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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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बहुत ही गजब का सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और रहस्यमयी अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
Update abhi aa raha hai dost, Thank you very much for your valuable review :thanx:
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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#77.

“ये कैसे हो सकता है?" जॉनी ने डरते हुए शैफाली की ओर देखा- “दीवार के पीछे छिपी आकृति शैफाली को कैसे नजर आ गयी?"

“मुझे लगता है कि शैफाली की आँखे जादुई तरीके से सही हुई है, इसिलये इसकी आँखों में कोई शक्ति आ गयी है?" अल्बर्ट ने शैफाली की आँखों की ओर देखते हुए कहा।

सभी को अल्बर्ट की बातों में दम दिखाई दिया।

तभी शैफाली दूसरी दीवार की ओर देखते हुए आश्चर्य से भर उठी-

“ये कैसे संभव है?"

शैफाली की बात सुन सभी का ध्यान उस दीवार की ओर गया, पर पिछली बार की तरह इस बार भी किसी को कुछ नहीं दिखाई दिया।

सुयश को ये कोतूहल रास ना आया इसलिए उसने आगे बढ़कर उस दीवार से भी मिट्टी को साफ कर दिया।

पर मिट्टी साफ करते ही इस बार हैरान होने की बारी सबकी थी, क्यों कि उस दीवार पर वही सूर्य की आकृति बनी थी, जो कि सुयश की पीठ पर टैटू के रूप में मौजूद थी।

अब मानो सबके दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया। काफ़ी देर तक किसी के मुंह से कोई बोल नहीं फूटा।

“कैप्टन!"

आख़िरकार ब्रेंडन बोल उठा- “आप तो कह रहे थे कि यह टैटू का निशान आपके दादाजी के हाथ पर बना था, जो आपको अच्छा लगा और आपने इस टैटू को अपनी पीठ पर बनवा लिया। पर आपके दादाजी तो भारत में रहते थे, फ़िर बिल्कुल उसी तरह का निशान यहां इस रहस्यमयी द्वीप पर कैसे मौजूद है?"

“मुझे लगता था कि यह निशान साधारण है, पर अब मुझे याद आ गया कि बचपन में जब मैं अपने दादाजी के साथ अपने कुलदेवता के मंदिर जाता था, तो मैंने यह निशान वहां भी बना देखा था।"

सुयश ने बचपन की बातों को याद करते हुए कहा- “दरअसल हम लोग सूर्यवंशी राजपूत हैं, मुझे लगता है कि यह निशान हमारे कुल का प्रतीक है। अब यह निशान यहां कहां से आया, ये मुझे भी नहीं पता?"

“कैप्टन, लेकिन एक बात तो श्योर है कि देवी शलाका का जुड़ाव भारतीय संस्कृति से कुछ ज़्यादा ही था।" अल्बर्ट ने एक बार फ़िर खंडहारों के देखते हुए कहा।

“शैफाली।" जेनिथ ने शैफाली को देखते हुए कहा- “जरा एक बार ध्यान से पूरे खंडहर को देखो। शायद तुम्हे कुछ और रहस्यमयी चीज मिल जाए?"

शैफाली अब ध्यान से खंडहर की दीवार और छत को देखने लगी। सभी शैफाली के पीछे थे।

एक दीवार के पास जाकर शैफाली कि गयी और दीवार को ध्यान से देखते हुए बोली-
“इस दीवार पर देवी शलाका की तस्वीर है।"

देवी शलाका का नाम सुनते ही सुयश की आँखों के सामने देवी शलाका का प्रतिबिंब उभर आया।

वह एक क्षण रुका और फ़िर सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को साफ करने लगा।

जैसे ही सुयश ने देवी शलाका की मूर्ति को स्पर्श किया, वहां से हजारों किलोमीटर दूर, अंटार्कटिका के बर्फ में मौजूद, शलाका के चेहरे पर एक गुलाबी मुस्कान बिखर गयी।

शलाका ने अपनी आँखों को बंद किया और धीरे से हवा में फूंक मारते हुए बुदबुदाई- “आर्यन!"

इधर अचानक सुयश को एक झटका सा महसूस हुआ। उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके कान के पास ‘आर्यन’ पुकारा हो।

सुयश को झटका लगते देख अल्बर्ट ने पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टन? आपको कुछ महसूस हुआ क्या?"

“हां प्रोफेसर, मुझे ऐसा लगा जैसे कि किसी ने मेरे कान के पास ‘आर्यन’ कहकर पुकारा।" सुयश ने चारो ओर देखते हुए कहा।

“यह नाम भी भारतीय ही लग रहा है।“

क्रिस्टी ने कहा- “यहां कुछ ना कुछ तो ऐसा जरूर है? जो यहां है तो, पर हमें नजर नहीं आ रहा।"

“तुम्हारा यह कहने का मतलब है, कि यहां पर कोई अदृश्य शक्ति मौजूद है?" एलेक्स ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।

“कभी शैफाली के कानो में, तो कभी कैप्टन के कानो में यह अजीब सी आवाज सुनाई देना, यह साबित करता है, कि अवश्य ही कोई ऐसी शक्ति यहां है, जो या तो अदृश्य है या फ़िर किसी जगह से लगातार हम पर नजर रखे है।" क्रिस्टी के शब्दो में विश्वास की झलक दिख रही थी।

तभी ऐमू उड़कर एक दरवाजे के बीच लगे घंटे के आसपास मंडराते हुए जोर-जोर से चिल्लाया-

“घंटा बजाओगे, सब जान जाओगे .... घंटा बजाओगे, सब जान जाओगे।"

सुयश ने एक पल को कुछ सोचा और फ़िर आगे जाकर दरवाजे पर लगे घंटे को बजा दिया।

“टन्ऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"

घंटे की आवाज जोर से पूरे खण्डहरों में गूंजी। अचानक से उन खण्डहरों की जमीन और छत कांपने लगी।

“भूकंप ..... ये भूकम्प के लक्षण हैं।" जैक जोर से चिल्लाया।

तभी उस कमरे की जमीन, एक जगह से अंदर की ओर धंस गयी और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, उस जगह से जमीन के नीचे से एक प्लैटफ़ॉर्म ऊपर आता दिखाई दिया।

उस प्लैटफ़ॉर्म के ऊपर एक सुनहरे रंग की धातु का सिंहासन रखा हुआ था। जो किसी पौराणिक सम्राट का नजर आ रहा था।

उस सिंहासन के बीचोबीच एक विशालकाय ‘हिमालयन यति’ का चित्र बना था, जो अपने हाथो में एक गदा जैसा अस्त्र लिए हुए था। बाकी उस सिंहासन के चारो तरफ बर्फ़ की घाटी के सुंदर चित्र, फूल और पौधे बने हुए थे।

सिंहासन के जमीन से निकलते ही जमीन का हिलना बंद हो गया। सभी मन्त्रमुग्ध से उस चमत्कारी सिंहासन को देख रहे थे।


“कोई अभी इसे छुएगा नहीं, यह भी उन विचित्र घटनाओं का हिस्सा हो सकता है।" अल्बर्ट ने सबको हिदायत देते हुए कहा।

तभी ऐमू जाकर उस सिंहासन के ऊपर बैठ गया। कोई भी विचित्र घटना ना घटते देख सुयश भी आगे बढ़कर उस सिंहासन पर बैठ गया।

जैसे ही सुयश सिंहासन पर बैठा, उसका शरीर बेजान होकर उसी सिंहासन पर ढुलक गया।

यह देख सभी घबरा गये। अल्बर्ट भागकर सुयश का शरीर चेक करने लगा।

सुयश के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी।

अल्बर्ट ने सुयश के शरीर को हिलाया, पर सुयश का शरीर बिल्कुल बेजान सा लग रहा था।

अल्बर्ट ने घबराकर सुयश की नाक के पास अपना हाथ लगाया और फ़िर उसकी नब्ज चेक करने लगा।

“कैप्टन! अब इस दुनियां में नहीं हैं।"

अल्बर्ट के शब्द किसी बम के धमाके की तरह से पूरे कमरे में गूंजे। जिसने भी सुना वह सदमें से वहीं बैठ गया।

“यह कैसे हो सकता है? कोई सिंहासन पर बैठने से भला कैसे मर सकता है?" तौफीक की आँखों में दुनियां भर का आश्चर्य दिख रहा था।

“आप सब परेशान मत होइये, कैप्टन अंकल अभी मरे नहीं हैं।" शैफाली ने कहा।

“मैं उनके शरीर से जुड़ी जीवन की डोर को स्पस्ट देख रही हूं। इसका मतलब उनका सूक्ष्म शरीर यहां पर नहीं है, परंतु उनकी मौत नहीं हुई है। वो किसी रहस्यमय यात्रा पर हैं।
वो जल्दी ही अपने शरीर में वापस लौटेंगे। हमें यहां बैठकर उनकी वापसी का इंतजार करना चाहिए।"

शैफाली के शब्द सुन सभी शैफाली को देखने लगे। किसी की समझ में तो कुछ नहीं आ रहा था, पर शैफाली की बातों को झुठलाना किसी के बस की बात नहीं थी। इसिलये सभी चुपचाप से उस सिंहासन के चारो ओर बैठकर सिंहासन को देखने लगे।


चैपटर-7: कैलाश रहस्य
(आज से 5020 वर्ष पहले, वेदालय, कैलाश पर्वत, हिमालय)

सिंहासन पर बैठते ही सुयश को अपना शरीर हवा में उड़ता हुआ महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे उसके शरीर से आत्मा ही निकल गयी हो।

उसका सूक्ष्म शरीर हवा में बहुत तीव्र गतिमान था।

गाढ़े अंधकार के बाद सुयश को भिन्न - भिन्न प्रकार की रोशनियो से गुजरना पड़ा।

कुछ रोशनी इतनी तेज थी कि सुयश की आँखें ही बंद हो गयी। जब सुयश की आँखें खुली तो उसने अपना शरीर बर्फ के पहाड़ो पर उड़ते हुए पाया।

“क्या मैं मर चुका हूं? या.....या फ़िर किसी रहस्यमयी शक्ति के प्रभाव में हूं?" सुयश अपने मन ही मन में बड़बड़ाया- “यह तो बहुत ही विचित्र और सुखद अनुभूति है।"

थोड़ी देर उड़ने के बाद सुयश को नीचे जमीन पर पानी की 2 झीलें दिखायी दी। एक का आकार सूर्य के समान गोल था, तो दूसरी का आकार चन्द्रमा के समान था।

तभी सुयश को सामने एक विशालकाय बर्फ का पर्वत दिखाई दिया, जो चौमुखी आकार का लग रहा था। उस पर्वत से 4 नदियां निकलती हुई दिखाई दे रही थी।

उस पर्वत को पहचान कर सुयश ने श्रद्धा से अपने शीश को झुका लिया। वह कैलाश पर्वत था। देवों के देव, का निवास स्थान- कैलाश।



जारी रहेगा_________✍️
 

Iron Man

Try and fail. But never give up trying
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#72.

तभी दूर कहीं समुंदर में एक काला धब्बा सा दिखाई दिया। रोजर ने धीरे से पायलेट को हैलीकाप्टर को उस दिशा की ओर मोड़ने का इशारा करते हुए कहा- “सर हमें बहुत दूर एक काला धब्बा सा दिखाई दे रहा है। हम लोग अब उस दिशा में बढ़ रहे हैं। शायद वह कोई पानी का जहाज हो।"

पायलेट ने हैलीकाप्टर अब उस दिशा में मोड़ लिया।

थोड़ी देर रुककर रोजर ने फिर कहा- “हम लोग गलत थे सर। वह कोई जहाज नहीं, बल्कि कोई द्वीप है। अब हम लोग धीरे-धीरे उसके और पास जा रहे हैं। यह कोई छोटा सा, परंतु हरा-भरा द्वीप है।

इसके आसपास हल्कि सी धुंध दिखाई दे रही है।.................अब हम द्वीप के और पास पहुंच गए हैं सर। अचानक कुछ गर्मी बढ़ सी गई है। शायद यह द्वीप कुछ ज़्यादा ही गरम है।

क्यों की इस द्वीप से, समुद्र की ठंडी लहरें टकराकर, धुंध के रुप में आस पास फैल रही है, जो कोहरे के रुप में मुझे दूर से ही दिखाई दे रही है।................. यहां एक विचित्र सी पहाड़ी भी है। दूर से देखने पर यह कोई ताज पहने हुए मानव आकृति के समान प्रतीत हो रही है.. ..... ऐसा लग रहा है जैसे कोई योद्धा इस द्वीप की रखवाली कर रहा हो...........!

अब हम इस द्वीप के ऊपर उड़ान भर रहे हैं सर। ....... यहां किसी भी प्रकार के जीवन का कोई निशान नहीं है। हर तरफ एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ है। द्वीप के बीच में, एक साफ पानी की झील भी दिख रही है। देखने में यह द्वीप काफ़ी सुंदर लग रहा है सर।

ऊंचाई से देखने पर यह द्वीप एक त्रिभुज की आकृति के लिए हुए दिखाई दे रहा है। पर यह क्या सर?....ओऽऽऽ नोऽऽऽ ...... यह कैसे संभव है?....."

तभी द्वीप के चारो तरफ फैली धुंध धीरे-धीरे हैलीकाप्टर को घेरने लगी और आसमान में एक गहरे लाल रंग के बादलों की टुकड़ी उड़कर उस धुंध में समाहित हो गयी।

उस धुंध का अक्स पानी में पड़कर एक अजीब सा रंग उत्पन्न कर रहा था।

यह देख रोजर की आवाज अत्यन्त विस्मय से भर गई। इतना विचित्र नजारा देख रोजर की आँखो में खौफ साफ नजर आने लगा।

“क्या हुआ रोजर? क्या दिख रहा है तुम्हें?" वॉकी-टॉकी पर सुयश की घबरायी आवाज आयी।

“मैं समझ .....नहीं पा ......रहा हूं सर की मैं......आपको कैसे बताऊं? .......... मैं इस समय .....बड़ा अजीब सा ....महसूस कर रहा हु। ऐसा लगता है जैसे धुंध.......बड़ी तेजी से बढ़ गई है।

आसमान का रंग........समझ में ....नहीं आ ....रहा है।......पानी भी......जैसा दिखना चाहिए....... वैसा नहीं दिख रहा है....और ये क्या?......ये....ये .....यहां ये..... मुझे क्या दिख रहा है.....सर ऐसा लग रहा है .....जैसे कि हम.......।"

अभी रोजर इतना ही बोल पाया था कि तभी द्वीप से निकली एक रहस्मयी तरंग ने हैलीकाप्टर के मैकेनिजम को खराब कर दिया।

“खट् ....खट्..... खटाक।" और इसी के साथ रोजर का संपर्क सुयश से टूट गया।

“सर, हैलीकाप्टर के सारे कण्ट्रोलस एकाएक खराब हो गये हैं। शायद इस क्षेत्र में भी विद्युत चुम्बकीय तरंगे हैं।" पायलेट ने चीख कर रोजर को खतरे से आगाह किया।

हैलीकाप्टर अब किसी परकटी चिड़िया की तरह हवा में लहराने लगा। रोजर समझ गया कि अब हैलीकाप्टर को दुर्घटना होने से कोई नहीं बचा सकता।

रोजर की नजर अब द्वीप में फैले जंगल पर गयी।

घने जंगल के आगे कुछ दूरी पर रोजर को एक रेगिस्तान जैसा क्षेत्र नजर आया।

“उस तरफ ..... हैलीकाप्टर को कैसे भी उस रेगिस्तान में लैन्ड कराने की कोशिश करो।"

रोजर ने पायलेट को द्वीप के रेतीले हिस्से की तरफ इशारा करते हुए कहा- “अगर हमारा हैलीकाप्टर उधर गिरा तो जिंदा बचने की संभावनाएं ज़्यादा है।"

“मैं कोशिश कर रहा हुं सर।" पायलेट ने चीख कर कहा और हैलीकाप्टर को तेजी से नीचे करने लगा।

तभी एक धुंध ने हैलीकाप्टर के पंखे को अपने घेरे में ले लिया और पंखा नाचते-नाचते रुक गया। हैलीकाप्टर सीधे नीचे गिरने लगा। पायलेट और रोजर दोनों के ही पास अपने को बचाने के लिये बिल्कुल भी समय नहीं था।

रोजर की निगाहे अब सिर्फ और सिर्फ जमीन की ओर थी जो कि धीरे-धीरे उसके पास आती जा रही थी। तभी हैलीकाप्टर द्वीप के ऊपर मौजूद किसी अदृस्य दीवार से टकराया।

हैलीकाप्टर से बहुत तेज़ चिंगारी निकली और इससे पहले कि रोजर कुछ समझ पाता, हैलीकाप्टर घने पेडों से टकराता हुआ जमीन पर आ गया।

रोजर सीट सहित हैलीकाप्टर से निकलकर दूर जा गिरा। आवाज इतनी भयानक थी कि थोड़ी देर तक तो रोजर को कुछ समझ ही नहीं आया कि वह कहां गिरा?

लगभग 5 मिनट के बाद रोजर थोड़ा चैतन्य हो गया।

रोजर ने सबसे पहले उठकर अपने शरीर को चेक किया, पर ईश्वर की कृपा से रोजर को छोटी-मोटी खरौंच के सिवा ज़्यादा चोट नहीं आई थी। अब रोजर की निगाह अपने आसपास गयी।

“ये क्या? हैलीकाप्टर तो रेगिस्तान के क्षेत्र में गिरा था, पर यहां तो रेत का कहीं नामोनिशान तक नहीं है। ऐसा कैसे हो सकता है?" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया।

तभी उसे द्वीप की अद्रस्य दीवार का ख्याल आया।

“वह अदृस्य दीवार कैसी थी? शायद उसी दीवार की वजह से यहां रेगिस्तान नजर आ रहा था।" रोजर ने आसमान की ओर देखते हुए, अपने मन में कहा।

तभी उसे हैलीकाप्टर का ख्याल आया। रोजर ने अपनी नजर इधर-उधर दौड़ाई। रोजर को कुछ दूरी पर हैलीकाप्टर के अवशेष पड़े दिखायी दिये, जिनसे धुंआ निकल रहा था।

उसे तुरंत पायलेट का ख्याल आया और यह ख्याल आते ही रोजर ने हैलीकाप्टर की ओर दौड़ लगा दी।

हैलीकाप्टर पेडों के एक झुरमुट के बीच गिरा पड़ा था।

रोजर अभी हैलीकाप्टर से थोड़ा दूर ही था कि तभी उसे हैलीकाप्टर के पीछे किसी जानवर की पूंछ दिखायी दी। यह देख रोजर तुरंत रुक कर एक पेड़ की ओट में हो गया।

अब रोजर की निगाहें हैलीकाप्टर की ओर थी।

तभी उसे एक बड़ा सा शेर दिखाई दिया, जो अब हैलीकाप्टर के अंदर की ओर जा रहा था।

रोजर के पास ऐसा कुछ भी नहीं था जिससे वह शेर से लड़ सकता। इसिलये वह चुपचाप पेड़ के पीछे खड़ा शेर को देख रहा था।

थोड़ी देर बाद शेर पायलेट को मुंह में पकड़ कर बाहर निकलता हुआ दिखाई दिया।

पायलेट का शरीर हवा में झूल रहा था। रोजर समझ गया कि पायलेट अब जीवित नहीं है।

शेर पायलेट के शरीर को मुंह में दबाए एक दिशा की ओर चल दिया।
शेर को पायलेट की लाश ले जाते देख रोजर को काफ़ी आश्चर्य हुआ इसिलये रोजर दबे पांव शेर के पीछे-पीछे चल दिया।

कुछ आगे जाने के बाद रोजर को पेडों के झुरमुट के पीछे एक इमारत दिखाई दी। जंगल में इमारत देख कर रोजर को हैरानी हुई।

शेर उस इमारत की तरफ ही जा रहा था। थोड़ी ही देर में ऊंचे-ऊंचे पेड़ पीछे छूट गये।

अब वह इमारत बिल्कुल साफ नजर आने लगी थी।

वह पिरामिड थे और वह भी एक नहीं बल्की 4, वह पिरामिड भी किसी धातु के बने नजर आ रहे थे।

“ये जंगल में पिरामिड कहां से आ गये? और ये शेर....ये शेर उन पिरामिड की तरफ क्यों जा रहा है?" रोजर मन ही मन बुदबुदाया।

शेर अब पिरामिड की सीढ़ियाँ चढ़ने लगा था। रोजर के ये सब कुछ बहुत रहस्यमयी लग रहा था।

कुछ ही देर में शेर पिरामिड के दरवाजे तक पहुंच गया। शेर ने पायलेट की लाश वहीं दरवाजे पर रख दी।

इसके बाद शेर ने एक जोर की दहाड़ मारी, फ़िर पलट कर सीढ़ियों से उतरा और एक दिशा की ओर चल दिया।

रोजर कुछ देर तक सोचता रहा कि वह शेर के पीछे जाए या फ़िर पिरामिड के रहस्य को देखे।

पिरामिड तो अपनी जगह से हिलना नहीं था, इसिलये रोजर ने शेर के पीछे जाने का फैसला कर लिया।

तब तक शेर कुछ आगे तक जा चुका था। रोजर पेड़ के ओट लेते हुए शेर का पीछा करने लगा।

चलते-चलते जंगल का क्षेत्र खत्म होने लगा और पहाड़ी क्षेत्र शुरू हो गया। मौसम में भी अब ठंडक का अहसास होने लगा था।

तभी रोजर को एक पहाड़ से झरना गिरता हुआ दिखाई दिया। शेर उस झरने के पास जाकर रूक गया।

शेर ने रूकने के बाद एक नजर चारो ओर मारी और फ़िर ना जाने क्या किया, कि शेर का शरीर धीरे-धीरे इंसान में बदल गया।

अब शेर की जगह एक लंबा-चौड़ा इंसान खड़ा दिखाई देने लगा। रोजर यह देख कर पूरी तरह से घबरा गया। रोजर का दिल अब बहुत तेज ‘धक-धक’ करने लगा।

रोजर के देखते ही देखते, वह इंसान झरने के अंदर प्रवेश कर गया। शायद झरने के अंदर कोई रास्ता था।

रोजर काफ़ी देर तक वहां खड़ा कुछ सोचता रहा। बहुत देर सोचने के बाद अब रोजर ने झरने के अंदर जाने का निर्णय कर लिया।

रोजर ने एक नजर चारो ओर मारी और धीरे-धीरे चलता हुआ झरने तक पहुंच गया। झरने के दूसरी तरफ कुछ भी दिखाई नहीं दे रहा था।

रोजर ने अपना एक हाथ झरने के अंदर डाला, उसे महसूस हुआ कि झरने के अंदर कोई रास्ता छिपा है। यह सोच रोजर झरने के अंदर प्रवेश कर गया।

झरने के दूसरी तरफ एक गुफा थी। गुफा प्रकाशमान थी। रोशनी गुफा में कहां से आ रही थी, यह पता
नहीं चल पा रहा था।

रोजर सधे कदमों से गुफा के अंदर की ओर चल दिया। गुफा अंदर से काफ़ी चौड़ी थी।

कुछ आगे जाने के बाद रोजर को गुफा में सामने की ओर 3 रास्ते दिखायी दिये।

रोजर को समझ नहीं आया कि वह सिंह मानव किस दिशा में गया था। अतः वह अंदाजे से बीच वाले रास्ते की ओर चल दिया। बीच वाला रास्ता आगे जाकर संकरा हो गया।

5 मिनट तक उस रास्ते पर चलने के बाद रोजर को पहाड़ में एक दरवाजा बना दिखाई दिया।

रोजर ने सतर्कता के साथ उस दरवाजे के अंदर कदम रखा। वह रास्ता एक विशालकाय कमरे में खुल रहा था।

यह कमरा अत्यन्त विशालकाय और खूबसूरत था। दीवार पर सुनहरी धातु की परत चढ़ी थी और उस परत पर भिन्न-भिन्न प्रकार के रत्न सजे थे। कमरे के बीच में एक सुनहरी धातु का शानदार पलंग रखा था। एक नजर में यह किसी रानी का शयनकक्ष नजर आ रहा था।

रोजर ये सब देखकर हत्तप्रभ रह गया।

तभी रोजर को किसी के कदमों की आहट सुनाई दी। आहट सुनते ही रोजर एक बड़े से लकड़ी के संदूक में छिप गया। संदूक में एक छोटा सा सुराख था, जिससे रोजर को बाहर का सब कुछ दिखाई दे रहा था।

कमरे में आने वाले 2 लोग थे। पहली एक खूबसूरत सी लड़की थी, जिसने रानियों की वेशभूषा धारण कर रखी थी। उसके हाथ में जादूगरों की तरह एक लकड़ी का दंड था। उस दंड के ऊपरी कोने पर एक नीले रंग का कोई रत्न लगा था।

दूसरा इंसान ऊपर से नीचे तक काले वस्त्र पहने हुए था। उसके सिर पर एक भी बाल नहीं था। उसने भी अपने हाथ में एक सर्प के समान मुड़ी हुई, लंबी सी छड़ी ले रखी थी।

“तुम्हें अब सामरा राज्य में जाने की तैयारी शुरू करनी चाहिए ‘आकृति’, मेरी ज्योतिषी गणना के अनुसार ‘तिलिस्मा’ को टूटने में अब ज्यादा दिन शेष नहीं हैं। तब तक तुम्हें सामरा वासियौ को अपने अधिकार में लेना ही होगा।" मकोटा ने कहा।




जारी
रहेगा_______✍️
Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌
Rozar abhi jinda par kisi bhayank jagah phash gaya jha jaanwar insan me badal jayega lagta hai yaha purani sabhyta ke awshesh bhi hai 😏
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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@ransa
Bhut hi badhiya update
Lagta hai suyash ka ye punarjanam hai pichle janam me vah devi shalaka ka aaryan tha isiliye to use vah murti jeevit partit huyi or vah khambe se nikali roshani se bhi Bach Gaya
Dekte hai ab suyash is tilism ko kese todra hai

Guruji aapki ye wali story Maine start Kiya tha 10 updates se upar Tak padha bhi hai phir bich mein personal work ke karan gayab hua to dubara link nahi kar paya story se .
Abhi bhi 1 month ka Mera busy schedule hai uske baad free rahunga tab aaram se padhunga
Watched list mein added hai bro .
Aap likhte jaao ek sath padhne mein maza aayega


Bhut hi jabardast update
To rojar us samay helicopter crash me Bach Gaya ho sayad vah abhi bhi jinda ho aur aage vapis suyash ki team se Jud paye
Us sher ka insaan me badal Jana or jarne ke piche itana khubsurat mahal hona akir or kitne rahasya chupa rakhe hai is dveep ne
Vahi rojar us sher ka picha karte karte aakurti or makota ke bich jakar pas gaya
Dekte hai rojar vaha se nikal pata hai ya nahi

पंडित जी , आप अच्छी तरह जानते है कि लोगों के नाम के मामले मे मेरी मेमोरी थोड़ी कमजोर है , सीधे सादे सरल नाम याद नही कर पाता और आप ने तो यहां बहुत ही सारे जटिल नामों का जमावड़ा कर रखा है और सबसे बड़ी मुश्किल तो यह कि इन जटिल नामों का हर अपडेट मे इजाफ़ा हो रहा है । :banghead:

खैर , एक बात तो बिल्कुल सत्य है , जानवर अगर पालतू है तो अपने मालिक के बिल्कुल वफादार होते हैं ।
हमारा यह तोता ' ऐमू ' न केवल वफादार है वरन अपने मालिक के हर सीख , हर आदेश का पालन करने वाला भी है । इस तोते ने कम से कम एक पहेली तो अवश्य ही हल कर दी । तोते की मालकिन आकृति मैडम और आपके सुपरस्टार सुयश साहब एक समय मे लव बर्ड्स रह चुके है । ऐमू का बार-बार सुयश साहब के इर्द-गिर्द मंडराना अवश्य ही आकृति मैडम के निर्देश से हुआ है ।

लेकिन एक ट्विस्ट यह भी है कि आप के सुयश साहब शलाका मैडम के वैरी भी है । इस का मतलब सुयश साहब अवश्य ही पांच हजार साल पूर्व इस अभूतपूर्व नगरी मे अवतरित हो चुके है । शायद उस दौरान वह आर्यन के नाम से अवतार लिए होंगे ।
पर आखिर इन्होने सम्राज्य की साम्राज्ञी शलाका के साथ ऐसा क्या अन्याय कर दिया था कि रानी साहिबा पांच हजार वर्ष से इनकी राह देख रही है !

वैसे पंडित जी , आप ने इस नालायक सुयश का नाम पहले आकृति और उसके बाद शलाका से जोड़कर इसे आखिर मे हीरो बना ही दिया । :D

खैर इस तिलिस्म नगरी के वास्तविक विलेन की पहचान भी इस अपडेट मे हुई । अंधेरा कायम रहे , मतलब अंधेरे का देवता जैगन इस नगरी का गब्बर सिंह है । और जब गब्बर सिंह है तो सांबा और कालिया जैसे सिपहसलार भी अवश्य ही होंगे जिनमे एक मकोटा साहब का साक्षात दर्शन हमने इस अपडेट मे किया भी ।

खुबसूरत अपडेट शर्मा जी ।
हमेशा की तरह बेहतरीन और शानदार ।

Bahut badhiya update bhai

To lagta ha ye makota hi ha jisne supreme ko duboya ha ye akriti bhi lagta ha jhuth bol rahi ha rojer se bhai isne rojer ka pata laga liya ki wo sanduk me chhipa ha to kya makota pata nahi kar sakta sab chal ha or rojer chal me fans gaya or inki baton me aa gaya ir jaise ki akriti suyesh ko janti ha bhai kuchh to gadbad ha mujhe to lagta ha ki shalaka ko or uske bhaiyon ko kaid me jisne kara tha usme is makota ka hath bhi ho sakta ha kher lekin ye age dekhte han ki kya ye sach ha

Or ye emu fir aa gaya idhar or ye jaise emu ne aki aru ka jikra kiya ha bhai aki ka matlab akriti or aru ka matlab aryan jo ki suyesh ha tabhi to emu use dost dost kahta ha lekin aryan ko shalaka ka ha to ye bich me akriti kaise aa gayi lagta ha shalaka hi bachha sakti ha in sabko ab lagta ha shalaka wali palty achhai ki taraf ha or ye akriti wali burayi ki taraf

adhbut aur akalpaniya ....superb updates Sharma ji.:perfect::perfect::love2:

:congrats: for complete 300 pages
💯💯💯

Ohhhooo to Rojer ne is tarh se bachaya Captain Vyom ko
SAth he Rojer ko pata chal gaya Udan tastari ke bare me
Lekin in sab bat se esa lagata hai ki shyad Supreme Ship ke baki log bhi shyad jinda ho sakte hai jaise pani me wo kide Mariya ko leke Gaye hai Udan tastari per shyad
Very well update Raj_sharma bhai

Awesome update
पिछले अपडेट के राज धीरे धीरे सामने आने लगे है

nice update

Bhai bahut hi jabardast update h man kr rha h bs pdte hi jao

Sharma Ji, Roger ki kahani se aap ne is upanyas ke poorane kissae taza kar diye lekin ek naye nazariye se.🔬
Dekhna yeh hai ki Roger ki kahani (jo ke abhi bhootkaal ⏳ke kissae bata rahi hai) woh abhi vartamaan ke kisso pe kaha aa ke milegi.
Aur abhi toh Vyom ki kahani bhi toh baaki hai. 👨🏼‍✈️
Aur woh hare Alien 👽hone ka andaza meine udantashtari 🛸 se lagaya.

Aap ne toh kahani seedha budh 🔴 grah se jod di. Ab Jaigan, atlantis aur dharti ka dost hai ya dushman yeh dekhna raha.
Yeh Shalaka se related aap ne 3 jagah bata di. Yeh khandar jo Shalaka ka Mahal tha, Dusra woh Shalaka ka Mandir aur Teesra woh Trans-atlantik ki barf ke beech jaha woh asliyat mei mojood hai. Woh teesri jagah kya koi aur udantashtari hai?
Aur yeh Shalaka Bharatiya Devi 👸 hai, so iska Bharat 🇮🇳 se koi na koi connection zaroor milega.

Aakruti aur Suyash toh iss yug ke hai, lekin Shalaka toh poorani hai. Kya Aakruti aur Suyash ... Shalaka aur Aaryan ke vanshaj hai, punarjanm toh nahi ho sakta kyo ki Shalaka jinda hai... 😵‍💫

Ufff yaar kitna sochti hu mei bhi... :cool3:

nice update

Nice update....

305 pages that's lovely 💓 mujhe nahi pata tha apki running story ke baare me but all the very best :hug:

Bahut hi gazab ki update he Raj_sharma Bhai,

Roger ne apna kaam ko kar diya............lekin sath hi sath aakriti se rahasay bhi jaan liye.........

Khandahar me ye log raat bitane ke liye aa to gaye he...........lekin raat kaisi gujregi..........ya nahi pata..........

Keep rocking bro

Mercury planet ki temperature bahut high hoti hai kyonki ye Sun ke bahut karib hai aur alein wahan se aaye hain matlab unki heat ko tolerate karne ke capability bahut jyada hogi. Roger ka apne logo ko dekh kar emotional ho jana swabhavik hai jab koi apno se bahut dino baad mil raha ho aur jab use pata ho ki sabhi khatre mein hain.

Nice and wonderful update brother, keep writing brother.

अपडेट 71 :

तो यह अराका द्वीप अटलांटिस का ही अंग है। और वहाँ बर्फ़ के नीचे भी जो भी दबा हुआ है (शलाका का महल), वो मेरे पूर्व के अनुमान के अनुरूप ही अटलांटिस का ही अंग है।

छः फुट की शलाका देवी की मूर्ति आदमक़द ही है। सुयश को उससे महक भी महसूस हुई और शरीर की गर्माहट भी (आपने लिखा नहीं, लेकिन हमने पढ़ लिया... हा हा हा हा)! तो संभव है कि यह मूर्ति शलाका का एक होलोग्राम जैसा प्रतिबिम्ब हो - ऐसा होलोग्राम जो स्थिर है, लेकिन शलाका की जीवन-शक्ति से जुड़ा हुआ है।

एक बात तो है, हमारी पूजा पाठ परंपरा में मूर्तियों का बड़ा ही महत्व है। ईश्वर को निराकार और साकार दोनों रूपों में माना जाता है और मूर्ति ईश्वर के साकार रूप को दर्शाती है और भक्तों में उनकी उपस्थिति का अनुभव करने में सहायता करती है। मूर्तियों के कारण ईश्वर में ध्यान लगाना सरल और सहज हो जाता है। देखा जाए तो मूर्ति ईश्वर का केवल एक प्रतीक मात्र नहीं है, बल्कि भक्त की आस्था और भक्ति का एक सशक्त माध्यम है।

सुयश (आर्यन) और शलाका का पुराना सम्बन्ध है। किस रूप में, यह बताया नहीं अभी तक। लेकिन जिस तरह से सुयश शलाका की मूर्ति की तरफ़ आकर्षित हुआ और जिस तरह से वो उसको स्पर्श करने के बाद बिना क्षति / हानि के बच गया (युगाका को भी आश्चर्य हुआ इस बात पर), उससे तो साफ़ लगता है कि शलाका और सुयश का गहरा सम्बन्ध है। तिलिस्म का टूटना भी सुयश के कारण ही संभव है - मतलब अभी तक का अपना खोटा सिक्का उतना भी खोटा नहीं है! 🙂

वैसे, शलाका शब्द से एक बात याद आ गई, जो संभवतः यहाँ कई पाठकों को पता न हो।

संत तुलसीदास जी की रामचरितमानस में शुरुवात में ही ‘श्री राम शलाका प्रश्नावली’ है। शलाका शब्द के कई अर्थ हैं, लेकिन उसका एक अर्थ तीली/सलाई/सलाख भी होता है। यदि जीवन में कोई बहुत ही कठिन समस्या हो, तो इस प्रश्नावली का प्रयोग करें। संभव है कोई हल मिल जाए। कुछ नहीं तो एक दोहा ही पता चल जाएगा 🙂

[मान्यवर मॉडरेटर महोदय लोग, इस कमेंट को अनावश्यक बैन / एडिट न कर दीजिएगा। यह जानकारी बस सभी का ज्ञान बढ़ाने के लिए शेयर करी है]

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अपडेट 72 :

सात दिन पहले की घटना से पता चलता है कि रोजर जीवित है। उसने एक सिंह-मानव देख लिया। सबसे पहले ऐसे एक जीवों का वर्णन मैंने सुपर कमाण्डो ‘ध्रुव’ की दो कॉमिक्स “आदमखोरों का स्वर्ग” और “स्वर्ग की तबाही” में पढ़ा था - सन 1987 / 1988 में! बचपन की याद ताज़ा हो आई भाई! 🙂

मकोटा ने ज्योतिष विद्या से जान लिया है कि तिलिस्मा अब टूटने ही वाला है। आकृति कौन है, क्यों है, यह नहीं समझा। और सामरा पर अधिकार करना तिलिस्मा के टूटने से पहले ही क्यों आवश्यक है, समझा नहीं।

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अपडेट 73 :

हम्म, तो आकृति भी एक बंधक है यहाँ! और मकोटा की छल के अधीन है।

मकोटा जैगन का भक्त है, जो तमराज है (किल्मिष भाई... हीहीही)! सॉरी शक्तिमान! हा हा हा! 😂

वो पिरामिड जैगन का ही मंदिर है। मतलब बहुत सारा स्यापा इस जैगन और मकोटा के कारण ही है। ये मकोटा थोड़ा थोड़ा "लार्ड ऑफ़ द रिंग्स" के “सारोमान” जैसा ही है। वो सिंह/पशु-मानव लुफासा सिनोर का राजकुमार है! यार - बड़ी दिक्कत हो रही है। अनगिनत पात्र और सबके नाम कठिन! मेरे जैसा भुलक्कड़ कुछ लिखे भी तो कैसे?

हम्म्म, तो वो ऊर्जा/स्वर्ण-मानव अपना रोजर ही था।

आकृति का यह कहना कि तिलिस्मा के टूटने से सभी मुक्त हो जाएँगे - यह एक बचकानी सी बात है। कोई मुक्त नहीं होने वाला। यह खेल बहुत बड़ा है। जैगन इतनी आसानी से किसी को नहीं छोड़ेगा।

अल्बर्ट की यह बात, “यहां की हर वस्तु और जीव ईश्वर के सिद्धांतो से अलग दिख रही है” एकदम सही है। सब कुछ कृत्रिम है यहाँ।

ऐमू ने दो शब्द कहे। अंदाज़ा लगा रहा हूँ कि आरू : मतलब आर्यन, और आकी : मतलब आकृति या फिर अक्का (दीदी)? लेकिन फिर आरू की आकी... ई तो सुसरा प्रेम-त्रिकोण बन जायेगा ऐसे तो (अगर संजू भाई की बात सही है तो)! वैसे ही बरमूडा त्रिकोण के लफ़ड़े से निकल नहीं पा रहे हैं, अब एक और त्रिकोण! दादा रे!

लेकिन बड़ा सवाल यह है कि ऐमू को कैसे पता कि सुयश की आर्यन है?

बड़े रहस्य हैं भाई! बड़े रहस्य! कहानी ही “तिलिस्मा” है ये तो!

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अपडेट 74 :

आदमखोर पेड़! सुयश भाई का किरदार अचानक से ही खतरे में आ गया। मतलब यह आवश्यक नहीं कि हमारे इन किरदारों को कोई क्षति न हो। पूरी तरह संभव है यह।

“सुयश की पीठ पर बना सुनहरे रंग का सूर्य का टैटू चमकने लगा” -- लेकिन वो गोदना (टैटू) तो काले रंग का था न? हाँ - और यही बात ब्रैंडन ने भी पूछी! वैसे अगर शेफ़ाली का अनुमान सही है, तो यह गोदना एक आवश्यक क्रिया है, जो शलाका के कहने पर पाँच सौ साल पहले शुरू की होगी, सुयश के पुरखों ने।

मतलब, सुयश के किसी पुरखे के साथ शलाका जी का प्रेम/वैवाहिक सम्बन्ध था...

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अपडेट 75 :

ये चूहा बिल्ली लुफासा और उसके ही जैसी शक्ति वाला कोई अन्य सिनोर-वासी तो नहीं? अगर हाँ, तो आकृति और रोजर की सब असलियत उनको पता हैं।

हरे प्राणी, उड़नतश्तरी, झोपड़ी... बाप रे! किन किन बातों को ध्यान में रखें हम! और आप कैसे रख रहे हैं राज भाई!? कमाल है और बलिहारी है आपकी कल्पना और स्मरण-शक्ति के! वाह! अद्भुत!

इन सब बातों के बीच में असलम की याद आ गई। उसको कैसे पता था कि सुप्रीम को अटलांटिस की तरफ़ लाना है?
कहीं वो भी तो मकोटा का ही कोई मातहत (कर्मचारी) नहीं?

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अपडेट 76 :

जैगन -- बुद्ध-ग्रह वासी है। हरे कीड़े भी वहीं की उपज हैं।

लेकिन कुछ भी हो, पृथ्वी और बुद्ध दोनों ही सूर्य की परिक्रमा करते हैं -- अतः सूर्य उन दोनों पर ही भारी पड़ेगा। मतलब, सुयश भाई का पलड़ा खगोलीय दृष्टि से बहुत भारी तो है। सूर्यवंशी है वो! तो जैगन जैसा हरा कीड़ा उसका कुछ बिगाड़ नहीं सकता। 😂 मकोटा भी नहीं।

मेरा एक और विचार है -- शायद अनजाने में ही सही, आकृति ने रोजर के रूप में एक ‘भेदी’ को रिक्रूट कर लिया है। समय आने पर रोजर ‘सुयश एंड कं.’ को सारे रहस्य समझा देगा।

नटराज -- भगवान शिव का ताण्डव नृत्य करता हुआ रूप हैं। वैसे तो इस रूप का दार्शनिक ज्ञान मुझको कम ही है, लेकिन इतना पता है कि ताण्डव नृत्य पाँच आदि-शक्तियों को प्रदर्शित करता है -- सृष्टि, स्थिति, संहार, तिरोधन (शुभ का आगमन और अशुभ हटाना), और अनुग्रह (अनुकम्पा)! चूँकि मुझे इस विषय में बहुत कम पता है, इसलिए अनावश्यक बनावटी ज्ञान नहीं झाडूँगा।

देवी शलाका के मंदिर / महल में नटराज की उपस्थिति रोचक है।


Raj_sharma राज भाई -- पढ़ तो लेता हूँ, लेकिन अपने विचार नहीं रख पाता समय पर।

क्या अद्भुत लेखन है भाई! आपको सच में पुस्तक / उपन्यास लिखना चाहिए। बहुत ही अच्छा लेखन है आपका।
उससे भी अच्छी है आपकी कल्पना।
क्या समां बाँधा है इस कहानी में! वाह! वाह!

ऐसे ही लिखते रहें! देर सवेर ही सही, साथ तो बने ही हैं हम आपके!

खुद को मासूम कहने वाला शैतान बच्चा भी आ ही गया

ये सभी प्रकार की कामुकता (व्यभिचार, इन्टरफेथ, कुकोल्ड व इन्सेस्ट आदि) से मुक्त विषय-वस्तु पर आधारित कथा है‌...

आपके हवस के कारनामे यहां नहीं मिलेंगे तो निराश हो कर पढ़ना मत छोड़ना

intezaar rahega next update ka Raj_sharma bhai....

बहुत ही गजब का सुंदर लाजवाब और अद्भुत मनमोहक अपडेट हैं भाई मजा आ गया
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और रहस्यमयी अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा

Update posted friends :declare:
 

Rekha rani

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#77.

“ये कैसे हो सकता है?" जॉनी ने डरते हुए शैफाली की ओर देखा- “दीवार के पीछे छिपी आकृति शैफाली को कैसे नजर आ गयी?"

“मुझे लगता है कि शैफाली की आँखे जादुई तरीके से सही हुई है, इसिलये इसकी आँखों में कोई शक्ति आ गयी है?" अल्बर्ट ने शैफाली की आँखों की ओर देखते हुए कहा।

सभी को अल्बर्ट की बातों में दम दिखाई दिया।

तभी शैफाली दूसरी दीवार की ओर देखते हुए आश्चर्य से भर उठी-

“ये कैसे संभव है?"

शैफाली की बात सुन सभी का ध्यान उस दीवार की ओर गया, पर पिछली बार की तरह इस बार भी किसी को कुछ नहीं दिखाई दिया।

सुयश को ये कोतूहल रास ना आया इसलिए उसने आगे बढ़कर उस दीवार से भी मिट्टी को साफ कर दिया।

पर मिट्टी साफ करते ही इस बार हैरान होने की बारी सबकी थी, क्यों कि उस दीवार पर वही सूर्य की आकृति बनी थी, जो कि सुयश की पीठ पर टैटू के रूप में मौजूद थी।

अब मानो सबके दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया। काफ़ी देर तक किसी के मुंह से कोई बोल नहीं फूटा।

“कैप्टन!"

आख़िरकार ब्रेंडन बोल उठा- “आप तो कह रहे थे कि यह टैटू का निशान आपके दादाजी के हाथ पर बना था, जो आपको अच्छा लगा और आपने इस टैटू को अपनी पीठ पर बनवा लिया। पर आपके दादाजी तो भारत में रहते थे, फ़िर बिल्कुल उसी तरह का निशान यहां इस रहस्यमयी द्वीप पर कैसे मौजूद है?"

“मुझे लगता था कि यह निशान साधारण है, पर अब मुझे याद आ गया कि बचपन में जब मैं अपने दादाजी के साथ अपने कुलदेवता के मंदिर जाता था, तो मैंने यह निशान वहां भी बना देखा था।"

सुयश ने बचपन की बातों को याद करते हुए कहा- “दरअसल हम लोग सूर्यवंशी राजपूत हैं, मुझे लगता है कि यह निशान हमारे कुल का प्रतीक है। अब यह निशान यहां कहां से आया, ये मुझे भी नहीं पता?"

“कैप्टन, लेकिन एक बात तो श्योर है कि देवी शलाका का जुड़ाव भारतीय संस्कृति से कुछ ज़्यादा ही था।" अल्बर्ट ने एक बार फ़िर खंडहारों के देखते हुए कहा।

“शैफाली।" जेनिथ ने शैफाली को देखते हुए कहा- “जरा एक बार ध्यान से पूरे खंडहर को देखो। शायद तुम्हे कुछ और रहस्यमयी चीज मिल जाए?"

शैफाली अब ध्यान से खंडहर की दीवार और छत को देखने लगी। सभी शैफाली के पीछे थे।

एक दीवार के पास जाकर शैफाली कि गयी और दीवार को ध्यान से देखते हुए बोली-
“इस दीवार पर देवी शलाका की तस्वीर है।"

देवी शलाका का नाम सुनते ही सुयश की आँखों के सामने देवी शलाका का प्रतिबिंब उभर आया।

वह एक क्षण रुका और फ़िर सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को साफ करने लगा।

जैसे ही सुयश ने देवी शलाका की मूर्ति को स्पर्श किया, वहां से हजारों किलोमीटर दूर, अंटार्कटिका के बर्फ में मौजूद, शलाका के चेहरे पर एक गुलाबी मुस्कान बिखर गयी।

शलाका ने अपनी आँखों को बंद किया और धीरे से हवा में फूंक मारते हुए बुदबुदाई- “आर्यन!"

इधर अचानक सुयश को एक झटका सा महसूस हुआ। उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके कान के पास ‘आर्यन’ पुकारा हो।

सुयश को झटका लगते देख अल्बर्ट ने पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टन? आपको कुछ महसूस हुआ क्या?"

“हां प्रोफेसर, मुझे ऐसा लगा जैसे कि किसी ने मेरे कान के पास ‘आर्यन’ कहकर पुकारा।" सुयश ने चारो ओर देखते हुए कहा।

“यह नाम भी भारतीय ही लग रहा है।“

क्रिस्टी ने कहा- “यहां कुछ ना कुछ तो ऐसा जरूर है? जो यहां है तो, पर हमें नजर नहीं आ रहा।"

“तुम्हारा यह कहने का मतलब है, कि यहां पर कोई अदृश्य शक्ति मौजूद है?" एलेक्स ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।

“कभी शैफाली के कानो में, तो कभी कैप्टन के कानो में यह अजीब सी आवाज सुनाई देना, यह साबित करता है, कि अवश्य ही कोई ऐसी शक्ति यहां है, जो या तो अदृश्य है या फ़िर किसी जगह से लगातार हम पर नजर रखे है।" क्रिस्टी के शब्दो में विश्वास की झलक दिख रही थी।

तभी ऐमू उड़कर एक दरवाजे के बीच लगे घंटे के आसपास मंडराते हुए जोर-जोर से चिल्लाया-

“घंटा बजाओगे, सब जान जाओगे .... घंटा बजाओगे, सब जान जाओगे।"

सुयश ने एक पल को कुछ सोचा और फ़िर आगे जाकर दरवाजे पर लगे घंटे को बजा दिया।

“टन्ऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"

घंटे की आवाज जोर से पूरे खण्डहरों में गूंजी। अचानक से उन खण्डहरों की जमीन और छत कांपने लगी।

“भूकंप ..... ये भूकम्प के लक्षण हैं।" जैक जोर से चिल्लाया।

तभी उस कमरे की जमीन, एक जगह से अंदर की ओर धंस गयी और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, उस जगह से जमीन के नीचे से एक प्लैटफ़ॉर्म ऊपर आता दिखाई दिया।

उस प्लैटफ़ॉर्म के ऊपर एक सुनहरे रंग की धातु का सिंहासन रखा हुआ था। जो किसी पौराणिक सम्राट का नजर आ रहा था।

उस सिंहासन के बीचोबीच एक विशालकाय ‘हिमालयन यति’ का चित्र बना था, जो अपने हाथो में एक गदा जैसा अस्त्र लिए हुए था। बाकी उस सिंहासन के चारो तरफ बर्फ़ की घाटी के सुंदर चित्र, फूल और पौधे बने हुए थे।

सिंहासन के जमीन से निकलते ही जमीन का हिलना बंद हो गया। सभी मन्त्रमुग्ध से उस चमत्कारी सिंहासन को देख रहे थे।


“कोई अभी इसे छुएगा नहीं, यह भी उन विचित्र घटनाओं का हिस्सा हो सकता है।" अल्बर्ट ने सबको हिदायत देते हुए कहा।

तभी ऐमू जाकर उस सिंहासन के ऊपर बैठ गया। कोई भी विचित्र घटना ना घटते देख सुयश भी आगे बढ़कर उस सिंहासन पर बैठ गया।

जैसे ही सुयश सिंहासन पर बैठा, उसका शरीर बेजान होकर उसी सिंहासन पर ढुलक गया।

यह देख सभी घबरा गये। अल्बर्ट भागकर सुयश का शरीर चेक करने लगा।

सुयश के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी।

अल्बर्ट ने सुयश के शरीर को हिलाया, पर सुयश का शरीर बिल्कुल बेजान सा लग रहा था।

अल्बर्ट ने घबराकर सुयश की नाक के पास अपना हाथ लगाया और फ़िर उसकी नब्ज चेक करने लगा।

“कैप्टन! अब इस दुनियां में नहीं हैं।"

अल्बर्ट के शब्द किसी बम के धमाके की तरह से पूरे कमरे में गूंजे। जिसने भी सुना वह सदमें से वहीं बैठ गया।

“यह कैसे हो सकता है? कोई सिंहासन पर बैठने से भला कैसे मर सकता है?" तौफीक की आँखों में दुनियां भर का आश्चर्य दिख रहा था।

“आप सब परेशान मत होइये, कैप्टन अंकल अभी मरे नहीं हैं।" शैफाली ने कहा।

“मैं उनके शरीर से जुड़ी जीवन की डोर को स्पस्ट देख रही हूं। इसका मतलब उनका सूक्ष्म शरीर यहां पर नहीं है, परंतु उनकी मौत नहीं हुई है। वो किसी रहस्यमय यात्रा पर हैं।
वो जल्दी ही अपने शरीर में वापस लौटेंगे। हमें यहां बैठकर उनकी वापसी का इंतजार करना चाहिए।"

शैफाली के शब्द सुन सभी शैफाली को देखने लगे। किसी की समझ में तो कुछ नहीं आ रहा था, पर शैफाली की बातों को झुठलाना किसी के बस की बात नहीं थी। इसिलये सभी चुपचाप से उस सिंहासन के चारो ओर बैठकर सिंहासन को देखने लगे।


चैपटर-7: कैलाश रहस्य
(आज से 5020 वर्ष पहले, वेदालय, कैलाश पर्वत, हिमालय)

सिंहासन पर बैठते ही सुयश को अपना शरीर हवा में उड़ता हुआ महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे उसके शरीर से आत्मा ही निकल गयी हो।

उसका सूक्ष्म शरीर हवा में बहुत तीव्र गतिमान था।

गाढ़े अंधकार के बाद सुयश को भिन्न - भिन्न प्रकार की रोशनियो से गुजरना पड़ा।

कुछ रोशनी इतनी तेज थी कि सुयश की आँखें ही बंद हो गयी। जब सुयश की आँखें खुली तो उसने अपना शरीर बर्फ के पहाड़ो पर उड़ते हुए पाया।

“क्या मैं मर चुका हूं? या.....या फ़िर किसी रहस्यमयी शक्ति के प्रभाव में हूं?" सुयश अपने मन ही मन में बड़बड़ाया- “यह तो बहुत ही विचित्र और सुखद अनुभूति है।"

थोड़ी देर उड़ने के बाद सुयश को नीचे जमीन पर पानी की 2 झीलें दिखायी दी। एक का आकार सूर्य के समान गोल था, तो दूसरी का आकार चन्द्रमा के समान था।

तभी सुयश को सामने एक विशालकाय बर्फ का पर्वत दिखाई दिया, जो चौमुखी आकार का लग रहा था। उस पर्वत से 4 नदियां निकलती हुई दिखाई दे रही थी।

उस पर्वत को पहचान कर सुयश ने श्रद्धा से अपने शीश को झुका लिया। वह कैलाश पर्वत था। देवों के देव, का निवास स्थान- कैलाश।



जारी रहेगा_________✍️
रहस्यों को सुलझाता हुआ रहस्य से भरपूर अपडेट
 

parkas

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#77.

“ये कैसे हो सकता है?" जॉनी ने डरते हुए शैफाली की ओर देखा- “दीवार के पीछे छिपी आकृति शैफाली को कैसे नजर आ गयी?"

“मुझे लगता है कि शैफाली की आँखे जादुई तरीके से सही हुई है, इसिलये इसकी आँखों में कोई शक्ति आ गयी है?" अल्बर्ट ने शैफाली की आँखों की ओर देखते हुए कहा।

सभी को अल्बर्ट की बातों में दम दिखाई दिया।

तभी शैफाली दूसरी दीवार की ओर देखते हुए आश्चर्य से भर उठी-

“ये कैसे संभव है?"

शैफाली की बात सुन सभी का ध्यान उस दीवार की ओर गया, पर पिछली बार की तरह इस बार भी किसी को कुछ नहीं दिखाई दिया।

सुयश को ये कोतूहल रास ना आया इसलिए उसने आगे बढ़कर उस दीवार से भी मिट्टी को साफ कर दिया।

पर मिट्टी साफ करते ही इस बार हैरान होने की बारी सबकी थी, क्यों कि उस दीवार पर वही सूर्य की आकृति बनी थी, जो कि सुयश की पीठ पर टैटू के रूप में मौजूद थी।

अब मानो सबके दिमाग ने काम करना ही बंद कर दिया। काफ़ी देर तक किसी के मुंह से कोई बोल नहीं फूटा।

“कैप्टन!"

आख़िरकार ब्रेंडन बोल उठा- “आप तो कह रहे थे कि यह टैटू का निशान आपके दादाजी के हाथ पर बना था, जो आपको अच्छा लगा और आपने इस टैटू को अपनी पीठ पर बनवा लिया। पर आपके दादाजी तो भारत में रहते थे, फ़िर बिल्कुल उसी तरह का निशान यहां इस रहस्यमयी द्वीप पर कैसे मौजूद है?"

“मुझे लगता था कि यह निशान साधारण है, पर अब मुझे याद आ गया कि बचपन में जब मैं अपने दादाजी के साथ अपने कुलदेवता के मंदिर जाता था, तो मैंने यह निशान वहां भी बना देखा था।"

सुयश ने बचपन की बातों को याद करते हुए कहा- “दरअसल हम लोग सूर्यवंशी राजपूत हैं, मुझे लगता है कि यह निशान हमारे कुल का प्रतीक है। अब यह निशान यहां कहां से आया, ये मुझे भी नहीं पता?"

“कैप्टन, लेकिन एक बात तो श्योर है कि देवी शलाका का जुड़ाव भारतीय संस्कृति से कुछ ज़्यादा ही था।" अल्बर्ट ने एक बार फ़िर खंडहारों के देखते हुए कहा।

“शैफाली।" जेनिथ ने शैफाली को देखते हुए कहा- “जरा एक बार ध्यान से पूरे खंडहर को देखो। शायद तुम्हे कुछ और रहस्यमयी चीज मिल जाए?"

शैफाली अब ध्यान से खंडहर की दीवार और छत को देखने लगी। सभी शैफाली के पीछे थे।

एक दीवार के पास जाकर शैफाली कि गयी और दीवार को ध्यान से देखते हुए बोली-
“इस दीवार पर देवी शलाका की तस्वीर है।"

देवी शलाका का नाम सुनते ही सुयश की आँखों के सामने देवी शलाका का प्रतिबिंब उभर आया।

वह एक क्षण रुका और फ़िर सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को साफ करने लगा।

जैसे ही सुयश ने देवी शलाका की मूर्ति को स्पर्श किया, वहां से हजारों किलोमीटर दूर, अंटार्कटिका के बर्फ में मौजूद, शलाका के चेहरे पर एक गुलाबी मुस्कान बिखर गयी।

शलाका ने अपनी आँखों को बंद किया और धीरे से हवा में फूंक मारते हुए बुदबुदाई- “आर्यन!"

इधर अचानक सुयश को एक झटका सा महसूस हुआ। उसे ऐसा लगा जैसे किसी ने उसके कान के पास ‘आर्यन’ पुकारा हो।

सुयश को झटका लगते देख अल्बर्ट ने पूछ लिया- “क्या हुआ कैप्टन? आपको कुछ महसूस हुआ क्या?"

“हां प्रोफेसर, मुझे ऐसा लगा जैसे कि किसी ने मेरे कान के पास ‘आर्यन’ कहकर पुकारा।" सुयश ने चारो ओर देखते हुए कहा।

“यह नाम भी भारतीय ही लग रहा है।“

क्रिस्टी ने कहा- “यहां कुछ ना कुछ तो ऐसा जरूर है? जो यहां है तो, पर हमें नजर नहीं आ रहा।"

“तुम्हारा यह कहने का मतलब है, कि यहां पर कोई अदृश्य शक्ति मौजूद है?" एलेक्स ने क्रिस्टी को देखते हुए कहा।

“कभी शैफाली के कानो में, तो कभी कैप्टन के कानो में यह अजीब सी आवाज सुनाई देना, यह साबित करता है, कि अवश्य ही कोई ऐसी शक्ति यहां है, जो या तो अदृश्य है या फ़िर किसी जगह से लगातार हम पर नजर रखे है।" क्रिस्टी के शब्दो में विश्वास की झलक दिख रही थी।

तभी ऐमू उड़कर एक दरवाजे के बीच लगे घंटे के आसपास मंडराते हुए जोर-जोर से चिल्लाया-

“घंटा बजाओगे, सब जान जाओगे .... घंटा बजाओगे, सब जान जाओगे।"

सुयश ने एक पल को कुछ सोचा और फ़िर आगे जाकर दरवाजे पर लगे घंटे को बजा दिया।

“टन्ऽऽऽऽऽऽऽऽऽ"

घंटे की आवाज जोर से पूरे खण्डहरों में गूंजी। अचानक से उन खण्डहरों की जमीन और छत कांपने लगी।

“भूकंप ..... ये भूकम्प के लक्षण हैं।" जैक जोर से चिल्लाया।

तभी उस कमरे की जमीन, एक जगह से अंदर की ओर धंस गयी और इससे पहले कि कोई कुछ समझ पाता, उस जगह से जमीन के नीचे से एक प्लैटफ़ॉर्म ऊपर आता दिखाई दिया।

उस प्लैटफ़ॉर्म के ऊपर एक सुनहरे रंग की धातु का सिंहासन रखा हुआ था। जो किसी पौराणिक सम्राट का नजर आ रहा था।

उस सिंहासन के बीचोबीच एक विशालकाय ‘हिमालयन यति’ का चित्र बना था, जो अपने हाथो में एक गदा जैसा अस्त्र लिए हुए था। बाकी उस सिंहासन के चारो तरफ बर्फ़ की घाटी के सुंदर चित्र, फूल और पौधे बने हुए थे।

सिंहासन के जमीन से निकलते ही जमीन का हिलना बंद हो गया। सभी मन्त्रमुग्ध से उस चमत्कारी सिंहासन को देख रहे थे।


“कोई अभी इसे छुएगा नहीं, यह भी उन विचित्र घटनाओं का हिस्सा हो सकता है।" अल्बर्ट ने सबको हिदायत देते हुए कहा।

तभी ऐमू जाकर उस सिंहासन के ऊपर बैठ गया। कोई भी विचित्र घटना ना घटते देख सुयश भी आगे बढ़कर उस सिंहासन पर बैठ गया।

जैसे ही सुयश सिंहासन पर बैठा, उसका शरीर बेजान होकर उसी सिंहासन पर ढुलक गया।

यह देख सभी घबरा गये। अल्बर्ट भागकर सुयश का शरीर चेक करने लगा।

सुयश के शरीर में कोई हरकत नहीं हो रही थी।

अल्बर्ट ने सुयश के शरीर को हिलाया, पर सुयश का शरीर बिल्कुल बेजान सा लग रहा था।

अल्बर्ट ने घबराकर सुयश की नाक के पास अपना हाथ लगाया और फ़िर उसकी नब्ज चेक करने लगा।

“कैप्टन! अब इस दुनियां में नहीं हैं।"

अल्बर्ट के शब्द किसी बम के धमाके की तरह से पूरे कमरे में गूंजे। जिसने भी सुना वह सदमें से वहीं बैठ गया।

“यह कैसे हो सकता है? कोई सिंहासन पर बैठने से भला कैसे मर सकता है?" तौफीक की आँखों में दुनियां भर का आश्चर्य दिख रहा था।

“आप सब परेशान मत होइये, कैप्टन अंकल अभी मरे नहीं हैं।" शैफाली ने कहा।

“मैं उनके शरीर से जुड़ी जीवन की डोर को स्पस्ट देख रही हूं। इसका मतलब उनका सूक्ष्म शरीर यहां पर नहीं है, परंतु उनकी मौत नहीं हुई है। वो किसी रहस्यमय यात्रा पर हैं।
वो जल्दी ही अपने शरीर में वापस लौटेंगे। हमें यहां बैठकर उनकी वापसी का इंतजार करना चाहिए।"

शैफाली के शब्द सुन सभी शैफाली को देखने लगे। किसी की समझ में तो कुछ नहीं आ रहा था, पर शैफाली की बातों को झुठलाना किसी के बस की बात नहीं थी। इसिलये सभी चुपचाप से उस सिंहासन के चारो ओर बैठकर सिंहासन को देखने लगे।


चैपटर-7: कैलाश रहस्य
(आज से 5020 वर्ष पहले, वेदालय, कैलाश पर्वत, हिमालय)

सिंहासन पर बैठते ही सुयश को अपना शरीर हवा में उड़ता हुआ महसूस हुआ। ऐसा लगा जैसे उसके शरीर से आत्मा ही निकल गयी हो।

उसका सूक्ष्म शरीर हवा में बहुत तीव्र गतिमान था।

गाढ़े अंधकार के बाद सुयश को भिन्न - भिन्न प्रकार की रोशनियो से गुजरना पड़ा।

कुछ रोशनी इतनी तेज थी कि सुयश की आँखें ही बंद हो गयी। जब सुयश की आँखें खुली तो उसने अपना शरीर बर्फ के पहाड़ो पर उड़ते हुए पाया।

“क्या मैं मर चुका हूं? या.....या फ़िर किसी रहस्यमयी शक्ति के प्रभाव में हूं?" सुयश अपने मन ही मन में बड़बड़ाया- “यह तो बहुत ही विचित्र और सुखद अनुभूति है।"

थोड़ी देर उड़ने के बाद सुयश को नीचे जमीन पर पानी की 2 झीलें दिखायी दी। एक का आकार सूर्य के समान गोल था, तो दूसरी का आकार चन्द्रमा के समान था।

तभी सुयश को सामने एक विशालकाय बर्फ का पर्वत दिखाई दिया, जो चौमुखी आकार का लग रहा था। उस पर्वत से 4 नदियां निकलती हुई दिखाई दे रही थी।

उस पर्वत को पहचान कर सुयश ने श्रद्धा से अपने शीश को झुका लिया। वह कैलाश पर्वत था। देवों के देव, का निवास स्थान- कैलाश।



जारी रहेगा_________✍️
Bahut hi badhiya update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and beautiful update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Shaandar jabardast Romanchak Update 👌 👌
Rozar abhi jinda par kisi bhayank jagah phash gaya jha jaanwar insan me badal jayega lagta hai yaha purani sabhyta ke awshesh bhi hai 😏
Bilkul aisa hi hai, balki ye samajh lo ki wo araka dweep per kaid ho gaya, Thank you very much for your valuable review and support bhai :thanx:
 

Raj_sharma

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रहस्यों को सुलझाता हुआ रहस्य से भरपूर अपडेट
Rahasya bhi suljhenge, bas aap saath bane rahiye:D
Thanks for your valuable review and support :thanx:
 

Raj_sharma

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