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So update will comes after next week.
Enjoy your day
& very imp
हिलाते रहो
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हिलाते रहो
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Bahot behtareen zaberdastUPDATE 91
खाने के बाद मै मम्मी पापा को बोल कर उपर छत पर दीदी के साथ सोने चला गया ।
कमरे मे जाते ही
दीदी अपना स्टाल जो अक्सर टीशर्ट पर डाले रहती है जब पापा या कोई बाहर का आता है उसको निकाल कर सोफे पर रखते हुए मटकते हुए चुतड को लोवर मे और भी कामुक अदा से थिरका कर एक कातिल मुस्कान के साथ गरदन घुमा कर बोली - ओह्ह क्या बात है आज बड़ी फ़िकर हो रही है मेरी हम्म्म
मै अपनी तारिफ सुन कर थोडा शर्माया और फिर मुस्कुरा कर उसको पीछे से हग करते हुए उसके गाल से अपने गाल सटा कर बोला - आपका हक बनता है दीदी , आज जो कुछ भी आपने मुझे दिया उसके आगे ये सब कुछ नही है
सोनल थोडा जिज्ञासू भाव से ह्स कर - तुझे अच्छा लगा ना बस ,,तू खुश तो मै खुश
मै उसको अपने सामने कर उसकी आंखो मे देखते हुए बोला - दीदी , मै जानता हू आप अमन से कितना प्यार करती है फिर भी मेरे लिए क्यू
सोनल ह्स कर मेरे गाल दुलारते हुए - हम्म्म , तो तू ये जानता चाहता है कि मै अमन से प्यार करती हू फिर भी मैने तेरे साथ कैसे राजी हो गयी इनसब के लिए
मै हा मे सर हिलाया
सोनल - भाई मेरे दिल मे जो अमन के लिए प्यार है वो सच्चा है , मुझे उसके साथ एक आजादी एक सुकून सा मह्सूस होता है और वो बहुत ही केयरिंग है और दिल का बहुत ही अच्छा है । तो उस्के लिये जो भी फीलिंग है वो सब मेरे दिल से है
मै - और मेरे लिए
सोनल थोडा माप तोल कर बोलने के अंदाज मे - हम्म्म्म तु तो मेरी फैंटेसी है हिहिहिही
मै हस कर - मतलब
सोनल हस कर - मतलब की मै भले ही अमन से प्यार करू और उसके साथ फिजीकल हो जाऊ लेकिन अपने सगे भाई के साथ सेक्स करने का ख्याल आना ही एक अलग जोश है भाई तू नही समझेगा हिहिहिही और मेरी लाइफ का पहला सेक्स ही मेरे भाई से हुआ तो हुई ना फैंटेसी हाहाहा
मै थोड़ा उलझन मे था लेकिन थोड़ी देर तक सोच विचार कर बात समझ गया कि दीदी को वो सेक्स स्टोरी पढने का असर था और उन्के दिल मे कही ना कही मेरे लिए फैंटेसी तभी बनी होगी ,,,जैसे मेरे दिल मे हुई थी
मै सोचा क्यू ना दीदी से पुछ लू की कही उनको पापा के लिए भी तो कोई फैंटसी होगी
फिर सोचा ऐसे नही , शायद ऐसे सीधे पुछने पर वो बात घुमा दे या बात ही छुपा ले क्योकि बाते ब्नाने और लपेटने मे वो काफी माहिर थी और उसका उदाहरन अमन था ।
कैसे मेरे साथ चुदाई भी कर ली और वही अमन को एक एक किस्स के एमोजी तक के लिए भी तरसा रही थी ।
इसलिए मैने सोचा इसको अभी अपने रंग मे रंग जाने दो थोडा खोल लू फिर इसके दिल की भड़ास को बाहर लेके आना है ।
खैर जो भी हुआ हो आगे बहुत मजा आने वाला था ।
ऐसे कुछ देर बाते चली और उस रात एक बार और मैने दीदी को चोदा । इस बार खुले शब्दो मे जी भर उसने अपने दिल की बाते बाहर निकाली ।
रात बीती सुबह दीदी ने मुझे 5 बजे जगा दिया और बोली कपडे पहन और निचे जा
मै भी उसको एक बार किस्स किया और अपने कमरे मे गया फ्रेश हुआ और निकल गया सुबह सुबह टहलने के लिए और उम्मीद लेके की काश आज सरोज मिल जाये
मै घर से निकला और बस स्टैंड की ओर गया वहा सुन सन्नाटा था और अभी 5.30 ही हो रहे थे ज्यादा लोग क्या मेरे अलावा कोई नही था ।
हा कुछ आवारा कुत्ते बस स्टैंड के बाथरूम के तरफ भौक रहे थे । उनका तो रोज का काम होता है साले सुबह सुबह शुरु हो जाते है ।
खैर मै वही शान्ति से बैठा और सरोजा के आने का इन्तेजार करने लगा लेकिन ये कुत्ते शान्ति से रहने दे तब ना
मै झिझक कर बस स्टैंड के कम्पाउंड मे गिरी एक आम के पेड़ की छोटी लड्की उठाई और उन कुत्तो को हाक दिया
वो सब भाग गये ।
फिर वापस आकर चेयर पर बैठ गया कि तभी पीछे से एक आवाज आई जिससे मै खुश हो गया
?? - थैंक यू यार आज तो तुमने बचा लिया
मै खुशी से पीछे घुमा तो देखा कि ये तो सरोजा जी है
मै थोडा उलझन भरे लहजे मे हस कर - अरे आप इधर से,, अच्छा तो बाथरूम ने आप ही थी क्या जिस पर ये ....
सरोजा हस कर - हा क्यू तुमने देखा नही
मै हस कर - अरे मुझे पता होता कि ये आप पर भौक रहे होते तो मा चो ....
इतना बोल के रुक गया और मुझे समझ मे आया और मैने खुद पर नियंत्रण किया
जिससे सरोजा हसने लगी
मै ह्स कर थोडा शर्म के भाव मे - सो सो सॉरी
सरोजा ह्स कर - इट्स ओके राज , होता है कभी कभी
सरोजा - वैसे आज बडे सवेरे आ गये क्यू , वो भी इतने दिन बाद मिले हा
मै - आज थोडा जल्दी उठ गया तो सोचा क्यू ना एक नजर सुबह सुबह चांद देख लू
सरोजा थोडा उत्सुक भाव से हस कर - अरे सुबह सुबह सूरज देखते है चान्द कहा
मैने एक नजर सरोजा के तरासे हुए जिस्म मे मारा और उनकी नशीली आंखो मे झाक कर बोला - सुबह सुबह सूरज की लाली मे इस चांद को देखने का म्जा आप नही समझ सकती हो मैडम
मेरी बात का मतलब समझ कर सरोजा पूरी तरह से शर्मा कर झेप सी गयी और मुह फेर कर हाथ रख कर हसने लगी
सरोजा - तुम नही सुधरोगे हा
मै ह्स कर - किसी को बिगडा हुआ ज्यादा पसंद हू मै , बस इसिलिए
सरोजा मुस्कुरा रही और वही मेरी नजर उसकी लोवर मे उभरी गाड की गोलाई माप रही थी जिससे मेरे लण्ड मे कसाव हो रहा था ।
सुबह का समय था और बस स्टैंड के कम्पाउंड मे हम दोनो की थे मौका मेरे हाथ मे था बस पहल की जरुरत थी और सरोजा मेरे बाहो मे होती
लेकिन सरोजा ऐसी रबड़ी थी जिसे मै बडे आराम से छोटे चम्मच के चिख चिख कर खाना चाहता था , हालकी वो काफी गरम औरत थी फिर भी अपने होश हवास मे खुद को बहुत ही अव्वल दर्जे की सहूलियत मे रखती थी और अपना स्तर कभी भी कम नही होने देती थी समाज मे ।
और मै भी उसके इस स्वभाव का सम्मान करता था इसिलिए मै खुले कोई रिस्क नही लेना चाहता था ।
सरोजा मुझे सोच मे डूबा देख कर और मेरी नजर अपनी उभरी हुई गाड पर पाता देख कर बोली - कुछ ज्यादा गहरे मे तो नही चले गये राज बाबू हिहिही
मै झेपा और उसके सवाल का दोहरा मतलब समझ गया और बोला - मेरा क्या है सरोजा जी मुझे गहरी चीजे बहुत पसंद है । अब वो बातो की गहराई हो या ,,,
सरोजा ह्स कर आगे चलते हुए -बस बस समझ गयी
मै भी उसके साथ चलते हुए - वैसे आपकी दिल्ली की ट्रिप कैसी गयी
सरोजा - अच्छी थी और थोडी बेकार भी
मै उत्सुकता से - बेकार थी मतलब ,,सब कुछ ठीक ठाक तो था ना
सरोजा हस कर - हा सब ठीक ठाक था ब्स फ्लाइट मे मेरे एक्स हस्बैंड मिल गये थे और मुझे देख कर थोडा शौक्ड हुए और फिर मुझसे बात करने के लिए उत्सुकता दिखाई लेकिन मैने इग्नोर किया
मै समझ गया कि सरोजा का एक्स हस्बैंड ने सरोजा को क्यू छोडा था और क्यू अब वो मिलने को बेकरार था
मै - तो फिर कुछ बात हुई की नही उनसे
सरोजा - नही यार मै उस घटिया इन्सान से बात करने वाली नही थी और ना ही मौका दिया उसे
मै थोडा सोच मे था तो मुझे देख कर सरोजा बोली- अरे उसकी चिन्ता ना करो मै बीते हुए बुरे वक़्त की याद नही रखती
मै थोडा खुश हुआ और बोला - सरोजा जी बुरा ना मानिये तो एक बात पूछू
सरोजा मुस्कुरा कर - हा हा क्यू, और तुम कबसे परवाह करने लगे कि मुझे कुछ बुरा लगेगा, इतने दिनो से मेरे साथ फलर्ट कर पाते क्या अगर मुझे बुरा लगता हिहिहिही
मै ह्स्ते हुए - हा जी ये बात है ,,लेकिन मै जो पुछने जा रहा हू वो आपने बीते जीवन से है
सरोजा थोडा शांत हुई और बोली - पुछ लो ना उसमे क्या है
मै थोडा हिचक कर - वैसे आपकी तलाख किस बात को लेके हुई थी ,
मेरी बात सुन कर हसती चहचहाती सरोजा थम सी गयी
मै थोडा नरम भाव से - माफ कीजिएगा, मै आपको कोई तकलीफ नही देना चाहता ,,बस आपकी मर्जी है अगर आप मेरे साथ शेयर करना चाहो तो
सरोजा एक गहरी सास लेते हुए - अरे नही राज तुम क्यू माफी माग रहे ,,,,वैसे भी ये सवाल मेरे लिए नया नही है मै काफी लोगो को जवाब दे चुकी हू तो कोई बात नहीं अगर तुमने भी पुछा तो
मै थोडा रिलैक्स हुआ और बोला - तो बताईये ना क्या हुआ था
इधर हम बाते करते हुए मेन सड़क पर आ गये थे और धीरे धीरे उजाला ज्यादा होने से बाकी के लोग भी आने जाने लगे थे ।
सरोजा मुस्कुरा कर - तुम कब फ्री इधर
मै उलझन भरे लहजे मे - मतलब
सरोजा हस कर - अरे यार ,,ये टॉपिक बहुत बड़ा है और ऐसे सड़क पर तो तुम्हारे साथ मै ये सब नही बाट सकती ना ,,कभी आओ ऑफ़िस मेरे वही बात करते है ठीक
मै - हा हा क्यू नही ,,बस 3 4 दिन मे मेरा भाई आ जायेगा तो मै आता हू मिलने आपसे
फिर सरोजा मुझे बाय बोल कर घर की ओर निकल गयी और मै अपने घर की ओर
जैसा की मैने बताया था सरोजा एक अव्वल दर्जे की सहूलियत के साथ समाज मे पेश आती थी ताकि उसके सम्मान पर कोई टिप्पणि ना करे ना सामने ना पीठ पीछे ही ।
मै समझ गया कि ये बात जो मैने पूछी उस्से शायद वो मुझे कुछ अलग ही बताने वाली जो आज तक बाकियो को पता होगा उसके गुजरे कल के बारे मे । ये काफी हद तक भावनात्मक रूप भी ले ले शायद या वो अपनी भावना को जग जाहिर ना करने के उद्देश्य से ही मुझे व्यक्तिगत रूप से मिलने को बोला हो ।
खैर जो भी होना था मै उसके लिए तैयार था क्योकि अब तो मेरे दिल मे उसके गुजरे कल का सही रूप जानने का तलब थी ।
मै घर आया और नहा कर नाशत किया और निकल गया दुकान पर
समय बीता और उस बात को चार दिन बीत गये ।
आज अनुज घर आने वाला था । उसके आने के पहले ही बीते रात को खाने पर सोनल की शादी को लेके चर्चा हुई कि अनुज के आने के बाद एक बार अमन के परिवार और हमारे परिवार की मिटिंग कर ली जाय ताकि आगे की तैयारियो मे कोई दिक्कत ना और इसी बहाने हम सब आपस मे मिल जुल लेंगे ।
वही इन चार दिन मे मै रोज दोपहर मे दीदी को जम कर चुदाई करता और रात मे मा और पापा के साथ मस्ती होती । सुबह मे एक बार और बीच मे सरोजा से मुलाकात हुई लेकिन उसने तय किया था कि वो ये सब बाते ऑफ़िस मे ही करेगी तो मैने कोई खास चर्चा नही की ।
आज सुबह मै तैयार होकर दुकान गया और 12 बजे तक अनुज दुकान पर आया
मै उस वक़्त काम मे लगा था और ग्राहक के जाते ही
मै मुस्कुरा कर - और भाई कैसी रही छुट्टी तेरी
अनुज हा मे सर हिला कर - अच्छा था भैया
मै -फिर कहा कहा घुमे
अनुज - भैया हम लोग किला देखने गये थे , फिर अगले दिन सिनेमा भी गये , फिर उसके अगले दिन वाटरपार्क ,,,,
मै खुशी से अनुज की बात काटते हुए - वाह भाई वाटरपार्क हां,,, मस्त माल देख के आया तू हिहिहिही
अनुज मेरी बात से शर्मा रहा था
मै हस कर - अरे अब बोल ना , वहा देखते हुए नही शर्माया तो यहा क्यू ,,, मुझसे शर्म आ रही है
अनुज हस कर - नही भैया वो हम लोग फुल फैमिली गये थे वाटरपार्क के एक प्राइवेट पूल मे ,,,वहा घर की लेडीज़ के अलावा कोई नही था बाहरी
मै समझ गया कि अनुज का दिल साफ है और वो रिश्तो को अहमियत देना बखूबी जानता है लेकिन घरेलू माल को खुला देखना तो मजेदार होगा ही ना , मन के कोने में छुआ हवस थोडा सा ही सही लेकिन घरेलू माल को पानी मे गोता लगाते देख लंड को जगा जरुर देता है ।
फिर मैने अनुज का मन टटोलेते हुए - वैसे कौन कौन था भाई साथ मे
अनुज - सब घर वाले भैया ,, राहुल के मौसी - मौसा और उनका बेटा आकाश , बेटी सौम्या , मै और राहुल , आकाश के चाचा चाची भी थे ।
मै - हम्म्म फिर कोई पटाया कि नही हिहिहिही
अनुज शर्मा कर लेकिन खुले दिल से बोला - कहा भैया , ज्यादा समय तक तो हम लोग फैमिली के साथ ही थे अकेले घूमने का मौका नही मिला ज्यादा
मै - चल कोई बात नही , मजा किया ना तुने
अनुज - हा भैया ,,लेकिन आपको पता है
मै अचरज से - क्या बता
अनुज बडे ध्यान से - वो आकाश है ना वो बहुत ही घटिया है
मै - मतलब
अनुज संकोच करते हुए - भैया वो गंदी गंदी कहानिया पढता है और ,
मै - और क्या
अनुज - वो अपने मम्मी और चाची का नाम लेके बाथरूम मे वो सब करता है
मै समझ गया कि अनुज क्या कहना चाहता था
मै जानबुझ कर चौकने का नाटक किया - नही नही भाई तुझे गलतफहमी हुई होगी ।
अनुज अब अपनी बातो पर जोर देते हुए कहा - नही भैया मैने देखा है उसे बाथरूम मे अपनी मा और चाची का नाम लेके बाथरूम मे हिलाते हुए
ये बोल कर अनुज चुप हो गया
मै - चल कोई बात नही ,,तूझे कोई परेशानी तो नही है उस बात से
अनुज उलझन मे - नही भैया ,बस मेरे दिमाग मे आ रहा है कि कोई अपनी मा या चाची के बारे मे कैसे सोच लेता है ऐसे ,,,कितना गन्दा है वो छीईई
मै हस कर - फिर तो किसी लडकी के बारे मे भी सोचना गन्दा होगा ना भाई
अनुज - वो कैसे
मै हस कर - अरे वो भी तो किसी की बहन या बेटी होगी ना
अनुज बेजवाब था
मै वाप्स उसे समझाते हुए - अरे पगलु ,, तु अपना मन साफ रख और समाज के बुरे प्रभाव से दुर रह और अगर किसी से तेरा लगाव हो तो उसे कबूल करके आगे बढ़ ,,,,
अनुज - जी भैया
मै ह्स कर -अब बता सही सही कोई पसंद आई है या नही
अनुज मुस्कुरा कर - नही भैया , वो आकाश को लेके इतना परेशान था कि किसी और पर फोकस ही नही कर पाया
मै हस के - तू उसकी चिन्ता छोड वो गलत नही है
अनुज चौक कर - ऐसा क्यू
मै उसे समझाते हुए - अब देख उसे पता है कि वो उसकी मा और चाची है लेकिन उसके हथियार को थोडी पता ,,,ये ह्यूमन केमिकल रियेक्शन का प्रभाव है कि कोई भी अच्छी और खुबसुरत चीज पर हमारा अवचेतन मन तत्काल प्रतिक्रिया दे देता और जब तक चेतन मन रिश्ते की अहमियत का अह्सास दिलाये तब तक हवस उस इन्सान पर भारी हो चुका होता है और चेतन मन बार बार उस गलत भावना को हटाने के प्रेरित करता है और ऐसे लोग जल्द जल्द हस्तमैथुन कर वो हवस भरी ऊर्जा को बाहर निकाल देते है और फिर धीरे धीरे सब सामान्य हो जाता है ।
अनुज मेरे जवाब से खुश होकर - ओह्ह्ह ये बात है ,, वैसे आपको इतनी जानकारी कैसे है भैया
मै हस कर - बेटा तुझसे 3 साल बड़ा हू ,, समय आने दे वक़्त और समाज सब सिखा देगा और रही सही कसर मै पूरी कर दूँगा
फिर हम हसने
फिर मैने खाना खाया और उसी समय को रात मे खाने के बाद हम सब हाल मे बैठे हुए थे और सोनल की शादी को लेके चर्चा हो रही थी ।
मा - आपने बात की जी अमन के पापा से की नही
पापा - हा रागिनी बात हो गयी है और वो लोग घर पर ही बुला रहे हैं
मै - उन्के घर क्यू पापा ,,, हमारे घर ही बुला लो ना
पापा - बेटा मैने बोला था लेकिन मुरारीलाल जी का कहना है कि अमन की मा चाहती है शादी से पहले एक बार सोनल घर बार देख लेगी और उसकी कोई फरमयिश होगी तो वो भी बता सकती है कि उसके रूम मे कैसा सुविधा चाहिये ।
मै दीदी को छेड़ते हुए -ओह्हो बडे दिलदार है तेरे ससुराल वाले हा
सोनल तुनक कर - हा तो किस्मत है मेरी ,, क्यू मा
मा बडे प्यार उसे हग करते हूए - हा बेटी , मै तो बहुत खुश हू इस रिश्ते से
फिर तय हुआ कि तीन दिन बाद अमन के यहा जाना है और कल ही नये कपडे शगुन के सामान ले लिये जाये ।
मा - मै शालिनी को बोल देती हू
सोनल चहक कर - मै भी निशा को
पापा - हा हा भाई ठीक है तो फिर तय रहा कल दुकान पर अनुज बैठ जायेगा और मै तो मेरी दुकान पर रहूंगा ही और राज बेटा तू अपनी मम्मी चाची और दोनो बहानो के साथ सरोजा कॉमप्लेक्स जायेगा खरीदारी के लिए
सबने हामी भरी वही अनुज ने नये जुते की फरमयिश भी की जो खुशी खुशी पापा मान गये ।
रात मे दीदी मुझे समान की लिस्ट बनाने के बहाने अपने कमरे मे लिवा गयी और मैने उसकी जबरदस्त चुदाई की और फिर सोने कमरे मे आया तो देखा सरोजा के 10 से भी ज्यादा मिसकाल थे और मैसेज भी
मै सोचा कल इस्से मिल ही रहा हू तो क्यू ना थोडा और परेशान किया जाये क्योकि मै जानता था सरोजा मेरे से बात करने के लिए बेताब रहती थी ।
मै बिना कोई रिप्लाई के फोन वैसे ही रख कर सो गया ।
जारी रहेगी
Shandaar jaandaar chudaidaar... Sonal ka bhi ho hi gaya aakhir.. nice update dost
Itne busy time mein bhi aap update de rahe ho bro.kamaal kar rahe ho aap.update ke liye thanks.superb story hai bro.
खूबसूरत एवं भावनात्मक अपडेट।
bahut khub
Fantastic update bro... humme to papa ka character bahut achhi lagti hai ,....... madanlal....
Awesome update bhai
मस्त है।
यूं ही छाये रहो।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा।
Der Saber hi sahi aise hi update dete rahen. Pratiksha agle update ki
यूं ही छाये रहो।
अगली कड़ी की प्रतीक्षा।
Nice update
Bahot behtareen zaberdast
Shaandaar update bhai
Lajawab
Ati uttam story likh rahe ho. Aise hi lage raho, hum sab aapke sath hai. Agle update ki pratiksha
Dost aapne ye story bahot khub likhi maja aaya phaddddd ke.
Abi aap es story ko end ki traf le jaa sakte ho , jesaa aapne bola h aap nayi story likhe rhe ho Incest pr , uska besabri se intjar h.
Incest story's m alag he maja aaata h.
Ek suggestions h bs , naye story m Hero Ek hi rkhnaa.
Big family story
Waiting
Pratiksha agle Rasprad update ki
इंतजार रहेगा अगले अपडेट का
Excellent update
Waiting bhai
Pratiksha agle rasprad update ki
Aap sbhi ki pratikriya ke liye dhanywaadWaiting
nice for nextUPDATE 91
खाने के बाद मै मम्मी पापा को बोल कर उपर छत पर दीदी के साथ सोने चला गया ।
कमरे मे जाते ही
दीदी अपना स्टाल जो अक्सर टीशर्ट पर डाले रहती है जब पापा या कोई बाहर का आता है उसको निकाल कर सोफे पर रखते हुए मटकते हुए चुतड को लोवर मे और भी कामुक अदा से थिरका कर एक कातिल मुस्कान के साथ गरदन घुमा कर बोली - ओह्ह क्या बात है आज बड़ी फ़िकर हो रही है मेरी हम्म्म
मै अपनी तारिफ सुन कर थोडा शर्माया और फिर मुस्कुरा कर उसको पीछे से हग करते हुए उसके गाल से अपने गाल सटा कर बोला - आपका हक बनता है दीदी , आज जो कुछ भी आपने मुझे दिया उसके आगे ये सब कुछ नही है
सोनल थोडा जिज्ञासू भाव से ह्स कर - तुझे अच्छा लगा ना बस ,,तू खुश तो मै खुश
मै उसको अपने सामने कर उसकी आंखो मे देखते हुए बोला - दीदी , मै जानता हू आप अमन से कितना प्यार करती है फिर भी मेरे लिए क्यू
सोनल ह्स कर मेरे गाल दुलारते हुए - हम्म्म , तो तू ये जानता चाहता है कि मै अमन से प्यार करती हू फिर भी मैने तेरे साथ कैसे राजी हो गयी इनसब के लिए
मै हा मे सर हिलाया
सोनल - भाई मेरे दिल मे जो अमन के लिए प्यार है वो सच्चा है , मुझे उसके साथ एक आजादी एक सुकून सा मह्सूस होता है और वो बहुत ही केयरिंग है और दिल का बहुत ही अच्छा है । तो उस्के लिये जो भी फीलिंग है वो सब मेरे दिल से है
मै - और मेरे लिए
सोनल थोडा माप तोल कर बोलने के अंदाज मे - हम्म्म्म तु तो मेरी फैंटेसी है हिहिहिही
मै हस कर - मतलब
सोनल हस कर - मतलब की मै भले ही अमन से प्यार करू और उसके साथ फिजीकल हो जाऊ लेकिन अपने सगे भाई के साथ सेक्स करने का ख्याल आना ही एक अलग जोश है भाई तू नही समझेगा हिहिहिही और मेरी लाइफ का पहला सेक्स ही मेरे भाई से हुआ तो हुई ना फैंटेसी हाहाहा
मै थोड़ा उलझन मे था लेकिन थोड़ी देर तक सोच विचार कर बात समझ गया कि दीदी को वो सेक्स स्टोरी पढने का असर था और उन्के दिल मे कही ना कही मेरे लिए फैंटेसी तभी बनी होगी ,,,जैसे मेरे दिल मे हुई थी
मै सोचा क्यू ना दीदी से पुछ लू की कही उनको पापा के लिए भी तो कोई फैंटसी होगी
फिर सोचा ऐसे नही , शायद ऐसे सीधे पुछने पर वो बात घुमा दे या बात ही छुपा ले क्योकि बाते ब्नाने और लपेटने मे वो काफी माहिर थी और उसका उदाहरन अमन था ।
कैसे मेरे साथ चुदाई भी कर ली और वही अमन को एक एक किस्स के एमोजी तक के लिए भी तरसा रही थी ।
इसलिए मैने सोचा इसको अभी अपने रंग मे रंग जाने दो थोडा खोल लू फिर इसके दिल की भड़ास को बाहर लेके आना है ।
खैर जो भी हुआ हो आगे बहुत मजा आने वाला था ।
ऐसे कुछ देर बाते चली और उस रात एक बार और मैने दीदी को चोदा । इस बार खुले शब्दो मे जी भर उसने अपने दिल की बाते बाहर निकाली ।
रात बीती सुबह दीदी ने मुझे 5 बजे जगा दिया और बोली कपडे पहन और निचे जा
मै भी उसको एक बार किस्स किया और अपने कमरे मे गया फ्रेश हुआ और निकल गया सुबह सुबह टहलने के लिए और उम्मीद लेके की काश आज सरोज मिल जाये
मै घर से निकला और बस स्टैंड की ओर गया वहा सुन सन्नाटा था और अभी 5.30 ही हो रहे थे ज्यादा लोग क्या मेरे अलावा कोई नही था ।
हा कुछ आवारा कुत्ते बस स्टैंड के बाथरूम के तरफ भौक रहे थे । उनका तो रोज का काम होता है साले सुबह सुबह शुरु हो जाते है ।
खैर मै वही शान्ति से बैठा और सरोजा के आने का इन्तेजार करने लगा लेकिन ये कुत्ते शान्ति से रहने दे तब ना
मै झिझक कर बस स्टैंड के कम्पाउंड मे गिरी एक आम के पेड़ की छोटी लड्की उठाई और उन कुत्तो को हाक दिया
वो सब भाग गये ।
फिर वापस आकर चेयर पर बैठ गया कि तभी पीछे से एक आवाज आई जिससे मै खुश हो गया
?? - थैंक यू यार आज तो तुमने बचा लिया
मै खुशी से पीछे घुमा तो देखा कि ये तो सरोजा जी है
मै थोडा उलझन भरे लहजे मे हस कर - अरे आप इधर से,, अच्छा तो बाथरूम ने आप ही थी क्या जिस पर ये ....
सरोजा हस कर - हा क्यू तुमने देखा नही
मै हस कर - अरे मुझे पता होता कि ये आप पर भौक रहे होते तो मा चो ....
इतना बोल के रुक गया और मुझे समझ मे आया और मैने खुद पर नियंत्रण किया
जिससे सरोजा हसने लगी
मै ह्स कर थोडा शर्म के भाव मे - सो सो सॉरी
सरोजा ह्स कर - इट्स ओके राज , होता है कभी कभी
सरोजा - वैसे आज बडे सवेरे आ गये क्यू , वो भी इतने दिन बाद मिले हा
मै - आज थोडा जल्दी उठ गया तो सोचा क्यू ना एक नजर सुबह सुबह चांद देख लू
सरोजा थोडा उत्सुक भाव से हस कर - अरे सुबह सुबह सूरज देखते है चान्द कहा
मैने एक नजर सरोजा के तरासे हुए जिस्म मे मारा और उनकी नशीली आंखो मे झाक कर बोला - सुबह सुबह सूरज की लाली मे इस चांद को देखने का म्जा आप नही समझ सकती हो मैडम
मेरी बात का मतलब समझ कर सरोजा पूरी तरह से शर्मा कर झेप सी गयी और मुह फेर कर हाथ रख कर हसने लगी
सरोजा - तुम नही सुधरोगे हा
मै ह्स कर - किसी को बिगडा हुआ ज्यादा पसंद हू मै , बस इसिलिए
सरोजा मुस्कुरा रही और वही मेरी नजर उसकी लोवर मे उभरी गाड की गोलाई माप रही थी जिससे मेरे लण्ड मे कसाव हो रहा था ।
सुबह का समय था और बस स्टैंड के कम्पाउंड मे हम दोनो की थे मौका मेरे हाथ मे था बस पहल की जरुरत थी और सरोजा मेरे बाहो मे होती
लेकिन सरोजा ऐसी रबड़ी थी जिसे मै बडे आराम से छोटे चम्मच के चिख चिख कर खाना चाहता था , हालकी वो काफी गरम औरत थी फिर भी अपने होश हवास मे खुद को बहुत ही अव्वल दर्जे की सहूलियत मे रखती थी और अपना स्तर कभी भी कम नही होने देती थी समाज मे ।
और मै भी उसके इस स्वभाव का सम्मान करता था इसिलिए मै खुले कोई रिस्क नही लेना चाहता था ।
सरोजा मुझे सोच मे डूबा देख कर और मेरी नजर अपनी उभरी हुई गाड पर पाता देख कर बोली - कुछ ज्यादा गहरे मे तो नही चले गये राज बाबू हिहिही
मै झेपा और उसके सवाल का दोहरा मतलब समझ गया और बोला - मेरा क्या है सरोजा जी मुझे गहरी चीजे बहुत पसंद है । अब वो बातो की गहराई हो या ,,,
सरोजा ह्स कर आगे चलते हुए -बस बस समझ गयी
मै भी उसके साथ चलते हुए - वैसे आपकी दिल्ली की ट्रिप कैसी गयी
सरोजा - अच्छी थी और थोडी बेकार भी
मै उत्सुकता से - बेकार थी मतलब ,,सब कुछ ठीक ठाक तो था ना
सरोजा हस कर - हा सब ठीक ठाक था ब्स फ्लाइट मे मेरे एक्स हस्बैंड मिल गये थे और मुझे देख कर थोडा शौक्ड हुए और फिर मुझसे बात करने के लिए उत्सुकता दिखाई लेकिन मैने इग्नोर किया
मै समझ गया कि सरोजा का एक्स हस्बैंड ने सरोजा को क्यू छोडा था और क्यू अब वो मिलने को बेकरार था
मै - तो फिर कुछ बात हुई की नही उनसे
सरोजा - नही यार मै उस घटिया इन्सान से बात करने वाली नही थी और ना ही मौका दिया उसे
मै थोडा सोच मे था तो मुझे देख कर सरोजा बोली- अरे उसकी चिन्ता ना करो मै बीते हुए बुरे वक़्त की याद नही रखती
मै थोडा खुश हुआ और बोला - सरोजा जी बुरा ना मानिये तो एक बात पूछू
सरोजा मुस्कुरा कर - हा हा क्यू, और तुम कबसे परवाह करने लगे कि मुझे कुछ बुरा लगेगा, इतने दिनो से मेरे साथ फलर्ट कर पाते क्या अगर मुझे बुरा लगता हिहिहिही
मै ह्स्ते हुए - हा जी ये बात है ,,लेकिन मै जो पुछने जा रहा हू वो आपने बीते जीवन से है
सरोजा थोडा शांत हुई और बोली - पुछ लो ना उसमे क्या है
मै थोडा हिचक कर - वैसे आपकी तलाख किस बात को लेके हुई थी ,
मेरी बात सुन कर हसती चहचहाती सरोजा थम सी गयी
मै थोडा नरम भाव से - माफ कीजिएगा, मै आपको कोई तकलीफ नही देना चाहता ,,बस आपकी मर्जी है अगर आप मेरे साथ शेयर करना चाहो तो
सरोजा एक गहरी सास लेते हुए - अरे नही राज तुम क्यू माफी माग रहे ,,,,वैसे भी ये सवाल मेरे लिए नया नही है मै काफी लोगो को जवाब दे चुकी हू तो कोई बात नहीं अगर तुमने भी पुछा तो
मै थोडा रिलैक्स हुआ और बोला - तो बताईये ना क्या हुआ था
इधर हम बाते करते हुए मेन सड़क पर आ गये थे और धीरे धीरे उजाला ज्यादा होने से बाकी के लोग भी आने जाने लगे थे ।
सरोजा मुस्कुरा कर - तुम कब फ्री इधर
मै उलझन भरे लहजे मे - मतलब
सरोजा हस कर - अरे यार ,,ये टॉपिक बहुत बड़ा है और ऐसे सड़क पर तो तुम्हारे साथ मै ये सब नही बाट सकती ना ,,कभी आओ ऑफ़िस मेरे वही बात करते है ठीक
मै - हा हा क्यू नही ,,बस 3 4 दिन मे मेरा भाई आ जायेगा तो मै आता हू मिलने आपसे
फिर सरोजा मुझे बाय बोल कर घर की ओर निकल गयी और मै अपने घर की ओर
जैसा की मैने बताया था सरोजा एक अव्वल दर्जे की सहूलियत के साथ समाज मे पेश आती थी ताकि उसके सम्मान पर कोई टिप्पणि ना करे ना सामने ना पीठ पीछे ही ।
मै समझ गया कि ये बात जो मैने पूछी उस्से शायद वो मुझे कुछ अलग ही बताने वाली जो आज तक बाकियो को पता होगा उसके गुजरे कल के बारे मे । ये काफी हद तक भावनात्मक रूप भी ले ले शायद या वो अपनी भावना को जग जाहिर ना करने के उद्देश्य से ही मुझे व्यक्तिगत रूप से मिलने को बोला हो ।
खैर जो भी होना था मै उसके लिए तैयार था क्योकि अब तो मेरे दिल मे उसके गुजरे कल का सही रूप जानने का तलब थी ।
मै घर आया और नहा कर नाशत किया और निकल गया दुकान पर
समय बीता और उस बात को चार दिन बीत गये ।
आज अनुज घर आने वाला था । उसके आने के पहले ही बीते रात को खाने पर सोनल की शादी को लेके चर्चा हुई कि अनुज के आने के बाद एक बार अमन के परिवार और हमारे परिवार की मिटिंग कर ली जाय ताकि आगे की तैयारियो मे कोई दिक्कत ना और इसी बहाने हम सब आपस मे मिल जुल लेंगे ।
वही इन चार दिन मे मै रोज दोपहर मे दीदी को जम कर चुदाई करता और रात मे मा और पापा के साथ मस्ती होती । सुबह मे एक बार और बीच मे सरोजा से मुलाकात हुई लेकिन उसने तय किया था कि वो ये सब बाते ऑफ़िस मे ही करेगी तो मैने कोई खास चर्चा नही की ।
आज सुबह मै तैयार होकर दुकान गया और 12 बजे तक अनुज दुकान पर आया
मै उस वक़्त काम मे लगा था और ग्राहक के जाते ही
मै मुस्कुरा कर - और भाई कैसी रही छुट्टी तेरी
अनुज हा मे सर हिला कर - अच्छा था भैया
मै -फिर कहा कहा घुमे
अनुज - भैया हम लोग किला देखने गये थे , फिर अगले दिन सिनेमा भी गये , फिर उसके अगले दिन वाटरपार्क ,,,,
मै खुशी से अनुज की बात काटते हुए - वाह भाई वाटरपार्क हां,,, मस्त माल देख के आया तू हिहिहिही
अनुज मेरी बात से शर्मा रहा था
मै हस कर - अरे अब बोल ना , वहा देखते हुए नही शर्माया तो यहा क्यू ,,, मुझसे शर्म आ रही है
अनुज हस कर - नही भैया वो हम लोग फुल फैमिली गये थे वाटरपार्क के एक प्राइवेट पूल मे ,,,वहा घर की लेडीज़ के अलावा कोई नही था बाहरी
मै समझ गया कि अनुज का दिल साफ है और वो रिश्तो को अहमियत देना बखूबी जानता है लेकिन घरेलू माल को खुला देखना तो मजेदार होगा ही ना , मन के कोने में छुआ हवस थोडा सा ही सही लेकिन घरेलू माल को पानी मे गोता लगाते देख लंड को जगा जरुर देता है ।
फिर मैने अनुज का मन टटोलेते हुए - वैसे कौन कौन था भाई साथ मे
अनुज - सब घर वाले भैया ,, राहुल के मौसी - मौसा और उनका बेटा आकाश , बेटी सौम्या , मै और राहुल , आकाश के चाचा चाची भी थे ।
मै - हम्म्म फिर कोई पटाया कि नही हिहिहिही
अनुज शर्मा कर लेकिन खुले दिल से बोला - कहा भैया , ज्यादा समय तक तो हम लोग फैमिली के साथ ही थे अकेले घूमने का मौका नही मिला ज्यादा
मै - चल कोई बात नही , मजा किया ना तुने
अनुज - हा भैया ,,लेकिन आपको पता है
मै अचरज से - क्या बता
अनुज बडे ध्यान से - वो आकाश है ना वो बहुत ही घटिया है
मै - मतलब
अनुज संकोच करते हुए - भैया वो गंदी गंदी कहानिया पढता है और ,
मै - और क्या
अनुज - वो अपने मम्मी और चाची का नाम लेके बाथरूम मे वो सब करता है
मै समझ गया कि अनुज क्या कहना चाहता था
मै जानबुझ कर चौकने का नाटक किया - नही नही भाई तुझे गलतफहमी हुई होगी ।
अनुज अब अपनी बातो पर जोर देते हुए कहा - नही भैया मैने देखा है उसे बाथरूम मे अपनी मा और चाची का नाम लेके बाथरूम मे हिलाते हुए
ये बोल कर अनुज चुप हो गया
मै - चल कोई बात नही ,,तूझे कोई परेशानी तो नही है उस बात से
अनुज उलझन मे - नही भैया ,बस मेरे दिमाग मे आ रहा है कि कोई अपनी मा या चाची के बारे मे कैसे सोच लेता है ऐसे ,,,कितना गन्दा है वो छीईई
मै हस कर - फिर तो किसी लडकी के बारे मे भी सोचना गन्दा होगा ना भाई
अनुज - वो कैसे
मै हस कर - अरे वो भी तो किसी की बहन या बेटी होगी ना
अनुज बेजवाब था
मै वाप्स उसे समझाते हुए - अरे पगलु ,, तु अपना मन साफ रख और समाज के बुरे प्रभाव से दुर रह और अगर किसी से तेरा लगाव हो तो उसे कबूल करके आगे बढ़ ,,,,
अनुज - जी भैया
मै ह्स कर -अब बता सही सही कोई पसंद आई है या नही
अनुज मुस्कुरा कर - नही भैया , वो आकाश को लेके इतना परेशान था कि किसी और पर फोकस ही नही कर पाया
मै हस के - तू उसकी चिन्ता छोड वो गलत नही है
अनुज चौक कर - ऐसा क्यू
मै उसे समझाते हुए - अब देख उसे पता है कि वो उसकी मा और चाची है लेकिन उसके हथियार को थोडी पता ,,,ये ह्यूमन केमिकल रियेक्शन का प्रभाव है कि कोई भी अच्छी और खुबसुरत चीज पर हमारा अवचेतन मन तत्काल प्रतिक्रिया दे देता और जब तक चेतन मन रिश्ते की अहमियत का अह्सास दिलाये तब तक हवस उस इन्सान पर भारी हो चुका होता है और चेतन मन बार बार उस गलत भावना को हटाने के प्रेरित करता है और ऐसे लोग जल्द जल्द हस्तमैथुन कर वो हवस भरी ऊर्जा को बाहर निकाल देते है और फिर धीरे धीरे सब सामान्य हो जाता है ।
अनुज मेरे जवाब से खुश होकर - ओह्ह्ह ये बात है ,, वैसे आपको इतनी जानकारी कैसे है भैया
मै हस कर - बेटा तुझसे 3 साल बड़ा हू ,, समय आने दे वक़्त और समाज सब सिखा देगा और रही सही कसर मै पूरी कर दूँगा
फिर हम हसने
फिर मैने खाना खाया और उसी समय को रात मे खाने के बाद हम सब हाल मे बैठे हुए थे और सोनल की शादी को लेके चर्चा हो रही थी ।
मा - आपने बात की जी अमन के पापा से की नही
पापा - हा रागिनी बात हो गयी है और वो लोग घर पर ही बुला रहे हैं
मै - उन्के घर क्यू पापा ,,, हमारे घर ही बुला लो ना
पापा - बेटा मैने बोला था लेकिन मुरारीलाल जी का कहना है कि अमन की मा चाहती है शादी से पहले एक बार सोनल घर बार देख लेगी और उसकी कोई फरमयिश होगी तो वो भी बता सकती है कि उसके रूम मे कैसा सुविधा चाहिये ।
मै दीदी को छेड़ते हुए -ओह्हो बडे दिलदार है तेरे ससुराल वाले हा
सोनल तुनक कर - हा तो किस्मत है मेरी ,, क्यू मा
मा बडे प्यार उसे हग करते हूए - हा बेटी , मै तो बहुत खुश हू इस रिश्ते से
फिर तय हुआ कि तीन दिन बाद अमन के यहा जाना है और कल ही नये कपडे शगुन के सामान ले लिये जाये ।
मा - मै शालिनी को बोल देती हू
सोनल चहक कर - मै भी निशा को
पापा - हा हा भाई ठीक है तो फिर तय रहा कल दुकान पर अनुज बैठ जायेगा और मै तो मेरी दुकान पर रहूंगा ही और राज बेटा तू अपनी मम्मी चाची और दोनो बहानो के साथ सरोजा कॉमप्लेक्स जायेगा खरीदारी के लिए
सबने हामी भरी वही अनुज ने नये जुते की फरमयिश भी की जो खुशी खुशी पापा मान गये ।
रात मे दीदी मुझे समान की लिस्ट बनाने के बहाने अपने कमरे मे लिवा गयी और मैने उसकी जबरदस्त चुदाई की और फिर सोने कमरे मे आया तो देखा सरोजा के 10 से भी ज्यादा मिसकाल थे और मैसेज भी
मै सोचा कल इस्से मिल ही रहा हू तो क्यू ना थोडा और परेशान किया जाये क्योकि मै जानता था सरोजा मेरे से बात करने के लिए बेताब रहती थी ।
मै बिना कोई रिप्लाई के फोन वैसे ही रख कर सो गया ।
जारी रहेगी
Awesome updateUPDATE 91
खाने के बाद मै मम्मी पापा को बोल कर उपर छत पर दीदी के साथ सोने चला गया ।
कमरे मे जाते ही
दीदी अपना स्टाल जो अक्सर टीशर्ट पर डाले रहती है जब पापा या कोई बाहर का आता है उसको निकाल कर सोफे पर रखते हुए मटकते हुए चुतड को लोवर मे और भी कामुक अदा से थिरका कर एक कातिल मुस्कान के साथ गरदन घुमा कर बोली - ओह्ह क्या बात है आज बड़ी फ़िकर हो रही है मेरी हम्म्म
मै अपनी तारिफ सुन कर थोडा शर्माया और फिर मुस्कुरा कर उसको पीछे से हग करते हुए उसके गाल से अपने गाल सटा कर बोला - आपका हक बनता है दीदी , आज जो कुछ भी आपने मुझे दिया उसके आगे ये सब कुछ नही है
सोनल थोडा जिज्ञासू भाव से ह्स कर - तुझे अच्छा लगा ना बस ,,तू खुश तो मै खुश
मै उसको अपने सामने कर उसकी आंखो मे देखते हुए बोला - दीदी , मै जानता हू आप अमन से कितना प्यार करती है फिर भी मेरे लिए क्यू
सोनल ह्स कर मेरे गाल दुलारते हुए - हम्म्म , तो तू ये जानता चाहता है कि मै अमन से प्यार करती हू फिर भी मैने तेरे साथ कैसे राजी हो गयी इनसब के लिए
मै हा मे सर हिलाया
सोनल - भाई मेरे दिल मे जो अमन के लिए प्यार है वो सच्चा है , मुझे उसके साथ एक आजादी एक सुकून सा मह्सूस होता है और वो बहुत ही केयरिंग है और दिल का बहुत ही अच्छा है । तो उस्के लिये जो भी फीलिंग है वो सब मेरे दिल से है
मै - और मेरे लिए
सोनल थोडा माप तोल कर बोलने के अंदाज मे - हम्म्म्म तु तो मेरी फैंटेसी है हिहिहिही
मै हस कर - मतलब
सोनल हस कर - मतलब की मै भले ही अमन से प्यार करू और उसके साथ फिजीकल हो जाऊ लेकिन अपने सगे भाई के साथ सेक्स करने का ख्याल आना ही एक अलग जोश है भाई तू नही समझेगा हिहिहिही और मेरी लाइफ का पहला सेक्स ही मेरे भाई से हुआ तो हुई ना फैंटेसी हाहाहा
मै थोड़ा उलझन मे था लेकिन थोड़ी देर तक सोच विचार कर बात समझ गया कि दीदी को वो सेक्स स्टोरी पढने का असर था और उन्के दिल मे कही ना कही मेरे लिए फैंटेसी तभी बनी होगी ,,,जैसे मेरे दिल मे हुई थी
मै सोचा क्यू ना दीदी से पुछ लू की कही उनको पापा के लिए भी तो कोई फैंटसी होगी
फिर सोचा ऐसे नही , शायद ऐसे सीधे पुछने पर वो बात घुमा दे या बात ही छुपा ले क्योकि बाते ब्नाने और लपेटने मे वो काफी माहिर थी और उसका उदाहरन अमन था ।
कैसे मेरे साथ चुदाई भी कर ली और वही अमन को एक एक किस्स के एमोजी तक के लिए भी तरसा रही थी ।
इसलिए मैने सोचा इसको अभी अपने रंग मे रंग जाने दो थोडा खोल लू फिर इसके दिल की भड़ास को बाहर लेके आना है ।
खैर जो भी हुआ हो आगे बहुत मजा आने वाला था ।
ऐसे कुछ देर बाते चली और उस रात एक बार और मैने दीदी को चोदा । इस बार खुले शब्दो मे जी भर उसने अपने दिल की बाते बाहर निकाली ।
रात बीती सुबह दीदी ने मुझे 5 बजे जगा दिया और बोली कपडे पहन और निचे जा
मै भी उसको एक बार किस्स किया और अपने कमरे मे गया फ्रेश हुआ और निकल गया सुबह सुबह टहलने के लिए और उम्मीद लेके की काश आज सरोज मिल जाये
मै घर से निकला और बस स्टैंड की ओर गया वहा सुन सन्नाटा था और अभी 5.30 ही हो रहे थे ज्यादा लोग क्या मेरे अलावा कोई नही था ।
हा कुछ आवारा कुत्ते बस स्टैंड के बाथरूम के तरफ भौक रहे थे । उनका तो रोज का काम होता है साले सुबह सुबह शुरु हो जाते है ।
खैर मै वही शान्ति से बैठा और सरोजा के आने का इन्तेजार करने लगा लेकिन ये कुत्ते शान्ति से रहने दे तब ना
मै झिझक कर बस स्टैंड के कम्पाउंड मे गिरी एक आम के पेड़ की छोटी लड्की उठाई और उन कुत्तो को हाक दिया
वो सब भाग गये ।
फिर वापस आकर चेयर पर बैठ गया कि तभी पीछे से एक आवाज आई जिससे मै खुश हो गया
?? - थैंक यू यार आज तो तुमने बचा लिया
मै खुशी से पीछे घुमा तो देखा कि ये तो सरोजा जी है
मै थोडा उलझन भरे लहजे मे हस कर - अरे आप इधर से,, अच्छा तो बाथरूम ने आप ही थी क्या जिस पर ये ....
सरोजा हस कर - हा क्यू तुमने देखा नही
मै हस कर - अरे मुझे पता होता कि ये आप पर भौक रहे होते तो मा चो ....
इतना बोल के रुक गया और मुझे समझ मे आया और मैने खुद पर नियंत्रण किया
जिससे सरोजा हसने लगी
मै ह्स कर थोडा शर्म के भाव मे - सो सो सॉरी
सरोजा ह्स कर - इट्स ओके राज , होता है कभी कभी
सरोजा - वैसे आज बडे सवेरे आ गये क्यू , वो भी इतने दिन बाद मिले हा
मै - आज थोडा जल्दी उठ गया तो सोचा क्यू ना एक नजर सुबह सुबह चांद देख लू
सरोजा थोडा उत्सुक भाव से हस कर - अरे सुबह सुबह सूरज देखते है चान्द कहा
मैने एक नजर सरोजा के तरासे हुए जिस्म मे मारा और उनकी नशीली आंखो मे झाक कर बोला - सुबह सुबह सूरज की लाली मे इस चांद को देखने का म्जा आप नही समझ सकती हो मैडम
मेरी बात का मतलब समझ कर सरोजा पूरी तरह से शर्मा कर झेप सी गयी और मुह फेर कर हाथ रख कर हसने लगी
सरोजा - तुम नही सुधरोगे हा
मै ह्स कर - किसी को बिगडा हुआ ज्यादा पसंद हू मै , बस इसिलिए
सरोजा मुस्कुरा रही और वही मेरी नजर उसकी लोवर मे उभरी गाड की गोलाई माप रही थी जिससे मेरे लण्ड मे कसाव हो रहा था ।
सुबह का समय था और बस स्टैंड के कम्पाउंड मे हम दोनो की थे मौका मेरे हाथ मे था बस पहल की जरुरत थी और सरोजा मेरे बाहो मे होती
लेकिन सरोजा ऐसी रबड़ी थी जिसे मै बडे आराम से छोटे चम्मच के चिख चिख कर खाना चाहता था , हालकी वो काफी गरम औरत थी फिर भी अपने होश हवास मे खुद को बहुत ही अव्वल दर्जे की सहूलियत मे रखती थी और अपना स्तर कभी भी कम नही होने देती थी समाज मे ।
और मै भी उसके इस स्वभाव का सम्मान करता था इसिलिए मै खुले कोई रिस्क नही लेना चाहता था ।
सरोजा मुझे सोच मे डूबा देख कर और मेरी नजर अपनी उभरी हुई गाड पर पाता देख कर बोली - कुछ ज्यादा गहरे मे तो नही चले गये राज बाबू हिहिही
मै झेपा और उसके सवाल का दोहरा मतलब समझ गया और बोला - मेरा क्या है सरोजा जी मुझे गहरी चीजे बहुत पसंद है । अब वो बातो की गहराई हो या ,,,
सरोजा ह्स कर आगे चलते हुए -बस बस समझ गयी
मै भी उसके साथ चलते हुए - वैसे आपकी दिल्ली की ट्रिप कैसी गयी
सरोजा - अच्छी थी और थोडी बेकार भी
मै उत्सुकता से - बेकार थी मतलब ,,सब कुछ ठीक ठाक तो था ना
सरोजा हस कर - हा सब ठीक ठाक था ब्स फ्लाइट मे मेरे एक्स हस्बैंड मिल गये थे और मुझे देख कर थोडा शौक्ड हुए और फिर मुझसे बात करने के लिए उत्सुकता दिखाई लेकिन मैने इग्नोर किया
मै समझ गया कि सरोजा का एक्स हस्बैंड ने सरोजा को क्यू छोडा था और क्यू अब वो मिलने को बेकरार था
मै - तो फिर कुछ बात हुई की नही उनसे
सरोजा - नही यार मै उस घटिया इन्सान से बात करने वाली नही थी और ना ही मौका दिया उसे
मै थोडा सोच मे था तो मुझे देख कर सरोजा बोली- अरे उसकी चिन्ता ना करो मै बीते हुए बुरे वक़्त की याद नही रखती
मै थोडा खुश हुआ और बोला - सरोजा जी बुरा ना मानिये तो एक बात पूछू
सरोजा मुस्कुरा कर - हा हा क्यू, और तुम कबसे परवाह करने लगे कि मुझे कुछ बुरा लगेगा, इतने दिनो से मेरे साथ फलर्ट कर पाते क्या अगर मुझे बुरा लगता हिहिहिही
मै ह्स्ते हुए - हा जी ये बात है ,,लेकिन मै जो पुछने जा रहा हू वो आपने बीते जीवन से है
सरोजा थोडा शांत हुई और बोली - पुछ लो ना उसमे क्या है
मै थोडा हिचक कर - वैसे आपकी तलाख किस बात को लेके हुई थी ,
मेरी बात सुन कर हसती चहचहाती सरोजा थम सी गयी
मै थोडा नरम भाव से - माफ कीजिएगा, मै आपको कोई तकलीफ नही देना चाहता ,,बस आपकी मर्जी है अगर आप मेरे साथ शेयर करना चाहो तो
सरोजा एक गहरी सास लेते हुए - अरे नही राज तुम क्यू माफी माग रहे ,,,,वैसे भी ये सवाल मेरे लिए नया नही है मै काफी लोगो को जवाब दे चुकी हू तो कोई बात नहीं अगर तुमने भी पुछा तो
मै थोडा रिलैक्स हुआ और बोला - तो बताईये ना क्या हुआ था
इधर हम बाते करते हुए मेन सड़क पर आ गये थे और धीरे धीरे उजाला ज्यादा होने से बाकी के लोग भी आने जाने लगे थे ।
सरोजा मुस्कुरा कर - तुम कब फ्री इधर
मै उलझन भरे लहजे मे - मतलब
सरोजा हस कर - अरे यार ,,ये टॉपिक बहुत बड़ा है और ऐसे सड़क पर तो तुम्हारे साथ मै ये सब नही बाट सकती ना ,,कभी आओ ऑफ़िस मेरे वही बात करते है ठीक
मै - हा हा क्यू नही ,,बस 3 4 दिन मे मेरा भाई आ जायेगा तो मै आता हू मिलने आपसे
फिर सरोजा मुझे बाय बोल कर घर की ओर निकल गयी और मै अपने घर की ओर
जैसा की मैने बताया था सरोजा एक अव्वल दर्जे की सहूलियत के साथ समाज मे पेश आती थी ताकि उसके सम्मान पर कोई टिप्पणि ना करे ना सामने ना पीठ पीछे ही ।
मै समझ गया कि ये बात जो मैने पूछी उस्से शायद वो मुझे कुछ अलग ही बताने वाली जो आज तक बाकियो को पता होगा उसके गुजरे कल के बारे मे । ये काफी हद तक भावनात्मक रूप भी ले ले शायद या वो अपनी भावना को जग जाहिर ना करने के उद्देश्य से ही मुझे व्यक्तिगत रूप से मिलने को बोला हो ।
खैर जो भी होना था मै उसके लिए तैयार था क्योकि अब तो मेरे दिल मे उसके गुजरे कल का सही रूप जानने का तलब थी ।
मै घर आया और नहा कर नाशत किया और निकल गया दुकान पर
समय बीता और उस बात को चार दिन बीत गये ।
आज अनुज घर आने वाला था । उसके आने के पहले ही बीते रात को खाने पर सोनल की शादी को लेके चर्चा हुई कि अनुज के आने के बाद एक बार अमन के परिवार और हमारे परिवार की मिटिंग कर ली जाय ताकि आगे की तैयारियो मे कोई दिक्कत ना और इसी बहाने हम सब आपस मे मिल जुल लेंगे ।
वही इन चार दिन मे मै रोज दोपहर मे दीदी को जम कर चुदाई करता और रात मे मा और पापा के साथ मस्ती होती । सुबह मे एक बार और बीच मे सरोजा से मुलाकात हुई लेकिन उसने तय किया था कि वो ये सब बाते ऑफ़िस मे ही करेगी तो मैने कोई खास चर्चा नही की ।
आज सुबह मै तैयार होकर दुकान गया और 12 बजे तक अनुज दुकान पर आया
मै उस वक़्त काम मे लगा था और ग्राहक के जाते ही
मै मुस्कुरा कर - और भाई कैसी रही छुट्टी तेरी
अनुज हा मे सर हिला कर - अच्छा था भैया
मै -फिर कहा कहा घुमे
अनुज - भैया हम लोग किला देखने गये थे , फिर अगले दिन सिनेमा भी गये , फिर उसके अगले दिन वाटरपार्क ,,,,
मै खुशी से अनुज की बात काटते हुए - वाह भाई वाटरपार्क हां,,, मस्त माल देख के आया तू हिहिहिही
अनुज मेरी बात से शर्मा रहा था
मै हस कर - अरे अब बोल ना , वहा देखते हुए नही शर्माया तो यहा क्यू ,,, मुझसे शर्म आ रही है
अनुज हस कर - नही भैया वो हम लोग फुल फैमिली गये थे वाटरपार्क के एक प्राइवेट पूल मे ,,,वहा घर की लेडीज़ के अलावा कोई नही था बाहरी
मै समझ गया कि अनुज का दिल साफ है और वो रिश्तो को अहमियत देना बखूबी जानता है लेकिन घरेलू माल को खुला देखना तो मजेदार होगा ही ना , मन के कोने में छुआ हवस थोडा सा ही सही लेकिन घरेलू माल को पानी मे गोता लगाते देख लंड को जगा जरुर देता है ।
फिर मैने अनुज का मन टटोलेते हुए - वैसे कौन कौन था भाई साथ मे
अनुज - सब घर वाले भैया ,, राहुल के मौसी - मौसा और उनका बेटा आकाश , बेटी सौम्या , मै और राहुल , आकाश के चाचा चाची भी थे ।
मै - हम्म्म फिर कोई पटाया कि नही हिहिहिही
अनुज शर्मा कर लेकिन खुले दिल से बोला - कहा भैया , ज्यादा समय तक तो हम लोग फैमिली के साथ ही थे अकेले घूमने का मौका नही मिला ज्यादा
मै - चल कोई बात नही , मजा किया ना तुने
अनुज - हा भैया ,,लेकिन आपको पता है
मै अचरज से - क्या बता
अनुज बडे ध्यान से - वो आकाश है ना वो बहुत ही घटिया है
मै - मतलब
अनुज संकोच करते हुए - भैया वो गंदी गंदी कहानिया पढता है और ,
मै - और क्या
अनुज - वो अपने मम्मी और चाची का नाम लेके बाथरूम मे वो सब करता है
मै समझ गया कि अनुज क्या कहना चाहता था
मै जानबुझ कर चौकने का नाटक किया - नही नही भाई तुझे गलतफहमी हुई होगी ।
अनुज अब अपनी बातो पर जोर देते हुए कहा - नही भैया मैने देखा है उसे बाथरूम मे अपनी मा और चाची का नाम लेके बाथरूम मे हिलाते हुए
ये बोल कर अनुज चुप हो गया
मै - चल कोई बात नही ,,तूझे कोई परेशानी तो नही है उस बात से
अनुज उलझन मे - नही भैया ,बस मेरे दिमाग मे आ रहा है कि कोई अपनी मा या चाची के बारे मे कैसे सोच लेता है ऐसे ,,,कितना गन्दा है वो छीईई
मै हस कर - फिर तो किसी लडकी के बारे मे भी सोचना गन्दा होगा ना भाई
अनुज - वो कैसे
मै हस कर - अरे वो भी तो किसी की बहन या बेटी होगी ना
अनुज बेजवाब था
मै वाप्स उसे समझाते हुए - अरे पगलु ,, तु अपना मन साफ रख और समाज के बुरे प्रभाव से दुर रह और अगर किसी से तेरा लगाव हो तो उसे कबूल करके आगे बढ़ ,,,,
अनुज - जी भैया
मै ह्स कर -अब बता सही सही कोई पसंद आई है या नही
अनुज मुस्कुरा कर - नही भैया , वो आकाश को लेके इतना परेशान था कि किसी और पर फोकस ही नही कर पाया
मै हस के - तू उसकी चिन्ता छोड वो गलत नही है
अनुज चौक कर - ऐसा क्यू
मै उसे समझाते हुए - अब देख उसे पता है कि वो उसकी मा और चाची है लेकिन उसके हथियार को थोडी पता ,,,ये ह्यूमन केमिकल रियेक्शन का प्रभाव है कि कोई भी अच्छी और खुबसुरत चीज पर हमारा अवचेतन मन तत्काल प्रतिक्रिया दे देता और जब तक चेतन मन रिश्ते की अहमियत का अह्सास दिलाये तब तक हवस उस इन्सान पर भारी हो चुका होता है और चेतन मन बार बार उस गलत भावना को हटाने के प्रेरित करता है और ऐसे लोग जल्द जल्द हस्तमैथुन कर वो हवस भरी ऊर्जा को बाहर निकाल देते है और फिर धीरे धीरे सब सामान्य हो जाता है ।
अनुज मेरे जवाब से खुश होकर - ओह्ह्ह ये बात है ,, वैसे आपको इतनी जानकारी कैसे है भैया
मै हस कर - बेटा तुझसे 3 साल बड़ा हू ,, समय आने दे वक़्त और समाज सब सिखा देगा और रही सही कसर मै पूरी कर दूँगा
फिर हम हसने
फिर मैने खाना खाया और उसी समय को रात मे खाने के बाद हम सब हाल मे बैठे हुए थे और सोनल की शादी को लेके चर्चा हो रही थी ।
मा - आपने बात की जी अमन के पापा से की नही
पापा - हा रागिनी बात हो गयी है और वो लोग घर पर ही बुला रहे हैं
मै - उन्के घर क्यू पापा ,,, हमारे घर ही बुला लो ना
पापा - बेटा मैने बोला था लेकिन मुरारीलाल जी का कहना है कि अमन की मा चाहती है शादी से पहले एक बार सोनल घर बार देख लेगी और उसकी कोई फरमयिश होगी तो वो भी बता सकती है कि उसके रूम मे कैसा सुविधा चाहिये ।
मै दीदी को छेड़ते हुए -ओह्हो बडे दिलदार है तेरे ससुराल वाले हा
सोनल तुनक कर - हा तो किस्मत है मेरी ,, क्यू मा
मा बडे प्यार उसे हग करते हूए - हा बेटी , मै तो बहुत खुश हू इस रिश्ते से
फिर तय हुआ कि तीन दिन बाद अमन के यहा जाना है और कल ही नये कपडे शगुन के सामान ले लिये जाये ।
मा - मै शालिनी को बोल देती हू
सोनल चहक कर - मै भी निशा को
पापा - हा हा भाई ठीक है तो फिर तय रहा कल दुकान पर अनुज बैठ जायेगा और मै तो मेरी दुकान पर रहूंगा ही और राज बेटा तू अपनी मम्मी चाची और दोनो बहानो के साथ सरोजा कॉमप्लेक्स जायेगा खरीदारी के लिए
सबने हामी भरी वही अनुज ने नये जुते की फरमयिश भी की जो खुशी खुशी पापा मान गये ।
रात मे दीदी मुझे समान की लिस्ट बनाने के बहाने अपने कमरे मे लिवा गयी और मैने उसकी जबरदस्त चुदाई की और फिर सोने कमरे मे आया तो देखा सरोजा के 10 से भी ज्यादा मिसकाल थे और मैसेज भी
मै सोचा कल इस्से मिल ही रहा हू तो क्यू ना थोडा और परेशान किया जाये क्योकि मै जानता था सरोजा मेरे से बात करने के लिए बेताब रहती थी ।
मै बिना कोई रिप्लाई के फोन वैसे ही रख कर सो गया ।
जारी रहेगी