भाग:–46
भूमि:– उस दिन गुस्से में थी। मुझे अपने २ सागिर्द के जाने का अफसोस हो रहा था। गुस्से में निकल गया।
आर्यमणि:– ना ना, अभी क्यों नही कहती उन सबके मौत का जिम्मेदार मैं ही हूं... लेकिन सतपुरा के जंगल में मेरी जान चली जाती उसकी कोई फिक्र नहीं...
भूमि:– मुझे सतपुरा मात्र एक यात्रा लगी। रीछ स्त्री किसी को इतनी आसानी से कैसे मिलेगी.. वो भी पता किसने लगाया था तो शुकेश भारद्वाज ने... मुझे उसपर रत्ती भर भी यकीन नही था।
आर्यमणि, आश्चर्य से... "क्या आपको मौसा जी पर यकीन नही"…
भूमि:– जैसे तुझे बड़ा यकीन था... अपना ये झूठा एक्सप्रेशन किसी और को दिखाना।
आर्यमणि:– अच्छा ऐसी बात है तो एक बात का जवाब दो, जब पलक ने टीम अनाउंस किया और आप भी जाने को इच्छुक थी, तब तो मुझे कुछ और बात ही लग रही थी..
भूमि:– क्या लगा तुझे?
आर्यमणि:– यही की आपकी पूरी टीम को जान बूझकर ले जा रहे हैं। उन्हे मारने की साजिश खुद आपके पिताजी बना रहे...
भूमि:– हां तुमने बिलकुल सही अंदाजा लगाया था।
आर्यमणि:– इसका मतलब आप भी शहिद होना चाहती थी।
भूमि:– जिस वक्त मंदिर में तुम दोनो ने मुझे शांत किया ठीक उसी वक्त मैं सारी बातों को कनेक्ट कर चुकी थी। एक पुरानी पापी नाम है "नित्या".. उसी का किया है सब कुछ। तुम्हारे दादा वर्धराज को उस वक्त बहुत वाह–वाही मिली थी, जब उन्होंने नित्या को बेनकाब किया था। एक पूर्व की प्रहरी, जो खुद विचित्र प्रकार की सुपरनैचुरल थी। नित्या जिसके बारे में पता करना था की वो किस प्रकार की सुपरनेचुरल है, वह प्रहरी के अड्डे से भाग गयि। उसे वेयरवोल्फ घोषित कर दिया गया और सबसे हास्यप्रद तो आगे आने वाला था। उसे भगाने का इल्ज़ाम भी तुम्हारे दादा जी पर लगा था।
आर्यमणि:– एक वुल्फ को भगाना क्या इतनी बड़ी बात होती है...
भूमि:– प्रायः मौकों पर तो कभी नही लेकिन जब कोई तथाकथित वेयरवोल्फ नित्या, किसी प्रहरी के अड्डे से एक पूरी टीम को खत्म करके निकली हो, तब बहुत बड़ी बात होती है।
आर्यमणि:– अतीत की इतनी बातें मुझसे छिपाई गई..
भूमि:– 8 साल की उम्र से जो लड़का जंगल में रहे और घर के अभिभावक की एक न सुने, उसके मुंह से ये सब सुनना सोभा नही देता मेरे लाल... तुझे दुनिया एक्सप्लोर करना है, लेकिन परिवार को नही जानना। तुम्हे स्वार्थी कह दूं गलत होगा क्या, जिसे अपनी मां का इतिहास पता नही। जया कुलकर्णी जब प्रहरी में शिकारी हुआ करती थी तब क्या बला थी और कैसे एक द्वंद में उसने सामने से सरदार खान और उसके गुर्गों को अपनी जूती पर ले आयि थी।
आर्यमणि, छोटा सा मुंह बनाते.… "शौली (solly), माफ कर दो...
भूमि:– तेरा अभिनय मैं खूब जानती हूं। अभी भी दिमाग बस उसी सवाल पर अटका है, कि क्यों मैं सतपुरा के जंगल साथ जाना चाहती थी? ऊपर से बस ऐसे भोली सूरत बना रहे...
आर्यमणि:– गिल्ट फील मत करवाओ... मैं जानता हूं कि तुम भड़ास निकालने के लिए मुझे लेकर आयि हो, इसलिए सवाल के जवाब में सीधा इतिहास से शुरू कर दी...
भूमि:– मैं सतपुरा जाना चाहती थी क्योंकि किसी की शक्ति रावण के समतुल्य क्यों न हो, हम उनसे भी अपनी और अपनी टीम की जान बचा सकते हैं। मिल गया तेरा जवाब...
आर्यमणि:– क्या सच में ऐसा है?
भूमि:– यकीन करने के अलावा कोई विकल्प है क्या? यदि फिर भी तुझे इस सत्य को सत्यापित ही करना है तब जया मासी से पूछ लेना...
आर्यमणि:– अच्छा सुनो दीदी मुंह मत फुलाओ, मैं दिल से माफी मांगता हूं। दरअसल जब भी मैं दादा जी के बारे में सुनता हूं, और प्रहरी जिस प्रकार से आज भी उन्हें बेजजत करते हैं, मेरा खून खौल जाता है। इसलिए मैं किसी भी उस अतीत को नही जानना चाहता जिसकी कहानी में कहीं न कहीं वही जिक्र हो... "कैसे वर्धराज कुलकर्णी को बेज्जत किया गया।
भूमि:– शायद प्रेगनेंसी की वजह से मूड स्विंग ज्यादा हो रहा। जया मासी ने तेरे २१वे जन्मदिवस पर सब कुछ बताने के फैसला किया था, और मैं तुझे उस वक्त के लिए कोस रही थी, जब हम तुम्हे बताते भी नही...
आर्यमणि:– छोड़ो जाने दो... आप कुछ अतीत की बातें कर रही थी, वो पूरी करो..
भूमि:– तुम्हारे दादा जी जया मासी के पथप्रदर्शक रहे थे। उन्होंने ही जया मासी को एक भस्म बनाना सिखाया था। टारगेट को देखकर वह भस्म बस हवा में उड़ा दो। सामने वाला कुछ देर के लिए भ्रमित हो जाता है।…
आर्यमणि:– अच्छा एक सिद्ध किया हुआ ट्रिक। तुम्हे क्या लगता है, रावण जैसा ब्रह्म ज्ञानी इस भ्रम में फंस सकता है...
भूमि:– तो मैं कौन सा राम हुई जा रही। बस मुंह से निकल गया... दूसरे तो यकीन कर लिये इसपर..
आर्यमणि:– लोग इतने भी मूर्ख होते हैं आज पता चला। भगवान श्री राम इसलिए कहलाए क्योंकि उन्होंने रावण को मारा था। बस इस एक बात से रावण की शक्ति की व्याख्या की जा सकती है।
भूमि:– चल छोड़.. ये बता की इस ट्रिक से मैं नित्या से बच सकती थी या नही...
आर्यमणि:– मैंने उसे नही देखा इसलिए कह नही सकता.. इस ट्रिक से आप अपने दुश्मन को एक बार चौंका जरूर सकती हो, लेकिन इस से जान नही बचेगी। इसलिए कहता हूं दूर रहो प्रहरी से।
भूमि:– केवल एक भस्म ही थोड़े ना है...
आर्यमणि:– और क्या है?
भूमि:– दिमाग..
आर्यमणि:– हां वो भी देख लिया। भस्म से रावण को भरमाने का जो स्त्री दम रखे, उसके दिमाग पर तो मुझे बिल्कुल भी शक करना ही नही चाहिए...
भूमि:– मजाक मत बना... अच्छा तू बता सबसे अच्छी तकनीक क्या है?
आर्यमणि:– बिलकुल खामोश रहे। छिप कर रहे। खुद को कमजोर और डरा हुआ साबित करो। दुश्मनों की पहचान और उसकी पूरी ताकत का पता लगाती रहो। और मैं इतिहास के सबसे बड़े हथियार का वर्णन कर देता हूं। होलिका भी उस आग में जल गयि थी जिसे वह अपने काबू में समझती थी... क्या समझी...
भूमि:– क्या बात है, मेरे साथ रहकर तेरा दिमाग भी बिलकुल शार्प हो गया है।
आर्यमणि:– हां कुछ तो आपकी सोभत का असर है।
दोनो बात करते चले जा रहे थे। भूमि कार को एक छोटे से घर के पास रोकती… "आओ मेरे साथ।"..
भूमि अपने साथ उसे उस घर के अंदर ले आयी। चाभी से उस घर को खोलती अंदर घुसी। आर्यमणि जैसे ही वहां घुसा, आंख मूंदकर अपनी श्वांस अंदर खींचने लगा… भूमि उसे अपने साथ घर के नीचे बने तहखाने में ले आयी। जैसे ही नीचे पहुंचे… एक लड़का और एक लड़की भूमि के ओर दौड़कर आये, दोनो भूमि के गाल मुंह चूमते… "आई बहुत भूख लगी है कुछ खाने को दो ना।"..
भूमि, दोनो को ढेर सारे चिकन मटन देती हुई आर्य को ऊपर ले आयी… "हम्मम ! किस सोच में डूब गये आर्य।"..
आर्यमणि:- 2 टीन वुल्फ..
भूमि:- नहीं, 2 जुड़वा टीन वुल्फ..
आर्यमणि:- जो भी हो, ये आपको आई क्यों पुकार रहे है।
भूमि:- केवल दूध नहीं पिलाया है, बाकी जब ये 2 महीने के थे, तबसे पाल रही हूं। तू रूही और अलबेली को बुला ले यहां।
आर्यमणि ने रूही को सन्देश भेजने के बाद… "दीदी कुछ समझाओगी मुझे।"..
भूमि:- ये सुकेश भारद्वाज यानी के मेरा बाबा के बच्चे है।
कानो में तानपूरा जैसे बजने लगे हो। चारो ओर दिमाग झन्नाने वाली ऐसी ध्वनि जो दिमाग को पागल कर दे। आर्यमणि लड़खड़ाकर पास पड़े कुर्सी पर बैठ गया। आश्चर्य भरी घूरती नज़रों से भूमि को देखते हुए…. "मासी को इस बारे में पता है।"….
भूमि:- "शायद हां, और शायद उन्हे कोई आपत्ती भी नहीं। प्रहरी के बहुत से राज बहुत से लोगो को पता है, लेकिन किसी को भी प्रहरी के सीक्रेट ग्रुप के बारे में नही पता, जिसके मुखिया सुकेश भारद्वाज है। बड़ी सी महफिल में सुकेश, उज्जवल, अक्षरा और मीनाक्षी का नंगा नाच होता है। उसकी महफिल में और कौन–कौन होता है पता न लगा पायि। लेकिन हर महीने एक बड़ी महफिल सरदार खान महल में ही सजती है, और ये सभी बूढ़े तुझे 25–26 वर्ष से ज्यादा के नही दिखेंगे। इंसानों को जिंदा नोचकर खाना, सरदार खान के खून को अपने नब्ज में चढ़ाना इस महफिल का सबसे बड़ा आकर्षण होता है।"
"जिन-जिन को इस राज पता चला वो मारे गये और जिन्हे इनके राज के बारे में भनक लगी उन्हें प्रहरी से निकालकर कहीं दूर भेज दिया गया। सरदार खान को सह कोई और नहीं बल्कि भारद्वाज खानदान दे रहा है। फेहरीन, रूही की मां एक अल्फा हीलर थी। विश्व में अपनी जैसी इकलौती और वो २०० साल पुराने विशाल बरगद के पेड़ तक को हील कर सकती थी। उसके पास बहुत से राज थे। लेकिन मरने से कुछ समय पूर्व इन्हे। मेरे कदमों में फेंक कर इतना ही कही थी… "मै तो मरने ही वाली हूं, तुम चाहो तो अपने सौतेले भाई-बहन को मार सकती हो या बचा सकती हो।"… कुछ और बातें हो पाती उससे पहले ही वहां आहट होने लगी और मै इन दोनों को लेकर चली आयी।"
"तो ये है प्रहरी का घिनौना रूप"…. इससे पहले कि रूही आगे कुछ और बोल पाती, आर्यमणि ने अपना हाथ रूही के ओर किया और वो अपनी जगह रुक गई।…
भूमि:- उसे बोलने दो आर्यमणि। मै यहां के झूट की ज़िंदगी से थक गई हूं। मुझे सुकून दे दो।
आर्यमणि:- हमे यहां लाने का मतलब..
भूमि:- तुम्हारी, रूही और अलबेली की जान खतरे में है। रूही और अलबेली के बाहर होने के कारण ही किले कि इतनी इंफॉर्मेशन बाहर आयी है। उन्हें अब तुम खतरा लगने लगे हो और तुम्हे मारने का फरमान जारी हो चुका है।
आर्यमणि:- किसने किया ये फरमान जारी।
भूमि:- प्रहरी के सिक्रेट बॉडी ने। पलक ने मीटिंग आम कर दी है इसलिए प्रहरी की सिक्रेट बॉडी उन 22 लोगो का सजा तय कर चुकी है, साथ में सरदार खान को मारकर उसकी शक्ति उसका बेटा लेगा, फने खान। ये भी तय हो चुका है ताकि पलक को हीरो दिखाया जा सके। इन सब कांड के बीच तुम लोगो को मारकर एक दूसरे की दुश्मनी दिखा देंगे।
आर्यमणि:- हम्मम ! कितना वक़्त है हमारे पास।
भूमि:- ज्यादा वक़्त नहीं है आर्यमणि। यूं समझ लो 2 महीने है। क्योंकि जिस दिन शादी के लिए हम नाशिक जाएंगे, सारा खेल रचा जायेगा।
आर्यमणि:- आप इन दोनों ट्विन के खाने में लेथारिया वुलपिना देती आ रही हो ना।
भूमि:- नहीं, कभी-कभी देती हूं। इनका इंसान पक्ष काफी स्ट्रॉन्ग है और दोनो के पास अद्भुत कंट्रोल है। बहुत बचाकर इन्हे रखना पड़ता है।
आर्यमणि:- हम्मम ! ठीक है.. कोई नहीं आज से ये मेरी जिम्मेदारी है दीदी। लेकिन एक बात बताओ क्या आप यहां जिंदा हो।
भूमि:- जब तक मर नहीं जाती इनके राज का पता लगाती रहूंगी, वरना मुझे लगभग मरा ही समझो। बात यहां उतनी भी सीधी नहीं है आर्य जितनी दिखती है। तुम्हे एक बात जानकर हैरानी होगी कि प्रहरी में 12 ऐसे लोग है जिन्हें आज तक छींक भी नहीं आयी। यानी कि कभी किसी प्रकार की बीमार नहीं हुई। मुझे तो ऐसा लग रहा है मै किसी जाल में हूं, गुत्थी सुलझने के बदले और उलझ ही जाती है।
तभी वहां धड़ाम से दरवाजा खुला, जया और केशव अंदर पहुंच गए… "भूमि तुमने सब बता दिया इसे।"…
आर्यमणि:- मां मै तो यहां एक सवाल का जवाब ढूंढते हुए पहुंचा था अब तो ऐसा लग रहा है, ज़िन्दगी ही सवाल बन गई है।
केशव:- हाहाहाहा… ये तुम्हारे पैक है, रूही तो दिखने में काफी हॉट है।
जया, केशव को एक हाथ मारती…. "शर्म करो कुछ तो।"… "अरे बाबा माहौल तो थोड़ा हल्का कर लेने दो। बैठ जाओ तुम सब आराम से।"..
जया, आर्यमणि का हाथ थामती हुई…. "तुम्हे पता है तुम्हारी मीनाक्षी मासी ने और उस अक्षरा ने तुम्हारी शादी कब तय कि थी, जब तुमने मैत्री के भाई शूहोत्र लोपचे को मारा था। पलक को बचपन से इसलिए तैयार ही किया गया है। उन सबको लगता है तुम्हारे दादा यानी वर्धराज कुलकर्णी ने तुम्हारे अंदर कुछ अलोकिक शक्ति निहित कर दिया। और यही वजह थी कि तुम इन सब की नजर मे शुरू से हो...
रूही:- कमाल की बात है, मै यहां मौजूद हर किसी के इमोशन को परख सकती हूं, लेकिन पलक कई बार कॉलेज में मेरे पास से गुजरी थी और उसके इमोशंस मै नहीं समझ पायि। बॉस ने मुझे जब ये बताया तब मुझे लगा मजाक है लेकिन वाकई में बॉस की बात सच थी।
जया:- ऐसे बहुत से राज दफन है यहां, जो मै 30 सालो से समझ नहीं पायि।
भूमि:- और मै 20 सालों से।
जया:- तुझे तो तभी समझ जाना चाहिए था जब हमने तुम्हे मीनाक्षी के घर नहीं रहने दिया था। मै, भूमि और केशव तो बहुत खुश थे की तुम बिना कॉन्टैक्ट के गायब हो गये। हमे सुकून था कि कम से कम तुम इस खतरनाक माहौल का हिस्सा नहीं बने। सच तो ये है भूमि ने तुम्हे कभी ढूंढने की कोशिश ही नहीं की वरना भूमि को तुम नहीं मिलते, ऐसा हो सकता है क्या?
केशव:- फिर तुम एक दिन अचानक आ गये। हम मजबूर थे तुम्हे नागपुर भेजने के लिये, इसलिए तुम्हे यहां भेजना पड़ा।
आर्यमणि:- पापा गंगटोक मे मेरे जंगल जाने पर जो कहते थे नागपुर भेज दूंगा। नागपुर भेज दूंगा… उसका क्या...
भूमि:- मौसा और मौसी की मजबूरी थी। यदि मेरी आई–बाबा को भनक लग जाती की हमे इनके पूरे समुदाय पर शक है, तो वो तुम्हे बस जिंदा छोड़ देते और बाकी हम सब मारे जाते। ये सब ताकत के भूखे इंसान है और तुम अपने जंगल के कारनामे के कारण हीरो थे। तुम्हे नहीं लगता कि एक पुलिस ऑफिसर का बार-बार घूम फिर कर उसी जगह ट्रांसफर हो जाना, जहां तुम्हारे मम्मी पापा है, एक सोची समझी नीति होगी। जी हां राकेश नाईक मेरे आई-बाबा के आंख और कान है।
आर्यमणि:- और कितने लोगो को पता है ये बात।
भूमि:- हम तीनो के अलावा कुछ है करीबी जो इस बात की जानकारी रखते है और सीक्रेटली काम करते है।
जया, अपने बेटे के सर पर हाथ फेरती उसके माथे को चूमती…. "जनता है तुझमें सब कुछ बहुत अच्छा है बस एक ही कमी है। तुम एक काम में इतने फोकस हो जाते हो की तुम्हे उस काम के अलावा कुछ दिखता ही नहीं। मै ये नहीं कहती की ये गलत है, लेकिन तुम जिस जगह पर अपने सवाल के जवाब ढूंढ़ने आये वो एक व्यूह हैं। एक ऐसी रचना जहां राज पता करने आओगे तो अपने सवाल भूलकर यहां की चक्की में पीस जाओगे। चल मुझे तू ये मत बता की तू कौन सा सवाल का जवाब ढूंढ़ने आया था। बस ये बता दे कि तुम्हे उन सवाल के जवाब मिले कि नहीं। या ये बता दे कि कितने दिन में मिल जाएंगे
आर्यमणि:- ऐसा कोई तूफान वाले सवाल नही थे। मुझे बस मेरी जिज्ञासा ने खींचा था। मैं तो सवाल के बारे में ही भूल चुका हूं। रोज नई पहेली का पता चलता है और रोज नई कहानी सामने आती है। ऐसा लग रहा है मै पागल हो जाऊंगा।
केशव:- तुम जिस सवाल के जवाब के लिये आये और यहां आकर जो नये सवालों के उलझन में किया है, वैसे इन प्रहरी के इतिहास में पहले कभी नही हुआ। मै बता दू, तुमने कुछ महीने में यहां सबको अपना दुश्मन बना लिया। हां एक काम अच्छा किए जो हमे भूमि के पास पहुंचा दिया। हमे इससे ज्यादा चिंता किसी कि नहीं थी, और तुम्हारी तो बिल्कुल भी नहीं..
जया:- मेरी एक बात मानेगा..
आर्यमणि:- क्या मां?
जया:- यें तेरा पैक है ना..
आर्यमणि:- हां मां..
जया:- अपने पैक को लेकर नई जगह जा, कुछ साल सवालों को भुल जा। क्योंकि जब तू सवालों को भूलेगा तब जिंदगी तुझे उन सवालों के जवाब रोज मर्रा के अनुभव से हिंट करेगी। खुलकर जीना सीखा, जिंदगी को थोड़ा कैजुअली ले। फिर देख काम के साथ जीवन में भी आनंद आएगा।
आर्यमणि:- हम्मम ! शायद आप सही कहती हो मां।
जया:- और एक बात मेरे लाल, तेरे रायते को हम यहां साथ मिलकर संभाल लेंगे, तू हमारी चिंता तो बिल्कुल भी मत करना।
भूमि:- अब कुछ काम की बात। जाने से पहले तुम वो अनंत कीर्ति की पुस्तक अपने साथ लिए जाना। एक बार वो खोल लिए तो समझो यहां के बहुत सारे राज खुल जाएंगे। दूसरा यदि जाने से पहले तुम सरदार खान की शक्तियों को उसके शरीर से अलग करते चले गए तो नागपुर समझो साफ़ हो जाएगा। खैर इस पर तो तुम्हारा खुद भी फोकस है। एक बार सरदार साफ फिर हम यहां अपने कारनामे कर सकते है। तीसरी सबसे जरूरी बात, बीस्ट अल्फा मे सरदार खान सबसे बड़ा बीस्ट है। हो सकता है कि तुम उसे पहले भी मात दे चुके होगे लेकिन इस भूल से मत जाना कि इस बार भी मात दे दोगे। पहली बात उसके अंदर कुछ भी भोंक नही सकते और दूसरी सबसे जरूरी बात, उसके पीछे बहुत बड़ा दिमाग है। बस एक बात ख्याल रहे उसे मारने के चक्कर में तुम मरना मत और यदि कामयाब होते हो तो ये समझ लेना सीक्रेट प्रहरी समुदाय तुम्हारे पीछे पड़ गया, और वो तुम्हे जमीन के किसी भी कोने से ढूंढ निकालेंगे।
जया:- चल अब हंस दे और जिंदगी को जी। अपने पैक के साथ रह। रूही, तुम सब एक पैक हो, ख्याल रखना एक दूसरे का। और कहीं भी ये जाए, इसको बोलना कोई भी काम वक़्त लेकर करे, ऐसा ना हो वहां भी नागपुर जैसा हाल कर दे। 3-4 एक्शन में तो फिल्म का क्लाइमेक्स आ जाता है, और इसने तो कुछ महीने में केवल और केवल एक्शन करके रायता फैला दिया।
रूही:- आप सब जाओ… हम सब निकलने कि तैयारी करते है। आर्यमणि मै इन सबको लेकर ट्विंस के जंगल में मिलूंगी।
आर्यमणि, भूमि के साथ चला। पहले डॉक्टर, फिर छाया और वापस सीधा अपने घर। आर्यमणि को बड़ा आश्चर्य हुआ जब घर आकर उसने भूमि को देखा। अपनी माता पिता से बिल्कुल सामान्य रूप से मिल रही थी। वो साफ समझ पा रहा था कि क्या छलावा है और क्या हकीकत।
आर्यमणि अपने माता-पिता और अपनी मौसेरी बहन के अभिनय को देखकर अंदर ही अंदर नमन किया और वो भी सामान्य रूप से, बिना किसी बदलाव के सबसे बातें करता रहा। कुछ ही देर बाद पार्टी शुरू हो गई थी। उस पार्टी में आर्यमणि शिरकत करते एक ही बात नोटिस की, यहां बहुत से ऐसे लोग थे जिनकी भावना वो मेहसूस नहीं कर सकता था।
प्रणाम मित्र
पहले तो माफी चाहूँगा कि अनुच्छेद 44 और 45 पर अपनी प्रतिक्रिया ना दे पाया
जैसा कि आप ने अनुच्छेद 44 और 45 मे बहुत से राज पर से पर्दा उठा दिया
सरदार खान का आर्यमणी पर हमला करना, पहरी समुदाय का रीछ स्त्री के पीछे जाना और तांत्रिक के सात सांठगांठ होना और सन्यासियों का आर्यमणी को इनके बारे मैं बताना काफी रोमांचक था
सात ही सात आप ने ये भी बताया कि आप हर किसी पे भरोसा नहीं कर सकते
पलक का किरदार भी काफी रहस्य से भरा लगा
यहा ये तो पता चला कि आप अपने सगे पर भी भरोसा नहीं कर सकते
भूमि का पूरे पहरी समुदाय का गुप्त राज सामने लाना काफी चौकाने वाला रहा कि उसे खुद अपने माँ और पिताजी पर भी भरोसा नहीं हैं, जो रक्षक हैं वही भक्षक बने बैठे हैं
ताकत का नशा ही ऐसा है कि इंसान अपने खून का रिश्ता भी भूल जाता है
देखना काफी दिलचस्प होगा कि अनंत कीर्ति की किताब पाने के लिए कितनी मुश्किलों का सामना करना होगा हमारे नायक को
अगले अनुच्छेद का इंतजार रहेगा मित्र