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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
Last edited:

Akaash04

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💥 अध्याय 02 💥

UPDATE 003


पिछले 3 हफ्ते थे अनुज घर और शादी के ऐसा उलझा था कि उसे न पढ़ाई के लिए समय मिला और न ही आने वाली परीक्षा की तैयारियों का
आने वाले महीनों उसके प्रैक्टिकल शुरू हो रहे थे और उसके प्रोजेक्ट अधूरे क्या शुरू ही नहीं हो पाए थे ।चिंता भरे मन से अनुज उलझा हुआ कालेज के लिए जा रहा था । उसका कालेज भी वही था जहां से पहले उसके भैया राज ने दसवीं और इंटर पास किया था ।
राज के अच्छे व्यवहार और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसके कालेज के टीचर अनुज से अकसर उसके बारे में हाल चाल ले लिया करते यहां तक कि अनुज की पहचान भी अभी तक राज के छोटे भाई के तौर पर ही थी । क्योंकि ना ही अनुज पढ़ाई के उतना अव्वल था और न ही खेल कुद जैसी प्रतियोगीताओ में कोई रुचि रखता था , हालांकि चढ़ती उम्र में वासना ने उसे लालची जरूर बना दिया था ।
कालेज को जाती सड़क पर चल रहा था , आमतौर पर ये सड़के बच्चों से व्यस्त होती थी मगर आज पापा की वजह से उसे थोड़ा लेट हो गया क्योंकि अनुज का तो आज जरा भी मन नहीं था ।
09.30 बजने को हो रहे थे और कालेज कुछ दूर ही था कि उसकी नजर आगे पुलिया पर गई , जहां दो लड़कियां एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रही थी ।


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उनमें से कालेज ड्रेस में एक लड़की का गोरा दुधिया चेहरा दूर से चमकता दिखा और अनुज समझ गया कौन थे वो दोनों ।

: अरे वो देख , तेरा हीरो आ रहा है हीही ( दूसरी लड़की ने पहली लड़की को छेड़ा )
: धत्त कमिनी, चुप कर वो आ रहा है ( उसने अपने सूट को कमर के पीछे से खींच कर अपने गोल मटोल चूतड़ों पर चुस्त किया और विजिबल चुन्नी से अपना क्लीवेज ढकती हुई बड़ी सहूलियत से खड़ी होकर अपने जुल्फे कान में खोसने लगी )

" हाय अनुज , बड़े दिन बाद " , उस पहली लड़की ने अनुज को टोकते हुए कहा ।
अनुज : ओह हाय कृतिका , हा वो मै दीदी की शादी में उलझा था । बताया तो था उस दिन दुकान पर ?

अनुज के जवाब पर वो दूसरी लड़की ने आंखे महीन कर कृतिका को घूरा तो कृतिका नजरे चुराती हुई मुस्कुरा दी : अच्छा हा , और कैसे हो ?

अनुज : अच्छा हु और तुम दोनों ?
" अच्छा तो तुम्हे दिख गई मै , ठीक हूं मै भी " , कृतिका के साथ वाली लड़की बोली जिसके नारियल जैसे चूचे सूट को सीने पर पूरा ताने हुए थे जिससे उसका दुपट्टा ज्यादा ही उठा नजर आ रहा था ।
अनुज थोड़ा झेप कर मुस्कुराता हुआ : अरे पूजा वो तो मै , अच्छा सॉरी बाबा
कृतिका पूजा से : क्या तू भी परेशान कर रही है , चलो अनुज
अनुज : हम्म्म चलो

अनुज थोड़ा आगे हुआ कि उसके कानो में पूजा की भुनभुनाहट आई : हरामीन तूने बताया नहीं न मिलने गई थी उम्मम ।
इसके बाद कृतिका की हल्की सी सिसकने की आवाज आई : सीईईई मम्मीई, कुत्ती....

कृतिका और दो चार गालियां पूजा को देती मगर उसकी नजर आगे अनुज से टकराई और वो थोड़ा शर्मा कर अपने कमर के पिछले हिस्से को सहलाते हुए मुस्कुराने लगी ।
" तुम्हारे प्रोजेक्ट्स कहा तक पहुंचे अनुज " , कृतिका ने सवाल किया ।
आगे वो बातें करते हुए निकल गए कालेज की ओर ।


वहीं दुकान पर आज राज का पहले दिन ही बड़ी मगजमारी झेलने पड़ी ।
बबलू काका की मदद से चीजे आसान थी मगर बाप की पहचान और रुतबे के आगे राज फीकी चाय से भी फीका था ।
11 बजने को हो रहे थे और राज केबिन में बैठा हिसाब बना रहा था ।
एक्जाम तो उसके भी आने वाले थे मगर अभी उसके पास डेढ़ माह का समय अतिरिक्त था अनुज से ।

बबलू काका : छोटे सेठ , बड़े घर से ठकुराइन आई है !
राज थोड़ा अचरज से : ठकुराइन कौन ?
बबलू काका थोड़ा हिचक कर : छोटे सेठ वो सेठ जी के दोस्त ठाकुर साहब है न उनकी मैडम ।
राज खुश होकर : अच्छा आंटी जी आई है , अरे तो भेजिए न उनको !
बबलू काका : जी छोटे सेठ
राज : और सुनिए कुछ देर में नाश्ता भेजवा दीजियेगा ओके
बबलू : ठीक है छोटे सेठ

कुछ ही देर में राज के सामने संजीव ठाकुर की बीवी खड़ी थी । ऊपर से नीचे तक खुद को बड़ी ही अदब और सादगी से ऐसे ढकी हुई थी कि उनका गदराया जिस्म की रत्ती भर झलक नहीं मिल पा रही थी सिवाय चेहरे के ।


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पूरी बाजू की ब्लाउज जो क्लिवेज के साथ साथ पीठ गर्दन सब कवर किए हुए थी । सिम्पल हल्की साड़ी जिससे उन्होंने अपना पेट और कमर पूरी तरह से ढक रखा था और कूल्हे पर ऐसी चुस्त की गाड़ का उभार उठा हुआ नजर आ रहा था ।

ठुकराईन : कैसे हो बेटा ?
राज की नजर उसके चेहरे पर गई , गजब का आकर्षन था उनकी आंखों में और मुस्कुराहट से फैले हुए मोटे मोटे होठो के चटक लिपस्टिक और भी ललचा रहे थे ।
राज : जी ठीक हूं आंटी जी , नमस्ते आइए न
राज खड़ा होकर उनका अभिवादन किया और ठकुराइन राज के पास सोफे पर बैठ गई ।
ठकुराइन : बेटा पापा नहीं है ?
राज मुस्कुरा कर : जी वो नानू के यहां गए है हफ्ते दस दिन में आ जायेंगे ।
ठकुराइन हस्ती हुई : हाहा ससुराल गए है घूमने भाईसाहब
राज मुस्कुराकर : जी ,
ठकुराइन : और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है , या फिर तुम भी पढ़ाई छोड़ कर पहले शादी ही करने वाले हो सोनल के जैसे
राज मुस्कुरा कर : अरे नहीं आंटी , अभी मेरी उम्र नहीं है और दीदी भी अभी अपनी पढ़ाई जारी ही रखेगी ।
ठकुराइन : तो क्या सोनल अपने पति के साथ नहीं जाएगी ?
राज उलझे हुए स्वर में : अभी कुछ कह नहीं सकते आंटी जी , मार्च बाद से हम लोगों के भी एग्जाम शुरू हो जायेंगे तो मुझे नहीं लग रहा है कि वो जा पाएंगी ।
ठकुराइन : बस ससुराल वाले राजी हो जाए उसे पढ़ाने के लिए
राज : मुझे नहीं लगता कोई कुछ कहेगा , अच्छे लोग है सब
ठकुराइन इधर उधर की बातों को खींच रही थी और राज को अब बेचैनी हो रही थी । कुछ देर बाद तो ठकुराइन के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं । अब राज को शक होने लगा कि शायद वो किसी काम से आई थी और उससे कहने में हिचक रही है ।

राज : आंटी आप कुछ काम से आई थी ?
ठकुराइन : हा बेटा वो ...
बबलू काका : छोटे सेठ ये नाश्ता
ठकुराइन कुछ कहती कि बबलू काका आ गए और वो चुप हो गई थी । वो नाश्ता रख कर निकल गए ।

राज : हा आंटी जी कहिए , देखिए पापा नहीं है मगर कुछ भी मेरे लायक होगा मै कर दूंगा आप बेहिचक कहिए ।
ठुकराई थोड़ा सोच कर : बेटा मै तुम्हारे पापा से नहीं तुमसे ही बात करने आई थी ।
राज अचरज से : मुझसे ?
ठकुराईन : मैने कल दुपहर ही तुम्हारे पापा से बात की थी कि तुमसे कैसे मिल सकती हूं।
राज : हा तो कहिए ? क्या बात है ?

ठकुराइन : बेटा वो मै कैसे कहूँ,
राज : आंटी आप टेंशन मत लीजिए और मुझपर भरोसा करिए प्लीज , बताइए ..
ठकुराइन : बेटा वो तुम्हारा दोस्त है न , रामवीर का लकड़ा चंदू ?

चंदू का नाम सुनते ही राज का दिमाग सन्न हो गया , क्योंकि चंदू तो ठकुराइन की बेटी मालती का दीवाना था और काफी दिनों से वो ठाकुर साहब के यहां ही काम पर जाता था अपने बाप के साथ ।
राज का गला सूखने लगा : जी आंटी क्या बात चंदू के बारे में उसने कुछ किया क्या ?

ठकुराइन : बेटा तुम तो समझदार हो , उसको समझाओ ऐसे किसी के घर की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करते ..
राज को यकीन होने लगा जरूर चंदू की कोई कारस्तानी की भनक लगी है ठकुराइन को : मै समझा नहीं आंटी , वो तो गोदाम में काम करता है न फिर क्या दिक्कत हो गई ?

ठकुराइन : कभी कभी बेटा वो .. कभी कभी क्या इन दिनों लगभग रोज ही वो घर में आ जाता है और उसने मेरी बेटी मालती के साथ ...
ठकुराइन बोलते हुए चुप हो गई ।

राज और उलझ गया और मन में बड़बड़ाया : बहिनचोद ये साला चंदू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हरामी

राज : आंटी , उसकी गलती के लिए मै आपसे माफी मांगता हू। प्लीज इस बात को अंकल या उनके बाऊजी को मत कहिएगा । मै उसको बोल दूंगा वो सुधर जाएगा प्लीज

ठकुराइन कुछ देर चुप हुई और एकदम से उनके तेवर बदले : इसीलिए मै तुम्हारे पास आई हु राज , अगर मै ये बात कह दूं घर में मालती के पापा या फिर बाउजी से तो कही लाश भी नहीं मिलेगी उसकी । उसको समझाओ और दुबारा बिना कहे घर दिखा न तो खैर नहीं रहेगी उसकी ।

ठकुराइन का ऐसा बदला स्वरूप देख कर राज की फट गई और वो मन ही मन गाली दिए जा रहा था चंदू को ।
राज : आप बेफिक्र रहे आंटी जी , मै समझा दूंगा और प्लीज आप ये सब किसी ने मत कहिएगा मै रिक्वेस्ट कर रहा हु ।

ठकुराइन ने आगे कुछ देर तक अपनी बातों को घूमा फिरा कर रखती रही और फिर निकल गई ।
उनके जाते ही राज ने चंदू को फोन घुमाया

: भोसड़ी के जहां भी हो जल्दी से पापा वाली दुकान पर आ
: .......
: हा बर्तन वाले पर , जल्द आ

राज ने चंदू को हड़काया और फोन काट दिया । पानी का ग्लास गटागट खाली करता हुआ राज थोड़ा खुली हवा के लिए बाहर आया ।
मगर उसके जहन में एक सवाल खाए जा रही थी कि आखिर ठकुराइन ने ये बात सिर्फ मुझसे ही क्यों की । वो चाहती तो सीधा ही चंदू से कह देती या फिर उसे काम पर आने से मना कर सकती थी या फिर ऐसा कर देती कि वो घर के अंदर आए ही नहीं । जरूर कुछ बात है और राज गल्ले पर बैठा सोच रहा था कि इतने में चंदू आ गया ।

चंदू हांफता हुआ : क्या हुआ भाई , कुछ अर्जेंट है क्या ?
राज ने गुस्से से उसे घूरा , फिर अन्दर चलने का इशारा किया और दोनों केबिन में चले गए ।

शिला के घर

" चुप करो तुम , अगर एक मिनट और नहीं आती तो अबतक तो नंदोई जी मेरी साड़ी उतार चुके होते " , रज्जो शिला को डांटती हुई बोली ।

शिला खिलखिलाकर : अरे भाभी , आज नहीं तो कल साड़ी तो उठाएंगे ही वो आपकी हीही
रज्जो लजा कर : धत्त तुम भी न , सीधे चलो
शिला हस्ती हुई आगे बढ़ रही थी कि रज्जो की नजर सड़क से लग कर एक मकान पर गई जिसके बाहर एक खूबसूरत औरत साड़ी पहने हुए खड़ी थी ।


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उसके कजरारी आंखो में गजब का आकर्षण था , उसपे से उसकी पतली कमर और गुदाज गोरा पेट , देखते ही रज्जो तो मानो उसके कातिलाना हुस्न की कायल हो गई ।

रज्जो धीरे से उसकी ओर दिखा कर : हे दीदी ये कौन है , बड़ी कातिल चीज है उम्मम किसका माल है ये ? एकदम रसभरी है
शिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई

रज्जो : अरे बताओ न , क्या हुआ हस क्यों रही हो
शिला : क्यों दिल तो नहीं आ गया उसपे उम्मम

रज्जो मुस्करा कर : मेरा तो पता नहीं मगर जिस तरफ से वो तुम्हे निहार रही है पक्का वो तुम पर लट्टू है । कितना नशा है उसकी आंखों , शायद कल मैने इसको उधर बाग की ओर भी देखा था ।
शिला : हम्म्म हा वो उसका अड्डा है
रज्जो : अड्डा कैसा अड्डा ?
शिला : बताती हु अभी चलो यहां से
कुछ दूर आगे बढ़ते ही रज्जो : क्या हुआ बताओ न
शिला मुस्कुराई : अरे उधर उसके कस्टमर मिलते है उसको , गांव और कस्बा का कोई डायरेक्ट उसके घर में नहीं जाता
रज्जो उत्सुकता से : क्यों ?
शिला मुस्कुरा कर: अरे वो किन्नर है
रज्जो की आँखें फैली : हैं ? सच में .. इतना खूबसूरत
शिला : हा लेकिन उसका टेस्ट थोड़ा अलग है ?
रज्जो : मतलब ?
शिला : अरे उसको मोटी जैसी गदराई औरतें पसन्द है मगर यहां गांव का माहौल देख ही रही हो , इसीलिए उधर जाता है औरतों को निहारने ।

रज्जो : क्या सच में ? तुमको कैसे पता
शिला : अरे पिछले साल जब आया था तब उसने एक बार मेरा भी पीछा किया था , मगर उसको मना कर दिया
रज्जो : अह्ह्ह्ह मना क्यों किया , ले लेती न नए लंड का स्वाद हीही।

शिला हस्ती हुई : भक्क तुम भी न भाभी

फिर दोनों आगे बढ़ गए और गांव वाले घर के लिए।
घर में घुसते ही रज्जो ने बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर के पाव छूए : प्रणाम बाउजी
शिला के ससुर की नजर रज्जो के चुस्त ब्लाउज में चिपके हुए गदराये जोबनो पर गई और वो सिहर उठा ,


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रज्जो ने वही शिला वाली साड़ी ही पहनी थी , जिसमें उसके दूध बुरी तरह से ठुसे हुए थे । शिला के ससुर के बदन में सरसरी फैल गई और रज्जो ने चुपके से शिला को आंख मारी । तो शिला भी मुस्कुरा कर रज्जो की शरारत को समझते हुए अपने ससुर के पाव छूए और फिर खड़ी होकर अपनी कुर्ती को पीछे से उठा कर अपने कूल्हे पर चढ़ाया ।

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जिससे उसके ससुर की नजर लेगी के उभरी हुई उसके तरबूज जैसे चूतड़ों पर गई और वो थूक गटकने लगा ।

फिर दोनों फुसफुसाती हुई घर में चली गई , और अंदर देखा तो शिला की सास अभी नहाने की तैयारी भी थी । झूले हुए नंगे चूचे और नंगा पेट , कमर में अटकी हुई पेटीकोट ।

रज्जो : प्रणाम अम्मा , बड़ी देर से नहाने जा रही हो
शिला की सास : अरे क्या करु बहु वो मीरा कलमुंही टाइम से आती ही नहीं झाड़ू कटका के लिए इसलिए देर हो जाती है
शिला : ठीक है अम्मा आप नहा लो , हम लोग कपड़े लेने आए थे तो उधर से ही निकल जायेंगे
शिला की सास : अरे एक आध रोज के लिए बहु को यही छोड़ जा , आई है तो चार बात मुझसे भी कर लेगी ।
" आऊंगी अम्मा एक दो रोज में तो रुकूंगी ठीक है " , रज्जो ने दरवाजे पर खड़े शिला के ससुर की परछाई देख कर जवाब दिया ।

शिला : ठीक है अम्मा चलती हु प्रणाम
फिर वो निकल गए कपड़े लेने और कुछ देर बाद वो दोनों अपने घर के आगे से वापस टाउन की ओर जा रहे थे कि रज्जो की नजर घर गई , बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर गायब थे ।

रज्जो : हे दीदी बाउजी कहा गए
शिला : अरे भीतर गए होंगे चलो छोड़ो उनको
रज्जो हस कर : अरे अंदर तो अम्मा नहा रही थी न
शिला : हा तो ?
रज्जो के चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कुराहट फैलने लगी ।
शिला आंखे बड़ी कर रज्जो के इरादे भांपते हुए : नहीं मै नहीं जाऊंगी , चलो घर
रज्जो : धत्त चलो न , देखे तो हीही और दरवाजा भी खुला है

रज्जो शिला का हाथ पकड़ कर खींचने लगी और शिला ना नुकूर करती हुई उसके साथ चल दी

धीरे धीरे वो अंदर घर में गए और भीतर देखा तो आंगन खाली था , नल के पास पानी गिरा था और शिला के सास के गिले पैरो को छाप एक कमरे की ओर जाती दिख रही थी

रज्जो उसके फूट प्रिंट की ओर इशारा करते हुए उस कमरे का इशारा : हे उधर देखो हीही

शिला फुसफुसा कर : तुम न पागल हो पूरी
रज्जो खिलखिलाई और धीरे धीरे उस कमरे की ओर बढ़ गई
जैसे ही वो खिड़की के पास गए दोनों की आंखे फेल गई और मुंह पर हाथ रख कर एक दूसरे को भौचक्के निहारने लगे
सामने कमरे में शिला की सास पूरी नंगी होकर लेटी हुई थीं और उसका ससुर ऊपर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था । शिला की सास कराह रही थी


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शिला की सास : अह्ह्ह्ह्ह मन्नू के बाउजी ओह्ह्ह्ह कितनी जल्दी जल्दी आप गर्म हो जाते हो , फिर से बहु को देखा क्या ?
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखी और अंदर का नजारा देखने लगी
शिला का ससुर अपनी बीवी के फटे भोसड़े में लंड उतारता हुआ : हा मन्नू की अम्मा , बहु के साथ जो आई उसके जोबन देख कर मेरा बुरा हाल हो गया और बड़ी बहु के चौड़े कूल्हे अह्ह्ह्ह

शिला के ससुर की बातें सुनते ही रज्जो के भीतर से हंसी की दबी हुई किलकारी फूट गई और झट से वो खिड़की से हट गए
और कमरे से शिला के ससुर की कड़क आवाज आई : कौन है ?

शिला और रज्जो एकदम से हड़बड़ा उठी और झटपट घर से बाहर निकल गई
शिला रज्जो का हाथ पकड़ कर : इधर से नहीं , पीछे से चलो , बाउजी जान जायेंगे
रज्जो को भी आइडिया सही लगा तो वो घर के बगल की गली से तेजी से निकल गए ।
कुछ ही देर में शिला का ससुर लूंगी लपेटते हुए बाहर आया मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वापस चला गया ।
घर से दूर हो जाने के बाद दोनों के जान में जान आई और दोनों खिलखिला कर हस पड़े ।

शिला : तुम न बड़ी पागल हो , चुप नहीं रह सकती थी हीही
रज्जो : अरे मुझे हसी इस बात की आई कि हमारी वजह से बेचारी तेरी सास की सांस चढ़ने लगती है हाहाहाहाहा
शिला हस्ती हुई : हा लेकिन बाल बाल बचे आज ,
रज्जो : बच तो गए मगर वापस घर कैसे जायेंगे
शिला : अरे उधर बागीचे से भी एक रास्ता है पगडंडी वो आगे सड़क में जुड़ेगा चलो
और दोनों आगे बातें करते हुए बगीचे की ओर निकल गए ।

मुरारी - मंजू

11 बजने वाले थे और मुरारी खाली समय बिस्तर पर बिखरे हुए मंजू के कपड़े खोल खोल कर उसके हिसाब से जो ठीक ठाक नजर आ रहे थे उन्हें अलग कर रहा था बाकी सब एक झोले में ठूस रहा था ।
तभी उसके हाथ में एक जींस आई
लेबल देखा तो 38 साइज कमर वाली जींस थी , साफ था मंजू का ही होगा
मुरारी खुद से बड़बड़ाया : उफ्फ कितना चौड़ा चूतड़ होगा इसमें उसका उम्मम
मुरारी ने जींस की मियानी को मुंह पर रख कर सुंघा और फिर उसको फोल्ड कर दिया ।
तभी कपड़े के ढेर एक चटक नीला रंग का फीता नजर आया , मुरारी ने उसको खींचा तो देखा कि वो तो पतले स्ट्राप वाली ब्रा थी , जिसके cups पर खूबसूरत लैस वाली डिजाइन थी ।
उस मुलायम ब्रा को मुठ्ठी में भर कर उसने अपने सर उठाते लंड पर घिसा : अह्ह्ह्ह मंजू क्या चीज है रे तू उम्मम
तभी मुरारी के मोबाईल पर रिंग हुई ये मंजू का ही फोन था

फोन कर
मंजू : हैलो भाई साहब , मेरा ऑफिस का काम हो गया है , आप आ जाइए
मुरारी : ठीक है , लेकिन आना किधर है

फिर मंजू उसको एक मॉल का पता बताती है और मुरारी घर बन्द कर के ऑटो से निकल जाता है
कुछ ही देर में वो मंजू के पास होता
बड़ी सी 4 मंजिला इमारत और सैकड़ों की भीड़ , इतनी चकाचौंध मुरारी के लिए बड़ी बात नहीं थी । मगर वहा की मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में गदराई औरतें देख कर उसका ईमान और लंड दोनो डोल रहे थे और मंजू भी मुरारी के हाव भाव पर मुस्कुराती जब वो उसे टाइट जींस में फूली हुई चूतड़ों को निहारता पाती ।

मंजू : चले भइया


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मुरारी एक मोटी औरत के कुर्ती में झटके खाते चूतड़ को मूड कर निहारता हुआ : हा चलो , यहां तो सब ऐसे ही कपड़े पहनते है क्या ?
मंजू मुस्कुरा कर : जी भइया, बड़ा शहर है तो यहां बहुत कामन है
मुरारी आगे देखा तो एक फैमिली जिसमें 2 औरते और दो लड़के और बच्चे थे । उस फैमिली की सभी औरते टाइट जींस और टॉप में थी ।


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बड़े बड़े रसीले मम्में पूरे बाहर उभरे हुए । सनग्लास लगाए हुए आपस में बातें करते हुए आ रही थी ।

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मुरारी तो टॉप में उसके बड़े बड़े रसीले मम्में देखता ही रह गया ।
मंजू मुस्कुरा रही थी जैसा मुरारी हरकते कर रहा था और तभी मुरारी की नजर मंजू से मिली तो वो झेप कर मुस्कुराने लगा ।
दोनो अब थोड़ा हिचक रहे थे नजरे फेर कर बिना कुछ बोले अंदर एंट्री करते है और अंदर और भी चीजें मस्त थी , दुनिया भर की दुकानें और सबसे बढ़ कर नए उम्र के जोड़े , हाथ पकड़े एक दूसरे से चिपके हुए ।
मंजू : भैया ऊपर चलना पड़ेगा लेडीज सेक्शन ऊपर है
मुरारी : सीढ़ी किधर है ?
मंजू मुस्कुरा कर सामने एलिवेटर की ओर इशारा किया मुरारी की हालत खराब ।
अब होने वाली भयोह के आगे कैसे मना करे , मन मार कर हिम्मत जुटाया और दो तीन प्रयास किया मगर कलेजे से ज्यादा तो पाव कांप रहे थे ।
इतने में दो लड़कियां उसके बगल से निकल कर आगे चढ़ गई और उसी धक्के में मुरारी भी उनके पीछे खड़ा हो गया
मगर जैसे ही वो सीधा हुआ आंखे फट कर चार , सामने वाली जो अभी अभी उसके बगल से आगे निकली थी वो ठीक उसके मुंह के आगे


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क्रॉप टॉप और नीचे कसी जींस , मोटी मोटी मांसल गाड़ पूरा शेप लिए बाहर की ओर निकली हुई ।
मुरारी का गला सूखने लगा और जैसे ही उस लड़की ने मूड कर देखा वो नजरे फेरने लगा , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पजामे में ।
ऊपर पहुंचते ही वो लड़कियां तेजी से दूसरी ओर निकल गई और मुरारी उस लड़की के हिलकोर खाते चूतड़ देख कर अपनी बहु सोनल के बार में सोचने लगा

मंजू : भइया इधर से
मंजू के आवाज पर मुरारी उसके पीछे लेडीज सेक्शन की ओर चला गया ।

मंजू अपने पसंद के कंफर्टेबल कपड़े देखने लगी और मुरारी वहां की औरते
तभी उसकी नजर ट्रॉली लेकर घूमती एक औरत पर गई


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" सीईईई क्या चीज है भाई , इतना बड़ा और गोल " , मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया । उसके लंड में सुरसुरी होने लगी
जिस लेन में वो खड़ा था उसी लेन में दूसरी ओर एक मोटी गदराई महिला जो कि टीशर्ट और पैंट में थी , पेंट में उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों का शेप देख कर मुरारी जैसे खो ही गया ।
उसने बहुत से माल और शहर में घूमा था मगर यहां जैसा माहौल कही नहीं दिखा उसे ।

तभी उसे मंजू का ख्याल आया और उसने कुछ पल के लिए उस महिला के चूतड़ से नजरे हटा दी ।
वो मंजू के साथ ही इधर उधर रह कर देख रहा था , मंजू ने कुछ प्लाजो सेट और दो तीन काटन कुर्ती देखे , उसकी नजर जींस स्टॉक पर थी मगर वो मुरारी की वजह से हिचक रही थी ।

मुरारी : इसके साथ क्या लेना , जींस या फिर लेगिंग्स
मंजू मुस्कुराने लगी : मुझे समझ नहीं आ रहा है ,
मुरारी : तुम तो जींस भी पहनती हो न , तो लेलो । इस बात के लिए बेफिक्र रहो तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा ठीक है
मंजू मुस्कुरा कर : जी ठीक है

फिर मंजू वहां से दो तीन जींस लेकर ट्रायल रूम की ओर बढ़ गई ।

जींस के स्टॉक के पास खड़े खड़े मुरारी ने साइज देखने लगा और उसकी नजर 4XL size की जींस पर गई और उसके ख्यालों के ममता का नाम आया , मगर बात वही थी कि पता नहीं वो पहनेगी या नहीं ।
इतने में मुरारी का मोबाइल रिंग हुआ देखा तो अमन फोन कर रहा था

फोन पर
मुरारी : हा बेटा
अमन : पापा कहा हो , निकल गए क्या ?
मुरारी : नहीं बेटा , वो तेरी चाची को कपड़े लेने थे और कुछ काम भी था तो आज रुक गया कल निकलूंगा
अमन : अरे वाह फिर से मेरी तरफ से भी चाची के लिए ले लेना , वैसे कैसे कपड़े पहनती है चाची
मुरारी : उम्मम बेटा वो लगभग सभी पहनती है , अभी अभी जींस लेकर गई है ट्राई करने
अमन : अरे वाव , पापा मम्मी के लिए भी लेलो न जींस
मुरारी : बेटा मै भी सोच रहा था और ये भी सोच रहा था कि ( मुरारी एक किनारे गया जहा उसकी आवाज कोई और न सुने फिर वो धीमी आवाज में ) तेरी मां के लिए कुछ जोड़ी फैंसी ब्रा पैंटी भी ले लूं , यहां मॉल में सब मिल रहा है
अमन : हा पापा क्यों नहीं , लेलो न फिर
मुरारी : अरे लेकिन वो लेडीज सेक्शन है उधर मै कैसे जाऊंगा और दूर से देखा तो एक से एक बढ़िया फैंसी सेट थे वहा ।
अमन : अरे तो चाची को बोल दो न ?
मुरारी कुछ सोचता हुआ : उससे!!! ठीक है देखता हूं और बता तू ठीक है
अमन : मै तो एकदम मस्त हू अभी जस्ट उठा हु नहाकर आपको फोन किया है
मुरारी : अभी उठा है ?
अमन : हा पापा रात में वैसे भी यहां किसे नीद आती है हीहीही
मुरारी : सही बेटा मजे कर
अमन हंसता हुआ : पापा आप कबतक चाची के घर पहुंचेनंगे ।
मुरारी : अभी एक दो घंटे बाद
अमन : अच्छा, वो मैने आपके व्हाट्सअप पर कुछ भेजा है हीही, फ्री होना तो देख लेना पसंद आएगा आपको
अमन की बात सुनते ही मुरारी के तन बदन में सरसरी उमड़ी और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी : क्या , क्या भेजा है बता न
अमन मुस्कुरा कर : आप देख लेना , आपकी लाडली बहु की वीडियो है , ओके मै रखता हु बाय पापा

अमन ने फोन काट दिया और यहां मुरारी एकदम से तड़प उठा , उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे , उसने झट से मोबाईल खोला तो देखा अमन ने 4 5 वीडियो और फोटो भेजे थे । तस्वीरें देखते ही मुरारी ने झट से मोबाईल लॉक कर दिया ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाडे में चुनचुनाहट होने लगी , कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर पजामे के ऊपर से उनसे अपना सुपाड़ा मिज़ा। फिर वो चेंजिंग रूम की ओर देखा , मंजू को भी समय लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहा जाए , बाकी से चेंजिंग रूम भी इंगेज दिख रहे थे और ऐसे में उसको बाथरूम का ख्याल आया ।
वो लपक कर बाहर आया और बाथरूम खोजने लगा , इधर उधर भागने पर उसे टॉयलेट बोर्ड दिखा और लपक कर वो उधर निकल गया ।
तेजी से चलते हुए वो बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपनी सास को आराम देने लगा
उसके पैर थरथर कांप रहे थे पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी ।
गहरी सास लेते हुए उसने दुबारा से मोबाइल खोला तो मुरारी का मुंह भी खुला का खुला रह गया ।


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मैचिंग ब्रा पैंटी में दोनों बहनों में बड़े ही कामोत्तेजक लुक दिए थे

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उनके झूलते नंगे बूब्स और बाहर निकली हुई नंगी गाड़ देख कर मुरारी पजामे के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह बहु कितनी सेक्सी है उम्मम उफ्फ इसके गुलाबी निप्पल और ये लचीली गाड़ उम्मम जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
मुरारी टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपना लंड बाहर निकलने लगा
तभी अगली तस्वीर में दोनों बहने अमन का मोटा लंड पकड़े हुए हस रही थी और एक दूसरे को निहार रही थी ।

किसी में सोनल अमन का लंड चूस रही थी किसी में निशा , मुरारी अपना लंड पकड़ कर उसको भींचे जा रहा था और अगली चीज एक वीडियो थी
जैसे ही मुरारी ने उसे क्लिक किया वो वीडियो तेज आवाज में शुरू हो गई , ये वही शॉर्ट ब्लॉग थी जिसे सोनल ने शूट किया था
सोनल की तेज आवाज आते ही मुरारी ने झट से स्पीकर पर हाथ रखते हुए आवाज कम किया और वीडियो में जो देखा उसकी आंखे फटी की फटी रह गई


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और जब वीडियो में सोनल ने बोला " कोई है जो मुझे चोदना चाहेगा " मुरारी का लंड एकदम अकड़ गया , आड़ो में पंपिंग होने लगी
मुरारी अपनी बहु की कामोत्तेजना भरे हरकते देख कर पागल हो गया था , वो जोर से लंड भींचे जा रहा था और सोनल का नाम लेके बडबडा रहा था : अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बहु मै हु न अह्ह्ह्ह तुम्हारे पापाजी तुमको चोदेंगे बेटा आह्ह्ह्ह बहु उम्ममम अह्ह्ह्ह

मुरारी चरम पर था मगर ऐन मौके पर मंजू ने उसको फोन घुमाने लगी
मुरारी : ओह्ह्ह्ह यार , क्या करु
उधर मंजू लगातार मुरारी को काल किए जा रही थी , मुरारी लंड झाड़ना चाहता था मगर मंजू ने उसका फ्लो बिगाड़ दिया।
मन मारकर अपना लंड पजामे में डाल कर बाहर आ गया , अभी भी उसके लंड की अकड़न जस की तस थी , लपक कर वो मंजू की ओर गया ।

मंजू : कहा चले गए थे
मुरारी थोड़ा हिचक कर : वो मै थोड़ा फ्रेश होने ... हो गया तुम्हारा
मंजू : जी , आप भी कुछ ले लीजिए न
मुरारी : अह् मुझे मेरे मतलब का क्या मिलेगा
मंजू : अरे आप भी टीशर्ट जींस ले लीजिए न , मुझे उनके लिए भी लेनी है
मंजू लजाते हुए बोली
मुरारी समझ गया कि वो मदन के लिए भी खरीदारी करना चाहती है ।
मुरारी : ठीक है भई जिसमें तुम्हारी खुशी , अब मदन के लिए लोगी तो मेरे लिए भी एक ले लेना साइज तो एक ही हमारा

मंजू : अच्छा सुनिए , भाभी की साइज क्या होगी
मुरारी हंसकर : तो क्या उसके लिए जींस लोगी
मंजू बड़े ही कैजुअली होकर बोली : हा , अगर वो पहनती हो तो !
मुरारी हस कर : क्यों भाई सिर्फ मुझे ही ये सजा क्यों , अमन की मां भी परेशान हो तंग जींस पहन कर हाहाहाहाहा , उसको 4XL के कपड़े ही होते है ।
मंजू मुस्कुरा: जी ठीक है आइए पहले उनके लिए ही लेती हूं
फिर मंजू मुरारी के साथ ममता के लिए दो जींस , लांग कुर्ती और दो सूट लिए
मुरारी अभी भी हिचक रहा था कि कैसे आखिर वो ममता के लिए ब्रा पैंटी ले । बार बार उसकी नजर अंडरगार्मेंट एरिया में जा रही थी ।

मंजू : चले भइया , जेंस वाला फ्लोर ऊपर है
मुरारी थोड़ा अटक कर : हा चलो , वो जरा मै सोच रहा था । खैर छोड़ो चलो चलते है ।
मंजू : अरे क्या हुआ कहिए न , कुछ दूसरा पसंद आया क्या भाभी जी के लिए, वो देख लेती हु न

मुरारी : नहीं दरअसल , नहीं कुछ नहीं चलो छोड़ो , वो अपना ले लेगी जब शहर जाएगी ।
मंजू मुस्कुरा कर : अरे भैया बताइए न , क्या चाहिए भाभी के लिए
मुरारी थोड़ा नजरे फेर कर : दरअसल अमन की मां के नाप के अंडर गारमेंट नहीं मिलते चमनपुरा में , मुझे लगा यहां उसके नाप के कपड़े है तो शायद वो सब भी मिल जाए ।

मंजू मुस्कुरा रही थी थोड़ी खुद भी लजा रही थी ।
मुरारी : तुमने लिए क्या अपने लिए ?
मंजू ने शॉक्ड होकर मुस्कुराते होठों से आंखे बड़ी कर मुरारी को देखा ।
मुरारी बड़बड़ाता हुआ : सॉरी ये मै क्या पूछ रहा हूं , प्लीज चलो अब

मंजू ने एक गहरी सास ली और आगे बढ़ते मुरारी का हाथ पकड़ लिया और इशारे से उधर चलने को कहा बिना बोले ।

मंजू का स्पर्श पाकर मुरारी एकदम से चौक गया और मंजू जबरन उसे अंडर गारमेंट वाले काउंटर की ओर ले गई ।

वहा पर कई लड़कीया स्टॉफ में थी और दूसरे भी नवयुवा कपल वहां साथ में खरीदारी कर रहे थे ।

स्टाफ : जी मैम क्या दिखाऊं
मंजू ने बिना कुछ बोले मुरारी की ओर देखा
मुरारी हिचक कर : जी वो बढ़िया फैंसी सेट में अंडर गारमेंट चाहिए
स्टाफ : जी मैम आपका साइज क्या रहेगा
जैसे ही स्टाफ ने मंजू से उसका साइज पूछा दोनों मुंह फेर हसने लगे ।
मंजू ने आंखो से मुरारी को इशारा किया कि वो स्टाफ की बातों का जवाब दे ।
मुरारी थोड़ा असहज होकर : जी वो 44DD की ब्रा और 48 की पैंटी दिखाइए
ममता का साइज सुनकर मंजू और वो स्टाफ दोनों ताज्जुब हुए । मंजू कुछ देर तक मुस्कुराती रही जबतक कि वो स्टाफ कुछ बॉक्स ब्रा और पैंटी के निकाल कर नहीं लाई ।
स्टाफ : सर आपके साइज बड़े एक्सक्लूसिव है तो हमारे पास लिमिटेड ब्रा पैंटी है , इन्हें देखे आप

वो स्टाफ कुछ ब्रा पैंटी खोलकर काउंटर पर बिखेरने लगी और मंजू थोड़ा नजरे चुराने लगी ।
मुरारी उनमें से एक ब्रा जिसके cups विजिबल दिख रहे थे उसे चूना तो मंजू ने मुंह फेर कर मुस्कुराने लगी और मुरारी ने उसे छोड़ दिया और एक फूली कवर ब्रा देखने लगा ।

लेकिन उस ब्रा के साथ जो मैचिंग रंग की पैंटी थी वो एक पतली थांग जैसी थी । मुरारी को समझ नहीं आ रहा था । पसंद तो उसे दोनों आ रहे थे ।

स्टाफ : क्या हुआ सर कोई पसंद आए इसमें से
मुरारी : अह मुझे तो समझ नहीं आ रहा है
मंजू ने मूड कर मुरारी को देखा और उसके करीब होकर बोली : भाभी को कैसे पसंद है
मुरारी मुस्कुराने लगा और धीरे से उसकी ओर झुक कर कान में बोला : वहा उसके नाप की मिलती नहीं तो वो नीचे कभी कभार ही पहनती है ।

मंजू को अजीब लगा मगर वो मुस्कुराने लगी
Murari: Which one do you think is right, finalize two sets
When Manju raised her eyes and looked at Murari, he saw Murari pleading.
Manju was forced to finalize one fancy lace bra and another simple full cover bra with that thong panty

The staff was looking at both of them strangely, then they did some shopping on the jeans floor and then went for billing.


When Murari started billing at the billing counter, two more pairs of bras and panties were found in his trolley
Murari: Wait a minute brother, there must be only two sets of undergarments, it seems they must have come by mistake

Manju, who was standing next to her, got worried and before the billing staff could cancel her product, she said: Hey, I have kept that?
As soon as Murari heard Manju's voice, he realized his mistake and the billing staff started doing all the billing again.

Then Murari made all the payments.
After leaving from there both of them left for Manju's house by auto.
Manju had a smile on her face all the way

Murari was thinking that today he has been disgraced in Manju's eyes
Murari: Stop it now brother, how would I know that you had taken it earlier.
Manju started laughing: Sorry
Murari also started smiling


Apart from all these, Rangilal had reached his in-laws' house in the afternoon.
Banwari was sitting on a chair outside Banwari's room in the verandah and taking stock of the house, and just then his beautiful and curvaceous sister-in-law Sunita came from the front, carrying a tray of refreshments in her hands, waving the pallu of her sari all over the verandah, and as soon as she placed the tray on the table in front of Rangilal,


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The pallu of her unpinned sari slipped from her chest to her wrist, and her big breasts, filled in the tight blouse, started swinging and tempting Rangilal.



It will continue.
The response from readers to the story is very low in terms of views.
The reason for late update on the story is due to less responses from you all.
Please read and give appropriate reply.
Thank you
Bro please write like old ways missing those erotic and incest moments
 

ajaydas241

Member
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💥 अध्याय 02 💥

UPDATE 003


पिछले 3 हफ्ते थे अनुज घर और शादी के ऐसा उलझा था कि उसे न पढ़ाई के लिए समय मिला और न ही आने वाली परीक्षा की तैयारियों का
आने वाले महीनों उसके प्रैक्टिकल शुरू हो रहे थे और उसके प्रोजेक्ट अधूरे क्या शुरू ही नहीं हो पाए थे ।चिंता भरे मन से अनुज उलझा हुआ कालेज के लिए जा रहा था । उसका कालेज भी वही था जहां से पहले उसके भैया राज ने दसवीं और इंटर पास किया था ।
राज के अच्छे व्यवहार और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसके कालेज के टीचर अनुज से अकसर उसके बारे में हाल चाल ले लिया करते यहां तक कि अनुज की पहचान भी अभी तक राज के छोटे भाई के तौर पर ही थी । क्योंकि ना ही अनुज पढ़ाई के उतना अव्वल था और न ही खेल कुद जैसी प्रतियोगीताओ में कोई रुचि रखता था , हालांकि चढ़ती उम्र में वासना ने उसे लालची जरूर बना दिया था ।
कालेज को जाती सड़क पर चल रहा था , आमतौर पर ये सड़के बच्चों से व्यस्त होती थी मगर आज पापा की वजह से उसे थोड़ा लेट हो गया क्योंकि अनुज का तो आज जरा भी मन नहीं था ।
09.30 बजने को हो रहे थे और कालेज कुछ दूर ही था कि उसकी नजर आगे पुलिया पर गई , जहां दो लड़कियां एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रही थी ।


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उनमें से कालेज ड्रेस में एक लड़की का गोरा दुधिया चेहरा दूर से चमकता दिखा और अनुज समझ गया कौन थे वो दोनों ।

: अरे वो देख , तेरा हीरो आ रहा है हीही ( दूसरी लड़की ने पहली लड़की को छेड़ा )
: धत्त कमिनी, चुप कर वो आ रहा है ( उसने अपने सूट को कमर के पीछे से खींच कर अपने गोल मटोल चूतड़ों पर चुस्त किया और विजिबल चुन्नी से अपना क्लीवेज ढकती हुई बड़ी सहूलियत से खड़ी होकर अपने जुल्फे कान में खोसने लगी )

" हाय अनुज , बड़े दिन बाद " , उस पहली लड़की ने अनुज को टोकते हुए कहा ।
अनुज : ओह हाय कृतिका , हा वो मै दीदी की शादी में उलझा था । बताया तो था उस दिन दुकान पर ?

अनुज के जवाब पर वो दूसरी लड़की ने आंखे महीन कर कृतिका को घूरा तो कृतिका नजरे चुराती हुई मुस्कुरा दी : अच्छा हा , और कैसे हो ?

अनुज : अच्छा हु और तुम दोनों ?
" अच्छा तो तुम्हे दिख गई मै , ठीक हूं मै भी " , कृतिका के साथ वाली लड़की बोली जिसके नारियल जैसे चूचे सूट को सीने पर पूरा ताने हुए थे जिससे उसका दुपट्टा ज्यादा ही उठा नजर आ रहा था ।
अनुज थोड़ा झेप कर मुस्कुराता हुआ : अरे पूजा वो तो मै , अच्छा सॉरी बाबा
कृतिका पूजा से : क्या तू भी परेशान कर रही है , चलो अनुज
अनुज : हम्म्म चलो

अनुज थोड़ा आगे हुआ कि उसके कानो में पूजा की भुनभुनाहट आई : हरामीन तूने बताया नहीं न मिलने गई थी उम्मम ।
इसके बाद कृतिका की हल्की सी सिसकने की आवाज आई : सीईईई मम्मीई, कुत्ती....

कृतिका और दो चार गालियां पूजा को देती मगर उसकी नजर आगे अनुज से टकराई और वो थोड़ा शर्मा कर अपने कमर के पिछले हिस्से को सहलाते हुए मुस्कुराने लगी ।
" तुम्हारे प्रोजेक्ट्स कहा तक पहुंचे अनुज " , कृतिका ने सवाल किया ।
आगे वो बातें करते हुए निकल गए कालेज की ओर ।


वहीं दुकान पर आज राज का पहले दिन ही बड़ी मगजमारी झेलने पड़ी ।
बबलू काका की मदद से चीजे आसान थी मगर बाप की पहचान और रुतबे के आगे राज फीकी चाय से भी फीका था ।
11 बजने को हो रहे थे और राज केबिन में बैठा हिसाब बना रहा था ।
एक्जाम तो उसके भी आने वाले थे मगर अभी उसके पास डेढ़ माह का समय अतिरिक्त था अनुज से ।

बबलू काका : छोटे सेठ , बड़े घर से ठकुराइन आई है !
राज थोड़ा अचरज से : ठकुराइन कौन ?
बबलू काका थोड़ा हिचक कर : छोटे सेठ वो सेठ जी के दोस्त ठाकुर साहब है न उनकी मैडम ।
राज खुश होकर : अच्छा आंटी जी आई है , अरे तो भेजिए न उनको !
बबलू काका : जी छोटे सेठ
राज : और सुनिए कुछ देर में नाश्ता भेजवा दीजियेगा ओके
बबलू : ठीक है छोटे सेठ

कुछ ही देर में राज के सामने संजीव ठाकुर की बीवी खड़ी थी । ऊपर से नीचे तक खुद को बड़ी ही अदब और सादगी से ऐसे ढकी हुई थी कि उनका गदराया जिस्म की रत्ती भर झलक नहीं मिल पा रही थी सिवाय चेहरे के ।


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पूरी बाजू की ब्लाउज जो क्लिवेज के साथ साथ पीठ गर्दन सब कवर किए हुए थी । सिम्पल हल्की साड़ी जिससे उन्होंने अपना पेट और कमर पूरी तरह से ढक रखा था और कूल्हे पर ऐसी चुस्त की गाड़ का उभार उठा हुआ नजर आ रहा था ।

ठुकराईन : कैसे हो बेटा ?
राज की नजर उसके चेहरे पर गई , गजब का आकर्षन था उनकी आंखों में और मुस्कुराहट से फैले हुए मोटे मोटे होठो के चटक लिपस्टिक और भी ललचा रहे थे ।
राज : जी ठीक हूं आंटी जी , नमस्ते आइए न
राज खड़ा होकर उनका अभिवादन किया और ठकुराइन राज के पास सोफे पर बैठ गई ।
ठकुराइन : बेटा पापा नहीं है ?
राज मुस्कुरा कर : जी वो नानू के यहां गए है हफ्ते दस दिन में आ जायेंगे ।
ठकुराइन हस्ती हुई : हाहा ससुराल गए है घूमने भाईसाहब
राज मुस्कुराकर : जी ,
ठकुराइन : और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है , या फिर तुम भी पढ़ाई छोड़ कर पहले शादी ही करने वाले हो सोनल के जैसे
राज मुस्कुरा कर : अरे नहीं आंटी , अभी मेरी उम्र नहीं है और दीदी भी अभी अपनी पढ़ाई जारी ही रखेगी ।
ठकुराइन : तो क्या सोनल अपने पति के साथ नहीं जाएगी ?
राज उलझे हुए स्वर में : अभी कुछ कह नहीं सकते आंटी जी , मार्च बाद से हम लोगों के भी एग्जाम शुरू हो जायेंगे तो मुझे नहीं लग रहा है कि वो जा पाएंगी ।
ठकुराइन : बस ससुराल वाले राजी हो जाए उसे पढ़ाने के लिए
राज : मुझे नहीं लगता कोई कुछ कहेगा , अच्छे लोग है सब
ठकुराइन इधर उधर की बातों को खींच रही थी और राज को अब बेचैनी हो रही थी । कुछ देर बाद तो ठकुराइन के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं । अब राज को शक होने लगा कि शायद वो किसी काम से आई थी और उससे कहने में हिचक रही है ।

राज : आंटी आप कुछ काम से आई थी ?
ठकुराइन : हा बेटा वो ...
बबलू काका : छोटे सेठ ये नाश्ता
ठकुराइन कुछ कहती कि बबलू काका आ गए और वो चुप हो गई थी । वो नाश्ता रख कर निकल गए ।

राज : हा आंटी जी कहिए , देखिए पापा नहीं है मगर कुछ भी मेरे लायक होगा मै कर दूंगा आप बेहिचक कहिए ।
ठुकराई थोड़ा सोच कर : बेटा मै तुम्हारे पापा से नहीं तुमसे ही बात करने आई थी ।
राज अचरज से : मुझसे ?
ठकुराईन : मैने कल दुपहर ही तुम्हारे पापा से बात की थी कि तुमसे कैसे मिल सकती हूं।
राज : हा तो कहिए ? क्या बात है ?

ठकुराइन : बेटा वो मै कैसे कहूँ,
राज : आंटी आप टेंशन मत लीजिए और मुझपर भरोसा करिए प्लीज , बताइए ..
ठकुराइन : बेटा वो तुम्हारा दोस्त है न , रामवीर का लकड़ा चंदू ?

चंदू का नाम सुनते ही राज का दिमाग सन्न हो गया , क्योंकि चंदू तो ठकुराइन की बेटी मालती का दीवाना था और काफी दिनों से वो ठाकुर साहब के यहां ही काम पर जाता था अपने बाप के साथ ।
राज का गला सूखने लगा : जी आंटी क्या बात चंदू के बारे में उसने कुछ किया क्या ?

ठकुराइन : बेटा तुम तो समझदार हो , उसको समझाओ ऐसे किसी के घर की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करते ..
राज को यकीन होने लगा जरूर चंदू की कोई कारस्तानी की भनक लगी है ठकुराइन को : मै समझा नहीं आंटी , वो तो गोदाम में काम करता है न फिर क्या दिक्कत हो गई ?

ठकुराइन : कभी कभी बेटा वो .. कभी कभी क्या इन दिनों लगभग रोज ही वो घर में आ जाता है और उसने मेरी बेटी मालती के साथ ...
ठकुराइन बोलते हुए चुप हो गई ।

राज और उलझ गया और मन में बड़बड़ाया : बहिनचोद ये साला चंदू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हरामी

राज : आंटी , उसकी गलती के लिए मै आपसे माफी मांगता हू। प्लीज इस बात को अंकल या उनके बाऊजी को मत कहिएगा । मै उसको बोल दूंगा वो सुधर जाएगा प्लीज

ठकुराइन कुछ देर चुप हुई और एकदम से उनके तेवर बदले : इसीलिए मै तुम्हारे पास आई हु राज , अगर मै ये बात कह दूं घर में मालती के पापा या फिर बाउजी से तो कही लाश भी नहीं मिलेगी उसकी । उसको समझाओ और दुबारा बिना कहे घर दिखा न तो खैर नहीं रहेगी उसकी ।

ठकुराइन का ऐसा बदला स्वरूप देख कर राज की फट गई और वो मन ही मन गाली दिए जा रहा था चंदू को ।
राज : आप बेफिक्र रहे आंटी जी , मै समझा दूंगा और प्लीज आप ये सब किसी ने मत कहिएगा मै रिक्वेस्ट कर रहा हु ।

ठकुराइन ने आगे कुछ देर तक अपनी बातों को घूमा फिरा कर रखती रही और फिर निकल गई ।
उनके जाते ही राज ने चंदू को फोन घुमाया

: भोसड़ी के जहां भी हो जल्दी से पापा वाली दुकान पर आ
: .......
: हा बर्तन वाले पर , जल्द आ

राज ने चंदू को हड़काया और फोन काट दिया । पानी का ग्लास गटागट खाली करता हुआ राज थोड़ा खुली हवा के लिए बाहर आया ।
मगर उसके जहन में एक सवाल खाए जा रही थी कि आखिर ठकुराइन ने ये बात सिर्फ मुझसे ही क्यों की । वो चाहती तो सीधा ही चंदू से कह देती या फिर उसे काम पर आने से मना कर सकती थी या फिर ऐसा कर देती कि वो घर के अंदर आए ही नहीं । जरूर कुछ बात है और राज गल्ले पर बैठा सोच रहा था कि इतने में चंदू आ गया ।

चंदू हांफता हुआ : क्या हुआ भाई , कुछ अर्जेंट है क्या ?
राज ने गुस्से से उसे घूरा , फिर अन्दर चलने का इशारा किया और दोनों केबिन में चले गए ।

शिला के घर

" चुप करो तुम , अगर एक मिनट और नहीं आती तो अबतक तो नंदोई जी मेरी साड़ी उतार चुके होते " , रज्जो शिला को डांटती हुई बोली ।

शिला खिलखिलाकर : अरे भाभी , आज नहीं तो कल साड़ी तो उठाएंगे ही वो आपकी हीही
रज्जो लजा कर : धत्त तुम भी न , सीधे चलो
शिला हस्ती हुई आगे बढ़ रही थी कि रज्जो की नजर सड़क से लग कर एक मकान पर गई जिसके बाहर एक खूबसूरत औरत साड़ी पहने हुए खड़ी थी ।


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उसके कजरारी आंखो में गजब का आकर्षण था , उसपे से उसकी पतली कमर और गुदाज गोरा पेट , देखते ही रज्जो तो मानो उसके कातिलाना हुस्न की कायल हो गई ।

रज्जो धीरे से उसकी ओर दिखा कर : हे दीदी ये कौन है , बड़ी कातिल चीज है उम्मम किसका माल है ये ? एकदम रसभरी है
शिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई

रज्जो : अरे बताओ न , क्या हुआ हस क्यों रही हो
शिला : क्यों दिल तो नहीं आ गया उसपे उम्मम

रज्जो मुस्करा कर : मेरा तो पता नहीं मगर जिस तरफ से वो तुम्हे निहार रही है पक्का वो तुम पर लट्टू है । कितना नशा है उसकी आंखों , शायद कल मैने इसको उधर बाग की ओर भी देखा था ।
शिला : हम्म्म हा वो उसका अड्डा है
रज्जो : अड्डा कैसा अड्डा ?
शिला : बताती हु अभी चलो यहां से
कुछ दूर आगे बढ़ते ही रज्जो : क्या हुआ बताओ न
शिला मुस्कुराई : अरे उधर उसके कस्टमर मिलते है उसको , गांव और कस्बा का कोई डायरेक्ट उसके घर में नहीं जाता
रज्जो उत्सुकता से : क्यों ?
शिला मुस्कुरा कर: अरे वो किन्नर है
रज्जो की आँखें फैली : हैं ? सच में .. इतना खूबसूरत
शिला : हा लेकिन उसका टेस्ट थोड़ा अलग है ?
रज्जो : मतलब ?
शिला : अरे उसको मोटी जैसी गदराई औरतें पसन्द है मगर यहां गांव का माहौल देख ही रही हो , इसीलिए उधर जाता है औरतों को निहारने ।

रज्जो : क्या सच में ? तुमको कैसे पता
शिला : अरे पिछले साल जब आया था तब उसने एक बार मेरा भी पीछा किया था , मगर उसको मना कर दिया
रज्जो : अह्ह्ह्ह मना क्यों किया , ले लेती न नए लंड का स्वाद हीही।

शिला हस्ती हुई : भक्क तुम भी न भाभी

फिर दोनों आगे बढ़ गए और गांव वाले घर के लिए।
घर में घुसते ही रज्जो ने बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर के पाव छूए : प्रणाम बाउजी
शिला के ससुर की नजर रज्जो के चुस्त ब्लाउज में चिपके हुए गदराये जोबनो पर गई और वो सिहर उठा ,


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रज्जो ने वही शिला वाली साड़ी ही पहनी थी , जिसमें उसके दूध बुरी तरह से ठुसे हुए थे । शिला के ससुर के बदन में सरसरी फैल गई और रज्जो ने चुपके से शिला को आंख मारी । तो शिला भी मुस्कुरा कर रज्जो की शरारत को समझते हुए अपने ससुर के पाव छूए और फिर खड़ी होकर अपनी कुर्ती को पीछे से उठा कर अपने कूल्हे पर चढ़ाया ।

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जिससे उसके ससुर की नजर लेगी के उभरी हुई उसके तरबूज जैसे चूतड़ों पर गई और वो थूक गटकने लगा ।

फिर दोनों फुसफुसाती हुई घर में चली गई , और अंदर देखा तो शिला की सास अभी नहाने की तैयारी भी थी । झूले हुए नंगे चूचे और नंगा पेट , कमर में अटकी हुई पेटीकोट ।

रज्जो : प्रणाम अम्मा , बड़ी देर से नहाने जा रही हो
शिला की सास : अरे क्या करु बहु वो मीरा कलमुंही टाइम से आती ही नहीं झाड़ू कटका के लिए इसलिए देर हो जाती है
शिला : ठीक है अम्मा आप नहा लो , हम लोग कपड़े लेने आए थे तो उधर से ही निकल जायेंगे
शिला की सास : अरे एक आध रोज के लिए बहु को यही छोड़ जा , आई है तो चार बात मुझसे भी कर लेगी ।
" आऊंगी अम्मा एक दो रोज में तो रुकूंगी ठीक है " , रज्जो ने दरवाजे पर खड़े शिला के ससुर की परछाई देख कर जवाब दिया ।

शिला : ठीक है अम्मा चलती हु प्रणाम
फिर वो निकल गए कपड़े लेने और कुछ देर बाद वो दोनों अपने घर के आगे से वापस टाउन की ओर जा रहे थे कि रज्जो की नजर घर गई , बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर गायब थे ।

रज्जो : हे दीदी बाउजी कहा गए
शिला : अरे भीतर गए होंगे चलो छोड़ो उनको
रज्जो हस कर : अरे अंदर तो अम्मा नहा रही थी न
शिला : हा तो ?
रज्जो के चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कुराहट फैलने लगी ।
शिला आंखे बड़ी कर रज्जो के इरादे भांपते हुए : नहीं मै नहीं जाऊंगी , चलो घर
रज्जो : धत्त चलो न , देखे तो हीही और दरवाजा भी खुला है

रज्जो शिला का हाथ पकड़ कर खींचने लगी और शिला ना नुकूर करती हुई उसके साथ चल दी

धीरे धीरे वो अंदर घर में गए और भीतर देखा तो आंगन खाली था , नल के पास पानी गिरा था और शिला के सास के गिले पैरो को छाप एक कमरे की ओर जाती दिख रही थी

रज्जो उसके फूट प्रिंट की ओर इशारा करते हुए उस कमरे का इशारा : हे उधर देखो हीही

शिला फुसफुसा कर : तुम न पागल हो पूरी
रज्जो खिलखिलाई और धीरे धीरे उस कमरे की ओर बढ़ गई
जैसे ही वो खिड़की के पास गए दोनों की आंखे फेल गई और मुंह पर हाथ रख कर एक दूसरे को भौचक्के निहारने लगे
सामने कमरे में शिला की सास पूरी नंगी होकर लेटी हुई थीं और उसका ससुर ऊपर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था । शिला की सास कराह रही थी


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शिला की सास : अह्ह्ह्ह्ह मन्नू के बाउजी ओह्ह्ह्ह कितनी जल्दी जल्दी आप गर्म हो जाते हो , फिर से बहु को देखा क्या ?
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखी और अंदर का नजारा देखने लगी
शिला का ससुर अपनी बीवी के फटे भोसड़े में लंड उतारता हुआ : हा मन्नू की अम्मा , बहु के साथ जो आई उसके जोबन देख कर मेरा बुरा हाल हो गया और बड़ी बहु के चौड़े कूल्हे अह्ह्ह्ह

शिला के ससुर की बातें सुनते ही रज्जो के भीतर से हंसी की दबी हुई किलकारी फूट गई और झट से वो खिड़की से हट गए
और कमरे से शिला के ससुर की कड़क आवाज आई : कौन है ?

शिला और रज्जो एकदम से हड़बड़ा उठी और झटपट घर से बाहर निकल गई
शिला रज्जो का हाथ पकड़ कर : इधर से नहीं , पीछे से चलो , बाउजी जान जायेंगे
रज्जो को भी आइडिया सही लगा तो वो घर के बगल की गली से तेजी से निकल गए ।
कुछ ही देर में शिला का ससुर लूंगी लपेटते हुए बाहर आया मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वापस चला गया ।
घर से दूर हो जाने के बाद दोनों के जान में जान आई और दोनों खिलखिला कर हस पड़े ।

शिला : तुम न बड़ी पागल हो , चुप नहीं रह सकती थी हीही
रज्जो : अरे मुझे हसी इस बात की आई कि हमारी वजह से बेचारी तेरी सास की सांस चढ़ने लगती है हाहाहाहाहा
शिला हस्ती हुई : हा लेकिन बाल बाल बचे आज ,
रज्जो : बच तो गए मगर वापस घर कैसे जायेंगे
शिला : अरे उधर बागीचे से भी एक रास्ता है पगडंडी वो आगे सड़क में जुड़ेगा चलो
और दोनों आगे बातें करते हुए बगीचे की ओर निकल गए ।

मुरारी - मंजू

11 बजने वाले थे और मुरारी खाली समय बिस्तर पर बिखरे हुए मंजू के कपड़े खोल खोल कर उसके हिसाब से जो ठीक ठाक नजर आ रहे थे उन्हें अलग कर रहा था बाकी सब एक झोले में ठूस रहा था ।
तभी उसके हाथ में एक जींस आई
लेबल देखा तो 38 साइज कमर वाली जींस थी , साफ था मंजू का ही होगा
मुरारी खुद से बड़बड़ाया : उफ्फ कितना चौड़ा चूतड़ होगा इसमें उसका उम्मम
मुरारी ने जींस की मियानी को मुंह पर रख कर सुंघा और फिर उसको फोल्ड कर दिया ।
तभी कपड़े के ढेर एक चटक नीला रंग का फीता नजर आया , मुरारी ने उसको खींचा तो देखा कि वो तो पतले स्ट्राप वाली ब्रा थी , जिसके cups पर खूबसूरत लैस वाली डिजाइन थी ।
उस मुलायम ब्रा को मुठ्ठी में भर कर उसने अपने सर उठाते लंड पर घिसा : अह्ह्ह्ह मंजू क्या चीज है रे तू उम्मम
तभी मुरारी के मोबाईल पर रिंग हुई ये मंजू का ही फोन था

फोन कर
मंजू : हैलो भाई साहब , मेरा ऑफिस का काम हो गया है , आप आ जाइए
मुरारी : ठीक है , लेकिन आना किधर है

फिर मंजू उसको एक मॉल का पता बताती है और मुरारी घर बन्द कर के ऑटो से निकल जाता है
कुछ ही देर में वो मंजू के पास होता
बड़ी सी 4 मंजिला इमारत और सैकड़ों की भीड़ , इतनी चकाचौंध मुरारी के लिए बड़ी बात नहीं थी । मगर वहा की मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में गदराई औरतें देख कर उसका ईमान और लंड दोनो डोल रहे थे और मंजू भी मुरारी के हाव भाव पर मुस्कुराती जब वो उसे टाइट जींस में फूली हुई चूतड़ों को निहारता पाती ।

मंजू : चले भइया


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मुरारी एक मोटी औरत के कुर्ती में झटके खाते चूतड़ को मूड कर निहारता हुआ : हा चलो , यहां तो सब ऐसे ही कपड़े पहनते है क्या ?
मंजू मुस्कुरा कर : जी भइया, बड़ा शहर है तो यहां बहुत कामन है
मुरारी आगे देखा तो एक फैमिली जिसमें 2 औरते और दो लड़के और बच्चे थे । उस फैमिली की सभी औरते टाइट जींस और टॉप में थी ।


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बड़े बड़े रसीले मम्में पूरे बाहर उभरे हुए । सनग्लास लगाए हुए आपस में बातें करते हुए आ रही थी ।

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मुरारी तो टॉप में उसके बड़े बड़े रसीले मम्में देखता ही रह गया ।
मंजू मुस्कुरा रही थी जैसा मुरारी हरकते कर रहा था और तभी मुरारी की नजर मंजू से मिली तो वो झेप कर मुस्कुराने लगा ।
दोनो अब थोड़ा हिचक रहे थे नजरे फेर कर बिना कुछ बोले अंदर एंट्री करते है और अंदर और भी चीजें मस्त थी , दुनिया भर की दुकानें और सबसे बढ़ कर नए उम्र के जोड़े , हाथ पकड़े एक दूसरे से चिपके हुए ।
मंजू : भैया ऊपर चलना पड़ेगा लेडीज सेक्शन ऊपर है
मुरारी : सीढ़ी किधर है ?
मंजू मुस्कुरा कर सामने एलिवेटर की ओर इशारा किया मुरारी की हालत खराब ।
अब होने वाली भयोह के आगे कैसे मना करे , मन मार कर हिम्मत जुटाया और दो तीन प्रयास किया मगर कलेजे से ज्यादा तो पाव कांप रहे थे ।
इतने में दो लड़कियां उसके बगल से निकल कर आगे चढ़ गई और उसी धक्के में मुरारी भी उनके पीछे खड़ा हो गया
मगर जैसे ही वो सीधा हुआ आंखे फट कर चार , सामने वाली जो अभी अभी उसके बगल से आगे निकली थी वो ठीक उसके मुंह के आगे


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क्रॉप टॉप और नीचे कसी जींस , मोटी मोटी मांसल गाड़ पूरा शेप लिए बाहर की ओर निकली हुई ।
मुरारी का गला सूखने लगा और जैसे ही उस लड़की ने मूड कर देखा वो नजरे फेरने लगा , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पजामे में ।
ऊपर पहुंचते ही वो लड़कियां तेजी से दूसरी ओर निकल गई और मुरारी उस लड़की के हिलकोर खाते चूतड़ देख कर अपनी बहु सोनल के बार में सोचने लगा

मंजू : भइया इधर से
मंजू के आवाज पर मुरारी उसके पीछे लेडीज सेक्शन की ओर चला गया ।

मंजू अपने पसंद के कंफर्टेबल कपड़े देखने लगी और मुरारी वहां की औरते
तभी उसकी नजर ट्रॉली लेकर घूमती एक औरत पर गई


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" सीईईई क्या चीज है भाई , इतना बड़ा और गोल " , मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया । उसके लंड में सुरसुरी होने लगी
जिस लेन में वो खड़ा था उसी लेन में दूसरी ओर एक मोटी गदराई महिला जो कि टीशर्ट और पैंट में थी , पेंट में उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों का शेप देख कर मुरारी जैसे खो ही गया ।
उसने बहुत से माल और शहर में घूमा था मगर यहां जैसा माहौल कही नहीं दिखा उसे ।

तभी उसे मंजू का ख्याल आया और उसने कुछ पल के लिए उस महिला के चूतड़ से नजरे हटा दी ।
वो मंजू के साथ ही इधर उधर रह कर देख रहा था , मंजू ने कुछ प्लाजो सेट और दो तीन काटन कुर्ती देखे , उसकी नजर जींस स्टॉक पर थी मगर वो मुरारी की वजह से हिचक रही थी ।

मुरारी : इसके साथ क्या लेना , जींस या फिर लेगिंग्स
मंजू मुस्कुराने लगी : मुझे समझ नहीं आ रहा है ,
मुरारी : तुम तो जींस भी पहनती हो न , तो लेलो । इस बात के लिए बेफिक्र रहो तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा ठीक है
मंजू मुस्कुरा कर : जी ठीक है

फिर मंजू वहां से दो तीन जींस लेकर ट्रायल रूम की ओर बढ़ गई ।

जींस के स्टॉक के पास खड़े खड़े मुरारी ने साइज देखने लगा और उसकी नजर 4XL size की जींस पर गई और उसके ख्यालों के ममता का नाम आया , मगर बात वही थी कि पता नहीं वो पहनेगी या नहीं ।
इतने में मुरारी का मोबाइल रिंग हुआ देखा तो अमन फोन कर रहा था

फोन पर
मुरारी : हा बेटा
अमन : पापा कहा हो , निकल गए क्या ?
मुरारी : नहीं बेटा , वो तेरी चाची को कपड़े लेने थे और कुछ काम भी था तो आज रुक गया कल निकलूंगा
अमन : अरे वाह फिर से मेरी तरफ से भी चाची के लिए ले लेना , वैसे कैसे कपड़े पहनती है चाची
मुरारी : उम्मम बेटा वो लगभग सभी पहनती है , अभी अभी जींस लेकर गई है ट्राई करने
अमन : अरे वाव , पापा मम्मी के लिए भी लेलो न जींस
मुरारी : बेटा मै भी सोच रहा था और ये भी सोच रहा था कि ( मुरारी एक किनारे गया जहा उसकी आवाज कोई और न सुने फिर वो धीमी आवाज में ) तेरी मां के लिए कुछ जोड़ी फैंसी ब्रा पैंटी भी ले लूं , यहां मॉल में सब मिल रहा है
अमन : हा पापा क्यों नहीं , लेलो न फिर
मुरारी : अरे लेकिन वो लेडीज सेक्शन है उधर मै कैसे जाऊंगा और दूर से देखा तो एक से एक बढ़िया फैंसी सेट थे वहा ।
अमन : अरे तो चाची को बोल दो न ?
मुरारी कुछ सोचता हुआ : उससे!!! ठीक है देखता हूं और बता तू ठीक है
अमन : मै तो एकदम मस्त हू अभी जस्ट उठा हु नहाकर आपको फोन किया है
मुरारी : अभी उठा है ?
अमन : हा पापा रात में वैसे भी यहां किसे नीद आती है हीहीही
मुरारी : सही बेटा मजे कर
अमन हंसता हुआ : पापा आप कबतक चाची के घर पहुंचेनंगे ।
मुरारी : अभी एक दो घंटे बाद
अमन : अच्छा, वो मैने आपके व्हाट्सअप पर कुछ भेजा है हीही, फ्री होना तो देख लेना पसंद आएगा आपको
अमन की बात सुनते ही मुरारी के तन बदन में सरसरी उमड़ी और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी : क्या , क्या भेजा है बता न
अमन मुस्कुरा कर : आप देख लेना , आपकी लाडली बहु की वीडियो है , ओके मै रखता हु बाय पापा

अमन ने फोन काट दिया और यहां मुरारी एकदम से तड़प उठा , उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे , उसने झट से मोबाईल खोला तो देखा अमन ने 4 5 वीडियो और फोटो भेजे थे । तस्वीरें देखते ही मुरारी ने झट से मोबाईल लॉक कर दिया ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाडे में चुनचुनाहट होने लगी , कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर पजामे के ऊपर से उनसे अपना सुपाड़ा मिज़ा। फिर वो चेंजिंग रूम की ओर देखा , मंजू को भी समय लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहा जाए , बाकी से चेंजिंग रूम भी इंगेज दिख रहे थे और ऐसे में उसको बाथरूम का ख्याल आया ।
वो लपक कर बाहर आया और बाथरूम खोजने लगा , इधर उधर भागने पर उसे टॉयलेट बोर्ड दिखा और लपक कर वो उधर निकल गया ।
तेजी से चलते हुए वो बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपनी सास को आराम देने लगा
उसके पैर थरथर कांप रहे थे पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी ।
गहरी सास लेते हुए उसने दुबारा से मोबाइल खोला तो मुरारी का मुंह भी खुला का खुला रह गया ।


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मैचिंग ब्रा पैंटी में दोनों बहनों में बड़े ही कामोत्तेजक लुक दिए थे

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उनके झूलते नंगे बूब्स और बाहर निकली हुई नंगी गाड़ देख कर मुरारी पजामे के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह बहु कितनी सेक्सी है उम्मम उफ्फ इसके गुलाबी निप्पल और ये लचीली गाड़ उम्मम जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
मुरारी टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपना लंड बाहर निकलने लगा
तभी अगली तस्वीर में दोनों बहने अमन का मोटा लंड पकड़े हुए हस रही थी और एक दूसरे को निहार रही थी ।

किसी में सोनल अमन का लंड चूस रही थी किसी में निशा , मुरारी अपना लंड पकड़ कर उसको भींचे जा रहा था और अगली चीज एक वीडियो थी
जैसे ही मुरारी ने उसे क्लिक किया वो वीडियो तेज आवाज में शुरू हो गई , ये वही शॉर्ट ब्लॉग थी जिसे सोनल ने शूट किया था
सोनल की तेज आवाज आते ही मुरारी ने झट से स्पीकर पर हाथ रखते हुए आवाज कम किया और वीडियो में जो देखा उसकी आंखे फटी की फटी रह गई


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और जब वीडियो में सोनल ने बोला " कोई है जो मुझे चोदना चाहेगा " मुरारी का लंड एकदम अकड़ गया , आड़ो में पंपिंग होने लगी
मुरारी अपनी बहु की कामोत्तेजना भरे हरकते देख कर पागल हो गया था , वो जोर से लंड भींचे जा रहा था और सोनल का नाम लेके बडबडा रहा था : अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बहु मै हु न अह्ह्ह्ह तुम्हारे पापाजी तुमको चोदेंगे बेटा आह्ह्ह्ह बहु उम्ममम अह्ह्ह्ह

मुरारी चरम पर था मगर ऐन मौके पर मंजू ने उसको फोन घुमाने लगी
मुरारी : ओह्ह्ह्ह यार , क्या करु
उधर मंजू लगातार मुरारी को काल किए जा रही थी , मुरारी लंड झाड़ना चाहता था मगर मंजू ने उसका फ्लो बिगाड़ दिया।
मन मारकर अपना लंड पजामे में डाल कर बाहर आ गया , अभी भी उसके लंड की अकड़न जस की तस थी , लपक कर वो मंजू की ओर गया ।

मंजू : कहा चले गए थे
मुरारी थोड़ा हिचक कर : वो मै थोड़ा फ्रेश होने ... हो गया तुम्हारा
मंजू : जी , आप भी कुछ ले लीजिए न
मुरारी : अह् मुझे मेरे मतलब का क्या मिलेगा
मंजू : अरे आप भी टीशर्ट जींस ले लीजिए न , मुझे उनके लिए भी लेनी है
मंजू लजाते हुए बोली
मुरारी समझ गया कि वो मदन के लिए भी खरीदारी करना चाहती है ।
मुरारी : ठीक है भई जिसमें तुम्हारी खुशी , अब मदन के लिए लोगी तो मेरे लिए भी एक ले लेना साइज तो एक ही हमारा

मंजू : अच्छा सुनिए , भाभी की साइज क्या होगी
मुरारी हंसकर : तो क्या उसके लिए जींस लोगी
मंजू बड़े ही कैजुअली होकर बोली : हा , अगर वो पहनती हो तो !
मुरारी हस कर : क्यों भाई सिर्फ मुझे ही ये सजा क्यों , अमन की मां भी परेशान हो तंग जींस पहन कर हाहाहाहाहा , उसको 4XL के कपड़े ही होते है ।
मंजू मुस्कुरा: जी ठीक है आइए पहले उनके लिए ही लेती हूं
फिर मंजू मुरारी के साथ ममता के लिए दो जींस , लांग कुर्ती और दो सूट लिए
मुरारी अभी भी हिचक रहा था कि कैसे आखिर वो ममता के लिए ब्रा पैंटी ले । बार बार उसकी नजर अंडरगार्मेंट एरिया में जा रही थी ।

मंजू : चले भइया , जेंस वाला फ्लोर ऊपर है
मुरारी थोड़ा अटक कर : हा चलो , वो जरा मै सोच रहा था । खैर छोड़ो चलो चलते है ।
मंजू : अरे क्या हुआ कहिए न , कुछ दूसरा पसंद आया क्या भाभी जी के लिए, वो देख लेती हु न

मुरारी : नहीं दरअसल , नहीं कुछ नहीं चलो छोड़ो , वो अपना ले लेगी जब शहर जाएगी ।
मंजू मुस्कुरा कर : अरे भैया बताइए न , क्या चाहिए भाभी के लिए
मुरारी थोड़ा नजरे फेर कर : दरअसल अमन की मां के नाप के अंडर गारमेंट नहीं मिलते चमनपुरा में , मुझे लगा यहां उसके नाप के कपड़े है तो शायद वो सब भी मिल जाए ।

मंजू मुस्कुरा रही थी थोड़ी खुद भी लजा रही थी ।
मुरारी : तुमने लिए क्या अपने लिए ?
मंजू ने शॉक्ड होकर मुस्कुराते होठों से आंखे बड़ी कर मुरारी को देखा ।
मुरारी बड़बड़ाता हुआ : सॉरी ये मै क्या पूछ रहा हूं , प्लीज चलो अब

मंजू ने एक गहरी सास ली और आगे बढ़ते मुरारी का हाथ पकड़ लिया और इशारे से उधर चलने को कहा बिना बोले ।

मंजू का स्पर्श पाकर मुरारी एकदम से चौक गया और मंजू जबरन उसे अंडर गारमेंट वाले काउंटर की ओर ले गई ।

वहा पर कई लड़कीया स्टॉफ में थी और दूसरे भी नवयुवा कपल वहां साथ में खरीदारी कर रहे थे ।

स्टाफ : जी मैम क्या दिखाऊं
मंजू ने बिना कुछ बोले मुरारी की ओर देखा
मुरारी हिचक कर : जी वो बढ़िया फैंसी सेट में अंडर गारमेंट चाहिए
स्टाफ : जी मैम आपका साइज क्या रहेगा
जैसे ही स्टाफ ने मंजू से उसका साइज पूछा दोनों मुंह फेर हसने लगे ।
मंजू ने आंखो से मुरारी को इशारा किया कि वो स्टाफ की बातों का जवाब दे ।
मुरारी थोड़ा असहज होकर : जी वो 44DD की ब्रा और 48 की पैंटी दिखाइए
ममता का साइज सुनकर मंजू और वो स्टाफ दोनों ताज्जुब हुए । मंजू कुछ देर तक मुस्कुराती रही जबतक कि वो स्टाफ कुछ बॉक्स ब्रा और पैंटी के निकाल कर नहीं लाई ।
स्टाफ : सर आपके साइज बड़े एक्सक्लूसिव है तो हमारे पास लिमिटेड ब्रा पैंटी है , इन्हें देखे आप

वो स्टाफ कुछ ब्रा पैंटी खोलकर काउंटर पर बिखेरने लगी और मंजू थोड़ा नजरे चुराने लगी ।
मुरारी उनमें से एक ब्रा जिसके cups विजिबल दिख रहे थे उसे चूना तो मंजू ने मुंह फेर कर मुस्कुराने लगी और मुरारी ने उसे छोड़ दिया और एक फूली कवर ब्रा देखने लगा ।

लेकिन उस ब्रा के साथ जो मैचिंग रंग की पैंटी थी वो एक पतली थांग जैसी थी । मुरारी को समझ नहीं आ रहा था । पसंद तो उसे दोनों आ रहे थे ।

स्टाफ : क्या हुआ सर कोई पसंद आए इसमें से
मुरारी : अह मुझे तो समझ नहीं आ रहा है
मंजू ने मूड कर मुरारी को देखा और उसके करीब होकर बोली : भाभी को कैसे पसंद है
मुरारी मुस्कुराने लगा और धीरे से उसकी ओर झुक कर कान में बोला : वहा उसके नाप की मिलती नहीं तो वो नीचे कभी कभार ही पहनती है ।

मंजू को अजीब लगा मगर वो मुस्कुराने लगी
मुरारी : तुम्हे कौन सा सही लग रहा है , दो सेट फाइनल कर दो
मंजू ने आंखे उठा कर मुरारी को देखा तो मुरारी मिन्नते करता हुआ नजर आया ।
मंजू ने मजबूरी में एक लेस वाली फैंसी और दूसरी सिंपल फूली कवर ब्रा उस थांग पैंटी के साथ फाइनल कर दी

वो स्टाफ दोनों को अजीब नजरो से देख रही थी वहां फिर जेंस वाले फ्लोर पर उन्होंने शॉपिंग की और फिर बिलिंग के लिए निकल गए ।


बिलिंग काउंटर जब मुरारी बिलिंग कराने लगा तो उसकी ट्रॉली में दो जोड़ी और ब्रा पैंटी निकल आई
मुरारी : एक मिनट भाई साहब , अंडरगार्मेंट के दो ही सेट होंगे , लगता है गलती से आ गया होगा

मंजू जो उसके बगल में खड़ी थी वो परेशान हो उठी इससे पहले वो बिलिंग स्टाफ उसके प्रोडक्ट को कैनसिल करता वो बोल पड़ी : अरे वो मैंने रखे है ?
मुरारी ने जैसे ही मंजू की आवाज सुनी उसको अपनी गलती समझ आई और बिलिंग स्टाफ वापस से सारी बिलिंग करने लगा ।

फिर मुरारी ने सारे पेमेंट किए ।
वहा से निकल कर दोनों ऑटो से मंजू के घर के लिए निकल गए ।
रास्ते भर मंजू के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही

मुरारी समझ रहा था आज मंजू की नजर में उसकी खूब किरकिरी हुई है
मुरारी : अब बस भी करो भई , मुझे क्या पता था कि वो तुमने लिए थे पहले ही ।
मंजू हंसने लगी : सॉरी
मुरारी भी मुस्कुराने लगा


वही इनसब से अलग रंगीलाल खड़ी दुपहरी में अपने ससुराल पहुंच गया था ।
बरामदे में बनवारी के कमरे के बाहर लगी कुर्सी पर बैठे हुए घर का जायजा ले रहा था और तभी सामने से उसकी खूबसूरत गदराई हुई सलहज सुनीता साड़ी का पल्लू पूरे बरामदे में लहराते हुए हाथों में जलपान का ट्रे लिए आई और जैसे ही उसने रंगीलाल के आगे टेबल पर ट्रे रखा


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बिना पिन की साड़ी का आंचल उसके सीने से सरक कर कलाई में आ गया और कसे चुस्त ब्लाउज में भरे हुए मोटे मोटे मम्मे झूलते हुए रंगीलाल को ललचाने लगे ।



जारी रहेगी ।
कहानी पर पाठकों की प्रतिक्रिया , व्यूज के हिसाब से बहुत कम मिल रही है ।
कहानी पर लेट अपडेट का कारण आप सभी कम प्रतिक्रियाए ही है ।
कृपया पढ़ कर समुचित रिप्लाई जरूर किया करे ।
धन्यवाद
Lajawab jabrdast hot update 🩵
 

Napster

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UPDATE 192 C


"अरे लो ना आप !! मै दीदी के लिए भी लाता हूँ " , राज ने खाने से सजी हुई थाली लेके सिम्मी की इंसिस्ट करता हुआ उसके हाथ मे थाली देके बोला ।

फिर भाग कर दो प्लेट लगा कर वापस आया और एक प्लेट नीलू को देते हुए एक प्लेट खुद लेके खाने बैठ गया


नीलू - भाई तेरी पढ़ाई कैसी चल रही है
राज आंखे उठा कर नीलू की ओर देखा - क्या दीदी क्यू मूड की ऐसी तैसी कर रही हो हिहिहिही

राज की बात पर सिम्मी हसी और उसे हस्ता देख कर वो भी मुस्कुराते हुए - हा और क्या ? दुकान और घर की जिम्मेदारीयों से फुर्सत मिले तब तो पढ़ाई में ध्यान दू और वैसे भी मेरा ग्रेजुशन चल रहा है

नीलू - हा लेकिन उसके साथ कोई तैयारी भी कर ना , दुकान जरुरी है क्या तेरे लिये । मामी है ना

राज - मम्मी अकेले कैसे कर पायेंगी दीदी बहुत झंझट है

चारु - भाई झंझट तो आगे चल कर हो जायेगी और तु बता अब के टाईम कौन ऐसी लडकी है जो ऐसे लड़के को पसन्द करेगी जिसके पास अपना कुछ नही वो अपने मा बाप पर ही डीपेंड है

चारु की बातें सुनकर राज के दिमाग में हलचल सी मच गयी क्योकि आज तक उसने जीवन को कभी इस नजरिये से नही देखा था

नीलू - हा चारु सही बोल रही है तु , इन्फैक्ट सोनल दी की लव मैरिज भी जीजू के govt job की वजह से हो रही है

राज का दिमाग ये सब सुन कर सन्न था , वो बस सामने बैठी सिम्मी की ओर देख रहा था उसके जहन मे सवाल उठ रहे थे कि अगर भविष्य मे उसे भी किसी से प्यार हुआ तो क्या वो अपना प्यार जीत पायेगा । उसका अपना परिवार तो राजी हो भी जाये मगर उस लडकी की फैमिली का क्या ? सिम्मी जैसी लड़की के पैरंट्स मुझ जैसे आम से लड़के के लिए क्यू इतना समाजिक दबाव उठाएंगे ।

राज के जहन मे बहुत कुछ चल रहा था
कुछ अपने भविश्य का डर तो कुछ घर की चिंता
थोडा बहुत सिम्मी के करीब जाने और उसकी नजर उसके पसन्द का लड़का बनने की ख्वाईश भी उठ रही थी ।
वही इनसब के बीच मे अपने परिवार नातेदारो के संग उसके हसिन कामुक पल भी उठ कर आ रहे थे ।


"राज राज " कहा खो गया भाई , नीलू ने उसका कन्धा हिलाते हुए बोली


राज मुस्कुरा कर एक नजर सिम्मी को देखा जो उसकी ओर देख रही थी - नही नही कही तो नही

नीलू - भाई तु प्रेशर ना ले , अभी शादी इंजॉय कर मगर इस बारे मे सोचना जरुर

राज - हा दीदी सही कह रहे हो आप

चारु - अच्छा वो सब छोड़ो और ये बताओ इस कैमरे वाले से हम लोगो की तस्वीरे कैसे मिलेगी , अल्बम आने मे तो टाईम लगेगा ना

राज - अरे मै उससे ले लूंगा
चारु - ओके फिर मुझे व्हाट्स कर देना तुम

सिम्मी- मुझे भी
नीलू - मुझे भी

राज अभी सिम्मी के बारे सोच रहा था तभी चारु - अरे सोच मत अपना नम्बर बोल हम तुझे अपने ग्रुप मे ऐड के दे रहे है वही भेज देना ओके

राज - ओके दी
इधर इनकी आंख मिचौली चल रही थी वही खाने के स्टाल के एक दुसरे टेबल पर जुता चुराई की रणनीति बन रही

राहुल अरून गीता बबिता की ।
गीता अभी तक स्टेज वाली बात के लिए परेशान थी वही राहुल बबिता को परेशान करने मे कोई कसर नही छोड रहा था ।
आंखो से इशारे तो कभी कोहनी कोना छू कर

बबिता - यार राहुल तुम प्लीज ध्यान दोगे
राहुल - मेरा ध्यान तो तुम्ही पर है यार
राहुल की बात पर गीता हस दी और अरून ने बबिता का फुला हुआ मुह देख कर धीरे से गीता के हाथ पे हाथ रख कर उसको दबाया ।

गीता ने आंखे बड़ी कर अरून की ओर देखा तो अरून ने बबिता की ओर इशारा किया
गीता चुप हो गयि और मुस्कुराने लगी , वही अरून ने अपना हाथ वापस वैसे ही रखे रहा , करीब 10 मिंट तक बातें चलती रही मगर अरून ने एक बार भी गीता के हाथ से अपना हाथ नही हटाया ।

जब उठने की बारी आई तो गीता ने हाथ हिला कर मुस्कुराते हुए अरून को इशारा किया तो अरून ने लाज मे हाथ हटाते हुए - ओह्ह सॉरी
गीता मुस्कुराई और नजरे निचे किये हुए बबिता के साथ घर की ओर चली गयि ।
और राहुल हस्ता हुआ अरून को ताली देता है - साली मेरी वाली बहुत नखरे बाज है यार

अरून हस कर - नखरेवाली है तो हचक के लेगी भी देखीयो

राहुल - सीई कास ऐसा ही हो तो मजा आ जाये हिहिहिही
अरून - चलो आगे का काम देखते है , शादी भी निपटानि है ना

राहुल - हा भाई चल




वही गेट से घुसते ही संगीता कमलनाथ को गलियारे के मुहाने पर मिल गयी ।

संगीता - अरे आ गये आप , लेकिन यहा लाईट सही नही है

कमलनाथ गलियारे मे जाता हुआ - अरे आईये एक जगह है

कमलनाथ गलियारे के बीच मे उसी कमरे का दरवाजा खोलकर दाखिल होता है जहा कल रात वो सोया हुआ था ।

कमरे की बत्ती चालू कर कमलनाथ - आईये अन्दर आ जाईये

संगीता मुस्कुराती इतराती कमरे मे दाखिल हुई

कमलनाथ कमरे का दरवाजा हल्का सा भिड़काते हुए - जी कहिये कैसा फोटो निकालू

संगीता - वैसे क्या आप फोटोग्राफि करते है पेशे से

कमलनाथ - नही बस थोड़ा बहुत काम किया था बहुत पहले जब काम की तलाश मे लुधियाना गया था ।

संगीता - आह्ह देखीये मुझे कुछ एक्सक्लूसिव तस्वीरे निकलवाणी है मेरे इंस्टा पेज के लिए

कमलनाथ- हा क्यों नही कर दूँगा मै आईये खड़ी हो जाईये
कमलनाथ ने 8 10 तस्वीरें निकालने के बाद थोड़ा सा बेकाबू हुआ जा रहा था ।

सन्गिता की कामुक और नशिली अदाये उसे बुरी तरह रिझा रही थी मगर पहल हो तो हो कैसे ?
वो ये बात भी जान रहा था कि कोई भी संगीता के मिजाज वाली औरत एक अंजान आदमी के साथ इतनी नजदिकियां दिखाती हुई एक खाली घर मे उसके साथ क्यू आयेगी ।

कमलनाथ ने कुछ सोचा और फिर वो मोबाइल संगीता को देता - आह्ह एक मिंट भाभी जी मै अभी आया

संगीता थोडा सोचते हुए उसके हाथ से मोबाइल लेकर तस्वीरें देखने लगी और वही उसके जहन मे अपनी ही बड़बड़ाहट जारी थी ।

उफ्फ़ ये मर्द जात इतना भोला क्यू बनने की कोसीस करते है जैसे मानो हम औरते कुछ समझ नही रही हो ।
ये अमन के ससुराल वाले कुछ ज्यादा ही शर्म लाज का गहना ओढ़े हुए है । लगता है मुझे ही इस बार भी कुछ करना पड़ेगा नही तो आज की रात मुझे परेशान कर डालेगी ।
अभी संगीता अपने ख्यालों मे गुम थी कि तभी दरवाजे से कमलनाथ कमरे मे दाखिल हुआ


संगीता उसको देख के हस पड़ि -अरे क्या हुआ आप ऐसे क्यूँ
कमलनाथ अपने अंडरवियर मे बने तम्बू को मसलता हुआ - आह्ह अब बस भी करो ये नाटक उह्ह्ह मै जानता हूँ हम यहा क्यू मिल रहे है ।
संगीता बिस्तर पर बैठी मुस्कुराई और नजरे निचे करती हुई मुस्कुराने लगी ।

कमलनाथ उसके करीब जाकर उसके सामने खडे होकर हग करने लगता है और उसकी चर्बीदार कमर को मसलता हुआ उसकी साडी के अंडर हाथ घुसा कर गाड़ का जायजा लेता हुआ - अह्ह्ह भाभी क्या मस्त पिछवाडा है

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संगीता कमलनाथ के स्पर्श से सीस्कती है - उन्मममं सीईईई
कमलनाथ उसके कूल्हो को मसलता हुआ उसके रसिले होठ चुसने लगा है

संगीता भी उसके होठ चुसते हुए उसकी नंगी जांघ पर हाथ फिराते हुए पीठ सहलाने लगती है

कमलनाथ उसके हाथ पकड कर खड़ा करता है और खुद निचे झुक कर उसकी साडी हटाते हुए उसकी गुदाज नाभि को चुमने लगता है

अपने कूल्हो पर रंगते कमलनाथ के हाथ और पेट पर ठंडी चुंबन ने संगीता का रोम रोम खड़ा कर दिया था ।
उसके पाव कांप रहे थे और वो उसके सर मे हाथ फिराते हुए सिस्कने लगी ।

अह्ह्ह्ह सीईईई उम्म्ंम्ं आराम्म्ंं सेह्ह्ह मेरीईई साडी खराब हो जायेगीईई अह्ह्ह उम्म्ंम्ं " , संगीता बौखलाये कमलनाथ को समझाती हुई बोली ।

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कमलनाथ उसके पेट चुमता हुआ उसकी साडी उपर कर उसके भरी भरी मोटी खरबजे जैसी चुचिया बलाऊज के उपर से दबाता हुआ - उह्ह्ह भाभीईई ज्जीईई क्या मुलायम जोबनो का जोडा है अह्ह्ह बहुत रस भरा है इनमे उम्म्ंम उम्म्ंम
कमलनाथ ने अपनी थूथ को उसके दोनो चुचो के बीच ब्लाउज के उपर से रगड़ा ।

संगीता उसके सर को अपने छाती पर दबाए बुर से रस बहाती हुई - उम्म्ंम्ं भाईसाह्ह्ब्ब उह्ह्ह अह्ह्ह अराअम्ंंंं से उम्म्ंम सीईई
कमलनाथ ब्लाऊज के उपर से उसके तने हुए निप्प्ल को होठो के भर कर चुबलाया - अह्ह्ह भाभीईई जबसे आपको देखा है तबसे बेकाबू हुआ जा रहा है मन और उह्ह्ह्ह उंम्ंम्ं


संगीता कमलनाथ के गालों को थामती हुई अपने सीने पर रगड़ा कर - और क्याह्ह्ह उम्म्ंम्ं उह्ह्ह्ह अह्ह्ह माह्ह्ह्ह
संगीता की बात पर कमलनाथ उठ खडा हुआ और उसको कस कर अपने आगे करता हुआ अपने मोटा मुसल से साडी के उपर उसकी पनीयानी बुर के ठोकर मारता हुआ - और ये भीहहह

संगीता अपनी बुर के मुलायम फाको मे कमलनाथ के सुपाड़े की चोट से सिसकी - अह्ह्ह उम्म्ंम्म्ं

कमलनाथ के उसकी कमर के निचे हाथ ले जाते हुए उसकी गाड़ को पकड़ कर अपनी ओर दबाता हुआ लन्ड को जोरो से उसकी बुर मे चुभो रहा था
और संगीता उससे कस के लिपटी हुई अपनी आंखे उलटते हुए सिस्कने लगी ।
कमलनाथ ने उसकी साडी पीछे से उठाई और गाड़ नंगी कर उसको हाथों मे भरता हुआ उसके गरदन को चुमने लगा

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अपनी गाड़ पर कमलनाथ के पंजो की खरोच और गले पर चुंबन से संगीता अपनी जाघे कसने लगी , वो आंखे भिचे कमलनाथ को कसे हुए झटके खाने लगी उसकी बुर भलभला कर रस छोड़ रही थी

कमलनाथ उसकी साडी को उठाये हुए उसके सख्त हुए गाड के गोलों को सहलात हु उसकी गाड़ की दरारों मे उंगलियाँ घुसाने लगा

संगीता - आह्ह रुकिये मेरी साडी खराब हो जायेगी
कमलनाथ ने उसको झटका और उसकी साडी का पल्लू पकड कर उसको घुमाते हुए पूरी साडी अलग कर बिस्तर पर फेक दी
और उसको घुमाते हुए पीछे से पकड कर ब्लाउज के उपर से उसकी मुलायम चुचियां पकडता हुआ - उह्ह्ह भाभीई क्या मस्त चुचियां है , लगता है बहुतों ने मस्ला है इसे उह्ह्ह और तुम हो भी चालू आईटेम उह्ह्ह्ह

संगीता कमलनाथ के बाहों मे कसम्साती हुई - आह्ह प्लिज्ज्ज मान जाईये मेरे ब्लाउज खराब हो जायेंगे उह्ह्ह मह्ह्ह

कमलनाथ गुस्से मे रिझा और हाथ आगे कर उसके ब्लाउज के हुक चटकाता हुआ - बहिनचौद तेरे कप्डे के अलग ही चोचले है , निकाल इसे

सन्गिता - आह्ह आराम्ं से फटे नाह्ह्ह
"चल इसे भी निकाल दे " , कमलनाथ उसकी ब्रा उसके कन्धो से सरकाता हुआ बोला

फिर उसको झटका देके आगे बिस्तर पर धकेलता हुआ - उपर चल ना

संगीता मुस्कुराई - उसे यही तो रूप चाहिये था कमलनाथ , जो एक जानवर जैसे उसे नोच ही डाले आह्ह

संगीता घुटने के बल घिसटती हुई बिस्तर के बिच आ गयि और घोडी बन गयी ।


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कमलनाथ भी बिस्तर पर आकर उसको पीछे से पकड कर उसकी नरम नरम पेतिकोट मे फैली हुई बड़ी सी गाड़ को पन्जो से दबोचता हुआ दान्तो से काटने लगा

संगीता मजे से सिसकियाँ लेने लगी - अह्ह्ह मह्ह्ह उह्ह्ह्ह उम्म्ंम फ्क्क्क मीईई येस्स्स्स उह्ह्ह खा जाओ मेरी गाड़ उह्ह्ह फक्क एस्स ईट माय पुसीई प्लीज उह्ह्ह


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कमलनाथ संगीता का बदला हुआ रुप देख कर पागल सा हो गया और वो उसका पेतिकोट उठा कर उसकी गदराई जांघो को चुमता हुआ उसके गाड़ के दरारों मे जीभ डाल कर चाटने लगा

उम्म्ंम्ं येस्स्स एस्स आई लाइक इटह्ह उह्ह्ह येआआ उम्म्ंम सक मी लाइक दैट ऊहह येस्स सक माय एस उह्ह्ह्ंंंं ओफ्फ्फ अह्ह्ह

कमलनाथ संगीता की सिस्कियो पर और उत्तेजित होकर उसके बडे बड़े गाड़ के फाको को फैलाते हुए उसकी गाड़ के छेद पर जीभ फिराने लगा

संगीता ने जोर से अपनी गाड़ को कस लिया - ऊहह माह्ह्ह हिहिहिही उम्म्ंम तुम बहुत तेज्ज्ज हो उह्ह्ह करों ना मजा आ रहा है उह्ह्ह येस्स्स स्क माय पुसी उह्ह्ह्ह चाटो ना मेरी बुर उह्ह्ह्ह एस्स

कमलनाथ की लपलपाती जीभ ने संगीता के रसदार बुर की फान्को को चाटने लगा और जीभ डाल के मलाई निकालते हुए - ओह्ह्ह यारर क्या गजब की माल है तु ऊहह मजा आ गया


संगीता इतरा कर आगे बढ़ कर उसकी ओर घूमी और अपनी जान्घे खोलकर अपनी बुर को फैला कर दिखाती हुई - असली मजा तो अब आयेगा मेरे राअजाह्ह्ह आओ नाह्ह उम्म्ंम उह्ह्ह

कमलनाथ संगीता को अपनी बुर मसलते देख कर पागल हो गया और वो जल्दी जल्दी अपना लन्ड बाहर निकाल कर उसके बगल मे आ गया ।

उसकी फैली हुई जांघो को मसल्ते हुए अपनी उंगलिया उसकी गीली बुर पर फिराई और सहलाने लगा
संगीता ने भी बगल मे हाथ बढा कर उसका तना हुआ मुसल पकड कर मुठियाने लगी


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संगीता - आह्ह बहुत ही तगड़ा है ये तो उह्ह्ह मेरी बुर की चटनी बन जायेगी आह्ह्ह उह्ह्ह फ्क्क्क मीई डालो नह्ह्ह उम्म्ं उह्ह्ह

कमलनाथ संगिता के बुर मे अपनी बिच वाली उंगली पेले जा रहा था - डाला तो है देखो उह्ह्ह क्या गर्मी है भीतर

संगीता मचलती हहूई अपनी गाड़ पटक कर - आह्ह वो नही इसे डालो नाह्ह उम्म्ं प्लिज्ज्ज ऊहह फक्क्क मीह्ह्ह्ह उह्ह्ह

कमलनाथ मुस्कुराया और अपनी जगह बदलते हुए उसके गदराई जांघो के बिच आ गया और अपना लन्ड सेट करता हुआ अपना टोपा उसके फैले हुए बुर के फाको मे लगाया और आगे झुकते हुए हचाक से लन्ड को उसकी बुर मे जड़ तक पेल दिया


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अह्ह्ह्व अम्मीईई उह्ह्ह उह्ह्ह अह्ह्ह एस्स हिहिहिही मजा आ गया ऊहह अब करो नाआह्ह उम्म्ं एस्स फक्क्क मीई उह्ह्ह येस्स्स हार्डर येएह्ह्ह्ह वोहहह उम्म्ंम्ं उम्म फ़क मी लाइक दैट उम्म्ंम

कमलनाथ उसकी उपर चढ कर हचक हचक के पेलने लगा और संगीता जोर जोर से आहे भरने लगी

उसी समय खाने के स्टाल की ओर
" क्या भाभी जी , अरे एक लिजिए प्लीज प्लीज " , रंगी अपनी गदराई समधन को इंसिस्ट करता हुआ उसकी थाली मे गुलाबजामुन के पीस रखता हुआ बोला ।


ममता बस हस कर रह जाती है और रन्गी बाकी सबको सर्व कर रहा होता है ऐसे मे ममता बगल मे बैठे भोला के करीब होकर - अरे मेरी छिनाल ननदिया कहा है दिख नही रही
भोला ने आस पस नजर फिराया और मुस्कुरा कर बोला - शायद शेरनी अपने शिकार पर गयि होगी ।

"अरे भाईसाहब कहा है " , रन्गीलाल ने मुरारी को खाने के टेबल पर ना पाकर ममता से पूछा ।

ममता - अरे अभी यही तो थे लो आ गये ।
ममता मुरारी को देखकर - अरे कहा गये थे आप , सब इन्तेजार कर रहे थे ।

मुरारी का चेहरा पानी से भीगा था वो रुमाल से अपना चेहरा साफ करता हुआ गीले हाथ मे रुमाल घिस कर उसको फ़ोल्ड करता हुआ बिना कुछ बोले कुर्सी पर बैठ गया ।

वहा बैठे सभी मुरारी का विचलित हुआ चेहरा देख कर थे और उसपे गुस्से की भन्नाहट साफ थी ।
ममता ने उसकी जांघ पर हाथ रख कर उसके कान मे बोली - क्या हुआ जी , आप फिर से परेशान लग रहे है , सब देख रहे है ? क्या बात है बतायिये ना ?

मुरारी को अपनी स्थिति का ज्ञान हुआ और वो मुस्कुराता हुआ - अरे कुछ नही आप लोग खायिये ना प्लीज

मदन - अरे ये संगीता दीदी कहा है ?
ममता - रुको मै देख के आती हु यही कही होगी ?
मुरारी संगीता की चर्चा होने पर खडी होती ममता का बाजू पकड कर बिठाता हुआ - अरे बैठो मेरी उससे बात हुई है वो अभी फ्रेश होने गयि है आ जायेगी ।

वही पास मे खड़ा रंगी इस सस्पेंश भरे फैमिली ड्रामे को समझने की कोसिस कर रहा था मगर कोसिस बेकार थी क्योकि उसे बाकियों की भी मेहमान नवाजि देखनी थी ।

खाने के टेबल पर बैठा मुरारी खाते हुए बीच बीच मे चंदू के घर के गेट की ओर देख रहा था इस बात से बेफिकर उसकी हरकतो पर भी कोई और बारीकी से नजर रखे हुए था ।

जो काफी समय से शान्त तो था मगर उस घर मे चल रही आवा जाहि के लिए उसकी जिज्ञासा बढ़ने लगी थी ।
एक घर दो मर्द बारी बारी घर मे गये फिर दूल्हे का बाप भी गया और गुस्से मे वापस आया ।

माजरा समझ से परे था और उसने अपनी कुर्सी छोड़ी और खुद भी उस घर मे दाखिल हुआ , गलियारे घुसते ही बीच गलियारे मे एक दरवाजे से सफेद रोशनी की पतली सी निकली हुई फर्श और दिवाल को रोशन किये हुए थी और साथ मे कुछ फुसफुसाहट भरे लब्ज भी आ रहे थे ।


जैसे ही वो शख्स दरवाजे के पास पहुचा और उसने हल्का सा दरवाजे पर जोर दिया
सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।
सामने एक बड़ी सी गाड़ वाली औरत एक शख्स के लन्ड पर उछल रही थी और वो शख्स भी कस कस के करारे झटके उसकी बुर मे दे रहा था ।

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जिस देख कर दरवाजे पर खड़ा आदमी अपने धोती मे उफनाते मुसल को मसला और थुक गटक कर कुछ पल वो नजारा देखता रहा जब तक कि उस महिला ने झट कर चिल्लाने रोक नही दी

भीतर कमरे मे झड़ते हुए संगीता रुक गयी और कमलनाथ बोला - क्या हुआ जानेमन बस हो गया उह्ह्ह थक गयी

संगीता मुस्कुराइ- ऊहु बस छेद बदलना है अब
कमलनाथ खुश हुआ कि उसे इस गदराई माल के गाड़ भी मारने को मिलेगी और वो झट से उठा घुटने के बल आ गया और संगीता भी घोडी बन कर उसके आगे झुक कर अपनी गाड़ उपर कर दी ।

भीतर का नजारा देख कर बाहर खड़े शख्स के हाथ से लन्ड छूट गया और उसकी सासे तेज हो गयी - जमाई बाबू ??

बनवारी की हालत खराब हो गयी कि उस्का बड़ा दामाद उसकी आंखो के सामने दूल्हे की ही बुआ के गाड़ के सुराख पर अपना सुपाडा सेट कर रहा था ।

कमलनाथ उसके गाड़ के छेद पर अपना लन्ड भीड़ाते हुए एक करारे झटके के साथ लण्ड को उसकी गाड़ मे आधा उतार दिया , लन्ड जाते ही कमलनाथ समझ गया कि ये खेलीखाई गाड़ है इसपे रहम दिखाने की जरुरत नही

कमलनाथ ने उसके कूल्हो को थामा और एक और तगड़े झटके के साथ अपना लन्ड उसकी गाड़ मे पेल दिया

संगीता ने गरदन उठा कर जोर से सिसकि -अह्ह्ह माह्ह्ह उह्ह्ह येस्स्स अफ्फ्फ फ्क्क्क मीई उह्ह्ह बहुत मोताह्ह है उम्म्ं य्स्स फ्क्क मीई ओह्ह्ह


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कमलनाथ कस कस के उसकी गाड़ मे पेलता हुआ उसकी गाड़ पर चाटे मार रहा था और संगीता जोर जोर चिखती सिसकिया ले रही थी
भीतर का गर्मागर्म मौहौल देख कर बनवारी का सोया लन्ड फिर से उठने लगा था ,मगर उसकी दिली इच्छा नही हो रही थी कि वो वहा रुके ।

भीतर से उसे ऐसा मह्सुस हो रहा था कि उसकी बड़ी बेटी के साथ उस्का जमाई धोखा कर रहा है और वो एक बार फिर निराश होकर बाहर चला आया

वही कमरे मे कमलनाथ इनसब से बेखबर होकर करारे झटके लगाता हुआ संगीता की गाड़ मे झड़ने ल्गा और संगीता भी आंखे मुंदे कमलनाथ के लावा उगलते उसके लण्ड को अपनी गाड़ मे पाकर मस्त हो गयी थी ।


जल्दी ही दोनो ने अपने कपडे ठिक किये और बारि बारी से बाहर निकल गये ।
वही दुल्हन के घर बाहर खडे मुरारी ने एक बार फिर जब अपनी बहन को चन्दू के घर से बाहर आते देखा तो उसका दबा गुस्सा उभर और वो सीन उसके दिमाग मे नाचने लगे जो कुछ देर पहले उसने देखा , जहा उसकी बहन कमलनाथ की थूथ को अपनी गाड़ मे रगड़वा रही थी ।


मुरारी के जहन वो दृश्य आते ही उसने आंखे भींच कर अपना मन झटका और तन मना कर घर मे चला गया क्योकि उपर शादी का मुहूर्त हो गया था और सब लोग एकत्र होने लगे थे ।

जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

Rock2500

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💥 अध्याय 02 💥

UPDATE 003


पिछले 3 हफ्ते थे अनुज घर और शादी के ऐसा उलझा था कि उसे न पढ़ाई के लिए समय मिला और न ही आने वाली परीक्षा की तैयारियों का
आने वाले महीनों उसके प्रैक्टिकल शुरू हो रहे थे और उसके प्रोजेक्ट अधूरे क्या शुरू ही नहीं हो पाए थे ।चिंता भरे मन से अनुज उलझा हुआ कालेज के लिए जा रहा था । उसका कालेज भी वही था जहां से पहले उसके भैया राज ने दसवीं और इंटर पास किया था ।
राज के अच्छे व्यवहार और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसके कालेज के टीचर अनुज से अकसर उसके बारे में हाल चाल ले लिया करते यहां तक कि अनुज की पहचान भी अभी तक राज के छोटे भाई के तौर पर ही थी । क्योंकि ना ही अनुज पढ़ाई के उतना अव्वल था और न ही खेल कुद जैसी प्रतियोगीताओ में कोई रुचि रखता था , हालांकि चढ़ती उम्र में वासना ने उसे लालची जरूर बना दिया था ।
कालेज को जाती सड़क पर चल रहा था , आमतौर पर ये सड़के बच्चों से व्यस्त होती थी मगर आज पापा की वजह से उसे थोड़ा लेट हो गया क्योंकि अनुज का तो आज जरा भी मन नहीं था ।
09.30 बजने को हो रहे थे और कालेज कुछ दूर ही था कि उसकी नजर आगे पुलिया पर गई , जहां दो लड़कियां एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रही थी ।


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उनमें से कालेज ड्रेस में एक लड़की का गोरा दुधिया चेहरा दूर से चमकता दिखा और अनुज समझ गया कौन थे वो दोनों ।

: अरे वो देख , तेरा हीरो आ रहा है हीही ( दूसरी लड़की ने पहली लड़की को छेड़ा )
: धत्त कमिनी, चुप कर वो आ रहा है ( उसने अपने सूट को कमर के पीछे से खींच कर अपने गोल मटोल चूतड़ों पर चुस्त किया और विजिबल चुन्नी से अपना क्लीवेज ढकती हुई बड़ी सहूलियत से खड़ी होकर अपने जुल्फे कान में खोसने लगी )

" हाय अनुज , बड़े दिन बाद " , उस पहली लड़की ने अनुज को टोकते हुए कहा ।
अनुज : ओह हाय कृतिका , हा वो मै दीदी की शादी में उलझा था । बताया तो था उस दिन दुकान पर ?

अनुज के जवाब पर वो दूसरी लड़की ने आंखे महीन कर कृतिका को घूरा तो कृतिका नजरे चुराती हुई मुस्कुरा दी : अच्छा हा , और कैसे हो ?

अनुज : अच्छा हु और तुम दोनों ?
" अच्छा तो तुम्हे दिख गई मै , ठीक हूं मै भी " , कृतिका के साथ वाली लड़की बोली जिसके नारियल जैसे चूचे सूट को सीने पर पूरा ताने हुए थे जिससे उसका दुपट्टा ज्यादा ही उठा नजर आ रहा था ।
अनुज थोड़ा झेप कर मुस्कुराता हुआ : अरे पूजा वो तो मै , अच्छा सॉरी बाबा
कृतिका पूजा से : क्या तू भी परेशान कर रही है , चलो अनुज
अनुज : हम्म्म चलो

अनुज थोड़ा आगे हुआ कि उसके कानो में पूजा की भुनभुनाहट आई : हरामीन तूने बताया नहीं न मिलने गई थी उम्मम ।
इसके बाद कृतिका की हल्की सी सिसकने की आवाज आई : सीईईई मम्मीई, कुत्ती....

कृतिका और दो चार गालियां पूजा को देती मगर उसकी नजर आगे अनुज से टकराई और वो थोड़ा शर्मा कर अपने कमर के पिछले हिस्से को सहलाते हुए मुस्कुराने लगी ।
" तुम्हारे प्रोजेक्ट्स कहा तक पहुंचे अनुज " , कृतिका ने सवाल किया ।
आगे वो बातें करते हुए निकल गए कालेज की ओर ।


वहीं दुकान पर आज राज का पहले दिन ही बड़ी मगजमारी झेलने पड़ी ।
बबलू काका की मदद से चीजे आसान थी मगर बाप की पहचान और रुतबे के आगे राज फीकी चाय से भी फीका था ।
11 बजने को हो रहे थे और राज केबिन में बैठा हिसाब बना रहा था ।
एक्जाम तो उसके भी आने वाले थे मगर अभी उसके पास डेढ़ माह का समय अतिरिक्त था अनुज से ।

बबलू काका : छोटे सेठ , बड़े घर से ठकुराइन आई है !
राज थोड़ा अचरज से : ठकुराइन कौन ?
बबलू काका थोड़ा हिचक कर : छोटे सेठ वो सेठ जी के दोस्त ठाकुर साहब है न उनकी मैडम ।
राज खुश होकर : अच्छा आंटी जी आई है , अरे तो भेजिए न उनको !
बबलू काका : जी छोटे सेठ
राज : और सुनिए कुछ देर में नाश्ता भेजवा दीजियेगा ओके
बबलू : ठीक है छोटे सेठ

कुछ ही देर में राज के सामने संजीव ठाकुर की बीवी खड़ी थी । ऊपर से नीचे तक खुद को बड़ी ही अदब और सादगी से ऐसे ढकी हुई थी कि उनका गदराया जिस्म की रत्ती भर झलक नहीं मिल पा रही थी सिवाय चेहरे के ।


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पूरी बाजू की ब्लाउज जो क्लिवेज के साथ साथ पीठ गर्दन सब कवर किए हुए थी । सिम्पल हल्की साड़ी जिससे उन्होंने अपना पेट और कमर पूरी तरह से ढक रखा था और कूल्हे पर ऐसी चुस्त की गाड़ का उभार उठा हुआ नजर आ रहा था ।

ठुकराईन : कैसे हो बेटा ?
राज की नजर उसके चेहरे पर गई , गजब का आकर्षन था उनकी आंखों में और मुस्कुराहट से फैले हुए मोटे मोटे होठो के चटक लिपस्टिक और भी ललचा रहे थे ।
राज : जी ठीक हूं आंटी जी , नमस्ते आइए न
राज खड़ा होकर उनका अभिवादन किया और ठकुराइन राज के पास सोफे पर बैठ गई ।
ठकुराइन : बेटा पापा नहीं है ?
राज मुस्कुरा कर : जी वो नानू के यहां गए है हफ्ते दस दिन में आ जायेंगे ।
ठकुराइन हस्ती हुई : हाहा ससुराल गए है घूमने भाईसाहब
राज मुस्कुराकर : जी ,
ठकुराइन : और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है , या फिर तुम भी पढ़ाई छोड़ कर पहले शादी ही करने वाले हो सोनल के जैसे
राज मुस्कुरा कर : अरे नहीं आंटी , अभी मेरी उम्र नहीं है और दीदी भी अभी अपनी पढ़ाई जारी ही रखेगी ।
ठकुराइन : तो क्या सोनल अपने पति के साथ नहीं जाएगी ?
राज उलझे हुए स्वर में : अभी कुछ कह नहीं सकते आंटी जी , मार्च बाद से हम लोगों के भी एग्जाम शुरू हो जायेंगे तो मुझे नहीं लग रहा है कि वो जा पाएंगी ।
ठकुराइन : बस ससुराल वाले राजी हो जाए उसे पढ़ाने के लिए
राज : मुझे नहीं लगता कोई कुछ कहेगा , अच्छे लोग है सब
ठकुराइन इधर उधर की बातों को खींच रही थी और राज को अब बेचैनी हो रही थी । कुछ देर बाद तो ठकुराइन के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं । अब राज को शक होने लगा कि शायद वो किसी काम से आई थी और उससे कहने में हिचक रही है ।

राज : आंटी आप कुछ काम से आई थी ?
ठकुराइन : हा बेटा वो ...
बबलू काका : छोटे सेठ ये नाश्ता
ठकुराइन कुछ कहती कि बबलू काका आ गए और वो चुप हो गई थी । वो नाश्ता रख कर निकल गए ।

राज : हा आंटी जी कहिए , देखिए पापा नहीं है मगर कुछ भी मेरे लायक होगा मै कर दूंगा आप बेहिचक कहिए ।
ठुकराई थोड़ा सोच कर : बेटा मै तुम्हारे पापा से नहीं तुमसे ही बात करने आई थी ।
राज अचरज से : मुझसे ?
ठकुराईन : मैने कल दुपहर ही तुम्हारे पापा से बात की थी कि तुमसे कैसे मिल सकती हूं।
राज : हा तो कहिए ? क्या बात है ?

ठकुराइन : बेटा वो मै कैसे कहूँ,
राज : आंटी आप टेंशन मत लीजिए और मुझपर भरोसा करिए प्लीज , बताइए ..
ठकुराइन : बेटा वो तुम्हारा दोस्त है न , रामवीर का लकड़ा चंदू ?

चंदू का नाम सुनते ही राज का दिमाग सन्न हो गया , क्योंकि चंदू तो ठकुराइन की बेटी मालती का दीवाना था और काफी दिनों से वो ठाकुर साहब के यहां ही काम पर जाता था अपने बाप के साथ ।
राज का गला सूखने लगा : जी आंटी क्या बात चंदू के बारे में उसने कुछ किया क्या ?

ठकुराइन : बेटा तुम तो समझदार हो , उसको समझाओ ऐसे किसी के घर की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करते ..
राज को यकीन होने लगा जरूर चंदू की कोई कारस्तानी की भनक लगी है ठकुराइन को : मै समझा नहीं आंटी , वो तो गोदाम में काम करता है न फिर क्या दिक्कत हो गई ?

ठकुराइन : कभी कभी बेटा वो .. कभी कभी क्या इन दिनों लगभग रोज ही वो घर में आ जाता है और उसने मेरी बेटी मालती के साथ ...
ठकुराइन बोलते हुए चुप हो गई ।

राज और उलझ गया और मन में बड़बड़ाया : बहिनचोद ये साला चंदू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हरामी

राज : आंटी , उसकी गलती के लिए मै आपसे माफी मांगता हू। प्लीज इस बात को अंकल या उनके बाऊजी को मत कहिएगा । मै उसको बोल दूंगा वो सुधर जाएगा प्लीज

ठकुराइन कुछ देर चुप हुई और एकदम से उनके तेवर बदले : इसीलिए मै तुम्हारे पास आई हु राज , अगर मै ये बात कह दूं घर में मालती के पापा या फिर बाउजी से तो कही लाश भी नहीं मिलेगी उसकी । उसको समझाओ और दुबारा बिना कहे घर दिखा न तो खैर नहीं रहेगी उसकी ।

ठकुराइन का ऐसा बदला स्वरूप देख कर राज की फट गई और वो मन ही मन गाली दिए जा रहा था चंदू को ।
राज : आप बेफिक्र रहे आंटी जी , मै समझा दूंगा और प्लीज आप ये सब किसी ने मत कहिएगा मै रिक्वेस्ट कर रहा हु ।

ठकुराइन ने आगे कुछ देर तक अपनी बातों को घूमा फिरा कर रखती रही और फिर निकल गई ।
उनके जाते ही राज ने चंदू को फोन घुमाया

: भोसड़ी के जहां भी हो जल्दी से पापा वाली दुकान पर आ
: .......
: हा बर्तन वाले पर , जल्द आ

राज ने चंदू को हड़काया और फोन काट दिया । पानी का ग्लास गटागट खाली करता हुआ राज थोड़ा खुली हवा के लिए बाहर आया ।
मगर उसके जहन में एक सवाल खाए जा रही थी कि आखिर ठकुराइन ने ये बात सिर्फ मुझसे ही क्यों की । वो चाहती तो सीधा ही चंदू से कह देती या फिर उसे काम पर आने से मना कर सकती थी या फिर ऐसा कर देती कि वो घर के अंदर आए ही नहीं । जरूर कुछ बात है और राज गल्ले पर बैठा सोच रहा था कि इतने में चंदू आ गया ।

चंदू हांफता हुआ : क्या हुआ भाई , कुछ अर्जेंट है क्या ?
राज ने गुस्से से उसे घूरा , फिर अन्दर चलने का इशारा किया और दोनों केबिन में चले गए ।

शिला के घर

" चुप करो तुम , अगर एक मिनट और नहीं आती तो अबतक तो नंदोई जी मेरी साड़ी उतार चुके होते " , रज्जो शिला को डांटती हुई बोली ।

शिला खिलखिलाकर : अरे भाभी , आज नहीं तो कल साड़ी तो उठाएंगे ही वो आपकी हीही
रज्जो लजा कर : धत्त तुम भी न , सीधे चलो
शिला हस्ती हुई आगे बढ़ रही थी कि रज्जो की नजर सड़क से लग कर एक मकान पर गई जिसके बाहर एक खूबसूरत औरत साड़ी पहने हुए खड़ी थी ।


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उसके कजरारी आंखो में गजब का आकर्षण था , उसपे से उसकी पतली कमर और गुदाज गोरा पेट , देखते ही रज्जो तो मानो उसके कातिलाना हुस्न की कायल हो गई ।

रज्जो धीरे से उसकी ओर दिखा कर : हे दीदी ये कौन है , बड़ी कातिल चीज है उम्मम किसका माल है ये ? एकदम रसभरी है
शिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई

रज्जो : अरे बताओ न , क्या हुआ हस क्यों रही हो
शिला : क्यों दिल तो नहीं आ गया उसपे उम्मम

रज्जो मुस्करा कर : मेरा तो पता नहीं मगर जिस तरफ से वो तुम्हे निहार रही है पक्का वो तुम पर लट्टू है । कितना नशा है उसकी आंखों , शायद कल मैने इसको उधर बाग की ओर भी देखा था ।
शिला : हम्म्म हा वो उसका अड्डा है
रज्जो : अड्डा कैसा अड्डा ?
शिला : बताती हु अभी चलो यहां से
कुछ दूर आगे बढ़ते ही रज्जो : क्या हुआ बताओ न
शिला मुस्कुराई : अरे उधर उसके कस्टमर मिलते है उसको , गांव और कस्बा का कोई डायरेक्ट उसके घर में नहीं जाता
रज्जो उत्सुकता से : क्यों ?
शिला मुस्कुरा कर: अरे वो किन्नर है
रज्जो की आँखें फैली : हैं ? सच में .. इतना खूबसूरत
शिला : हा लेकिन उसका टेस्ट थोड़ा अलग है ?
रज्जो : मतलब ?
शिला : अरे उसको मोटी जैसी गदराई औरतें पसन्द है मगर यहां गांव का माहौल देख ही रही हो , इसीलिए उधर जाता है औरतों को निहारने ।

रज्जो : क्या सच में ? तुमको कैसे पता
शिला : अरे पिछले साल जब आया था तब उसने एक बार मेरा भी पीछा किया था , मगर उसको मना कर दिया
रज्जो : अह्ह्ह्ह मना क्यों किया , ले लेती न नए लंड का स्वाद हीही।

शिला हस्ती हुई : भक्क तुम भी न भाभी

फिर दोनों आगे बढ़ गए और गांव वाले घर के लिए।
घर में घुसते ही रज्जो ने बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर के पाव छूए : प्रणाम बाउजी
शिला के ससुर की नजर रज्जो के चुस्त ब्लाउज में चिपके हुए गदराये जोबनो पर गई और वो सिहर उठा ,


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रज्जो ने वही शिला वाली साड़ी ही पहनी थी , जिसमें उसके दूध बुरी तरह से ठुसे हुए थे । शिला के ससुर के बदन में सरसरी फैल गई और रज्जो ने चुपके से शिला को आंख मारी । तो शिला भी मुस्कुरा कर रज्जो की शरारत को समझते हुए अपने ससुर के पाव छूए और फिर खड़ी होकर अपनी कुर्ती को पीछे से उठा कर अपने कूल्हे पर चढ़ाया ।

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जिससे उसके ससुर की नजर लेगी के उभरी हुई उसके तरबूज जैसे चूतड़ों पर गई और वो थूक गटकने लगा ।

फिर दोनों फुसफुसाती हुई घर में चली गई , और अंदर देखा तो शिला की सास अभी नहाने की तैयारी भी थी । झूले हुए नंगे चूचे और नंगा पेट , कमर में अटकी हुई पेटीकोट ।

रज्जो : प्रणाम अम्मा , बड़ी देर से नहाने जा रही हो
शिला की सास : अरे क्या करु बहु वो मीरा कलमुंही टाइम से आती ही नहीं झाड़ू कटका के लिए इसलिए देर हो जाती है
शिला : ठीक है अम्मा आप नहा लो , हम लोग कपड़े लेने आए थे तो उधर से ही निकल जायेंगे
शिला की सास : अरे एक आध रोज के लिए बहु को यही छोड़ जा , आई है तो चार बात मुझसे भी कर लेगी ।
" आऊंगी अम्मा एक दो रोज में तो रुकूंगी ठीक है " , रज्जो ने दरवाजे पर खड़े शिला के ससुर की परछाई देख कर जवाब दिया ।

शिला : ठीक है अम्मा चलती हु प्रणाम
फिर वो निकल गए कपड़े लेने और कुछ देर बाद वो दोनों अपने घर के आगे से वापस टाउन की ओर जा रहे थे कि रज्जो की नजर घर गई , बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर गायब थे ।

रज्जो : हे दीदी बाउजी कहा गए
शिला : अरे भीतर गए होंगे चलो छोड़ो उनको
रज्जो हस कर : अरे अंदर तो अम्मा नहा रही थी न
शिला : हा तो ?
रज्जो के चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कुराहट फैलने लगी ।
शिला आंखे बड़ी कर रज्जो के इरादे भांपते हुए : नहीं मै नहीं जाऊंगी , चलो घर
रज्जो : धत्त चलो न , देखे तो हीही और दरवाजा भी खुला है

रज्जो शिला का हाथ पकड़ कर खींचने लगी और शिला ना नुकूर करती हुई उसके साथ चल दी

धीरे धीरे वो अंदर घर में गए और भीतर देखा तो आंगन खाली था , नल के पास पानी गिरा था और शिला के सास के गिले पैरो को छाप एक कमरे की ओर जाती दिख रही थी

रज्जो उसके फूट प्रिंट की ओर इशारा करते हुए उस कमरे का इशारा : हे उधर देखो हीही

शिला फुसफुसा कर : तुम न पागल हो पूरी
रज्जो खिलखिलाई और धीरे धीरे उस कमरे की ओर बढ़ गई
जैसे ही वो खिड़की के पास गए दोनों की आंखे फेल गई और मुंह पर हाथ रख कर एक दूसरे को भौचक्के निहारने लगे
सामने कमरे में शिला की सास पूरी नंगी होकर लेटी हुई थीं और उसका ससुर ऊपर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था । शिला की सास कराह रही थी


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शिला की सास : अह्ह्ह्ह्ह मन्नू के बाउजी ओह्ह्ह्ह कितनी जल्दी जल्दी आप गर्म हो जाते हो , फिर से बहु को देखा क्या ?
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखी और अंदर का नजारा देखने लगी
शिला का ससुर अपनी बीवी के फटे भोसड़े में लंड उतारता हुआ : हा मन्नू की अम्मा , बहु के साथ जो आई उसके जोबन देख कर मेरा बुरा हाल हो गया और बड़ी बहु के चौड़े कूल्हे अह्ह्ह्ह

शिला के ससुर की बातें सुनते ही रज्जो के भीतर से हंसी की दबी हुई किलकारी फूट गई और झट से वो खिड़की से हट गए
और कमरे से शिला के ससुर की कड़क आवाज आई : कौन है ?

शिला और रज्जो एकदम से हड़बड़ा उठी और झटपट घर से बाहर निकल गई
शिला रज्जो का हाथ पकड़ कर : इधर से नहीं , पीछे से चलो , बाउजी जान जायेंगे
रज्जो को भी आइडिया सही लगा तो वो घर के बगल की गली से तेजी से निकल गए ।
कुछ ही देर में शिला का ससुर लूंगी लपेटते हुए बाहर आया मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वापस चला गया ।
घर से दूर हो जाने के बाद दोनों के जान में जान आई और दोनों खिलखिला कर हस पड़े ।

शिला : तुम न बड़ी पागल हो , चुप नहीं रह सकती थी हीही
रज्जो : अरे मुझे हसी इस बात की आई कि हमारी वजह से बेचारी तेरी सास की सांस चढ़ने लगती है हाहाहाहाहा
शिला हस्ती हुई : हा लेकिन बाल बाल बचे आज ,
रज्जो : बच तो गए मगर वापस घर कैसे जायेंगे
शिला : अरे उधर बागीचे से भी एक रास्ता है पगडंडी वो आगे सड़क में जुड़ेगा चलो
और दोनों आगे बातें करते हुए बगीचे की ओर निकल गए ।

मुरारी - मंजू

11 बजने वाले थे और मुरारी खाली समय बिस्तर पर बिखरे हुए मंजू के कपड़े खोल खोल कर उसके हिसाब से जो ठीक ठाक नजर आ रहे थे उन्हें अलग कर रहा था बाकी सब एक झोले में ठूस रहा था ।
तभी उसके हाथ में एक जींस आई
लेबल देखा तो 38 साइज कमर वाली जींस थी , साफ था मंजू का ही होगा
मुरारी खुद से बड़बड़ाया : उफ्फ कितना चौड़ा चूतड़ होगा इसमें उसका उम्मम
मुरारी ने जींस की मियानी को मुंह पर रख कर सुंघा और फिर उसको फोल्ड कर दिया ।
तभी कपड़े के ढेर एक चटक नीला रंग का फीता नजर आया , मुरारी ने उसको खींचा तो देखा कि वो तो पतले स्ट्राप वाली ब्रा थी , जिसके cups पर खूबसूरत लैस वाली डिजाइन थी ।
उस मुलायम ब्रा को मुठ्ठी में भर कर उसने अपने सर उठाते लंड पर घिसा : अह्ह्ह्ह मंजू क्या चीज है रे तू उम्मम
तभी मुरारी के मोबाईल पर रिंग हुई ये मंजू का ही फोन था

फोन कर
मंजू : हैलो भाई साहब , मेरा ऑफिस का काम हो गया है , आप आ जाइए
मुरारी : ठीक है , लेकिन आना किधर है

फिर मंजू उसको एक मॉल का पता बताती है और मुरारी घर बन्द कर के ऑटो से निकल जाता है
कुछ ही देर में वो मंजू के पास होता
बड़ी सी 4 मंजिला इमारत और सैकड़ों की भीड़ , इतनी चकाचौंध मुरारी के लिए बड़ी बात नहीं थी । मगर वहा की मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में गदराई औरतें देख कर उसका ईमान और लंड दोनो डोल रहे थे और मंजू भी मुरारी के हाव भाव पर मुस्कुराती जब वो उसे टाइट जींस में फूली हुई चूतड़ों को निहारता पाती ।

मंजू : चले भइया


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मुरारी एक मोटी औरत के कुर्ती में झटके खाते चूतड़ को मूड कर निहारता हुआ : हा चलो , यहां तो सब ऐसे ही कपड़े पहनते है क्या ?
मंजू मुस्कुरा कर : जी भइया, बड़ा शहर है तो यहां बहुत कामन है
मुरारी आगे देखा तो एक फैमिली जिसमें 2 औरते और दो लड़के और बच्चे थे । उस फैमिली की सभी औरते टाइट जींस और टॉप में थी ।


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बड़े बड़े रसीले मम्में पूरे बाहर उभरे हुए । सनग्लास लगाए हुए आपस में बातें करते हुए आ रही थी ।

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मुरारी तो टॉप में उसके बड़े बड़े रसीले मम्में देखता ही रह गया ।
मंजू मुस्कुरा रही थी जैसा मुरारी हरकते कर रहा था और तभी मुरारी की नजर मंजू से मिली तो वो झेप कर मुस्कुराने लगा ।
दोनो अब थोड़ा हिचक रहे थे नजरे फेर कर बिना कुछ बोले अंदर एंट्री करते है और अंदर और भी चीजें मस्त थी , दुनिया भर की दुकानें और सबसे बढ़ कर नए उम्र के जोड़े , हाथ पकड़े एक दूसरे से चिपके हुए ।
मंजू : भैया ऊपर चलना पड़ेगा लेडीज सेक्शन ऊपर है
मुरारी : सीढ़ी किधर है ?
मंजू मुस्कुरा कर सामने एलिवेटर की ओर इशारा किया मुरारी की हालत खराब ।
अब होने वाली भयोह के आगे कैसे मना करे , मन मार कर हिम्मत जुटाया और दो तीन प्रयास किया मगर कलेजे से ज्यादा तो पाव कांप रहे थे ।
इतने में दो लड़कियां उसके बगल से निकल कर आगे चढ़ गई और उसी धक्के में मुरारी भी उनके पीछे खड़ा हो गया
मगर जैसे ही वो सीधा हुआ आंखे फट कर चार , सामने वाली जो अभी अभी उसके बगल से आगे निकली थी वो ठीक उसके मुंह के आगे


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क्रॉप टॉप और नीचे कसी जींस , मोटी मोटी मांसल गाड़ पूरा शेप लिए बाहर की ओर निकली हुई ।
मुरारी का गला सूखने लगा और जैसे ही उस लड़की ने मूड कर देखा वो नजरे फेरने लगा , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पजामे में ।
ऊपर पहुंचते ही वो लड़कियां तेजी से दूसरी ओर निकल गई और मुरारी उस लड़की के हिलकोर खाते चूतड़ देख कर अपनी बहु सोनल के बार में सोचने लगा

मंजू : भइया इधर से
मंजू के आवाज पर मुरारी उसके पीछे लेडीज सेक्शन की ओर चला गया ।

मंजू अपने पसंद के कंफर्टेबल कपड़े देखने लगी और मुरारी वहां की औरते
तभी उसकी नजर ट्रॉली लेकर घूमती एक औरत पर गई


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" सीईईई क्या चीज है भाई , इतना बड़ा और गोल " , मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया । उसके लंड में सुरसुरी होने लगी
जिस लेन में वो खड़ा था उसी लेन में दूसरी ओर एक मोटी गदराई महिला जो कि टीशर्ट और पैंट में थी , पेंट में उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों का शेप देख कर मुरारी जैसे खो ही गया ।
उसने बहुत से माल और शहर में घूमा था मगर यहां जैसा माहौल कही नहीं दिखा उसे ।

तभी उसे मंजू का ख्याल आया और उसने कुछ पल के लिए उस महिला के चूतड़ से नजरे हटा दी ।
वो मंजू के साथ ही इधर उधर रह कर देख रहा था , मंजू ने कुछ प्लाजो सेट और दो तीन काटन कुर्ती देखे , उसकी नजर जींस स्टॉक पर थी मगर वो मुरारी की वजह से हिचक रही थी ।

मुरारी : इसके साथ क्या लेना , जींस या फिर लेगिंग्स
मंजू मुस्कुराने लगी : मुझे समझ नहीं आ रहा है ,
मुरारी : तुम तो जींस भी पहनती हो न , तो लेलो । इस बात के लिए बेफिक्र रहो तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा ठीक है
मंजू मुस्कुरा कर : जी ठीक है

फिर मंजू वहां से दो तीन जींस लेकर ट्रायल रूम की ओर बढ़ गई ।

जींस के स्टॉक के पास खड़े खड़े मुरारी ने साइज देखने लगा और उसकी नजर 4XL size की जींस पर गई और उसके ख्यालों के ममता का नाम आया , मगर बात वही थी कि पता नहीं वो पहनेगी या नहीं ।
इतने में मुरारी का मोबाइल रिंग हुआ देखा तो अमन फोन कर रहा था

फोन पर
मुरारी : हा बेटा
अमन : पापा कहा हो , निकल गए क्या ?
मुरारी : नहीं बेटा , वो तेरी चाची को कपड़े लेने थे और कुछ काम भी था तो आज रुक गया कल निकलूंगा
अमन : अरे वाह फिर से मेरी तरफ से भी चाची के लिए ले लेना , वैसे कैसे कपड़े पहनती है चाची
मुरारी : उम्मम बेटा वो लगभग सभी पहनती है , अभी अभी जींस लेकर गई है ट्राई करने
अमन : अरे वाव , पापा मम्मी के लिए भी लेलो न जींस
मुरारी : बेटा मै भी सोच रहा था और ये भी सोच रहा था कि ( मुरारी एक किनारे गया जहा उसकी आवाज कोई और न सुने फिर वो धीमी आवाज में ) तेरी मां के लिए कुछ जोड़ी फैंसी ब्रा पैंटी भी ले लूं , यहां मॉल में सब मिल रहा है
अमन : हा पापा क्यों नहीं , लेलो न फिर
मुरारी : अरे लेकिन वो लेडीज सेक्शन है उधर मै कैसे जाऊंगा और दूर से देखा तो एक से एक बढ़िया फैंसी सेट थे वहा ।
अमन : अरे तो चाची को बोल दो न ?
मुरारी कुछ सोचता हुआ : उससे!!! ठीक है देखता हूं और बता तू ठीक है
अमन : मै तो एकदम मस्त हू अभी जस्ट उठा हु नहाकर आपको फोन किया है
मुरारी : अभी उठा है ?
अमन : हा पापा रात में वैसे भी यहां किसे नीद आती है हीहीही
मुरारी : सही बेटा मजे कर
अमन हंसता हुआ : पापा आप कबतक चाची के घर पहुंचेनंगे ।
मुरारी : अभी एक दो घंटे बाद
अमन : अच्छा, वो मैने आपके व्हाट्सअप पर कुछ भेजा है हीही, फ्री होना तो देख लेना पसंद आएगा आपको
अमन की बात सुनते ही मुरारी के तन बदन में सरसरी उमड़ी और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी : क्या , क्या भेजा है बता न
अमन मुस्कुरा कर : आप देख लेना , आपकी लाडली बहु की वीडियो है , ओके मै रखता हु बाय पापा

अमन ने फोन काट दिया और यहां मुरारी एकदम से तड़प उठा , उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे , उसने झट से मोबाईल खोला तो देखा अमन ने 4 5 वीडियो और फोटो भेजे थे । तस्वीरें देखते ही मुरारी ने झट से मोबाईल लॉक कर दिया ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाडे में चुनचुनाहट होने लगी , कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर पजामे के ऊपर से उनसे अपना सुपाड़ा मिज़ा। फिर वो चेंजिंग रूम की ओर देखा , मंजू को भी समय लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहा जाए , बाकी से चेंजिंग रूम भी इंगेज दिख रहे थे और ऐसे में उसको बाथरूम का ख्याल आया ।
वो लपक कर बाहर आया और बाथरूम खोजने लगा , इधर उधर भागने पर उसे टॉयलेट बोर्ड दिखा और लपक कर वो उधर निकल गया ।
तेजी से चलते हुए वो बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपनी सास को आराम देने लगा
उसके पैर थरथर कांप रहे थे पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी ।
गहरी सास लेते हुए उसने दुबारा से मोबाइल खोला तो मुरारी का मुंह भी खुला का खुला रह गया ।


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मैचिंग ब्रा पैंटी में दोनों बहनों में बड़े ही कामोत्तेजक लुक दिए थे

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उनके झूलते नंगे बूब्स और बाहर निकली हुई नंगी गाड़ देख कर मुरारी पजामे के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह बहु कितनी सेक्सी है उम्मम उफ्फ इसके गुलाबी निप्पल और ये लचीली गाड़ उम्मम जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
मुरारी टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपना लंड बाहर निकलने लगा
तभी अगली तस्वीर में दोनों बहने अमन का मोटा लंड पकड़े हुए हस रही थी और एक दूसरे को निहार रही थी ।

किसी में सोनल अमन का लंड चूस रही थी किसी में निशा , मुरारी अपना लंड पकड़ कर उसको भींचे जा रहा था और अगली चीज एक वीडियो थी
जैसे ही मुरारी ने उसे क्लिक किया वो वीडियो तेज आवाज में शुरू हो गई , ये वही शॉर्ट ब्लॉग थी जिसे सोनल ने शूट किया था
सोनल की तेज आवाज आते ही मुरारी ने झट से स्पीकर पर हाथ रखते हुए आवाज कम किया और वीडियो में जो देखा उसकी आंखे फटी की फटी रह गई


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और जब वीडियो में सोनल ने बोला " कोई है जो मुझे चोदना चाहेगा " मुरारी का लंड एकदम अकड़ गया , आड़ो में पंपिंग होने लगी
मुरारी अपनी बहु की कामोत्तेजना भरे हरकते देख कर पागल हो गया था , वो जोर से लंड भींचे जा रहा था और सोनल का नाम लेके बडबडा रहा था : अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बहु मै हु न अह्ह्ह्ह तुम्हारे पापाजी तुमको चोदेंगे बेटा आह्ह्ह्ह बहु उम्ममम अह्ह्ह्ह

मुरारी चरम पर था मगर ऐन मौके पर मंजू ने उसको फोन घुमाने लगी
मुरारी : ओह्ह्ह्ह यार , क्या करु
उधर मंजू लगातार मुरारी को काल किए जा रही थी , मुरारी लंड झाड़ना चाहता था मगर मंजू ने उसका फ्लो बिगाड़ दिया।
मन मारकर अपना लंड पजामे में डाल कर बाहर आ गया , अभी भी उसके लंड की अकड़न जस की तस थी , लपक कर वो मंजू की ओर गया ।

मंजू : कहा चले गए थे
मुरारी थोड़ा हिचक कर : वो मै थोड़ा फ्रेश होने ... हो गया तुम्हारा
मंजू : जी , आप भी कुछ ले लीजिए न
मुरारी : अह् मुझे मेरे मतलब का क्या मिलेगा
मंजू : अरे आप भी टीशर्ट जींस ले लीजिए न , मुझे उनके लिए भी लेनी है
मंजू लजाते हुए बोली
मुरारी समझ गया कि वो मदन के लिए भी खरीदारी करना चाहती है ।
मुरारी : ठीक है भई जिसमें तुम्हारी खुशी , अब मदन के लिए लोगी तो मेरे लिए भी एक ले लेना साइज तो एक ही हमारा

मंजू : अच्छा सुनिए , भाभी की साइज क्या होगी
मुरारी हंसकर : तो क्या उसके लिए जींस लोगी
मंजू बड़े ही कैजुअली होकर बोली : हा , अगर वो पहनती हो तो !
मुरारी हस कर : क्यों भाई सिर्फ मुझे ही ये सजा क्यों , अमन की मां भी परेशान हो तंग जींस पहन कर हाहाहाहाहा , उसको 4XL के कपड़े ही होते है ।
मंजू मुस्कुरा: जी ठीक है आइए पहले उनके लिए ही लेती हूं
फिर मंजू मुरारी के साथ ममता के लिए दो जींस , लांग कुर्ती और दो सूट लिए
मुरारी अभी भी हिचक रहा था कि कैसे आखिर वो ममता के लिए ब्रा पैंटी ले । बार बार उसकी नजर अंडरगार्मेंट एरिया में जा रही थी ।

मंजू : चले भइया , जेंस वाला फ्लोर ऊपर है
मुरारी थोड़ा अटक कर : हा चलो , वो जरा मै सोच रहा था । खैर छोड़ो चलो चलते है ।
मंजू : अरे क्या हुआ कहिए न , कुछ दूसरा पसंद आया क्या भाभी जी के लिए, वो देख लेती हु न

मुरारी : नहीं दरअसल , नहीं कुछ नहीं चलो छोड़ो , वो अपना ले लेगी जब शहर जाएगी ।
मंजू मुस्कुरा कर : अरे भैया बताइए न , क्या चाहिए भाभी के लिए
मुरारी थोड़ा नजरे फेर कर : दरअसल अमन की मां के नाप के अंडर गारमेंट नहीं मिलते चमनपुरा में , मुझे लगा यहां उसके नाप के कपड़े है तो शायद वो सब भी मिल जाए ।

मंजू मुस्कुरा रही थी थोड़ी खुद भी लजा रही थी ।
मुरारी : तुमने लिए क्या अपने लिए ?
मंजू ने शॉक्ड होकर मुस्कुराते होठों से आंखे बड़ी कर मुरारी को देखा ।
मुरारी बड़बड़ाता हुआ : सॉरी ये मै क्या पूछ रहा हूं , प्लीज चलो अब

मंजू ने एक गहरी सास ली और आगे बढ़ते मुरारी का हाथ पकड़ लिया और इशारे से उधर चलने को कहा बिना बोले ।

मंजू का स्पर्श पाकर मुरारी एकदम से चौक गया और मंजू जबरन उसे अंडर गारमेंट वाले काउंटर की ओर ले गई ।

वहा पर कई लड़कीया स्टॉफ में थी और दूसरे भी नवयुवा कपल वहां साथ में खरीदारी कर रहे थे ।

स्टाफ : जी मैम क्या दिखाऊं
मंजू ने बिना कुछ बोले मुरारी की ओर देखा
मुरारी हिचक कर : जी वो बढ़िया फैंसी सेट में अंडर गारमेंट चाहिए
स्टाफ : जी मैम आपका साइज क्या रहेगा
जैसे ही स्टाफ ने मंजू से उसका साइज पूछा दोनों मुंह फेर हसने लगे ।
मंजू ने आंखो से मुरारी को इशारा किया कि वो स्टाफ की बातों का जवाब दे ।
मुरारी थोड़ा असहज होकर : जी वो 44DD की ब्रा और 48 की पैंटी दिखाइए
ममता का साइज सुनकर मंजू और वो स्टाफ दोनों ताज्जुब हुए । मंजू कुछ देर तक मुस्कुराती रही जबतक कि वो स्टाफ कुछ बॉक्स ब्रा और पैंटी के निकाल कर नहीं लाई ।
स्टाफ : सर आपके साइज बड़े एक्सक्लूसिव है तो हमारे पास लिमिटेड ब्रा पैंटी है , इन्हें देखे आप

वो स्टाफ कुछ ब्रा पैंटी खोलकर काउंटर पर बिखेरने लगी और मंजू थोड़ा नजरे चुराने लगी ।
मुरारी उनमें से एक ब्रा जिसके cups विजिबल दिख रहे थे उसे चूना तो मंजू ने मुंह फेर कर मुस्कुराने लगी और मुरारी ने उसे छोड़ दिया और एक फूली कवर ब्रा देखने लगा ।

लेकिन उस ब्रा के साथ जो मैचिंग रंग की पैंटी थी वो एक पतली थांग जैसी थी । मुरारी को समझ नहीं आ रहा था । पसंद तो उसे दोनों आ रहे थे ।

स्टाफ : क्या हुआ सर कोई पसंद आए इसमें से
मुरारी : अह मुझे तो समझ नहीं आ रहा है
मंजू ने मूड कर मुरारी को देखा और उसके करीब होकर बोली : भाभी को कैसे पसंद है
मुरारी मुस्कुराने लगा और धीरे से उसकी ओर झुक कर कान में बोला : वहा उसके नाप की मिलती नहीं तो वो नीचे कभी कभार ही पहनती है ।

मंजू को अजीब लगा मगर वो मुस्कुराने लगी
मुरारी : तुम्हे कौन सा सही लग रहा है , दो सेट फाइनल कर दो
मंजू ने आंखे उठा कर मुरारी को देखा तो मुरारी मिन्नते करता हुआ नजर आया ।
मंजू ने मजबूरी में एक लेस वाली फैंसी और दूसरी सिंपल फूली कवर ब्रा उस थांग पैंटी के साथ फाइनल कर दी

वो स्टाफ दोनों को अजीब नजरो से देख रही थी वहां फिर जेंस वाले फ्लोर पर उन्होंने शॉपिंग की और फिर बिलिंग के लिए निकल गए ।


बिलिंग काउंटर जब मुरारी बिलिंग कराने लगा तो उसकी ट्रॉली में दो जोड़ी और ब्रा पैंटी निकल आई
मुरारी : एक मिनट भाई साहब , अंडरगार्मेंट के दो ही सेट होंगे , लगता है गलती से आ गया होगा

मंजू जो उसके बगल में खड़ी थी वो परेशान हो उठी इससे पहले वो बिलिंग स्टाफ उसके प्रोडक्ट को कैनसिल करता वो बोल पड़ी : अरे वो मैंने रखे है ?
मुरारी ने जैसे ही मंजू की आवाज सुनी उसको अपनी गलती समझ आई और बिलिंग स्टाफ वापस से सारी बिलिंग करने लगा ।

फिर मुरारी ने सारे पेमेंट किए ।
वहा से निकल कर दोनों ऑटो से मंजू के घर के लिए निकल गए ।
रास्ते भर मंजू के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही

मुरारी समझ रहा था आज मंजू की नजर में उसकी खूब किरकिरी हुई है
मुरारी : अब बस भी करो भई , मुझे क्या पता था कि वो तुमने लिए थे पहले ही ।
मंजू हंसने लगी : सॉरी
मुरारी भी मुस्कुराने लगा


वही इनसब से अलग रंगीलाल खड़ी दुपहरी में अपने ससुराल पहुंच गया था ।
बरामदे में बनवारी के कमरे के बाहर लगी कुर्सी पर बैठे हुए घर का जायजा ले रहा था और तभी सामने से उसकी खूबसूरत गदराई हुई सलहज सुनीता साड़ी का पल्लू पूरे बरामदे में लहराते हुए हाथों में जलपान का ट्रे लिए आई और जैसे ही उसने रंगीलाल के आगे टेबल पर ट्रे रखा


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बिना पिन की साड़ी का आंचल उसके सीने से सरक कर कलाई में आ गया और कसे चुस्त ब्लाउज में भरे हुए मोटे मोटे मम्मे झूलते हुए रंगीलाल को ललचाने लगे ।



जारी रहेगी ।
कहानी पर पाठकों की प्रतिक्रिया , व्यूज के हिसाब से बहुत कम मिल रही है ।
कहानी पर लेट अपडेट का कारण आप सभी कम प्रतिक्रियाए ही है ।
कृपया पढ़ कर समुचित रिप्लाई जरूर किया करे ।
धन्यवाद
Shaandar jabardast super hot Mast Lajwab Kamuk Update 🔥🔥🔥🔥🔥
 

Coolboiy

New Member
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Masaledar update...
💥 अध्याय 02 💥

UPDATE 003


पिछले 3 हफ्ते थे अनुज घर और शादी के ऐसा उलझा था कि उसे न पढ़ाई के लिए समय मिला और न ही आने वाली परीक्षा की तैयारियों का
आने वाले महीनों उसके प्रैक्टिकल शुरू हो रहे थे और उसके प्रोजेक्ट अधूरे क्या शुरू ही नहीं हो पाए थे ।चिंता भरे मन से अनुज उलझा हुआ कालेज के लिए जा रहा था । उसका कालेज भी वही था जहां से पहले उसके भैया राज ने दसवीं और इंटर पास किया था ।
राज के अच्छे व्यवहार और पढ़ाई में अच्छा होने की वजह से उसके कालेज के टीचर अनुज से अकसर उसके बारे में हाल चाल ले लिया करते यहां तक कि अनुज की पहचान भी अभी तक राज के छोटे भाई के तौर पर ही थी । क्योंकि ना ही अनुज पढ़ाई के उतना अव्वल था और न ही खेल कुद जैसी प्रतियोगीताओ में कोई रुचि रखता था , हालांकि चढ़ती उम्र में वासना ने उसे लालची जरूर बना दिया था ।
कालेज को जाती सड़क पर चल रहा था , आमतौर पर ये सड़के बच्चों से व्यस्त होती थी मगर आज पापा की वजह से उसे थोड़ा लेट हो गया क्योंकि अनुज का तो आज जरा भी मन नहीं था ।
09.30 बजने को हो रहे थे और कालेज कुछ दूर ही था कि उसकी नजर आगे पुलिया पर गई , जहां दो लड़कियां एक दूसरे की तस्वीरें निकाल रही थी ।


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उनमें से कालेज ड्रेस में एक लड़की का गोरा दुधिया चेहरा दूर से चमकता दिखा और अनुज समझ गया कौन थे वो दोनों ।

: अरे वो देख , तेरा हीरो आ रहा है हीही ( दूसरी लड़की ने पहली लड़की को छेड़ा )
: धत्त कमिनी, चुप कर वो आ रहा है ( उसने अपने सूट को कमर के पीछे से खींच कर अपने गोल मटोल चूतड़ों पर चुस्त किया और विजिबल चुन्नी से अपना क्लीवेज ढकती हुई बड़ी सहूलियत से खड़ी होकर अपने जुल्फे कान में खोसने लगी )

" हाय अनुज , बड़े दिन बाद " , उस पहली लड़की ने अनुज को टोकते हुए कहा ।
अनुज : ओह हाय कृतिका , हा वो मै दीदी की शादी में उलझा था । बताया तो था उस दिन दुकान पर ?

अनुज के जवाब पर वो दूसरी लड़की ने आंखे महीन कर कृतिका को घूरा तो कृतिका नजरे चुराती हुई मुस्कुरा दी : अच्छा हा , और कैसे हो ?

अनुज : अच्छा हु और तुम दोनों ?
" अच्छा तो तुम्हे दिख गई मै , ठीक हूं मै भी " , कृतिका के साथ वाली लड़की बोली जिसके नारियल जैसे चूचे सूट को सीने पर पूरा ताने हुए थे जिससे उसका दुपट्टा ज्यादा ही उठा नजर आ रहा था ।
अनुज थोड़ा झेप कर मुस्कुराता हुआ : अरे पूजा वो तो मै , अच्छा सॉरी बाबा
कृतिका पूजा से : क्या तू भी परेशान कर रही है , चलो अनुज
अनुज : हम्म्म चलो

अनुज थोड़ा आगे हुआ कि उसके कानो में पूजा की भुनभुनाहट आई : हरामीन तूने बताया नहीं न मिलने गई थी उम्मम ।
इसके बाद कृतिका की हल्की सी सिसकने की आवाज आई : सीईईई मम्मीई, कुत्ती....

कृतिका और दो चार गालियां पूजा को देती मगर उसकी नजर आगे अनुज से टकराई और वो थोड़ा शर्मा कर अपने कमर के पिछले हिस्से को सहलाते हुए मुस्कुराने लगी ।
" तुम्हारे प्रोजेक्ट्स कहा तक पहुंचे अनुज " , कृतिका ने सवाल किया ।
आगे वो बातें करते हुए निकल गए कालेज की ओर ।


वहीं दुकान पर आज राज का पहले दिन ही बड़ी मगजमारी झेलने पड़ी ।
बबलू काका की मदद से चीजे आसान थी मगर बाप की पहचान और रुतबे के आगे राज फीकी चाय से भी फीका था ।
11 बजने को हो रहे थे और राज केबिन में बैठा हिसाब बना रहा था ।
एक्जाम तो उसके भी आने वाले थे मगर अभी उसके पास डेढ़ माह का समय अतिरिक्त था अनुज से ।

बबलू काका : छोटे सेठ , बड़े घर से ठकुराइन आई है !
राज थोड़ा अचरज से : ठकुराइन कौन ?
बबलू काका थोड़ा हिचक कर : छोटे सेठ वो सेठ जी के दोस्त ठाकुर साहब है न उनकी मैडम ।
राज खुश होकर : अच्छा आंटी जी आई है , अरे तो भेजिए न उनको !
बबलू काका : जी छोटे सेठ
राज : और सुनिए कुछ देर में नाश्ता भेजवा दीजियेगा ओके
बबलू : ठीक है छोटे सेठ

कुछ ही देर में राज के सामने संजीव ठाकुर की बीवी खड़ी थी । ऊपर से नीचे तक खुद को बड़ी ही अदब और सादगी से ऐसे ढकी हुई थी कि उनका गदराया जिस्म की रत्ती भर झलक नहीं मिल पा रही थी सिवाय चेहरे के ।


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पूरी बाजू की ब्लाउज जो क्लिवेज के साथ साथ पीठ गर्दन सब कवर किए हुए थी । सिम्पल हल्की साड़ी जिससे उन्होंने अपना पेट और कमर पूरी तरह से ढक रखा था और कूल्हे पर ऐसी चुस्त की गाड़ का उभार उठा हुआ नजर आ रहा था ।

ठुकराईन : कैसे हो बेटा ?
राज की नजर उसके चेहरे पर गई , गजब का आकर्षन था उनकी आंखों में और मुस्कुराहट से फैले हुए मोटे मोटे होठो के चटक लिपस्टिक और भी ललचा रहे थे ।
राज : जी ठीक हूं आंटी जी , नमस्ते आइए न
राज खड़ा होकर उनका अभिवादन किया और ठकुराइन राज के पास सोफे पर बैठ गई ।
ठकुराइन : बेटा पापा नहीं है ?
राज मुस्कुरा कर : जी वो नानू के यहां गए है हफ्ते दस दिन में आ जायेंगे ।
ठकुराइन हस्ती हुई : हाहा ससुराल गए है घूमने भाईसाहब
राज मुस्कुराकर : जी ,
ठकुराइन : और तुम्हारी पढ़ाई कैसी चल रही है , या फिर तुम भी पढ़ाई छोड़ कर पहले शादी ही करने वाले हो सोनल के जैसे
राज मुस्कुरा कर : अरे नहीं आंटी , अभी मेरी उम्र नहीं है और दीदी भी अभी अपनी पढ़ाई जारी ही रखेगी ।
ठकुराइन : तो क्या सोनल अपने पति के साथ नहीं जाएगी ?
राज उलझे हुए स्वर में : अभी कुछ कह नहीं सकते आंटी जी , मार्च बाद से हम लोगों के भी एग्जाम शुरू हो जायेंगे तो मुझे नहीं लग रहा है कि वो जा पाएंगी ।
ठकुराइन : बस ससुराल वाले राजी हो जाए उसे पढ़ाने के लिए
राज : मुझे नहीं लगता कोई कुछ कहेगा , अच्छे लोग है सब
ठकुराइन इधर उधर की बातों को खींच रही थी और राज को अब बेचैनी हो रही थी । कुछ देर बाद तो ठकुराइन के पास कहने को कुछ बचा ही नहीं । अब राज को शक होने लगा कि शायद वो किसी काम से आई थी और उससे कहने में हिचक रही है ।

राज : आंटी आप कुछ काम से आई थी ?
ठकुराइन : हा बेटा वो ...
बबलू काका : छोटे सेठ ये नाश्ता
ठकुराइन कुछ कहती कि बबलू काका आ गए और वो चुप हो गई थी । वो नाश्ता रख कर निकल गए ।

राज : हा आंटी जी कहिए , देखिए पापा नहीं है मगर कुछ भी मेरे लायक होगा मै कर दूंगा आप बेहिचक कहिए ।
ठुकराई थोड़ा सोच कर : बेटा मै तुम्हारे पापा से नहीं तुमसे ही बात करने आई थी ।
राज अचरज से : मुझसे ?
ठकुराईन : मैने कल दुपहर ही तुम्हारे पापा से बात की थी कि तुमसे कैसे मिल सकती हूं।
राज : हा तो कहिए ? क्या बात है ?

ठकुराइन : बेटा वो मै कैसे कहूँ,
राज : आंटी आप टेंशन मत लीजिए और मुझपर भरोसा करिए प्लीज , बताइए ..
ठकुराइन : बेटा वो तुम्हारा दोस्त है न , रामवीर का लकड़ा चंदू ?

चंदू का नाम सुनते ही राज का दिमाग सन्न हो गया , क्योंकि चंदू तो ठकुराइन की बेटी मालती का दीवाना था और काफी दिनों से वो ठाकुर साहब के यहां ही काम पर जाता था अपने बाप के साथ ।
राज का गला सूखने लगा : जी आंटी क्या बात चंदू के बारे में उसने कुछ किया क्या ?

ठकुराइन : बेटा तुम तो समझदार हो , उसको समझाओ ऐसे किसी के घर की इज्जत से खिलवाड़ नहीं करते ..
राज को यकीन होने लगा जरूर चंदू की कोई कारस्तानी की भनक लगी है ठकुराइन को : मै समझा नहीं आंटी , वो तो गोदाम में काम करता है न फिर क्या दिक्कत हो गई ?

ठकुराइन : कभी कभी बेटा वो .. कभी कभी क्या इन दिनों लगभग रोज ही वो घर में आ जाता है और उसने मेरी बेटी मालती के साथ ...
ठकुराइन बोलते हुए चुप हो गई ।

राज और उलझ गया और मन में बड़बड़ाया : बहिनचोद ये साला चंदू खुद भी मरेगा और मुझे भी मरवाएगा हरामी

राज : आंटी , उसकी गलती के लिए मै आपसे माफी मांगता हू। प्लीज इस बात को अंकल या उनके बाऊजी को मत कहिएगा । मै उसको बोल दूंगा वो सुधर जाएगा प्लीज

ठकुराइन कुछ देर चुप हुई और एकदम से उनके तेवर बदले : इसीलिए मै तुम्हारे पास आई हु राज , अगर मै ये बात कह दूं घर में मालती के पापा या फिर बाउजी से तो कही लाश भी नहीं मिलेगी उसकी । उसको समझाओ और दुबारा बिना कहे घर दिखा न तो खैर नहीं रहेगी उसकी ।

ठकुराइन का ऐसा बदला स्वरूप देख कर राज की फट गई और वो मन ही मन गाली दिए जा रहा था चंदू को ।
राज : आप बेफिक्र रहे आंटी जी , मै समझा दूंगा और प्लीज आप ये सब किसी ने मत कहिएगा मै रिक्वेस्ट कर रहा हु ।

ठकुराइन ने आगे कुछ देर तक अपनी बातों को घूमा फिरा कर रखती रही और फिर निकल गई ।
उनके जाते ही राज ने चंदू को फोन घुमाया

: भोसड़ी के जहां भी हो जल्दी से पापा वाली दुकान पर आ
: .......
: हा बर्तन वाले पर , जल्द आ

राज ने चंदू को हड़काया और फोन काट दिया । पानी का ग्लास गटागट खाली करता हुआ राज थोड़ा खुली हवा के लिए बाहर आया ।
मगर उसके जहन में एक सवाल खाए जा रही थी कि आखिर ठकुराइन ने ये बात सिर्फ मुझसे ही क्यों की । वो चाहती तो सीधा ही चंदू से कह देती या फिर उसे काम पर आने से मना कर सकती थी या फिर ऐसा कर देती कि वो घर के अंदर आए ही नहीं । जरूर कुछ बात है और राज गल्ले पर बैठा सोच रहा था कि इतने में चंदू आ गया ।

चंदू हांफता हुआ : क्या हुआ भाई , कुछ अर्जेंट है क्या ?
राज ने गुस्से से उसे घूरा , फिर अन्दर चलने का इशारा किया और दोनों केबिन में चले गए ।

शिला के घर

" चुप करो तुम , अगर एक मिनट और नहीं आती तो अबतक तो नंदोई जी मेरी साड़ी उतार चुके होते " , रज्जो शिला को डांटती हुई बोली ।

शिला खिलखिलाकर : अरे भाभी , आज नहीं तो कल साड़ी तो उठाएंगे ही वो आपकी हीही
रज्जो लजा कर : धत्त तुम भी न , सीधे चलो
शिला हस्ती हुई आगे बढ़ रही थी कि रज्जो की नजर सड़क से लग कर एक मकान पर गई जिसके बाहर एक खूबसूरत औरत साड़ी पहने हुए खड़ी थी ।


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उसके कजरारी आंखो में गजब का आकर्षण था , उसपे से उसकी पतली कमर और गुदाज गोरा पेट , देखते ही रज्जो तो मानो उसके कातिलाना हुस्न की कायल हो गई ।

रज्जो धीरे से उसकी ओर दिखा कर : हे दीदी ये कौन है , बड़ी कातिल चीज है उम्मम किसका माल है ये ? एकदम रसभरी है
शिला मुस्कुरा कर आगे बढ़ गई

रज्जो : अरे बताओ न , क्या हुआ हस क्यों रही हो
शिला : क्यों दिल तो नहीं आ गया उसपे उम्मम

रज्जो मुस्करा कर : मेरा तो पता नहीं मगर जिस तरफ से वो तुम्हे निहार रही है पक्का वो तुम पर लट्टू है । कितना नशा है उसकी आंखों , शायद कल मैने इसको उधर बाग की ओर भी देखा था ।
शिला : हम्म्म हा वो उसका अड्डा है
रज्जो : अड्डा कैसा अड्डा ?
शिला : बताती हु अभी चलो यहां से
कुछ दूर आगे बढ़ते ही रज्जो : क्या हुआ बताओ न
शिला मुस्कुराई : अरे उधर उसके कस्टमर मिलते है उसको , गांव और कस्बा का कोई डायरेक्ट उसके घर में नहीं जाता
रज्जो उत्सुकता से : क्यों ?
शिला मुस्कुरा कर: अरे वो किन्नर है
रज्जो की आँखें फैली : हैं ? सच में .. इतना खूबसूरत
शिला : हा लेकिन उसका टेस्ट थोड़ा अलग है ?
रज्जो : मतलब ?
शिला : अरे उसको मोटी जैसी गदराई औरतें पसन्द है मगर यहां गांव का माहौल देख ही रही हो , इसीलिए उधर जाता है औरतों को निहारने ।

रज्जो : क्या सच में ? तुमको कैसे पता
शिला : अरे पिछले साल जब आया था तब उसने एक बार मेरा भी पीछा किया था , मगर उसको मना कर दिया
रज्जो : अह्ह्ह्ह मना क्यों किया , ले लेती न नए लंड का स्वाद हीही।

शिला हस्ती हुई : भक्क तुम भी न भाभी

फिर दोनों आगे बढ़ गए और गांव वाले घर के लिए।
घर में घुसते ही रज्जो ने बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर के पाव छूए : प्रणाम बाउजी
शिला के ससुर की नजर रज्जो के चुस्त ब्लाउज में चिपके हुए गदराये जोबनो पर गई और वो सिहर उठा ,


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रज्जो ने वही शिला वाली साड़ी ही पहनी थी , जिसमें उसके दूध बुरी तरह से ठुसे हुए थे । शिला के ससुर के बदन में सरसरी फैल गई और रज्जो ने चुपके से शिला को आंख मारी । तो शिला भी मुस्कुरा कर रज्जो की शरारत को समझते हुए अपने ससुर के पाव छूए और फिर खड़ी होकर अपनी कुर्ती को पीछे से उठा कर अपने कूल्हे पर चढ़ाया ।

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जिससे उसके ससुर की नजर लेगी के उभरी हुई उसके तरबूज जैसे चूतड़ों पर गई और वो थूक गटकने लगा ।

फिर दोनों फुसफुसाती हुई घर में चली गई , और अंदर देखा तो शिला की सास अभी नहाने की तैयारी भी थी । झूले हुए नंगे चूचे और नंगा पेट , कमर में अटकी हुई पेटीकोट ।

रज्जो : प्रणाम अम्मा , बड़ी देर से नहाने जा रही हो
शिला की सास : अरे क्या करु बहु वो मीरा कलमुंही टाइम से आती ही नहीं झाड़ू कटका के लिए इसलिए देर हो जाती है
शिला : ठीक है अम्मा आप नहा लो , हम लोग कपड़े लेने आए थे तो उधर से ही निकल जायेंगे
शिला की सास : अरे एक आध रोज के लिए बहु को यही छोड़ जा , आई है तो चार बात मुझसे भी कर लेगी ।
" आऊंगी अम्मा एक दो रोज में तो रुकूंगी ठीक है " , रज्जो ने दरवाजे पर खड़े शिला के ससुर की परछाई देख कर जवाब दिया ।

शिला : ठीक है अम्मा चलती हु प्रणाम
फिर वो निकल गए कपड़े लेने और कुछ देर बाद वो दोनों अपने घर के आगे से वापस टाउन की ओर जा रहे थे कि रज्जो की नजर घर गई , बरामदे में बैठे हुए शिला के ससुर गायब थे ।

रज्जो : हे दीदी बाउजी कहा गए
शिला : अरे भीतर गए होंगे चलो छोड़ो उनको
रज्जो हस कर : अरे अंदर तो अम्मा नहा रही थी न
शिला : हा तो ?
रज्जो के चेहरे पर फिर से शरारत भरी मुस्कुराहट फैलने लगी ।
शिला आंखे बड़ी कर रज्जो के इरादे भांपते हुए : नहीं मै नहीं जाऊंगी , चलो घर
रज्जो : धत्त चलो न , देखे तो हीही और दरवाजा भी खुला है

रज्जो शिला का हाथ पकड़ कर खींचने लगी और शिला ना नुकूर करती हुई उसके साथ चल दी

धीरे धीरे वो अंदर घर में गए और भीतर देखा तो आंगन खाली था , नल के पास पानी गिरा था और शिला के सास के गिले पैरो को छाप एक कमरे की ओर जाती दिख रही थी

रज्जो उसके फूट प्रिंट की ओर इशारा करते हुए उस कमरे का इशारा : हे उधर देखो हीही

शिला फुसफुसा कर : तुम न पागल हो पूरी
रज्जो खिलखिलाई और धीरे धीरे उस कमरे की ओर बढ़ गई
जैसे ही वो खिड़की के पास गए दोनों की आंखे फेल गई और मुंह पर हाथ रख कर एक दूसरे को भौचक्के निहारने लगे
सामने कमरे में शिला की सास पूरी नंगी होकर लेटी हुई थीं और उसका ससुर ऊपर चढ़ कर हचक हचक कर पेले जा रहा था । शिला की सास कराह रही थी


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शिला की सास : अह्ह्ह्ह्ह मन्नू के बाउजी ओह्ह्ह्ह कितनी जल्दी जल्दी आप गर्म हो जाते हो , फिर से बहु को देखा क्या ?
शिला मुस्कुरा कर रज्जो को देखी और अंदर का नजारा देखने लगी
शिला का ससुर अपनी बीवी के फटे भोसड़े में लंड उतारता हुआ : हा मन्नू की अम्मा , बहु के साथ जो आई उसके जोबन देख कर मेरा बुरा हाल हो गया और बड़ी बहु के चौड़े कूल्हे अह्ह्ह्ह

शिला के ससुर की बातें सुनते ही रज्जो के भीतर से हंसी की दबी हुई किलकारी फूट गई और झट से वो खिड़की से हट गए
और कमरे से शिला के ससुर की कड़क आवाज आई : कौन है ?

शिला और रज्जो एकदम से हड़बड़ा उठी और झटपट घर से बाहर निकल गई
शिला रज्जो का हाथ पकड़ कर : इधर से नहीं , पीछे से चलो , बाउजी जान जायेंगे
रज्जो को भी आइडिया सही लगा तो वो घर के बगल की गली से तेजी से निकल गए ।
कुछ ही देर में शिला का ससुर लूंगी लपेटते हुए बाहर आया मगर उसे कोई नहीं दिखा तो वापस चला गया ।
घर से दूर हो जाने के बाद दोनों के जान में जान आई और दोनों खिलखिला कर हस पड़े ।

शिला : तुम न बड़ी पागल हो , चुप नहीं रह सकती थी हीही
रज्जो : अरे मुझे हसी इस बात की आई कि हमारी वजह से बेचारी तेरी सास की सांस चढ़ने लगती है हाहाहाहाहा
शिला हस्ती हुई : हा लेकिन बाल बाल बचे आज ,
रज्जो : बच तो गए मगर वापस घर कैसे जायेंगे
शिला : अरे उधर बागीचे से भी एक रास्ता है पगडंडी वो आगे सड़क में जुड़ेगा चलो
और दोनों आगे बातें करते हुए बगीचे की ओर निकल गए ।

मुरारी - मंजू

11 बजने वाले थे और मुरारी खाली समय बिस्तर पर बिखरे हुए मंजू के कपड़े खोल खोल कर उसके हिसाब से जो ठीक ठाक नजर आ रहे थे उन्हें अलग कर रहा था बाकी सब एक झोले में ठूस रहा था ।
तभी उसके हाथ में एक जींस आई
लेबल देखा तो 38 साइज कमर वाली जींस थी , साफ था मंजू का ही होगा
मुरारी खुद से बड़बड़ाया : उफ्फ कितना चौड़ा चूतड़ होगा इसमें उसका उम्मम
मुरारी ने जींस की मियानी को मुंह पर रख कर सुंघा और फिर उसको फोल्ड कर दिया ।
तभी कपड़े के ढेर एक चटक नीला रंग का फीता नजर आया , मुरारी ने उसको खींचा तो देखा कि वो तो पतले स्ट्राप वाली ब्रा थी , जिसके cups पर खूबसूरत लैस वाली डिजाइन थी ।
उस मुलायम ब्रा को मुठ्ठी में भर कर उसने अपने सर उठाते लंड पर घिसा : अह्ह्ह्ह मंजू क्या चीज है रे तू उम्मम
तभी मुरारी के मोबाईल पर रिंग हुई ये मंजू का ही फोन था

फोन कर
मंजू : हैलो भाई साहब , मेरा ऑफिस का काम हो गया है , आप आ जाइए
मुरारी : ठीक है , लेकिन आना किधर है

फिर मंजू उसको एक मॉल का पता बताती है और मुरारी घर बन्द कर के ऑटो से निकल जाता है
कुछ ही देर में वो मंजू के पास होता
बड़ी सी 4 मंजिला इमारत और सैकड़ों की भीड़ , इतनी चकाचौंध मुरारी के लिए बड़ी बात नहीं थी । मगर वहा की मॉर्डन सेक्सी कपड़ों में गदराई औरतें देख कर उसका ईमान और लंड दोनो डोल रहे थे और मंजू भी मुरारी के हाव भाव पर मुस्कुराती जब वो उसे टाइट जींस में फूली हुई चूतड़ों को निहारता पाती ।

मंजू : चले भइया


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मुरारी एक मोटी औरत के कुर्ती में झटके खाते चूतड़ को मूड कर निहारता हुआ : हा चलो , यहां तो सब ऐसे ही कपड़े पहनते है क्या ?
मंजू मुस्कुरा कर : जी भइया, बड़ा शहर है तो यहां बहुत कामन है
मुरारी आगे देखा तो एक फैमिली जिसमें 2 औरते और दो लड़के और बच्चे थे । उस फैमिली की सभी औरते टाइट जींस और टॉप में थी ।


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बड़े बड़े रसीले मम्में पूरे बाहर उभरे हुए । सनग्लास लगाए हुए आपस में बातें करते हुए आ रही थी ।

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मुरारी तो टॉप में उसके बड़े बड़े रसीले मम्में देखता ही रह गया ।
मंजू मुस्कुरा रही थी जैसा मुरारी हरकते कर रहा था और तभी मुरारी की नजर मंजू से मिली तो वो झेप कर मुस्कुराने लगा ।
दोनो अब थोड़ा हिचक रहे थे नजरे फेर कर बिना कुछ बोले अंदर एंट्री करते है और अंदर और भी चीजें मस्त थी , दुनिया भर की दुकानें और सबसे बढ़ कर नए उम्र के जोड़े , हाथ पकड़े एक दूसरे से चिपके हुए ।
मंजू : भैया ऊपर चलना पड़ेगा लेडीज सेक्शन ऊपर है
मुरारी : सीढ़ी किधर है ?
मंजू मुस्कुरा कर सामने एलिवेटर की ओर इशारा किया मुरारी की हालत खराब ।
अब होने वाली भयोह के आगे कैसे मना करे , मन मार कर हिम्मत जुटाया और दो तीन प्रयास किया मगर कलेजे से ज्यादा तो पाव कांप रहे थे ।
इतने में दो लड़कियां उसके बगल से निकल कर आगे चढ़ गई और उसी धक्के में मुरारी भी उनके पीछे खड़ा हो गया
मगर जैसे ही वो सीधा हुआ आंखे फट कर चार , सामने वाली जो अभी अभी उसके बगल से आगे निकली थी वो ठीक उसके मुंह के आगे


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क्रॉप टॉप और नीचे कसी जींस , मोटी मोटी मांसल गाड़ पूरा शेप लिए बाहर की ओर निकली हुई ।
मुरारी का गला सूखने लगा और जैसे ही उस लड़की ने मूड कर देखा वो नजरे फेरने लगा , लंड एकदम फड़फड़ाने लगा पजामे में ।
ऊपर पहुंचते ही वो लड़कियां तेजी से दूसरी ओर निकल गई और मुरारी उस लड़की के हिलकोर खाते चूतड़ देख कर अपनी बहु सोनल के बार में सोचने लगा

मंजू : भइया इधर से
मंजू के आवाज पर मुरारी उसके पीछे लेडीज सेक्शन की ओर चला गया ।

मंजू अपने पसंद के कंफर्टेबल कपड़े देखने लगी और मुरारी वहां की औरते
तभी उसकी नजर ट्रॉली लेकर घूमती एक औरत पर गई


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" सीईईई क्या चीज है भाई , इतना बड़ा और गोल " , मुरारी मन ही मन बड़बड़ाया । उसके लंड में सुरसुरी होने लगी
जिस लेन में वो खड़ा था उसी लेन में दूसरी ओर एक मोटी गदराई महिला जो कि टीशर्ट और पैंट में थी , पेंट में उसके बड़े बड़े मटके जैसे चूतड़ों का शेप देख कर मुरारी जैसे खो ही गया ।
उसने बहुत से माल और शहर में घूमा था मगर यहां जैसा माहौल कही नहीं दिखा उसे ।

तभी उसे मंजू का ख्याल आया और उसने कुछ पल के लिए उस महिला के चूतड़ से नजरे हटा दी ।
वो मंजू के साथ ही इधर उधर रह कर देख रहा था , मंजू ने कुछ प्लाजो सेट और दो तीन काटन कुर्ती देखे , उसकी नजर जींस स्टॉक पर थी मगर वो मुरारी की वजह से हिचक रही थी ।

मुरारी : इसके साथ क्या लेना , जींस या फिर लेगिंग्स
मंजू मुस्कुराने लगी : मुझे समझ नहीं आ रहा है ,
मुरारी : तुम तो जींस भी पहनती हो न , तो लेलो । इस बात के लिए बेफिक्र रहो तुम्हे कोई कुछ नहीं कहेगा ठीक है
मंजू मुस्कुरा कर : जी ठीक है

फिर मंजू वहां से दो तीन जींस लेकर ट्रायल रूम की ओर बढ़ गई ।

जींस के स्टॉक के पास खड़े खड़े मुरारी ने साइज देखने लगा और उसकी नजर 4XL size की जींस पर गई और उसके ख्यालों के ममता का नाम आया , मगर बात वही थी कि पता नहीं वो पहनेगी या नहीं ।
इतने में मुरारी का मोबाइल रिंग हुआ देखा तो अमन फोन कर रहा था

फोन पर
मुरारी : हा बेटा
अमन : पापा कहा हो , निकल गए क्या ?
मुरारी : नहीं बेटा , वो तेरी चाची को कपड़े लेने थे और कुछ काम भी था तो आज रुक गया कल निकलूंगा
अमन : अरे वाह फिर से मेरी तरफ से भी चाची के लिए ले लेना , वैसे कैसे कपड़े पहनती है चाची
मुरारी : उम्मम बेटा वो लगभग सभी पहनती है , अभी अभी जींस लेकर गई है ट्राई करने
अमन : अरे वाव , पापा मम्मी के लिए भी लेलो न जींस
मुरारी : बेटा मै भी सोच रहा था और ये भी सोच रहा था कि ( मुरारी एक किनारे गया जहा उसकी आवाज कोई और न सुने फिर वो धीमी आवाज में ) तेरी मां के लिए कुछ जोड़ी फैंसी ब्रा पैंटी भी ले लूं , यहां मॉल में सब मिल रहा है
अमन : हा पापा क्यों नहीं , लेलो न फिर
मुरारी : अरे लेकिन वो लेडीज सेक्शन है उधर मै कैसे जाऊंगा और दूर से देखा तो एक से एक बढ़िया फैंसी सेट थे वहा ।
अमन : अरे तो चाची को बोल दो न ?
मुरारी कुछ सोचता हुआ : उससे!!! ठीक है देखता हूं और बता तू ठीक है
अमन : मै तो एकदम मस्त हू अभी जस्ट उठा हु नहाकर आपको फोन किया है
मुरारी : अभी उठा है ?
अमन : हा पापा रात में वैसे भी यहां किसे नीद आती है हीहीही
मुरारी : सही बेटा मजे कर
अमन हंसता हुआ : पापा आप कबतक चाची के घर पहुंचेनंगे ।
मुरारी : अभी एक दो घंटे बाद
अमन : अच्छा, वो मैने आपके व्हाट्सअप पर कुछ भेजा है हीही, फ्री होना तो देख लेना पसंद आएगा आपको
अमन की बात सुनते ही मुरारी के तन बदन में सरसरी उमड़ी और उसके पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट होने लगी : क्या , क्या भेजा है बता न
अमन मुस्कुरा कर : आप देख लेना , आपकी लाडली बहु की वीडियो है , ओके मै रखता हु बाय पापा

अमन ने फोन काट दिया और यहां मुरारी एकदम से तड़प उठा , उसे समझ नहीं आ रहा था क्या करे , उसने झट से मोबाईल खोला तो देखा अमन ने 4 5 वीडियो और फोटो भेजे थे । तस्वीरें देखते ही मुरारी ने झट से मोबाईल लॉक कर दिया ।
लंड एकदम फड़फड़ाने लगा सुपाडे में चुनचुनाहट होने लगी , कुर्ते के नीचे हाथ घुसा कर पजामे के ऊपर से उनसे अपना सुपाड़ा मिज़ा। फिर वो चेंजिंग रूम की ओर देखा , मंजू को भी समय लग रहा था , उसे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करे कहा जाए , बाकी से चेंजिंग रूम भी इंगेज दिख रहे थे और ऐसे में उसको बाथरूम का ख्याल आया ।
वो लपक कर बाहर आया और बाथरूम खोजने लगा , इधर उधर भागने पर उसे टॉयलेट बोर्ड दिखा और लपक कर वो उधर निकल गया ।
तेजी से चलते हुए वो बाथरूम में घुस गया और टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपनी सास को आराम देने लगा
उसके पैर थरथर कांप रहे थे पेट में अजीब सी हड़बड़ाहट मची थी ।
गहरी सास लेते हुए उसने दुबारा से मोबाइल खोला तो मुरारी का मुंह भी खुला का खुला रह गया ।


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मैचिंग ब्रा पैंटी में दोनों बहनों में बड़े ही कामोत्तेजक लुक दिए थे

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उनके झूलते नंगे बूब्स और बाहर निकली हुई नंगी गाड़ देख कर मुरारी पजामे के ऊपर से ही अपना लंड मसलने लगा : अह्ह्ह्ह्ह बहु कितनी सेक्सी है उम्मम उफ्फ इसके गुलाबी निप्पल और ये लचीली गाड़ उम्मम जी कर रहा है खा जाऊ अह्ह्ह्ह
मुरारी टॉयलेट सीट पर बैठ कर अपना लंड बाहर निकलने लगा
तभी अगली तस्वीर में दोनों बहने अमन का मोटा लंड पकड़े हुए हस रही थी और एक दूसरे को निहार रही थी ।

किसी में सोनल अमन का लंड चूस रही थी किसी में निशा , मुरारी अपना लंड पकड़ कर उसको भींचे जा रहा था और अगली चीज एक वीडियो थी
जैसे ही मुरारी ने उसे क्लिक किया वो वीडियो तेज आवाज में शुरू हो गई , ये वही शॉर्ट ब्लॉग थी जिसे सोनल ने शूट किया था
सोनल की तेज आवाज आते ही मुरारी ने झट से स्पीकर पर हाथ रखते हुए आवाज कम किया और वीडियो में जो देखा उसकी आंखे फटी की फटी रह गई


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और जब वीडियो में सोनल ने बोला " कोई है जो मुझे चोदना चाहेगा " मुरारी का लंड एकदम अकड़ गया , आड़ो में पंपिंग होने लगी
मुरारी अपनी बहु की कामोत्तेजना भरे हरकते देख कर पागल हो गया था , वो जोर से लंड भींचे जा रहा था और सोनल का नाम लेके बडबडा रहा था : अह्ह्ह्ह्ह मेरी प्यारी बहु मै हु न अह्ह्ह्ह तुम्हारे पापाजी तुमको चोदेंगे बेटा आह्ह्ह्ह बहु उम्ममम अह्ह्ह्ह

मुरारी चरम पर था मगर ऐन मौके पर मंजू ने उसको फोन घुमाने लगी
मुरारी : ओह्ह्ह्ह यार , क्या करु
उधर मंजू लगातार मुरारी को काल किए जा रही थी , मुरारी लंड झाड़ना चाहता था मगर मंजू ने उसका फ्लो बिगाड़ दिया।
मन मारकर अपना लंड पजामे में डाल कर बाहर आ गया , अभी भी उसके लंड की अकड़न जस की तस थी , लपक कर वो मंजू की ओर गया ।

मंजू : कहा चले गए थे
मुरारी थोड़ा हिचक कर : वो मै थोड़ा फ्रेश होने ... हो गया तुम्हारा
मंजू : जी , आप भी कुछ ले लीजिए न
मुरारी : अह् मुझे मेरे मतलब का क्या मिलेगा
मंजू : अरे आप भी टीशर्ट जींस ले लीजिए न , मुझे उनके लिए भी लेनी है
मंजू लजाते हुए बोली
मुरारी समझ गया कि वो मदन के लिए भी खरीदारी करना चाहती है ।
मुरारी : ठीक है भई जिसमें तुम्हारी खुशी , अब मदन के लिए लोगी तो मेरे लिए भी एक ले लेना साइज तो एक ही हमारा

मंजू : अच्छा सुनिए , भाभी की साइज क्या होगी
मुरारी हंसकर : तो क्या उसके लिए जींस लोगी
मंजू बड़े ही कैजुअली होकर बोली : हा , अगर वो पहनती हो तो !
मुरारी हस कर : क्यों भाई सिर्फ मुझे ही ये सजा क्यों , अमन की मां भी परेशान हो तंग जींस पहन कर हाहाहाहाहा , उसको 4XL के कपड़े ही होते है ।
मंजू मुस्कुरा: जी ठीक है आइए पहले उनके लिए ही लेती हूं
फिर मंजू मुरारी के साथ ममता के लिए दो जींस , लांग कुर्ती और दो सूट लिए
मुरारी अभी भी हिचक रहा था कि कैसे आखिर वो ममता के लिए ब्रा पैंटी ले । बार बार उसकी नजर अंडरगार्मेंट एरिया में जा रही थी ।

मंजू : चले भइया , जेंस वाला फ्लोर ऊपर है
मुरारी थोड़ा अटक कर : हा चलो , वो जरा मै सोच रहा था । खैर छोड़ो चलो चलते है ।
मंजू : अरे क्या हुआ कहिए न , कुछ दूसरा पसंद आया क्या भाभी जी के लिए, वो देख लेती हु न

मुरारी : नहीं दरअसल , नहीं कुछ नहीं चलो छोड़ो , वो अपना ले लेगी जब शहर जाएगी ।
मंजू मुस्कुरा कर : अरे भैया बताइए न , क्या चाहिए भाभी के लिए
मुरारी थोड़ा नजरे फेर कर : दरअसल अमन की मां के नाप के अंडर गारमेंट नहीं मिलते चमनपुरा में , मुझे लगा यहां उसके नाप के कपड़े है तो शायद वो सब भी मिल जाए ।

मंजू मुस्कुरा रही थी थोड़ी खुद भी लजा रही थी ।
मुरारी : तुमने लिए क्या अपने लिए ?
मंजू ने शॉक्ड होकर मुस्कुराते होठों से आंखे बड़ी कर मुरारी को देखा ।
मुरारी बड़बड़ाता हुआ : सॉरी ये मै क्या पूछ रहा हूं , प्लीज चलो अब

मंजू ने एक गहरी सास ली और आगे बढ़ते मुरारी का हाथ पकड़ लिया और इशारे से उधर चलने को कहा बिना बोले ।

मंजू का स्पर्श पाकर मुरारी एकदम से चौक गया और मंजू जबरन उसे अंडर गारमेंट वाले काउंटर की ओर ले गई ।

वहा पर कई लड़कीया स्टॉफ में थी और दूसरे भी नवयुवा कपल वहां साथ में खरीदारी कर रहे थे ।

स्टाफ : जी मैम क्या दिखाऊं
मंजू ने बिना कुछ बोले मुरारी की ओर देखा
मुरारी हिचक कर : जी वो बढ़िया फैंसी सेट में अंडर गारमेंट चाहिए
स्टाफ : जी मैम आपका साइज क्या रहेगा
जैसे ही स्टाफ ने मंजू से उसका साइज पूछा दोनों मुंह फेर हसने लगे ।
मंजू ने आंखो से मुरारी को इशारा किया कि वो स्टाफ की बातों का जवाब दे ।
मुरारी थोड़ा असहज होकर : जी वो 44DD की ब्रा और 48 की पैंटी दिखाइए
ममता का साइज सुनकर मंजू और वो स्टाफ दोनों ताज्जुब हुए । मंजू कुछ देर तक मुस्कुराती रही जबतक कि वो स्टाफ कुछ बॉक्स ब्रा और पैंटी के निकाल कर नहीं लाई ।
स्टाफ : सर आपके साइज बड़े एक्सक्लूसिव है तो हमारे पास लिमिटेड ब्रा पैंटी है , इन्हें देखे आप

वो स्टाफ कुछ ब्रा पैंटी खोलकर काउंटर पर बिखेरने लगी और मंजू थोड़ा नजरे चुराने लगी ।
मुरारी उनमें से एक ब्रा जिसके cups विजिबल दिख रहे थे उसे चूना तो मंजू ने मुंह फेर कर मुस्कुराने लगी और मुरारी ने उसे छोड़ दिया और एक फूली कवर ब्रा देखने लगा ।

लेकिन उस ब्रा के साथ जो मैचिंग रंग की पैंटी थी वो एक पतली थांग जैसी थी । मुरारी को समझ नहीं आ रहा था । पसंद तो उसे दोनों आ रहे थे ।

स्टाफ : क्या हुआ सर कोई पसंद आए इसमें से
मुरारी : अह मुझे तो समझ नहीं आ रहा है
मंजू ने मूड कर मुरारी को देखा और उसके करीब होकर बोली : भाभी को कैसे पसंद है
मुरारी मुस्कुराने लगा और धीरे से उसकी ओर झुक कर कान में बोला : वहा उसके नाप की मिलती नहीं तो वो नीचे कभी कभार ही पहनती है ।

मंजू को अजीब लगा मगर वो मुस्कुराने लगी
मुरारी : तुम्हे कौन सा सही लग रहा है , दो सेट फाइनल कर दो
मंजू ने आंखे उठा कर मुरारी को देखा तो मुरारी मिन्नते करता हुआ नजर आया ।
मंजू ने मजबूरी में एक लेस वाली फैंसी और दूसरी सिंपल फूली कवर ब्रा उस थांग पैंटी के साथ फाइनल कर दी

वो स्टाफ दोनों को अजीब नजरो से देख रही थी वहां फिर जेंस वाले फ्लोर पर उन्होंने शॉपिंग की और फिर बिलिंग के लिए निकल गए ।


बिलिंग काउंटर जब मुरारी बिलिंग कराने लगा तो उसकी ट्रॉली में दो जोड़ी और ब्रा पैंटी निकल आई
मुरारी : एक मिनट भाई साहब , अंडरगार्मेंट के दो ही सेट होंगे , लगता है गलती से आ गया होगा

मंजू जो उसके बगल में खड़ी थी वो परेशान हो उठी इससे पहले वो बिलिंग स्टाफ उसके प्रोडक्ट को कैनसिल करता वो बोल पड़ी : अरे वो मैंने रखे है ?
मुरारी ने जैसे ही मंजू की आवाज सुनी उसको अपनी गलती समझ आई और बिलिंग स्टाफ वापस से सारी बिलिंग करने लगा ।

फिर मुरारी ने सारे पेमेंट किए ।
वहा से निकल कर दोनों ऑटो से मंजू के घर के लिए निकल गए ।
रास्ते भर मंजू के चेहरे पर मुस्कुराहट बनी रही

मुरारी समझ रहा था आज मंजू की नजर में उसकी खूब किरकिरी हुई है
मुरारी : अब बस भी करो भई , मुझे क्या पता था कि वो तुमने लिए थे पहले ही ।
मंजू हंसने लगी : सॉरी
मुरारी भी मुस्कुराने लगा


वही इनसब से अलग रंगीलाल खड़ी दुपहरी में अपने ससुराल पहुंच गया था ।
बरामदे में बनवारी के कमरे के बाहर लगी कुर्सी पर बैठे हुए घर का जायजा ले रहा था और तभी सामने से उसकी खूबसूरत गदराई हुई सलहज सुनीता साड़ी का पल्लू पूरे बरामदे में लहराते हुए हाथों में जलपान का ट्रे लिए आई और जैसे ही उसने रंगीलाल के आगे टेबल पर ट्रे रखा


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बिना पिन की साड़ी का आंचल उसके सीने से सरक कर कलाई में आ गया और कसे चुस्त ब्लाउज में भरे हुए मोटे मोटे मम्मे झूलते हुए रंगीलाल को ललचाने लगे ।



जारी रहेगी ।
कहानी पर पाठकों की प्रतिक्रिया , व्यूज के हिसाब से बहुत कम मिल रही है ।
कहानी पर लेट अपडेट का कारण आप सभी कम प्रतिक्रियाए ही है ।
कृपया पढ़ कर समुचित रिप्लाई जरूर किया करे ।
धन्यवाद
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