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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
Dhanyawaad mitra :thanx:
 

kamdev99008

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कारनामा तो उसी का है :approve: पर वो युगांडा नहीं युगाका है :D
Auto correct फीचर का कारनामा है ये :D
 

Baawri Raani

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Suyash ke iss space-time travel ke baad toh is paltan mei aur bhi atkheliya shuru ho gayi hai.

Fir se jawaabo se jyada sawaal hone lage hai.

Dekhte hai aage kya hota hai...
:cool3:
#80.

समय- यात्रा का रहस्य:
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 19:15, मायावन, अराका)

सभी सिंहासन के इर्द- गिर्द बैठे थे। सबकी निगाहें सिंहासन पर पड़े सुयश के शरीर पर थी।

ऐमू भी दुखी निगाहों से सुयश की ओर देख रहा था।

तभी सभी को सुयश की कराह सुनाई दी।

भागकर सभी ने सुयश को घेर लिया। और फ़िर दूसरी कराह के साथ सुयश ने अपनी आँखे खोल दी।

“कैप्टन। आप ठीक तो हैं ना?" अल्बर्ट ने सुयश से पूछा।

सुयश ने एक नजर वहां बैठे सभी लोगो पर डाली और फ़िर धीरे से अपना सिर हिलाकर हामी भरी।

सुयश को स्वस्थ देखकर सबकी जान में जान आयी।

शैफाली ने सुयश को एक पानी की बोतल पकड़ा दी। सुयश ने एक ही साँस में पूरी बोतल खाली कर दी। अब वह थोड़ा चैतन्य नजर आने लगा।

सुयश को अपना पूरा बदन टूटता हुआ सा महसूस हो रहा था।

तभी सुयश की निगाह वहां बैठे ऐमू पर पड़ी।

सुयश ने प्यार से ऐमू को अपने हाथों में उठा लिया- “अब तुम्हारा दोस्त तुम्हें छोड़ कर कहीं नहीं जायेगा। तुम ऐमू और मैं ऐमू का दोस्त।"

ऐमू यह सुनकर बहुत खुश हो गया, वह फ़िर अपने पंख फैलाकर जोर-जोर से बोलने लगा- “दोस्त आ गया .... दोस्त आ गया ... ऐमू का दोस्त आ गया।"

“आकी कैसी है?" सुयश ने ऐमू से पूछा।

“आकी अच्छी है ... आरू भी अच्छा है.... और ऐमू भी अच्छा है।" ऐमू ने कहा।

सुयश समझ गया कि ऐमू आकृति को ‘आकी’ और आर्यन को ‘आरू’ कह रहा था।

फ़िर कुछ सोच कर सुयश ने ऐमू से पूछा-“और शलाका कैसी है?"

शलाका का नाम सुनकर एक पल के लिये ऐमू कुछ नहीं बोला और थोड़ा बेचैन नजर आने लगा।

सुयश समझ गया कि ऐमू शलाका के बारे में कोई बात नहीं करना चाहता।

सुयश अब सिंहासन से उतर कर सभी लोगो के पास आ गया। तभी एक गड़गड़ाहट के साथ सिंहासन वापस जमीन में समा गया और उस जगह की जमीन वापस बराबर हो गयी।

अब उस स्थान को देखकर महसूस ही नहीं हो रहा था कि कुछ देर पहले वहां पर जमीन से कोई सिंहासन भी निकला था।

उधर किसी को कुछ समझ नहीं आ रहा था कि अचानक से सुयश ऐमू से क्यों बात करने लगा।

जब आख़िरकार ब्रेंडन से ना रहा गया तो वह बोल उठा- “कैप्टन, आपको सिंहासन पर बैठते ही क्या हो गया था?"

सुयश ने वहां बैठे सभी लोगो पर नजर डाली और शुरू से अंत तक की सारी कहानी, सभी को सुना दी।

पूरी कहानी सुनकर सबके चेहरे पर आश्चर्य के भाव आ गये।

“कैप्टन, यहां पर तो आपका शरीर बिल्कुल निर्जीव हो गया था।" असलम ने कहा- “हमें तो लगा कि शायद आप इस दुनियां में नहीं रहे। यह तो शैफाली ने हमें आपके जीवित होने के बारे में बताया।"

“तो मैं इस दुनियां में वैसे भी कहां था? मुझे लगता है कि यह किसी तरीके का ‘टाइम-स्लीप’ या ‘समय यात्रा’ थी। जिसमें मैंने अनगिनत आश्चर्यजनक चीजे देखी।" सुयश ने कहा।

“कैप्टन, आपने तो बहुत लंबी कहानी सुना दी।" तौफीक ने सुयश से कहा-
“आपने उस समय यात्रा में कुल कितना समय बिताया?"

“मैं वहां पर लगभग 4 घंटे के आसपास रहा था।" सुयश ने तौफीक से कहा।

“पर कैप्टन, यहां पर तो आप बस 10 मिनट ही निर्जीव रहे हैं।"
एलेक्स ने कहा- “10 मिनट में आप 4 घंटे की यात्रा कैसे कर सकते हैं?“

“शायद समय यात्रा में समय बहुत तेज चलता हो।" अल्बर्ट ने कहा।

“इस कहानी को सुनने के बाद अब इस द्वीप पर, किसी भी चीज पर आश्चर्य व्यक्त करने का कोई मतलब नहीं बनता।"

क्रिस्टी ने कहा- “हम तो इस बहुत ही साधारण सा द्वीप समझ रहे थे, पर यहां तो एक के बाद एक रहस्य खुलते ही जा रहे हैं।"

“तो क्या यह द्वीप कैप्टन के पूर्वजन्म से संबंध रखता है?" जेनिथ ने उलझे-उलझे स्वर में पूछा।

“कैप्टन क्या आप बता सकते हैं? कि जिस समय में आपने समय- यात्रा की, उसका समय काल क्या था? मेरा मतलब कि वह किस सदी का समय दिख रहा था। आप अंदाजे से कुछ बता सकते हैं क्या?" अल्बर्ट ने जेनिथ के सवाल को काटकर एक नया प्रश्न सुयश से पूछ लिया।

“मुझे कहीं भी लिखा हुआ तो कुछ दिखाई नहीं दिया, पर देखने से वह समय काल हजारों साल पुराना लग रहा था।" सुयश ने कहा।

“पर कैप्टन, अगर आपने उस समय काल में ऐमू को भी देखा था तो ज़्यादा से ज़्यादा उस समय काल को 20 वर्ष से ज़्यादा पुराना नहीं होना चाहिए क्यों कि एक तोते की आयु लगभग 20 वर्ष की ही होती है।" असलम ने कहा।

“पर मेरी आयु तो इस समय 34 वर्ष की है।" सुयश ने दिमाग लगाते हुए कहा-“फ़िर यह मेरे पूर्वजन्म की घटना कैसे हो सकती है?"

“कहीं जिस ब्रह्मकलश का जिक्र शलाका से आपने किया था, वह आपको उस जन्म में प्राप्त तो नहीं हो गया था?" जेनिथ ने कहा।

“ऐसा कैसे संभव है अगर वह ब्रह्म-कलश मुझे पूर्व जन्म में प्राप्त हो जाता तो मेरा दूसरा जन्म कैसे संभव होता? क्यों की मैं तो तब अमर हो चुका होता।" सुयश के शब्दो में गहरी चिंता के भाव थे।

“यह भी तो हो सकता है कि यह आपके पूर्व जन्म की घटना ना हो और आर्यन कोई और इंसान हो?" ब्रेंडन ने कहा।

आर्यन के दूसरा इंसान होने की बात सुन, शलाका को याद कर सुयश का दिल बैठ गया, पर तुरंत ही एक ख़याल आते ही वह बोल उठा-

“अगर आर्यन दूसरा इंसान होता तो यह सिंहासन मुझे आर्यन के समयकाल में क्यों ले जाता? और फिर मुझे चलते हुए एक हवा में आवाज भी सुनाई दी थी, जिसमें मुझे आर्यन पुकारा गया था। और .... और वह शलाका की मूर्ति से मेरे टैटू को ही शक्तियाँ क्यों मिली? और मेरा टैटू यहां की दीवारों पर कैसे अंकित है?"

सुयश की बात तो सही थी, इसिलये थोड़ी देर तक कोई कुछ ना बोला।

फिलहाल वहां और कुछ खतरनाक नहीं था इसिलये सभी वापस खण्डहरों में रुकने के लिए जगह ढूंढने लगे।

“खंडहर के कुछ भागो की छत अभी भी सही है। हमें यहीं कहीं अपना डेरा डाल लेना चाहिए।" अल्बर्ट ने कहा।

“वो जगह सही रहेगी।" सुयश एक ओर इशारा करते हुए बोला-“वह जगह तीन तरफ से घिरी है, वहां पर खतरा कम रहेगा।" कहकर सुयश उस स्थान पर आकर खड़ा हो गया।

कुछ लोगो ने पेड़ की टहनियो से झाड़ू बनाकर उस स्थान को साफ कर लिया।

“कैप्टन, आपकी कहानी में ब्रह्मकलश का जिक्र आया, आपको क्या लगता है कि इस दुनियां में कोई ऐसी चीज हो सकती है जो किसी भी इंसान को अमरत्व प्रदान कर सकती हो।" तौफीक ने सुयश से पूछा।

पर इससे पहले कि सुयश इस बात का कोई जवाब दे पाता, बीच में ही अल्बर्ट बोल उठा-

“मिस्टर तौफीक, आपके प्रश्न का मैं 2 तरह से जवाब देना चाहूँगा। कई भाषाओँ के धर्मग्रन्थो में अलग- अलग नामो से अमृत का जिक्र किया गया है, जिसे पीने के बाद इंसान हर प्रकार के रोग से मुक्त होकर अमर हो जाता है।

पर अगर यही सवाल का जवाब मैं आपको विज्ञान के तरीके से समझाऊं तो आप ये समझ ले कि अभी जरूर हमने अमृत जैसे किसी तत्व का आविष्कार नहीं किया है, पर हम 200 वर्ष के अंदर ऐसी दवा का आविष्कार अवश्य कर लेंगे, जिसे पीने के बाद हम सभी रोगो से मुक्त होकर अमर हो जाएंगे।

पर यह ध्यान रहे कि हम रोगो से मुक्त हो जाएंगे और बीमारी से नहीं मरेंगे, पर किसी भी प्रकार की दुर्घटना हमारी जान ले सकेगी। वैसे दुनियां में अभी भी ऐसे कई वैज्ञानिक हैं जो इंसान के शरीर के अंग कटने के बाद, उसके दोबारा उग सकने वाले विषय पर भी शोध कर रहे हैं।"

“वैसे कुछ भी कहिये कैप्टन, आपका वेदालय बहुत ही शानदार विद्या का केन्द्र लग रहा है, सुनकर ही मजा आ गया।" शैफाली ने अपने विचारो को व्यक्त करते हुए कहा- “काश मैं भी उसमें पढ़ सकती।"

“मुझे तो लगता है कि तुम वेदालय से भी खतरनाक विद्यालय में पढ़ी हो।" जॉनी ने शैफाली को घूरते हुए कहा- “क्यों की तुमसे ज़्यादा रहस्यमयी हमारे बीच कोई नहीं है?"
शैफाली ने जॉनी को घूरकर देखा, पर कुछ कहा नहीं।

“कैप्टन आप ने इतने सारे लोक के नाम बताए, पर आप गये केवल देवलोक में ही थे, आपको क्या लगता है कि इतने सारे लोक क्या हो सकते है?" एलेक्स ने पूछा।

“पता नहीं। पर मुझे लगता है कि यह सारे लोकों के नाम शायद वहां उपस्थित राज्यो के नाम है या फिर

प्रतियोगिता के लिये कृत्रिम बनाए गये कुछ स्थान हैं, जिसको प्रतियोगिता के हिसाब से डिजाइन किया जाता हो? पर जो भी है, वह स्थान बहुत ही अद्भुत था।"

“वैसे प्रोफेसर।" जेनिथ ने अल्बर्ट की ओर देखते हुए कहा- “आपका इस सिंहासन के बारे में क्या ख्याल है? क्या ये समय यात्रा कराने वाली कोई प्राचीन मशीन है?"

“अभी तक तो समय यात्रा हम वैज्ञानिको के लिये एक सपना ही है, पर मुझे लगता है कि पहले का विज्ञान आज के विज्ञान से बहुत ज़्यादा विकसित था, इसिलये यह सिंहासन एक समय यात्रा की मशीन हो भी सकती है।" अल्बर्ट ने कहा- “लेकिन मुझे यह नहीं पता कि इस सिंहासन रूपी मशीन में टाइम कैसे सेट करते होंगे?"

“मेरे हिसाब से रात काफ़ी हो चुकी है इसिलये अब हमें सोना चाहिए।" सुयश ने थके अंदाज में अंगड़ाई लेते हुए कहा।

वैसे भी अब सभी के पास सवाल ख़तम हो गये थे। इसिलये सभी सोने की तैयारियां करने लगे।

जो कुछ भी उनके पास था, वह खा-पीकर वो लोग वहीं जमीन पर सो गये।




जारी रहेगा_______✍️
 

Baawri Raani

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Yeh Yugaka kyu inke peeche pada hai? Inke raato ki neend haraam kar raha hai.

Aakhir chahta kya hai woh?

#81.

डर की रात :

(9 जनवरी 2002, बुधवार, 03:15, मायावन, अराका)

दिन भर का सफर और थकान की वजह से सभी बहुत गहरी नींद में थे।

इस समय युगाका की नजर वहां लेटे हुए ब्रेंडन पर थी। उसने वहीं जमीन पर पड़ी हुई थोड़ी सी मिट्टी उठाई और कुछ बुदबुदाते हुये उस मिट्टी को फूंक मारकर हवा में उड़ा दिया।

अब ब्रेंडन के कुछ दूरी पर उगे एक पौधे में हल्की सी हरकत हुई और वह लंबी होकर ब्रेंडन के सिर के पास पहुंच गयी।

पौधे ने ब्रेंडन के बालो पर कुछ किया और फ़िर छोटी होकर वापस अपनी जगह पर पहुंच गयी।

सोते हुए ब्रेंडन को तभी एक खटके की आवाज सुनाई दी। आवाज को सुनकर ब्रेंडन जग गया।

उसने उठकर अपने आसपास नजर मारी। आसपास नजर मारते ही उसके रोंगटे खड़े हो गये।

वह बिल्कुल अकेला सोया था। उसके आसपास इस समय कोई नहीं था।

“यह सारे लोग कहां चले गये? उन्होने जाते समय मुझे जगाया क्यों नहीं?“ ब्रेंडन मन ही मन बुदबुदाया।

अब वह उठकर खड़ा हो गया। वह हैरान था कि सारे लोग इतनी रात कहां चले गये? धीरे-धीरे उस पर घबराहट हावी होती जा रही थी।

तभी उसे अंधेरे में झाड़ियों के पास खड़ा हुआ कोई दिखाई दिया। झाड़ियों के पास खड़े उस इंसान की पीठ ब्रेंडन की ओर थी।

“कौन है वहां?" ब्रेंडन ने अपनी जेब से चाकू निकाल कर गरजदार आवाज में पूछा।

पर ना तो वह इंसान मुड़ा और ना ही उसने कोई जवाब दिया।

अब ब्रेंडन से रहा न गया और वह धीरे-धीरे चलता हुआ, उस इंसान के पीछे पहुंच गया।

उस साये का चेहरा अभी भी दूसरी ओर था। उसे शायद पीछे आने वाले ब्रेंडन का अहसास भी नहीं था।

तभी उस साये के मुंह से कुछ शब्द निकले- “जल्दी करो, बहुत भूख लगी है।"

ब्रेंडन समझ गया कि उस साये के साथ और भी कोई है। अब वह साये के थोड़ा और भी करीब पहुंच गया।

तभी ब्रेंडन की नजर उस साये के सामने बैठे एक और साये पर गयी, जिसके हाथ में कोई चमकती हुई चीज थी।

चूंकी उस स्थान पर काफ़ी अंधेरा था इसिलये सारी चीजे बिल्कुल साफ दिखाई नहीं दे रही थी।

ध्यान से देखने पर ब्रेंडन के सामने जो नजारा आया, वह उसकी रूह कंपा देने के लिये काफ़ी था।

नीचे तौफीक की लाश पड़ी थी और नीचे बैठे साये के हाथ में एक चाकू चमक रहा था, जिससे वह तौफीक के शरीर का मांस काट कर निकाल रहा था।

अचानक दोनो साये ब्रेंडन की ओर मुड़ गये।

उन दोनों साये पर नजर पड़ते ही ब्रेंडन की आँखे दहशत के मारे फैल गयी, क्यों कि नीचे बैठा साया लॉरेन का और ऊपर खड़ा साया लोथार का था।

लोथार, ब्रेंडन को अपनी ओर देखते हुए पाकर बोल उठा- “अरे वाह! क्या मोटा शिकार हाथ लगा है, पहले इसी को खाकर अपनी भूख मिटाते हैं।"

यह देख ब्रेंडन पूरी ताकत से पलटकर भागा। लॉरेन और लोथार उसके पीछे थे।

ब्रेंडन को भागते समय अपने पैर बहुत भारी से लग रहे थे।

भागता-भागता वह एक पेड़ के पीछे छिप गया। अपनी साँसो की आवाज को दबाने के लिये ब्रेंडन ने अपने दोनों हाथ से अपने मुंह को बंद कर लिया।

तभी उसके चेहरे पर एक बूंद, उस पेड़ से टपकी, जिसके नीचे वह खड़ा था।

उस बूंद का अहसास होते ही ब्रेंडन ने हाथो से उस बूंद को पोंछा। तभी उसे अपने हाथो पर खून लगा नजर आया।

घबराकर ब्रेंडन ने पेड़ के ऊपर की ओर देखा। पेड़ के ऊपर देखते ही उसकी साँस उसके गले में ही फंस गयी।

क्यों कि पेड़ के ऊपर क्रिस्टी, जेनिथ, सुयश और एलेक्स की लाशे झूल रही थी। उन्हि के कटे हुए हाथ पैर से खून टपक रहा था।

ब्रेंडन पूरी ताकत लगा कर वहां से भागा।

ब्रेंडन का दिल अब धाड़-धाड़ बज रहा था। उसे अब अपने बचने की संभावना बिल्कुल भी नहीं दिख रही थी। ब्रेंडन अब अंजानी दिशा में पागलों की तरह भाग रहा था।

तभी उसका पैर किसी चीज से टकरा गया और वह लड़खड़ाकर गिर गया।

गिरने के बाद ब्रेंडन ने ध्यान से उस चीज को देखा, जिससे उसका पैर टकराया था।

वह भी एक लाश थी जो कि पेट के बल जमीन पर गिरी पड़ी थी। पहले तो ब्रेंडन ने वहां से भागना चाहा, पर ना जाने क्या सोच उसने लाश को पलटकर देखा।

लाश के चेहरे पर नजर पड़ते ही उसके बचे खुचे होश भी गुम हो गये क्यों कि यह लाश उसकी स्वयं की थी।

ब्रेंडन को एक झटका लगा और वह उठकर बैठ गया। वह यह सब सपना देख रहा था।

उसकी नजर तुरंत अपने अगल-बगल पड़ी। तौफीक, जेनिथ, क्रिस्टी, असलम, एलेक्स, सुयश सहित सभी अपनी जगह पर सो रहे थे।

ब्रेंडन ने एक राहत की साँस ली। उसका पूरा शरीर पसीने से तर था और उसकी साँसे धोकनी के समान चल रही थी।

ब्रेंडन को ऐसा लग रहा था कि अगर एक पल उसकी नींद और नहीं खुलती तो शायद दहशत के कारण वह सपने में ही मर जाता।

ब्रेंडन का गला पूरा सूखा हुआ था। ब्रेंडन ने एक नजर अपनी पानी की बोतल पर मारी। बोतल में पानी
बिलकुल ख़तम था।

ब्रेंडन ने दूसरी बोतल ना निकालते हुए इसी बोतल में पानी भरकर पीने का सोचा।

रात अभी आधी बीती थी। अब वह खंडहर से बाहर निकलकर कुंए के पास आ गया।

चाँदनी रात थी। चाँद की रोशनी चारो ओर चमक रही थी।

ब्रेंडन ने एक नजर कुंए की जगत पर रखी बाल्टी पर मारी और फ़िर बाल्टी को कुंए की ओर लटकाकर, रस्सी धीरे-धीरे छोड़ने लगा।

थोड़ी देर बाद बाल्टी ने पानी की सतह को स्पर्श किया। ब्रेंडन ने एक-दो बार बाल्टी को खींचकर छोड़ा।

पानी भरने के बाद ब्रेंडन ने बाल्टी को खींचना शुरु कर दिया।

थोड़ी ही देर में बाल्टी ऊपर पहुंच गयी, पर बाल्टी पर नजर पड़ते ही ब्रेंडन के मुंह से चीख निकल गयी।

बाल्टी में रोजर का सिर तैर रहा था।

यह देख ब्रेंडन के मुंह से एक तेज चीख निकली नहींऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽऽ।"

इसी के साथ ब्रेंडन का शरीर हवा में लहराया और बेहोश होकर जमीन पर गिर गया।

ब्रेंडन के हाथ से रस्सी भी छूट गयी और बाल्टी वापस रस्सी सहित कुंए में चली गयी।

चूंकी रस्सी के आखरी सिरे पर एक बड़ा सा पत्थर बंधा था, इसिलये बाल्टी के पानी में गिरने के बावजूद भी पूरी रस्सी कुंए में नहीं गयी।

उधर ब्रेंडन की चीख सुनकर सभी लोग जाग गये। सुयश की नजर अपने आसपास घूमी।

“ब्रेंडन गायब है।" सुयश ने कहा- “यह उसी की चीख थी।" सभी का मन एक अंजानी आशंका से भर उठा।

सुयश उठ कर बाहर की ओर भागा। तभी सुयश की नजर कुंए के पास बेहोश पड़े ब्रेंडन की ओर गयी।

“ब्रेंडन यहां है।" सुयश ने चीखकर सभी को उधर बुला लिया।

ब्रेंडन को बेहोश देख असलम ने कुंए से बाल्टी खींच, उसके पानी के छींटे ब्रेंडन के चेहरे पर मारे।

अब ब्रेंडन को होश आ गया, पर बाल्टी पर नजर पड़ते ही वह डर के मारे चीखने लगा।

तौफीक ने ब्रेंडन को सहारा दिया और एलेक्स ने ब्रेंडन को अपनी बोतल से थोड़ा पानी पिलाया।

अब ब्रेंडन थोड़ा सा बेहतर दिख रहा था। सुयश के पूछने पर ब्रेंडन ने पूरी कहानी सुना दी।

पूरी कहानी सुन अल्बर्ट ने बाल्टी पर नजर मारी, जिसमें एक नारियल का खोल पड़ा था।

यह देख अल्बर्ट ने एक गहरी साँस भरते हुए कहा-
“चिंता की कोई बात नहीं है। पिछले कुछ दिन की घटना ने ब्रेंडन के दिमाग पर गहरा असर डाला है। इसी की वजह से इसने पहले बुरा सपना देखा और फ़िर सपने से जागकर जब पानी लेने आया तो डर की वजह से इस नारियल के खोल को रोजर का सिर समझ लिया। चूंकि नारियल के खोल पर आँख, नाक और मुंह जैसे निशान होते हैं इसिलये ब्रेंडन के डर को वास्तविकता का आकार मिल गया। ये ऐसी कोई बड़ी बात नहीं है। डर की वजह से अक्षर लोगो के साथ ऐसा होता है।"

अल्बर्ट की बात सुन सबने राहत की साँस ली और फ़िर खंडहर के अंदर की ओर चल दिये।

पर ब्रेंडन को अभी भी थोड़ा डर महसूस हो रहा था।

लगभग सुबह होने वाली थी और ब्रेंडन के इस अहसास के कारण अब किसी को नींद भी नहीं आ रही थी। फ़िर भी सभी अपनी जगह पर लेट गये।

उधर युगाका की आँखो में भी एक चमक सी दिखाई दे रही थी। वह भी एक पेड़ पर चढ़कर लेट गया।



जारी रहेगा_________✍️
 

Raj_sharma

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Fikar not:nope:
Har sawaal ka uchit jabaab denge:declare: Waise ye bataao, ki beech me kaha gayab ho gai thi Raani sahiba? :bat:
Anyway thanks for your valuable review and support :thanx:
 

Raj_sharma

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Aakhir chahta kya hai woh?
Bola na har sawaal ka jabaab milega :approve: Bas sath jude rahiye hamare. Thanks for your valuable review :thanx:
 

Raj_sharma

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#82.

चैपटर-8: मकोटा महल

(आज से 10 दिन पहले.......(29 दिसम्बर 2001, शनिवार, 11:00, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

लुफासा सीनोर महल के एक कमरे में सनूरा के साथ बैठा था।

“हम कल ही तो मान्त्रिक से मिल कर आये थे, तब आज उन्होंने फ़िर से इतनी जल्दी क्यों हम लोगो को बुला लिया? कुछ तो परेशानी जरूर है?” लुफासा ने सनूरा को देखते हुए कहा।

लुफासा और सनूरा मकोटा को मान्त्रिक कहकर संबोधित करते थे।

“आप सही कह रहे हैं युवराज।" सनूरा ने अपनी बिल्ली जैसी आँखो से लुफासा को देखते हुए कहा-

“मान्त्रिक बिना किसी जरूरी कार्य के हमें ऐसे तो नहीं बुलाएंगे। कहीं ये देवी शलाका से सम्बंधित बात तो नहीं है? कल मैंने देवी शलाका को मान्त्रिक के साथ आकाश मार्ग से जाते हुए देखा था।"

“सनूरा! एक बात पूछूं?" लुफासा ने कुर्सी से खड़े होकर कमरे में टहलते हुए सनूरा से पूछा।

“जी पूछिये।" सनूरा की आँखो में प्रश्नवाचक चिन्ह नजर आने लगा।

“क्या तुम्हे सच में लगता है कि वह लड़की देवी शलाका है?" लुफासा ने शंकित स्वर में पूछा- “जाने क्यों मुझे वह देवी शलाका नहीं लगती। ऐसा लग रहा है जैसे वह कोई दूसरी लड़की है? और देवी शलाका बनने का अिभनय कर रही है।"

“पर उनका परिचय तो मान्त्रिक ने ही कराया था। क्या आपको मान्त्रिक पर भी शक है?" सनूरा ने लुफासा से पूछा।

“देखो सनूरा, तुम पिछ्ले 600 वर्ष से सीनोर राज्य की सेनापति हो। पूरे सीनोर राज्य की सुरक्षा का भार तुम्हारे ऊपर है। तुम में रहस्यमयी शक्तियां हैं। तुम हमारे राज्य के प्रति विश्वासपात्र भी हो। तुमने देखा कि हम कितनी शांति से इस द्वीप पर रह रहे थे। पर जब से मान्त्रिक ने हमारे राज्य की हर व्यवस्था में परमर्श देना शुरू किया है, तब से अचानक से सीनोर राज्य का हुलिया ही बदल गया।

मान्त्रिक ने हमारे राज्य में पिरामिड का निर्माण कराया और बुद्ध ग्रह के देवता जैगन के साथ मिलकर पता नहीं किस प्रकार के प्रयोग कर रहे हैं? जाने क्यों मुझे यह सब ठीक नहीं लगता? उधर देवी शलाका को पिछ्ले 5000 वर्ष से किसी ने नहीं देखा था, पर मान्त्रिक ने 10 वर्ष पहले इस लड़की को देवी शलाका बनाकर हमारे समक्ष उपस्थित कर दिया। शुरू-शुरू में मुझे कुछ भी अजीब नहीं लगा था, पर अब जाने क्यों मुझे वो लड़की देवी शलाका नहीं लगती? शायद वह कोई बहुरूपिया है? तुम्हारा इस बारे में क्या विचार है?"

“देखिये युवराज, आपकी बात बिल्कुल सही है, मुझे भी मान्त्रिक के क्रियाकलाप अच्छे नहीं लगते हैं, पर मान्त्रिक के पास बहुत सी विलक्षण शक्तियां हैं, जिनका सामना हममें से कोई नहीं कर सकता।

माना कि आपके पास ‘इच्छाधारी शक्ति’ है, जिससे आप अपने आप को किसी भी जीव में परीवर्तित कर सकते है और आपकी इस शक्ति के बारे में मेरे, मान्त्रिक और आपकी बहन के अलावा और कोई नहीं जानता। पर इतनी शक्तियां पर्याप्त नहीं हैं। इसिलये हम चाह कर भी मान्त्रिक का विरोध नहीं कर सकते।
अब रही बात उस लड़की के देवी शलाका होने या ना होने की। तो हम छिप कर उसकी गतिविधियो पर नजर रखते हैं और पता करने की कोशिश करते हैं कि वह सच में देवी शलाका है या नहीं । इसके आगे की बातें समय और परिस्थितियों के हिसाब से फ़िर विचार कर लेंगे। फ़िलहाल अभी हमें मान्त्रिक के पास चलना ही पड़ेगा। देखें तो आख़िर उन्होने हमें बुलाया क्यों है?"

सनूरा की बातें लुफासा को सही लगी, इसिलये वह भी मकोटा से मिलने के लिये उठकर खड़ा हो गया।

लुफासा और सनूरा दोनों ही सीनोर महल से निकलकर बाहर आ गये।

बाहर आकर लुफासा एक बड़े से भेड़िये में परीवर्तित हो गया और सनूरा ने बिल्ली का रुप धारण कर लिया।

अब दोनों दौड़कर कुलांचे भरते हुए मकोटा महल की ओर चल दिये। रास्ते में बहुत से अन्य जंगली जानवर मिले जो कि दोनों को देख रास्ते से हट गये।

15 मिनट के अंदर दोनों मकोटा महल पहुंच गये।

मकोटा महल बहुत ही विशालकाय था। महल के बीचोबीच में एक बहुत बड़ी भेड़िया मानव की मूर्ति लगी थी, जिसने अपने दोनो हाथ में फरसे जैसा अस्त्र पकड़ रखा था।

महल के अंदर जाने के लिए सिर्फ़ एक पतला रास्ता था। मुख्य द्वार के अगल-बगल 2 सिंघो के समान धातु की संरचना बनी थी, जो देखने में अजीब सी रहस्यमयी प्रतीत हो रही थी।

मूर्ति के सामने महल की छत पर एक काले रंग का बड़ा सा गोल पत्थर रखा था, जिसका कोई औचित्य समझ में नहीं आ रहा था।

लुफासा और सनूरा जैसे ही महल के अंदर प्रवेश किये, मुख्य द्वार अपने आप ही खुल गया। शायद मकोटा अंदर से महल के द्वार पर नजर रख रहा था।

लुफासा और सनूरा महल के अंदर पहुंच गये। महल में जगह-जगह पर काले भेड़िये घूम रहे थे। शायद वह मकोटा के सुरक्षाकर्मी थे।

लुफासा उन भेड़ियों से पहले से ही परिचित था। इसिलये वह सीधे एक बड़े कमरे में दाख़िल हो गया। उस कमरे में ही मकोटा उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।

मकोटा ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसने अब भी अपने हाथ में सर्पदंड पकड़ रखा था। दोनों ने झुककर मकोटा का अभिवादन किया।

मकोटा ने दोनों को सामने रखी कुर्सियो पर बैठने का इशारा किया। लुफासा और सनूरा सामने रखी कुर्सियो पर बैठ गये।

“आज मैंने तुम लोगो को एक खास काम से बुलाया है।" मकोटा ने बिना समय गंवाये बोलना शुरू कर दिया- “हमें पूर्ण अराका पर राज करने के लिए देवता जैगन की आवश्यकता है। देवता जैगन और बुद्ध ग्रह के वासी हमारा साथ देने के लिए पूर्ण रुप से तैयार हैं, पर बदले में उन्हें हमसे एक मदद की आवश्यकता है।"

“मदद! कैसी मदद?" लुफासा ने मकोटा से पूछा।

“देखो लुफासा, तुम जानते हो कि बुद्ध ग्रह पर हरे कीडो का साम्राज्य है। जैगन उन्ही के देवता है और महान काली शक्तियों के स्वामी भी। इस समय जैगन ‘ब्रह्माण्ड की उत्पत्ती’ पर कोई प्रयोग कर रहे हैं, जिसके लिए, उनहें कुछ दिन के लिए रोज एक मृत मानव शरीर की जरुरत है। हमें उनकी यही आवश्यकता को कुछ दिन के लिए पूरा करना पड़ेगा।" मकोटा ने लुफासा के चेहरे के भावों को देखते हुए कहा।

मकोटा के शब्द सुन सनूरा की आँखे जल उठी, पर तुरंत ही उसने अपने चेहरे के भावों को सामान्य कर लिया।

मकोटा के शब्द लुफासा के भी दिल में उथल-पुथल पैदा कर रहे थे। यह देख सनूरा बीच में ही बोल उठी-

“पर मान्त्रिक, हम लोग रोज एक मानव शरीर कहां से लायेंगे? इस क्षेत्र में तो कोई मानव नहीं आता और हम मनुष्यो के संसार में जाकर भी कोई मृत मानव नहीं ला सकते क्यों कि वैसे भी हम अराकावासी, देवी शलाका के कहे अनुसार बिना बात के किसी मानव का रक्त नहीं बहाते।"

“मुझे नहीं पता कहां से करेंगे? तुम सीनोर की सेनापित हो। ये सोचना तुम्हारा काम है।" मकोटा ने सनूरा पर थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए कहा-

“पिछले सप्ताह एक बोट गलती से भटककर इस क्षेत्र में आ गयी थी। उसमें 5 व्यक्ति सवार थे, जो उस दुर्घटना में मारे गये थे। हम अगले 5 दिन तक तो उन 5 इन्सानों को जैगन के हवाले कर देंगे, पर उस के बाद की लाशो का इंतजाम आप लोगो को ही करना होगा। हां अगर इस काम के लिये आपको बुद्ध ग्रह के हरे कीडो की मदद की जरूरत हो तो आप उनसे सहायता ले सकते हो और अब रही बात इंसानो का मारने की तो यह काम हरे कीड़े कर देंगे। आपको बस उस लाश को पिरामिड में रख कर आना होगा। और देवी शलाका तो अब वैसे भी हम लोगो के साथ हैं, तो आप लोगो को क्या परेशानी है? कुछ और पूछना है आप लोगो को?"

इतना कहकर मकोटा खामोश हो गया और लुफासा और सनूरा की तरफ देखने लगा।

मकोटा की बात समाप्त होने के बाद लुफासा ने सनूरा की ओर देखा। सनूरा ने धीरे से पलके झपकाकर लुफासा को आश्वस्त रहने का इशारा किया।

यह देख लुफासा ने धीरे से सिर हिलाकर मकोटा को अपनी सहमित दे दी।

तभी एक काला भेड़िया उस कमरे में दाख़िल हुआ। उसके मुंह में एक कागज का टुकड़ा दबा था। उस कागज के टुकड़े में लगभग 20 हरे रंग के बटन जैसे स्टीकर चिपके थे।

मकोटा ने उस कागज के टुकड़े को भेड़िये से लेकर लुफासा की ओर बढ़ाते हुए कहा-

“यह हरे रंग के स्टीकर को गले पर चिपकाने पर तुम बुद्ध ग्रह की भाषा को बोल सकोगे और इन हरे कीडो से बात भी कर सकते हो।"

लुफासा ने वह कागज का टुकड़ा मकोटा के हाथ से ले लिया और सनूरा को ले मकोटा महल से निकल पड़ा। पर इस समय लुफासा के चेहरे पर थोड़ी बेबसी के भाव थे।


पिरामिड का राज

आज से 8 दिन पहले........ (1 जनवरी 2002, मंगलवार, 01:30, सीनोर राज्य, अराका द्वीप)

मकोटा से मिले आज लुफासा को 3 दिन बीत गया था। इन 3 दिन में 3 इंसानो की लाश लुफासा पिरामिड में पहुंचा चुका था। अब 2 ही लाशे उनके पास बची थी। जो 1 और 2 तारीख को लुफासा पिरामिड में पहुंचा देता, पर उसके बाद क्या?

लुफासा ने मकोटा की धमकी को महसूस कर लिया था। वह जानता था कि अगर उसने मानव शरीर की व्यवस्था नहीं की तो मकोटा का कहर सबसे पहले उसके ऊपर ही गिरेगा।

इस बात को लेकर लुफासा बहुत ही ज्यादा परेशान था। जिस मकोटा ने उसको ख़्वाब दिखाए थे, वही मकोटा आज उसके लिये ही गले की हड्डी बनता जा रहा था।

लुफासा अभी अपने कमरे में इसी उधेड़बुन में डूबा था कि तभी अचानक ने से एक ‘बीप-बीप’ की आवाज ने उसका ध्यान भंग कर दिया।

लुफासा का ध्यान सामने की ओर लगी एक स्क्रीन की ओर गया, जिस पर लाल रंग के बिन्दु सा कुछ चमक रहा था। यह देख लुफासा की आँखे खुशी से चमक उठी।

“यह तो शायद कोई पानी का जहाज है जो शायद रास्ता भटककर हमारी सीमा में आ गया है।“ लुफासा स्क्रीन की ओर देखते हुए मन ही मन बड़बड़ाया- “लगता है देवी शलाका ने हमारी सुन ली।"

लुफासा ने अपने कमरे में मौजूद एक अलमारी का खोला और उसमें से मकोटा के द्वारा दिया हुआ कागज को टुकड़ा निकाल लिया।

उस कागज के टुकड़े में 20 स्टीकर चिपके हुए थे। लुफासा ने उनमें से एक स्टीकर को अपने गले पर चिपका लिया। अब वह हरे कीडो को नियंत्रित कर सकता था।

इसके बाद लुफासा तुरंत अपने कमरे से निकला और महल की छत पर आ गया। छत पर पहुंच कर लुफासा ने एक बाज का रुप धारण किया और वहां से समुद्र के किनारे की ओर उड़ चला।

थोड़ी ही देर में लुफासा समुद्र के किनारे पहुंच गया।

लुफासा ने अपने गले पर चिपके हरे रंग के स्टीकर को धीरे से दबाकर अपने गले से एक विचित्र सी आवाज निकाली।

कुछ ही देर में पानी के अंदर से एक उड़नतस्तरी निकली। जो नीले रंग की रोशनी बिखेर रही थी। अब वह उड़नतस्तरी पानी पर तैर रही थी।

उड़नतस्तरी का एक दरवाजा खुला और उसमें से एक 6 फुट का हरे रंग का कीड़ा निकला। यह कीड़ा देखने में बाकी कीड़ो के जैसा ही था, परंतु आकार में किसी इंसान के बराबर का दिख रहा था।

वह हरे रंग का कीड़ा अपने 2 पैरो से पानी पर चलता हुआ लुफासा के पास पहुंचा।

लुफासा कुछ देर तक उस कीड़े को देखता रहा क्यों कि उसने भी आज तक इतना बड़ा हरा कीड़ा नहीं देखा था। फ़िर उस कीड़े को उन्हिं की भाषा में उस जहाज के बारे में बताने लगा।

जब लुफासा ने जहाज की पूरी जानकारी दे दी तो वह कीड़ा वापस उड़नतस्तरी के अंदर चला गया। उड़नतस्तरी का द्वार अब बंद हो गया।

लगभग 2 मिनट के अंदर ही उड़नतस्तरी ने हवा में तेज आवाज के साथ उड़ान भरी।

कुछ ही देर में वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ के पास पहुंच गयी और एक तेज आवाज के साथ विद्युत चुंबकीय किरणें छोड़ती हुई सुप्रीम के ऊपर से निकली।

उसके ऊपर से निकलते ही सुप्रीम के सारे इलेक्ट्रोनिक यंत्र खराब हो गये।

अब वह उड़नतस्तरी ‘सुप्रीम’ से कुछ आगे समुद्र के अंदर समा गयी।

पानी के अंदर पहुंचकर वह उड़नतस्तरी बहुत तेज गति से पानी के अंदर नाचने लगी।

उसके नाचने की गति इतनी तेज थी कि समुद्र का पानी उस स्थान पर एक भंवर के रूप में परिवर्त्तित हो गया।

थोड़ी ही देर में उस भंवर ने विशाल आकार लेकर सुप्रीम को अपनी गिरफ़्त में ले लिया। सुप्रीम अब भंवर धराओं के बीच फंसता जा रहा था।



जारी रहेगा________✍️
 
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