UPDATE 181 B
राज की जुबानी
घर का माहौल चहल पहल भरा हुआ था और दीदी के हाथों पर मेहंदी लगाई जा रही थी ।
लगाने वाली भी कौन "काजल" भाभी ?
एक सर्वगुण संपन्न वही बहु , छरहरी सी पिला ब्लाउज और हरि सिफान की साडी, चिकनी गुदाज कमर और पेट दिख रहे थे ।
मेरा भी मन ललचाया और लपक कर थोडा समय उनके पास बैठ गया ।
गजब की कलाकारी चल रही थी दीदी के पैरो मे
उसके तुरंत बगल मे रीना भाभी भी बैठी थी जो मम्मी के हाथ पर मेहंदी लगा रही थी ।
मै - भाभीईई
काजल और रीना दोनो ने एक साथ हम्म्म किया और सब हस दिये
काजल - हेई बाबू जरा हटियेगा यहा से मेहँदी खराब हो जायेगी बहिनी की
मै कुछ नहीं बोला बस

धीरे से उनकी चिकनी कमर पर एक ऊँगली रेंगा कर उठ गया और काजल सिस्क कर मुह बनाते हुए मुझे देखी और मै हस्ता हुआ रीना भाभी के बगल मे गया ।
रीना भाभी ने मेरी शरारत समझ गयी लेकिन मम्मी के नाते चुप रही ।
मै - अरे भाभी हमे भी लगाओ ना मेहंदी
रीना तुनक कर - जाओ अपने भौजी से लगववाओ
रीना की बात सुनके मम्मी भी हस दी
मै हौले से मम्मी से छिप कर रीना के कमर पर भी उंगली घुमाई और धीरे से उसके कान मे - आपको पसंद नही आया ना जब मैने उनको ऐसे छुआ तो
रीना अगले ही हस पड़ी और लाज के मारे मुह फेर ली ।
मम्मी - क्या तु परेशान कर रहा है , बैठ जा किनारे अभी बहु भी ल्गा देगी तुझे
मै वहा से खसकता हुआ बाकी महिला मंडली की ओर घूम गया जहा चाची , विमला , रजनी और शकुन्तला की मंडली जमी थी ।
वहा चाची रजनी दीदी के हाथो पर मेहंदी रख रही थी और विमला शकुन्तला बस आपस मे बाते कर रहे थे ।
उन्हे मेहंदी नही रखवाणी थी ।
मै - अरे मौसी और ताई आप लोगो को मै लगा दू क्या मेहंदी
विमला - धत्त बदमाश , नही मै नही लगा सकती ना मेहंदी
मै समझ गया कि कोमल के पापा तो है नही तो उनकी बात जायज है मगर शकुन्तला ताई क्यू नही लगा रही है ।
मै - अरे ताई आप क्यू नही लगवा रही हो
शकुन्तला थोडा हिचक रही थी - वो बस ऐसे ही ,छोड़ ना तु
मै - ऐसे कैसे आपको भी लगवाना पड़ेगा आईये इधर मै लगा देता हु
शकुन्तला - अह बेटा रहने दे जिद नही करते ,
मै - अरे सारे लोग लगवा रहे है आप क्यू नही ?
शकुन्तला- जाने दे ना बेटा तु नही सम्झेगा
मै - कोई एलर्जी है क्या आपको मेहंदी से , लेकिन ये तो नेचुरल होता है ना
शकुन्तला खीझ कर - तु नही समझेगा छोड जाने दे । मै घर जा रही हु
ये बोल कर शकुन्तला घर के लिए निकल गयी और मै विमला, चाची और रजनी दीदी सब एक दूसरे का मुह ताकते रह गये ।
मुझे कुछ सही नही लगा , बहुत कुछ पता तो नही था शकुन्तला के बारे मे मगर हा यहा चौराहे वाले घर पर पडोसीयो मे सबसे खास वही थी हमारे लिये ।
बात जो भी थी मगर उन्हे मनाना मेरी जिम्मेदारी थी ।
मगर पहले कभी भी मैने शकुन्तला का ऐसा व्यव्हार नही देखा था , शुरु से ही वो काफी मिलनसार महिला रही है हमारे यहा ।
मम्मी से उसकी बहुत जमती थी और ऐसे मे मुझे मम्मी की सलाह की जरूरत थी तो मैने इंतजार किया कि मम्मी की मेहंदी पूरी हो जाये ।
इधर मेरी खास सहेली मेरी रज्जो मौसी कही गायब थी , मैने मौसा से भी पूछा तो बोले निचे गयी होगी काम से
मगर वो कही नही दिखी ।
दिल बेचैन था मेरा और फिर मैने मम्मी के पास जाके साफ दिल से उनको बताया ।
वो थोड़ा चुप रही - और बोली तु जा और उनको बोल मैने बुलाया ।
मै उनकी बात सूनके सरपट भाग कर उनके घर गया ।
दो बार दरवाजा खटखटाया तब जाके शकुन्तला ने दरवाजा खोला और उसके सुजे हुए गाल और लाल हुई आंखे बयां कर रही थी कि वो कितना रोई थी ।
मै आवाक होकर - अरे ताई क्या हुआ ? आप ऐसे क्यू ? मेरी वजह से तो !!
शकुन्तला अपनी छलकती आंखे पोछती हुई - अरे नही बेटा ऐसी कोई बात नही है , आजा अन्दर आजा ।
मै उनके पीछे पीछे उनके कमरे मे गया - तो फिर आप ऐसे क्यू चली आई
शकुन्तला - कुछ नहि बेटा बस अच्छा नही लग रहा था
मै - अरे कितनी खुश तो थी आप , बस मेरी जिद की वजह से आप चली आई, आप मत लगवान मेहंदी लेकिन चलो आप मेरे साथ
शकुन्तला - नही बेटा मै नही जाउगी
मै - अरे आपकी बेस्ट फ्रेंड ने बोला है नही आयेगी तो उठा के लाना
शकुन्तला मेरी बात पर हस दी - तु उठाएगा मुझे
मै - हा तो कोसिस तो करूंगा ही , नही तो मौसी को बुला लाउन्गा वो उठा लेगी हिहिहिही देखा है ना मेरी पहलवान मौसी को
शकुन्त्ला हस कर बाहर निकली और बेसिन पर अपना मुह धूलने लगी
मै - अब मान भी जाओ ना ताई प्लीज
शकुंतला- अरे अब आ गयी हु घर और चलने के लिए फिर तैयार होना पड़ेगा कितना झंझट है
मै - अरे आप तो ऐसी ही हीरोइन लग रही हो , हिहिहीही चलो ना ताई प्लीज
शकुंतला हस कर - तु पिटेगा अब बहुत बोल रहा है
मै - आप मेरी मम्मी की बेस्ट फ्रेंड हो तो आप भी मेरी मम्मी जैसी हुई ना , हुई की नही
शकुन्तला मुस्कुरा कर - हम्म्म हुई
मै उनके पास जाकर उनका एक हाथ अपने हाथो मे लेके उनकी आंखो मे देख कर - और मुझसे यानी अपने बेटे से प्यार करती है ना
शकुन्तला - हम्म्म
"तो चलो ना प्लीज", मै जिद करते हुए उनके सीने से चिपक गया ।
पहले तो चौकी मगर मुझे बच्चो की तरह जिद करते देख कर हस कर जकड लिया ।
मै उनके सीने से चिपका हुआ - तो आप चल रहे हो ना
शकुन्तला हस कर - उठा कर ले चलेगा तब हिहिहिही
मै सीधा होकर - पक्का ना ?
शकुंतला को लगा मै मजाक कर रहा हु तो वो हस कर - हा पक्का ।
मै फौरन उनको बेड के पास लेके गया - आप इसके खडे हो जाओ और मेरी पीठ पर आजाना
शकुन्तला- धत्त नही , चल मै चल रही हु
मै - नही नही अब तो आपको आना ही पड़ेगा , एक बार ट्राई करते है ना प्लीज
शकुन्त्ला हस कर - अच्छा ठिक है लेकिन गिरायेगा नही ना
मै - पहले आओ तो
फिर शकुन्तला बेड पर खड़ा होकर पीछे से मेरे गले मे हाथ डाल कर मेरे उपर झोल गयी ।
उसके सुडौल कसे हुए चुचे मेरे पीठ पर चिपक गये और मै उसके मुलायम स्पर्श से ही हिल गया और हाथ पीछे ले जाकर उसकी जांघो को पकड कर अपने आगे करता हुआ झुक गया ।
फिर मैने अपने हाथ पीछे लेके उसके चुतडो को उठाते हुए - अरे ताई और उपर होवो ना सरक रही हो आप
शकुन्तला मेरे हाथो का स्पर्श अपने गाड़ पर पाकर थोडा सिहरि मगर वो चाह कर भी उपर नही जा पा रही थी , नतीजा उसके हाथो की पकड ढीली होने लगी और वो सरकने लगी
इस बीच उसकी चुचिया बुरी तरह से मेरे पीठ मे दरी जा रहि थी जिसकी घिसट शकुन्तला को भी हो रही और उससे जलन बर्दाश्त ना हुआ वो झटके से नीचे उतर कर अपनी चुचिया पकड कर उन्हे दबाते हुए घूम गयि ।
मैने उन्हे देखा तो वो मानो किसी तेज दर्द मे हो
मै उनकी ओर लपका - क्या हुआ ताई
शकुन्तला - अह्ह्ह वो पीठ पर दरकचा लग गया है जलन हो रहा है उह्ह्ह
मै हड़बड़ाता हुआ - अच्छा आप बैठो ये बताओ फ्रिज कहा है , मै बर्फ लाता हु
शकुन्तला - वोह्ह बहु के कमरे मे है , उपर जीने के बगल मे
मै - फ्रिज किचन मे रखना चाहिए ना
शकुन्तला - अरे किचन भी उपर ही है उसके कमरे के सामने
मै - अच्छा आप बैठो मै आता हु
फिर मै लपक कर उपर गया और जीने से सटा हुआ एक कमरा दिखा मैने फौरन अन्दर घुस कर फ्रिज खोला और फ्रिजर ने आइस क्यूब निकालने लगा कि मेरी नजर फ्रिजर मे रखे एक पिंक के बॉक्स पर गयी , जो थोड़ी मोटी और चौकोर थी
फ्रिजर मे प्लास्टिक बॉक्स रखने का मतलब मुझे समझ नही आया और चुकि ये काजल भाभी का कमरा था तो चुल और भी उठने लगी
मैने हाल डाल कर वो बॉक्स निकाल और खोल कर देखा तो - अरे बहिनचोद बवाल हिहिहिही

समाने उस प्लास्टिक डिब्बा मे एक कन्डोम मे पानी भर कर एक लण्ड की शेप मे बर्फ जमाया हुआ था और मुझे समझते देर नही लगी कि इतनी खतरनाक फैंटेसी इस घर मे किसकी है , वही जिसका कमरा था ।
मै मन मे बड़बड़ा- बहिनचोद ये औरत चीज क्या है बे , साला कैसी कैसी फैंटेसी । बर्फ का लण्ड लेती है , साला कितनी गर्मी है इसमे । वैसे तो बड़ी संस्कारी है । बेटा राज इसको तो नही छोड़ना है ।
मै अभी अपने ख्यालो मे गुम था कि निचे से ताई की आवाज आई और मै फटाक से आ गया ।
वही निचे का नजारा अलग ही था
शकुन्तला ताई तो अपना ब्लाऊज उतार चुकी थि और अपनी नंगी चुचियो के बाई निप्प्ल के पर ठंडी फुक मार रही थी ।

अभी उपर काजल भाभी के फैंटसी के बारे मे सोच कर लण्ड सुरसुरा रहा था कि ताई के खुले पपीते जैसे चुचे देख कर लण्ड पजामे मे तम्बू बना लिया , वो तो सुकर था कि कुर्ता ढीला और लम्बा था नही तो मेरी जवानी और नियत को ताई अच्छे से भाप लेती।
अब ताई ने थोडा अपना लिबरलपना दिखाया था तो मेरी भी बारी थी उनके विचारो को सम्मान दू और फिर सम्स्या पर ध्यान दू ।
मगर ये मै खुद को समझा सकता था मेरे बिना दिमाग वाले लौडे को थोड़ी
शकुन्तला सिस्कर कर - देख तेरी जिद की वजह से लाल हो गया ,
मै - सॉरी ताई , लाओ मै लगाता हु बर्फ
फिर मैने हौले से ताई के निप्प्ल पर फुक मारी जिससे वो सिहर गयि और पहली बार उन्हे अह्सास हुआ
कि वो किसी जवाँ मर्द के आगे अपने जोबन खोल चुकी थी , मगर मैने अपने चेहरे पर भीतर अठखेलियां खाते हवस को हावी नही होने दिया और सच मे मुझे भी थोड़ी फ़िकर सी हो रही थी ।

मैने हौले से उनके बाये चुचे को निचे से हथेली मे भरा और मेरे नरम हथेली के स्पर्श से वो सिसक पड़ी
मै उनके भिचे हुए चेहरे को देखा - क्या हुआ ताई दर्द हो रहा है ज्यादा ?
शकुन्तला ने फूलती सांसो से लाल हुए नथुनो मे अपनी सिहरन को दबाती हुई ना मे सर हिलाई , मगर उसके चेहरे पर कुछ अलग ही भाव थे । ठिक वैसे ही जैसे सुहागरात पर जब बीवी के स्तन को जब पति हाथो मे भरता और वो उसके जिस्म मे एक कपकपी सी होने लगती है वही हाल ताई का था ।
वो बुरी तरह से हिल रही थी , उनकी नाभि पैर चुचे सब काप रहे थे ।
मैने बिना कोई खास प्रतिक्रिया के निरापराध भाव से एक आईस क्यूब उठाया और उसको ताई के तने हुए निप्प्ल के काले घेरो पर हल्का सा स्पर्श कराया और वो चिहुक उठी
शकुन्तला हस कर - सीईईई अह्ह्ह बहुत ठंडा है
मै उनकी अवस्था पर मुस्कुराकर - अरे उसी के लिये लाया हु ना जलन सही कर देगा
फिर मैने वापस से ताई के निप्प्ल कर वो बर्फ का टुकडा रखा और उसे निप्प्ल के चारो को घुमाने लगा

ताई के भिगते निप्प्ल को देख कर मेरा लण्ड फौलादी हुआ जा रहा थ और मेरे मुह मे पानी भर रहा था
वही ताई आंखे बन्द कर अपना सिन उठाये गहरी आह भर रही थी ।
धीरे धीरे उनकी सासे मादक हुई जा रही थी और ऐसे मे मैने हौले से एक दुसरि आईस क्यूब को सीधा उन्के निप्प्ल के नोक पर रख दिया और वो एक गहरी सिसकी लेते हुए थरथराकर मेरे कन्धे को कस कर जकड ली ।
मै मुस्कुराया और उसी आइस क्यूब को ताई के निप्प्ल पर दबाया तो वो अपने होठ भीचने लगी , जान्घे आपस मे कसने लगी , साफ पता चल रहा था कि निप्प्ल की नसो से भीतर जा रही थी ठंडक कैसे उनकी चुत की गर्मी भडका रही थी ।
धीरे धीरे 5 मिंट के करीब हो गये और उन्होंने एक बार भी नही रोक मुझे और ना ही कोई अलग प्रतिक्रिया दी ।
मै समझ गया कि उन्हे मजा रहा है और मैने अब वो क्यूब उन्के गोरे चुचो पर रेंगाने लगा जिससे उनकी शारिर फिर से सिहरने लगा ।
मैने एक बार उनका मन परखना चाहा और बोला - ताई हो गया आराम
और उन्होने पहली बार अपनी मदहोश आंखे खोली और उन्के चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी - उह्ह्ह क्या कह रहा है बेटा
मै मुस्कुरा कर - वो मै कह रहा था कि अगर बर्फ से ना ठिक हो तो एक और इलाज है मेरे पास , उससे पक्का सही हो जायेगा
बहती चुत और रोम रोम इस नये कामुक अहसास से रंगी हुई ताई ने मादकता भरी सास लेके मेरे नये करतब के लिए और भी उत्साही हो गयी - क्याअह्ह्ह बेटाअह्ह्ह बोल नाआ
मै थोडा हिचका और बोला - वो जब मै छोटा था तो अगर हाथ मे खरोच या ऐसे रगड़ हो जाती थी तो मम्मी वहा पर थुक लगाने के लिए बोलती थी और उससे तुरंत ही आराम मिल जाता था
जैसी ही मेरी बात खतम हुई मैने देखा कि ताई के चेहरे पर लाली और बढ गयी , उनकी जान्घे और कस्ने लगी और सीने मे सासे चढनी शुरु हो गयी ।
मै - तो लगा दू ताई
शकुन्तला ने मदहोशि मे मुस्करा कर हा मे गरदन हिलाया
मै समझ गया कि ताई पूरी तरह से गर्म हो चुकी है और मैने मुस्कुराकर अपने होठ सिकोड़ कर ढेर सारा थुक मुह मे बटोरा और फिर अपने उंगलियो पर लेके दो उंगलियो से ताई के निप्प्ल पर घुमाने लगा
ताई ने मजबूती से मेरे कंधो को जक्डा और मेरि रेंगती हुई गीली उंगलियो ने उनकी सिसकिया तेज कर दी - अह्ह्ह बेटाहहह उउह्ह्ह उम्म्ंम्ं
मैने उनके चेहरे के भाव पढता हुआ उन्के निप्प्ल पर उंगलियाँ रेगाता रहा
ताई अपनी आंखे बंद कर अपनी जान्घे कस्ती रही और सिसकिया लेती मैने सोचा क्यू ना इस मौके का फायदा लिया जाए और मैने वापस से एक आइस क्यूब उठाया और उसको निप्प्ल पर लगाया ।

ताई ने एक बार फिर से जोर की सिस्की लेके अपनी चुचिया उठाई और मैने जीभ निकालते हुए उनके निप्प्ल को मुह मे भर लिया ।
मेरे नरम होठो का स्पर्श पाते ही ताई पागल हो गयी और उम्होने मेरे सर को अपने सीने से दबाने लगी - अह्ह्ह बेटा उह्ह्ह सीईई उह्ह्ह
मैने मुह भर कर उन्के निप्प्ल चुबलाने लगा और ताई को मेरे नरम और गीले होठो का स्पर्श उत्तेजित कर गया और वो बैठे बैठे ही अपनी गाड़ उचकाने लगी फिर अपना हाथ तेजी से अपनी साडी के उपर रखकर जोर से अपनी चुत भीचती हुई झड़ने लगी - अह्ह्ह्ह माह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह आह्ह उह्हुंंंंं उम्म्ंम्ं
मै समझ गया कि ताई झड़ रही है और उनकी पकड मुझपे ढीली होने लगी थी फिर मै खुद से ही हट गया
सामने ताई मेरे सामने अपनी जांघो के बीच हाथ डाले हुए कस कर अपनी चुत दबाए हुए थी और झटके खा रही थी , उनकी आंखे उलट रही थी ।
मैने भी हौले से अपना मुसल मसल दिया और ताई के मजे लेता हुआ - क्या हुआ ताई आपको क्या हुआ
ताई की रस छोडती बुर की नसे जब थमी तो ताई की चेतना वापस आई और उन्होने पुरे होश मे मुझे सामने खड़ा पाया और अभी भी उनका हाथ चुत पर था ।
शकुन्तला मारे शर्म के हस दी और बिना कुछ बोले खडी होकर ब्लाऊज चढाने लगी ।
मै उनसे पुछता रहा है - आपको क्या हुआ था ताई
वो बस मुस्कुराती हुई बाथरूम मे घुस गयी ।
फिर जब वो बाहर आई तो आईने के सामने अपने बाल सवार रही थी । चुत बहाने के बाद से उनका चेहरा अब खिला खिला दिख रहा था ।
चेहरे पर मुस्कान भी थी मै पीछे गया और बोला - क्या हुआ ताई ठिक हो गया आपका
शकुन्तला इतराते हुए मुस्कुराकर आईने मे देखती हुई - क्यू तुझे नही पता , सारी डाक्टरि तो तू ही कर रहा था ना
उनकी बात सुनते ही मैने जितनी भी कोसिस करके खुद को सिरिअस दिखाने मे लगा था उसपे पानी फिर गया और मै शर्मा कर हस पड़ा ।
शकुन्तला - तु बस दिखाता है खुद को कि मासूम है लेकिन तु एक नम्बर का चालू है
मै हस कर - अच्छा मैने क्या चालाकी की अब ह्म्म्ं
शकुन्तला तैयार होकर - चल रहने दे , खुब समझती हु मै , ये बता कैसी लग रही हु मै
मैने उनको उपर से निचे निहारा - हम्म्म।
फिर आगे बढ़ कर उनका खुले हुए सिफान साडी के पल्लू के समेट कर उपर कर दिया जिससे उनकी गुदाज नाभि दिखने लगी ।
ताई मेरी हरकते निहार कर मुस्कुराये जा रही थी और मै उनकी साडी सेट करने के बाद थोडा पिछे होकर उनकी गहरी गुदाज नाभि को देखता हुआ - हम्म्म सेक्सी ।
ताई हस पड़ी और वापस से अपनी साडी फैला दी - धत्त बदमाश कही का ।
मै - अरे रहने दो ना सेक्सी लग रहा है
ताई मुस्कुरा कर - सेक्सी लग रहा है तो क्या सबको दिखाती फिरू
मै - सबको क्यू दिखाना है वो मै अपने लिये हिहिहिह्ही
ताई शर्मा कर - चुप कर शैतान कही का , चल अब ।
फिर मै और ताई वापस घर के लिए निकल गये ।
लेखक की जुबानी
अमन के घर
भोला की शायरी ने ममता के चुत को रसिला कर दिया था और वो अपने कमरे मे बैठी डायरी खोल कर सोच रही थी क्या लिखे ।
तभी उसकी नजर अपने पति के मोबाइल पर गयी जो कमरे मे बेड के पास ही चार्ज लगाई गयी थी ।
ममता मुस्कुराइ और उसने लपक कर मोबाइल उठाया और अपने नंदोई का नम्बर खोजने लगी
तभी उसको भोला जीजा के नाम से नम्बर सेव मिल गया और उसने एक मिसकाल मार कर हस दी ।
उधर हाल मे सब्के साथ बैठे भोला की मोबाइल रिंग हुई तो उसने जेब मे हाथ डाला और देखा कि उसके बड़े साले मुरारी ने मिसकाल किया था ।
मगर उसने जब मुरारी को देखा तो वो मदन से बातो मे व्यस्त था और उसके हाथ मे एक काफी थी जिसमे दोनो भाई कुछ हिसाब समझ रहे थे ।
तभी भोला का दिमाग ठनका कि कही ममता ने तो
और उसकी आंखे चमक उठी । उसने वापस से मिसकाल किया ।
ममता मिसकाल देख कर खुश हुई मगर काल उठाने से पहले से भोला ने काल काट दिया ।
ममता - लग रहा है मुझे ही करना पड़ेगा
ममता ने पूरी रिंग दी और भोला काल उठाने के लिए हाल से उठ कर कही सुरक्षीत जगह तालाशने लगा
वही हर रिंग के साथ ममता का बेताब दिल और परेशान होने लगा , उसे लगा कि कही भोला ये ना समझ रहा हो कि अमन के पापा उसे फोन कर रहे है ।
मगर आखिर की रिंग जाते ही भोला ने फोन पिक कर लिया
भोला - हा हैलो
ममता का कलेजा धक कर गया ,एक ही घर मे और सालो के रिश्ता होने बाद भी ममता की हिम्मत नही हो पा रही थी कि वो भोला से बात कर पाये ।
भोला हस कर - अरे भाभीजान बोलिए
ममता भोला की बात पर हस दी और बोली - क्या बोले जरा फिर से कहिएगा
भोला इस बार अपने उफानाते लण्ड को दबाते हुए - मैने कहा जानेमन बोलो ना
ममता हस कर - हां !! अभी तो भाभीजान बोले ना
भोला - मुझे लगा तुम्हे यही सूनना था
ममता शर्मा कर अपने धडकते कलेजे पर हाथ रख कर - मैने आपको क्या लिखने को बोला था और आप ये डायरी क्या लिखे हो उम्म्ंम
भोला - तुम्ही ने तो कहा था कि दिल की बात लिखने को
ममता - तो यही सब है आपके दिल मे उम्म्ं
भोला - अब क्या क्या बताऊ क्या क्या भरा है इस दिल मे सीईईई आह्ह
ममता ने भोला की सिस्क भरी आह सुनी तो उसकी चुचिया भी उठने लगी - अच्छा जी तो रात मे 11 बजे वही सब बताने वाले हो क्या ?
भोला ममता की शरारत भरे अंदाज से वाक़िफ़ था और ममता से बाते करते हुए उस्का मुसल पुरा तना हुआ था मगर कबतक वो घर के मेन गेट के पास खड़ा होकर बाते कर पाता
भोला - आह्ह जानू 2 मिंट रुको मै फोन कर रहा हु
ये बोल कर भोला ने फोन काट दिया और ममता के दिल मे उबलते अरमान गर्म तवे पर पड़े पानी की छीटें के जैसे छरछरा कर रह गये ।
ममता अभी सोच रही थी कि क्यू फोन कटा कि तभी वापस से मोबाईल बजने लगा और भोला का ही फोन आया देख ममता के गाल फिर से खिल गये ।
ममता - क्या हुआ काट क्यू दिये
भोला - अरे वो मै मेन गेट के पास खड़ा होकर बाते कर रहा था ना
ममता - तो क्या हुआ
भोला मुस्कुरा कर अपने तने हुए मुसल को पजामे के उपर से मसलते हुए - अरे तुम नही सम्झोगी जान
ममता - धत्त बोलो ना किस लिये बुला रहे है रात मे और वो भी ऐसे कपड़ो मे उम्म क्या इरादा है
भोला ममता ने दबी हुई मादक गर्म सांसो मे भीनी हुई आवाज से पुरा गनगना उठा और अपना मुसल जोर से भीच कर - साफ साफ बोल दू
ममता भी भोला के उफानाते जज्बातो से अपनी गीली बुर को सलवार के उपर से भिचे हुए - हम्म्म्म
भोला - मै तुम्हारे मोटे मोटे चूतड़ मे अपना 8 इंच का खीरे जैसा लण्ड घुसाना चाहता हु , बोलो लोगि ना
ममता को उम्मीद ही नही थी कि भोला ऐसे एकदम से खुलकर बोल देगा और ये सुनते ही उसका जिस्म थरथरा गया और निप्प्ल तन गये ।
पल भर के लिए सही उसे चांदनी रात मे बाल्किनी मे झुक कर अपने फैले हुए गाड़ के दरारो की फ़ाडता हुआ भोला का 8 इंच का मुसल छेद मे घुसने का सिन छाप गया और वो सिहर गयी ।
ममता की चुप्पी पर भोला ने फिर अपनी बात दूहराई- बोलो ना जान लोगि ना
ममता हस कर - धत्त ऐसे कोई बोलता है , शर्म नही आती है आपको
भोला - मै तो तुम्हे बेशर्मी की हदे पार कर चोदना चाहता हु मेरी जान
ममता का दिल कापने लगा उसके गला सुखने लगा
भोला अपना मुसल मुठीयाते हुए - देखो जान अब शर्माओ मत , और अगर सीधा सीधा नही हा कर सकती तो ....
भोला के अधूरे वाक़य को पुरा होने का ममता भी इन्तेजार कर रही थी
भोला - देखो मै तुम्हारे कमरे की ओर आ रहा हु और तुम बस दरवाजा हल्का सा खुला रखना और
ममता तेज धडकती सासो से - हम्म्म और
भोला - और अपनी सलवार खोलकर अपनी बड़ी सी गाड़ फैला कर रखना , मै उसी को हा समझूँगा
ममता शर्मातेहस कर - धत्त नही !!!
भोला - मै अभी उपर अपने कमरे मे हु फोन रख रहा हु और बस 2 मिंट बाद निचे आकर तुम्हारे कमरे के बाहर से गुजरता हुआ बाथरुम की ओर निकल जाऊंगा । अगर तुम्हे हा है तो प्लीज
इससे पहले ममता कुछ बोल बाती भोला ने फोन काट दिया और ममता की सासे चढ़ने लगी । भोला ने उसकी बेचैनी बढ़ा दी
ममता बड़बड़ाते हुए - ओहो नंदोई जी ने ये कैसी शर्त रख दी इससे अच्छा मै तभी हा बोल देती , अब मै कैसे खुले दरवाजे की ओर । और अगर इतना सब होने के बाद भी मैने ना कर दिया तो शायद हम दोनो ही जिंदगी भर असहज हो जाये एक दुसरे के सामने । नही नही ममता तुझे करना ही होगा , बस दो मिंट की ही तो बात है
ममता एक नये जोश के साथ खडी हुई और दरवाजा महज 5-6 इंच गैप के साथ खोल दिया फिर दरवाजे गैप के हिसाब से उसने बेड के एक ओर दिवाल से लगते हुए अपनी जगह चुन ली ।
फिर उसने बड़ी हिम्मत से अपने सलवार का नाड़ा खोलने लगी
इधर ये ननदोई सलहज की प्लानिंग चल रही थी मगर सिर्फ इन्सान के चाहे क्या ही हो सकता था ।
इसी बीच मुरारी को अपनी फोन की जरुरत मह्सूस हुई और अपना जेब टटोलने लगा ।
उसी समय भोला भी सीढियो से नीचे आ रहा था ।
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ना जाने आगे क्या होने वाला है ? आप भी थोड़ी अपने कलपनाओ के घोड़े दौड़ाईए
मुरारी
भोला

ममता

जारी रहेगी