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Shetan

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" कामावतार "

(यह कहानी उन युवाओं को समर्पित है, जो अपनी गरीबी, लाचारी, बीमारी, बुरी किस्मत, शारीरिक कमियों की वजह से हताशा और निराशा में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है, मै कहानी के माध्यम से उन्हे संदेश देना चाहता हू कि " तितलियों का पीछा करने में अपना समय बर्बाद मत करो, अपने बगीचे को ठीक करो, तितलियाँ अपने आप आ जायेगी😜)


औरैया, जिला जालौन, उत्तर प्रदेश में बलवंत सिंह जाति से ठाकुर और पेशे से मजदूर, मजदूरी करना उसकी किस्मत नही गलती है, उसके पिता ने उसकी शराब् पीने की लत की वजह से उसे "नालायक औलाद" का ठप्पा के अलावा पैतृक संपति में से कुछ नहीं दिया। सारी संपति बांकी के चार पुत्रो में बराबर बराबर बाँट दी। बलवंत के ससुराल वालों ने जब उसके बाप से कहा कि ये कैसा न्याय है..??? आखिर बलवंत है तो तुम्हारा ही बेटा उसको भी बराबर का हिस्सा मिलना चाहिए. चाहे वो शराब् में बर्बाद करे या फिर संभाल कर रखे। काफी कहा सुनी के बाद उसके बाप ने एक टूटा फूटा मकान बलवंत की पत्नी के नाम लिख दिया। अब बलवंत दिहाड़ी की मजदूरी करता, आधे पैसे कमा के घर में देता और आधे शराब् के ठेके पर......!


बलवंत ने किसी सरकारी सालाना (वार्षिक) योजना की तरह हर साल एक बच्चा पैदा किया जिसके फलस्वरूप उसके परिवार में तीन बेटियां और सबसे छोटा एक बेटा जनार्दन सिंह उर्फ जॉनी है। जनार्दन के पैदा होने के बाद बलवंत की पत्नी ने उसे बिना बताये नसबन्दी करा ली।


'बाप भले ही गरीब मजदूर हो लेकिन बच्चो में योग्यता हो तो देर सबेर सफलता प्राप्त हो ही जाती है' लेकिन गरीब बलवंत ना ही खुद इतना योग्य था और ना ही उसकी औलाद में कोई ऐसी योग्यता थी जो सफलता की सीढ़ी चढ़ जाते। मसलन बेटियां दसवी में चार बार फैल हो कर पढाई बंद कर घर बैठ गयी।

उसकी बेटियां उम्र से पहले ही जवान दिखने लगी थी, रंग साफ, नैन नकश् सुंदर, खिलती छातिया, चौड़े और बड़े बड़े नितंब होने के वाबजूद उनकी गरीबी उनकी खूबसूरती पर 'बदनुमा धब्बे' की तरह नजर आती थी। जिससे उनके आशिक भी आसपास के उन्ही की तरह गरीब, छोटी छोटी किराने, मेडिकल और कपड़ो की दुकान पर नौकरी करने वाले लड़के ही रहे। जो उनके घर बलवंत की बीवी को 'चाची-चाची' कहते हुए घुसते और उसकी बेटियों के चूचे दबा कर हस्ते हुए वापस चले जाते। इस तरह बलवंत की बेटियों की "मोहल्ले वाले ईश्क की रासलीला" घर में ही चलती रहती।

बलवंत का बेटा जॉनी के भी हरमोंस में बदलाव होना शुरु हो गया था और वो अपने मोहल्ले के लड़को को अपनी बहनो की चूचीयो को दबाते हुए देखता लेकिन कुछ कह नही पाता। इसके तीन कारण थे..एक तो वो उम्र में छोटा और दूसरा उसकी बहनो को चूची दब्बने में हँसता हुआ पाता और तीसरा आते जाते हुए वो लड़के उसे कुछ ना कुछ खाने पीने का सामान खरीदने घर के बाहर भेज देते। इन्ही कारणों से वो सब जानते हुए भी चुप रहता।

जॉनी का एक दोस्त था रिजवान जो हेयर सैलून में नौकरी करता था, रिजवान और जॉनी अक्सर हमेशा साथ साथ घूमते खाते पीते अपनी बातें शेयर करते। रिजवान ने ही जॉनी को अब मुट्ठ मारना भी सिखा दिया था और उसका 'मुठ गुरु' बन गया था। ऐसे ही समय गुजर रहा था और 'गरीब मजदूर की बेटियाँ' खूब फल-फूल रही थी।

एक दिन जॉनी की मामी घर पर आई और जॉनी की माँ से कहा कि भाभी.... बेटियों के चाल चलन ठीक नहीं लग रहे है उन की छातिया फूल कर 'कुप्पा' हो रही है, चूतर सलवार में से 'मटके' की तरह बाहर निकल रहे है, बेटियों बारे में कुछ सोचा है कि नही.. ????

अरे हम करे, तो क्या करे ??? बेटियां कहती है कि "वो गरीबी भरे 'दलदल' से निकलकर वापस किसी गरीबी भरे 'कीचड़' में ब्याह कर नही जाना चाहती," और तुम्हे तो पता ही हमारी इतनी हैसियत नही है कि किसी अमीर के घर उन्हें ब्याह दे। मगर किसी भी तरह एक बिटिया का ब्याह तो इस साल करने की सोच रहे है।

अरे भाभी आज के समय में बेटियों के ब्याह की चिन्ता मत करो, जब से लड़का लड़की के 'लिंगानुपात' की सख्या में अंतर हुआ है तब से बेटियों वालों की चांदी हो गयी है, हमारी समाज में ही बड़े-बड़े अमीर घरों में लड़के कुँवारे बैठे हैं, जो शादी के लिए दोनों घरों के चूल्हे जलाने के साथ साथ मुह मांगी कीमत भी देने को तैयार है बस उनके घर में कैसे भी कर के बहू आ जाये। अगर तुम कहो तो मै तुम्हारी तीनों बेटियों का ब्याह एक साथ एक ही मंडप पर करवा दू। और उल्टा तुम्हें तिगुना दहेज भी दिलवा दू।


ये बात सुनकर बलवंत की बीवी के चेहरे पर चमक आ गयी और कुछ महीनों बाद बलवंत के साले ने उसकी तीनो बेटियों की शादी कहे अनुसार अच्छे घरों में करवा दी और एक से ढेड़ लाख रुपये भी हाथ में थमा दिये।


'गरीब आदमी के लिए पैसा कमाना जितना मुश्किल काम है, उससे कही ज्यादा पैसा संभाल कर रख पाना। पैसा कब, कहाँ और कैसे खर्च करना उसकी कला गरीबों में नही होती।'


घर में हैसियत से ज्यादा पैसा आने पर बलवंत ने मजदूरी करना बंद कर दिया और सुबह ही घर से निकल जाता देर रात तक शराब् के नशे में वापस आता पत्नी के समझाने के बाद भी जब बलवंत नही माना तो उसने चोरी छिपे 50 हजार रुपये बैंक में जमा कर दिये, बांकी पैसों से जॉनी को एक छोटी सी चाउमीन, मोमो, की दुकान खुलवा दी।


'धंधा छोटा हो या बड़ा आज के कॉम्प्टीशन के दौर में चलाना आसान नही होता' जॉनी के धंधे ने उसे रोजगार नही दिया सिर्फ 200-250 रु रोज की 'आजीविका का एक जरिया' बन कर रह गया।


महीने गुजरते गये इस दौरान उसका अपने दोस्त रिजवान (मुट्ठ गुरु) से मिलना बंद हो गया, बहनो की शादी के बाद जॉनी घर में अकेला रह गया था और नॉनस्टोप् मुठ मारता, परिणाम स्वरूप एक दो मिनिट देसी विदेशी पोर्न फिल्म देखने के बाद ही कुछ सैकिंड का लिंग् में तनाव महसूस कर वीर्य निकल जाता।

बड़ी विकट समस्या से जॉनी झूझ रहा था, उसे खुद भी कुछ समझ नही आ रहा था, करे तो क्या करे बीमारी ही ऐसी हो गयी थी कि 'किसी को बता नही सकता और खुद से छिपा नही सकता।' चिंता और अवसाद के कारण 25 की उम्र में ही 35 का लगने लगा। घर में माँ बाप के बीच रोज का कलह अलग से मचा हुआ था।

काफी दिनों बाद जब जॉनी अपने दोस्त रिजवान से मिला तो डरते डरते उसने यह बात अपने दोस्त 'मुट्ठ गुरु' को बताई। दोस्त पहले तो बहुत जोर से हंसा, और 'ढीले बलम', 'सुस्त लंड' जैसे नाम से चिढ़ाने लगा। और जब वो जॉनी का पूरी तरह से मजा लेकर खुश होकर थक गया तब बोला....

"जॉनी मेरे दोस्त तुम्हारी कोम में हमेशा ज्यादतर लौंडो को यही प्रोबलम होती हैं, 30-35 साल के हो जाते हो लेकिन चूत के दर्शन नही मिलते....और 'अपना हाथ जगन्नाथ' कर हैंड पंप चला-चला कर पूरे लंड की नसे ढीली कर लेते है। हमारी कौम इस मसले में बढ़िया है, लोंडा 'चूतर धोने से पहले चूत चोदना' सीख जाता है, फूफी की लड़की, खाला की लड़की, चच्ची की लड़की, मामू की लड़की, जिसके साथ चाहो उसके साथ मजे करो...?? " यही तो खूबसूरती है, हमारी कौम की "

मेरे दोस्त ये कोई बीमारी नही है ऐसा इसलिए है क्योकि तूने अभी तक किसी भी लड़की को चोदाँ नही है, लड़कियों को चोदना शुरु करो, लौड़े की भी कसरत होगी और तेरी जो बीमारी है वो भी दूर भाग जायेगी। कल चल मेरे साथ फिरोजाबाद मै तेरी लंड की टोपी खुलवाता हू,।

जॉनी को कुछ कुछ बातें अपने दोस्त की समझ आ रही थी, और एक मुस्कान के साथ बोला कितना पैसा खर्चा होगा...???

देख भाई जॉनी आने जाने का तू खर्च कर दियो, वहा तेरी लंड की टोपी खुलवाने का खर्चा मैं देख लूंगा....! और फिर हस्ता हुआ वो चला गया।

अगले दिन दोनो दोस्त फिरोजाबाद पहुँच कर के बस स्टैंड के पास की गली में घुस गये। जो कि वहाँ की 'रण्डी गली' के नाम से जानी जाती है, गली के अंदर पान की दुकान के बगल से ऊपर की ओर जाती हुयी सीढ़ीयों पर चढ़ कर दोनों दोस्त एक कमरे में आ गये। अधेड़ उम्र की औरतों के साथ कुछ लड़किया भी वहा तख्त पर बैठी हुयी थी। जॉनी के दोस्त ने एक औरत से सौदा फिक्स किया " 300 रु सवारी, हल्की चाहे भारी "और हस्ते हुए एक-एक लड़की के साथ दोनों दोस्त परदे की आड़ से बने केबिनुमा बरामदे में घुस गये।

जॉनी का ये पहला अनुभव था उसके चेहरे पर डर और हवस का मिलाजुला असर साफ दिख रहा था, काफी देर तक वो खड़ा रहा वो कभी उस लड़की को देखता..जो कि सलवार उतार कर नीचे से नंगी हो चुकी थी और कभी बगल के पर्दे के दूसरी ओर चुदाई करते हुए जोड़े की परछाई को देख रहा था।

पेंट उतार ना लंडूरे ?? अब क्या खड़ा खड़ा करेगा.... लोडु ???? अपनी सलवार को खोल कर कॉंडोम का पैकेट फाड़ते हुए वो लड़की बोली। लड़की की गाली भरी, चुभती हुई आवाज को सुनकर जॉनी की हवस फुर्र हो गयी और बचा सिर्फ डर....! लेकिन जिस काम के पैसे दिये जा चुके थे, वो काम तो करना ही था।

डरते डरते जॉनी ने अपना पेन्ट उतार कर नीचे से नँगा हो गया उस लड़की ने उसके मुरझाये हुए लंड को हाथ से पकड़ कर जोर जोर से हिलाने लगी, रंडि की लंड हिलाने की रफ्तार से जॉनी के लंड में जैसे जैसे आकार में वृद्धि हुई तो रंडि ने बिना देर किये उस पर कॉंडोम चढ़ा दिया। लेकिन लंड पूर्ण रूप से खड़ा और कडा नही हुआ था।

चल अब डाल ना चूतिये... ।

अब भला 'ढीला लंड' चूत में कैसे जाता जॉनी काफी प्रयास कर रहा था लेकिन 'सुस्त लंड' चूत के मुहाने पर आकर फिसल कर मुड़ जाता, रण्डी ने भी जॉनी के लंड पकड़ कर दोबारा से हिलाया और कुछ ही सेकंड में जॉनी के लंड ने पानी छोड़ दिया।

रण्डी ने अपनी सलवार पहनी, कॉंडोम को कचरे की बाल्टी में डाल देना... कहकर वापस कमरे में मौजूद अन्य रण्डी के साथ बैठ गयी। इस 'रण्डी बाजी' के बुरे अनुभव से जॉनी टूट गया और वो मन ही मन समझ गया कि उसका लंड बेकार हो चुका है, सिर्फ 'मूतने' के लिए बना है, ना कि किसी को 'चोदने' के लिए....!


दिन बीतने लगे और जॉनी अंदर ही अंदर घुटता रहता, ना ही उसके पास पैसा था, और ना ही मर्दांगी.... फिर एक दिन जॉनी के बाप की ज्यादा शराब् पीने की वजह से तबियत खराब हो गयी और उन्हें जिला चिकित्सालय में तीन चार दिन के लिए भर्ती करवाना पड़ा। दिन में जॉनी की माँ, बाप की देखरेक के लिए रुकती और रात में जॉनी....।

जॉनी अपने लंड के परफॉर्मेंस से 'तन' से हार गया था, लेकिन 'मन' से नही, मन में सेक्स का कीडा अभी भी जिंदा था।

हॉस्पिटल में रात को बाप के सो जाने के बाद वो 'महिला प्रसूति वार्ड' में चक्कर मारने चला जाता, वहा गर्भवती महिलाओं को ढीली मैक्सी और ब्लाउस पेटीकोट में अस्त व्यस्त हाल में सोते हुए उनकी 'चूत की लाइन' की झलक मात्र देख कर 'मंत्र मुग्ध' हो जाता, जो महिलाएं अपने बच्चो को स्तन् पान कराते हुए सो जाती और उनका चूचा (स्तन्) बाहर निकला रहता, मौका पाकर उनको छूने की कोशिस करता और उनकी मोबाइल से वीडियो बनाता।

ऐसे ही चौथी रात जॉनी अस्त व्यस्त कपड़ो में सोती हुई औरतो के आश्लील वीडियो बनाने की फिराक में 'प्रसूति वार्ड' में चक्कर लगा रह रहा था तो एक नर्स ने उसे देख लिया, और जॉनी को टोकते हुए बोली....

इतनी रात में यहाँ क्या कर रहे हो...???

जॉनी सहम गया... सच बता नही सकता था।

कुछ नहीं... कुछ भी नही... अटकते हुए कहता हुआ जॉनी वहा से जल्दी जल्दी भागने लगा.... जॉनी को इस तराह भागते हुए देख वो नर्स चिल्लाने लगी....!

चोर.. चोर... मोबाइल चोर...

जॉनी पकड़ा गया जॉनी की काफी अच्छे से पिटाई हुई, लेकिन 'बाप की बीमारी' की हालत को देखते हुए कोई पुलिस या अन्य कार्यवाही नही हुयी।

" इतना संगीन पाप कोन करे, मेरे दुख पर विलाप कौन करे, चेतना मर चुकी है लोगों की, पाप पर पश्चताप कौन करे "

लेकिन जॉनी ने मन ही मन कसम खा ली एक ना एक दिन इन औरतों से बदला जरूर लेगा। उस दिन से जॉनी ने औरतो को 'बुरी नजर' से देखना बंद कर दिया और अपने 'ढीले लंड' को सिर्फ मूतने के लिए उपयोग में लाना शुरु कर दिया।

साल गुजर गयी चाॅअमिन् मोमोस के धंधे में भी अब 100-150 रु रोज की दुकानदारी रह गयी। "शकल, अकल, नस्ल" तीनों से जॉनी चूतिया दिखने लगा उम्र भी 30 पार हो गयी, नजर 45 का आने लगा। ब्याह वालों का अता पता नही, बहनो की भी गृहस्थी हो गयी थी, तो उन्होंने भी आना जाना कम कर दिया। बाप ने बीमारी की वजह से बिस्तर पकड़ लिया। Paytm के माध्यम से तीनों बहने महीने का तीन-तीन हजार रु भेज देती जिससे 'परिवार का गुजारा' हो रहा था। अपने ही 'जीवित शव' को अपने ही कंधे पर ढोते हुए जॉनी की जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही निराशा, हताशा के साथ कट रही थी।


और एक दिन एक शक्स, चमचमाती बुलट पर.... स्मार्ट हैंडसम, दिखने में पढ़ा लिखा, उम्र 35-40, हाव भाव से किसी 'फिल्मी सितारे' की तरह उस की छोटी सी दुकान पर चाउमीन खाने के लिए आया। जॉनी तो उसके 'चेहरे के तेज' को देखता ही रह गया। उसने गरम गरम बढ़िया सी चाउमीन बनाकर उसे प्लेट में देकर सड़क की ओर देखने लगा।


वो शक्स चाउमीन खाते हुए फोन पर किसी से बात कर रहा था भाषा से वो 'मथुरा' साइड का रहने वाला लग रहा था। फोन पर बात करते हुए उसके हाव भाव देखकर जॉनी अब उसकी फोन पर हो रही बातचीत को समझने की कोशिस करने लगा। वो शक्स किसी की 'जनम कुंडली' में लिखी 'भविष्यवाणी' के बारे में शायद बात कर रहा था।


फोन कट जाने के बाद, वो जॉनी से बोला भाई तेरी चाउमीन बहुत बढ़िया है लेकिन थोड़ी तीखी है, और प्लेट को टेबल पर रख कर सामने की 'मिठाई की दुकान' से 250 ग्राम 'सोन पपड़ी' ले आया और एक पीस खुद खाते हुए पूरी थैली जॉनी के सामने रखते हुए बोला... लो खाओ भाई...??


जॉनी ने मना किया, तो वो हस्ते हुए बोला इसके पैसे तेरी चाउमीन से नही काटूंगा, ये सुन जॉनी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और थैलि में से एक पीस सोन पपड़ी लेकर खाने लगा... खाते हुए जॉनी ने जिज्ञासा वश उससे पूछा क्या आप ज्योतिष है.. ???

वो हंसा और बोला नही भाई ज्योतिषी मुझे पुरखों के द्वारा विरासत में मिला हुआ ज्ञान है, जिसे मै अपने अजीज मित्रों पर शौकिया खर्च करता हूँ। मै तो एक NGO चलाता हूँ और जरूरतमंद लोगों की जरूरते पूरी करता हूँ।

लेकिन तुम क्यों पूछ रहे हो...???

वो आप फोन पर किसी की जनम कुंडली पढ़ कर भविष्य बता रहे थे तो मैने सोचा..!

क्यों भाई तुम्हे भी अपना भविष्य जानना है क्या??

हा..

चलो अपनी जनम तिथि, समय, तारिक, स्थान बताओ... जॉनी सब कुछ बता देता है और उसकी कुंडली सामने बैठे शक्स के मोबाइल एप पर बन जाती है, जॉनी की कुंडली देख कर वो शक्स जॉनी को ऊपर से नीचे की तरफ देखता है.... और आश्चर्य के साथ कहता है क्या सच में ये डिटेल जो तुमने बताई वो सही है.?

हा भाई......!

इस कुंडली के हिसाब से तो तुम्हारा राजयोग है, अश्व की तरह दमकता निरोगी शरीर, खूबसूरत स्त्रियाँ, पैसा, ऐशो-आराम सब कुछ तुम तो साक्षात " कामावतार " हो।

"ये है पढ़ा लिखा चूतिया " जॉनी मन ही मन बोला...।

थोड़ी देर तक जॉनी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए वो शक्स बोला.. मिल गया फॉल्ट इंसान ''जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल मिलता है" तुम्हे जो काम करना चाहिए वो कर नही रहे और दस-दस रु प्लेट की चाउमीन बेच रहे हो तो क्या घंटा फर्क पड़ने वाला है। दिशा बदलो, दशा बदलेगी, अपने शौक, अपने पेशन को अपना प्रोफेशन बनाओ तो सारी जिंदगी कोई काम नही करना पड़ेगा।

मतलब.....???

ट्रांसफोर्मेशन की जरूरत है तुम्हे, जन्म तिथि के हिसाब से तुम 30+ साल के हो लेकिन दिख 40+ के रहे हो, खुद को बदलो तब सब बदलेगा।

किसी मोटीवेशनल स्पीकर की तरह वो शक्स जॉनी को मुफ्त का ज्ञान चोद कर बची हुई 'सोन पापड़ी' और 'दस का नोट' थमा कर चला गया और जाते हुए वो जॉनी की एक फोटो भी खीच ले गया।

"औरो को उपदेश सुनाना चुंबन सा ही मीठा काम है, खर्च नही कुछ पड़ता, मन को मीठा लगता है "

गरीब छोटे छोटे दुकानदार को इस प्रकार का 'मुफ्त ज्ञान चोदने वालों' की हमारे देश में कमी नहीं है, फेसबुक पर ऐसे 'ज्ञान पांडे' भरे पड़े है। इसलिए जॉनी ने भी उस शक्स की बातों को एक कान से सुन दूसरे से बाहर निकाल दिया। क्योकि वो जानता था 'भरोसे' वाले ही 'भोसड़ी' वाले होते है।

करीब दो तीन घंटे बाद वो शक्स वापस आया इस बार उसके हाथों में कुछ सामान था और मुस्कुराता हुआ जॉनी से बोला, छोटे भाई मैने तुम्हारे बारे में अपनी वाइफ को बताया और उसे तुम्हारी फोटो दिखाई मेरी वाइफ ने घर पर फ्री समय में धन्वंतरि की प्रकाशित निरोग धाम, आरोग्य धाम जैसी सभी किताबों को पढ़-पढ़ कर, 'घर का वैद्य' बन अपने नुस्खो से पूरी फैमिली का इलाज करती है।

मैने तुम्हे अपना छोटा भाई बना लिया है, अब ये लो दवाइयाँ 21 दिन का कोर्स है इन्हे आज से सुबह शाम खाना शुरु करो.. एक बॉटल में तेल है जिसे अपने सिर से लेकर पाँव के अंगूठे तक निर्वस्त्र होकर शरीर के हर अंग में लगाना है, दूसरी में लिक्विड है जिसे पानी में मिला कर पीना है, तीसरी में 'मन्मथ रस' की गोली है जिन्हे दिन में दो बार खाना, चौथी में जड़ी बूटी और भस्मो से मिला कर तैयार किया हुआ 'पाक' है उसे भी दिन में दो बार खाना है। आधे घंटे रोज दंड पेलना, उठक बैठक करना है।

जॉनी ने मन ही मन कहा ये तो साला 'सेल्स मेन' निकला जबरदस्ती दवाइयाँ चिपका रहा है। और धीरे से बोला इसके पैसें...?? ?

छोटा भाई बना लिया है तुम्हे, बड़े भाई के रहते हुए छोटा भाई चिंतित रहे, अस्वथ रहे तो फिर काहे का बड़ा भाई... अब मै तुमसे 21 दिन बाद मिलता हू। जाते जाते वो जॉनी का पांच हजार रु ड्राई फ्रूट और फ्रूट खाने के लिए दे गया।


अब जॉनी के अंतर्मन से सिर्फ एक ही आवाज आ रही थी.......!


"ना जाने किस रूप में आकर 'नारायण' मिल जायेगा, अपने मन के दर्पण में वो 'भगवान्' के दर्शन पायेगा।

उसी रात से जॉनी ने दवाइयों को खाना शुरु कर दिया और सुबह जब उठा तो उसे अपने लंड में इतना कड़कपन महसूस हुआ जो आज तक की 30 साला जिंदगी में कभी नही हुआ। जॉनी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा... और अब वो पूर्ण विश्वास के साथ दवाई खाता, एक एक घंटे सुबह शाम दंड पेलता !


हफ्ते भर में खिलाई पिलाई दवाइयों और कसरत का असर जॉनी के बदन में दिखने लगा 40+ का नजर आने वाला जॉनी अब 25 का दिखने लगा। उसके बुड्ढो की तरह झुके कंधे सीधे होकर चौड़े होने लगे, उठक बैठक करने से उसकी जांघे भरने लगी, तेल के प्रभाव से उसके पूरे शरीर के अंग-अंग में चमक के साथ साथ चेहरे पर तेज आने लगा, होंठो पर लालिमा, सिर के झड़े हुए बाल वापस आना शुरु हो गये, उसका लंड सामान्य पुरुषो से बड़ा और मोटा हो गया, और लंडआकृति सुडॉल् होने के साथ साथ उसके जीन्स-पेंट्स में उभरकर अलग से दिखाई देने लगी, जिसे वो चाहकर भी छिपा नही पाता।


आखिरकार जॉनी की माँ ने दसवें दिन उसके जीन्स-पेंट्स में उभरती हुयी लंडआकृति को देखकर उसे टोक ही दिया ये कोनसी दवाइयाँ खाने लगा है, पूरा शरीर बढ़ता ही चला जा रहा है.. जॉनी अपनी माँ की बात को अनसुना कर अपनी दुकान पर चला गया, उसे तो बस इंतजार था 21वे दिन का कि उसका वो 'बड़ा भाई' कब दर्शन दे जिसे वो अपना 'भगवान्' मान चुका है।


22वे दिन जॉनी सुबह दुकान खुलने की टाइमिंग से पहले ही अपने भगवान् के दर्शन के लिए अपनी नजरे बिछाये हर आने जाने को देख रहा था..... कब वो आये और उसे दर्शन दे। राह देखते देखते दोपहर के 12 बज गये और तभी जॉनी के भगवान् प्रकट हुए।

अपने उस बड़े भाई को देखकर जॉनी खुशी से फूला नही समाया जिसका वो नाम तक नही जानता था। जॉनी के शारीरिक बदलाव और पेंट में नजर आ रहे लंड के उभार को देखकर हस्ते हुए बोला.... छोटे भाई ये क्या हो गया...????

'आप ही ने बनाई है ये हालत मेरी, आप ही पूछते हो कि ये क्या हो गया....?' जॉनी ने भी हस्ते हुए गाना गा कर जबाब दिया। दोनों बड़ी जोर से हँसने लगे।

बड़े भाई बताइये क्या खिलाऊ..??? जॉनी ने स्टूल खिस्काते हुए पूछा।

कुछ नही अब तुम इधर आराम से बैठो।

जॉनी अपने भगवान् को बड़े ही प्यार से एक भक्त की तरह निहार रहा था। उसे इस तरह निहारता देख उस शक्स ने पूछा क्या हुआ...???

आपका नाम क्या है...??? जॉनी ने मुस्कुरा कर पूछा..??

'कामदेव' ...... और सभी लोग मुझे केडी कहते।

जॉनी दिन का जो तुम कमाते हो वो मै तुम्हे दे दूंगा अब चलो मेरे साथ अभी बहुत काम बांकी है। जॉनी ने फुर्ती से दुकान बंद की और चल दिया केडी के साथ। वो दोनों सीधे एक मॉल में गये और केडी ने जॉनी को नये नये फैशनेबल कपड़े दिलवाये, और एक जोड़ी अभी पहनने को कहा।

जॉनी जब फैशनेबल कपड़े पहनकर बाहर आया तो किसी रहीसजादे की तरह दिखने लगा। वो दोनों कपड़ो के सेक्शन निकल कर मॉल से बाहर निकलने लगे... जिस जिस जगह से जॉनी गुजरता हर स्त्री-पुरुष, लड़का-लड़की एक झलक उसको जरूर देखते। हर औरत और लड़की की नजर जॉनी के चेहरे से ज्यादा उसके पेंट में दिख रहे सुडॉल् बड़े मोटे लौड़े के उभार पर जाकर टिक जाती और वो सभी अपनी-अपनी अंतर दृष्टी से मन ही मन कल्पना करने लगती।

कुंवारी कन्याओ-नव्यौवना को वो हॉट सेक्सी, कूल दिखा, व्यभिचार मे लिप्त स्त्रियों को कामकीडा का खिलाडी दिखा, वतस्ला दृष्टी से जिन स्त्रियों ने देखा उसे वो अपना 'दामाद' बनाने की सोचने लगी..... सेक्स की प्यासी, असंतुष्ट स्त्रियों और लड़कियों को 'कृपा निदान' लगा। घमण्डी स्त्रियों और लड़कियों एवम शीमेल, गांडू को वो साक्षात यमराज लगा।

शॉपिंग करने के बाद केडी, जॉनी को ढाबे पर ले गया दोनों ने बढ़िया खाना खाया, और खाने के बाद एक दूसरे से बातचीत करने लगे।

जॉनी अब आगे का क्या प्लान है, क्या करना है लाइफ में...???

पता नहीं... मजदूर का बेटा हू तो मजदूरी ही करूँगा।


हाहा हाहा ये भी सही है, लेकिन जो काम 'लौड़ा' कर सकता है, उसके लिए 'हथौड़ा' चलाना तो मूर्खता है। इस खूबसूरत शरीर के साथ ईट पथरो पर जोश, ताकत दिखाने से अच्छा किसी जरूरत मंद की जरूरत को पूरी करने में इस ताकत का प्रयोग करो जिससे उसको खुशी मिलेगी और तुम्हे पैसा ....!


जॉनी : कैसे???

जो मान-सम्मान, दौलत, शोहरत तुम्हारा चेहरा नही दिला पाया वो सब, अब तुम्हारा लौड़ा दिलाएगा।

मै समझ गया भईया 'पुरुष वैश्या' बनना है।

क्या बात है जॉनी पहले जैसे 'चूतिये' अब नही रहे, होशियार हो गये, बताने से पहले ही समझ गये..... केडी हस्ते हुए बोला।

मेरी बात ध्यान से सुनो जॉनी, 'वैश्या का पेशा' सभी पेशों में सबसे बदनाम पेशा है, उसमे अपने व्यक्तिव को बेचना पड़ता है, तुम्हे भी अपने व्यक्तिव को बेचना है....' वैश्या सबकी होती, किसी एक के होने की उसके लिए मनाही है, जो जितना पैसा देगा वो उसकी होगी और तुम्हे भी बस यही याद रखना है..... ना किसी से प्यार, मोहब्बत, शादी कुछ नही।

जॉनी को हॉस्पिटल में अपनी औरतो से बदला लेने वाली गयी कसम याद आ गयी,
सब मंजूर है भईया वैसे भी मुझे भी किसी 'एक का होने में' कोई interest नही है।

Thats good, मै कुछ वीडियो और टिप्स तुम्हे भेजता हूँ कैसे एक औरत को बातों से, हाथों से, 'काम-कलाओं' से परम सुख दिया जाता है, जिनसे तुम सब सीख जाओगे।

भैया मेरे contact कैसे बनेंगे...?? जॉनी ने सवाल किया।

Contact तो स्वार्थी लोग बनाते है, जो जरूरत पड़ने पर याद किये जाते है, तुम्हे रिश्ते बनाने है जॉनी, वो भी ऐसे रिश्ते कि औरते तुम्हारे चेहरे और लोंड़े को जिंदगी भर ना भूल पाये।

मै तुम्हारी कुछ वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करूँगा जिसमें तुम्हारे जिस्म का सबसे शानदार अंग (लंड) जो स्त्रियों को सबसे ज्यादा आकृषित करेगा। बांकी टेक्नोलॉजी का कैसे प्रयोग करना वो सब तुम मुझ पर ही छोड़ दो।

जॉनी हस्ते हुए भईया ' लंड प्रदर्शन ' करना है...???

'प्रदर्शन' तो चूतिये करते है..... तुम्हे 'दर्शन' करवाना है.. केडी भी हँस कर बोला।

केडी भईया बस एक सवाल है, आपने इस काम के लिए मुझे ही क्यों चुना...???

ह्म्म्म.... तुम्हे इसलिए चुना कि क्योकि तुम्हे इस काम की सबसे ज्यादा जरूरत है, जरूरत मंदो की जरूरतें पूरी करना ही मेरा जॉब है।

जॉनी आश्चर्य से..... मै समझा नहीं भैया.??

उस दिन जब हॉस्पिटल में तुम्हारे साथ जो भी हुआ था, मै वही मौजूद था, उस घटना का संपूर्ण सच मुझे पता था कि प्रसूति वार्ड में तुम क्या करने आये थे...???? जो लड़का अपने बाप की जिंदगी मौत से झूझती हुयी साँसों को अंदेखा कर अपनी काम वासना और यौन इच्छाओ की पूर्ति के चक्कर में यहाँ पिट रहा है, अगर इसकी इच्छा पूरी ना हुयी तो जल्द ही मर जायेगा, मैने ठान लिया मै इसे मरने नही दूंगा, मै इसके लिए कुछ भी करूँगा।

खैर छोड़ो सब, काम पर लगते है, फिर केडी ने स्विमिंग करते हुए, रस्सी कूद करते हुए जॉनी के कुछ वीडियो बनाये जिनमें जॉनी का लंड उछलता हुआ नजर रहा था।

जॉनी की वीडियो पब्लिक होने वाली थी. वो सोच रहा था कि कोई रिश्तेदार देख लेगा तो क्या होगा उसका भविष्य....???

उसके सामने ही वो वीडियो किसी को वॉट्स ऐप पर भेजी गईं. वीडियो के साथ लिखा था, 'नया माल है, रेट ज़्यादा लगेगा. कम पैसे का चाहिए तो दूसरे को भेजता हूं.'

जॉनी की बोली लग रही थी, जो अंत में 25 हज़ार रुपये में तय हुई. इसमें उसे क्लाइंट के लिए सब कुछ करना था. ये सब किसी फ़िल्म में नहीं, सच में उसके साथ हो रहा था. उसे बहुत अजीब लग रहा था... !

जॉनी ज़िंदगी में पहली बार ये करने जा रहा था. बिना प्यार, इमोशंस के कैसे करता? एक अंजान के साथ करना होगा ये सोचकर उसका दिमाग चकरा रहा था.

एक ई रिक्शा में बैठकर मैं उसी दिन औरैया के एक पॉश इलाके के घर में घुसा. घर के भीतर बड़ा हाल था, काफी बड़ा टीवी भी था.

वो शायद 32-34 साल की शादीशुदा महिला थी. बातें शुरू हुईं और उसने कहा, ''मैं तो गलत जगह फँस गई. मेरा पति गे है. भोपाल में रहता है. तलाक दे नहीं सकती. एक तलाकशुदा औरत से कौन शादी करेगा. मेरा भी अलग-अलग चीज़ों का मन होता है, बताओ क्या करूं.''

फिर उस औरत ने शराब् का ग्लास देते हुए बोली लो पियो इसे...!

मै शराब् नही पीता, जॉनी ने जबाब दिया।

शराब् तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ेगी, तुम एक 'औरत के नशे' में मरोगे... ये केहकर वो जोर से हँसने लगी।

आखिर कार जॉनी को शराब् पीनी पड़ी फिर हिंदी गाने लगाकर डांस करना शुरू किया.

"यम्मा यम्मा यम्मा ये खूबसूरत जहा,
बस आज की रात है, जिंदगी कल तुम कहाँ, हम कहाँ "

दोनों डाइनिंग रूम से बेडरूम गए.
अब तक उस औरत ने जॉनी से प्यार से बात की थी. काम जैसे ही खत्म हुआ , पैसे देकर बोली, " घरवालो ने हर चीज मुझे मनपसंद दिलाई थी, बस एक हम सफर ही नही मिला पसंद का, वो कमी भी आज तुमने पूरी कर दी.'' उसने जाते जाते जॉनी को टिप भी दी.....!

जॉनी अगले दिन केडी से मिला... केडी ने हस्ते हुए पूछा कैसा रहा...???

जॉनी बोला बड़े भईया मजा आ गया, उस औरत ने जाते हुए मुझे आखिरी बात बोली मेरे दिल में 'घर' कर गयी।

अभी ऐसी बहुत सी 'राज की बातें' सुनने को मिलेगी कि तुम्हारे दिल में जगह नहीं बचेगी, ....जॉनी भैया, हर औरत दोहरी जिंदगी जी रही है, परिवार के लिए अलग... खुद के लिए अलग। अब उसको भूल जाओ, आज तुम्हे इटावा जाना है, ये पता और फोन नंबर है, अभी ही निकल जाओ शाम तक पहुँच जाओगे।

जॉनी इटावा में केडी के बताये हुए पते पर पहुँच गया, एक भारी शरीर की काली कलूटी, 35-36 साल की लड़की जिसे देखकर लग रहा था उसने कभी आईना नहीं देखा, उसने कभी संवरना नहीं जाना, उसने कभी खुद को सुंदर न माना हो, उसने दरवाजा खोला।

जॉनी के पैर देहरी पर ही ठेहर गये, मन ही मन सोचा ये केडी ने कहा फंसा दिया, इसे देख तो 'खड़ा लंड' बैठ जाये। उसने वापिस जाने का सोचा.... तभी उसको अपने खुद के पुराने रूप का ख्याल आया कि उसकी शकल देख कर भी लोग थूकते थे, तब कैसा महसूस होता था।

ये सोचते ही जॉनी एक प्यारी सी मुस्कान लिये घर के अंदर आ गया, दोनों के बीच थोड़ी बातें हुयी उस लड़की ने बताया उसके भारी शरीर और काले रंग की वजह से हर कोई उसे कालि भैंस बोल कर उसका मजाक बनाता, इसलिए ज्यादा किसी से मिलती नही है, एक बार सगाई हुई थी वो भी टूट गयी क्योकि जो उसका होने वाला पति का किसी और के साथ affair था और वो सिर्फ उसकी दौलत के लिए शादी कर रहा था। बतियाते हुए वो लड़की सिसकने लगी।

जॉनी ने उसे अपनी बाहों का सहारा दिया
और कहा, तुम्हारी आँखें मृगनयनी सी सुंदर हैं, तुम्हारी मुस्कान के आगे गुलाब की लालिमा फीकी है, तुम जो इठलाती, काष्ट ह्रदय भी द्रवित हो जाता, तुम्हारी पायल की खनक, अंधकार के अरण्य में डूबे मुझ पथिक को दूर सुदूर से खीच लाई.....!

इतना सुनते ही लड़की ने अपने होठों को जॉनी के होंठों सटा दिया और दोनों एक दूसरे में समा गये......!

सुबह जब जॉनी उठा तो वो लड़की बन सवर कर, खुद को बार बार आईने में निहारती हुई, मन ही मन मुस्कुरा रही थी।
जाते जाते उस लड़की ने जॉनी से कहा बहुत प्यारे इंसान हो तुम जो मुझे खुद से प्रेम करना सिखा दिया।
कुछ दिन बाद जॉनी को एक बार एक पति-पत्नी ने साथ में बुलाया. पति सोफे पर बैठा शराब पीते हुए देखता रहा. जॉनी उसी के सामने पलंग पर उसकी पत्नी के साथ था. ये काम दोनों की रज़ामंदी से हो रहा था. शायद दोनों की ये कोई डिज़ायर रही हो!

इसी बीच 50 साल से ज़्यादा उम्र की महिला भी जॉनी की क्लाइंट बनी. वो जॉनी ज़िंदगी का सबसे अलग अनुभव था.

पूरी रात वो बस जॉनी को बेटा-बेटा कहकर बात करती रहीं. बताती रहीं कि कैसे उसका बेटा और परिवार उसकी परवाह नहीं करता. वे उससे दूर रहते हैं. वो जॉनी से भी बोलीं, "बेटा इस धंधे से जल्दी निकल जाओ, सही नहीं है ये सब.'' पैसा ही सब कुछ नही होता.....!

पैसा ही सब कुछ नही होता, ये बात समझने के लिए मेरे पास पहले बहुत सारा पैसा भी तो होना चाहिए.... जॉनी ने जबाब दिया।

बेटा खूब कमाओ पैसा, लेकिन इतना इकट्ठा मत करना कि बच्चे तबियत खराब होने पर डॉक्टर की जगह वकील बुला लाये।

जॉनी निः शब्द था, चुप ही रहा ये सुन कर।

उस रात उन दोनों के बीच सिवाय बातों के कुछ नहीं हुआ. सुबह उस औरत ने बेटा कहते हुए जॉनी को रुपये भी दिए. जैसे एक मां देती है अपने बच्चे को सुबह स्कूल जाते हुए. जॉनी को वाकई उस महिला के लिए दुख हुआ.

अब जॉनी को दूर दूर से क्लाइंट बुलाने लगे और एक दिन वो अलीगढ़ गया, जहाँ उसकी मुलाकात जानी मानी मशहूर शायरा 'शाजिया बेगम' से हुई, उम्र लगभग 30-32 साल, निहायती खूबसूरत, गोरा बदन, तीखे नैन, आँखों में काजल, नाक में छोटी सी सोने की नोज रिंग... जॉनी उसकी खूबसूरती देखकर मोहित हो गया उसे समझ ही नही आ रहा था कि शुरुआत बातों से करे या हाथों से...????

दूसरी तरफ शाजिया भी जॉनी को अंगुलियों में सिग्रेट दवाएं ऊपर से नीचे तक जाँच रही थी....! बातों की शुरुआत शाजिया ने ही की.... उसने मुस्कुरा कर पूछा

शाजिया : तुम कभी किसी के माशूक हुए हो...??

जॉनी : आशिक हुआ जाता है, ये माशूक क्या है...???

शाजिया : छोड़ो तुम नही समझोगे, तुम आशिक बनाये ही नये गये।

जॉनी : वैसे आपकी क्या कहानी है..??

शाजिया : जो कोई सदियों में ना समझ सका आज ही बता दू तुम्हे। वैसे भी 'दाम' में आये हुए शक्स को हम, अपना 'हाल ए दिल' नही बताते।

जॉनी : बड़ी बिखरी हुई जिंदगी लगती है तुम्हारी।

शाजिया : मेरे जिंदगी के पुर्जे जोड़ कर जिस खजाने की तलाश कर जो नक्शा बनाना चाहते हो, वो नही मिलने वाला तुम्हे। उसे पाने के लिए मिट्टी होना पड़ता है।

जॉनी : मैने तो एक मासूम सा सवाल पूछा है।

शाजिया : सवाल मुजरमाना हुआ करते है और जबाब मासुमाना..... खैर तुम कुछ पियोगे...???

जॉनी : जो आप पियेगी.

शाजिया : मै तो खून पीती हू.... किसी दुनियादार के अरमानो का खून, अपना खून कड़वा हो गया है, पिया नही जाता।

शाजिया के उंगलियों में सुलगती हुयी सिगरेट् खतम हो गयी, वो उठी और जॉनी के हाथ को पकड़कर... बेडरूम में ले जाते हुए बोली " चलो एक बार फिर से उजड़ जाते है... आज तेरे ईश्क में पड़ जाते है...!

काम खतम होने के बाद जॉनी ने उससे कहा 'चलो दोस्त फिर मिलते है .... !

शाजिया : बिना निकाह के एक मर्द और औरत दोस्त नही हो सकते..... अलविदा।

ये जॉनी के लिए बड़ा ही शायराना सेक्स अनुभव था।

जॉनी जिन औरतों से मिला, उनमें शादीशुदा तलाकशुदा, विधवा और सिंगल लड़कियां भी शामिल थीं. इनमें से ज़्यादातर शादीशुदा ज्यादा थी। उनकी इच्छाएं बड़े अच्छे से पूरी हो जातीं. सब अच्छे से बात करतीं. कहती कि मैं अपने पति को तलाक देकर तुम्हारे साथ रहूंगी......!

उन शादीशुदा स्त्रियों के साथ हमबिस्तर होकर जॉनी को अहसास हो गया था कि गले में मंगल सूत्र और मांग में सिंदूर केवल शादीशुदा होने का प्रमाण है, शादी के बाद खुश होने का नही।

फिर एक रोज़ जब जॉनी ने शराब पी हुई थी और ज़िंदगी से थकान महसूस कर रहा था, तो उसने केडी से कहा कि.... केडी भैया इस दुनिया का सबसे बड़ा पापी मै हू, ना जाने कितनी पराई औरतो को चोद चोद कर इतना पाप कमा चुका हूँ कि साला नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी।

केडी ने हस्ते हुए जबाब दिया अरे मेरे प्यारे जॉनी भैया, जब तक धर्मो में पाप धोने की व्यवस्था है, तुम पाप धो-धो कर.... पाप करते रहो। ह्म्म्म ह्म्म्म

जॉनी भी केडी की बात सुनकर हँसने लगा और केडी के जाने के बाद अपनी मां को फोन किया.

उन्हें गुस्से में कहा, "तुम पूछती थी न कि अचानक ज़्यादा पैसे कैसे कमाने लगे. मां मैं धंधा करता हूं...धंधा."

वो बोलीं, "चुपकर. शराब पीकर कुछ भी बोलता है तू." ये कहकर उसकी मां ने फोन रख दिया.

जॉनी ने अपनी मां को अपना सच बताया था लेकिन उन्होंने उसकी बात को अनसुना कर दिया. जॉनी उस रात बहुत रोया. क्या मेरी वैल्यू बस मेरे पैसों तक ही है? इसके बाद जॉनी ने मां से कभी ऐसी कोई बात नहीं की.

वो इस धंधे में बना रहा, क्योंकि उसे इससे पैसे मिल रहे थे. मार्केट में जॉनी की डिमांड थी. कानपुर, आगरा, लखनऊ, इलाहाबाद, फिरोजाबाद, बरेली, अलीगढ़, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, झाँसी.......!

अब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के छोटे बड़े शहरों की काम पिपासु औरतो का जॉनी सिंह, ' जॉनी सिंस ' बन गया था।

लेकिन इस धंधे में कई बार अजीब लोग मिलते. शरीर पर खरोंचे छोड़ देते थे.
ये निशान शरीर पर भी होते थे और आत्मा पर भी. और इस दर्द को, कोई 'स्त्री वेश्या' ही समझ सकती थी,

समाज चाहे जैसे देखे. इस प्रोफेशन में जाने का जॉनी को कोई अफ़सोस नहीं है. वो खुश है, हां भविष्य के बारे में जब वो सोचता है, तो कई बार चुभता है उसे. ये एक ऐसा चैप्टर है, जो उसके मरने के बाद भी कभी नहीं बदलेगा.


समाप्त
Amezing Mannu. Lambi chhalang mar di tumne. Pichhli bar shemale par aur is bar jiggolo topic. Tum to sabse hat kar ho yaar. Maza aa gaya. Is bar taliya tumhare lie. Superb..
 

pagal nandu

Extra 2 A B
122
118
43
Story:- किस्सा एक अनहोनी का
Write:- shetan.
Review:- ek horror story likhna kafi mushkil hota hai
Lekin aapne bohot acha prayas kiya hai. Aap likhne ki adaa bohot achi hai. Mujhe is kahani mein braj bhasha ka upyog karna kaafi achaa laga. Keval ek chiz jo ki kahani maza kharab karti hai vo ye ki isme kayi sari grammatical mistakes hui hai. Ise kam karne ke liye kahani ko ek baar swayam hi padh lena sahi rahta hai. Baki apki dusri kahani ki bhi padhne ke liye behad utsuk hu.
 
Last edited:

pagal nandu

Extra 2 A B
122
118
43
Story:- Love.exe
Writer:- Euphoria
Review:- It's a very new topic that you have chosen to write a story upon. Your command on english language is rare to be seen among the Indians. You have tried to establish a new romantic and emotional bond between an AI and a human being. I must agree that you have succeeded in doing so at a great extent. The only thing that bothered me was the amount of conversation the characters had. It is a small story. But when you compare the amount of conversation with narration, you might realize that there is very less conversation among the characters in the story. This gives me the feeling of reading an essay or an anecdote. Overall the story is unique and appeals to be read by all. The thing I liked most is that there are no mistakes while writing.
 

Shetan

Well-Known Member
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SAAJAN

JAYA
Baat 1970 ki hai
Main bahut chhoti thi jab mere pita ne meri shaadi mujhse dugni umar ke aadmi se karwa di
main jab bachchi thi toh woh aaya karte the
mere pati saajan
dikhne mein hi lambe chaude
gore chitte the
woh mere pita se milne aate the
hum Kolkata mein rehte the
us samay
mere aur mere pati ka gaon ek hi tha
main bachpan se hi bahut darpok thi
pata nahi kyun mujhe ladne jhagadne se bahut dar lagta tha
dheere dheere samay beet ta gaya
aur main badi hone lagi
aur jab hui
toh pitaji ne shaadi meri inse karwa di
mujhe pitaji se koi sikayat nahi thi
aur na hi mujhe apne saajan se koi shikayat thi
woh is Umar mein bhi
kisi hero se kam nahi lagte the
pata nahi unhone mujhse shaadi kyun ki thi
mera rang saanwla tha
woh ek dum gore chitte
mere pati raaj gharane se the
unke dada is jagah ke raja the
aur mere dada unke yahan kaam karte the
bachpan mein mere pita bhi unke ghar pe kaam karte the
lekin raaj paath khatam ho gaya tha
phir unke pita ne apne hisse ka sab kuchh daan kar diya gareebo mein
aur vrindavan chale gaye
izzat lekin waisi hi thi

shaadi ki pehli raat woh aaye
aur unhone mera ghughat uthake
mujhe bade se pyar se dekha
aur phir woh baat kahi
jise sunke mujhe bada dukh hua
kya mere andar itne bhi sanskar nahi the
ki main apni saas ki seva kar saku

Saajan
jaya main apni maa se bahut pyar karta hoon
unhone bahut dukh sahe hain
humesha unki izzat karna
kuchh bolein bhi toh chup karke sun Lena

yeh bolke unhone mere pair pakad liye
main ghabra gayi


main kuchh nahi boli

phir wohi hua jo hona tha
unhone mere ang ang ko todke rakh diya

subah jab main uthi
toh dekhi woh bistar pe nahi the

main bahar nikli
toh meri saas ne mere hath mein jhaadu pakda diya

main ghar mein jhaadu lagayi
phir bartan dhoyi
phir roti banayi

tab tak mere pati saajan aagaye
unhone mujhe dekha

Saajan
nahaya nahi tumne

main dar gayi
aur kuch nahi boli

Saajan
tumse hi puchh raha hoon
nahaya ki nahi

Jaya
jee nahi

saajan
kyun

meri aankho mein aansu aagaye
unhone mera hath pakda

aur mujhe kamre mein le gaye
aur gate lock kar diya
main ro padi
mujhe laga shayad ab woh mujhe maarenge
us samay yahi sab toh hota tha
patni daasi thi
aur pati maalik
har gaon ke har ghar ki yahi kahani thi
jara sa kuchh hua
patni pe hath utha diya
saas aur nanad milke bahu jeena haram kar deti thi

lekin mere hosh tab ude jab
unhone mujhe apni baaho mein bhar liya

Saajan
mujhse darti kyun ho tum
main koi sher thodi hoon


main kuchh nahi boli

phir main nahane chali gayi
aur jab wapas aayi
toh unhone mere liye alag kapde nikaal diye the
aur bed pe baithe hue the
main sharmane lagi

Saajan
aise kya sharma rahi ho
yeh waali saari pehno

mujhe bahut sharam aarahi thi
main unke saamne kapde kaise badalti
lekin meri unse bolne ki himmat bhi nahi ho Rahi thi

Saajan
shayad tum mujhe apna nahi maanti
kahan mere jaisa buddha
aur kahan tum jaisi apsara
raat bhi tum shayad mujhse dar gayi thi
isi liye mujhe pyar karne diya
nahi

yeh sunke Aisa laga jaise Mere dil mein unhone sui chubho di ho
main ghabra gayi
main unke baare mein Aisa bilkul nahi sochti thi
woh bahut achche aur Shareef insaan the
poor Calcutta mein unka naam chalta tha
woh har kisi ki madad karte the
unka chappal ka karkhana tha
aas pados ke gaon se jo bhi besahara aata tha
woh unke yahan hi rukta tha
yahan toh woh raaj gharane se the
isi liye unki izzat thi
lekin Calcutta mein toh unki yahan se bhi jyada izzat thi

woh uthke.jaane lage

main unka hath pakad li

unhone mujhe pyar se dekha

Saajan
majak kar raha hoon re
tum bhi na badi bholi ho

aur unhone mere hontho ko chum liya
main buri tarah se lajja gayi


jab woh kamre se bahar gaye
toh mujhe awaj sunayi di

saas
kitna besharam ho gaya hai tu
apni maa ke saamne aisi harkat karte hue sharam nahi aati tujhe

mere pati kuchh nahi bole

ghar mein meri saas
aur meri chhoti nanad rehti thi
meri badi nanad humare ghar ke samane waale ghar mein rehti thi
unki shaadi hui thi
lekin ek saal baad hi woh apne pati ko chhodke aagayi thi
unke pati sharabi the
aur sath mein ek bachcha bhi leke aayi thi
mere pati ne unhein saamne waala ghar banwa ke Diya tha

gaon mein mere pati se jyada koi Ameer nahi tha
paiso mein bhi aur izzat mein bhi

kuchh dino baad mere pati chale gaye

aur phir mujhe ehsaas hua ki main Kahan fans gayi hoon
meri saas roz mujhe taane maarti
ki pata nahi tujh jaisi se mere bete ne kyun shaadi kar li
jarur tune koi jaadu tona Kiya hoga
maine kya kya sapne dekhe the
tune sab mitti mein mila diya
woh Tera baap humara naukar tha pehle
aur Aaj Mera samdhi ban gaya hai

main kuchh nahi boli
aur apne kamre mein aake rone lagi

kuchh din aise hi beet gaye
main khana banake apne kamre mein gayi
toh dekhi

meri chhoti nanad mere sandook mein se mere gehne nikaalke pehen Rahi thi

main kuchh nahi boli
tabhi usne meri maa ka diya maang tika le liya

Jaya
seema yeh mat lo
yeh meri maa ki aakhri nishaani hai

yeh sunte hi seema ne meri meri saas ko awaj lagayi

meri saas aayi

seema rone lagi
aur boli
maa yeh mujhe gaali de rahi hai
keh rahi hai
ki mere gehne kyun chori kar rahi ho

us din meri saas ne.mujhe bahut maara
aur mujhe khoob gaali di
main bahut royi

jab mere pati kuchh.mahino baad aaye
toh woh mere liye kapde laaye the bahut saare
lekin sab unki behno ne le liya
mere liye bas ek Jodi bachi thi

tabhi unki najar mere kapdo pe padi
meri saari fati hui thi jagah jagah se

Saajan
yeh sab kya hai

main unse lipat gayi
aur rone lagi

saas
ab toh yahi kahegi
ki maine aur seema ne iski yeh haalat ki hai

yeh bolke woh chali gayi
main saajan se lipatke roti rahi

Saajan bhi rone lage
main yeh dekhke bahut pareshan ho gayi
apne saare dukh bhoolke unhein dekhne lagi

Jaya
aap ro kyun rahe hain
mujhe maaf kar dijiye
agar mujhse koi galti Hui hai toh

woh rote rahe kisi bachche ki tarah
maine kabhi kisi mard ko rote nahi dekha tha

kuchh der baad woh chup hue

aur unhone mujhe dekha

saajan
yahan aao

main unke paas gayi
unhone mere aansu pochhe

aur mujhe bade pyar se dekhne lage
main buri tarah se sharma gayi

Saajan
jaya main sharminda hoon
meri wajah se yeh sab tumhein sehna pad Raha hai
kaash maine tumse shaadi karke tumhari zindagi barbaad na ki hoti

main yeh sunke unke munh pe hath rakh di


jab tak woh rahe
tab tak main khush thi
lekin jab woh chale gaye
toh phir wohi sab hone laga
jo hota tha
meri saas ke taane
meri chhoti nanad ki man marzi

mere pati mere liye alag se paise bhejte the
woh bhi meri saas rakh leti thi
mujhe ek rupya bhi nahi deti thi

ek din mere Jeth Suresh ghar pe aaye

meri saas aur seema badi nanad ke Ghar gayi thi

Suresh
maa kahan hain

main ghughat kar li

jaya
jee woh badi nanad ke yahan gayi hain

Suresh
ek cup chai bana do

main chai banane lagi
tabhi unhone mujhe pichhe se pakad liya

Suresh
jaya jab se tumhein dekha hai
tabse mera dil machal raha hai
aaj mauka mila hai
tumhein paane ka

main rone lagi

Jaya
Jeth jee yeh kya kar rahe hain aap
mujhe chhod dijiye
bhagwan ke liye mujhe chhod dijiye

unhone ek na suni
aur mere sharir ko maila karne lage
mujhe chhune lage
main buri tarah se ghabra gayi thi
aur rone lagi

tabhi kisi ne darwaja Peeta
Suresh ne mujhe chhod diya

Suresh
yeh baat agar kisi ko batayi
toh main sabko bata dunga
ki mera tumse najayaz sambandh hai
sab meri hi baat pe vishwas karenge

main jaake gate kholi
toh mere bade bhaiya kaali the
woh ek saal se jail mein the
unke hath mein bag tha

main bhaiya kehte hue
unse lipat gayi aur rone lagi

mere kaali bhaiya mujhse bahut pyar karte the
jab unhein pata chala ki meri shaadi pitaji saajan se kar rahe hain
toh unhone pitaji se bahut jhagda kiya
lekin pitaji ne unki ek na suni

kaali
kya hua

main kuchh nahi boli aur roti rahi
tabhi unhone Suresh ko dekha

kaali
jab ghar mein koi mard nahi hai
toh tu yahan kya kar raha hai
raaj gharane ke pille
kya tujhe nahi pata nahi hai
ki maa behen ke alawa ghar mein agar koi ladki akayli ho
toh ghar mein nahi baith te hain

Suresh
apni hadd mein reh kaali
shayad tu apni aukaat bhool raha hai

kaali
rona band karo

aur phir bhaiya ne mujhse mere kamre mein chalne ko kaha

main jaise hi kamre mein ghusi
unhone bahar se gate lock kar diya

Suresh kuchh samajh paata
usse pehle hi bhaiya uspe jhapat pade
aur use maarne lage
agar main unhein bata deti
ki Suresh ne meri izzat pe hath daala hai
toh woh use jaan se maar dete
mere saajan ko apne bhai ka dukh hota
shayad isi liye main chup reh gayi

meri saas aur dono nanad bhi aagayi thi


saas
Teri itni himmat
do take ka aadmi
mere ghar mein ghuske
mere bete ko maar raha hai

kaali
budhiya aaj maine apni behen ki aankhon mein aansu dekha hai
usne mujhe kuchh bataya toh nahi
lekin ek baat sun le
agar meri behen ko ek kharoch bhi aayi
toh tum sabki maa chod dunga
kaali naam hai mera
mere Karanamo ka tum sab ko pata hai
aur agar nahi pata
toh main pata lagwa dunga

tabhi meri chhoti nanad seema bol padi
jise nahi bolna chahiye tha

Seema
tum yahan se nikloge
ya phir hum panchayat bithaye

kaali
panchayat kyun bithayegi
sabko apni godi mein bitha le
29 saal ki ghodi ho gayi hai
aur tujhe ladka hi pasand nahi aaraha hai
agar tu meri biwi hoti
toh is Umar mein tu 10 bachcho ki maa hoti
bhains ki tarah motaye Jaa Rahi hai
mere jeeja ki kamayi ko aise khaa rahi hai
jaise daayan bachcho ko khaati hai
kulta karamjali naaspeeti
daayan dhochhiya kulakhshini
aag lage teri bur mein

main chilla padi
bhaiya


kaali
bag mein tere liye kuchh saman hain

yeh bolke woh chale gaye
isi liye main unse kuchh nahi kehti thi
na pitaji se kehti thi
mere bhaiya bahut gusse waale the
aur badtameez bhi
bachpan mein ek ladke ne mera hath pakad liya tha
bhaiya ne uska hath kaat Diya tha
aur phir unhein do saal ki jail ho gayi thi

ab tak woh 8 baar jail Jaa chuke the
pitaji ne bhi usne baat karna band kar diya tha

kuchh mahino Tak sab sahi raha
meri saas ne mujhse baat karna chhod diya tha
meri nanad bhi mujhse door rehti thi
bhaiya ki baatein sunke woh bahut royi thi

phir yeh aagaye mere saajan
jaise hi inhone ghar mein qadam rakhkha
meri saas rote hue inse lipat gayi

apni maa ko rota dekh inka bhi dil bhar aaya
yeh buri tarah se bechain ho gaye

Saajan
kya hua maa

meri saas ne rote hue bataya
beta Teri Bahu ne tere saale ko ghar bulaya tere bhaiya ghar mein hi the
tere bhaiya ko usne maara
humare sath badtamizi ki
seema ke sath badtamizi ki
use gandi gandi gaaliya baki
Teri Bahu yeh sab dekhke bas muskurati rahi

yeh sunke saajan mujhe aise dekhne lage
jaise main is duniya ki sabse badi paapi hoon
mujhe laga ki woh mujhse puchhenge
meri baat sunenge
meri fariyad bhi sunenge
lekin woh mujhe aise dekh rahe the
jaise mujhe khaa jaayenge

aur phir woh gusse mein mere paas aaye

andar chalo

woh garajte hue bole

main ro padi
mujhe bahut dar lag raha tha

Saajan
suna nahi

main rote hue andar aagayi

meri saas aur nanad dono ke chehre pe muskurahat thi

unhone kamre ka gate lock kar diya

Saajan chillate hue
tumhare Bhai ki itni himmat

main kuchh bol nahi paa Rahi thi
mujhe dar lag raha tha
main bas ro Rahi thi

tabhi unhone woh kiya jiski mujhe ummid nahi thi
unhone mujhe apni baaho mein bhar liya

main buri tarah se chaunk gayi
meri samajh mein kuchh nahi aaya

Saajan
aise cheekho jaise main maar raha hoon tumhein

yeh sunke main unhein dekhne lagi

Saajan
jaldi karo na

unhone meri kamar mein chimti kaat Li

jaya
aah

Saajan
pyar waali aah nahi nikalni hai
maar waali aah nikaalo

mujhe nahi aata

Saajan
sirf rona aata hai
nirupa Roy ki tarah nahi

Jaya
yeh kaun hai


aur phir unhone woh kiya
jise dekhke main buri tarah se chaunk gayi

Saajan
besharam behaya tumhari himmat kaise hui
meri maa aur behen ke sath Aisa bartaav karne ki

aur phir woh meri awaj mein
cheekhne lage

saajan meri awaj mein
aah maa maaf kar dijiye mujhe
mujhse galti ho gayi
aage se aaaah maaaa
Aisa kabhi nahi karungi
mujhe maaf kar dijiye
aaah maaaa dard ho raha hai

aur woh phir meri awaj mein rone lage

main hanse lagi

Saajan
hanso mat
kahin sun liya
toh meri shaamat aajayegi

main munh dabake hansne lagi

kuchh der tak yeh chala
phir unhone mujhe dekha

Saajan
dobara agar Aisa hua
toh seedha Ghar bhej dunga

aur phir woh mujhe leke bed pe baith gaye

mera hath pakadke mujhe dekhne lage
main sharma gayi

Saajan
waise Jaya ek baat batao
tum itni sunder kyun ho

main kuchh nahi boli aur apni najrein neeche kar li

Saajan
bolo na

main khaamosh rahi
aur phir unhone mujhe apni baaho mein bhar liya

raat mein unhone mujhe Kasam dilwaake puchh hi liya
ki Suresh ghar kyun aaya tha
maine rote hue sab bata diya
jise sunne ke baad unki aankhein aisi ho gayi
jaise kisi ghayal sher ki aankhein ho


agli subah meri jethani rote hue humare ghar aayi
aur meri saas ko rote hue batane lagi
maa jee
raat mein ek chor ghar mein ghusa
aur usne inhein bahut maara
bistar se uth bhi nahi paaa rahe hain

yeh sunke meri saas rote hue
apne bete ke ghar ki taraf chali gayi

tabhi mere pati ghar ke andar aaye

Saajan
kuchh khaane ko dogi
ya phir tumhara khubsurat chehra dekhke pet bhar loon

main sharmayi

Jaya
woh Jeth jee ko kisi ne bahut maara raat mein

saajan
ab bhaiya ke kaam hi hain pitne waale
toh koi kya kar sakta hai

main unhein dekhne lagi

Saajan
khaana de do devi
warna pran tyaagna pad jaayega

Jaya
yeh kaisi baatein karte hain aap
shubh shubh boliye

woh muskura diye

phir main unhein khana laake di

woh ek mahina ghar pe rahe
aur phir mujhe apne sath le jaane ko bole

meri saas ne rona dhona shuru kar diya

saas
aaj tak apni maa ko nahi leke gaya
aur aaj bahu ko leke Jaa Raha hai
aaj bahu jyada pyari ho gayi maa se

Saajan
bahut Chhota tha main jab
mujhe ehsaas hua
ki meri maa kitne dukh kaat Rahi hai
mere pita toh sanyas leke chale gaye
bhagwan ki Pooja karne
aur hum sabko bhukha marne ko chhod gaye the
meri maa bahut unche gharane se thi
jab woh aayi thi
toh 10 kilo Sona aur 50 kilo chandi leke aayi thi
lekin mere pita ne woh sab gareebo mein daan kar Diya
woh apne ghar ke eklaute the na
mujhse bada ek bhai tha
jo 15 saal ka tha
phir didi thi jo 3 saal
phir main tha 10 saal ka
aur phir meri gudiya thi 1 saal ki
maa ne kabhi apne maayke se kuchh nahi liya
meri maa bahut swabhimani thi
woh bade Ghar ki beti thi
aur Aaj unke paas kuchh nahi tha
kuch zameen thi jise woh kheti ke liye diye hui thi
wahan se anaaj aata tha
meri maa hum sab ko achche se khilati thi
lekin khud ek time ka.khaana khaati thi
mujhe bahut dukh hota tha apni maa ko dekhke

ek saal baad jab main 11 saal ka hua
toh main maa se bola
ki main ab kamane jaaunga

woh mana kar di
lekin maine unhein dhamki di
ki main bhaag jaaunga
toh phir unhone mere chacha ke sath jo Calcutta hi Jaa rahe the
unke sath bhej diya

main Calcutta pahuncha
pehle ek hotel mein kaam kiya
mujhe 50 rupees milte the
main thode thode karke paise jama karne laga
ek time khaata
din raat bas kaam karta
aur 10 rupees rakhke
saare paise ghar bhej deta

ek din main table saaf kar raha tha
tabhi dharam jee mujhe dikhe
woh mere hi gaon se the
unhone mujhe pehchaan liya

dharam
chhote maalik aap yahan

main unhein namaste kiya

dharam
chhodiye yeh sab

unhone mere hath se kapda chheen ke
fenk diya

are dharam jee aap ise jaante hain
hotel ka maalik bola

dharam jee ne mera hath pakda
aur mujhe apne sath le gaye
main unhein sab bata diya

dharam
agar aapko kuchh karna hi hai
toh koi hunar seekh lijiye
jisse aap zindagi mein aage badhenge
yeh sab karke aap kuchh nahi kar paayenge

lekin main kya seekhu
mujhe toh kuchh pata bhi nahi hai

aur phir unhone mujhe ek chappal ke karkhane mein lagwa diya
wahan ke maalik bahut achche the
unhone mujhe samjhaya
ki beta pehle ek mahina dekho
phir tumhein seekhayenge

main ghabra gaya
ek mahina mujhe ek rupya nahi Milne waala tha
main ghar kaise kaise bhejunga

lekin main apna dil maarke seekhne laga
ek hafte baad dharam jee factory aaye
aur mujhe 300 rupya diya

maine mana kar diya

dharam
udhaar de raha hoon rakh lijiye
jab kamaiyega toh wapas kar dijiyega

aur phir main 50 rupya rakhke
baaki ghar bhej diya
aur 6 mahine beet gaye
ab main chappal kaatna seekh Gaya tha
maalik mujhe 100 rupya mahina dene laga tha

main double kaam karta
woh mujhe aur paise dete
aur dheere dheere main factory ka mukhya kaarigar ban gaya
meri tankhwa dugni ho gayi
har saal meri tankhwa badhti rahi
5 saal beet gaye main ghar nahi gaya tha
maa ne zameen khareed Li thi
maine jo paise bheje the
phir ek din khabar aayi ki mere bhaiya ki shaadi hai
main gaon wapas aagaya
apni maa didi aur gudiya ke liye bahut kapde aur gehne leke gaya
maa bahut khush hui aur mujhe apne seene se lagake rone lagi

bhaiya ki shaadi ke baad main wapas aagaya
aur phir dharam jee ke paas gaya
maine unse bola ki mujhe paise chahiye
main apni factory kholunga
woh muskura diye
aur unhone mujhe paise diye
aadhe paise the mere paas
aadhe unhone mujhe diye
aur maine apni factory khol li
bhagwan ki kripa se meri factory chalne lagi

mera sheher mein naam hone laga
dukandar meri hi factory se maal leke jaane lage
main dukaan dukaan ghumke sample deta tha free mein
dheere dheere main kaamyaab hota gaya
phir maine apni didi ki shaadi kar di
ab mere neeche 50 log kaam karte the
lekin meri didi apne pati ko chhodke wapas ghar aagayi thi
unhone mujhse bola ki unhein alag ghar chahiye
main unhein banwake de diya
main factory mein hi sota tha
ek raat kisi ne gate Peeta
maine gate khola
toh dekha ek budha aadmi tha
use bahut chot lagi hui hai
woh behosh hoke mere upar gid pada

main doctor ko bulaya
uski malham Patti karwayi
aur phir subah use hosh aaya

Saajan
kaun hain aap
aur aapko itni chot kaise lagi

unhone mujhe dekha
aur phir Bina kuchh bole chale gaye
ek mahine baad woh phirse meri factory mein aaye
aur unhone mujhse kaha ki woh chahte hain ki main padhu
main hans pada
aur phir unhone mujhe bataya ki woh cbi mein hain
aur main unke jaisa banu
yeh sunke main hansne laga
aur unhein nashta karwake wapas bhej diya
agle.din woh phirse aaye
lekin dharam jee ko sath leke
dharam jee ne jab mujhse kaha ki mujhe padhna chahiye
woh mujhpe zor Dene lage
aur main padhai karne.laga
aur graduation karte karte main 25 saal ka ho gaya
lekin meri factory ka kaam nahi ruka
aur factory chalti rahi
aur 30 saal ka.hote hote main bhi cbi officer ban gaya
in 20 saalo mein main bahut kam ghar gaya tha
teen chaar saal mein ek baar chala jaata tha

maa ne Naya Ghar banwa liya tha
maine ek achche aadmi ko manager rakh liya
aur phir case ke silsile mein main bahar dusre state mein jaata rehta tha
aise hi meri umar 35 saal ki ho gayi
ek din dharam jee mere ghar pe aaye
aur mujhse bole ki meri beti se shaadi kar lo
main chaunk gaya
kyunki woh toh bahut chhoti thi mujhse
maine mana kar Diya

dharam jee
mana mat kijiye
chhote maalik

saajan
aapse kitni baar kaha hai
ki mujhe chhote maalik mat bol kijiye
main koi maalik nahi hoon
ulta ehsaan aapka hai mujhpe
aapki wajah se main is jagah hoon

dharam jee
toh phir meri beti se shaadi kar lijiye

ab main kya karta
mujhe unki baat maan ni padi
main unka.kaha kaise taal sakta tha
aaj main jo bhi tha usmein unka bhi bahut bada yogdaan tha
main gaon aagaya
aur maa se bol diya ki main dharam jee ki beti se shaadi kar Raha hoon
maa mujhpe bahut chillayi
lekin maine bas yahi kaha
ki agar aap meri Khushi chahti hain
toh haan keh dijiye
dharam jee ko hi pata tha ki main cbi mein hoon
gaon mein toh sab yahi sochte the
ki main vyapaari hoon
meri jaya se shaadi ho gayi
aur phir main uska ghughat uthake
usse yahi bola
jaya main apni maa se bahut pyar karta hoon
unhone bahut dukh sahe hain
humesha unki izzat karna
kuchh bolein bhi toh chup karke sun Lena
aur phir uske pair pakad liya
woh buri tarah se ghabra gayi
aur phir main pehli baar apne jeevan mein kisi ladki ko pyar Kiya

phir main wapas chala gaya
aur jab Ghar wapas aaya
toh maa ne Jaya ki bhar bhar ke shikayat ki
main apni maa ko jaanta tha
main apni jaya ko aisi haalat mein dekhke tadap gaya
mujhe maa pe bahut gussa aaya
lekin woh meri maa thi
woh apne jeevan mein itna dukh jhel chuki thi
ki woh sahi galat ka farq karna bhool gayi thi
main unka beta tha na
unhein samjhata toh unhein dukh hota
jaya mujhse lipatke ro Rahi thi

main khud rone laga
dharam jee ne mujhpe bharosa karke mujhe apni beti di thi
aur meri wajah se unki beti ki yeh haalat ho gayi thi

jaya bahut achchi ladki thi
mera naseeb bahut achcha tha
kyunki jaya meri patni thi

kuchh din baad main phirse chala gaya

aur jab wapas aaya
toh maa ne ro ro ke mujhe sab bata diya
maine bhaiya ko jaanta tha
woh kis tarah ke aadmi the
roz main criminals se milta tha
unse baatein karta tha
unse sach ugalwata tha
main samajh gaya tha ki mere bhaiya ne jarur kuchh Kiya hoga

phir main jaya ko room mein laaya
aur uski awaaj nikaalke cheekhne laga
woh hansne lagi
mujhe bahut achcha lagta tha
jab woh hansti thi
shayad mere jeevan mein usi ki kami thi

aur phir jab main maa se bola ki main jaya ko apne sath le jaa raha hoon
toh maa rone lagi

main unhein room mein leke gaya

Saajan
maa main use wahan se is liye le ja Raha hoon
kyunki ab main use nahi rakhna chahta
jo meri maa ki nahi woh meri nahi
main use uske baap ke paas chhod aaungaa


yeh sunke maa bahut khush ho gayi

lekin maa ne aur seema ne sab gadbad kar di
woh dono baat kar Rahi thi
jo maine maa se kaha tha
jise jaya ne sun liya
aur zor zor se rone lagi

main uske paas aaya
usne mere pair pakad liye

jaya rote hue
bhagwan ke liye mujhe mat chhodiye
main aapke Bina mar jaaungi
aap mujhe maarna peetna
main uff tak nahi karungi
lekin mujhe mat chhodiye
main mar jaaungi

main use uthaya
aur apni baaho mein bhar liya

main
are tum bhi Kamal karti ho yaar
saara plan kharab kar dogi
chup raho jab dekho roti rehti ho
ek baat batao tumhein chhod dunga
toh mujh jaise ko phir kaun itna pyar karegi

uske dil mein yeh baat ghar kar gayi thi
ki main use chhod dunga
pagli kahin ki

aur phir main jaya ko leke Calcutta aagaya

jaya apne pita se milke bahut khush hui
lekin woh mujhe ek pal bhi akayla nahi chhodti thi

Jaya
main keh deti hoon
agar aapne mujhe chhoda
toh main apni Jaan de dungi

Saajan
toh phir main jee ke kya karunga
main bhi mar.jaaunga

yeh sunke woh ghabra gayi

jaya
shubh shubh boliye

saajan
shuruaat kisne ki

Jaya
aur phir mujhe ehsaas hua
ki saajan ke liye main kya thi
main unke liye sab kuchh thi
woh mere liye sab kuchh the
main bahut khush thi
ki saajan mere pati the

ek saal baad mujhe beta hua

saajan
yeh tumne theek nahi kiya
mujhe chhoti jaya chahiye thi
aur tumne mere sath dhokha kiya
mujhe chhota saajan deke
main tumhein maaf nahi karunga

main sharma gayi
kya aap bhi bachcho jaisi baatein karte hain
Aisa kaun bolta hai
mere hath mein thodi hai

Saajan
rehne do rehne do
main sab jaanta hoon

meri samajh mein nahi aaya
ki main kya bolu
woh kabhi kabhi bachche ban jaate the

tabhi ek din khabar aayi
ki kaali bhaiya ne seema se shaadi kar li
mere hosh udd gaye
sath mein saajan ke bhi

Saajan
saale kaali ko bhi meri hi behen mili thi

yeh bolke woh meri taraf gusse se dekhne lage

main ghabra gayi aur rone lagi

sajaan
are tumhein kuchh aur kaam nahi hai kya
yeh kya har samay roti rehti ho

main sharminda hoon
main rote hue boli

Saajan
huh meri behen itni bhi gayi gujri nahi hai
ki tum sharminda ho rahi ho

yeh sunke main unki taraf bhaagi
unhein maarne ke liye
pata nahi saajan kaise mard the
unke andar abhimaan gussa nafrat kuchh tha hi nahi
kis mitti se Bane the woh

aur phir do saal baad humari beti Hui
woh bahut khush the
phir ek din unhein khabar aayi
ki unki maa beemaar padd gayi hai

hum sab gaon pahunche
unki maa ne humein apne paas bulaya
woh apne pote poti ko godi mein leke khilane lagi


aur phir woh rone lagi
mujhe maaf kar de beta
maine tere sath bahut galat kiya
Tera bachpan jawani sab khaa gayi
agar tu itna achcha nahi hota
toh pata nahi jaya ke sath kitna bura karta
mere kehne pe
main bahut sharminda hoon
Teri kamayi se apne bachcho ko paalti rahi
apne naam pe zameen khareedti Rahi
jo sirf Tera hona tha
woh ab tere Bhai behno ka bhi ho gaya

saajan rote hue
maa aisi baatein kyun karti ho
tumne mujhe Janam Diya hai
mera sab kuchh tumhara hi toh hai

meri saas apne bete se lipatke rone lagi
aur phir unhone mujhe maa ka pyar diya
meri maa toh mere bachpan mein hi chal basi thi
Lekin aaj mujhe mehsus hua
ki maa ka pyar kya hota hai
aaj main samjhi ki saajan ne kabhi apni maa se behes kyu nahi ki
woh apni maa se pyar toh karte the
lekin unki maa unse bahut jyada pyar karti thi
aaj mujhe samaj mein aaya
ki unki maa kyun din mein sirf ek baar khaana khaati thi
woh khush thi ki ab unka koi bachcha bhukha nahi rehta tha
lekin woh yeh bhi jaanti thi
ki unke saajan ne kitne dukh sahe the
woh apne aapko kosti thi
us din ke liye jab unhone saajan ko kamane bheja tha

6 mahine Tak meri saas ne mujhe apni beti ki tarah pyar Kiya
saajan bahut khush the
meri chhoti nanad seema Aaj bhi mujhse chidhti thi
lekin kaali bhaiya se woh bahut darti thi
pata nahi kaise usen kaali bhaiya se shaadi kar li
kaali bhaiya bhi ab sudhar Gaye the

woh dono saale din bhar
ek dusre se baatein karte
taash khelte
ghumne jaate
pata nahi kaise dono mein itni gehri dosti ho gayi

aur phir ek din maa jee chal basi
saajan apni maa se lipatke rote rahe
tabhi meri beti apne nanhe nanhe hatho se apne pita ke aansu pochhne lagi


ek din main aur gaon ki aurtein aangan mein baithke baatein kar rahe the

sab gaon ki aurtein mujhse bas yahi bol rahi thi
ki kaash unhein bhi Saajan mile hote
kaash unki shaadi bhi saajan se hui thi
kuchh toh yeh bhi keh rahi thi
ki apne saajan se meri shaadi karwa de na
main unhein gaali deti thi
aur woh hansti thi
ek toh peechhe hi padd gayi

Jaya main toh Teri bachpan ki saheli hoon na
main teri jindagi bhar ghulami karungi
apni saheli pe rehem khaa na
karwa de na meri shaadi apne saajan se
jeevan bhar Teri seva karungi re
tere pair dho dho ke peeyungi

mujhe gussa aagaya
main un sabse tang aake
peechha chhudane ke liye bol padi
are woh buddha upar upar se itna achcha Shareef hai
ek number ka jaanwar hai
mujhe Roz maarta hai
mujhe gaaliya deta hai

ab mujhe pata hi nahi chala ki kab saajan ghar ke andar aagaye the

woh mere peechhe hi the
saari aurtein ghabra gayi thi

woh aadmi nahi rakshas hai
uske sath toh daayan bhi ro de
woh itna zaalim hai


achcha

yeh sunte hi mera poora jism kaanp gaya
main peechhe mudke dekhi
mere saajan khade the

Saajan
toh main jaanwar hoon
Rakshas hoon
buddha hoon
tumhein Roz maarta hoon
tumhein gaaliya deta hoon
nahi

sab aurtein bhaag gayi
main ghabra gayi
aur ro padi

jaya
mujhe maaf kar dijiye
woh sab mere peechhe padi hui thi
mujhe pareshan kar rahi thi
bas isi liye unse peechha chudane ke liye main woh sab bol di
pitaji ki kasam mere man mein koi Paap nahi hai

main unke pair pakad li

Saajan
aaj tumko dikhaunga
ki janwar kise kehte hain
zaalim

maine socha woh mujhe maarenge
peetenge

lekin woh mujhe apni godi mein uthake kamre mein le gaye
aur bed pe patak diya

main ro padi

Saajan
are ab chup bhi ho jaao
pyar karne ke samay bhi
tumhein rona hai

Jaya
bachche aajayenge

Saajan
are unki maa ka
CONTROL

yeh bolke woh mujhpe toot pade

aise the Mere Saajan....
Chha gae guru. Ye samajik parfect story he. Saajan Saajan hi he yaar. Ek amezing character peda kiya. He. Maa aur biwi ko perfect dhang se manage. Aur biwi se amezing shararat bhara romance, maa ki mamta ka ehsas. Kis tarah bada kiya. Vo ehsab bhi chukaya.

Yaar husband ho to ese. Superb.

Meri taraf se to number one ghosit
 

Shetan

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Story:- किस्सा एक अनहोनी का
Write:- shetan.
Review:- ek horror story likhna kafi mushkil hota hai
Lekin aapne bohot acha prayason kiya hai. Aap likhne ki adaa bohot achi hai. Mujhe is kahani mein braj bhasha ka upyog karna kaafi achaa laga. Keval ek chiz jo ki kahani maza kharab karti hai vo ye ki isme kayi sari grammatical mistakes hui hai. Ise kam karne ke liye kahani ko ek baar swayam hi padh lena sahi rahta hai. Baki apki dusri kahani ki bhi padhne ke liye behad utsuk hu.
Bahot bahot shukriya.

Aap ka kahena bilkul sahi he. Pata nahi ye khami kab dur ho paegi. Me ispar jyada kam karne ki kosis karungi. Lot of thanks review ke lie. Ye contest ke bad ye kahani aage badhegi. Horror level badhta jaega. Ek bar aage ke kisse ko jarur padhna. Thankyou so much
 

pagal nandu

Extra 2 A B
122
118
43
Story:- Sahajivika.
Writer:- hemya
Review:- hemya.bhau, kahani bahut badhiya hai. Sahil ka character kahani mein kuch aisa hai ki uske bare mein jankar dil pasije bagair nhi rah sakta. Aapne kahani me ek widhwa aur ek anath ladke ke bich panapte prem ko darshane ki koshish ki hai. Kahani kafi simple thi aur achi bhi lagi. Lekin kahani jab keval do patro ke ird gird ghumti ho, toh usme dono ke mann ke vichar darshana zaroori hota hai. Apne keval sahil ke hi bare mein bataaya hai lekin, mayuri, jo ki ek widhwa hai, uske vartmaan jiwan ke bare mein bahut hi kam jankari di hai. Sath hi kahani mein kayi jagaho par vyakaranik tritiya bhi mojud thi. Ummeed hai ki agli kahani ko aap pehle khud padhke fir post karenge taki aisi choti choti galtiyon ko sudhara ja sake.​
 
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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कौमार्य (virginity)
लेखक Shetan
Virginity ek aisa sabd jisko lekar na jana logo ke man me kitni hi utha puthal Machi rahti hai. Log Virginity se jod kar bhi ki ka character judge kar lete hai. Jaha tak sawaal hai kahani ka to Hamari pyari writer Shetan ji ne bohot hi sunder sabdo me ise piroya hai. Jaha ek or ek choti si Prem kahani bhi nazar aati hai to wahi ye bhi dikhai deta hai ki aurat ke liye pehli raat me Virginity kya mahatv rakhti hai. Per bhai kuch bhi kaho mujhe to veer or Kavita ka ek dusre ke prati Prem or samarpan bohot bhaiya.
👌🏻👌🏻👌🏻👌🏻💯💯💯💯🔥🔥🔥🔥🔥
 
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Shetan

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Virginity ek aisa sabd jisko lekar na jana logo ke man me kitni hi utha puthal Machi rahti hai. Log Virginity se jod kar bhi ki ka character judge kar lete hai. Jaha tak sawaal hai kahani ka to Hamari pyari writer Shetan ji ne bohot hi sunder sabdo me ise piroya hai. Jaha ek or ek choti si Prem kahani bhi nazar aati hai to wahi ye bhi dikhai deta hai ki aurat ke liye pehli raat me Virginity kya mahatv rakhti hai. Per bhai kuch bhi kaho mujhe to veer or Kavita ka ek dusre ke prati Prem or samarpan bohot bhaiya.
Thankyou very very much Raj. Amezing. Ek bar aap ne kaha tha. Agar hindi me likhu to aap padhoge. Muje yaad tha. Thankyou so much aapne achhe se padhi. Aur badhiya compliment diya. Thodi gramar ki galti he. Jise ab tak sudhar nahi pai. Jyada dyan content pe hi diya. Kosis karti rahungi.

Par kal muje dant padi. Aaj aap ki bari he. Dekho aapne review kaha post kiya he.
 

cheekku

❟❛❟ Cuz Nobody's Gonna Complain When I Murderiz❟❛❟
4,394
4,674
144
Fantasy section mein story likhne ki yahi khasiyat hai
Ki koi bhi explanation nahi dena padta
Aur isi liye main bhi fantasy stories hi likhta hoon
Ab aate hain story pe
Ashok chawla kabhi barbaad nahi hota
Bhale hi woh kitna hi bura kyun na ho
Lekin Rahul ke hath sex note lag gaya
Aur phir Rahul ne plan banaya
Lekin Rahul badla kayi tarah se le sakta tha
Use Neha ko alag alag logo ke sath
Chu
Control
Nahi karwani chahiye thi
Neha ko blackmail karke Ashok ko bandhwake
Phir Neha se hi Ashok ko pel
CONTROL
Phir Ashok ke saamne hi Neha Rahul se chu
CONTROL
Ek toh aap ka naam ladkiyo waala.hai
Cheeku
Toh main cheeku Bhai bolu
Ya cheeku did
CONTROL
story badhiya likhi aapne cheeku bhai
Lekin thoda scope bada kar dete
Toh maza aajata
Jaise ki state saare corrupt politician ki
Aisi taisi kar dena
Bhale ki woh kuchh word's mein likh dete
Itni powerfull cheez hath Lage
Aur uska use achche se na kiya jaaye
Toh maza nahi aata
Phir bhi humko maza aaya kahani padhne mein
Itni mazedaar story likhi hai aapne
agar AAP saamne hote toh main aapko ek geeli puchchi deta
CONTROL
Koi galatfehmi nahi paal lena
Theek hai na
Bas apni imagination ko thoda badhaiye
Aur yeh sochke dekhiye ki aapke paas sex book hoti
Toh aap kya karte
Humari taraf se rating nahi milegi
Hum in sabse upar uth chuka hoon
Isi liye ummid karunga
competition khatam hone ke baad
Aap is story ko aage badhaye
Bas itna hi likh paaunga
Isi se kaam chala lo...
thank you ...apney apna keemti waqt nikal kar meri story parhi ....

yup ..bilkul sahi kaha ye story mein bohot scope tha par ...shayad word limits kay karan mein aur cheezy daal nahi paya ..
 

Devil Jasien

Elite
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2,965
174
Thodi si mistake hai baki story badhiya hai ekdum
" कामावतार "

(यह कहानी उन युवाओं को समर्पित है, जो अपनी गरीबी, लाचारी, बीमारी, बुरी किस्मत, शारीरिक कमियों की वजह से हताशा और निराशा में अपना जीवन व्यतीत कर रहे है, मै कहानी के माध्यम से उन्हे संदेश देना चाहता हू कि " तितलियों का पीछा करने में अपना समय बर्बाद मत करो, अपने बगीचे को ठीक करो, तितलियाँ अपने आप आ जायेगी😜)


औरैया, जिला जालौन, उत्तर प्रदेश में बलवंत सिंह जाति से ठाकुर और पेशे से मजदूर, मजदूरी करना उसकी किस्मत नही गलती है, उसके पिता ने उसकी शराब् पीने की लत की वजह से उसे "नालायक औलाद" का ठप्पा के अलावा पैतृक संपति में से कुछ नहीं दिया। सारी संपति बांकी के चार पुत्रो में बराबर बराबर बाँट दी। बलवंत के ससुराल वालों ने जब उसके बाप से कहा कि ये कैसा न्याय है..??? आखिर बलवंत है तो तुम्हारा ही बेटा उसको भी बराबर का हिस्सा मिलना चाहिए. चाहे वो शराब् में बर्बाद करे या फिर संभाल कर रखे। काफी कहा सुनी के बाद उसके बाप ने एक टूटा फूटा मकान बलवंत की पत्नी के नाम लिख दिया। अब बलवंत दिहाड़ी की मजदूरी करता, आधे पैसे कमा के घर में देता और आधे शराब् के ठेके पर......!


बलवंत ने किसी सरकारी सालाना (वार्षिक) योजना की तरह हर साल एक बच्चा पैदा किया जिसके फलस्वरूप उसके परिवार में तीन बेटियां और सबसे छोटा एक बेटा जनार्दन सिंह उर्फ जॉनी है। जनार्दन के पैदा होने के बाद बलवंत की पत्नी ने उसे बिना बताये नसबन्दी करा ली।


'बाप भले ही गरीब मजदूर हो लेकिन बच्चो में योग्यता हो तो देर सबेर सफलता प्राप्त हो ही जाती है' लेकिन गरीब बलवंत ना ही खुद इतना योग्य था और ना ही उसकी औलाद में कोई ऐसी योग्यता थी जो सफलता की सीढ़ी चढ़ जाते। मसलन बेटियां दसवी में चार बार फैल हो कर पढाई बंद कर घर बैठ गयी।

उसकी बेटियां उम्र से पहले ही जवान दिखने लगी थी, रंग साफ, नैन नकश् सुंदर, खिलती छातिया, चौड़े और बड़े बड़े नितंब होने के वाबजूद उनकी गरीबी उनकी खूबसूरती पर 'बदनुमा धब्बे' की तरह नजर आती थी। जिससे उनके आशिक भी आसपास के उन्ही की तरह गरीब, छोटी छोटी किराने, मेडिकल और कपड़ो की दुकान पर नौकरी करने वाले लड़के ही रहे। जो उनके घर बलवंत की बीवी को 'चाची-चाची' कहते हुए घुसते और उसकी बेटियों के चूचे दबा कर हस्ते हुए वापस चले जाते। इस तरह बलवंत की बेटियों की "मोहल्ले वाले ईश्क की रासलीला" घर में ही चलती रहती।

बलवंत का बेटा जॉनी के भी हरमोंस में बदलाव होना शुरु हो गया था और वो अपने मोहल्ले के लड़को को अपनी बहनो की चूचीयो को दबाते हुए देखता लेकिन कुछ कह नही पाता। इसके तीन कारण थे..एक तो वो उम्र में छोटा और दूसरा उसकी बहनो को चूची दब्बने में हँसता हुआ पाता और तीसरा आते जाते हुए वो लड़के उसे कुछ ना कुछ खाने पीने का सामान खरीदने घर के बाहर भेज देते। इन्ही कारणों से वो सब जानते हुए भी चुप रहता।

जॉनी का एक दोस्त था रिजवान जो हेयर सैलून में नौकरी करता था, रिजवान और जॉनी अक्सर हमेशा साथ साथ घूमते खाते पीते अपनी बातें शेयर करते। रिजवान ने ही जॉनी को अब मुट्ठ मारना भी सिखा दिया था और उसका 'मुठ गुरु' बन गया था। ऐसे ही समय गुजर रहा था और 'गरीब मजदूर की बेटियाँ' खूब फल-फूल रही थी।

एक दिन जॉनी की मामी घर पर आई और जॉनी की माँ से कहा कि भाभी.... बेटियों के चाल चलन ठीक नहीं लग रहे है उन की छातिया फूल कर 'कुप्पा' हो रही है, चूतर सलवार में से 'मटके' की तरह बाहर निकल रहे है, बेटियों बारे में कुछ सोचा है कि नही.. ????

अरे हम करे, तो क्या करे ??? बेटियां कहती है कि "वो गरीबी भरे 'दलदल' से निकलकर वापस किसी गरीबी भरे 'कीचड़' में ब्याह कर नही जाना चाहती," और तुम्हे तो पता ही हमारी इतनी हैसियत नही है कि किसी अमीर के घर उन्हें ब्याह दे। मगर किसी भी तरह एक बिटिया का ब्याह तो इस साल करने की सोच रहे है।

अरे भाभी आज के समय में बेटियों के ब्याह की चिन्ता मत करो, जब से लड़का लड़की के 'लिंगानुपात' की सख्या में अंतर हुआ है तब से बेटियों वालों की चांदी हो गयी है, हमारी समाज में ही बड़े-बड़े अमीर घरों में लड़के कुँवारे बैठे हैं, जो शादी के लिए दोनों घरों के चूल्हे जलाने के साथ साथ मुह मांगी कीमत भी देने को तैयार है बस उनके घर में कैसे भी कर के बहू आ जाये। अगर तुम कहो तो मै तुम्हारी तीनों बेटियों का ब्याह एक साथ एक ही मंडप पर करवा दू। और उल्टा तुम्हें तिगुना दहेज भी दिलवा दू।


ये बात सुनकर बलवंत की बीवी के चेहरे पर चमक आ गयी और कुछ महीनों बाद बलवंत के साले ने उसकी तीनो बेटियों की शादी कहे अनुसार अच्छे घरों में करवा दी और एक से ढेड़ लाख रुपये भी हाथ में थमा दिये।


'गरीब आदमी के लिए पैसा कमाना जितना मुश्किल काम है, उससे कही ज्यादा पैसा संभाल कर रख पाना। पैसा कब, कहाँ और कैसे खर्च करना उसकी कला गरीबों में नही होती।'


घर में हैसियत से ज्यादा पैसा आने पर बलवंत ने मजदूरी करना बंद कर दिया और सुबह ही घर से निकल जाता देर रात तक शराब् के नशे में वापस आता पत्नी के समझाने के बाद भी जब बलवंत नही माना तो उसने चोरी छिपे 50 हजार रुपये बैंक में जमा कर दिये, बांकी पैसों से जॉनी को एक छोटी सी चाउमीन, मोमो, की दुकान खुलवा दी।


'धंधा छोटा हो या बड़ा आज के कॉम्प्टीशन के दौर में चलाना आसान नही होता' जॉनी के धंधे ने उसे रोजगार नही दिया सिर्फ 200-250 रु रोज की 'आजीविका का एक जरिया' बन कर रह गया।


महीने गुजरते गये इस दौरान उसका अपने दोस्त रिजवान (मुट्ठ गुरु) से मिलना बंद हो गया, बहनो की शादी के बाद जॉनी घर में अकेला रह गया था और नॉनस्टोप् मुठ मारता, परिणाम स्वरूप एक दो मिनिट देसी विदेशी पोर्न फिल्म देखने के बाद ही कुछ सैकिंड का लिंग् में तनाव महसूस कर वीर्य निकल जाता।

बड़ी विकट समस्या से जॉनी झूझ रहा था, उसे खुद भी कुछ समझ नही आ रहा था, करे तो क्या करे बीमारी ही ऐसी हो गयी थी कि 'किसी को बता नही सकता और खुद से छिपा नही सकता।' चिंता और अवसाद के कारण 25 की उम्र में ही 35 का लगने लगा। घर में माँ बाप के बीच रोज का कलह अलग से मचा हुआ था।

काफी दिनों बाद जब जॉनी अपने दोस्त रिजवान से मिला तो डरते डरते उसने यह बात अपने दोस्त 'मुट्ठ गुरु' को बताई। दोस्त पहले तो बहुत जोर से हंसा, और 'ढीले बलम', 'सुस्त लंड' जैसे नाम से चिढ़ाने लगा। और जब वो जॉनी का पूरी तरह से मजा लेकर खुश होकर थक गया तब बोला....

"जॉनी मेरे दोस्त तुम्हारी कोम में हमेशा ज्यादतर लौंडो को यही प्रोबलम होती हैं, 30-35 साल के हो जाते हो लेकिन चूत के दर्शन नही मिलते....और 'अपना हाथ जगन्नाथ' कर हैंड पंप चला-चला कर पूरे लंड की नसे ढीली कर लेते है। हमारी कौम इस मसले में बढ़िया है, लोंडा 'चूतर धोने से पहले चूत चोदना' सीख जाता है, फूफी की लड़की, खाला की लड़की, चच्ची की लड़की, मामू की लड़की, जिसके साथ चाहो उसके साथ मजे करो...?? " यही तो खूबसूरती है, हमारी कौम की "

मेरे दोस्त ये कोई बीमारी नही है ऐसा इसलिए है क्योकि तूने अभी तक किसी भी लड़की को चोदाँ नही है, लड़कियों को चोदना शुरु करो, लौड़े की भी कसरत होगी और तेरी जो बीमारी है वो भी दूर भाग जायेगी। कल चल मेरे साथ फिरोजाबाद मै तेरी लंड की टोपी खुलवाता हू,।

जॉनी को कुछ कुछ बातें अपने दोस्त की समझ आ रही थी, और एक मुस्कान के साथ बोला कितना पैसा खर्चा होगा...???

देख भाई जॉनी आने जाने का तू खर्च कर दियो, वहा तेरी लंड की टोपी खुलवाने का खर्चा मैं देख लूंगा....! और फिर हस्ता हुआ वो चला गया।

अगले दिन दोनो दोस्त फिरोजाबाद पहुँच कर के बस स्टैंड के पास की गली में घुस गये। जो कि वहाँ की 'रण्डी गली' के नाम से जानी जाती है, गली के अंदर पान की दुकान के बगल से ऊपर की ओर जाती हुयी सीढ़ीयों पर चढ़ कर दोनों दोस्त एक कमरे में आ गये। अधेड़ उम्र की औरतों के साथ कुछ लड़किया भी वहा तख्त पर बैठी हुयी थी। जॉनी के दोस्त ने एक औरत से सौदा फिक्स किया " 300 रु सवारी, हल्की चाहे भारी "और हस्ते हुए एक-एक लड़की के साथ दोनों दोस्त परदे की आड़ से बने केबिनुमा बरामदे में घुस गये।

जॉनी का ये पहला अनुभव था उसके चेहरे पर डर और हवस का मिलाजुला असर साफ दिख रहा था, काफी देर तक वो खड़ा रहा वो कभी उस लड़की को देखता..जो कि सलवार उतार कर नीचे से नंगी हो चुकी थी और कभी बगल के पर्दे के दूसरी ओर चुदाई करते हुए जोड़े की परछाई को देख रहा था।

पेंट उतार ना लंडूरे ?? अब क्या खड़ा खड़ा करेगा.... लोडु ???? अपनी सलवार को खोल कर कॉंडोम का पैकेट फाड़ते हुए वो लड़की बोली। लड़की की गाली भरी, चुभती हुई आवाज को सुनकर जॉनी की हवस फुर्र हो गयी और बचा सिर्फ डर....! लेकिन जिस काम के पैसे दिये जा चुके थे, वो काम तो करना ही था।

डरते डरते जॉनी ने अपना पेन्ट उतार कर नीचे से नँगा हो गया उस लड़की ने उसके मुरझाये हुए लंड को हाथ से पकड़ कर जोर जोर से हिलाने लगी, रंडि की लंड हिलाने की रफ्तार से जॉनी के लंड में जैसे जैसे आकार में वृद्धि हुई तो रंडि ने बिना देर किये उस पर कॉंडोम चढ़ा दिया। लेकिन लंड पूर्ण रूप से खड़ा और कडा नही हुआ था।

चल अब डाल ना चूतिये... ।

अब भला 'ढीला लंड' चूत में कैसे जाता जॉनी काफी प्रयास कर रहा था लेकिन 'सुस्त लंड' चूत के मुहाने पर आकर फिसल कर मुड़ जाता, रण्डी ने भी जॉनी के लंड पकड़ कर दोबारा से हिलाया और कुछ ही सेकंड में जॉनी के लंड ने पानी छोड़ दिया।

रण्डी ने अपनी सलवार पहनी, कॉंडोम को कचरे की बाल्टी में डाल देना... कहकर वापस कमरे में मौजूद अन्य रण्डी के साथ बैठ गयी। इस 'रण्डी बाजी' के बुरे अनुभव से जॉनी टूट गया और वो मन ही मन समझ गया कि उसका लंड बेकार हो चुका है, सिर्फ 'मूतने' के लिए बना है, ना कि किसी को 'चोदने' के लिए....!


दिन बीतने लगे और जॉनी अंदर ही अंदर घुटता रहता, ना ही उसके पास पैसा था, और ना ही मर्दांगी.... फिर एक दिन जॉनी के बाप की ज्यादा शराब् पीने की वजह से तबियत खराब हो गयी और उन्हें जिला चिकित्सालय में तीन चार दिन के लिए भर्ती करवाना पड़ा। दिन में जॉनी की माँ, बाप की देखरेक के लिए रुकती और रात में जॉनी....।

जॉनी अपने लंड के परफॉर्मेंस से 'तन' से हार गया था, लेकिन 'मन' से नही, मन में सेक्स का कीडा अभी भी जिंदा था।

हॉस्पिटल में रात को बाप के सो जाने के बाद वो 'महिला प्रसूति वार्ड' में चक्कर मारने चला जाता, वहा गर्भवती महिलाओं को ढीली मैक्सी और ब्लाउस पेटीकोट में अस्त व्यस्त हाल में सोते हुए उनकी 'चूत की लाइन' की झलक मात्र देख कर 'मंत्र मुग्ध' हो जाता, जो महिलाएं अपने बच्चो को स्तन् पान कराते हुए सो जाती और उनका चूचा (स्तन्) बाहर निकला रहता, मौका पाकर उनको छूने की कोशिस करता और उनकी मोबाइल से वीडियो बनाता।

ऐसे ही चौथी रात जॉनी अस्त व्यस्त कपड़ो में सोती हुई औरतो के आश्लील वीडियो बनाने की फिराक में 'प्रसूति वार्ड' में चक्कर लगा रह रहा था तो एक नर्स ने उसे देख लिया, और जॉनी को टोकते हुए बोली....

इतनी रात में यहाँ क्या कर रहे हो...???

जॉनी सहम गया... सच बता नही सकता था।

कुछ नहीं... कुछ भी नही... अटकते हुए कहता हुआ जॉनी वहा से जल्दी जल्दी भागने लगा.... जॉनी को इस तराह भागते हुए देख वो नर्स चिल्लाने लगी....!

चोर.. चोर... मोबाइल चोर...

जॉनी पकड़ा गया जॉनी की काफी अच्छे से पिटाई हुई, लेकिन 'बाप की बीमारी' की हालत को देखते हुए कोई पुलिस या अन्य कार्यवाही नही हुयी।

" इतना संगीन पाप कोन करे, मेरे दुख पर विलाप कौन करे, चेतना मर चुकी है लोगों की, पाप पर पश्चताप कौन करे "

लेकिन जॉनी ने मन ही मन कसम खा ली एक ना एक दिन इन औरतों से बदला जरूर लेगा। उस दिन से जॉनी ने औरतो को 'बुरी नजर' से देखना बंद कर दिया और अपने 'ढीले लंड' को सिर्फ मूतने के लिए उपयोग में लाना शुरु कर दिया।

साल गुजर गयी चाॅअमिन् मोमोस के धंधे में भी अब 100-150 रु रोज की दुकानदारी रह गयी। "शकल, अकल, नस्ल" तीनों से जॉनी चूतिया दिखने लगा उम्र भी 30 पार हो गयी, नजर 45 का आने लगा। ब्याह वालों का अता पता नही, बहनो की भी गृहस्थी हो गयी थी, तो उन्होंने भी आना जाना कम कर दिया। बाप ने बीमारी की वजह से बिस्तर पकड़ लिया। Paytm के माध्यम से तीनों बहने महीने का तीन-तीन हजार रु भेज देती जिससे 'परिवार का गुजारा' हो रहा था। अपने ही 'जीवित शव' को अपने ही कंधे पर ढोते हुए जॉनी की जिंदगी की गाड़ी ऐसे ही निराशा, हताशा के साथ कट रही थी।


और एक दिन एक शक्स, चमचमाती बुलट पर.... स्मार्ट हैंडसम, दिखने में पढ़ा लिखा, उम्र 35-40, हाव भाव से किसी 'फिल्मी सितारे' की तरह उस की छोटी सी दुकान पर चाउमीन खाने के लिए आया। जॉनी तो उसके 'चेहरे के तेज' को देखता ही रह गया। उसने गरम गरम बढ़िया सी चाउमीन बनाकर उसे प्लेट में देकर सड़क की ओर देखने लगा।


वो शक्स चाउमीन खाते हुए फोन पर किसी से बात कर रहा था भाषा से वो 'मथुरा' साइड का रहने वाला लग रहा था। फोन पर बात करते हुए उसके हाव भाव देखकर जॉनी अब उसकी फोन पर हो रही बातचीत को समझने की कोशिस करने लगा। वो शक्स किसी की 'जनम कुंडली' में लिखी 'भविष्यवाणी' के बारे में शायद बात कर रहा था।


फोन कट जाने के बाद, वो जॉनी से बोला भाई तेरी चाउमीन बहुत बढ़िया है लेकिन थोड़ी तीखी है, और प्लेट को टेबल पर रख कर सामने की 'मिठाई की दुकान' से 250 ग्राम 'सोन पपड़ी' ले आया और एक पीस खुद खाते हुए पूरी थैली जॉनी के सामने रखते हुए बोला... लो खाओ भाई...??


जॉनी ने मना किया, तो वो हस्ते हुए बोला इसके पैसे तेरी चाउमीन से नही काटूंगा, ये सुन जॉनी के चेहरे पर मुस्कान आ गयी और थैलि में से एक पीस सोन पपड़ी लेकर खाने लगा... खाते हुए जॉनी ने जिज्ञासा वश उससे पूछा क्या आप ज्योतिष है.. ???

वो हंसा और बोला नही भाई ज्योतिषी मुझे पुरखों के द्वारा विरासत में मिला हुआ ज्ञान है, जिसे मै अपने अजीज मित्रों पर शौकिया खर्च करता हूँ। मै तो एक NGO चलाता हूँ और जरूरतमंद लोगों की जरूरते पूरी करता हूँ।

लेकिन तुम क्यों पूछ रहे हो...???

वो आप फोन पर किसी की जनम कुंडली पढ़ कर भविष्य बता रहे थे तो मैने सोचा..!

क्यों भाई तुम्हे भी अपना भविष्य जानना है क्या??

हा..

चलो अपनी जनम तिथि, समय, तारिक, स्थान बताओ... जॉनी सब कुछ बता देता है और उसकी कुंडली सामने बैठे शक्स के मोबाइल एप पर बन जाती है, जॉनी की कुंडली देख कर वो शक्स जॉनी को ऊपर से नीचे की तरफ देखता है.... और आश्चर्य के साथ कहता है क्या सच में ये डिटेल जो तुमने बताई वो सही है.?

हा भाई......!

इस कुंडली के हिसाब से तो तुम्हारा राजयोग है, अश्व की तरह दमकता निरोगी शरीर, खूबसूरत स्त्रियाँ, पैसा, ऐशो-आराम सब कुछ तुम तो साक्षात " कामावतार " हो।

"ये है पढ़ा लिखा चूतिया " जॉनी मन ही मन बोला...।

थोड़ी देर तक जॉनी को ऊपर से नीचे तक देखते हुए वो शक्स बोला.. मिल गया फॉल्ट इंसान ''जैसा कर्म करता है, वैसा ही फल मिलता है" तुम्हे जो काम करना चाहिए वो कर नही रहे और दस-दस रु प्लेट की चाउमीन बेच रहे हो तो क्या घंटा फर्क पड़ने वाला है। दिशा बदलो, दशा बदलेगी, अपने शौक, अपने पेशन को अपना प्रोफेशन बनाओ तो सारी जिंदगी कोई काम नही करना पड़ेगा।

मतलब.....???

ट्रांसफोर्मेशन की जरूरत है तुम्हे, जन्म तिथि के हिसाब से तुम 30+ साल के हो लेकिन दिख 40+ के रहे हो, खुद को बदलो तब सब बदलेगा।

किसी मोटीवेशनल स्पीकर की तरह वो शक्स जॉनी को मुफ्त का ज्ञान चोद कर बची हुई 'सोन पापड़ी' और 'दस का नोट' थमा कर चला गया और जाते हुए वो जॉनी की एक फोटो भी खीच ले गया।

"औरो को उपदेश सुनाना चुंबन सा ही मीठा काम है, खर्च नही कुछ पड़ता, मन को मीठा लगता है "

गरीब छोटे छोटे दुकानदार को इस प्रकार का 'मुफ्त ज्ञान चोदने वालों' की हमारे देश में कमी नहीं है, फेसबुक पर ऐसे 'ज्ञान पांडे' भरे पड़े है। इसलिए जॉनी ने भी उस शक्स की बातों को एक कान से सुन दूसरे से बाहर निकाल दिया। क्योकि वो जानता था 'भरोसे' वाले ही 'भोसड़ी' वाले होते है।

करीब दो तीन घंटे बाद वो शक्स वापस आया इस बार उसके हाथों में कुछ सामान था और मुस्कुराता हुआ जॉनी से बोला, छोटे भाई मैने तुम्हारे बारे में अपनी वाइफ को बताया और उसे तुम्हारी फोटो दिखाई मेरी वाइफ ने घर पर फ्री समय में धन्वंतरि की प्रकाशित निरोग धाम, आरोग्य धाम जैसी सभी किताबों को पढ़-पढ़ कर, 'घर का वैद्य' बन अपने नुस्खो से पूरी फैमिली का इलाज करती है।

मैने तुम्हे अपना छोटा भाई बना लिया है, अब ये लो दवाइयाँ 21 दिन का कोर्स है इन्हे आज से सुबह शाम खाना शुरु करो.. एक बॉटल में तेल है जिसे अपने सिर से लेकर पाँव के अंगूठे तक निर्वस्त्र होकर शरीर के हर अंग में लगाना है, दूसरी में लिक्विड है जिसे पानी में मिला कर पीना है, तीसरी में 'मन्मथ रस' की गोली है जिन्हे दिन में दो बार खाना, चौथी में जड़ी बूटी और भस्मो से मिला कर तैयार किया हुआ 'पाक' है उसे भी दिन में दो बार खाना है। आधे घंटे रोज दंड पेलना, उठक बैठक करना है।

जॉनी ने मन ही मन कहा ये तो साला 'सेल्स मेन' निकला जबरदस्ती दवाइयाँ चिपका रहा है। और धीरे से बोला इसके पैसें...?? ?

छोटा भाई बना लिया है तुम्हे, बड़े भाई के रहते हुए छोटा भाई चिंतित रहे, अस्वथ रहे तो फिर काहे का बड़ा भाई... अब मै तुमसे 21 दिन बाद मिलता हू। जाते जाते वो जॉनी का पांच हजार रु ड्राई फ्रूट और फ्रूट खाने के लिए दे गया।


अब जॉनी के अंतर्मन से सिर्फ एक ही आवाज आ रही थी.......!


"ना जाने किस रूप में आकर 'नारायण' मिल जायेगा, अपने मन के दर्पण में वो 'भगवान्' के दर्शन पायेगा।

उसी रात से जॉनी ने दवाइयों को खाना शुरु कर दिया और सुबह जब उठा तो उसे अपने लंड में इतना कड़कपन महसूस हुआ जो आज तक की 30 साला जिंदगी में कभी नही हुआ। जॉनी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा... और अब वो पूर्ण विश्वास के साथ दवाई खाता, एक एक घंटे सुबह शाम दंड पेलता !


हफ्ते भर में खिलाई पिलाई दवाइयों और कसरत का असर जॉनी के बदन में दिखने लगा 40+ का नजर आने वाला जॉनी अब 25 का दिखने लगा। उसके बुड्ढो की तरह झुके कंधे सीधे होकर चौड़े होने लगे, उठक बैठक करने से उसकी जांघे भरने लगी, तेल के प्रभाव से उसके पूरे शरीर के अंग-अंग में चमक के साथ साथ चेहरे पर तेज आने लगा, होंठो पर लालिमा, सिर के झड़े हुए बाल वापस आना शुरु हो गये, उसका लंड सामान्य पुरुषो से बड़ा और मोटा हो गया, और लंडआकृति सुडॉल् होने के साथ साथ उसके जीन्स-पेंट्स में उभरकर अलग से दिखाई देने लगी, जिसे वो चाहकर भी छिपा नही पाता।


आखिरकार जॉनी की माँ ने दसवें दिन उसके जीन्स-पेंट्स में उभरती हुयी लंडआकृति को देखकर उसे टोक ही दिया ये कोनसी दवाइयाँ खाने लगा है, पूरा शरीर बढ़ता ही चला जा रहा है.. जॉनी अपनी माँ की बात को अनसुना कर अपनी दुकान पर चला गया, उसे तो बस इंतजार था 21वे दिन का कि उसका वो 'बड़ा भाई' कब दर्शन दे जिसे वो अपना 'भगवान्' मान चुका है।


22वे दिन जॉनी सुबह दुकान खुलने की टाइमिंग से पहले ही अपने भगवान् के दर्शन के लिए अपनी नजरे बिछाये हर आने जाने को देख रहा था..... कब वो आये और उसे दर्शन दे। राह देखते देखते दोपहर के 12 बज गये और तभी जॉनी के भगवान् प्रकट हुए।

अपने उस बड़े भाई को देखकर जॉनी खुशी से फूला नही समाया जिसका वो नाम तक नही जानता था। जॉनी के शारीरिक बदलाव और पेंट में नजर आ रहे लंड के उभार को देखकर हस्ते हुए बोला.... छोटे भाई ये क्या हो गया...????

'आप ही ने बनाई है ये हालत मेरी, आप ही पूछते हो कि ये क्या हो गया....?' जॉनी ने भी हस्ते हुए गाना गा कर जबाब दिया। दोनों बड़ी जोर से हँसने लगे।

बड़े भाई बताइये क्या खिलाऊ..??? जॉनी ने स्टूल खिस्काते हुए पूछा।

कुछ नही अब तुम इधर आराम से बैठो।

जॉनी अपने भगवान् को बड़े ही प्यार से एक भक्त की तरह निहार रहा था। उसे इस तरह निहारता देख उस शक्स ने पूछा क्या हुआ...???

आपका नाम क्या है...??? जॉनी ने मुस्कुरा कर पूछा..??

'कामदेव' ...... और सभी लोग मुझे केडी कहते।

जॉनी दिन का जो तुम कमाते हो वो मै तुम्हे दे दूंगा अब चलो मेरे साथ अभी बहुत काम बांकी है। जॉनी ने फुर्ती से दुकान बंद की और चल दिया केडी के साथ। वो दोनों सीधे एक मॉल में गये और केडी ने जॉनी को नये नये फैशनेबल कपड़े दिलवाये, और एक जोड़ी अभी पहनने को कहा।

जॉनी जब फैशनेबल कपड़े पहनकर बाहर आया तो किसी रहीसजादे की तरह दिखने लगा। वो दोनों कपड़ो के सेक्शन निकल कर मॉल से बाहर निकलने लगे... जिस जिस जगह से जॉनी गुजरता हर स्त्री-पुरुष, लड़का-लड़की एक झलक उसको जरूर देखते। हर औरत और लड़की की नजर जॉनी के चेहरे से ज्यादा उसके पेंट में दिख रहे सुडॉल् बड़े मोटे लौड़े के उभार पर जाकर टिक जाती और वो सभी अपनी-अपनी अंतर दृष्टी से मन ही मन कल्पना करने लगती।

कुंवारी कन्याओ-नव्यौवना को वो हॉट सेक्सी, कूल दिखा, व्यभिचार मे लिप्त स्त्रियों को कामकीडा का खिलाडी दिखा, वतस्ला दृष्टी से जिन स्त्रियों ने देखा उसे वो अपना 'दामाद' बनाने की सोचने लगी..... सेक्स की प्यासी, असंतुष्ट स्त्रियों और लड़कियों को 'कृपा निदान' लगा। घमण्डी स्त्रियों और लड़कियों एवम शीमेल, गांडू को वो साक्षात यमराज लगा।

शॉपिंग करने के बाद केडी, जॉनी को ढाबे पर ले गया दोनों ने बढ़िया खाना खाया, और खाने के बाद एक दूसरे से बातचीत करने लगे।

जॉनी अब आगे का क्या प्लान है, क्या करना है लाइफ में...???

पता नहीं... मजदूर का बेटा हू तो मजदूरी ही करूँगा।


हाहा हाहा ये भी सही है, लेकिन जो काम 'लौड़ा' कर सकता है, उसके लिए 'हथौड़ा' चलाना तो मूर्खता है। इस खूबसूरत शरीर के साथ ईट पथरो पर जोश, ताकत दिखाने से अच्छा किसी जरूरत मंद की जरूरत को पूरी करने में इस ताकत का प्रयोग करो जिससे उसको खुशी मिलेगी और तुम्हे पैसा ....!


जॉनी : कैसे???

जो मान-सम्मान, दौलत, शोहरत तुम्हारा चेहरा नही दिला पाया वो सब, अब तुम्हारा लौड़ा दिलाएगा।

मै समझ गया भईया 'पुरुष वैश्या' बनना है।

क्या बात है जॉनी पहले जैसे 'चूतिये' अब नही रहे, होशियार हो गये, बताने से पहले ही समझ गये..... केडी हस्ते हुए बोला।

मेरी बात ध्यान से सुनो जॉनी, 'वैश्या का पेशा' सभी पेशों में सबसे बदनाम पेशा है, उसमे अपने व्यक्तिव को बेचना पड़ता है, तुम्हे भी अपने व्यक्तिव को बेचना है....' वैश्या सबकी होती, किसी एक के होने की उसके लिए मनाही है, जो जितना पैसा देगा वो उसकी होगी और तुम्हे भी बस यही याद रखना है..... ना किसी से प्यार, मोहब्बत, शादी कुछ नही।

जॉनी को हॉस्पिटल में अपनी औरतो से बदला लेने वाली गयी कसम याद आ गयी,
सब मंजूर है भईया वैसे भी मुझे भी किसी 'एक का होने में' कोई interest नही है।

Thats good, मै कुछ वीडियो और टिप्स तुम्हे भेजता हूँ कैसे एक औरत को बातों से, हाथों से, 'काम-कलाओं' से परम सुख दिया जाता है, जिनसे तुम सब सीख जाओगे।

भैया मेरे contact कैसे बनेंगे...?? जॉनी ने सवाल किया।

Contact तो स्वार्थी लोग बनाते है, जो जरूरत पड़ने पर याद किये जाते है, तुम्हे रिश्ते बनाने है जॉनी, वो भी ऐसे रिश्ते कि औरते तुम्हारे चेहरे और लोंड़े को जिंदगी भर ना भूल पाये।

मै तुम्हारी कुछ वीडियो और फोटो सोशल मीडिया पर पोस्ट करूँगा जिसमें तुम्हारे जिस्म का सबसे शानदार अंग (लंड) जो स्त्रियों को सबसे ज्यादा आकृषित करेगा। बांकी टेक्नोलॉजी का कैसे प्रयोग करना वो सब तुम मुझ पर ही छोड़ दो।

जॉनी हस्ते हुए भईया ' लंड प्रदर्शन ' करना है...???

'प्रदर्शन' तो चूतिये करते है..... तुम्हे 'दर्शन' करवाना है.. केडी भी हँस कर बोला।

केडी भईया बस एक सवाल है, आपने इस काम के लिए मुझे ही क्यों चुना...???

ह्म्म्म.... तुम्हे इसलिए चुना कि क्योकि तुम्हे इस काम की सबसे ज्यादा जरूरत है, जरूरत मंदो की जरूरतें पूरी करना ही मेरा जॉब है।

जॉनी आश्चर्य से..... मै समझा नहीं भैया.??

उस दिन जब हॉस्पिटल में तुम्हारे साथ जो भी हुआ था, मै वही मौजूद था, उस घटना का संपूर्ण सच मुझे पता था कि प्रसूति वार्ड में तुम क्या करने आये थे...???? जो लड़का अपने बाप की जिंदगी मौत से झूझती हुयी साँसों को अंदेखा कर अपनी काम वासना और यौन इच्छाओ की पूर्ति के चक्कर में यहाँ पिट रहा है, अगर इसकी इच्छा पूरी ना हुयी तो जल्द ही मर जायेगा, मैने ठान लिया मै इसे मरने नही दूंगा, मै इसके लिए कुछ भी करूँगा।

खैर छोड़ो सब, काम पर लगते है, फिर केडी ने स्विमिंग करते हुए, रस्सी कूद करते हुए जॉनी के कुछ वीडियो बनाये जिनमें जॉनी का लंड उछलता हुआ नजर रहा था।

जॉनी की वीडियो पब्लिक होने वाली थी. वो सोच रहा था कि कोई रिश्तेदार देख लेगा तो क्या होगा उसका भविष्य....???

उसके सामने ही वो वीडियो किसी को वॉट्स ऐप पर भेजी गईं. वीडियो के साथ लिखा था, 'नया माल है, रेट ज़्यादा लगेगा. कम पैसे का चाहिए तो दूसरे को भेजता हूं.'

जॉनी की बोली लग रही थी, जो अंत में 25 हज़ार रुपये में तय हुई. इसमें उसे क्लाइंट के लिए सब कुछ करना था. ये सब किसी फ़िल्म में नहीं, सच में उसके साथ हो रहा था. उसे बहुत अजीब लग रहा था... !

जॉनी ज़िंदगी में पहली बार ये करने जा रहा था. बिना प्यार, इमोशंस के कैसे करता? एक अंजान के साथ करना होगा ये सोचकर उसका दिमाग चकरा रहा था.

एक ई रिक्शा में बैठकर मैं उसी दिन औरैया के एक पॉश इलाके के घर में घुसा. घर के भीतर बड़ा हाल था, काफी बड़ा टीवी भी था.

वो शायद 32-34 साल की शादीशुदा महिला थी. बातें शुरू हुईं और उसने कहा, ''मैं तो गलत जगह फँस गई. मेरा पति गे है. भोपाल में रहता है. तलाक दे नहीं सकती. एक तलाकशुदा औरत से कौन शादी करेगा. मेरा भी अलग-अलग चीज़ों का मन होता है, बताओ क्या करूं.''

फिर उस औरत ने शराब् का ग्लास देते हुए बोली लो पियो इसे...!

मै शराब् नही पीता, जॉनी ने जबाब दिया।

शराब् तुम्हारा कुछ नहीं बिगाड़ेगी, तुम एक 'औरत के नशे' में मरोगे... ये केहकर वो जोर से हँसने लगी।

आखिर कार जॉनी को शराब् पीनी पड़ी फिर हिंदी गाने लगाकर डांस करना शुरू किया.

"यम्मा यम्मा यम्मा ये खूबसूरत जहा,
बस आज की रात है, जिंदगी कल तुम कहाँ, हम कहाँ "

दोनों डाइनिंग रूम से बेडरूम गए.
अब तक उस औरत ने जॉनी से प्यार से बात की थी. काम जैसे ही खत्म हुआ , पैसे देकर बोली, " घरवालो ने हर चीज मुझे मनपसंद दिलाई थी, बस एक हम सफर ही नही मिला पसंद का, वो कमी भी आज तुमने पूरी कर दी.'' उसने जाते जाते जॉनी को टिप भी दी.....!

जॉनी अगले दिन केडी से मिला... केडी ने हस्ते हुए पूछा कैसा रहा...???

जॉनी बोला बड़े भईया मजा आ गया, उस औरत ने जाते हुए मुझे आखिरी बात बोली मेरे दिल में 'घर' कर गयी।

अभी ऐसी बहुत सी 'राज की बातें' सुनने को मिलेगी कि तुम्हारे दिल में जगह नहीं बचेगी, ....जॉनी भैया, हर औरत दोहरी जिंदगी जी रही है, परिवार के लिए अलग... खुद के लिए अलग। अब उसको भूल जाओ, आज तुम्हे इटावा जाना है, ये पता और फोन नंबर है, अभी ही निकल जाओ शाम तक पहुँच जाओगे।

जॉनी इटावा में केडी के बताये हुए पते पर पहुँच गया, एक भारी शरीर की काली कलूटी, 35-36 साल की लड़की जिसे देखकर लग रहा था उसने कभी आईना नहीं देखा, उसने कभी संवरना नहीं जाना, उसने कभी खुद को सुंदर न माना हो, उसने दरवाजा खोला।

जॉनी के पैर देहरी पर ही ठेहर गये, मन ही मन सोचा ये केडी ने कहा फंसा दिया, इसे देख तो 'खड़ा लंड' बैठ जाये। उसने वापिस जाने का सोचा.... तभी उसको अपने खुद के पुराने रूप का ख्याल आया कि उसकी शकल देख कर भी लोग थूकते थे, तब कैसा महसूस होता था।

ये सोचते ही जॉनी एक प्यारी सी मुस्कान लिये घर के अंदर आ गया, दोनों के बीच थोड़ी बातें हुयी उस लड़की ने बताया उसके भारी शरीर और काले रंग की वजह से हर कोई उसे कालि भैंस बोल कर उसका मजाक बनाता, इसलिए ज्यादा किसी से मिलती नही है, एक बार सगाई हुई थी वो भी टूट गयी क्योकि जो उसका होने वाला पति का किसी और के साथ affair था और वो सिर्फ उसकी दौलत के लिए शादी कर रहा था। बतियाते हुए वो लड़की सिसकने लगी।

जॉनी ने उसे अपनी बाहों का सहारा दिया
और कहा, तुम्हारी आँखें मृगनयनी सी सुंदर हैं, तुम्हारी मुस्कान के आगे गुलाब की लालिमा फीकी है, तुम जो इठलाती, काष्ट ह्रदय भी द्रवित हो जाता, तुम्हारी पायल की खनक, अंधकार के अरण्य में डूबे मुझ पथिक को दूर सुदूर से खीच लाई.....!

इतना सुनते ही लड़की ने अपने होठों को जॉनी के होंठों सटा दिया और दोनों एक दूसरे में समा गये......!

सुबह जब जॉनी उठा तो वो लड़की बन सवर कर, खुद को बार बार आईने में निहारती हुई, मन ही मन मुस्कुरा रही थी।
जाते जाते उस लड़की ने जॉनी से कहा बहुत प्यारे इंसान हो तुम जो मुझे खुद से प्रेम करना सिखा दिया।
कुछ दिन बाद जॉनी को एक बार एक पति-पत्नी ने साथ में बुलाया. पति सोफे पर बैठा शराब पीते हुए देखता रहा. जॉनी उसी के सामने पलंग पर उसकी पत्नी के साथ था. ये काम दोनों की रज़ामंदी से हो रहा था. शायद दोनों की ये कोई डिज़ायर रही हो!

इसी बीच 50 साल से ज़्यादा उम्र की महिला भी जॉनी की क्लाइंट बनी. वो जॉनी ज़िंदगी का सबसे अलग अनुभव था.

पूरी रात वो बस जॉनी को बेटा-बेटा कहकर बात करती रहीं. बताती रहीं कि कैसे उसका बेटा और परिवार उसकी परवाह नहीं करता. वे उससे दूर रहते हैं. वो जॉनी से भी बोलीं, "बेटा इस धंधे से जल्दी निकल जाओ, सही नहीं है ये सब.'' पैसा ही सब कुछ नही होता.....!

पैसा ही सब कुछ नही होता, ये बात समझने के लिए मेरे पास पहले बहुत सारा पैसा भी तो होना चाहिए.... जॉनी ने जबाब दिया।

बेटा खूब कमाओ पैसा, लेकिन इतना इकट्ठा मत करना कि बच्चे तबियत खराब होने पर डॉक्टर की जगह वकील बुला लाये।

जॉनी निः शब्द था, चुप ही रहा ये सुन कर।

उस रात उन दोनों के बीच सिवाय बातों के कुछ नहीं हुआ. सुबह उस औरत ने बेटा कहते हुए जॉनी को रुपये भी दिए. जैसे एक मां देती है अपने बच्चे को सुबह स्कूल जाते हुए. जॉनी को वाकई उस महिला के लिए दुख हुआ.

अब जॉनी को दूर दूर से क्लाइंट बुलाने लगे और एक दिन वो अलीगढ़ गया, जहाँ उसकी मुलाकात जानी मानी मशहूर शायरा 'शाजिया बेगम' से हुई, उम्र लगभग 30-32 साल, निहायती खूबसूरत, गोरा बदन, तीखे नैन, आँखों में काजल, नाक में छोटी सी सोने की नोज रिंग... जॉनी उसकी खूबसूरती देखकर मोहित हो गया उसे समझ ही नही आ रहा था कि शुरुआत बातों से करे या हाथों से...????

दूसरी तरफ शाजिया भी जॉनी को अंगुलियों में सिग्रेट दवाएं ऊपर से नीचे तक जाँच रही थी....! बातों की शुरुआत शाजिया ने ही की.... उसने मुस्कुरा कर पूछा

शाजिया : तुम कभी किसी के माशूक हुए हो...??

जॉनी : आशिक हुआ जाता है, ये माशूक क्या है...???

शाजिया : छोड़ो तुम नही समझोगे, तुम आशिक बनाये ही नये गये।

जॉनी : वैसे आपकी क्या कहानी है..??

शाजिया : जो कोई सदियों में ना समझ सका आज ही बता दू तुम्हे। वैसे भी 'दाम' में आये हुए शक्स को हम, अपना 'हाल ए दिल' नही बताते।

जॉनी : बड़ी बिखरी हुई जिंदगी लगती है तुम्हारी।

शाजिया : मेरे जिंदगी के पुर्जे जोड़ कर जिस खजाने की तलाश कर जो नक्शा बनाना चाहते हो, वो नही मिलने वाला तुम्हे। उसे पाने के लिए मिट्टी होना पड़ता है।

जॉनी : मैने तो एक मासूम सा सवाल पूछा है।

शाजिया : सवाल मुजरमाना हुआ करते है और जबाब मासुमाना..... खैर तुम कुछ पियोगे...???

जॉनी : जो आप पियेगी.

शाजिया : मै तो खून पीती हू.... किसी दुनियादार के अरमानो का खून, अपना खून कड़वा हो गया है, पिया नही जाता।

शाजिया के उंगलियों में सुलगती हुयी सिगरेट् खतम हो गयी, वो उठी और जॉनी के हाथ को पकड़कर... बेडरूम में ले जाते हुए बोली " चलो एक बार फिर से उजड़ जाते है... आज तेरे ईश्क में पड़ जाते है...!

काम खतम होने के बाद जॉनी ने उससे कहा 'चलो दोस्त फिर मिलते है .... !

शाजिया : बिना निकाह के एक मर्द और औरत दोस्त नही हो सकते..... अलविदा।

ये जॉनी के लिए बड़ा ही शायराना सेक्स अनुभव था।

जॉनी जिन औरतों से मिला, उनमें शादीशुदा तलाकशुदा, विधवा और सिंगल लड़कियां भी शामिल थीं. इनमें से ज़्यादातर शादीशुदा ज्यादा थी। उनकी इच्छाएं बड़े अच्छे से पूरी हो जातीं. सब अच्छे से बात करतीं. कहती कि मैं अपने पति को तलाक देकर तुम्हारे साथ रहूंगी......!

उन शादीशुदा स्त्रियों के साथ हमबिस्तर होकर जॉनी को अहसास हो गया था कि गले में मंगल सूत्र और मांग में सिंदूर केवल शादीशुदा होने का प्रमाण है, शादी के बाद खुश होने का नही।

फिर एक रोज़ जब जॉनी ने शराब पी हुई थी और ज़िंदगी से थकान महसूस कर रहा था, तो उसने केडी से कहा कि.... केडी भैया इस दुनिया का सबसे बड़ा पापी मै हू, ना जाने कितनी पराई औरतो को चोद चोद कर इतना पाप कमा चुका हूँ कि साला नर्क में भी जगह नहीं मिलेगी।

केडी ने हस्ते हुए जबाब दिया अरे मेरे प्यारे जॉनी भैया, जब तक धर्मो में पाप धोने की व्यवस्था है, तुम पाप धो-धो कर.... पाप करते रहो। ह्म्म्म ह्म्म्म

जॉनी भी केडी की बात सुनकर हँसने लगा और केडी के जाने के बाद अपनी मां को फोन किया.

उन्हें गुस्से में कहा, "तुम पूछती थी न कि अचानक ज़्यादा पैसे कैसे कमाने लगे. मां मैं धंधा करता हूं...धंधा."

वो बोलीं, "चुपकर. शराब पीकर कुछ भी बोलता है तू." ये कहकर उसकी मां ने फोन रख दिया.

जॉनी ने अपनी मां को अपना सच बताया था लेकिन उन्होंने उसकी बात को अनसुना कर दिया. जॉनी उस रात बहुत रोया. क्या मेरी वैल्यू बस मेरे पैसों तक ही है? इसके बाद जॉनी ने मां से कभी ऐसी कोई बात नहीं की.

वो इस धंधे में बना रहा, क्योंकि उसे इससे पैसे मिल रहे थे. मार्केट में जॉनी की डिमांड थी. कानपुर, आगरा, लखनऊ, इलाहाबाद, फिरोजाबाद, बरेली, अलीगढ़, भिंड, मुरैना, ग्वालियर, झाँसी.......!

अब मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश के छोटे बड़े शहरों की काम पिपासु औरतो का जॉनी सिंह, ' जॉनी सिंस ' बन गया था।

लेकिन इस धंधे में कई बार अजीब लोग मिलते. शरीर पर खरोंचे छोड़ देते थे.
ये निशान शरीर पर भी होते थे और आत्मा पर भी. और इस दर्द को, कोई 'स्त्री वेश्या' ही समझ सकती थी,

समाज चाहे जैसे देखे. इस प्रोफेशन में जाने का जॉनी को कोई अफ़सोस नहीं है. वो खुश है, हां भविष्य के बारे में जब वो सोचता है, तो कई बार चुभता है उसे. ये एक ऐसा चैप्टर है, जो उसके मरने के बाद भी कभी नहीं बदलेगा.


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