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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

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DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

Raj Kumar Kannada

Good News
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UPDATE 183 B

अमन के घर


संगीता और भोला की योजना सुबह से ही शुरु हो गयी थी ।
मदन का कमरा नीचे ही हाल से लगा हुआ था । अकेले रहने और हाल से सटे होने के नाते अक्सर उसका कमरा एक गेस्ट रूम मे तौर भी यूज़ हो जाता था ।


दृश्य 01

निचे किचन मे महिलाए मिलकर नास्ते की तैयारियाँ कर रही थी और वही मदन मुरारी और एक दो जन आपस मे बैठे बाते कर रहे थे । भोला अभी उपर अपने कमरे मे था ।

तभी मुरारी और मदन की बात चीत से संगीता को भनक हुई कि मदन कुछ ही देर मे स्टोर रूम से समान लेके उपर छत पर जायेगा ।
संगीता को ये समय अपनी योजना के लिए सही लगा और वो किचन से निकल कर चुपचाप उपर कमरे मे चली गयी । उसने भोला को मदन के उपर आने की खबर दी और दोनो तैयार होने लगे ।

उपर फिल्हाल कोई नही था , संगीता और भोला दरवाजा खोलकर अपने कमरे मे खड़े थे इस इंतेजार मे कि कब मदन उनके बगल के कमरे का दरवाजा खोलता है ।

कुछ ही मिंट मे सीढियो से आहट हुई और जैसे ही बगल एक स्टोर रूम के दरवाजे पर खटपट हुई , दोनो ने अपना ड्रामा शुरु कर दिया ।

भोला तेज फुसफुसाहट भरी आवाज मे - ओहो संगीता सीई अह्ह्ह ठहर जाओ , मुरारी भाई ने मुझे निचे बुलाया है ।
संगीता - नह्ह प्लीज बस थोड़ी देर ना ऊहह प्लीज ना रिंकि के पापा

अपनी बहन और जीजा के फुसफुसाहट भरे संवाद ने मदन का ध्यान उनकी ओर खिंच और उसके गतिमान हाथ जड़ हो गये ।

उसने अपने सतर्क कान गरदन बढा कर अपनी बहन के कमरे की ओर किये इस जिज्ञासा मे कि आखिर किस बात के लिए उसकी दीदी अपने पति से जिद कर रही है ।
भोला - नही संगीता समझो ना , इस समय हम रिस्क नही ले सकते , रात मे देखते है ना ।


भोला की बातो ने मदन की उत्सुकता और बढा दी , उसकी धडकने भी तेज हुई कि आखिर उसके दीदी जीजा किस बारे मे बात कर रहे है । एक रिटार्य आर्मी जवाँ रहने के नाते उसके जहन मे कई सारे नकारात्मक ख्याल आ रहे थे । मगर बिना सच्चाई जाने वो किसी भी निष्कर्ष पर नही जा सकता था । आखिर ये लोग उसके अपने थे ।

तभी संगीता की आवाज आई - रात मे कैसे करोगे ? रात मे रिंकि भी तो यही सोती है प्लीज मान जाओ ना , क्यू तडपा रहे हो देखो ना मेरे दुध भी कडे हो रहे है प्लीज ।


अपनी बहन की बात सुनते ही मदन के कान खड़े हो गये और उसकी आंखे फैल गयी साथ ही चेहरे पर मुस्कान आ गयी कि वो फालतू ही शक कर रहा था , यहा उसकी बहन रोमैंटिक बाते कर रहे है । वही उसे इस बात की भी भनक नही हो पाई कि धिरे धिरे उसका मुसल सर उठाने लगा था ।

भोला - ओहो मेरी जान प्लीज बस दो दिन और रुक जाओ ना , फिर तुम जितना कहोगी उतना चोदूंगा पूरी रात कस कस के
संगीता ने एक गहरी आह भरी - लेकिन मेरा अभी मन है ना

भोला - नही संगीता मुझे जाना होगा मुरारी भाई वेट कर रहे है

मदन को लगा कि भोला अभी निकलेगा इसीलिए वो झटके से दरवाजा खोलकर स्टोर रूम मे घुस गया और भोला सरपट निचे चला गया
तभी संगीता भी दरवाजे से बाहर निकलती है और तुनकते हुए - इनके तो अलग ही नखरे है , ना जाने किस मिट्टी के बने है हुउह

अपनी बहन की किरकिरी होने पर मदन की हसी छुट जाती है और वो उसे औरत का ये रूप देखकर अलग ही तरह का आनंद होता है ।

मगर उसने कभी सोचा भी कि उसकी अपनी सगी बहन इतनी कामुक होगी ।
मदन एक पल को सोचता है कि अगर उसकी प्रेमिका होती तो क्या वो भी ऐसे ही जिद दिखाती । मदन मुस्कुराता है और वापस काम मे लग जाता है ।

इधर भोला और संगीता सीढ़ी पर आकर मिलते है और खिलखिला कर एक दुसरे को ताली देते है ।


दृश्य 02

मदन उपर छ्त पर समान पहुचा रहा होता है इस दौरान मुरारी और अन्य जन नास्ता करके बगल के हाते मे खाने का प्रबंध देखने चले जाते है जहा 500 लोगो को आज दोपहर "हल्दी का भात " खाने का निमंत्रण दिया गया था ।

ममता भोला के लिए नासता लाने को होती है मगर भोला मदन के आने का इन्तेजार करता और जब मदन आता है तो दोनो साथ बैठ जाते है अलग अलग सोफे पर ।
मदन भोला के बाये हाथ के सोफे पर बैठा था । सामने कांच का टेबल रखा हुआ था और जिस पर चाय पकोड़े चिप्स रखे थे ।
तभी भोला ने संगीता को अवाज दी कि वो पानी लेके आये ।

मदन अखबार लेके बैठा हुआ पकोड़े नोच रहा था तभी संगीता पानी लेके आई और भोला देने लगी ।

भोला ने संगीता को मदन की ओर इशारा किया कि ये अख्बार मे ध्यान मगन है इसका ध्यान भंग करो ।
संगीता मुस्कुराई और पानी भरा स्टील गिलास छन्न करके फर्श पर गिरा दिया ।

मदन - अरे क्या हुआ
भोला - कुछ नही भाईसाहब वो रिंकि की मा से पानी गिर गया

"जाओ जल्दी से कपडा लाओ कोई गिर जायेगा भई " , संगीता भागी भागी किचन गयी और अपने चुचे उछालते हुए तेजी से हाल मे आने लगी ।
अपनी बहन की उछलती चुचिय देख कर मदन ने नजरे फेर ली और जबरन अखबार मे नजरे जमाने लगा ।

आन्खे उसकी शब्दो को निहार तो रही थी मगर उसके जहन मे अपने दीदी को देखने की चाह हो रही थी ।

तभी उसने अक्बार का कोना उंगलियो से मोड़ते हुए कनअखियो से संगीता की ओर देखा तो वो झेप गया ।

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सामने संगीता अपने पति से नजरे मिलाती हुई उसे रिझाने के इरादे से अपने साडी का पल्लू सीने से थोडा निचे उतारते हुए अपने डीप गले से अपने गोरे स्तन के उभारो का दरशन भोला को करवाति हुई एक पोछा से पानी बालटी मे गार रही थी

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तभी मदन की नजर अपनी बहन की गुदाज गहरी नाभि पर गयी जिसे देखते ही मदन का मुसल सर उठाने लगा और उसके मुह मे पानी भरने लगा ।
थुक गटक कर उसने अपनी बहन का कामोत्तेजक रूप देखा उसकी सासे फुलने लगी और फिर संगीता उठी । बालटी लेके अपने मादक कुल्हे हिलाती हुई किचन मे चली गयी ।

वही मदन इस बात से बेफिकर था कि शायद अखबार की आड़ मे उसे किसी ने देखा नही मगर भोला की तेज नजरो ने अपने साले को गरदन घुमा कर उसकी बहन के मटकते चुतड देखता पकड लिया था ।

भोला अपनी योजना पर मुस्कराया और चाय की चुस्की लेने लगा ।

मगर मदन भीतर से पुरा बेचैन हुआ पड़ा था , आज ना जाने कैसे संजोग उसके साथ हो रहे थे उसे जरा भी समझ नही आ रहा था ।

तभी संगीता ने किचन से निकलते हुए ममता को बोला - भाभी मेरी साडी भीग गयी है मै बदल के आती हु ।

फिर उसने एक शरारत भरी नजरो से भोला को देखा और उपर आने का इशारा किया ।
भोला ने मुस्कुरा कर ना मे सर झटक दिया ।

वही मदन इस बात पर खुश हो रहा था कि दोनो कितने नादान है उनहे लग रहा है जैसे उनकी लुकाछिपी कोई देख नही रहा है ।
मगर उसे क्या पता वो खुद अपनी बहन की साजिश मे शिकार हुआ जा रहा था ।
इधर मदन को लगा कि शायद कुछ देर मे भोला उपर जायेगा मगर भोला जरा भी अपनी जगह से नही हिला और मदन को भोला से ईर्ष्या होने लगी कि क्यू वो अपनी बीवी के पास नही जा रहा है जबकी वो उसे रिझाये जा रही है ।
अगर कोई मदन को सामने से बोलता कि " उसे ये जलन भरी भावना इसीलिए हो रही है कि उसे अपनी बहन का जिस्म देखने का मौका नही मिल पाया " , तो शायद मदन इस बात को कभी नही स्वीकारता मगर कारण तो यही था । भोला के जेंटलमैन वाले व्यव्हार ने मदन के जहन मे एक जलन वाली भावना भर दी , उसे लगने लगा कि भोला तो उसकी बहन की कदर ही नही जानता ।

मगर हकिकत से अंजान मदन समझ नही पाया कि उसके भीतर उठ रही भावना भी भी उन दोनो की चाल थी जिससे मदन संगीता के लिए थोडा पोजेसिव हो जाये ।


शकुन्तला के घर


बाथरूम से निकल कर शकुन्तला इतराती हुई अपने चुतड ऐसे ढंग से मटका कर चल रही थी मानो उसकी जवानी के दिन लौट आये ।

सीने मे गजब का फुलाव , कमर तनी हुई पूरी लचक खा रही थी , उसके गीले बालो को झटकते हुए उसने अपने जिस्म को निहारा और आईने मे राज को बेहाल देख कर एक शरारत भरी मुस्करा बिखेर दी ।

सामने जोबन पर लगी तौलिये की गाठ को ऊँगलीयो से उधेड़ते हुए उसने अपने बाहो को फैलाया और पीठ रगड़ती हुई उपर ले गयि ।

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इस बात से बखूबी जानकर की उस छीने से तौलिये मे निचे उसके उजले मलायम चुतड बेपरदा हो जायेंगे ।

ताई की नंगी गुदाज गाड़ देख कर राज की सासे फुलने लगी और लन्ड जोर जोर से फुदकने लगा ।

राज ने जोर से अपना मुसल भींच कर मन को तसल्ली दी कि अभी कुछ पल रुक जा

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तभी शकुन्तला ने अपने बाहे समेटते हुए तौलिया निचे किया और इस कामुक ढंग से ऐसे शरारती ढंग से किया कि राज को उसके गाड़ भूरे दरारो की शुरुवात झलक मिलती रहे और ऐसे ही उसने गरदन फेर कर उसकी ओर तनिक भर देखा और मन ही मन चहक उठी ।

बिना एक पल गवाये राज की उत्तेजना बढाते हुए उसने वो तौलिया वही जमीन पर गिरा कर आगे बिस्तर की ओर बढ़ गयी

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नगन गोरे गुदाज चुतडो की मादक थिरकन देख कर राज का सुपाडा फ़नकार मारने लगा , जोरो की जलन सी होने लगी ।

वही शकुन्तला ने बिना राज की ओर देखे उसके ओर अपने तंदुरुस्त नितंब फैलाये उनपे पैंटी चढाने लगी ।

राज वही हाल के बैठा कमरे के सारे नजारे देखता रहा और धिरे धीरे करके शकुन्तला एक एक करके अपने जिस्म को धकने लगी ।



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सुखे नरम चुचो की दरश के आश मे राज के होठ सुखे जा रहे थे मगर शकुन्तला ने छटाक भर ना पलटी और उसकी ओर पीठ किये ब्रा पहन ली और फिर ब्लाऊज के हुक लगाते हुए पलटी ।

उज्ले पेट पर गहरी नाभि के तुरंत निचे पेतिकोट कसा हुआ था और वही से ढलानो पर शकुन्तला की पैंटी की कसी हुई शेप साफ साफ दिख रही थी ।

नगन होकर शकुन्तला राज पर वो छाप नही छोड पाई थी जो असर उसने अपने जोबनो को ढक कर दिया था ।

शकुन्तला साड़ी बान्धने लगी थी और राज को हर पल अपनी चालाकी के लिए अफसोस हुआ जा रहा था कि ना जाने ऐसा संजोग कब बने? कब शकुन्तला अकेले ऐसे मिल पाये ?

मगर कुछ तो था जो उसको अब रोक रहा था , शायद वो हार ही थी राज जो शकुन्तला के सामने वो घुटने टेक चुका था ,

साडी पहन कर शकुन्तला बाल बनाने लगी और राज के चेहरे के उडे हुए भाव देख कर वो बस मुस्कुरा रही थी ।

राज दिखावे के लिए अब मोबाइल चलाने लगा था , मगर उसके जहन मे हर बितता पल ये अहसास दिला रहा था कि इससे अच्छा मौका फिर कभी नही आयेगा ?

शकुन्तला तैयार होकर राज के पास खडी हुई - चल , आजा चलते है

ये बोलकर शकुन्तला अपने मादक कुल्हे हिलाती हुई आगे बढी और उन्हे देख कर राज का लन्ड फिर से बगावत पर आ गया ।

आखिर उसने अपने दिल की सुन ली और शकुन्तला को पकड कर झटके से दिवाल से लगा दिया ।

शकुन्तला इतराती हुई अपने विजयी मुस्कुराहट के साथ सिसकी - अह्ह्ह राज क्या करता है

राज ने अपने होठ से जवाब देते हुए उसकी साडी पेतिकोट सहित उपर करके पैटी के उपर से उसकी गाड पर लगा दिया

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शकुन्तला इस स्पर्श से सिस्क पड़ी, राज ने उसके नरम कूल्हो को पकड़ते हुए उसके गाड़ की खुस्बु लेता हुआ उसके गाड़ के मुलायम पाटो को काटने लगा ।

शकुन्तला दिवाल से चिपकी हुई एडिया उठाए घुटी हुई सिस्किया लेने लगी

राज खड़ा हुआ और शकुन्त्ला को हाल की चौकी पर झुका दिया और उसकी कच्छी खिंचने लगा

शकुन्तला ने निर्विरोध अपनी टाँगे ढीली कर दी और राज को अपने गाड़ के आगे घुटनो के बल झुका दिया ।

राज ने उसके चुतदो को थामा और जीभ से एक बार उसकी फैली हुई बुर और गाड़ की सुराख पर जीभ फिराई जिससे शकुन्तला की आख उलटने लगी ,

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अगले ही पल उसने अपना पुरा मुह उसकी गाड़ मे देते हुए उसकी गाड़ चाटने लगा और जीभ से कुरेदने लगा ।

शकुन्तला बेबस ऐठती अकड़ती हुई आंखे पटलति सिस्क्ने लगी , राज अपने होठो से उसकी चुत के निचले छोर को सुरकता हुआ जीभ को नुकिला कर उसकी गाड मे भेदने लगा ,

शाकुंतला को ये अह्सास मदहोश कर गया ,
राज ने देरी ना करते हुए खड़ा हुआ और अपना मुसल निकाल कर टिप पर थुक लगाते हुए उसे शकुन्तला की गाड़ के छेद पर टिका दिया

शकुन्तला समझ गयी कि जिस तरह से आज उसने राज को अपनी गाड़ दिखा कर रिझाया है वो नही बक्सने वाला,
और अगले ही राज ने उग्लियो मे ढेर सारा थुक लेके उसके गाड़ की सुराख पर मलने लगा और फिर अपना चिकना सुपाडा पकड कर दबाता हुआ घुसेड़ने लगा ,

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शकुन्तला ने भी अपने चुतदो के पाटे दोनो ओर से जोर से पकड कर फैला रखा

लन्ड बड़ी आसानी से उसके गाड़ अन्दर और अन्दर घुसता चला गया ।
शकुन्तला के गाड़ की दीवारे फैलती चली गयी , महिनो बाद उसने लन्ड की गर्माहट महसुस की थी और उसकी चुत पिघलने लगी ,

राज ने उसकी साडी हाथो मे पेतिकोट सहित समेटता हुआ अब झटके लगाने लगा , कसी हुई गाड मे राज मे फुल हुआ सुपाडा रगड़ रगड़ कर जगह बना रहा था और राज हुम्च हुम्च कर कस कस के पेलने लगा ,

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हाल मे घुटी हुई मादक सिसकिया अब चिखो मे बदलने लगी और राज कस कस कर पेलने लगा ,

शाकुंतला - आह्ह बेटा और पेल उह्ह्ह हा हा ऐसे हहहह उम्म्ं अह्ह्ह और तेज ऊहह फ़ाड दे उह्ह्ह अमुह्ह

शकुन्त्ला के पहले संवाद पर राज ने भी मुह खोला - ऊहह ताई आपकी गाड़ मस्त कसी हुई है ओह्ह्ह कितने दिनो ने नही पेलवाया उह्ह्ह

शकुन्तला अपनी गाड़ उठाए हुए आहे भरती हुई - सालो से पुछ बेटा ओह्ह्ह उह्ह्ह कितने सालो लन्ड ने छुआ नही मेरे जिस्म को ओह्ह्ह बेटा और पेल ओह्ह्ह और तेज्ज्ज्ज ओह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह तेरा मोटा लन्ड मेरी चुत की दिवारो की खुजली बढा रहा है

शकुन्तला ने अपने बुर के फाको को मसलते हुए कहा ।


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राज ने हाथ आगे बढाते हुए उसके बालो को पकडते हुए कस कस के पेल रहा था - अह्ह्ह ताईई ऊहह मस्त माल हो आप उह्ह्ह कितना तड़पाता आपने ओह्ह्ह

शकुन्तला- तड़पाती नही तो क्या तु इतना मजे से पेलता उह्ह्ह बोल ओह्ह्ह

राज- आह्ह ताईई सच कह रही हो , कल से ही मूड था आपको पेलने का अह्ह्ह अह्ह्ह ताई मै आऊंगा ओह्ह्ह

शकुन्तला- ओह्ह बेटा भर दे मेरी गाड़ ओह्ह उह्ह्ह उडेल दे सारा उह्ह्ह उम्म्ंम

राज के लन्ड का फब्बरा शकुन्तला के जोशिले श्बदो के साथ ही फूट पड़ा , गाड़ को सुराख को बड़ा करता हुआ राज का लण्ड उसकी जड़ो मे झटके खाने लगा और उसकी गाड़ मे अपना गर्म गर्म माल भरने लगा ।

आखिरी बूंद आने तल शकुन्तला ने अपने गाड़ के छल्ले को लन्ड पर कसे रखा और फिर ढील दिया , राज लण्ड निचुड़ कर ऊपर रबड़ी लपेटे हुए बाहर निकल आया ।

दोनो ने अपने जिस्म को साफ किया और अपने कपडे सही करके जल्दी से राज के घर के लिए निकल गये ।

राज को आए 30 मिंट से उपर हो गये थे , राज को डर था कि पक्का डांट मिलने वाली थी ।

घर मे गया तो निचे सब कुछ शान्त और खाली था ।

उसने शकुन्तला को उपर की छत भेजते हुए खुद अपनी मा को तालाशने उसके कमरे के दरवाजे को खोलकर जैसे ही कमरे मे झाका सामने आईने के सामने
एक औरत अपने बाल संवार रही थी , जिसकी बड़ी सी चुतड पर साडी कसी हुई थी और उसके ब्लाउज से झांकती नंगी गोरी पीठ साफ नजर आ रही थी ।


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तभी वो औरत दरवाजे की आहट पर घूम कर देखती है और उसके कजरारी आन्खे देख कर राज का चेहरा खिल जाता है

जारी रहेगी
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