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Agla kadam octopusHamesha ki tarah lajawab update..... 1 नेवला तो पार कर लिया. अब अगला कदम की और देखते हैं क्या मुसीबत आती हैं सामने
Superb update and nice story#151.
चैपटर-3
रहस्यमय नेवला: (तिलिस्मा 2.11)
सुयश सहित सभी अब तिलिस्मा के दूसरे द्वार पर खड़े थे।
दूसरे द्वार में सभी को एक बड़े से कमरे में 2 विशाल गोल क्षेत्र बने दिखाई दिये, जो कि आकार में लगभग 40 फुट व्यास के बने थे।
उन दोनों गोल क्षेत्रों के बीच 1-1 वर्गाकार पत्थर रखा था। एक पत्थर पर नेवले की मूर्ति और दूसरे पत्थर पर एक ऑक्टोपस की मूर्ति रखी थी।
नेवले की मूर्ति के आगे लगी नेम प्लेट पर 1 और ऑक्टोपस की मूर्ति के आगे लगी नेम प्लेट पर 2 लिखा था।
दोनों ही गोल क्षेत्रों की जमीन 1 वर्ग मीटर के संगमरमर के पत्थरों से बनी थी।
“नेवले की मूर्ति के नीचे 1 लिखा है, हमें पहले उस क्षेत्र में ही चलना होगा।” सुयश ने सभी की ओर देखते हुए कहा।
सभी ने सिर हिलाया और नेवले की मूर्ति के पास पहुंच गये। अब सभी संगमरमर के पत्थरों पर खड़े थे।
नेम प्लेट पर, जहां 1 नंबर लिखा था, उसके नीचे 2 लाइन की एक कविता भी लिखी थी-
“जीवनचक्र का है इक सार,
लगाओ परिक्रमा खोलो द्वार”
“इन पंक्तियों का क्या मतलब हुआ कैप्टेन?” जेनिथ ने सुयश की ओर देखते हुए पूछा- “यहां तो कोई भी द्वार नहीं है, यह नेवला हमें कौन से द्वार को खोलने की बात कर रहा है?”
सुयश ने जेनिथ की बात का कोई जवाब नहीं दिया। वह तेजी से कुछ सोच रहा था।
कुछ देर के बाद सुयश ने अपना पैर संगमरमर के पत्थरों से बाहर निकालने की कोशिश की, परंतु जैसे ही उसका पैर उस गोल क्षेत्र के बाहर निकला, उसे करंट का बहुत तेज झटका महसूस हुआ।
“अब हम इस संगमरमर के क्षेत्र से बाहर नहीं निकल सकते, अगर किसी ने कोशिश की तो उसे करंट का तेज झटका लगेगा।”
सुयश ने अब जेनिथ का उत्तर देते हुए कहा- “समझ गई जेनिथ? यानि कि अब हम इस नेवले की पहेली को सुलझाए बिना इस स्थान से बाहर नहीं जा सकते और कविता की पंक्तियां पढ़कर ऐसा लग रहा है कि हमें इस नेवले की मूर्ति का 1 चक्कर लगाना होगा।”
“पर नेवले की मूर्ति का चक्कर लगाना तो बहुत आसान कार्य है।” ऐलेक्स ने सुयश को देखते हुए कहा।
“ब्वॉयफ्रेंड जी, इस तिलिस्मा में कुछ भी आसान नहीं है।” क्रिस्टी ने ऐलेक्स से मजा लेते हुए कहा- “अवश्य ही इन बातों में कोई ना कोई पेंच है?”
“अच्छा जी, तो तुम्हीं बता दो कि क्या पेंच है, इन पंक्तियों में?” ऐलेक्स ने क्रिस्टी को देखकर हंसते हुए कहा।
“कैप्टेन क्या मैं नेवले का एक चक्कर लगा कर देखूं।” ऐलेक्स ने सुयश से इजाजत मांगते हुए कहा- “क्यों कि बिना कुछ किये तो हमें कुछ भी समझ में नहीं आयेगा?”
ऐलेक्स की बात में दम था, इसलिये सुयश ने ऐलेक्स को इजाजत दे दी। ऐलेक्स ने मूर्ति का एक चक्कर लगाना शुरु कर दिया।
सभी की नजरें ध्यान से वहां घटने वाली हर एक घटना पर थीं। पर जैसे ही ऐलेक्स का चक्कर पूरा हुआ, वह धड़ाम से जमीन पर गिर गया।
ऐलेक्स को ऐसा महसूस हुआ कि जैसे उसके पूरे बदन की शक्ति ही खत्म हो गई हो।
उसे गिरते देख सभी भागकर ऐलेक्स के पास आ गये।
“क्या हुआ ऐलेक्स? तुम ठीक तो हो ना?” क्रिस्टी ने घबराते हुए पूछा।
“ऐसा लग रहा है कि जैसे मेरे बदन की पूरी शक्ति खत्म हो गई है।” ऐलेक्स ने पड़े-पड़े ही जवाब दिया- “मैं सबकुछ देख और महसूस कर पा रहा हूं, बस उठ नहीं पा रहा।”
“इसका मतलब तुमने गलत तरीके से चक्कर लगाया है।” सुयश ने चारो ओर देखते हुए कहा- “हमें फिर से इन पंक्तियों का मतलब समझना पड़ेगा और तुम परेशान मत हो क्रिस्टी, मुझे पूरा विश्वास है कि जैसे ही हम इस द्वार की पहेली को सुलझा लेंगे, ऐलेक्स फिर से ठीक हो जायेगा। याद करो मैग्नार्क द्वार में ऐसा तौफीक के साथ भी हो गया था।”
सुयश के शब्द सुन, क्रिस्टी थोड़ा निश्चिंत हो गई।
“कैप्टेन, मुझे लगता है कि ऐलेक्स ने ‘एंटी क्लाक वाइज’ (घड़ी के चलने की विपरीत दिशा) चक्कर लगाया था और इन पंक्तियों में जीवनचक्र की बात की गई है। अब जीवनचक्र तो समय के हिसाब से ही चलता है, तो इसके हिसाब से एंटी क्लाक वाइज तो परिक्रमा लगाई ही नहीं जा सकती।” क्रिस्टी ने कहा।
“क्रिस्टी सहीं कह रही है, यह स्थान किसी मंदिर की भांति बना है और किसी भी मंदिर में एंटी क्लाक वाइज चक्कर नहीं लगाया जाता।” सुयश ने कहा।
“तो क्या मैं क्लाक वाइज चक्कर लगा कर देखूं, हो सकता है कि ऐसा करने से द्वार खुल जाये।” क्रिस्टी ने कहा।
सुयश ने क्रिस्टी की बात सुनकर एक बार फिर ध्यान से उन पंक्तियों को पढ़ा और फिर क्रिस्टी को चक्कर लगाने की इजाजत दे दी।
क्रिस्टी ने क्लाक वाइज चक्कर लगाना शुरु कर दिया, पर इस बार भी चक्कर के पूरा होते ही क्रिस्टी लहरा कर ऐलेक्स जैसी हालत में जमीन पर गिर गई।
“जमीन पर गिरने की आपको ढेरों बधाइयां गर्लफ्रेंड जी, हमारे परिवार में आपका स्वागत है।” ऐलेक्स ने ऐसी स्थिति में भी सबको हंसा दिया।
“मैं तो बस तुम्हारा साथ देने को आयी हूं, वरना मुझे जमीन पर गिरने का शौक नहीं।” क्रिस्टी ने मुंह बनाते हुए कहा।
“कैप्टेन अब हम 4 लोग ही बचे हैं, अब हमें बहुत सोच समझ कर निर्णय लेना होगा।” जेनिथ ने कहा।
“मुझे लगता है कि यहां पर जीवनचक्र की बात हो रही है, तो पहले हमें इस नेवले को जिंदा करना होगा, तभी हम इसका चक्कर लगा सकेंगे।” शैफाली ने काफी देर के बाद कुछ कहा।
अब सबकी निगाह फिर से उस पूरे क्षेत्र में दौड़ गई।
“वैसे शैफाली, तुम यह बताओ कि नेवले का प्रिय भोजन है क्या? इससे हमें कुछ ढूंढने में आसानी हो जायेगी।” जेनिथ ने शैफाली से पूछा।
“वैसे तो नेवला सर्वाहारी होता है, वह मांसाहार और शाकाहार दोनों ही करता है, पर जब भी नेवले की बात आती है, तो उसे सांप से लड़ने के लिये ही याद किया जाता है।” शैफाली ने जेनिथ से कहा- “पर यह जानने का कोई फायदा नहीं है जेनिथ दीदी...आप यहां आसपास देखिये, यहां पर कुछ भी ऐसा नहीं है, जिससे कि इस नेवले को जिंदा किया जा सके।”
तभी ऐलेक्स की आवाज ने सभी को चौंका दिया- “कैप्टेन जरा एक मिनट मेरे पास आइये।”
सुयश सहित सभी ऐलेक्स और क्रिस्टी के पास पहुंच गये- “कैप्टेन मेरे कानों में किसी चीज के रेंगने की आवाज सुनाई दे रही है और वह आवाज इस पत्थर से आ रही है, जिस पर यह नेवला बैठा हुआ है।“
ऐलेक्स की बात सुनकर सभी का ध्यान अब उस पत्थर की ओर चला गया। पत्थर में कहीं कोई छेद नहीं था।
तभी ऐलेक्स का ध्यान पत्थर के ऊपर लगी नेम प्लेट पर चला गया।
“तौफीक जरा अपना चाकू मुझे देना।” सुयश ने तौफीक से चाकू मांगा।
तौफीक ने अपनी जेब से चाकू निकालकर सुयश के हवाले कर दिया।
सुयश ने चाकू की नोंक से उस धातु के स्टीकर को पत्थर से निकाल दिया।
उस धातु के स्टीकर के पीछे एक गोल सुराख था, जैसे ही सुयश ने उस नेम प्लेट को पत्थर से निकाला, उस छेद से एक काले रंग का 5 फुट का नाग निकलकर बाहर आ गया।
सभी उस नाग को देखकर पीछे हट गए। वह नाग अब उस पत्थर पर चढ़कर नेवले के सामने जा पहुंचा।
जैसे ही नाग ने नेवले की आँखों में देखा, नेवला जीवित होकर नाग पर टूट पड़ा।
थोड़ी ही देर के बाद नेवले ने नाग के शरीर को काटकर उसे मार डाला। नाग के मरते ही उसका शरीर गायब हो गया।
अब पत्थर पर जिंदा नेवला बैठा था, जो कि इन लोगों को ही घूर रहा था।
“मेरे हिसाब से अब हमें इसका चक्कर लगाना होगा।” सुयश ने कहा।
“आप रुकिये कैप्टेन, इस बार मैं ट्राई करती हूं, आपका अभी सही रहना ज्यादा जरुरी है।” जेनिथ ने कहा।
“नहीं -नहीं...अब मुझे ही चक्कर लगाने दो। मेरे हिसाब से अब कोई परेशानी नहीं होगी।” सुयश यह कहकर क्लाक वाइज नेवले का चक्कर लगाने लगा।
पर सुयश जिस ओर भी जा रहा था, नेवला अपना चेहरा उस ओर कर ले रहा था। सुयश के 1 चक्कर पूरा करने के बाद भी कोई दरवाजा नहीं खुला।
“अब क्या परेशानी हो सकती है?” सुयश ने कहा।
“जेनिथ।” तभी नक्षत्रा ने जेनिथ को पुकारा।
“हां बोलो नक्षत्रा।” जेनिथ ने अपना ध्यान अपने दिमाग पर लगाते हुए कहा।
“सुयश को बताओ कि भौतिक विज्ञान का नियम यह कहता है कि किसी भी चीज का एक चक्कर तब पूर्ण माना जाता है जब कि चक्कर लगाने वाला या फिर जिसके परितः वह चक्कर लगा रहा है, दोनों में से
कोई एक स्थिर रहे। यहां जब भी सुयश नेवले का चक्कर लगा रहा है, वह अपना चेहरा सुयश की ओर कर ले रहा है, ऐसे में यह चक्कर पूर्ण नहीं माना जायेगा। साधारण शब्दों में सुयश को नेवले का चक्कर लगाने के लिये उसकी पीठ देखनी होगी।”
नक्षत्रा ने भौतिक विज्ञान का एक जटिल नियम आसान शब्दों में जेनिथ को समझाया, पर जेनिथ के लिये विज्ञान किसी भैंस के समान ही था, उसे नक्षत्रा की आधी बातें समझ ही नहीं आयीं।
इसलिये जेनिथ ने सुयश को सिर्फ इतना कहा- “कैप्टेन, नक्षत्रा कह रहा है कि आपको नेवले का चक्कर पूरा करने के लिये नेवले की पीठ देखनी होगी।”
सुयश नक्षत्रा की कही बात को समझ गया।
अब सुयश ने चलने की जगह दौड़कर नेवले का चक्कर लगाया, परंतु नेवले ने अपनी गति को सुयश के समान कर लिया।
“यह तो मुसीबत है।” सुयश ने कहा- “मैं अपनी गति में जितना भी परिवर्तन करुंगा, यह नेवला भी उसी गति में अपना चेहरा मेरे सामने कर ले रहा है, इस तरह तो कभी भी इसका एक चक्कर पूरा नहीं होगा।”
कुछ देर सोचने के बाद सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा- “तौफीक तुम भी आ जाओ, अब मैं थोड़ा तेज चक्कर लगाऊंगा, नेवले का चेहरा हमेशा मेरे सामने ही रहेगा, तुम भी इस पत्थर के चारो ओर धीमे-धीमे चक्कर लगाओ, इस प्रकार मेरा नहीं, बल्कि नेवले के चारो ओर तुम्हारा 1 चक्कर पूरा हो जायेगा और यह द्वार पार हो जायेगा।”
आइडिया बुरा नहीं था। सभी को अब इस द्वार के पार होने की पूरी उम्मीद हो गई थी।
परंतु जैसे ही तौफीक ने परिक्रमा स्थल पर अपना कदम रखा, नेवले ने घूरकर तौफीक को देखा।
नेवले के घूरते ही नेवले के शरीर से एक और नेवला निकलकर उस पत्थर पर दिखाई देने लगा।
अब एक का चेहरा सुयश की ओर था और दूसरे का चेहरा तौफीक की ओर था।
“बेड़ा गर्क।” शैफाली ने अपना सिर पीटते हुए कहा- “कुछ और सोचिये कैप्टेन अंकल, हम तिलिस्मा से बेइमानी नहीं कर सकते।”
सुयश अब फिर से सोच में पड़ गया।
काफी देर तक सोचने के बाद सुयश के दिमाग में एक और प्लान आया।
“तौफीक, हममें से एक को एंटी क्लाक वाइज और दूसरे को क्लाक वाइज चक्कर लगाना होगा, इस प्रकार से हममें से दोनों ही एक-एक नेवले का चक्कर पूरा कर लेंगे। अब परेशानी यह है कि जो भी एंटी क्लाक वाइज चक्कर लगायेगा, उसका हाल भी ऐलेक्स और क्रिस्टी जैसा हो जायेगा, परंतु उससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा क्यों कि तब तक तो यह द्वार भी पार हो जायेगा।” सुयश ने तौफीक की ओर देखते हुए कहा।
तौफीक ने जरा देर तक सुयश का प्लान समझा और फिर मुस्कुरा कर तैयार हो गया।
अब सुयश क्लाक वाइज और तौफीक एंटी क्लाक वाइज चक्कर लगाने लगा।
जैसे ही दोनों का 1 चक्कर पूरा हुआ, वह नेवला वहां से गायब हो गया और ऐलेक्स व क्रिस्टी भी ठीक हो कर खड़े हो गये।
जेनिथ ने संगमरमर के क्षेत्र से अपना हाथ बाहर निकाल कर देखा, अब वहां कोई करंट उपस्थित नहीं था।
यह देख सभी ऑक्टोपस की मूर्ति की ओर चल दिये।
जारी रहेगा_______![]()
Thanks for your valuable review and supportSuperb update and nice story