• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

ChhotuD

New Member
48
148
33
UPDATE 107

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE


पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा की सुबह काफी शांत और बिना कोई धमाके के निकली । वही भोर मे ही राज के मौसी के यहा हंगामा हो गया ।

देखते है ये ननद भौजाई की मस्तियाँ क्या नया आयाम देती है इस कहानी को ।

अब आगे
ममता के कमरे से भाग कर जाने के बाद रज्जो खुब हसी और थोडी देर बाद नहाने के लिए निचे चली गयी ।

9 बजे तक सारे लोग नहा धोकर कर तैयार हुए और फिर नाश्ते के दौरान तय हुआ कि कमलनाथ राजन और रमन ये तिन लोग कुछ सामान की लिस्ट है , वो लेने बाजार जायेंगे । बाकी सारे लोग निचे रहने के लिए सारे कमरो की साफ सफाई मे रज्जो की हैल्प करेंगे ।
थोडी देर मे ही कमलनाथ अपने बेटे रमन और जीजा राजन को लिवा कर बाजार के लिए निकल गया और इधर रज्जो मौसी अपनी साड़ी का पल्लू कमर मे खोस कर सबको क्या क्या करना है ये बताने लगी ।
फिर सबसे पहले उपर की मंजिल से शुरु हुआ ।
जहा एक कमरे मे सारे लोग यानी रज्जो ,ममता ,पल्लवि ,सोनल और अनुज पहुचे ।

फिर रज्जो बगल से स्टोर रूम से कुछ झाडू और जाले साफ करने वाली ब्रशो को लेके आई और अनुज ने फुर्ती दिखाते हुए फटाक से रज्जो के हाथ से एक जाले साफ करने वाला ब्रश लिया और लेके भीड़ गया काम मे । ऐन मौके पर पल्लवि भी एक झाडू लेके खिडकीयो के पास लग गयी ।

ममता हस कर - लो ये लोग तो लग गये ,,,मै तो कह रही हू भाभी , दो लोग यहा लगे हैं तो मै और सोनल बेटी बगल वाला कमरा देख ले रहे है , इससे काम भी जल्दी हो जायेगा और फिर दोपहर का खाना भी बनाना है ना


रज्जो को उसकी ननद का सुझाव जमा तो बोली - हा ममता ठीक कह रही है तू ,,,आ सोनल तू इधर आ

इधर रज्जो , ममता और सोनल को लेके अलग कमरे मे चली गयी और उधर उनके जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है और वापस काम मे लग जाते है ।

जहा अनुज एक तरफ बंद कमरे मे अकेले एक लडकी के साथ काम करने मे असहज मह्सूस कर रहा था , वही पल्लवि को बहुत ही बोरीयत सी लग रही थी कि अनुज इतना गुमसुम क्यू है । क्या शहर के लड़के ऐसे होते है ।

पल्लवि को चुल होती है और मुस्कुरा कर काम के बहाने ही उससे बाते करने का सोचती है - अनुज सुनो

अनुज - हा पल्लवि दिदी कहिये
पल्लवि - हा जरा ये पंखे के पास भी साफ कर दो फिर मै निचे झाडू लगा देती हू ।
अनुज मुस्करा कर - जी दीदी

पल्लवि हस कर - अरे तुम मुझे दीदी क्यू कह रहे हो ,हम्म्म
अनुज थोडा हिचक कर - क्योकि आप मुझसे बड़े हो शायद !!!!
पल्लवि चहक कर कमर पर हाथ रखकर- शायद !! इसका क्या मतलब हम्म्म

अनुज को मह्सूस हुआ कि मानो उसने पल्लवि को दीदी बोल कर कोई बडी गलती कर दी हो और वो सफाई देते हुए - वो आप मेरे सोनल दीदी जैसी हो ना दिखने मे तोओओ ...

पल्लवि हस कर - धत्त मै तो बहुत छोटी हू सोनल दीदी से हिहिही , और उन्होने बताया था हमदोनो की उम्र करीब करीब ही है ।

अनुज उलझन भरे लहजे मे - तो फिर ...
पल्लवि - अरे तो तुम मुझे नाम से बुला सकते हो हिहिहिही

अनुज थोडा सा हसा और वापस काम मे लग गया ।
चोदमपुर मे जहा बुढे जवान और जवानी की दहलिज पर पाव रखते लौंडे तक पल्लवि की सेक्सी फिगर से उससे बात करने को लालायित रहते थे ,,यहा आने के बाद वो रुझान पल्लवि को नही मिल पा रहा था ।

पल्लवि मन मे बुदबुदाइ - ये तो पुरा साधू है ,, बात करना तो दुर देखता तक नही मेरी ओर । यहा दो हफते तक मेरी जिन्दगी कैसे कटेगी ।

ना चाहते हुए भी मन को तसल्ली देते हुए पल्लवि ने फिर कोसिस की - तब अनुज बहुत गुमसुम हो ,,, गर्लफ्रेंड की याद आ रही है क्या हिहिहिही

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि पल्लवि उससे ऐसा कुछ पुछ लेगी ।

अनुज सकप्का कर - ना ना नही तो ,,मेरी कोई गर्लफ्रैंड नही है दीदी, ओह्ह सॉरी मतलब पल्लवि

पल्लवि - सच मे या डर रहे हो कि मै तुम्हारी दीदी को बता दूँगी ।
अनुज से पहली बार किसी लडकी ने ऐसे बात किये थे और वो भी सीधे व्यकितगत सवाल ।
अनुज को एक अलग तरह की उत्सुकता और मन मे खुशि हो रही थी कि पल्लवि उस्से बात कर रही है । हालकी उसकी नजर कल से ही उसपर थी । मगर उसके भरे जिस्म को देखकर वो पल्ल्वी को अपने से ज्यादा उम्र की जानकर उससे किनारा कर रहा था ।

अनुज ने फिर भी अपने जज्बातो को दिल ने ही थामा और इस बार थोडा आत्मविश्वास के साथ बोला - नही ऐसी कोई बात नहीं है ।

पल्लवि अचरज से - तुम तो शहर मे रहते हो ना लेकिन ,

अनुज ह्स कर - शहर मे रहता हू तो क्या , मै ये सब नही करता हू हिहिहिही

फिर अनुज वापस काम मे लग जाता है ।
इधर इनका काम चल रहा होता है कि थोडी देर बाद पल्लवि अनुज को फिर से आवाज देती है ।

पल्लवि - अनुज सुनो
अनुज - हा बोलो पल्लवि क्या हुआ

पल्लवि एक लोहे की आलमारी के पीछे साफ सफाई कर रही थी तो वहा कुछ कचरा फसा था तो वो निकल नही रहा था ।

पल्लवि - जरा ये आलमारी थोडा झुकाओगे ,, वहा कचरा पडा है मै झाडू से निकाल लू ।

फिर अनुज हम्म्म बोल कर आल्मारि को आगे की ओर झुका लेता है और पल्लवि झाडू से ढेर सारा कचरा बाहर निकालती है , जिसमे चूहो द्वारा एकठ्ठा किया काफी सारा कचरा और गन्दगी थी । तभी अनुज की नजर आलमारी के निचे एक बैगनी रंग के कपडे पर गयी जो वही फसा हुआ था ।

अनुज - पल्लवि , देखो वहा कोई कपडा भी है ,उसे भी निकाल लो तो ।

पल्लवि हा मे सर हिला कर निचे बैठ गयी और हाथ डाल कर उस कपडे को निकाल कर खड़ी हुई ।

अनुज को वो कपडा अभी नया दिख रहा था ।
अनुज - कैसा कपडा है पल्लवि ये ,,नया लग रहा है ।

पल्लवि ने वो कपडा एक बार देखा और फौरन उसे फ़ोल्ड करके मुठ्ठि मे छिपाने लगी ।

अनुज को अचरज हुआ वो आलमारी को सही से लगा कर फिर से पल्लवि से बोला - क्या हुआ ,,कैसा कपड़ा है ये ।

पल्लवि शर्म से मुस्कुराने लगी और बोली - नही कुछ नही । चलो ये कचरा उस बालटी मे भर दो और मै बाकी का झाडू मार देती हू ।

अनुज को अजीब सा लगता है कि आखिर क्या है जो पल्लवि छिपा रही है ।
अनुज एक बार फिर उत्सुकता से बोला - तुमने बताया नही कैसा है वो कपडा । क्यू छिपा रही हो उसे । लाओ मै देखू

फिर अनुज आगे बढ कर पल्लवि के हाथ से वो कपडा लेने के लिए उसके करीब जाता है और पल्लवि हस कर - अरे नही अनुज रहने दो ना ,वो तुम्हारे काम का नही है ।

अनुज अचरज से - मेरे काम का नही है क्या मतलब ।
फिर वो पल्लवि के और करीब जाता है तो पल्लवि उसे वो कपड़ा दे देती है ।

अनुज उस मुलायम कपडे को फैला कर देखता हुआ - मै भी तो देखू ये क्या .....

वो कपडा खोलते ही अनुज की आवाज वही रुक गयी और वही पल्लवि खिलखिला कर मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
वो कपड़ा दरअसल राज के मौसी रज्जो की पैंटी थी और अभी नयी थी ।

अनुज को अब खुद पर शर्मिंदगी हो रही थी और वो पल्लवि को हस्ता देख कर खुद भी हस देता है और वापस उसे पल्लवि को देते हुए कहता है।
अनुज - हम्म्म पकड़ो मौसी को दे देना , अभी नया ही है हिहिहिही

पल्लवि शर्म से हसी और वो पैंटी अनुज के हाथ से लेते हुए - तुमको कैसे पता कि ये मामी की है ।

अनुज शर्मा कर मुस्कुराते हुए - उसपे साइज़ लिखा है ना 42" , और यहा कौन पहनेगा इतनी बडी साइज़ हिहिहिही

पल्लवि इतरा कर - तुमको बड़ा पता है साइज़ के बारे मे

अनुज बहुत ही स्वाभिमान होकर - हा मेरी दुकान है ना चमनपुरा मे इनसब की ।

पल्लवि हस कर अनुज से मजे लेते हुए - फिर तो तुमको मेरी साइज़ भी पता होगी ।

अनुज पल्लवि के सवाल से चौक गया और वो हड़ब्डाने लगा ,,,वही एक तरफ पल्लवि के इस सवाल ने उसको कुछ हद तक कामोतेजक कर दिया और लोवर मे उसका लण्ड अंगड़ाई लेने लगा था ।

अनुज - अब ब ब हा ना नही नही ,,मुझे कैसे पता रहेगा
पल्लवि ह्स कर - अरे तुम इतना परेशान क्यू हो ,,मै तो ऐसे ही पुछ ली , क्योकि तुम दुकान चलाते हो ना तो दुकानवालो को पता होता है ।

अनुज को ये सब बहुत उत्तेजक भी लग रहा था , साथ ही उसे थोडा अजीब भी मह्सूस हो रहा था कि वो ऐसी बाते अपनी बहन समान जैसी लड़की से कर रहा है । इसिलिए वो पल्लवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोला ।

अनुज - नही मै उतना रहा हू दुकान पर ,,हा मेरे राज भैया को पता है । वही दुकान पर ज्यादा रहते है ना ।

पल्लवि एक बार को राज नाम सुन कर थोडा फिल्मी हेरोइन की तरह इतराई । क्योकि राज नाम काफी शहरी और आधुनिक था और पल्लवि को आधुनिक चीज़ो से खासा लगाव था ।

पल्लवि - हम्म्म तो तुम्हारे भैया ये जो है राज , वो क्यू नही आये ।

अनुज - वो क्या है ना हमारी दो दुकान है तो एक बरतन की और एक ये सब वाली ।

पल्लवि हसी - मतलब तुम अपनी दुकान पर यही सब कच्छी ही बेचते हो क्या हिहिहिही

अनुज को थोडी शर्म आई - नही , वो सृंगार वाला दुकान है हिहिहिही

पल्लवि इस बातचीत को और दिलचस्प बनाने मे लगी थी लेकिन अनुज इस बात को और आगे नही ले जाना चाहता था ,,इसलिए

अनुज - चलो जल्दी से ये कमरा खतम कर लो , हमे निचे भी जाना है ।

पल्लवि को भी ध्यान आया और वो भी जल्दी जल्दी काम करने लगी
ये दोनो अपना काम खतम कर रहे होते है कि रज्जो इनके कमरे मे आती है ।

रज्जो - अरे वाह ,,तुम दोनो ने तो बहुत बढिया साफ किया है ।

अनुज बहुत खुशी होती थी जब कोई उसकी तारिफ कर देता था और वो भावनाओ मे बह कर वो सामने वालो और भी खुश करने की बचकानी हरकत कर देता था ।

यहा रज्जो उसकी तारिफ कर ही रही थी कि अनुज फौरन वो पैंटी उठा कर रज्जो को देता है ।

अनुज बडी मासूमियत से - लो मौसी ,ये आपका कच्छी मिला है यहा आलमारी के पीछे,,चूहा लेके गया था ।

पल्लवि अनुज के इस हरकत पर हस देती है । रज्जो के चेहरे पर ही हसी के भाव आ जाते है मगर वो अपने प्यारे भतीजे का मजाक नही बनाना चाहती है ।

रज्जो उसके सर पर हाथ फेर कर -हिहिह्ही ,,इन चूहो को ना जाने क्या मिलता है , अभी दुसरे मे भी मेरा एक पैंटी लेके गया था और उसको तो पुरा काट दिया है ।

फिर रज्जो उन दोनो के सामने ही अपनी पैंटी फैला कर देखती है कि कही चूहे ने काटा नही है

अनुज वापस से चालाकी दिखाते हुए बोला - नही मौसी ये सही है ,मैने चेक किया है इसको


रज्जो ह्स कर - तू ब्डा देख रहा है मेरी कच्छी हा ,,,

पल्लवि को रज्जो की बात पर बडी हसी आती है और उसे हस्ता देख अनुज को अपनी गलती समझ आ जाती है ।

रज्जो - चलो ये कचरा और झाडू लेके निचे आओ ,, जल्दी

फिर रज्जो निकल जाती है बाहर और उस्के जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देखते है ।
पल्ल्वी की फौरन हसी छूट जाती है और अनुज भी शर्माते हुए हस देता है ।


अनुज - अब बस भी करो ,,मजे ले रहे हो , चलो मौसी निचे बुलाई है ।
फिर वो दोनो निचे जाते है
इधर 11 बजे तक सारे काम हो जाते है और फिर रज्जो सबको पानी पिलाती है । फिर सारे लोग गर्मी से परेशान होते है तो नहाने के लिए कहते है ।

मगर अनुज बहुत थक जाता है तो वो वही हाल मे थोडा सोने लग जाता है ।
इधर अनुज हाल मे आराम कर रहा होता है और यहा महिला मंडल ने अपनी अपनी जोडिया बना लेती है । सोनल और पल्लवि न्हाने के लिए टेरिस वाले बाथरूम मे चली जाती है, वही रज्जो और ममता निचे आंगन मे ही नहाने के लिए चले जाते है ।

इधर अनुज को सोये ज्यादा समय नही हुआ था कि लाईट भाग जाने से उसकी नीद खुल जाती है । वो भी गर्मी से परेशान था तो नहाने के लिए रमन के कमरे से कपडे लेके पीछे आँगन की ओर जाने लगता है । वहा आँगन के मुहाने के जाने से पहले ही उसे अपने रज्जो मौसी की खिलखिला कर बात करने की आवाज आई तो अनुज वही रुक गया और ये सोच कर वापस आने लगा कि ये लोग नहा ले फिर मै जाऊंगा ।

अनुज वापस मुड़ा ही था कि तभी उसे अपनी रज्जो मौसी की आवाज सुनाई दी जो वो ममता से कह रही थी ।

रज्जो हस्कर - तब ननद रानी ,,मजा आया था ना सुबह अपने भैया का लण्ड पकड कर हिहिहिही

रज्जो मे मुह से ऐसी बात सुन कर अनुज के कान खडे हो गये और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी । वो थुक गटकने लगा और ना चाह कर भी उसके हाल की ओर बढते कदम रुक जाते है और वो वापस दबे पाँव आँगन की ओर चल देता है ।
तभी उसे ममता की भी आवाज सुनाई देती है ।

ममता - हालत तो आपकी भी खराब हो गयी थी अपने नंदोई जी का पकड कर हिहिहिही

अनुज की आंखे चौडी हो गयी । कि ये लोग क्या बाते कर रहे है । क्या सच मे रज्जो मौसी ने राजन फूफा का वो पकड़ा था और क्या ममता बुआ ने मौसा का ???


रज्जो ह्स कर - वैसे मानना पडेगा , नंदोई जी खुन्टा है जबरजस्त ,, बहुत गहराई कर दिये होंगे तेरे चुत मे तो हिहिहिहिही

अनुज को यकीन ही नही हो रहा था कि उसकी सगी मौसी ऐसी है , वही उसका ये सोच कर लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था कि ममता बुआ ने अपने भैया का ही लण्ड पकड लिया था ।
अनुज के दिलो दिमाग में कौतूहल मच गया था । उसके मन मे भी ना जाने क्यू ये ख्याल आया कि काश उसकी दीदी भी जब अपने मुलायम गोरे हाथो से उसके गर्म आड़ो को सहलाएगी तो उसे कितनी गुदगुड़ी मह्सूस होगी और इस भावना से अनुज के पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ जाती है
मगर अगले ही पल अनुज को होश आया तो वो खुद को धिक्कारा ।

तभी अनुज ने और कुछ सुना

ममता रज्जो की बात का जवाब देते हुए - कही आपका दिल तो नही आ गया अपने नंदोई पर ,,, कोशिस बेकार है भाभी , वो नही आने वाले आपके झांसे मे हिहिही , आप बस भैया से ही काम चलाओ

रज्जो हस कर - मुझे तो लग तू कुछ ज्यादा ही अपने भैया के मोटे काले लण्ड के लिए तरस रही है हिहिहिही ,, अगर सुबह देख कर मन नही भरा तो रात मे चली आना , हमारा शो चालू रहेगा हिहिहिही

ममता हस कर - शो तो आज रात हमारा भी होने वाला है भाभी हिहिहिही ,
ममता - वैसे आपने तो अपने ननदोई का खुला नही देखा है ,,,दरवाजा खुला ही छोड दूँगी देख लेना हाहाहा

अनुज का लण्ड उसके लोवर मे एकदम तन कर खड़ा हो गया था । उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे । बार बार उसके दिमाग मे रात मे होने वाली दोनो खुले कमरे मे होने वाली चुदाई की तलब होने लगी और उसका लण्ड बार बार फड़क रहा था और वो बहुत उत्तेजित होकर रात का इन्तजार करने लगा ।

मगर अपनी उत्तेजना और खडे लण्ड से परेशान होकर अनुज वापस हाल मे आ गया और तबतक बिजली भी आ गयी थी तो वही थोडी देर लेटा रहा था । फिर अपनी बारी आने पर वो भी नहाने के लिए आँगन मे चला गया ।
एक तरफ जहा राज के मौसी के यहा ये सब घटनाओं का संगम हो रहा था , वही दुसरी तरफ चमनपुरा मे भी कुछ खास होने वाला था ।


राज की जुबानी

सुबह का नासता करके मै दुकान पर आ गया था । शादियो के सीजन मे दुकान पर भीड़ भी बहुत थी ।
दोपहर के करीब मा खाना लेके आई और वो दुकान मे लग गयी ।

थोडी देर खाली होने के बाद मा ने मुझे पहले खाना खाने को बोला ।
मै पीछे के कमरे मे जहा पापा का रूम हुआ करता था ,,वहा जाकर टिफ़िन खोल कर बैठ गया और इधर धीरे धीरे दुकान मे फिर से भीड़ होने लगी । मा ने मुझे आवाज दी की मै जल्दी खा कर आऊ ।

मै भी फटाफत खाकर दुकान मे गया था तो मेरे चेहरे पर एक गजब की मुस्कान आ गयी । कारण था कि चन्दू की बहन चंपा आई थी दुकान मे ।

वो भी मुझे देख कर शर्मा कर मुस्कुराइ । उसका मूल कारण था कल की होने वाली चुदाई जो मेरे और चंपा के बीच होने वाली थी । इधर हम दोनो आपस मे स्माइल पास करने का और आंखो से इशारे मे हाल चाल लेने का गेम खेल रहे थे कि मा बोली ।

मा - बेटा आ गया तू ,,,जरा इस चंपा को इसकी नाप की ब्रा पैंटी दिखा देना तो ,,बेचारी कबसे खड़ी है ।

मा की बाते सुन कर चम्पा शर्मा सी गयी और मुझे भी हसी आने लगी थी ,मगर मैने खुद पर नियन्त्रण किया । वही मा एक शादी के दुलहन का समान निकाल रही थी तो काफी समय से व्यस्त थी ।

मैने भी अपनी हसी को होठो मे दबाया और गला खरास कर बोला - कौन सा साइज़ दू

चंपा शर्मा के - 34C की स्टोबेरी कपडे मे दिखाना

मैने फौरन दो चार उसकी पसन्द और साइज़ का बढिया डिज़ाइन का बॉक्स उसको दिया और बोला की अन्दर कमरे मे देख ले ,,क्योकि दुकान पर और जेन्स लोग भी थे ।

वो मुस्करा कर वो डब्बे लेके चली गयी ।
मै थोड़ा बाकी ग्राहको मे व्यस्त हो गया और उनको निपटा कर चम्पा के पास कमरे मे गया ,,,जो इस वक़्त एक रेड ब्रा खोल कर देख रही थी ।

मौका देखकर मै धीमी आवाज शरारती अंदाज मे बोला - लेलो कोई भी ,उतारना मुझे ही है ना हिहिहिही

चम्पा शर्मा कर झेप सी गयी - पागल हो ,,जाओ बाहर नानी क्या सोच रही होगी ।

मै हस कर - अच्छा पैंटी का साइज़ क्या लाऊ ,, 38"

चम्पा आंखे बडी करके - पागल हो क्या ,,,इतनी मोती नही हू मै ,,

मै एक बार उसके सामने ही उसकी कमर और चुत के हिस्से पर नजर मारते हुए - तो फिर क्या 32" हिहिही

चंपा हस कर धीमी आवाज मे - नही पागल 36 नम्बर ,,अब जाओ

मै मुस्करा कर अपनी हसी को दबाते हुए बाहर दुकान मे आया और जानबुझ कर तीन बॉक्स अलग अलग टाइप की पैंटी का लेके वापस कमरे मे चला गया ।

मा अभी भी उन्ही ग्राहक मे व्यस्त थी जो दुल्हन के शादी का समान निकलवा रहे थे ।

मै आकर सबसे पहले ब्लूमर का बॉक्स खोल कर मुस्कराते हुए - लो इसमे से कलर देख लो ।

चंपा भी मुस्कुराइ और एक मरून कलर का ब्लूमर निकाल कर उसकी पैकिंग खोली ---अरे ये वाला नही जी ,,,वो वाला दो छोटा वाला

मै हस कर - छोटा वाला मतलब ,कैसा ??? वो जो पहनी है वैसा क्या ??

मै ब्रा के एक बॉक्स पर छ्पी एक लडकी को दिखाया जो वी शेप की पैंटी पहने थी ।

चंपा शर्म से लाल हो गयी और हा मे सर हिलाया ।

मै वो बॉक्स बन्द किया और दुसरा बॉक्स खोला जिसमे वी-शेप पैंटी तो थी लेकिन सब लाईट कलर मे - लो इसमे से निकाल लो कोई

चंपा थोडा संकुचित होकर - और कोई कलर नही क्या ,,,

मै हस कर - क्यू इनमे क्या बुराई है ,,ये तो अच्छे भी लगेंगे तुम पर ,,, सावली हो तो हिहिहिही

चंपा मेरे सर पर हल्के हाथो से चपट लगाते हुए - मजाक ना करो ,,सही बताओ

मै जिद करते हुए - अरे इनमे क्या दिक्कत है ये बताओ

चंपा हिचक कर - वो इनमे दाग लग जाता है ना इसिलिए

मै जानबुझ कर उस्का मजा लेता हुआ - तुम घर मे सिर्फ़ पहन कर खाना खाती हो और काम करती हो क्या ,जो दाग लग जाता है हिहिहिही

चंपा शर्म से लाल हो गयी - बक्क तुम मजाक ना करो ,,वहा निचे दाग लग जाता है ,हा नही तो

मै उसकी मासूमियत चेहरे को परेशान होता देख दुसरा डार्क कलर वाला बॉक्स खोल कर देता हू और वो उसमे से भी दो सेट निकाल लेती है ।

फिर मै सारे बॉक्स बन्द करके बाहर जाने को होता हू ।
मै - अच्छा ये बताओ इनमे से कौन सा पहन के अओगी कल हिहिहिही

चंपा बार बार मेरे छेड़ने से पक गयी थी तो तुनक कर बोली - एक भी नही

मै हस कर - सच मे हिहिही
चम्पा को अह्सास होता है कि वो क्या बोल गयी और वो झेप सी जाती है ।

मै हस कर बाहर आ जाता हू ।
थोडी देर बाद वो भी चली जाती है । फिर समय बितता है शाम होने लगति है ।


जारी रहेगी
भाई जी, ये दो कहानियों का संगम तो गजब ढा रहा है, उत्सुकता बढती जा रही है…
 

Lutgaya

Well-Known Member
2,159
6,155
144

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
6,294
17,700
174
UPDATE 108

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा पल्लवि और अनुज एक दुसरे से खुल रहे थे और वही अनुज धीरे धीरे कुछ नये रिश्तो के बारे मे नयी चीजे सिख रहा था ।
इनसब से अलग चमनपुरा मे राज और चंपा आने वाले कल के लिए कुछ तैयारियो मे लगे थे । देखते है ये तैयारियाँ कितनी मजेदार मौहाल बनाने वाली है ।

अब आगे



चम्पा के जाने के बाद मै वापस दुकान मे लग जाता हू ।
शाम को 7बजे तक मै चौराहे वाले घर पहुचता हूँ और मा किचन मे सिर्फ साड़ी ब्लाउज मे किचन मे काम कर रही होती है ।

मा की उभरे हुए हिलते कूल्हो को देख कर मुझे बडी उत्तेजना मह्सूस होती है
मै किचन मे घुसा और मा से चिपक के अपने फन उठाते लंड को मा के गाड़ में चिपका दिया ।

मा मेरे स्पर्श से कसमसाइ- उह्ह्ह बेटा रुक जा ना
मै मा से और चिपक कर अपने हाथ आगे ले जाकर मा की चुचियॉ को हाथो मे भर लिया ।
मा सिस्क कर - सीईई उम्म्ंम्म्ं बेटा बस कर उम्म्ंम्म्ं बना लेने दे ना खाना , देख सब्जी जल जा रही है

मै मुस्कुरा कर वापस हट गया ।
मा - तू जा नहा ले , तेरे पापा भी आ गये है नहा रहे हैं वो भी ।
मै मुस्कुरा के - ठीक है मा

फिर मै भी नहाने चला गया और नहा कर सिर्फ अंडरवियर पहन कर बाहर आया ।

तो हाल मे पापा भी एक फुल बाजू की बनियान और जांघिया पहने हुए बैठे थे ।
तभी दरवाजे पर खटखट हुई ।

पापा ने एक नजर मुझे देखा -बेटा कुछ पहन ले ,,ऐसे अच्छा नही लगता
फिर पापा एक गम्छा लपेट लिये जो बहुत पतला ही था ।

मै भी कमरे मे गया टीशर्ट हाफ़ लोवर डाल के आ गया । तब तक हाल मे शकुन्तला ताई एक झोला लेके आई थी ।

मैने उनको नमस्ते किया ।
शकुन्तला ताई , एक टाइट नाय्लान मैक्सि पहनी थी ,,जिसमे उनकी चुचियॉ का उभार साफ दिख रहा और दोनो तरफ बटन जैसे उभरे निप्प्ल के दाने बता रहे थे कि ताइ ने निचे कुछ नही पहना था ।

वही पापा जो ताई बगल मे ही थोडी दुर पर बैठे थे और ताई को निहारे जा रहे थे । उनके लण्ड मे तनाव इत्ना था कि गम्छा के उपर से भी उभार पता चल रहा था ।

शकुन्तला ताई बहुत ही हिचक के बात कर रही थी ।
मै - और बताओ ताई ,कैसे आना हुआ

शकुन्त्ला मुस्कुरा कर - कुछ नही बेटा वो तेरी मा से काम था ।
मै - हा कहिये न , मा अभी नहाने गयी है उनको समय लगेगा ।

शकुन्तला जल्द से जल्द मेरे पापा के हवसी नजरो से बच कर निकल जाना चाहती थी ।क्योकि बार बार उसका ध्यान पापा के लण्ड के उभार पर ही जा रहा था ।

शकुन्तला हिचक कर - हा वो बेटा मै कह रही थी कि दो मेरे साइज़ की कच्छी लेते आना तो कल

मै मुस्कुरा- अच्छा ठीक है , साइज़ बता दीजिये

शकुन्तला एक बार पापा को देखी और फिर मुझे देख कर मुस्कुराते हुए - साइज़ तो मुझे ध्यान नही है बेटा लेकिन

मै - लेकिन क्या
शकुन्तला झिझक कर पहले पापा को देखी ,जो मुस्कुरा रहे थे और फिर झोले मे से अपनी एक पैंटी निकाल के मुझे दिखाती हुई - ये देख इसी साइज़ की लेते आना

मुझे उम्मिद नही थी कि शकुन्तला ताई ऐसा कुछ करेंगी ,, उनकी मुलायम पैंटी को हाथ मे लेते ही लण्ड ने फौरन सिर उठाना शुरु कर दिया ।

मै थुक गटक कर उस मरून पैंटी को उन्के सामने ही खोलकर देखने लगा ।

मै खुद को सामान्य रखते हुए - ताई ये बहुत ढीली हो गयी है और साइज़ का लेबल भी नही है ।

तब तक पापा को भी मस्ति सुझी और मुझसे बोले - अरे नही बेटा , उसमे होगा , ला मुझे दे मै देखता हू ।

मै बिना कोई प्रतिक्रिया के वो पैंटी पापा को उछाल दी ।
शकुन्तला को बहुत ही अजीब लगा , लेकिन वो कया कर सकती थी सिवाय मुस्कुराने के ।

पापा भी उसको देख कर मुस्कराते हुए - जानती है भाभी ,, इन टाइप की कच्छीओ मे अंदर की तरफ एक छोटा सा लेबल लगा होता है ,,रुकिये मै दिखाता हू ।

फिर पापा शकुन्तला के सामने ही उसकी पैंटी को उलटने लगे और निचे की सिलाई के पास एक रोल हुआ छोटा सा स्टीकर था ।

पापा उस स्टीकर को खोलते हुए - हाहाहा देखिये मिल गया , 40 नम्बर है आपका

मै मुस्कुरा कर - ठीक है ताई मै कल दुकान से वापस लेते आऊंगा ।

शकुन्तला - हा लेकिन थोडा गाढ़ा रंग ही लेना ना बेटा

मै ह्स कर - अरे ताई आप चिन्ता ना करो ,,मेरे पास काजल भाभी का नम्बर है ,मै सारे रंग का फ़ोटो खीच कर कल व्हाटसअप पर भेज दूँगा ,,,आपको जो रंग पसन्द होगा बता देना

शकुन्तला को बडी खुशी हुई और फिर वो पापा को देखी जो उसकी पैंटी को अपने हाथो मे मिज रहे थे ।

शकुन्तला मुस्कुरा कर - लाईये , अब मै चलती हू
पापा को भी ध्यान आया और वो मुस्कुरा कर - हा लिजिए भाभी जी ,,,

फिर शकुन्तला ने वो पैंटी झोले मे रख दी और उठ कर जाने वाली थी कि मा हाल मे नहा कर एक मैकसी डाले हुए आती है ।

मा - अरे दीदी आप आई है क्या , बैथिये मै चाय लाती हू

शकुन्तला - नही नही सोनल की अम्मा रहने दो । कहा इस गर्मी मे चाय

मा मुस्कुरा कर - अच्छा ठीक है ,,ये बताईए आज हमारे यहा कैसे आना हुआ ।

तभी मै और पापा एक साथ बोले - वो कच्छी के लिए

मा हस कर - मतलब
शकुन्तला पूरी तरह से शर्मा गयी ।

शकुन्तला - अरे वो मुझे दो कच्छी चाहिये थी ,, तो सोचा क्या उसके लिए बाजार जाऊ ,,यही कह दूँगी तो कोई भी लेते आयेगा ।
मा - हा सही कहा ।

फिर ऐसे ही थोडी बाते हुई और फिर वो चली गयी ।
उनके जाने के बाद मा मुस्कुरा कर - आप बड़ा लेबल खोज रहे थे अपनी भौजी की कच्छी मे हिहिहिही

पापा हस कर - मतलब तुमने सब सुन लिया हाहाहा
मा ह्स कर - हा तो नजर रखनी पड़ेगी ना कि मेरे पति कहा कहा नजर मार रहे है ।

मा की बातो से मै हसने लगा ।
पापा हस कर - अरे इसमे क्या नजर मारना ,,हम तो वैसे ही मजे ले रहे था हाहाहा
मा - हमम ले लिये मजा फिर हा

पापा - हा साली की पैंटी ने मेरा लण्ड खड़ा कर दिया ,,अब आओ इसको शांत करो

मा ह्स कर - धत्त आपको तो वही लगा रहता है ,, चलो पहले खाना खा लो फिर कुछ

फिर हम सब खाना खाकर पापा के कमरे मे चले गये अपने रात की चुदाई का कोटा पुरा करने ।


लेखक की जुबानी

जहा एक तरफ चमन मे ये सब घटित हो रहा था वही राज के मौसी के यहा भी हसी ठिठोली और मस्तियाँ भी कम नही हो रही थी ।

पल्लवि और अनुज काफी खुल रहे है एक दुसरे से
हर कोई काम के लिए पल्लवि पहले अनुज को ही आवाज देती थी या किसी ना किसी बहाने से वो अनुज के आस पास मडराती रहती थी ।

शाम होते होते कमलनाथ , राजन और रमन काफी सारा समान एक टेम्पो मे लाद कर आ गये थे । फिर उपर एक खाली कमरे मे सारे समान को रखवा दिया गया ।

फिर रात का खाना बनाने की तैयारी होने लगी । इधर पल्लवि अनुज के लिए हर चीज़ का ध्यान करने लगी ,,चाय नाश्ता खाना सब खुद उसको देने लगी ।
अनुज को भी काफी अच्छा मह्सूस हो रहा था लेकिन जब सब लोग के साथ मे भी पलल्वी उसका नाम लेती तो वो बडा अटपटा मह्सूस करता था, उसको डर सा लगने लगता था कि कही कोई उसे चिढा ना दे या कोई उसको शक की निगाह से ना देखे । इसिलिए अनुज थोडा सा किनारा ही कर रहा था ।
अनुज से अपनी मन मुताबिक प्रतिक्रिया ना पाकर पल्लवि तुनक जाती थी ,,और फिर हस कर ना जाने कितने दुलार से अनुज को देखती थी कि मानो कीतना भोला सा लड़का है वो ।

खैर खाने का दौर खतम हुआ और फिर सोने की बारी आई तो निचे का एक कमरे सोनल और पल्लवि को दिया गया , साथ मे बिस्तर भी ।
फिर पल्लवि सोनल के साथ निकल गयी और जाते हुए वो पलट कर अनुज को देखती है एक कातिल मुस्कान के साथ ,,अनुज झेप सा जाता है ।

फिर रज्जो और ममता ने आपस मे ना जाने कौन सी आंख मिचोली की । कि रज्जो ने ममता और राजन को उपर कमरा दे दिया ।

अनुज इनसब बातो को देख समझ रहा था और वो जान रहा था कि उसे उपर नही बल्कि निचे ही सोने को दिया जायेगा ,,,मगर वो रमन के साथ नही सोना चाहता था क्योकि आज रात दो खुले कमरो मे चुदाई होने वाली थी और उसके बारे मे सोच सोच कर दोपहर से ही अनुज का लार और लण्ड दोनो टपक रहे थे ।

रज्जो बोली - ठीक फिर अनुज रमन के साथ सो जायेगा

अनुज - नही मौसी मै इस कमरे मे सोउँगा ,,कल रात मे रमन भैया को दिक्कत हो रही थी सोने ,,,

हालाकि रमन को दिक्कत कुछ और बात से थी ,,भले उसने अपनी मा की चुत चोद ली थी फिर भी वो एक शर्मिला लड़का था और वो नये लोगो ने मिलने जूलने मे असहज महसूस करता था । कल अनुज उसके साथ सोया था तो वो अपनी होने वाली बीबी से रात मे मीठी मीठी बात नही कर पाया था ।

रमन - हा मा , अनुज सही कह रहा है
रज्जो - ठीक है फिर , ले अनुज ये अपना एक तखिया और बिस्तर ,,,अच्छे से लगा लेना और पंखा चला कर सो जाना ।

अनुज खुशी से - जी मौसी

फिर रमन और अनुज अपने कमरे मे चले गये और वही रज्जो ममता राजन और कमलनाथ उपर चले गये सोने के लिए
थोडी देर मे पुरे घर मे चुप्पी सी छा गयी । सोनल और पल्लवि एक कमरे मे जाकर सोने की तैयारी करने लगे ।
रमन अपने कमरे मे जाते ही अपनी होने वाली बीबी से फोन पर लग गया ।
इधर अनुज को बेचैनी सी होने लगी कि उपर क्या होगा , क्या सच मे रज्जो मौसी और ममता बुआ दरवाजा खुला रख कर सेक्स करने वाले है । अनुज की लण्ड ने फिर से हुन्कार भरनी शुरु कर दी ।
थोडी ही देर मे उसका लण्ड तन कर कडक हो गया ।
उसे बहुत गर्मी सी मह्सूस होने लगी तो बंद कमरे मे होने के कारण उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और हल्का हल्का सहलाने लगा । धीरे धीरे वो कल्पना मे डूबने लगा कि उपर अभी क्या हो रहा होगा
वही उपर के कमरो मे रज्जो और ममता ने बडी ही चालाकी से दरवाजे खुले रख कर बस पर्दा बंद कर दिया था और अपने अपने पतियो के साथ रासलीला मे लगी हुई थी । दोनो कमरो मे गजब की लण्ड चुसाई हो रही थी । रज्जो और ममता ने जानबुझ कर अपने पतियो को ऐसे जगह पर खड़ा किया था कि कोई भी अगर हल्का सा पर्दा खोल कर अंदर झाँकेगा तो सबसे पहले उसकी नजरे उनके पतियो के लण्ड पर ही जायेगी । इनसब के बीच जहा रज्जो चुदवाने को तडप रही थी वो बस अपने काम मे लगी रही और उसे फ़िकर ही नही थी कि ममता आयेगी या नही ।
वही दुसरे कमरे मे ममता को बडी आश थी कि रज्जो उसके कमरे मे झांकने आये ,,मगर बितता समय उसको बेचैन कर रहा था ,, बार बार उसका ध्यान अपने पति के लण्ड से हट कर बगल के कमरे मे हो रहे चुदाई माहौल को देखने को उत्सुक हो रहा था । कि आखिर ऐसा क्या हो रहा होगा जो अब तक रज्जो आई नही देखने ।
राजन को अहसास हुआ कि उसकी बीवी का मन सही से उसका लण्ड चुसने मे नही है और वो बार बार दरवाजे पर क्यू देख रही है ।

राजन - क्या हुआ ममता ,,कुछ परेशान हो
ममता एक दम से चौकी और बोली - हा वो मेरा पेट खराब लग रहा,,मै जरा उपर पाखाने से आती हू ।

ममता ने फौरन राजन का लण्ड छोड कर खड़ी हो गयी।

राजन जल बीन मछली के जैसे तडप कर रह गया । उसका खड़ा लण्ड एकदम से तप सा रहा था और उसे चुत की तलब सी हो रही थी ।

राजन सिस्क कर उखड़े मन से -ओह्ह ठीक है जाओ जल्दी आना
ममता - हा बस अभी आई
ममता ये बोल कर कमरे से बाहर निकल गयी और राजन वही बिस्तर पर लेट गया ।

ममता कमरे से निकल कर तुरंत अपने बगल के कमरे के दरवाजे पर गयी और कान लगाते ही उसे अपने रज्जो भाभी की सिसकियाँ सुनाई दी । ममता के दिल की धड़कन तेज हो गयी और उसके चुचक कड़े हो गया ,,,उसके जांघो मे सिहरन सी होने लगी । एक अन्जाना सा डर और कपकपी उसके पेट मे होने लगी । उसने बडी हिम्मत करके एक गहरी सास ली और हल्का सा पर्दा अपनी उंगलियो मे पकड कर हटाया तो उनकी आंखे चौडी हो गयी ।
अंदर कमलनाथ बिस्तर पर लेटा हुआ था और रज्जो उसके मुह पर अपना भारी गाड रखे हुए उसके लण्ड की ओर झुकी हुई थी । कमलनाथ अपना मुह अपनी गदराई बिबी के गाड़ और भोसदे मे घुसाये हुए चुस रहा था ,,वही रज्जो कमलनाथ का लण्ड को आड़ो से लेकर उपर सुपाडे तक सहला रही । उसने अपनी लार से कमलनाथ का लण्ड पुरा चिकना कर दिया था और बडी बेरहमी से अपनी गाड को कमलनाथ मे मुह पर दरते हुए सिसक कर उसके सुपाडे से चमडी उपर निचे कर रही थी ।

कमरे के अंदर अपने भैया भाभी का इतना कामुक सीन देख कर ममता की सासे फुलने लगी ,,
उसकी नजरे अपने भैया के मोटे काले लण्ड पर गयी जो लार से लिपटा हुआ चमक रहा था और वही उसकी भाभी उसके भैया के आड़ो को हलोरते हुए लण्ड को गले तक ले जा रही थी ।

ममता पागल सी होने लगी ,,उसकी चुचीयो मे झुनझुनी सी होने लगी ,,और वो खुद अपनी चुचियॉ को ब्लाउज के उपर से सहलाना शुरु कर दी
धीरे धीरे ममता को नशा होने लगा ,,वो पागल सी होने लगी ,,,उसकी चुत अपने भैया का लण्ड देख कर कुलबुलाने लगी
और धीरे धीरे उसका हाथ अपनी चुत तक चला गया और वो खुद अपनी चुत को मसलने लगी और मादक सिसकिया लेने लगी ।
इधर राजन भी कम बेताब नही था ,,,एक तो सुबह जबसे उसने अपनी सल्हज रज्जो की मुलायम चुची को सह्लाया और उसने उसका लण्ड थामा था ,वो परेशान था और अभी उसकी बीबी उसका खड़ा लण्ड छोड कर बाथरूम चली गयी ।।

राजन की हालत खराब थी वो जल्द से जल्द ममता की चुत मे घूसना चाहता था इसिलिए वो उठा और ये सोच कर बाहर निकलने लगा की उपर छत पर ही जैसे ममता पाखाने से बाहर आयेगी उसकी चुत मे लण्ड घुसा देगा ।
मगर जैसे ही राजन कमरे से बाहर आया ,,उसकी नजर बगल के कमरे मे अन्दर की तरफ झांकती ममता पर गयी । जो अबतक अपना ब्लाउज खोल चुकी थी और अपनी चुचियॉ को मसल्ते हुए अन्दर की 69 पोजीशन मे चल रही क्रीड़ा देख रही थी।
राजन एक पल को ममता को रज्जो के कमरे के बाहर देख कर चौक गया ,,,मगर जब उसने अपनी बीबी की स्थिति देखी तो समझ गया कि जरुर कुछ गरम क्रियाकलाप चल रहा है अंदर ।

राजन का लण्ड वापस से तन गया ,,उसकी भी सान्से भारी हो गयी कि अन्दर ऐसा क्या देख रही है ममता ,,कही रज्जो नंगी होकर चुदवा तो नही रही ।
राजन इस कल्पना मात्र से गनगना गया
राजन दबे पाव ममता के पीछे गया और हल्का सा गरदन को उचका कर पर्दे से वो भी अन्दर झाँका तो वही सीन जारी था,, जहा कमलनाथ रज्जो की भारी गाड को सहलाते हुए अपना नथुना और मुह उस के भोसडे मे घुसाये हुए थे और वही रज्जो उसका लण्ड गुउउउऊ गुउउऊ करके पुरा गले तक ले जा रही थी और कामुकता वश अपनी गाड़ को कमलनाथ के मुह पर दर रही थी ।
राजन की आंखे फैल गयी उसने फौरन अपना पाजामा खोलकर निचे गिरा दिया और पीछे से ममता की चुचियॉ पकड ली ।

ममता को इसका अह्सास होते ही वो हल्की सी सिस्की ,तो फौरन राजन ने उसके मुह पर हाथ रख बोला - मै हू ,,,यहा क्या कर रही हो

राजन ममता की चुचियॉ को मसलते हुए बोला
ममता राजन की इस हरकत से उसकी बाहो मे पिघलती चली गयी और उसका हाथ अनजाने मे राजन के लण्ड को स्पर्श कर गया ।

ममता ने फौरन राजन का लण्ड हाथ मे भर कर मुठियाने लगी और उसकी नजरे अभी भी अपने भैया के लण्ड पर ही जमी थी ,,,वही राजन की नजर रज्जो के उभरे हुए हिलते कूल्हो पर थी म
राजन ममता की चुचिया मिज्ते हुए धीमी आवाज मे उसके कान मे बोला - तू यहा क्या कर रही है ,,,

ममता जो अब पकड़ी गई थी तो झूठ बोलते हुए - वो मै पाखाने से आई तो मुझे भाभी की सिस्किया सुनाई दी तो देखने लगी अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

राजन ममता की चुत को पेतिकोट के उपर से सहलाते हुए - अह्ह्ह ममता ,,रज्जो भाभी तो बहुत गरम लग रही है ,,,तू भी चुस ना वैसे ही मेरा लण्ड

ममता अपने पति की भावना बखूबी समझ रही थी ,,वो जान रही थी की उसका पति की नजरे उसके भाभी के जिस्मो पर है ।
वो मुस्कुरा कर घूमी और वही राजन के पैरो मे बैठ गयी और उस्का लण्ड चूसना शुरु कर दी ।

राजन को बडी शान्ति मिली जब ममता ने उसका लण्ड मुह मे भर लिया तो ।
इधर उपर ये सब प्रोग्राम चल रहा था और निचे अनुज की हालत भी कुछ खास नही थी । उसे बहुत मन था कि उपर जाकर देखे , खासकर की उसकी रज्जो मौसी ,,कैसे नन्गी होकर चुदवा रही होगी ।

अनुज ने बडी हिम्मत करके उठा और दबे पाव तक जीने के पास गया ,,, वो उपर जाने को हुआ लेकिन फिर उसे डर लगने लगा ,,,कही कोई जाग ना रहा हो । इसिलिए वो वापस कमरे की ओर जाने लगा ,,,मगर उसका लण्ड इसके लिये तैयार नही था ।

वो वापस से जीने की ओर गया और दबे पाव बिना कोई आहट के वो उपर की ओर जाने लगा म
वही उपर का माहौल थोडा बदल चुका था ,,, कमरे मे रज्जो घोडी बनी हुई थी और कमलनाथ उसके भारी गुदाज गाड़ को थामे हुए बहुत जोरदार तरीके से पेल रहा था ।वही राजन भी ममता को दरवाजे की ओर झुका कर उसका पेतिकोट उठाकर पीछे से पेलता हुआ ,,अन्दर कमरे मे देख रहा था । एक तरफ जहा राजन को रज्जो की बडी चर्बिदार गाड और लटकी हुई भारी भारी चुचिया जोश दे रही थी ,,वही ममता को उसके भैया कमलनाथ का उसके भाभी को ताबड़तोड़ धक्के लगा कर चोदने का अंदाज पसन्द आ रहा था ।
उन्होने से हल्का सा पर्दा खोल रखा था और दोनो अंदर का नजारा देख कर बहुत ही उत्तेजना के साथ अपनी चुदाई कर रहे थे ।

इतने मे अनुज उपर जिने के मुहाने के करीब पहुच गया और उसकी नजर सीधा अपनी मौसी के कमरे मे बाहर गयी । वहा का नजारा देख कर वो फौरन निचे झुक गया ।

अनुज के दिल की धड़कन तेज हो गयी । उसका लण्ड पूरी तरह से कडक हो गया । उसको कमरे के बाहर और पर्दे के किनारे से कमरे के अन्दर दोनो सीन एक साथ दिख रहे थे । उसका दिल ये सोच कर बहुत तेज धडक रहा था कि ममता बुआ सच मे अपने भैया का लण्ड देखकर चुदाई करवा रही ।

अनुज ने वही सीढ़ी पर बैठ जाना ही उचित समझा और अपना लण्ड निकाल कर सहलाने लगा ।

उधर कमरे के अन्दर और बाहर जबरदस्त चुदाई चल रही थीं और यहा अनुज उन्हे देखते हुए काफी उत्तेजित हो रहा था और आज उसके जीवन का पहला वीर्यपात हो रहा था । अनुज के लण्ड ने वही सीढ़ी पर ही भल्भला कर गरम पानी उगलना शुरु कर दिया और थोडी ही देर मे अनुज एकदम थक सा गया ।

थोडी देर मे उसकी सासे बराबर हुई तो उसे ध्यान आया कि उसने ये क्या कर दिया ।उसको खुद पर बहुत घिन मह्सूस हुई और उसे अपने राज भैया की बात याद आई की मूठ मारने से बाल झड़ता है ।

अनुज ने एक नजर वापस से कमरे की ओर देखा तो राजन अपना लण्ड ममता के मुह पर झाड़ रहा था ,,वही कमरे मे कमलनाथ रज्जो की कमर पर झड़ कर ढह गया था ।

अनुज को लगा यही सही समय है ।।उसने फौरन जेब से रुमाल निकाल कर मुह बनाते हुए अपना वीर्य सीढि से साफ किया और फौरन दबे पाव अपने कमरे मे चला गया ।
इधर अनुज अपने कमरे मे आया और उधर राजन ममता को लेके अपने कमरे मे आ गया और थोडी ही देर मे उसे नीद आने लगी ।

जो जाग रहे थे उन्हे भी थकान की वजह से नीद आ रही थी । सवाल सब्के मन मे थे और कुछ सवाल तो अभी नयी सुबह का इन्तजार भी कर रहे थे । देखते हैं कि क्या होता है आगे ।



जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
6,294
17,700
174
सही है दोनो जगह मस्ती चल रही है लगता है अनुज के भी जवान होने का नंबर आ गया है। जबरदस्त अपडेट।

Nice update bro.. waiting more

Awesome update

Fantastic update waiting for next

Shaandaar update bhai

बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है

भाई जी, ये दो कहानियों का संगम तो गजब ढा रहा है, उत्सुकता बढती जा रही है…

Nice update
Sabki juban par ek hi naam📻
Dreamboy

Anuj ki virginity Pallavi legi raat me. rochak. Pratiksha agle rasprad update ki
Aap sabhi ki pratikriya k liye dhanywaad dosto

New update posted Read and review
 
  • Like
Reactions: Naik and Tiger 786
Top