्रम है। और मै जान गया हूं उसे कैसे खोलना है। या यूं समझो की मै वो पुस्तक सभी लोगो के लिये खोल सकता हूं।


पलक, उत्सुकता से… "कैसे?"


आर्यमणि:- तुम मांसहारी हो ना। ना तो तुम्हे विधि बताई जा सकती है ना अनुष्ठान का कोई काम करवाया जा सकता है। बस यूं समझ लो कि वो एक शुद्ध पुस्तक है, जिसे शुद्ध मंत्र के द्वारा बंद किया गया है। 7 से 11 दिन के बीच छोटे से अनुष्ठान से वो पुस्तक बड़े आराम से खुल जायेगी। पुस्तक पूर्णिमा की रात को ही खुलेगी और तब जाकर लोग उस कमरे में जाएंगे, पुस्तक को नमन करके अपनी पढ़ाई शुरू कर देंगे।


पलक:- और यदि नहीं खुली तो..


आर्यमणि:- दुनिया ये सवाल करे तो समझ में आता है, तुम्हारा ऐसा सवाल करना दर्द दे जाता है। खैर, मुझे कोई दिलचस्पी नहीं उस पुस्तक में। मै बस सही जरिया के बारे में जब सोचा और मौसा जी का चेहरा सामने आया तो हंसी आ गयि। हंसी आयि मुझे इस बात पर की जिस युग में युद्ध के बड़ी मुश्किल से 12 हथियार मिलते हो, वहां 25 अलग-अलग तरह के हथियार बंद लोग। फनी है ना।


पलक, आर्यमणि के गाल को चूमती…. "तुम तो यहां मेरे प्राउड हो। सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन जब हम अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे तब इन लोगो को एक बार और हम पर प्राउड फील होगा।"


आर्यमणि, हैरानी से उसका चेहरा देखते हुए… "पर ऐसा होगा ही क्यों? मौसा जी से कल मै इस विषय में बात करूंगा और किसी सुध् साकहारी के हाथो पूरे अनुष्ठान की विधि को बता दूंगा। वो जाने और उनका काम।"… कहते हुए आर्यमणि ने पलक को बाहों में भर लिया..


पलक अपनी केवाहनी आर्यमणि के पेट में मारती… "लोग है आर्य, क्या कर रहे हो।"


आर्यमणि:- अपनी रानी के साथ रोमांस कर रहा हूं।


पलक:- कुछ बातें 2 लोगों के बीच ही हो तो ही अच्छी लगती है। वैसे भी इस वक़्त तुम्हारी रानी को इंतजार है तुम्हारे एक नए कीर्तिमान की। यूं समझो मेरे जीवन की ख्वाहिश। बचपन से उस पुस्तक के बारे में सुनती आयी हूं, एक अरमान तो दिल में है ही वो पुस्तक मैं खोलूं, इसलिए तो 25 तरह के हथियारबंद लोगो से लड़ने की कोशिश करती हूं।


आर्यमणि:- ये शर्त पूरी करना आसान है। बुलेट प्रूफ जैकेट लो और उसके ऊपर स्टील मेश फेंसिंग करवाओ सर पर भी वैसा ही नाईट वाला हेलमेट डालो। बड़ी सी भाला लेकर जय प्रहरी बोलते हुए घुस जाओ…


पलक:- कुछ तुम्हारे ही दिमाग वाले थे, उन्होंने तो एक स्टेप आगे का सोच लिया था और रोबो सूट पहन कर आये थे। काका हंसते हुए उसे ले गये पुस्तक के पास और सब के सब नाकाम रहे। क्या चाहते हो, इतनी मेहनत के बाद मै भी नाकामयाब रहूं।


आर्यमणि:- विश्वास होना चाहिए, कामयाबी खुद व खुद मिलेगी।


पलक:- विश्वास तो है मेरे किंग। पर किंग अपनी क्वीन की नहीं सुन रहे।


आर्यमणि:- हम्मम ! एक राजा जब अपने रानी के विश्वास भरी फरियाद नहीं सुन सकता तो वो प्रजा की क्या सुनेगा.. बताओ।


पलक:- सब लोग यहां है, चलो उस पुस्तक को चुरा लेंगे, और फिर 7 दिन बाद सबको सरप्राइज देंगे।


आर्यमणि:- इस से अच्छा मैं मांग ना लूं।


पलक:- काका नहीं देंगे।


आर्यमणि:- हां तो मैं नहीं लूंगा।


पलक:- तुम्हारी रानी नाराज हो जायेगी।


आर्यमणि:- रानी को अपने काबू में रखना और उसकी नजायज मांग पर उसे एक थप्पड़ लगाना एक बुद्धिमान राजा का काम होता है।


आर्यमणि अपनी बात कहते हुए धीमे से पलक को एक थप्पड़ मार दिया। कम तो आर्यमणि भी नहीं था। जब सुकेश भारद्वाज की नजर उनके ओर थी तभी वो थप्पड़ मारा। सुकेश भारद्वाज दोनो को काफी देर से देख भी रहा था, थप्पड़ परते ही वो आर्यमणि के पास पहुंचा…. "ये क्या है, तुम दोनो यहां बैठकर झगड़ा कर रहे।"..


पलक, अपने आंख से 2 बूंद आशु टपकाती…. "काका जिस काम से 10 लोगों का भला हो वो काम के लिए प्रेरित करना क्या नाजायज काम है।"..


सुकेश:- बिल्कुल नहीं, क्यों आर्य पलक के कौन से काम के लिए तुम ना कह रहे हो।


"मौसा वो"… तभी पलक उसके मुंह पर हाथ रखती… "काका इस से कहो कि मेरा काम कर दे। मेरी तो नहीं सुना, कहीं आपकी सुन ले।"..


सुकेश:- शायद मै अपनी एक ख्वाहिश के लिए आर्य से जिद नहीं कर सका, इसलिए तुम्हारे काम के लिए भी नहीं कह पाऊंगा। लेकिन, भूमि को तो यहां भेज ही सकता हूं।


आर्यमणि, अपने मुंह पर से पलक का हाथ हटाकर, अपने दोनो हाथ जोड़ते झुक गया… "किसी को भी मत बुलाओ मौसा जी, मै कर दूंगा चिंता ना करो। और हां आपने अपनी ख्वाहिश ना बता कर मुझे हर्ट किया है। मै कोई गैर नहीं था, आप मुझसे कह सकते थे, वो भी हक से और ऑर्डर देकर। चलो पलक"..


पलक के साथ वो बाहर आ गया। पलक उसके कंधे और हाथ रखती…. "इतना नहीं सोचते जिंदगी में थोड़ा स्पेस देना सीखो, ताकि लोगों को समझ सको। अभी तुम्हारा मूड ठीक नहीं है, किताब के बारे में फिर कभी देखते है।"


आर्यमणि:- लोग अगर धैर्य के साथ काम लेते, तब वो पुस्तक कब का खुल चुकी होती। मेरी रानी, 7 दिन के अनुष्ठान के लिए तैयारी भी करनी होती है। 2 महीने बाद गुरु पूर्णिमा है। क्या समझी..


पलक:- लेकिन आर्य, उस दिन तो राजदीप दादा और नम्रता दीदी की शादी है...


आर्यमणि:- हां लेकिन वह शुभ दिन है। पुस्तक खोलने के लिए देर रात का एक शानदार मुहरत मे पुस्तक खोलने की कोशिश करूंगा।


पलक:- 7 दिन बाद भी तो पूर्णिमा है..


आर्यमणि:- रानी को फिर भी 2 महीने इंतजार करना होगा। चलो अन्दर चलते है और हां एक बात और..


पलक:- क्या आर्य...


आर्यमणि:- लव यू माय क्वीन...


पलक:- लव यू टू माय किंग...


आर्यमणि, पलक के होंठ का एक छोटा सा स्पर्श लेते… "चलो चला जाए।


आर्यमणि रात के इस पार्टी के बाद सीधा ट्विंस के जंगल में पहुंचा, जहां चारों उनका इंतजार कर रहे थे। आर्यमणि चारो को सब से खुशखबरी देते हुए बताया.… "2 महीने तक कोई प्रहरी उन्हे परेशान नहीं करने वाला। वो इस वक्त नहीं चाहेंगे कि आर्यमणि अपने पैक के सोक मे रहे, इसलिए यहां तुम सब प्रहरी से मेहफूज हो।"


फिर बात आगे बढ़ाते हुए आर्यमणि उन्हे चेतावनी देने लगा... "प्रहरी कुछ नहीं करेंगे इसका ये मतलब नहीं कि हम सुस्त पड़ जाएं। मानता हूं, तुम सब ने बहुत कुछ झेला है। लेकिन मेरे लिए बस 2 महीने और कष्ट कर लो। अगले 2 महीने तक शरीर को बीमार कर देने वाली ट्रेनिंग, खून जला देने वाली ट्रेनिंग। बिना रुके और बेहोशी में भी केवल ट्रेनिंग। एक बात और, एक शिकारी भी आयेगी तुम सब को प्रशिक्षित करने, कोई काट मत लेना उसे। रूही, मै रहूं की ना रहूं, तुम्हे सब पर नजर बनाए रखनी है"…


रूही:- बॉस 3 टीन वूल्फ की जिम्मेदारी.…. इतने हॉट फिगर वाली लड़की को इतने बड़े बच्चों की मां बना दिये।


आर्यमणि उसे घूरते हुए वहां से निकल गया। आर्यमणि ने अब तो जैसे यहां से दूर जाने की ठान ली हो। मुंबई प्रहरी समूह का नया चेहरा स्वामी भी गुप्त रूप से जांच करने नागपुर पहुंच चुका था। दरअसल वो यहां कुछ पता करने नहीं आया था, बल्कि अपने और भूमि के बीच के रिश्ते को नया रूप देने आया था, ताकि आगे की राह आसान हो जाए।


इसी संदर्व मे जब वो भूमि से मिला और आर्यमणि के महत्वकांछी प्रोजेक्ट, "आर्म्स डेवलपमेंट यूनिट" के बारे में सुना, उसने तुरंत प्रहरी की मीटिंग में उसे "प्रहरी समुदाय महत्वकांछी प्रोजेक्ट" का नाम दिया, जिसे एक गैर प्रहरी, आर्यमणि अपनी देख रेख मे चलाता और उसके साथ प्रहरी की उसमे भागीदारी रहती। पैसों कि तो इस समुदाय के पास कोई कमी थी नहीं। आर्यमणि ने जो छोटा प्रारूप के मॉडल को इन सबके सामने पेश किया। उस छोटे प्रारूप को कई गुना ज्यादा बढ़ाकर एक पूरे क्षमता वाले प्रोजेक्ट के रूप में गवर्नमेंट के पास एप्रोवल के लिए भेज दिया गया था।


शायद एप्रोवाल मे वक्त लगता, लेकिन गवर्नमेंट को सेक्योरिटीज अमाउंट दिखाने के लिए आर्यमणि के पास कई बिलियन व्हाइट मनी उसके कंपनी अकाउंट में जमा हो चुके थे। देवगिरी भाऊ अलग से अपनी कुल संपत्ति का 40% हिस्सा आर्यमणि को देने का एनाउंस कर चुके थे।


हालांकि इस घोसना के बाद मुंबई की लॉबी में एक बार और फुट पड़ने लगी थी। लेकिन अमृत पाठक सबको धैर्य बनाए रखने और धीरेन पर विश्वास करने की सलाह दिया। उसने सबको केवल इतना ही समझाते हुए अपना पक्ष रखा.… "स्वामी, प्रहरी के मुख्यालय, नागपुर में है। इतना घन कुछ भी नहीं यदि वो प्रहरी भारद्वाज को पूरे समुदाय से साफ कर दे। एक बार वो लोग चले गये फिर हम सोच भी नहीं सकते उस से कहीं ज्यादा पैसा हमारे पास होगा"…


मूर्ख लोग छोटी साजिशों से बस भूमि की मुश्किलें बढ़ाने से ज्यादा कुछ नहीं कर रहे थे। लेकिन इन सब को दरकिनार कर भूमि और आर्यमणि दोनो जितना वक्त मिलता उतने मे एक दूसरे के करीब रहते। आर्यमणि भूमि के पेट की चूमकर, मुस्कुराते हुए अक्सर कहता... "हीरो तेरे जन्म के वक्त मै नहीं रहूंगा लेकिन तू जब आये तो मेरी भूमि दीदी को फिर मेरी याद ना आये"…


भूमि लेटी हुई बस आर्यमणि की प्यारी बातों को सुन रही होती और उसके सर पर हाथ फेर रही होती। कई बार आर्यमणि कई तरह की कथाएं कहता, जिसे भूमि भी बड़े इत्मीनान से सुना करती थी। कब दोनो को सुकून भरी नींद आ जाती, पता ही नहीं चलता था।


आर्यमणि कॉलेज जाना छोड़ चुका था और सुबह से लेकर कॉलेज के वक्त तक अपने पैक के साथ होता। उन्हे प्रशिक्षित करता। अलग ही लगाव था, जिसे आर्यमणि उनसे कभी जता तो नहीं पता लेकिन दिल जलता, जब उसे यह ख्याल आता की शिकारी कितनी बेरहमी से एक वूल्फ पैक को आधा खत्म करते और आधा को सरदार खान के किले में भटकने छोड़ देते।


उसे ऐसा मेहसूस होता मानो किसी परिवार को मारकर उसके कुछ लोग को रोज मरने के लिए किसी कसाई की गली छोड़ आये हो। रूही और अलबेली मे आर्यमणि के गुजरे वक्त की कड़वी यादें दिखने लगती। हां लेकिन उन कड़वी यादों पर मरहम लगाने के लिए चित्रा, निशांत और माधव थे। उनके बीच पलक भी होती थी और कुछ तो लगाव आर्यमणि का पलक के साथ भी था।
 
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nain11ster

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Bramashtra ke story se bahut badhiya yahi story thi...salo Bollywood ke andho ishq rishk par 400 carore lagate to badhiya hota...pata nhi kis jhandu ne wo bramashtra likha tha...ghatiya movie..kisi bhi kirdar ko wo purn bhumika nhi de paya tha...Kya writer banega re wo...
250 rs duba hai Bhai popcorn ke 100 rupaye.. itne me to prime membership le leta...
Kya kah dun main ispar... Sirf itna hi ki maine salo pahle bollywood movie dekhna chhod chuka... I think my last movie was wanted ... Aur baad me jab pata chala ki movie remake hai.. fir dil toot gaya... Laga yaar jise itna chaha wo to churaya hua maal nikla fir uske baad jab remake me ghusa tab YouTube walon ne chori ki movie bhi poori bata di.. uske baad fir kabhi cinemahall nahi gaya... Warna mujhe hall me movie dekhna bahut pasand tha... A
 
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Kya kah dun main ispar... Sirf itna hi ki maine salo pahle bollywood movie dekhna chhod chuka... I think my last movie was wanted ... Aur baad me jab pata chala ki movie remake hai.. fir dil toot gaya... Laga yaar jise itna chaha wo to churaya hua maal nikla fir uske baad jab remake me ghusa tab YouTube walon ne chori ki movie bhi poori bata di.. uske baad fir kabhi cinemahall nahi gaya... Warna mujhe hall me movie dekhna bahut pasand tha... A
koi na bhaiya ab chale jana bhabhi ke saath :vrumvrum:....aur me bhot logo ke post dekh raha hu apki shaadi ka jikr hai abhi kabhi huyi thi kya ? Maafi chahunga tha nhi us time .....To you and bhabhi, I wish that you would never grow tired of marveling at and falling in love with each other and may your home be filled to the brim with love and happiness:celebconf::congrats:
aur shadi ki party aur laddu :innocent:
 
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nain11ster

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Aur to ye mahajanika surpmarich ki ek rakhil hai....Mai kahu ki ye sab siddh prapt takat kaha se usse mili...mahajanika to ek pyada nikli be...
Mahajanika ... Rakhail... Apne shabdon par thoda viram dijiye... Wo jis samuday se aati hai... Uska naam richh hai.... Jis time line me Mahajanika ne janm liya... Surpmarich ka astitv bhi hoga kya... Kahin bhi Mahajanika ka jikr tha kya udhar... Jis chutiye ko viprit duniya se aane ke liye poore brahmand me kendr banane pade.. uska mukabla aise se kar rahe jo parellel world me teleportation kar sakti hai...

Jao bhai pogo dekho.... Dimag lagana tumhare bus ki baat nahi
 
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Anubhavp14

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Bhai Mai to sabse pahale bol Diya tha sab nikmme aur papi hai...iss baat par nain11ster sir ke pet me chuhe chhalange marate the ki nhi baap beta ka pyar andha hota hai, sab sahi hai sab bahut achchhe hai...lekin Mai jaan gaya tha ki jis story me apsyu aayega waha sabhi papo me doob jayenge...uss apsyu ke bas camiyo se hi ek unclassified viggo sigma Jo bas ek stri ki chahat me jeeta aur Marta hai wo hawas me doob gaya tha...ham sabki pyari jivisha uss nich apasyu ke samane nanga nach Karne lagi thi( kaise padha aur dekha tha uss anarth hote hue ye Mera dil janta hai , pura anadar se jala tha hu aur rahunga)...sab baat ka moral ye hai ki ye pakhandi apsyu jaha jayega waha hawas ka nanga nach hoga hi ...apne gaddari karnege hi...kyoki iss apasyu ka pap itna hai ki usske aane ke purwanuman se hi log 20 sal pahale hi pap Karne lag jate hai...itna uske pap ka prabhav hai...
Sabse pehle to namastey ...... apka post padha aur apke dil ka haal samjhta hu kuch character ke saath attachment ho hi jata hai ....jesa apko nishcal aur jivisha se hai ..... wesa hi mera Apsyu aur Avni aka amy se hai..... to apke post ka me reply jarur dunga... aur haa jab ishq risk part 2 me ye jivisha aur apsyu wala update aya tha to me bhi us time padh raha tha aur thoda bura mujhe bhi laga tha lekin bhai ....agar apne bhavnr padhi hai aur aap ek acche reader ho to apko uska character smjh aa jata kis tarha nainu bhaiya usko dikha rahe the aur wo jo scene hai aap usko apsyu ki najar se dekhte to aap jis jalan me jal rahe ho ...wesa kuch nhi hota ..... aur ye baat sirf ek character ke liye nhi real life me bhi insaan par lagu hoti hai .... insaan ka dil me koi khot nhi ho man saaf ho aur wo adhyatm se juda ho to fir apke samne bhi koi si bhi ladki kitni hi sundar bina kapdo ke aa jaye aapke liye wo sirf had maans ki body hi rahegi jab tak apke man me koi galat khayal nhi aate uske prati....aur rahi apsyu ne nischal se uski power le li thi kyu ki usne bekasoor logo ki hatya ki thi to usko dikhane ka ek hi matlab tha ki aap bhale hi ache ho ya bure bekasoor logo ko maaroge to saja to milegi ache ho to kuch aziz chiz apse chiin li jayegi aur bure ho to apki jaan ya fir jese apke karma ho .....aur me bhi karmo par bhot believe karta hu......... aur rahi baat lust dikhane ki story me to jab aap ek negative logo ko dikhana negative shade laana ho to ye sab dikhana padta hai aur jo ki hota bhi hai real life me ....aap khud bhi samjhdar ho aur news pr bhi dekhne ko kitne kisse milte hai agar yaad ho to Bihar ka muzaffarpur shelter home case kitne hi ameer log govt ke officers aur MLA bhi fase the.........aur sabse best to aap mahabharat me dekh lo jab paandav haar gaye the to Kaurvo ne bhi draupadi ka cheerharan ki kosis kari thi aur agar mythology aap padho to apko pata chalega ki pandav log bhi nark gaye the sirf Yudhistar ji ko chodh kr ...........aur nischal ko kisi aur ke saath intimate relationship dikhana to bhai simple hai kisi ki bhi memory agar chali jaaye to aap usse ye kese expect kar sakte ho ki wo memory jaane ke pehle jesa tha wesa hi memory jane ke bad ho..... esa case dekhne ko nhi milte normal life me to me example nhi de sakta tha lekin aap khud hi sochiye....khair me apko jese smjha sakta tha kosis kari bura laga ho to maaf karna aur ek baat aur story hai to usko wese hi padho .... mazak ke liye ye sab chal jata hai lekin ek hi ciz ko man me rakh kr baar baar usi ko laa ke saamne wale ko bolna ( nainu bhaiya ko) wo acha nhi hai .....
 
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Lib am

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सीन 6
पहले मुझे लगा था, सरदार को मारकर जब मैं वापस आऊंगा तो तुम मुझे प्रहरी का गलेंटरी अवॉर्ड दिलवा दोगी। तुमने तो किताब चोर बना दिया। खैर, तुमने जो मुझे इस किताब तक पहुंचाने रिस्क लिया और मुझ पर भरोसा जताया उसके लिए तहे दिल से शुक्रिया। मैं तुम्हारे भरोसे को टूटने नहीं दूंगा। एक दिन यह किताब खोलकर रहूंगा।"
पलक:- सब लोग यहां है, चलो उस पुस्तक को चुरा लेंगे, और फिर 7 दिन बाद सबको सरप्राइज देंगे।
तो पलक रानी ने अपनी चाल चल ही दी है मगर वो भूल गई की जिसके साथ चाल चल रही है वो खुद ऐसे शतरंज के खेल का निर्माण करता है। ये प्रहरी वो पुस्तक नही खोल पाए इसलिए वो आर्य को मोहरा बना रहे है पर आर्य तो खुद इस खेल को नियंत्रित कर रहा है।

मगर एक बात जो चौकाने वाली थी वो ये कि पलक उस गुप्त प्रहरी संस्था, जो सरदार खान के किले पर रंगरलियां मानता था, उसकी सदस्य है मगर नम्रता नही और शायद राजदीप भी नही क्योंकि आर्य पलक की भावनाओ को नही पढ़ पता मगर नम्रता की भावनाओ को पढ़ पा रहा था। तो ये उज्ज्वल, सुकेश, अक्षरा और मीनाक्षी क्या गेम खेल रहे है।

तो क्या पलक भी आर्य के साथ नाटक कर रही है और ये प्यार, लगन सब एक धोखा है या फिर आर्य को जान कर पलक के दिल में सच में कुछ भावनाएं जागी है? वैसे भी कहानी में अगले दो महीनो में बहुत कुछ होने वाला है तो देखते है nain11ster भाई क्या कांड करवाते है अगले अपडेट में।

एक बहुत ही इंटरेस्टिंग बात ये है कि आर्य के 4 के पैक में 3 तो भाई बहन ही है।

nain11ster भाई जब एक टू अल्फा किसी बीस्ट अल्फा को मारता है तो क्या उस बीस्ट अल्फा की पावर उस ट्रु अल्फा को मिलती है या नही?
 
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nain11ster

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Bhai Mai to sabse pahale bol Diya tha sab nikmme aur papi hai...iss baat par nain11ster sir ke pet me chuhe chhalange marate the ki nhi baap beta ka pyar andha hota hai, sab sahi hai sab bahut achchhe hai...lekin Mai jaan gaya tha ki jis story me apsyu aayega waha sabhi papo me doob jayenge...uss apsyu ke bas camiyo se hi ek unclassified viggo sigma Jo bas ek stri ki chahat me jeeta aur Marta hai wo hawas me doob gaya tha...ham sabki pyari jivisha uss nich apasyu ke samane nanga nach Karne lagi thi( kaise padha aur dekha tha uss anarth hote hue ye Mera dil janta hai , pura anadar se jala tha hu aur rahunga)...sab baat ka moral ye hai ki ye pakhandi apsyu jaha jayega waha hawas ka nanga nach hoga hi ...apne gaddari karnege hi...kyoki iss apasyu ka pap itna hai ki usske aane ke purwanuman se hi log 20 sal pahale hi pap Karne lag jate hai...itna uske pap ka prabhav hai...
Aaila ye kab likha dekha hi nahi..... Pogo channel dekh kar aaye bacchon se anurodh hai ki wo comedy & romance hi padhe... Thrill & suspense jhelna unke bus ki baat nahi.... Pahle khud ko us kabil bana le ki suspense ko pacha sake aur kahani ke mood ko samajh sake.... Chatecter ko samjhna to abhi bahut dur yani ki mil ka patthar hai....

Kuch abhadr bcchon ko choclet na milne par jaise gaali gloch par utar aate hain.... Thik waise hi bachkani harkat aapme dikhti hai..

Aapse anurodh hai ki contact Chutiyadr ... Adultary king ke nam se mashhur, aaj kal aap jaise bacchon ko mature banate hai...
 

arish8299

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आर्यमणि अपने माता-पिता और अपनी मौसेरी बहन के अभिनय को देखकर अंदर ही अंदर नमन किया और वो भी सामान्य रूप से, बिना किसी बदलाव के सबसे बातें करता रहा। कुछ ही देर बाद पार्टी शुरू हो गई थी। उस पार्टी में आर्यमणि शिरकत करते एक ही बात नोटिस की, यहां बहुत से ऐसे लोग थे जिनकी भावना वो मेहसूस नहीं कर सकता था।


उनमें ना केवल पलक थी बल्कि कुछ लोगों को छोड़कर सभी एक जैसे थे। आर्यमणि आश्चर्य से उन सभी के चेहरे देख रहा था तभी पीछे से पलक ने उसके कंधे पर हाथ रखी। काले और लाल धारियों वाली ड्रेस जो उसके बदन से बिल्कुल चिपकी हुई थी, ओपन शोल्डर और चेहरे का लगा मेकअप, आर्यमणि देखते ही अपना छाती पकड़ लिया… "क्या हुआ आर्य"..


आर्यमणि:- श्वांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो रही है, यहां से चलो।


पलक, कंधे का सहारा देती, हड़बड़ी में उसके साथ निकली। दोनो चल रहे थे तभी आर्य को एक पैसेज दिखा और उसने पलक का हाथ खींचकर पैसेज की दीवार से चिपका दिया, और अपने होंठ आगे ही बढ़ाया ही था… "क्या कर रहे हो आर्य, यहां कोई आ जाएगा।"..


आर्यमणि उसके बदन की खुशबू लेते…. "आह्हहह ! तुम मुझे दीवाना बना रही हो पलक।"..


पलक:- हीहीहीहीही… कंट्रोल किंग, आप तो अपनी रानी को देखकर उतावले हो गये।


आर्यमणि आगे कोई बात ना करके अपने होंठ आगे बढ़ा दिया, पलक भी अपने बदन को ढीला छोड़ती, उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी। दोनो एक दूसरे के होंठ का स्पर्श पाकर एक अलग ही दुनिया में थे। तभी गले की खराश से दोनो का ध्यान टूटा…. "इतना प्रोग्रेस, लगता है तुम दोनो की एंगेजमेंट भी जल्द करवानी होगी।"..


आर्यमणि का ध्यान टूटा। दोनो ने जब सामने नम्रता को देखा तब झटके के साथ अलग हो गए। आर्यमणि, नम्रता के इमोशंस को साफ पढ़ सकता था, उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ और वो गौर से उसे देखने लगा… नम्रता हंसती हुई उसके बाल बिखेरते…. "पलकी संभाल इसे, ये तो मुझे ही घूरने लगा।"


पलक:- दीदी आप लग ही इतनी खूबसूरत रही हो। किसी की नजर थम जाए।


नम्रता:- और तुम दोनो जो ये सब कर रहे थे हां.. ये सब क्या है?


पलक:- इंसानी इमोशन है दीदी अपने पार्टनर को देखकर नहीं निकलेगा तो किसे देखकर निकलेगा।


आर्यमणि:- हमे चलना चाहिए।


दोनो वहां से वापस हॉल में चले आये। पलक आर्यमणि के कंधे पर अपने दोनो हाथ टिकाकर, चुपके से उसके गाल पर किस्स करती… "तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया आर्य। लेकिन ऐसा लगता है जैसे मैंने तुम्हारी वाह-वाही अपने नाम करवा ली है।"


आर्यमणि:- तुम भी तो मै ही हूं ना। तुम खुश तो मै खुश।


पलक, आर्यमणि के गाल खींचती… "लेकिन तुम तो यहां खुश नजर नहीं आ रहे आर्य। बात क्या है, किसी ने कुछ कह दिया क्या?"


आर्यमणि, पलक के ओर देखकर मुस्कुराते हुए… "चलो बैठकर कुछ बातें करते है।"


पलक:- हां अब बताओ।


आर्यमणि:- तुम्हे नहीं लगता कि मेरे मौसा जी थोड़े अजीब है। और साथ ने तुम्हारे पापा भी.. सॉरी दिल पर मत लेना..


यह सुनते पलक के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा… "आर्य, खुलकर कहो ना क्या कहना चाहते हो।"..


आर्यमणि:- मैंने भारतीय इतिहास की खाक छान मारी। आज से 400 वर्ष पूर्व युद्ध के लिये केवल 12 तरह के हथियार इस्तमाल होते थे। अनंत कीर्ति के पुस्तक को खोलने के लिए जो शर्तें बताई गई है वो एक भ्रम है। और मै जान गया हूं उसे कैसे खोलना है। या यूं समझो की मै वो पुस्तक सभी लोगो के लिये खोल सकता हूं।


पलक, उत्सुकता से… "कैसे?"


आर्यमणि:- तुम मांसहारी हो ना। ना तो तुम्हे विधि बताई जा सकती है ना अनुष्ठान का कोई काम करवाया जा सकता है। बस यूं समझ लो कि वो एक शुद्ध पुस्तक है, जिसे शुद्ध मंत्र के द्वारा बंद किया गया है। 7 से 11 दिन के बीच छोटे से अनुष्ठान से वो पुस्तक बड़े आराम से खुल जायेगी। पुस्तक पूर्णिमा की रात को ही खुलेगी और तब जाकर लोग उस कमरे में जाएंगे, पुस्तक को नमन करके अपनी पढ़ाई शुरू कर देंगे।


पलक:- और यदि नहीं खुली तो..


आर्यमणि:- दुनिया ये सवाल करे तो समझ में आता है, तुम्हारा ऐसा सवाल करना दर्द दे जाता है। खैर, मुझे कोई दिलचस्पी नहीं उस पुस्तक में। मै बस सही जरिया के बारे में जब सोचा और मौसा जी का चेहरा सामने आया तो हंसी आ गयि। हंसी आयि मुझे इस बात पर की जिस युग में युद्ध के बड़ी मुश्किल से 12 हथियार मिलते हो, वहां 25 अलग-अलग तरह के हथियार बंद लोग। फनी है ना।


पलक, आर्यमणि के गाल को चूमती…. "तुम तो यहां मेरे प्राउड हो। सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन जब हम अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे तब इन लोगो को एक बार और हम पर प्राउड फील होगा।"


आर्यमणि, हैरानी से उसका चेहरा देखते हुए… "पर ऐसा होगा ही क्यों? मौसा जी से कल मै इस विषय में बात करूंगा और किसी सुध् साकहारी के हाथो पूरे अनुष्ठान की विधि को बता दूंगा। वो जाने और उनका काम।"… कहते हुए आर्यमणि ने पलक को बाहों में भर लिया..


पलक अपनी केवाहनी आर्यमणि के पेट में मारती… "लोग है आर्य, क्या कर रहे हो।"


आर्यमणि:- अपनी रानी के साथ रोमांस कर रहा हूं।


पलक:- कुछ बातें 2 लोगों के बीच ही हो तो ही अच्छी लगती है। वैसे भी इस वक़्त तुम्हारी रानी को इंतजार है तुम्हारे एक नए कीर्तिमान की। यूं समझो मेरे जीवन की ख्वाहिश। बचपन से उस पुस्तक के बारे में सुनती आयी हूं, एक अरमान तो दिल में है ही वो पुस्तक मैं खोलूं, इसलिए तो 25 तरह के हथियारबंद लोगो से लड़ने की कोशिश करती हूं।


आर्यमणि:- ये शर्त पूरी करना आसान है। बुलेट प्रूफ जैकेट लो और उसके ऊपर स्टील मेश फेंसिंग करवाओ सर पर भी वैसा ही नाईट वाला हेलमेट डालो। बड़ी सी भाला लेकर जय प्रहरी बोलते हुए घुस जाओ…


पलक:- कुछ तुम्हारे ही दिमाग वाले थे, उन्होंने तो एक स्टेप आगे का सोच लिया था और रोबो सूट पहन कर आये थे। काका हंसते हुए उसे ले गये पुस्तक के पास और सब के सब नाकाम रहे। क्या चाहते हो, इतनी मेहनत के बाद मै भी नाकामयाब रहूं।


आर्यमणि:- विश्वास होना चाहिए, कामयाबी खुद व खुद मिलेगी।


पलक:- विश्वास तो है मेरे किंग। पर किंग अपनी क्वीन की नहीं सुन रहे।


आर्यमणि:- हम्मम ! एक राजा जब अपने रानी के विश्वास भरी फरियाद नहीं सुन सकता तो वो प्रजा की क्या सुनेगा.. बताओ।


पलक:- सब लोग यहां है, चलो उस पुस्तक को चुरा लेंगे, और फिर 7 दिन बाद सबको सरप्राइज देंगे।


आर्यमणि:- इस से अच्छा मैं मांग ना लूं।


पलक:- काका नहीं देंगे।


आर्यमणि:- हां तो मैं नहीं लूंगा।


पलक:- तुम्हारी रानी नाराज हो जायेगी।


आर्यमणि:- रानी को अपने काबू में रखना और उसकी नजायज मांग पर उसे एक थप्पड़ लगाना एक बुद्धिमान राजा का काम होता है।


आर्यमणि अपनी बात कहते हुए धीमे से पलक को एक थप्पड़ मार दिया। कम तो आर्यमणि भी नहीं था। जब सुकेश भारद्वाज की नजर उनके ओर थी तभी वो थप्पड़ मारा। सुकेश भारद्वाज दोनो को काफी देर से देख भी रहा था, थप्पड़ परते ही वो आर्यमणि के पास पहुंचा…. "ये क्या है, तुम दोनो यहां बैठकर झगड़ा कर रहे।"..


पलक, अपने आंख से 2 बूंद आशु टपकाती…. "काका जिस काम से 10 लोगों का भला हो वो काम के लिए प्रेरित करना क्या नाजायज काम है।"..


सुकेश:- बिल्कुल नहीं, क्यों आर्य पलक के कौन से काम के लिए तुम ना कह रहे हो।


"मौसा वो"… तभी पलक उसके मुंह पर हाथ रखती… "काका इस से कहो कि मेरा काम कर दे। मेरी तो नहीं सुना, कहीं आपकी सुन ले।"..


सुकेश:- शायद मै अपनी एक ख्वाहिश के लिए आर्य से जिद नहीं कर सका, इसलिए तुम्हारे काम के लिए भी नहीं कह पाऊंगा। लेकिन, भूमि को तो यहां भेज ही सकता हूं।


आर्यमणि, अपने मुंह पर से पलक का हाथ हटाकर, अपने दोनो हाथ जोड़ते झुक गया… "किसी को भी मत बुलाओ मौसा जी, मै कर दूंगा चिंता ना करो। और हां आपने अपनी ख्वाहिश ना बता कर मुझे हर्ट किया है। मै कोई गैर नहीं था, आप मुझसे कह सकते थे, वो भी हक से और ऑर्डर देकर। चलो पलक"..


पलक के साथ वो बाहर आ गया। पलक उसके कंधे और हाथ रखती…. "इतना नहीं सोचते जिंदगी में थोड़ा स्पेस देना सीखो, ताकि लोगों को समझ सको। अभी तुम्हारा मूड ठीक नहीं है, किताब के बारे में फिर कभी देखते है।"


आर्यमणि:- लोग अगर धैर्य के साथ काम लेते, तब वो पुस्तक कब का खुल चुकी होती। मेरी रानी, 7 दिन के अनुष्ठान के लिए तैयारी भी करनी होती है। 2 महीने बाद गुरु पूर्णिमा है। क्या समझी..


पलक:- लेकिन आर्य, उस दिन तो राजदीप दादा और नम्रता दीदी की शादी है...


आर्यमणि:- हां लेकिन वह शुभ दिन है। पुस्तक खोलने के लिए देर रात का एक शानदार मुहरत मे पुस्तक खोलने की कोशिश करूंगा।


पलक:- 7 दिन बाद भी तो पूर्णिमा है..


आर्यमणि:- रानी को फिर भी 2 महीने इंतजार करना होगा। चलो अन्दर चलते है और हां एक बात और..


पलक:- क्या आर्य...


आर्यमणि:- लव यू माय क्वीन...


पलक:- लव यू टू माय किंग...


आर्यमणि, पलक के होंठ का एक छोटा सा स्पर्श लेते… "चलो चला जाए।


आर्यमणि रात के इस पार्टी के बाद सीधा ट्विंस के जंगल में पहुंचा, जहां चारों उनका इंतजार कर रहे थे। आर्यमणि चारो को सब से खुशखबरी देते हुए बताया.… "2 महीने तक कोई प्रहरी उन्हे परेशान नहीं करने वाला। वो इस वक्त नहीं चाहेंगे कि आर्यमणि अपने पैक के सोक मे रहे, इसलिए यहां तुम सब प्रहरी से मेहफूज हो।"


फिर बात आगे बढ़ाते हुए आर्यमणि उन्हे चेतावनी देने लगा... "प्रहरी कुछ नहीं करेंगे इसका ये मतलब नहीं कि हम सुस्त पड़ जाएं। मानता हूं, तुम सब ने बहुत कुछ झेला है। लेकिन मेरे लिए बस 2 महीने और कष्ट कर लो। अगले 2 महीने तक शरीर को बीमार कर देने वाली ट्रेनिंग, खून जला देने वाली ट्रेनिंग। बिना रुके और बेहोशी में भी केवल ट्रेनिंग। एक बात और, एक शिकारी भी आयेगी तुम सब को प्रशिक्षित करने, कोई काट मत लेना उसे। रूही, मै रहूं की ना रहूं, तुम्हे सब पर नजर बनाए रखनी है"…


रूही:- बॉस 3 टीन वूल्फ की जिम्मेदारी.…. इतने हॉट फिगर वाली लड़की को इतने बड़े बच्चों की मां बना दिये।


आर्यमणि उसे घूरते हुए वहां से निकल गया। आर्यमणि ने अब तो जैसे यहां से दूर जाने की ठान ली हो। मुंबई प्रहरी समूह का नया चेहरा स्वामी भी गुप्त रूप से जांच करने नागपुर पहुंच चुका था। दरअसल वो यहां कुछ पता करने नहीं आया था, बल्कि अपने और भूमि के बीच के रिश्ते को नया रूप देने आया था, ताकि आगे की राह आसान हो जाए।


इसी संदर्व मे जब वो भूमि से मिला और आर्यमणि के महत्वकांछी प्रोजेक्ट, "आर्म्स डेवलपमेंट यूनिट" के बारे में सुना, उसने तुरंत प्रहरी की मीटिंग में उसे "प्रहरी समुदाय महत्वकांछी प्रोजेक्ट" का नाम दिया, जिसे एक गैर प्रहरी, आर्यमणि अपनी देख रेख मे चलाता और उसके साथ प्रहरी की उसमे भागीदारी रहती। पैसों कि तो इस समुदाय के पास कोई कमी थी नहीं। आर्यमणि ने जो छोटा प्रारूप के मॉडल को इन सबके सामने पेश किया। उस छोटे प्रारूप को कई गुना ज्यादा बढ़ाकर एक पूरे क्षमता वाले प्रोजेक्ट के रूप में गवर्नमेंट के पास एप्रोवल के लिए भेज दिया गया था।


शायद एप्रोवाल मे वक्त लगता, लेकिन गवर्नमेंट को सेक्योरिटीज अमाउंट दिखाने के लिए आर्यमणि के पास कई बिलियन व्हाइट मनी उसके कंपनी अकाउंट में जमा हो चुके थे। देवगिरी भाऊ अलग से अपनी कुल संपत्ति का 40% हिस्सा आर्यमणि को देने का एनाउंस कर चुके थे।


हालांकि इस घोसना के बाद मुंबई की लॉबी में एक बार और फुट पड़ने लगी थी। लेकिन अमृत पाठक सबको धैर्य बनाए रखने और धीरेन पर विश्वास करने की सलाह दिया। उसने सबको केवल इतना ही समझाते हुए अपना पक्ष रखा.… "स्वामी, प्रहरी के मुख्यालय, नागपुर में है। इतना घन कुछ भी नहीं यदि वो प्रहरी भारद्वाज को पूरे समुदाय से साफ कर दे। एक बार वो लोग चले गये फिर हम सोच भी नहीं सकते उस से कहीं ज्यादा पैसा हमारे पास होगा"…


मूर्ख लोग छोटी साजिशों से बस भूमि की मुश्किलें बढ़ाने से ज्यादा कुछ नहीं कर रहे थे। लेकिन इन सब को दरकिनार कर भूमि और आर्यमणि दोनो जितना वक्त मिलता उतने मे एक दूसरे के करीब रहते। आर्यमणि भूमि के पेट की चूमकर, मुस्कुराते हुए अक्सर कहता... "हीरो तेरे जन्म के वक्त मै नहीं रहूंगा लेकिन तू जब आये तो मेरी भूमि दीदी को फिर मेरी याद ना आये"…


भूमि लेटी हुई बस आर्यमणि की प्यारी बातों को सुन रही होती और उसके सर पर हाथ फेर रही होती। कई बार आर्यमणि कई तरह की कथाएं कहता, जिसे भूमि भी बड़े इत्मीनान से सुना करती थी। कब दोनो को सुकून भरी नींद आ जाती, पता ही नहीं चलता था।


आर्यमणि कॉलेज जाना छोड़ चुका था और सुबह से लेकर कॉलेज के वक्त तक अपने पैक के साथ होता। उन्हे प्रशिक्षित करता। अलग ही लगाव था, जिसे आर्यमणि उनसे कभी जता तो नहीं पता लेकिन दिल जलता, जब उसे यह ख्याल आता की शिकारी कितनी बेरहमी से एक वूल्फ पैक को आधा खत्म करते और आधा को सरदार खान के किले में भटकने छोड़ देते।


उसे ऐसा मेहसूस होता मानो किसी परिवार को मारकर उसके कुछ लोग को रोज मरने के लिए किसी कसाई की गली छोड़ आये हो। रूही और अलबेली मे आर्यमणि के गुजरे वक्त की कड़वी यादें दिखने लगती। हां लेकिन उन कड़वी यादों पर मरहम लगाने के लिए चित्रा, निशांत और माधव थे। उनके बीच पलक भी होती थी और कुछ तो लगाव आर्यमणि का पलक के साथ भी था।
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Lagta hai aryamani kuch
Samay ke liye viraam lene wala hai
 

Mahendra Baranwal

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भाग:–47






आर्यमणि अपने माता-पिता और अपनी मौसेरी बहन के अभिनय को देखकर अंदर ही अंदर नमन किया और वो भी सामान्य रूप से, बिना किसी बदलाव के सबसे बातें करता रहा। कुछ ही देर बाद पार्टी शुरू हो गई थी। उस पार्टी में आर्यमणि शिरकत करते एक ही बात नोटिस की, यहां बहुत से ऐसे लोग थे जिनकी भावना वो मेहसूस नहीं कर सकता था।


उनमें ना केवल पलक थी बल्कि कुछ लोगों को छोड़कर सभी एक जैसे थे। आर्यमणि आश्चर्य से उन सभी के चेहरे देख रहा था तभी पीछे से पलक ने उसके कंधे पर हाथ रखी। काले और लाल धारियों वाली ड्रेस जो उसके बदन से बिल्कुल चिपकी हुई थी, ओपन शोल्डर और चेहरे का लगा मेकअप, आर्यमणि देखते ही अपना छाती पकड़ लिया… "क्या हुआ आर्य"..


आर्यमणि:- श्वांस लेने में थोड़ी तकलीफ हो रही है, यहां से चलो।


पलक, कंधे का सहारा देती, हड़बड़ी में उसके साथ निकली। दोनो चल रहे थे तभी आर्य को एक पैसेज दिखा और उसने पलक का हाथ खींचकर पैसेज की दीवार से चिपका दिया, और अपने होंठ आगे ही बढ़ाया ही था… "क्या कर रहे हो आर्य, यहां कोई आ जाएगा।"..


आर्यमणि उसके बदन की खुशबू लेते…. "आह्हहह ! तुम मुझे दीवाना बना रही हो पलक।"..


पलक:- हीहीहीहीही… कंट्रोल किंग, आप तो अपनी रानी को देखकर उतावले हो गये।


आर्यमणि आगे कोई बात ना करके अपने होंठ आगे बढ़ा दिया, पलक भी अपने बदन को ढीला छोड़ती, उसके होंठ से होंठ लगाकर चूमने लगी। दोनो एक दूसरे के होंठ का स्पर्श पाकर एक अलग ही दुनिया में थे। तभी गले की खराश से दोनो का ध्यान टूटा…. "इतना प्रोग्रेस, लगता है तुम दोनो की एंगेजमेंट भी जल्द करवानी होगी।"..


आर्यमणि का ध्यान टूटा। दोनो ने जब सामने नम्रता को देखा तब झटके के साथ अलग हो गए। आर्यमणि, नम्रता के इमोशंस को साफ पढ़ सकता था, उसे थोड़ा आश्चर्य हुआ और वो गौर से उसे देखने लगा… नम्रता हंसती हुई उसके बाल बिखेरते…. "पलकी संभाल इसे, ये तो मुझे ही घूरने लगा।"


पलक:- दीदी आप लग ही इतनी खूबसूरत रही हो। किसी की नजर थम जाए।


नम्रता:- और तुम दोनो जो ये सब कर रहे थे हां.. ये सब क्या है?


पलक:- इंसानी इमोशन है दीदी अपने पार्टनर को देखकर नहीं निकलेगा तो किसे देखकर निकलेगा।


आर्यमणि:- हमे चलना चाहिए।


दोनो वहां से वापस हॉल में चले आये। पलक आर्यमणि के कंधे पर अपने दोनो हाथ टिकाकर, चुपके से उसके गाल पर किस्स करती… "तुम्हारा बहुत-बहुत शुक्रिया आर्य। लेकिन ऐसा लगता है जैसे मैंने तुम्हारी वाह-वाही अपने नाम करवा ली है।"


आर्यमणि:- तुम भी तो मै ही हूं ना। तुम खुश तो मै खुश।


पलक, आर्यमणि के गाल खींचती… "लेकिन तुम तो यहां खुश नजर नहीं आ रहे आर्य। बात क्या है, किसी ने कुछ कह दिया क्या?"


आर्यमणि, पलक के ओर देखकर मुस्कुराते हुए… "चलो बैठकर कुछ बातें करते है।"


पलक:- हां अब बताओ।


आर्यमणि:- तुम्हे नहीं लगता कि मेरे मौसा जी थोड़े अजीब है। और साथ ने तुम्हारे पापा भी.. सॉरी दिल पर मत लेना..


यह सुनते पलक के चेहरे का रंग थोड़ा उड़ा… "आर्य, खुलकर कहो ना क्या कहना चाहते हो।"..


आर्यमणि:- मैंने भारतीय इतिहास की खाक छान मारी। आज से 400 वर्ष पूर्व युद्ध के लिये केवल 12 तरह के हथियार इस्तमाल होते थे। अनंत कीर्ति के पुस्तक को खोलने के लिए जो शर्तें बताई गई है वो एक भ्रम है। और मै जान गया हूं उसे कैसे खोलना है। या यूं समझो की मै वो पुस्तक सभी लोगो के लिये खोल सकता हूं।


पलक, उत्सुकता से… "कैसे?"


आर्यमणि:- तुम मांसहारी हो ना। ना तो तुम्हे विधि बताई जा सकती है ना अनुष्ठान का कोई काम करवाया जा सकता है। बस यूं समझ लो कि वो एक शुद्ध पुस्तक है, जिसे शुद्ध मंत्र के द्वारा बंद किया गया है। 7 से 11 दिन के बीच छोटे से अनुष्ठान से वो पुस्तक बड़े आराम से खुल जायेगी। पुस्तक पूर्णिमा की रात को ही खुलेगी और तब जाकर लोग उस कमरे में जाएंगे, पुस्तक को नमन करके अपनी पढ़ाई शुरू कर देंगे।


पलक:- और यदि नहीं खुली तो..


आर्यमणि:- दुनिया ये सवाल करे तो समझ में आता है, तुम्हारा ऐसा सवाल करना दर्द दे जाता है। खैर, मुझे कोई दिलचस्पी नहीं उस पुस्तक में। मै बस सही जरिया के बारे में जब सोचा और मौसा जी का चेहरा सामने आया तो हंसी आ गयि। हंसी आयि मुझे इस बात पर की जिस युग में युद्ध के बड़ी मुश्किल से 12 हथियार मिलते हो, वहां 25 अलग-अलग तरह के हथियार बंद लोग। फनी है ना।


पलक, आर्यमणि के गाल को चूमती…. "तुम तो यहां मेरे प्राउड हो। सुनने में थोड़ा अजीब लगेगा लेकिन जब हम अपने मकसद में कामयाब हो जाएंगे तब इन लोगो को एक बार और हम पर प्राउड फील होगा।"


आर्यमणि, हैरानी से उसका चेहरा देखते हुए… "पर ऐसा होगा ही क्यों? मौसा जी से कल मै इस विषय में बात करूंगा और किसी सुध् साकहारी के हाथो पूरे अनुष्ठान की विधि को बता दूंगा। वो जाने और उनका काम।"… कहते हुए आर्यमणि ने पलक को बाहों में भर लिया..


पलक अपनी केवाहनी आर्यमणि के पेट में मारती… "लोग है आर्य, क्या कर रहे हो।"


आर्यमणि:- अपनी रानी के साथ रोमांस कर रहा हूं।


पलक:- कुछ बातें 2 लोगों के बीच ही हो तो ही अच्छी लगती है। वैसे भी इस वक़्त तुम्हारी रानी को इंतजार है तुम्हारे एक नए कीर्तिमान की। यूं समझो मेरे जीवन की ख्वाहिश। बचपन से उस पुस्तक के बारे में सुनती आयी हूं, एक अरमान तो दिल में है ही वो पुस्तक मैं खोलूं, इसलिए तो 25 तरह के हथियारबंद लोगो से लड़ने की कोशिश करती हूं।


आर्यमणि:- ये शर्त पूरी करना आसान है। बुलेट प्रूफ जैकेट लो और उसके ऊपर स्टील मेश फेंसिंग करवाओ सर पर भी वैसा ही नाईट वाला हेलमेट डालो। बड़ी सी भाला लेकर जय प्रहरी बोलते हुए घुस जाओ…


पलक:- कुछ तुम्हारे ही दिमाग वाले थे, उन्होंने तो एक स्टेप आगे का सोच लिया था और रोबो सूट पहन कर आये थे। काका हंसते हुए उसे ले गये पुस्तक के पास और सब के सब नाकाम रहे। क्या चाहते हो, इतनी मेहनत के बाद मै भी नाकामयाब रहूं।


आर्यमणि:- विश्वास होना चाहिए, कामयाबी खुद व खुद मिलेगी।


पलक:- विश्वास तो है मेरे किंग। पर किंग अपनी क्वीन की नहीं सुन रहे।


आर्यमणि:- हम्मम ! एक राजा जब अपने रानी के विश्वास भरी फरियाद नहीं सुन सकता तो वो प्रजा की क्या सुनेगा.. बताओ।


पलक:- सब लोग यहां है, चलो उस पुस्तक को चुरा लेंगे, और फिर 7 दिन बाद सबको सरप्राइज देंगे।


आर्यमणि:- इस से अच्छा मैं मांग ना लूं।


पलक:- काका नहीं देंगे।


आर्यमणि:- हां तो मैं नहीं लूंगा।


पलक:- तुम्हारी रानी नाराज हो जायेगी।


आर्यमणि:- रानी को अपने काबू में रखना और उसकी नजायज मांग पर उसे एक थप्पड़ लगाना एक बुद्धिमान राजा का काम होता है।


आर्यमणि अपनी बात कहते हुए धीमे से पलक को एक थप्पड़ मार दिया। कम तो आर्यमणि भी नहीं था। जब सुकेश भारद्वाज की नजर उनके ओर थी तभी वो थप्पड़ मारा। सुकेश भारद्वाज दोनो को काफी देर से देख भी रहा था, थप्पड़ परते ही वो आर्यमणि के पास पहुंचा…. "ये क्या है, तुम दोनो यहां बैठकर झगड़ा कर रहे।"..


पलक, अपने आंख से 2 बूंद आशु टपकाती…. "काका जिस काम से 10 लोगों का भला हो वो काम के लिए प्रेरित करना क्या नाजायज काम है।"..


सुकेश:- बिल्कुल नहीं, क्यों आर्य पलक के कौन से काम के लिए तुम ना कह रहे हो।


"मौसा वो"… तभी पलक उसके मुंह पर हाथ रखती… "काका इस से कहो कि मेरा काम कर दे। मेरी तो नहीं सुना, कहीं आपकी सुन ले।"..


सुकेश:- शायद मै अपनी एक ख्वाहिश के लिए आर्य से जिद नहीं कर सका, इसलिए तुम्हारे काम के लिए भी नहीं कह पाऊंगा। लेकिन, भूमि को तो यहां भेज ही सकता हूं।


आर्यमणि, अपने मुंह पर से पलक का हाथ हटाकर, अपने दोनो हाथ जोड़ते झुक गया… "किसी को भी मत बुलाओ मौसा जी, मै कर दूंगा चिंता ना करो। और हां आपने अपनी ख्वाहिश ना बता कर मुझे हर्ट किया है। मै कोई गैर नहीं था, आप मुझसे कह सकते थे, वो भी हक से और ऑर्डर देकर। चलो पलक"..


पलक के साथ वो बाहर आ गया। पलक उसके कंधे और हाथ रखती…. "इतना नहीं सोचते जिंदगी में थोड़ा स्पेस देना सीखो, ताकि लोगों को समझ सको। अभी तुम्हारा मूड ठीक नहीं है, किताब के बारे में फिर कभी देखते है।"


आर्यमणि:- लोग अगर धैर्य के साथ काम लेते, तब वो पुस्तक कब का खुल चुकी होती। मेरी रानी, 7 दिन के अनुष्ठान के लिए तैयारी भी करनी होती है। 2 महीने बाद गुरु पूर्णिमा है। क्या समझी..


पलक:- लेकिन आर्य, उस दिन तो राजदीप दादा और नम्रता दीदी की शादी है...


आर्यमणि:- हां लेकिन वह शुभ दिन है। पुस्तक खोलने के लिए देर रात का एक शानदार मुहरत मे पुस्तक खोलने की कोशिश करूंगा।


पलक:- 7 दिन बाद भी तो पूर्णिमा है..


आर्यमणि:- रानी को फिर भी 2 महीने इंतजार करना होगा। चलो अन्दर चलते है और हां एक बात और..


पलक:- क्या आर्य...


आर्यमणि:- लव यू माय क्वीन...


पलक:- लव यू टू माय किंग...


आर्यमणि, पलक के होंठ का एक छोटा सा स्पर्श लेते… "चलो चला जाए।


आर्यमणि रात के इस पार्टी के बाद सीधा ट्विंस के जंगल में पहुंचा, जहां चारों उनका इंतजार कर रहे थे। आर्यमणि चारो को सब से खुशखबरी देते हुए बताया.… "2 महीने तक कोई प्रहरी उन्हे परेशान नहीं करने वाला। वो इस वक्त नहीं चाहेंगे कि आर्यमणि अपने पैक के सोक मे रहे, इसलिए यहां तुम सब प्रहरी से मेहफूज हो।"


फिर बात आगे बढ़ाते हुए आर्यमणि उन्हे चेतावनी देने लगा... "प्रहरी कुछ नहीं करेंगे इसका ये मतलब नहीं कि हम सुस्त पड़ जाएं। मानता हूं, तुम सब ने बहुत कुछ झेला है। लेकिन मेरे लिए बस 2 महीने और कष्ट कर लो। अगले 2 महीने तक शरीर को बीमार कर देने वाली ट्रेनिंग, खून जला देने वाली ट्रेनिंग। बिना रुके और बेहोशी में भी केवल ट्रेनिंग। एक बात और, एक शिकारी भी आयेगी तुम सब को प्रशिक्षित करने, कोई काट मत लेना उसे। रूही, मै रहूं की ना रहूं, तुम्हे सब पर नजर बनाए रखनी है"…


रूही:- बॉस 3 टीन वूल्फ की जिम्मेदारी.…. इतने हॉट फिगर वाली लड़की को इतने बड़े बच्चों की मां बना दिये।


आर्यमणि उसे घूरते हुए वहां से निकल गया। आर्यमणि ने अब तो जैसे यहां से दूर जाने की ठान ली हो। मुंबई प्रहरी समूह का नया चेहरा स्वामी भी गुप्त रूप से जांच करने नागपुर पहुंच चुका था। दरअसल वो यहां कुछ पता करने नहीं आया था, बल्कि अपने और भूमि के बीच के रिश्ते को नया रूप देने आया था, ताकि आगे की राह आसान हो जाए।


इसी संदर्व मे जब वो भूमि से मिला और आर्यमणि के महत्वकांछी प्रोजेक्ट, "आर्म्स डेवलपमेंट यूनिट" के बारे में सुना, उसने तुरंत प्रहरी की मीटिंग में उसे "प्रहरी समुदाय महत्वकांछी प्रोजेक्ट" का नाम दिया, जिसे एक गैर प्रहरी, आर्यमणि अपनी देख रेख मे चलाता और उसके साथ प्रहरी की उसमे भागीदारी रहती। पैसों कि तो इस समुदाय के पास कोई कमी थी नहीं। आर्यमणि ने जो छोटा प्रारूप के मॉडल को इन सबके सामने पेश किया। उस छोटे प्रारूप को कई गुना ज्यादा बढ़ाकर एक पूरे क्षमता वाले प्रोजेक्ट के रूप में गवर्नमेंट के पास एप्रोवल के लिए भेज दिया गया था।


शायद एप्रोवाल मे वक्त लगता, लेकिन गवर्नमेंट को सेक्योरिटीज अमाउंट दिखाने के लिए आर्यमणि के पास कई बिलियन व्हाइट मनी उसके कंपनी अकाउंट में जमा हो चुके थे। देवगिरी भाऊ अलग से अपनी कुल संपत्ति का 40% हिस्सा आर्यमणि को देने का एनाउंस कर चुके थे।


हालांकि इस घोसना के बाद मुंबई की लॉबी में एक बार और फुट पड़ने लगी थी। लेकिन अमृत पाठक सबको धैर्य बनाए रखने और धीरेन पर विश्वास करने की सलाह दिया। उसने सबको केवल इतना ही समझाते हुए अपना पक्ष रखा.… "स्वामी, प्रहरी के मुख्यालय, नागपुर में है। इतना घन कुछ भी नहीं यदि वो प्रहरी भारद्वाज को पूरे समुदाय से साफ कर दे। एक बार वो लोग चले गये फिर हम सोच भी नहीं सकते उस से कहीं ज्यादा पैसा हमारे पास होगा"…


मूर्ख लोग छोटी साजिशों से बस भूमि की मुश्किलें बढ़ाने से ज्यादा कुछ नहीं कर रहे थे। लेकिन इन सब को दरकिनार कर भूमि और आर्यमणि दोनो जितना वक्त मिलता उतने मे एक दूसरे के करीब रहते। आर्यमणि भूमि के पेट की चूमकर, मुस्कुराते हुए अक्सर कहता... "हीरो तेरे जन्म के वक्त मै नहीं रहूंगा लेकिन तू जब आये तो मेरी भूमि दीदी को फिर मेरी याद ना आये"…


भूमि लेटी हुई बस आर्यमणि की प्यारी बातों को सुन रही होती और उसके सर पर हाथ फेर रही होती। कई बार आर्यमणि कई तरह की कथाएं कहता, जिसे भूमि भी बड़े इत्मीनान से सुना करती थी। कब दोनो को सुकून भरी नींद आ जाती, पता ही नहीं चलता था।


आर्यमणि कॉलेज जाना छोड़ चुका था और सुबह से लेकर कॉलेज के वक्त तक अपने पैक के साथ होता। उन्हे प्रशिक्षित करता। अलग ही लगाव था, जिसे आर्यमणि उनसे कभी जता तो नहीं पता लेकिन दिल जलता, जब उसे यह ख्याल आता की शिकारी कितनी बेरहमी से एक वूल्फ पैक को आधा खत्म करते और आधा को सरदार खान के किले में भटकने छोड़ देते।


उसे ऐसा मेहसूस होता मानो किसी परिवार को मारकर उसके कुछ लोग को रोज मरने के लिए किसी कसाई की गली छोड़ आये हो। रूही और अलबेली मे आर्यमणि के गुजरे वक्त की कड़वी यादें दिखने लगती। हां लेकिन उन कड़वी यादों पर मरहम लगाने के लिए चित्रा, निशांत और माधव थे। उनके बीच पलक भी होती थी और कुछ तो लगाव आर्यमणि का पलक के साथ भी था।
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