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Shukriya dostVeru good and intresting updates.. Bus aman aur mamta ka prem sangam baki raha gaya hai... Sayad aaj raat woh bhi ho jayega jab sonal apne ghar jayegi.. Thoda prem se air kamukta se unka sangam likhna bhai
Bhai raj k Ghar part etna chota Kyu Khair overall update accha hai ab toh Sonal Apne mayeke ja Rahi hai aur mayeke mien Kuch dhamal ho toh Maja hi Ajaye waise toh raj sath kar chuki agar isbar anuj aur rangi k sath ho toh aur Badiya fir wapas ake Jo aman murari e baap beta Jo khel khel Rahe hai Usme Apne saas k sath samil bhi Hona hai
Hume toh intezar hai kab anuj ragini ki Lega aur sath mein Sonal fir hogi asli group sex
again thanks for the update be happy keep posting update regularly best of luck
Shandar super hot erotic update![]()
Full mood me hai Shalini aaj apne bhanje Arun ko pura chus legi
Lajawab update Bhai.......
Humme toh sonal ka intezar hai kab Tak apne papa chacha sasur Bhai....etc se kusti khelegi .....
Waiting.... Sonal
Super Update BhaiAwesome
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Bahut hi lajawab update
Nice updatefull family organisation
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Nice update
Waiting for next update wanna see foursome in sonal room
उत्तम अपडेट भाई साहब, मुरारी और ममता का खेल बड़ा मज़ेदार था, शालिनी तो दिन प्रतिदिन और मस्त हो कर खुलती जा रही है अभी तो खैर उसका स्वाद भांजा और बेटा ही ले रहे हैं पर आगे कौन लेता है देखने लायक होगा, पर जंगी को देख दया आती है पत्नी मजे कर रही है और वो बेचारा बन के घूम रहा है, आशा है उसके लिए भी आपने कुछ मुआवजा सोच रखा होगा। अब सोनल की ससुराल में क्या रोचक होता है वो देखना है।
रागिनी ही जंगी को शालिनी वाले ट्रॉमा से निकाल सकती है
Bhut hi dhashu update diya bhai maza aa gya
Jha ek trf mamat or murari ki jugal bandi ne kya karnama kiya ki land khada ho gya bhai or to or mamta ne murari ke dil or gimag me sangeeta ki chut ke liye usko uska kr mast kam kiya h
To yha salini apne bhanje arun ke ghar jane ki bat sun kr udash ho jati but aaj ka pura din wo arun k name kr ke aaj to uske land ko nichor hi legi
Wahi janggi or ragini ke bich bhi kuch bate chal rahi h lagta h ab jangi salini chut ki khumari ragini ki chut se lega dekhte h agle update me
Loved update and nice story
Mast Update![]()
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New update is postedUpdate ka intezar hai Bhai ......mast update tha.... humme toh sonal ka intezar hai.........
Waiting more
UPDATE 220
राहुल के घर
बाथरूम का शावर चालू था और अरुण अपनी मामी की गदराई मुलायम जांघों में बीच चूत के फाकों में अपना लंड रगड़ता हुआ पानी में भीग रहा था ।
शालिनी को अरुण से चिपक भीगना बहुत कामोतेजक किए जा रहा था , उसकी चूत के दानों को मसलता अरुण का टोपा पीछे उसके गाड़ की सकरी कसी दरारों को भी फैला रहा था और अरुण सटासट उसकी जांघो में लंड घुसेड़ रहा था ।
शालिनी ने लपक कर उसके चेहरे को थाम कर उसके कोरे लिप्स अपने लिप्स से जोड़ कर चूसना शुरू कर दिया और अरुण अपनी मामी के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसको और अपने करीब खींच लिया और उसके दोनो पंजे अब शालिनी की भीगती गाड़ को मसलते हुए फैलाने लगे ,
अरुण के होठों पर पड़ता शालिनी के रसीले होंठों का जोर वो उसकी फाड़ फैला कर अपना टोपा उसकी चूत में चुभो कर ले रहा था - उह्ह्ह्ह मामीईईई उम्मम क्या मस्त कसी गाड़ है तुम्हारी उह्ह्ह
शालिनी ने अब अरुण का मोटा मूसल थाम लिया और उसकी चमड़ी आगे पीछे करने लगी - आआह्हह मेरे राजा तुम्हारे इस तगड़े हथियार के आगे तो मैं कुछ भी नही ओहह। अभी भी कितना कसा है उम्म्म क्या खाता है रे तुहह उम्म। जी कर रहा है खा जाऊं इसे उह्ह्ह्
अरुण शालिनी को अलग करता हुआ उसे नीचे सरकता हुआ
लोह्ह चूस लो मेरी सेक्सी मामी आआह्ह्हह ओहह्ह्ह और उम्म्म् ऐसे ही आआआह्हह मजा आ रहा है क्या मस्त चूस रही हो मामी
शालिनी घुटनों के बल होकर अरुण का मोटा लाल सुपाड़ा मुंह में लेके चुबला रही थी और ऊपर से पानी का शावर की धार उसके नंगे कमर और चूतड पर जा रही थी जिससे अरुण की कामुकता और बढ़ती जा रही थी
वो शालिनी का सर पकड़ कर उसके मुंह में ही पेलने लगा - ओह बहिंचोद रंडी आआह्ह्ह्ह उम्मम् फक्क येस्स्स उह्ह्ह्ह्ह और लेह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी आआह्ह्ह मजा a रहा है तुम्हारे मुंह में घुसा कर और लो मेरी जान
अरुण लगातार शालिनी के मुंह में लंड घुसा कर गले तक उतार रहा था और जोर जोर से चिंघाड़ रहा था , अगले ही पल शालिनी ने मुंह से लंड निकाला और जोर जोर से गहरी सास लेते हुई हाफने लगी । फिर से उसका मूसल चूमती चूसती हुई - उह्ह्ह्ह्ह लल्ला घुसा दे उम्म्म्म जल्दी अब और नहीं रहा जाता
अरुण भी सरक कर नीचे हो गया यार उसको अपने ऊपर खींच कर - किसमे लेगी मेरी सेक्सी चुदक्कड़ बोल ना उम्मम्म
अरुण उसके चूचे मुंह में भर कर नोच रहा था और शालिनी ने नीचे हाथ ले जा कर उसका लंड अपनी गाड़ के सुराख पर लगा कर कचकचा कर बैठ गई और देखते ही देखते अरुण का सुपाड़ा उसकी कसी हुई गाड़ की सुराख में फस गया - उह्ह्ह्ह्हह मामीईई उम्म्म बहुत टाइट है आआआह्ह्ह
शालिनी खुद से उसका लंड अपनी गाड़ में भीतर लेती हुई - इसी में तो मजा मेरे राजा आहह और तेरे इस मोटे कड़क लंड को भीतर लेके कर घुसाने में बहुत मजा है आआआह्हह्ह उह्ह्ह्ह् अहह्ह्ह साले आराम से फाड़ देगा क्या अभी भी दर्द गया नही है आह्ह्ह्ह रूक जा हरामी
अरुण बिना कुछ बोले नीचे से ताबड़तोड़ झटके देना शुरू कर दिया था - क्यू मामी मजा नही आ रहा है अब उह्ह मुझे तो ऐसे ही आपको चिल्लवाने में मजा आता है उह्ह्ह्ह मेरी रंडी अअह्ह्ह्ह साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह
शालिनी अरुण की तेज रफ्तार के ताबड़तोड़ झटके से सुन्न सी पड़ गई थी मुंह बांधे वो सास रोक अपने गाड़ की सूजन पर रगड़ खाता अरुण के कड़क लंड को महसूस कर रही थी
उसपे से ऊपर से तेज ठंडी पानी की धार शावर से उसके ऊपर गिर रही थी - उम्मम्म उह्ह्ह्ह मजा नही आएगा आह्ह्ह्हह बहुत टाइट है अअह्ह्ह्हह्ह रात भर में कितना बड़ा कर लिया तूने आह्ह्ह्ह्ह कल से ज्यादा कसा है आज अअह्ह्ह लल्ला मुझे ठंड सी लग रही है अब आह्ह्ह निकाल दे मुझे पेशाब आ रहा है हट जा
अरुण मारे जोश में - तो मूत लो ना मामी मेरे ऊपर ही अअह्ह्ह्हह आपकी गरम गरम मूत से मैं भी नहाना चाहता हु अह्ह्ह्ह प्लीज
शालिनी को अजीब लगा मगर जिस तरह से अरुण उसकी आंखो में झाक कर उसे मना रहा था शालिनी खुद को रोक नहीं पाई और उठ कर गाड़ घुमा कर अरुण के ऊपर खड़े होकर मूतने लगी
शालिनी के चूत से मूत की टोटी सीधा अरुण के लंड पर गिर रही थी , अरुण धार में अपना लंड हिला कर उसे और तपा रहा था - अह्ह्ह्ह्ह मामी बहुत गरम है आपकी मूत उम्मम्म जरा पिलाओ ना
शालिनी चौकी और इससे पहले कि वो अरुण को रोकती मना कर पाती अरुण उसकी टांग उठा कर सीधा उसके बहती बुर में मुंह दे दिया ।
चूत से गर्म पानी के छीटें उसके मुंह और देह पर गिरने लगे , अरुण जीभ निकाल कर उसकी चूत के दाने पर चलने लगा , नीचे से शालिनी की मूत निकलती रही आखिरी तक जबतक वो कांपने नही लगी - आह्ह्ह्ह् बेटा मैं गिर जाऊंगी उठ जाआह
अरुण लपक कर उठा और शालिनी को पीछे से जकड़ लिया, उसकी रसदार चूचियां मसलता हुआ अपने लंड की ठोकर उसके बुर के फाकों में और गाड़ की सख्त दरारों में देने लगा - ओहहह मामीईईई क्या मस्त गाड़ है आह फैलाओ न इसे उह्ह्ह्ह
शालिनी आगे झुक कर अपने चूतड पकड़ कर दोनो तरफ से फैलाने लगी जिससे उसकी गाड़ की गुलाबी सुराख दिखने लगी जिस पर उसकी कमर से रिस रही पानी की चमकीली धार उसे और चटक दिखा रही थी
अरुण ने हाथ बढ़ा कर शावर बंद कर दिया और हाथ बढ़ा कर उसके गाड़ के सुराख पर उंगली लगा कर - वाह मामी आपकी गाड़ बहुत लाल हो गई है
शालिनी अरुण के स्पर्श से कसमसाने लगी ,उसकी बुर कुलबुलाने लगी - ओह्ह्ह बेटा उम्मम्म्म कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह उम्मम्म ओह्ह्ह्ह तेरी तो उंगली भी मोटी है अह्ह्ह्हह आराम से लाला उह्ह्ह्ह अभी भी दर्द है
अरुण मुस्कुरा कर - इसका दर्द कम कर दू मामी
शालिनी - कैसे करेगा कर ?
अगले ही पल अरुण अपनी सुपाड़े का फब्बारा खोल दिया और गर्म छरछराती मूत की मोटी धार सीधे उसके गाड़ के छेद पर गिरने
गर्म जलती मूत की धार का स्पर्श पाकर शालिनी उछल पड़ी - अअह्ह्ह्ह ये क्याआह्ह कर रहा है बेटा मुझेह भी मूत से नहलाएगा क्या ?
अरुण अपना लंड का टोपा इधर उधर कर शालिनी की पीठ और उसके चूतड पर धार मारता हुआ - आआह्ह मामी आपको देख कर रहा नही गया अह्ह्ह्ह् कितनी सेक्सी लग रही है आपकी गाड़ मूत से नहा कर मेरे
और अगले ही पल जैसे ही उसका पेशाब रुका उसके आगे बढ़ कर अपना टोपा सीधा उसकी बुर में लगाते हुए पेलना शुरू कर दिया - अह्ह्ह साले हरामी अह्ह्ह्ह्ह बता तो देना था अअह्ह्ह्ह जल रहा है
अरुण उसकी सुजी हुई चूत में लंड खूब हचक के पेलता हुआ - उह्ह्ह्ह्ह मामीई इसी में तो मजा है आआआह्हह्ह्हह क्या कसी बुर है आपकी उम्मम्म् मजा आ रहा है उह्ह्ह्ह निचोड़ लेगी क्या
शालिनी - क्यू तूने नही निचोड़ा मुझे उम्मम्म , सुबह से झड़ रही हू अअह्ह्ह्ह और पेल मादरचोद दम नही है क्या ?
अरुण और जोश में उसके कूल्हे थामे करारे झटके लगाती हुई - क्या बोली साली रण्डी फिर से बोल उम्मम्म क्या बोली , बोल ना
शालिनी आंखे उल्टती हुई सिसकियां तेज करती हुई - अअह्ह्ह्ह मैं बोली भड़वे दम नही है क्याआह चोद ना
अरुण लगातार कस कस कर उसकी बुर की जड़ो में लंड उतार रहा था - ये नही इसके पहले वाला
शालिनी - मादर चोदह्हह आह्ह्ह्हह्ह बाल मत खींच अअह्ह्ह्ह
अरुण - हा यही सुनना था , अअह्ह्ह्ह
शालिनी उसके तेज झटके सहती हुई - आह्ह्ह्ह तो तू भी पेलना चाहता है अपनी मां को उम्मम्म उस छिनार कम्मो को अह्ह्ह्ह्हह ये तेरी मां का खुला भोसड़ा नही है साले हो धीरे धीरे पेल रहा है आआह्ह्ह्ह्ह फाड़ ना
शालिनी की बातें अरुण को चरम पर ले आई थी और आखिर से 15- 20 झटको के साथ चीखने लगा - आओ मामी आ रहा है आआआह्ह्ह्हह जल्दी ओह्ह्ह्ह्ह फक्कक्क अअह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह्ह
शालिनी तेजी से उसके कदमों में पहुंची और अरुण के पिचकारी की तेज मोटी गाढ़ी धार शालिनी के हसीन चेहरे पर गिरने लगी और शालिनी मुंह खोलकर काफी कुछ छींटे गटक कर चटकारे लेने लगी ।
अमन के घर
सोनल के कमरे में सभी भाई बहन हसीं ठिठौली में मगन थे मगर दो लोग ऐसे थे जिनकी सास उतार चढ़ाव ले रही थी ।
रिंकी और अनुज की बेचैनी दोनो के चेहरे पर साफ साफ झलक रही थी, दोनो के दिल ऐसे धड़क रहे थे मानो आज ये मुलाकात आखिरी है और हर बीतता पल उनसे उनकी धड़कन की गिनती कम कर रहा हो ।
रिंकी ने तो कई बार अनुज को बाहर आने के इशारे किए , मगर अनुज की हिम्मत नए जगह जवाब दे जा रही थी । इधर राज भी सोनल के साथ कुछ पल अकेले पाना चाहता था मगर रिंकी और अनुज की मौजूदगी में उसका काम बनता नही दिख रहा था ।
इधर रिंकी बार बार अनुज को इनसिस्ट कर रही थी और आखिर जब अरुण ने उसका उतरा हुआ उदास चेहरा देखा तो उसका दिल पसीज गया और उसने थोड़ी हिम्मत दिखा कर सबके सामने बोल ही दिया - मैं आता हूं अभी
राज सोनल निशा तीनों के चेहरे खिल उठे और राज ठहाका लगाते हुए - कहा सुसु हाहाहहहा
सोनल राज के कंधे पर हाथ मारती हुई - धत्त पगलेट , अभी भी उसे तंग करता है । क्या हुआ अनुज
अनुज शर्मा कर हस्ता हुआ राज की ओर इशारा कर - वही
सोनल के मुंह पर हसीं फूट पड़ी - धत्त पागल तू भी न , हे रिंकी बहिनी जरा इसको लिवा जाना
रिंकी की तो चांदी हो गई कि सोनल ने बजाय अनुज को कमरे के बाथरूम में भेजने के बाहर जाने को कहा और अरुण लजाता हुआ उठ कर कमरे के बाहर निकाला जैसे ही रिंकी भी उसके पीछे निकल कर कमरे का दरवाजा भिड़काई राज घुटने के बल होकर सोनल के ऊपर झपटा और उसके हसीन चेहरे को थाम कर उसके लाल होठों को चूसने लगा ,
पहले तो सोनल ने विरोध किया मगर जैसे ही उसके मुंह में राज के गर्म मुलायम होठों की मिठास घुली उसने भी राज के लिप्स चूसने शुरू कर दिया
इधर निशा - अरे तुम दोनो पागल हो कया , कोई आजाएगा क्या कर रहे हो
राज मुंह घुमा कर - दीदी दरवाजा लगा दो ना प्लीज़
और राज वापस से सोनल के ऊपर चढ़ता हुआ उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए
नीचे उसका मोटा मूसल पेंट में से ही सोनल को जांघो पर साडी के ऊपर से चोट करने लगा और सोनल की सिसकियां शुरू हो गई
वही निशा लपक कर दरवाजे पर गईं कड़ी लगाने लगी और दूसरी ओर गलियारे में रिंकी अनुज का हाथ खींचती हुई उसे अपने कमरे में ले जाकर दरवाजे से लगाती हुई उसके होठ अपने होठों से चिपका लिए
दोनों सालों से प्यासो की तरह एक दूसरे के होठों की मिठास साझा कर रहे थे , अनुज के हाथ रिंकी के जिस्म को हर जगह छू रहे थे और रिंकी उसको अपने सीने से चिपकाए हुए उसके निचले होठों को चूस रही थी , जल्द ही दोनो के नाथुने फूलने लगे और गर्म सांसे तेजी से बाहर आने लगी । अनुज मुस्कुराता हुए मुंह खोल कर रिंकी की मादकता में चूर हो चुकी आंखो में निहारता है और दुगने जोश में उसके चूतड स्कर्ट के ऊपर से ही पकड़ कर मसलता हुआ चूत पर अपने लंड की नोक का निशाना सेट करने लगता है
रिंकी भी पूरी कामोतेजित होकर अनुज के टोपे पर अपनी चूत का मुहाना टच कराना चाहती थी मगर , स्कर्ट और जींस उनके बीच दूरी बना रहे थे ।
रिंकी ने उसको पीछे धकेल कर बिस्तर ले गई और जल्दी जल्दी उसके जींस की जिप नीचे करती हुई अनुज का मोटा लाल हुआ लंड बाहर निकाला , उसकी तपीस रिंकी को अपने पूरे जिस्म में महसूस हो रही थी ।
रिंकी के चेहरे पर जरा भी नादानी या फिर कहे उसकी उम्र के हिसाब से कोई चंचलता नजर नहीं आ रही थी एकदम हवस से भरी मादक उग्र आंखे जो अनुज के लार टपकाटे मोटे लंड को मुंह और बुर दोनो में एक साथ खा जाने वाली नजरो से देख रही थी ।
चूत में टपकते दाने को स्कर्ट के ऊपर से मिजती हुई रिंकी ने अनुज का लंड हाथ में लेके ऊपर नीचे सहलाते हुए नीचे झुक गई और मुंह खोल कर लीची सा लाल मोटा सुपाड़ा ले लिया
अनुज अपनी गाड़ उछला कर आंखे बंद कर एक गहरी सिसकी लेता हुआ रिंकी की नाजुक अमियो को उसके टॉप के ऊपर से सहलाने लगा और रिंकी किसी ट्रेंड पोर्नस्टार की तरह उसका लंड मुंह लेके चूसने लगी
वही नीचे सबको चाय नाश्ता कराने के बाद दुलारी की भी दिलचस्पी ऊपर अपने हम उम्र के पास जाने में हुई और खास कर राज के पास , जिसने आने के बाद सबसे ज्यादा आज उसके यौवन को और श्रींगार पर गौर किया था । रह रह कर दुलारी के दिल में राज के लिए बेताबी उठ रही थी , वो राज के उन नशीली आंखों के जज्बात साफ साफ पढ़ चुकी थी जब राज की नजरें चुप चुप कर उसके ब्लाउज में उभरे हुए पपीते के जोड़े से लेकर , उसके होठों की लाली , मादक चाल और साड़ी से झांकती उसकी नाभी निहार रही थी ।
दो चार बार तो दोनो की आंखे बस अटक सी जाती थी आपस में फिर एक चोर वाली मुस्कुराहट में सारा प्रयास अधूरा सा हो जा रहा था
दुलारी ने ममता से आज्ञा लेकर जीने से होकर ऊपर चल दी और उसका ध्यान सीधे सोनल के कमरे पर था , गलियारे को फांदते हुए शुरुवात में उसकी जरा भी नजर संगीता के कमरे के भिड़के हुए दरवाजे पर नही गई , अगर जरा भी उसकी इंद्रियां सतर्क होती वो जरूर दरवाजे के गैप से बिस्तर पर रिंकी को अपने जिस्म से कपड़े उतारते देख लेती ।
वो झटपट अमन के कमरे के दरवाजे के पास पहुंची और दरवाजे पर जोर दिया तो भीतर से बंद पाया । शंकित मन से उसने दरवाजे से कान लगाया तो कूलर की तेज हनहनाह्ट में निशा के खिलखिलाने की आवाजे उसे सुनाई दे रही थी तभी उसके कानो के किसी मर्द की हल्की सिसकी आई मगर ये आवाज कमरे के बाहर से उसे सुनाई दी थी और उसकी नजर फौरन उस और पूरी सतर्कता घूम गई ।
अब दुलारी के चेहरे पर एक शरारत भरी मीठी मुस्कान खिलने लगी थी और अपनी पायलो की रुनझुन को थामती हुई एड़ीया दबा कर संगीता के दरवाजे पर पहुंची और जैसे ही उसने भिड़का हुआ दरवाजा पाया उसके दिल की धड़कने ऐसे उछलने लगी मानो उसकी मांगी मुराद पूरी कर दी हो किसी ने और हौले से दरवाजे पर हाथ लगा कर भीतर का नजारा देखा तो अपने होठ चबाने लगी
सामने अनुज बिस्तर के हेडबोर्ड पर अपनी पीठ टिकाए पैर फैला कर पूरा नंगा बैठा था और रिंकी भी अपने जिस्म एक एक रेशे को उतार कर घोड़ी बन कर अनुज का लंड मुंह में ले रही थी , पीछे से उसकी गुलाबी बुर और गाड़ की फैली हुई सुराख देख कर दुलारी के दोनो होठ से लार टपकने लगी
साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को पंजे से दबाती हुई उसकी नजर अनुज को मोटे लाल सुपाड़े वाले तगड़े कसे हुए हथियार पर थी , जिसे देखकर दुलारी के तन बदन में आग लग चुकी थी ,
देखते ही देखते रिंकी ने अनुज के लंड का टोपा अपनी बुर के मुहाने पर रखा और कचकचा कर बैठ गई , कुछ उसकी चमड़ी खिंची तो कुछ अनुज की
दोनो की आंखे भींची मगर दर्द और मजे दोनो का अहसास दुलारी को हुआ उसके हाथ अब उसकी ब्लाउज के ऊपर से उसकी छातियां मिज रहे थे ।
वही कमरे में रिंकी खुद से अनुज के लंड पर उछल रही थी और अनुज उसकी नंगी नंगी गुलाबी अमीयो को मुंह में लेकर चुसरहा था उसके हाथ रिंकी की गोरी गाड़ को जी भर कर मसल रहे थे और रिंकी की चूत के उसका लंड जगह बनाए जा रहा था ।
दुलारी तो अब राज को भूल चुकी थी उसके जहन में अनुज का वो मोटा रिंकी की चूत में लिभड़ा रसीला लंड बस चुका था, उसके देह से साड़ी उतर चुकी थी वो अपनी छातियां मिजती हुई बिलकुल निडर हो गई थी , उसे अपनी काम के आवेग में घर में आए मेहमानों की भी फिकर नही थी
पेटीकोट के ऊपर से बुर को सहलाती हुई दुलारी अनुज के लंड को निहार रही थी जो रिंकी को घोड़ी बनाए तेजी से पेले जा रहा था और उसकी बुर बुरी तरह पानी छोड़ रही थी , रिंकी की सिकसिया अब कमरे में गूंजने लगी थी , बुर का बुरा हाल हुआ पडा था उसपे से घुटने चढ़ती जवानी में ही जवाब देने को आ गए थे
रिंकी की हालत देख कर अनुज ने उसको मिसनरी में ले आया और तेजी से उसकी बुर में लंड पेले जा रहा था , वही दुलारी अपने जिस्म से पेटीकोट तक निकाल चुकी थी और दरवाजा हल्का सा और खोल कर कमरे के मुहाने पर आकर बलाउज से अपनी चूचियां बाहर निकाल कर अनुज के आगे अपनी बुर मसल रही थी
अनुज की नजर जैसे ही दरवाजे पर हुई हलचल पर गई उसकी फट के चार हो गई और दुलारी ने फौरन उसे चुप रहने का इशारा करते हू अपने गदराये जोबन के जोड़ों की घूंडीया घुमाती हुई मीजने लगी , अनुज का जोश अब और भी ज्यादा हो गया वो पूरी कोसिस करके रिंकी का ध्यान अपनी ओर किए हुए था मगर दरवाजे पर दुलारी भाभी की भरी हुई जवानी का नजारा देख कर उससे अब रहा नही जा रहा था और वही दुलारी ने उसको इशारा से बुलाने लगी
अनुज तो मानो दोहरी राह में फस गया एक और रिंकी की कसी करारी बुर के मजे ने उसे चरम पर पहुंचा कर झड़ाने के करीब ला रखा था तो वही दुलारी अपने जवानी के यौवन रूप दिखा कर उसे अभी ठहर जाने का इशारा कर रही थी
आखिरकार दुलारी ने बाजी मार ली और अनुज ने रिंकी की झड़ती बुर से लंड खींच लिया
रिंकी - क्या हुआ
अनुज - मुझे लग रहा है बाहर कोई टहल रहा है और देखो दरवाजा भी खुला है , अभी चेक करके आता हू
ये बोल कर अनुज नंगे ही दरवाजे की ओर भागा
रिंकी अपनी बहती बुर को पंजे से भींचती हुई करवट लेकर अनुज के छोटे छोटे गोरे नंगे उछलते चूतड देखकर हस पड़ी - अरे पागल कपड़ा तो पहन के जाओ ना
अरुण ने उसकी बातो को अनसुना कर बड़ी बेफिकरी से कमरे से निकल गया क्योंकि वो जानता था कि दुलारी भाभी बिना किसी रिस्क के ही उसके आगे दरवाजे पर नंगी हुई थी और जल्दी से लपक कर वो दुलारी के कमरे का दरवाजा खोलकर भीतर से बंद करता हुआ कमरे में चला गया ।
गलियारे में हुई तेज हलचल से सोनल के कमरे में तीनों भाई बहन अलर्ट हो आगे और राज ने सोनल को कपड़े सही करने का बोलकर खुद अपना जींस पहनता हुआ तेजी से दरवाजा खोलता है और उसकी नजर ने गलियारे में एक कमरे के अंदर से बाहर निकली एक गोरी कलाई पर गई जिसपे सजी हुई चूड़ियां और हाथ की मेंहदी सब कुछ पल भर जांच लिया और उस श्क्स की पहचान तब कन्फर्म हो गई जब वो कलाई गलियारे में बिखरी हुई साड़ी जल्दी जल्दी कमरे में खींच ले गई दरवाजा बंद हो गया
" दुलारी भाभी " , राज के जवान से शंका भरी बड़बड़ाहट उठी
कमरे से सोनल ने आवाज लगाई - क्या हुआ राज , कौन था ?
राज - पता नही देख कर आता हू , तुम लोग रहो यही
ये बोल कर राज कमरे के बाहर आकर हौले से दरवाजा लगाता हुआ दबे पाए उस कमरे की ओर बढ़ने लगा जहा से उसे दुलारी भाभी की झलक मिली मगर उस कमरे से निकलने से पहले उसकी नजर रिंकी के कमरे से आधे खुले दरवाजे से आते नजारे पर चली गई जहा रिंकी बेड पर घुटने तोड़ कर बैठी हुई अनुज का नाम लेके अपनी चूत मसल रही थी - कहा छोड़ गए मेरे हीरो
आह्ह्ह अनुज आओ ना जल्दी मेरी चूत को तुम्हारा मोटा लंड चाहिए , क्यू बाहर चले गए तुम ओह्ह, पता नही कौन मराने आ गया होगा बाहर
राज रिंकी की हालत और उसकी बड़बडाहट से सारा माजरा समझ गया कि कैसे अनुज रिंकी को पेल कर दुलारी के साथ उसके कमरे में चला गया , एक पल को उसे अपने भाई पर गर्व हुआ तो अगले पल जलन भी हुई मगर असली आग तो सामने बिस्तर पर मछली के जैसे तड़पती रिंकी लगा रही थी ।
राज उसके गुलाबी नंगे बदन को मचलता देख कर अपना खड़ा लंड मसलने लगा , उसके छोटे छोटे मौसमी से चूचो पर तनी हुई गुलाबी घुंडी देख कर राज के मुंह में लार घुलने लगी और सही मौका देख कर राज कमरे में दाखिल हो गया ।
वही नीचे ममता के कमरे में रागिनी और संगीता की हसीं ठिठौली चल रही थी , रागिनी और ममता आज मिल कर संगीता की खूब खिंचाई कर रही थी और संगीता जल्दी से उनसे छुटकारा चाह रही थी कि तभी उसकी नजर दरवाजे के बाहर गलियारे से बाथरूम की ओर जाते हुए जंगीलाल पर गई और दिल मचल उठा ।
चुकी जंगी को बाथरूम की ओर जाते हुए सिर्फ संगीता ने ही देखा था तो वो भी बाथरूम का बहाना बनाकर बाहर जाने लगी
ममता ने उसे कमरे के बाथरूम में जाने को कहा मगर संगीता ने उसको टाल कर तेजी से बाथरूम की ओर भाग गई
रागिनी और ममता उसकी तेजी पर खिलखिला कर हस पड़े
ममता - तो क्या हुआ , मेरी हीरोइन नंद की फिल्म का उम्मम्म
रागिनी मुस्कुराती हुई हा में आंखे झपकाती हुई - लाई हूं ना , ऐसा निहुरा कर पेला है देवर जी ने हिहिहिही लो देखो
और रागिनी ने उस रात शादी में चोरी छिपे हुई संगीता की वीडियो दिखाई जिसमे जंगी उसको आगे झुका कर उसकी चूत में लंड डाले हुए वीडियो बना रहा था ।
ममता उस एक ही पोजिशन में 8 मिंट तक चलने वाली चुदाई का वीडियो देख कर कभी हस्ती तो कभी जंगी के स्टैमिना की दाद देती - कुछ भी कहो दीदी आपके देवर किसी घोड़े से कम नहीं है , एक सुर में एक ही चाल से बिना रुके इतना लंबा सफर हिहिहिहि
रागिनी हस्ती हुई उसके हाथ से मोबाइल लेकर - कभी मेरे सैंया की दौड़ देखना हिहिहि बड़े भाई है बाकी सोच लो
ममता हस्ती हुई - धत्त दीदी मैं क्यू सोचू भला उनके बारे में ?
रागिनी - अरे अगर वो आपके बारे में सोच सकते है तो आप क्यों नही हिहिहिहीही
ममता अचरज से - धत्त क्या दीदी तुम भी , कैसी बात करती हो। मेरे समाधि जी बड़े सीधे है समझी आप !
रागिनी हस कर - अच्छा जी , फिर तो आपको वो बात बतानी ही पड़ेगी
ममता कौतूहल वश - क्या ? कौन सी बात ?
रागिनी अब ममता की बेबाती पर हस रही थी तो ममता हस्ती हुई उसका हाथ पकड़ कर - अरे बोलो ना दीदी , प्लीज ना
रागिनी - याद एक बार शादी के पहले मैं आपकी पैंटी लेके गई थी
ममता उसकी बात याद कर लाज गाढ़ हो गई कि उस रोज कितना तंग किया था रागिनी ने उसे और उसपे से वो पैंटी भी उसके समधी रंगीलाल को दे दी थी कि उसी नाप से बड़ा ममता के लिए दो जोड़ी ब्रा पैंटी लेते आना बड़े शहर से
रागिनी ममता को छेड़ती हुई - क्यू याद है ना उम्मम्म
ममता शर्म और हसीं से लाल होती हुई - हा बाबा याद है
रागिनी ने अब आगे झूठ मूठ की कहानी सुनानी शुरू की - पता उस रोज मैं घर आने के बाद आपकी पैंटी ऐसे खुले में ही अपने कमरे के बिस्तर पर रख कर नहाने चली गई और आपके समधी जी हिहिहिहिही
ममता को आगे जानने की भीतर से बहुत तलब हो रही थी मगर रागिनी की खिलखिलाहट कहा बंद हो रही थी
ममता ने उसको आगे बताने को कहा
रागिनी हस्ती हुई - वो कमरे में न जाने कब आ गए और आपकी पैंटी को मेरी नई पैंटी समझ कर सूंघने लगे उसे अपने वहा रगड़ने लगे
ममता चौक कर - क्या सच में !!
रागिनी हस्ती हुई थी हा में सर हिलाती हुई ममता के ऊपर झोल जा रही थी - हम्मम सच कह रही हूं और तब कहा उनको पता था कि वो आपकी है । उन्हे लगा वो मेरी नई पैंटी है और जब मैने बताया कि ये आपकी है तो ....
ममता की धड़कन अब तेज होने लगी कि आगे क्या हुआ , उसने अपने सूखते होठों से पूछ ही लिया - फिर ? फिर क्या हुआ
रागिनी सामने से ममता के पल्लू के नीचे से बलाऊज में ऊपर नीचे होती भारी चुचियों को साफ देख रही थी और ममता दिल में उठ रही जज्बात को समझ रही थी - फिर वो शोकड हो गए और फैला फैला कर घुमा घुमा कर उसे देखने लगे । हिहिहिहीह फिर जब मैने बोला कि इससे चार नंबर बड़ी size की पैंटी ब्रा आपको बड़े शहर से लानी है तो उनकी आंखे और बड़ी हो गई हिहिही फिर वो आपकी पैंटी की लास्तिक पूरी फैला कर ऐसे देख रहे थे मानो अनुमान लगा रहे हो कि इससे चार नंबर बड़ी पैंटी में आपका बड़ा पीछवाडा कैसा दिखेगा हाहाहहहाह
ममता रागिनी के मजाक पर हस के लाल हुई जा रही थी - धत्त दीदी चुप करो , आप भी ना
रागिनी हस कर - अरे अभी आगे की बात तो बाकी ही है
ममता हस्ती हुई - अब क्या ?
रागिनी - उस रात ना जाने कहा से ,वो जोश आया कि वो नानस्टाप 48 मिंट तक बिना झड़े लगे रहे हिहिहिह
ममता आंखे बड़ी कर ताज्जुब से - क्या सच में , ऐसा क्या खा लिया था
रागिनी हस्ती हुई - पक्का बता दूं
ममता हलक से लार गटकती हुई आगे की कहानी जानने को पूरी बेताबी से हा में सर हिलाया
रागिनी खिलखिलाती हुई - उस रोज नहाने के बाद आपकी ही पैंटी पहन ली थी हाहहहहाह
ममता रागिनी के मजाक पर हस्ती हुई उसके कंधे को ठेल कर - धत्त आप बहुत गंदी हो छीइई
रागिनी हस्ती हुई काफी देर तक उसे छेड़ती रही ।
ममता ने बात को घुमाने की कोशिश की - अच्छा सुनिए न , ये वीडियो कैसे मिलेगी मुझे
रागिनी इतराई - हर चीज की एक कीमत है मेरी बहना हाहाहहह तो इसकी भी बोली लगेगी
ममता - क्या चाहिए बोलो ना , मुझे ये वीडियो चाहिए ही चाहिए
रागिनी हस्ती हुई - आपकी एक और पैन्टी हिहिहिहिह
ममता हस्ती हुई लाज के मारे उठ गई और बाथरूम में जाने लगी - भक्क्क आप बहुत गंदी हो , ये सब कोई मागता है
रागिनी भी हस्ती हुई अंगड़ाई लेकर - अअह्ह्ह्ह उस रोज मेरी जगह होती तो अपनी पैंटी की कीमत समझ आती
ममता चिढ़ती हुई हस्ती हुई बाथरूम में घुस गई और रागिनी हसने लगी ।
जारी रहेगी
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राहुल के घर
बाथरूम का शावर चालू था और अरुण अपनी मामी की गदराई मुलायम जांघों में बीच चूत के फाकों में अपना लंड रगड़ता हुआ पानी में भीग रहा था ।
शालिनी को अरुण से चिपक भीगना बहुत कामोतेजक किए जा रहा था , उसकी चूत के दानों को मसलता अरुण का टोपा पीछे उसके गाड़ की सकरी कसी दरारों को भी फैला रहा था और अरुण सटासट उसकी जांघो में लंड घुसेड़ रहा था ।
शालिनी ने लपक कर उसके चेहरे को थाम कर उसके कोरे लिप्स अपने लिप्स से जोड़ कर चूसना शुरू कर दिया और अरुण अपनी मामी के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसको और अपने करीब खींच लिया और उसके दोनो पंजे अब शालिनी की भीगती गाड़ को मसलते हुए फैलाने लगे ,
अरुण के होठों पर पड़ता शालिनी के रसीले होंठों का जोर वो उसकी फाड़ फैला कर अपना टोपा उसकी चूत में चुभो कर ले रहा था - उह्ह्ह्ह मामीईईई उम्मम क्या मस्त कसी गाड़ है तुम्हारी उह्ह्ह
शालिनी ने अब अरुण का मोटा मूसल थाम लिया और उसकी चमड़ी आगे पीछे करने लगी - आआह्हह मेरे राजा तुम्हारे इस तगड़े हथियार के आगे तो मैं कुछ भी नही ओहह। अभी भी कितना कसा है उम्म्म क्या खाता है रे तुहह उम्म। जी कर रहा है खा जाऊं इसे उह्ह्ह्
अरुण शालिनी को अलग करता हुआ उसे नीचे सरकता हुआ
लोह्ह चूस लो मेरी सेक्सी मामी आआह्ह्हह ओहह्ह्ह और उम्म्म् ऐसे ही आआआह्हह मजा आ रहा है क्या मस्त चूस रही हो मामी
शालिनी घुटनों के बल होकर अरुण का मोटा लाल सुपाड़ा मुंह में लेके चुबला रही थी और ऊपर से पानी का शावर की धार उसके नंगे कमर और चूतड पर जा रही थी जिससे अरुण की कामुकता और बढ़ती जा रही थी
वो शालिनी का सर पकड़ कर उसके मुंह में ही पेलने लगा - ओह बहिंचोद रंडी आआह्ह्ह्ह उम्मम् फक्क येस्स्स उह्ह्ह्ह्ह और लेह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी आआह्ह्ह मजा a रहा है तुम्हारे मुंह में घुसा कर और लो मेरी जान
अरुण लगातार शालिनी के मुंह में लंड घुसा कर गले तक उतार रहा था और जोर जोर से चिंघाड़ रहा था , अगले ही पल शालिनी ने मुंह से लंड निकाला और जोर जोर से गहरी सास लेते हुई हाफने लगी । फिर से उसका मूसल चूमती चूसती हुई - उह्ह्ह्ह्ह लल्ला घुसा दे उम्म्म्म जल्दी अब और नहीं रहा जाता
अरुण भी सरक कर नीचे हो गया यार उसको अपने ऊपर खींच कर - किसमे लेगी मेरी सेक्सी चुदक्कड़ बोल ना उम्मम्म
अरुण उसके चूचे मुंह में भर कर नोच रहा था और शालिनी ने नीचे हाथ ले जा कर उसका लंड अपनी गाड़ के सुराख पर लगा कर कचकचा कर बैठ गई और देखते ही देखते अरुण का सुपाड़ा उसकी कसी हुई गाड़ की सुराख में फस गया - उह्ह्ह्ह्हह मामीईई उम्म्म बहुत टाइट है आआआह्ह्ह
शालिनी खुद से उसका लंड अपनी गाड़ में भीतर लेती हुई - इसी में तो मजा मेरे राजा आहह और तेरे इस मोटे कड़क लंड को भीतर लेके कर घुसाने में बहुत मजा है आआआह्हह्ह उह्ह्ह्ह् अहह्ह्ह साले आराम से फाड़ देगा क्या अभी भी दर्द गया नही है आह्ह्ह्ह रूक जा हरामी
अरुण बिना कुछ बोले नीचे से ताबड़तोड़ झटके देना शुरू कर दिया था - क्यू मामी मजा नही आ रहा है अब उह्ह मुझे तो ऐसे ही आपको चिल्लवाने में मजा आता है उह्ह्ह्ह मेरी रंडी अअह्ह्ह्ह साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह
शालिनी अरुण की तेज रफ्तार के ताबड़तोड़ झटके से सुन्न सी पड़ गई थी मुंह बांधे वो सास रोक अपने गाड़ की सूजन पर रगड़ खाता अरुण के कड़क लंड को महसूस कर रही थी
उसपे से ऊपर से तेज ठंडी पानी की धार शावर से उसके ऊपर गिर रही थी - उम्मम्म उह्ह्ह्ह मजा नही आएगा आह्ह्ह्हह बहुत टाइट है अअह्ह्ह्हह्ह रात भर में कितना बड़ा कर लिया तूने आह्ह्ह्ह्ह कल से ज्यादा कसा है आज अअह्ह्ह लल्ला मुझे ठंड सी लग रही है अब आह्ह्ह निकाल दे मुझे पेशाब आ रहा है हट जा
अरुण मारे जोश में - तो मूत लो ना मामी मेरे ऊपर ही अअह्ह्ह्हह आपकी गरम गरम मूत से मैं भी नहाना चाहता हु अह्ह्ह्ह प्लीज
शालिनी को अजीब लगा मगर जिस तरह से अरुण उसकी आंखो में झाक कर उसे मना रहा था शालिनी खुद को रोक नहीं पाई और उठ कर गाड़ घुमा कर अरुण के ऊपर खड़े होकर मूतने लगी
शालिनी के चूत से मूत की टोटी सीधा अरुण के लंड पर गिर रही थी , अरुण धार में अपना लंड हिला कर उसे और तपा रहा था - अह्ह्ह्ह्ह मामी बहुत गरम है आपकी मूत उम्मम्म जरा पिलाओ ना
शालिनी चौकी और इससे पहले कि वो अरुण को रोकती मना कर पाती अरुण उसकी टांग उठा कर सीधा उसके बहती बुर में मुंह दे दिया ।
चूत से गर्म पानी के छीटें उसके मुंह और देह पर गिरने लगे , अरुण जीभ निकाल कर उसकी चूत के दाने पर चलने लगा , नीचे से शालिनी की मूत निकलती रही आखिरी तक जबतक वो कांपने नही लगी - आह्ह्ह्ह् बेटा मैं गिर जाऊंगी उठ जाआह
अरुण लपक कर उठा और शालिनी को पीछे से जकड़ लिया, उसकी रसदार चूचियां मसलता हुआ अपने लंड की ठोकर उसके बुर के फाकों में और गाड़ की सख्त दरारों में देने लगा - ओहहह मामीईईई क्या मस्त गाड़ है आह फैलाओ न इसे उह्ह्ह्ह
शालिनी आगे झुक कर अपने चूतड पकड़ कर दोनो तरफ से फैलाने लगी जिससे उसकी गाड़ की गुलाबी सुराख दिखने लगी जिस पर उसकी कमर से रिस रही पानी की चमकीली धार उसे और चटक दिखा रही थी
अरुण ने हाथ बढ़ा कर शावर बंद कर दिया और हाथ बढ़ा कर उसके गाड़ के सुराख पर उंगली लगा कर - वाह मामी आपकी गाड़ बहुत लाल हो गई है
शालिनी अरुण के स्पर्श से कसमसाने लगी ,उसकी बुर कुलबुलाने लगी - ओह्ह्ह बेटा उम्मम्म्म कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह उम्मम्म ओह्ह्ह्ह तेरी तो उंगली भी मोटी है अह्ह्ह्हह आराम से लाला उह्ह्ह्ह अभी भी दर्द है
अरुण मुस्कुरा कर - इसका दर्द कम कर दू मामी
शालिनी - कैसे करेगा कर ?
अगले ही पल अरुण अपनी सुपाड़े का फब्बारा खोल दिया और गर्म छरछराती मूत की मोटी धार सीधे उसके गाड़ के छेद पर गिरने
गर्म जलती मूत की धार का स्पर्श पाकर शालिनी उछल पड़ी - अअह्ह्ह्ह ये क्याआह्ह कर रहा है बेटा मुझेह भी मूत से नहलाएगा क्या ?
अरुण अपना लंड का टोपा इधर उधर कर शालिनी की पीठ और उसके चूतड पर धार मारता हुआ - आआह्ह मामी आपको देख कर रहा नही गया अह्ह्ह्ह् कितनी सेक्सी लग रही है आपकी गाड़ मूत से नहा कर मेरे
और अगले ही पल जैसे ही उसका पेशाब रुका उसके आगे बढ़ कर अपना टोपा सीधा उसकी बुर में लगाते हुए पेलना शुरू कर दिया - अह्ह्ह साले हरामी अह्ह्ह्ह्ह बता तो देना था अअह्ह्ह्ह जल रहा है
अरुण उसकी सुजी हुई चूत में लंड खूब हचक के पेलता हुआ - उह्ह्ह्ह्ह मामीई इसी में तो मजा है आआआह्हह्ह्हह क्या कसी बुर है आपकी उम्मम्म् मजा आ रहा है उह्ह्ह्ह निचोड़ लेगी क्या
शालिनी - क्यू तूने नही निचोड़ा मुझे उम्मम्म , सुबह से झड़ रही हू अअह्ह्ह्ह और पेल मादरचोद दम नही है क्या ?
अरुण और जोश में उसके कूल्हे थामे करारे झटके लगाती हुई - क्या बोली साली रण्डी फिर से बोल उम्मम्म क्या बोली , बोल ना
शालिनी आंखे उल्टती हुई सिसकियां तेज करती हुई - अअह्ह्ह्ह मैं बोली भड़वे दम नही है क्याआह चोद ना
अरुण लगातार कस कस कर उसकी बुर की जड़ो में लंड उतार रहा था - ये नही इसके पहले वाला
शालिनी - मादर चोदह्हह आह्ह्ह्हह्ह बाल मत खींच अअह्ह्ह्ह
अरुण - हा यही सुनना था , अअह्ह्ह्ह
शालिनी उसके तेज झटके सहती हुई - आह्ह्ह्ह तो तू भी पेलना चाहता है अपनी मां को उम्मम्म उस छिनार कम्मो को अह्ह्ह्ह्हह ये तेरी मां का खुला भोसड़ा नही है साले हो धीरे धीरे पेल रहा है आआह्ह्ह्ह्ह फाड़ ना
शालिनी की बातें अरुण को चरम पर ले आई थी और आखिर से 15- 20 झटको के साथ चीखने लगा - आओ मामी आ रहा है आआआह्ह्ह्हह जल्दी ओह्ह्ह्ह्ह फक्कक्क अअह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह्ह
शालिनी तेजी से उसके कदमों में पहुंची और अरुण के पिचकारी की तेज मोटी गाढ़ी धार शालिनी के हसीन चेहरे पर गिरने लगी और शालिनी मुंह खोलकर काफी कुछ छींटे गटक कर चटकारे लेने लगी ।
अमन के घर
सोनल के कमरे में सभी भाई बहन हसीं ठिठौली में मगन थे मगर दो लोग ऐसे थे जिनकी सास उतार चढ़ाव ले रही थी ।
रिंकी और अनुज की बेचैनी दोनो के चेहरे पर साफ साफ झलक रही थी, दोनो के दिल ऐसे धड़क रहे थे मानो आज ये मुलाकात आखिरी है और हर बीतता पल उनसे उनकी धड़कन की गिनती कम कर रहा हो ।
रिंकी ने तो कई बार अनुज को बाहर आने के इशारे किए , मगर अनुज की हिम्मत नए जगह जवाब दे जा रही थी । इधर राज भी सोनल के साथ कुछ पल अकेले पाना चाहता था मगर रिंकी और अनुज की मौजूदगी में उसका काम बनता नही दिख रहा था ।
इधर रिंकी बार बार अनुज को इनसिस्ट कर रही थी और आखिर जब अरुण ने उसका उतरा हुआ उदास चेहरा देखा तो उसका दिल पसीज गया और उसने थोड़ी हिम्मत दिखा कर सबके सामने बोल ही दिया - मैं आता हूं अभी
राज सोनल निशा तीनों के चेहरे खिल उठे और राज ठहाका लगाते हुए - कहा सुसु हाहाहहहा
सोनल राज के कंधे पर हाथ मारती हुई - धत्त पगलेट , अभी भी उसे तंग करता है । क्या हुआ अनुज
अनुज शर्मा कर हस्ता हुआ राज की ओर इशारा कर - वही
सोनल के मुंह पर हसीं फूट पड़ी - धत्त पागल तू भी न , हे रिंकी बहिनी जरा इसको लिवा जाना
रिंकी की तो चांदी हो गई कि सोनल ने बजाय अनुज को कमरे के बाथरूम में भेजने के बाहर जाने को कहा और अरुण लजाता हुआ उठ कर कमरे के बाहर निकाला जैसे ही रिंकी भी उसके पीछे निकल कर कमरे का दरवाजा भिड़काई राज घुटने के बल होकर सोनल के ऊपर झपटा और उसके हसीन चेहरे को थाम कर उसके लाल होठों को चूसने लगा ,
पहले तो सोनल ने विरोध किया मगर जैसे ही उसके मुंह में राज के गर्म मुलायम होठों की मिठास घुली उसने भी राज के लिप्स चूसने शुरू कर दिया
इधर निशा - अरे तुम दोनो पागल हो कया , कोई आजाएगा क्या कर रहे हो
राज मुंह घुमा कर - दीदी दरवाजा लगा दो ना प्लीज़
और राज वापस से सोनल के ऊपर चढ़ता हुआ उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए
नीचे उसका मोटा मूसल पेंट में से ही सोनल को जांघो पर साडी के ऊपर से चोट करने लगा और सोनल की सिसकियां शुरू हो गई
वही निशा लपक कर दरवाजे पर गईं कड़ी लगाने लगी और दूसरी ओर गलियारे में रिंकी अनुज का हाथ खींचती हुई उसे अपने कमरे में ले जाकर दरवाजे से लगाती हुई उसके होठ अपने होठों से चिपका लिए
दोनों सालों से प्यासो की तरह एक दूसरे के होठों की मिठास साझा कर रहे थे , अनुज के हाथ रिंकी के जिस्म को हर जगह छू रहे थे और रिंकी उसको अपने सीने से चिपकाए हुए उसके निचले होठों को चूस रही थी , जल्द ही दोनो के नाथुने फूलने लगे और गर्म सांसे तेजी से बाहर आने लगी । अनुज मुस्कुराता हुए मुंह खोल कर रिंकी की मादकता में चूर हो चुकी आंखो में निहारता है और दुगने जोश में उसके चूतड स्कर्ट के ऊपर से ही पकड़ कर मसलता हुआ चूत पर अपने लंड की नोक का निशाना सेट करने लगता है
रिंकी भी पूरी कामोतेजित होकर अनुज के टोपे पर अपनी चूत का मुहाना टच कराना चाहती थी मगर , स्कर्ट और जींस उनके बीच दूरी बना रहे थे ।
रिंकी ने उसको पीछे धकेल कर बिस्तर ले गई और जल्दी जल्दी उसके जींस की जिप नीचे करती हुई अनुज का मोटा लाल हुआ लंड बाहर निकाला , उसकी तपीस रिंकी को अपने पूरे जिस्म में महसूस हो रही थी ।
रिंकी के चेहरे पर जरा भी नादानी या फिर कहे उसकी उम्र के हिसाब से कोई चंचलता नजर नहीं आ रही थी एकदम हवस से भरी मादक उग्र आंखे जो अनुज के लार टपकाटे मोटे लंड को मुंह और बुर दोनो में एक साथ खा जाने वाली नजरो से देख रही थी ।
चूत में टपकते दाने को स्कर्ट के ऊपर से मिजती हुई रिंकी ने अनुज का लंड हाथ में लेके ऊपर नीचे सहलाते हुए नीचे झुक गई और मुंह खोल कर लीची सा लाल मोटा सुपाड़ा ले लिया
अनुज अपनी गाड़ उछला कर आंखे बंद कर एक गहरी सिसकी लेता हुआ रिंकी की नाजुक अमियो को उसके टॉप के ऊपर से सहलाने लगा और रिंकी किसी ट्रेंड पोर्नस्टार की तरह उसका लंड मुंह लेके चूसने लगी
वही नीचे सबको चाय नाश्ता कराने के बाद दुलारी की भी दिलचस्पी ऊपर अपने हम उम्र के पास जाने में हुई और खास कर राज के पास , जिसने आने के बाद सबसे ज्यादा आज उसके यौवन को और श्रींगार पर गौर किया था । रह रह कर दुलारी के दिल में राज के लिए बेताबी उठ रही थी , वो राज के उन नशीली आंखों के जज्बात साफ साफ पढ़ चुकी थी जब राज की नजरें चुप चुप कर उसके ब्लाउज में उभरे हुए पपीते के जोड़े से लेकर , उसके होठों की लाली , मादक चाल और साड़ी से झांकती उसकी नाभी निहार रही थी ।
दो चार बार तो दोनो की आंखे बस अटक सी जाती थी आपस में फिर एक चोर वाली मुस्कुराहट में सारा प्रयास अधूरा सा हो जा रहा था
दुलारी ने ममता से आज्ञा लेकर जीने से होकर ऊपर चल दी और उसका ध्यान सीधे सोनल के कमरे पर था , गलियारे को फांदते हुए शुरुवात में उसकी जरा भी नजर संगीता के कमरे के भिड़के हुए दरवाजे पर नही गई , अगर जरा भी उसकी इंद्रियां सतर्क होती वो जरूर दरवाजे के गैप से बिस्तर पर रिंकी को अपने जिस्म से कपड़े उतारते देख लेती ।
वो झटपट अमन के कमरे के दरवाजे के पास पहुंची और दरवाजे पर जोर दिया तो भीतर से बंद पाया । शंकित मन से उसने दरवाजे से कान लगाया तो कूलर की तेज हनहनाह्ट में निशा के खिलखिलाने की आवाजे उसे सुनाई दे रही थी तभी उसके कानो के किसी मर्द की हल्की सिसकी आई मगर ये आवाज कमरे के बाहर से उसे सुनाई दी थी और उसकी नजर फौरन उस और पूरी सतर्कता घूम गई ।
अब दुलारी के चेहरे पर एक शरारत भरी मीठी मुस्कान खिलने लगी थी और अपनी पायलो की रुनझुन को थामती हुई एड़ीया दबा कर संगीता के दरवाजे पर पहुंची और जैसे ही उसने भिड़का हुआ दरवाजा पाया उसके दिल की धड़कने ऐसे उछलने लगी मानो उसकी मांगी मुराद पूरी कर दी हो किसी ने और हौले से दरवाजे पर हाथ लगा कर भीतर का नजारा देखा तो अपने होठ चबाने लगी
सामने अनुज बिस्तर के हेडबोर्ड पर अपनी पीठ टिकाए पैर फैला कर पूरा नंगा बैठा था और रिंकी भी अपने जिस्म एक एक रेशे को उतार कर घोड़ी बन कर अनुज का लंड मुंह में ले रही थी , पीछे से उसकी गुलाबी बुर और गाड़ की फैली हुई सुराख देख कर दुलारी के दोनो होठ से लार टपकने लगी
साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को पंजे से दबाती हुई उसकी नजर अनुज को मोटे लाल सुपाड़े वाले तगड़े कसे हुए हथियार पर थी , जिसे देखकर दुलारी के तन बदन में आग लग चुकी थी ,
देखते ही देखते रिंकी ने अनुज के लंड का टोपा अपनी बुर के मुहाने पर रखा और कचकचा कर बैठ गई , कुछ उसकी चमड़ी खिंची तो कुछ अनुज की
दोनो की आंखे भींची मगर दर्द और मजे दोनो का अहसास दुलारी को हुआ उसके हाथ अब उसकी ब्लाउज के ऊपर से उसकी छातियां मिज रहे थे ।
वही कमरे में रिंकी खुद से अनुज के लंड पर उछल रही थी और अनुज उसकी नंगी नंगी गुलाबी अमीयो को मुंह में लेकर चुसरहा था उसके हाथ रिंकी की गोरी गाड़ को जी भर कर मसल रहे थे और रिंकी की चूत के उसका लंड जगह बनाए जा रहा था ।
दुलारी तो अब राज को भूल चुकी थी उसके जहन में अनुज का वो मोटा रिंकी की चूत में लिभड़ा रसीला लंड बस चुका था, उसके देह से साड़ी उतर चुकी थी वो अपनी छातियां मिजती हुई बिलकुल निडर हो गई थी , उसे अपनी काम के आवेग में घर में आए मेहमानों की भी फिकर नही थी
पेटीकोट के ऊपर से बुर को सहलाती हुई दुलारी अनुज के लंड को निहार रही थी जो रिंकी को घोड़ी बनाए तेजी से पेले जा रहा था और उसकी बुर बुरी तरह पानी छोड़ रही थी , रिंकी की सिकसिया अब कमरे में गूंजने लगी थी , बुर का बुरा हाल हुआ पडा था उसपे से घुटने चढ़ती जवानी में ही जवाब देने को आ गए थे
रिंकी की हालत देख कर अनुज ने उसको मिसनरी में ले आया और तेजी से उसकी बुर में लंड पेले जा रहा था , वही दुलारी अपने जिस्म से पेटीकोट तक निकाल चुकी थी और दरवाजा हल्का सा और खोल कर कमरे के मुहाने पर आकर बलाउज से अपनी चूचियां बाहर निकाल कर अनुज के आगे अपनी बुर मसल रही थी
अनुज की नजर जैसे ही दरवाजे पर हुई हलचल पर गई उसकी फट के चार हो गई और दुलारी ने फौरन उसे चुप रहने का इशारा करते हू अपने गदराये जोबन के जोड़ों की घूंडीया घुमाती हुई मीजने लगी , अनुज का जोश अब और भी ज्यादा हो गया वो पूरी कोसिस करके रिंकी का ध्यान अपनी ओर किए हुए था मगर दरवाजे पर दुलारी भाभी की भरी हुई जवानी का नजारा देख कर उससे अब रहा नही जा रहा था और वही दुलारी ने उसको इशारा से बुलाने लगी
अनुज तो मानो दोहरी राह में फस गया एक और रिंकी की कसी करारी बुर के मजे ने उसे चरम पर पहुंचा कर झड़ाने के करीब ला रखा था तो वही दुलारी अपने जवानी के यौवन रूप दिखा कर उसे अभी ठहर जाने का इशारा कर रही थी
आखिरकार दुलारी ने बाजी मार ली और अनुज ने रिंकी की झड़ती बुर से लंड खींच लिया
रिंकी - क्या हुआ
अनुज - मुझे लग रहा है बाहर कोई टहल रहा है और देखो दरवाजा भी खुला है , अभी चेक करके आता हू
ये बोल कर अनुज नंगे ही दरवाजे की ओर भागा
रिंकी अपनी बहती बुर को पंजे से भींचती हुई करवट लेकर अनुज के छोटे छोटे गोरे नंगे उछलते चूतड देखकर हस पड़ी - अरे पागल कपड़ा तो पहन के जाओ ना
अरुण ने उसकी बातो को अनसुना कर बड़ी बेफिकरी से कमरे से निकल गया क्योंकि वो जानता था कि दुलारी भाभी बिना किसी रिस्क के ही उसके आगे दरवाजे पर नंगी हुई थी और जल्दी से लपक कर वो दुलारी के कमरे का दरवाजा खोलकर भीतर से बंद करता हुआ कमरे में चला गया ।
गलियारे में हुई तेज हलचल से सोनल के कमरे में तीनों भाई बहन अलर्ट हो आगे और राज ने सोनल को कपड़े सही करने का बोलकर खुद अपना जींस पहनता हुआ तेजी से दरवाजा खोलता है और उसकी नजर ने गलियारे में एक कमरे के अंदर से बाहर निकली एक गोरी कलाई पर गई जिसपे सजी हुई चूड़ियां और हाथ की मेंहदी सब कुछ पल भर जांच लिया और उस श्क्स की पहचान तब कन्फर्म हो गई जब वो कलाई गलियारे में बिखरी हुई साड़ी जल्दी जल्दी कमरे में खींच ले गई दरवाजा बंद हो गया
" दुलारी भाभी " , राज के जवान से शंका भरी बड़बड़ाहट उठी
कमरे से सोनल ने आवाज लगाई - क्या हुआ राज , कौन था ?
राज - पता नही देख कर आता हू , तुम लोग रहो यही
ये बोल कर राज कमरे के बाहर आकर हौले से दरवाजा लगाता हुआ दबे पाए उस कमरे की ओर बढ़ने लगा जहा से उसे दुलारी भाभी की झलक मिली मगर उस कमरे से निकलने से पहले उसकी नजर रिंकी के कमरे से आधे खुले दरवाजे से आते नजारे पर चली गई जहा रिंकी बेड पर घुटने तोड़ कर बैठी हुई अनुज का नाम लेके अपनी चूत मसल रही थी - कहा छोड़ गए मेरे हीरो
आह्ह्ह अनुज आओ ना जल्दी मेरी चूत को तुम्हारा मोटा लंड चाहिए , क्यू बाहर चले गए तुम ओह्ह, पता नही कौन मराने आ गया होगा बाहर
राज रिंकी की हालत और उसकी बड़बडाहट से सारा माजरा समझ गया कि कैसे अनुज रिंकी को पेल कर दुलारी के साथ उसके कमरे में चला गया , एक पल को उसे अपने भाई पर गर्व हुआ तो अगले पल जलन भी हुई मगर असली आग तो सामने बिस्तर पर मछली के जैसे तड़पती रिंकी लगा रही थी ।
राज उसके गुलाबी नंगे बदन को मचलता देख कर अपना खड़ा लंड मसलने लगा , उसके छोटे छोटे मौसमी से चूचो पर तनी हुई गुलाबी घुंडी देख कर राज के मुंह में लार घुलने लगी और सही मौका देख कर राज कमरे में दाखिल हो गया ।
वही नीचे ममता के कमरे में रागिनी और संगीता की हसीं ठिठौली चल रही थी , रागिनी और ममता आज मिल कर संगीता की खूब खिंचाई कर रही थी और संगीता जल्दी से उनसे छुटकारा चाह रही थी कि तभी उसकी नजर दरवाजे के बाहर गलियारे से बाथरूम की ओर जाते हुए जंगीलाल पर गई और दिल मचल उठा ।
चुकी जंगी को बाथरूम की ओर जाते हुए सिर्फ संगीता ने ही देखा था तो वो भी बाथरूम का बहाना बनाकर बाहर जाने लगी
ममता ने उसे कमरे के बाथरूम में जाने को कहा मगर संगीता ने उसको टाल कर तेजी से बाथरूम की ओर भाग गई
रागिनी और ममता उसकी तेजी पर खिलखिला कर हस पड़े
ममता - तो क्या हुआ , मेरी हीरोइन नंद की फिल्म का उम्मम्म
रागिनी मुस्कुराती हुई हा में आंखे झपकाती हुई - लाई हूं ना , ऐसा निहुरा कर पेला है देवर जी ने हिहिहिही लो देखो
और रागिनी ने उस रात शादी में चोरी छिपे हुई संगीता की वीडियो दिखाई जिसमे जंगी उसको आगे झुका कर उसकी चूत में लंड डाले हुए वीडियो बना रहा था ।
ममता उस एक ही पोजिशन में 8 मिंट तक चलने वाली चुदाई का वीडियो देख कर कभी हस्ती तो कभी जंगी के स्टैमिना की दाद देती - कुछ भी कहो दीदी आपके देवर किसी घोड़े से कम नहीं है , एक सुर में एक ही चाल से बिना रुके इतना लंबा सफर हिहिहिहि
रागिनी हस्ती हुई उसके हाथ से मोबाइल लेकर - कभी मेरे सैंया की दौड़ देखना हिहिहि बड़े भाई है बाकी सोच लो
ममता हस्ती हुई - धत्त दीदी मैं क्यू सोचू भला उनके बारे में ?
रागिनी - अरे अगर वो आपके बारे में सोच सकते है तो आप क्यों नही हिहिहिहीही
ममता अचरज से - धत्त क्या दीदी तुम भी , कैसी बात करती हो। मेरे समाधि जी बड़े सीधे है समझी आप !
रागिनी हस कर - अच्छा जी , फिर तो आपको वो बात बतानी ही पड़ेगी
ममता कौतूहल वश - क्या ? कौन सी बात ?
रागिनी अब ममता की बेबाती पर हस रही थी तो ममता हस्ती हुई उसका हाथ पकड़ कर - अरे बोलो ना दीदी , प्लीज ना
रागिनी - याद एक बार शादी के पहले मैं आपकी पैंटी लेके गई थी
ममता उसकी बात याद कर लाज गाढ़ हो गई कि उस रोज कितना तंग किया था रागिनी ने उसे और उसपे से वो पैंटी भी उसके समधी रंगीलाल को दे दी थी कि उसी नाप से बड़ा ममता के लिए दो जोड़ी ब्रा पैंटी लेते आना बड़े शहर से
रागिनी ममता को छेड़ती हुई - क्यू याद है ना उम्मम्म
ममता शर्म और हसीं से लाल होती हुई - हा बाबा याद है
रागिनी ने अब आगे झूठ मूठ की कहानी सुनानी शुरू की - पता उस रोज मैं घर आने के बाद आपकी पैंटी ऐसे खुले में ही अपने कमरे के बिस्तर पर रख कर नहाने चली गई और आपके समधी जी हिहिहिहिही
ममता को आगे जानने की भीतर से बहुत तलब हो रही थी मगर रागिनी की खिलखिलाहट कहा बंद हो रही थी
ममता ने उसको आगे बताने को कहा
रागिनी हस्ती हुई - वो कमरे में न जाने कब आ गए और आपकी पैंटी को मेरी नई पैंटी समझ कर सूंघने लगे उसे अपने वहा रगड़ने लगे
ममता चौक कर - क्या सच में !!
रागिनी हस्ती हुई थी हा में सर हिलाती हुई ममता के ऊपर झोल जा रही थी - हम्मम सच कह रही हूं और तब कहा उनको पता था कि वो आपकी है । उन्हे लगा वो मेरी नई पैंटी है और जब मैने बताया कि ये आपकी है तो ....
ममता की धड़कन अब तेज होने लगी कि आगे क्या हुआ , उसने अपने सूखते होठों से पूछ ही लिया - फिर ? फिर क्या हुआ
रागिनी सामने से ममता के पल्लू के नीचे से बलाऊज में ऊपर नीचे होती भारी चुचियों को साफ देख रही थी और ममता दिल में उठ रही जज्बात को समझ रही थी - फिर वो शोकड हो गए और फैला फैला कर घुमा घुमा कर उसे देखने लगे । हिहिहिहीह फिर जब मैने बोला कि इससे चार नंबर बड़ी size की पैंटी ब्रा आपको बड़े शहर से लानी है तो उनकी आंखे और बड़ी हो गई हिहिही फिर वो आपकी पैंटी की लास्तिक पूरी फैला कर ऐसे देख रहे थे मानो अनुमान लगा रहे हो कि इससे चार नंबर बड़ी पैंटी में आपका बड़ा पीछवाडा कैसा दिखेगा हाहाहहहाह
ममता रागिनी के मजाक पर हस के लाल हुई जा रही थी - धत्त दीदी चुप करो , आप भी ना
रागिनी हस कर - अरे अभी आगे की बात तो बाकी ही है
ममता हस्ती हुई - अब क्या ?
रागिनी - उस रात ना जाने कहा से ,वो जोश आया कि वो नानस्टाप 48 मिंट तक बिना झड़े लगे रहे हिहिहिह
ममता आंखे बड़ी कर ताज्जुब से - क्या सच में , ऐसा क्या खा लिया था
रागिनी हस्ती हुई - पक्का बता दूं
ममता हलक से लार गटकती हुई आगे की कहानी जानने को पूरी बेताबी से हा में सर हिलाया
रागिनी खिलखिलाती हुई - उस रोज नहाने के बाद आपकी ही पैंटी पहन ली थी हाहहहहाह
ममता रागिनी के मजाक पर हस्ती हुई उसके कंधे को ठेल कर - धत्त आप बहुत गंदी हो छीइई
रागिनी हस्ती हुई काफी देर तक उसे छेड़ती रही ।
ममता ने बात को घुमाने की कोशिश की - अच्छा सुनिए न , ये वीडियो कैसे मिलेगी मुझे
रागिनी इतराई - हर चीज की एक कीमत है मेरी बहना हाहाहहह तो इसकी भी बोली लगेगी
ममता - क्या चाहिए बोलो ना , मुझे ये वीडियो चाहिए ही चाहिए
रागिनी हस्ती हुई - आपकी एक और पैन्टी हिहिहिहिह
ममता हस्ती हुई लाज के मारे उठ गई और बाथरूम में जाने लगी - भक्क्क आप बहुत गंदी हो , ये सब कोई मागता है
रागिनी भी हस्ती हुई अंगड़ाई लेकर - अअह्ह्ह्ह उस रोज मेरी जगह होती तो अपनी पैंटी की कीमत समझ आती
ममता चिढ़ती हुई हस्ती हुई बाथरूम में घुस गई और रागिनी हसने लगी ।
जारी रहेगी
SuperUPDATE 220
राहुल के घर
बाथरूम का शावर चालू था और अरुण अपनी मामी की गदराई मुलायम जांघों में बीच चूत के फाकों में अपना लंड रगड़ता हुआ पानी में भीग रहा था ।
शालिनी को अरुण से चिपक भीगना बहुत कामोतेजक किए जा रहा था , उसकी चूत के दानों को मसलता अरुण का टोपा पीछे उसके गाड़ की सकरी कसी दरारों को भी फैला रहा था और अरुण सटासट उसकी जांघो में लंड घुसेड़ रहा था ।
शालिनी ने लपक कर उसके चेहरे को थाम कर उसके कोरे लिप्स अपने लिप्स से जोड़ कर चूसना शुरू कर दिया और अरुण अपनी मामी के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसको और अपने करीब खींच लिया और उसके दोनो पंजे अब शालिनी की भीगती गाड़ को मसलते हुए फैलाने लगे ,
अरुण के होठों पर पड़ता शालिनी के रसीले होंठों का जोर वो उसकी फाड़ फैला कर अपना टोपा उसकी चूत में चुभो कर ले रहा था - उह्ह्ह्ह मामीईईई उम्मम क्या मस्त कसी गाड़ है तुम्हारी उह्ह्ह
शालिनी ने अब अरुण का मोटा मूसल थाम लिया और उसकी चमड़ी आगे पीछे करने लगी - आआह्हह मेरे राजा तुम्हारे इस तगड़े हथियार के आगे तो मैं कुछ भी नही ओहह। अभी भी कितना कसा है उम्म्म क्या खाता है रे तुहह उम्म। जी कर रहा है खा जाऊं इसे उह्ह्ह्
अरुण शालिनी को अलग करता हुआ उसे नीचे सरकता हुआ
लोह्ह चूस लो मेरी सेक्सी मामी आआह्ह्हह ओहह्ह्ह और उम्म्म् ऐसे ही आआआह्हह मजा आ रहा है क्या मस्त चूस रही हो मामी
शालिनी घुटनों के बल होकर अरुण का मोटा लाल सुपाड़ा मुंह में लेके चुबला रही थी और ऊपर से पानी का शावर की धार उसके नंगे कमर और चूतड पर जा रही थी जिससे अरुण की कामुकता और बढ़ती जा रही थी
वो शालिनी का सर पकड़ कर उसके मुंह में ही पेलने लगा - ओह बहिंचोद रंडी आआह्ह्ह्ह उम्मम् फक्क येस्स्स उह्ह्ह्ह्ह और लेह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी आआह्ह्ह मजा a रहा है तुम्हारे मुंह में घुसा कर और लो मेरी जान
अरुण लगातार शालिनी के मुंह में लंड घुसा कर गले तक उतार रहा था और जोर जोर से चिंघाड़ रहा था , अगले ही पल शालिनी ने मुंह से लंड निकाला और जोर जोर से गहरी सास लेते हुई हाफने लगी । फिर से उसका मूसल चूमती चूसती हुई - उह्ह्ह्ह्ह लल्ला घुसा दे उम्म्म्म जल्दी अब और नहीं रहा जाता
अरुण भी सरक कर नीचे हो गया यार उसको अपने ऊपर खींच कर - किसमे लेगी मेरी सेक्सी चुदक्कड़ बोल ना उम्मम्म
अरुण उसके चूचे मुंह में भर कर नोच रहा था और शालिनी ने नीचे हाथ ले जा कर उसका लंड अपनी गाड़ के सुराख पर लगा कर कचकचा कर बैठ गई और देखते ही देखते अरुण का सुपाड़ा उसकी कसी हुई गाड़ की सुराख में फस गया - उह्ह्ह्ह्हह मामीईई उम्म्म बहुत टाइट है आआआह्ह्ह
शालिनी खुद से उसका लंड अपनी गाड़ में भीतर लेती हुई - इसी में तो मजा मेरे राजा आहह और तेरे इस मोटे कड़क लंड को भीतर लेके कर घुसाने में बहुत मजा है आआआह्हह्ह उह्ह्ह्ह् अहह्ह्ह साले आराम से फाड़ देगा क्या अभी भी दर्द गया नही है आह्ह्ह्ह रूक जा हरामी
अरुण बिना कुछ बोले नीचे से ताबड़तोड़ झटके देना शुरू कर दिया था - क्यू मामी मजा नही आ रहा है अब उह्ह मुझे तो ऐसे ही आपको चिल्लवाने में मजा आता है उह्ह्ह्ह मेरी रंडी अअह्ह्ह्ह साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह
शालिनी अरुण की तेज रफ्तार के ताबड़तोड़ झटके से सुन्न सी पड़ गई थी मुंह बांधे वो सास रोक अपने गाड़ की सूजन पर रगड़ खाता अरुण के कड़क लंड को महसूस कर रही थी
उसपे से ऊपर से तेज ठंडी पानी की धार शावर से उसके ऊपर गिर रही थी - उम्मम्म उह्ह्ह्ह मजा नही आएगा आह्ह्ह्हह बहुत टाइट है अअह्ह्ह्हह्ह रात भर में कितना बड़ा कर लिया तूने आह्ह्ह्ह्ह कल से ज्यादा कसा है आज अअह्ह्ह लल्ला मुझे ठंड सी लग रही है अब आह्ह्ह निकाल दे मुझे पेशाब आ रहा है हट जा
अरुण मारे जोश में - तो मूत लो ना मामी मेरे ऊपर ही अअह्ह्ह्हह आपकी गरम गरम मूत से मैं भी नहाना चाहता हु अह्ह्ह्ह प्लीज
शालिनी को अजीब लगा मगर जिस तरह से अरुण उसकी आंखो में झाक कर उसे मना रहा था शालिनी खुद को रोक नहीं पाई और उठ कर गाड़ घुमा कर अरुण के ऊपर खड़े होकर मूतने लगी
शालिनी के चूत से मूत की टोटी सीधा अरुण के लंड पर गिर रही थी , अरुण धार में अपना लंड हिला कर उसे और तपा रहा था - अह्ह्ह्ह्ह मामी बहुत गरम है आपकी मूत उम्मम्म जरा पिलाओ ना
शालिनी चौकी और इससे पहले कि वो अरुण को रोकती मना कर पाती अरुण उसकी टांग उठा कर सीधा उसके बहती बुर में मुंह दे दिया ।
चूत से गर्म पानी के छीटें उसके मुंह और देह पर गिरने लगे , अरुण जीभ निकाल कर उसकी चूत के दाने पर चलने लगा , नीचे से शालिनी की मूत निकलती रही आखिरी तक जबतक वो कांपने नही लगी - आह्ह्ह्ह् बेटा मैं गिर जाऊंगी उठ जाआह
अरुण लपक कर उठा और शालिनी को पीछे से जकड़ लिया, उसकी रसदार चूचियां मसलता हुआ अपने लंड की ठोकर उसके बुर के फाकों में और गाड़ की सख्त दरारों में देने लगा - ओहहह मामीईईई क्या मस्त गाड़ है आह फैलाओ न इसे उह्ह्ह्ह
शालिनी आगे झुक कर अपने चूतड पकड़ कर दोनो तरफ से फैलाने लगी जिससे उसकी गाड़ की गुलाबी सुराख दिखने लगी जिस पर उसकी कमर से रिस रही पानी की चमकीली धार उसे और चटक दिखा रही थी
अरुण ने हाथ बढ़ा कर शावर बंद कर दिया और हाथ बढ़ा कर उसके गाड़ के सुराख पर उंगली लगा कर - वाह मामी आपकी गाड़ बहुत लाल हो गई है
शालिनी अरुण के स्पर्श से कसमसाने लगी ,उसकी बुर कुलबुलाने लगी - ओह्ह्ह बेटा उम्मम्म्म कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह उम्मम्म ओह्ह्ह्ह तेरी तो उंगली भी मोटी है अह्ह्ह्हह आराम से लाला उह्ह्ह्ह अभी भी दर्द है
अरुण मुस्कुरा कर - इसका दर्द कम कर दू मामी
शालिनी - कैसे करेगा कर ?
अगले ही पल अरुण अपनी सुपाड़े का फब्बारा खोल दिया और गर्म छरछराती मूत की मोटी धार सीधे उसके गाड़ के छेद पर गिरने
गर्म जलती मूत की धार का स्पर्श पाकर शालिनी उछल पड़ी - अअह्ह्ह्ह ये क्याआह्ह कर रहा है बेटा मुझेह भी मूत से नहलाएगा क्या ?
अरुण अपना लंड का टोपा इधर उधर कर शालिनी की पीठ और उसके चूतड पर धार मारता हुआ - आआह्ह मामी आपको देख कर रहा नही गया अह्ह्ह्ह् कितनी सेक्सी लग रही है आपकी गाड़ मूत से नहा कर मेरे
और अगले ही पल जैसे ही उसका पेशाब रुका उसके आगे बढ़ कर अपना टोपा सीधा उसकी बुर में लगाते हुए पेलना शुरू कर दिया - अह्ह्ह साले हरामी अह्ह्ह्ह्ह बता तो देना था अअह्ह्ह्ह जल रहा है
अरुण उसकी सुजी हुई चूत में लंड खूब हचक के पेलता हुआ - उह्ह्ह्ह्ह मामीई इसी में तो मजा है आआआह्हह्ह्हह क्या कसी बुर है आपकी उम्मम्म् मजा आ रहा है उह्ह्ह्ह निचोड़ लेगी क्या
शालिनी - क्यू तूने नही निचोड़ा मुझे उम्मम्म , सुबह से झड़ रही हू अअह्ह्ह्ह और पेल मादरचोद दम नही है क्या ?
अरुण और जोश में उसके कूल्हे थामे करारे झटके लगाती हुई - क्या बोली साली रण्डी फिर से बोल उम्मम्म क्या बोली , बोल ना
शालिनी आंखे उल्टती हुई सिसकियां तेज करती हुई - अअह्ह्ह्ह मैं बोली भड़वे दम नही है क्याआह चोद ना
अरुण लगातार कस कस कर उसकी बुर की जड़ो में लंड उतार रहा था - ये नही इसके पहले वाला
शालिनी - मादर चोदह्हह आह्ह्ह्हह्ह बाल मत खींच अअह्ह्ह्ह
अरुण - हा यही सुनना था , अअह्ह्ह्ह
शालिनी उसके तेज झटके सहती हुई - आह्ह्ह्ह तो तू भी पेलना चाहता है अपनी मां को उम्मम्म उस छिनार कम्मो को अह्ह्ह्ह्हह ये तेरी मां का खुला भोसड़ा नही है साले हो धीरे धीरे पेल रहा है आआह्ह्ह्ह्ह फाड़ ना
शालिनी की बातें अरुण को चरम पर ले आई थी और आखिर से 15- 20 झटको के साथ चीखने लगा - आओ मामी आ रहा है आआआह्ह्ह्हह जल्दी ओह्ह्ह्ह्ह फक्कक्क अअह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह्ह
शालिनी तेजी से उसके कदमों में पहुंची और अरुण के पिचकारी की तेज मोटी गाढ़ी धार शालिनी के हसीन चेहरे पर गिरने लगी और शालिनी मुंह खोलकर काफी कुछ छींटे गटक कर चटकारे लेने लगी ।
अमन के घर
सोनल के कमरे में सभी भाई बहन हसीं ठिठौली में मगन थे मगर दो लोग ऐसे थे जिनकी सास उतार चढ़ाव ले रही थी ।
रिंकी और अनुज की बेचैनी दोनो के चेहरे पर साफ साफ झलक रही थी, दोनो के दिल ऐसे धड़क रहे थे मानो आज ये मुलाकात आखिरी है और हर बीतता पल उनसे उनकी धड़कन की गिनती कम कर रहा हो ।
रिंकी ने तो कई बार अनुज को बाहर आने के इशारे किए , मगर अनुज की हिम्मत नए जगह जवाब दे जा रही थी । इधर राज भी सोनल के साथ कुछ पल अकेले पाना चाहता था मगर रिंकी और अनुज की मौजूदगी में उसका काम बनता नही दिख रहा था ।
इधर रिंकी बार बार अनुज को इनसिस्ट कर रही थी और आखिर जब अरुण ने उसका उतरा हुआ उदास चेहरा देखा तो उसका दिल पसीज गया और उसने थोड़ी हिम्मत दिखा कर सबके सामने बोल ही दिया - मैं आता हूं अभी
राज सोनल निशा तीनों के चेहरे खिल उठे और राज ठहाका लगाते हुए - कहा सुसु हाहाहहहा
सोनल राज के कंधे पर हाथ मारती हुई - धत्त पगलेट , अभी भी उसे तंग करता है । क्या हुआ अनुज
अनुज शर्मा कर हस्ता हुआ राज की ओर इशारा कर - वही
सोनल के मुंह पर हसीं फूट पड़ी - धत्त पागल तू भी न , हे रिंकी बहिनी जरा इसको लिवा जाना
रिंकी की तो चांदी हो गई कि सोनल ने बजाय अनुज को कमरे के बाथरूम में भेजने के बाहर जाने को कहा और अरुण लजाता हुआ उठ कर कमरे के बाहर निकाला जैसे ही रिंकी भी उसके पीछे निकल कर कमरे का दरवाजा भिड़काई राज घुटने के बल होकर सोनल के ऊपर झपटा और उसके हसीन चेहरे को थाम कर उसके लाल होठों को चूसने लगा ,
पहले तो सोनल ने विरोध किया मगर जैसे ही उसके मुंह में राज के गर्म मुलायम होठों की मिठास घुली उसने भी राज के लिप्स चूसने शुरू कर दिया
इधर निशा - अरे तुम दोनो पागल हो कया , कोई आजाएगा क्या कर रहे हो
राज मुंह घुमा कर - दीदी दरवाजा लगा दो ना प्लीज़
और राज वापस से सोनल के ऊपर चढ़ता हुआ उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए
नीचे उसका मोटा मूसल पेंट में से ही सोनल को जांघो पर साडी के ऊपर से चोट करने लगा और सोनल की सिसकियां शुरू हो गई
वही निशा लपक कर दरवाजे पर गईं कड़ी लगाने लगी और दूसरी ओर गलियारे में रिंकी अनुज का हाथ खींचती हुई उसे अपने कमरे में ले जाकर दरवाजे से लगाती हुई उसके होठ अपने होठों से चिपका लिए
दोनों सालों से प्यासो की तरह एक दूसरे के होठों की मिठास साझा कर रहे थे , अनुज के हाथ रिंकी के जिस्म को हर जगह छू रहे थे और रिंकी उसको अपने सीने से चिपकाए हुए उसके निचले होठों को चूस रही थी , जल्द ही दोनो के नाथुने फूलने लगे और गर्म सांसे तेजी से बाहर आने लगी । अनुज मुस्कुराता हुए मुंह खोल कर रिंकी की मादकता में चूर हो चुकी आंखो में निहारता है और दुगने जोश में उसके चूतड स्कर्ट के ऊपर से ही पकड़ कर मसलता हुआ चूत पर अपने लंड की नोक का निशाना सेट करने लगता है
रिंकी भी पूरी कामोतेजित होकर अनुज के टोपे पर अपनी चूत का मुहाना टच कराना चाहती थी मगर , स्कर्ट और जींस उनके बीच दूरी बना रहे थे ।
रिंकी ने उसको पीछे धकेल कर बिस्तर ले गई और जल्दी जल्दी उसके जींस की जिप नीचे करती हुई अनुज का मोटा लाल हुआ लंड बाहर निकाला , उसकी तपीस रिंकी को अपने पूरे जिस्म में महसूस हो रही थी ।
रिंकी के चेहरे पर जरा भी नादानी या फिर कहे उसकी उम्र के हिसाब से कोई चंचलता नजर नहीं आ रही थी एकदम हवस से भरी मादक उग्र आंखे जो अनुज के लार टपकाटे मोटे लंड को मुंह और बुर दोनो में एक साथ खा जाने वाली नजरो से देख रही थी ।
चूत में टपकते दाने को स्कर्ट के ऊपर से मिजती हुई रिंकी ने अनुज का लंड हाथ में लेके ऊपर नीचे सहलाते हुए नीचे झुक गई और मुंह खोल कर लीची सा लाल मोटा सुपाड़ा ले लिया
अनुज अपनी गाड़ उछला कर आंखे बंद कर एक गहरी सिसकी लेता हुआ रिंकी की नाजुक अमियो को उसके टॉप के ऊपर से सहलाने लगा और रिंकी किसी ट्रेंड पोर्नस्टार की तरह उसका लंड मुंह लेके चूसने लगी
वही नीचे सबको चाय नाश्ता कराने के बाद दुलारी की भी दिलचस्पी ऊपर अपने हम उम्र के पास जाने में हुई और खास कर राज के पास , जिसने आने के बाद सबसे ज्यादा आज उसके यौवन को और श्रींगार पर गौर किया था । रह रह कर दुलारी के दिल में राज के लिए बेताबी उठ रही थी , वो राज के उन नशीली आंखों के जज्बात साफ साफ पढ़ चुकी थी जब राज की नजरें चुप चुप कर उसके ब्लाउज में उभरे हुए पपीते के जोड़े से लेकर , उसके होठों की लाली , मादक चाल और साड़ी से झांकती उसकी नाभी निहार रही थी ।
दो चार बार तो दोनो की आंखे बस अटक सी जाती थी आपस में फिर एक चोर वाली मुस्कुराहट में सारा प्रयास अधूरा सा हो जा रहा था
दुलारी ने ममता से आज्ञा लेकर जीने से होकर ऊपर चल दी और उसका ध्यान सीधे सोनल के कमरे पर था , गलियारे को फांदते हुए शुरुवात में उसकी जरा भी नजर संगीता के कमरे के भिड़के हुए दरवाजे पर नही गई , अगर जरा भी उसकी इंद्रियां सतर्क होती वो जरूर दरवाजे के गैप से बिस्तर पर रिंकी को अपने जिस्म से कपड़े उतारते देख लेती ।
वो झटपट अमन के कमरे के दरवाजे के पास पहुंची और दरवाजे पर जोर दिया तो भीतर से बंद पाया । शंकित मन से उसने दरवाजे से कान लगाया तो कूलर की तेज हनहनाह्ट में निशा के खिलखिलाने की आवाजे उसे सुनाई दे रही थी तभी उसके कानो के किसी मर्द की हल्की सिसकी आई मगर ये आवाज कमरे के बाहर से उसे सुनाई दी थी और उसकी नजर फौरन उस और पूरी सतर्कता घूम गई ।
अब दुलारी के चेहरे पर एक शरारत भरी मीठी मुस्कान खिलने लगी थी और अपनी पायलो की रुनझुन को थामती हुई एड़ीया दबा कर संगीता के दरवाजे पर पहुंची और जैसे ही उसने भिड़का हुआ दरवाजा पाया उसके दिल की धड़कने ऐसे उछलने लगी मानो उसकी मांगी मुराद पूरी कर दी हो किसी ने और हौले से दरवाजे पर हाथ लगा कर भीतर का नजारा देखा तो अपने होठ चबाने लगी
सामने अनुज बिस्तर के हेडबोर्ड पर अपनी पीठ टिकाए पैर फैला कर पूरा नंगा बैठा था और रिंकी भी अपने जिस्म एक एक रेशे को उतार कर घोड़ी बन कर अनुज का लंड मुंह में ले रही थी , पीछे से उसकी गुलाबी बुर और गाड़ की फैली हुई सुराख देख कर दुलारी के दोनो होठ से लार टपकने लगी
साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को पंजे से दबाती हुई उसकी नजर अनुज को मोटे लाल सुपाड़े वाले तगड़े कसे हुए हथियार पर थी , जिसे देखकर दुलारी के तन बदन में आग लग चुकी थी ,
देखते ही देखते रिंकी ने अनुज के लंड का टोपा अपनी बुर के मुहाने पर रखा और कचकचा कर बैठ गई , कुछ उसकी चमड़ी खिंची तो कुछ अनुज की
दोनो की आंखे भींची मगर दर्द और मजे दोनो का अहसास दुलारी को हुआ उसके हाथ अब उसकी ब्लाउज के ऊपर से उसकी छातियां मिज रहे थे ।
वही कमरे में रिंकी खुद से अनुज के लंड पर उछल रही थी और अनुज उसकी नंगी नंगी गुलाबी अमीयो को मुंह में लेकर चुसरहा था उसके हाथ रिंकी की गोरी गाड़ को जी भर कर मसल रहे थे और रिंकी की चूत के उसका लंड जगह बनाए जा रहा था ।
दुलारी तो अब राज को भूल चुकी थी उसके जहन में अनुज का वो मोटा रिंकी की चूत में लिभड़ा रसीला लंड बस चुका था, उसके देह से साड़ी उतर चुकी थी वो अपनी छातियां मिजती हुई बिलकुल निडर हो गई थी , उसे अपनी काम के आवेग में घर में आए मेहमानों की भी फिकर नही थी
पेटीकोट के ऊपर से बुर को सहलाती हुई दुलारी अनुज के लंड को निहार रही थी जो रिंकी को घोड़ी बनाए तेजी से पेले जा रहा था और उसकी बुर बुरी तरह पानी छोड़ रही थी , रिंकी की सिकसिया अब कमरे में गूंजने लगी थी , बुर का बुरा हाल हुआ पडा था उसपे से घुटने चढ़ती जवानी में ही जवाब देने को आ गए थे
रिंकी की हालत देख कर अनुज ने उसको मिसनरी में ले आया और तेजी से उसकी बुर में लंड पेले जा रहा था , वही दुलारी अपने जिस्म से पेटीकोट तक निकाल चुकी थी और दरवाजा हल्का सा और खोल कर कमरे के मुहाने पर आकर बलाउज से अपनी चूचियां बाहर निकाल कर अनुज के आगे अपनी बुर मसल रही थी
अनुज की नजर जैसे ही दरवाजे पर हुई हलचल पर गई उसकी फट के चार हो गई और दुलारी ने फौरन उसे चुप रहने का इशारा करते हू अपने गदराये जोबन के जोड़ों की घूंडीया घुमाती हुई मीजने लगी , अनुज का जोश अब और भी ज्यादा हो गया वो पूरी कोसिस करके रिंकी का ध्यान अपनी ओर किए हुए था मगर दरवाजे पर दुलारी भाभी की भरी हुई जवानी का नजारा देख कर उससे अब रहा नही जा रहा था और वही दुलारी ने उसको इशारा से बुलाने लगी
अनुज तो मानो दोहरी राह में फस गया एक और रिंकी की कसी करारी बुर के मजे ने उसे चरम पर पहुंचा कर झड़ाने के करीब ला रखा था तो वही दुलारी अपने जवानी के यौवन रूप दिखा कर उसे अभी ठहर जाने का इशारा कर रही थी
आखिरकार दुलारी ने बाजी मार ली और अनुज ने रिंकी की झड़ती बुर से लंड खींच लिया
रिंकी - क्या हुआ
अनुज - मुझे लग रहा है बाहर कोई टहल रहा है और देखो दरवाजा भी खुला है , अभी चेक करके आता हू
ये बोल कर अनुज नंगे ही दरवाजे की ओर भागा
रिंकी अपनी बहती बुर को पंजे से भींचती हुई करवट लेकर अनुज के छोटे छोटे गोरे नंगे उछलते चूतड देखकर हस पड़ी - अरे पागल कपड़ा तो पहन के जाओ ना
अरुण ने उसकी बातो को अनसुना कर बड़ी बेफिकरी से कमरे से निकल गया क्योंकि वो जानता था कि दुलारी भाभी बिना किसी रिस्क के ही उसके आगे दरवाजे पर नंगी हुई थी और जल्दी से लपक कर वो दुलारी के कमरे का दरवाजा खोलकर भीतर से बंद करता हुआ कमरे में चला गया ।
गलियारे में हुई तेज हलचल से सोनल के कमरे में तीनों भाई बहन अलर्ट हो आगे और राज ने सोनल को कपड़े सही करने का बोलकर खुद अपना जींस पहनता हुआ तेजी से दरवाजा खोलता है और उसकी नजर ने गलियारे में एक कमरे के अंदर से बाहर निकली एक गोरी कलाई पर गई जिसपे सजी हुई चूड़ियां और हाथ की मेंहदी सब कुछ पल भर जांच लिया और उस श्क्स की पहचान तब कन्फर्म हो गई जब वो कलाई गलियारे में बिखरी हुई साड़ी जल्दी जल्दी कमरे में खींच ले गई दरवाजा बंद हो गया
" दुलारी भाभी " , राज के जवान से शंका भरी बड़बड़ाहट उठी
कमरे से सोनल ने आवाज लगाई - क्या हुआ राज , कौन था ?
राज - पता नही देख कर आता हू , तुम लोग रहो यही
ये बोल कर राज कमरे के बाहर आकर हौले से दरवाजा लगाता हुआ दबे पाए उस कमरे की ओर बढ़ने लगा जहा से उसे दुलारी भाभी की झलक मिली मगर उस कमरे से निकलने से पहले उसकी नजर रिंकी के कमरे से आधे खुले दरवाजे से आते नजारे पर चली गई जहा रिंकी बेड पर घुटने तोड़ कर बैठी हुई अनुज का नाम लेके अपनी चूत मसल रही थी - कहा छोड़ गए मेरे हीरो
आह्ह्ह अनुज आओ ना जल्दी मेरी चूत को तुम्हारा मोटा लंड चाहिए , क्यू बाहर चले गए तुम ओह्ह, पता नही कौन मराने आ गया होगा बाहर
राज रिंकी की हालत और उसकी बड़बडाहट से सारा माजरा समझ गया कि कैसे अनुज रिंकी को पेल कर दुलारी के साथ उसके कमरे में चला गया , एक पल को उसे अपने भाई पर गर्व हुआ तो अगले पल जलन भी हुई मगर असली आग तो सामने बिस्तर पर मछली के जैसे तड़पती रिंकी लगा रही थी ।
राज उसके गुलाबी नंगे बदन को मचलता देख कर अपना खड़ा लंड मसलने लगा , उसके छोटे छोटे मौसमी से चूचो पर तनी हुई गुलाबी घुंडी देख कर राज के मुंह में लार घुलने लगी और सही मौका देख कर राज कमरे में दाखिल हो गया ।
वही नीचे ममता के कमरे में रागिनी और संगीता की हसीं ठिठौली चल रही थी , रागिनी और ममता आज मिल कर संगीता की खूब खिंचाई कर रही थी और संगीता जल्दी से उनसे छुटकारा चाह रही थी कि तभी उसकी नजर दरवाजे के बाहर गलियारे से बाथरूम की ओर जाते हुए जंगीलाल पर गई और दिल मचल उठा ।
चुकी जंगी को बाथरूम की ओर जाते हुए सिर्फ संगीता ने ही देखा था तो वो भी बाथरूम का बहाना बनाकर बाहर जाने लगी
ममता ने उसे कमरे के बाथरूम में जाने को कहा मगर संगीता ने उसको टाल कर तेजी से बाथरूम की ओर भाग गई
रागिनी और ममता उसकी तेजी पर खिलखिला कर हस पड़े
ममता - तो क्या हुआ , मेरी हीरोइन नंद की फिल्म का उम्मम्म
रागिनी मुस्कुराती हुई हा में आंखे झपकाती हुई - लाई हूं ना , ऐसा निहुरा कर पेला है देवर जी ने हिहिहिही लो देखो
और रागिनी ने उस रात शादी में चोरी छिपे हुई संगीता की वीडियो दिखाई जिसमे जंगी उसको आगे झुका कर उसकी चूत में लंड डाले हुए वीडियो बना रहा था ।
ममता उस एक ही पोजिशन में 8 मिंट तक चलने वाली चुदाई का वीडियो देख कर कभी हस्ती तो कभी जंगी के स्टैमिना की दाद देती - कुछ भी कहो दीदी आपके देवर किसी घोड़े से कम नहीं है , एक सुर में एक ही चाल से बिना रुके इतना लंबा सफर हिहिहिहि
रागिनी हस्ती हुई उसके हाथ से मोबाइल लेकर - कभी मेरे सैंया की दौड़ देखना हिहिहि बड़े भाई है बाकी सोच लो
ममता हस्ती हुई - धत्त दीदी मैं क्यू सोचू भला उनके बारे में ?
रागिनी - अरे अगर वो आपके बारे में सोच सकते है तो आप क्यों नही हिहिहिहीही
ममता अचरज से - धत्त क्या दीदी तुम भी , कैसी बात करती हो। मेरे समाधि जी बड़े सीधे है समझी आप !
रागिनी हस कर - अच्छा जी , फिर तो आपको वो बात बतानी ही पड़ेगी
ममता कौतूहल वश - क्या ? कौन सी बात ?
रागिनी अब ममता की बेबाती पर हस रही थी तो ममता हस्ती हुई उसका हाथ पकड़ कर - अरे बोलो ना दीदी , प्लीज ना
रागिनी - याद एक बार शादी के पहले मैं आपकी पैंटी लेके गई थी
ममता उसकी बात याद कर लाज गाढ़ हो गई कि उस रोज कितना तंग किया था रागिनी ने उसे और उसपे से वो पैंटी भी उसके समधी रंगीलाल को दे दी थी कि उसी नाप से बड़ा ममता के लिए दो जोड़ी ब्रा पैंटी लेते आना बड़े शहर से
रागिनी ममता को छेड़ती हुई - क्यू याद है ना उम्मम्म
ममता शर्म और हसीं से लाल होती हुई - हा बाबा याद है
रागिनी ने अब आगे झूठ मूठ की कहानी सुनानी शुरू की - पता उस रोज मैं घर आने के बाद आपकी पैंटी ऐसे खुले में ही अपने कमरे के बिस्तर पर रख कर नहाने चली गई और आपके समधी जी हिहिहिहिही
ममता को आगे जानने की भीतर से बहुत तलब हो रही थी मगर रागिनी की खिलखिलाहट कहा बंद हो रही थी
ममता ने उसको आगे बताने को कहा
रागिनी हस्ती हुई - वो कमरे में न जाने कब आ गए और आपकी पैंटी को मेरी नई पैंटी समझ कर सूंघने लगे उसे अपने वहा रगड़ने लगे
ममता चौक कर - क्या सच में !!
रागिनी हस्ती हुई थी हा में सर हिलाती हुई ममता के ऊपर झोल जा रही थी - हम्मम सच कह रही हूं और तब कहा उनको पता था कि वो आपकी है । उन्हे लगा वो मेरी नई पैंटी है और जब मैने बताया कि ये आपकी है तो ....
ममता की धड़कन अब तेज होने लगी कि आगे क्या हुआ , उसने अपने सूखते होठों से पूछ ही लिया - फिर ? फिर क्या हुआ
रागिनी सामने से ममता के पल्लू के नीचे से बलाऊज में ऊपर नीचे होती भारी चुचियों को साफ देख रही थी और ममता दिल में उठ रही जज्बात को समझ रही थी - फिर वो शोकड हो गए और फैला फैला कर घुमा घुमा कर उसे देखने लगे । हिहिहिहीह फिर जब मैने बोला कि इससे चार नंबर बड़ी size की पैंटी ब्रा आपको बड़े शहर से लानी है तो उनकी आंखे और बड़ी हो गई हिहिही फिर वो आपकी पैंटी की लास्तिक पूरी फैला कर ऐसे देख रहे थे मानो अनुमान लगा रहे हो कि इससे चार नंबर बड़ी पैंटी में आपका बड़ा पीछवाडा कैसा दिखेगा हाहाहहहाह
ममता रागिनी के मजाक पर हस के लाल हुई जा रही थी - धत्त दीदी चुप करो , आप भी ना
रागिनी हस कर - अरे अभी आगे की बात तो बाकी ही है
ममता हस्ती हुई - अब क्या ?
रागिनी - उस रात ना जाने कहा से ,वो जोश आया कि वो नानस्टाप 48 मिंट तक बिना झड़े लगे रहे हिहिहिह
ममता आंखे बड़ी कर ताज्जुब से - क्या सच में , ऐसा क्या खा लिया था
रागिनी हस्ती हुई - पक्का बता दूं
ममता हलक से लार गटकती हुई आगे की कहानी जानने को पूरी बेताबी से हा में सर हिलाया
रागिनी खिलखिलाती हुई - उस रोज नहाने के बाद आपकी ही पैंटी पहन ली थी हाहहहहाह
ममता रागिनी के मजाक पर हस्ती हुई उसके कंधे को ठेल कर - धत्त आप बहुत गंदी हो छीइई
रागिनी हस्ती हुई काफी देर तक उसे छेड़ती रही ।
ममता ने बात को घुमाने की कोशिश की - अच्छा सुनिए न , ये वीडियो कैसे मिलेगी मुझे
रागिनी इतराई - हर चीज की एक कीमत है मेरी बहना हाहाहहह तो इसकी भी बोली लगेगी
ममता - क्या चाहिए बोलो ना , मुझे ये वीडियो चाहिए ही चाहिए
रागिनी हस्ती हुई - आपकी एक और पैन्टी हिहिहिहिह
ममता हस्ती हुई लाज के मारे उठ गई और बाथरूम में जाने लगी - भक्क्क आप बहुत गंदी हो , ये सब कोई मागता है
रागिनी भी हस्ती हुई अंगड़ाई लेकर - अअह्ह्ह्ह उस रोज मेरी जगह होती तो अपनी पैंटी की कीमत समझ आती
ममता चिढ़ती हुई हस्ती हुई बाथरूम में घुस गई और रागिनी हसने लगी ।
जारी रहेगी
UPDATE 220
राहुल के घर
बाथरूम का शावर चालू था और अरुण अपनी मामी की गदराई मुलायम जांघों में बीच चूत के फाकों में अपना लंड रगड़ता हुआ पानी में भीग रहा था ।
शालिनी को अरुण से चिपक भीगना बहुत कामोतेजक किए जा रहा था , उसकी चूत के दानों को मसलता अरुण का टोपा पीछे उसके गाड़ की सकरी कसी दरारों को भी फैला रहा था और अरुण सटासट उसकी जांघो में लंड घुसेड़ रहा था ।
शालिनी ने लपक कर उसके चेहरे को थाम कर उसके कोरे लिप्स अपने लिप्स से जोड़ कर चूसना शुरू कर दिया और अरुण अपनी मामी के मुलायम होठों का स्पर्श पाकर उसको और अपने करीब खींच लिया और उसके दोनो पंजे अब शालिनी की भीगती गाड़ को मसलते हुए फैलाने लगे ,
अरुण के होठों पर पड़ता शालिनी के रसीले होंठों का जोर वो उसकी फाड़ फैला कर अपना टोपा उसकी चूत में चुभो कर ले रहा था - उह्ह्ह्ह मामीईईई उम्मम क्या मस्त कसी गाड़ है तुम्हारी उह्ह्ह
शालिनी ने अब अरुण का मोटा मूसल थाम लिया और उसकी चमड़ी आगे पीछे करने लगी - आआह्हह मेरे राजा तुम्हारे इस तगड़े हथियार के आगे तो मैं कुछ भी नही ओहह। अभी भी कितना कसा है उम्म्म क्या खाता है रे तुहह उम्म। जी कर रहा है खा जाऊं इसे उह्ह्ह्
अरुण शालिनी को अलग करता हुआ उसे नीचे सरकता हुआ
लोह्ह चूस लो मेरी सेक्सी मामी आआह्ह्हह ओहह्ह्ह और उम्म्म् ऐसे ही आआआह्हह मजा आ रहा है क्या मस्त चूस रही हो मामी
शालिनी घुटनों के बल होकर अरुण का मोटा लाल सुपाड़ा मुंह में लेके चुबला रही थी और ऊपर से पानी का शावर की धार उसके नंगे कमर और चूतड पर जा रही थी जिससे अरुण की कामुकता और बढ़ती जा रही थी
वो शालिनी का सर पकड़ कर उसके मुंह में ही पेलने लगा - ओह बहिंचोद रंडी आआह्ह्ह्ह उम्मम् फक्क येस्स्स उह्ह्ह्ह्ह और लेह मेरी सेक्सी चुदक्कड़ मामी आआह्ह्ह मजा a रहा है तुम्हारे मुंह में घुसा कर और लो मेरी जान
अरुण लगातार शालिनी के मुंह में लंड घुसा कर गले तक उतार रहा था और जोर जोर से चिंघाड़ रहा था , अगले ही पल शालिनी ने मुंह से लंड निकाला और जोर जोर से गहरी सास लेते हुई हाफने लगी । फिर से उसका मूसल चूमती चूसती हुई - उह्ह्ह्ह्ह लल्ला घुसा दे उम्म्म्म जल्दी अब और नहीं रहा जाता
अरुण भी सरक कर नीचे हो गया यार उसको अपने ऊपर खींच कर - किसमे लेगी मेरी सेक्सी चुदक्कड़ बोल ना उम्मम्म
अरुण उसके चूचे मुंह में भर कर नोच रहा था और शालिनी ने नीचे हाथ ले जा कर उसका लंड अपनी गाड़ के सुराख पर लगा कर कचकचा कर बैठ गई और देखते ही देखते अरुण का सुपाड़ा उसकी कसी हुई गाड़ की सुराख में फस गया - उह्ह्ह्ह्हह मामीईई उम्म्म बहुत टाइट है आआआह्ह्ह
शालिनी खुद से उसका लंड अपनी गाड़ में भीतर लेती हुई - इसी में तो मजा मेरे राजा आहह और तेरे इस मोटे कड़क लंड को भीतर लेके कर घुसाने में बहुत मजा है आआआह्हह्ह उह्ह्ह्ह् अहह्ह्ह साले आराम से फाड़ देगा क्या अभी भी दर्द गया नही है आह्ह्ह्ह रूक जा हरामी
अरुण बिना कुछ बोले नीचे से ताबड़तोड़ झटके देना शुरू कर दिया था - क्यू मामी मजा नही आ रहा है अब उह्ह मुझे तो ऐसे ही आपको चिल्लवाने में मजा आता है उह्ह्ह्ह मेरी रंडी अअह्ह्ह्ह साली मादरचोद उह्ह्ह्ह लेह
शालिनी अरुण की तेज रफ्तार के ताबड़तोड़ झटके से सुन्न सी पड़ गई थी मुंह बांधे वो सास रोक अपने गाड़ की सूजन पर रगड़ खाता अरुण के कड़क लंड को महसूस कर रही थी
उसपे से ऊपर से तेज ठंडी पानी की धार शावर से उसके ऊपर गिर रही थी - उम्मम्म उह्ह्ह्ह मजा नही आएगा आह्ह्ह्हह बहुत टाइट है अअह्ह्ह्हह्ह रात भर में कितना बड़ा कर लिया तूने आह्ह्ह्ह्ह कल से ज्यादा कसा है आज अअह्ह्ह लल्ला मुझे ठंड सी लग रही है अब आह्ह्ह निकाल दे मुझे पेशाब आ रहा है हट जा
अरुण मारे जोश में - तो मूत लो ना मामी मेरे ऊपर ही अअह्ह्ह्हह आपकी गरम गरम मूत से मैं भी नहाना चाहता हु अह्ह्ह्ह प्लीज
शालिनी को अजीब लगा मगर जिस तरह से अरुण उसकी आंखो में झाक कर उसे मना रहा था शालिनी खुद को रोक नहीं पाई और उठ कर गाड़ घुमा कर अरुण के ऊपर खड़े होकर मूतने लगी
शालिनी के चूत से मूत की टोटी सीधा अरुण के लंड पर गिर रही थी , अरुण धार में अपना लंड हिला कर उसे और तपा रहा था - अह्ह्ह्ह्ह मामी बहुत गरम है आपकी मूत उम्मम्म जरा पिलाओ ना
शालिनी चौकी और इससे पहले कि वो अरुण को रोकती मना कर पाती अरुण उसकी टांग उठा कर सीधा उसके बहती बुर में मुंह दे दिया ।
चूत से गर्म पानी के छीटें उसके मुंह और देह पर गिरने लगे , अरुण जीभ निकाल कर उसकी चूत के दाने पर चलने लगा , नीचे से शालिनी की मूत निकलती रही आखिरी तक जबतक वो कांपने नही लगी - आह्ह्ह्ह् बेटा मैं गिर जाऊंगी उठ जाआह
अरुण लपक कर उठा और शालिनी को पीछे से जकड़ लिया, उसकी रसदार चूचियां मसलता हुआ अपने लंड की ठोकर उसके बुर के फाकों में और गाड़ की सख्त दरारों में देने लगा - ओहहह मामीईईई क्या मस्त गाड़ है आह फैलाओ न इसे उह्ह्ह्ह
शालिनी आगे झुक कर अपने चूतड पकड़ कर दोनो तरफ से फैलाने लगी जिससे उसकी गाड़ की गुलाबी सुराख दिखने लगी जिस पर उसकी कमर से रिस रही पानी की चमकीली धार उसे और चटक दिखा रही थी
अरुण ने हाथ बढ़ा कर शावर बंद कर दिया और हाथ बढ़ा कर उसके गाड़ के सुराख पर उंगली लगा कर - वाह मामी आपकी गाड़ बहुत लाल हो गई है
शालिनी अरुण के स्पर्श से कसमसाने लगी ,उसकी बुर कुलबुलाने लगी - ओह्ह्ह बेटा उम्मम्म्म कितना अच्छा लग रहा है आह्ह्ह्ह उम्मम्म ओह्ह्ह्ह तेरी तो उंगली भी मोटी है अह्ह्ह्हह आराम से लाला उह्ह्ह्ह अभी भी दर्द है
अरुण मुस्कुरा कर - इसका दर्द कम कर दू मामी
शालिनी - कैसे करेगा कर ?
अगले ही पल अरुण अपनी सुपाड़े का फब्बारा खोल दिया और गर्म छरछराती मूत की मोटी धार सीधे उसके गाड़ के छेद पर गिरने
गर्म जलती मूत की धार का स्पर्श पाकर शालिनी उछल पड़ी - अअह्ह्ह्ह ये क्याआह्ह कर रहा है बेटा मुझेह भी मूत से नहलाएगा क्या ?
अरुण अपना लंड का टोपा इधर उधर कर शालिनी की पीठ और उसके चूतड पर धार मारता हुआ - आआह्ह मामी आपको देख कर रहा नही गया अह्ह्ह्ह् कितनी सेक्सी लग रही है आपकी गाड़ मूत से नहा कर मेरे
और अगले ही पल जैसे ही उसका पेशाब रुका उसके आगे बढ़ कर अपना टोपा सीधा उसकी बुर में लगाते हुए पेलना शुरू कर दिया - अह्ह्ह साले हरामी अह्ह्ह्ह्ह बता तो देना था अअह्ह्ह्ह जल रहा है
अरुण उसकी सुजी हुई चूत में लंड खूब हचक के पेलता हुआ - उह्ह्ह्ह्ह मामीई इसी में तो मजा है आआआह्हह्ह्हह क्या कसी बुर है आपकी उम्मम्म् मजा आ रहा है उह्ह्ह्ह निचोड़ लेगी क्या
शालिनी - क्यू तूने नही निचोड़ा मुझे उम्मम्म , सुबह से झड़ रही हू अअह्ह्ह्ह और पेल मादरचोद दम नही है क्या ?
अरुण और जोश में उसके कूल्हे थामे करारे झटके लगाती हुई - क्या बोली साली रण्डी फिर से बोल उम्मम्म क्या बोली , बोल ना
शालिनी आंखे उल्टती हुई सिसकियां तेज करती हुई - अअह्ह्ह्ह मैं बोली भड़वे दम नही है क्याआह चोद ना
अरुण लगातार कस कस कर उसकी बुर की जड़ो में लंड उतार रहा था - ये नही इसके पहले वाला
शालिनी - मादर चोदह्हह आह्ह्ह्हह्ह बाल मत खींच अअह्ह्ह्ह
अरुण - हा यही सुनना था , अअह्ह्ह्ह
शालिनी उसके तेज झटके सहती हुई - आह्ह्ह्ह तो तू भी पेलना चाहता है अपनी मां को उम्मम्म उस छिनार कम्मो को अह्ह्ह्ह्हह ये तेरी मां का खुला भोसड़ा नही है साले हो धीरे धीरे पेल रहा है आआह्ह्ह्ह्ह फाड़ ना
शालिनी की बातें अरुण को चरम पर ले आई थी और आखिर से 15- 20 झटको के साथ चीखने लगा - आओ मामी आ रहा है आआआह्ह्ह्हह जल्दी ओह्ह्ह्ह्ह फक्कक्क अअह्ह्ह्हह उह्ह्ह्ह्ह
शालिनी तेजी से उसके कदमों में पहुंची और अरुण के पिचकारी की तेज मोटी गाढ़ी धार शालिनी के हसीन चेहरे पर गिरने लगी और शालिनी मुंह खोलकर काफी कुछ छींटे गटक कर चटकारे लेने लगी ।
अमन के घर
सोनल के कमरे में सभी भाई बहन हसीं ठिठौली में मगन थे मगर दो लोग ऐसे थे जिनकी सास उतार चढ़ाव ले रही थी ।
रिंकी और अनुज की बेचैनी दोनो के चेहरे पर साफ साफ झलक रही थी, दोनो के दिल ऐसे धड़क रहे थे मानो आज ये मुलाकात आखिरी है और हर बीतता पल उनसे उनकी धड़कन की गिनती कम कर रहा हो ।
रिंकी ने तो कई बार अनुज को बाहर आने के इशारे किए , मगर अनुज की हिम्मत नए जगह जवाब दे जा रही थी । इधर राज भी सोनल के साथ कुछ पल अकेले पाना चाहता था मगर रिंकी और अनुज की मौजूदगी में उसका काम बनता नही दिख रहा था ।
इधर रिंकी बार बार अनुज को इनसिस्ट कर रही थी और आखिर जब अरुण ने उसका उतरा हुआ उदास चेहरा देखा तो उसका दिल पसीज गया और उसने थोड़ी हिम्मत दिखा कर सबके सामने बोल ही दिया - मैं आता हूं अभी
राज सोनल निशा तीनों के चेहरे खिल उठे और राज ठहाका लगाते हुए - कहा सुसु हाहाहहहा
सोनल राज के कंधे पर हाथ मारती हुई - धत्त पगलेट , अभी भी उसे तंग करता है । क्या हुआ अनुज
अनुज शर्मा कर हस्ता हुआ राज की ओर इशारा कर - वही
सोनल के मुंह पर हसीं फूट पड़ी - धत्त पागल तू भी न , हे रिंकी बहिनी जरा इसको लिवा जाना
रिंकी की तो चांदी हो गई कि सोनल ने बजाय अनुज को कमरे के बाथरूम में भेजने के बाहर जाने को कहा और अरुण लजाता हुआ उठ कर कमरे के बाहर निकाला जैसे ही रिंकी भी उसके पीछे निकल कर कमरे का दरवाजा भिड़काई राज घुटने के बल होकर सोनल के ऊपर झपटा और उसके हसीन चेहरे को थाम कर उसके लाल होठों को चूसने लगा ,
पहले तो सोनल ने विरोध किया मगर जैसे ही उसके मुंह में राज के गर्म मुलायम होठों की मिठास घुली उसने भी राज के लिप्स चूसने शुरू कर दिया
इधर निशा - अरे तुम दोनो पागल हो कया , कोई आजाएगा क्या कर रहे हो
राज मुंह घुमा कर - दीदी दरवाजा लगा दो ना प्लीज़
और राज वापस से सोनल के ऊपर चढ़ता हुआ उसको बिस्तर पर लिटा दिया और उसके लिप्स से अपने लिप्स जोड़ दिए
नीचे उसका मोटा मूसल पेंट में से ही सोनल को जांघो पर साडी के ऊपर से चोट करने लगा और सोनल की सिसकियां शुरू हो गई
वही निशा लपक कर दरवाजे पर गईं कड़ी लगाने लगी और दूसरी ओर गलियारे में रिंकी अनुज का हाथ खींचती हुई उसे अपने कमरे में ले जाकर दरवाजे से लगाती हुई उसके होठ अपने होठों से चिपका लिए
दोनों सालों से प्यासो की तरह एक दूसरे के होठों की मिठास साझा कर रहे थे , अनुज के हाथ रिंकी के जिस्म को हर जगह छू रहे थे और रिंकी उसको अपने सीने से चिपकाए हुए उसके निचले होठों को चूस रही थी , जल्द ही दोनो के नाथुने फूलने लगे और गर्म सांसे तेजी से बाहर आने लगी । अनुज मुस्कुराता हुए मुंह खोल कर रिंकी की मादकता में चूर हो चुकी आंखो में निहारता है और दुगने जोश में उसके चूतड स्कर्ट के ऊपर से ही पकड़ कर मसलता हुआ चूत पर अपने लंड की नोक का निशाना सेट करने लगता है
रिंकी भी पूरी कामोतेजित होकर अनुज के टोपे पर अपनी चूत का मुहाना टच कराना चाहती थी मगर , स्कर्ट और जींस उनके बीच दूरी बना रहे थे ।
रिंकी ने उसको पीछे धकेल कर बिस्तर ले गई और जल्दी जल्दी उसके जींस की जिप नीचे करती हुई अनुज का मोटा लाल हुआ लंड बाहर निकाला , उसकी तपीस रिंकी को अपने पूरे जिस्म में महसूस हो रही थी ।
रिंकी के चेहरे पर जरा भी नादानी या फिर कहे उसकी उम्र के हिसाब से कोई चंचलता नजर नहीं आ रही थी एकदम हवस से भरी मादक उग्र आंखे जो अनुज के लार टपकाटे मोटे लंड को मुंह और बुर दोनो में एक साथ खा जाने वाली नजरो से देख रही थी ।
चूत में टपकते दाने को स्कर्ट के ऊपर से मिजती हुई रिंकी ने अनुज का लंड हाथ में लेके ऊपर नीचे सहलाते हुए नीचे झुक गई और मुंह खोल कर लीची सा लाल मोटा सुपाड़ा ले लिया
अनुज अपनी गाड़ उछला कर आंखे बंद कर एक गहरी सिसकी लेता हुआ रिंकी की नाजुक अमियो को उसके टॉप के ऊपर से सहलाने लगा और रिंकी किसी ट्रेंड पोर्नस्टार की तरह उसका लंड मुंह लेके चूसने लगी
वही नीचे सबको चाय नाश्ता कराने के बाद दुलारी की भी दिलचस्पी ऊपर अपने हम उम्र के पास जाने में हुई और खास कर राज के पास , जिसने आने के बाद सबसे ज्यादा आज उसके यौवन को और श्रींगार पर गौर किया था । रह रह कर दुलारी के दिल में राज के लिए बेताबी उठ रही थी , वो राज के उन नशीली आंखों के जज्बात साफ साफ पढ़ चुकी थी जब राज की नजरें चुप चुप कर उसके ब्लाउज में उभरे हुए पपीते के जोड़े से लेकर , उसके होठों की लाली , मादक चाल और साड़ी से झांकती उसकी नाभी निहार रही थी ।
दो चार बार तो दोनो की आंखे बस अटक सी जाती थी आपस में फिर एक चोर वाली मुस्कुराहट में सारा प्रयास अधूरा सा हो जा रहा था
दुलारी ने ममता से आज्ञा लेकर जीने से होकर ऊपर चल दी और उसका ध्यान सीधे सोनल के कमरे पर था , गलियारे को फांदते हुए शुरुवात में उसकी जरा भी नजर संगीता के कमरे के भिड़के हुए दरवाजे पर नही गई , अगर जरा भी उसकी इंद्रियां सतर्क होती वो जरूर दरवाजे के गैप से बिस्तर पर रिंकी को अपने जिस्म से कपड़े उतारते देख लेती ।
वो झटपट अमन के कमरे के दरवाजे के पास पहुंची और दरवाजे पर जोर दिया तो भीतर से बंद पाया । शंकित मन से उसने दरवाजे से कान लगाया तो कूलर की तेज हनहनाह्ट में निशा के खिलखिलाने की आवाजे उसे सुनाई दे रही थी तभी उसके कानो के किसी मर्द की हल्की सिसकी आई मगर ये आवाज कमरे के बाहर से उसे सुनाई दी थी और उसकी नजर फौरन उस और पूरी सतर्कता घूम गई ।
अब दुलारी के चेहरे पर एक शरारत भरी मीठी मुस्कान खिलने लगी थी और अपनी पायलो की रुनझुन को थामती हुई एड़ीया दबा कर संगीता के दरवाजे पर पहुंची और जैसे ही उसने भिड़का हुआ दरवाजा पाया उसके दिल की धड़कने ऐसे उछलने लगी मानो उसकी मांगी मुराद पूरी कर दी हो किसी ने और हौले से दरवाजे पर हाथ लगा कर भीतर का नजारा देखा तो अपने होठ चबाने लगी
सामने अनुज बिस्तर के हेडबोर्ड पर अपनी पीठ टिकाए पैर फैला कर पूरा नंगा बैठा था और रिंकी भी अपने जिस्म एक एक रेशे को उतार कर घोड़ी बन कर अनुज का लंड मुंह में ले रही थी , पीछे से उसकी गुलाबी बुर और गाड़ की फैली हुई सुराख देख कर दुलारी के दोनो होठ से लार टपकने लगी
साड़ी के ऊपर से अपनी चूत को पंजे से दबाती हुई उसकी नजर अनुज को मोटे लाल सुपाड़े वाले तगड़े कसे हुए हथियार पर थी , जिसे देखकर दुलारी के तन बदन में आग लग चुकी थी ,
देखते ही देखते रिंकी ने अनुज के लंड का टोपा अपनी बुर के मुहाने पर रखा और कचकचा कर बैठ गई , कुछ उसकी चमड़ी खिंची तो कुछ अनुज की
दोनो की आंखे भींची मगर दर्द और मजे दोनो का अहसास दुलारी को हुआ उसके हाथ अब उसकी ब्लाउज के ऊपर से उसकी छातियां मिज रहे थे ।
वही कमरे में रिंकी खुद से अनुज के लंड पर उछल रही थी और अनुज उसकी नंगी नंगी गुलाबी अमीयो को मुंह में लेकर चुसरहा था उसके हाथ रिंकी की गोरी गाड़ को जी भर कर मसल रहे थे और रिंकी की चूत के उसका लंड जगह बनाए जा रहा था ।
दुलारी तो अब राज को भूल चुकी थी उसके जहन में अनुज का वो मोटा रिंकी की चूत में लिभड़ा रसीला लंड बस चुका था, उसके देह से साड़ी उतर चुकी थी वो अपनी छातियां मिजती हुई बिलकुल निडर हो गई थी , उसे अपनी काम के आवेग में घर में आए मेहमानों की भी फिकर नही थी
पेटीकोट के ऊपर से बुर को सहलाती हुई दुलारी अनुज के लंड को निहार रही थी जो रिंकी को घोड़ी बनाए तेजी से पेले जा रहा था और उसकी बुर बुरी तरह पानी छोड़ रही थी , रिंकी की सिकसिया अब कमरे में गूंजने लगी थी , बुर का बुरा हाल हुआ पडा था उसपे से घुटने चढ़ती जवानी में ही जवाब देने को आ गए थे
रिंकी की हालत देख कर अनुज ने उसको मिसनरी में ले आया और तेजी से उसकी बुर में लंड पेले जा रहा था , वही दुलारी अपने जिस्म से पेटीकोट तक निकाल चुकी थी और दरवाजा हल्का सा और खोल कर कमरे के मुहाने पर आकर बलाउज से अपनी चूचियां बाहर निकाल कर अनुज के आगे अपनी बुर मसल रही थी
अनुज की नजर जैसे ही दरवाजे पर हुई हलचल पर गई उसकी फट के चार हो गई और दुलारी ने फौरन उसे चुप रहने का इशारा करते हू अपने गदराये जोबन के जोड़ों की घूंडीया घुमाती हुई मीजने लगी , अनुज का जोश अब और भी ज्यादा हो गया वो पूरी कोसिस करके रिंकी का ध्यान अपनी ओर किए हुए था मगर दरवाजे पर दुलारी भाभी की भरी हुई जवानी का नजारा देख कर उससे अब रहा नही जा रहा था और वही दुलारी ने उसको इशारा से बुलाने लगी
अनुज तो मानो दोहरी राह में फस गया एक और रिंकी की कसी करारी बुर के मजे ने उसे चरम पर पहुंचा कर झड़ाने के करीब ला रखा था तो वही दुलारी अपने जवानी के यौवन रूप दिखा कर उसे अभी ठहर जाने का इशारा कर रही थी
आखिरकार दुलारी ने बाजी मार ली और अनुज ने रिंकी की झड़ती बुर से लंड खींच लिया
रिंकी - क्या हुआ
अनुज - मुझे लग रहा है बाहर कोई टहल रहा है और देखो दरवाजा भी खुला है , अभी चेक करके आता हू
ये बोल कर अनुज नंगे ही दरवाजे की ओर भागा
रिंकी अपनी बहती बुर को पंजे से भींचती हुई करवट लेकर अनुज के छोटे छोटे गोरे नंगे उछलते चूतड देखकर हस पड़ी - अरे पागल कपड़ा तो पहन के जाओ ना
अरुण ने उसकी बातो को अनसुना कर बड़ी बेफिकरी से कमरे से निकल गया क्योंकि वो जानता था कि दुलारी भाभी बिना किसी रिस्क के ही उसके आगे दरवाजे पर नंगी हुई थी और जल्दी से लपक कर वो दुलारी के कमरे का दरवाजा खोलकर भीतर से बंद करता हुआ कमरे में चला गया ।
गलियारे में हुई तेज हलचल से सोनल के कमरे में तीनों भाई बहन अलर्ट हो आगे और राज ने सोनल को कपड़े सही करने का बोलकर खुद अपना जींस पहनता हुआ तेजी से दरवाजा खोलता है और उसकी नजर ने गलियारे में एक कमरे के अंदर से बाहर निकली एक गोरी कलाई पर गई जिसपे सजी हुई चूड़ियां और हाथ की मेंहदी सब कुछ पल भर जांच लिया और उस श्क्स की पहचान तब कन्फर्म हो गई जब वो कलाई गलियारे में बिखरी हुई साड़ी जल्दी जल्दी कमरे में खींच ले गई दरवाजा बंद हो गया
" दुलारी भाभी " , राज के जवान से शंका भरी बड़बड़ाहट उठी
कमरे से सोनल ने आवाज लगाई - क्या हुआ राज , कौन था ?
राज - पता नही देख कर आता हू , तुम लोग रहो यही
ये बोल कर राज कमरे के बाहर आकर हौले से दरवाजा लगाता हुआ दबे पाए उस कमरे की ओर बढ़ने लगा जहा से उसे दुलारी भाभी की झलक मिली मगर उस कमरे से निकलने से पहले उसकी नजर रिंकी के कमरे से आधे खुले दरवाजे से आते नजारे पर चली गई जहा रिंकी बेड पर घुटने तोड़ कर बैठी हुई अनुज का नाम लेके अपनी चूत मसल रही थी - कहा छोड़ गए मेरे हीरो
आह्ह्ह अनुज आओ ना जल्दी मेरी चूत को तुम्हारा मोटा लंड चाहिए , क्यू बाहर चले गए तुम ओह्ह, पता नही कौन मराने आ गया होगा बाहर
राज रिंकी की हालत और उसकी बड़बडाहट से सारा माजरा समझ गया कि कैसे अनुज रिंकी को पेल कर दुलारी के साथ उसके कमरे में चला गया , एक पल को उसे अपने भाई पर गर्व हुआ तो अगले पल जलन भी हुई मगर असली आग तो सामने बिस्तर पर मछली के जैसे तड़पती रिंकी लगा रही थी ।
राज उसके गुलाबी नंगे बदन को मचलता देख कर अपना खड़ा लंड मसलने लगा , उसके छोटे छोटे मौसमी से चूचो पर तनी हुई गुलाबी घुंडी देख कर राज के मुंह में लार घुलने लगी और सही मौका देख कर राज कमरे में दाखिल हो गया ।
वही नीचे ममता के कमरे में रागिनी और संगीता की हसीं ठिठौली चल रही थी , रागिनी और ममता आज मिल कर संगीता की खूब खिंचाई कर रही थी और संगीता जल्दी से उनसे छुटकारा चाह रही थी कि तभी उसकी नजर दरवाजे के बाहर गलियारे से बाथरूम की ओर जाते हुए जंगीलाल पर गई और दिल मचल उठा ।
चुकी जंगी को बाथरूम की ओर जाते हुए सिर्फ संगीता ने ही देखा था तो वो भी बाथरूम का बहाना बनाकर बाहर जाने लगी
ममता ने उसे कमरे के बाथरूम में जाने को कहा मगर संगीता ने उसको टाल कर तेजी से बाथरूम की ओर भाग गई
रागिनी और ममता उसकी तेजी पर खिलखिला कर हस पड़े
ममता - तो क्या हुआ , मेरी हीरोइन नंद की फिल्म का उम्मम्म
रागिनी मुस्कुराती हुई हा में आंखे झपकाती हुई - लाई हूं ना , ऐसा निहुरा कर पेला है देवर जी ने हिहिहिही लो देखो
और रागिनी ने उस रात शादी में चोरी छिपे हुई संगीता की वीडियो दिखाई जिसमे जंगी उसको आगे झुका कर उसकी चूत में लंड डाले हुए वीडियो बना रहा था ।
ममता उस एक ही पोजिशन में 8 मिंट तक चलने वाली चुदाई का वीडियो देख कर कभी हस्ती तो कभी जंगी के स्टैमिना की दाद देती - कुछ भी कहो दीदी आपके देवर किसी घोड़े से कम नहीं है , एक सुर में एक ही चाल से बिना रुके इतना लंबा सफर हिहिहिहि
रागिनी हस्ती हुई उसके हाथ से मोबाइल लेकर - कभी मेरे सैंया की दौड़ देखना हिहिहि बड़े भाई है बाकी सोच लो
ममता हस्ती हुई - धत्त दीदी मैं क्यू सोचू भला उनके बारे में ?
रागिनी - अरे अगर वो आपके बारे में सोच सकते है तो आप क्यों नही हिहिहिहीही
ममता अचरज से - धत्त क्या दीदी तुम भी , कैसी बात करती हो। मेरे समाधि जी बड़े सीधे है समझी आप !
रागिनी हस कर - अच्छा जी , फिर तो आपको वो बात बतानी ही पड़ेगी
ममता कौतूहल वश - क्या ? कौन सी बात ?
रागिनी अब ममता की बेबाती पर हस रही थी तो ममता हस्ती हुई उसका हाथ पकड़ कर - अरे बोलो ना दीदी , प्लीज ना
रागिनी - याद एक बार शादी के पहले मैं आपकी पैंटी लेके गई थी
ममता उसकी बात याद कर लाज गाढ़ हो गई कि उस रोज कितना तंग किया था रागिनी ने उसे और उसपे से वो पैंटी भी उसके समधी रंगीलाल को दे दी थी कि उसी नाप से बड़ा ममता के लिए दो जोड़ी ब्रा पैंटी लेते आना बड़े शहर से
रागिनी ममता को छेड़ती हुई - क्यू याद है ना उम्मम्म
ममता शर्म और हसीं से लाल होती हुई - हा बाबा याद है
रागिनी ने अब आगे झूठ मूठ की कहानी सुनानी शुरू की - पता उस रोज मैं घर आने के बाद आपकी पैंटी ऐसे खुले में ही अपने कमरे के बिस्तर पर रख कर नहाने चली गई और आपके समधी जी हिहिहिहिही
ममता को आगे जानने की भीतर से बहुत तलब हो रही थी मगर रागिनी की खिलखिलाहट कहा बंद हो रही थी
ममता ने उसको आगे बताने को कहा
रागिनी हस्ती हुई - वो कमरे में न जाने कब आ गए और आपकी पैंटी को मेरी नई पैंटी समझ कर सूंघने लगे उसे अपने वहा रगड़ने लगे
ममता चौक कर - क्या सच में !!
रागिनी हस्ती हुई थी हा में सर हिलाती हुई ममता के ऊपर झोल जा रही थी - हम्मम सच कह रही हूं और तब कहा उनको पता था कि वो आपकी है । उन्हे लगा वो मेरी नई पैंटी है और जब मैने बताया कि ये आपकी है तो ....
ममता की धड़कन अब तेज होने लगी कि आगे क्या हुआ , उसने अपने सूखते होठों से पूछ ही लिया - फिर ? फिर क्या हुआ
रागिनी सामने से ममता के पल्लू के नीचे से बलाऊज में ऊपर नीचे होती भारी चुचियों को साफ देख रही थी और ममता दिल में उठ रही जज्बात को समझ रही थी - फिर वो शोकड हो गए और फैला फैला कर घुमा घुमा कर उसे देखने लगे । हिहिहिहीह फिर जब मैने बोला कि इससे चार नंबर बड़ी size की पैंटी ब्रा आपको बड़े शहर से लानी है तो उनकी आंखे और बड़ी हो गई हिहिही फिर वो आपकी पैंटी की लास्तिक पूरी फैला कर ऐसे देख रहे थे मानो अनुमान लगा रहे हो कि इससे चार नंबर बड़ी पैंटी में आपका बड़ा पीछवाडा कैसा दिखेगा हाहाहहहाह
ममता रागिनी के मजाक पर हस के लाल हुई जा रही थी - धत्त दीदी चुप करो , आप भी ना
रागिनी हस कर - अरे अभी आगे की बात तो बाकी ही है
ममता हस्ती हुई - अब क्या ?
रागिनी - उस रात ना जाने कहा से ,वो जोश आया कि वो नानस्टाप 48 मिंट तक बिना झड़े लगे रहे हिहिहिह
ममता आंखे बड़ी कर ताज्जुब से - क्या सच में , ऐसा क्या खा लिया था
रागिनी हस्ती हुई - पक्का बता दूं
ममता हलक से लार गटकती हुई आगे की कहानी जानने को पूरी बेताबी से हा में सर हिलाया
रागिनी खिलखिलाती हुई - उस रोज नहाने के बाद आपकी ही पैंटी पहन ली थी हाहहहहाह
ममता रागिनी के मजाक पर हस्ती हुई उसके कंधे को ठेल कर - धत्त आप बहुत गंदी हो छीइई
रागिनी हस्ती हुई काफी देर तक उसे छेड़ती रही ।
ममता ने बात को घुमाने की कोशिश की - अच्छा सुनिए न , ये वीडियो कैसे मिलेगी मुझे
रागिनी इतराई - हर चीज की एक कीमत है मेरी बहना हाहाहहह तो इसकी भी बोली लगेगी
ममता - क्या चाहिए बोलो ना , मुझे ये वीडियो चाहिए ही चाहिए
रागिनी हस्ती हुई - आपकी एक और पैन्टी हिहिहिहिह
ममता हस्ती हुई लाज के मारे उठ गई और बाथरूम में जाने लगी - भक्क्क आप बहुत गंदी हो , ये सब कोई मागता है
रागिनी भी हस्ती हुई अंगड़ाई लेकर - अअह्ह्ह्ह उस रोज मेरी जगह होती तो अपनी पैंटी की कीमत समझ आती
ममता चिढ़ती हुई हस्ती हुई बाथरूम में घुस गई और रागिनी हसने लगी ।
जारी रहेगी