• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

xforum

Welcome to xforum

Click anywhere to continue browsing...

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
7,895
22,288
189
कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

Sanju@

Well-Known Member
5,008
20,093
188
UPDATE 89



सुबह 9 बजे के करीब मेरी निद मा के जगाने पर खुली तो पता चला की पापा नहा कर दुकान पर निकल गये और मा खाना बनाने की तैयारी कर रही थी ।

मै भी उठा और अपने कमरे मे गया तो देखा मेरा मोबाईल मे कुल 17 मिस्काल और 12 मैसेज है और डाटा ओपेन करते ही भर भर के notification की बिप कुछ सेकेण्ड तक आती रही ।
फिर थोडा देर मे जब मोबाईल थामा तो देखा की सरोजा के अकेले 12 मिस्काल और 4 sms थे । बाकी के सोनल और कोमल के थे ।वही whatsaap पर एक दो मैसेज सरोजा के थे लेकिन सोनल ने तो अपनी और निशा के साथ रात मे की गयी मस्तीयो की तस्वीरे भेजी थी और एक वीडियो भी जिसमे निशा रिकॉर्ड कर थी सामने से सोनल उसकी चुत चुस रही थी ।

देख कर ही सुबह सुबह मूड बन गया । समझ ही नही आया कि क्या करु किसको रिप्लाई करू ।
फिर थोडा विचार कर सोनल से बाद मे बात करने का बोल कर एक दो तस्वीरो पर हार्ट रिएक्शन की एमोजी भेज दी और गुड मॉर्निंग लिख दिया ।

वही सरोजा जी को गुड मॉर्निंग का sms किया और रात मे कोई रेपोंस ना देने के सॉरी भी लिख दिया ।
फिर कोमल को भी गुड मॉर्निंग विश कर दिया ।
फिर मै फ्रेश होने चला गया और जब नहा कर वापस आया तबतक सरोजा जी का मैसेज आ चूका था और वो फुल गुस्से मे रिप्लाई की थी कि,,,मै समझ गया कि ये काफी समय से भुखी है और कल रात बात ना करके मैने कुछ ज्यादा ही इसे नाराज कर दिया । जल्द ही इसको चोदने का प्लान करना पडेगा नही तो इस गर्म तवे पर कोई और ना अपनी रोटी सेक ले ।


खैर इस बार मैने सीधा काल किया और थोडा बहुत बहाना बना कर कि अनुज बडे सहर गया और दीदी चचा के यहा है तो काम का दबाव ज्यादा है और थोडी बहुत सफाई देने के बाद वो मान गयी तो मैने जल्द ही उससे मिलने को मिला और फिर फोन रख दिया ।
फिर मै नहा धोकर तैयार हुआ और मा ने नाश्ता करने को दिया , फिर मै उनको बोल कर दुकान के लिए निकल गया ।


थोड़ा देर काम करने के बाद वापस से मोबाईल चेक किया तो कल रात मे हुए निशा और सोनल के बीच की मस्तीयो की तस्वीरे याद आई और मैने वापस से व्हाटसअप खोल कर एक एक तस्वीर को खोलकर ध्यान से देखा जिससे मेरा लण्ड खड़ा हो गया ।

मन तो करने लगा की अभी जाकर इनदोनो की खुजलाती चुत को बल भर पेलू
लेकिन इस वक़्त दुकान पर कोई था भी नही ।
और अभी सुबह के 10 बज रहे थे इसका मतलब था की वो दोनो सिलाई सेंटर गयी होगी । फिर दुकान भी देखना था

खैर समय बिता और 11 वजे तक मा खाना लेके आई और फिर हमने खाना खाया और मैने जब पापा के बारे मे पुछा तो मा ने बताया कि उनका खाना बबलू काका लेके गये थे ।

फिर मा और मैं दुकान मे आये ग्राहको को डील करने लगे और करिब 12 वजे मै मा को एक काम का बहाना कर निकल गया चाचा के यहा और उनके यहा गया तो शटर आधा गिरा हुआ था ।
मै सोचा कि घर पर चाची और राहुल नही है और निशा दुकान पर बैठती नही है तो शायद खाना खाने गये होगे ।

तो मै भी बिना किसी रोक तोक के झट से झूक कर अन्दर दुकान मे घुस गया और गलियारे से हाल की तरफ गया तो सब खाली था मुझे लगा कि शायद चाचा दुकान बंद कर बाहर तो नही गये कही । और ये निशा - सोनल भी नही नजर आ रही थी ।

क्योकि किचन निचे ही था और चाचा चाची का कमरा भी भिड्का हुआ था तो मै ज्यादा ताक झाक ना करते हुए वापस दुकान की ओर जाने को हुआ कि, तभी चाचा के कमरे का दरवाजा खुला और चाची बाहर आई , जो इस समय सिर्फ पेतिकोट मे थी उनकी 36 की झुल्ती हुई चुची लटक रही थी और वो हस कर कमरे देख रही थी ।
मै झट से गलियारे की दीवाल से चिपक गया और तभी चाचा बाहर आये ।

चाचा - आजाओ ना जानू प्लीज , कल जबसे गयी हो तब से पूरी रात नींद नही आई

मेरी नजर चाचा पर गयी तो वो इस समय सिर्फ शर्त मे थे और निचे उनका झूलता करीब 6-6.5" लण्ड था ।
वो लपक कर वापस से चाची को पीछे से पकड कर दीवाल से लगाते है और झट से उनकी पेतिकोट उठा कर अपना लण्ड उन्की चुत मे उतार देते है । ऐसे खडे खडे लण्ड लेने मे चाची को बहुत दिक्कत हो रही थी और चाचा बडे जोश मे पेल रहे थे ।

मै समझ गया कि अब ये लोगो का लम्बा चलेगा लेकिन एक बात नही समझ आई चाची इतनी जल्दी क्यो चली आई ।

खैर मै इस बात को इग्नोर किया और थोडा देर तक उनकी चुदाई देखी और वापस बाहर आ गया क्योकी मै जिस मकसद से आया था वो होने नही वाला था ।

फिर मै वापस अपने दुकान की ओर जाने लगा तभी मेरे जहन मे चंदू के मा की याद आई और मै एक कातिल मुस्कान के साथ उसके घर में घुसा और बिना कोई
आहट किये और एक नजर निचे के कमरे मे देखा तो सब बंद पडा था तो मै झट से उपर की ओर गया वहा हाल मे भी कोई नही था फिर मै लपक कर बेडरूम की ओर गया जो भिड्का हुआ था और हलका सा गैप से अन्दर देखा जा सकता था ।
मैने धीरे से दरवाजे पर लगा तो कुलर चलाने की आवाज आ रही और थोड़ी बहुत सिस्कियो की भी । एक बार फिर मै अपनी किस्मत को कोसते हुए सोचा कि इस समय चंदू का बाप अपने काम पर जाता है और दोपहर मे लग्भग रोज चंदू अपनी मा को चोदता है ।

रामवीर दरअसल संजीव ठाकुर के अनाज के गोदाम पर मुनिबी करता है । तो रोज दोपहर मे चंदू को मौका मिल ही जाता है ।

खैर मैने थोडा सा अन्दर झाका तो रजनी वही बेड पर घोड़ी बनी थी और चंदू पीछे से तेज गति से अपनी मा को पेल रहा था ।

मै तो सुबह से चुत के लिए तडप रहा था और पहले चाचा के यहा निशा नही मिली और अब यहा इन लोगो को मै छेड़ना नही चाहता था क्योकि चंदू ने बोला था कि इसी हफते उसकी बहन चंपा आयेगी और वो मुझे उसके साथ मौका देगा ।

तो मै फिर उतरे हुए मन से वापस नीचे आया और चंदू के घर के बाहर निकला तो सामने करीम खां की दुकान पर सब्बो दिखी और मै झट से उसकी दुकान पर चला गया ।


करीम खां , इसका परिचय हो चुका है पहले भी । ये काफी मजाकिया मिजाज का आदमी है हालाकि उम्र हो गयी है लेकिन मजे लेता रहता है चाहे किसी भी उम्र के लडके हो ।

मै भी झट से करीम की दुकान मे घुसा और सब्बो मुझे देख कर मुस्कुरा दी ।फिर मैने भी एक मुस्कान दी उसको ।

मै - कैसे हो करीम काका
करीम - अच्छा हू सेठ तुम बताओ
मै ह्स कर - मै भी मस्त हू , ये क्या सिलवाने आई हो सब्बो दीईईइदीईईई

मैने जानबुझ कर सब्बो को दीदी बूलाया जिसका मतलब तो बखूबी समझ रही थी और मुझे झूठ के इशारे मे गुसस भी किया

स्ब्बो इतरा कर - ये ब्लाउज ठीक करवाने लाई थी
मै करीम से - क्या काका , अरे कम से कम साइज़ बराबर नाप लेते दीईइदीईई का

मेरे फिर से दीदी बुलाने पर सब्बो मुह ब्नाने लगी
मै उसके बगल मे काउंटर से लग कर खड़ा था तो थोड़ा आड़ देख कर उसके चुतडो को दबा दिया जिससे वो हिचक गयी । लेकिन खुद को स्म्भाल भी लिया और बडे गुस्से से मुझे देख रही थी ।
ऐसा भी नही था कि करीम खा सब्बो और उसकी मा के हरकतो से अंजान था बल्कि रुबीना के तालाब मे वो भी तैर चुका था ।

करीम खां एक कातिल मुस्कान के साथ- सही कर रहे हो सेठ आज सब्बो बिटिया का नाप ले ही लेता हू ,

फिर करीम खां अपने गले से फीता निकालता है

करीम - थोड़ा सही से खड़ा हो बिटिया ,,,, हा ,,, जरा हाथ खोलो ,,हा अब सीना फुलाओ

सब्बो इस समय एक टीशर्ट और लोवर मे थी लेकिन बिना ब्रा के टीशर्त मे उसके निप्प्ल सख्त थे ही लेकिन सीने मे सास भरने पर मानो गुब्बारे जैसे फुल गये हो ।

करीम खा भी सब्बो की जवानी के गुब्बारो का नजारा आंखो मे भरते हुए इंचीटेप के फिते को एक चुची के निप्प्ल के ठीक उपर ही रख कर फिते को कसता है जिससे सब्बो की सिसकी निकल जाती है और वही करीम नाप लेने के बाद भी सब्बो के निप्प्ल पर से अंगूठा नही हटाता है बल्कि उसे वही दबाते हुए घुमाता भी है ।

जिसे देख कर मुझे वापस से तनाव होने लगता है और एक बार फिर मेरे हाथ सब्बो की गाड़ पर घूमने लगते है ।

इधर सब्बो हमारे दोहरे अटैक से खुद को ढिला करने लगती है कि तभी सड़क पर एक गाड़ी की होर्न से हम तीनो का ध्यान भांग होता है और हम तीनो असहज महसूस करने ल्गते है ।

सब्बो हड़बड़ा कर - हो गया ना काका , शाम को मा आयेगी लेके जायेगी ब्लाउज, मै जाती हू

फिर वो झट से निकल जाती है
मै मस्ती भरे अंदाज मे - ओह्हो काका आज तो मनमानी कर ही ली हा

करीम थोडा खुद पर घमंड दिखाते हुए - अरे सेठ मैने तो ना जाने कितनी मनमानीया की है ये तो सालि एक नं की छिनार है , दोनो मा बेटी ,,,अब देखना शाम को आयेगी इसकी अम्मा रुबीना और पैसे के बदले अपना भोस्डा देके जायेगी

मै ह्स कर - ओहो काका , मतलब इस उम्र मे भी काकी की दबा कर लेते होगे फिर हा

करीम - अब तुमसे क्या छिपाना , मेरी पहली बेगम तो नही रही शादी के 5 बाद ही गुजर गयी । लेकिन दुसरी जो उसी की छोटी बहन थी , अल्लाह कसम बहुत गरम औरत है आज भी बडे जोश से निचोड लेती है अह्ह्ह

मै करीम की बाते सुन कर उत्तेजीत मह्सूस कर रहा था - फिर तो आज दो दो नदी नहाओगे काका मतलब

करीम - हा वो तो है हिहिहिही

फिर मै थोडी मस्ती किया और वापस दुकान पर आया एक दो बार कोसिस की मा ही राजी हो जाये तो वो नही मानी और शाम को घर निकल गयी ।
रात को 8 वजे तक मै भी दुकान बन्द कर घर गया जहा पापा और मम्मी पहले ही हाल मे बैठे बाते कर रहे थे वही दीदी किचन मे खाना बना रही थी ।

मै भी थकान से चुर मा के पास उन्के चुचो पर लदते हूए बैठ गया , मम्मी इस समय ब्लाउज पेतिकोट मे थी ।

मा - ओह्ह मेरा बच्चा कितना थक जाता है , जा जाकर नहा ले फिर खाना बन गया है साथ मे मिल कर खाते है ।

मै थोडा इशारे मे मा से दीदी के बारे मे पुछा की ये आज कैसे आ गयी और हमारी मस्ती का क्या होगा

पापा हलके आवाज मे - वो तेरी चाची बस उनदोनो को शहर छोडने गयी थी और एक दिन रुक कर वाप्स आ गयी तो आज ये

मै समझ गया पापा की बात
इतने मे सोनल किचन से बाहर आई और नहाने का बोल कर उपर चली गयी और मैने झट से मा को दबोच लिया

मा भी मेरे होठ चुसते हुए साथ देने लगी वही मेरे हाथ उनकी एक चुची को मिजने लगे थे कि तभी मेन गेट पर खट खट हुई और पापा जोकि बनियान और जान्घिये मे थे वैसे ही दरवाजे पर देखने चले गये , वही उनका भी लण्ड मेरे और मा के मस्ती से जांघिये मे खड़ा हो गया था ।

तभी थोडी देर मे शकुन्तला काकी की आवाज आई जो मा को आवाज देते हुए अन्दर आई ,,,और आज तो वो अस्मानी रंग की नायलान की मैकसी पहन के आई थी जिसमे उनकी ब्ड़ी चुचिया और गाड की गोलाई का पुरा शेप दिख रहा था ।

वही पापा उन्के पीछे खडे थे और उनकी उभरी हुई गाड को खा जाने वाले नजर से देख रहे थे , जिसे मै और मा बखुबी समझ रहे थे ।

शकुन्तला काकी मा के बगल ने बैठी जबकि पापा वही उसके बगल मे दीवाल से लग कर खडे होकर उसको अपने लण्ड का उभार दिखाने लगे जिसे शकुन्तला भी देख समझ कर मुस्कुरा रही थी

मा - अरे दीदी आप ,,,आओ आओ बैठो
शकुन्तला- अरे मुझे बिठा मत ,
फिर एक नजर पापा की ओर देखते हुए बोली - अरे वो मै कल बोली थी ना लाने के लिये


मा कुछ सोच कर ह्स्ते हुए - अरे हा ,,
मा - राज के पापा , वो जरा जो झोला टंगा है उसमे दीदी के कपडे होगे देना

फीर शकुन्तला एक नजर पापा की ओर देख्ती है तब उनदोनो की नजारे मिलती है और फिर उसकी नजर उस्के चेहरे के बराबर मे जांघिये मे खडे लण्ड के उभार पर जाती है । तब तक पापा बगल मे टंगी हुई खूटि से झोला खोलते है और निचे फर्श पर रख कर देखते हुए

पापा जो की बखूबी जान रहे थे कि कल शकुन्तला ने अप्नी ब्रा और पैंटी लाने के लिए मा को बोला था फिर भी वो नाटक करते हुए - अरे रागिनी इसमे तो कोई कपडे नही है ,, इसमे तो बस ये है

तभी पापा झोले मे शकुन्तला के लिए मा द्वारा लाई पैंटी को झोले के अन्दर ही उसकी पैकेट से खुला ही बाहर निकाल कर फैला कर हम सब के सामने दिखाते हुए बोल्ते है - अरे ये तो 40 नं की कच्छी है रागिनी देखो

शकुन्तला पापा की इस हरकत से झेप कर हस दी और वही मा भी हसने लगी ।

मा - अरे यही कपडे है दीदी है
पापा थोडा असहज होने का नाटक करते हुए शकुन्तला को देखते हुए - ओह्ह माफ करियेगा भौजी , हमको जानकारी नही थी कि ये आपकी है ,, लिजीये

पैंटी देने से पहले पापा जानबुझ कर शकुन्तला को देखते हुए उसके सामने ही पैंटी को हाथ मे मिजकर उसकी मुलायमता की जांच करते है जिसका इशारा शकुन्तला समझ रही होती है और पापा की हरकत से थोडी असहज महसूस करती है ।
शकुन्तला - साइज़ तो ठीक होगी ना रागिनी
मा हस कर - हा क्यू नही , अगर छोटी हुई तो बदल लेना उसमे क्या है

शकुन्तला- ठीक है , और वो भी तो था ना
मा ह्स कर - अरे हा , राज के पापा जरा उसमे दीदी का

मा के बात खतम करने से पहले ही पापा ने ब्ड़ी बेशर्मी से उनकी 38c की ब्रा निकाली और शकुन्त्ला को देते हुए - लो भौजी

शकुन्तला थोडा शर्मा कर पापा के हाथ से ब्रा लेती है ।
फीर थोडी देर बाते चलती है और फिर शकुन्तला अपने घर को जाने को होती है तो मा खुद उनहे गेट तक छोड़ने जाती है औ फिर वापस आती है ।

मा पापा से - जरा खुद के जज्बात को शांत रखिये , सबको एक जैसे ही समझ लेते है ,,अभी गेट के पास दीदी मुझे आपको हिदायत देने को बोली की घर मे कोई बाहर का आये तो कम से कम तौलिया ही लपेट लेते है

पापा हस कर - अरे अब मुझे क्या पता की कौन आ रहा है ,,, और क्या बोल रही थी वो

मा -वो ज्यादा नहीं बोली , मै ही बात को मजाक मे घुमा दी की , अरे अपने भौजी को देख कर भूल गये होगे ,

फिर हम सब हसने लगे ।
फिर थोड़ी देर बाद मै भी नहाने गया और खाना खाने बैठ गया, इधर हम लोगो प्लान फिक्स था रात के लिए लेकिन मुझे डर था कि अनुज है नही घर मे तो रात मे सोनल कही निचे ना आजाये या कोई गडब्ड़ ना हो जाये । क्योकि मेरे और सोनल की बाते मै मा और पापा को बताना नही चाहता था नही तो जो हाथ आने को था वो नही मिल पायेगा
लेकिन तभी मुझे ध्यान आया कि सोनल का तो अभी पीरियड चल रहा है तो मेरे चेहरे पर एक मुस्कान आई और मै खाते हुए ही सोनल को मैसेज करता हू

मै - बरसात कब तक बंद होगी तुम्हारी
सोनल मेरी बात मतलब मेरे तरफ देख कर मेरे शरारती मुस्कान को देख कर समझ जाती है ।

सोनल - दो दिन और हो सकती है
मै जानबुझ कर मुह बनाने का नाटक किया मानो उसकी कितनी जरुरत हो मुझे

सोनल मुस्कराया कर एक मैसेज मुझे भेजती है - बस दो दिन और मेरे राजा , फिर जोत लेना जितना मन हो

मै मुस्करा कर - किस्स वाली एमोजी के साथ आई लव यू लिख दिया
बदले मे उससे भी किस्स वाली एमोजी के साथ आई लव यू टू मिला
खैर हम लोग खाना खा ही रहे थे कि पापा की नजर सोनल पर गयी और वो उसे छेड़ने के अंदाज मे - जानती हो रागिनी ,, आज मदनलाल जी का फोन आया था और वो अमन बाबू के बारे मे बता रहे थे कि उसका सेलेकशन गोवा के शिपयार्ड डिपार्टमेंट मे ऑफीसर की पोस्ट पर जॉब मिल गयी है ।
अमन की बात सुन कर सोनल शर्माने लगी लेकिन वही मा बहुत खुश हुई
मा - अरे वाह ये ती बहुत अच्छी बात है और क्या बात हूई ।

पापा - दरअसल , अमन बेटा का जुलाई से तीन महिने तक ट्रंनिंग होने वाला है तो मदनलाल जी चाहते है कि एन्गगेमेंट अगले महीने मे ही करा दिया जाये फिर ट्रेनिन्ग के बाद शादी भी हो जायेगी
मा थोडी परेशान होकर - अरे लेकिन एक महिने मे कैसे सब होगा जी , इतनी सारी तैयारीया करनी होगी क्या क्या करूंगी मै

पापा - अरे चिन्ता ना करो सब हो जायेगा
फिर ऐसे ही बाते हुई और फिर खाना खतम हुआ और सब अपने अपने कमरो मे चले गये ।
और रात मे थोडी सरोजा जी से बात हुई और फिर थ्रीसोम वाली मस्ती हुई दो राउंड और फिर मै वापस अपने कमरे मे सो गया
ऐसे ही दो दिन का समय बिता और मै दूकान पर था कि मा आई
और बोली कि मै आज घर जाकर ही खाना खा लू क्योकि कोई टिफ़िन था नही खाली जिसमे वो खाना लेके आती
मै बहुत खुश हुआ कि आज दीदी के साथ मस्ती करने का खुला मौका मिल गया और आज मै ये मौका छोडने वाला भी नही था तो मै झट से मा को बिठा कर निकल गया चौराहे वाले घर की ओर


जारी रहेगी
Excellent update
 

Sanju@

Well-Known Member
5,008
20,093
188
UPDATE 90



मै खुशी से रास्ते भर आने वाले मौके को लेके काफी उत्तेजित होने लगा था और पुरे रास्ते भर मेरा लण्ड तना हुआ था । मै एक बाइक से लिफ्ट मागी और 2 मिंट मे चौराहे वाले घर पहुच गया और मेन गेट खोल कर अन्दर गया
जहा सोनल हाल मे सोफे पर बैठे मोबाईल चला रही थी । वो नहा चुकी थी और उसके बाल खुले थोडे गीले थे हालकी उसने अभी तक उनको सवारा नही था जिससे वो और भी खुबसूरत लग रही थी । उसने एक हल्के गुलाबी रंग का टीशर्ट और लोवर पहन रखा था । वही टीशर्ट पर गौर करने पर मुझे लगा की शायद उसने कुछ पहना नही है ।
मै झट से उसके पास बैठ कर एक बार उसके बदन से आती भीनी सी खुस्बु ली और एक गजब की कामोत्तेजना भरी मुस्कान मेरे चेहरे पर आई वही पैंट मे लण्ड भी अंगड़ाई लेने लगा ।

मै झट से उसके कन्धे पर हाथ रख कर उसके गालो को चूम्ते हुए उसके मोबाईल मे देखते हुए - कया कर रही हो जानू

सोनल कुछ बोलती उससे पहले ही मेरे नजर मोबाईल मे हो रही चैट पर गयी , सोनल इस वक़्त अमन से ही बात कर रही थी और मै उनकी रोमांटिक चैट पढने लगा ।
सोनल जहा मुझे खुल कर प्यार देती है वही अमन को एक एक चुम्मी के एमोजी तक के लिए तरसा कर परेशान करती है ।
मै - अरे क्या इतना परेशान कर रही हो बेचारे को , कुछ माग रहा है दे दो

सोनल हस कर - तू नही जानता भाई ,, पतियो को इतना तरसा कर रखो कि जब वो मिले तो बेसब्रे होकर ही प्यार करे हिहिहिही

मै सोनल के कान के पास जीभ घुमाते हुए - तो मुझे भी तरसाओगी क्या जानू

बदले मे सोनल मेरे होठ को एक बार चुसते हुए मेरे आंखो मे देखते हुए बोली - नही रे , तेरे लिए मै खुद बेसबरी हू मेरे भाई
और वापस से हम दोनो डीप किसिंग मे खो गये ।
करीब 10 मिंट कर एक दुसरे को चुस्ते रहने के बाद ,, अचानक से अमन का वीडियो कॉल आने ल्गता है तो हम दोनो अलग होते है और सोनल वीडियो कॉल उठा लेती है ।
जहा अमन इस वक़्त सिर्फ तौलिया लपेटे अपने कपडे पहनने जा रहा होता है और तरह तरह से कोसिस कर सोनल को अपने लण्ड के उभार की ओर रिझा रहा होता है । मै सोनल से थोडा दुर होकर मोबाईल पर अमन की हरकते देख रहा होता हू और वही सोनल को देखता हू की वो भी उसे परेशान करने के लिए शर्माने का नाटक और झूठ मूठ नोक झोक करती है ।

फिर जैसे ही अमन वापस मोबाईल रख देता है
मै - ओह्हो मतलब बात कपडे निकालने तक आ गयी है हा

सोनल हस कर - हा वो कुछ ज्यादा ही उतावला है और कोसिस करता है कि मै भी खुल जाऊ उसके साथ लेकिन मै मजे लेती हू

मै सोनल से चिपक कर टीशर्ट के उपर से उसके 34B के चुचो को मिजते हुए - अरे इनके दर्शन करवाये की नही

सोनल कसमसा कर - आह्ह नही भाई , ब्स एक दो बार ब्रा की स्ट्रिप दिखा दी हू और नही ।
मै सोनल के गोरे मुलायम और खुस्बु से भरे गरदन को चूमते हुए उसकी एक चुची को हाथ मे भर कर मिजने लगता हू तो वो भी मेरे सर पर हाथ फेरते हुए अपनी दुसरी चुची को उत्तेजना मे दबाने लगती है ।
एक तो कल ही उसका महीना खतम हुआ था और आज मैने उसके जिस्मो को नोच्ना शुरु कर दिया ।
जल्द ही हमारे होठ मिले और फिर से एक दूसरे के बदन को घिसना शुरु कर दिया हमने ।
वही वो प्यासी झट से अपना हाथ मेरे पैंट के उपर से उभरे हुए लण्ड को दबाने लगी और मै भी उसकी एक नरियल जैसी चुचि को भीचने लगा ।
मै बेसबरा होने ल्गा था और मैने सोनल को सोफे पर लिटा कर उसके उपर आ गया और झट से टीशर्ट उपर कर उसके दो मोटे नारियल जैसे लेकिन गोरे मुलायम चुचो को देख कर पागल हो गया । मानो कितने समय से मै इनके लिये तरस रहा था और मै उन हल्के भूरे वाले दानेदार निप्प्ल के बटन की मुह मे भर लिय और खुब जोर से चूस्ने ल्गा ।
वही सोनल - अह्ह्ह माआआ आराम से भाआईईईई ओह्ह्ह मा उफ्फ़

मै दुसरे हाथ से एक चुची को मिजते हुए एक को मुह मे भरे चुस रहा था और ज्यदा से ज्यादा मुह मे भर रहा था वही सोनल भी उत्तेजना मे मेरे सर को अपनी चुची पर दबा रही थी । फिर मैने साइड बदल कर दुसरी को मुह मे भर लिया

हम दोनो बड़ी उत्तेजना से एक दुसरे को दबा नोच रहे थे

मै - आह्ह दिदी कितनी मस्त चुचिया है ,,एक बार दिखा दो ना उसे भी ,, पागल हो जायेगा

सोनल - दिखा दूँगी मेरे राजा अह्ह्ह और चुस उम्म्म्ं बहुत दिन से नही मिज्वाया था अह्ह्ह निकाल दे आज सारी कसर

मै सोनल को छेड़ते हुए - दिदी क्या आप अमन का लण्ड देखी हो
सोनल कसमसा कर - हा भाई वो कहा मानने वला है वो तो जिद करके दिखा देता है जबरजसती

मै सोनल की चुचियॉ को मिजते हुए - फिर आपका मन नही होता की दिखा दू उसे भी अपना माल

सोनल - करता है भाई और उसका लण्ड सोच कर तो कई बार मैने ऊँगली भी किया है अह्ह्ह भाई

मै ऊँगली करने की बात से थोडा मुस्कुर कर खसक कर निचे हुआ और सोनल की जांघ को फैलाते हुए उसके चुत के उपर हाथ घुमाते हुए - इसमे ऊँगली करती हो क्या दीदी

सोनल मेरे हाथ का स्पर्श अपने चुत पर पाते ही सिहर गयी और कापने लगी - अह्ह्ह अह हा हा भाई उम्म्ंम बहुत मोटा लण्ड है उस्का अह्ह्ह

मै उसके चुत को सहलाते हुए लोवर के उपर से ही - मेरे से भी मोटा है क्या

सोनल ना मे सर हिलाते हुए - ना ह नह अह्ह्ह भैया मै आउन्गी आह्ह मेरा निकलेगा और रगडो उसको आह्ह मा तेज्ज्ज्ज रगडो ना उम्म्म्म्म्मीई अह्ह्ह मुम्म्यीईईई उम्म्ंम अह्ह्ह हा ऐसे ही ऐसे ही

मै सोनल की बेताबी समझ गया और मै झट से उठ कर उस्का लोवर पैंटी के साथ ही एक झटके मे निकाल दिया और जांघो को कन्धे पर चढा कर झुक कर अपना मुह उसके चुत पर ल्गा दिया ।

मेरे तपते होठो का स्पर्श अपनी गर्म चुत के मुलायम सिराहने पर पाते ही सोनल अकड गयी और मैने उसकी जांघो को थाम कर अपनी जीभ को उसकी चुत मे उतार दिया और वो पागल होकर अपनी गाड को झटकने लगी और मेरे मुह मे उसके गर्म पानी का लावा बहने लगा मैने हर झटके पर उसके चुत पर अपने होठो से मजबूत पकड बनाता और एक एक बूंद को चुस्ते हुए सारा माल मुह मे निगल लिया और बचा खुचा चाट कर साफ किया

तब तक सोनल सोफे पर हाफ्ते हुए शांत थी लेकिन तेज सांसे उसकी चुचियॉ को और फुला रही थी ।

मै भी एक गहरी सास लेके थोडी देर खुद की बराबर किया और फिर एक एक करके सोनल के सामने ही अपने सारे कपडे निकाल दिये
और मेरा लण्ड सोनल की कसी गोरी छाती को देख कर बौराया खड़ा और सख्त हुए जा रहा था ,,, वही सोनल की नजर मेरे टमाटर से लाल सुपड़े पर गयी और उसकी मोटाई देख कर वो सहम गयी
मै उसको इशारा किया और वो धीरे से सोफे पर मेरे सामने बैठ गयी । मेरा लण्ड खड़ा तनमनाया सोनल की नाक को छुता हुआ उसके सामने ही हुकार ले रहा था । सामने आते ही एक बार फिर झुक कर उसकी नारियल सी मोटी और सख्त चुची को मसला और वो सिहर कर एक हाथ से मेरे लण्ड को पकड ली ।

लण्ड की तपन ने सोनल के जिस्म मे सरसारी दौड़ गयी और वो गनगनाई , एक गहरी सास और फिर ग्प्प्प्क से सुपाडा मुह मे ।

एक ठन्दक सी लगी मुझे लण्ड की उपरी सतह पर और फिर उसके मुलायम होठ रिंग बनाते हुए पिस्टन के जैसे चलने लगे ।
जहा तक उसके होठ मेरे लण्ड की सतह को घिसते वहा एक मुलायम बर्फ की ठन्डक सी मह्सूस होती ।

हालकी सोनल को उतना अच्छे से लण्ड चुसने नही आता था जितना मा और रज्जो मौसी को आता था ।
लेकिन सेक्स की कहानिया पढ कर और पोर्न वीडियो देख कर काफी कुछ सिख गयी थी वो

जैसे भी कर रही थी एक नया अह्सास होता था और उसका लण्ड को गले मे उतार कर काफी समय तक रोके रखने की कला का तो मै दीवाना था ।
उसके मुह मे वो लटकती घंटी जब सुपाडे को दबाती तो मानो लगता चुत मे बच्चेदानी को छू रहा हो मेरा लण्ड

जल्द ही उसे मैने थामा और खड़ा कर उसके होठ चूसने शुरु किया और उसे अपने बेडरूम मे ले आया
थोडी देर हमारी चूमा चाटी चली कुछ मैने उसको मसला कुछ उसने मुझे नोचा काटा नाखून गाड़े ।
मैने भी जोश मे खड़े खडे उसके जांघो के बीच लण्ड को घुसेड़ कर दो चार बार चुत के निचले हिस्सो पर हच्क कर रगड़ और उसके गाड के पाटो को सहलाते हुए मिजा ।

वो सिम्टी, मेरे बाहो मे चिपकी हुई सिस्कने लगी और मैने अपने होठ उसके होठो से जोड दिये एक गहरे चुंबन के बाद मैने वापस से उसे बिस्तर पर बिठा और उसके सामने खड़ा हुआ

मै उसकी आंखो मे एक नशा सा देखा और वो मुस्कराई
फिर शर्मा कर मेरे नंगे पेट पर चेहरा छिपा लिया । मै भी मुस्कुरा कर उसके सर मे हाथ फेरा कि तभी मेरे लण्ड मे कसाव बढ़ा और एक गिलापन सा मह्सुस हुआ और नजर गयी तो देखा सोनल मेरे लण्ड को उपर कर पेट से चिपके हुए ही सुपाडे को मुह मे भर ली और निचे मेरे आड़ो को सहलाते हुए चूसने लगी ।

मै वापस से मदहोश होने ल्गा और उसका चेहरा पिछे कर उसे लिटा दिया
सोनल बिस्तर पर अपनी दोनो जांघो को खोल कर चित लेट गयी , वो हाफ रही थी और एक मुस्कान सी थी उसके चेहरे पर ।
मै उसकी आंखो मे नजरे जमाए उस्के मन के भावो को पढता हुआ वापस से उसकी घाटियो मे गया और जुबान से चुत के उपरी हिस्सों की साफ सफाई मे लग गया ।
थोडी ही देर मे उसकी सिसकिया आने लगी और उसकी चुत ने रोना सुरु कर दिया ।

वही शुरुवाती आसू जो चिपचिपे कम लेकिन महकते ज्यादा थे
मै भी बडे दुलार मे उसके आसुओ को चाट गया और वापस से खड़ा हो कर अपना सुपाडे को खोल से बाहर निकाला और तपता ही उसे सोनल के चुत के बटन पर धंसा दिया

वो हिचकी , अकडी लेकिन छाती वो तो और भी फुलने लगी ।
मैने उसके एक पैर को उठाया उसे अपने चेहरे के पास लाया उसकी पिंडलियों को सहलाते हुए हल्का सा लण्ड सोनल के चुत की होठो पर दरा
फिर से सिसकी और इस बार थोडा सा गरदन उठा कर निचे भी देखा और वापस से चित लेट गयी

मै झुका और उसने अपनी आंखे भीचते हुए जांघो को फैलाया और मैने भी सुपाडा को उसके चुत के फलको को खोल कर छेद पर लगाते हुए एक पैर को थामा और कचकचा कर एक जोर का झटका दिया , सुपाडा अन्दर

सोनल - अह्ह्ह्ह मुम्मीईईईई
मै झुका और गाल को सह्लाया उसके होठो को चूमा और उसके आंखो से बहते आसू पर ही चूम के उससे इजाजत मागी और वो अपने होठ भिचते हुए थूक गटक कर बहते आसु से भरे चेहरे को हा मे हिला कर आगे बढ़ने को कहा

मै उसे एक फ्लाईन्ग किस्स दिया और उसने भी खुद को तैयार किया

फिर मै कुछ MM पीछे होकर लण्ड को जोर से अंदर घुसेडा आधे से ज्यादा सोनल के चुत मे चिरते हुए धस गया और कुछ लाल सी बुन्दे पच्च्च की आवाज से बाहर आई और
वही सोनल मुझे अपने सिने से ल्गा चुकी थी
ना मै हिल पा रहा था ना ही सोनल मुझे हिलने दे रही थी

मेरे होठ उसके होठ मे दबे थे वो अपने कुल्हे कड़े कर दी और जांघो को सिधा कर दर्द को कम करना चाह रही थी
मै उसे थपथपा कर थोडा उपर उठा तो उसके सीने से मेरा वजन कम हुआ और वो एक गहरी सास से हाफने लगी ।
चेहरे पर कोई भाव नही थे लेकिन आखो से झरना बह रहा था । वो जबरजसती अपने चेहरे पर मुस्कान ला रही थी लेकिन उसकी चुत मे अड़सा हुआ मेरा लण्ड शायद इसकी इजाजत नही दे रहा था
तो मैने उस्के गाल चुमे और वापस से उसे सीने से लगा कर - आई लव यू दीदी

वो फफक पड़ी और - लव यू सो मच भाई बहुत दर्द हो रहा है

मै थोड़ा छेडने के मुड़ मे थोडा सा उपर होकर ह्स्ते हुए - तो निकाल दू

वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए ना मे इशारा की
मै उसकी नाचती आन्खो मे देखते हुए - तो फिर चालू करू इंजन
वो कुछ प्रतिकिया करती उससे पहले ही लण्ड को पीछे खिच कचकचा कर एक और जोर का झटका और करीब 3/4 से उपर लण्ड उसकी चुत मे घुस गया और हल्के हल्के मालिश वाले धक्के के जैसे अन्दर बाहर शुरु हुआ

धिरे धीरे उसका दर्द कम हुआ लेकिन इतना भी नही कि एकदम तुफान मेल पेलवा ही ले

लेकिन उसकी सिसकी बढी और हल्की सी आहट आई - सीईई उन्म्म्ंंं आह्ह थोडा तेज्ज्ज

मै सुना और झट से उसकी आंखो मे देखा वो शर्मा कर मुस्कुराते हुए मुह फेर ली और उसको अप्नी तरफ मुह कराने के लिए मैने धक्के की गति बढ़ा दी वो उसकी उम्मीद से कुछ ज्यादा ही जोर मे
वो ह्च्कने लगी और उसकी आवाज सिस्किया सब रुक रुक कर आने लगी एक मुस्कान थी जो उसकी सहमती का इशारा कर रही थी जल्द ही उसने अपने हाथ मेरे कमर हिल्ती कमर मे फेरा और थोडा दबाने को इशार किया और मैने धीरे धीरे उसकी चुत मे और निचे जाने ल्गा और जल्द ही पुरा लण्ड उसकी चुत मे उतार दिया

अब लम्बे लम्बे धक्के लग रहे थे और जब भी लंड उस्के चुत की गहराई मे जाती वो गहरी सासे लेती और बाहर निकालते समय सास को छोड देती ।

फिर मैने खुद को थोडा खड़ा किया और दोनो पैर वापस कंधो पर , उसको इशारे से तकिया अपने निचे रखने को कहा



वो लगाई और मैने वापस लण्ड को उतार दिया उसकी जड़ मे इस बार हर बार से गहरा गया और बच्चेदानी का सिरा मेरे सुपाड़े को छुआ
सोनल मे अपने पेड़ू मे हाथ लगा कर ह्स्ते हुए इशारे मे बताने लगी की कहा तक उसे लण्ड मह्सूस हो रहा है

मानो ऐसा कर उसने मेरा जोश बढ़ा दिया हो और मैने धक्के तेज कर दिये वही सोनल झड़ने के करीब थी और उसने अपने चुत के अन्दर का छ्ल्ल्ला मेरे लण्ड पर कसना शुरु कर दिया ।

मै भी ज्यादा देर तक खुद को रोक न सका और मै झडने को बाहर निकालने की कोसिस की तो सोनल आंख दिखाते मुझे रोकि

मै - मेरा होने वाला है दीदी
सोनल मुस्कुरा कर तकिये के निचे रखी पिल की गोली मुझे दिखाई और बड़ी अदा से मेरे लण्ड की निचोडते हुए कमर को हचकाया

मै भी खुश हुआ और उसके चेहरे के बराबर मे आकर धक्के को बढ़ा दिया और चुत मे जड मे जाकर लण्ड को रोक दिया एक दो सेकंड रुका था की मेरे लण्ड का लावा फुटा और गरम पानी सोनल की चुत मे भरने लगा ।
वो वापस से गनगना गयी और मुझसे लिपट गयी । मै भी उससे चिपके अपनी कमर झटकते हुए आखिरी बूद तक झड़ता रहा
फिर थोडी देर मै उठा और वो हिली तो जांघो मे टीस सी हुई । अभी तक मेरा लण्ड चुत मे घुसा हुआ था और मेरा वीर्य उसके रस और खुन की बुन्दो से मिल कर हल्का गुलाबी सा हो गया था । जो मेरे लण्ड के जड के कुछ हिस्सो मे च्ख्टा था ।

मै धीरे धीरे उसके जांघो की मालिश की और हौले से अपना लण्ड बाहर निकाला । एक दम क्रीमी हल्की गुलाबी रंग लिये टपकती बुन्दे ,, सोनल ने एक कप्डे से मेरा लण्ड को लपेटा और मै उसको थामे खड़ा हुआ और साफ किया ।

फिर वापस वो कपडा सोनल को दिया वो भी उस कपडे को अपने वीर्य से भरे चुत के मुहाने पर लगा कर बैठी और मैने उस्का हाथ थाम का उसे खड़ा किया ।

उस्के पाव काप रहे थे शायद झुनझुनी थी या वो टीस ही हो
अभी उसके कुल्हे कड़े जान पर रहे थे मैने उसकी कमर को सहलया और उसके होठ चूमे फिर मै उसे बाथरूम लेके गया ।
हम दोनो ने खुद को साफ किया और फिर कपडे पहनने के लिये बाहर हाल मे आये ।

मैने हम दोनो के लिए खाना लगाया एक ही थाली मे फिर मैने उसे खुद से ही खिलाया ।
वो खुश थी उसके चेहरे पर एक चमक थी और खाने के बाद मैने उसके पानी दिया ।

फिर जब मेरे वापस दुकान जाने का समय हुआ तो उसने मुझे हग किया और देर तक चिपकी रही । हम दोनो पिघल रहे थे लेकिन उसकी आंखे भरी थी । मैने प्यार से उसकी आसू साफ कर उसके चेहरे का हर भाग चूमा वो वापस से मुस्करा कर मेरे सिने से लग गयी ।

सोनल - थैंक यू भाई लव यू सो मच
मै ह्स कर बोला - लव यू टू दीदी

मै - मै जाऊ फिर
दीदी उदास मन से - हा ठीक है
मै उस्के गाल चूम कर - शाम को आऊंगा ना मै
वो खुश हुई - हम्म्म ठीक है जाओ अब ,,,
तब तक सोफे पर पड़ी उसकी मोबाइल रिंग हुई अमन का ही फोन था

मै हसी मे उसे छेड़ने के अन्दाज मे - अच्छा तो जनाब के पति का फोन आ रहा है तो भेज रही हो मुझे

वो हस कर - धत्त , ठीक है मत जाओ
मै ह्स कर उसको अपना मोबाईल दिखाते हुए - जा रहा हू , देखो मा का दो बार फोन आ गया है ,,, वो दवा खा लेना और आराम करना और ज्यादा दर्द हो तो मालिश कर लेना

सोनल मुझे धकलेते हुए मेन गेट तक ले आई और बोली- तू जाओ और मेरी चिन्ता ना करो मै कर लूंगी सब हिहीही

मै जाने से पहले से एक बार उसके होठ को चूसा और निकल गया दुकान के लिए
दुकान पर गया तो मा ने थोडी पुछ ताछ की तो नहाने का बहाना मार दिया और फिर मा के साथ आने वाले महिने मे सोनल की शादी को लेके थोडा बात चित हुई और तय किया गया कि अनुज के आने के बाद ही पांडित जी को बुला कर एक मुहूर्त पर सोनल और अमन की सगाई हो जाये । उसी हिसाब से मेहमान भी आयेंगे फिर सब कुछ मैनेज किया जायेगा
शाम को 5 बजे तक मा घर के लिए निकल गयी और मै भी थोडा दुकान मे व्यस्त रहा
फिर समय से निकल गया घर के लिए जहा पापा आ गये थे नहाने गये थे ।

मैने मा किचन मे अकेले काम करते हुए देखा तो उससे दिदी के बारे मे पुछा

मा परेशान होकर - बेटा उसका बदन दर्द हो रहा था वो अपने कमरे मे आराम कर रही है

मै कुछ सोचा और बोला - दवा ली की नही उन्होने
मा मुस्कुरा कर - हा बेटा वो दवा ली है अभी आराम करने दे जा तू भी कपडे बदल ले और फ्रेश हो जा

फिर मै मा को एक किस्स कर अपने रूम मे गया जहा दीदी ने मेरी बेडसित चेंज की थी
फिर मै फ्रेश हुआ और बाहर आया तो देखा किचन खाली था और मा का कमरा बंद था । मै मुस्कुराया और उपर दीदी के कमरे मे गया ।

जहा दीदी सोयी हुई थी मै बडे आराम से अन्दर गया और दीदी के सिरहाने पहुच कर बैठ गया और फिर उसके मुस्कराते गालो को चूम लिया
वो थोडी कसमसाई और थोड़ी बूदबुदाइ फिर मेरे हाथ को थाम कर करवट लेली ।

मै मुस्करा कर उसके बालो को उस्के कान मे खोसा और हल्का हल्का मालिश किया सर पर और दोपहर मे हुए मस्ती को आने वाले समय से जोड कर वही बिस्तर की पाट से टेक लगा कर बैठे हुए ही सोचने लगा । एक अगल ही जुडाव सा था आज सोनल के साथ मेरा , एक अलग ही खिचाव , एक नये रिश्ते के जैसा जहा से मै बाहर नही आना चाहता था ।
मेरे हाथ दीदी के सर को थपकी दे रहे थे और धीरे धीरे 20 मिंट का समय बित गया यहा तक की मा और पापा दोनो छ्त पर हमारे कमरे मे आ गये फिर मै सोनल के सर को थप्की देता हूआ बन्द आन्खो से अपने सपने बुन रहा था एक मोह लेने वाली मुस्कान थी मेरे चेहरे पर

तभी मेरे बालो मेरे किसी का हाथ फिरा और मैने आंखे खोली तो देखा मा मेरे बगल मे खड़ी थी और मुझे बडे प्यार से देख रही थी उसके चेहरे के भाव मे ममता थी और एक खुशि भी जो उसकी छ्लकी हुई आखे बया कर रही थी ।

मै ह्स कर - अरे मम्मी पापा आप लोग
मा मेरे सर को चूम कर - तू यहा है , मै कबसे खोज रही हू , तेरे पापा ने फोन भी लगाया फिर ये हुआ की उपर देख लू
मै मा की बातो जवाब देता तब तक सोनल की निद खुल जाती है और वो आंखे उठाती है उसका चेहरा मेरी गोद मे था और सामने मम्मी पापा खडे थे ।

वो थोडा उत्सुकता से उलझन भरे भाव मे बोली - आप लोग यहा और तू ऐसे क्यू
बैठा है भाई

उसकी बाते सुन कर सब हसने लगे और मा भी मेरे सामने और दिदी के बगल मे बैठ कर उसके चेहरे को दुलारते हुए बोली - कैसी है तबियत बेटा

सोनल एक नजर मुझे मुस्कुराता हुए देखी और मेरी जांघ को चन्गोट कर बोली - अभी थोडा आराम है मा

पापा - तो चलो बेटा खाना खाने चलते है , हम तो तुम दोनो को बुलाने आये थे

सोनल अचरज के भाव मे - दोनो को
फिर सोनल मुझे देखते हुए उठ कर बैठ जाती है

मा ह्स कर - वो क्या है ना बेटा, राज दुकान से आया तो तुम्हारे बारे मे पुछा तो मैने बोला की तेरी तबियत नही ठीक है तू आराम कर रही है तो ये पागल फ्रेश होकर तेरे पास चला आया और तबसे तेरे पास ही बैठा था और निचे हम लोग खोजते हुए यहा आये तो देखा कि ये तुझे आपनी गोद मे सुलाये हुए खुद सो गया था ।


सोनल एक मुस्कान के साथ मेरे तरफ देख्ती है और मै हस देता हू
पापा - चलो इसी बहाने पता तो चला ह्मारे साथ ह्मारे बेटा भी है जो हमारी बच्ची को बहुत प्यार करता है ।

फिर ऐसे ही कुछ भावनात्म्क बाते चली और रात में खाने के बाद मैने खुद से फ़रमयिश की मै दीदी के साथ सोने वाला हू तो पापा थोडा इशारे से हिचके लेकिन मा ने उन्हे रोका और मुझे इजाजत देदी ।

फिर हम दोनो छ्त पर दिदी के कमरे मे चले गये और मा पापा अपने कमरे मे


जारी रहेगी
Fantastic update
 

Lutgaya

Well-Known Member
2,159
6,413
159
Top