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Fantasy 'सुप्रीम' एक रहस्यमई सफर

Baawri Raani

👑 Born to Rule the World 🌏
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Sharma Ji, Roger ki kahani se aap ne is upanyas ke poorane kissae taza kar diye lekin ek naye nazariye se.🔬
Dekhna yeh hai ki Roger ki kahani (jo ke abhi bhootkaal ⏳ke kissae bata rahi hai) woh abhi vartamaan ke kisso pe kaha aa ke milegi.
Aur abhi toh Vyom ki kahani bhi toh baaki hai. 👨🏼‍✈️
Aur woh hare Alien 👽hone ka andaza meine udantashtari 🛸 se lagaya.

Aap ne toh kahani seedha budh 🔴 grah se jod di. Ab Jaigan, atlantis aur dharti ka dost hai ya dushman yeh dekhna raha.
Yeh Shalaka se related aap ne 3 jagah bata di. Yeh khandar jo Shalaka ka Mahal tha, Dusra woh Shalaka ka Mandir aur Teesra woh Trans-atlantik ki barf ke beech jaha woh asliyat mei mojood hai. Woh teesri jagah kya koi aur udantashtari hai?
Aur yeh Shalaka Bharatiya Devi 👸 hai, so iska Bharat 🇮🇳 se koi na koi connection zaroor milega.

Aakruti aur Suyash toh iss yug ke hai, lekin Shalaka toh poorani hai. Kya Aakruti aur Suyash ... Shalaka aur Aaryan ke vanshaj hai, punarjanm toh nahi ho sakta kyo ki Shalaka jinda hai... 😵‍💫

Ufff yaar kitna sochti hu mei bhi... :cool3:
#76.

रोजर काफ़ी देर तक व्योम को देखता रहा और फ़िर वहां से उठकर पुनः लहरो पर दौड़ने लगा।

आकृति के पास से निकले, रोजर को लगभग 3 घंटे हो गये थे। रोजर के पास अभी भी 5 घंटे का वक्त था।

पर इतने बड़े समुद्र में वह सुप्रीम को ढूंढे कैसे? यह भी बड़ा प्रश्न था। क्योंकि रोजर को तो यह भी नहीं पता था कि सुप्रीम है किस दिशा में?

तभी रोजर को उन हरे कीड़ो का ध्यान आया-
“वह हरे कीड़े कैसे थे? और वह बूढ़ी महिला...हो ना हो वह महिला जरूर सुप्रीम की ही होगी... मुझे उसी दिशा में चलना चाहिए जिधर से वह कीड़े आ रहे थे।“ यह सोचकर रोजर ने उस दिशा की ओर दौड़ लगा दी।

रोजर को दौड़ते हुए लगभग 2:30 घंटे बीत गये, पर ‘सुप्रीम’ कहीं नजर नहीं आ रहा था।

तभी रोजर को पानी की एक लहर तेजी से अपनी ओर आती दिखाई दी।

रोजर यह देखकर वहीं लहरो पर खड़ा हो गया- “क्या यह किसी तरह का खतरा है? जो मेरी ओर आ रहा है।"

कुछ ही देर में पानी की वह लहर तेजी से रोजर के बगल से निकली। लहर की स्पीड बहुत ज्यादा थी फ़िर भी रोजर को सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे गया।

वह ऑक्टोपस की तरह का कोई विशालकाय जलीय जीव था, जिसकी एक भुजा में उसने लोथार को पकड़ रखा था।

उस जीव की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि रोजर के लिये उसका पीछा कर पाना असंभव था।

सेकंड से भी कम समय में वह जीव रोजर की आँखो से ओझल हो गया।

“अब तो पक्का हो गया कि सुप्रीम इसी दिशा में है।" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया और फ़िर पूरी ताकत से उस दिशा में दौड़ लगा दी।

कुछ ही देर में रोजर को ‘सुप्रीम’ नजर आने लगा।

लगभग 8 घंटे होने वाले थे। रोजर को पता था कि उसके पास समय बहुत कम है। इसिलये वह तेजी से दौड़ रहा था और इतनी ही तेजी से दौड़ रहा था रोजर का दिमाग भी।

जाने क्यों रोजर को आकृति पर भरोसा नहीं हो पाया था। उसे लग रहा था कि आकृति जरूर कुछ ना कुछ झूठ बोल रही थी।

रोजर के पास कोई चारा नहीं था, आकृति की बात मानने के सिवा, पर उसने सोच लिया था कि वह कैप्टन सुयश को सही राह ही दिखाएगा, भले ही आकृति उसे इसकी सजा ही क्यों ना दे दे।

क्यों कि सुप्रीम की जिम्मेदारी उसकी भी थी और वह नहीं चाहता था कि इतने खतरनाक द्वीप पर सुप्रीम पहुंचे।

बहरहाल उसकी सोच पर विराम लग गया क्यों कि तभी सुप्रीम से सिग्नल फ्लेयर आसमान में फ़ेंके जाने लगे।

रोजर समझ गया कि सुप्रीम के लोगो ने उसे देख लिया है।

वह फ्लेयर तेजी से आसमान में जाकर फट रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे बीच समुद्र में ‘दीपावली’ या ‘बैस्ताइल डे’ मनाया जा रहा हो।

अब रोजर सुप्रीम के काफ़ी पास पहुंच गया था। रोजर को सुप्रीम की डेक पर कुछ लोग खड़े दिखाई देने लगे।

अब रोजर सुप्रीम के बिल्कुल नीचे पहुंच गया।

उसे डेक पर खड़े सुयश, असलम, ब्रेंडन सहित जहाज के बहुत से लोग दिखाई दे गये। एक पल के लिये सबको इतने पास पाकर रोजर जैसे सब कुछ भूल गया।

क्षण भर के लिये मानो समय रुक सा गया।

डेक पर खड़े सभी लोग सम्मोहित अवस्था में विश्व के उस आठवें आश्चर्य को देख रहे थे। किसी के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।

रोजर की निगाह अब लगातार सुयश पर थी। उसके चेहरे के भाव तो नहीं दिख रहे थे, लेकिन यकीनन उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कुराहट थी।

अच्छा ही हुआ कि रोजर के शरीर से इतनी तेज रोशनी निकल रही थी, वरना उसकी चेहरा देखकर ना जाने कितने यात्री बेहोश होकर गिर जाते और सबसे ज़्यादा अचंभा तो सुयश को होता।

अचानक जैसे रोजर को कुछ याद आया। उसने पहले सुयश की ओर देखा और फ़िर अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से एक दिशा में इशारा किया।

और इससे पहले की रोजर कोई और इशारा कर पाता, रोशनी का एक तेज झमाका हुआ और एक पल के लिये रोजर की आँखे बंद हो गई।

जब उसकी आँखे खुली तो वह आकृति के सामने उसके कमरे में था।

रोजर का ऊर्जा-रूप अब गायब था और रोजर का शरीर भी पत्थर से फ़िर सामान्य बन गया था।

‘सुप्रीम’ को याद कर रोजर की आँखो से 2 बूंद आँसू निकल गये, जिसे उसने तुरंत पोंछ लिया।

“क्या रहा?“ आकृति ने रोजर से पूछा- “काम हुआ या नहीं?"

“मैंने तो अपनी तरफ से कैप्टन सुयश को द्वीप की ओर आने का इशारा कर दिया, अब बाकी उसके ऊपर है कि वह मेरी बात मानता है या नहीं।" रोजर ने साफ झूठ बोलते हुए कहा।

“बहुत अच्छे.... तुमने अपना काम ईमानदारी से किया है, जल्दी ही मैं तुमहें यहाँ से छोड़ दूंगी।" आकृति
ने कहा और कमरे से बाहर निकलने लगी, तभी रोजर ने आकृति को रोक लिया।

“क्या मैं आपसे कुछ प्रश्न कर सकता हूँ?" रोजर ने पूछा।

यह सुन आकृति पलटकर वापस कमरे में आ गयी और रोजर की ओर देखते हुए बोली-

“कहो.... क्या पूछना चाहते हो?"

“मैंने देखा, ये द्वीप पानी पर घूम रहा था, ऐसा कैसे संभव है?" रोजर ने पूछा।

“यह एक साधारण द्वीप नहीं है। यह देवताओ के द्वारा निर्मित द्वीप है। इसिलये यह पानी पर तैर सकता है।" आकृति ने जवाब दिया।

“पानी पर तैरना एक बात होती है, पर यह द्वीप गोल-गोल घूम रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई इसे चला रहा हो? इसके अलावा मैंने इस द्वीप से कुछ तरंगे भी निकलती हुई देखी है जो यह साबित करती है कि जरूर इस द्वीप का नियंत्रण किसी के पास है।"

रोजर के प्रश्नो में दम था क्यों कि शायद आकृति के पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था।

आकृति कुछ देर खामोश रही और फ़िर बोली- “इस बात का जवाब मेरे पास भी नहीं है। शायद देवताओ ने इस द्वीप की रक्षा के लिये, इसका नियंत्रण किसी के हाथ में दे रखा हो?"

“यह उड़ने वाली झोपड़ी का क्या रहस्य है?" रोजर ने तुरंत अगले सवाल का गोला दाग दिया।

“वह उड़ने वाली झोपड़ी तिलिस्मा में प्रवेश करने का द्वार है। उस झोपड़ी में हम घुस तो अपनी मर्जी से सकते हैं, पर निकल नहीं सकते। वह झोपड़ी इंसान को सीधा तिलिस्मा में ले जाती है। जिसे तोड़ कर ही कोई इंसान बाहर निकल सकता है।"

आकृति ने रोजर को देखते हुए कहा- “पर मानना पड़ेगा तुम्हें, एक दिन बाहर निकलते ही बहुत कुछ देख लिया तुमने? .... और कोई प्रश्न पूछना है या मैं जाऊं?"

“एक सवाल और ...।" जिद्दी रोजर ने मस्कुराते हुए एक सवाल और कर दिया- “वह उड़नतश्तरी किसकी है और उसमें मौजूद हरे कीड़े मृत लोगों को कहाँ ले जाते हैं?"

“वह उड़नतश्तरी ‘बुद्ध ग्रह’ की रासायिनक प्रयोगशाला है। वह हरे कीड़े भी वहीं के निवासी हैं, और उन लाशों पर कुछ प्रयोग कर रहे हैं।

इसका रहस्य पिरामिड से ही पता चल सकता है। क्यों कि ‘बुद्ध ग्रह’ के लोगो का देवता भी ‘जैगन’ ही है। इससे ज़्यादा मुझे उन हरे कीडो के बारे में कुछ नहीं पता।" आकृति ने कहा।

“बुद्ध ग्रह!" रोजर यह सुनकर हैरान हो गया- “तो क्या वह हरे कीड़े ‘एलियन’ हैं?"

“हां! कुछ ऐसा ही समझ लो।" आकृति ने कहा।

रोजर के पास फ़िलहाल कोई प्रश्न नहीं बचा था। उसने जानबूझकर व्योम वाली घटना आकृति को नहीं बताई।

आकृति रोजर को शांत होते देख वापस मुड़ी और कमरे से बाहर निकल गयी।

रोजर ने आकृति के जाने के बाद एक गहरी साँस भरी और वहां रखे फलों की थाली से एक फल निकालकर खाने लगा। उसने सोच लिया था कि इस द्वीप का पूरा रहस्य जानकर ही रहेगा।


शलाका महल
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 18:30, मायावन, अराका द्वीप)

चलते-चलते फ़िर शाम गहराने लगी थी। पर जंगल में कोई भी ऐसी जगह किसी को नहीं दिखी थी, जहां पर रात बितायी जा सके।

“अब हम क्या करेंगे कैप्टन?" असलम ने सुयश से कहा- “हमें अभी तक रात गुजारने के लिये कोई जगह नहीं मिली है और अंधेरा होने में कुछ ही मिनट अब बचा है।"

“सामने बड़े-बड़े पेड़ हैं, जिसकी वजह से आगे का दृश्य ज़्यादा नजर नहीं आ रहा है, थोड़ा और आगे देखते हैं, अगर इन पेडों के पीछे भी कोई जगह ना दिखी तो हमें आज रात पेडों पर बितानी पड़ेगी।" सुयश ने कहा।

पेडों पर रात बिताने का सुन जैक और जॉनी के शरीर में झुरझुरी सी उठी, पर उन्होंने बोला कुछ नहीं।

तभी ऊंचे पेडों का सिलसिला समाप्त हो गया और उन्हें कुछ दूरी पर खंडहर से नजर आये।

“अरे वाह!" एलेक्स ने खुशी से किलकारी मारते हुए कहा- “मिल गयी रात बिताने की जगह। रात बिताने के लिये ये खंडहर बिल्कुल सही हैं।"

“कोई भागकर वहां नहीं जायेगा।" अल्बर्ट ने चीखकर कहा- “पहले हमें वह जगह चेक कर लेने दो।"

अल्बर्ट की आवाज सुन भागता हुआ एलेक्स अपनी जगह पर रुक गया।

सभी अब खंडहर के अंदर पहुंच गये। खंडहर काफ़ी प्राचीन लग रहे थे। खंडहर के बाहर एक कुंआ भी बना था, जिस पर एक धातु की बाल्टी रस्सी से बंधी हुई रखी थी।

तौफीक ने बाल्टी को कुंए में डाल, पानी निकाल कर देखा। पानी बिल्कुल साफ और पीने योग्य था।

“लगता है आज से हजारों साल पहले यहां कोई रहता था?" जेनिथ ने खंडहर की दीवार को देखते हुए कहा- “खंडहर की दीवारें काफ़ी पुरानी लग रही हैं ।"

अब सभी खंडहर के अंदर की ओर चल दिये।

“यह खंडहर बहुत बड़े हैं, शायद यह पहले किसी का महल रहे होंगे?" क्रिस्टी ने कहा।

“कहीं ये देवी शलाका का महल तो नहीं?" शैफाली ने एक खंभे को छूते हुए कहा- “क्यों कि ध्यान से देखिये, हर दीवार पर कुछ वैसी ही आधी-अधूरी आकृतियां हैं, जैसी हमें देवी शलाका के महल में दिखि थी?"

“आपको सामने दीवार पर कोई आकृति नहीं दिख रही क्या?" शैफाली ने ब्रेंडन से आश्चर्य से पूछा।

“नहीं!" ब्रेंडन ने संछिप्त उत्तर दिया।

अब सभी की नजर सामने की दीवार पर थी, पर किसी को भी सामने कुछ भी नजर नहीं आया। सामने की दीवार पर केवल धूल और मिट्टी दिखाई दे रही थी।

यह देख शैफाली आगे बढ़ी और उसने अपने दाहिनी हाथ से सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को हाथ से पोंछ दिया। मिट्टी के पीछे नटराज की तस्वीर थी, जो समय के साथ आधी खराब हो गयी थी।



जारी रहेगा_________✍️
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
Staff member
Sectional Moderator
Supreme
29,514
68,044
304

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Sharma Ji, Roger ki kahani se aap ne is upanyas ke poorane kissae taza kar diye lekin ek naye nazariye se.🔬
Dekhna yeh hai ki Roger ki kahani (jo ke abhi bhootkaal ⏳ke kissae bata rahi hai) woh abhi vartamaan ke kisso pe kaha aa ke milegi.
Aur abhi toh Vyom ki kahani bhi toh baaki hai. 👨🏼‍✈️
Aur woh hare Alien 👽hone ka andaza meine udantashtari 🛸 se lagaya.

Bilkul theek kaha aapne, purane kisse ant me aakar vartmaan me hi to khatam hote hain, wo sach me alians hain ye to maine pichle review me bhi jabaab de diya tha:approve:
Aap ne toh kahani seedha budh 🔴 grah se jod di. Ab Jaigan, atlantis aur dharti ka dost hai ya dushman yeh dekhna raha.
Jaigan dost to katai nahi hai, :nope:
Ye jo aadmi .........:shhhh: Bas aage ke updates ka wait karo:D
Yeh Shalaka se related aap ne 3 jagah bata di. Yeh khandar jo Shalaka ka Mahal tha, Dusra woh Shalaka ka Mandir aur Teesra woh Trans-atlantik ki barf ke beech jaha woh asliyat mei mojood hai. Woh teesri jagah kya koi aur udantashtari hai?
Aisa nahi hai madam:nope: Wo or kuch hi hai, apun saabit kar dega:roll:
Aur yeh Shalaka Bharatiya Devi 👸 hai, so iska Bharat 🇮🇳 se koi na koi connection zaroor milega.
:approve:
Aakruti aur Suyash toh iss yug ke hai, lekin Shalaka toh poorani hai. Kya Aakruti aur Suyash ... Shalaka aur Aaryan ke vanshaj hai, punarjanm toh nahi ho sakta kyo ki Shalaka jinda hai... 😵‍💫

Ufff yaar kitna sochti hu mei bhi... :cool3:
Jaisa aap soch rahi ho waisa kuch bhi nahi hai:nope: Aakruti shalaka ki vansaj nahi hai, ha suyesh aryan ka punar janm ho sakta hai:shhhh:
Itna dimaak per jo daalti ho ju?:D

Thank you very much for your amazing review and superb support :hug::thanx:
 

kas1709

Well-Known Member
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213
#76.

रोजर काफ़ी देर तक व्योम को देखता रहा और फ़िर वहां से उठकर पुनः लहरो पर दौड़ने लगा।

आकृति के पास से निकले, रोजर को लगभग 3 घंटे हो गये थे। रोजर के पास अभी भी 5 घंटे का वक्त था।

पर इतने बड़े समुद्र में वह सुप्रीम को ढूंढे कैसे? यह भी बड़ा प्रश्न था। क्योंकि रोजर को तो यह भी नहीं पता था कि सुप्रीम है किस दिशा में?

तभी रोजर को उन हरे कीड़ो का ध्यान आया-
“वह हरे कीड़े कैसे थे? और वह बूढ़ी महिला...हो ना हो वह महिला जरूर सुप्रीम की ही होगी... मुझे उसी दिशा में चलना चाहिए जिधर से वह कीड़े आ रहे थे।“ यह सोचकर रोजर ने उस दिशा की ओर दौड़ लगा दी।

रोजर को दौड़ते हुए लगभग 2:30 घंटे बीत गये, पर ‘सुप्रीम’ कहीं नजर नहीं आ रहा था।

तभी रोजर को पानी की एक लहर तेजी से अपनी ओर आती दिखाई दी।

रोजर यह देखकर वहीं लहरो पर खड़ा हो गया- “क्या यह किसी तरह का खतरा है? जो मेरी ओर आ रहा है।"

कुछ ही देर में पानी की वह लहर तेजी से रोजर के बगल से निकली। लहर की स्पीड बहुत ज्यादा थी फ़िर भी रोजर को सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे गया।

वह ऑक्टोपस की तरह का कोई विशालकाय जलीय जीव था, जिसकी एक भुजा में उसने लोथार को पकड़ रखा था।

उस जीव की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि रोजर के लिये उसका पीछा कर पाना असंभव था।

सेकंड से भी कम समय में वह जीव रोजर की आँखो से ओझल हो गया।

“अब तो पक्का हो गया कि सुप्रीम इसी दिशा में है।" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया और फ़िर पूरी ताकत से उस दिशा में दौड़ लगा दी।

कुछ ही देर में रोजर को ‘सुप्रीम’ नजर आने लगा।

लगभग 8 घंटे होने वाले थे। रोजर को पता था कि उसके पास समय बहुत कम है। इसिलये वह तेजी से दौड़ रहा था और इतनी ही तेजी से दौड़ रहा था रोजर का दिमाग भी।

जाने क्यों रोजर को आकृति पर भरोसा नहीं हो पाया था। उसे लग रहा था कि आकृति जरूर कुछ ना कुछ झूठ बोल रही थी।

रोजर के पास कोई चारा नहीं था, आकृति की बात मानने के सिवा, पर उसने सोच लिया था कि वह कैप्टन सुयश को सही राह ही दिखाएगा, भले ही आकृति उसे इसकी सजा ही क्यों ना दे दे।

क्यों कि सुप्रीम की जिम्मेदारी उसकी भी थी और वह नहीं चाहता था कि इतने खतरनाक द्वीप पर सुप्रीम पहुंचे।

बहरहाल उसकी सोच पर विराम लग गया क्यों कि तभी सुप्रीम से सिग्नल फ्लेयर आसमान में फ़ेंके जाने लगे।

रोजर समझ गया कि सुप्रीम के लोगो ने उसे देख लिया है।

वह फ्लेयर तेजी से आसमान में जाकर फट रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे बीच समुद्र में ‘दीपावली’ या ‘बैस्ताइल डे’ मनाया जा रहा हो।

अब रोजर सुप्रीम के काफ़ी पास पहुंच गया था। रोजर को सुप्रीम की डेक पर कुछ लोग खड़े दिखाई देने लगे।

अब रोजर सुप्रीम के बिल्कुल नीचे पहुंच गया।

उसे डेक पर खड़े सुयश, असलम, ब्रेंडन सहित जहाज के बहुत से लोग दिखाई दे गये। एक पल के लिये सबको इतने पास पाकर रोजर जैसे सब कुछ भूल गया।

क्षण भर के लिये मानो समय रुक सा गया।

डेक पर खड़े सभी लोग सम्मोहित अवस्था में विश्व के उस आठवें आश्चर्य को देख रहे थे। किसी के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।

रोजर की निगाह अब लगातार सुयश पर थी। उसके चेहरे के भाव तो नहीं दिख रहे थे, लेकिन यकीनन उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कुराहट थी।

अच्छा ही हुआ कि रोजर के शरीर से इतनी तेज रोशनी निकल रही थी, वरना उसकी चेहरा देखकर ना जाने कितने यात्री बेहोश होकर गिर जाते और सबसे ज़्यादा अचंभा तो सुयश को होता।

अचानक जैसे रोजर को कुछ याद आया। उसने पहले सुयश की ओर देखा और फ़िर अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से एक दिशा में इशारा किया।

और इससे पहले की रोजर कोई और इशारा कर पाता, रोशनी का एक तेज झमाका हुआ और एक पल के लिये रोजर की आँखे बंद हो गई।

जब उसकी आँखे खुली तो वह आकृति के सामने उसके कमरे में था।

रोजर का ऊर्जा-रूप अब गायब था और रोजर का शरीर भी पत्थर से फ़िर सामान्य बन गया था।

‘सुप्रीम’ को याद कर रोजर की आँखो से 2 बूंद आँसू निकल गये, जिसे उसने तुरंत पोंछ लिया।

“क्या रहा?“ आकृति ने रोजर से पूछा- “काम हुआ या नहीं?"

“मैंने तो अपनी तरफ से कैप्टन सुयश को द्वीप की ओर आने का इशारा कर दिया, अब बाकी उसके ऊपर है कि वह मेरी बात मानता है या नहीं।" रोजर ने साफ झूठ बोलते हुए कहा।

“बहुत अच्छे.... तुमने अपना काम ईमानदारी से किया है, जल्दी ही मैं तुमहें यहाँ से छोड़ दूंगी।" आकृति
ने कहा और कमरे से बाहर निकलने लगी, तभी रोजर ने आकृति को रोक लिया।

“क्या मैं आपसे कुछ प्रश्न कर सकता हूँ?" रोजर ने पूछा।

यह सुन आकृति पलटकर वापस कमरे में आ गयी और रोजर की ओर देखते हुए बोली-

“कहो.... क्या पूछना चाहते हो?"

“मैंने देखा, ये द्वीप पानी पर घूम रहा था, ऐसा कैसे संभव है?" रोजर ने पूछा।

“यह एक साधारण द्वीप नहीं है। यह देवताओ के द्वारा निर्मित द्वीप है। इसिलये यह पानी पर तैर सकता है।" आकृति ने जवाब दिया।

“पानी पर तैरना एक बात होती है, पर यह द्वीप गोल-गोल घूम रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई इसे चला रहा हो? इसके अलावा मैंने इस द्वीप से कुछ तरंगे भी निकलती हुई देखी है जो यह साबित करती है कि जरूर इस द्वीप का नियंत्रण किसी के पास है।"

रोजर के प्रश्नो में दम था क्यों कि शायद आकृति के पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था।

आकृति कुछ देर खामोश रही और फ़िर बोली- “इस बात का जवाब मेरे पास भी नहीं है। शायद देवताओ ने इस द्वीप की रक्षा के लिये, इसका नियंत्रण किसी के हाथ में दे रखा हो?"

“यह उड़ने वाली झोपड़ी का क्या रहस्य है?" रोजर ने तुरंत अगले सवाल का गोला दाग दिया।

“वह उड़ने वाली झोपड़ी तिलिस्मा में प्रवेश करने का द्वार है। उस झोपड़ी में हम घुस तो अपनी मर्जी से सकते हैं, पर निकल नहीं सकते। वह झोपड़ी इंसान को सीधा तिलिस्मा में ले जाती है। जिसे तोड़ कर ही कोई इंसान बाहर निकल सकता है।"

आकृति ने रोजर को देखते हुए कहा- “पर मानना पड़ेगा तुम्हें, एक दिन बाहर निकलते ही बहुत कुछ देख लिया तुमने? .... और कोई प्रश्न पूछना है या मैं जाऊं?"

“एक सवाल और ...।" जिद्दी रोजर ने मस्कुराते हुए एक सवाल और कर दिया- “वह उड़नतश्तरी किसकी है और उसमें मौजूद हरे कीड़े मृत लोगों को कहाँ ले जाते हैं?"

“वह उड़नतश्तरी ‘बुद्ध ग्रह’ की रासायिनक प्रयोगशाला है। वह हरे कीड़े भी वहीं के निवासी हैं, और उन लाशों पर कुछ प्रयोग कर रहे हैं।

इसका रहस्य पिरामिड से ही पता चल सकता है। क्यों कि ‘बुद्ध ग्रह’ के लोगो का देवता भी ‘जैगन’ ही है। इससे ज़्यादा मुझे उन हरे कीडो के बारे में कुछ नहीं पता।" आकृति ने कहा।

“बुद्ध ग्रह!" रोजर यह सुनकर हैरान हो गया- “तो क्या वह हरे कीड़े ‘एलियन’ हैं?"

“हां! कुछ ऐसा ही समझ लो।" आकृति ने कहा।

रोजर के पास फ़िलहाल कोई प्रश्न नहीं बचा था। उसने जानबूझकर व्योम वाली घटना आकृति को नहीं बताई।

आकृति रोजर को शांत होते देख वापस मुड़ी और कमरे से बाहर निकल गयी।

रोजर ने आकृति के जाने के बाद एक गहरी साँस भरी और वहां रखे फलों की थाली से एक फल निकालकर खाने लगा। उसने सोच लिया था कि इस द्वीप का पूरा रहस्य जानकर ही रहेगा।


शलाका महल
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 18:30, मायावन, अराका द्वीप)

चलते-चलते फ़िर शाम गहराने लगी थी। पर जंगल में कोई भी ऐसी जगह किसी को नहीं दिखी थी, जहां पर रात बितायी जा सके।

“अब हम क्या करेंगे कैप्टन?" असलम ने सुयश से कहा- “हमें अभी तक रात गुजारने के लिये कोई जगह नहीं मिली है और अंधेरा होने में कुछ ही मिनट अब बचा है।"

“सामने बड़े-बड़े पेड़ हैं, जिसकी वजह से आगे का दृश्य ज़्यादा नजर नहीं आ रहा है, थोड़ा और आगे देखते हैं, अगर इन पेडों के पीछे भी कोई जगह ना दिखी तो हमें आज रात पेडों पर बितानी पड़ेगी।" सुयश ने कहा।

पेडों पर रात बिताने का सुन जैक और जॉनी के शरीर में झुरझुरी सी उठी, पर उन्होंने बोला कुछ नहीं।

तभी ऊंचे पेडों का सिलसिला समाप्त हो गया और उन्हें कुछ दूरी पर खंडहर से नजर आये।

“अरे वाह!" एलेक्स ने खुशी से किलकारी मारते हुए कहा- “मिल गयी रात बिताने की जगह। रात बिताने के लिये ये खंडहर बिल्कुल सही हैं।"

“कोई भागकर वहां नहीं जायेगा।" अल्बर्ट ने चीखकर कहा- “पहले हमें वह जगह चेक कर लेने दो।"

अल्बर्ट की आवाज सुन भागता हुआ एलेक्स अपनी जगह पर रुक गया।

सभी अब खंडहर के अंदर पहुंच गये। खंडहर काफ़ी प्राचीन लग रहे थे। खंडहर के बाहर एक कुंआ भी बना था, जिस पर एक धातु की बाल्टी रस्सी से बंधी हुई रखी थी।

तौफीक ने बाल्टी को कुंए में डाल, पानी निकाल कर देखा। पानी बिल्कुल साफ और पीने योग्य था।

“लगता है आज से हजारों साल पहले यहां कोई रहता था?" जेनिथ ने खंडहर की दीवार को देखते हुए कहा- “खंडहर की दीवारें काफ़ी पुरानी लग रही हैं ।"

अब सभी खंडहर के अंदर की ओर चल दिये।

“यह खंडहर बहुत बड़े हैं, शायद यह पहले किसी का महल रहे होंगे?" क्रिस्टी ने कहा।

“कहीं ये देवी शलाका का महल तो नहीं?" शैफाली ने एक खंभे को छूते हुए कहा- “क्यों कि ध्यान से देखिये, हर दीवार पर कुछ वैसी ही आधी-अधूरी आकृतियां हैं, जैसी हमें देवी शलाका के महल में दिखि थी?"

“आपको सामने दीवार पर कोई आकृति नहीं दिख रही क्या?" शैफाली ने ब्रेंडन से आश्चर्य से पूछा।

“नहीं!" ब्रेंडन ने संछिप्त उत्तर दिया।

अब सभी की नजर सामने की दीवार पर थी, पर किसी को भी सामने कुछ भी नजर नहीं आया। सामने की दीवार पर केवल धूल और मिट्टी दिखाई दे रही थी।

यह देख शैफाली आगे बढ़ी और उसने अपने दाहिनी हाथ से सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को हाथ से पोंछ दिया। मिट्टी के पीछे नटराज की तस्वीर थी, जो समय के साथ आधी खराब हो गयी थी।



जारी रहेगा_________✍️
Nice update....
 

parkas

Well-Known Member
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#76.

रोजर काफ़ी देर तक व्योम को देखता रहा और फ़िर वहां से उठकर पुनः लहरो पर दौड़ने लगा।

आकृति के पास से निकले, रोजर को लगभग 3 घंटे हो गये थे। रोजर के पास अभी भी 5 घंटे का वक्त था।

पर इतने बड़े समुद्र में वह सुप्रीम को ढूंढे कैसे? यह भी बड़ा प्रश्न था। क्योंकि रोजर को तो यह भी नहीं पता था कि सुप्रीम है किस दिशा में?

तभी रोजर को उन हरे कीड़ो का ध्यान आया-
“वह हरे कीड़े कैसे थे? और वह बूढ़ी महिला...हो ना हो वह महिला जरूर सुप्रीम की ही होगी... मुझे उसी दिशा में चलना चाहिए जिधर से वह कीड़े आ रहे थे।“ यह सोचकर रोजर ने उस दिशा की ओर दौड़ लगा दी।

रोजर को दौड़ते हुए लगभग 2:30 घंटे बीत गये, पर ‘सुप्रीम’ कहीं नजर नहीं आ रहा था।

तभी रोजर को पानी की एक लहर तेजी से अपनी ओर आती दिखाई दी।

रोजर यह देखकर वहीं लहरो पर खड़ा हो गया- “क्या यह किसी तरह का खतरा है? जो मेरी ओर आ रहा है।"

कुछ ही देर में पानी की वह लहर तेजी से रोजर के बगल से निकली। लहर की स्पीड बहुत ज्यादा थी फ़िर भी रोजर को सब कुछ साफ-साफ दिखाई दे गया।

वह ऑक्टोपस की तरह का कोई विशालकाय जलीय जीव था, जिसकी एक भुजा में उसने लोथार को पकड़ रखा था।

उस जीव की स्पीड इतनी ज्यादा थी कि रोजर के लिये उसका पीछा कर पाना असंभव था।

सेकंड से भी कम समय में वह जीव रोजर की आँखो से ओझल हो गया।

“अब तो पक्का हो गया कि सुप्रीम इसी दिशा में है।" रोजर मन ही मन बड़बड़ाया और फ़िर पूरी ताकत से उस दिशा में दौड़ लगा दी।

कुछ ही देर में रोजर को ‘सुप्रीम’ नजर आने लगा।

लगभग 8 घंटे होने वाले थे। रोजर को पता था कि उसके पास समय बहुत कम है। इसिलये वह तेजी से दौड़ रहा था और इतनी ही तेजी से दौड़ रहा था रोजर का दिमाग भी।

जाने क्यों रोजर को आकृति पर भरोसा नहीं हो पाया था। उसे लग रहा था कि आकृति जरूर कुछ ना कुछ झूठ बोल रही थी।

रोजर के पास कोई चारा नहीं था, आकृति की बात मानने के सिवा, पर उसने सोच लिया था कि वह कैप्टन सुयश को सही राह ही दिखाएगा, भले ही आकृति उसे इसकी सजा ही क्यों ना दे दे।

क्यों कि सुप्रीम की जिम्मेदारी उसकी भी थी और वह नहीं चाहता था कि इतने खतरनाक द्वीप पर सुप्रीम पहुंचे।

बहरहाल उसकी सोच पर विराम लग गया क्यों कि तभी सुप्रीम से सिग्नल फ्लेयर आसमान में फ़ेंके जाने लगे।

रोजर समझ गया कि सुप्रीम के लोगो ने उसे देख लिया है।

वह फ्लेयर तेजी से आसमान में जाकर फट रहे थे। ऐसा लग रहा था जैसे बीच समुद्र में ‘दीपावली’ या ‘बैस्ताइल डे’ मनाया जा रहा हो।

अब रोजर सुप्रीम के काफ़ी पास पहुंच गया था। रोजर को सुप्रीम की डेक पर कुछ लोग खड़े दिखाई देने लगे।

अब रोजर सुप्रीम के बिल्कुल नीचे पहुंच गया।

उसे डेक पर खड़े सुयश, असलम, ब्रेंडन सहित जहाज के बहुत से लोग दिखाई दे गये। एक पल के लिये सबको इतने पास पाकर रोजर जैसे सब कुछ भूल गया।

क्षण भर के लिये मानो समय रुक सा गया।

डेक पर खड़े सभी लोग सम्मोहित अवस्था में विश्व के उस आठवें आश्चर्य को देख रहे थे। किसी के मुंह से कोई शब्द नहीं निकल रहा था।

रोजर की निगाह अब लगातार सुयश पर थी। उसके चेहरे के भाव तो नहीं दिख रहे थे, लेकिन यकीनन उसके चेहरे पर खुशी भरी मुस्कुराहट थी।

अच्छा ही हुआ कि रोजर के शरीर से इतनी तेज रोशनी निकल रही थी, वरना उसकी चेहरा देखकर ना जाने कितने यात्री बेहोश होकर गिर जाते और सबसे ज़्यादा अचंभा तो सुयश को होता।

अचानक जैसे रोजर को कुछ याद आया। उसने पहले सुयश की ओर देखा और फ़िर अपने सीधे हाथ की तर्जनी उंगली से एक दिशा में इशारा किया।

और इससे पहले की रोजर कोई और इशारा कर पाता, रोशनी का एक तेज झमाका हुआ और एक पल के लिये रोजर की आँखे बंद हो गई।

जब उसकी आँखे खुली तो वह आकृति के सामने उसके कमरे में था।

रोजर का ऊर्जा-रूप अब गायब था और रोजर का शरीर भी पत्थर से फ़िर सामान्य बन गया था।

‘सुप्रीम’ को याद कर रोजर की आँखो से 2 बूंद आँसू निकल गये, जिसे उसने तुरंत पोंछ लिया।

“क्या रहा?“ आकृति ने रोजर से पूछा- “काम हुआ या नहीं?"

“मैंने तो अपनी तरफ से कैप्टन सुयश को द्वीप की ओर आने का इशारा कर दिया, अब बाकी उसके ऊपर है कि वह मेरी बात मानता है या नहीं।" रोजर ने साफ झूठ बोलते हुए कहा।

“बहुत अच्छे.... तुमने अपना काम ईमानदारी से किया है, जल्दी ही मैं तुमहें यहाँ से छोड़ दूंगी।" आकृति
ने कहा और कमरे से बाहर निकलने लगी, तभी रोजर ने आकृति को रोक लिया।

“क्या मैं आपसे कुछ प्रश्न कर सकता हूँ?" रोजर ने पूछा।

यह सुन आकृति पलटकर वापस कमरे में आ गयी और रोजर की ओर देखते हुए बोली-

“कहो.... क्या पूछना चाहते हो?"

“मैंने देखा, ये द्वीप पानी पर घूम रहा था, ऐसा कैसे संभव है?" रोजर ने पूछा।

“यह एक साधारण द्वीप नहीं है। यह देवताओ के द्वारा निर्मित द्वीप है। इसिलये यह पानी पर तैर सकता है।" आकृति ने जवाब दिया।

“पानी पर तैरना एक बात होती है, पर यह द्वीप गोल-गोल घूम रहा था। ऐसा लग रहा था कि जैसे कोई इसे चला रहा हो? इसके अलावा मैंने इस द्वीप से कुछ तरंगे भी निकलती हुई देखी है जो यह साबित करती है कि जरूर इस द्वीप का नियंत्रण किसी के पास है।"

रोजर के प्रश्नो में दम था क्यों कि शायद आकृति के पास भी इस बात का कोई जवाब नहीं था।

आकृति कुछ देर खामोश रही और फ़िर बोली- “इस बात का जवाब मेरे पास भी नहीं है। शायद देवताओ ने इस द्वीप की रक्षा के लिये, इसका नियंत्रण किसी के हाथ में दे रखा हो?"

“यह उड़ने वाली झोपड़ी का क्या रहस्य है?" रोजर ने तुरंत अगले सवाल का गोला दाग दिया।

“वह उड़ने वाली झोपड़ी तिलिस्मा में प्रवेश करने का द्वार है। उस झोपड़ी में हम घुस तो अपनी मर्जी से सकते हैं, पर निकल नहीं सकते। वह झोपड़ी इंसान को सीधा तिलिस्मा में ले जाती है। जिसे तोड़ कर ही कोई इंसान बाहर निकल सकता है।"

आकृति ने रोजर को देखते हुए कहा- “पर मानना पड़ेगा तुम्हें, एक दिन बाहर निकलते ही बहुत कुछ देख लिया तुमने? .... और कोई प्रश्न पूछना है या मैं जाऊं?"

“एक सवाल और ...।" जिद्दी रोजर ने मस्कुराते हुए एक सवाल और कर दिया- “वह उड़नतश्तरी किसकी है और उसमें मौजूद हरे कीड़े मृत लोगों को कहाँ ले जाते हैं?"

“वह उड़नतश्तरी ‘बुद्ध ग्रह’ की रासायिनक प्रयोगशाला है। वह हरे कीड़े भी वहीं के निवासी हैं, और उन लाशों पर कुछ प्रयोग कर रहे हैं।

इसका रहस्य पिरामिड से ही पता चल सकता है। क्यों कि ‘बुद्ध ग्रह’ के लोगो का देवता भी ‘जैगन’ ही है। इससे ज़्यादा मुझे उन हरे कीडो के बारे में कुछ नहीं पता।" आकृति ने कहा।

“बुद्ध ग्रह!" रोजर यह सुनकर हैरान हो गया- “तो क्या वह हरे कीड़े ‘एलियन’ हैं?"

“हां! कुछ ऐसा ही समझ लो।" आकृति ने कहा।

रोजर के पास फ़िलहाल कोई प्रश्न नहीं बचा था। उसने जानबूझकर व्योम वाली घटना आकृति को नहीं बताई।

आकृति रोजर को शांत होते देख वापस मुड़ी और कमरे से बाहर निकल गयी।

रोजर ने आकृति के जाने के बाद एक गहरी साँस भरी और वहां रखे फलों की थाली से एक फल निकालकर खाने लगा। उसने सोच लिया था कि इस द्वीप का पूरा रहस्य जानकर ही रहेगा।


शलाका महल
(8 जनवरी 2002, मंगलवार, 18:30, मायावन, अराका द्वीप)

चलते-चलते फ़िर शाम गहराने लगी थी। पर जंगल में कोई भी ऐसी जगह किसी को नहीं दिखी थी, जहां पर रात बितायी जा सके।

“अब हम क्या करेंगे कैप्टन?" असलम ने सुयश से कहा- “हमें अभी तक रात गुजारने के लिये कोई जगह नहीं मिली है और अंधेरा होने में कुछ ही मिनट अब बचा है।"

“सामने बड़े-बड़े पेड़ हैं, जिसकी वजह से आगे का दृश्य ज़्यादा नजर नहीं आ रहा है, थोड़ा और आगे देखते हैं, अगर इन पेडों के पीछे भी कोई जगह ना दिखी तो हमें आज रात पेडों पर बितानी पड़ेगी।" सुयश ने कहा।

पेडों पर रात बिताने का सुन जैक और जॉनी के शरीर में झुरझुरी सी उठी, पर उन्होंने बोला कुछ नहीं।

तभी ऊंचे पेडों का सिलसिला समाप्त हो गया और उन्हें कुछ दूरी पर खंडहर से नजर आये।

“अरे वाह!" एलेक्स ने खुशी से किलकारी मारते हुए कहा- “मिल गयी रात बिताने की जगह। रात बिताने के लिये ये खंडहर बिल्कुल सही हैं।"

“कोई भागकर वहां नहीं जायेगा।" अल्बर्ट ने चीखकर कहा- “पहले हमें वह जगह चेक कर लेने दो।"

अल्बर्ट की आवाज सुन भागता हुआ एलेक्स अपनी जगह पर रुक गया।

सभी अब खंडहर के अंदर पहुंच गये। खंडहर काफ़ी प्राचीन लग रहे थे। खंडहर के बाहर एक कुंआ भी बना था, जिस पर एक धातु की बाल्टी रस्सी से बंधी हुई रखी थी।

तौफीक ने बाल्टी को कुंए में डाल, पानी निकाल कर देखा। पानी बिल्कुल साफ और पीने योग्य था।

“लगता है आज से हजारों साल पहले यहां कोई रहता था?" जेनिथ ने खंडहर की दीवार को देखते हुए कहा- “खंडहर की दीवारें काफ़ी पुरानी लग रही हैं ।"

अब सभी खंडहर के अंदर की ओर चल दिये।

“यह खंडहर बहुत बड़े हैं, शायद यह पहले किसी का महल रहे होंगे?" क्रिस्टी ने कहा।

“कहीं ये देवी शलाका का महल तो नहीं?" शैफाली ने एक खंभे को छूते हुए कहा- “क्यों कि ध्यान से देखिये, हर दीवार पर कुछ वैसी ही आधी-अधूरी आकृतियां हैं, जैसी हमें देवी शलाका के महल में दिखि थी?"

“आपको सामने दीवार पर कोई आकृति नहीं दिख रही क्या?" शैफाली ने ब्रेंडन से आश्चर्य से पूछा।

“नहीं!" ब्रेंडन ने संछिप्त उत्तर दिया।

अब सभी की नजर सामने की दीवार पर थी, पर किसी को भी सामने कुछ भी नजर नहीं आया। सामने की दीवार पर केवल धूल और मिट्टी दिखाई दे रही थी।

यह देख शैफाली आगे बढ़ी और उसने अपने दाहिनी हाथ से सामने की दीवार पर लगी मिट्टी को हाथ से पोंछ दिया। मिट्टी के पीछे नटराज की तस्वीर थी, जो समय के साथ आधी खराब हो गयी थी।



जारी रहेगा_________✍️
Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
 

Raj_sharma

यतो धर्मस्ततो जयः ||❣️
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Bahut hi shaandar update diya hai Raj_sharma bhai....
Nice and lovely update....
Thank you so much for your valuable review bhai :thanx: Dekh lo kasyap bhaiya, ju log ke kahne per kal 2 update de diye hain,:shhhh:Ab 2 din update ka mat bolna:D
 

Raj_sharma

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