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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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सभी पाठक बन्धुओ को नये साल की पलंगतोड और गाड़ फाड़ बधाई एवं शुभकामनाएं :happy:
New Year Greetings GIF by wishafriend

उम्मीद करता हूँ ये साल भी पिछ्ले साल की अपेक्षा बेहतर हो और बढते दिनो के साथ आपके स्पर्म काउंट भी बढे ।।। :shag:

आज दिन एन्जॉय करिये ,, रात रंगीन करने की जिम्मेदारी हमारी रहेगी ।
मिलते है रात मे एक जोरदर अपडेट के साथ
धन्यवाद
 
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Incestlover

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सभी पाठक बन्धुओ को नये साल की पलंगतोड और गाड़ फाड़ बधाई एवं शुभकामनाएं :happy:
New Year Greetings GIF by wishafriend

उम्मीद करता हूँ ये साल भी पिछ्ले साल की अपेक्षा बेहतर हो और बढते दिनो के साथ आपके स्पर्म काउंट भी बढे ।।। :shag:

आज दिन एन्जॉय करिये ,, रात रंगीन करने की जिम्मेदारी हमारी रहेगी ।
मिलते है रात मे एक जोरदर अपडेट के साथ
धन्यवाद
नए साल का मज़ा तो अब आएगा
 

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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UPDATE 105

💥CHODAMPUR SPECIAL UPDATE💥


रात में रज्जो मौसी को एक राउंड चोदने के बाद मैने उन्हे पापा के पास भेज दिया ,,,, और खुद दीदी से मिलने उपर चला गया ।

मगर किस्मत उतनी अच्छी नही थी ,,,क्योकि उपर दीदी के कमरे मे अनुज और दीदी दोनो अपनी पैकिंग मे लगे थे ।

मैने दीदी को इशारा किया तो वो मना कर दी ,,,आखिरकार मन गिरा कर मै थोडा बहुत बाते कर अपने कमरे मे आया ।
मुझे सूझ ही नही रहा था कि क्या करू ,,, मौसी को एकबार चोद कर भी मेरे लण्ड की तडप नही मिट रही थी ।

मै सोचा सरोजा जी इंटेरेक्ट करू लेकिन वो कही बिज़ी थी ,,,फिर मैने कोमल को ट्राई किया लेकिन वो फोन पिक नही की ,,,क्योकि रात के साढ़े दस हो रहे थे ।

मुझे नीद नही आ रही थी ,,,बार बार मेरा ख्याल बगल के कमरे मे चल रहे चुदाई के बारे मे ही जा रहा था ।
इसिलिए मैने भी मोबाइल पर मूवी लगाई और देखते देखते सो गया ।

अगले दिन बड़े सवेरे ही किचन मे छौका भूनना सुरु हो गया । मै भी 8 बजे तक तैयार हुआ और 9 बजे तक नाश्ता करने के बाद मौसी सोनल और अनुज सब एक बोलोरो मे बैठ गये और समान कुछ अंदर तो कुछ उपर बान्ध दिया गया । फिर वो लोग भी निकल गये जानिपुर शहर के लिए ।

उनके जाने के बाद मै और पापा भी अपने अपने दुकान के लिए निकल गये ।
दोपहर मे 12 बजे तक मा टिफ़िन लेके दुकान पर आई और फिर मै पापा का खाना लेके उनको देने गया तो पापा ने बताया कि मौसी का फोन आया था और वो लोग भी पहूच गये सकुशल घर ।

मै खुश हुआ और मा को सूचना दी ।
शाम को करीब 4 बजे मा के जाने के बाद चंदू मेरे पास आया ।

चंदू - अबे साले कब पेलेगा मेरी दीदी को ,, चली जायेगी तब

मै हस कर - मुझसे ज्यादा तू उतावला है साले अपनी बहिन चूदवाने के लिए हिहिहिही

चंदू कुछ सोच कर एक आह्ह भरता है और उत्तेजित होकर अपना खड़ा लण्ड लोवर के उपर से दबाते हुए कहता है - भाई मै तो कब से चाहता हू कि कोई मेरी बहन और मा को चोदे और मै छिप कर देखू ,
मै भी चन्दू की बाते सुन के काफी उत्तेजित मह्सूस करता हू और चम्पा की फैली हुई गाड़ याद आ जाती है ।

चंदू - भाई बता ना कब लेके आऊ यहा
मै कुछ सोच कर मुस्कराया - भई देख इस समय किसमत मेहरबां है और चौराहे वाले घर पर मम्मी के अलावा कोई नही है और अगर मै उन्हे किसी काम का बहाना बना के बुला दू तो काम बन जायेगा ।

चंदू खुश होकर - भाई तब तो कोई दिक्कत ही नही है ,,,क्योकि परसो मै मम्मी और दीदी हमारे चौराहे वाले घर जा रहे है और वही से मै दीदी को तेरे पास भेज दूँगा

मै कुछ सोचकर - लेकिन रज्नी दीदी ने पुछा तो

चंदू हस कर - अबे जब मा के गाड मे मेरा लण्ड घुसा रहेगा ना तो उसे किसी की फिकर नही रहेगी

चंदू की बात से मै भी सहमत हुआ और हमने हाईफाइ किया ।

रात को खाना खाने के बाद मै और पापा हाल मे बैठे थे । वही मा किचन मे बर्तन खाली कर रही थी ।

इधर हमारी और पापा की आपसी सहमति हो गयी थी रात मे मा की धमाकेदार चुदाई के लिए, वही मा भी इस बात से बखुबी वाकिफ थी।

इसी बीच सोनल दीदी का फोन आया ।

मै - हा दीदी बोलो

सोनल हस्ते हुए - भाई पता है आज हमारे यहा आने के बाद बडी मजेदार बात हुई है ।
मै ह्स कर - अरे क्या हुआ बताओ तो

सोनल - भाई यहा मौसी की ननद नन्दोई और उनकी बेटी आई है । बडे ही मजेदार लोग है और ममता बुआ तो मौसी से ऐसे ऐसे गंदे मजाक कर रही थी कि पुछो मत

मै ह्स कर - हा वो सब तो कामन है दीदी ननद-भौजाई मे हिहिही

सोनल - अरे भाई उनके गाव का नाम सुनेगा तो और भी मजा आयेगा

मै अचरज से हस के - मतलब ऐसा क्या खास गाव है हिहिही

सोनल ह्सते है - हिहिहिही चोदमपूर गाव का नाम सुना है भाई हाहहहा

मुझे तो हसी आई बडी जोर की - हिहिही चो चो चोदमपुर

सोनल - हा भाई हिहिही , लेकिन उनकी बेटी पल्लवि बडी खुबसुरत और बडी फिट भी है , लगता ही नही कि गाव से है ।

मै हस कर - चलो आपको मिल गया ना कोई टाईमपास के लिए,,, मौज करो

सोनल - हा , चलो मै रखती हू मम्मी पापा का ख्याल रखना बाय

मै - हा बाय

इधर दिदी ने फोन काटा और मुझे मेरी जिज्ञासा ने बहुत मजबुर कर दिया कि मै ये बात पापा से पूछू लेकिन मै दीदी को इसमे नही लाना चाहता था । मगर और कोई रास्ता नही था ।

मै पापा से - पापा आप किसी चोदमपुर गाव के बारे मे जानते है क्या

पापा ह्स कर - हाह्हा नही बेटा ,, मै तो पहली बार सुना हू

मै - मै भी ,,वो अभी अनुज बता रहा था कि रज्जो मौसी के यहा कोई रिशतेदार आये है चोदमपुर गाव से हिहिहिही

पापा थोडा सोचते हुए - बेटा मेरी जानकारी मे नही है , हा अगर तेरी मौसी के यहा की बात है तो तेरी मा को जरुर पता होगा

तब तक मा भी किचन का काम खतम करके हाल मे आई और हमे बाते करता देख बोली - क्या बात हो रही है जी दोनो बाप बेटे मे

मै उतावला होकर - मा आप जानते हो क्या चोदमपुर गाव कहा है ??

मा बहुत ही सरलता से बोली - हा जानती हू , क्यू ???

मै और पापा एक दुसरे को देखने लगे।
मै उत्सुकता से - अरे लेकिन इतना अजीब नाम है ना और रज्जो मौसी की क्या रिशतेदारि है वहा ??

मा हस कर - अरे इसमे अजीब क्या है बेटा, गाव का नाम क्या , ना जाने कितने शहरो और देशो के नाम भी अजीब होते है । तू इतना पढ लिख कर मुझसे पुछ रहा है । ये अजीब है हिहिहिहिही

मै सामान्य होता हुआ - हम्म्म ये भी सही है मा ,,लेकिन आपको कैसे पता उस गाव के बारे मे ??

पापा भी जिज्ञासू भाव से - हा रागिनी तुम कैसे जानती हो ये चोदमपुर गाव को

मा मुस्कुरा कर - अरे जी आप को कुछ याद भी रहता है

पापा सोचते हुए - मतलब
मा मुस्कुरा कर - अरे रज्जो जीजी की ननद ममता का व्याह उसी गाव मे तो हुआ है ना ।

मै और पापा एक दुसरे को देखते हुए - ओह्ह्ह ये बात है ।
इधर मा चोदमपूर के लोगो के बारे मे कुछ बताने लगी ।
वही मै और पापा ये सोचने लगे कि चोदमपूर से आये लोग कैसे होंगे ,उन्का व्यव्हार और वहा की औरते । अह्ह्ह्ह

सूचना - इस अपडेट और आगे के सभी चोदमपुर स्पेशल अपडेट मे कहानी का दिशा निर्देश और वाचन कभी राज और कभी लेखक के माधय्म से होगा । तो बिना स्किप किये शब्दो पर ध्यान जरुर दे । जब चोदमपूर स्पेशल अपडेट समाप्त होगे तब वापस से कहानी का मूल वाचक राज को बना दिया जायेगा । वैसे भी आपको ज्यादा परेशानी नही होगी क्योकि फॉन्ट कलर मै अलग रखूंंगा ।


लेखक की जुबानी


अगर चमनपुरा मे राज के परिवार मे चोदमपुर से आये मेहमानो की चर्चा हो रही है तो आईये हम लोग भी एक नजर उन किरदारो पर मार लेते है कि कौन है क्या है और किस रंग ढंग के है ।


परिचय

ममता - रज्जो मौसी की ननद , बड़ा चौड़ा भूगोल है और काफी खुली विचार की है । चोदमपुर मे काफी काण्ड कर चुकी है देखते है अपनी भौजाई के यहा क्या रंगमंच बान्धने वाली है ।
राजन - ममता के पति और रज्जो मौसी के नंदोई, काफी खुशमिजाज इन्सान हैं और भाव्नाओ के मामले बहुत ही गुप्त है लेकिन हार्मोनल रसायनो पर इनका भी संयम एक स्तर तक ही है ।

पल्लवि उर्फ पल्ली - सेक्सी , हॉट , चुलबुली और झन्नाटेदार माल है , काफी लण्ड घोंट चुकी हैं । उम्र 18+ है । ये ममता और राजन की एक्लौती लाडली सुपुत्रि है ।

तो ये है चोदमपुर से आये किरदार , अधिक जानकारी के हमारे
TharkiPo भाई साहब द्वारा लिखित कहानी KATHA CHODAMPUR KI पर जाये । क्योकि ये सारे किरदार मूल रूप से उन्ही की कहानी के पात्र है ।
वापस कहानी पर

रात के 10 बजे का समय
स्थान - राज के मौसी का घर , जानीपुर शहर

एक नजर राज के मौसी के घर पर :

सिटी के एक मध्यम वर्गीय मुहल्ले मे एक बड़ा सा दो मंजिला मकान । ग्राउंड फ्लोर पर 3 तिन कमरे , एक किचन एक हाल और पीछे की ओर खुला आँगन है । उपर की मन्जिल पर 3 कमरे , एक स्टोर रूम और पीछे के आगन वाले हिस्से को बाल्किनी मे कर दिया गया । रज्जो मौसी का कमरा उपर के फ्लोर पर है जबकि रमन निचे के फ्लोर पर रहता है । उपर टेरिस पर खुली छ्त है और पीछे की तरफ बाथरुम की वयवस्था की गयी है ।

राज के मौसी के घर की उपर की टेरिस पर राज मौसा कमलनाथ और उनके जीजा यानी राजन एक साथ बैठे हुए रात का मौसम बना रहे थे ।

राज के मौसा कमलनाथ ने काफी समय से पंजाब मे नौकरी करते है और शहर मे लम्बा जीवन यापन के कारण ड्रिंक की आदत है उनको । कमलनाथ अपने बहनोई राजन से उम्र मे भले ही बड़े थे लेकिन फिर भी बडे ही रंगदार किसम के इन्सान थे । वही राजन गाव से सम्बंधित थे तो थोडा खुद्दार थे और अपने साले का सम्मान भी करते थे ।

कमलनाथ दो प्लास्टिक के ग्लास मे अपनी कोई ब्रांड की दो पैक बनाई और राजन को आफर किया ।

राजन - अरे नही भाईसाहब मै नही लेता ,,हा ये नमकीन खा लेता हू ,

कमलनाथ अपनी पैग को एक बार मे ही खतम करते हुए - अरे क्या यार राजन तुम भी ,,भाई जीजा हो और हमारे यहा आये हो थोडा तो लो , ऐसे मजा नही आयेगा ।

राजन - जी नही भाईसाहब, अगर मै पीता तो आपका साथ जरुर देता

कमलनाथ हसता हुआ - भई तुम तो बड़े सीधे निकले हाहहहह कोई बात नही मै तो लूंगा ही ।

इधर थोडी देर मे धीरे धीरे करके कमलनाथ ने 375ml की बॉटल खाली कर दी और पूरी तरह से टनं हो गये । इतना पी लिये की बॉडी पर नियंत्रण ही नही रहा ।

राजन अकेले उनको सम्भाल पाने मे असमर्थ हो रहा था कि इतने मे राज की मौसी रज्जो वहा पहुचती है ।

रज्जो - अरे जी कहा है ,,सोना नही है क्या
रज्जो जब अपने पति को नशे मे टल्ली देखती है तो अपने नंदोई के सामने उसे बहुत ही शर्मीन्दगी होती है ।

रज्जो इस वक़्त एक ढीली मैकसी मे थी और बिना कोई दुप्प्टे के । हालाकि उपर छत पर ज्यादा उजाला नही था लेकिन फिर भी पहचान हो सकती थी ।

राजन हस्ते हूए - अरे भाभी आज लग रहा है भाईसाहब ने ज्यादा ले ली है
रज्जो राजन को हस्ता देख थोडा राहत मह्सूस करती है और चल कर अपने पति को सम्भालती है ।


रज्जो अपने पर गुस्सा करते हुए - क्या जी आपको कुछ ध्यान है कि नही ,,घर मे चार मेहमान आये है और आप छीईई
रज्जो - चलो निचे कमरे मे सोवो

राजन हस कर - अरे भाभी जी इन्हे पकड कर ले जाना पड़ेगा ,, आप रमन को बुला दीजिये

रज्जो - वो क्या है जीजाजी , रमन और अनुज बाहर गये है कुछ सामान लाने ,,हमे ही इन्हे लेके जाना पडेगा

राजन - कोई बात नही भाभी ,,चालिये पकडिए
फिर दोनो ने बारी बारी से एक एक तरफ से कमलनाथ को पकड़ा और खिंचते हुए निचे लेके जाने लगे ।

जीने पर उतरते हुए कमलनाथ अपनी लड़खड़ाती हुई जुबान मे बड़ब्डाता है - कहा ले जा रही हो रमन की अम्मा हमको

रज्जो अपने पति को कसके पकड कर गुस्सा कर बोली - हमारे कमरे मे और कहा

कमलनाथ - ओह्ह माफ करना जान आज मै तुम्हे चोद नही पाऊन्गा , मैने ज्यादा पी ली है सोओओरीरीईईई

नशे मे धुत कमलनाथ के मुह से ऐसी बाते सुन कर राजन और रज्जो दोनो आवाक रह जाते हैं और दोनो एक-दूसरे को एक पल देखते है ।

मजबूरी मे रज्जो को इस बात को काटने के लिए मुस्करा कर राजन को जवाब देना पड़ता है - लग रहा है कि आज सच मे बहुत चढ़ गयी है इनको हिहिही

रज्जो झल्लाते हुए कमलनाथ को कमरे मे ले जाती है - क्या कह रहे है आप जी आपको पता है कुछ

कमलनाथ लड़खड़ाते हुए जुबान मे - सोओओरीईईई जान,,सोओओरीईई राजन ,,, वो मैने रज्जो से वादा किया था कि आज मै उसे चोदूँगा ,,,सॉरी तुमको बुरा तो नही लगा

रज्जो अपना माथा पीट लेती है और झटक कर अपने पति को बिस्तर पर धकेल देती है ।

अपने पति को धकेलते वक़्त रज्जो की मैकसी के बटन खुल जाते है और ऐन मौके पर राजन की नजर रज्जो के मोटी मोटी बडी बड़ी हिलती चुचियॉ के क्लिवेज पर जाती है और राजन जी एक पल को खो जाते है ।

रज्जो को इसका आभास होते ही वो फटाक से घूम जाती है और अब कमरे की रोशनि मे राजन के सामने रज्जो के फैले हुए बडे चुतड थे ।

रज्जो बडी ही शर्म से राजन की ओर घूमती है - माफ करियेगा जीजाजी , ये सब थोडा अजीब है ।

राजन मानो किसी कलपना से उभरा हो - अह क्या कह रही है भाभी ,,,ये सब घर की बाते है ,हो जाता है कभी कभी । उसकी चिन्ता ना करे आप

रज्जो मुस्कुरा कर - ह्म्म्ं
राजन - ठीक है भाभी मै भी अपने कमरे मे जा रहा हू
रज्जो - जी ठीक है


तभी राजन कमरे से बाहर निकल रहा होता है कि कमलनाथ बडबड़ाता है - सॉरी मेरी जान,,मै आज तेरी गाड नही मार पाऊन्गा ,,माफ कर दो ना रमन की मा

राजन फौरन पलट कर रज्जो को देखता है ,,रज्जो शर्म से पानी पानी हो गयी और कर भी क्या सकती थी आखिरकार वो भी राजन को देख कर हस दी ।

राजन हस कर - ठीक है मै चलता हू भाभी , कोई दिक्कत होगा आवाज दीजिये

राजन भी मुस्कुरा कर बाहर निकल गया ।



जारी रहेगी
 

Naik

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UPDATE 104



अभी मुश्किल से रात के 8बजे थे और हम सब खाना खा कर हाल मे बैठे हुए दिन भर की विषयो पर चर्चा और आगे के कामो के लिये तैयारियो के बारे मे बाते कर रहे थे ।

सोनल और निशा उपर जा चुकी थी सोने और मै बहुत ही ज्यादा थक गया था तो मै मा को बोल कर अपने कमरे मे आ गया सोने ।

मैने मेरे कपडे निकाले और गर्मी के वजह से सिर्फ़ अंडरवियर मे सो गया ।

रात मे करीब साढ़े नौ बजे के करीब मेरा मोबाइल बजने की वजह से मेरी नीद खुली और मैने फोन चेक किया तो सरोजा जी का फोन था ।

मै पहले तो फोन देख कर उठाया ही नही ,,क्योकि मेरी नाराजगी जो थी उनसे लेकिन मन मे भड़ास भी निकालनी थी तो आखिरी रिंग तक मैने फोन पिक की ।

सरोजा - हाय हीरो कैसे हो

मै तुनक कर - हुउह आपसे मतलब ,,मै जैसा हू अच्छा हू
सरोजा - अरे सॉरी बाबा ,,,मै नही आ पाई ,मुझे एक डील के लिए बनारस आना पड गया था और भैया भी नही थे नही तो मै उनको ही भेज दी होती ।
सरोजा - तो सॉरी ना मेरे राजा ,,,माफ कर दो ना प्लीज

मै - हम्म्म ठीक है , जाओ माफ किया , लेकिन आप वापस कब आ रहे हो ।

सरोजा - बस यही कुछ एक हफते मे ,,,और बताओ सब कुछ कैसा रहा
मै - सब ठीक रहा , बस मा को बडी इच्छा थी आपसे मिलने की हुउउह आप आये नही

सरोजा - अच्छा बाबा नेक्स्ट टाईम पक्का हम्म्म
मै - हम्म्म
सरोजा - लग रहा है कि आज बात करने का मूड नही है,,,मूड बनाऊ क्या मेरे राजा का

मै मुस्कुरा कर - नही ,वो मै थक गया हू ना तो निद आ रही है

सरोजा - ओह्ह सॉरी , ठीक है तुम आराम करो ,हम बाद मे बात करते है । बाय गुड नाइट मेरे हीरो उउउउमम्मम्ंआआआह्ह

मै - ह्म्म्ं गुड नाइट

फिर मै फोन रख कर लेट जाता हू ।
तभी मेरा ध्यान मेरे खाली पड़े बिस्तर पर जाता और कुछ सोच कर मेरी निद पूरी तरह से गायब हो जाती है ।

मै मन मे - अरे मेरे साथ कोई सोया नही है ,,मौसी कही पापा के साथ तो
मै मुस्कुरा कर - ओह्ह तो आज जम कर थ्रीसोम हो रहा होगा ।

मै इसपे ज्यादा ध्यान नही दिया ,,लेकिन थ्रीसोम से मुझे ध्यान आया कि आज क्यू ना सोनल और निशा के साथ एक थ्रीसोम कर लिया जाये ।

मै बडी ताजगी के साथ उथा और एक टीशर्त और लोवर पहन लिया । जेब मे अपना मोबाइल रख लिया ताकि उपर जाकर बाहर से फोन करके दीदी को जगा सकू और अनुज को भी पता ना चले ।
मै बाहर हाल मे आया तो पापा के कमरे से कुलर के चलने की आवाज आ रही थी और मै सीधा निकल गया उपर एक बार अनुज का कमरा चेक किया तो सब कुछ शांत मिला ,,,क्योकि अनुज और राहुल भी बहुत थक गये थे तो आराम कर रहे थे ।

मै दिदी के कमरे के पास गया और दरवाजे पर खटखट किया । मगर कोई रेस्पोंस नही मिला ।

मैने फौरन दिदी के मोबाइल पर कॉल किया तो मोबाइल बिजी बताने लगा ,,, जाहिर सी बात थी कि वो अमन से ही बात कर रही होगी ।

मेरे फोन की रिंग पाते ही अमन को होल्ड पर रख के वो फोन पिक की
दीदी - हा भाई क्या हुआ ???
मै खुसफुसा कर - दिदी दरवाजा खोलो
दीदी अचरज से - दरवाजा खोलू ? मतलब ???
मैने बिना कोई रिप्लाई के थोडा जोर से खटखट किया
दीदी - तू बाहर है क्या भाई ?
मै खीझ कर - हा मेरी मा अब खोलो
दीदी ओके बोल कर दरवाजा खोली लेकिन तब तक वो मेरा फोन काट कर अमन से बात करने लगी ।

दिदी फोन पे - हा वो राज फोन किया था ,, नही बस ऐसे ही , हा

मै मुस्कुरा कर कमरे मे घुसा और दरवाजा बंद कर दिया ।
दिदी इस वक़्त एक इनर टेप और शोट्स पहने हुए थी ,,,वही बिस्तर पर लेती निशा भी वही पहने हुए थी ।जो कि सोनल की ही थी ।

दीदी अमन से बात करते हुए मुझे इशारे बोली क्या बात है ।

मै एक शैतानी मुस्कान दी और वो समझ गयी तो अमन का कॉल म्यूट पर डाल कर बोली - भाई मै बात कर रही हू

मै हस कर निशा की ओर इशारा किया तो बोली - ठीक है लेके जाओ फिर

मैने मुस्कुरा कर ना मे गरदन हिलायि ,,वही बिस्तर पर लेती निशा मे मेरे आने से ही खुमारि चढ़ने लगी थी ।
सोनल मेरे ना मे गरदन हिलाने पर निशा को देखती है जो इतरा रही होती है ।

मै हस कर - आप बात करो ना दिदी ,,हम आपको डिस्टर्ब नहीं करेंगे , बिना कोई आवाज के

सोनल मेरी बातो पर कोई प्रतिक्रिया देती उससे पहले ही अमन की आवाज सुनाई देने लगी जो काफी समय से सोनल की प्रतिक्रिया का इंतजार मे था ।

सोनल ने उसको अनम्यूट कर उससे बाते करने लगी और मै निशा की ओर बढ गया ।
सोनल वापस मोबाइल मे लग गयी ।
इधर मै निशा के पास गया तो वो उठ कर बैठ गई और हम दोनो एक गहरे लिपलॉक मे खो गये ।

धीरे धीरे उसके होठो को चुसते हुए मै उसे बिस्तर के किनारे तक ले आया और वो समझ गयी ।
उसने अपने पैर बिस्तर से लटकाये और मेरे लोवर को पकड कर खिच कर निचे किया ।

मेरा लण्ड जो पहले से ही खड़ा था वो निशा के हाथो का स्पर्श पाकर और टनटना गया ।

निशा बड़ी उत्सुकता से मेरे लण्ड को थाम कर उसकी चमडी को आगे पीछे करते हुए मेरी आंखो मे देखा और मुस्कुराने लगी ।

मैने भी उसके बालो मे हाथ फेरा और उसने झुक कर सुपादा खोलते हुए लण्ड को मुह मे ले लिया ।

इधर सोनल अमन से फोन पर बाते कर रही थी और उसकी नजरे मेरे और निशा पर ही जमी थी ।

यहा निशा धीरे धीरे पुरा लण्ड मुह मे लेने लगी वही सोनल की हालत खराब होने लगी और वो अमन की बातों का कोई खास जवाब नही दे रही थी ।

निशा बडे आराम से हौले हौले अपनी अदा से मेरे लण्ड को गिला करना शुरु कर दिया था और मेरे भी हाथ उसकी चुचियॉ पर थे जो टेप के उपर से ही उन्हे सहला रहे थे ।

मेरी नजर जब भी सोनल से टकराती तो वो बस एक मुस्कान देती और मै उसे पास आने का इशारा करता तो वो मुझे फोन दिखा देती ।

इधर थोडी देर तक निशा से अपना लण्ड चुसवाने के बाद मैने उसे खड़ा किया और उसके होठ चूसने शुरु कर दिया और होठ चुस्ते हुए शॉटस के उपर से उसकी कसी हुई गाड को मसलना शुरु कर दिया ।

हाथो मे भर भर के उस्के गाड़ के पाटो को फैलाने लगा ।
फिर मैने निशा को पीठ की ओर घुमाया और सामने लाकर निचे से हाथ ले गया और उसकी चुचियॉ को पकड कर मसल दिया जिस्से निशा की तेज सिसकी निकल गयी ।

निशा की सिसकी सुन कर सोनल ने चौक कर हमे देखा तो मै धीरे धीरे सोनल को दिखाते हुए निशा का टेप उपर कर देता हू और खुली कडक चुचियॉ को हाथो मे भर कर मसलने लगता हू ।

सोनल इस सीन को देख कर कामुकता से भर जाती है और उसके हाथ खुद ब खुद उसकी चुचियॉ पर चले जाते है । उसे हमारा रोमांस देख कर नशा सा होने लगता है और वो अमन से उसकी बाते सुन कर बस हू हा मे जवाब देते हुए हमे देखकर अपनी चुचियॉ को सहलाने लग जाती है ।

यहा निशा की हालात खराब थी क्योकि मेरी सख्त खुरदरी हथेलिया उसकी कडक निप्प्ल पर घूम रही थी और वो सिसक जा रही थी । निशा मादकता बस अपनी गाड़ को मेरे लण्ड पर घिसने लगी । अपने लण्ड पर उसके मुलायम गाड़ का स्पर्श पाकर मै और उत्तेजित होने लगा और एक हाथ निशा की चुत को शोट्स के उपर से ही सहलाने लगा ।
यहा निशा और भी अठखेलियां खाने लगी मेरे बाहो मे और वही सोनल ने धीरे धीरे अपने जिस्मो के हर हिस्से को छूना शुरु कर दिया और हल्की सिसकिया भी ले रही थी ।

मेरे हाथ निशा की चुचियॉ को मसल रहे थे और वो लाल होने लगे थे और दुसरे हाथ ने उसकी चुत को रगड़ रखा था ,,,,निशा की सिसकियाँ काफी कामुक थी ,,,उसका एक हाथ मेरे लण्ड को अपनी मुथ्ठी मे कस कर उसे भींच रहा था । ये सब देख के सोनल को रहा ना गया और उसने अपनी चुचिय बाहर निकाल दी टेप से और उन्हे मसलने लगी ,,,मगर अब भी उसने फोन नही काटा था , ना जाने क्या बाते हो रही थी ।

यहा मेरे हाथ निशा के शोट्स मे घुस कर उसकी पैंटी मे भी घुस गये थे और उसके चुत के दाने को सहला रहे थे ,,,उस्की चुत पानी बहा रही थी।

मैने बिस्तर की ओर झुकाया और उसकी शॉटस को पैंटी सहित जांघो तक सरका दिया ।
फिर मै घुटने के बल बैठ कर उसके गोरे मुलायम गाड़ के पाटो को सहलाते हुए उन्हे फैलाया और अपनी जीभ पर खुब सारा लार एक्थ्था कर निशा की गाड़ के गुलाबी सुराख को गिला करने लगा ।

अपनी गाड़ के सुराख पर मेरी गीली जीभ का स्पर्श पाते ही निशा तिलमिला उठी और काँपने लगी ।
मैने उसके कूल्हो को थामा और अच्छे से जीभ चलाना शुरु कर दिया ।
निशा की हालत खराब हो रही थी और वो अपने चुतड के पाटो को सखत करते हुए एठने लगी ,,,मगर मेरी मजबूत पकड से मै उसके चुतड के मुलायम गोरे पाटो को फैलाये चुत से निचले सिरे से गाड की सुराख तक मुह धन्साये जीभ फेर रहा था ,,वही सोनल की हालत भी कुछ खास ठीक नही थी ,,,वो तो अमन की बातो को पूरी तरह से नकार चुकी थी , वो क्या बके जा रहा था उससे सोनल को कोई मतलब नही था ,,,वो ब्स हमारी कामलीला देख कर बहुत ही गरम होने लगी थी ,,,उस्के हाथ उसकी खुली चुचियॉ से सरक कर उसकी चुत तक आ गये ।

सोनल बिसतर का टेक लेके अपनी जान्घे खोल कर बैठी हुई थी और एक हाथ से शॉटस के उपर से ही अपनी चुत को सहलाते हुए ,,,बहुत ही कामुक भरी सिसकिया ले रही थी ।

इधर निशा के पैर अकडने शुरु हो गये ,,,उसका सन्तुलन बिगड़ने लगा था । मुझे अहसास हुआ कि अब वो झड़ रही है यो मैने अपनी गर्दन निचे कर उसके चुत के निचले सिरो पे लगा दिया और चपड चपड़ जीभ चलाने लगा ।

निशा अपनी सासे बन्धे झडने लगी और यही मौका मुझे सही लगा और मैने खड़ा हुआ ।
फिर मैने निशा कर एक पैर फ़ोल्ड करके बेड पर रखा और लण्ड को उसकी चुत के टिका कर एक झटके मे आधा लण्ड उतार दिया ।

निशा की आंखे बाहर हो आने लगी और उसकी सिसकी इत्नी तेज थी कि उसने मुह पर हाथ रख लिया ,,,,मै एक पल को लण्ड को ऐसे ही रोके रखा और सोनल को देखा तो वो समझ गयी कि उसे अब फोन रख देना चाहिए

सोनल - सुनो मै बाथरूम जा रही हू अभी बात करते है ,,
ये बोल कर सोनल ने फोन काट दिया और मुस्कराकर मेरी ओर इशारा किया की मै आगे बढ जाऊ ।

मैने एक बार फिर निशा से कुल्हो को सहलाते हुए थामा और एक ताकत भरा धक्का निशा की चुत मे पेल दिया ,,,मेरा लण्ड निशा की चुत को चिरता हुआ उसकी जड़ तक चला गया ।

निशा दर्द से तडप उथी ,,,उसकी सिस्कियो मे दर्द की अह्ह्ह भरी थी ।

धीरे धीरे मैने ध्कके देने शुरु किये और पेलना जारी रखा

वही सोनल ने अपने सारे कपडे निकाले और नंगी होकर अपनी चुत को निशा के सामने ले गयी ।

निशा ने भी देरी किये बिना तुरंत अपना मुह उसकी चुत मे भिड़ा दिया ।

ये सब देख कर मुझमे और भी उत्तेजना आ गयी और मै निशा के दुसरे पैर को भी उठा कर बेड पर कर दिया

अब मेरा लण्ड सीधा निचे की तरफ निशा की चुत मे उतरने लगा ,,,,जिससे और भी पागल होने लगी ।

सोनल भी जो कि हमारी चुदाई से मदहोश हुई जा रही थी वो मुझे जोरदार धक्के लगाते देख कर और भी गरम होने लगी ।
उसने निशा के बाल को पकड कर उसके चेहरे को अपनी चुत पर बडी बेरहमी से दरने लगी ,,वही मेरे लम्बे लम्बे धक्के खाने से निशा बुरी तरह से तडप जा रही थी ।

इधर सोनल भी निशा के चेहरे को अपनी चुत पर दरते हुए झड़ रही थी और मै भी लगभग चरम पर ही था ।

एक झटके मे मैने अपना लण्ड निकाल कर निशा को झटका ।
वो दोनो समझ गयी कि क्या होने वाला है और वो फटाफत अपनी मेहनत का इनाम लेने घुटनो के बल फर्श पर बैठ गयी और अपना मुह खोल कर जीभ बाहर निकाल दिया ।

निशा का चेहरा बुरा तरह से बिखरा हुआ पडा था क्योकि मैने और सोनल ने मिल कर जो बेरहमी से मजे दिये थे ,,,
इधर मेरा माल निकलने को था और मैने अपनी एडिया उच्काई और लण्ड को मुठियाते हुए पिचकारी को दोनो के मुह पर छोडा और आखिर मे लण्ड को झाड़ कर खड़ा हो गया ।

दोनो ने बारी बारी से मेरे लण्ड को निचोड़ा और किसी पेशेवर लेस्ब्न पोर्नस्टार की तरह आपस मे मेरे माल को साझा कर एक दुसरे के होठ चूसे ।

फिर हम सब उठे और बेड पर बैठ गये ।
थोडा आराम करने के बाद वो दोनो अपने कपडे पहनने लगी ।तभी मेरी नजर एक पैक हुए बैग पर गयी जो दीदी की थी ।

मै - दीदी ये बैग क्यू निकाला है ।
सोनल - अरे हा ,,वो मुझे परसो मौसी के साथ उनके घर जाना है ना ,,तो कल उसी के लिए पैकिंग करनी है ।

मै - अरे लेकिन अभी से क्यू ,,,रमन भैया की शादी मे अभी तिन हफते है ना ।

सोनल - भाई मन तो मेरा भी नही है जाने का ,,,मगर मौसी मा से बोल दी है और मा ने भी हा कर दी है । तो कल मुझे उन्ही के साथ जाना पड़ रहा है ।

मै खुश होकर - अरे कोई बात नही मौसी के यहा जाओ ,,,वैसे भी वो अकेली पड जाती है ना काम करने के लिए ।

सोनल - हा इसिलिए मा ने अनुज को भी लेके जाने को कहा है ।
मै - लेकिन अनुज को क्यू
सोनल - पता नही , और कल हम सब लोग शॉपिंग के लिए भी जायेंगे ,,,फिर परसो यही से गाडी बुक करके मौसी के यहा सारा सामान लेके निकल जायेंगे ।

मै उलझन में - लेकिन ये सब प्लानिंग कब हुई
सोनल - अरे वो तो कल शाम को ही जब मौसी आई तो तभी । उस वक़्त तू था नही ना और इतने काम पड़े थे तो किसी को ध्यान मे ही नही आया ।

मै - हा ये भी है ,,,,कोई बात नही कल मै बात कर लूंगा मम्मी से ,,,
फिर मै उन दोनो को सोने का बोल कर नीचे चला आया ।
वैसे भी थक ही चुका था और कल फिर से भागा दौडी होनी थी । इसिलिए मै भी सो गया ।


सुबह 6 बजे मोबाईल का अलार्म बजा और मेरी निद खुली तो मै उठकर बाथरूम मे की ओर गया तो दरवाज बंद था ।

बाथरुम के दरवाजे पर खटपट सुन कर अन्दर से रज्जो मौसी की आवाज आई और मै इत्मीनान हो गया ।
फिर मै कमरे से निकल कर बाहर आया तो देखा कि चाचा चाची निशा राहुल सब लोग अपने घर निकल रहे है और मा भी एक मैकसी पहने बाहर गयी थी ।
मै - क्या हुआ सब लोग इतनी सुबह क्यू जा रहे हो
मा - पुछ वही अपनी चाची से पता नही कौन सी जल्दी है
चाची सफाई देते हुए - अरे बेटा बहुत काम पड़ा है ,,,इतने दिन से यही थी तो घर मे सारा समान बिखरा है ,,सारा कुछ साफ सफाई भी करना पडेगा ना

मै भी उनकी सम्स्या को समझा आखिर वो लोग हमारे लिए ही तो अपना काम सब कुछ छोड कर हमारे साथ लगे थे ।

तो मैने भी उनको जाने की इजाजत दी ।
फिर मै भी 8 बजे तक नहा धो कर फ्रेश हुआ और नास्ते के लिए आया ।


सभी लोग नासता कर रहे थे तो मैने मौसी से नाराजगी जताते हुए बोला कि कयू आखिर उन्होने मुझे नही बताया कि वो सोनल और अनुज को लिवा के जा रही है ।फिर मा ने मुझे प्यार से दुलारा और समझाया कि वहा ज्यादा लोग नही है ना तो ये लोग रहेंगे तो काम मे हाथ बट जायेगा ।
नासता करने के बाद मै और पापा अपने दुकान के लिए निकल गये थे और मैने बोल दिया कि वो लोग अनुज को ही लिवा जाये शॉपिंग के लिए ।

मा ने भी मेरी हालत समझी क्योकि मै बहुत थक गया था और मुझे दुकान भी देखना था । चुकी इस समय शादियो का समय चल रहा है तो अकेले अनुज के बस था नही कि वो सम्भाल ले ।

फिर मै दुकान पर निकल गया और देखते ही देखते आज का दिन बीत गया ।

रात को 8 बजे तक मै घर गया तो हाल मे काफी सारे समान की पैकिंग चल रही थी ।

मै - मौसी यहा से क्यू इत्ना सब ढो रही हो आप ,,, वहा शहर मे तो सब बडी आसानी से मिल जाता आपको

मौसी - अरे लल्ला ,,वहा मै अकेले घूम कर कितना और क्या क्या लेती ,,यहा तेरी मा ने मेरी मदद कर दी है अब कल हम लोग निकल जायेंगे गाडी बुक करके

मै - हा ये भी सही है ।
इधर मा और दीदी किचन मे खाना बना रही थी और अनुज मौसी के साथ समान की पैकिंग कर रहा था ।
इतने मे पापा भी आ गये और वो भी इतनी सारी शॉपिंग के लिए वही सब पुछताछ किये जो मैने की थी और मैने उन्हे जवाब देके संतुष्ट किया ।

रात मे 9 बजे तक खाना के बाद हम सब अपने अपने कमरो मे सोने चले गये ।
रात मे मौसी मेरे साथ ही सोयी और एक राउंड की जोरदार चुदाई के बाद मैने उन्हे पापा के पास भेज दिया और खुद उपर दीदी के पास चला गया ।


जारी रहेगी ।
Bahutey badhiya update bhayya ji
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