Story- " बाप "
Writer- Riky0007.
एक बाप के लिए सबसे बड़ा दुख होता है , बेटे की अर्थी को कांधे देना। दुनिया का कोई बाप नही चाहता कि उसके बेटे की मृत्यु उससे पहले हो । महान पंडित और लंका सम्राट रावण का भी यही मत था। उनके तीन लक्ष्य थे जो कभी पुरे न हो सके। स्वर्ग लोक तक सीढ़ी का निर्माण करना , समुद्र के जल को दूध मे तब्दील कर देना और एक पिता के पहले उसके बच्चे की मौत न होना।
कहानी काफी इमोशनल एवं दर्द से भरी हुई थी।
सेरिब्रल पाल्सी एक ऐसी रोग है जिसमे बच्चे पुरी तरह कभी स्वस्थ नही हो सकते। इसे पुरी तरह ठीक किया ही नही जा सकता।
इस रोग से पीड़ित बच्चे को देखकर अभिभावक पर क्या गुजरता होगा , इसका अनुमान सब लोग नही लगा सकते। बहुत मुश्किल घड़ी होती है मां-बाप के लिए।
मेरा मानना है , यदि बच्चा पुरी तरह स्वस्थ ही नही हो सकता , पुरी जीवन एक अपाहिज की जीवन जीता , इससे बेहतर है उस बच्चे को परमपिता जल्द से जल्द अपने पास बुला ले। लेकिन ऐसा सभी के साथ सम्भव नही होता। लम्बे समय तक अपने पुत्र को तिल तिल कर मृत्यु की तरफ जाते हुए देखना पड़ता है। शायद यही कुदरत की लीला है।
अमित ने पहली गलती की थी पार्टनरशिप बिजनेस करके। छोटे स्केल मे , रिटेल कारोबार मे , कम पूंजी लागत वाले व्यापार मे पार्टनरशिप करनी ही नही चाहिए।
पार्टनरशिप सिर्फ बड़े आकार के व्यापार मे सूट करता है।
छोटे स्केल की पार्टनरशिप अक्सर टूट जाया करती है और पार्टनर के बीच एक गहरी दरार पैदा कर देती है।
उसकी दूसरी गलती थी कि पत्नि के बदचलन चरित्र को जानते हुए भी कोर्ट मे उसके खिलाफ कुछ नही कहना। अमित अच्छी तरह वाकिफ था कि उसकी पत्नि का व्यवहार उनके बच्चे के प्रति कैसी है। वो कैरेक्टर की अच्छी नही , मां की भुमिका मे भी असफल और उसके प्रति भी नकारात्मक आचरण , फिर भी उसने कोर्ट मे बदचलन साबित करने की कोशिश क्यों न की ?
अगर कुसुम को बदचलन सिद्ध कर दिया गया होता तो उसका बच्चा आज भी जीवित रहता और उसे अपनी पत्नि की हत्या भी न करनी पड़ती।
बदचलन साबित होने पर कोर्ट द्वारा उसे अपने बच्चे की कस्टडी मिलना ही था।
खैर , जो प्रारब्ध मे लिखा होता है वो होना ही है।
कुसुम ने नारी की महता को कलंकित कर दिया। उस औरत को क्या ही कहा जाए , जिसके मासूम बच्चे की डेड बाॅडी फर्श पर पड़ी हो और वो अपनी सगाई के लिए व्याकुल हो रही हो !
इस कहानी का सबसे इमोशनल क्षण वो था जब कुसुम बच्चे को लेकर घर से जा रही थी और बच्चा अमित की तरह करूणार्द्र दृष्टि से देख आंसू बहा रहा था।
बहुत खुबसूरत कहानी लिखा आपने रिकी भाई। मै वैसे भी बहुत ज्यादा भावुक प्रवृत्ति का इंसान हूं। इस कहानी ने मुझे काफी इमोशनल कर दिया था।
आप की यह दूसरी कहानी है और दूसरी कहानी मे ही आपने झंडा गाड़ दिया।
ऐसी कहानियों मे मै नकारात्मक कुछ लिखना नही चाहता। लेकिन अगर लिखना नियम का हिस्सा ही है तो यही कहूंगा कि अमित और कुसुम के सुहागरात सीन्स की जगह बच्चे के ऊपर कुछ लिखा गया होता तो और भी अच्छा होता।
आप की यह कहानी कांटेस्ट की टाॅप तीन कहानी मे शामिल होने लायक है। बेस्ट आफ लक ब्रो।
Rating-- 10/9.5