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Shetan

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अद्भुत, यूपी/बुंदेलखंड की खड़ी बोली सुनने/पढ़ने का अपना ही मज़ा है। साथ में रोमांचक भयकथा हो तो सोने पर सुहागा।
बड़ा ही मज़ेदार और दिलचस्प किस्सा लिखा है आपने। आपनी लेखनी के तो हम कब से कायल हैं। बहुत ही सरल, और धाराप्रवाह कथा है यह। शुरू से आखिर तक बांधे रखने वाली।
यद्यपि यह एक लघु कथा ही थी, किंतु वास्तव में काफी उत्सुकता जगाने वाली, एवं रोमांचकारी थी।
यूं तो मैं एक पुरुष हूं, पर कहानी के पात्र से इतना जुड़ गया की लग रहा था की कोमल के स्थान पर मैं ही इस कहानी को जी रहा था।
लेखिका को बहुत बहुत धन्यवाद इस रचना के लिए, एवं मेरी ओर से बहुत बहुत बधाइयां और शुभकामनाएं।
एक तुच्छ प्रशंसक।
Thankyou very very much lovelesh. Jese contest khatam hota he. Is kahani ke aage ke updates post karna start karungi. Horror level dhire dhire badhta hi chale jaega.
 

Game888

Hum hai rahi pyar ke
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किस्सा एक अनहोनी का (Horror story)

कोमल चौधरी वैसे तो अहमदाबाद की रहने वाली थी. पर उसका परिवार यूपी आगरा के पास का था. बाप दादा अहमदाबाद आकर बस गए. कोमल ने अपनी लौ की पढ़ाई अहमदाबाद से ही की थी. कोमल के पिता नरेंद्र चौधरी का देहांत हो चूका था. उसकी माँ जयश्री चौधरी के आलावा उसकी 2 बहने भी थी. दूसरी अपनी माँ के साथ रहकर ही आरोनोटिक इंजीनियरिंग कर रही थी. कोमल के पति पलकेंस एक बिज़नेसमेन थे. दोनों अहमदाबाद मे ही रहे रहे थे.
कोमल जहा 28 साल की थी. वही पलकेंस 29 साल का नौजवान था. कोमल का कोई भाई नहीं था. इस लिए कोमल अपनी मायके के पास की ही कॉलोनी मे अपना घर खरीद रखा था. ताकि अपनी माँ की जरुरत पड़ने पर मदद कर सके. कोमल अहमदाबाद मे ही वकीलात कर रही थी. आगरा मे अपनी चचेरी बहन की शादी के लिए कोमल अहमदाबाद से आगरा निकल पड़ी. फ्लाइट मे बैठे बैठे वो हॉरर स्टोरी पढ़ रही थी. कोमल को भूतिया किस्से पढ़ना बहोत पसंद था. वो जानती थी की अपने गाउ जाते ही उसे दाई माँ से बहोत सारे भूतिया किस्से सुन ने को जरूर मिलेंगे. कोमल का परिवार पहले से ही आगरा पहोच चूका था.

उसके पति पलकेंस विदेश मे होने के कारण शादी मे शामिल नहीं हो सकते थे. आगरा एयरपोर्ट पर कोमल को रिसीव करने के लिए उसके चाचा आए हुए थे.आगरा एयरपोर्ट से निकलते ही कोमल अपने चाचा के साथ अपने गाउ ह्रदया पहोच गई. जो आगरा से 40 किलोमीटर दूर था. वो अपने चाचा नारायण चोधरी, अपनी चाची रूपा. अपने चचेरे भई सनी और खास अपनी चचेरी बहन नेहा से मिली. सब बहोत खुश थे. कोमल के चाचा पेशे से किसान थे. चाची उसकी माँ की तरह ही हाउसवाइफ थी. सनी कॉलेज 1st ईयर मे था.

नेहा की ग्रेजुशन कम्प्लीट हो चुकी थी. नेहा की शादी मे शामिल होने के लिए कोमल और उसका परिवार आगरा आए हुए थे. कोमल परिवार मे सब से मिली. सब बहोत खुश थे. पर उसे सबसे खास जिस से मिलना था. वो थी गाउ की दाई माँ. दाई माँ का नाम तो उस वक्त कोई नहीं जनता था. उम्र से बहोत बूढी दाई माँ को सब दाई माँ के नाम से ही जानते थे. इनकी उम्र तकिरीबन 70 पार कर चुकी थी. सब नोरमल होते ही कोमल ने नेहा से पूछ ही लिया.


कोमल : नेहा दाई माँ केसी हे???

नेहा : (स्माइल) हम्म्म्म... मे सोच ही रही थी. तू आते ही उनका पूछेगी. पर वो यहाँ हे नहीं. पास के गाउ गई हे. वो परसो शादी मे ही लोटेगी.


कोमल ने बस स्माइल ही की. पर उसका मन दाई माँ से मिलने को मचल रहा था. कोमल शादी की बची हुई सारी रस्मो मे शामिल हुई. महेंदी संगीत सब के बाद शादी का दिन भी आ गया. जिसका कोमल को बेसब्री से इंतजार था. शादी का नहीं. बल्कि दाई माँ का. शादी शुरू हो गई. पर कोमल को कही भी दाई माँ नहीं दिखी. कोमल निराश हो गई. सायद दाई माँ आई ही नहीं. ऐसा सोचते वो बस नेहा के फेरे देखने लगी. मंडप मे पंडित के आलावा अपने होने वाले जीजा और नेहा को फेरे लेते देखते हुए मुर्ज़ाए चहेरे से बस उनपर फूल फेक रही थी. तभी अचानक कोमल की नजर सीधा दाई माँ से ही टकराई. शादी का मंडप घर के आंगन मे ही था.

और आंगन मे ही नीम के पेड़ के सहारे दाई माँ बैठी हुई गौर से नेहा को फेरे लेती हुई देख रही थी. कोमल दाई माँ से बहोत प्यार करती थी. वो अपने आप को रोक ही नहीं पाई. और सीधा दाई माँ के पास पहोच गई.


कोमल : लो दाई माँ. मुझे आए 2 दिन हो गए. और आप अब दिख रही हो.


दाई माँ अपनी जगह से खड़ी हुई. और कोमल के कानो के पास अपना मुँह लेजाकर बड़ी धीमे से बोली.


दाई माँ : ससस... दो मिनट डट जा लाली. तोए एक खेल दिखाऊ.
(दो मिनट रुक जा. तुझे एक खेल दिखाती हु.)


दाई माँ धीरे धीरे मंडप के एकदम करीब चली गई. बिलकुल नेहा और उसके होने वाले पति के करीब. दाई माँ के फेस पर स्माइल थी. जैसे नेहा के लिए प्यार उमड़ रहा हो. फेरे लेते नेहा और दाई माँ दोनों की नजरें भी मिली. जैसे ही फेरे लेते नेहा दाई माँ के पास से गुजरी. दाई माँ ने नेहा पर ज़पटा मारा. सारे हैरान हो गए. नेहा के सर का पल्लू लटक कर निचे गिर गया. दाई माँ ने नेहा के पीछे से बाल ही पकड़ लिए. नेहा दर्द से जैसे मचल गई हो.


नेहा : अह्ह्ह ससस.... दाई माँ ससस... ये क्या कर रही हो.. ससस... छोडो मुझे... अह्ह्ह... ससससस दर्द हो रहा है.


सभी देखते रहे गए. किसी को मामला समझ ही नहीं आया. कोमल भी ये सब देख रही थी.


दाई माँ : अरे.... ऐसे कैसे छोड़ दाऊ बाबडचोदी(देहाती गाली ). तू जे बता. को हे तू... कहा से आई है.
(अरे ऐसे कैसे छोड़ दू हरामजादी. तू ये बता कौन है तू?? कहा से आई है)


सभी हैरान तब रहे गए. जब गाउ की बेटी दुल्हनिया नेहा की आवाज मे बदलाव हुआ.


नेहा : अह्ह्ह... ससससस तुम क्या बोल रही हो दाई माँ. (बदली आवाज) छोड़... छोड़ साली बुढ़िया छोड़.


सभी हैरान रहे गए. कइयों के तो रोंगटे खड़े हो गए. सब को समझ आ गया की नेहा मे कोई और है. दाई माँ ने तुरंत आदेश दिया.


दाई माँ : जल्दी अगरबत्ती पजारों(जलाओ) सुई लाओ कोई पेनी.
(जल्दी कोई अगरबत्ती जलाओ. सुई लाओ कोई तीखी)


नेहा बदली हुई आवाज मे छट पटती रही. लेकिन पीछे से दाई माँ ने उसे छोड़ा नहीं.


नेहा : (बदली आवाज) छोड़ साली बुढ़िया. तू मुझे जानती नहीं है.


दाई माँ ने कस के नेहा के बाल खींचे.


दाई माँ : री बाबडचोदी तू मोए(मुझे) ना जाने. पर तू को हे. जे तो तू खुद ही बताबेगी.
(रे हरामजादी. तू मुजे नहीं जानती. पर तू कौन है. ये तो तू खुद ही बताएगी.)


जैसे गाउ के लोग ये सब पहले भी देख चुके हो. जहा दाई माँ हो. वहां ऐसे केस आते ही रहते थे. गाउ वालों को पता ही होता था ऐसे वख्त पर करना क्या हे. गाउ की एक औरत जिसकी उम्र कोमल की मम्मी जयश्री से ज्यादा ही लग रही थी. वो आगे आई और नेहा की खुली बाह पर जलती हुई अगरबत्ती चिपका देती हे. नेहा दर्द से हल्का सा छट पटाई. और अपनी खुद की आवाज मे रोते हुए मिन्नतें करने लगी.


नेहा : अह्ह्ह... ससससस दर्द हो रहा हे. ये आप लोग मेरे साथ क्या कर रहे हो.


दाई माँ भी CID अफसर की तरह जोश मे हो. चोर को पकड़ के ही मानेगी.


दाई माँ : हे या ऐसे ना मानेगी. लगा सुई.
(ये ऐसे नहीं मानेगी.)


उस औरत ने तुरंत ही सुई चुबई.


नेहा : (बदली आवाज) ससस अह्ह्ह... बताती हु. बताती हु.

दाई माँ : हलका मुश्कुराते) हम्म्म्म... मे सब जानू. तेरे जैसी छिनार को मुँह कब खुलेगो. चल बोल अब.
(मै सब जानती हु. तेरे जैसी छिनार का मुँह कब खुलेगा. चल अब बोल)

नेहा : अहह अहह जी हरदी(हल्दी) पोत(लगाकर) के मरेठन(समशान) मे डोल(घूम)रई. मोए(मुझे) जा की खसबू(खुसबू) बढ़िया लगी. तो मे आय गई.
(ये हल्दी पोती हुई शमशान मे घूम रही थी. मुझे इसकी खुसबू बढ़िया लगी. तो मे आ गई.)


दाई माँ और सारे लोग समझ गए की हल्दी लगाने के बाद बाहर घूमने से ये सब हुआ हे. शादी के वक्त हल्दी लगाने का रिवाज़ होता हे. जिस से त्वचा मे निखार आता हे. और भी बहोत से साइंटीफिक कारण हे. लेकिन यही बुरी आत्माओ को अकर्षित भी करता हे. यही कारण हे की दूल्हे को तो तलवार या कटार दी जाती हे. वही दुल्हन को तो बाहर निकालने ही नहीं दिया जाता. 21 साल की नेहा वैसे तो आगरा मे पढ़ी थी. उसकी बोली भी साफ सूत्री हिंदी ही थी.
लेकिन जब उसके शरीर मे किसी बुरी आत्मा ने वास कर लिया तो नेहा एकदम देहाती ब्रज भाषा बोलने लगी. दरसल नेहा का रिस्ता उसी की पसंद के लड़के से हो रहा था. नई नई शादी. नया नया प्रेम. दरअसल सगाई से पहले से ही दोनों प्रेमी जोड़े एक दूसरे से लम्बे लम्बे वक्त तक बाते कर रहे थे. ना दिन दीखता ना रात. प्रेम मे ये भी होश नहीं होता की कहा खड़े हे. खाना पीना सब का कोई होश नहीं.
सभी जानते हे. ऐसे वक्त और आज का जमाना. नेहा की हल्दी की रसम के वक्त बार बार उसके मोबाइल पर कॉल आ रहा था. पर वो उठा नहीं पा रही थी. पर जब हल्दी का कार्यक्रम ख़तम हुआ. नेहा ने तुरंत अपना मोबाइल उठा लिया. उसके होने वाले पति के तक़रीबन 10 से ज्यादा मिस कॉल थे. नेहा ने तुरंत ही कॉल बैक किया. होने वाले पति से माफ़ी मांगी. फिर मिट्ठी मिट्ठी बाते करने लगी. बाते करते हुए वो टहलने लगी. उसकी बाते कोई और ना सुने इस लिए वो टहलते हुए छुपने भी लगी. घर के पीछे एक रास्ता खेतो की तरफ जाता था. शादी की वजह से कोई खेतो मे नहीं जा रहा था.
नेहा अपने होने वाले पति से बाते करती हुई घर के पीछे ही थी. वो उसी रास्ते पर धीरे धीरे चलने लगी. घर मे किसी को मालूम नहीं था की नेहा घर के पीछे से आगे चल पड़ी हे. चलते हुए नेहा को ये ध्यान ही नहीं था की वो काफ़ी आगे निकल गई हे. बिच मे शमशानघट भी था. नेहा मुश्कुराती हुई बाते करते वही खड़ी हो गई. ध्यान तो उसका अपने होने वाली मिट्ठी रशीली बातो पर था.
पर वक्त से पहले मर जाने वाली एक बुरी आत्मा का ध्यान नेहा की खुशबु से खींचने लगा. नई नवेली कावारी दुल्हन. जिसपर से हल्दी और चन्दन की खुसबू आ रही हो. वो आत्मा नेहा से दूर नहीं रहे पाई. उस दोपहर वो आत्मा नेहा पर सवार हो गई. जिसका नेहा को खुद भी पता नहीं चला. फोन की बैटरी डिस हुई तब नेहा जैसे होश मे आई हो. इन बातो को शहर मे पढ़ने वाली नेहा मानती तो नहीं थी. मगर माँ बाप की डांट का डर जरूर था. नेहा तुरंत ही वहां से तेज़ कदम चलते हुए घर पहोच गई. शादी का माहौल. अच्छा बढ़िया खाना नेहा को ज्यादा पसंद ना हो.

लेकिन उस आत्मा को जरूर पसंद आ रहा था. खास कर नए नए कपडे श्रृंगार से आत्मा को बहोत ख़ुशी मिल रही थी. अगर आत्मा किसी कावारी लड़की की हो. तो उसे सात फेरे लेकर शादी करने का मन भी बहोत होता हे. वो आत्मा एक कावारी लड़की की ही थी. उस आत्मा का इरादा भी शादी करने का ही होने लगा था. पर एन्ड वक्त पर दाई माँ ने चोर पकड़ लिया.


दाई माँ : हाआआ.... तोए खुशबु बढ़िया लगी तो का जिंदगी बर्बाद करेंगी याकि??? तू जे बता अब तू गई क्यों ना??? डटी क्यों भई हे. का नाम हे तेरो???.
(तुझे इसकी खुसबू बढ़िया लगी तो क्या इस की जिंदगी बर्बाद करेंगी क्या?? तो फिर तू गई क्यों नहीं?? रुकी क्यों है. और तेरा नाम क्या है??)


सभी उन दोनों के आस पास इखट्टा हो गए. नेहा के माँ बाप भी. दूल्हा और उसके माँ बाप भी सभी. लेकिन कोई ऑब्जेक्शन नहीं. ऐसे किस्से कोमल के सामने हो. तो वो भला कैसे चली जाती. जहा दूसरी कावारी लड़किया भाग कर अपने परिवार के पास दुबक गई. वही कोमल तो खुद ही उनके पास पहोच गई. वो इस भूतिये किस्से को बिना डरे करीब से देख रही थी.


नेहा : (गुरराना) आआ... मे खिल्लो.... मोए कोउ बचाने ना आयो. मर दओ मोए डुबोके.... अब मे काउ ना जा रई. मे तो ब्याह करुँगी... आआ... ब्याह करुँगी... अअअ...
(मै खिल्लो हु. मुझे कोई बचाने नहीं आया. मार दिया मुझे डुबोकर. अब मे कही नहीं जाउंगी. मै तो शादी करुँगी)


खिल्लो पास के ही गाउ की रहने वाली लड़की थी. जो तालाब मे नहाते वक्त डूब के मर गई थी. दो गाउ के बिच एक ही ताकब था. किल्लो 4 साल पहले डूब के मर गई. दोपहर का वक्त था. और उस वक्त वो अकेली थी. उसे तैरते नहीं आता था. पर वो सीखना चाहती थी. अकेले सिखने के चक्कर उसका नादानी भरा कदम. उसकी जान ले बैठा. वो डूब के मर गई. किसी को पता नहीं चला. एक चारवाह जब शाम अपने पशु को पानी पिलाने लाया. तब जाकर गाउ मे सब को पता चला की गाउ की एक कवारी लड़की की मौत हो गई. वैसे तो आत्मा ने किसी को परेशान नहीं किया.
पर कवारी दुल्हन की खुसबू ने उसके मन मे दुल्हन बन ने की तमन्ना जगा दी. पकड़े जाने पर आत्मा अपनी मौत का जिम्मेदार भी सब को बताने लगी. दाई माँ ने बारी बारी सब को देखा. कोमल के चाचा और चाची को भी. दूल्हा तो घबराया हुआ लग रहा था. पर हेरात की बात ये थी की ना वो मंडप से हिला. और ना ही उसके माँ बाप. अमूमन ऐसे वक्त पर लोग रिश्ता तोड़ देते हे. लेकिन वो कोई सज्जन परिवार होगा. जो स्तिति ठीक होने का इंतजार कर रहे थे.


दाई माँ : देख री खिल्लो. तू मारी जमे जी छोरीकिउ गलती ना हे. और नाउ कोई ओरनकी. जाए छोड़ के तू चली जा. वरना तू मोए जानती ना है.
(देख री खिल्लो. तू मारी इसमें लड़की की गलती नहीं है. और नहीं किसी ओरोकी. इसे छोड़ के तू चली जा. वरना तू मुजे जानती नहीं है.)


दाई माँ ने खिलो को समझाया की तेरी मौत का कोई भी जिम्मार नहीं हे. वो नेहा के शरीर को छोड़ कर चली जाए. वरना वो उसे छोड़ेगी नहीं. मगर खिल्लो मन ने को राजी ही नहीं थी. वो गुरराती हुई दाई माँ को ही धमकाने लगी.


नेहा(खिल्लो) : हाआआआ... कई ना जा रई मे हाआआआ... का कर लेगी तू हाआआ...
(मै नहीं जा रही. तू क्या कर लेगी??)


खिल्लो को दाई माँ को लालकरना भरी पड़ गया.


दाई माँ : जे ऐसे ना माने. पकड़ो सब ज्याए.
(ये ऐसे नहीं मानेगी. पकड़ो सब इसे)


दाई माँ के कहते ही नेहा के पापा. दूल्हे के पापा और गाउ के कुछ आदमियों ने दोनों तरफ से नेहा को कश के पकड़ा. दाई माँ ने तो सिर्फ पीछे से सर के बाल ही पकडे थे. मगर इतने आदमी मिलकर भी नेहा जैसी दुबली पतली लड़की संभाल ही नहीं पा रहे थे. जैसे उसमे हाथी की ताकत आ गई हो. पर कोई भी नेहा को छोड़ नहीं रहा था. दाई माँ अपनी करवाई मे जुट गई. जैसे ये स्टिंग ऑपरेशन करने की उसने पहले ही तैयारी कर रखी हो.

एक 18,19 साल का लड़का एक ज़ोला लेकर भागते हुए आया. और दाई माँ को वो झोला दे देता हे. दाई माँ ने निचे बैठ कर सामान निकालना शुरू किया. एक छोटीसी हांडी. एक हरा निम्बू. निम्बू मे 7,8 सुईया घुसी हुई थी. लाल कपड़ा. कोई जानवर की हड्डी. एक इन्शानि हड्डी. कोमल ये सब अपनी ही आँखों से देख रही थी. वो भी भीड़ के आगे आ गइ. वहां के कई मर्द कोमल को पीछे करने की कोसिस करते. पर दाई माँ के एक आँखों के हिसारो से ही कोमल को बाद मे किसी ने छेड़ा नहीं. दाई माँ ने अपनी विधि चालू की. मंत्रो का जाप करने लगी. वो जितना जाप करती. नेहा उतनी ही हिलने दुलने लगती. दाई माँ ने हुकम किया.


दाई माँ : रे कोई चिमटा मँगाओ गरम कर के.
(कोई चिमटा मांगवाओ गरम कर के )


चिमटे का नाम सुनकर तो खिल्लो मानो पागल ही हो गई हो. नेहा तो किसी के संभाले नहीं संभल रही थी. वो बुरी तरीके से हिलने डुलने लगी. दाई माँ को धमकी भी देने लगी.


नेहा(खिल्लो) : (चिल्ला कर) री.... बुढ़िया छोड़ दे मोए. जे छोरी तो अब ना बचेगी. ब्याह तो मे कर के ही रहूंगी.
(बुढ़िया छोड़ दे मुझे. ये लड़की तो अब नहीं बचेगी. शादी तो मै कर के ही रहूंगी.)


पर तब तक एक जवान औरत घूँघट मे आई. और चिमटा दाई माँ की तरफ कर दिया. उस औरत के हाथ कांप रहे थे. दाई माँ को भी डर लगा कही उस औरत के कापते हाथो की वजह से कही वो ना जल जाए.


दाई माँ : री मोए पजारेगी का.
(रे मुझे जलाएगी क्या...)


दाई माँ ने उस औरत को तना मारा और फिर नेहा की तरफ देखने लगी. कोमल भी दाई माँ के पास साइड मे घुटने टेक कर बैठ गई. सभी उन्हें घेर चुके थे. कोई बैठा हुआ था. तो कोई खड़े होकर तमासा देख रहा था.


दाई माँ : हा री खिल्लो. तो बोल. तू जा रही या नही .


दाई माँ ने नेहा के बदन मे घुसी खिल्लो की आत्मा को साफ सीधे लेबजो मे चुनौती दे दी. ज्यादा हिलने डुलने से नेहा का मेकअप तो ख़राब हो ही गया था. बाल भी खुल कर बिखर गए थे. वो सिर्फ गुस्से मे धीरे धीरे ना मे ही अपना सर हिलती हे. बिखरे बालो मे जब अपनी गर्दन झटक झटक चिल्ला रही थी. तब उसके दूल्हे को भी डर लगने लगा. जिसे फोन पर बाते करते वो नेहा की तारीफ करते नहीं थक रहा था. आज वही नेहा उसे खौफनाक लग रही थी.


नेहा(खिल्लो) : (चिल्लाते हुए) नाआआआ.... मे काउ ना जा रहीईई...
(नहीं..... मै कही नहीं जा रही)


दाई माँ ने हांडी को आगे किया. कुछ मंतर पढ़ कर उस हांडी को देखा. जो गरम चिमटा उसके हाथो मे था. उसे नेहा के हाथ पर चिपका दिया. नेहा जोर से चिल्लाई. इतना जोर से की जिन्होंने नेहा को पकड़ नहीं रखा था. उन्होंने तो अपने कानो पर हाथ तक रख दिए.


दाई माँ : बोल तू जा रही या नहीं.


गरम चिमटे से हाथ जल गया. नेहा के अंदर की खिल्लो तड़प उठी. पर दर्द जेलने के बाद भी नेहा का सर ना मे ही हिला.


दाई माँ : तू ऐसे ना मानेगी.


दाई माँ ने तैयारी सायद पहले से करवा रखी थी. दाई माँ ने भीड़ मे से जैसे किसी को देखने की कोसिस की हो.


दाई माँ : रे पप्पू ले आ धांस(मिर्ची का धुँआ).


जो पहले दाई माँ का थैला लाया था. वही लड़का भागते हुए आया. एक थाली मे गोबर के उपले जालाकर उसपे सबूत लाल मीर्चा डाला हुआ पप्पू के हाथो मे था. पास लाते ही सभी चिंकने लगे. पर बेल्ला के अंदर की खिल्लो जोर से चिखी.


नेहा(खिल्लो) : (चिल्ला कर) डट जा.... डट जा री बुढ़िया... मे जा रही हु.. डट जा....
(रुक जा बुढ़िया रुक जा. मै जा रही हु. रुक जा.)


वो मिर्च वाले धुँए से खिल्लो को ऐसा डर लगा की खिल्लो जाने को तैयार हो गई. दाई माँ भी ज़ूमती हुई मुश्कुराई.


दाई माँ : हम्म्म्म... अब आई तू लेन(लाइन) पे. तू जे बता. चाइये का तोए????
(हम्म्म्म.... अब तू लाइन पे आई. तू ये बता तुझे चाहिए क्या???)

नेहा(खिल्लो) : मोए राबड़ी खाबाओ. और मोए दुल्हन को जोड़ा देओ. मे कबउ वापस ना आउ.
(मुझे राबड़ी खिलाओ. और मुझे दुल्हन का जोड़ा दो. मै कभी वापस नहीं आउंगी.)


कोमल को हसीं भी आई. भुत की डिमांड पर. उसे राबड़ी खानी थी. और दुल्हन का जोड़ा समेत सारा सामान चाहिए था. दाई माँ जोर से चीलाई.


दाई माँ : (चिल्ला कर जबरदस्त गुस्सा ) री बात सुन ले बाबड़चोदी. तू मरि बिना ब्याह भए. तोए सिर्फ श्रृंगार मिलेगो. शादी को जोड़ा नई. हा राबड़ी तू जीतती कहेगी तोए पीबा दंगे. बोल मंजूर हे का????
(बात सुन ले हरामजादी. तेरी मौत हुई बिना शादी के. तो तुझे सिर्फ श्रृंगार मिलेगा.
शादी का जोड़ा नहीं. हा राबड़ी तू जितना बोलेगी. उतना पीला देंगे.)


कोमल दाई माँ को एक प्रेत आत्मा से डील करते देख रही थी. दाई माँ कोई मामूली सयानी नहीं थी. वो जानती थी. अगर उस आत्मा ने सात फेरे लेकर शादी कर ली. तो पति पत्नी दोनों के जोड़े को जीवन भर तंग करेंगी. अगर उसे शादी का जोड़ा दे दिया तब वो पीछे पड़ जाएगी की ब्याह करवाओ. वो हर जवारे कड़के को परेशान करेंगी. इसी किए सिर्फ मेकउप का ही सामान उसे देने को राजी हुई. गर्दन हिलाती नेहा के अंदर की खिल्लो ने तुरंत ही हामी भर दी.


नेहा(खिल्लो) : (गुरराना) हम्म्म्म... मंजूर..


चढ़ावे के लिए रेडिमेंट श्रृंगार बाजारों मे मिलता ही हे. ज्यादातर ये सब पूजा के चढ़ावे मे काम आता हे. दाई माँ ऐसा एक छोटा सा पैकेट अपने झोले मे रखती है. उसे निकाल कर तुरंत ही निचे रख दिया.


दाई माँ : जे ले... आय गो तेरो श्रृंगार...
(ये ले. आ गया तेरा श्रृंगार...)


नेहा के अंदर की खिल्लो जैसे ही लेने गई. दाई माँ ने गरम चिमटा उसके हाथ पे चिपका दिया. वो दर्द से चीख उठी.


नेहा(खिल्लो) : आअह्ह्ह.... ससस...


दाई माँ : डट जा. ऐसे तोए कछु ना मिलेगो. तोए खूब खिबा पीबा(खिला पीला) के भेजींगे.
(रुक जा. तुझे ऐसे कुछ नहीं मिलेगा. तुझे खिला पीला के भेजेंगे)


नेहा के सामने एक कटोरी राबड़ी की आ गई. उसे कोमल भी देख रही थी. और उसका होने वाला दूल्हा भी. नेहा ने कटोरी उठाई और एक ही जाटके मे पी गई. हैरान तो सभी रहे गए. उसके सामने दूसरी फिर तीसरी चौथी करते करते 10 कटोरी राबड़ी पीला दे दी गई. दूल्हा तो हैरान था. उसकी होने वाली बीवी 10 कटोरी राबड़ी पी जाए तो हैरान तो वो होगा ही. पर जब नेहा ने ग्यारवी कटोरी उठाई दाई माँ ने हाथ पे तुरंत चिमटा चिपका दिया.


नेहा(खिल्लो) : अह्ह्ह... ससससस... री बुढ़िया खाबे ना देगी का.
(रे बुढ़िया खाने नहीं देगी क्या...)

दाई माँ : बस कर अब. भोत(बहोत) खा लो तूने. अब ले ले श्रृंगार तेरो.
(बस कर अब. बहोत खा लिया तूने. अब ले ले श्रृंगार तेरा.)


दाई माँ को ये पता चल गया की आत्मा परेशान करने के लिए खा ही खा करेंगी. इस लिए उसे रोक दिया. श्रृंगार का वो पैकेट जान बुचकर दाई माँ ने उस छोटी सी हांडी मे डाला. जैसे ही नेहा बेहोश हुई. दाई माँ तुरंत समझ गई की आत्मा हांडी मे आ चुकी हे. दाई माँ ने तुरंत ही लाल कपडे से हांडी ढक दी. हांडी उठाते उसका मुँह एक धागे से भांधने लगी. बांधते हुए सर ऊपर किया और कोमल के चाचा को देखा.


दाई माँ : ललिये होश मे लाओ. और फेरा जल्दी करवाओ. लाली को बखत ढीक ना हे.
(बेटी को होश मे लाओ. और जल्दी शादी करवाओ)


दाई माँ ने हांडी मे खिल्लो की आत्मा तो पकड़ ली. लेकिन वो जानती थी की एक आत्मा अंदर हे तो दूसरी आत्माए भी आस पास भटक रही होंगी. नेहा को मंडप से निचे उतरा तो और आत्मा घुस जाएगी. अगर पता ना चला और दूसरी आत्मा ने नेहा के शरीर मे आकर शादी कर ली तो बहोत बड़ा अनर्थ हो जाएगा. जितनी जल्दी उसके फेरे होकर शादी हो जाए वही अच्छा हे. नेहा को तो होश मे लाकर उसकी शादी कर दी गई. दूल्हा और उसका परिवार सज्जन ही होगा.
जो ऐसे वक्त मे भगा नहीं. और ना ही शादी तोड़ी. नेहा के फेरे तो होने लगे. दाई माँ उस हांडी को लेकर अपनी झोपड़ी की तरफ जाने लगी. तभी नेहा भगति हुई दाई माँ के पास आई. दाई माँ भी उसे देख कर खड़ी हो गई.


कोमल : (स्माइल हाफना एक्साटमेंट) दाई माँ......


दाई माँ ने भी बड़े प्यार से कोमल को देखा. जैसे अपनी शादीशुदा बेटी को देख रही हो.


दाई माँ : (स्माइल भावुक) री बावरी देख तो लाओ तूने. अब का सुनेगी. मे आज ना मिलु काउते. तोए मे कल मिलूंगी.
(बावरी देख तो लिया तूने. अब क्या सुनेगी. मै आज नहीं मिल सकती. तुझे मे कल मिलूंगी.)


बोल कर दाई माँ चल पड़ी. दाई माँ जानती थी की कोमल उस से बहोत प्यार करती हे. उसे भुत प्रेतो से डर नहीं लगता. पर कही कुछ उच नीच हो गई तो कोमल के साथ कुछ गकत ना हो जाए. वो कोमल को बस किस्से सुनाने तक ही सिमित रखना चाहती थी.
Issi liye kahate hai ki badon ki baat manni chahiye, reti revaj ko manna chahiye agar nazar andaaz Karee toh uska parinam bhi bhugatna padega.
Neha ki kimat achi thi Jo daimaa ne bachiye.....
 
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Samar_Singh

Conspiracy Theorist
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Thanks for the generous review bhai.

मुझे लगा कहानी के अंत से लोगों के निराशा होगी।
निराशा तो हुई भाई, लेकिन जैसा की मैंने कहा कहानी कुछ हद तक सच के काफी नजदीक है, और असल जिंदगी में happy ending बहुत कम होती है।
Happy ending karte to kahani utna emotional connection nahi bana pati.
 

Shetan

Well-Known Member
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Issi liye kahate hai ki badon ki baat manni chahiye, reti revaj ko manna chahiye agar nazar andaaz Karee toh uska parinam bhi bhugatna padega.
Neha ki kimat achi thi Jo daimaa ne bachiye.....
Bahot bahot shukriya Game888. Review galat jagah de diya. Vo review thread me dena tha. Par koi bat nahi.

Thankyou very very much. Aage 3 kisse aur likh chuki hu. Contest khatam hote hi ham start karenge. Horror level ko aur jyada badhaenge. Mere pas amezing consept he. Is topi par. Tantra shadhna. Satvik tamshik har topic ke kisse he.

Lot of thanks Game888.
 
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Samar_Singh

Conspiracy Theorist
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Review
Story - इंदरबाग
Writer Sanki Rajput

Plot - Ek horror story, ek parivar ek bahut purani kothi me rehne aaya hai, jis kothi ke bare me kai tarah ki afvahe aur kahaniya gaon me mashhoor hai ki vahan jo jata hai vo lautkar nahi aata, lekin iska karan koi nahi janta. Kahani me ant main aise twist aur turn aate hai ki puri kahani ko dekhne ka nazriya badal jata hai.

Plus points - 1. Narration aur Writing kamal hai.
2. Kahani shuru se hi suspense banakar chalti hai aur ant me to chauka Dene vale khulase hote hai.
3. Shuruaat me lagta hai ki ek bhootiya horror story hai, lekin ending uss soch ke ulat kuch aur hi nikalti hai, readers ke dimag ke sath khelne ki achi koshish hai.

Negative point - 1. Kuch mamooli writing mistake hai, lekin devnagri lipi me likhna bhi asan nahi hai.
2. Badi samasya hai ki kahani suspense to banati hai lekin horror me maat kha jati hai.
3. Ek horror suspense short story me 3-4 sex scenes ki koi jarurat nahi thi, unki jagah agar thodi writing darr banane me hoti to ye kahani masterpiece banti.

Khair, overall kahani achi thi and kuch naya try karne ki koshish ki hai, cannibalism sach me daravna topic hai.

Mast story

Keep it up
 

Samar_Singh

Conspiracy Theorist
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Story title zalim maa masloom beta
I already write few story for forum like kiran ammi beta both sex somnia in which my love didi Raji help me
Now come to this story
Character
Kiran sexy awara aurat cruel like to show her sexy body and want sex at every moment come from Karachi and now settle in USA
Kiran masoom beta mohsin
Kiran Beti lubna bait shareef ha I
Kiran cock hold husband asad
Asad parents kiran SAS susar
John white american very rich
John sexy mom Julia
Come to story
Kiran KO choot KO Garmi us na husband nai Mira Santa that kiran KO group sex and orgy pas an tho in orgy me kiran apne husband KO dusre Marco me same humiliate karti thi
Kiran enjoyed fucking at nude beach with lol of guys
Usi doran kiran KO mulagat john and Julia se hoti hai who r mom son and do sex with each others and produce porn videos
Kiran best friend Dr Rani who is very shareef lady kiran KO bolt I me tum john and Julia se door ro and Julia is bad woman and tell that incest sex is horrible sin so leave john and Julia
But kiran refuse Rani advise and start to do work in porn videos
One day john and Julia tell kiran to bring her son also and they want to do sex with him and with kiran in front of her son also
This idea make kiran very excited she humiliate her son also like she do with her husband
Kiran KO shoot KO aag me yei bi Mai socha me mohsin masoom parka jai only 18 year
Kiran son not like john and Julia
Kiran try to seduce him but he hate incest
Kiran tell lie to her family and go to john and Julia home which is near the beach
John and Julia offer kiran lot of dollar if she do sex with her son in front of john and Julia


When kiran and mohsin reach john and Julia home he surprise to see lot of nude people at their home but kiran smile and also become nude
Mohsin is afraid now what going on
But kiran tell her son to do what she say and make him nude
John and Julia give Viagra to kiran to give it to her son
Kiran telling her son if he not obeys her orders she tell mohsin father and grand parents that he do sex with his mom
Kiran son is now trap us Ki eyes Mai tears they but mohsin KO apni am I kiran air dosri ladies me sath sex Karna bara
Kiran drink lot of bears and on her order mohsin also drink and than John and Julia tell kiran to humiliate her son in front of all people so kiran do it now her son start crying but she laughing and enjoying her son body
In morning this party ends kiran drive car to her her son is now keep quit not say single word he is in shock kiran say oh my dear come on and enjoying like me I got lot of pleasure today
But he not say single word
When kiran reach her home her husband shocked when see his son face he asked kiran do u make our son sex slave like me
This idea make him angry but he afraid from his wive
Kiran son go to his room and not talk with anyone only see roof of his room kiran Beti ask her brother what happened but he not say single word his grand parents also worry but kiran not care after few. hours he become serious I'll and kiran Beti note that he whisper ammo me I ap na gun ah nisi KO Mai batuoga ap me I ammi ho bale apne is pakiza rishte KO dagdar kardiya hai
Kiran Beti is shocked and go to kiran room ammi what u do with your son
Kiran become angry and slap her Beti
Than kiran receive john and Julia call they telling her to collect lot of dollar kiran become happy and go to there home there r 50 negros there john and Julia tell kiran if she sat if u all of them she get 100 thousand dollar lalchi air ha was I kiran much hogai she don't care her son serious sick
It take almost10 hours do do sex with all people in end when kiran ask about money all become laughing and john said we made you fool we not give single cent to cruel mom like you and we make videos of activity of you and your son and release it on all porn sites and now sending your mom son nude video to your husband parents and your Beti so reach home quickly before our mom reach your home if you reach early we not send videos
Kiran shock and try to reach home
When she enter her she see her husband her Beti and her husband parents seeing her sex videos she really shocked and than she listen police car siren she fall on floor John and Julia make her fool and now this cruel mom apne an jam KO paunch Kai
Moral of story don't do incest in real
Hope you like story

Review
Story - Zalim Maa majloom beta
Writer - kirantariq


Kahani ka plot to baad me ayega, pehle ye koi bta de ki isme konsi aur kitni language use hui hai.

Hinglish, English aur code word. Aadhi se jyada story to sar ke upar se jati hai.


Agar writing mistake batane lagu to iss story se bada review ban jayega.

Sab kuch itni fast hota hai ki konsa character aaya, plot kis direction me jaa rha hai samajh se pare hai.


Worst story till now.

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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Story: zalim maa, masoom beta
Writer: kirantariq

Story Line: Based on sexual encounter of a lady and how she humiliate her own son during intercourse. Purely based on BDSM and adultry.

Treatment: looks like the story is writen just have a post in competition, not even the events are in sequence. Vary bad.

Positive Points: It could have been a good kinky story for BDSM lovers, but....


Negative Points: Just want to say, too many

Rating: 3.5/10
 

Shetan

Well-Known Member
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गलती किसकी


"सिगरेट से उड़ते धुएं और हाथ में पकड़े वोदका के ग्लास के साथ, मैं रूबी। रूबी मैडम या रूबी डार्लिंग, जिसको बाहों में सामने की हसरत हर मर्द में देखते ही आ जाए, जिसकी बाहों में हर मर्द पिघल कर जिस्मानी सकून में डूब जाता है, फिर जिसे अपनी बीवी की याद भी नहीं आती जब तक वो इन बाहों में पड़ा रहे। हां एक बार दूर जाते ही वो मुझे हिकारत भरी नजर से जरूर देख कर मन में "साली रण्डी" जरूर बोलता होगा।


आज मैं इस शानदार होटल के सबसे महंगे कमरे की बालकनी से अपने उस शहर को निहार रही हूं, जहां बचपन बीता, लड़कपन बीता जवानी की दहलीज आई, जन्म हुआ।


नही, यहां रूबी का जन्म नही हुआ, यहां तो रिया का जन्म हुआ था। वो रिया जिसके आने से उसके मां बाप की अपूर्ण जिंदगी पूर्ण हो गई। वो रिया जो चंचल और मासूम थी, जिसकी हंसी से ही उसके मां बाप का दिन और रात होती थी। दुनिया के सारे रिश्ते उसे इसी शहर में मिले, हां प्यार भी, या वो गलती जिसने रिया को रूबी बना दिया। रूबी, जिसे दुनिया भर की चालाकी आती है और जो एक नंबर की रांड है दुनिया की नजर में, लेकिन आज भी वो रूबी, रिया को मार नही पाई है..."


ग्लास का आखिरी घूंट पी कर रूबी सिगरेट को ऐश ट्रे में मसल कर कमरे में जाती है और फोन उठा कर रिसेप्शन से बात करके अपने रुकने का प्लान और बढ़ा लेती है। और बेड पर लेट कर अपनी पिछली जिंदगी की यादों में खो जाती हैं।


साल 1995 में रोहित माथुर और राधा माथुर को एक बेटी पैदा हुई, दोनो की ये पहली संतान थी जो उनके दांपत्य जीवन के नौवें वर्ष में हुई थी, इतने दिनो तक दोनो पूरे परिवार का हर ताना सह चुके थे, हर दरबार में माथा टेक चुके थे, डॉक्टरों ने भी कहा था कि दोनो में ही कोई दिक्कत नही, फिर भी इतने वर्षों तक भगवान ने उनकी न सुनी। आखिरकार 8 वर्ष पश्चात खुशियों ने उनका द्वार खटखटाया और एक बहुत ही सुंदर और प्यारी बेटी ने उनके जीवन में कदम रखा। दोनो ने उसका नाम रिया रखा। रिया जितनी सुंदर थी, वहीं उसमे बालसुलभ चंचलता कूट कूट कर भरी हुई थी। लेकिन सबसे बड़ा जो बदलाव माथुर दंपति के जीवन में आया था कि रिया के जन्म के साथ ही सौभाग्य ने भी उनके जीवन में लगभग घर ही बसा लिया था। रोहित माथुर का बिजनेस जहां दिन दूनी रात चौगुनी तरक्की करने लगा था। रिया के जन्म के दूसरे ही साल उनको एक बेटा भी हुआ, जिसका नाम उन्होंने राहुल रखा। रिया भी राहुल से बहुत प्यार करती थी।


धीरे धीरे वो दोनो भाई बहन बड़े होने लगे और चारों का स्नेह भी बढ़ता गया। भगवान ने भले ही समृद्ध कर दिया हो उनको, लेकिन माथुर दंपति का दिमाग हमेशा धरातल पर रहा, और उन्होंने भी अपने बच्चो को अच्छे संस्कार ही दिए। ऐसे ही कुछ वर्षों के बाद रिया कॉलेज पहुंच कर जवानी की दहलीज पर आ गई।


और जैसा होता है, इस उम्र में, उसे भी कोई अच्छा लगने लगा। ये उसका सीनियर था, जो उसके ही शहर का रहने वाला था, आदित्य, जो उससे एक साल सीनियर था।जानती तो वो आदित्य को पहले से थी, क्योंकि दोनो एक ही स्कूल से ही कॉलेज में आए थे। कॉलेज के पहले ही दिन रिया को आदित्य ने कॉलेज में होने वाली रैगिंग से बचा लिया था, तो दोनो में बातचीत भी होने लगी, और धीरे धीरे दोनो ने एक दूसरे को अपना दिल दे दिया। जीन मरने की कसमें खाई जाने लगी। लेकिन फिर भी दोनो ने कभी कोई मर्यादा पार नही की, क्योंकि दोनो की ही परवरिश उनके परिवारों ने अच्छे से की थी। दोनो का पहला लक्ष्य पहले पढ़ाई पूरी करके अपने कैरियर को पूरा करने का था, और दोनो ने ही आईएएस अफसर बनने का ख्वाब देखा था।


सब कुछ अच्छा जा रहा था, लेकिन हर वक्त कहां वक्त एक सा रहता है। रिया के मामा के घर में एक कांड हो गया। उनकी इकलौती बेटी निशा की शादी आनन फानन में एक बड़ी उम्र के लड़के से कर दी गई। ये जान कर रिया को एक धक्का सा लगा, क्योंकि वो और निशा बहन ही नही बल्कि सहेलियां थी, बचपन से ही दोनो एक दुसरे से सारी बातें बताती आएं थी। दोनो के बीच कोई बात छिपी नहीं थी, यहां तक कि निशा को आदित्य के बारे में सब पता था, और वहीं रिया को दिवाकर के बारे में, जो निशा का ब्वॉयफ्रेंड था, और दोनो का ही इरादा आगे चल कर शादी करने का था।


निशा की शादी की खबर सुन कर पूरा माथुर परिवार मामा के घर चला गया, क्योंकि ये उनके घर के लिए बड़े ही आश्चर्य का विषय था। उनका पूरा खानदान ही खुले विचारों वाला था, और इस तरह की घटना होना सबके लिए अजीब ही था। वहां पहुंचते ही रोहित और राधा ने पहले तो निशा के मां बाप को लताड़ा उनकी इस अजीब सी हरकत के लिए। लेकिन राजीव (रिया के मामा) ने फौरन ही दोनो को एक कमरे में चलने का इशारा किया और रिया और राहुल को बच्चो के कमरे में जाने को कहा।


इधर रिया सीधे निशा के कमरे में गई, और निशा उसको देखते ही उसे लिपट कर रोने लगी। रिया ने निशा को बाहों में भर कर सांत्वना देने लगी। कुछ देर बाद निशा के शांत होने पर रिया ने पूछा: "ऐसा क्या हुआ निशा, मामा ने अचानक से ऐसा क्यों किया?"


निशा: "रिया उनको दिवाकर के बारे में पता चल गया था, और इसी कारण से मेरी शादी इतनी जल्दी में करवा दी। मेरी तो जिंदगी बरबाद हो गई है।" इतना बोल कर निशा फिर से रो पड़ी।


रिया: " तो तुमने मामा को मानने की कोशिश नही की?"


निशा: "बहुत कोशिश की, लेकिन पापा को तो मेरी ही गलती दिखी इसमें। और ज्ञानेंद्र, जो पापा के ऑफिस में उनका सीनियर है, वो भी पापा को बड़ा भला दिखा। बांध दिया मुझे उसके साथ।"


कुछ देर बाद निशा में मां ने रिया को बाहर बुला लिया, जहां ज्ञानेंद्र आया हुआ था। देखने में वो भला ही था, और रोहित जी भी उससे बड़े प्यार से ही बात कर रहे थे।


राधा: "बेटा इनसे मिलो, ये हैं तुम्हारे जीजाजी।"


रिया को अपनी मां का ये रूप देख भी थोड़ा धक्का लगा, अब उसे अपने प्यार की चिंता घर कर गई थी, कि अगर जो उसके मां बाप का ये हाल है तो वो आदित्य के साथ उसके रिश्ते को कैसे स्वीकार करेंगे।


इसी उधेड़बुन में रिया जब कुछ दिन बाद कॉलेज में आदित्य से मिली, तो सबसे पहले उसने आदित्य से ये बात बताई, और अपने अपने रिश्ते की भविष्य की चिंता करने लगी।


रिया: " आदि, जैसे मां पापा ने मामा के घर में किया उससे तो मुझे लगता है कि वो हमारा रिश्ता कभी स्वीकार नहीं करेंगे।"


आदित्य: "रिया अभी से दिल छोटा मत करो, हमें पहले अपने लक्ष्य पर ध्यान देना होगा। और मुझे नही लगता कि जैसा निशा के साथ हुआ वो हमारे साथ भी हो। हो सकता हो कि कुछ ऐसी बात हो जो तुमको अभी नही पता हो। फिलहाल शांत करो अपने आप को, और पढ़ाई पर ध्यान दो।"


आदित्य ने हर तरह से रिया को समझाने की कोशिश की, लेकिन रिया के मन में डर सा बैठ गया था। और वो रोज आदित्य को भागने के लिए उकसाती रहती थी। आखिर एक दिन आदित्य भी मान गया और दोनो ने उस शहर से भाग कर दिल्ली जाने का प्लान बनाया।


फिर एक दिन दोनो बिना किसी को बताए घर छोड़ कर दिल्ली चले गए। दोनो ने घर से थोड़े थोड़े पैसे चुराए थे। हालांकि भागते समय भी आदित्य ने कई बार फिर से रिया को समझाने की कोशिश की। लेकिन अब तो बात बहुत आगे निकल चुकी थी।


दिल्ली में पहुंच कर दोनो ने सबसे पहले एक सस्ते से होटल को ढूंढा जो कि पहाड़गंज की गलियों के बीच था। वहां उनको एक कमरा मिल गया था। कमरे के किराए को देखते हुए आदित्य को टेंशन हो गई क्योंकि उनके पास बहुत ही कम पैसे थे, और अभी तो उन्होंने बाहर की दुनिया में कदम ही रखा था। खैर नए पंछियों का नया आशियाना था तो कुछ दिन तो हवा की तरह बीत गए। लेकिन एक दिन आदित्य ने देखा की कुल पैसों में अब वो बस 4 5 दिन और गुजर सकते हैं।


ये देख आदित्य ने फिर एक बार रिया को वापस चलने को बोला, लेकिन रिया अब भी नही मानी। अगले दिन आदित्य सुबह जल्दी उठा और रिया के जागने से पहले ही होटल से निकल गया।


सो कर उठने पर रिया ने खुद को अकेला पाया और वो परेशान हो कर होटल के रिसेप्शन पर पहुंच कर आदित्य के बारे में पूछने लगी। होटल का मालिक उस समय वहीं पर था, और उसने अपने स्टाफ से धीरे से रिया की जानकारी ली। स्टॉफ को भी आदित्य के बारे में कुछ मालूम नही था कि वो कहां गया है।


होटल के मालिक को रिया बहुत पसंद आ गई थी, इसीलिए उसने पहले बड़े प्यार से उससे बात की, और कहा कि वो परेशान न हो, आदित्य यहीं कहीं आस पास होगा और जल्दी ही वापस आ जायेगा। अपने स्टाफ से बोल कर उसने रिया के कमरे में कुछ खाने पीने को भी भिजवा दिया।


खाना खाने के कुछ समय के बाद रिया को नींद आ गई, और जब वो सो कर उठी तब वो कहीं और थी। उसे कुछ समझ नही आया। कुछ समय बाद दरवाजा खुला और उसमे से होटल का मालिक अंदर आया। उसको देखते ही रिया चिल्लाते हुए बोली: "मुझे यहां क्यों लाए हो?"


होटल मालिक, एक कुटिल मुस्कान के साथ: "तेरा आशिक तुझे मुझे बेच कर चला गया है पूरे एक लाख में। अब तू मेरी है और मैं तेरी इस जवानी का रस लूटूंगा।"


इतना बोल कर उसने रिया के साथ जबरदस्ती की, वो चिल्लाती रही चीखती रही, लेकिन कोई नही था सुनने वाला।


अब रोज ही वो किसी न किसी के हवस का शिकार बनती। धीरे धीरे उसे इनकी आदत पड़ने लगी, सेक्स सिगरेट और शराब उसकी जिंदगी का हिस्सा बन गए थे। उसे शहर की बदनाम गलियों में भेज दिया गया।


रिया बुद्धि की तेज थी, और उसे ये भी पता था कि अब यही उसकी जिंदगी है। इसीलिए जल्दी ही उसने अपने दिमाग से उस जगह पर अपनी पहचान बना ली। अब रिया, रूबी मैडम बन चुकी थी, और उसके नीचे कितनी ही लड़कियां इस धंधे में आ गई थी।


आज उसके पास पैसों को कोई कमी नही थी, बड़े बड़े लोगों से उसके कॉन्टैक्ट बन गए थे। लेकिन आज भी एक कसक उसके अंदर थी, अपने परिवार से मिलने की, और आदित्य से ये पूछने कि आखिर उसने ऐसा क्यों किया?


ये सब सोचते सोचते रिया सो गई। सुबह उठने पर उसने किसी को कॉल लगा कर 25 लाख का इंतजाम करने बोला। आधे घंटे में एक बैग उसके कमरे में पहुंच चुका था। थोड़ी देर बाद वो अपने ड्राइवर के साथ कार में होटल से निकल गई, और अपने घर से कुछ दूर कर रुकवा कर अपने उस घर को देखने लगी जिसमें उसने अपनी जिंदगी के सबसे खुशियों वाले दिन बिताए थे।


उसने अपने ड्राइवर को बैग दिया और कहां कि उस घर की बेल बजा कर बैग रख कर भाग आए। ड्राइवर ने वैसा ही किया।


कुछ देर बाद घर का दरवाजा खुला, और उसमे से उसके पिता रोहित बाहर निकले। देखने से काफी थके और बूढ़े दिखने लगे थे वो, ऐसा लग रहा था कि जैसे जीने की चाह ही नही रह गई हो उनको।


दरवाजा खोल कर कुछ देर इधर उधर देखने के बाद उनकी नजर बैग पर पड़ी, उसे खोल कर देखते ही वो उसको अंदर ले कर चले गए। जैसे ही वो अंदर गए, रिया ने गाड़ी वहां से बढ़वा दी।


कुछ देर बाद रिया एक होटल के एक कोने में बैठी थी। ये वही होटल था जहां वो और आदित्य अक्सर आया करते थे। रिया वहां बैठी अपनी काफी पी रही थी, कि तभी वहां एक फैमिली आई, एक आदमी, औरत और एक बच्ची थी साथ में। तीनों को देख कर दिमाग में बस यही आता कि कितना खुशहाल परिवार है ये।


वो परिवार रिया की टेबल से उल्टी साइड बैठ गया जहां से रिया तो उनको देख पा रही थी, लेकिन वो रिया को नही देख सकते थे।उनको देख रिया की आंखें भर आई, लेकिन काले चश्मे के पीछे क्या है ये कोई जान नही पाया।


वो आदमी आदित्य था। रिया उनको ही देख रही थी, तभी आदित्य के फोन पर किसी का फोन आया। कुछ देर बात करके उसने चारो ओर देखा, और उसकी नजर रिया पर पड़ी, और वो खुशी से उछल कर खड़ा हो गया। उसको ऐसे देख साथ वाली औरत ने भी आदित्य की नजरों का पीछा किया और वो भी रिया को देख कर बहुत खुश हो गई।


ये देख रिया को बड़ा आश्चर्य हुआ, तभी उसी होटल में एक और आदमी आया, जिसे देख वो औरत बड़ी खुशी से उसके गले लगी। तब तक आदित्य रिया के पास आ चुका था, और उसकी आंखों में आंसू भरे हुए थे।


आदित्य: " कहां कहां नही ढूंढा तुमको रिया, कहां थी तुम इतने दिनो से?"


रिया हड़बड़ाते हुए, "कौन हो आप? और कौन रिया?"


आदित्य, "रिया अभी पापा का फोन आया था, वहां तुमने ही पैसे पहुंचाए हैं न?"


ये सुन कर रिया उससे आंख चुराने लगी।


आदित्य, पीछे मुड़ कर, "भाभी, भैया, ये रिया ही है।"


आदित्य की आवाज में खुशी छलक रही थी। और रिया खुद में सिमटी जा रही थी।


तभी वो आदमी और औरत पास आ गए।


आदमी, "रिया ये तुम ही हो न?"


औरत ने उसे अपनी बाहों में भर लिया, "जब से शादी हुई है आदि भैया को बस तुम्हारे नाम पर तड़पते देखा है मैंने। रिया कहां थी तुम अब तक आखिर?"


रिया उस औरत से छूटते हुए, "आदित्य पहले मुझे मेरे सवालों का जवाब चाहिए।"


अब रिया की आंखें अंगारे बरसा रही थी।


आदित्य, सर झुकाए हुए: "जनता हूं रिया, तुम्हारा गुनहगार हूं मैं, बिना बताए चला आया था वहां से, लेकिन बीच रास्ते से वापस पहुंचा तो तुम वहां से चली गई थी।"


रिया: " मैं चली गई थी या तुमने मुझे उस होटल मालिक को बेच दिया था?"


"ये क्या कह रही हो रिया?" आदित्य के भैया ने कहा, "आदित्य भला ऐसा सोच भी कैसे सकता है?"


रिया की बात सुन कर आदित्य और उसकी भाभी भी उसे हैरानी से देख रहे थे।


"पहले सब लोग चलो यहां से और कहीं।" आदित्य की भाभी ने कहा।


सब लोग एक मंदिर में पहुंचे जहां शांति और एकांत था।


आदित्य ने कहा, "पता है रिया तुम कितनी बड़ी गलतफहमी का शिकार हुई थी? निशा के ब्वॉयफ्रेंड ने चुपके से उसकी अंतरंग फोटो और वीडियो निकाल लिया था और निशा के पापा से पैसे ऐंठना चाहता था, वो तो भला हो उनके बॉस का जिन्होंने न सिर्फ निशा को बदनाम होने से बचाया, बल्कि उससे शादी करके निशा के परिवार को भी सहारा दिया।"


अब रिया आश्चर्य से आदित्य को देख रही थी।


आदित्य, "ये बात निशा को शादी के कुछ दिन बाद बताई गई थी, जब दिवाकर को सबूत के साथ गिरिफ्तार कर लिया गया था। और ये बात दबी रहे इसीलिए उस समय किसी को नही बताया गया था उसे। तुम एक बार इस बारे में पापा से बात तो करती, शायद फिर भागने का खयाल भी नही आता तुम्हारे दिमाग में।"


भाभी, " आदि भैया ने तुम्हारे जाने के बाद कहां कहां नही ढूंढा तुम्हे, और साथ में तुम्हारे पापा भी दर दर की ठोकरें खाते रहे। सदमे से तुम्हारी मां ने बिस्तर पकड़ लिया था, और 2 साल वो सबको छोड़ कर चली गईं। आज भी तुम्हारे पापा और भाई भाभी तुम्हारा इंतजार कर रहे हैं।"


आदित्य, "रिया तुम थी कहां?"


ये बातें सुन कर रिया फूट फूट कर रोने लगी, और अपनी आप बीती बताती गई।


सारी बातें सुन कर आदित्य ने उसे अपने गले लगा लिया और कहा, "भूल जाओ जो भी हुआ, चलो अब हम अपना अलग संसार बसा लेते हैं।"


इस पर रिया कुछ नही कहती और बात को बदल कर अपने परिवार के बारे में पूछती है। वो सब कुछ और बातें करते हैं।


आदित्य फिर रिया से साथ चलने को कहता है।


रिया उससे कहती है, "कल सुबह तुम आ कर मुझे *** होटल के रूम नंबर 916 से ले जाना। और अभी घर पर कुछ बताना नही। मैं सबसे कल ही मिलूंगी, सरप्राइज़ दूंगी।"



अगले दिन आदित्य सुबह ही उस होटल में पहुंच गया, और सीधे रिया के कमरे के बाहर पहुंच कर बेल बजने लगा, मगर दरवाजा नही खुला। आदित्य ने होटल स्टाफ की भी मदद ली और डुप्लीकेट चाबी से दरवाजा खोल कर अंदर गया। कमरे में रिया का बेजान शरीर बेड पर पड़ा था, और उसके हाथ में उसके परिवार की और आदित्य की फोटो थी, जिसे वो घर से भागते समय अपने साथ ले आई थी, और एक तरफ एक चिट्ठी.....
Amezing story. Kahaniyo ko jamchna mere bas ki nahi he. Par ek dill ko chhu lene vali kahani. Bahot si bato ki sikh. Pyar me pagal premiyo ke nadani bhare kadam Nisha ki galti ki saja. Maa bap ne bhugti. Vahi riya se rubi ban ne ki kahani ka villain to vo hotel ka manager tha. Ese kai ladkiyo ko ese hadse ka shikar hona padta he. Amezing story.
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Story: ।।इंदरबाग।।
Writer: Sanki Rajput



Story Line: सस्पेंस पर आधारित ये कहानी मानवभक्षण या cannibalism को ले कर चलती है, जो कहानी के अंत में उजागर होता है।



Treatment: कहानी का सस्पेंस बहुत तरीके से बुना गया है, और लगता है फोरम की ऑडिनेस को देखते हुए लेखक ने सेक्स सीन्स की भरमार कर दी है।



Positive Points: कथानक और सस्पेंस ही इस कहानी की जान है।



Negative Points: कहानी अपने किरदारों को सही से बता नही पाई है, कई बार किरदारों में घालमेल भी हुआ लगता है, और सेक्स भरने के कारण इस पर ज्यादा ध्यान भी नही दिया गया।



Suggestion: एक जानदार कहानी में कहानी पर ध्यान होना चाहिए, सेक्स पर नही। और आपने सेक्स दिखाने के चक्कर में एक बहुत ही बेहतरीन कहानी को बनाने से चूक गए लगते हैं।



Rating: 8/10
 

Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Amezing story. Kahaniyo ko jamchna mere bas ki nahi he. Par ek dill ko chhu lene vali kahani. Bahot si bato ki sikh. Pyar me pagal premiyo ke nadani bhare kadam Nisha ki galti ki saja. Maa bap ne bhugti. Vahi riya se rubi ban ne ki kahani ka villain to vo hotel ka manager tha. Ese kai ladkiyo ko ese hadse ka shikar hona padta he. Amezing story.
Thankyou Shetan ji, हर पाठक एक आलोचक होता है, इसीलिए कभी खुद को ऐसा मत बोलिए की आप जज नही कर सकती। 👍
 
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