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Dhanyawaad mitraबहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया

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Dhanyawaad mitraबहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
Auto correct फीचर का कारनामा है येकारनामा तो उसी का हैपर वो युगांडा नहीं युगाका है
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#80.
समय- यात्रा का रहस्य: (8 जनवरी 2002, मंगलवार, 19:15, मायावन, अराका)
सभी सिंहासन के इर्द- गिर्द बैठे थे। सबकी निगाहें सिंहासन पर पड़े सुयश के शरीर पर थी।
ऐमू भी दुखी निगाहों से सुयश की ओर देख रहा था।
तभी सभी को सुयश की कराह सुनाई दी।
भागकर सभी ने सुयश को घेर लिया। और फ़िर दूसरी कराह के साथ सुयश ने अपनी आँखे खोल दी।
“कैप्टन। आप ठीक तो हैं ना?" अल्बर्ट ने सुयश से पूछा।
सुयश ने एक नजर वहां बैठे सभी लोगो पर डाली और फ़िर धीरे से अपना सिर हिलाकर हामी भरी।
सुयश को स्वस्थ देखकर सबकी जान में जान आयी।
शैफाली ने सुयश को एक पानी की बोतल पकड़ा दी। सुयश ने एक ही साँस में पूरी बोतल खाली कर दी। अब वह थोड़ा चैतन्य नजर आने लगा।
सुयश को अपना पूरा बदन टूटता हुआ सा महसूस हो रहा था।
तभी सुयश की निगाह वहां बैठे ऐमू पर पड़ी।
सुयश ने प्यार से ऐमू को अपने हाथों में उठा लिया- “अब तुम्हारा दोस्त तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जायेगा। तुम ऐमू और मैं ऐमू का दोस्त।"
ऐमू यह सुनकर बहुत खुश हो गया, वह फ़िर अपने पंख फैलाकर जोर-जोर से बोलने लगा- “दोस्त आ गया .... दोस्त आ गया ... ऐमू का दोस्त आ गया।"
“आकी कैसी है?" सुयश ने ऐमू से पूछा।
“आकी अच्छी है ... आरू भी अच्छा है.... और ऐमू भी अच्छा है।" ऐमू ने कहा।
सुयश समझ गया कि ऐमू आकृति को ‘आकी’ और आर्यन को ‘आरू’ कह रहा था।
फ़िर कुछ सोच कर सुयश ने ऐमू से पूछा-“और शलाका कैसी है?"
शलाका का नाम सुनकर एक पल के लिये ऐमू कुछ नहीं बोला और थोड़ा बेचैन नजर आने लगा।
सुयश समझ गया कि ऐमू शलाका के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता।
सुयश अब सिंहासन से उतर कर सभी लोगो के पास आ गया। तभी एक गड़गड़ाहट के साथ सिंहासन वापस जमीन में समा गया और उस जगह की जमीन वापस बराबर हो गयी।
अब उस स्थान को देखकर महसूस ही नहीं हो रहा था कि कुछ देर पहले वहां पर जमीन से कोई सिंहासन भी निकला था।
उधर किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अचानक से सुयश ऐमू से क्यों बात करने लगा।
जब आख़िरकार ब्रेंडन से ना रहा गया तो वह बोल उठा- “कैप्टन, आपको सिंहासन पर बैठते ही क्या हो गया था?"
सुयश ने वहां बैठे सभी लोगो पर नजर डाली और शुरू से अंत तक की सारी कहानी, सभी को सुना दी।
पूरी कहानी सुनकर सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।
“कैप्टन, यहां पर तो आपका शरीर बिल्कुल निर्जीव हो गया था।" असलम ने कहा- “हमें तो लगा कि शायद आप इस दुनियां में नहीं रहे। यह तो शैफाली ने हमें आपके जीवित होने के बारे में बताया।"
“तो मैं इस दुनियां में वैसे भी कहां था? मुझे लगता है कि यह किसी तरीके का ‘टाइम-स्लीप’ या ‘समय यात्रा’ थी। जिसमें मैंने अनगिनत आश्चर्यजनक चीजे देखी।" सुयश ने कहा।
“कैप्टन, आपने तो बहुत लंबी कहानी सुना दी।" तौफीक ने सुयश से कहा-
“आपने उस समय यात्रा में कुल कितना समय बिताया?"
“मैं वहां पर लगभग 4 घंटे के आसपास रहा था।" सुयश ने तौफीक से कहा।
“पर कैप्टन, यहां पर तो आप बस 10 मिनट ही निर्जीव रहे हैं।"
एलेक्स ने कहा- “10 मिनट में आप 4 घंटे की यात्रा कैसे कर सकते हैं?“
“शायद समय यात्रा में समय बहुत तेज चलता हो।" अल्बर्ट ने कहा।
“इस कहानी को सुनने के बाद अब इस द्वीप पर, किसी भी चीज पर आश्चर्य व्यक्त करने का कोई मतलब नहीं बनता।"
क्रिस्टी ने कहा- “हम तो इस बहुत ही साधारण सा द्वीप समझ रहे थे, पर यहां तो एक के बाद एक रहस्य खुलते ही जा रहे हैं।"
“तो क्या यह द्वीप कैप्टन के पूर्वजन्म से संबंध रखता है?" जेनिथ ने उलझे-उलझे स्वर में पूछा।
“कैप्टन क्या आप बता सकते हैं? कि जिस समय में आपने समय- यात्रा की, उसका समय काल क्या था? मेरा मतलब कि वह किस सदी का समय दिख रहा था। आप अंदाजे से कुछ बता सकते हैं क्या?" अल्बर्ट ने जेनिथ के सवाल को काटकर एक नया प्रश्न सुयश से पूछ लिया।
“मुझे कहीं भी लिखा हुआ तो कुछ दिखाई नहीं दिया, पर देखने से वह समय काल हजारों साल पुराना लग रहा था।" सुयश ने कहा।
“पर कैप्टन, अगर आपने उस समय काल में ऐमू को भी देखा था तो ज़्यादा से ज़्यादा उस समय काल को 20 वर्ष से ज़्यादा पुराना नहीं होना चाहिए क्यों कि एक तोते की आयु लगभग 20 वर्ष की ही होती है।" असलम ने कहा।
“पर मेरी आयु तो इस समय 34 वर्ष की है।" सुयश ने दिमाग लगाते हुए कहा-“फ़िर यह मेरे पूर्वजन्म की घटना कैसे हो सकती है?"
“कहीं जिस ब्रह्मकलश का जिक्र शलाका से आपने किया था, वह आपको उस जन्म में प्राप्त तो नहीं हो गया था?" जेनिथ ने कहा।
“ऐसा कैसे संभव है अगर वह ब्रह्म-कलश मुझे पूर्व जन्म में प्राप्त हो जाता तो मेरा दूसरा जन्म कैसे संभव होता? क्यों की मैं तो तब अमर हो चुका होता।" सुयश के शब्दो में गहरी चिंता के भाव थे।
“यह भी तो हो सकता है कि यह आपके पूर्व जन्म की घटना ना हो और आर्यन कोई और इंसान हो?" ब्रेंडन ने कहा।
आर्यन के दूसरा इंसान होने की बात सुन, शलाका को याद कर सुयश का दिल बैठ गया, पर तुरंत ही एक ख़याल आते ही वह बोल उठा-
“अगर आर्यन दूसरा इंसान होता तो यह सिंहासन मुझे आर्यन के समयकाल में क्यों ले जाता? और फिर मुझे चलते हुए एक हवा में आवाज भी सुनाई दी थी, जिसमें मुझे आर्यन पुकारा गया था। और .... और वह शलाका की मूर्ति से मेरे टैटू को ही शक्तियाँ क्यों मिली? और मेरा टैटू यहां की दीवारों पर कैसे अंकित है?"
सुयश की बात तो सही थी, इसिलये थोड़ी देर तक कोई कुछ ना बोला।
फिलहाल वहां और कुछ खतरनाक नहीं था इसिलये सभी वापस खण्डहरों में रुकने के लिए जगह ढूंढने लगे।
“खंडहर के कुछ भागो की छत अभी भी सही है। हमें यहीं कहीं अपना डेरा डाल लेना चाहिए।" अल्बर्ट ने कहा।
“वो जगह सही रहेगी।" सुयश एक ओर इशारा करते हुए बोला-“वह जगह तीन तरफ से घिरी है, वहां पर खतरा कम रहेगा।" कहकर सुयश उस स्थान पर आकर खड़ा हो गया।
कुछ लोगो ने पेड़ की टहनियो से झाड़ू बनाकर उस स्थान को साफ कर लिया।
“कैप्टन, आपकी कहानी में ब्रह्मकलश का जिक्र आया, आपको क्या लगता है कि इस दुनियां में कोई ऐसी चीज हो सकती है जो किसी भी इंसान को अमरत्व प्रदान कर सकती हो।" तौफीक ने सुयश से पूछा।
पर इससे पहले कि सुयश इस बात का कोई जवाब दे पाता, बीच में ही अल्बर्ट बोल उठा-
“मिस्टर तौफीक, आपके प्रश्न का मैं 2 तरह से जवाब देना चाहूँगा। कई भाषाओँ के धर्मग्रन्थो में अलग- अलग नामो से अमृत का जिक्र किया गया है, जिसे पीने के बाद इंसान हर प्रकार के रोग से मुक्त होकर अमर हो जाता है।
पर अगर यही सवाल का जवाब मैं आपको विज्ञान के तरीके से समझाऊं तो आप ये समझ ले कि अभी जरूर हमने अमृत जैसे किसी तत्व का आविष्कार नहीं किया है, पर हम 200 वर्ष के अंदर ऐसी दवा का आविष्कार अवश्य कर लेंगे, जिसे पीने के बाद हम सभी रोगो से मुक्त होकर अमर हो जाएंगे।
पर यह ध्यान रहे कि हम रोगो से मुक्त हो जाएंगे और बीमारी से नहीं मरेंगे, पर किसी भी प्रकार की दुर्घटना हमारी जान ले सकेगी। वैसे दुनियां में अभी भी ऐसे कई वैज्ञानिक हैं जो इंसान के शरीर के अंग कटने के बाद, उसके दोबारा उग सकने वाले विषय पर भी शोध कर रहे हैं।"
“वैसे कुछ भी कहिये कैप्टन, आपका वेदालय बहुत ही शानदार विद्या का केन्द्र लग रहा है, सुनकर ही मजा आ गया।" शैफाली ने अपने विचारो को व्यक्त करते हुए कहा- “काश मैं भी उसमें पढ़ सकती।"
“मुझे तो लगता है कि तुम वेदालय से भी खतरनाक विद्यालय में पढ़ी हो।" जॉनी ने शैफाली को घूरते हुए कहा- “क्यों की तुमसे ज़्यादा रहस्यमयी हमारे बीच कोई नहीं है?"
शैफाली ने जॉनी को घूरकर देखा, पर कुछ कहा नहीं।
“कैप्टन आप ने इतने सारे लोक के नाम बताए, पर आप गये केवल देवलोक में ही थे, आपको क्या लगता है कि इतने सारे लोक क्या हो सकते है?" एलेक्स ने पूछा।
“पता नहीं। पर मुझे लगता है कि यह सारे लोकों के नाम शायद वहां उपस्थित राज्यो के नाम है या फिर
प्रतियोगिता के लिये कृत्रिम बनाए गये कुछ स्थान हैं, जिसको प्रतियोगिता के हिसाब से डिजाइन किया जाता हो? पर जो भी है, वह स्थान बहुत ही अद्भुत था।"
“वैसे प्रोफेसर।" जेनिथ ने अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा- “आपका इस सिंहासन के बारे में क्या ख्याल है? क्या ये समय यात्रा कराने वाली कोई प्राचीन मशीन है?"
“अभी तक तो समय यात्रा हम वैज्ञानिको के लिये एक सपना ही है, पर मुझे लगता है कि पहले का विज्ञान आज के विज्ञान से बहुत ज़्यादा विकसित था, इसिलये यह सिंहासन एक समय यात्रा की मशीन हो भी सकती है।" अल्बर्ट ने कहा- “लेकिन मुझे यह नहीं पता कि इस सिंहासन रूपी मशीन में टाइम कैसे सेट करते होंगे?"
“मेरे हिसाब से रात काफ़ी हो चुकी है इसिलये अब हमें सोना चाहिए।" सुयश ने थके अंदाज में अंगड़ाई लेते हुए कहा।
वैसे भी अब सभी के पास सवाल ख़तम हो गये थे। इसिलये सभी सोने की तैयारियां करने लगे।
जो कुछ भी उनके पास था, वह खा-पीकर वो लोग वहीं जमीन पर सो गये।
जारी रहेगा_______![]()
#81.
डर की रात :
(9 जनवरी 2002, बुधवार, 03:15, मायावन, अराका)
दिन भर का सफर और थकान की वजह से सभी बहुत गहरी नींद में थे।
इस समय युगाका की नजर वहां लेटे हुए ब्रेंडन पर थी। उसने वहीं जमीन पर पड़ी हुई थोड़ी सी मिट्टी उठाई और कुछ बुदबुदाते हुये उस मिट्टी को फूंक मारकर हवा में उड़ा दिया।
अब ब्रेंडन के कुछ दूरी पर उगे एक पौधे में हल्की सी हरकत हुई और वह लंबी होकर ब्रेंडन के सिर के पास पहुंच गयी।
पौधे ने ब्रेंडन के बालो पर कुछ किया और फ़िर छोटी होकर वापस अपनी जगह पर पहुंच गयी।
सोते हुए ब्रेंडन को तभी एक खटके की आवाज सुनाई दी। आवाज को सुनकर ब्रेंडन जग गया।
उसने उठकर अपने आसपास नजर मारी। आसपास नजर मारते ही उसके रोंगटे खड़े हो गये।
वह बिल्कुल अकेला सोया था। उसके आसपास इस समय कोई नहीं था।
“यह सारे लोग कहां चले गये? उन्होने जाते समय मुझे जगाया क्यों नहीं?“ ब्रेंडन मन ही मन बुदबुदाया।
अब वह उठकर खड़ा हो गया। वह हैरान था कि सारे लोग इतनी रात कहां चले गये? धीरे-धीरे उस पर घबराहट हावी होती जा रही थी।
तभी उसे अंधेरे में झाड़ियों के पास खड़ा हुआ कोई दिखाई दिया। झाड़ियों के पास खड़े उस इंसान की पीठ ब्रेंडन की ओर थी।
“कौन है वहां?" ब्रेंडन ने अपनी जेब से चाकू निकाल कर गरजदार आवाज में पूछा।
पर ना तो वह इंसान मुड़ा और ना ही उसने कोई जवाब दिया।
अब ब्रेंडन से रहा न गया और वह धीरे-धीरे चलता हुआ, उस इंसान के पीछे पहुंच गया।
उस साये का चेहरा अभी भी दूसरी ओर था। उसे शायद पीछे आने वाले ब्रेंडन का अहसास भी नहीं था।
तभी उस साये के मुंह से कुछ शब्द निकले- “जल्दी करो, बहुत भूख लगी है।"
ब्रेंडन समझ गया कि उस साये के साथ और भी कोई है। अब वह साये के थोड़ा और भी करीब पहुंच गया।
तभी ब्रेंडन की नजर उस साये के सामने बैठे एक और साये पर गयी, जिसके हाथ में कोई चमकती हुई चीज थी।
चूंकी उस स्थान पर काफ़ी अंधेरा था इसिलये सारी चीजे बिल्कुल साफ दिखाई नहीं दे रही थी।
ध्यान से देखने पर ब्रेंडन के सामने जो नजारा आया, वह उसकी रूह कंपा देने के लिये काफ़ी था।
नीचे तौफीक की लाश पड़ी थी और नीचे बैठे साये के हाथ में एक चाकू चमक रहा था, जिससे वह तौफीक के शरीर का मांस काट कर निकाल रहा था।
अचानक दोनो साये ब्रेंडन की ओर मुड़ गये।
उन दोनों साये पर नजर पड़ते ही ब्रेंडन की आँखे दहशत के मारे फैल गयी, क्यों कि नीचे बैठा साया लॉरेन का और ऊपर खड़ा साया लोथार का था।
लोथार, ब्रेंडन को अपनी ओर देखते हुए पाकर बोल उठा- “अरे वाह! क्या मोटा शिकार हाथ लगा है, पहले इसी को खाकर अपनी भूख मिटाते हैं।"
यह देख ब्रेंडन पूरी ताकत से पलटकर भागा। लॉरेन और लोथार उसके पीछे थे।
ब्रेंडन को भागते समय अपने पैर बहुत भारी से लग रहे थे।
भागता-भागता वह एक पेड़ के पीछे छिप गया। अपनी साँसो की आवाज को दबाने के लिये ब्रेंडन ने अपने दोनों हाथ से अपने मुंह को बंद कर लिया।
तभी उसके चेहरे पर एक बूंद, उस पेड़ से टपकी, जिसके नीचे वह खड़ा था।
उस बूंद का अहसास होते ही ब्रेंडन ने हाथो से उस बूंद को पोंछा। तभी उसे अपने हाथो पर खून लगा नजर आया।
घबराकर ब्रेंडन ने पेड़ के ऊपर की ओर देखा। पेड़ के ऊपर देखते ही उसकी साँस उसके गले में ही फंस गयी।
क्यों कि पेड़ के ऊपर क्रिस्टी, जेनिथ, सुयश और एलेक्स की लाशे झूल रही थी। उन्हि के कटे हुए हाथ पैर से खून टपक रहा था।
ब्रेंडन पूरी ताकत लगा कर वहां से भागा।
ब्रेंडन का दिल अब धाड़-धाड़ बज रहा था। उसे अब अपने बचने की संभावना बिल्कुल भी नहीं दिख रही थी। ब्रेंडन अब अंजानी दिशा में पागलों की तरह भाग रहा था।
तभी उसका पैर किसी चीज से टकरा गया और वह लड़खड़ाकर गिर गया।
गिरने के बाद ब्रेंडन ने ध्यान से उस चीज को देखा, जिससे उसका पैर टकराया था।
वह भी एक लाश थी जो कि पेट के बल जमीन पर गिरी पड़ी थी। पहले तो ब्रेंडन ने वहां से भागना चाहा, पर ना जाने क्या सोच उसने लाश को पलटकर देखा।
लाश के चेहरे पर नजर पड़ते ही उसके बचे खुचे होश भी गुम हो गये क्यों कि यह लाश उसकी स्वयं की थी।
ब्रेंडन को एक झटका लगा और वह उठकर बैठ गया। वह यह सब सपना देख रहा था।
उसकी नजर तुरंत अपने अगल-बगल पड़ी। तौफीक, जेनिथ, क्रिस्टी, असलम, एलेक्स, सुयश सहित सभी अपनी जगह पर सो रहे थे।
ब्रेंडन ने एक राहत की साँस ली। उसका पूरा शरीर पसीने से तर था और उसकी साँसे धोकनी के समान चल रही थी।
ब्रेंडन को ऐसा लग रहा था कि अगर एक पल उसकी नींद और नहीं खुलती तो शायद दहशत के कारण वह सपने में ही मर जाता।
ब्रेंडन का गला पूरा सूखा हुआ था। ब्रेंडन ने एक नजर अपनी पानी की बोतल पर मारी। बोतल में पानी
बिलकुल ख़तम था।
ब्रेंडन ने दूसरी बोतल ना निकालते हुए इसी बोतल में पानी भरकर पीने का सोचा।
रात अभी आधी बीती थी। अब वह खंडहर से बाहर निकलकर कुंए के पास आ गया।
चाँदनी रात थी। चाँद की रोशनी चारो ओर चमक रही थी।
ब्रेंडन ने एक नजर कुंए की जगत पर रखी बाल्टी पर मारी और फ़िर बाल्टी को कुंए की ओर लटकाकर, रस्सी धीरे-धीरे छोड़ने लगा।
थोड़ी देर बाद बाल्टी ने पानी की सतह को स्पर्श किया। ब्रेंडन ने एक-दो बार बाल्टी को खींचकर छोड़ा।
पानी भरने के बाद ब्रेंडन ने बाल्टी को खींचना शुरु कर दिया।
थोड़ी ही देर में बाल्टी ऊपर पहुंच गयी, पर बाल्टी पर नजर पड़ते ही ब्रेंडन के मुंह से चीख निकल गयी।
बाल्टी में रोजर का सिर तैर रहा था।
यह देख ब्रेंडन के मुंह से एक तेज चीख निकली नहींऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ।"
इसी के साथ ब्रेंडन का शरीर हवा में लहराया और बेहोश होकर जमीन पर गिर गया।
ब्रेंडन के हाथ से रस्सी भी छूट गयी और बाल्टी वापस रस्सी सहित कुंए में चली गयी।
चूंकी रस्सी के आखरी सिरे पर एक बड़ा सा पत्थर बंधा था, इसिलये बाल्टी के पानी में गिरने के बावजूद भी पूरी रस्सी कुंए में नहीं गयी।
उधर ब्रेंडन की चीख सुनकर सभी लोग जाग गये। सुयश की नजर अपने आसपास घूमी।
“ब्रेंडन गायब है।" सुयश ने कहा- “यह उसी की चीख थी।" सभी का मन एक अंजानी आशंका से भर उठा।
सुयश उठ कर बाहर की ओर भागा। तभी सुयश की नजर कुंए के पास बेहोश पड़े ब्रेंडन की ओर गयी।
“ब्रेंडन यहां है।" सुयश ने चीखकर सभी को उधर बुला लिया।
ब्रेंडन को बेहोश देख असलम ने कुंए से बाल्टी खींच, उसके पानी के छींटे ब्रेंडन के चेहरे पर मारे।
अब ब्रेंडन को होश आ गया, पर बाल्टी पर नजर पड़ते ही वह डर के मारे चीखने लगा।
तौफीक ने ब्रेंडन को सहारा दिया और एलेक्स ने ब्रेंडन को अपनी बोतल से थोड़ा पानी पिलाया।
अब ब्रेंडन थोड़ा सा बेहतर दिख रहा था। सुयश के पूछने पर ब्रेंडन ने पूरी कहानी सुना दी।
पूरी कहानी सुन अल्बर्ट ने बाल्टी पर नजर मारी, जिसमें एक नारियल का खोल पड़ा था।
यह देख अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा-
“चिंता की कोई बात नहीं है। पिछले कुछ दिन की घटना ने ब्रेंडन के दिमाग पर गहरा असर डाला है। इसी की वजह से इसने पहले बुरा सपना देखा और फ़िर सपने से जागकर जब पानी लेने आया तो डर की वजह से इस नारियल के खोल को रोजर का सिर समझ लिया। चूंकि नारियल के खोल पर आँख, नाक और मुंह जैसे निशान होते हैं इसिलये ब्रेंडन के डर को वास्तविकता का आकार मिल गया। ये ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है। डर की वजह से अक्षर लोगो के साथ ऐसा होता है।"
अल्बर्ट की बात सुन सबने राहत की साँस ली और फ़िर खंडहर के अंदर की ओर चल दिये।
पर ब्रेंडन को अभी भी थोड़ा डर महसूस हो रहा था।
लगभग सुबह होने वाली थी और ब्रेंडन के इस अहसास के कारण अब किसी को नींद भी नहीं आ रही थी। फ़िर भी सभी अपनी जगह पर लेट गये।
उधर युगाका की आँखो में भी एक चमक सी दिखाई दे रही थी। वह भी एक पेड़ पर चढ़कर लेट गया।
जारी रहेगा_________![]()
ये युगांडा का ही कारनामा है उस पेड़ के द्वारा जो ब्रेंडन के मस्तिष्क में भ्रम पैदा हो रहे हैं
Fikar notSuyash ke iss space-time travel ke baad toh is paltan mei aur bhi atkheliya shuru ho gayi hai.
Fir se jawaabo se jyada sawaal hone lage hai.
Dekhte hai aage kya hota hai...
Bola na har sawaal ka jabaab milegaYeh Yugaka kyu inke peeche pada hai? Inke raato ki neend haraam kar raha hai.
Aakhir chahta kya hai woh?