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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Avaran

एवरन
7,902
18,252
174
Let's Review Starts

Ye Nilkamal Ka Tilism Aakhir Pura Huwa, Itna Bhi Muskil Nahi Thaa Bina Dravya Ko Nikle Pankudi Todhna Pana .

Sheffali Ki chalaki Ne Fir bacha Liya warna Ye Tilism Shuru Se Muskil Lag Raha Hain Mujhe Lekin Mene Notice Kiya Ki Jenith aur Taufikk Ne Ek Dusre Se baat Ki Kya Hamm Samjhe ki Inke Bich Ye Dewaar Tilism Jesa Aage Badhege Wese Tootegi .

Mene Ek Aur point Notice kiya ye Kankal Ki Mala Shayad Aage Kuch Na Kuch Rahsya Kholegi , Kyuki mujhe Ye Simple mala To Nahi Lagti Jarooor Kuch Raaz Hoga .

Sabka Ka Contribution Thaa Tilism Ko Todhne me Jenith cristi ne Pankdi Todhi, Suyash Tauffik Ne Unhe NILkamal Tak Pahuchaya, Alex Shaffali Ne apni Dimagi Shaktiya Ka Istemaal Kiya .

Wese Purane character Ke Name Yaad aaye To Kya kuch surprise se purane Character Jinda bache Jese wo suyash ka assistant brad aur Albert kahi dinosaur se kabhi Jinda bach Gaya Ho .

Overall update hamesha ki Tarah shandaar .
Waiting for more
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma last ke Update Mene ek surprise Theory Mili HAIN Jo Shayaf Jyada Tar Reader miss kiye lekin Mene shayad Ek Tota Puzzle solve kar Liya

Issilye me Puri ek Theory bana Kar Aaram se ek Do Din me Review deta Hu
Woow, agar aisa hai to apun ko koi jaldi nahi hai, take your time dost :declare:
 

Raj_sharma

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Ye Nilkamal Ka Tilism Aakhir Pura Huwa, Itna Bhi Muskil Nahi Thaa Bina Dravya Ko Nikle Pankudi Todhna Pana .
Tumhe aisa lagta hai?? To ek baar kabhi neel kamal mile to uski pankudi tod kar dekhna, pata lag jayega, maine aisa kyu likha :D
Sheffali Ki chalaki Ne Fir bacha Liya warna Ye Tilism Shuru Se Muskil Lag Raha Hain Mujhe Lekin Mene Notice Kiya Ki Jenith aur Taufikk Ne Ek Dusre Se baat Ki Kya Hamm Samjhe ki Inke Bich Ye Dewaar Tilism Jesa Aage Badhege Wese Tootegi .
Bina baat kiye kaam chal nahi sakta na :dazed:
Mene Ek Aur point Notice kiya ye Kankal Ki Mala Shayad Aage Kuch Na Kuch Rahsya Kholegi , Kyuki mujhe Ye Simple mala To Nahi Lagti Jarooor Kuch Raaz Hoga .
ek baat yaad rakhna, yaha iss tilism me har ek chhoti se chhoti cheej bhi kaam ki hai, chaahe wo tinka ho ya raasi:declare:
Sabka Ka Contribution Thaa Tilism Ko Todhne me Jenith cristi ne Pankdi Todhi, Suyash Tauffik Ne Unhe NILkamal Tak Pahuchaya, Alex Shaffali Ne apni Dimagi Shaktiya Ka Istemaal Kiya .
Bilkul, kisi ek ke bas ka hi nahi hai ye tilisma :dazed: Sabse badi baat, agar koi ek gaya, to sabhi gaye samajhna, kyuki uske baad koi kuch bhi kar le, agle dwaar tak nahi ja sakte :chandu:
Wese Purane character Ke Name Yaad aaye To Kya kuch surprise se purane Character Jinda bache Jese wo suyash ka assistant brad aur Albert kahi dinosaur se kabhi Jinda bach Gaya Ho .
Kya pata ho bhi sakta hai? Or nahi bhi :D
Overall update hamesha ki Tarah shandaar .
Waiting for more
Thank you very much for your amazing review and superb support bhai , sath bane rahiye :hug:
 

Avaran

एवरन
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Tumhe aisa lagta hai?? To ek baar kabhi neel kamal mile to uski pankudi tod kar dekhna, pata lag jayega, maine aisa kyu likha :D

Bina baat kiye kaam chal nahi sakta na :dazed:

ek baat yaad rakhna, yaha iss tilism me har ek chhoti se chhoti cheej bhi kaam ki hai, chaahe wo tinka ho ya raasi:declare:

Bilkul, kisi ek ke bas ka hi nahi hai ye tilisma :dazed: Sabse badi baat, agar koi ek gaya, to sabhi gaye samajhna, kyuki uske baad koi kuch bhi kar le, agle dwaar tak nahi ja sakte :chandu:

Kya pata ho bhi sakta hai? Or nahi bhi :D

Thank you very much for your amazing review and superb support bhai , sath bane rahiye :hug:
Ju mujhe Ye bataoo pehle ki date ke Sath Chapter Change Hota Hain To
13 Tarikk Wala Chapter konsa Thaa .
 

Raj_sharma

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Ju mujhe Ye bataoo pehle ki date ke Sath Chapter Change Hota Hain To
13 Tarikk Wala Chapter konsa Thaa .
Wo sab beech beech me aata rahta hai, koi samay fix nahi hai, usko kabhi sochahi nahi apun ne :dazed:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#151.

चैपटर-3

रहस्यमय नेवला:
(तिलिस्मा 2.11)

सुयश सहित सभी अब तिलिस्मा के दूसरे द्वार पर खड़े थे।

दूसरे द्वार में सभी को एक बड़े से कमरे में 2 विशाल गोल क्षेत्र बने दिखाई दिये, जो कि आकार में लगभग 40 फुट व्यास के बने थे।

उन दोनों गोल क्षेत्रों के बीच 1-1 वर्गाकार पत्थर रखा था। एक पत्थर पर नेवले की मूर्ति और दूसरे पत्थर पर एक ऑक्टोपस की मूर्ति रखी थी।

नेवले की मूर्ति के आगे लगी नेम प्लेट पर 1 और ऑक्टोपस की मूर्ति के आगे लगी नेम प्लेट पर 2 लिखा था।

दोनों ही गोल क्षेत्रों की जमीन 1 वर्ग मीटर के संगमरमर के पत्थरों से बनी थी।

“नेवले की मूर्ति के नीचे 1 लिखा है, हमें पहले उस क्षेत्र में ही चलना होगा।” सुयश ने सभी की ओर देखते हुए कहा।

सभी ने सिर हिलाया और नेवले की मूर्ति के पास पहुंच गये। अब सभी संगमरमर के पत्थरों पर खड़े थे।

नेम प्लेट पर, जहां 1 नंबर लिखा था, उसके नीचे 2 लाइन की एक कविता भी लिखी थी-
“जीवनचक्र का है इक सार,
लगाओ परिक्रमा खोलो द्वार”

“इन पंक्तियों का क्या मतलब हुआ कैप्टेन?” जेनिथ ने सुयश की ओर देखते हुए पूछा- “यहां तो कोई भी द्वार नहीं है, यह नेवला हमें कौन से द्वार को खोलने की बात कर रहा है?”

सुयश ने जेनिथ की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह तेजी से कुछ सोच रहा था।

कुछ देर के बाद सुयश ने अपना पैर संगमरमर के पत्थरों से बाहर निकालने की कोशिश की, परंतु जैसे ही उसका पैर उस गोल क्षेत्र के बाहर निकला, उसे करंट का बहुत तेज झटका महसूस हुआ।

“अब हम इस संगमरमर के क्षेत्र से बाहर नहीं निकल सकते, अगर किसी ने कोशिश की तो उसे करंट का तेज झटका लगेगा।”

सुयश ने अब जेनिथ का उत्तर देते हुए कहा- “समझ गई जेनिथ? यानि कि अब हम इस नेवले की पहेली को सुलझाए बिना इस स्थान से बाहर नहीं जा सकते और कविता की पंक्तियां पढ़कर ऐसा लग रहा है कि हमें इस नेवले की मूर्ति का 1 चक्कर लगाना होगा।”

“पर नेवले की मूर्ति का चक्कर लगाना तो बहुत आसान कार्य है।” ऐलेक्स ने सुयश को देखते हुए कहा।

“ब्वॉयफ्रेंड जी, इस तिलिस्मा में कुछ भी आसान नहीं है।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से मजा लेते हुए कहा- “अवश्य ही इन बातों में कोई ना कोई पेंच है?”

“अच्छा जी, तो तुम्हीं बता दो कि क्या पेंच है, इन पंक्तियों में?” ऐलेक्स ने क्रिस्टी को देखकर हंसते हुए कहा।

“कैप्टेन क्या मैं नेवले का एक चक्कर लगा कर देखूं।” ऐलेक्स ने सुयश से इजाजत मांगते हुए कहा- “क्यों कि बिना कुछ किये तो हमें कुछ भी समझ में नहीं आयेगा?”

ऐलेक्स की बात में दम था, इसलिये सुयश ने ऐलेक्स को इजाजत दे दी। ऐलेक्स ने मूर्ति का एक चक्कर लगाना शुरु कर दिया।

सभी की नजरें ध्यान से वहां घटने वाली हर एक घटना पर थीं। पर जैसे ही ऐलेक्स का चक्कर पूरा हुआ, वह धड़ाम से जमीन पर गिर गया।

ऐलेक्स को ऐसा महसूस हुआ कि जैसे उसके पूरे बदन की शक्ति ही खत्म हो गई हो।

उसे गिरते देख सभी भागकर ऐलेक्स के पास आ गये।

“क्या हुआ ऐलेक्स? तुम ठीक तो हो ना?” क्रिस्टी ने घबराते हुए पूछा।

“ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे बदन की पूरी शक्ति खत्म हो गई है।” ऐलेक्स ने पड़े-पड़े ही जवाब दिया- “मैं सबकुछ देख और महसूस कर पा रहा हूं, बस उठ नहीं पा रहा।”

“इसका मतलब तुमने गलत तरीके से चक्कर लगाया है।” सुयश ने चारो ओर देखते हुए कहा- “हमें फिर से इन पंक्तियों का मतलब समझना पड़ेगा और तुम परेशान मत हो क्रिस्टी, मुझे पूरा विश्वास है कि जैसे ही हम इस द्वार की पहेली को सुलझा लेंगे, ऐलेक्स फिर से ठीक हो जायेगा। याद करो मैग्नार्क द्वार में ऐसा तौफीक के साथ भी हो गया था।”

सुयश के शब्द सुन, क्रिस्टी थोड़ा निश्चिंत हो गई।

“कैप्टेन, मुझे लगता है कि ऐलेक्स ने ‘एंटी क्लाक वाइज’ (घड़ी के चलने की विपरीत दिशा) चक्कर लगाया था और इन पंक्तियों में जीवनचक्र की बात की गई है। अब जीवनचक्र तो समय के हिसाब से ही चलता है, तो इसके हिसाब से एंटी क्लाक वाइज तो परिक्रमा लगाई ही नहीं जा सकती।” क्रिस्टी ने कहा।

“क्रिस्टी सहीं कह रही है, यह स्थान किसी मंदिर की भांति बना है और किसी भी मंदिर में एंटी क्लाक वाइज चक्कर नहीं लगाया जाता।” सुयश ने कहा।

“तो क्या मैं क्लाक वाइज चक्कर लगा कर देखूं, हो सकता है कि ऐसा करने से द्वार खुल जाये।” क्रिस्टी ने कहा।

सुयश ने क्रिस्टी की बात सुनकर एक बार फिर ध्यान से उन पंक्तियों को पढ़ा और फिर क्रिस्टी को चक्कर लगाने की इजाजत दे दी।

क्रिस्टी ने क्लाक वाइज चक्कर लगाना शुरु कर दिया, पर इस बार भी चक्कर के पूरा होते ही क्रिस्टी लहरा कर ऐलेक्स जैसी हालत में जमीन पर गिर गई।

“जमीन पर गिरने की आपको ढेरों बधाइयां गर्लफ्रेंड जी, हमारे परिवार में आपका स्वागत है।” ऐलेक्स ने ऐसी स्थिति में भी सबको हंसा दिया।

“मैं तो बस तुम्हारा साथ देने को आयी हूं, वरना मुझे जमीन पर गिरने का शौक नहीं।” क्रिस्टी ने मुंह बनाते हुए कहा।

“कैप्टेन अब हम 4 लोग ही बचे हैं, अब हमें बहुत सोच समझ कर निर्णय लेना होगा।” जेनिथ ने कहा।

“मुझे लगता है कि यहां पर जीवनचक्र की बात हो रही है, तो पहले हमें इस नेवले को जिंदा करना होगा, तभी हम इसका चक्कर लगा सकेंगे।” शैफाली ने काफी देर के बाद कुछ कहा।

अब सबकी निगाह फिर से उस पूरे क्षेत्र में दौड़ गई।

“वैसे शैफाली, तुम यह बताओ कि नेवले का प्रिय भोजन है क्या? इससे हमें कुछ ढूंढने में आसानी हो जायेगी।” जेनिथ ने शैफाली से पूछा।

“वैसे तो नेवला सर्वाहारी होता है, वह मांसाहार और शाकाहार दोनों ही करता है, पर जब भी नेवले की बात आती है, तो उसे सांप से लड़ने के लिये ही याद किया जाता है।” शैफाली ने जेनिथ से कहा- “पर यह जानने का कोई फायदा नहीं है जेनिथ दीदी...आप यहां आसपास देखिये, यहां पर कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे कि इस नेवले को जिंदा किया जा सके।”

तभी ऐलेक्स की आवाज ने सभी को चौंका दिया- “कैप्टेन जरा एक मिनट मेरे पास आइये।”

सुयश सहित सभी ऐलेक्स और क्रिस्टी के पास पहुंच गये- “कैप्टेन मेरे कानों में किसी चीज के रेंगने की आवाज सुनाई दे रही है और वह आवाज इस पत्थर से आ रही है, जिस पर यह नेवला बैठा हुआ है।“

ऐलेक्स की बात सुनकर सभी का ध्यान अब उस पत्थर की ओर चला गया। पत्थर में कहीं कोई छेद नहीं था।

तभी ऐलेक्स का ध्यान पत्थर के ऊपर लगी नेम प्लेट पर चला गया।

“तौफीक जरा अपना चाकू मुझे देना।” सुयश ने तौफीक से चाकू मांगा।

तौफीक ने अपनी जेब से चाकू निकालकर सुयश के हवाले कर दिया।

सुयश ने चाकू की नोंक से उस धातु के स्टीकर को पत्थर से निकाल दिया।

उस धातु के स्टीकर के पीछे एक गोल सुराख था, जैसे ही सुयश ने उस नेम प्लेट को पत्थर से निकाला, उस छेद से एक काले रंग का 5 फुट का नाग निकलकर बाहर आ गया।

सभी उस नाग को देखकर पीछे हट गए। वह नाग अब उस पत्थर पर चढ़कर नेवले के सामने जा पहुंचा।

जैसे ही नाग ने नेवले की आँखों में देखा, नेवला जीवित होकर नाग पर टूट पड़ा।

थोड़ी ही देर के बाद नेवले ने नाग के शरीर को काटकर उसे मार डाला। नाग के मरते ही उसका शरीर गायब हो गया।

अब पत्थर पर जिंदा नेवला बैठा था, जो कि इन लोगों को ही घूर रहा था।

“मेरे हिसाब से अब हमें इसका चक्कर लगाना होगा।” सुयश ने कहा।

“आप रुकिये कैप्टेन, इस बार मैं ट्राई करती हूं, आपका अभी सही रहना ज्यादा जरुरी है।” जेनिथ ने कहा।

“नहीं -नहीं...अब मुझे ही चक्कर लगाने दो। मेरे हिसाब से अब कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश यह कहकर क्लाक वाइज नेवले का चक्कर लगाने लगा।

पर सुयश जिस ओर भी जा रहा था, नेवला अपना चेहरा उस ओर कर ले रहा था। सुयश के 1 चक्कर पूरा करने के बाद भी कोई दरवाजा नहीं खुला।

“अब क्या परेशानी हो सकती है?” सुयश ने कहा।

“जेनिथ।” तभी नक्षत्रा ने जेनिथ को पुकारा।

“हां बोलो नक्षत्रा।” जेनिथ ने अपना ध्यान अपने दिमाग पर लगाते हुए कहा।

“सुयश को बताओ कि भौतिक विज्ञान का नियम यह कहता है कि किसी भी चीज का एक चक्कर तब पूर्ण माना जाता है जब कि चक्कर लगाने वाला या फिर जिसके परितः वह चक्कर लगा रहा है, दोनों में से
कोई एक स्थिर रहे। यहां जब भी सुयश नेवले का चक्कर लगा रहा है, वह अपना चेहरा सुयश की ओर कर ले रहा है, ऐसे में यह चक्कर पूर्ण नहीं माना जायेगा। साधारण शब्दों में सुयश को नेवले का चक्कर लगाने के लिये उसकी पीठ देखनी होगी।”

नक्षत्रा ने भौतिक विज्ञान का एक जटिल नियम आसान शब्दों में जेनिथ को समझाया, पर जेनिथ के लिये विज्ञान किसी भैंस के समान ही था, उसे नक्षत्रा की आधी बातें समझ ही नहीं आयीं।

इसलिये जेनिथ ने सुयश को सिर्फ इतना कहा- “कैप्टेन, नक्षत्रा कह रहा है कि आपको नेवले का चक्कर पूरा करने के लिये नेवले की पीठ देखनी होगी।”

सुयश नक्षत्रा की कही बात को समझ गया।

अब सुयश ने चलने की जगह दौड़कर नेवले का चक्कर लगाया, परंतु नेवले ने अपनी गति को सुयश के समान कर लिया।

“यह तो मुसीबत है।” सुयश ने कहा- “मैं अपनी गति में जितना भी परिवर्तन करुंगा, यह नेवला भी उसी गति में अपना चेहरा मेरे सामने कर ले रहा है, इस तरह तो कभी भी इसका एक चक्कर पूरा नहीं होगा।”

कुछ देर सोचने के बाद सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “तौफीक तुम भी आ जाओ, अब मैं थोड़ा तेज चक्कर लगाऊंगा, नेवले का चेहरा हमेशा मेरे सामने ही रहेगा, तुम भी इस पत्थर के चारो ओर धीमे-धीमे चक्कर लगाओ, इस प्रकार मेरा नहीं, बल्कि नेवले के चारो ओर तुम्हारा 1 चक्कर पूरा हो जायेगा और यह द्वार पार हो जायेगा।”

आइडिया बुरा नहीं था। सभी को अब इस द्वार के पार होने की पूरी उम्मीद हो गई थी।

परंतु जैसे ही तौफीक ने परिक्रमा स्थल पर अपना कदम रखा, नेवले ने घूरकर तौफीक को देखा।

नेवले के घूरते ही नेवले के शरीर से एक और नेवला निकलकर उस पत्थर पर दिखाई देने लगा।

अब एक का चेहरा सुयश की ओर था और दूसरे का चेहरा तौफीक की ओर था।

“बेड़ा गर्क।” शैफाली ने अपना सिर पीटते हुए कहा- “कुछ और सोचिये कैप्टेन अंकल, हम तिलिस्मा से बेइमानी नहीं कर सकते।”

सुयश अब फिर से सोच में पड़ गया।

काफी देर तक सोचने के बाद सुयश के दिमाग में एक और प्लान आया।

“तौफीक, हममें से एक को एंटी क्लाक वाइज और दूसरे को क्लाक वाइज चक्कर लगाना होगा, इस प्रकार से हममें से दोनों ही एक-एक नेवले का चक्कर पूरा कर लेंगे। अब परेशानी यह है कि जो भी एंटी क्लाक वाइज चक्कर लगायेगा, उसका हाल भी ऐलेक्स और क्रिस्टी जैसा हो जायेगा, परंतु उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यों कि तब तक तो यह द्वार भी पार हो जायेगा।” सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा।

तौफीक ने जरा देर तक सुयश का प्लान समझा और फिर मुस्कुरा कर तैयार हो गया।

अब सुयश क्लाक वाइज और तौफीक एंटी क्लाक वाइज चक्कर लगाने लगा।

जैसे ही दोनों का 1 चक्कर पूरा हुआ, वह नेवला वहां से गायब हो गया और ऐलेक्स व क्रिस्टी भी ठीक हो कर खड़े हो गये।

जेनिथ ने संगमरमर के क्षेत्र से अपना हाथ बाहर निकाल कर देखा, अब वहां कोई करंट उपस्थित नहीं था।

यह देख सभी ऑक्टोपस की मूर्ति की ओर चल दिये।



जारी रहेगा_______✍️
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
6,150
18,474
174
#150.

एण्ड्रोवर्स आकाशगंगा:

(आज से 3 दिन पहले......13.01.02, रविवार, 16:30, फेरोना ग्रह, एण्ड्रोवर्स आकाशगंगा)


पृथ्वी से 2.5 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर, एण्ड्रोवर्स आकाशगंगा।

फेरोना, एण्ड्रोवर्स आकाशगंगा का सबसे शक्तिशाली ग्रह था। यहां का विज्ञान यहां के 5 गुरुओं की वजह से बहुत ज्यादा उन्नत था।

इन 5 गुरुओं के समूह को ‘पेन्टाक्स’ कहते थे।

यहां के लोगों का मानना है कि पेन्टाक्स, आकाशगंगा के जन्म के समय से ही जीवित हैं, ये कौन हैं? कहां से आये हैं? कोई नहीं जानता? यहां के रहने वाले लोग देखने में लगभग पृथ्वी के ही लोगों के समान हैं, परंतु इनकी औसत आयु 10,000 वर्ष की होती है।

यहां के लोगों का शरीर हल्के नीले रंग का होता है।

यहां का राजा ‘एलान्का’ अपने महल में बैठा, अपनी खिड़की से अपनी आकाशगंगा की खूबसूरती को निहार रहा था, कि तभी एक सेवक ने आकर एलान्का का ध्यान भंग कर दिया।

“क्षमा चाहता हूं ग्रेट एलान्का, पर कमांडर ‘प्रीटेक्स’ आपसे इसी वक्त मिलना चाहते हैं।” सेवक ने कहा।

एलान्का ने हाथ हिलाकर सेवक को इजाजत दे दी।

कुछ ही देर में कमांडर प्रीटेक्स उनके कमरे में हाथ बांधे खड़ा था।

एलान्का के इशारा करते ही प्रीटेक्स ने बोलना शुरु कर दिया- “ग्रेट एलान्का, आप पिछले 4 दिन से बहुत व्यस्त थे, इसलिये मैं आपसे बता नहीं पाया, पर आज मैं आपका सपना साकार करने के बहुत करीब पहुंच गया हूं।”

“तुम्हारा मतलब.....तुम्हारा मतलब ‘ओरस’ मिल गया?” एलान्का ने खुशी व्यक्त करते हुए पूछा।

“हां ग्रेट एलान्का, पिछले 20 वर्षों से जिस युवराज ओरस की हमें तलाश थी, वो हमें यहां से 2.5 मिलियन प्रकाशवर्ष दूर एक हरे ग्रह पर मिल गया है।”

प्रीटेक्स ने एलान्का की ओर देखते हुए कहा- “आप तो जानते हैं कि जब से उसका ग्रह डेल्फानो तबाह हुआ है, तब से हम अपनी मशीनों के द्वारा उसे ढूंढने का प्रयास कर रहे थे, पर पिछले 20 वर्षों से उसका कहीं पता नहीं चल रहा था, पर अचानक 3 दिन पहले, उसने अपनी समय शक्ति का प्रयोग किया, जिसके सिग्नल हमें बहुत दूर से प्राप्त हुए, पर हमें उसके ग्रह का पता नहीं चल पाया था।

"इसलिये हमने ‘एण्ड्रोनिका’ स्पेश शिप को उस दिशा में भेज दिया था। एक दिन बाद ओरस ने फिर अपनी शक्तियों का प्रयोग किया, जिससे हम उसकी आकाशगंगा तक पहुंच गये और जब आज उसने फिर अपनी शक्तियों का प्रयोग किया, तो हमें उसके ग्रह का पता चल गया, जिससे मैंने एण्ड्रोनिका को उस ग्रह पर उतार दिया।

"अब वह जैसे ही अगली बार अपनी शक्तियों का प्रयोग करेगा, हमें उसकी वास्तविक स्थिति का पता चल जायेगा और हम उसे दबोच लेंगे। अब वह दिन ज्यादा दूर नहीं, जब समयचक्र आपके हाथ में होगा और फिर आप सभी मल्टीवर्स के अजेय सम्राट कहलायेंगे।”

“यह तो बहुत अच्छी खबर सुनाई तुमने प्रीटेक्स।” एलान्का ने खुश होते हुए कहा- “अच्छा ये बताओ कि ‘एण्ड्रोवर्स पावर’ इस समय कहां हैं? मुझे उनसे अभी मिलना है। मैं उनसे भविष्य के बारे में कुछ बात करना चा हता हूं?”

“जी..एण्ड्रोवर्स पावर तो एण्ड्रोनिका में ही हैं, मैंने ही उन्हें वहां पर भेजा है।” प्रीटेक्स ने डरते-डरते कहा- “वो ओरस को कंट्रोल करने में उनकी जरुरत पड़ सकती है, इसीलिये मैंने उन्हें वहां भेजा है।”

“क्या?” एलान्का ने गुस्सा दिखाते हुए कहा- “तुमने एण्ड्रोवर्स पावर को उस हरे ग्रह पर भेज दिया, जबकि तुम्हें पता भी नहीं है कि उस हरे ग्रह पर किस प्रकार के खतरे हैं?”

“पर एण्ड्रोवर्स पावर तो हर खतरे से निपटने में सक्षम हैं ग्रेट एलान्का।” प्रीटेक्स ने बीच में टोकते हुए कहा।

“तुम मूर्ख हो प्रीटेक्स।” एलान्का अब हद से ज्यादा गुस्से में दिखाई दे रहा था- “अरे, मैं उन शक्तियों का उपयोग समय से पहले नहीं करना चाहता था, नहीं तो एरियन आकाशगंगा के लोग उसकी भी काट ढूंढ लेंगे, फिर हम महायुद्ध में किसका उपयोग करेंगे?”

“क्षमा चाहता हूं ग्रेट एलान्का, पर आपसे बात ना हो पाने के कारण मैंने एण्ड्रोवर्स पावर को उस हरे ग्रह पर भेज दिया है, पर आप चिंता ना करें, मैं उन्हें आज ही संदेश भेज देता हूं कि वह बिना बात के, कहीं भी
अपना शक्ति प्रदर्शन ना करें और चुपचाप युवराज ओरस को लेकर वहां से निकल जाएं।”

प्रीटेक्स, एलान्का का गुस्सा जानता था, इसलिये सावधानी से एक-एक शब्द नाप तौल कर बोल रहा था।

“ठीक है। तुम उन्हें ये संदेश भेज दो।” एलान्का ने कहा- “और ये बताओ कि एण्ड्रोवर्स पावर का प्रतिनिधित्व इस समय कौन कर रहा है?”

“ओरेना ! एण्ड्रोवर्स पावर का प्रतिनिधित्व, इस मिशन के लिये मैंने ओरेना के हाथ में दिया है।” प्रीटेक्स ने जवाब दिया।

“नहीं.....एण्ड्रोवर्स पावर का प्रतिनिधित्व तुरंत ‘रेने’ के हाथ में दे दो। ओरेना बहुत एग्रेसिव है, वह उस हरे ग्रह पर अपनी मनमानी करने लगेगी।” एलान्का ने अपना आदेश सुनाते हुए कहा- “और तुरंत चलकर
मुझे उस हरे ग्रह की सारी जानकारी दो, जितनी तुम्हारे पास है।”

प्रीटेक्स के विचार एलान्का से मैच नहीं खा रहे थे, पर राजा का आदेश तो मानना ही था, इसलिये प्रीटेक्स चुप रहा और एलान्का को ले आकाशगंगा के रिकार्ड रुम की ओर बढ़ गया।


त्रिशक्ति:
(आज से 6,000 वर्ष पहले, उत्तर भारत के एक भयानक जंगल की गुफा)

जंगल में एक अजीब सा सन्नाटा बिखरा हुआ था, पर उस सन्नाटे का चीरती एक आवाज वातावरण में गूंज रही थी- “ऊँ नमः शि…य्...... ऊँ नमः..वा..य्....।”

ऐसे बियाबान जंगल की एक गुफा में, एक स्त्री महान देव के मंत्रों का जाप कर रही थी।

वैसे तो वह स्त्री बहुत सुंदर थी, पर वर्षों से जंगल में साधना करने की वजह से, उसके चेहरे के खूबसूरती थोड़ी मलिन हो गई थी।

उसके शरीर के निचले हिस्से में चींटियों ने अपनी बांबियां बना ली थीं, शरीर के ऊपरी हिस्से पर मकड़ियों ने जाले लगा लिये थे, पर उस स्त्री की साधना अनवरत् जारी थी।

आज उसे तपस्या करते हुए 10 वर्ष बीत चुके थे, इन बीते 10 वर्षों में उसने कुछ भी अन्न-जल ग्रहण नहीं किया था।

अब उस स्त्री के चेहरे के आसपास एक अजीब सा तेज आ चुका था।

उस स्त्री ने भारतीय वेषभूषा धारण करते हुए एक सफेद रंग की साड़ी पहन रखी थी।

आखिर उस स्त्री की कठिन तपस्या से देव खुश हो गये।

उस स्त्री के सम्मुख एक श्वेत प्रकाश सा जगमगाने लगा, उस श्वेत प्रकाश में देव का छाया शरीर भी था।

“मैं तुम्हारे कठोर तप से प्रसन्न हुआ पुत्री विद्युम्ना। अब तुम आँखें खोलकर मुझसे अपना इच्छित वर मांग सकती हो।”…देव की आवाज वातावरण में गूंजी।

महा.. की आवाज सुन विद्युम्ना ने अपनी आँखें खोल दीं।

देव को सामने देख विद्युम्ना ने हाथ जोड़कर प्रणाम किया और बोली- “हे देव मेरे पिता एक दैत्य हैं और मेरी माता एक मनुष्य। दोनों के बीच इतना बड़ा अंतर होने के बाद भी दोनों में बहुत प्रेम है, पर उनके प्रेम को ना तो कोई दैत्य समझ पाता है और ना ही कोई मनुष्य, उनके प्रेम को स्वीकार करता है। मैंने अपना पूरा बचपन इन्हीं संघर्षों के बीच गुजारा है। अतः मैंने दैत्यगुरु शुक्राचार्य से इसका समाधान मांगा, तो दैत्यगुरु शुक्राचार्य ने मुझे आपसे त्रिशक्ति का वरदान मांगने को कहा। उन्होंने कहा कि इसी त्रिशक्ति से मैं दैत्यों, राक्षसों और मनुष्यों के बीच संघर्ष विराम कर
सम्पूर्ण पृथ्वी पर संतुलन स्थापित कर सकती हूं। तो हे देव मुझे त्रिशक्ति प्रदान करें।”

“क्या तुम्हें पता भी है विद्युम्ना कि त्रिशक्ति क्या है?” देव ने विद्युम्ना से पूछा।

“हां देव, त्रिशक्ति, जल, बल और छल की शक्तियों से निर्मित एक त्रिसर्पमुखी दंड है, यह दंड जिसके पास रहता है, उसे कोई भी हरा नहीं सकता। इस सर्पदंड को छीना भी नहीं जा सकता और इसके पास रहते हुए इसके स्वामी को मारा भी नहीं जा सकता। मैं इसी महाशक्ति से इस समूची पृथ्वी पर संतुलन स्थापित करुंगी।” विद्युम्ना ने कहा।

“क्या शक्ति के प्रदर्शन से कभी पृथ्वी पर संतुलन स्थापित हो सकता है विद्युम्ना?” देव ने कहा- “या तुम ये समझती हो कि तुम स्वयं कभी पथ भ्रमित नहीं हो सकती?”

देव के शब्दों में एक सार छिपा था, जिसे विद्युम्ना ने एक क्षण में ही महसूस कर लिया।

“म…देव मैं आपके कथनों का अर्थ समझ गई।” विद्युम्ना ने हाथ जोड़कर कहा- “तो फिर मुझे ये भी आशीर्वाद दीजिये कि यदि भविष्य में मैं कभी पथभ्रमित हो भी गई, तो आपकी महाशक्ति के पंचभूत मुझे मार्ग दिखायेंगे।”

“तथास्तु।” देव, विद्युम्ना के कथन सुन मुस्कुरा उठे और विद्युम्ना को वरदान दे वहां से अंतर्ध्यान हो गये।

विद्युम्ना के हाथों में अब एक त्रिसर्पमुखी दंड था, जिसका ऊपरी सिरे पर 3 सर्पों के मुख बने थे।

विद्युम्ना ने वह सर्पदंड हवा में उठाकर, उसे गायब कर दिया और वापस जंगल से अपने घर की ओर चल दी।

देव के प्रभाव से विद्युम्ना के वस्त्र और शरीर साफ हो गये थे, अब वह फिर से बहुत सुंदर नजर आने लगी थी।

विद्युम्ना अब जंगल में आगे बढ़ रही थी कि तभी विद्युम्ना को जंगल में एक स्थान पर सफेद रंग का एक बहुत ही खूबसूरत मोर दिखाई दिया, जो कि अपने पंख फैलाकर एक स्थान पर नृत्य कर रहा था।

इतना खूबसूरत नजारा देखकर विद्युम्ना मंत्रमुग्ध हो कर उस दृश्य को देखने लगी।

विद्युम्ना झाड़ियों की ओट से इस दृश्य को निहार रही थी।

अभी तक उस मोर की निगाह विद्युम्ना पर नहीं पड़ी थी।

वह मोर ना जाने कितनी देर तक ऐसे ही नृत्य करता रहा, फिर अचानक उस मोर ने एक इंसानी शरीर धारण कर लिया।

अब वह मोर किसी देवता की भांति प्रतीत हो रहा था, परंतु उस मोर ने नृत्य अभी भी नहीं रोका था।

तभी आसमान से बारिश की नन्हीं बूंदें गिरने लगीं, अब वह इंसान उस बारिश के जल में पूरी तरह सराबोर हो गया था।

बारिश में सराबोर होने के बाद, शायद उस व्यक्ति की प्यास अब बुझ गई थी।

अब उसने नाचना बंद कर दिया और फिर एक दिशा की ओर जाने लगा।

यह देख विद्युम्ना ने भागकर उस व्यक्ति का रास्ता रोक लिया और बोली- “तुम तो देवताओं के समान नृत्य करते हो। हे मनुष्य तुम कौन हो?”

अचानक से सामने एक स्त्री को देख वह व्यक्ति पहले तो घबरा गया, फिर उसने ध्यान से विद्युम्ना के सौंदर्य को देखा और फिर बोल उठा-
“मैं मनुष्य नहीं, मैं राक्षस राज बाणकेतु हूं। मुझे प्रकृति और जीवों से बहुत लगाव है, इसलिये कभी-कभी मैं छिपकर इस जंगल में आता हूं और कुछ देर के लिये प्रकृति के इन रंगों और इस वातावरण में खो जाता हूं। पर आप कौन हो देवी? और आप इस भयानक जंगल में अकेले क्या कर रही हो?”

“अगर आप राक्षस हो, तो आप इतना सौंदर्यवान कैसे हो?” विद्युम्ना ने बाणकेतु के प्रश्न का उत्तर देने की जगह स्वयं उससे सवाल कर लिया।

“मैं एक मायावी राक्षस हूं, मैं कोई भी रुप धारण कर सकता हूं, असल में मैं ऐसा नहीं दिखता, यह रुप तो मैंने प्रकृति में खोने के लिये चुना था।” बाणकेतु ने कहा- “पर आप वास्तव में बहुत सुंदर हो। क्या मैं
आपका परिचय जान सकता हूं?”

“मेरा नाम विद्युम्ना है। मैं दैत्यराज इरवान की पुत्री हूं। मैं इस जंगल में तपस्या करने आयी थी।” विद्युम्ना ने कहा।

“क्या वरदान मांगा आपने देव से?” बाणकेतु ने विद्युम्ना से पूछा।

“मैंने मांगा कि कोई प्रकृति से प्रेम करने वाला, सुंदर सजीला नौजवान कल मेरे पिता के पास आकर मेरा हाथ मांगे और मुझसे विवाह कर मुझे अपने घर ले जाये।” विद्युम्ना ने यह शब्द मुस्कुरा कर कहे और
पलटकर वापस जंगल के दूसरी ओर चल दी।

विद्युम्ना के कुछ आगे बढ़ने के बाद विद्युम्ना के कानों में बाणकेतु की आवाज सुनाई दी- “मैं कल तुम्हारे पिता के पास तुम्हारा हाथ मांगने आ रहा हूं विद्युम्ना। मेरा इंतजार करना।”

यह सुन विद्युम्ना के चेहरे पर मुस्कान खिल गई, पर विद्युम्ना ने पीछे पलटकर नहीं देखा और आगे जाकर बाणकेतु की नजरों से ओझल हो गई।

अजीब प्रणय निवेदन था, पर जो भी हो बाणकेतु को विद्युम्ना भा गई थी।

बाणकेतु भी मुस्कुराकर अब एक दिशा की ओर चला दिया।


जारी रहेगा________✍️
Wonderful update brother! You are doing a great job, itna Maha....dev ki bhakti koi karega toh Maha....v apna trishul bhi usko de denge.
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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कहानी पूरी लिखनी पड़ेगी
चाहे 1000 अपडेट हो जायें
हम लिख रहे है, लेकिन आप गायब हो :beee:
 

dhalchandarun

[Death is the most beautiful thing.]
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#151.

चैपटर-3

रहस्यमय नेवला:
(तिलिस्मा 2.11)

सुयश सहित सभी अब तिलिस्मा के दूसरे द्वार पर खड़े थे।

दूसरे द्वार में सभी को एक बड़े से कमरे में 2 विशाल गोल क्षेत्र बने दिखाई दिये, जो कि आकार में लगभग 40 फुट व्यास के बने थे।

उन दोनों गोल क्षेत्रों के बीच 1-1 वर्गाकार पत्थर रखा था। एक पत्थर पर नेवले की मूर्ति और दूसरे पत्थर पर एक ऑक्टोपस की मूर्ति रखी थी।

नेवले की मूर्ति के आगे लगी नेम प्लेट पर 1 और ऑक्टोपस की मूर्ति के आगे लगी नेम प्लेट पर 2 लिखा था।

दोनों ही गोल क्षेत्रों की जमीन 1 वर्ग मीटर के संगमरमर के पत्थरों से बनी थी।

“नेवले की मूर्ति के नीचे 1 लिखा है, हमें पहले उस क्षेत्र में ही चलना होगा।” सुयश ने सभी की ओर देखते हुए कहा।

सभी ने सिर हिलाया और नेवले की मूर्ति के पास पहुंच गये। अब सभी संगमरमर के पत्थरों पर खड़े थे।

नेम प्लेट पर, जहां 1 नंबर लिखा था, उसके नीचे 2 लाइन की एक कविता भी लिखी थी-
“जीवनचक्र का है इक सार,
लगाओ परिक्रमा खोलो द्वार”

“इन पंक्तियों का क्या मतलब हुआ कैप्टेन?” जेनिथ ने सुयश की ओर देखते हुए पूछा- “यहां तो कोई भी द्वार नहीं है, यह नेवला हमें कौन से द्वार को खोलने की बात कर रहा है?”

सुयश ने जेनिथ की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह तेजी से कुछ सोच रहा था।

कुछ देर के बाद सुयश ने अपना पैर संगमरमर के पत्थरों से बाहर निकालने की कोशिश की, परंतु जैसे ही उसका पैर उस गोल क्षेत्र के बाहर निकला, उसे करंट का बहुत तेज झटका महसूस हुआ।

“अब हम इस संगमरमर के क्षेत्र से बाहर नहीं निकल सकते, अगर किसी ने कोशिश की तो उसे करंट का तेज झटका लगेगा।”

सुयश ने अब जेनिथ का उत्तर देते हुए कहा- “समझ गई जेनिथ? यानि कि अब हम इस नेवले की पहेली को सुलझाए बिना इस स्थान से बाहर नहीं जा सकते और कविता की पंक्तियां पढ़कर ऐसा लग रहा है कि हमें इस नेवले की मूर्ति का 1 चक्कर लगाना होगा।”

“पर नेवले की मूर्ति का चक्कर लगाना तो बहुत आसान कार्य है।” ऐलेक्स ने सुयश को देखते हुए कहा।

“ब्वॉयफ्रेंड जी, इस तिलिस्मा में कुछ भी आसान नहीं है।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से मजा लेते हुए कहा- “अवश्य ही इन बातों में कोई ना कोई पेंच है?”

“अच्छा जी, तो तुम्हीं बता दो कि क्या पेंच है, इन पंक्तियों में?” ऐलेक्स ने क्रिस्टी को देखकर हंसते हुए कहा।

“कैप्टेन क्या मैं नेवले का एक चक्कर लगा कर देखूं।” ऐलेक्स ने सुयश से इजाजत मांगते हुए कहा- “क्यों कि बिना कुछ किये तो हमें कुछ भी समझ में नहीं आयेगा?”

ऐलेक्स की बात में दम था, इसलिये सुयश ने ऐलेक्स को इजाजत दे दी। ऐलेक्स ने मूर्ति का एक चक्कर लगाना शुरु कर दिया।

सभी की नजरें ध्यान से वहां घटने वाली हर एक घटना पर थीं। पर जैसे ही ऐलेक्स का चक्कर पूरा हुआ, वह धड़ाम से जमीन पर गिर गया।

ऐलेक्स को ऐसा महसूस हुआ कि जैसे उसके पूरे बदन की शक्ति ही खत्म हो गई हो।

उसे गिरते देख सभी भागकर ऐलेक्स के पास आ गये।

“क्या हुआ ऐलेक्स? तुम ठीक तो हो ना?” क्रिस्टी ने घबराते हुए पूछा।

“ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे बदन की पूरी शक्ति खत्म हो गई है।” ऐलेक्स ने पड़े-पड़े ही जवाब दिया- “मैं सबकुछ देख और महसूस कर पा रहा हूं, बस उठ नहीं पा रहा।”

“इसका मतलब तुमने गलत तरीके से चक्कर लगाया है।” सुयश ने चारो ओर देखते हुए कहा- “हमें फिर से इन पंक्तियों का मतलब समझना पड़ेगा और तुम परेशान मत हो क्रिस्टी, मुझे पूरा विश्वास है कि जैसे ही हम इस द्वार की पहेली को सुलझा लेंगे, ऐलेक्स फिर से ठीक हो जायेगा। याद करो मैग्नार्क द्वार में ऐसा तौफीक के साथ भी हो गया था।”

सुयश के शब्द सुन, क्रिस्टी थोड़ा निश्चिंत हो गई।

“कैप्टेन, मुझे लगता है कि ऐलेक्स ने ‘एंटी क्लाक वाइज’ (घड़ी के चलने की विपरीत दिशा) चक्कर लगाया था और इन पंक्तियों में जीवनचक्र की बात की गई है। अब जीवनचक्र तो समय के हिसाब से ही चलता है, तो इसके हिसाब से एंटी क्लाक वाइज तो परिक्रमा लगाई ही नहीं जा सकती।” क्रिस्टी ने कहा।

“क्रिस्टी सहीं कह रही है, यह स्थान किसी मंदिर की भांति बना है और किसी भी मंदिर में एंटी क्लाक वाइज चक्कर नहीं लगाया जाता।” सुयश ने कहा।

“तो क्या मैं क्लाक वाइज चक्कर लगा कर देखूं, हो सकता है कि ऐसा करने से द्वार खुल जाये।” क्रिस्टी ने कहा।

सुयश ने क्रिस्टी की बात सुनकर एक बार फिर ध्यान से उन पंक्तियों को पढ़ा और फिर क्रिस्टी को चक्कर लगाने की इजाजत दे दी।

क्रिस्टी ने क्लाक वाइज चक्कर लगाना शुरु कर दिया, पर इस बार भी चक्कर के पूरा होते ही क्रिस्टी लहरा कर ऐलेक्स जैसी हालत में जमीन पर गिर गई।

“जमीन पर गिरने की आपको ढेरों बधाइयां गर्लफ्रेंड जी, हमारे परिवार में आपका स्वागत है।” ऐलेक्स ने ऐसी स्थिति में भी सबको हंसा दिया।

“मैं तो बस तुम्हारा साथ देने को आयी हूं, वरना मुझे जमीन पर गिरने का शौक नहीं।” क्रिस्टी ने मुंह बनाते हुए कहा।

“कैप्टेन अब हम 4 लोग ही बचे हैं, अब हमें बहुत सोच समझ कर निर्णय लेना होगा।” जेनिथ ने कहा।

“मुझे लगता है कि यहां पर जीवनचक्र की बात हो रही है, तो पहले हमें इस नेवले को जिंदा करना होगा, तभी हम इसका चक्कर लगा सकेंगे।” शैफाली ने काफी देर के बाद कुछ कहा।

अब सबकी निगाह फिर से उस पूरे क्षेत्र में दौड़ गई।

“वैसे शैफाली, तुम यह बताओ कि नेवले का प्रिय भोजन है क्या? इससे हमें कुछ ढूंढने में आसानी हो जायेगी।” जेनिथ ने शैफाली से पूछा।

“वैसे तो नेवला सर्वाहारी होता है, वह मांसाहार और शाकाहार दोनों ही करता है, पर जब भी नेवले की बात आती है, तो उसे सांप से लड़ने के लिये ही याद किया जाता है।” शैफाली ने जेनिथ से कहा- “पर यह जानने का कोई फायदा नहीं है जेनिथ दीदी...आप यहां आसपास देखिये, यहां पर कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे कि इस नेवले को जिंदा किया जा सके।”

तभी ऐलेक्स की आवाज ने सभी को चौंका दिया- “कैप्टेन जरा एक मिनट मेरे पास आइये।”

सुयश सहित सभी ऐलेक्स और क्रिस्टी के पास पहुंच गये- “कैप्टेन मेरे कानों में किसी चीज के रेंगने की आवाज सुनाई दे रही है और वह आवाज इस पत्थर से आ रही है, जिस पर यह नेवला बैठा हुआ है।“

ऐलेक्स की बात सुनकर सभी का ध्यान अब उस पत्थर की ओर चला गया। पत्थर में कहीं कोई छेद नहीं था।

तभी ऐलेक्स का ध्यान पत्थर के ऊपर लगी नेम प्लेट पर चला गया।

“तौफीक जरा अपना चाकू मुझे देना।” सुयश ने तौफीक से चाकू मांगा।

तौफीक ने अपनी जेब से चाकू निकालकर सुयश के हवाले कर दिया।

सुयश ने चाकू की नोंक से उस धातु के स्टीकर को पत्थर से निकाल दिया।

उस धातु के स्टीकर के पीछे एक गोल सुराख था, जैसे ही सुयश ने उस नेम प्लेट को पत्थर से निकाला, उस छेद से एक काले रंग का 5 फुट का नाग निकलकर बाहर आ गया।

सभी उस नाग को देखकर पीछे हट गए। वह नाग अब उस पत्थर पर चढ़कर नेवले के सामने जा पहुंचा।

जैसे ही नाग ने नेवले की आँखों में देखा, नेवला जीवित होकर नाग पर टूट पड़ा।

थोड़ी ही देर के बाद नेवले ने नाग के शरीर को काटकर उसे मार डाला। नाग के मरते ही उसका शरीर गायब हो गया।

अब पत्थर पर जिंदा नेवला बैठा था, जो कि इन लोगों को ही घूर रहा था।

“मेरे हिसाब से अब हमें इसका चक्कर लगाना होगा।” सुयश ने कहा।

“आप रुकिये कैप्टेन, इस बार मैं ट्राई करती हूं, आपका अभी सही रहना ज्यादा जरुरी है।” जेनिथ ने कहा।

“नहीं -नहीं...अब मुझे ही चक्कर लगाने दो। मेरे हिसाब से अब कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश यह कहकर क्लाक वाइज नेवले का चक्कर लगाने लगा।

पर सुयश जिस ओर भी जा रहा था, नेवला अपना चेहरा उस ओर कर ले रहा था। सुयश के 1 चक्कर पूरा करने के बाद भी कोई दरवाजा नहीं खुला।

“अब क्या परेशानी हो सकती है?” सुयश ने कहा।

“जेनिथ।” तभी नक्षत्रा ने जेनिथ को पुकारा।

“हां बोलो नक्षत्रा।” जेनिथ ने अपना ध्यान अपने दिमाग पर लगाते हुए कहा।

“सुयश को बताओ कि भौतिक विज्ञान का नियम यह कहता है कि किसी भी चीज का एक चक्कर तब पूर्ण माना जाता है जब कि चक्कर लगाने वाला या फिर जिसके परितः वह चक्कर लगा रहा है, दोनों में से
कोई एक स्थिर रहे। यहां जब भी सुयश नेवले का चक्कर लगा रहा है, वह अपना चेहरा सुयश की ओर कर ले रहा है, ऐसे में यह चक्कर पूर्ण नहीं माना जायेगा। साधारण शब्दों में सुयश को नेवले का चक्कर लगाने के लिये उसकी पीठ देखनी होगी।”

नक्षत्रा ने भौतिक विज्ञान का एक जटिल नियम आसान शब्दों में जेनिथ को समझाया, पर जेनिथ के लिये विज्ञान किसी भैंस के समान ही था, उसे नक्षत्रा की आधी बातें समझ ही नहीं आयीं।

इसलिये जेनिथ ने सुयश को सिर्फ इतना कहा- “कैप्टेन, नक्षत्रा कह रहा है कि आपको नेवले का चक्कर पूरा करने के लिये नेवले की पीठ देखनी होगी।”

सुयश नक्षत्रा की कही बात को समझ गया।

अब सुयश ने चलने की जगह दौड़कर नेवले का चक्कर लगाया, परंतु नेवले ने अपनी गति को सुयश के समान कर लिया।

“यह तो मुसीबत है।” सुयश ने कहा- “मैं अपनी गति में जितना भी परिवर्तन करुंगा, यह नेवला भी उसी गति में अपना चेहरा मेरे सामने कर ले रहा है, इस तरह तो कभी भी इसका एक चक्कर पूरा नहीं होगा।”

कुछ देर सोचने के बाद सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “तौफीक तुम भी आ जाओ, अब मैं थोड़ा तेज चक्कर लगाऊंगा, नेवले का चेहरा हमेशा मेरे सामने ही रहेगा, तुम भी इस पत्थर के चारो ओर धीमे-धीमे चक्कर लगाओ, इस प्रकार मेरा नहीं, बल्कि नेवले के चारो ओर तुम्हारा 1 चक्कर पूरा हो जायेगा और यह द्वार पार हो जायेगा।”

आइडिया बुरा नहीं था। सभी को अब इस द्वार के पार होने की पूरी उम्मीद हो गई थी।

परंतु जैसे ही तौफीक ने परिक्रमा स्थल पर अपना कदम रखा, नेवले ने घूरकर तौफीक को देखा।

नेवले के घूरते ही नेवले के शरीर से एक और नेवला निकलकर उस पत्थर पर दिखाई देने लगा।

अब एक का चेहरा सुयश की ओर था और दूसरे का चेहरा तौफीक की ओर था।

“बेड़ा गर्क।” शैफाली ने अपना सिर पीटते हुए कहा- “कुछ और सोचिये कैप्टेन अंकल, हम तिलिस्मा से बेइमानी नहीं कर सकते।”

सुयश अब फिर से सोच में पड़ गया।

काफी देर तक सोचने के बाद सुयश के दिमाग में एक और प्लान आया।

“तौफीक, हममें से एक को एंटी क्लाक वाइज और दूसरे को क्लाक वाइज चक्कर लगाना होगा, इस प्रकार से हममें से दोनों ही एक-एक नेवले का चक्कर पूरा कर लेंगे। अब परेशानी यह है कि जो भी एंटी क्लाक वाइज चक्कर लगायेगा, उसका हाल भी ऐलेक्स और क्रिस्टी जैसा हो जायेगा, परंतु उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यों कि तब तक तो यह द्वार भी पार हो जायेगा।” सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा।

तौफीक ने जरा देर तक सुयश का प्लान समझा और फिर मुस्कुरा कर तैयार हो गया।

अब सुयश क्लाक वाइज और तौफीक एंटी क्लाक वाइज चक्कर लगाने लगा।

जैसे ही दोनों का 1 चक्कर पूरा हुआ, वह नेवला वहां से गायब हो गया और ऐलेक्स व क्रिस्टी भी ठीक हो कर खड़े हो गये।

जेनिथ ने संगमरमर के क्षेत्र से अपना हाथ बाहर निकाल कर देखा, अब वहां कोई करंट उपस्थित नहीं था।

यह देख सभी ऑक्टोपस की मूर्ति की ओर चल दिये।



जारी रहेगा_______✍️
Abhi bhi ye padav paar nahi hua hai brother! Let's see aage aapne kya soch rakha hai??? Ya Taufiq aur Suyash ka iss tarah se ek round complete karna kuchh ajeeb tha, dono ne milkar Kai-keshwar ko murkh hi babaya hai jo khud ko god samajh raha hai. Wonderful update brother.
 
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