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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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हो जाइए तैयार
आगामी अपडेट्स के लिए

राज - अनुज और रागिनी
Hard-core threesome
बहुत जल्द

Gsxfg-IAX0-AAa-Jnh
(सिर्फ पनौती न लगे बस 😁)
 
Last edited:

Napster

Well-Known Member
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UPDATE 179 B

लेखक की जुबानी

ROUND 01

घर के हाल मे निशा और रीना आ चुके थे ।
नयी जगह का रीना मुआयना कर ही रही थी कि निशा ने उसको पीछे से पकड कर दबोच लिया और हग करते हुए उसके गरदन को चूम लिया ।

निशा के होठो की कोमल स्पर्श से रीना का शरीर कंपित हो उठा वो अपनी आंखे बण्ड कर निशा के हाथो को पकड़े हुए सिहर उठी उसकी तेज सासो से फुलते छातियों पर मानो कुछ रेन्गने सा लगा हो ।
तन बदन मे सुरसूरी सी छा रही थी ।

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निशा के हाथ उसके पल्लू सरका कर उसके 36C के जोबनो पर अपने पंजे फैला रहे थे और हथेली की घिसट से रीना के निप्प्ल ब्लाउज मे कसने लगे ।

निशा लगातार रिना के कंधे और गरदन को अपने होठो से गीला किये जा रही थी , उसके नथुनो से निकलती गर्म सासें रीना के जिस्म की आग और भड़का रही थी ।

रीना से बर्दाश्त ना हुआ और वो झटके से पटल गयी
उसने मदहोश भरी नजरों से निशा की खुमारी भरी आन्खो मे झाँका और उसके करीब आ कर उसके जिस्म से दुपट्टे को अलग कर दिया ।

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तेज सासों ने निशा के चुचे उपर निचे हो रहे थे और रीना ने आगे बढ़ कर उसके होठो से अपने होठ जोड़ लिये ।
जवाँ जोश का क्या ही मुकाबला , दोनो की दोनो अनुभवी और प्रशिक्षित थी इस खेल मे , होठो की अदला-बदली कर चुसाई जारि थी , दोनो एक दुसरे के नितंब थामे दबाव बना कर अपने चुत के दरखते स्पर्श कराने मे लगी थी ।
जिस्म की गर्मी बढ़ने लगी और निशा ने निचे से रीना की कमर से साडी खिंच दी ।

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रीना कहा पीछे रहती उसने भी हाथ बढा कर निशा का सूट निकलने लगी तो निशा ने मदद करते हुए खुद से सूट निकाल कर दूर फेका और रीना ने उसको पकड कर अपने करीब खिंच लिया

कपडे तो कम हुआ मगर नही हुआ तो जोश और उफ्नाती गर्म सासे , दोनो के होठ एक बार फिर जुड़ गये और जीभ से जीभ की जोड़ी बन गयी ।

होठ चुस्ते हुए रीना ने निशा के सलवार का नाड़ा खोल कर उसके निचे सरका दिया और जब तक निशा को भनक हो पाती रिना ने उसको पीछे की ओर धक्का देके सोफे पर धकेल दिया , कुछ पलो तक निशा की मोटी चुचिया उछलती रही

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वही रीना बड़ी कामुकता मे निशा की आंखो मे निहारती हुई अपना पेटीकोट खोलकर नीचे गिरा दी , अब दोनो ब्रा पैंटी मे थे ।

रीना बड़ी मादक अदा से चलते हुए निशा के करीब आई और दोनो पैर इधर उधर करके निशा के उपर अपनी गाड फैला कर बैठ गयी ।

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निशा के सामने रिना के लाजवाब चुचे थे जिन्हे वो दबोचते हुए ब्रा के उपर से ही मसलने लगी और रीना ने उसके होठ से फिर से होठ जोड लिये ।
गहरे चुम्बन के साथ रीना के गाड़ भी अपनी घिसाई निशा के चुत से करने को बेताब थे ।

गर्म स्पर्श और जिस्म के मसलाई ने दोनो की चुत बजबजा उठे थे और खुजली शुरु हो गयी ।

नतिजन निशा को निचे लेटना पडा और रिना ने जांघो को क्रास फसाते हुए अपनी चुत के फाको को निशा के चुत के फाको से लगा दिये

पैंटी के उपर से भी चुत के गर्मी दोनो की मिल रही थी और रीना अब अपनी घिसाई शुरु की , चुत से चुत टकराने लगी और मादक सिसकियाँ फूट पड़ी

होठ वापस से जुड़ गये और रीना ने निशा के चुचे पकड कर उन्हे मसलने लगी ।

गर्म सांसो से फुलते नथुने और आह भरते होठ , तेज धड़कते दिल और चुचो पर कसे पंजे
सब एक साथ एक सुर मे चल रहे थे कि रीना के चुत की चुभन बढ़ सी गयी , उसके फव्वारे का पानी फूटने को आतुर हो गया था और उसने कस कस के निशा के चुत से अपनी चुत घिसने लगी

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फिर तेज उफनती सांसो और रस छोडती बुर ने रीना के चेहरे के भाव बयाँ कर दिये वो भलभला कर पैंटी मे ही निशा के चुत पर झड़ने लगी और निशा को भी ये बर्दाशत ना हुआ और वो भी अपनी गाड़ उचकाती हुई रस छोड़ने लगी।

झटके शान्त हुए और दोनो की बन्द आंखे खुली तो मुस्कुरा उठे और रिना ने झुक कर वापस से निशा के होठ चूम लिये और उसके उपर ही लेट गयी ।


रंगीलाल - जंगीलाल

दोनो भाई टेन्ट हाउस से वापस आ रहे थे ।
रन्गी हस्ता हुआ - क्या जंगी तु भी अभी वही अटका है ।

जन्गी - क्या करें भैया सुबह सुबह ऐसी चीज के दरशन हो जाये तो कहा मन कही और लगता है हिहिहिही

रंगी आहे भरता हुआ - हमम बात तो तेरी ठिक है लेकिन रज्जो जीजी अपनी मेहमान है तो ऐसा नही सोचते उन्के बारे मे ।

जंगी हस कर - अच्छा अब वो मेहमान है और वो भूल गये आप हम्म्म
रंगी अचरज भरे भाव मे - क्या !!

जन्गी हस कर - अब जाने दो भैया हिहिही
रंगी - अरे बोल ना भाई क्या दान्त दिखा रहा है ।

जंगी हस कर - आपको याद नही जब बुआ की बेटी आती थी गाव मे छुट्टी पर और वो सो रही होती थी तो आप खुद मुझे उन्के स्कर्ट उठा उठा कर दिखाते थे । वो मेहमान नही थी उम्म्ंम

जंगीलाल खीखियाते हुए थोडा छटक कर दुर हुआ और रंगी थोडा शर्माता हुआ बचपन की यादे ताजा करता हुआ - क्या तु भी पुरानी बाते लेके बैठा है , अरे तब हम लोग कितने छोटे थे । तब की बात क्या और अब की क्या ?


"तब तो ना ये जिम्मेदारीया थी और ये झंझट था , मस्त घूमो खाओ ऐस की जिंदगी थी । तब ऐसी शरारतो का मजा भी आता था वो दिन कहा आने वाले अब " , रंगी मुस्कुराते हुए बीते लमहे याद करता हुआ बोला ।

जंगी - हा भैया वो दिन भी क्या दिन थे । स्कूल मे मस्ती , घर के हम भाई बहनो की मस्ती फिर दोस्तो यारों का साथ .... घर और समाज की जिम्मेदारियों ने हमारा परिवार भी अलग थलग कर दिया । अब तो ये शादी व्याह ही एक सहारा सा है कि हम अपनो के साथ हो पाते है कुछ पल के लिए ।


रंगी उसके कन्धे पर हाथ रख कर - तु तो भावुक हो गया यार , अरे हम साथ साथ ही है और कहा तु मुझसे दुर है । चल अब सेंटी ना हो आज शाम का कुछ प्रोग्राम करते है 50-50 हिहिही

जन्गी चहक कर - क्या सच मे भैया !!
रन्गी - हा शाम को मेंह्दी और डांस का प्रोग्राम है बच्चे और औरते बिजी होंगी तो हम लोग भी थोडा साथ समय बिता लेंगे

जंगी खुश होता हुआ - वाह भैया मजा आ जायेगा तब तो
फिर दोनो भाई खुशी खुशी घर की ओर लौट आये ।

राज की जुबानी

मै और मौसा घर के बाकी कामो की तैयारी मे लगे थे ।
टेन्ट वालो ने उपर के हाल मे सजावट और साउंड का काम कर रहे थे ।

मेरी मुस्तैदी मे सारे काम चौकस हो रहे थे , मगर मौसा का चेहरा उतरा हुआ था ।

मै जेब से फोन निकाला और शिला बुआ को फोन घुमा दिया - हा बुआ जरा उपर आना

बुआ का नाम सुनते ही मौसा ने हरकत की मै समझ गया कि इनको रौनक चाहिये
कुछ ही देर मे बुआ एक ब्लैक कलर की चिकन सूट मे उपर आई ।
डीप गले के सूट से उनकी दूध भरी छातियों की कसी हुई लकीरे नेट वाले दुपट्टे से साफ साफ दिख रही थी ।
उपर आते ही बुआ और मौसा की निगाहे आपस मे टकराई और दोनो नजरे झुका कर मुस्कराए
मै समझ गया कि ये आंख मिचौली दोनो ओर से चल रही है ।
इधर साउंड पर सलमान खां की फिल्म बीबी नं वन का सुपरहिट सॉन्ग चल रहा था , चुनरी चुनरी ।

मैने बुआ को सारी व्यवस्था दिखाई और डांस के लिए भी जगह बताई
बुआ - सब ठिक तो है भई फिर क्यू बुलाया

मै हस्कर - आपको डांस कराने के लिए हिहिह्हिही

बुआ एक नजर शर्मा कर हस्ते हुए मौसा को देखती है और फिर - धत्त पागल कही का ?

मै उनका हाथ पकड कर गाने की धुन पर कमार हिलाते हुए - नाचो ना बुआ , शाम के लिए प्रैक्टिस हो जायेगी

मौसा मुस्कुरा कर बस हमे ही निहारे जा रहे थे और शिला बुआ को उन्ही के सामने होने से हिचक हो रही थी

मगर फिर ना जाने क्या हुआ कि बुआ ने मेरे से हाथ छुड़ा कर गाने के सुर और संगीत से ताल मिलाते हुए अपना दुपट्टा उठा कर नाचने लगी ।

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उनकी भरी भरी मोटी दूध की टंकीयां पारदर्शी दुपट्टे मे साफ साफ हिल्कोरे खाते हुए झलक रही थी और एक बार को तो सामने दुपट्टा भी हट गया ।

मौसा की आंखे चमक उठी और बुआ हस्ती हुई - बस हो गया ना तेरा मै जाऊ अभी मेहमान आने वाले थे ।

मै - हा ठिक है हिहिहिही

फिर बुआ मे मौसा को एक नजर मुस्कुराते हुए देखा और अपने चुतड मटकाते हुए निचे चली गयी

वही मौसा के पजामे मे तम्बू तन गया मै उनकी स्थिति देख कर मुस्कराया

मै - मौसा !!
मौसा - हमम्म !!
मै मुस्कुरा कर - ऐसे तम्बू ताने ही रखोगे क्या हिहिहिही बुआ गयी

मौसा अपना मुसल रगड़ कर - अगर तु बुरा ना माने तो कुछ कहू बेटा!

मै - अरे बोलो ना मुझ्से क्या छिपाना हिहिहिही
मौसा - सच कहु तो तेरी बुआ का पिछवाडा बहुत मस्त है , देखा नही कैसे हिल रहा था ।

मै - काबू रखो मौसा जी अभी शाम तक एक से एक हैवी पिछवाड़े आंखो के सामने च्लते फिरते नजर आयेंगे हिहिहिहिही

मौसा - कुछ भी मगर तेरी बुआ का जवाब नही

मै हस कर - जल्द ही आप्का ये भ्रम भी टूट जायेगा हिहिहिही

फिर हम लोग काम मे लग गये ।

लेखक की जुबानी

ROUND 02

सरप्राईईईइज्ज्ज्ज !!! हिहिहिहिही

निशा ने अपने कमर dildo को बान्ध कर कमरे मे लेटी रीना को दिखाने आ गयी ।

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निशा की चुत के पास लटका 10 इंच का मोटा रबर का झूलता लण्ड देख कर रीना की आंखे बड़ी हो गयी ।

वो शौक्ड होकर लण्ड को निहारने लगी और निशा इतराते हुए उसके पास पहुची फिर उसके बालो पर हाथ फिराने लगी ।

रिना ने अपने होठ खोलकर उस रबर के लण्ड के सुपाड़े को चुमने लगी और फिर जीभ से चाटते हुए मुह खोल कर अंदर ले लिया

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रीना की इस हरकत को देख कर निशा सिहर उठी मानो उसके सच के लण्ड को रिना ने मुह मे भरा हो और वो उसके सर को पकड कर उसके मुह मे लण्ड को पेलने लगी ।

रिना भी उसकी आंखो मे निहारते हुए लण्ड को गले मे उतारने लगी ।

निशा - उह्ह्ह भाभीईई और चुसो ना मेरा लण्ड, कैसा है बताओ ना उम्म्ंम्ं ऐसे ही उह्ह्ह्ह

रीना निशा की उत्तेजना देख कर मुह से dildo निकालते हुए उसको हाथो से सहलाते हुए - बहुत मस्त निशा है उह्ह्ह आज इससे पेलवाने मे बहुत अजा आयेगा ,

ये बोलकर रिना ने निशा की कमर मे बन्धा हुआ dildo पकड कर उसको उपर खीच कर ले आई और निचे बेड पर धकेलते हुए खुद उसके उपर हो गयी ।

निशा - उम्म्ं तो रहा नही जा रहा है आपसे उम्म्ंम लोगी क्या ?

रीना अपनी जीभ से लार हाथो मे लेके अपनी गाड़ की सुराख पर मलते हुए - हा उम्म्ंम ऐसा लण्ड बार बार थोड़ी ना मिलेगाअह्ह्ह अह्ह्ह्ह मोटा है उम्म्ंम्म्ं सीईईई

निशा ने देखा कि रीना ने dildo चुत मे लेने के बजाय सीधा गाड़ की सिकुडी हुई सुराख के मुहाने पर रख कर जोर देते हुए बैठ रही है और dildo उसके गाड़ के छेड़ को फैलाता हुआ कुछ इंच ही भितर जा पाया था । बियर के कैन जितनी मोटाई वाला सुपाडा रीना की गाड़ मे फस चुका था और उसके गाड़ का सुराख लाल हो गया था

दर्द और मजे से रिना ने उतने ही लण्ड पर अपनी गाड़ उपर निचे करते हुए चुदने लगी

निशा ने निचे से dildo को कस कर थामे हुए थी ताकी वो रिना की गाड़ मे बराबर घुसा रहे और रिना की मादक सिसकियाँ कमरो मे गूंज रही थी ।

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रीना - अह्ह्ह मह्ह्ह उह्ह्ह फ़क मी निशा उह्ह्ह पेल ना मुझे ओह्ह्ह सीई

वो तेजी से अपनी बुर भी रग्डे जा रही थी और हुम्च हुम्च कर गाड़ मे लण्ड घुसाये जा रही थी ।

निशा रिना के गाड़ सहलाती हुई - ओह्ह भाभी लगता है आपने ऐसा ही कोई जबरज्स्ट लण्ड लिया है उह्ह्ह

रीना - ऊहह हा निशा वो काला मुसल जब मेरी गाड़ मे घुसा था तो ऐसे ही मजा आया था , लेकिन मर्द की ताकत रहम कहा करती है पुरे 8 इंच भीतर था मेरे उह्ह्ह सीईई

निशा की आन्खे फैल गयी कि रीना ने ऐसा ही मोटा मुसल 8 इंच भितर लिया और जोश मे उसकी चुत बहने लगी ।

रीना ने पोजीशन बदली - आह्ह आजा निशा डाल पीछे से घुसा कस के उह्ह्ह ये गाड़ की खुजली मुझे बहुत बेचैन किये रहती उह्ह्ह

निशा ने भी रिना की गाड़ मे पीछे से लण्ड घुसेडा और इस बार झटका देने से आधा लण्ड उसकी गाड़ की सुराख चौड़ी किये जा रहा था

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निशा सटासट लण्ड को उसकी गाड़ मे देते हुए - आह्ह भाभी आप तो कमाल की हो , ऐसे मैने किसी की आपनी गाड़ चुदाते नही देखा उह्ह्ह्ह

रीना - आह्ह फिर तुम्हे मेरी सास को देखना चाहिए उह्ह्ह्ह माअह्ह्ह ऐसे ही उह्ह्ह वो तो रोज ही ऐसा मुसल अपनी गाड़ मे लेती है उह्ह्ह्ह फ़क मीईई उम्म्ंम


निशा को समझते देर नही लगी कि वो जो रीना की गाड़ मे 8 इंच का मुसल घुसा था वो उसके ससुर का था , वो मुस्कुराई और बस कुछ सोचते हुए रिना की पोजीशन को बदलते हुए उसे पीठ के बल लिटा दिया ।

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रीना ने टाँगे फैला दिया , उसकी बजबजाती बुर और लाल हो चुकी गाड़ का फैला हुआ सुराख धीरे धीरे अपने शेप मे आ रहा था कि निशा ने मे अपनी जीभ उसके गाड़ के होल मे घुसाते हुए अपने होठ उसके चुत के फाको से रस्ती मलाई पर रख दी और उसकी चुत को भी चुसने लगी ।

निशा की इस हरकत ने रिना को हिला दिया वो निशा की सर को अपनी चुत के महानो पर दरते हुए गाड़ उठा उठा कर उसके नथुनो पर अपनी बुर रगड़ते हुए झड़ने लगी ।

निशा का चेहरा रस ने सना गया और वो भी रिना के बगल मे पेट के बल लेट कर उसके होठ चूमने लगी ।

रिना ने उसकी नंगी गाड़ पर हाथ फिराया और साइड से dildo का बेल्ट निकाल दिया ।
फिर अपनी उंगलिया उसकी गाड़ की सुराख मे घुसाते हुए उसके चेहरे के भाव पढने लगी और निशा की सिसकियं बढने लगी ।

रिना सरकते हुए निचे गयी और उसके टाँगे चढा कर उपर कर दिया जिससे निशा की चुत और गाड़ का छेद बराबर दिखने लगा
रिना ने आगे बढ़ कर निशा की चुत से लेके उसके गाड़ की सुराख तक जीभ फिराने लगी और निशा मादक सिसकियाँ लेने लगी ।

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रीना ने अपनी लपल्पाती जीभ से निशा के गाड़ के सुराख को भेदना शुरु कर दिया

निशा अपने पाव और कमर ऐंठे जा रही थी मगर रिना ने अपनी पकड मजबूत रखी और जीभ से कभी उसकी चुत तो कभी गाड़ चाटने लगी ।

बेबस निशा आखिर बोल ही पड़ि- आह्ह भाभी घुसा दो ना उह्ह्ह डालो ना प्लिज्ज्ज उह्ह्ह मह्ह्ह


रीना मुस्कुराई और उसको बैठा कर खुद उसके पीछे आकर dildo को सामने से उसके चुत के मुहाने पर रगड़ने लगी और निशा अपनी गाड़ उठाते लण्ड को चुत मे भरने को बेताब हो गयी ।

रिना ने dildo का सुपाडा निशा की चुत के फाको पर रखा और दबाव बनाते हुए घुसेड़ने लगी , पनीयाई बुर धीरे धीरे लण्ड को भितर घोंटने लगी ।

निशा - उम्म्म्म्भ भाभीईई बस बसस्स्स उह्ह्ह माअह्ह्ह्ह

अब तक आधे से ज्यादा लण्ड भीतर जा चुका था और रीना ने उसी पोजीशन मे लण्ड को चुत मे घिसने लगी ।

निशा - उह्ह्ह भाभीईई अह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है , भीतर कोने कोने मे ये रगड़ खा रहा है ऊहह भाभी औए पेलो कस कस के उह्ह्ह ज्म्म्ंं सीईई

रिना ने भी जोश मे लण्ड को पकड कर चुत मे घुसाने लगी कस कस के औद निशा अपने बुर के दाने को तेजी से मसल रही थी

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दोहरे प्रभाव से निशा की बुर फचफचाते हुए पानी छोड़ने लगी और अपनी गाड़ उचकाते हुए - अह्ह्ह भाभी निकालना नही उह्ह्ह ऐसे पेलते रहो उह्ह्ह्ह और एक बार झड़ना है उह्ह्ह

रिना - हा मेरी जान क्यू नही लेह्ह्ह उह्ह्ह आज तेरी चुत का भोसडा बना दन्गी लेह्ह्ह्ह ऊहह

निशा अपने चुत के दाने को मसलती हुई - अह्ह्ह भाभी बना दो उह्ह्ह ऊहह सीई फ़क मीईई फ़क फ़क फ़क मीई ओह्ह येस्स्स येस्स्स आ रहा है भाभी आ रहा

रिना - हा निशा झड़ जा इस लण्ड पर उह्ह्ह झड़

निशा ने एक बार फिर रिना की बाहो मे अपनी गाड़ उच्काई और फचफचाकर तेज फव्वारा फूट पड़ा वो तेजी से झटके खाते हुए झड़ने लगी ,

रिना ने जल्दी से dildo निकाल कर उसकी बुर सहलाने लगी और हर झटके के साथ रिना की उंगलियाँ चुत के रस मे सनति चल गयी ।
नसो की फड़कन शान्त होते ही निशा रिना की बाहो ढह गयी और दोनो लेट गये ।

रिना के हाथो मे दर्द होने लगा था तो उसने भी कुछ पल आराम किया ।

फिर उन्होने कपडे पहने और करीम के यहा से कपडे लेके निकल गये चौराहे पर ।


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 180

लेखक की जुबानी

दोपहर का वक़्त हो चला था और अमन के यहा से मेहमान आने वाले थे ।
रागिनी के कहने पर उनके आराम करनी व्यवथा की जिम्मेदारी गेस्ट रूम मे करने के लिए शिला को जिम्मेदारी दी गयी ।

वही शिला अपने कमरे मे उथल पुथल करके परेशान हो गयी थी और उसको dildo नही मिल रहा था ।

हैरान परेशान होकर वो रज्जो के पास किचन मे गयी जो अब तक तैयार होकर साडी पहन चुकी थी और मेहमानो के लिए नास्ते तैयार करवाने मे रागिनी की हैल्प करवा रही थी ।

शिला बेचैन परेशान किचन मे आई और उसे देखते ही रागिनी बोल पड़ी - अरे दिदी क्या हुआ आपको इतना पसीना क्यू हो रहा है ।

शिला दुप्प्टे से अपना मुह पोछते हुए हसने की कोसिस करती हुई रज्जो को देखा और बोली - अरे कुछ नही भाभी बस वो कमरा साफ कर रही थी ना तो पंखा बन्द कर दिया था, आप जरा देख लो ना सही है ना सब

रागिनी मुस्करा कर - अच्छा ठिक है

ये बोलकर रागिनी गेस्ट रूम मे चली गयी और

रज्जो - क्या हुआ दीदी? आप इतनी परेशान क्यू ?

शिला - अरे भाभी वो जो....

फिर शिला ने रज्जो को रात मे उसके इन्तजार करने से लेके सुबह dildo गायब होने तक की बात बताई और

शिला परेशान होते हुए - और मेरे कमरे मे कोई जाता भी तो नही ना ? फिर कहा गया ?

रज्जो कुछ सोच कर - कोई गया था दिदी जिसे मैने देखा था आज सुबह ही ?

शिला चौक कर - कौन ?

रज्जो ने आंखे उठाकर हाल से जीने की ओर गुजरती निशा और रीना की तरफ इशारा करके दिखाया ।

शिला - क्या वो दोनो ?
रज्जो - नही नही , दोनो नही
शिला - फिर ?
रज्जो - निशा ।
शिला चौक कर - क्या ? निशा ! लेकिन वो कैसे और क्यू ?

रज्जो - क्यू का नही पता मगर आज सुबह जब पानी के लिए हंगामा हुआ था और सारे लोग हाल मे जमा थे तो मैने उसको गेस्ट रूम से बाहर आते देखा था और वो सबसे छिप कर ही निकल रही थी ।

शिला उलझन भरे भाव मे - लेकिन वो क्या करेगी उसका ?

रज्जो मुस्कुरा कर - वही जो आप करती है ,बुआ से भतीजी उन्नीस थोड़ी ना रहेगी हिहिहिही

शिला भी रज्जो की बात पर हस देती है - तो अब ?

रज्जो मुस्कुरा कर कुछ सोचते हुए - अब शिकार को हमारे पाले मे आने दो बस

शिला - मतलब ?
रज्जो बस आंख मार कर मुस्कुरा दी और शिला उसको समझ कर बाडा सा मुह खोलते हुए खुश होने लगी - क्या सच मे !

रज्जो - हा
रज्जो और शिला की बातें चल रही होती है कि तबतक रन्गी-जंगी दोनो भाई हस्ते हुए बातें करते हुए हाल मे घुसते है और जैसे ही जन्गिलाल की नजरे रज्जो पर पड़ती है कि वो साडी पहन चुकी है तो फुसफुसा कर हस्ते हुए अपने भैया के कान मे बोला - भईया अब तो भाभी ने साडी चढा ली , अब नही देखने को मिलेगा

रन्गी ने एक नजर किचन मे रज्जो को देखा और फिर जंगी को डांटते हुए - चुप कर तु , पागल कही का ।

वही रज्जो शिला की बाते सुन रही थी और उसके जहन मे ये दोनो भाईयो के बिच पक रही खिचड़ी का कारण जानने की चुल भी उठने लगी ।
इधर निशा और रीना उपर आती है तो देखती है राज उपर के हाल मे मेहंदी का सजावट करवा रहा था वही पास मे कमलनाथ भी खड़ा था ।
जैसे ही दोनो उपर आई तो रीना और निशा दोनो के जहन मे एक दुसरे से साझा की हुई बातें चलने लगी ।

रिना की मचलती आंखों ने राज के उपर गड़ गयी

रीना मन मे - हम्म्म देवर जी एक नम्बर के बहनचोद निकले , लगता है मुझे भी इनको परखना ही पड़ेगा वैसे चोद चोद के निशा की चुत जितनी चौड़ी कर दी है कि इतना मोटा बडा लण्ड भीतर चला गया है और उसने उफ्फ़ तक नही की

वही निशा भी अपने विचारो मे खोई हुई कमलनाथ को देख कर अपने अरमान जगाने लगी - ऊहह क्या सच मे मौसा जी मुसल उस dildo जैसा मोटा और बड़ा होगा उम्म्ंम कुछ ना कुछ तो करना ही पड़ेगा निशा , बहुत हुआ जवानो के दिल बेकाबू करने काम अब जरा मौसा जी के जज्बातो की परीक्षा ली जाये हिहिहिही

तभी रीना मुस्कुराते हुए राज के पास आई और हलके आवाज मे राज से बोली - अरे वाह देवर जी आप तो अपनी जिम्मेदारी भी खुब निभा रहे है हम्म्म

राज हस कर - अब बहन की शादी मे भाई नही काम करेगा तो कौन करेगा भाभी !

रीना शरारत भरी मुस्कुराह्ट से उसके कान मे - सुना है कि ननद रानी का रिश्ता भी आप ही पक्का करवाये हो और सब शादी की सारी की जिम्मेवारी भी अकेले उठा रहे हो उम्म्ं

राज ने एक नजर रिना की शरारती आंखो मे देखा और बोला - वो तो हर भाई को करना चाहिए

रिना हस कर - वैसे क्या डील हुई है तुम्हारी और ननद जी की उम्म्ं जो उन्के सुहागरात के लिए इतना मेहनत कर रहे हो हिहिहिही

राज रिना की बातें सुन कर शर्माया और फिर हस कर - वैसे आपको याद ना हो लेकिन आपकी सुहागरात की तैयारी भी मैने ही की थी । लेकिन आपसे कुछ नही मिला बदले मे हिहिहिहिही


रीना अपना ही दाव उलटा होता देखा मुह बनाते हुए हल्का सा फुसफुसाई - बहिनचोद । कुछ ज्यादा नही बोल रहे हो उम्म्ं

राज खिलखिलाकर - आप भी कुछ ज्यादा नही सोच रही है हिहिहिही

इधर इनकी बातें चल रही थी और वही निशा कमलनाथ के ठिक आगे झुकी हुई गेंदें के फुलो की टूटी माला से फुल इकठ्ठा कर रही थी और कमलनाथ की आंखे फैला कर निशा के तंदुरुस्त फैले हुए नितम्बो को निहार रहा था

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निशा झटके से खडी हुई और वो फुल एक डलिया मे रखते हुए बोली - ये राज के बच्चे , ये सारे फुल बरबाद मत होने समझा , काम आएगे ये

निशा की बात सुनते ही रीना- राज ने आपसी बातचीत रोक दी


राज - अरे दीदी हो जायेगा परेशान ना हो

निशा - क्या हो जायेगा ? देखो ना मौसा जी ये फ़ूल काम भी आयेगे ही ना

कमलनाथ चौक कर निशा की जांघो पर कसी हुई सल्वार से निगाहे हटाता हुआ - ह्ह , हा हा बेटा तु परेशान ना हो मै देख लूंगा

निशा तुनक कर - चलो भाभी

फिर निशा अपने कुल्हे हिलाते हुए रीना के साथ सोनल के कमरे चली गयी और कमलनाथ पहली बार जवाँ चुतडो के हिल्कोरो मे खो सा गया ।

राज मुस्कुरा कर कमलनाथ के पास आकर - ओहो मौसा जी आपकी पसंद तो पल पल बदल रही है , अभी बुआ तो अभी भाभी ?

कमलनाथ बिना पलके झ्पकाये निशा के हिलते चुतडो के दृश्य आंखो मे बसाये हुए - बहु नही वो निशा बिटिया के गा...!

राज अपने मौसा के मूह से वाक्य पुरा होने का इन्तेजार पुरा करता है - हा हा निशा दीदी का क्या ?

कमलनाथ चौक कर - क क कुछ नही कुछ नही
वही राज खिलखिलाकर हस देता है

कमलनाथ परेशान होकर - बेटा सच मे अब मेरे से बर्दाश्त नही हो पा रहा है , कही से चुत का जुगाड कर क्या करु मै ? ऐसे कबतक लण्ड मसल मसल कर उसको दबाते रहेंगे ।
राज हस कर कमलनाथ की बात टाल देता है और काम मे लग जाता है ।

इधर कुछ देर बाद मेहमान सारे आ गये थे और फिर उनकी विदाई के बाद करीब 3बजे घर के सारे लोग खाना खाने के लिए एकजुट होते है ।

इस दौरान जंगी-रंगी पर रज्जो की नजर थी , तो निशा पर शिला की । कमलनाथ कभी शिला तो कभी निशा पर नजरे टिकाता रहा ।
राज और रीना की अपनी आंख मिचौली चल रही थी , वही राहुल-अनुज की चर्चा जारी थी शालिनी को लेके और दोनो अपने विचार साझा कर रहे थे ।
और कुछ देर बाद 5 बजे से मेहंदी का प्रोग्राम होना था ।


अमन के घर


सोनल के यहा से विदाई लेने के बाद अमन के चाचा मदनलाल और फूफा भोला घर पर वापस आ गये ।

सारे मर्द जन हाल मे बैठे बातें कर रहे थे वही ममता अपने कमरे मे अपनी बड़ी ननद संगीता के साथ एक दुविधा मे बैठी हुई थी ।

ममता बेबसी मे हस्ती हुई - दीदी आप ही पुछ लो ना , मुझसे नहीं पूछा जायेगा वो सब ।

संगीता हस कर - अरे मै कैसे ? कायदे से तो दूल्हे की अम्मा ही पुछती है , अब तुम देख लो की मदन से पुछना है या फिर रिंकि के पापा से ।

ममता - अरे नही नही ! देवर जी से कैसे ? उन्ही के साथ घर मे रहना है मै तो उनसे नजरे भी नही मिला पाऊंगी ।

संगीता - तो फिर ठिक है मै रिंकि के पापा को बोल देती हु वो आपको बता देंगे ।

ममता हस कर - क्या जीजा जी से ? नही नही !! वो भी कम नही है । देखती नही आपकी वजह से वो भी खुल कर मजाक करने लगते है और यही सब मौके तो वो खोजते रहते है

संगीता - तो अब क्या करु बोलो
ममता - दीदी आप ही जीजा जी से लिखवा लो ना
संगीता - अगर मै अमन की मा होती तो जरुर करती , और तुम्हारा एक ही बेटा है भाभी उसके लिए तो सारे रस्म अदायगी खुशी खुशी कर लो
ममता ने मुस्कुरा कर हामी भर दी और संगीता कमरे से निकल कर भोला को बुलाने चली गयी ।

अब यहा पर अगर आप पाठको को कुछ समझ नही आ रहा है कि अमन के यहा क्या बाते हो रही है तो आपकी जानकारी के लिये बता दू।
कि अभी भी उत्तर भारत के मध्य पूर्वी राज्यों मे शादी व्याह मे शादी के कुछ दिन पहले दूल्हे के घर से कुछ लोग दुल्हन की मां के लिए शगुन लेके जाते है ।
दूल्हे के भावी ससुराल मे दूल्हे की ओर से पहली बार कोई मेहमान घर आता है तो उनकी बहुत अच्छी खातिरदारि तो की जाती है मगर इसके साथ खाना खाते वक़्त इनको भर भर के भ्द्दी भ्द्दी गालिया पड़ती है ।
अब चमनपुरा मे एक खास रिवाज है कि जो लोग सगुन का सामान लेके दुल्हन के घर गये होते है उनमे से कोई एक जन को घर आकर सारि की सारी गालियाँ शब्द से शब्द मिला कर दूल्हे की मा को बताता है ताकि जब शादी के बाद दुल्हन की ओर कुछ लोग सगुन लेके ससुराल आये तो उनको भी वही गालियाँ दी जाये और हिसाब बराबर हो ।
अब ऐसे मे ममता के लिए दुविधा की घड़ी थी कि कैसे वो अपने नंदोई के साथ वो सब बाते करेगी और इस पहल का क्या नया परिणाम दिखने वाला है आगे की कहानी मे



इससे पहले हम आगे बढ़े तो कुछ नये किरदारो की इंट्रि जरुरी है ।


भोला - अमन के बड़े फूफा
मस्त मौला और चतुर आदमी है , इनकी पारखी नजरो से कुछ नही बचता और ये नजर उन्के जवैलरी के व्यापार से मिली है ।

संगीता - अमन की बड़ी बुआ और भोला की बीवी
शान्त सुल्झी और पति के संगत मे थोड़ी हस मुख हो गयी है ।

रिन्की - भोला और संगीत की एकलौती बेटी ... नया नया जवानी मे कदम रखा है और बहुत जल्द ही ये चीजो की ओर खिंची चली जाती है , देखते है इसकी ये नादानी आने वाले दिनों में क्या कारनामे गढती है ।



एक जरुरी बात ये तीन किरदार बस शादी मे शामिल होने के लिए है और इस कहानी को और भी मनोरम बनाने के लिए जोड़े गये ।
माना कि पहले से ही किरदारो की अधिकता है इस कहानी मे मगर कहानी को आगे ले जाने के लिए जो खुराफात मेरे जहन मे चल रही है उस्के लिये ये तीनो अहम भुमिका निभाने वाले है ।
तो चलिये आगे बढते है

करीब 10 मिंट बाद ममता अपने कमरे मे बेचैन परेशान हाथ मे डायरी कलम लेके बैठी थी ।

तभी दरवाजे पर दसत्क हुई और ममता ने नजर उठा कर देखा तो सामने भोला खड़ा था उसके चेहरे पर एक मुस्कान थी और ममता दिल की धडकनें तेज होने लगी ।

ममता ने लाज भरे मुस्कुराहट मे थोड़ी बेचैनी घोल कर अपने नन्दोई की ओर देखा - अरे जीजाजी आईये ना

भोला खुशी भाव से कमरे मे आया - वो संगीता बता रही थी कि आपने बुलाया है ?

ममता मुस्कुरा कर - हा वो बहु के यहा आप लोग गये थे ना तो ..!

भोला भी मुस्कुराते हुए - अरे तो आप मदन भाई से पुछ लो ना भाभी जी , अब मुझे क्यू फसा रहे हो

भोला ने जानबुझ कर बात को घुमाया मगर ममता भी उसकी शैतानियों से कम परिचित नही थी ।

ममता भी मुस्कुरा कर थोडी सामान्य होती हुई - अह अब देवर जी से कैसे पूछून्गी , रोज उनके साथ यही रहना है और आपसे तो हमारी दोस्ती है ही ना हिहिहिही

ममता की बात सुनकर भोला हस दिया - हाहाहा खुब समझ रहा हु भाभी मुझको बहलाओ मत

ममता तुनक कर - अब इतने भी नखरे ना दिखाओ जीजा जी आओ बैठो ,एक तो वैसे ही ये सब बड़ा अटपटा होता है ना जाने कौन से मुए ने ये रस्म रिवाज बनाया था


भोला ममता की भुन्नाह्ट पर हस रहा था और फिर वो ममता के पास ही बैठ गया

ममता ने एक नजर खुले दरवाजे पर देखा और उठकर दरवाजा बन्द करने लगी

भोला - अरे भाभी दरवाजा क्यू बंद ...

ममता इठलाती हुई हस कर - घबरायिये नही आपको बान्धने नही वाली मै हिहिहिही

भोला हस कर गाना गुनगुनाता हुआ - हम्म तुम्म एक कमरे मे बन्द होओओ और चाबी खो जायेएएए !!!

ममता शर्मा कर हस्ती हुई - धत्त क्या आप भी गंदा गंदा सोचते है हिहिहिह

भोला हसने लगा और ममता उसके पास बैठ गयी और डायरी खोलती हुई

ममता - हमम तो बताईये कितने गीत गाई थी वो लोग

भोला कुछ सोचता हुआ - शायद 4 था ... पहला वाला तो देवी गीत था और दुसरा वाला स्वाग्त वाला था फिर आखिर के दो हाहहहा

ममता डायरी मे लिखती हुई - हम्म्म मतलब समधन जी ने सहला सहला कर गालियाँ दी मतलब हिहिहिही

ममता - तो बताईये किसको किसको लेके गालियाँ पड़ि थी

भोला अब थोडा अटपटा मह्सूस कर रहा था और होठ तो गति कर रहे थे मगर आवाज गले मे भी अटकी थी , उसके चेहरे पर बेबसी और बेचैनी के भाव उभरने लगे थे , वो कुछ सोच रहा था कि कैसे इस पल का फायदा लिया जाये ।

शादी के समय से ही भोला ममता पर हुस्न पर फीदा था और आज सालों बाद ऐसे करीब बैठ कर अश्लील शब्दों पर बातें करने मे उसकी फट रही थी । हालकि वो मौके बे मौके साधारण तौर पर हसी मजाक कर लिया करता था मगर आज जब सामने से खुला आफर था तो उसकी हिम्मत नही हो पा रही थी ।

ममता मुस्कुरा कर - अरे आप खुल के बोलिए ना , इसीलिए तो मैने दरवाजा बंद किया

भोला - टोटल 5 लोगों को
ममता - किसको किसको ?

भोला - मै , आप , संगीता और दोनो भाई साहब को

ममता मुस्कुराकर - हम्म्म तो कौन कौन सी गाली मिली हिहिहिही

भोला मुस्कुराते हुए - आप लिखिए मै बोल रहा हु

फिर भोला ने इमला बोलना शुरु किया और ममता के कमल चलने शुरु हो गये

भोला -
अमन की बुआ के 6-6 यार
ममता हस कर - 6-6 हिहिहिह
भोला - हम्म्म्म ,आगे लिखिए
भोला -
अमन की बुआ के 6-6 यार ,घुमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से ....


ममता मुस्कुराती हुई लिख रही थी और जब भोला रुक गया - अरे आगे बोलिए ना ... " अपने भैया से ..."

भोला हिचक कर - हा लिखिए

अपने भैया से बुर चोदवाये मे तेज
ममता खिलखिला कर हसी तो भोला भी हस पड़ा ।
ममता - हिहिहिही फिर आगे

भोला -
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भो...स..ड़ा
खाना बन्द करो


ममता खिखियाती हुई हसे जा रही थी और लिख रही थी ।

भोला हस कर - क्या बताऊ भाभी ऐसे ऐसे गालियाँ दे रही थी मदन भाई के साथ मुझे बहुत शर्म आ रही थी

ममता हस कर - और मेरे सामने हिहिहिही

भोला थोडा लाज भरी मुस्कराहट से - आप तो दोस्त हो ना
ममता - अच्छा जी , चलिये आगे बताईये दुसरा वाला
फिर ममता एक नजर पहले गीत पर डालती है


अमन की बुआ के 6-6 यार
घूमे चमनपुरा बाजार
नया नया लौडा पटाने मे तेज
अपने भैया से बुर चुदवाने मे तेज
खाना बन्द करो बन्द करो बन्द करो
जाओ पेलो अपनी बहिन का भोसडा
खाना बन्द करो ।



भोला हिचक कर - वो इसमे आपको पड़ी है
ममता मुस्कुरा कर गरदन हिलाती हुई - हम्ं हम्म्म बोलिये आप

भोला मुस्कुरा कर ममता के मुस्कुराते गालो को देख के उसके चेहरे के भाव पढ़ते हुए आगे बोलना शुरु किया -
दूल्हा की अम्मा की बड़ी बड़ी गाड़ !!

ममता ने जैसे ही अपने बारे मे सुना उसको बहुत शर्म आने लगी मगर मजबूरी थी तो उसने हुन्कारि भरती हुई भोला को आगे बढ़ने को बोलती है

भोला ने नजर डायरी पर देखा और आगे बोला -
उसमे घुसाती है हाथी घोड़ा की लाड़


ममता - छीईईई , क्या क्या बोली है समधन जी
भोला हस्ता हुआ मगर चुप रहा ।
ममता - लग रहा है समधन जी को हाथी घोड़ा पसंद है ज्यादा ही हिहिहिह

ममता - आप हसिये मत आगे बोलिये
भोला - हम्म्म लिखिए

दूल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है ...


ममता हस कर - अब क्या आगे बोलिये ना

भोला -
दुल्हा की अम्मा की चुची खड़ी
नंदोई ने की है मिज मिज कर बड़ी


ममता भोला से अपनी चुचिया मिजवाने का सुन कर शर्मा कर मुह पर हाथ रख हसने लगी - कमीनी साली समधन , उसकी बुर मे चार चार लण्ड घुसाये ना तो मेरा नाम भी ममता नही ।

भोला ममता की बात पर हस रहा था तो ममता टोकती हुई - क्या आप हस रहे है , उस टाईम टोकना चाहिये था कि आपके दोस्त के बारे मे कितना गंदा गंदा बोला जा रहा था ।

भोला - अरे बोला तो संगीता के बारे मे भी गया था , उसके लिए भी नही टोका मैने

ममता तुनक कर - अरे दीदी तो है ही भाईचोद मगर आपने कब मेरी चुचिया दबा दी ....हिहिहिही हा नही तो

ममता के साथ बैठे हुए भोला का लण्ड पहले ही सूरसुरा रहा था और जब ममता ने ऐसे खुल कर हसते हुए चुचिया दबाने की बात बोल दी तो उसने भी मौके का फायदा लेने से इंकार नही किया ।

उसने लपककर हाथ बढ़ाते हुए - अगर मेरी संगीता के भाई बहिनचोद है तो लो मैने भी आपकी चूचिया दबाई है

ये बोलकर भोला के बगल मे बैठी ममता के फुले हुए 44 साइज़ के दोनोचुचो को सूट के उपर से मिजने लगा

ममता भोला का स्पर्श पाते ही सिहरि और फिर हस्ते हुए भोला का हाथ झटक दी - हिहिहिही क्या जीजा जी आप भी , मै तो मजाक कर रही थी ना

भोला हस कर - मुझे भी नही पसंद कोई मेरी संगीता के बारे ऐसा बोले

ममता भोला का संगीता के लिए पोजेसिवनेस देख कर उसका मजा लेते हुए बोली - अरे मैने झुठ थोड़ी ना कहा , मैने राखी पर देखा है , हर साल राखी बन्धवाने के बाद दीदी अपने भैया से खुब लेती थी हिहिहिही

भोला थोडा जजबाती होने का दिखाया किया मगर उसके चेहरे पर हसी के भाव भी थे उसे भी इस खेल मे मजा आ रहा था - देखीये भाभी बस करिये नही तो ...।

ममता खिलखिला कर - अरे मैने तो देखा अमन के पापा तो खुब कस कस के चोदते है दिदी को हिहिहिही , आप कर भी क्या लोगे उनका

भोला हसता हुआ - मै क्या कर लूंगा , बताऊ आपको

ममता हसती हुई - क्या कर लेंगे बताईये हिहिहिही

भोला के झटके से ममता को बिस्तर पर धकेला और उसके उपर चढते हुए - अगर मुरारी भाई मेरी बीवी चोदेंगे तो मै उनकी बिवी पेलुँगा

ये बोलते हुए भोला अपना खड़ा हुआ मुसल ममता की सलवार के उपर से उसकी फुले हुए भोसडे पर रगड़ने लगा और ममता निचे दबी हुई हसती हुई कसम्साने लगी ।


ममता हसती हुई - अरे नही नही !! सॉरी ना वो नही चोदते है आपकी बीवी हिहिहिही प्लीज उठिए ना

भोला थोडा संयमि हुआ और उठा गया ममता के उपर से और ममता झटके उठते हुए अपना दुपट्टा ठिक करने लगी - ह्म्म्ं बड़ा आये बीवी के बदले बीवी का हिसाब करने वाले हिहिहिही

भोला अभी ममता को पीछे से देख कर अपना मुसल मसल रहा था ।
ममता हसती हुई - मै खुले आम कह रही हु , आपकी बीवी अपने भैया से बुर कूटवाति है हिहिहिही

भोला से अब रहा नही गया और उसने लपक कर ममता को पीछे पकड़ा और सीधा उसकी बुर को सलवार के उपर से मसलते हुए - तुम ऐसे नही मानोगी हा... आज हिसाब बराबर कर ही देता हु

ये बोल कर भोला अपना मुसल ममता की गाड़ मे चुबोता हुआ एक हाथ से उसके चुत को मल रहा था और एक हाथ से उसके हाथ को पकड़े हुए था ।

ममता हस्ती हुई कसमसाती हुई छोड़ने की दुहाई दे रही थी मगर भोला के मजबूत हाथ उसके पंजाबी शरिर को बहुत कस कर जकड़े हुए थे ।

अपने नंदोई से अपनी चुत कुरेदवा कर और उसका मुसल अपने गाड़ पर रगड़वा कर ममता धीरे धीरे सिस्कने लगी थी कि तभी दरवाजे पर ठकठक हुए और भोला ने पकड ढीली की ,ममता ने झटके से अलग हुए और अपने दुप्प्ते को सही करती हुई दरवाजा खोलने के लिए चली गयी

वही भोला अपना मुसल ठिक करते हुए वही बिस्तर पर बैठ गया ।

सामने संगीता खडी थी और बन्द कमरे मे भोला को देख कर ममता के मजे लेते हुए - क्या भाभी , भैया से मन नही भरा जो मेरे पति पर डोरे डाल रही हो बन्द कमरे मे हुऊ

ममता हस कर भोला को सुनाती हुई - क्या करू दीदी आजकल आप ही अपने भैया को अकेला नही छोड़ रही है तो किसी ना किसी का साथ मुझे भी चाहिये ना

ये बोलते हुए ममता ने भोला को आंख मार कर हसने लगी

संगीता - धत्त क्या आप भी भाभी , चलिये आपका हो गया लिखना ना

ममता भोला को सुनाती हुई - हा हो गया , बाकी नन्दोई जी बड़े शर्मीले है इसीलिए अब उनको जो मुझसे बोलना है डायरी मे लिख देंगे मै बाद मे पढ लूंगी ।

संगीता हस कर - अब क्या लव लेटर लिखवाओगी उनसे

ममता मजे लेती हुई - हम्म्म उनकी मर्जी जो लिख दे हिहिहिही

फिर ममता हस्ती अपनी कुल्हे मटकाती संगीता के साथ निकल गयी और भोला मुस्कुरा कर डायरी देखने लगा

वो समझ गया था कि रास्ता एकदम साफ है और ममता ने उसे हिन्ट दे दिया ।
फिर क्या भोला ने शुरु कर अपने दिल की बाते लिखनी ।

फिर चुपचाप कमरे से बाहर आ गया ।


जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और मजेदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 181 A

लेखक की जुबानी

शाम के 5 बज गये थे , सारे लोग तैयार होकर नये नये ड्रेस मे तस्वीरें निकलवा रहे थे ।
रंगीलाल ने सभी gents के लिए आज मेहन्दी पर पहनने के लिए खास कुर्ता सेट मगवाया था और बारी बारी से सबको बाट रहा था

रंगीलाल उपर के कमरे मे राहुल और उसके पापा को उनका कपड़ा देके जीने की ओर लौट रहा था कि तभी उसकी नजर जीने से उपर आती शालिनी पर गयी ।

20230823-165302
शालिनी का पल्लू उसके सीने से हट चुका था , पिन की वजह से अटका हुआ था और ब्लाऊज मे कैद उसकी चुचिया उछल रही थी
रन्गीलाल शालिनी को ऐसे देखा वही रुक गया और शालिनी उसके पास आकर रुकी तो उसने रन्गीलाल की आंखो मे देखा जो उसको छातियों को निहार रहा था ।
शालिनी ने झट से अपना पल्लू खिंच कर सीने के उपर किया और मुस्कुरा कर रन्गीलाल को देखा । फिर अपनी जुल्फो को कानो मे फसाते हुए साइड से निकल कर शर्माती हुई सोनल के कमरे मे निकल गयी ।

वही रन्गीलाल ने गरदन घुमा कर उसको देखा फिर निचे जाने के बजाय वही हाल मे सोफे पर बैठ गया ।
जहाँ पहले से ही शाकुंतला , विमला रजनी बैठे थे और उनसे बाते करने लगा ।

वही राहुल अनुज और विमला का बेटा मनोज डीजे पर चलाने के लिए भोजपुरी गानो की लिस्ट खोज रहे थे ।

राज और कमलनाथ भी साथ मे तैयार होकर कमरे से बाहर निकल रहे थे कि सामने गेस्ट रूम से शिला एक स्लिवलेस प्लाजो सूट मे तैयार होकर बाहर निकली , उसने एक नेट वाला दुपट्टा साइड से ले रखा था और उसके मोटे मोटे चुचे कसे हुए उभरे थे ।
कुल्हे पर कुरती उठी हुई थि और पलाजो मे जान्घे कसी हुई थी ।

20230823-171000
शिला की नजरे जैसे ही कमलनाथ से टकराई वो थोडा शरमाई और फिर इतराती हुई आगे बढ़ती हुई अपने बालो को पीछे से आगे करते हुए अपनी डीप गले वाली बैकलेस कुरती से अपनी गोरी चिकनी पीठ कर दिदार कराते हुए एक शरारत भरी मुस्कराहट के साथ आगे बढ़ गयी ।

राज उन दोनो की आंखे चार होते देख कर मस्ती मे - अरे वाह बुआ आज तो आप बड़ी प्यारी लग रही हो , क्यू मौसा जी ।

राज की बात सुन कर शिला ने नजरे उठा कर कमलनाथ को देखा तो कमलनाथ अटकते हुए स्वर मे - अह हा हा , बहुत अच्छी लग रही है आप
शिला शर्म से लाल होती हुई मुस्कुराई और फिर कमलनाथ ने सबको उपर चलने के लिए बोला ।

कुछ ही देर मे मेहंदी का कार्यकर्म होने लगा , अब ये सब ले देके था औरतो वाला ही प्रोग्राम तो ऐसे मे मर्दो के लिए बोरियत ही था ।

वही जंगी-रंगी दोनो भाईयो मे अपनी प्लानिंग के लिए आंखो से इशारेबाजी चल रही थी ।
कि अभी यहा मेहंदी का प्रोग्राम हो रहा है घन्टे स्वा घन्टे का टाईम है थोडा मूड बना ही लिया जाये ।

रंगी अंगड़ाई लेते हुए उठा और जंगी से बोला - छोटे जरा आओ थोडा काम है तुम्से और फिर जंगी भी निकल गया उसके साथ निचे ,

हसी ठिठौलि मे वय्स्त महिलाए और उनको घुरते लौंडो के बीच एक अकेला मर्द कमलनाथ ।

निशा की गुपचुप निगाहे कमलनाथ को बिच बिच मे देख रही थी और वो ऐसे जगह बैठी थी कि उसकी गुदाज जांघ और आधा चुतड उसकी लेगी से साफ साफ झलके ।

मगर कमलनाथ और शिला की अपनी इशारेबाजी चल रही थी ,
वही राज और रीना
भी आपस मे मुस्कुराहटे पास किये जा रहे थे ।


रन्गी जंगी दोनो निचे के कमरे मे आये और फिर जो जो जरुरी समान था सब एक झोले मे लेके फटाफट घर बाहर निकल गये इस बात से बेखबर कि रज्जो उनका पीछा करते हुए जीने तक आई थी

जैसे ही उसने दोनो को घर से बाहर जाते देखा तो उसे अटपटा लगा कि इस वक़्त ये लोग कहा जा रहे है ।

फिर वो पीछे पीछे मेन गेट तक और देखा तो वो लोग बगल मे चंदू के घर मे घुसरहे थे ।

रज्जो को लगा कि शायद कुछ काम हो क्योकि उस घर मे भी दहेज एवं रसोई का काफी सारा रखा हुआ था तो वो वापस उपर चली गयी ।

वही रन्गी और जंगी दरवाजा भीड़का कर जीने की सबसे उपर वाली चौड़ी सीढि जो दरवाजे से लग कर थी वही आसान जमा लिये ।

अमन के घर

हाल मे सारे लोग एक साथ थे और कल हल्दी के प्रोग्राम पर चर्चा हो रही थी ।
शाम का समय हो गया था और ममता सबको चाय दे रही थी ।
जैसे ही वो भोला को चाय दी दोनो मुस्कुरा दिये ।

फिर वो किनारे खड़ी हो गयी और तभी भोला ने आंखो से इशारा किया और अपने जांघो पर उंगलियाँ पेन की तरह चलाते हुए ममता से इशारा किया कि डायरी लिख दिया है पढ लेना

ममता इतराते हुए मुस्कुराने लगी और उसकी बेचैनी बढने लगी कि क्या लिखा होगा उसके नंदोई ने ।
उसके पाव कांप रहे थे , रोम रोम सिहर रहा था , उसी सिहरन ने उसके चुचे उठाने शुरु कर दिये थे

आखिरकार ममता से रहा नही गया और वो चाय की ट्रे लेके किचन ने गयी और उसने गटागट एक गिलास पानी गले मे उतारा और अपनी उफनाती सासो को थामने लगी ।

एक घबराहट और उत्सुकता ने घर कर लिया था उसको , बेचैनी और उतावलापन उसके चेहरे से साफ पता चल रहे थे ।
कलेजे की धकधक उसके चेहरे पर मुस्कान ला रही थी और वो एक गहरी आह भरती हुई चुपचाप अपने कमरे मे चली गई

उसने आस पास देखा तो उसको तकिये के निचे वो डायरी मिली और उसने झटपट से दरवाजा भीड़काया फिर सर सर पन्ने उलटने शुरु किये ।

आखिर से दो पन्नो से पहले उसको कुछ लिखा मिला , उसने आंख बन्द कर अपने दिल को थामती हुई एक ठंडी सास ली और फिर डायरी मे देखा ।

कुछ शायरी से शुरुवात की थी भोला ने

कुछ आश रखने की हिम्मत कर रहा हु
बोलो पुरा करोगी क्या ?
कुछ कहने की चाहत रख रहा हु
बोलो सुनोगी क्या ?
आज रात मै इंतजार करूंगा बाल्किनी मे
बोलो आओगी क्या ?
शायरी पढ कर ममता हसने लगी और उसने आगे पढना शुरु किया

गर मंजूर हो दोस्ती का ये इकरार
तो पहन के आना सिर्फ़ सलवार
दोस्ती की कसम है तुम्हे , मत करना मुझे सैंटी
गुजारिश है तुमसे ना ब्रा पहनना और ना पैंटी


ममता इस कल्पना से कि बिना ब्रा पैंटी के सिर्फ सूट सलवार मे नंदोई के सामने जाऊंगी तो , हाय हाय ये मै क्या सोच रही हु धत्त ये नंदोई जी भी ना

फिर वो आगे पढती है

अब इस बात से इंकार ना करना कि तुम्हे भनक नही मेरे इरादो का
कितनी ठोकरे तो खा चुकी हो आज मेरे जज्बातों का


ये लाईन पढते ही ममता को वो पल याद आया जब भोला उसके उपर चढ कर उसकी चुत पर लण्ड से ठोकर मार रहा था , वो याद करते ही ममता की चुत पनियाने लगी ।

फिर उसने आखिर के दो लाईन पढे

कहने को बहुत कुछ है मगर ये कलम बहुत छोटी है
आपके दरखक्तों पर हम अपनी कलम चलायेंगे


ममता - धत्त ये जीजा भी ना , उफ्फ्फ गर्म कर दिया मुझे । क्या मुझे भी बदले मे कुछ लिखना चाहिये । अभी तो 5 बजे है और 11 बजने मे तो काफी वक़्त है ,क्यू ना इसी डायरी मे जवाब लिख कर उन्हे भी थोडा परेशान करू ।हिहिहिही

राज के घर

इधर मेहंदी के रस्म हो रही थी वही राज रिना को डांस करने के लिए आने को इशारा कर रहा था

बदले मे रीना मुस्कुरा कर हामी भर रही थी तो राज भागते हुए रिना के पास गया और उसको पकड कर खिंचते हुए हाल के बीच मे ले आया

रिना खिलखिलाकर हस रही थी और बाकी सारे लोग भी हस रहे थे फिर शुरु हुआई देवार भौजाई के ठूमके , आंखो से आंखे टकराई और होठ भी कुछ मनशा लिये मुस्करा रहे थे ।
वही बाकी की लौडो की गैंग ( अनुज , राहुल , मनोज , चंदू ) सिटिया बजा कर शोर कर रहे थे ।

रीना शर्मा कर हस्ती हुई वापस औरतो मे चली गयी ।
इधर निशा काफी देर से देख रही थी कि कमलनाथ का ध्यान उस्की ओर कम और शिला की ओर ज्यादा था ।
उसे भी भनक सी लग रही थी कि दोनो मे कुछ आंख मिचौली चल रही है ।

निशा ने रागिनी को पकड कर खींचा और हाल मे लेके आते हुए डांस करने लगी , रागिनी भी हस हस ठुमके लगा रही थी मगर जल्द ही वो हट गयी और

20230824-011131


निशा अकेले ही कमलनाथ की ओर खास करके अपनी गाड़ करके झटके लगाते हुए नाचने लगी , उसकी कुर्ती उठती तो कमलनाथ ने निशा के लेगी से झांकते उसकी पैंटी के भी दिदार हो जाते ।

कमलनाथ का ध्यान अब निशा ने खिच ही लिया और डांस खतम कर निशा बार बार बस कमलनाथ की ओर ही देखे जा रही थी ।
कमलनाथ को थोडा अजीब लगा कि वो उसे क्यू देख रही है , और कमलनाथ उस्से नजरे चुराने लगा । अब तो उसको ये दिक्कत होने लगी कि कही वो शिला को ताडे तो उसकी चोरी पकड़ी ना जाये क्योकि निशा तो लगातार नजर जमाए हुए थी ।
सारे लोग इन्जाय कर रहे थे तो रागिनी ने बातो ही बातो मे पुछा - ये राज के पापा कहा गये अभी आये नही

शालिनी - हा जीजी निशा के पापा भी गये है साथ मे

रज्जो को भी लगा कि अब तो समय काफी हो गया क्या करने गये ये लोग अभी आये नही इसीलिए रज्जो उठ कर निकल गयी दोनो को बुलाने के लिए

चंदू के घर का दरवाजा भिड्का हुआ ही था , हल्का सा जोर और खुल गया
रज्जो गलियारे से होकर कमरे दर कमरे पार करती हुई आगे बढ़ रही थी और उसको दोनो भाईयों की खिलखिलाहट भरी हसी और बातो की गूंज आ रही थी ।
रज्जो जैसे ही सबसे पीछे आंगन मे पहुची तो उपर के जीने से आवाज आई जो जंगी की थी ।

जंगी- भैया सच सच बताओ ना रज्जो भाभी आपको कैसी लगती है

जन्गी का अपने भाई से यू सवाल पुछना रज्जो को थोडा खटका

रंगी - एकदम रसदार है रज्जो भाभी यार , मै तो शादी के समय से ही दीवाना हु

रज्जो ने जीने की ओर झाक कर देखा तो समझ गयी
दोनो भाई सिर्फ बनियान पहने दरवाजे पर बाहर की ओर मुह किये बैठे थे , उनके कुरते जीने की रेलिंग पर रखे हुए थे ।
रज्जो उनकी बाते सुनते हुए धीरे धीरे सीढिया चढने लगी ।

जन्गी - सच भैया , ये कमलनाथ भाई ने क्या किसमत पाई है ना , क्या मस्स्स्त गाड़ है भाभी के उह्ह्ह्ह मन करता है कि झुका के

जन्गी की बाते सुन्कर रज्जो के कान खडे हो गये और वो समझ गयी कि दोनो ड्रिंक किये हुए है

रंगी - हेईई जन्गीईई नहीईई भाभी है ना वो ऐसा नही बोल्ते

जंगी - स्स्स्सोरीईई भैयआआह
रंगी - सोरीई क्यू सॉरी क्यू , अरे रन्डी है एक नं की रंडी देखा नही साली गाड़ कैसे फैली हुई है

"खुब पेलवाति होगी आह्ह" , रंगी ने ग्लास गटकते हुए कहा ।
जन्गी ने भी सिप लेते हुए - हा भैया पता है मैने तो कल रात को ....।

रज्जो को लगा कही उस्का भेद खुल ना जाये और जंगी नशे मे कुछ बोल ना दे
इसीलिए वो पीछे से बोल पड़ी- हम्म्म तो क्या बैठ कर आप लोग मेरे बारे मे ये सब बाते कर रहे है ।

रज्जो की तेज आवाज सुनते ही रंगी जंगी दोनो ने पलट कर देखा तो दोनो की आधी शराब वैसे ही गायब हो गयी और वो फौरान खडे हो गये - भाभीईई जिजीईई

जैसे ही वो खडे हुए उन्के पाजामे मे तना हुआ मुसल भी तम्बू बना कर रज्जो को निहार रहा था और रज्जो की नजर जैसे ही उन्पे गयी दोनो ने अपने पंजे से छिपाने लगे तो रज्जो की हसी छूट गयि ।

रज्जो - छीईई आप लोग मेरे बारे मे ऐसी बाते करते है क्या मै आपको सड़क छाप वो लगती हु , हुउह्ह

रंगी और जंगी दोनो सफाई देते हुए - नही नही जिजीई भाभीईई हमारा वो मतलब नही था , सॉरी ना प्लीज

रज्जो तुन्क कर - हुह , रहने दो सुन लिया मैने सब

ये बोल कर रज्जो निचे जाने लगी तो रंगी - ये भाई रोक रोक जिजीई को

जन्गीलाल सरपट रज्जो के पीछे भागा और आन्गन मे रज्जो की कलाई पकड ली तो रज्जो छुड़ाने की कोसिस करती है इतने मे रंगी भी आ जाता है

रंगी - सॉरी ना जीजी , मान जाओ ना प्लीज

जन्गी - हा भाभी प्लीज , देखीये ये सब शुरु भी इसीलिए हुआ कि आपकी गलती थी

रज्जो ठहर कर - अब मेरी क्या गलती
जंगी - आपको तो पता ही है ना कल रात मे जब मैने आपको खाना के लिए बुलाने आया था तो

इस्से पहले जन्गी अपनी बात पूरी करता उस्से पहले रज्जो ने अपनी आंख दिखाई उसको

जंगी हड़ब्डा कर बात घुमाता हुआ - और आज सुबह मे जब हम नासता कर रहे थे तो हमे आपकी वो दिख गयी और फिर

फिर जंगीलाल ने सारि बाते बताई कि कैसे दोनो भाई बीते लमहे ताज़ा करने के चक्कर मे थे
जंगी - मगर सुबह का वो झलक बार बार मेरे जहन में था और बस मन कर रहा था कि

रज्जो - क्या मन कर रहा था
जन्गी - नही भाभी आप बुरा मान जाओगे

रज्जो तेज अवाज मे - मैने कहा बताओ

रंगी ने इशारे से जंगी को बात रखने को कहा
जन्गी - वो भाभी जबसे सुबह से आपकी चिकनी बुर देखी थी उसको चाटने का इतना मन हो रहा था , ऐसी फूली हुई लम्बी लकीरो वाली चुत मैने आज तक नही देखी थी और देखो ना तबसे मेरा मुसल भी नही बैठ रहा है ।

जन्गीलाल ने अपनी तारिफ सुनकर रज्जो मुस्कुराई जिसे रंगी ने पल भर की नजर मे भाप लिया और वो समझ गया कि रज्जो को इससे कोई फर्क नही पड रहा है क्योकि वो रज्जो के रग रग से वाक़िफ़ था ।

रज्जो - अब छोड़ो मुझे और ये सब क्या बाते कर रहे हो आप लोग । शर्म नही आती एक पराई औरत के साथ ये सब छीई

रन्गी मुस्कुरा कर - जीजी आप पराई कहा हो आप तो अपने हो और जमाई की तो सारी गल्तियां माफ की जाती है ना

रज्जो रंगी की आंख मे झाक चुकी थी और वो मुस्कुरा कर - ऐसे कैसे माफी मिल जायेगी , आप दोनो को सजा मिलेगी ।

जंगी - क्या सजा !!
रज्जो - हम्म्म्म और क्या ,
मुझे भी हिसाब बराबर करना है

जंगी - वो कैसे ?

रज्जो - मै भी आप दोनो को गाली दूँगी और आपके प्राइवेट पार्ट देखूँगी । तब ना होग हिसाब बराबर


रज्जो की बात सुनते ही जन्गी खिल उठा और अपने पजामे का नाड़ा खोलते हुए अपना मुसल बाहर निकाल कर - बस इतनी सी बात , ये लो

जन्गी ने बड़ी बेशर्मी से अपना तनतनाया हुआ लण्ड बाहर निकाल दिया

रज्जो - साले भडवे रंडीबाज , बहिनचोद

जंगी चौक कर रज्जो को देखा
रज्जो - अरे हिसाब बराबर कर रही हु ना
जन्गी - ओह्ह

फिर रज्जो रंगी की ओर घूमी तो वो भी फटाक से अपना मुसल निकाल कर खड़ा हुआ और रज्जो ने वही गाली दुहराई

रज्जो - चलो हो गया अब चलते है , सार लोग खोज रहे है आपको

रंगी - अरे अभी कहा हुआ
रज्जो - तो अब क्या बाकी है ?

रन्गी - क्या जीजी हमने तो उसकी तारिफ भी की थी ना ...तो

रज्जो रंगी की बात सुनकर हस दी - धत्त , ये भी बोलना पडेगा

जंगी हस्ते हुए - हिसाब तभी ना बराबर होगा भाभी

रज्जो ने बड़े गौर से दोनो के लाल सुपाडे वाले लण्ड को निहार रही थी जो दोनो के हाथो मे कैद थे ।

रज्जो कुछ बोलने को हुई मगर उसकी हसी छूट गयी

रंगी - अरे बोलो ना जीजी

रज्जो नजरे गडाये तेज धडकते दिल के साथ - उफ्फ्फ क्या मसत मस्त लण्ड है जी कर रहा है कि अभी चुस चुस कर लाल कर दू और

रज्जो की बातें सुनते हुए दोनो भाईयो के जिस्म मे सुरसूरी सी हुई और दोनो के लण्ड पुरे फौलादी हो गये ।

दोनो अपना मुसल सहलाते हुए - सीईई और क्या भाभीई/जिजीई

रज्जो अपने बेकाबू होते दिल को मह्सूस करती हुई अपनी उफ्नाती सासो के साथ एक आह भरती हुई - और इनको उसी रसिले चुत मे भर लू जिसको आप दोनो चुसना चाहते थे

रज्जो की बाते सुन्कर दोनो भाई के दिल की धड़कने तेज हो गयी और दोनो सिस्कते हुए तेजी से अपना मुसल मसल रहे थे और रज्जो की निगाहे वही अटकी थी

दोनो भाईयो ने एक दुसरे को खुमारी भरे नजरो से देखा और रज्जो के करिब आ गये

रज्जो की सासे और चढने लगी , वो नजरे घुमा कर दोनो तरफ खडे दोनो भाईयो की आंखो मे मदहोश नजरो से देख रही थी ।
" भाभीईई ",जन्गी की गरम सासों से भरी आवाज रज्जो के गरदन से टकराई और वो आंखे बन्द कर सिहर उठी ।

वही रंगी ने रज्जो का एक हाथ पकड़ा और अपने मुसल पर रख दिया , जिससे रज्जो ने अपनी आंखे भीच कर सीने मे सासो को भर लिया ।

जन्गी ने वही किया और इस बार रज्जो ने अपने होठ भी दबा लिये ।
दोनो भाईयो ने एक साथ उसके गरदन को चूमा और दोनो के एक एक हाथ उसकी उभरी हुई चरबीदार गाड़ पर फिराने लगे ।

रज्जो ने दोनो के लण्ड को मुठ्ठि मे भर लिया दोनो भाई भी सिहर उठे ।

रज्जो ने उनकी लिंग की चमडीया खिस्कानी शुरु की और रज्जो के गर्म हाथो की मुलायम हथेली ने उन्हे मदहोश कर दिया ।

रज्जो अब आंखे खोल के दोनो भाईयो के चेहरे पढते हुए उन्के लण्ड को भीच रही थी और दोनो को भनक भी नही लगी कि कब रज्जो निचे बैठ गयी , सबसे पहले जंगी का कालेज ध्क्क हुआ जब उसको अपने लण्ड की सतह पर नरम ठंडे होठो का स्पर्श मिला

वो एडिया उचका कर सिहरा - उह्ह्ह भाभीईई उम्म्ंम्ं सीईई अह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह

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रज्जो ने कुछ देर बाद रंगी का लण्ड मुह मे लेके चूसने लगी ।तो रंगी ने भी आहे भरनी शुरु कर दी ।
जंगी - ऊहह भाभीईई क्या मस्त चुस्ती हो जब आपके उपर के होठ ऐसे है तो निचे के होठ कितने नरम होंगे

रज्जो मुह से लण्ड निकालती हुई - वो आप खुद चुस के देख लो ना भाई साहब

ये बोल के रज्जो उठकर अपना साड़ी पेतिकोट एक साथ उठाते हुए आंगन की एक चौकी पर लेट कर जान्घे खोल दी - आह्ह आओ ना भाई साहब चुस के देखो ना

जन्गी मुस्कुरा कर रंगी की ओर इजाजत भरी नजरो से देखता है तो रंगी भी उसको हामी भर कर अपना मुसल मसलने लगता है ।

जन्गी फौरन घूटने के बल होकर अपना मुह रज्जो की बुर मे दे देता है और रज्जो आहे भरने लगती है - उह्ह्ह माह्ह्ह सीईई ऐसे हीई उह्ह्ह्ह उम्म्ं और चुसो भाईसाहब उह्ह्म्ंं

जंगी अपने होठो से रज्जो के बुर के फाके निचोडते हुए जीभ से लकीर चाट रहा था और रज्जो उसकी थूथ को अपने फुले हुए भोस्ड़े पर रगड़ रही थी - उह्ह्ह और चुसो उह्ह्ह ऊहह सीईई ऐसे ही उम्म्ंम माह्ह्ह

रंगी वही खड़ा खड़ा मुसल मसल रहा था और उससे रहा नही गया वो अपना लण्ड थामे चौकी पर चढ गया ।

रज्जो ने देर ना करते हुए उस्का लण्ड मुह मे भर लिया और रंगीलाल उसके ब्लाउज खोलकर उसकी चुचिया आजाद करके उन्हे मसलने लगा

रंगी- भाई सारा माल तू ही खा जायेगा क्याह्ह उह्ह्ब
जंगी मुह हटा कर देखा कि उसके भैया ने रज्जो के मुह मे लण्ड पेल रखा और चुचिया नंगी खुली हिल रही है ।

जंगी खड़ा होकर अपना मुसल मसलते हुए - आह्ह भैया इस रंडी की बुर बहुत रस है उह्ह्ह सच मे बहुत गर्म माल है

जंगी की बात सुनकर रज्जो मुह से लण्ड निकालती हुई - तो चोद ना साले रन्डीबाज पेल दे ना मुझे उह्ह्ह बहिन ंचोद

जन्गी अपना लण्ड उसके चुत पर रगड़ता हुआ - क्या बोली मादरचोद हाह

रज्जो उसकी आंखो मे देखते हुए साफ साफ लहजे मे झल्ला कर बोली - मैने कहा पेल ना बहिनचोद

बहिनचोद शब्द सुनते ही जंगी को सुरुर सा छा गया और वो कस के एक ही झटके आधे ए ज्यादा लण्ड घुसा दिया और और रज्जो के गले मे आवाज घूंट कर रह गयी क्योकि रंगि ने पहले ही उसका मुह भर दिया

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जंगी हच्क ह्च्क कर रज्जो की रस फेकती चुत मे लण्ड पुरा जोर देके जड़ तक घुसाये हुए था - लेझ्ह साली रन्डी अह्ह्ह चुदक्क्ड उह्ह्ह लेह्ह्ह क्या मस्त बुर है तेरी उह्ह्ह
इधर जंगी कस कस के पेल रहा था वही रंगी का मुसल पूरी तरह फौलादी हुआ जा रहा था और वो रज्जो के मुह से लण्ड निकाल कर जंगी की ओर लाचारी भरी नजरो से देख कर हिला रहा था कि एक बार उसका छोटा भाई उसे भी मौका देदे

जंगी की नजर जब अपने भैया पर गयी तो उसने मुस्कराते हुए अपनी पोस्ट खाली कर दी फिर क्या रंगी ने
खडे होकर वही पास रखे सोफे पर अपना आसान टिका लिया और रज्जो भी खडी होकर अपना साड़ी पेतिकोट निकाल कर रन्गीलाल पर सवार हो गयी ।

लण्ड को चुत मे लगाते ही वो सरक कर भीतर घुस गया और बाकी का काम रज्जो ने खुद करने लगी ।

रन्गीलाल उसके नरम चुतडो को सहलाते हुए उसके चुचो को मुह मे भर कर चुसने लगा और रज्जो सिसकिया लेते हुए उसके लण्ड को अपनी बुर मे भरे हुए गाड़ घिसने लगी

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रज्जो की चिकनी फैली हुई गाड़ को बड़ी अदा से लण्ड पर आगे पीछे होते हुए देख जंगीलाल वही चौकी पर बैठा हुआ अपना मुसल मसलने लगा ।

रज्जो जब भी पीछे होती उसकी गाड के पाटे खुल जाते और उसके गाड़ की भरी सुराख ही हल्की झलक उसे मिलती और उसका मुह लार छोडता ।

वही रंगीलाल निचे से झटके लगाता हुआ अब गति और बढा चुका था जिससे रज्जो की चिखे कमरे मे गूंज रही थी ।
रज्जो की कामुक चिख और सिसकियाँ जंगीलाल को अब और बेसबर किये जा रही थी वो उसकी चिखो को और बढ़ाना चाह रहा था और वो अपनी जगह से उठकर रज्जो के पास पहुचा ।

उस्ने रज्जो की चर्बीदार गाड़ की लकीरो मे हाथ लगाया तो रज्जो सिसकी और गरदन घुमा कर मुस्कुराते हुए जन्गीलाल को देखा ,वो समझ रही थी कि बस जंगी को उकसाने की देर है और वो अपना लण्ड उसकी गाड़ मे घुसाने से बाज नही आयेगा ।

रज्जो - क्या हुआ बहिनचोद ऊहह सीईई अह्ह्ह ऐसे क्या देख रहा है कभी गाड़ नही देखी क्या उम्म्ंम सुईई आअहह

जंगी मे चट्ट से उसके गाड़ पर चपत लगाई और उसके नरम नरम पाटो को फैलाते हुए - बहुत देखी है साली लेकिन तेरी जैसी चुद्क्क्ड की गाड़ पहली बार देखी है , उह्ह्ह कितना नरम है उह्ह्ह

रज्जो - कभी अपने दीदी का भी छू लेना , मुझसे भी नरम है अह्ह्ज साले क्या कर रहा है बहिनचौद उह्ह्ज

जंगीलाल सुखा सुखा ही लण्ड उसके गाड़ के मुहाने लगा कर धकेलने लगा

जंगी उसके गाद के सुराख पर थुक कर अपने सुपाड़े से उसको छेद पर फैलाते हुए हल्का सा जोर देके पचकक्क से लण्ड को भीतर घुसेडा - अह्ह्ह क्या कसी हुईई गाड़ है भाभी उह्ह्ह्ह उम्म्ंम कितनी गर्मी है भीतर है उह्ह्ह ओह्ह्ह्ह

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रज्जो की तो आंखे उलटने लगी , उपर निचे दोनो तरफ दोनो भाइयो ने अप्ने मुस्तैद मसलो को उसके दोनो छेड़ो मे भर दिया था ,

जन्गीलाल हल्का हल्का झटका देता हुआ - आह्ह लेह्ह पुरा लेह्ह्ह ऊहह भैया आअप भी पेलो ऊहह मस्त चुदाई होगी

रंगीलाल - हा भाई घुसा घुसा और कस कस फ़ाड इसकी गाड़ उह्ह्ह क्या मस्त चुदवाती है आज तो दिन ही बन गया उह्ह्ह जिजीईई उम्म्ं

रज्जो - ह्म्म्ं और पेलो और घुसाआअऊओ उह्ह्ह माह्ह दिखाओ ना कितना जोर है तू भोसडीवालो मे उह्ह्ह पेलो ना सालो बहिन चोदो


रंगीलाल ने उसके कमर को थाम कर तड़तड़ कमर उठा कर लण्ड उसकी चुत मे डालने लगा और जंगी भी उसके कन्धे पकड कर गाड़ मे पुरा लण्ड भर भर के पेले जा रहा था ।

रज्जो भर भर दोनो को गालिया बकते हुए उन्हे चढा रही थी और दोनो भाई बस गालीया सुनकर बहुत ऊततेजित होकर रज्जो को पेले जा रहे थे ।

रज्जो की चुत हलाहल तीसरी बार रस छोड चुकी थी मगर दोनो भाई अभी तक लगे हुए थे ,
रज्जो - अरे कम होगा तुम्हारा उह्ह्ज माह्ह फाड़ कर रख दिये हो उह्ह्ह

जन्गिलाल उसके लाल हो चुके गाड़ के पाटो को मसलता हुआ
जंगीलाल - क्यू भाभीई अभी से थक गयी ,देख लिया हमारे खुन का जोर उम्म्ंम

रज्जो ने अपनी आन्खे महिन की और अपने दोनो छेदो के छल्ले सिकोड़कर टाइट कर - अच्छा ऐसी बात है अब पेलो देखू तो

एक बार फिर दोनो छेद पूरी तरह कस चुके थे और दोनो घिसावट मे तंगी होने लगी , दोनो के सुपाड़े पर जोर पड़ने लगा और जंगी की नसे अब ये रगड़ बर्दाश्त ना कर सकी और उसने कुछ ही झटको मे अपना फव्वारे को छोड़ दिया ,

रज्जो ने गाड़ की जड़ मे जन्गी के झड़ते लण्ड के फुलते सुपाड़े की मोटाई महसूस की और एक बार फिर से वो झड़ने लगी और वही नीचे गर्म लावे का स्पर्श पाते ही रंगीलाल भी भलभला कर झटके खाने लगा

रज्जो ने दोनो के लण्ड को भर पुर निचोड़ा और फिर अलग होकर उन्हे साफ भी किया ।

रज्जो - आप लोगो का तो हो गया अब ये साफ कहा करू ,

रंगी अपना जांघिया चढाता हुआ - आयिए जीजी मै साफ करवा देता हू

ये बोल कर वो रज्जो को वही जीने के निचे लगे पानी के मोटर के पास ले जाता है

रंगी - जीजी आप झुक कर खडे हो जाओ , मै पानी डालता हु

रज्जो हस कर झुक कर खडी हो गयी और रंगी ने मोटर चालू कर पानी की पाइप की तेज धार के उसके चुतडो पर मारी की रज्जो गनगना गयी - आह्ह आऊच ऊहह आराम से ना

रंगी - अरे जीजी वो आप अपना फैलाओ ना तब तो धुलेगा

रज्जो - क्या फैलाऊ
जंगी - अपनी गाड़ फैलाओ ना भाभीईई

रज्जो शर्मा कर हस्ते हुए - धत्त

फिर उसने झुक कर वैसे अपने गाड़ के पाटे फैलाये और रंगी को उसके भूरे गाड़ से रिसता हुआ सफेद वीर्य दिखा ।

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कुछ पल को रंगी कोअजीब सा लगा मगर जैसे पानी की मोटी धार उसपर गयी वो एक ही पल मे साफ हो गया और रंगी सीधा रज्जो की गाड के सुराख पर धार मारने लगा , फिर उपर निचे करते हुए उसके चुत के फाको को भी धूलने लगा

ये सब देख कर जंगी का लण्ड एक बार फिर से कसने लगा ।
उससे रहा नही गया और वो आगे बढ़ते हुए अपना सुपाडा खोलकर एक बार फिर से अपना लण्ड रज्जो की गाड़ मे भर दिया

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रज्जो अपने हाथ घुटने पर रख कर झुकी हुई थी , गाड़ मे लण्ड जाते ही उसकी सिकुडी हुई गाड़ के सुराख फैलने लगे और लण्ड पुरे तेजी से भीतर घुसता चला गया ।

रज्जो - उह्ह्ह भाईसाहब अभी तो किया था नाअह्ह उह्ह्ह माअह्ह

जन्गी कस कस के गाड़ मे झटके लगाता हुआ - ओह्ह भाभीईई आपकी गाड़ इत्नी मस्त है किहहह ऊहह मजा आ रहा है कितनी गर्मी है भीतर उह्ह्ह लग रहा है पिघल ही जायेगा

ये सब देख कर रंगी का लण्ड भी फौलादी होने लगा और वो भी अपना मुसल निकाल कर हिलाने लगा

रज्जो उसको देख कर चेहरे भिच्कर आहे भरते हुए - मै नही लेने वाली ,अह्ह्ह माअह्ह्ह जाओ अपनी बहिन के भोसड़े मे घुसाओ ओह्ह्ह मह्ह्ह सीईई उह्ह्ह उह्ह्ह जल्दी करो भाई साहब
रंगी का मुह उतर गया और
जन्गीलाल रज्जो की कसी हुई गाड मे जल्दी जल्दी पेलने लगा और कुछ ही मिनटो मे एक बार फिर से उसकी गाड़ को अपने वीर्य से भर दिया ।

रज्जो पास के दिवाल से सहारा लेते हुए अपनी कमर और पैर सीधा करती है - आह्ह माह्ह्ह तोड कर रख दिया तुम दोनो ने ऊहह सीईईई

रज्जो की बाते सुनकर दोनो भाई हस दिये
रज्जो - अरे अब धुला दो ना , हो गया काम तो सरक रहे हो

जन्गी आगे बढ कर - अरे आओ भाभी धुला देता हु

इस बार जंगी ने खुद पाइप से पानी डाल कर हाथ लगा कर रज्जो की गाड़ साफ की और फिर तैयार होने लगा ।

रंगी - भाभी हम लोग निकल रहे है आप तैयार होकर आईये ऐसे साथ मे निकलना उचित नही है

रज्जो कराह भरी आवाज मे अपने खुले हुए चुतड को चौकी पर टिकाते हुए - आप लोग चलो मै आती हु

फिर दोनो भाई बाहर निकल गये ।


जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
 

hawasisonu123

New Member
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💥 अध्याय: 02 💥

UPDATE 002


" ओह येस बेबी उम्ममम कितनी सेक्सी सा चूस रही हो अह्ह्ह्ह्ह बाबू उम्ममम कितनी बड़ी गाड़ है तुम दोनों की एकदम गोरी गोरी दूधिया गाड़ अह्ह्ह्ह पागल कर दे रहे हो ओह्ह्ह्ह " , अमन बेड के किनारे अपना लंड बाहर किए खड़ा था और बिस्तर पर बेट के बल लेट कर सोनल और निशा बारी बारी उसका लंड चूस रही थी ।

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" लुक हियर बेबी अह्ह्ह्ह्ह सेक्सी लग रही हो उम्ममम अह्ह्ह्ह " , अमन सोनल को कैमरे की ओर देखने को कहता है जिसमें वो दोनों की लंड चूसते हुए वीडियो बना रहा था ।
दोनो ने मैचिंग सेक्सी सी ब्रा पैंटी सेट पहनी थी और होटल के बेड पर लेती हुई अमन का लंड साझा करने लगी

निशा : उम्ममम जीजू कितना गर्म है उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह्ह लोहे जैसा लंड है तुम्हारा
सोनल अमन से मोबाइल लेकर फ्रंट कैमरे से निशा के साथ वीडियो बनाने लगी : निशा इधर देख अह्ह्ह्ह्ह सीईईई


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निशा कैमरे में देखते हुए अमन का टोपा चुबला रही थी और उसकी आंखो में खुमारी उतर चुकी थी वो मदहोश नजरों से खुद को ही निहार रही थी ।
तभी अमन के मोबाइल पर रिंग हुआ


अमन : किसका है ?
सोनल : पापा जी का है !!
अमन समझ गया कि जरूर कुछ जरूरी बात होगी
अमन मोबाइल लेकर : मै बात करके आता हु
फिर वो वैसे हो कमरे निकल कर बालकनी में नंगा खड़ा होकर बात करने लगा
फोन पर

: नमस्ते पापा , कैसे हो ?
: मै ठीक हूं बेटा , तुम कैसे हो ? ( मुरारी की आवाज आई )
: मै तो एकदम मस्त हु पापा हीही ( अमन ने चहक कर जवाब दिया )
: हा हा भाई तेरी तो डबल मस्ती चल रही होगी क्यों ( मुरारी ने अंदाजा लगाया )
: उफ्फ पापा क्या बताऊं , आपकी बहु और उसकी बहन पूरा दिन मुझे कपड़े नहीं पहनने देते , अभी भी नंगा हु बालकनी में हीही
: ऐसी किस्मत सबको नहीं मिलती बेटा , मै तो 2 रोज से तड़प रहा हूं। शहर के शहर भटक रहा था अब तक आज कही पाव रुके है मेरे
: मतलब चाची मिल गई ( अमन खुश होकर )
: हा बेटा मिल गई , अभी उसके घर पर रुका हु कल सुबह हम लोग निकलेंगे घर के लिए
: वाव पापा फिर तो मै भी जल्दी आता हूं हीही मजा आएगा ( अमन एकदम से खुश हो गया )
: नहीं नहीं बेटा तुम आराम से अपनी ट्रिप इंजॉय करके आना , तबतक मै तैयारिया देख लूंगा , ठीक है (मुरारी बोला )
: पापा?
: हा बोल न बेटा ?
: पापा चाची कैसी दिखती है , मतलब sexy है या नहीं हीही ( अमन कमरे में झाक कर अंदर का माहौल देख कर अपना लंड सहलाते हुए मुरारी से सवाल किया )
: बदमाश कही का , आकर देख लेना न कैसी है ? हाहाहाहा ( मुरारी हंसा)
: पापा बताओ न प्लीज
: अब क्या बताओ बेटे , एकदम कड़क गदराया पीस है उफ्फ तेरी बुआ संगीता के जैसी कसी हुई मोटी मोटी छातियां है और कूल्हे उठे हुए है उसके जैसे ही । उम्मम अब क्या बोलूं , मेरा तो सोच कर ही मूड बन गया अह्ह्ह्ह
: वाव सच में फिर तो चाचू के भाग्य खुल गए हीही ( अमन बोला )
: किस्मत तेरी भी कम बुलंद नहीं है बेटा , बीवी के साथ साली को भी चोद रहा है उम्मम हाहाहा ( मुरारी ने अमन को छेड़ा )
: पापा एक गजब की चीज दिखाऊं, कलेजा थाम के देखना ओके ( अमन कमरे में झांकता हुआ बोला )
फिर वो मुरारी को वीडियो काल उठाने की रिक्वेस्ट भेजता है
: ऐसा क्या दिखाने वाला है तू ( मुरारी अंधेरे में वीडियो काल उठाता है
: श्शशश, चुप रहिएगा (अमन ने मुरारी को टोका और वीडियो काल पर बैक कैमरा से कमरे के अंदर का माहौल दिखाय



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अंदर दोनो बहने सोनल और निशा 69 पोजिशन में एकदूसरे के बुर और गाड़ चाट रही थी और सोनल तो अपनी एक उंगली निशा की गाड़ में गुब्ब गुब्ब पेलते हुए उसकी झड़ती चूत चाट रही थी )

इधर मुरारी की आंखे फटी की फटी रह गई और लंड एकदम उफान पर था

कमरे से बाहर निकल कर
: क्या हुआ पापा होश उड़ गए न
: बेटा ये तो मैने पहली बार देखा , बहु अपनी बहन के साथ , अह्ह्ह्ह बेटा तेरे तो मजे ही मजे है । ( मुरारी पजामे में अपना लंड मसल कर बोला )
: पापा जल्द ही आपकी बहु को आपके आगे लिटाऊनंगा फिर आप भी मजे लेना , चलो मै चलता हु बाय
: हा बेटा मजे करे ( मुरारी फोन काटकर ) मेरे नसीब में तो अभी दो रात चूत का कोई ठिकाना नहीं है ।

मुरारी छत से नीचे आया और वो मोबाईल का टार्च जला कर नीचे आ रहा था कि उसके जहन में अमन के सवाल कौंधी " चाची कैसी है ? "

मुरारी कमरे में आया और उसकी नजर जमीन पर सोई हुई अपने भाई की प्रेमिका पर गई , जो इस वक्त साड़ी बदल कर नाइटी में सोई थी ।
उसके घुटने फोल्ड थे और पैर की ओर से नाइटी में पूरा गैप बना हुआ था ।
मुरारी का जी ललचा गया

वो दबे पाव दूसरी तरफ आया और मंजू के चेहरे पर टार्च जलाई , वो गहरी नीद में थी और उसने झुक कर हौले से मंजू की खुली नाइटी में टॉर्च दिखाई


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आहे क्या नजारा था , हल्की फुल्की झुरमुट में झांकी एक रसीली फांक

देखते ही मुरारी का लंड एकदम फड़फड़ाने लगा मगर वो ज्यादा देर तक ऐसे नहीं रुक सकता था इसीलिए वो उठ कर बिस्तर पर आ गया ।

वही दूसरी ओर अमन कॉल काट कर वापस आया कमरे में तो सोनल निशा की जांघें फाड़े हुए उसकी बुर में अपना मुंह दिए हुए थी


सोनल : अह्ह्ह्ह कितनी गर्म है तेरी चूत रे अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह , इसको खा जाऊंगी आज उम्ममम
निशा उसके गाड़ के सुराख को गिला कर रही थी वो पागलों के जैसे सिसकने लगी जब सोनल इसके चूत में जीभ घुमाने लगी


निशा : ओह्ह्ह्ह मम्मीईईई उम्ममम सीईईई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सोनल उम्ममम मै पागल हो जाऊंगी
अमन अपना लंड सोनल के मुंह पर लाता हुआ : हाय बेबी इसे नहीं चूसोगी उम्मम

सोनल ने नजरे उठा कर देखा और मुस्कुराते हुए अमन का लंड पकड़ कर मुंह में भर ली


2

अमन : ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम माय डर्टी बीच सेक्सी डॉल उम्ममम सक इट बेबी अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् यूयू ओह्ह्ह्ह यशस्स अह्ह्ह्ह्ह
अमन सिसकने लगा और सोनल उसका लंड गले तक ले जाने लगी उसकी उंगलियां अभी भी निशा के बुर को मसल रही थी

निशा तड़पती हुई : डालो न जीजू उम्ममम प्लीज अह्ह्ह्ह
अगले ही पल सोनल ने लंड को मुंह से निकाल कर अमन का सुपाड़ा निशा के बुर के फांके पर रगड़ने लगा
निशा : अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्ह डाल दे न कामिनी अह्ह्ह्ह बहनचोद अह्ह्ह्ह्ह जाने दे न अह्ह्ह्ह
अगले ही पल अमन ने हचक से लंड को झटका दिया और वो निशा के बुर के फाकों को चौड़ी करता हुआ अंदर घुसता चला गया
निशा : ओह्ह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई यस्स अह्ह्ह्ह्ह जीजू पेलो मुझे उम्मम कितना बड़ा है अह्ह्ह्ह रुकना नहीं उम्ममम यस्स जीजू उम्ममम अह्ह्ह्ह फक्क्क् फ़क्कक्क फक्क्क् ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी
अमन निशा की जांघें उठा कर तेजी से उसकी बुर में पेलने लगा : अह्ह्ह्ह ले मेरी जान कितनी गर्मी है तेरी बुर में अह्ह्ह्ह्ह मजा आ रहा है ओह बहिनचोद सपना था तुझे पेलने का जबसे तेरे चौड़े कूल्हे देखे थे उम्मम अह्ह्ह्ह्ह


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निशा : अह्ह्ह्ह हा जीजू मै भी पागल हु आपके लिए अह्ह्ह्ह फक्क्क् मीईईई ओह्ह्ह गॉड अह्ह्ह्ह सोनल उम्ममम ममममाआ अह्ह्ह्ह्ह
वही सोनल निशा के निप्पल चूस रही थी और उन्हें मिंज रही थी कि उसकी नजर वापस से अमन के मोबाइल पर गई और लपक कर वो निशा के बगल में अपनी टांगे खोलकर भी लेट गई और सेल्फी कैमरे पर वीडियो बनाने लगी
निशा : अह्ह्ह्ह्ह कामिनी किसको दिखाएगी उम्मम अह्ह्ह्ह्ह जीजू और तेज अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् बहिनचो ताकत नहीं है क्या अह्ह्ह्ह
अमन जोश में उसकी जांघें पकड़ कर फचर फचर पेलने लगा : साली मादरचोद फाड़ दूंगा अह्ह्ह्ह लह्ह्ह ओह्ह्ह्ह कितनी गरम है चूत अह्ह्ह्ह
निशा तेजी से चीख रही थी


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और सोनल हस्ते हुए सेल्फी कैमरे पर वीडियो ब्लॉग बना रही थी : हाय गाइज वी आर ऑन हनीमून , माय बिग डिक्की हब्बी फकिंग माय सिस्टर हाहा , देखो गाइज मेरी चूत अह्ह्ह्ह कितनी गर्म है मुझे भी लंड चाहिए कोई चोदेगा मुझे हाहाहा


सोनल मस्ती कर रही थी और उसकी बातें सुनकर उसका लंड और फड़कने लगा कि क्या हो अगर ये वीडियो अपने पापा को दिखाएगा
अमन निशा को छोड़ कर लपक कर सोनल को अपनी ओर खींचा और गपक से लंड उसकी चूत में उतार दिया ।

सोनल : ओह्ह्ह्ह बेबी कितना टाइट है आह्ह्ह्ह मम्मा उम्मम्म फक्क्क् मीईईई ओह्ह्ह यस्स बेबी अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह
अमन उसके हाथ से मोबाईल लेकर बैक कैमरा से वीडियो रिकार्ड करने लगा सोनल को चोदते हुए
सोनल अपनी जांघें खोलते हुए : अच्छे से बनाओ न बेबी अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह ओह गॉड फक्क्क् मीईईईई यस्स बेबी उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्हमम
निशा ने उसके लिप्स से लिप्स जोड़ लिए और चूत सहलाने लगी , सोनल ने बदन और जोश बढ़ने लगा । निशा झुक कर सोनल के बड़े बड़े रसीले मम्में मुंह में भरने लगी अपनी गाड़ फैला कर


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अमन उसकी भी सारी हरकते रिकॉर्ड करता है सोनल को पूरे जोश ने पेले जा रहा : ओह्ह्ह्ह्ह बेबी कितनी मुलायम चूत है तुम्हारी ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बाबू
सोनल : उम्ममम यस्स बेबी फक्क मीईईई अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई यस्स अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह


अगले ही पल निशा लपक कर अमन के हाथ से मोबाइल लेते हुए : जीजू मुझे दो न हिही
निशा ने सेम सेल्फी कैमरे से वीडियो चालू की और अपनी बुर सोनल के मुंह पर ले जाती हुई : देखो गाइज मेरी ये मेरी बहन है , ये मै हु और ये मेरी चूत चाट रही है , अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह उम्ममम और डाल ने जीभ ओह्ह्ह्ह गॉड उम्मम, अह्ह्ह्ह्ह गाइज देखो मेरी बहन को जीजू मेरे चोद रहे है अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म


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सोनल ने निशा की दोनो जांघों को कस लिया और उसकी बुर के फांके चुंबलाने लगी
वही दूसरी ओर अमन सटासट उसकी बुर पेले जा रहा था , सोनल के बाद अब निशा की हरकते उसको और पागल किए जा रही थी , उसके पैर थक रहे थे ।

वो उठा और बिस्तर पर आ गया
लंड आसमान की ओर उठाए : आजाओ बेब्स
निशा : मेरी टर्न मेरी टर्न अह्ह्ह्ह उम्ममम
निशा दोनों पैर फेक कर अमन की ओर अपना गाड़ करके उसका लंड अपनी बुर में लेकर बैठ गई : अह्ह्ह्ह उम्मम अह्ह्ह्ह्ह उम्ममम
निशा कस कर अपने चूतड़ अमन के कड़क लंड पर पटक रहे थी और सोनल अमन के बाहों के लेती हुई उसके लिप्स चूसने लगी
सोनल : मजा आ रहा है मेरी जान उम्मम


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अमन उसके नंगे चूतड़ नोचता हुआ : बहुत ज्यादा मेरी जान अह्ह्ह्ह
निशा : अह्ह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्हमम यशस्स जीजू पेलो मुझे अह्ह्ह्ह सीईईईईई उम्मम्म फक्क्क् मीईईईई अह्ह्ह्ह्हमम यशस्स जीजू आयेगा अह्ह्ह्ह

अमन निशा की बातें सुनकर उसके चूतड़ पकड़ कर नीचे से झटके देने लगा : अह्ह्ह्ह्ह सीईईई ओह्ह्ह ले साली रंडी अह्ह्ह्ह मेरी जान अह्ह्ह्ह्ह झड़ जा अह्ह्ह्ह
अमन कस कस कर नीचे से कमर उछाल कर पेलने लगा और निशा अपनी आँखें उलटती हुई झड़ने लगी ,
अमन : ओह्ह्ह यस्स बेबी फक्क मीईईई अह्ह्ह्ह आ रहा है मेरा भी ओह्ह्ह्ह
निशा झट से उसके लंड से उठ गई और सोनल ने लपक कर अमन का लंड मुंह में ले लिया और अमन उसक सर पकड़ कर झटके खाते हुए झड़ने लगा : अह्ह्ह्ह मेरी जान पी ले अह्ह्ह्ह्ह ममीईइई ओह्ह्ह्ह गॉड फक्क्क् यूयू बेबी अह्ह्ह्ह्ह


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सोनल अमन के फड़कते लंड को पकड़े हुए आखिर से सारा पानी पीती रही और फिर उसका सुपाड़ा निशा के बहती चूत पर लगा कर वापस से चूसने लगी जिसे देखकर अमन के लंड में फिर से हरकत होने लगी
मगर सुबह से ये चौथी बार था जब वो इतने जोरदार तरीके से झड़ा था और सुस्ती उसके जिस्म पर हावी हो रही थी
फिर वो दोनों के साथ ही सो गया ।


अगली सुबह

मुरारी अंगड़ाई लेता हुआ उठा, उसको आंखों में हल्की फुल्की जलन महसूस हो रही थी और पता चला घर में धुआं उठ रहा था कही ।
मुरारी मच्छरदानी से निकल कर खड़ा हुआ और पजामे में उसके लंड एकदम कड़क उठा था सुबह सुबह । नीचे देखा तो मंजू उठ चुकी थी और पीछे हाते के पास चूल्हे से गर्मागर्म खाने की खुशबू आ रही थी। मुरारी ने घड़ी देखी तो 8 बजने वाले थे ।
अचरज नहीं हुआ मुरारी को मंजू इतनी सुबह क्यों खाना बना रही होगी ।

मुरारी अपना लंड पजामे में सेट करता हुआ हाते में चूल्हे के पास आया जहा मंजू रोटियां बेल कर सेक रही थी
मंजू मुरारी को अपने ओर आते देख मुस्कुरा उठी और झट से अपना दुपट्टा सर पर ले लिया । वो अभी भी रात वाली नाइटी में थी , जाहिर था अभी तक वो नहाई नहीं थी ।
मगर मुरारी को इससे फर्क नहीं पड़ने वाला था उसकी नजर तो मंजू को नाइटी की आधी खुली चैन पर थी जिसमें से मंजू के दो बड़े बड़े रसीले मम्में आपस में चिपके हुए थे और रोटियां बेलते समय मंजू के दोनों मम्मे खूब उछल रहे थे ।


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मुरारी का लंड एक बार फिर से सर उठाने लगा ।

मुरारी : अरे मंजू सुबह सुबह खाना
मंजू मुस्कुरा कर : हा भाईसाहब वो मुझे ऑफिस जाना है न
मुरारी : ऑफिस जाना है मतलब

मुरारी का हलक सूखने लगा कि कही उसने साथ चलने का प्लान कैंसिल तो नहीं कर दिया ।

मंजू : अरे मुझे मेरे सर को बताना पड़ेगा न कि मै अब काम पर नहीं आऊंगी और फिर हिसाब भी कराना पड़ेगा न
मुरारी की जान में जान आई : ओह ऐसा , मै सोचा कि
मंजू उसकी बात समझ कर मुस्कुराने लगी ।

मुरारी : बाथरूम में पानी आ रहा है क्या
मंजू : जी नहीं वो मैं पानी रख दी हूं आप जा सकते है
मंजू थोड़ा शर्मा कर मुस्कुराने लगी ।
फिर वो उठ कर झाड़ू लगाई और इधर मुरारी पाखाने में चला गया ।
मंजू ने सोचा कि जबतक मुरारी पाखाने में है क्यों न तबतक वो नहा ले , नहीं तो कपड़े बदलने की दिक्कत हो जाएगी ।

मंजू फटाफट से नल चला कर पानी भरने लगी और मुरारी को आवाज आने लगी नल चलने की
उसके भी जहन भी यही चल रहा था कि मंजू कैसे नहाएगी । क्या उसे देखना चाहिए ।
मुरारी खुद से बड़बड़ाया: वैसे कसे हुए रसभरे मम्मे है उसके एकदम टाइट ओह्ह्ह्ह लंड खड़ा कर दिया साली ने
तभी बाहर से पानी गिराने की आवाज आने लगी तो मुरारी की झटका लगा उसकी उत्तेजना बढ़ने लगी ये सोचकर कि कही मंजू बहार नहाने तो नहीं बैठ गई । हड़बड़ी में वो बिना गाड़ धोए ही खड़ा होकर पाखाने के किवाड़ की जाली से बाहर नल की ओर झांका
तो देखा मंजू नाइटी में ही नल के पास बैठ कर अपने बदन पर पानी डाल रही थी ।


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उसने नाइटी को जांघों तक उठा रखा था जिससे उसकी चिकनी नंगी सुडौल जांघें देख कर मुरारी का लंड ऐंठने लगा । उसकी नजर मंजू के भीगती नाइटी पर भी थी जिसमें से मंजू के चूचे शेप में आ रहे थे धीरे धीरे भीगकर
मुरारी : अह्ह्ह्ह बहनचोद बवाल चीज है यार मदन क्या किस्मत है साले तेरी , मस्त माल है आह्ह्ह्ह

मुरारी को फिर से प्रेशर आने लगा तो वो वापस हगने बैठ गया और उधर मंजू झटपट से नहा कर कमरे में चली गई और कड़ी लगा दिया ।
कुछ देर बाद वो कपड़े पहन कर बाहर आई और मुरारी तबतक बाहर आ चुका था । फिर वो भी नहाने बैठ गया और इधर तबतक मंजू ने पैकिंग के लिए ढेर सारे कपड़े बिस्तर पर फैला दिए थे ।
ब्लाउज पेटीकोट सारी नाइटी ब्रा पैंटी दुपट्टे जींस सूट सब कुछ ।
मुरारी नहा कर आया तो उसने बिस्तर पर बिखरे हुए कपड़े देखे , ज्यादातर पुराने थे । मुरारी को देख मंजू ने झट से दुपट्टे ब्रा पैंटी धक दिए ।
मुरारी ने भी थोड़ी नजरे फेरी मगर भीतर से तो वो पूरा जिज्ञासु हुआ जा रहा था कि मंजू की असल साइज क्या होगी ।

मुरारी : अरे इतने सारे समान लेकर कैसे जायेगे हम लोग , बस जरूरी समान और कपड़े रखो बाकी छोड़ दो
मंजू : तो ये सब सामान
मुरारी : देखो ये सब सामान आप पास जो भी तुम्हे खास लगे उसे देदो , वहां किसी चीज की कमी नहीं है ।

मंजू : जी ठीक है भाई साहब

मुरारी की बातों ने मंजू को सोच में डाल दिया था कि क्या करे वो , फिर उसे ये भी समझ नहीं आ रहा था कि उतने बड़े घराने में वो किन कपड़ो में जाएगी । ये सब पुराने कपड़े और अंडर गारमेंट किसी ने देख किया तो क्या सोचेंगे उसके बारे में । मंजू के जहन में झिझक हो रही थी । उसके जहन में कुछ योजना चल रही थी जिससे उसकी सारी झंझट ठीक हो सकती थी मगर वो मुरारी से साझा करने से कतरा रही थी

मुरारी : क्या हुआ , क्या सोच रही हो
मंजू : जी ? कुछ नहीं ! ऐसा नहीं हो सकता कि हम लोग कल चलें ?
मुरारी : क्या हुआ , बताओ न ?
मंजू : जी वो मुझे कुछ कपड़े लेने है और ऑफिस भी जाना है । पूरा दिन लग जाएगा फिर पैकिंग भी बाकी है और ये सब सामान किसी को सौंपना है ।

मुरारी कुछ सोच कर : अच्छा ठीक है हम कल ही जाएंगे । पहले तुम खाना खा कर ऑफिस जाओ और निकल कर फोन करना मै आ जाऊंगा तो साथ में शॉपिंग पर चलेंगे

मंजू खुश होकर : जी ठीक है
फिर मंजू सारे कपड़े बिस्तर पर एक किनारे बटोर दी और मुरारी के लिए खाना लेने चली गई ।


अरुण के घर

सुबह का नाश्ता कर अरुण कालेज के लिए निकल गया था और रज्जो जो शिला के साथ उसके कमरे में थी वो नहाने चली गई और नहाने के बाद वो तैयार हो गई ।
रज्जो : अरे दीदी कब आयेंगे वो लोग , 9 बज गए है
शिला : रुको यार फोन करती हुं
फिर शिला ने अपने पति को फोन घुमा दिया

फोन पर
शिला : हैलो
मानसिंह : हा शीलू कहो
शिला : कहूं क्या कहू ?आपको तो मेरी फिकर ही नहीं है , सुबह आने वाले थे 9 बज गए है
मानसिंह : बस मेरी जान आधे घंटे में आ रहा हूं
शिला मस्ती भरे लहजे में : जल्दी आओ न मेरे राजा , कबसे तड़प रही हूं अह्ह्ह्ह
मानसिंह : ओहो मेरी जान मूड में है क्या
शिला रज्जो को देख कर मुस्कुराई और अपनी हसी रोक : अह्ह्ह्ह्ह हा बहुत ज्यादा , कितने दिन से मै तड़प रही हूं उम्मम जल्दी से आओ न
मानसिंह : बस मेरी आ ही गया हू रखो मै गाड़ी चला रहा हूं

फोन कट जाता है
रज्जो और शिला खिलखिला कर हस दिए
रज्जो - ये बढ़िया तरीका है जल्दी बुलाने का हीही उम्मम
शिला - अरे जब तड़पकर आयेंगे तभी तो और मजा आएगा हीही

कुछ देर मानसिंह की गाड़ी उसके घर के दरवाजे पर खड़ी थी ।
मानसिंह झट से उतरा और उसके साथ रामसिंह और कम्मो भी ।

कम्मो हस कर : अरे भाई साहब दीदी कही भाई नहीं रही है हाहा
रामसिंह : भाभी ने हड्डी फेक दी है कम्मो , अब भैया कहा किसी की सुनने वाले है हीही
मानसिंह अपना पजामा सेट करता हुआ : तुम दोनों चुप रहो , तुम्हारे आउटडोर क्विकी के चक्कर में लेट हो गया हमें
कम्मो : कॉम डाउन मेरी जान , मजा नहीं आया क्या आपको उम्मम खुले ने मुझे पेल कर
कम्मो पार्किंग में पजामे के ऊपर से ही मानसिंह का खड़ा लंड पकड़ते हुए बोली ।
मानसिंह सिहर उठा : अह्ह्ह्ह्ह कम्मो जाने दे न मुझे अह्ह्ह्ह
और मानसिंह झटके से घर में चला गया । वही कम्मो खिलखिलाने लगी
रामसिंह : भैया को तंग करने में तुम दोनों बहने एक सी हो हीही
कम्मो : क्यों जलन हो रही है
रामसिंह हस कर अपने लंड की ओर इशारा कर : मुझे नहीं इसे जरूर हो रही है
कम्मो ने हाथ बढ़ा कर रामसिंह का लंड पकड़ लिया : चलो इसको थोड़ा दुलार देती हूं मान जायेगा
और रामसिंह ने वही पार्किंग में ही कार पास खड़े हुए कम्मो के लिप्स चूसने लगा ।
कम्मो की सांसे चढ़ने लगी : जान ऊपर चलते है न
रामसिंह साड़ी के ऊपर से उसकी गाड़ दबोचता हुआ : यही कर लेते है न मेरी जान एक और आउटडोर क्विकी
कम्मो लजाई: धत्त
और निकल गई घर में ।

वही मानसिंह बड़े तेजी से हाल में घुसा और किचन में मीरा को काम करता देख शांत हुआ
मानसिंह : मीरा , नीलू की मां कहा है ?
मीरा : जी नमस्ते साहिब वो अपने कमरे में ही होगी
मानसिंह बिना कुछ बोले तेजी से अपने कमरे के पास चला गया ।
कमरे में कोई नहीं दिखा उसे जोरो की पेशाब लगी थी तो वो पहले फ्रेश होने लगा और जैसे ही बाहर आया और सोफे पर बैठ कर अपने जूते निकालने लगा
शिला हाथ में नाश्ते का ट्रे लेकर कमरे में दाखिल हुई , उसने आज नए तरीके से साड़ी पहनी हुई थी


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शिला के चुस्त ब्लाउज के उसकी छातियां मुश्किल से बिना ब्रा के समा पाई थी । ज्यादातर तो बाहर निकल आई थी । उसने सीधा पल्ला का साड़ी पहन करअपना चेहरा पल्लू से पूरा ढक रखा था और आगे से उसका ब्लाउज से मोटी चूचियां और नंगा बड़ा पेट साफ साफ नजर आ रहा था ।

मानसिंह ने जैसे ही शिला को साड़ी में ऐसे कामुक अवतार में देखा तो उसकी हलक सूखने लगी
मानसिंह : आहा मेरी जान क्या मस्त लग रही हो , अह्ह्ह्ह्ह ये पर्दा क्यों , आओ न बैठो
शिला ने ट्रे टेबल पर रखा और पीछे होकर खड़ी हो गई
मानसिंह : आओ न मेरी जान
शिला ने बिना कुछ बोले न में सर हिलाया
मानसिंह की नजर शिला के गदराई हुई मोटी मोटी चूचियो पर थी जो उसे ललचा रही थी और उसकी गुदाज गहरी नाभि देख मानसिंह का गला सुख रहा था ।
मानसिंह : अह्ह्ह्ह जान अभी भी नाराज हो क्या
शिला ने घूंघट में ही बिना कुछ बोले हा में सर हिलाया तो मानसिंह हाथ आगे बढ़ा कर उसकी कलाई पकड़ ली तो शिला एकदम से चौक गई और कुनमुना कर अपनी कलाई छुड़ाने लगी और उससे दूर होने के लगी कि मानसिंह ने एक बार फिर से उसकी कलाई पकड़ते हुए उसको अपनी ओर खींचा और अपनी गोदी में बिठा लिया
शिला सिसकी और मानसिंह उसके बड़े चौड़े कूल्हे को मसलता हुआ अपने हाथ उसके नंगे पेट कर सहलाने लगा: अह्ह्ह्ह्ह मेरी जान क्यों नाराज है, अब तो आ गया न तेरे पास , जरा एक अपने मीठे होठों का रस तो पिला

जैसे ही मानसिंह ने शिला ने सर से पल्लू हटाया उसको जोर का झटका लगा वो उछल कर फर्श पर खड़ा हो गया और कमरे में एक तेज खिलखिलाहट गूंजने लगी
मानसिंह ने दरवाजे की ओर देखा तो वहां शिला लेगी कुर्ती में हस रही थी और अब तक जिसे मानसिंह शिला समझ रहा था वो रज्जो थी ।
रज्जो थोड़ी लजा शर्मा रही थी क्योंकि उसे ये उम्मीद नहीं थी कि मानसिंह एकदम से उसके जिस्म को मिजने लगेगा ।

मानसिंह : आ दादा , माफ कीजिएगा भाभी जी , मुझे लगा शिला है और आप कब आई तुमने बताया नहीं

मानसिंह जितना हो सकता था माहौल को बदलने की कोशिश कर रहा था मगर शिला ने रज्जो के सामने उसका मजा लेने से बाज नहीं आई और जमकर अपने पति को छेड़ा ।
शिला मजे लेते हुए : वैसे अब पता चल गया कि आप मुझसे जरा भी प्यार नहीं करते हूंह

मानसिंह कभी शिला को तो कभी मुस्कुराती लजाती रज्जो को देख कर सफाई देता हुआ : अरे मुझे कैसे पता कि घूंघट के नीचे भाभीजी होंगी , प्लीज भाभी जी मुझे माफ कीजिएगा प्लीज
रज्जो हस्ती हुई : कोई बात नहीं ये हम दोनो की ही शरारत थी
मानसिंह शिला की ओर देखकर : लो देखो ,
शिला : क्या देखो , भले ही ये हमारी शरारत थी मगर आपको तो मुझे पहचानना चाहिए था न हूह
रज्जो हसने लगी : हा ये भी .. हीही

मानसिंह शर्म से झेप कर : क्या भाभी आप भी मतलब
शिला : चलो भाभी , हम चलते है अब रहिए आप अकेले हूह
मानसिंह : अरे सॉरी न नीलू की मां , प्लीज
शिला मुंह बना कर : हा हा ठीक है , आप नहा धो कर नाश्ता कर लो हम आते है
मानसिंह : अरे कहा जा रहे हो
शिला : अरे रज्जो भाभी के कुछ कपड़े कल देने गई थी गांव में , तो वही लेने जाना है

मानसिंह : ओह ठीक है , जल्दी आना प्लीज
शिला मुंह बनाते ही अंगूठा दिखा कर : ठेंगा आऊंगी जल्दी हा नहीं तो
और दोनों कमरे से बाहर हस्ती खिलखिलाती निकल गई ।

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वही इन सब के अलग चमनपुरा में
रंगीलाल का बैग पैक हो चुका था और नाश्ता करके वो तैयार था

रंगी : राज बेटा दुकान के साथ घर का भी ध्यान रखना और तुम छोटे सेठ पढ़ाई न रुके बोर्ड है न इस बार
अनुज : जी पापा
रंगी : राज दुकान पर कुछ न समझ आए तो फोन कर लेना
राज : ठीक है पापा
रंगी : राज की मां तुम भी ख्याल रखना अपना
रागिनी कुछ बोले अनुज बीच में टपका : पापा मै हु न , मम्मी के पास हमेशा आप बेफिक्र जाओ
अनुज की बात पर सब हसने लगे
रागिनी मुस्कुरा कर : तेरा बैग रेडी हुआ , कालेज जाना है न तुझे भी
अनुज : कल से न मम्मी प्लीज
राज : कोई ड्रामा नहीं , चुप चाप कालेज जा
अनुज मन मारकर चुप हो गया और
रंगी भी मुस्कुरा कर सबसे विदा लेकर निकल गया आपने ससुराल के लिए।
वही राज आज से अपने पापा वाले दुकान पर बैठने वाला था और रागिनी कास्मेटिक वाले दुकान पर । अनुज भी अपने बैग रेडी कर निकल चुका था कालेज के लिए ।



जारी रहेगी
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UPDATE 181 B

राज की जुबानी

घर का माहौल चहल पहल भरा हुआ था और दीदी के हाथों पर मेहंदी लगाई जा रही थी ।

लगाने वाली भी कौन "काजल" भाभी ?
एक सर्वगुण संपन्न वही बहु , छरहरी सी पिला ब्लाउज और हरि सिफान की साडी, चिकनी गुदाज कमर और पेट दिख रहे थे ।
मेरा भी मन ललचाया और लपक कर थोडा समय उनके पास बैठ गया ।

गजब की कलाकारी चल रही थी दीदी के पैरो मे
उसके तुरंत बगल मे रीना भाभी भी बैठी थी जो मम्मी के हाथ पर मेहंदी लगा रही थी ।

मै - भाभीईई
काजल और रीना दोनो ने एक साथ हम्म्म किया और सब हस दिये

काजल - हेई बाबू जरा हटियेगा यहा से मेहँदी खराब हो जायेगी बहिनी की

मै कुछ नहीं बोला बस

20230827-184457
धीरे से उनकी चिकनी कमर पर एक ऊँगली रेंगा कर उठ गया और काजल सिस्क कर मुह बनाते हुए मुझे देखी और मै हस्ता हुआ रीना भाभी के बगल मे गया ।

रीना भाभी ने मेरी शरारत समझ गयी लेकिन मम्मी के नाते चुप रही ।

मै - अरे भाभी हमे भी लगाओ ना मेहंदी
रीना तुनक कर - जाओ अपने भौजी से लगववाओ

रीना की बात सुनके मम्मी भी हस दी
मै हौले से मम्मी से छिप कर रीना के कमर पर भी उंगली घुमाई और धीरे से उसके कान मे - आपको पसंद नही आया ना जब मैने उनको ऐसे छुआ तो
रीना अगले ही हस पड़ी और लाज के मारे मुह फेर ली ।

मम्मी - क्या तु परेशान कर रहा है , बैठ जा किनारे अभी बहु भी ल्गा देगी तुझे

मै वहा से खसकता हुआ बाकी महिला मंडली की ओर घूम गया जहा चाची , विमला , रजनी और शकुन्तला की मंडली जमी थी ।

वहा चाची रजनी दीदी के हाथो पर मेहंदी रख रही थी और विमला शकुन्तला बस आपस मे बाते कर रहे थे ।
उन्हे मेहंदी नही रखवाणी थी ।

मै - अरे मौसी और ताई आप लोगो को मै लगा दू क्या मेहंदी

विमला - धत्त बदमाश , नही मै नही लगा सकती ना मेहंदी

मै समझ गया कि कोमल के पापा तो है नही तो उनकी बात जायज है मगर शकुन्तला ताई क्यू नही लगा रही है ।

मै - अरे ताई आप क्यू नही लगवा रही हो
शकुन्तला थोडा हिचक रही थी - वो बस ऐसे ही ,छोड़ ना तु

मै - ऐसे कैसे आपको भी लगवाना पड़ेगा आईये इधर मै लगा देता हु

शकुन्तला - अह बेटा रहने दे जिद नही करते ,
मै - अरे सारे लोग लगवा रहे है आप क्यू नही ?

शकुन्तला- जाने दे ना बेटा तु नही सम्झेगा

मै - कोई एलर्जी है क्या आपको मेहंदी से , लेकिन ये तो नेचुरल होता है ना

शकुन्तला खीझ कर - तु नही समझेगा छोड जाने दे । मै घर जा रही हु

ये बोल कर शकुन्तला घर के लिए निकल गयी और मै विमला, चाची और रजनी दीदी सब एक दूसरे का मुह ताकते रह गये ।
मुझे कुछ सही नही लगा , बहुत कुछ पता तो नही था शकुन्तला के बारे मे मगर हा यहा चौराहे वाले घर पर पडोसीयो मे सबसे खास वही थी हमारे लिये ।
बात जो भी थी मगर उन्हे मनाना मेरी जिम्मेदारी थी ।

मगर पहले कभी भी मैने शकुन्तला का ऐसा व्यव्हार नही देखा था , शुरु से ही वो काफी मिलनसार महिला रही है हमारे यहा ।
मम्मी से उसकी बहुत जमती थी और ऐसे मे मुझे मम्मी की सलाह की जरूरत थी तो मैने इंतजार किया कि मम्मी की मेहंदी पूरी हो जाये ।

इधर मेरी खास सहेली मेरी रज्जो मौसी कही गायब थी , मैने मौसा से भी पूछा तो बोले निचे गयी होगी काम से
मगर वो कही नही दिखी ।
दिल बेचैन था मेरा और फिर मैने मम्मी के पास जाके साफ दिल से उनको बताया ।

वो थोड़ा चुप रही - और बोली तु जा और उनको बोल मैने बुलाया ।

मै उनकी बात सूनके सरपट भाग कर उनके घर गया ।

दो बार दरवाजा खटखटाया तब जाके शकुन्तला ने दरवाजा खोला और उसके सुजे हुए गाल और लाल हुई आंखे बयां कर रही थी कि वो कितना रोई थी ।

मै आवाक होकर - अरे ताई क्या हुआ ? आप ऐसे क्यू ? मेरी वजह से तो !!

शकुन्तला अपनी छलकती आंखे पोछती हुई - अरे नही बेटा ऐसी कोई बात नही है , आजा अन्दर आजा ।

मै उनके पीछे पीछे उनके कमरे मे गया - तो फिर आप ऐसे क्यू चली आई

शकुन्तला - कुछ नहि बेटा बस अच्छा नही लग रहा था

मै - अरे कितनी खुश तो थी आप , बस मेरी जिद की वजह से आप चली आई, आप मत लगवान मेहंदी लेकिन चलो आप मेरे साथ

शकुन्तला - नही बेटा मै नही जाउगी
मै - अरे आपकी बेस्ट फ्रेंड ने बोला है नही आयेगी तो उठा के लाना

शकुन्तला मेरी बात पर हस दी - तु उठाएगा मुझे

मै - हा तो कोसिस तो करूंगा ही , नही तो मौसी को बुला लाउन्गा वो उठा लेगी हिहिहिही देखा है ना मेरी पहलवान मौसी को

शकुन्त्ला हस कर बाहर निकली और बेसिन पर अपना मुह धूलने लगी

मै - अब मान भी जाओ ना ताई प्लीज

शकुंतला- अरे अब आ गयी हु घर और चलने के लिए फिर तैयार होना पड़ेगा कितना झंझट है

मै - अरे आप तो ऐसी ही हीरोइन लग रही हो , हिहिहीही चलो ना ताई प्लीज

शकुंतला हस कर - तु पिटेगा अब बहुत बोल रहा है

मै - आप मेरी मम्मी की बेस्ट फ्रेंड हो तो आप भी मेरी मम्मी जैसी हुई ना , हुई की नही

शकुन्तला मुस्कुरा कर - हम्म्म हुई

मै उनके पास जाकर उनका एक हाथ अपने हाथो मे लेके उनकी आंखो मे देख कर - और मुझसे यानी अपने बेटे से प्यार करती है ना

शकुन्तला - हम्म्म

"तो चलो ना प्लीज", मै जिद करते हुए उनके सीने से चिपक गया ।

पहले तो चौकी मगर मुझे बच्चो की तरह जिद करते देख कर हस कर जकड लिया ।

मै उनके सीने से चिपका हुआ - तो आप चल रहे हो ना

शकुन्तला हस कर - उठा कर ले चलेगा तब हिहिहिही

मै सीधा होकर - पक्का ना ?

शकुंतला को लगा मै मजाक कर रहा हु तो वो हस कर - हा पक्का ।

मै फौरन उनको बेड के पास लेके गया - आप इसके खडे हो जाओ और मेरी पीठ पर आजाना

शकुन्तला- धत्त नही , चल मै चल रही हु

मै - नही नही अब तो आपको आना ही पड़ेगा , एक बार ट्राई करते है ना प्लीज


शकुन्त्ला हस कर - अच्छा ठिक है लेकिन गिरायेगा नही ना

मै - पहले आओ तो
फिर शकुन्तला बेड पर खड़ा होकर पीछे से मेरे गले मे हाथ डाल कर मेरे उपर झोल गयी ।
उसके सुडौल कसे हुए चुचे मेरे पीठ पर चिपक गये और मै उसके मुलायम स्पर्श से ही हिल गया और हाथ पीछे ले जाकर उसकी जांघो को पकड कर अपने आगे करता हुआ झुक गया ।

फिर मैने अपने हाथ पीछे लेके उसके चुतडो को उठाते हुए - अरे ताई और उपर होवो ना सरक रही हो आप


शकुन्तला मेरे हाथो का स्पर्श अपने गाड़ पर पाकर थोडा सिहरि मगर वो चाह कर भी उपर नही जा पा रही थी , नतीजा उसके हाथो की पकड ढीली होने लगी और वो सरकने लगी

इस बीच उसकी चुचिया बुरी तरह से मेरे पीठ मे दरी जा रहि थी जिसकी घिसट शकुन्तला को भी हो रही और उससे जलन बर्दाश्त ना हुआ वो झटके से नीचे उतर कर अपनी चुचिया पकड कर उन्हे दबाते हुए घूम गयि ।

मैने उन्हे देखा तो वो मानो किसी तेज दर्द मे हो
मै उनकी ओर लपका - क्या हुआ ताई

शकुन्तला - अह्ह्ह वो पीठ पर दरकचा लग गया है जलन हो रहा है उह्ह्ह

मै हड़बड़ाता हुआ - अच्छा आप बैठो ये बताओ फ्रिज कहा है , मै बर्फ लाता हु

शकुन्तला - वोह्ह बहु के कमरे मे है , उपर जीने के बगल मे

मै - फ्रिज किचन मे रखना चाहिए ना
शकुन्तला - अरे किचन भी उपर ही है उसके कमरे के सामने

मै - अच्छा आप बैठो मै आता हु
फिर मै लपक कर उपर गया और जीने से सटा हुआ एक कमरा दिखा मैने फौरन अन्दर घुस कर फ्रिज खोला और फ्रिजर ने आइस क्यूब निकालने लगा कि मेरी नजर फ्रिजर मे रखे एक पिंक के बॉक्स पर गयी , जो थोड़ी मोटी और चौकोर थी

फ्रिजर मे प्लास्टिक बॉक्स रखने का मतलब मुझे समझ नही आया और चुकि ये काजल भाभी का कमरा था तो चुल और भी उठने लगी

मैने हाल डाल कर वो बॉक्स निकाल और खोल कर देखा तो - अरे बहिनचोद बवाल हिहिहिही

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समाने उस प्लास्टिक डिब्बा मे एक कन्डोम मे पानी भर कर एक लण्ड की शेप मे बर्फ जमाया हुआ था और मुझे समझते देर नही लगी कि इतनी खतरनाक फैंटेसी इस घर मे किसकी है , वही जिसका कमरा था ।

मै मन मे बड़बड़ा- बहिनचोद ये औरत चीज क्या है बे , साला कैसी कैसी फैंटेसी । बर्फ का लण्ड लेती है , साला कितनी गर्मी है इसमे । वैसे तो बड़ी संस्कारी है । बेटा राज इसको तो नही छोड़ना है ।

मै अभी अपने ख्यालो मे गुम था कि निचे से ताई की आवाज आई और मै फटाक से आ गया ।

वही निचे का नजारा अलग ही था
शकुन्तला ताई तो अपना ब्लाऊज उतार चुकी थि और अपनी नंगी चुचियो के बाई निप्प्ल के पर ठंडी फुक मार रही थी ।

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अभी उपर काजल भाभी के फैंटसी के बारे मे सोच कर लण्ड सुरसुरा रहा था कि ताई के खुले पपीते जैसे चुचे देख कर लण्ड पजामे मे तम्बू बना लिया , वो तो सुकर था कि कुर्ता ढीला और लम्बा था नही तो मेरी जवानी और नियत को ताई अच्छे से भाप लेती।

अब ताई ने थोडा अपना लिबरलपना दिखाया था तो मेरी भी बारी थी उनके विचारो को सम्मान दू और फिर सम्स्या पर ध्यान दू ।
मगर ये मै खुद को समझा सकता था मेरे बिना दिमाग वाले लौडे को थोड़ी

शकुन्तला सिस्कर कर - देख तेरी जिद की वजह से लाल हो गया ,
मै - सॉरी ताई , लाओ मै लगाता हु बर्फ

फिर मैने हौले से ताई के निप्प्ल पर फुक मारी जिससे वो सिहर गयि और पहली बार उन्हे अह्सास हुआ
कि वो किसी जवाँ मर्द के आगे अपने जोबन खोल चुकी थी , मगर मैने अपने चेहरे पर भीतर अठखेलियां खाते हवस को हावी नही होने दिया और सच मे मुझे भी थोड़ी फ़िकर सी हो रही थी ।

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मैने हौले से उनके बाये चुचे को निचे से हथेली मे भरा और मेरे नरम हथेली के स्पर्श से वो सिसक पड़ी

मै उनके भिचे हुए चेहरे को देखा - क्या हुआ ताई दर्द हो रहा है ज्यादा ?

शकुन्तला ने फूलती सांसो से लाल हुए नथुनो मे अपनी सिहरन को दबाती हुई ना मे सर हिलाई , मगर उसके चेहरे पर कुछ अलग ही भाव थे । ठिक वैसे ही जैसे सुहागरात पर जब बीवी के स्तन को जब पति हाथो मे भरता और वो उसके जिस्म मे एक कपकपी सी होने लगती है वही हाल ताई का था ।

वो बुरी तरह से हिल रही थी , उनकी नाभि पैर चुचे सब काप रहे थे ।
मैने बिना कोई खास प्रतिक्रिया के निरापराध भाव से एक आईस क्यूब उठाया और उसको ताई के तने हुए निप्प्ल के काले घेरो पर हल्का सा स्पर्श कराया और वो चिहुक उठी

शकुन्तला हस कर - सीईईई अह्ह्ह बहुत ठंडा है

मै उनकी अवस्था पर मुस्कुराकर - अरे उसी के लिये लाया हु ना जलन सही कर देगा
फिर मैने वापस से ताई के निप्प्ल कर वो बर्फ का टुकडा रखा और उसे निप्प्ल के चारो को घुमाने लगा

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ताई के भिगते निप्प्ल को देख कर मेरा लण्ड फौलादी हुआ जा रहा थ और मेरे मुह मे पानी भर रहा था

वही ताई आंखे बन्द कर अपना सिन उठाये गहरी आह भर रही थी ।

धीरे धीरे उनकी सासे मादक हुई जा रही थी और ऐसे मे मैने हौले से एक दुसरि आईस क्यूब को सीधा उन्के निप्प्ल के नोक पर रख दिया और वो एक गहरी सिसकी लेते हुए थरथराकर मेरे कन्धे को कस कर जकड ली ।

मै मुस्कुराया और उसी आइस क्यूब को ताई के निप्प्ल पर दबाया तो वो अपने होठ भीचने लगी , जान्घे आपस मे कसने लगी , साफ पता चल रहा था कि निप्प्ल की नसो से भीतर जा रही थी ठंडक कैसे उनकी चुत की गर्मी भडका रही थी ।

धीरे धीरे 5 मिंट के करीब हो गये और उन्होंने एक बार भी नही रोक मुझे और ना ही कोई अलग प्रतिक्रिया दी ।
मै समझ गया कि उन्हे मजा रहा है और मैने अब वो क्यूब उन्के गोरे चुचो पर रेंगाने लगा जिससे उनकी शारिर फिर से सिहरने लगा ।


मैने एक बार उनका मन परखना चाहा और बोला - ताई हो गया आराम

और उन्होने पहली बार अपनी मदहोश आंखे खोली और उन्के चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी - उह्ह्ह क्या कह रहा है बेटा

मै मुस्कुरा कर - वो मै कह रहा था कि अगर बर्फ से ना ठिक हो तो एक और इलाज है मेरे पास , उससे पक्का सही हो जायेगा

बहती चुत और रोम रोम इस नये कामुक अहसास से रंगी हुई ताई ने मादकता भरी सास लेके मेरे नये करतब के लिए और भी उत्साही हो गयी - क्याअह्ह्ह बेटाअह्ह्ह बोल नाआ

मै थोडा हिचका और बोला - वो जब मै छोटा था तो अगर हाथ मे खरोच या ऐसे रगड़ हो जाती थी तो मम्मी वहा पर थुक लगाने के लिए बोलती थी और उससे तुरंत ही आराम मिल जाता था

जैसी ही मेरी बात खतम हुई मैने देखा कि ताई के चेहरे पर लाली और बढ गयी , उनकी जान्घे और कस्ने लगी और सीने मे सासे चढनी शुरु हो गयी ।

मै - तो लगा दू ताई
शकुन्तला ने मदहोशि मे मुस्करा कर हा मे गरदन हिलाया

मै समझ गया कि ताई पूरी तरह से गर्म हो चुकी है और मैने मुस्कुराकर अपने होठ सिकोड़ कर ढेर सारा थुक मुह मे बटोरा और फिर अपने उंगलियो पर लेके दो उंगलियो से ताई के निप्प्ल पर घुमाने लगा

ताई ने मजबूती से मेरे कंधो को जक्डा और मेरि रेंगती हुई गीली उंगलियो ने उनकी सिसकिया तेज कर दी - अह्ह्ह बेटाहहह उउह्ह्ह उम्म्ंम्ं

मैने उनके चेहरे के भाव पढता हुआ उन्के निप्प्ल पर उंगलियाँ रेगाता रहा
ताई अपनी आंखे बंद कर अपनी जान्घे कस्ती रही और सिसकिया लेती मैने सोचा क्यू ना इस मौके का फायदा लिया जाए और मैने वापस से एक आइस क्यूब उठाया और उसको निप्प्ल पर लगाया ।

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ताई ने एक बार फिर से जोर की सिस्की लेके अपनी चुचिया उठाई और मैने जीभ निकालते हुए उनके निप्प्ल को मुह मे भर लिया ।

मेरे नरम होठो का स्पर्श पाते ही ताई पागल हो गयी और उम्होने मेरे सर को अपने सीने से दबाने लगी - अह्ह्ह बेटा उह्ह्ह सीईई उह्ह्ह

मैने मुह भर कर उन्के निप्प्ल चुबलाने लगा और ताई को मेरे नरम और गीले होठो का स्पर्श उत्तेजित कर गया और वो बैठे बैठे ही अपनी गाड़ उचकाने लगी फिर अपना हाथ तेजी से अपनी साडी के उपर रखकर जोर से अपनी चुत भीचती हुई झड़ने लगी - अह्ह्ह्ह माह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह आह्ह उह्हुंंंंं उम्म्ंम्ं


मै समझ गया कि ताई झड़ रही है और उनकी पकड मुझपे ढीली होने लगी थी फिर मै खुद से ही हट गया

सामने ताई मेरे सामने अपनी जांघो के बीच हाथ डाले हुए कस कर अपनी चुत दबाए हुए थी और झटके खा रही थी , उनकी आंखे उलट रही थी ।

मैने भी हौले से अपना मुसल मसल दिया और ताई के मजे लेता हुआ - क्या हुआ ताई आपको क्या हुआ

ताई की रस छोडती बुर की नसे जब थमी तो ताई की चेतना वापस आई और उन्होने पुरे होश मे मुझे सामने खड़ा पाया और अभी भी उनका हाथ चुत पर था ।

शकुन्तला मारे शर्म के हस दी और बिना कुछ बोले खडी होकर ब्लाऊज चढाने लगी ।

मै उनसे पुछता रहा है - आपको क्या हुआ था ताई

वो बस मुस्कुराती हुई बाथरूम मे घुस गयी ।
फिर जब वो बाहर आई तो आईने के सामने अपने बाल सवार रही थी । चुत बहाने के बाद से उनका चेहरा अब खिला खिला दिख रहा था ।

चेहरे पर मुस्कान भी थी मै पीछे गया और बोला - क्या हुआ ताई ठिक हो गया आपका

शकुन्तला इतराते हुए मुस्कुराकर आईने मे देखती हुई - क्यू तुझे नही पता , सारी डाक्टरि तो तू ही कर रहा था ना

उनकी बात सुनते ही मैने जितनी भी कोसिस करके खुद को सिरिअस दिखाने मे लगा था उसपे पानी फिर गया और मै शर्मा कर हस पड़ा ।

शकुन्तला - तु बस दिखाता है खुद को कि मासूम है लेकिन तु एक नम्बर का चालू है

मै हस कर - अच्छा मैने क्या चालाकी की अब ह्म्म्ं
शकुन्तला तैयार होकर - चल रहने दे , खुब समझती हु मै , ये बता कैसी लग रही हु मै


मैने उनको उपर से निचे निहारा - हम्म्म।
फिर आगे बढ़ कर उनका खुले हुए सिफान साडी के पल्लू के समेट कर उपर कर दिया जिससे उनकी गुदाज नाभि दिखने लगी ।

ताई मेरी हरकते निहार कर मुस्कुराये जा रही थी और मै उनकी साडी सेट करने के बाद थोडा पिछे होकर उनकी गहरी गुदाज नाभि को देखता हुआ - हम्म्म सेक्सी ।

ताई हस पड़ी और वापस से अपनी साडी फैला दी - धत्त बदमाश कही का ।

मै - अरे रहने दो ना सेक्सी लग रहा है
ताई मुस्कुरा कर - सेक्सी लग रहा है तो क्या सबको दिखाती फिरू

मै - सबको क्यू दिखाना है वो मै अपने लिये हिहिहिह्ही

ताई शर्मा कर - चुप कर शैतान कही का , चल अब ।

फिर मै और ताई वापस घर के लिए निकल गये ।

लेखक की जुबानी

अमन के घर

भोला की शायरी ने ममता के चुत को रसिला कर दिया था और वो अपने कमरे मे बैठी डायरी खोल कर सोच रही थी क्या लिखे ।

तभी उसकी नजर अपने पति के मोबाइल पर गयी जो कमरे मे बेड के पास ही चार्ज लगाई गयी थी ।
ममता मुस्कुराइ और उसने लपक कर मोबाइल उठाया और अपने नंदोई का नम्बर खोजने लगी

तभी उसको भोला जीजा के नाम से नम्बर सेव मिल गया और उसने एक मिसकाल मार कर हस दी ।

उधर हाल मे सब्के साथ बैठे भोला की मोबाइल रिंग हुई तो उसने जेब मे हाथ डाला और देखा कि उसके बड़े साले मुरारी ने मिसकाल किया था ।
मगर उसने जब मुरारी को देखा तो वो मदन से बातो मे व्यस्त था और उसके हाथ मे एक काफी थी जिसमे दोनो भाई कुछ हिसाब समझ रहे थे ।

तभी भोला का दिमाग ठनका कि कही ममता ने तो
और उसकी आंखे चमक उठी । उसने वापस से मिसकाल किया ।

ममता मिसकाल देख कर खुश हुई मगर काल उठाने से पहले से भोला ने काल काट दिया ।
ममता - लग रहा है मुझे ही करना पड़ेगा
ममता ने पूरी रिंग दी और भोला काल उठाने के लिए हाल से उठ कर कही सुरक्षीत जगह तालाशने लगा

वही हर रिंग के साथ ममता का बेताब दिल और परेशान होने लगा , उसे लगा कि कही भोला ये ना समझ रहा हो कि अमन के पापा उसे फोन कर रहे है ।

मगर आखिर की रिंग जाते ही भोला ने फोन पिक कर लिया

भोला - हा हैलो
ममता का कलेजा धक कर गया ,एक ही घर मे और सालो के रिश्ता होने बाद भी ममता की हिम्मत नही हो पा रही थी कि वो भोला से बात कर पाये ।

भोला हस कर - अरे भाभीजान बोलिए

ममता भोला की बात पर हस दी और बोली - क्या बोले जरा फिर से कहिएगा
भोला इस बार अपने उफानाते लण्ड को दबाते हुए - मैने कहा जानेमन बोलो ना

ममता हस कर - हां !! अभी तो भाभीजान बोले ना
भोला - मुझे लगा तुम्हे यही सूनना था
ममता शर्मा कर अपने धडकते कलेजे पर हाथ रख कर - मैने आपको क्या लिखने को बोला था और आप ये डायरी क्या लिखे हो उम्म्ंम

भोला - तुम्ही ने तो कहा था कि दिल की बात लिखने को
ममता - तो यही सब है आपके दिल मे उम्म्ं
भोला - अब क्या क्या बताऊ क्या क्या भरा है इस दिल मे सीईईई आह्ह

ममता ने भोला की सिस्क भरी आह सुनी तो उसकी चुचिया भी उठने लगी - अच्छा जी तो रात मे 11 बजे वही सब बताने वाले हो क्या ?

भोला ममता की शरारत भरे अंदाज से वाक़िफ़ था और ममता से बाते करते हुए उस्का मुसल पुरा तना हुआ था मगर कबतक वो घर के मेन गेट के पास खड़ा होकर बाते कर पाता

भोला - आह्ह जानू 2 मिंट रुको मै फोन कर रहा हु
ये बोल कर भोला ने फोन काट दिया और ममता के दिल मे उबलते अरमान गर्म तवे पर पड़े पानी की छीटें के जैसे छरछरा कर रह गये ।

ममता अभी सोच रही थी कि क्यू फोन कटा कि तभी वापस से मोबाईल बजने लगा और भोला का ही फोन आया देख ममता के गाल फिर से खिल गये ।

ममता - क्या हुआ काट क्यू दिये
भोला - अरे वो मै मेन गेट के पास खड़ा होकर बाते कर रहा था ना

ममता - तो क्या हुआ
भोला मुस्कुरा कर अपने तने हुए मुसल को पजामे के उपर से मसलते हुए - अरे तुम नही सम्झोगी जान

ममता - धत्त बोलो ना किस लिये बुला रहे है रात मे और वो भी ऐसे कपड़ो मे उम्म क्या इरादा है

भोला ममता ने दबी हुई मादक गर्म सांसो मे भीनी हुई आवाज से पुरा गनगना उठा और अपना मुसल जोर से भीच कर - साफ साफ बोल दू

ममता भी भोला के उफानाते जज्बातो से अपनी गीली बुर को सलवार के उपर से भिचे हुए - हम्म्म्म

भोला - मै तुम्हारे मोटे मोटे चूतड़ मे अपना 8 इंच का खीरे जैसा लण्ड घुसाना चाहता हु , बोलो लोगि ना

ममता को उम्मीद ही नही थी कि भोला ऐसे एकदम से खुलकर बोल देगा और ये सुनते ही उसका जिस्म थरथरा गया और निप्प्ल तन गये ।
पल भर के लिए सही उसे चांदनी रात मे बाल्किनी मे झुक कर अपने फैले हुए गाड़ के दरारो की फ़ाडता हुआ भोला का 8 इंच का मुसल छेद मे घुसने का सिन छाप गया और वो सिहर गयी ।

ममता की चुप्पी पर भोला ने फिर अपनी बात दूहराई- बोलो ना जान लोगि ना

ममता हस कर - धत्त ऐसे कोई बोलता है , शर्म नही आती है आपको

भोला - मै तो तुम्हे बेशर्मी की हदे पार कर चोदना चाहता हु मेरी जान
ममता का दिल कापने लगा उसके गला सुखने लगा

भोला अपना मुसल मुठीयाते हुए - देखो जान अब शर्माओ मत , और अगर सीधा सीधा नही हा कर सकती तो ....

भोला के अधूरे वाक़य को पुरा होने का ममता भी इन्तेजार कर रही थी

भोला - देखो मै तुम्हारे कमरे की ओर आ रहा हु और तुम बस दरवाजा हल्का सा खुला रखना और

ममता तेज धडकती सासो से - हम्म्म और

भोला - और अपनी सलवार खोलकर अपनी बड़ी सी गाड़ फैला कर रखना , मै उसी को हा समझूँगा

ममता शर्मातेहस कर - धत्त नही !!!

भोला - मै अभी उपर अपने कमरे मे हु फोन रख रहा हु और बस 2 मिंट बाद निचे आकर तुम्हारे कमरे के बाहर से गुजरता हुआ बाथरुम की ओर निकल जाऊंगा । अगर तुम्हे हा है तो प्लीज

इससे पहले ममता कुछ बोल बाती भोला ने फोन काट दिया और ममता की सासे चढ़ने लगी । भोला ने उसकी बेचैनी बढ़ा दी

ममता बड़बड़ाते हुए - ओहो नंदोई जी ने ये कैसी शर्त रख दी इससे अच्छा मै तभी हा बोल देती , अब मै कैसे खुले दरवाजे की ओर । और अगर इतना सब होने के बाद भी मैने ना कर दिया तो शायद हम दोनो ही जिंदगी भर असहज हो जाये एक दुसरे के सामने । नही नही ममता तुझे करना ही होगा , बस दो मिंट की ही तो बात है

ममता एक नये जोश के साथ खडी हुई और दरवाजा महज 5-6 इंच गैप के साथ खोल दिया फिर दरवाजे गैप के हिसाब से उसने बेड के एक ओर दिवाल से लगते हुए अपनी जगह चुन ली ।

फिर उसने बड़ी हिम्मत से अपने सलवार का नाड़ा खोलने लगी

इधर ये ननदोई सलहज की प्लानिंग चल रही थी मगर सिर्फ इन्सान के चाहे क्या ही हो सकता था ।

इसी बीच मुरारी को अपनी फोन की जरुरत मह्सूस हुई और अपना जेब टटोलने लगा ।
उसी समय भोला भी सीढियो से नीचे आ रहा था ।

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ना जाने आगे क्या होने वाला है ? आप भी थोड़ी अपने कलपनाओ के घोड़े दौड़ाईए

मुरारी
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भोला
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ममता
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जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 181 B

राज की जुबानी

घर का माहौल चहल पहल भरा हुआ था और दीदी के हाथों पर मेहंदी लगाई जा रही थी ।

लगाने वाली भी कौन "काजल" भाभी ?
एक सर्वगुण संपन्न वही बहु , छरहरी सी पिला ब्लाउज और हरि सिफान की साडी, चिकनी गुदाज कमर और पेट दिख रहे थे ।
मेरा भी मन ललचाया और लपक कर थोडा समय उनके पास बैठ गया ।

गजब की कलाकारी चल रही थी दीदी के पैरो मे
उसके तुरंत बगल मे रीना भाभी भी बैठी थी जो मम्मी के हाथ पर मेहंदी लगा रही थी ।

मै - भाभीईई
काजल और रीना दोनो ने एक साथ हम्म्म किया और सब हस दिये

काजल - हेई बाबू जरा हटियेगा यहा से मेहँदी खराब हो जायेगी बहिनी की

मै कुछ नहीं बोला बस

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धीरे से उनकी चिकनी कमर पर एक ऊँगली रेंगा कर उठ गया और काजल सिस्क कर मुह बनाते हुए मुझे देखी और मै हस्ता हुआ रीना भाभी के बगल मे गया ।

रीना भाभी ने मेरी शरारत समझ गयी लेकिन मम्मी के नाते चुप रही ।

मै - अरे भाभी हमे भी लगाओ ना मेहंदी
रीना तुनक कर - जाओ अपने भौजी से लगववाओ

रीना की बात सुनके मम्मी भी हस दी
मै हौले से मम्मी से छिप कर रीना के कमर पर भी उंगली घुमाई और धीरे से उसके कान मे - आपको पसंद नही आया ना जब मैने उनको ऐसे छुआ तो
रीना अगले ही हस पड़ी और लाज के मारे मुह फेर ली ।

मम्मी - क्या तु परेशान कर रहा है , बैठ जा किनारे अभी बहु भी ल्गा देगी तुझे

मै वहा से खसकता हुआ बाकी महिला मंडली की ओर घूम गया जहा चाची , विमला , रजनी और शकुन्तला की मंडली जमी थी ।

वहा चाची रजनी दीदी के हाथो पर मेहंदी रख रही थी और विमला शकुन्तला बस आपस मे बाते कर रहे थे ।
उन्हे मेहंदी नही रखवाणी थी ।

मै - अरे मौसी और ताई आप लोगो को मै लगा दू क्या मेहंदी

विमला - धत्त बदमाश , नही मै नही लगा सकती ना मेहंदी

मै समझ गया कि कोमल के पापा तो है नही तो उनकी बात जायज है मगर शकुन्तला ताई क्यू नही लगा रही है ।

मै - अरे ताई आप क्यू नही लगवा रही हो
शकुन्तला थोडा हिचक रही थी - वो बस ऐसे ही ,छोड़ ना तु

मै - ऐसे कैसे आपको भी लगवाना पड़ेगा आईये इधर मै लगा देता हु

शकुन्तला - अह बेटा रहने दे जिद नही करते ,
मै - अरे सारे लोग लगवा रहे है आप क्यू नही ?

शकुन्तला- जाने दे ना बेटा तु नही सम्झेगा

मै - कोई एलर्जी है क्या आपको मेहंदी से , लेकिन ये तो नेचुरल होता है ना

शकुन्तला खीझ कर - तु नही समझेगा छोड जाने दे । मै घर जा रही हु

ये बोल कर शकुन्तला घर के लिए निकल गयी और मै विमला, चाची और रजनी दीदी सब एक दूसरे का मुह ताकते रह गये ।
मुझे कुछ सही नही लगा , बहुत कुछ पता तो नही था शकुन्तला के बारे मे मगर हा यहा चौराहे वाले घर पर पडोसीयो मे सबसे खास वही थी हमारे लिये ।
बात जो भी थी मगर उन्हे मनाना मेरी जिम्मेदारी थी ।

मगर पहले कभी भी मैने शकुन्तला का ऐसा व्यव्हार नही देखा था , शुरु से ही वो काफी मिलनसार महिला रही है हमारे यहा ।
मम्मी से उसकी बहुत जमती थी और ऐसे मे मुझे मम्मी की सलाह की जरूरत थी तो मैने इंतजार किया कि मम्मी की मेहंदी पूरी हो जाये ।

इधर मेरी खास सहेली मेरी रज्जो मौसी कही गायब थी , मैने मौसा से भी पूछा तो बोले निचे गयी होगी काम से
मगर वो कही नही दिखी ।
दिल बेचैन था मेरा और फिर मैने मम्मी के पास जाके साफ दिल से उनको बताया ।

वो थोड़ा चुप रही - और बोली तु जा और उनको बोल मैने बुलाया ।

मै उनकी बात सूनके सरपट भाग कर उनके घर गया ।

दो बार दरवाजा खटखटाया तब जाके शकुन्तला ने दरवाजा खोला और उसके सुजे हुए गाल और लाल हुई आंखे बयां कर रही थी कि वो कितना रोई थी ।

मै आवाक होकर - अरे ताई क्या हुआ ? आप ऐसे क्यू ? मेरी वजह से तो !!

शकुन्तला अपनी छलकती आंखे पोछती हुई - अरे नही बेटा ऐसी कोई बात नही है , आजा अन्दर आजा ।

मै उनके पीछे पीछे उनके कमरे मे गया - तो फिर आप ऐसे क्यू चली आई

शकुन्तला - कुछ नहि बेटा बस अच्छा नही लग रहा था

मै - अरे कितनी खुश तो थी आप , बस मेरी जिद की वजह से आप चली आई, आप मत लगवान मेहंदी लेकिन चलो आप मेरे साथ

शकुन्तला - नही बेटा मै नही जाउगी
मै - अरे आपकी बेस्ट फ्रेंड ने बोला है नही आयेगी तो उठा के लाना

शकुन्तला मेरी बात पर हस दी - तु उठाएगा मुझे

मै - हा तो कोसिस तो करूंगा ही , नही तो मौसी को बुला लाउन्गा वो उठा लेगी हिहिहिही देखा है ना मेरी पहलवान मौसी को

शकुन्त्ला हस कर बाहर निकली और बेसिन पर अपना मुह धूलने लगी

मै - अब मान भी जाओ ना ताई प्लीज

शकुंतला- अरे अब आ गयी हु घर और चलने के लिए फिर तैयार होना पड़ेगा कितना झंझट है

मै - अरे आप तो ऐसी ही हीरोइन लग रही हो , हिहिहीही चलो ना ताई प्लीज

शकुंतला हस कर - तु पिटेगा अब बहुत बोल रहा है

मै - आप मेरी मम्मी की बेस्ट फ्रेंड हो तो आप भी मेरी मम्मी जैसी हुई ना , हुई की नही

शकुन्तला मुस्कुरा कर - हम्म्म हुई

मै उनके पास जाकर उनका एक हाथ अपने हाथो मे लेके उनकी आंखो मे देख कर - और मुझसे यानी अपने बेटे से प्यार करती है ना

शकुन्तला - हम्म्म

"तो चलो ना प्लीज", मै जिद करते हुए उनके सीने से चिपक गया ।

पहले तो चौकी मगर मुझे बच्चो की तरह जिद करते देख कर हस कर जकड लिया ।

मै उनके सीने से चिपका हुआ - तो आप चल रहे हो ना

शकुन्तला हस कर - उठा कर ले चलेगा तब हिहिहिही

मै सीधा होकर - पक्का ना ?

शकुंतला को लगा मै मजाक कर रहा हु तो वो हस कर - हा पक्का ।

मै फौरन उनको बेड के पास लेके गया - आप इसके खडे हो जाओ और मेरी पीठ पर आजाना

शकुन्तला- धत्त नही , चल मै चल रही हु

मै - नही नही अब तो आपको आना ही पड़ेगा , एक बार ट्राई करते है ना प्लीज


शकुन्त्ला हस कर - अच्छा ठिक है लेकिन गिरायेगा नही ना

मै - पहले आओ तो
फिर शकुन्तला बेड पर खड़ा होकर पीछे से मेरे गले मे हाथ डाल कर मेरे उपर झोल गयी ।
उसके सुडौल कसे हुए चुचे मेरे पीठ पर चिपक गये और मै उसके मुलायम स्पर्श से ही हिल गया और हाथ पीछे ले जाकर उसकी जांघो को पकड कर अपने आगे करता हुआ झुक गया ।

फिर मैने अपने हाथ पीछे लेके उसके चुतडो को उठाते हुए - अरे ताई और उपर होवो ना सरक रही हो आप


शकुन्तला मेरे हाथो का स्पर्श अपने गाड़ पर पाकर थोडा सिहरि मगर वो चाह कर भी उपर नही जा पा रही थी , नतीजा उसके हाथो की पकड ढीली होने लगी और वो सरकने लगी

इस बीच उसकी चुचिया बुरी तरह से मेरे पीठ मे दरी जा रहि थी जिसकी घिसट शकुन्तला को भी हो रही और उससे जलन बर्दाश्त ना हुआ वो झटके से नीचे उतर कर अपनी चुचिया पकड कर उन्हे दबाते हुए घूम गयि ।

मैने उन्हे देखा तो वो मानो किसी तेज दर्द मे हो
मै उनकी ओर लपका - क्या हुआ ताई

शकुन्तला - अह्ह्ह वो पीठ पर दरकचा लग गया है जलन हो रहा है उह्ह्ह

मै हड़बड़ाता हुआ - अच्छा आप बैठो ये बताओ फ्रिज कहा है , मै बर्फ लाता हु

शकुन्तला - वोह्ह बहु के कमरे मे है , उपर जीने के बगल मे

मै - फ्रिज किचन मे रखना चाहिए ना
शकुन्तला - अरे किचन भी उपर ही है उसके कमरे के सामने

मै - अच्छा आप बैठो मै आता हु
फिर मै लपक कर उपर गया और जीने से सटा हुआ एक कमरा दिखा मैने फौरन अन्दर घुस कर फ्रिज खोला और फ्रिजर ने आइस क्यूब निकालने लगा कि मेरी नजर फ्रिजर मे रखे एक पिंक के बॉक्स पर गयी , जो थोड़ी मोटी और चौकोर थी

फ्रिजर मे प्लास्टिक बॉक्स रखने का मतलब मुझे समझ नही आया और चुकि ये काजल भाभी का कमरा था तो चुल और भी उठने लगी

मैने हाल डाल कर वो बॉक्स निकाल और खोल कर देखा तो - अरे बहिनचोद बवाल हिहिहिही

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समाने उस प्लास्टिक डिब्बा मे एक कन्डोम मे पानी भर कर एक लण्ड की शेप मे बर्फ जमाया हुआ था और मुझे समझते देर नही लगी कि इतनी खतरनाक फैंटेसी इस घर मे किसकी है , वही जिसका कमरा था ।

मै मन मे बड़बड़ा- बहिनचोद ये औरत चीज क्या है बे , साला कैसी कैसी फैंटेसी । बर्फ का लण्ड लेती है , साला कितनी गर्मी है इसमे । वैसे तो बड़ी संस्कारी है । बेटा राज इसको तो नही छोड़ना है ।

मै अभी अपने ख्यालो मे गुम था कि निचे से ताई की आवाज आई और मै फटाक से आ गया ।

वही निचे का नजारा अलग ही था
शकुन्तला ताई तो अपना ब्लाऊज उतार चुकी थि और अपनी नंगी चुचियो के बाई निप्प्ल के पर ठंडी फुक मार रही थी ।

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अभी उपर काजल भाभी के फैंटसी के बारे मे सोच कर लण्ड सुरसुरा रहा था कि ताई के खुले पपीते जैसे चुचे देख कर लण्ड पजामे मे तम्बू बना लिया , वो तो सुकर था कि कुर्ता ढीला और लम्बा था नही तो मेरी जवानी और नियत को ताई अच्छे से भाप लेती।

अब ताई ने थोडा अपना लिबरलपना दिखाया था तो मेरी भी बारी थी उनके विचारो को सम्मान दू और फिर सम्स्या पर ध्यान दू ।
मगर ये मै खुद को समझा सकता था मेरे बिना दिमाग वाले लौडे को थोड़ी

शकुन्तला सिस्कर कर - देख तेरी जिद की वजह से लाल हो गया ,
मै - सॉरी ताई , लाओ मै लगाता हु बर्फ

फिर मैने हौले से ताई के निप्प्ल पर फुक मारी जिससे वो सिहर गयि और पहली बार उन्हे अह्सास हुआ
कि वो किसी जवाँ मर्द के आगे अपने जोबन खोल चुकी थी , मगर मैने अपने चेहरे पर भीतर अठखेलियां खाते हवस को हावी नही होने दिया और सच मे मुझे भी थोड़ी फ़िकर सी हो रही थी ।

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मैने हौले से उनके बाये चुचे को निचे से हथेली मे भरा और मेरे नरम हथेली के स्पर्श से वो सिसक पड़ी

मै उनके भिचे हुए चेहरे को देखा - क्या हुआ ताई दर्द हो रहा है ज्यादा ?

शकुन्तला ने फूलती सांसो से लाल हुए नथुनो मे अपनी सिहरन को दबाती हुई ना मे सर हिलाई , मगर उसके चेहरे पर कुछ अलग ही भाव थे । ठिक वैसे ही जैसे सुहागरात पर जब बीवी के स्तन को जब पति हाथो मे भरता और वो उसके जिस्म मे एक कपकपी सी होने लगती है वही हाल ताई का था ।

वो बुरी तरह से हिल रही थी , उनकी नाभि पैर चुचे सब काप रहे थे ।
मैने बिना कोई खास प्रतिक्रिया के निरापराध भाव से एक आईस क्यूब उठाया और उसको ताई के तने हुए निप्प्ल के काले घेरो पर हल्का सा स्पर्श कराया और वो चिहुक उठी

शकुन्तला हस कर - सीईईई अह्ह्ह बहुत ठंडा है

मै उनकी अवस्था पर मुस्कुराकर - अरे उसी के लिये लाया हु ना जलन सही कर देगा
फिर मैने वापस से ताई के निप्प्ल कर वो बर्फ का टुकडा रखा और उसे निप्प्ल के चारो को घुमाने लगा

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ताई के भिगते निप्प्ल को देख कर मेरा लण्ड फौलादी हुआ जा रहा थ और मेरे मुह मे पानी भर रहा था

वही ताई आंखे बन्द कर अपना सिन उठाये गहरी आह भर रही थी ।

धीरे धीरे उनकी सासे मादक हुई जा रही थी और ऐसे मे मैने हौले से एक दुसरि आईस क्यूब को सीधा उन्के निप्प्ल के नोक पर रख दिया और वो एक गहरी सिसकी लेते हुए थरथराकर मेरे कन्धे को कस कर जकड ली ।

मै मुस्कुराया और उसी आइस क्यूब को ताई के निप्प्ल पर दबाया तो वो अपने होठ भीचने लगी , जान्घे आपस मे कसने लगी , साफ पता चल रहा था कि निप्प्ल की नसो से भीतर जा रही थी ठंडक कैसे उनकी चुत की गर्मी भडका रही थी ।

धीरे धीरे 5 मिंट के करीब हो गये और उन्होंने एक बार भी नही रोक मुझे और ना ही कोई अलग प्रतिक्रिया दी ।
मै समझ गया कि उन्हे मजा रहा है और मैने अब वो क्यूब उन्के गोरे चुचो पर रेंगाने लगा जिससे उनकी शारिर फिर से सिहरने लगा ।


मैने एक बार उनका मन परखना चाहा और बोला - ताई हो गया आराम

और उन्होने पहली बार अपनी मदहोश आंखे खोली और उन्के चेहरे पर एक मादक मुस्कान थी - उह्ह्ह क्या कह रहा है बेटा

मै मुस्कुरा कर - वो मै कह रहा था कि अगर बर्फ से ना ठिक हो तो एक और इलाज है मेरे पास , उससे पक्का सही हो जायेगा

बहती चुत और रोम रोम इस नये कामुक अहसास से रंगी हुई ताई ने मादकता भरी सास लेके मेरे नये करतब के लिए और भी उत्साही हो गयी - क्याअह्ह्ह बेटाअह्ह्ह बोल नाआ

मै थोडा हिचका और बोला - वो जब मै छोटा था तो अगर हाथ मे खरोच या ऐसे रगड़ हो जाती थी तो मम्मी वहा पर थुक लगाने के लिए बोलती थी और उससे तुरंत ही आराम मिल जाता था

जैसी ही मेरी बात खतम हुई मैने देखा कि ताई के चेहरे पर लाली और बढ गयी , उनकी जान्घे और कस्ने लगी और सीने मे सासे चढनी शुरु हो गयी ।

मै - तो लगा दू ताई
शकुन्तला ने मदहोशि मे मुस्करा कर हा मे गरदन हिलाया

मै समझ गया कि ताई पूरी तरह से गर्म हो चुकी है और मैने मुस्कुराकर अपने होठ सिकोड़ कर ढेर सारा थुक मुह मे बटोरा और फिर अपने उंगलियो पर लेके दो उंगलियो से ताई के निप्प्ल पर घुमाने लगा

ताई ने मजबूती से मेरे कंधो को जक्डा और मेरि रेंगती हुई गीली उंगलियो ने उनकी सिसकिया तेज कर दी - अह्ह्ह बेटाहहह उउह्ह्ह उम्म्ंम्ं

मैने उनके चेहरे के भाव पढता हुआ उन्के निप्प्ल पर उंगलियाँ रेगाता रहा
ताई अपनी आंखे बंद कर अपनी जान्घे कस्ती रही और सिसकिया लेती मैने सोचा क्यू ना इस मौके का फायदा लिया जाए और मैने वापस से एक आइस क्यूब उठाया और उसको निप्प्ल पर लगाया ।

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ताई ने एक बार फिर से जोर की सिस्की लेके अपनी चुचिया उठाई और मैने जीभ निकालते हुए उनके निप्प्ल को मुह मे भर लिया ।

मेरे नरम होठो का स्पर्श पाते ही ताई पागल हो गयी और उम्होने मेरे सर को अपने सीने से दबाने लगी - अह्ह्ह बेटा उह्ह्ह सीईई उह्ह्ह

मैने मुह भर कर उन्के निप्प्ल चुबलाने लगा और ताई को मेरे नरम और गीले होठो का स्पर्श उत्तेजित कर गया और वो बैठे बैठे ही अपनी गाड़ उचकाने लगी फिर अपना हाथ तेजी से अपनी साडी के उपर रखकर जोर से अपनी चुत भीचती हुई झड़ने लगी - अह्ह्ह्ह माह्ह्ह्ह उह्ह्ह्ह सीईईई अह्ह्ह आह्ह उह्हुंंंंं उम्म्ंम्ं


मै समझ गया कि ताई झड़ रही है और उनकी पकड मुझपे ढीली होने लगी थी फिर मै खुद से ही हट गया

सामने ताई मेरे सामने अपनी जांघो के बीच हाथ डाले हुए कस कर अपनी चुत दबाए हुए थी और झटके खा रही थी , उनकी आंखे उलट रही थी ।

मैने भी हौले से अपना मुसल मसल दिया और ताई के मजे लेता हुआ - क्या हुआ ताई आपको क्या हुआ

ताई की रस छोडती बुर की नसे जब थमी तो ताई की चेतना वापस आई और उन्होने पुरे होश मे मुझे सामने खड़ा पाया और अभी भी उनका हाथ चुत पर था ।

शकुन्तला मारे शर्म के हस दी और बिना कुछ बोले खडी होकर ब्लाऊज चढाने लगी ।

मै उनसे पुछता रहा है - आपको क्या हुआ था ताई

वो बस मुस्कुराती हुई बाथरूम मे घुस गयी ।
फिर जब वो बाहर आई तो आईने के सामने अपने बाल सवार रही थी । चुत बहाने के बाद से उनका चेहरा अब खिला खिला दिख रहा था ।

चेहरे पर मुस्कान भी थी मै पीछे गया और बोला - क्या हुआ ताई ठिक हो गया आपका

शकुन्तला इतराते हुए मुस्कुराकर आईने मे देखती हुई - क्यू तुझे नही पता , सारी डाक्टरि तो तू ही कर रहा था ना

उनकी बात सुनते ही मैने जितनी भी कोसिस करके खुद को सिरिअस दिखाने मे लगा था उसपे पानी फिर गया और मै शर्मा कर हस पड़ा ।

शकुन्तला - तु बस दिखाता है खुद को कि मासूम है लेकिन तु एक नम्बर का चालू है

मै हस कर - अच्छा मैने क्या चालाकी की अब ह्म्म्ं
शकुन्तला तैयार होकर - चल रहने दे , खुब समझती हु मै , ये बता कैसी लग रही हु मै


मैने उनको उपर से निचे निहारा - हम्म्म।
फिर आगे बढ़ कर उनका खुले हुए सिफान साडी के पल्लू के समेट कर उपर कर दिया जिससे उनकी गुदाज नाभि दिखने लगी ।

ताई मेरी हरकते निहार कर मुस्कुराये जा रही थी और मै उनकी साडी सेट करने के बाद थोडा पिछे होकर उनकी गहरी गुदाज नाभि को देखता हुआ - हम्म्म सेक्सी ।

ताई हस पड़ी और वापस से अपनी साडी फैला दी - धत्त बदमाश कही का ।

मै - अरे रहने दो ना सेक्सी लग रहा है
ताई मुस्कुरा कर - सेक्सी लग रहा है तो क्या सबको दिखाती फिरू

मै - सबको क्यू दिखाना है वो मै अपने लिये हिहिहिह्ही

ताई शर्मा कर - चुप कर शैतान कही का , चल अब ।

फिर मै और ताई वापस घर के लिए निकल गये ।

लेखक की जुबानी

अमन के घर

भोला की शायरी ने ममता के चुत को रसिला कर दिया था और वो अपने कमरे मे बैठी डायरी खोल कर सोच रही थी क्या लिखे ।

तभी उसकी नजर अपने पति के मोबाइल पर गयी जो कमरे मे बेड के पास ही चार्ज लगाई गयी थी ।
ममता मुस्कुराइ और उसने लपक कर मोबाइल उठाया और अपने नंदोई का नम्बर खोजने लगी

तभी उसको भोला जीजा के नाम से नम्बर सेव मिल गया और उसने एक मिसकाल मार कर हस दी ।

उधर हाल मे सब्के साथ बैठे भोला की मोबाइल रिंग हुई तो उसने जेब मे हाथ डाला और देखा कि उसके बड़े साले मुरारी ने मिसकाल किया था ।
मगर उसने जब मुरारी को देखा तो वो मदन से बातो मे व्यस्त था और उसके हाथ मे एक काफी थी जिसमे दोनो भाई कुछ हिसाब समझ रहे थे ।

तभी भोला का दिमाग ठनका कि कही ममता ने तो
और उसकी आंखे चमक उठी । उसने वापस से मिसकाल किया ।

ममता मिसकाल देख कर खुश हुई मगर काल उठाने से पहले से भोला ने काल काट दिया ।
ममता - लग रहा है मुझे ही करना पड़ेगा
ममता ने पूरी रिंग दी और भोला काल उठाने के लिए हाल से उठ कर कही सुरक्षीत जगह तालाशने लगा

वही हर रिंग के साथ ममता का बेताब दिल और परेशान होने लगा , उसे लगा कि कही भोला ये ना समझ रहा हो कि अमन के पापा उसे फोन कर रहे है ।

मगर आखिर की रिंग जाते ही भोला ने फोन पिक कर लिया

भोला - हा हैलो
ममता का कलेजा धक कर गया ,एक ही घर मे और सालो के रिश्ता होने बाद भी ममता की हिम्मत नही हो पा रही थी कि वो भोला से बात कर पाये ।

भोला हस कर - अरे भाभीजान बोलिए

ममता भोला की बात पर हस दी और बोली - क्या बोले जरा फिर से कहिएगा
भोला इस बार अपने उफानाते लण्ड को दबाते हुए - मैने कहा जानेमन बोलो ना

ममता हस कर - हां !! अभी तो भाभीजान बोले ना
भोला - मुझे लगा तुम्हे यही सूनना था
ममता शर्मा कर अपने धडकते कलेजे पर हाथ रख कर - मैने आपको क्या लिखने को बोला था और आप ये डायरी क्या लिखे हो उम्म्ंम

भोला - तुम्ही ने तो कहा था कि दिल की बात लिखने को
ममता - तो यही सब है आपके दिल मे उम्म्ं
भोला - अब क्या क्या बताऊ क्या क्या भरा है इस दिल मे सीईईई आह्ह

ममता ने भोला की सिस्क भरी आह सुनी तो उसकी चुचिया भी उठने लगी - अच्छा जी तो रात मे 11 बजे वही सब बताने वाले हो क्या ?

भोला ममता की शरारत भरे अंदाज से वाक़िफ़ था और ममता से बाते करते हुए उस्का मुसल पुरा तना हुआ था मगर कबतक वो घर के मेन गेट के पास खड़ा होकर बाते कर पाता

भोला - आह्ह जानू 2 मिंट रुको मै फोन कर रहा हु
ये बोल कर भोला ने फोन काट दिया और ममता के दिल मे उबलते अरमान गर्म तवे पर पड़े पानी की छीटें के जैसे छरछरा कर रह गये ।

ममता अभी सोच रही थी कि क्यू फोन कटा कि तभी वापस से मोबाईल बजने लगा और भोला का ही फोन आया देख ममता के गाल फिर से खिल गये ।

ममता - क्या हुआ काट क्यू दिये
भोला - अरे वो मै मेन गेट के पास खड़ा होकर बाते कर रहा था ना

ममता - तो क्या हुआ
भोला मुस्कुरा कर अपने तने हुए मुसल को पजामे के उपर से मसलते हुए - अरे तुम नही सम्झोगी जान

ममता - धत्त बोलो ना किस लिये बुला रहे है रात मे और वो भी ऐसे कपड़ो मे उम्म क्या इरादा है

भोला ममता ने दबी हुई मादक गर्म सांसो मे भीनी हुई आवाज से पुरा गनगना उठा और अपना मुसल जोर से भीच कर - साफ साफ बोल दू

ममता भी भोला के उफानाते जज्बातो से अपनी गीली बुर को सलवार के उपर से भिचे हुए - हम्म्म्म

भोला - मै तुम्हारे मोटे मोटे चूतड़ मे अपना 8 इंच का खीरे जैसा लण्ड घुसाना चाहता हु , बोलो लोगि ना

ममता को उम्मीद ही नही थी कि भोला ऐसे एकदम से खुलकर बोल देगा और ये सुनते ही उसका जिस्म थरथरा गया और निप्प्ल तन गये ।
पल भर के लिए सही उसे चांदनी रात मे बाल्किनी मे झुक कर अपने फैले हुए गाड़ के दरारो की फ़ाडता हुआ भोला का 8 इंच का मुसल छेद मे घुसने का सिन छाप गया और वो सिहर गयी ।

ममता की चुप्पी पर भोला ने फिर अपनी बात दूहराई- बोलो ना जान लोगि ना

ममता हस कर - धत्त ऐसे कोई बोलता है , शर्म नही आती है आपको

भोला - मै तो तुम्हे बेशर्मी की हदे पार कर चोदना चाहता हु मेरी जान
ममता का दिल कापने लगा उसके गला सुखने लगा

भोला अपना मुसल मुठीयाते हुए - देखो जान अब शर्माओ मत , और अगर सीधा सीधा नही हा कर सकती तो ....

भोला के अधूरे वाक़य को पुरा होने का ममता भी इन्तेजार कर रही थी

भोला - देखो मै तुम्हारे कमरे की ओर आ रहा हु और तुम बस दरवाजा हल्का सा खुला रखना और

ममता तेज धडकती सासो से - हम्म्म और

भोला - और अपनी सलवार खोलकर अपनी बड़ी सी गाड़ फैला कर रखना , मै उसी को हा समझूँगा

ममता शर्मातेहस कर - धत्त नही !!!

भोला - मै अभी उपर अपने कमरे मे हु फोन रख रहा हु और बस 2 मिंट बाद निचे आकर तुम्हारे कमरे के बाहर से गुजरता हुआ बाथरुम की ओर निकल जाऊंगा । अगर तुम्हे हा है तो प्लीज

इससे पहले ममता कुछ बोल बाती भोला ने फोन काट दिया और ममता की सासे चढ़ने लगी । भोला ने उसकी बेचैनी बढ़ा दी

ममता बड़बड़ाते हुए - ओहो नंदोई जी ने ये कैसी शर्त रख दी इससे अच्छा मै तभी हा बोल देती , अब मै कैसे खुले दरवाजे की ओर । और अगर इतना सब होने के बाद भी मैने ना कर दिया तो शायद हम दोनो ही जिंदगी भर असहज हो जाये एक दुसरे के सामने । नही नही ममता तुझे करना ही होगा , बस दो मिंट की ही तो बात है

ममता एक नये जोश के साथ खडी हुई और दरवाजा महज 5-6 इंच गैप के साथ खोल दिया फिर दरवाजे गैप के हिसाब से उसने बेड के एक ओर दिवाल से लगते हुए अपनी जगह चुन ली ।

फिर उसने बड़ी हिम्मत से अपने सलवार का नाड़ा खोलने लगी

इधर ये ननदोई सलहज की प्लानिंग चल रही थी मगर सिर्फ इन्सान के चाहे क्या ही हो सकता था ।

इसी बीच मुरारी को अपनी फोन की जरुरत मह्सूस हुई और अपना जेब टटोलने लगा ।
उसी समय भोला भी सीढियो से नीचे आ रहा था ।

**************************************************

ना जाने आगे क्या होने वाला है ? आप भी थोड़ी अपने कलपनाओ के घोड़े दौड़ाईए

मुरारी
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भोला
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ममता
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जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और जानदार अपडेट हैं भाई मजा आ गया
 

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UPDATE 181 C

लेखक की जुबानी

अमन के घर

इधर ममता-भोला की अपनी मस्ती भरी योजना चल रही थी मगर होनी को कुछ और ही मंजूर था ।
एक ओर जहा ममता अपनी चुतड़ अपने नंदोई के आगे फैलाने वाली थी तो वही भोला भी अपनी चालाकी से बहुत खुश था कि उसने ममता को फसा ही दिया और वो भी अपने कमरे से निकल कर सीढियो से नीचे आने लगा

मगर उसी वक़्त हाल मे बैठा मदन के साथ हिसाब कर रहे मुरारी को अपने मोबाईल की जरुरत आन पड़ी और वो अपने जेब तलाशने लगा ।

मुरारी - अह अमन बेटा, जरा देख मेरा मोबाइल मेरे कमरे मे होगा लेके आना तो एक जन से बात करना है

सामने सोफे पर बैठा अमन उठ कर हाल से गैलरी की ओर जाने लगा जिधर ममता का रूम था ।

अमन जैसे ही अपनी मा के कमरे के सामने पहुचा तो उसे दरवाजा आधा भिड़का मिला तो उसने दरवाजे का हैंडल पकड कर हल्का सा ढकेला और सामने का नजारा देख कर उसकी आंखे फैल गयी ।

सामने ममता जो बाजार अपने नंदोई के लिये सजाए हुए खड़ी थी , उसपे अब उसके बेटे की नजर पड चुकी थी और अमन की निगाहे उसकी मा के खुली सलवार से बाहर पूरी नंगी फैली हुई बड़ी सी गाड पर अटक गयी ।

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वही ममता ने जब दरवाजे से चुउऊ की आवाज सुनी तो उसे लगा कि भोला ही आया मगर भोला तो वही हाल मे खड़ा खड़ा अमन को अपनी मा के कमरे मे झांकता हुआ देख रहा था ।

भोला - अबे साला हो गया कांड
इससे पहले अमन अपनी गरदन बाहर करके हाल की ओर देखता भोला फौरन जीने की ओर छिप गया ।

वही अमन कमरे मे आ जाके बाथरूम की ओर बढ़ गया , उसकी आंखो मे अभी भी उसके मा की भरी भरकम चुतड की छवि बस गयी थी और उसका लण्ड लगातार फौल्दी हुआ जा रहा था ।

अमन मन ही मन बड़बड़ाता हुआ बाथरूम मे घुस गया - मम्मी लेकिन ऐसे क्यू है और उनकी गाड़ कितनी बड़ी है उह्ह्ह यार्रर ओह्ह्ह मुम्मीईई आपकी गाड़ ने तो मेरे मुसल को बेकाबू कर दिया ।

इधर भोला ने वापस गैलरि मे झाका तो देखा अमन बाथरूम मे घुसा गया था तो वो लपककर तेज कदमो से ममता के कमरे के बाहर पहुच गया और उसने देखा अभी तक ममता अपने चुतड़ खोले हुए थी । जिसे देख कर भोला का लण्ड मस्त हो गया और

इससे पहले कि अमन बाथरूम से वापस आता भोला ने कमरे मे मुह डाल कर हस्कर बोला - थैंक्स जानू हिहिहिही

फिर दरवाजा खिंच कर हाल मे भाग कर आ गया

भोला की आवाज सुनते ही ममता शर्म से लाल हो गयी और जल्दी से अपना सलवार बान्ध कर खडी हो गयी ।
कि तभी अमन ने दरवाजा खटखटाया ।

ममता ने दरवाजा खोला तो सामने अमन को पाया ।
ममता ने मन ही मन शुकर किया कि सही समय पर भोला आ गया और उसने दरवाजा बन्द कर दिया वरना अमन तो उसको ऐसे ....नही नही ,

ममता - क्या हुआ बेटा बोल
अमन की आंखो मे अभी भी उसकी की नंगी चर्बीदार गाड़ बसी हुई थी वो एक टक अपनी मा को निहार जा रहा था ।

ममता उसको ऐसे अपनी ओर देखता पाकर हस कर - क्या हुआ बोल ना

अमन होश मे तो आया मगर उसे समझ नही आ रहा था कि वो यहा किस लिये आया ।
उसके जहन मे कामुकता हावी थी और लण्ड ने अपने ही नशे मे उसे उत्तेजित किये जा रहा था ,ऐसे मे अपनी मा को ऐसे सामने पाकर उसके अरमान उफ्नाने लगे ।

तभी उसके जहन मे वो पल याद आया जब वो नहा रहा था और ममता ने सोनल का काल उठा लिया , फिर सोनल से मिली चुम्मिया उसकी मा को देनी पड़ी थी ।
वो पल याद करके अमन चहका और अपनी मा के गालो पर 8-10 चुम्मिया एक साथ दे दिया ।

अमन की इस हरकत से ममता के गाल लाल हो गये - धत्त क्या कर रहा है बेटा तु ये
अमन - क्या मम्मी भूल गयी , जितनी चुम्मी आपकी बहु को मिलेगी उससे एक ज्यादा अपको दूँगा हिहिही

ममता हस कर अपने गाल पोछते हुए - तो तु यहा मेरे हिस्से की चुम्मी देने आया था हम्म्म

अमन हस कर - नही वो पापा ने मोबाइल माग रहे है अपना , है क्या यहा ।

मोबाइल की बात सुनते ही ममता के कान खडे हो गये कि कही उसके पति ने फोनबुक चेक कर लिया तो गड़बड़ हो जायेगी ।

ममता - अरे हा यही है रुक देती हु
ये बोल कर ममता घूमी और अपने चुतड हिलाते हुए तेज कदमो पर बेड पर चढ कर मोबाइल हाथ मे लिया और जल्दी जल्दी भोला से की हुई बात की काल हिस्ट्री डिलीट करने लगी

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मगर उसे क्या पता था वो जिस पोजिसन मे आगे झुकी हुई थी उसका सूट उपर चढ गया था और उसकी बड़ी सी गाड एक बार फिर से अमन के सामने सलवार मे फैल गयी थी ।

अपनी मे भारी चुतडो के दुबारा दरशन करते ही अमन का मुसल फौलादी हो गया और वो एक टक दोनो पाटों के बिच दरारो मे फसी हुई सलवार को निहारने लगा ।

उसने हौले से अपना मुसल मसला और फिर ममता उतर कर निचे आई और उसे मोबाईल दे दिया ।

अमन हाल मे वापस आकर बैठ गया जहा भोला भी आ चुका था ।
तभी ममता की एन्ट्री होती है और उसकी नजर भोला को ही तालाश रही होती है , जैसे ही दोनो की निगाहे मिलती है दोनो के होठ खिल जाते है ।

ममता चुपचाप शाम के नास्ते की तैयारी करन्व किचन मे चली जाती है और भोला ममता को देख कर इस बात पर विचार करता है कि क्या उसने जो देखा वो ममता को बता दे ।

मगर उसे डर था कि कही अगर रात मे मिलने से पहले उसने ममता तो बता दिया कि अमन ने भी उसकी गाड़ देखी है तो वो बिल्कुल आगे बढ़ने से इंकार कर दे ।
इसीलिए उसने सोचा कि क्यू ना एक राउंड चोदने के बाद देखा जायेगा ।

राज के घर

इधर एक ओर जहा रंगी-जंगी मिलकर रज्जो की ठुकाई मे व्यस्त थे और उधर राज शकुन्तला के चुचो पर बर्फ घिस रहा था ।

वही जब निशा भी कोमल के साथ मेहँदी रखवाने लगी और राज भी वहा मौजूद नही था तो शिला और कमलनाथ को मौका मिल गया खुलकर इशारे बाजी करने का

कमलनाथ ने इशारे मे शिला को निचे चलने का इशारा किया और शिला ने मुस्कुराकर ना मे सर हिलाया ।

फिर कमलनाथ ने हौले से अपना मुसल मसल दिया जिससे शिला की सान्से चढने लगी और वो बगल मे बैठी रागिनी के कान मे बाथरूम जाने का बोलकर उठ कर निचे जाने लगी ।

कमलनाथ की आंखे चमक उठी और वो मुस्कुरा दिया ।
शिला भी मुस्कुराते हुए अपने बाल कान मे सहेजती हुई निचे जाने लगी ।

इधर कमलनाथ ने भी अंगड़ाई ली और 2 3 मिंट का अंतर लेके उठा ।

निशा ने कमलनाथ को नीचे जाते देखा मगर वो क्या ही कर सकती थी , अधूरी मेहंदी नही ना छोड कर उठ सकती थी ।

खैर कमलनाथ निचे आया और उसने आस नजर घुमाई तो उसे कोई नजर नही आया ।
ना रंगी-जंगी , ना रज्जो , ना राज कोई भी नही ।
एक पल को उसे ये सब खटका मगर तभी उसकी नजर गेस्टरूम मे गयी और वो मुस्कुरा कर तेजी से गेस्ट रूम मे घुस गया ।


शिला - हा बोलिए क्यू बुलाया मुझे
कमलनाथ ने लपक कर शिला की कमर मे हाथ डाल कर अपनी ओर खीचा - अरे यहा आओ ना

शिला कसमसा कर - ओहो छोडिएहहह आह्ह प्लिज्ज ना

कमलनाथ - क्यू छोड दू , तुम्हे नही पता क्यू आई हो

शिला मुसकरा कर शर्माने लगी - उहू
कमलनाथ पलाजो के उपर से उसकी गदराई गाड़ मसलकर - आह्ह अब बहुत हुआ मुझे मत तडपाओ प्लीज दिखा दो ना

शिला - क्याअह
कमलनाथ ने वापस से उसकी चर्बीदार गाड़ को पंजो से फैलाए हुए - येहहहह

शिला ने उसके पंजो की कसावट अपने नरम गुदाज गाडो पर मह्सूस की - सीईईई अह्ह्ह अभी कल तो देखे हो नाअह्ह्ह उम्म्ंम

कमलनाथ - प्लीज ना एक बार
शिला - लेकिन कोई उपर से आ गया तोहहह

कमलनाथ - कोई नही आयेगा सब बिजी है प्लीज ना
शिला इतराई और बोली - बस देखना और कुछ नही

कमलनाथ अपना मुसल भींच कर - हा हा पक्का पक्का

शिला ने उसको लण्ड मसलते देख कर मुस्कुराई और दो कदम पीछे होकर अपना दुप्प्टा सिन से उतार दिया और कमलनाथ को बोली - आप प्लीज एक बार देख लो ना बाहर कोई है तो नही

कमलनाथ ने दरवाजा खोलकर एक बाहर गया और किचन से लेके दोनो कमरो का मुआयना किया , फिर जीने पर गया और फिर एक नजर गैलरी मे मारा ।

फिर निश्चित होकर गेस्टरूम का दरवाजा खोलकर जैसे ही कमरे मे घुसा उसकी आंखे फैल गयी ।

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उसने झटके से दरवाजा बन्द किया और सामने शिला को देखा जो पूरी नंगी होकर अपनी एक टांग उठा कर बिस्तर पर रखे हुए थी और उसकी बड़ी सी चर्बीदार फैल कर कमलनाथ के सामने थी ।

कमलनाथ अपना मुसल मसलता हुआ आगे बढ़ा और उसके नरम गुदाज चुतड को सहलाता हुआ उसके गाड़ की कसी दरारो के बिच सुराख मे ऊँगली पेल दी जिस्से शिला सिसकी और फिर कमलनाथ ने चटाक से उसके गाड पर पन्जा जड़ दिया , जिस्से थरथरा गयी । उसकी चरबीदार गाड़ काफी देर तक हिलती रही ।

फिर उसने निचे बैठ कर उसकी गाड को फैलाते हुए उसमे अपना मुह दे दिया ।

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शिला की आहे सुरु हो गयी और वो अपनी जीभ निकाल कर उसके गाड़ को फैलाये हुए सुराख को जीब से कुरेद रहा था ।

शिला की चुत उतनी ही रस छोड रही थी , कमल ने उसकी रस छोड़ती चुत पर भी मुह लगा कर उसको चुसने लगा और शिला की सिस्कियाआ तेज होने लगी ।

कमलनाथ का मुसल पुरा फौलादी हुआ जा रहा था और 3 दिनो से उसने जरा भी चुदाई नही की थी , जिसके कारण उसका लण्ड की नसे फूली हुई थी ।

कल शाम की तरह वो ये मौका नही जाने देना चाहता था और इसे पहले कोई उन्हे खोजता आ जाये एक बार शिला की गाड़ मे लण्ड घुसाना ही था ।

उसने देर नही किया और शिला की बुर से रस लेके उसमे अपना थुक मिला कर उसने शिला की गाड़ के सुराख पर उसे मलने लगा और वही शिला समझ गयी ।

वो खुद को तैयार करने लगी , उसकी भी सासे गहरा रही थी और कमलनाथ अपने टोपे पर थुक लगा कर उसको चिकना कर रहा था ।

अगले ही पल he plug it inside 😉
लाल मोटा सुपाडा शिला के गाड़ की सुराख को फैलाता हुआ 3 इंच तक घुस गया और शिला की सासे फुलने लगी । वो अपने होठ भिचे हुए आंख बन्द कर हाथो से बिस्तर नोच रही थी और कमलनाथ ने एक और करारा झटके के साथ लन्ड को घुसा दिया ।

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शिला की एक जोर की चिख उठने को थी मगर उसने अपना मुह पर हाथ रख दिया और कमलनाथ को शिला के दर्द मे मजा आने लगा , उसने उसके चर्बीदार कूल्हो को पकड कर अब धक्के लगाने शुरु कर दिये ।

शिला मुह् पर हाथ रखे हुए घुन्टी हुई सिसकिया ले रही थि इस डर मे कि कोई उसकी चिखे ना सुन ले और उसकी चुत लगातार रस बहाये जा रही थी

कमलनाथ ताबड़तोड़ झटके दे रहा था उसकी गाड़ मे , कसी गाड मे लन्ड की घिसावट ने उसके नथुने फुला रखे थे ।

बिना एक भी शब्द बोले वो मुह भीच कर हुमच हुमच कर शिला की गाड़ की जड़ो तक घुसा हुआ था
जल्द ही शिला की सासे सामान्य होने लगी और शारिर पूरी तरह से गर्म होने लगा उसे अब दर्द भी हल्का लगने लगा तो उसने अपने मुह से हाथ हटा कर
गरदन पीछे करके मुस्कुराते हुए देखने लगी
कमलनाथ पुरे जोश मे उसकी गाड़ मे मुसल घुसाये हुए पेल रहा था और शिला ने अपने आंखे महिन करके अपने गाड़ के छ्ल्ले को कसने लगी जिस्से कमलनाथ के लन्ड पर और जोर पडने ल्गा

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कमलनाथ सुपाडा भी फूलना शुरु हुआ और वो पूरी ताकत से तेजी से गाड़ मे लन्ड पेलने लगा
शिला की सिस्स्किया फिर से तेज हो गयी और कमलनाथ की नसे भी फुलने लगी
वो अपने चेहरे को भिचे हुए एडिया उचका कर अपने चुतड टाइट किये हुए सटासट पले जा रहा था और आखिरि कुछ झटको के साथ उसने लन्ड को उसकी गाड़ मे जड़ तक पेल दिया और भीतर ही उस्का सुपाडा फ़ूट पड़ा, दोनो की आहे एक साथ निकाली

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गर्म लावे ने शिला पागल कर और जब कमलनाथ ने उसकी गाड़ से अपना मोटा मुसल निकाला तो सारा वीर्य बाहर निकल कर उसके चुत से होते हुए फर्स पर गिरने लगा ।
कमलनाथ ने खुद को सम्भाल कर वही बिस्तर पर बैठ गया और शिला ने पास रखी पैंटी से अपनी गाड़ पोछी फिर फर्श पर गिरे वीर्य पर उसको डाल दिया ।
शिला ने अपनी ब्रा पहनी और फिर सूट । फिर बिना पैंटी के ही उसने वो पलाजो पहन लिया जिसमे पहले से हो उसका जिस्म झलक रहा था ।

शिला - आप चलिये मै फ्रेश होकर आती हु

फिर कमलनाथ निकल गया और शिला एक तौलिया लेके रागिनी के कमरे मे चली गयी


राज की जुबानी

मै और शकुन्तला ताई वापस आ गये थे । हम दोनो खुश दिख रहे थे और वही जब मम्मी से सामना हुआ तो उसने साफ झुठ बोल दिया कि वो फ्रेश होने के लिए चली गयि थी ।

मै अचरज भरी नजरो से ताई की ओर मुस्कुरा कर देखा और धीमे से उनसे पूछा- आपने झुठ क्यू बोला

शकुन्तला- अब अपने लाडले बेटे को डांट थोड़ी ना सुनने दूँगी

मै - अच्छा तो इतनी फ़िकर है मेरी तो साड़ी उपर कर लो ना

शकुन्तला हस कर - धत्त शैतान
फिर वो वापस विमला के पास बैठ गयी और रह रह कर मेरी ओर देखे जा रही थी
मै भी वापस मौसा के पास बैठ गया जो काफी खुश लग रहे थे मगर वहा शिला हुआ नही दिखी मुझे । मगर इनसब बातो पर इतना ध्यान नही दिया क्योकि शकुन्तला ताई से मेरी अपनी की इश्क़बाजी चल रही थी और बीच बीच मे ताई से इशारे करता कि नाभि दिखाते और वो इतरा कर मुस्कुरा देती थी ।

लेकिन बार बार आग्रह करने पर उन्होने हल्का सा साडी उठा कर अपनी नरम गोरी गहरी नाभि दिखाई और मैने भी बदले मे अपने होठो पर जीभ फिरा कर अपना इरादा दिखाया तो वो आंखे दिखाने लगी ।

फिर ध्यान रीना भाभी पर गया जो जीने से निचे की ओर जा रही थी
मै भी लपक कर उनके पीछे हो लिया
देखा तो वो किचन मे आई थी एक प्लेट मे मीठा निकाल रही थी , क्योकि उपर कुछ औरते आई थी मुहल्ले की तो मम्मी ने उन्हे भेजा था

मै भी उन्के पीछे खड़ा हुआ और फ्रिज से पानी निकालने के बहाने उनके चुतड़ पर अपने पिछवाड़े हल्का सा धक्का दिया

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वो चौक कर घूमी और सामने मुझे मुस्कुराते हुए पाया ।

रीना - क्या देवर जी पीछे से धक्का उम्म्ंम

मै उनकी बाते सुनकर उनको कमर से पकड कर अपनी ओर खिच लिया - आप कहिये तो आगे से भी दे देंगे

भाभी हसते हुए मुझसे अलग होकर - धत्त बहिनचोद , क्या कर रहे हो । कोई देख लेगा तो

मै मुस्कुराकर - तो कमरे मे चले
रीना शर्मा कर - धत्त हटो जाने दो मुझे

मै - अरे मुझे मेहंदी नही लगाई आपने

रीना - अरे बाबू अभी बहुत लोग बाकी है और मैने भी नही रखी देखो

रीना ने अपनी हथेली दिखाई

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मैने उसकी हथेली हाथ मे लेके अपना दुसरा हाथ सीधा उनकी साडी मे घुसा कर पेट सहलाता हुआ नाभि पर उंगलिया घुमाई - कहो तो मै रख दू मेहन्दी आपको यहा पर

मेरे छूने से रीना की सासे अटक गयी और वो झटके से मेरे हाथ अलग कर मुझे आंख दिखाते हुए - धत्त बदमाश हटो जाने दो

फिर हसते हुए उपर निकल गयी और मै अपने फुलते लण्ड को दबाते हुए बाथरूम मे चला गया ।
इधर मै कमरे से बाहर आ रहा था कि पापा चाचा एक साथ आते हुए दिखे और उनकी हालत ठिक नही लग रही थी , जैसे ही वो पास आये मै समझ गया कि दोनो भाईयो ने ड्रिंक किया हुआ है

और वो बाते करते हुए उपर जाने लगे कि मैने उन्हे टोका

मै - पापा , कहा जा रहे हो ऐसे
पापा - बेटा उपर !!
मै खीझते हुए - जाओ पहले नहाओ आप दोनो , इतने महक रहे हो आप

पापा और चाचा दोनो एक दुसरे का मुह देखने लगे और फिर पापा चाचा को लेके अपने कमरे मे चले गये ।

मै भी उपर चला गया ।


जारी रहेगी

Post credit sense 🤪

SHEELA IS ALREADY IN THAT BATHROOM WHERE HER BROTHERS ARE GOING 🤭
बहुत ही मस्त और गरमागरम अपडेट है भाई मजा आ गया
 
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