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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

Tiger 786

Well-Known Member
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UPDATE 107

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE


पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा की सुबह काफी शांत और बिना कोई धमाके के निकली । वही भोर मे ही राज के मौसी के यहा हंगामा हो गया ।

देखते है ये ननद भौजाई की मस्तियाँ क्या नया आयाम देती है इस कहानी को ।

अब आगे
ममता के कमरे से भाग कर जाने के बाद रज्जो खुब हसी और थोडी देर बाद नहाने के लिए निचे चली गयी ।

9 बजे तक सारे लोग नहा धोकर कर तैयार हुए और फिर नाश्ते के दौरान तय हुआ कि कमलनाथ राजन और रमन ये तिन लोग कुछ सामान की लिस्ट है , वो लेने बाजार जायेंगे । बाकी सारे लोग निचे रहने के लिए सारे कमरो की साफ सफाई मे रज्जो की हैल्प करेंगे ।
थोडी देर मे ही कमलनाथ अपने बेटे रमन और जीजा राजन को लिवा कर बाजार के लिए निकल गया और इधर रज्जो मौसी अपनी साड़ी का पल्लू कमर मे खोस कर सबको क्या क्या करना है ये बताने लगी ।
फिर सबसे पहले उपर की मंजिल से शुरु हुआ ।
जहा एक कमरे मे सारे लोग यानी रज्जो ,ममता ,पल्लवि ,सोनल और अनुज पहुचे ।

फिर रज्जो बगल से स्टोर रूम से कुछ झाडू और जाले साफ करने वाली ब्रशो को लेके आई और अनुज ने फुर्ती दिखाते हुए फटाक से रज्जो के हाथ से एक जाले साफ करने वाला ब्रश लिया और लेके भीड़ गया काम मे । ऐन मौके पर पल्लवि भी एक झाडू लेके खिडकीयो के पास लग गयी ।

ममता हस कर - लो ये लोग तो लग गये ,,,मै तो कह रही हू भाभी , दो लोग यहा लगे हैं तो मै और सोनल बेटी बगल वाला कमरा देख ले रहे है , इससे काम भी जल्दी हो जायेगा और फिर दोपहर का खाना भी बनाना है ना


रज्जो को उसकी ननद का सुझाव जमा तो बोली - हा ममता ठीक कह रही है तू ,,,आ सोनल तू इधर आ

इधर रज्जो , ममता और सोनल को लेके अलग कमरे मे चली गयी और उधर उनके जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है और वापस काम मे लग जाते है ।

जहा अनुज एक तरफ बंद कमरे मे अकेले एक लडकी के साथ काम करने मे असहज मह्सूस कर रहा था , वही पल्लवि को बहुत ही बोरीयत सी लग रही थी कि अनुज इतना गुमसुम क्यू है । क्या शहर के लड़के ऐसे होते है ।

पल्लवि को चुल होती है और मुस्कुरा कर काम के बहाने ही उससे बाते करने का सोचती है - अनुज सुनो

अनुज - हा पल्लवि दिदी कहिये
पल्लवि - हा जरा ये पंखे के पास भी साफ कर दो फिर मै निचे झाडू लगा देती हू ।
अनुज मुस्करा कर - जी दीदी

पल्लवि हस कर - अरे तुम मुझे दीदी क्यू कह रहे हो ,हम्म्म
अनुज थोडा हिचक कर - क्योकि आप मुझसे बड़े हो शायद !!!!
पल्लवि चहक कर कमर पर हाथ रखकर- शायद !! इसका क्या मतलब हम्म्म

अनुज को मह्सूस हुआ कि मानो उसने पल्लवि को दीदी बोल कर कोई बडी गलती कर दी हो और वो सफाई देते हुए - वो आप मेरे सोनल दीदी जैसी हो ना दिखने मे तोओओ ...

पल्लवि हस कर - धत्त मै तो बहुत छोटी हू सोनल दीदी से हिहिही , और उन्होने बताया था हमदोनो की उम्र करीब करीब ही है ।

अनुज उलझन भरे लहजे मे - तो फिर ...
पल्लवि - अरे तो तुम मुझे नाम से बुला सकते हो हिहिहिही

अनुज थोडा सा हसा और वापस काम मे लग गया ।
चोदमपुर मे जहा बुढे जवान और जवानी की दहलिज पर पाव रखते लौंडे तक पल्लवि की सेक्सी फिगर से उससे बात करने को लालायित रहते थे ,,यहा आने के बाद वो रुझान पल्लवि को नही मिल पा रहा था ।

पल्लवि मन मे बुदबुदाइ - ये तो पुरा साधू है ,, बात करना तो दुर देखता तक नही मेरी ओर । यहा दो हफते तक मेरी जिन्दगी कैसे कटेगी ।

ना चाहते हुए भी मन को तसल्ली देते हुए पल्लवि ने फिर कोसिस की - तब अनुज बहुत गुमसुम हो ,,, गर्लफ्रेंड की याद आ रही है क्या हिहिहिही

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि पल्लवि उससे ऐसा कुछ पुछ लेगी ।

अनुज सकप्का कर - ना ना नही तो ,,मेरी कोई गर्लफ्रैंड नही है दीदी, ओह्ह सॉरी मतलब पल्लवि

पल्लवि - सच मे या डर रहे हो कि मै तुम्हारी दीदी को बता दूँगी ।
अनुज से पहली बार किसी लडकी ने ऐसे बात किये थे और वो भी सीधे व्यकितगत सवाल ।
अनुज को एक अलग तरह की उत्सुकता और मन मे खुशि हो रही थी कि पल्लवि उस्से बात कर रही है । हालकी उसकी नजर कल से ही उसपर थी । मगर उसके भरे जिस्म को देखकर वो पल्ल्वी को अपने से ज्यादा उम्र की जानकर उससे किनारा कर रहा था ।

अनुज ने फिर भी अपने जज्बातो को दिल ने ही थामा और इस बार थोडा आत्मविश्वास के साथ बोला - नही ऐसी कोई बात नहीं है ।

पल्लवि अचरज से - तुम तो शहर मे रहते हो ना लेकिन ,

अनुज ह्स कर - शहर मे रहता हू तो क्या , मै ये सब नही करता हू हिहिहिही

फिर अनुज वापस काम मे लग जाता है ।
इधर इनका काम चल रहा होता है कि थोडी देर बाद पल्लवि अनुज को फिर से आवाज देती है ।

पल्लवि - अनुज सुनो
अनुज - हा बोलो पल्लवि क्या हुआ

पल्लवि एक लोहे की आलमारी के पीछे साफ सफाई कर रही थी तो वहा कुछ कचरा फसा था तो वो निकल नही रहा था ।

पल्लवि - जरा ये आलमारी थोडा झुकाओगे ,, वहा कचरा पडा है मै झाडू से निकाल लू ।

फिर अनुज हम्म्म बोल कर आल्मारि को आगे की ओर झुका लेता है और पल्लवि झाडू से ढेर सारा कचरा बाहर निकालती है , जिसमे चूहो द्वारा एकठ्ठा किया काफी सारा कचरा और गन्दगी थी । तभी अनुज की नजर आलमारी के निचे एक बैगनी रंग के कपडे पर गयी जो वही फसा हुआ था ।

अनुज - पल्लवि , देखो वहा कोई कपडा भी है ,उसे भी निकाल लो तो ।

पल्लवि हा मे सर हिला कर निचे बैठ गयी और हाथ डाल कर उस कपडे को निकाल कर खड़ी हुई ।

अनुज को वो कपडा अभी नया दिख रहा था ।
अनुज - कैसा कपडा है पल्लवि ये ,,नया लग रहा है ।

पल्लवि ने वो कपडा एक बार देखा और फौरन उसे फ़ोल्ड करके मुठ्ठि मे छिपाने लगी ।

अनुज को अचरज हुआ वो आलमारी को सही से लगा कर फिर से पल्लवि से बोला - क्या हुआ ,,कैसा कपड़ा है ये ।

पल्लवि शर्म से मुस्कुराने लगी और बोली - नही कुछ नही । चलो ये कचरा उस बालटी मे भर दो और मै बाकी का झाडू मार देती हू ।

अनुज को अजीब सा लगता है कि आखिर क्या है जो पल्लवि छिपा रही है ।
अनुज एक बार फिर उत्सुकता से बोला - तुमने बताया नही कैसा है वो कपडा । क्यू छिपा रही हो उसे । लाओ मै देखू

फिर अनुज आगे बढ कर पल्लवि के हाथ से वो कपडा लेने के लिए उसके करीब जाता है और पल्लवि हस कर - अरे नही अनुज रहने दो ना ,वो तुम्हारे काम का नही है ।

अनुज अचरज से - मेरे काम का नही है क्या मतलब ।
फिर वो पल्लवि के और करीब जाता है तो पल्लवि उसे वो कपड़ा दे देती है ।

अनुज उस मुलायम कपडे को फैला कर देखता हुआ - मै भी तो देखू ये क्या .....

वो कपडा खोलते ही अनुज की आवाज वही रुक गयी और वही पल्लवि खिलखिला कर मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
वो कपड़ा दरअसल राज के मौसी रज्जो की पैंटी थी और अभी नयी थी ।

अनुज को अब खुद पर शर्मिंदगी हो रही थी और वो पल्लवि को हस्ता देख कर खुद भी हस देता है और वापस उसे पल्लवि को देते हुए कहता है।
अनुज - हम्म्म पकड़ो मौसी को दे देना , अभी नया ही है हिहिहिही

पल्लवि शर्म से हसी और वो पैंटी अनुज के हाथ से लेते हुए - तुमको कैसे पता कि ये मामी की है ।

अनुज शर्मा कर मुस्कुराते हुए - उसपे साइज़ लिखा है ना 42" , और यहा कौन पहनेगा इतनी बडी साइज़ हिहिहिही

पल्लवि इतरा कर - तुमको बड़ा पता है साइज़ के बारे मे

अनुज बहुत ही स्वाभिमान होकर - हा मेरी दुकान है ना चमनपुरा मे इनसब की ।

पल्लवि हस कर अनुज से मजे लेते हुए - फिर तो तुमको मेरी साइज़ भी पता होगी ।

अनुज पल्लवि के सवाल से चौक गया और वो हड़ब्डाने लगा ,,,वही एक तरफ पल्लवि के इस सवाल ने उसको कुछ हद तक कामोतेजक कर दिया और लोवर मे उसका लण्ड अंगड़ाई लेने लगा था ।

अनुज - अब ब ब हा ना नही नही ,,मुझे कैसे पता रहेगा
पल्लवि ह्स कर - अरे तुम इतना परेशान क्यू हो ,,मै तो ऐसे ही पुछ ली , क्योकि तुम दुकान चलाते हो ना तो दुकानवालो को पता होता है ।

अनुज को ये सब बहुत उत्तेजक भी लग रहा था , साथ ही उसे थोडा अजीब भी मह्सूस हो रहा था कि वो ऐसी बाते अपनी बहन समान जैसी लड़की से कर रहा है । इसिलिए वो पल्लवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोला ।

अनुज - नही मै उतना रहा हू दुकान पर ,,हा मेरे राज भैया को पता है । वही दुकान पर ज्यादा रहते है ना ।

पल्लवि एक बार को राज नाम सुन कर थोडा फिल्मी हेरोइन की तरह इतराई । क्योकि राज नाम काफी शहरी और आधुनिक था और पल्लवि को आधुनिक चीज़ो से खासा लगाव था ।

पल्लवि - हम्म्म तो तुम्हारे भैया ये जो है राज , वो क्यू नही आये ।

अनुज - वो क्या है ना हमारी दो दुकान है तो एक बरतन की और एक ये सब वाली ।

पल्लवि हसी - मतलब तुम अपनी दुकान पर यही सब कच्छी ही बेचते हो क्या हिहिहिही

अनुज को थोडी शर्म आई - नही , वो सृंगार वाला दुकान है हिहिहिही

पल्लवि इस बातचीत को और दिलचस्प बनाने मे लगी थी लेकिन अनुज इस बात को और आगे नही ले जाना चाहता था ,,इसलिए

अनुज - चलो जल्दी से ये कमरा खतम कर लो , हमे निचे भी जाना है ।

पल्लवि को भी ध्यान आया और वो भी जल्दी जल्दी काम करने लगी
ये दोनो अपना काम खतम कर रहे होते है कि रज्जो इनके कमरे मे आती है ।

रज्जो - अरे वाह ,,तुम दोनो ने तो बहुत बढिया साफ किया है ।

अनुज बहुत खुशी होती थी जब कोई उसकी तारिफ कर देता था और वो भावनाओ मे बह कर वो सामने वालो और भी खुश करने की बचकानी हरकत कर देता था ।

यहा रज्जो उसकी तारिफ कर ही रही थी कि अनुज फौरन वो पैंटी उठा कर रज्जो को देता है ।

अनुज बडी मासूमियत से - लो मौसी ,ये आपका कच्छी मिला है यहा आलमारी के पीछे,,चूहा लेके गया था ।

पल्लवि अनुज के इस हरकत पर हस देती है । रज्जो के चेहरे पर ही हसी के भाव आ जाते है मगर वो अपने प्यारे भतीजे का मजाक नही बनाना चाहती है ।

रज्जो उसके सर पर हाथ फेर कर -हिहिह्ही ,,इन चूहो को ना जाने क्या मिलता है , अभी दुसरे मे भी मेरा एक पैंटी लेके गया था और उसको तो पुरा काट दिया है ।

फिर रज्जो उन दोनो के सामने ही अपनी पैंटी फैला कर देखती है कि कही चूहे ने काटा नही है

अनुज वापस से चालाकी दिखाते हुए बोला - नही मौसी ये सही है ,मैने चेक किया है इसको


रज्जो ह्स कर - तू ब्डा देख रहा है मेरी कच्छी हा ,,,

पल्लवि को रज्जो की बात पर बडी हसी आती है और उसे हस्ता देख अनुज को अपनी गलती समझ आ जाती है ।

रज्जो - चलो ये कचरा और झाडू लेके निचे आओ ,, जल्दी

फिर रज्जो निकल जाती है बाहर और उस्के जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देखते है ।
पल्ल्वी की फौरन हसी छूट जाती है और अनुज भी शर्माते हुए हस देता है ।


अनुज - अब बस भी करो ,,मजे ले रहे हो , चलो मौसी निचे बुलाई है ।
फिर वो दोनो निचे जाते है
इधर 11 बजे तक सारे काम हो जाते है और फिर रज्जो सबको पानी पिलाती है । फिर सारे लोग गर्मी से परेशान होते है तो नहाने के लिए कहते है ।

मगर अनुज बहुत थक जाता है तो वो वही हाल मे थोडा सोने लग जाता है ।
इधर अनुज हाल मे आराम कर रहा होता है और यहा महिला मंडल ने अपनी अपनी जोडिया बना लेती है । सोनल और पल्लवि न्हाने के लिए टेरिस वाले बाथरूम मे चली जाती है, वही रज्जो और ममता निचे आंगन मे ही नहाने के लिए चले जाते है ।

इधर अनुज को सोये ज्यादा समय नही हुआ था कि लाईट भाग जाने से उसकी नीद खुल जाती है । वो भी गर्मी से परेशान था तो नहाने के लिए रमन के कमरे से कपडे लेके पीछे आँगन की ओर जाने लगता है । वहा आँगन के मुहाने के जाने से पहले ही उसे अपने रज्जो मौसी की खिलखिला कर बात करने की आवाज आई तो अनुज वही रुक गया और ये सोच कर वापस आने लगा कि ये लोग नहा ले फिर मै जाऊंगा ।

अनुज वापस मुड़ा ही था कि तभी उसे अपनी रज्जो मौसी की आवाज सुनाई दी जो वो ममता से कह रही थी ।

रज्जो हस्कर - तब ननद रानी ,,मजा आया था ना सुबह अपने भैया का लण्ड पकड कर हिहिहिही

रज्जो मे मुह से ऐसी बात सुन कर अनुज के कान खडे हो गये और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी । वो थुक गटकने लगा और ना चाह कर भी उसके हाल की ओर बढते कदम रुक जाते है और वो वापस दबे पाँव आँगन की ओर चल देता है ।
तभी उसे ममता की भी आवाज सुनाई देती है ।

ममता - हालत तो आपकी भी खराब हो गयी थी अपने नंदोई जी का पकड कर हिहिहिही

अनुज की आंखे चौडी हो गयी । कि ये लोग क्या बाते कर रहे है । क्या सच मे रज्जो मौसी ने राजन फूफा का वो पकड़ा था और क्या ममता बुआ ने मौसा का ???


रज्जो ह्स कर - वैसे मानना पडेगा , नंदोई जी खुन्टा है जबरजस्त ,, बहुत गहराई कर दिये होंगे तेरे चुत मे तो हिहिहिहिही

अनुज को यकीन ही नही हो रहा था कि उसकी सगी मौसी ऐसी है , वही उसका ये सोच कर लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था कि ममता बुआ ने अपने भैया का ही लण्ड पकड लिया था ।
अनुज के दिलो दिमाग में कौतूहल मच गया था । उसके मन मे भी ना जाने क्यू ये ख्याल आया कि काश उसकी दीदी भी जब अपने मुलायम गोरे हाथो से उसके गर्म आड़ो को सहलाएगी तो उसे कितनी गुदगुड़ी मह्सूस होगी और इस भावना से अनुज के पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ जाती है
मगर अगले ही पल अनुज को होश आया तो वो खुद को धिक्कारा ।

तभी अनुज ने और कुछ सुना

ममता रज्जो की बात का जवाब देते हुए - कही आपका दिल तो नही आ गया अपने नंदोई पर ,,, कोशिस बेकार है भाभी , वो नही आने वाले आपके झांसे मे हिहिही , आप बस भैया से ही काम चलाओ

रज्जो हस कर - मुझे तो लग तू कुछ ज्यादा ही अपने भैया के मोटे काले लण्ड के लिए तरस रही है हिहिहिही ,, अगर सुबह देख कर मन नही भरा तो रात मे चली आना , हमारा शो चालू रहेगा हिहिहिही

ममता हस कर - शो तो आज रात हमारा भी होने वाला है भाभी हिहिहिही ,
ममता - वैसे आपने तो अपने ननदोई का खुला नही देखा है ,,,दरवाजा खुला ही छोड दूँगी देख लेना हाहाहा

अनुज का लण्ड उसके लोवर मे एकदम तन कर खड़ा हो गया था । उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे । बार बार उसके दिमाग मे रात मे होने वाली दोनो खुले कमरे मे होने वाली चुदाई की तलब होने लगी और उसका लण्ड बार बार फड़क रहा था और वो बहुत उत्तेजित होकर रात का इन्तजार करने लगा ।

मगर अपनी उत्तेजना और खडे लण्ड से परेशान होकर अनुज वापस हाल मे आ गया और तबतक बिजली भी आ गयी थी तो वही थोडी देर लेटा रहा था । फिर अपनी बारी आने पर वो भी नहाने के लिए आँगन मे चला गया ।
एक तरफ जहा राज के मौसी के यहा ये सब घटनाओं का संगम हो रहा था , वही दुसरी तरफ चमनपुरा मे भी कुछ खास होने वाला था ।


राज की जुबानी

सुबह का नासता करके मै दुकान पर आ गया था । शादियो के सीजन मे दुकान पर भीड़ भी बहुत थी ।
दोपहर के करीब मा खाना लेके आई और वो दुकान मे लग गयी ।

थोडी देर खाली होने के बाद मा ने मुझे पहले खाना खाने को बोला ।
मै पीछे के कमरे मे जहा पापा का रूम हुआ करता था ,,वहा जाकर टिफ़िन खोल कर बैठ गया और इधर धीरे धीरे दुकान मे फिर से भीड़ होने लगी । मा ने मुझे आवाज दी की मै जल्दी खा कर आऊ ।

मै भी फटाफत खाकर दुकान मे गया था तो मेरे चेहरे पर एक गजब की मुस्कान आ गयी । कारण था कि चन्दू की बहन चंपा आई थी दुकान मे ।

वो भी मुझे देख कर शर्मा कर मुस्कुराइ । उसका मूल कारण था कल की होने वाली चुदाई जो मेरे और चंपा के बीच होने वाली थी । इधर हम दोनो आपस मे स्माइल पास करने का और आंखो से इशारे मे हाल चाल लेने का गेम खेल रहे थे कि मा बोली ।

मा - बेटा आ गया तू ,,,जरा इस चंपा को इसकी नाप की ब्रा पैंटी दिखा देना तो ,,बेचारी कबसे खड़ी है ।

मा की बाते सुन कर चम्पा शर्मा सी गयी और मुझे भी हसी आने लगी थी ,मगर मैने खुद पर नियन्त्रण किया । वही मा एक शादी के दुलहन का समान निकाल रही थी तो काफी समय से व्यस्त थी ।

मैने भी अपनी हसी को होठो मे दबाया और गला खरास कर बोला - कौन सा साइज़ दू

चंपा शर्मा के - 34C की स्टोबेरी कपडे मे दिखाना

मैने फौरन दो चार उसकी पसन्द और साइज़ का बढिया डिज़ाइन का बॉक्स उसको दिया और बोला की अन्दर कमरे मे देख ले ,,क्योकि दुकान पर और जेन्स लोग भी थे ।

वो मुस्करा कर वो डब्बे लेके चली गयी ।
मै थोड़ा बाकी ग्राहको मे व्यस्त हो गया और उनको निपटा कर चम्पा के पास कमरे मे गया ,,,जो इस वक़्त एक रेड ब्रा खोल कर देख रही थी ।

मौका देखकर मै धीमी आवाज शरारती अंदाज मे बोला - लेलो कोई भी ,उतारना मुझे ही है ना हिहिहिही

चम्पा शर्मा कर झेप सी गयी - पागल हो ,,जाओ बाहर नानी क्या सोच रही होगी ।

मै हस कर - अच्छा पैंटी का साइज़ क्या लाऊ ,, 38"

चम्पा आंखे बडी करके - पागल हो क्या ,,,इतनी मोती नही हू मै ,,

मै एक बार उसके सामने ही उसकी कमर और चुत के हिस्से पर नजर मारते हुए - तो फिर क्या 32" हिहिही

चंपा हस कर धीमी आवाज मे - नही पागल 36 नम्बर ,,अब जाओ

मै मुस्करा कर अपनी हसी को दबाते हुए बाहर दुकान मे आया और जानबुझ कर तीन बॉक्स अलग अलग टाइप की पैंटी का लेके वापस कमरे मे चला गया ।

मा अभी भी उन्ही ग्राहक मे व्यस्त थी जो दुल्हन के शादी का समान निकलवा रहे थे ।

मै आकर सबसे पहले ब्लूमर का बॉक्स खोल कर मुस्कराते हुए - लो इसमे से कलर देख लो ।

चंपा भी मुस्कुराइ और एक मरून कलर का ब्लूमर निकाल कर उसकी पैकिंग खोली ---अरे ये वाला नही जी ,,,वो वाला दो छोटा वाला

मै हस कर - छोटा वाला मतलब ,कैसा ??? वो जो पहनी है वैसा क्या ??

मै ब्रा के एक बॉक्स पर छ्पी एक लडकी को दिखाया जो वी शेप की पैंटी पहने थी ।

चंपा शर्म से लाल हो गयी और हा मे सर हिलाया ।

मै वो बॉक्स बन्द किया और दुसरा बॉक्स खोला जिसमे वी-शेप पैंटी तो थी लेकिन सब लाईट कलर मे - लो इसमे से निकाल लो कोई

चंपा थोडा संकुचित होकर - और कोई कलर नही क्या ,,,

मै हस कर - क्यू इनमे क्या बुराई है ,,ये तो अच्छे भी लगेंगे तुम पर ,,, सावली हो तो हिहिहिही

चंपा मेरे सर पर हल्के हाथो से चपट लगाते हुए - मजाक ना करो ,,सही बताओ

मै जिद करते हुए - अरे इनमे क्या दिक्कत है ये बताओ

चंपा हिचक कर - वो इनमे दाग लग जाता है ना इसिलिए

मै जानबुझ कर उस्का मजा लेता हुआ - तुम घर मे सिर्फ़ पहन कर खाना खाती हो और काम करती हो क्या ,जो दाग लग जाता है हिहिहिही

चंपा शर्म से लाल हो गयी - बक्क तुम मजाक ना करो ,,वहा निचे दाग लग जाता है ,हा नही तो

मै उसकी मासूमियत चेहरे को परेशान होता देख दुसरा डार्क कलर वाला बॉक्स खोल कर देता हू और वो उसमे से भी दो सेट निकाल लेती है ।

फिर मै सारे बॉक्स बन्द करके बाहर जाने को होता हू ।
मै - अच्छा ये बताओ इनमे से कौन सा पहन के अओगी कल हिहिहिही

चंपा बार बार मेरे छेड़ने से पक गयी थी तो तुनक कर बोली - एक भी नही

मै हस कर - सच मे हिहिही
चम्पा को अह्सास होता है कि वो क्या बोल गयी और वो झेप सी जाती है ।

मै हस कर बाहर आ जाता हू ।
थोडी देर बाद वो भी चली जाती है । फिर समय बितता है शाम होने लगति है ।


जारी रहेगी
Awesome update
 

Nevil singh

Well-Known Member
21,150
53,022
173
UPDATE 107

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE


पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा की सुबह काफी शांत और बिना कोई धमाके के निकली । वही भोर मे ही राज के मौसी के यहा हंगामा हो गया ।

देखते है ये ननद भौजाई की मस्तियाँ क्या नया आयाम देती है इस कहानी को ।

अब आगे
ममता के कमरे से भाग कर जाने के बाद रज्जो खुब हसी और थोडी देर बाद नहाने के लिए निचे चली गयी ।

9 बजे तक सारे लोग नहा धोकर कर तैयार हुए और फिर नाश्ते के दौरान तय हुआ कि कमलनाथ राजन और रमन ये तिन लोग कुछ सामान की लिस्ट है , वो लेने बाजार जायेंगे । बाकी सारे लोग निचे रहने के लिए सारे कमरो की साफ सफाई मे रज्जो की हैल्प करेंगे ।
थोडी देर मे ही कमलनाथ अपने बेटे रमन और जीजा राजन को लिवा कर बाजार के लिए निकल गया और इधर रज्जो मौसी अपनी साड़ी का पल्लू कमर मे खोस कर सबको क्या क्या करना है ये बताने लगी ।
फिर सबसे पहले उपर की मंजिल से शुरु हुआ ।
जहा एक कमरे मे सारे लोग यानी रज्जो ,ममता ,पल्लवि ,सोनल और अनुज पहुचे ।

फिर रज्जो बगल से स्टोर रूम से कुछ झाडू और जाले साफ करने वाली ब्रशो को लेके आई और अनुज ने फुर्ती दिखाते हुए फटाक से रज्जो के हाथ से एक जाले साफ करने वाला ब्रश लिया और लेके भीड़ गया काम मे । ऐन मौके पर पल्लवि भी एक झाडू लेके खिडकीयो के पास लग गयी ।

ममता हस कर - लो ये लोग तो लग गये ,,,मै तो कह रही हू भाभी , दो लोग यहा लगे हैं तो मै और सोनल बेटी बगल वाला कमरा देख ले रहे है , इससे काम भी जल्दी हो जायेगा और फिर दोपहर का खाना भी बनाना है ना


रज्जो को उसकी ननद का सुझाव जमा तो बोली - हा ममता ठीक कह रही है तू ,,,आ सोनल तू इधर आ

इधर रज्जो , ममता और सोनल को लेके अलग कमरे मे चली गयी और उधर उनके जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है और वापस काम मे लग जाते है ।

जहा अनुज एक तरफ बंद कमरे मे अकेले एक लडकी के साथ काम करने मे असहज मह्सूस कर रहा था , वही पल्लवि को बहुत ही बोरीयत सी लग रही थी कि अनुज इतना गुमसुम क्यू है । क्या शहर के लड़के ऐसे होते है ।

पल्लवि को चुल होती है और मुस्कुरा कर काम के बहाने ही उससे बाते करने का सोचती है - अनुज सुनो

अनुज - हा पल्लवि दिदी कहिये
पल्लवि - हा जरा ये पंखे के पास भी साफ कर दो फिर मै निचे झाडू लगा देती हू ।
अनुज मुस्करा कर - जी दीदी

पल्लवि हस कर - अरे तुम मुझे दीदी क्यू कह रहे हो ,हम्म्म
अनुज थोडा हिचक कर - क्योकि आप मुझसे बड़े हो शायद !!!!
पल्लवि चहक कर कमर पर हाथ रखकर- शायद !! इसका क्या मतलब हम्म्म

अनुज को मह्सूस हुआ कि मानो उसने पल्लवि को दीदी बोल कर कोई बडी गलती कर दी हो और वो सफाई देते हुए - वो आप मेरे सोनल दीदी जैसी हो ना दिखने मे तोओओ ...

पल्लवि हस कर - धत्त मै तो बहुत छोटी हू सोनल दीदी से हिहिही , और उन्होने बताया था हमदोनो की उम्र करीब करीब ही है ।

अनुज उलझन भरे लहजे मे - तो फिर ...
पल्लवि - अरे तो तुम मुझे नाम से बुला सकते हो हिहिहिही

अनुज थोडा सा हसा और वापस काम मे लग गया ।
चोदमपुर मे जहा बुढे जवान और जवानी की दहलिज पर पाव रखते लौंडे तक पल्लवि की सेक्सी फिगर से उससे बात करने को लालायित रहते थे ,,यहा आने के बाद वो रुझान पल्लवि को नही मिल पा रहा था ।

पल्लवि मन मे बुदबुदाइ - ये तो पुरा साधू है ,, बात करना तो दुर देखता तक नही मेरी ओर । यहा दो हफते तक मेरी जिन्दगी कैसे कटेगी ।

ना चाहते हुए भी मन को तसल्ली देते हुए पल्लवि ने फिर कोसिस की - तब अनुज बहुत गुमसुम हो ,,, गर्लफ्रेंड की याद आ रही है क्या हिहिहिही

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि पल्लवि उससे ऐसा कुछ पुछ लेगी ।

अनुज सकप्का कर - ना ना नही तो ,,मेरी कोई गर्लफ्रैंड नही है दीदी, ओह्ह सॉरी मतलब पल्लवि

पल्लवि - सच मे या डर रहे हो कि मै तुम्हारी दीदी को बता दूँगी ।
अनुज से पहली बार किसी लडकी ने ऐसे बात किये थे और वो भी सीधे व्यकितगत सवाल ।
अनुज को एक अलग तरह की उत्सुकता और मन मे खुशि हो रही थी कि पल्लवि उस्से बात कर रही है । हालकी उसकी नजर कल से ही उसपर थी । मगर उसके भरे जिस्म को देखकर वो पल्ल्वी को अपने से ज्यादा उम्र की जानकर उससे किनारा कर रहा था ।

अनुज ने फिर भी अपने जज्बातो को दिल ने ही थामा और इस बार थोडा आत्मविश्वास के साथ बोला - नही ऐसी कोई बात नहीं है ।

पल्लवि अचरज से - तुम तो शहर मे रहते हो ना लेकिन ,

अनुज ह्स कर - शहर मे रहता हू तो क्या , मै ये सब नही करता हू हिहिहिही

फिर अनुज वापस काम मे लग जाता है ।
इधर इनका काम चल रहा होता है कि थोडी देर बाद पल्लवि अनुज को फिर से आवाज देती है ।

पल्लवि - अनुज सुनो
अनुज - हा बोलो पल्लवि क्या हुआ

पल्लवि एक लोहे की आलमारी के पीछे साफ सफाई कर रही थी तो वहा कुछ कचरा फसा था तो वो निकल नही रहा था ।

पल्लवि - जरा ये आलमारी थोडा झुकाओगे ,, वहा कचरा पडा है मै झाडू से निकाल लू ।

फिर अनुज हम्म्म बोल कर आल्मारि को आगे की ओर झुका लेता है और पल्लवि झाडू से ढेर सारा कचरा बाहर निकालती है , जिसमे चूहो द्वारा एकठ्ठा किया काफी सारा कचरा और गन्दगी थी । तभी अनुज की नजर आलमारी के निचे एक बैगनी रंग के कपडे पर गयी जो वही फसा हुआ था ।

अनुज - पल्लवि , देखो वहा कोई कपडा भी है ,उसे भी निकाल लो तो ।

पल्लवि हा मे सर हिला कर निचे बैठ गयी और हाथ डाल कर उस कपडे को निकाल कर खड़ी हुई ।

अनुज को वो कपडा अभी नया दिख रहा था ।
अनुज - कैसा कपडा है पल्लवि ये ,,नया लग रहा है ।

पल्लवि ने वो कपडा एक बार देखा और फौरन उसे फ़ोल्ड करके मुठ्ठि मे छिपाने लगी ।

अनुज को अचरज हुआ वो आलमारी को सही से लगा कर फिर से पल्लवि से बोला - क्या हुआ ,,कैसा कपड़ा है ये ।

पल्लवि शर्म से मुस्कुराने लगी और बोली - नही कुछ नही । चलो ये कचरा उस बालटी मे भर दो और मै बाकी का झाडू मार देती हू ।

अनुज को अजीब सा लगता है कि आखिर क्या है जो पल्लवि छिपा रही है ।
अनुज एक बार फिर उत्सुकता से बोला - तुमने बताया नही कैसा है वो कपडा । क्यू छिपा रही हो उसे । लाओ मै देखू

फिर अनुज आगे बढ कर पल्लवि के हाथ से वो कपडा लेने के लिए उसके करीब जाता है और पल्लवि हस कर - अरे नही अनुज रहने दो ना ,वो तुम्हारे काम का नही है ।

अनुज अचरज से - मेरे काम का नही है क्या मतलब ।
फिर वो पल्लवि के और करीब जाता है तो पल्लवि उसे वो कपड़ा दे देती है ।

अनुज उस मुलायम कपडे को फैला कर देखता हुआ - मै भी तो देखू ये क्या .....

वो कपडा खोलते ही अनुज की आवाज वही रुक गयी और वही पल्लवि खिलखिला कर मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
वो कपड़ा दरअसल राज के मौसी रज्जो की पैंटी थी और अभी नयी थी ।

अनुज को अब खुद पर शर्मिंदगी हो रही थी और वो पल्लवि को हस्ता देख कर खुद भी हस देता है और वापस उसे पल्लवि को देते हुए कहता है।
अनुज - हम्म्म पकड़ो मौसी को दे देना , अभी नया ही है हिहिहिही

पल्लवि शर्म से हसी और वो पैंटी अनुज के हाथ से लेते हुए - तुमको कैसे पता कि ये मामी की है ।

अनुज शर्मा कर मुस्कुराते हुए - उसपे साइज़ लिखा है ना 42" , और यहा कौन पहनेगा इतनी बडी साइज़ हिहिहिही

पल्लवि इतरा कर - तुमको बड़ा पता है साइज़ के बारे मे

अनुज बहुत ही स्वाभिमान होकर - हा मेरी दुकान है ना चमनपुरा मे इनसब की ।

पल्लवि हस कर अनुज से मजे लेते हुए - फिर तो तुमको मेरी साइज़ भी पता होगी ।

अनुज पल्लवि के सवाल से चौक गया और वो हड़ब्डाने लगा ,,,वही एक तरफ पल्लवि के इस सवाल ने उसको कुछ हद तक कामोतेजक कर दिया और लोवर मे उसका लण्ड अंगड़ाई लेने लगा था ।

अनुज - अब ब ब हा ना नही नही ,,मुझे कैसे पता रहेगा
पल्लवि ह्स कर - अरे तुम इतना परेशान क्यू हो ,,मै तो ऐसे ही पुछ ली , क्योकि तुम दुकान चलाते हो ना तो दुकानवालो को पता होता है ।

अनुज को ये सब बहुत उत्तेजक भी लग रहा था , साथ ही उसे थोडा अजीब भी मह्सूस हो रहा था कि वो ऐसी बाते अपनी बहन समान जैसी लड़की से कर रहा है । इसिलिए वो पल्लवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोला ।

अनुज - नही मै उतना रहा हू दुकान पर ,,हा मेरे राज भैया को पता है । वही दुकान पर ज्यादा रहते है ना ।

पल्लवि एक बार को राज नाम सुन कर थोडा फिल्मी हेरोइन की तरह इतराई । क्योकि राज नाम काफी शहरी और आधुनिक था और पल्लवि को आधुनिक चीज़ो से खासा लगाव था ।

पल्लवि - हम्म्म तो तुम्हारे भैया ये जो है राज , वो क्यू नही आये ।

अनुज - वो क्या है ना हमारी दो दुकान है तो एक बरतन की और एक ये सब वाली ।

पल्लवि हसी - मतलब तुम अपनी दुकान पर यही सब कच्छी ही बेचते हो क्या हिहिहिही

अनुज को थोडी शर्म आई - नही , वो सृंगार वाला दुकान है हिहिहिही

पल्लवि इस बातचीत को और दिलचस्प बनाने मे लगी थी लेकिन अनुज इस बात को और आगे नही ले जाना चाहता था ,,इसलिए

अनुज - चलो जल्दी से ये कमरा खतम कर लो , हमे निचे भी जाना है ।

पल्लवि को भी ध्यान आया और वो भी जल्दी जल्दी काम करने लगी
ये दोनो अपना काम खतम कर रहे होते है कि रज्जो इनके कमरे मे आती है ।

रज्जो - अरे वाह ,,तुम दोनो ने तो बहुत बढिया साफ किया है ।

अनुज बहुत खुशी होती थी जब कोई उसकी तारिफ कर देता था और वो भावनाओ मे बह कर वो सामने वालो और भी खुश करने की बचकानी हरकत कर देता था ।

यहा रज्जो उसकी तारिफ कर ही रही थी कि अनुज फौरन वो पैंटी उठा कर रज्जो को देता है ।

अनुज बडी मासूमियत से - लो मौसी ,ये आपका कच्छी मिला है यहा आलमारी के पीछे,,चूहा लेके गया था ।

पल्लवि अनुज के इस हरकत पर हस देती है । रज्जो के चेहरे पर ही हसी के भाव आ जाते है मगर वो अपने प्यारे भतीजे का मजाक नही बनाना चाहती है ।

रज्जो उसके सर पर हाथ फेर कर -हिहिह्ही ,,इन चूहो को ना जाने क्या मिलता है , अभी दुसरे मे भी मेरा एक पैंटी लेके गया था और उसको तो पुरा काट दिया है ।

फिर रज्जो उन दोनो के सामने ही अपनी पैंटी फैला कर देखती है कि कही चूहे ने काटा नही है

अनुज वापस से चालाकी दिखाते हुए बोला - नही मौसी ये सही है ,मैने चेक किया है इसको


रज्जो ह्स कर - तू ब्डा देख रहा है मेरी कच्छी हा ,,,

पल्लवि को रज्जो की बात पर बडी हसी आती है और उसे हस्ता देख अनुज को अपनी गलती समझ आ जाती है ।

रज्जो - चलो ये कचरा और झाडू लेके निचे आओ ,, जल्दी

फिर रज्जो निकल जाती है बाहर और उस्के जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देखते है ।
पल्ल्वी की फौरन हसी छूट जाती है और अनुज भी शर्माते हुए हस देता है ।


अनुज - अब बस भी करो ,,मजे ले रहे हो , चलो मौसी निचे बुलाई है ।
फिर वो दोनो निचे जाते है
इधर 11 बजे तक सारे काम हो जाते है और फिर रज्जो सबको पानी पिलाती है । फिर सारे लोग गर्मी से परेशान होते है तो नहाने के लिए कहते है ।

मगर अनुज बहुत थक जाता है तो वो वही हाल मे थोडा सोने लग जाता है ।
इधर अनुज हाल मे आराम कर रहा होता है और यहा महिला मंडल ने अपनी अपनी जोडिया बना लेती है । सोनल और पल्लवि न्हाने के लिए टेरिस वाले बाथरूम मे चली जाती है, वही रज्जो और ममता निचे आंगन मे ही नहाने के लिए चले जाते है ।

इधर अनुज को सोये ज्यादा समय नही हुआ था कि लाईट भाग जाने से उसकी नीद खुल जाती है । वो भी गर्मी से परेशान था तो नहाने के लिए रमन के कमरे से कपडे लेके पीछे आँगन की ओर जाने लगता है । वहा आँगन के मुहाने के जाने से पहले ही उसे अपने रज्जो मौसी की खिलखिला कर बात करने की आवाज आई तो अनुज वही रुक गया और ये सोच कर वापस आने लगा कि ये लोग नहा ले फिर मै जाऊंगा ।

अनुज वापस मुड़ा ही था कि तभी उसे अपनी रज्जो मौसी की आवाज सुनाई दी जो वो ममता से कह रही थी ।

रज्जो हस्कर - तब ननद रानी ,,मजा आया था ना सुबह अपने भैया का लण्ड पकड कर हिहिहिही

रज्जो मे मुह से ऐसी बात सुन कर अनुज के कान खडे हो गये और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी । वो थुक गटकने लगा और ना चाह कर भी उसके हाल की ओर बढते कदम रुक जाते है और वो वापस दबे पाँव आँगन की ओर चल देता है ।
तभी उसे ममता की भी आवाज सुनाई देती है ।

ममता - हालत तो आपकी भी खराब हो गयी थी अपने नंदोई जी का पकड कर हिहिहिही

अनुज की आंखे चौडी हो गयी । कि ये लोग क्या बाते कर रहे है । क्या सच मे रज्जो मौसी ने राजन फूफा का वो पकड़ा था और क्या ममता बुआ ने मौसा का ???


रज्जो ह्स कर - वैसे मानना पडेगा , नंदोई जी खुन्टा है जबरजस्त ,, बहुत गहराई कर दिये होंगे तेरे चुत मे तो हिहिहिहिही

अनुज को यकीन ही नही हो रहा था कि उसकी सगी मौसी ऐसी है , वही उसका ये सोच कर लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था कि ममता बुआ ने अपने भैया का ही लण्ड पकड लिया था ।
अनुज के दिलो दिमाग में कौतूहल मच गया था । उसके मन मे भी ना जाने क्यू ये ख्याल आया कि काश उसकी दीदी भी जब अपने मुलायम गोरे हाथो से उसके गर्म आड़ो को सहलाएगी तो उसे कितनी गुदगुड़ी मह्सूस होगी और इस भावना से अनुज के पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ जाती है
मगर अगले ही पल अनुज को होश आया तो वो खुद को धिक्कारा ।

तभी अनुज ने और कुछ सुना

ममता रज्जो की बात का जवाब देते हुए - कही आपका दिल तो नही आ गया अपने नंदोई पर ,,, कोशिस बेकार है भाभी , वो नही आने वाले आपके झांसे मे हिहिही , आप बस भैया से ही काम चलाओ

रज्जो हस कर - मुझे तो लग तू कुछ ज्यादा ही अपने भैया के मोटे काले लण्ड के लिए तरस रही है हिहिहिही ,, अगर सुबह देख कर मन नही भरा तो रात मे चली आना , हमारा शो चालू रहेगा हिहिहिही

ममता हस कर - शो तो आज रात हमारा भी होने वाला है भाभी हिहिहिही ,
ममता - वैसे आपने तो अपने ननदोई का खुला नही देखा है ,,,दरवाजा खुला ही छोड दूँगी देख लेना हाहाहा

अनुज का लण्ड उसके लोवर मे एकदम तन कर खड़ा हो गया था । उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे । बार बार उसके दिमाग मे रात मे होने वाली दोनो खुले कमरे मे होने वाली चुदाई की तलब होने लगी और उसका लण्ड बार बार फड़क रहा था और वो बहुत उत्तेजित होकर रात का इन्तजार करने लगा ।

मगर अपनी उत्तेजना और खडे लण्ड से परेशान होकर अनुज वापस हाल मे आ गया और तबतक बिजली भी आ गयी थी तो वही थोडी देर लेटा रहा था । फिर अपनी बारी आने पर वो भी नहाने के लिए आँगन मे चला गया ।
एक तरफ जहा राज के मौसी के यहा ये सब घटनाओं का संगम हो रहा था , वही दुसरी तरफ चमनपुरा मे भी कुछ खास होने वाला था ।

राज की जुबानी

सुबह का नासता करके मै दुकान पर आ गया था । शादियो के सीजन मे दुकान पर भीड़ भी बहुत थी ।
दोपहर के करीब मा खाना लेके आई और वो दुकान मे लग गयी ।

थोडी देर खाली होने के बाद मा ने मुझे पहले खाना खाने को बोला ।
मै पीछे के कमरे मे जहा पापा का रूम हुआ करता था ,,वहा जाकर टिफ़िन खोल कर बैठ गया और इधर धीरे धीरे दुकान मे फिर से भीड़ होने लगी । मा ने मुझे आवाज दी की मै जल्दी खा कर आऊ ।

मै भी फटाफत खाकर दुकान मे गया था तो मेरे चेहरे पर एक गजब की मुस्कान आ गयी । कारण था कि चन्दू की बहन चंपा आई थी दुकान मे ।

वो भी मुझे देख कर शर्मा कर मुस्कुराइ । उसका मूल कारण था कल की होने वाली चुदाई जो मेरे और चंपा के बीच होने वाली थी । इधर हम दोनो आपस मे स्माइल पास करने का और आंखो से इशारे मे हाल चाल लेने का गेम खेल रहे थे कि मा बोली ।

मा - बेटा आ गया तू ,,,जरा इस चंपा को इसकी नाप की ब्रा पैंटी दिखा देना तो ,,बेचारी कबसे खड़ी है ।

मा की बाते सुन कर चम्पा शर्मा सी गयी और मुझे भी हसी आने लगी थी ,मगर मैने खुद पर नियन्त्रण किया । वही मा एक शादी के दुलहन का समान निकाल रही थी तो काफी समय से व्यस्त थी ।

मैने भी अपनी हसी को होठो मे दबाया और गला खरास कर बोला - कौन सा साइज़ दू

चंपा शर्मा के - 34C की स्टोबेरी कपडे मे दिखाना

मैने फौरन दो चार उसकी पसन्द और साइज़ का बढिया डिज़ाइन का बॉक्स उसको दिया और बोला की अन्दर कमरे मे देख ले ,,क्योकि दुकान पर और जेन्स लोग भी थे ।

वो मुस्करा कर वो डब्बे लेके चली गयी ।
मै थोड़ा बाकी ग्राहको मे व्यस्त हो गया और उनको निपटा कर चम्पा के पास कमरे मे गया ,,,जो इस वक़्त एक रेड ब्रा खोल कर देख रही थी ।

मौका देखकर मै धीमी आवाज शरारती अंदाज मे बोला - लेलो कोई भी ,उतारना मुझे ही है ना हिहिहिही

चम्पा शर्मा कर झेप सी गयी - पागल हो ,,जाओ बाहर नानी क्या सोच रही होगी ।

मै हस कर - अच्छा पैंटी का साइज़ क्या लाऊ ,, 38"

चम्पा आंखे बडी करके - पागल हो क्या ,,,इतनी मोती नही हू मै ,,

मै एक बार उसके सामने ही उसकी कमर और चुत के हिस्से पर नजर मारते हुए - तो फिर क्या 32" हिहिही

चंपा हस कर धीमी आवाज मे - नही पागल 36 नम्बर ,,अब जाओ

मै मुस्करा कर अपनी हसी को दबाते हुए बाहर दुकान मे आया और जानबुझ कर तीन बॉक्स अलग अलग टाइप की पैंटी का लेके वापस कमरे मे चला गया ।

मा अभी भी उन्ही ग्राहक मे व्यस्त थी जो दुल्हन के शादी का समान निकलवा रहे थे ।

मै आकर सबसे पहले ब्लूमर का बॉक्स खोल कर मुस्कराते हुए - लो इसमे से कलर देख लो ।

चंपा भी मुस्कुराइ और एक मरून कलर का ब्लूमर निकाल कर उसकी पैकिंग खोली ---अरे ये वाला नही जी ,,,वो वाला दो छोटा वाला

मै हस कर - छोटा वाला मतलब ,कैसा ??? वो जो पहनी है वैसा क्या ??

मै ब्रा के एक बॉक्स पर छ्पी एक लडकी को दिखाया जो वी शेप की पैंटी पहने थी ।

चंपा शर्म से लाल हो गयी और हा मे सर हिलाया ।

मै वो बॉक्स बन्द किया और दुसरा बॉक्स खोला जिसमे वी-शेप पैंटी तो थी लेकिन सब लाईट कलर मे - लो इसमे से निकाल लो कोई

चंपा थोडा संकुचित होकर - और कोई कलर नही क्या ,,,

मै हस कर - क्यू इनमे क्या बुराई है ,,ये तो अच्छे भी लगेंगे तुम पर ,,, सावली हो तो हिहिहिही

चंपा मेरे सर पर हल्के हाथो से चपट लगाते हुए - मजाक ना करो ,,सही बताओ

मै जिद करते हुए - अरे इनमे क्या दिक्कत है ये बताओ

चंपा हिचक कर - वो इनमे दाग लग जाता है ना इसिलिए

मै जानबुझ कर उस्का मजा लेता हुआ - तुम घर मे सिर्फ़ पहन कर खाना खाती हो और काम करती हो क्या ,जो दाग लग जाता है हिहिहिही

चंपा शर्म से लाल हो गयी - बक्क तुम मजाक ना करो ,,वहा निचे दाग लग जाता है ,हा नही तो

मै उसकी मासूमियत चेहरे को परेशान होता देख दुसरा डार्क कलर वाला बॉक्स खोल कर देता हू और वो उसमे से भी दो सेट निकाल लेती है ।

फिर मै सारे बॉक्स बन्द करके बाहर जाने को होता हू ।
मै - अच्छा ये बताओ इनमे से कौन सा पहन के अओगी कल हिहिहिही

चंपा बार बार मेरे छेड़ने से पक गयी थी तो तुनक कर बोली - एक भी नही

मै हस कर - सच मे हिहिही
चम्पा को अह्सास होता है कि वो क्या बोल गयी और वो झेप सी जाती है ।

मै हस कर बाहर आ जाता हू ।
थोडी देर बाद वो भी चली जाती है । फिर समय बितता है शाम होने लगति है ।


जारी रहेगी
Shaandaar update bhai
 

Sanju@

Well-Known Member
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UPDATE 107

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE


पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एक तरफ चमनपुरा की सुबह काफी शांत और बिना कोई धमाके के निकली । वही भोर मे ही राज के मौसी के यहा हंगामा हो गया ।

देखते है ये ननद भौजाई की मस्तियाँ क्या नया आयाम देती है इस कहानी को ।

अब आगे
ममता के कमरे से भाग कर जाने के बाद रज्जो खुब हसी और थोडी देर बाद नहाने के लिए निचे चली गयी ।

9 बजे तक सारे लोग नहा धोकर कर तैयार हुए और फिर नाश्ते के दौरान तय हुआ कि कमलनाथ राजन और रमन ये तिन लोग कुछ सामान की लिस्ट है , वो लेने बाजार जायेंगे । बाकी सारे लोग निचे रहने के लिए सारे कमरो की साफ सफाई मे रज्जो की हैल्प करेंगे ।
थोडी देर मे ही कमलनाथ अपने बेटे रमन और जीजा राजन को लिवा कर बाजार के लिए निकल गया और इधर रज्जो मौसी अपनी साड़ी का पल्लू कमर मे खोस कर सबको क्या क्या करना है ये बताने लगी ।
फिर सबसे पहले उपर की मंजिल से शुरु हुआ ।
जहा एक कमरे मे सारे लोग यानी रज्जो ,ममता ,पल्लवि ,सोनल और अनुज पहुचे ।

फिर रज्जो बगल से स्टोर रूम से कुछ झाडू और जाले साफ करने वाली ब्रशो को लेके आई और अनुज ने फुर्ती दिखाते हुए फटाक से रज्जो के हाथ से एक जाले साफ करने वाला ब्रश लिया और लेके भीड़ गया काम मे । ऐन मौके पर पल्लवि भी एक झाडू लेके खिडकीयो के पास लग गयी ।

ममता हस कर - लो ये लोग तो लग गये ,,,मै तो कह रही हू भाभी , दो लोग यहा लगे हैं तो मै और सोनल बेटी बगल वाला कमरा देख ले रहे है , इससे काम भी जल्दी हो जायेगा और फिर दोपहर का खाना भी बनाना है ना


रज्जो को उसकी ननद का सुझाव जमा तो बोली - हा ममता ठीक कह रही है तू ,,,आ सोनल तू इधर आ

इधर रज्जो , ममता और सोनल को लेके अलग कमरे मे चली गयी और उधर उनके जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देख कर मुस्कुराते है और वापस काम मे लग जाते है ।

जहा अनुज एक तरफ बंद कमरे मे अकेले एक लडकी के साथ काम करने मे असहज मह्सूस कर रहा था , वही पल्लवि को बहुत ही बोरीयत सी लग रही थी कि अनुज इतना गुमसुम क्यू है । क्या शहर के लड़के ऐसे होते है ।

पल्लवि को चुल होती है और मुस्कुरा कर काम के बहाने ही उससे बाते करने का सोचती है - अनुज सुनो

अनुज - हा पल्लवि दिदी कहिये
पल्लवि - हा जरा ये पंखे के पास भी साफ कर दो फिर मै निचे झाडू लगा देती हू ।
अनुज मुस्करा कर - जी दीदी

पल्लवि हस कर - अरे तुम मुझे दीदी क्यू कह रहे हो ,हम्म्म
अनुज थोडा हिचक कर - क्योकि आप मुझसे बड़े हो शायद !!!!
पल्लवि चहक कर कमर पर हाथ रखकर- शायद !! इसका क्या मतलब हम्म्म

अनुज को मह्सूस हुआ कि मानो उसने पल्लवि को दीदी बोल कर कोई बडी गलती कर दी हो और वो सफाई देते हुए - वो आप मेरे सोनल दीदी जैसी हो ना दिखने मे तोओओ ...

पल्लवि हस कर - धत्त मै तो बहुत छोटी हू सोनल दीदी से हिहिही , और उन्होने बताया था हमदोनो की उम्र करीब करीब ही है ।

अनुज उलझन भरे लहजे मे - तो फिर ...
पल्लवि - अरे तो तुम मुझे नाम से बुला सकते हो हिहिहिही

अनुज थोडा सा हसा और वापस काम मे लग गया ।
चोदमपुर मे जहा बुढे जवान और जवानी की दहलिज पर पाव रखते लौंडे तक पल्लवि की सेक्सी फिगर से उससे बात करने को लालायित रहते थे ,,यहा आने के बाद वो रुझान पल्लवि को नही मिल पा रहा था ।

पल्लवि मन मे बुदबुदाइ - ये तो पुरा साधू है ,, बात करना तो दुर देखता तक नही मेरी ओर । यहा दो हफते तक मेरी जिन्दगी कैसे कटेगी ।

ना चाहते हुए भी मन को तसल्ली देते हुए पल्लवि ने फिर कोसिस की - तब अनुज बहुत गुमसुम हो ,,, गर्लफ्रेंड की याद आ रही है क्या हिहिहिही

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि पल्लवि उससे ऐसा कुछ पुछ लेगी ।

अनुज सकप्का कर - ना ना नही तो ,,मेरी कोई गर्लफ्रैंड नही है दीदी, ओह्ह सॉरी मतलब पल्लवि

पल्लवि - सच मे या डर रहे हो कि मै तुम्हारी दीदी को बता दूँगी ।
अनुज से पहली बार किसी लडकी ने ऐसे बात किये थे और वो भी सीधे व्यकितगत सवाल ।
अनुज को एक अलग तरह की उत्सुकता और मन मे खुशि हो रही थी कि पल्लवि उस्से बात कर रही है । हालकी उसकी नजर कल से ही उसपर थी । मगर उसके भरे जिस्म को देखकर वो पल्ल्वी को अपने से ज्यादा उम्र की जानकर उससे किनारा कर रहा था ।

अनुज ने फिर भी अपने जज्बातो को दिल ने ही थामा और इस बार थोडा आत्मविश्वास के साथ बोला - नही ऐसी कोई बात नहीं है ।

पल्लवि अचरज से - तुम तो शहर मे रहते हो ना लेकिन ,

अनुज ह्स कर - शहर मे रहता हू तो क्या , मै ये सब नही करता हू हिहिहिही

फिर अनुज वापस काम मे लग जाता है ।
इधर इनका काम चल रहा होता है कि थोडी देर बाद पल्लवि अनुज को फिर से आवाज देती है ।

पल्लवि - अनुज सुनो
अनुज - हा बोलो पल्लवि क्या हुआ

पल्लवि एक लोहे की आलमारी के पीछे साफ सफाई कर रही थी तो वहा कुछ कचरा फसा था तो वो निकल नही रहा था ।

पल्लवि - जरा ये आलमारी थोडा झुकाओगे ,, वहा कचरा पडा है मै झाडू से निकाल लू ।

फिर अनुज हम्म्म बोल कर आल्मारि को आगे की ओर झुका लेता है और पल्लवि झाडू से ढेर सारा कचरा बाहर निकालती है , जिसमे चूहो द्वारा एकठ्ठा किया काफी सारा कचरा और गन्दगी थी । तभी अनुज की नजर आलमारी के निचे एक बैगनी रंग के कपडे पर गयी जो वही फसा हुआ था ।

अनुज - पल्लवि , देखो वहा कोई कपडा भी है ,उसे भी निकाल लो तो ।

पल्लवि हा मे सर हिला कर निचे बैठ गयी और हाथ डाल कर उस कपडे को निकाल कर खड़ी हुई ।

अनुज को वो कपडा अभी नया दिख रहा था ।
अनुज - कैसा कपडा है पल्लवि ये ,,नया लग रहा है ।

पल्लवि ने वो कपडा एक बार देखा और फौरन उसे फ़ोल्ड करके मुठ्ठि मे छिपाने लगी ।

अनुज को अचरज हुआ वो आलमारी को सही से लगा कर फिर से पल्लवि से बोला - क्या हुआ ,,कैसा कपड़ा है ये ।

पल्लवि शर्म से मुस्कुराने लगी और बोली - नही कुछ नही । चलो ये कचरा उस बालटी मे भर दो और मै बाकी का झाडू मार देती हू ।

अनुज को अजीब सा लगता है कि आखिर क्या है जो पल्लवि छिपा रही है ।
अनुज एक बार फिर उत्सुकता से बोला - तुमने बताया नही कैसा है वो कपडा । क्यू छिपा रही हो उसे । लाओ मै देखू

फिर अनुज आगे बढ कर पल्लवि के हाथ से वो कपडा लेने के लिए उसके करीब जाता है और पल्लवि हस कर - अरे नही अनुज रहने दो ना ,वो तुम्हारे काम का नही है ।

अनुज अचरज से - मेरे काम का नही है क्या मतलब ।
फिर वो पल्लवि के और करीब जाता है तो पल्लवि उसे वो कपड़ा दे देती है ।

अनुज उस मुलायम कपडे को फैला कर देखता हुआ - मै भी तो देखू ये क्या .....

वो कपडा खोलते ही अनुज की आवाज वही रुक गयी और वही पल्लवि खिलखिला कर मुह पर हाथ रख कर हसने लगी ।
वो कपड़ा दरअसल राज के मौसी रज्जो की पैंटी थी और अभी नयी थी ।

अनुज को अब खुद पर शर्मिंदगी हो रही थी और वो पल्लवि को हस्ता देख कर खुद भी हस देता है और वापस उसे पल्लवि को देते हुए कहता है।
अनुज - हम्म्म पकड़ो मौसी को दे देना , अभी नया ही है हिहिहिही

पल्लवि शर्म से हसी और वो पैंटी अनुज के हाथ से लेते हुए - तुमको कैसे पता कि ये मामी की है ।

अनुज शर्मा कर मुस्कुराते हुए - उसपे साइज़ लिखा है ना 42" , और यहा कौन पहनेगा इतनी बडी साइज़ हिहिहिही

पल्लवि इतरा कर - तुमको बड़ा पता है साइज़ के बारे मे

अनुज बहुत ही स्वाभिमान होकर - हा मेरी दुकान है ना चमनपुरा मे इनसब की ।

पल्लवि हस कर अनुज से मजे लेते हुए - फिर तो तुमको मेरी साइज़ भी पता होगी ।

अनुज पल्लवि के सवाल से चौक गया और वो हड़ब्डाने लगा ,,,वही एक तरफ पल्लवि के इस सवाल ने उसको कुछ हद तक कामोतेजक कर दिया और लोवर मे उसका लण्ड अंगड़ाई लेने लगा था ।

अनुज - अब ब ब हा ना नही नही ,,मुझे कैसे पता रहेगा
पल्लवि ह्स कर - अरे तुम इतना परेशान क्यू हो ,,मै तो ऐसे ही पुछ ली , क्योकि तुम दुकान चलाते हो ना तो दुकानवालो को पता होता है ।

अनुज को ये सब बहुत उत्तेजक भी लग रहा था , साथ ही उसे थोडा अजीब भी मह्सूस हो रहा था कि वो ऐसी बाते अपनी बहन समान जैसी लड़की से कर रहा है । इसिलिए वो पल्लवि से पीछा छुड़ाने के लिए बोला ।

अनुज - नही मै उतना रहा हू दुकान पर ,,हा मेरे राज भैया को पता है । वही दुकान पर ज्यादा रहते है ना ।

पल्लवि एक बार को राज नाम सुन कर थोडा फिल्मी हेरोइन की तरह इतराई । क्योकि राज नाम काफी शहरी और आधुनिक था और पल्लवि को आधुनिक चीज़ो से खासा लगाव था ।

पल्लवि - हम्म्म तो तुम्हारे भैया ये जो है राज , वो क्यू नही आये ।

अनुज - वो क्या है ना हमारी दो दुकान है तो एक बरतन की और एक ये सब वाली ।

पल्लवि हसी - मतलब तुम अपनी दुकान पर यही सब कच्छी ही बेचते हो क्या हिहिहिही

अनुज को थोडी शर्म आई - नही , वो सृंगार वाला दुकान है हिहिहिही

पल्लवि इस बातचीत को और दिलचस्प बनाने मे लगी थी लेकिन अनुज इस बात को और आगे नही ले जाना चाहता था ,,इसलिए

अनुज - चलो जल्दी से ये कमरा खतम कर लो , हमे निचे भी जाना है ।

पल्लवि को भी ध्यान आया और वो भी जल्दी जल्दी काम करने लगी
ये दोनो अपना काम खतम कर रहे होते है कि रज्जो इनके कमरे मे आती है ।

रज्जो - अरे वाह ,,तुम दोनो ने तो बहुत बढिया साफ किया है ।

अनुज बहुत खुशी होती थी जब कोई उसकी तारिफ कर देता था और वो भावनाओ मे बह कर वो सामने वालो और भी खुश करने की बचकानी हरकत कर देता था ।

यहा रज्जो उसकी तारिफ कर ही रही थी कि अनुज फौरन वो पैंटी उठा कर रज्जो को देता है ।

अनुज बडी मासूमियत से - लो मौसी ,ये आपका कच्छी मिला है यहा आलमारी के पीछे,,चूहा लेके गया था ।

पल्लवि अनुज के इस हरकत पर हस देती है । रज्जो के चेहरे पर ही हसी के भाव आ जाते है मगर वो अपने प्यारे भतीजे का मजाक नही बनाना चाहती है ।

रज्जो उसके सर पर हाथ फेर कर -हिहिह्ही ,,इन चूहो को ना जाने क्या मिलता है , अभी दुसरे मे भी मेरा एक पैंटी लेके गया था और उसको तो पुरा काट दिया है ।

फिर रज्जो उन दोनो के सामने ही अपनी पैंटी फैला कर देखती है कि कही चूहे ने काटा नही है

अनुज वापस से चालाकी दिखाते हुए बोला - नही मौसी ये सही है ,मैने चेक किया है इसको


रज्जो ह्स कर - तू ब्डा देख रहा है मेरी कच्छी हा ,,,

पल्लवि को रज्जो की बात पर बडी हसी आती है और उसे हस्ता देख अनुज को अपनी गलती समझ आ जाती है ।

रज्जो - चलो ये कचरा और झाडू लेके निचे आओ ,, जल्दी

फिर रज्जो निकल जाती है बाहर और उस्के जाते ही अनुज और पल्लवि एक दुसरे को देखते है ।
पल्ल्वी की फौरन हसी छूट जाती है और अनुज भी शर्माते हुए हस देता है ।


अनुज - अब बस भी करो ,,मजे ले रहे हो , चलो मौसी निचे बुलाई है ।
फिर वो दोनो निचे जाते है
इधर 11 बजे तक सारे काम हो जाते है और फिर रज्जो सबको पानी पिलाती है । फिर सारे लोग गर्मी से परेशान होते है तो नहाने के लिए कहते है ।

मगर अनुज बहुत थक जाता है तो वो वही हाल मे थोडा सोने लग जाता है ।
इधर अनुज हाल मे आराम कर रहा होता है और यहा महिला मंडल ने अपनी अपनी जोडिया बना लेती है । सोनल और पल्लवि न्हाने के लिए टेरिस वाले बाथरूम मे चली जाती है, वही रज्जो और ममता निचे आंगन मे ही नहाने के लिए चले जाते है ।

इधर अनुज को सोये ज्यादा समय नही हुआ था कि लाईट भाग जाने से उसकी नीद खुल जाती है । वो भी गर्मी से परेशान था तो नहाने के लिए रमन के कमरे से कपडे लेके पीछे आँगन की ओर जाने लगता है । वहा आँगन के मुहाने के जाने से पहले ही उसे अपने रज्जो मौसी की खिलखिला कर बात करने की आवाज आई तो अनुज वही रुक गया और ये सोच कर वापस आने लगा कि ये लोग नहा ले फिर मै जाऊंगा ।

अनुज वापस मुड़ा ही था कि तभी उसे अपनी रज्जो मौसी की आवाज सुनाई दी जो वो ममता से कह रही थी ।

रज्जो हस्कर - तब ननद रानी ,,मजा आया था ना सुबह अपने भैया का लण्ड पकड कर हिहिहिही

रज्जो मे मुह से ऐसी बात सुन कर अनुज के कान खडे हो गये और उसकी दिल की धडकनें तेज होने लगी । वो थुक गटकने लगा और ना चाह कर भी उसके हाल की ओर बढते कदम रुक जाते है और वो वापस दबे पाँव आँगन की ओर चल देता है ।
तभी उसे ममता की भी आवाज सुनाई देती है ।

ममता - हालत तो आपकी भी खराब हो गयी थी अपने नंदोई जी का पकड कर हिहिहिही

अनुज की आंखे चौडी हो गयी । कि ये लोग क्या बाते कर रहे है । क्या सच मे रज्जो मौसी ने राजन फूफा का वो पकड़ा था और क्या ममता बुआ ने मौसा का ???


रज्जो ह्स कर - वैसे मानना पडेगा , नंदोई जी खुन्टा है जबरजस्त ,, बहुत गहराई कर दिये होंगे तेरे चुत मे तो हिहिहिहिही

अनुज को यकीन ही नही हो रहा था कि उसकी सगी मौसी ऐसी है , वही उसका ये सोच कर लण्ड खड़ा हुआ जा रहा था कि ममता बुआ ने अपने भैया का ही लण्ड पकड लिया था ।
अनुज के दिलो दिमाग में कौतूहल मच गया था । उसके मन मे भी ना जाने क्यू ये ख्याल आया कि काश उसकी दीदी भी जब अपने मुलायम गोरे हाथो से उसके गर्म आड़ो को सहलाएगी तो उसे कितनी गुदगुड़ी मह्सूस होगी और इस भावना से अनुज के पुरे बदन मे सिहरन सी दौड़ जाती है
मगर अगले ही पल अनुज को होश आया तो वो खुद को धिक्कारा ।

तभी अनुज ने और कुछ सुना

ममता रज्जो की बात का जवाब देते हुए - कही आपका दिल तो नही आ गया अपने नंदोई पर ,,, कोशिस बेकार है भाभी , वो नही आने वाले आपके झांसे मे हिहिही , आप बस भैया से ही काम चलाओ

रज्जो हस कर - मुझे तो लग तू कुछ ज्यादा ही अपने भैया के मोटे काले लण्ड के लिए तरस रही है हिहिहिही ,, अगर सुबह देख कर मन नही भरा तो रात मे चली आना , हमारा शो चालू रहेगा हिहिहिही

ममता हस कर - शो तो आज रात हमारा भी होने वाला है भाभी हिहिहिही ,
ममता - वैसे आपने तो अपने ननदोई का खुला नही देखा है ,,,दरवाजा खुला ही छोड दूँगी देख लेना हाहाहा

अनुज का लण्ड उसके लोवर मे एकदम तन कर खड़ा हो गया था । उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे । बार बार उसके दिमाग मे रात मे होने वाली दोनो खुले कमरे मे होने वाली चुदाई की तलब होने लगी और उसका लण्ड बार बार फड़क रहा था और वो बहुत उत्तेजित होकर रात का इन्तजार करने लगा ।

मगर अपनी उत्तेजना और खडे लण्ड से परेशान होकर अनुज वापस हाल मे आ गया और तबतक बिजली भी आ गयी थी तो वही थोडी देर लेटा रहा था । फिर अपनी बारी आने पर वो भी नहाने के लिए आँगन मे चला गया ।
एक तरफ जहा राज के मौसी के यहा ये सब घटनाओं का संगम हो रहा था , वही दुसरी तरफ चमनपुरा मे भी कुछ खास होने वाला था ।


राज की जुबानी

सुबह का नासता करके मै दुकान पर आ गया था । शादियो के सीजन मे दुकान पर भीड़ भी बहुत थी ।
दोपहर के करीब मा खाना लेके आई और वो दुकान मे लग गयी ।

थोडी देर खाली होने के बाद मा ने मुझे पहले खाना खाने को बोला ।
मै पीछे के कमरे मे जहा पापा का रूम हुआ करता था ,,वहा जाकर टिफ़िन खोल कर बैठ गया और इधर धीरे धीरे दुकान मे फिर से भीड़ होने लगी । मा ने मुझे आवाज दी की मै जल्दी खा कर आऊ ।

मै भी फटाफत खाकर दुकान मे गया था तो मेरे चेहरे पर एक गजब की मुस्कान आ गयी । कारण था कि चन्दू की बहन चंपा आई थी दुकान मे ।

वो भी मुझे देख कर शर्मा कर मुस्कुराइ । उसका मूल कारण था कल की होने वाली चुदाई जो मेरे और चंपा के बीच होने वाली थी । इधर हम दोनो आपस मे स्माइल पास करने का और आंखो से इशारे मे हाल चाल लेने का गेम खेल रहे थे कि मा बोली ।

मा - बेटा आ गया तू ,,,जरा इस चंपा को इसकी नाप की ब्रा पैंटी दिखा देना तो ,,बेचारी कबसे खड़ी है ।

मा की बाते सुन कर चम्पा शर्मा सी गयी और मुझे भी हसी आने लगी थी ,मगर मैने खुद पर नियन्त्रण किया । वही मा एक शादी के दुलहन का समान निकाल रही थी तो काफी समय से व्यस्त थी ।

मैने भी अपनी हसी को होठो मे दबाया और गला खरास कर बोला - कौन सा साइज़ दू

चंपा शर्मा के - 34C की स्टोबेरी कपडे मे दिखाना

मैने फौरन दो चार उसकी पसन्द और साइज़ का बढिया डिज़ाइन का बॉक्स उसको दिया और बोला की अन्दर कमरे मे देख ले ,,क्योकि दुकान पर और जेन्स लोग भी थे ।

वो मुस्करा कर वो डब्बे लेके चली गयी ।
मै थोड़ा बाकी ग्राहको मे व्यस्त हो गया और उनको निपटा कर चम्पा के पास कमरे मे गया ,,,जो इस वक़्त एक रेड ब्रा खोल कर देख रही थी ।

मौका देखकर मै धीमी आवाज शरारती अंदाज मे बोला - लेलो कोई भी ,उतारना मुझे ही है ना हिहिहिही

चम्पा शर्मा कर झेप सी गयी - पागल हो ,,जाओ बाहर नानी क्या सोच रही होगी ।

मै हस कर - अच्छा पैंटी का साइज़ क्या लाऊ ,, 38"

चम्पा आंखे बडी करके - पागल हो क्या ,,,इतनी मोती नही हू मै ,,

मै एक बार उसके सामने ही उसकी कमर और चुत के हिस्से पर नजर मारते हुए - तो फिर क्या 32" हिहिही

चंपा हस कर धीमी आवाज मे - नही पागल 36 नम्बर ,,अब जाओ

मै मुस्करा कर अपनी हसी को दबाते हुए बाहर दुकान मे आया और जानबुझ कर तीन बॉक्स अलग अलग टाइप की पैंटी का लेके वापस कमरे मे चला गया ।

मा अभी भी उन्ही ग्राहक मे व्यस्त थी जो दुल्हन के शादी का समान निकलवा रहे थे ।

मै आकर सबसे पहले ब्लूमर का बॉक्स खोल कर मुस्कराते हुए - लो इसमे से कलर देख लो ।

चंपा भी मुस्कुराइ और एक मरून कलर का ब्लूमर निकाल कर उसकी पैकिंग खोली ---अरे ये वाला नही जी ,,,वो वाला दो छोटा वाला

मै हस कर - छोटा वाला मतलब ,कैसा ??? वो जो पहनी है वैसा क्या ??

मै ब्रा के एक बॉक्स पर छ्पी एक लडकी को दिखाया जो वी शेप की पैंटी पहने थी ।

चंपा शर्म से लाल हो गयी और हा मे सर हिलाया ।

मै वो बॉक्स बन्द किया और दुसरा बॉक्स खोला जिसमे वी-शेप पैंटी तो थी लेकिन सब लाईट कलर मे - लो इसमे से निकाल लो कोई

चंपा थोडा संकुचित होकर - और कोई कलर नही क्या ,,,

मै हस कर - क्यू इनमे क्या बुराई है ,,ये तो अच्छे भी लगेंगे तुम पर ,,, सावली हो तो हिहिहिही

चंपा मेरे सर पर हल्के हाथो से चपट लगाते हुए - मजाक ना करो ,,सही बताओ

मै जिद करते हुए - अरे इनमे क्या दिक्कत है ये बताओ

चंपा हिचक कर - वो इनमे दाग लग जाता है ना इसिलिए

मै जानबुझ कर उस्का मजा लेता हुआ - तुम घर मे सिर्फ़ पहन कर खाना खाती हो और काम करती हो क्या ,जो दाग लग जाता है हिहिहिही

चंपा शर्म से लाल हो गयी - बक्क तुम मजाक ना करो ,,वहा निचे दाग लग जाता है ,हा नही तो

मै उसकी मासूमियत चेहरे को परेशान होता देख दुसरा डार्क कलर वाला बॉक्स खोल कर देता हू और वो उसमे से भी दो सेट निकाल लेती है ।

फिर मै सारे बॉक्स बन्द करके बाहर जाने को होता हू ।
मै - अच्छा ये बताओ इनमे से कौन सा पहन के अओगी कल हिहिहिही

चंपा बार बार मेरे छेड़ने से पक गयी थी तो तुनक कर बोली - एक भी नही

मै हस कर - सच मे हिहिही
चम्पा को अह्सास होता है कि वो क्या बोल गयी और वो झेप सी जाती है ।

मै हस कर बाहर आ जाता हू ।
थोडी देर बाद वो भी चली जाती है । फिर समय बितता है शाम होने लगति है ।


जारी रहेगी
बहुत ही कामुक और गरमागरम अपडेट है
 
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