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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनो का सौदागर
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!! खुशखबरी !! !! खुशखबरी !! !! खुशखबरी !!

हमारे मुठ्ठल पाठको के लिए सुन्दर अवसर
अपनी काबिलियत सबित करने का


यूरोपीयन चुदाई प्रतिस्पर्धा 2023

20230604-100439
 
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लेखक की जुबानी

रात तो बीत गयी लेकिन चढ़ती सुबह और अंगड़ाई लेती कमर ने सबसे पहले अनुज को जगाया ।

अपने पावो को फैलाते हुए एक जम्हाई के साथ बड़ा सा मुह खोलते हुए पुरे जिस्म की नसो के साथ साथ लण्ड की नसो को भी स्ट्रेच करते हुए अनुज ने उठ कर बैठ गया ।

कुछ पल का धुन्धलापन रहा और वो आंख मिजते हुए गरदन घुमा कर दिवाल घड़ी पर नजर घुमाया तो सुबह 6 बज रहे थे ।

एक और उबासी से बड़ा सा मुह फैलाते हुए उठ खड़ा हुआ और आगे बढते हुए अपना तना हुआ लण्ड अंडरवियर मे हाथ डाल कर पकडते हुए उसको उपर लास्टीक मे दबा दिया , ताकी कही कमरे से बाहर निकलने पर दीदी या घर की कोई अन्य सद्स्य से ऐसे ही तने तम्बू मे सामना ना हो जाये ।

ज्महाई लेते और अपनी नसे खोलता हुआ अनुज जीने से होकर उपर छत पर जाने लगा ,

लेकिन आज जीने का दरवाजा उसे ही खोलना पड़ा जिससे उसे भनक पड़ गयी कि अभी घर मे उसके सिवा कोई नही जगा है । यहा तक कि उसकी सोनल दीदी भी नही , जो कि वो घर मे सबसे पहले उठने की आदी थी ।


दरवाजा खोल कर अनुज ने अधखुली आंखो से लालिमा भरे सूरज को देखा और हलके हल्के रोशनी अपनी पूरी आंख फैलाई कि सामने अरगन पर उसके मौसी की लहराती ब्रा पैंटी पर नजर गयी और बीती रात की सारी दासता उसके सामने आ गयी ।


पुरा लण्ड झटके भर मे फौलादी हो गया , इतना कि सुपाडे ने लास्टीक फैला कर बाहर की झाकने लगा था ।
एक गहरी आह भरते हुए अनुज ने अपने लण्ड के कुनमुनाते मुहाने को दबाया और पाखाने मे घुस गया ।

गाड़ से सरकती टट्टी और टुल्लू से बालटी मे पानी भरने की आवाज को अनदेखा करके अनुज अपनी रज्जो मौसी के ख्यालो मे गुम था ।

लण्ड अरमान सजोते सजोते उसकी आन्ते खाली हो चुकी थी , चुतड पर लगा मल सुखने लगा था और करीब 20 मिन्ट से भी अधिक का समय बीत गया था ।

मगर मजाल है लण्ड की कसावट और अनुज के सपनो की उड़ान मे कोई गिरावट दर्ज हो पाती , लेकिन तभी किसी ने दरवाजा पीटा

और अनुज हड़बड़ाया , तुरन्त अपना पिछवाडा चमकाकर अपना कच्छा चढाते हुए बाहर निकला ।

सामने उसकी सोनल दिदी खड़ी थी ।


सोनल हस्ती हुई - कितने दिन से रोक के रखा था जो इतना टाईम लगा रहा था

अनुज स्वभाव से ही शर्मिला था और अपनी दीदी से बहुत ही लजाता था । सोनल भी इस बात का बखूबी फायदा लेती थी और अपने छोटे भाई को थोडा बहुत छेड़ती ही रहती ।


मुस्कुराकर अनुज बाहर लगे बेसिन पर हाथ धुलने लगा और सोनल पाखाने घुस गयी ।

अनुज ने अपना ब्रश निकाला और घुमाने लगा और फिर बाथरूम मे जाकर नहाने के लिए दरवाजा बन्द कर दिया ।

दरवाजा बन्द होते ही बाथरूम की अरगन पर उसे उसकी सोनल दीदी के कपडे टंगे मिले जिन्हे लेकर वो उपर नहाने के लिए आई थी ।


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तौलिया लोवर टीशर्त छोड कर अनुज का ध्यान उसकी दीदी की ब्लैक ब्रा और लाल पैंटी सेट ने खींचा ।

जो एकदम कोरी थी , शायद एक भी बार ना पहनी गयी हो ऐसा अनुज को लगा ।

एतना अच्छा आया मौका अनुज कैसे जाने देता , और उसने वो मखमाली अह्सास अपने हाथो मे भरते हुए अपने नथुनो को उन्के करीब ले गया ।


ताजा नयू रेडीमेट पैंटी मे भी अनुज ने अपनी बहन के चुत की गन्ध तालाशने लगा और अपना मुसल सहलाते हुए सिस्क पड़ा ।


तभी बाहर से सोनल की आवाज आई कि जलदी से नहा कर वो बाहर आये ,

बहन की आवाज सुन्कर अनुज हड़बड़ाया और पैंटी छोड कर नहाने बैठ गया और फटाफट नहाते हुए बाहर निकल गया ।
निचे कमरे मे आकर उसने अपने कपडे पहने और दरवाजा बन्द करके कुछ पुरानी सेक्स कहानीया खोलने जिसमे रिशतेदारों से चुदाई के तरीके बताये थे ।

इधर अनुज अपनी तैयारी मे लगा रहा और 8बजे के करीब वो अपना मुसल शान्त कर निचे हाल मे आया ।

किचन मे सोनल और निशा नाश्ता बनाने मे लगी थी ।

उसके पापा रंगीलाल और राज हाल मे बैठे आज की तैयारियो के बारे मे बाते कर रहे थे ।

लेकिन अनुज की निगाहे तो बस उसकी मौसी को खोज रही थी ।
तभी राज के कमरे से रज्जो अपने बालो को मे तौलिया लपेटे एक काटन मैकसी मे बाहर आई

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तरोताजा जिस्म और शैम्पू की भीनी खुस्बु हाल मे फैल गयी ।
रज्जो ने अपने सीने पर कोई दुपट्टा नही ले रखा था ।

रज्जो ने आते ही पहले रंगीलाल को देखा और मुस्कुराई , जिसे देख कर अनुज को अजीब सा लगा और कल रात वाली बहस याद आने लगी ।फिर उसके लण्ड ने सर उठाना शुरु कर दिया ।


"अरे जीजी आईये बैठीये" , अनुज के बाप ने उसकी मौसी को अपने पास मे बैठने का न्योता दिया ।

रज्जो अनुज के सामने से इथलाती हुई अपनी बड़ी सी गाड़ ठिक उसके मुह के सामने से हिलाते हुए आगे गयी और उसके पापा के पास अपनी चर्बीदार गाड़ फैला कर बैठ गयी ।
इधर उनका हाल चाल और बाते चल रही थी कि अनुज का मन हुआ वो भी अपनी मौसी के करीब बैठे , लेकिन कैसे कुछ बात तो हो


तभी अनुज का दिमाग ठनका और वो उठ कर अपनी मौसी के पास बैठते बहुत ही बेफिक्रे ढंग से उनका बाजू थामते हुए - मौसी आप अकेले क्यू आ गयी , भाभी को क्यू नही लाई ?


अनुज के इस सवाल पर उसके भैया ने भी साथ दिया ।

राज - हा मौसी आप अकेले क्यू ?

रज्जो - अरे बहु अगर आ जाती तो वहा बाप पेटो की भूख कौन शान्त करता , उन्हे बनाता खिलात कौन


अनुज रज्जो के बाहो मे हाथ घुसा कर उल्टे पंजे से अपनी मौसी की गुदाज चुचियो को मैक्सि के उपर से छुते हुए उसके चर्बीदार कन्घे पर अपना सर लगाकर - अरे तो सारे लोग चले आते ना


रज्जो हस कर अपना कन्धा उचकाकर - हमम हम्म्म जैसे तुम लोग बड़ा आ गये थे एक साथ घर छोड कर


अब अनुज के पास दाँत दिखा कर हसने के अलावा कोई उपाय नही था और वो मन ही मन खुश था कि उसको थोड़ी कामयाबी तो हाथ लगी , उल्टे हाथ ही सही लेकिन उसने मौसी के मोटी नरम चुचियो के स्पर्श तो पा लिये ।


कुछ देर तक ऐसी ही बाते चलती रही और अनुज नास्ते तक अपनी मौसी की चर्बीदार कूल्हो के स्पर्श के साथ साथ हौले हौले से रज्जो की चुची को उल्टे हाथ से घिसता रहा ।


रज्जो को पहले तो ये सब सामान्य लगा लेकिन जब बातो ही बातो मे अनुज ने उंगलियाँ भी फिरानी शुरु कर दी तो रज्जो समझ गयी कि उसके लाडके भतीजे को उसकी चुचियो की नरमी भा गयी और बिना कोई प्रतिक्रिया के चुपचाप मुस्कुराकर उस पल के मजे लेने लगी ।



राज की जुबानी

सुबह के नास्ते के बाद सारे लोग अपने अपने कामो मे लग गये ।

मेरे उपर काम का बोझ बढ़ गया ।
कारण था कल से घर मे 24 घन्टे का अखंड पाठ होना था , जिसकी मनती मा ने पहले ही ले रखी थी । जब गृह प्रवेश होना था ।

समानो की लिस्ट से लेके आने वाले मेहमानो की व्यव्स्था भी देखनी थी ।
फिर उसके अगले दिन भोज भी होना था जिसमे क्षेत्र ज्वार के 400-500 लोग खाने आने वाले थे ।


खैर फ़ुरसत के पल तो अब शायद ही मुझे मिल पाते लेकिन मैने मेरे पापा से सिख रखा था ।
कि कोई भी काम बोझ समझ कर नही उनमे छिपी मस्तीयो को खोज कर करो , फिर काम काम नही खेल लगेगा ।

फिर क्या था , मैने मम्मी से पर्ची ली और निकल गया ।

सबसे पहले मैने किराने के समान के लिए लिस्ट वहा नोट करवाइ और उहे घर पहचाने को बोल दिया
फिर पंसारी के यहा से पूजा की सामाग्री ली ।
और इतनी भागा दौडी मे मुझे 11 बज गये ।

फिर अगला काम था मेरे बाजार वाले घर की गली मे , एक चाचा के यहा से कुछ कपडे लेने था दुसरा मुझे चंदू से मिलना था क्योकि मुझे उसके घर में मेहमानो के लिए व्यव्स्था करनी थी । जिसमे मेहनत बहुत होनी थी ।


इस लिए मैने सोचा क्यू ना पहले चंदू की थोडी खोज खबर लू फिर चाचा के यहा ज्यादा समय नही लगेगा ।


फिर मै बिना कोई देरी के मस्त होकर उसके घर मे घुसा , ना कोई आवाज ना ठकठक

सरपट जीने की सीढिया फांदता उपर हाल मे आ गया ।

गरदन घुमाया तो कोई नजर नही आया और रजनी दिदी का कमरा अन्दर से बन्द था ।

मै समझ गया कि मा बेटे अपने धुन मे ताल से ताल मिला रहे होगे

समय तो था नही लेकिन हवस ने मेरे लण्ड की बेताबी बढा दी , सोचा क्यू ना एक बार दरवाजा खोला जाये

जैसे ही मै दरवाजे के करीब पहुंच कर उसका हैंडल पकदता कि पीछे से आकर चंपा ने मेरे हाथ रोक लिये


मै चौक कर देखा तो वो खड़ी मुस्करा रही थी

चंपा ने ना मे गरदन हिलाती हुई - उहु , पापा है अन्दर

पापा शब्द सुनकर मेरे कान खडे हो गये और सामने चंपा खिलखिला रही थी ।

मै दबी आवाज मे - चंदू कहा है ?

चंपा मुस्कुरा कर इठलाती हुई - वो तो बाबूसाहब के यहा है

मैने चम्पा के व्य्व्हार को नोटिस किया और फिर उस्के कपडो पर नजर मारी तो वो समान्य दिनो जैसे ही कप्डे मे थी टीशर्त और स्कर्ट मे ।

मै समझ रहा था कि अगर मै उससे कुछ कहू तो वो बिल्कुल भी मना नही करेगी लेकिन कम्बख्त मुझे समय ही कहा था ।


मै हस कर - वो कब आयेगा
चंपा - जब पापा जायेंगे अभी तब

मै - उससे बात करनी थी जरा काम था
तभी चंपा ने मुस्कुराई और अपने गाड़ उछालते हुए अपने कमरे मे गयी ।

उसकी हिलती हुई गाड़ देख कर आखिर मेरा मन डोल ही गया और मैने कस कर अपने लण्ड को भींच उसके कमरे मे लपक गया

मेरे आने का अह्सास चंपा को हुआ तो वो भी मेरी ओर पलटी

फिर क्या अगले ही मेरे होठ उसके होठो से लिपट गये और मेरे हाथ उसके चर्बीदार गाड़ को भर भर के स्कर्ट के उपर से मसलने लगे ।

वो जोरो से मेरे होठ को चुस रही थी और मैने उसकी गाड मसलकर महसुस की उसके आज पैंटी नही पहन रखी है , फिर क्या

मैने उसका स्कर्ट उठाने मे देरी नही की और उसके नंगी गाड़ की हाथो मे लेके फैलाने लगा ।

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कितने दिनो बाद ये मौका आया था कि चम्पा की चर्बीदार गाड मेरे हाथ मे थी ।

हाथो मे भरके मसलने के बाद ही कुछ ही देर मे मुझे अपने काम की सुझी और मेरा होश वापस आया ।

अगले ही पल मै चम्पा से अलग हो गया ।

चंपा उखड़ कर इशारे पुछने लगी कि क्या हुआ ?
मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको वापस से अपनी ओर खिंच कर उसके होठ चुमते हुए - सॉरी मेरी जान, यहा मै रिस्क नही ले सकता । समझ रही हो ना तुम

मेरा इशारा चंपा के मम्मी पापा की ओर था

चंपा - तो निचे चलते है ना

मै - समझो ना मेरी जान, मुझे काम भी तो बहुत है और दीदी की शादी मे टाईम नही मिल पा रहा है । सॉरी

चंपा मुस्कुराई - कोई बात नही ।

मै - तो बताओगी उस कमीने से बात कैसे होगी

चंपा ने हाथ मे अपना मोबाइल लिया और एक नम्बर डायल किया ,

तभी सामने से किसी ने कॉल उठाया

चंपा - हा मालती , वो जरा चंदू से बात करवाना

चंपा की बात सुनकर मेरी आंखे फैल गयी और अगले ही पल मालती की आवाज आई - हम्म्म लो बात करो दिदी है ।

मेरी हालत और खराब हो गयी कि मालती चंदू के पास कैसे ?

तभी चंदू की आवाज आई - हा दिदी बोलो

चंपा - लो राज बात करेगा तुमसे

मै - हा कहा है तु कमीने
चण्दू हस कर - तेरी भाभी की बाहो मे हिहिहिही
तभी मुझे मालती और चंदू की खिलखिलाहट भरी फुसफुसाहट आई

मै समझ गया कि इसने मालती को पटा ही लिया ।
मै हस के - अरे यार वो तेरे चौराहे वाले घर मे मेहमानो के लिए व्यवथा करनी है तु कब फ्री होगा ।


चंदू - बस पापा को आने दे फिर मै आ जाता हू

मै - ठिक है 1बजे तक आ उस वाले घर पर

चंदू - ठिक है ।

फिर फोन कट गया और मैने चंपा से विदाई मागी

वो मुस्कुरा एक और गहरा चुम्बन करके मुझे निचे तक छोडने आई और आखिर मे मैने वाप्स से एक बार उसके चुतडो को हथेली मे भरके दबोचा और निकल गया चाचा के यहा ।


लेखक की जुबानी


तैयारियाँ तो सब ओर हो रही थी और इन्ही तैयारियो के बीच राहुल की मा शालिनी ने भी अपनी खास तैयार कर रखी थी ।

सुबह नास्ते के बाद उसने अपने बेटे और पति दोनो को सरप्राइज देने के लिए वही छोटी वाली नाइटी पहनी जिसमे देखने की आस दोनो बाप बेटो को थी ।

लेकिन मौका पहले जन्गीलाल को ही मिला घड़ी मे सवा ग्यारह बज चुके थे और घर के हाल मे जन्गीलाल शालिनी को आगे झुकाये हुए ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था और वही राहुल इनसब से बेफिकर होकर दुकान पर बैठा हुआ ग्राहक से डील कर रहा था ।


ऐन मौके पर राज दुकान पर आ पहुचता है ।

राहुल उसे देख कर नम्स्ते करता हुआ बैठने के लिए बोलता है ।

राज - चाचा कहा है राहुल ?

राहुल मुस्कुरा कर - भैया वो अन्दर है , क्या हुआ

राज - ठिक है मै मिल लेता हुआ ,

इतने मे उठ कर भीतर जाने को होता कि राहुल के दिमाग की घंटी बज उठती है क्योकि वो भली भाति जान रहा था कि इन दिनो निशा के ना रहने के कारण घर का माहौल क्या है और कही उसका बाप हाल मे ही उसकी मा के मुह मे लण्ड पेल रहा हो ।


राहुल हिच्ककर खड़ा हुआ - अह रुको भैया वो सो रहे होगे मै जगा के लाता हू

और राज इससे पहले कुछ प्रतिक्रिया दिखाता उससे पहले ही राहुल लपक के गैलरी से भीतर चला गया । राज को थोडा अजीब तो लगा लेकिन उसने राहुल पर ध्यान ना देते हुए समान की लिस्ट पढने लगा ।

इधर मुहाने पर जाते ही राहुल ने सामने का नजारा देखा तो हैरान हो गया उसका बाप उसकी मा को झुकाये हुए उसकी गाड़ मे खुब हच्क ह्च्क के लण्ड दे रहा था ,


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उसकी मा उस गुलाबी नाइटी मे सामने झुकी हुई झटके खा रही थी और आखिर कुछ झट्को के साथ उसके बाप ने उसकी मा को ऐसे ढकेला जैसे किसी रोड छाप रन्डी को चोद कर छोड देते है तड़पने के लिए


वही उसकी मा फर्श पर औंधे मुह झुके हुए हाफते हुए मुस्कुरा रही थी और उस्का बाप सोफे पर बैठा हाफ रहा था ।

जन्गीलाल - ऊहह जान मजा ही ला लिया तुमने तोह , एकदम रन्डी है तू

शालिनी हाफते हुए जन्गीलल के पाव के पास बैठ कर - अभी आपने देखा ही कहा है अपनी जान का रंडीपना , और देखना है उम्म

जन्गीलाल हाफ कर - क्यू नही मेरी रन्डी आ एक बार और हो जाये , देख लण्ड तो तैयार ही है
और अगले ही पल शालिनी ने जंगीलाल के लण्ड को पकड कर चुसना शुरु कर दिया ।

वही राहुल का ये सब देख कर हालत खराब हो गया और उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ।

इस लिये वो थोडा पीछे हुआ और अपने पापा को आवाज देने लगा

राहुल की आवाज सुनते ही जन्गीलाल उठ खड़ा हुआ - जान उठो उठो , तुम जल्दी से छिप जाओ ये कपडे बदल लो


शालिनी हस कर - ओहो आप भी ना अपना ही बेटा है उस्से क्या शर्माना

ये बोलकर शालिनी ने अपनी नाइटी सही की और सोफे के पास खड़ी हो गयी ।

इधर जन्गीलाल ने भी लण्ड को चढ़ढे मे घुसा दिया और बनियान पहन लिया

राहुल हाल मे आता हुआ - पापा वो राज भैया आये है , आपसे मिलने


फिर राहुल अपने पा पा के सामने ही अपनी मा को उस नाइटी मे देखता है जिसमे उसकी मा की चिकनी जान्घे साफ साफ दिख रही थी ।

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राहुल समझ रहा था कि उसकी मा को फर्क नही पड रहा है लेकिन वो अपने बाप से थोडा असहज हो रहा था इसिलिए उसने इस माहौल को मजाक का रूप देते हुए हस कर बोला


राहुल - हिहिहिही कया मम्मी , निशा दिदी के बचपन वाली फ्रॉक क्यू पहनी हो आप


राहुल ही मासूमियत भरी बात सुनकर दोनो मिया बीवी हस दीये खास कर जंगीलाल , उसे और खुशी हुई कि उसके बेटे को ये सब अजीब नही लगा

इतने मे शालिनी बोल पड़ी- देखा मै ना कहती थी कि ये छोटा हुउह


जन्गीलाल अपनी बीवी का तुनकना रास आया और वो हस कर - अच्चा बाबा अगली बार बड़ा लाउन्गा तब तक यही पहनो


राहुल ने भी मौके का फाय्दा लेकर बोला - हिहिहिही हा मम्मी यही पहनो आप छोटी बच्ची जैसे दिख रहे हो हहह्शा

शालिनी - चुप कर बदमाश

जंगीलल - ठिक ही तो कह रहा वो , मेरी गुड़िया हिहिहिही

शालिनी तुनक कर - अच्छा गुड़िया के गुड्डा जी अब जाईये देखीये राज को क्या काम है ।


अपनी मा की बात सुनकर राहुल खिलखिला कर हस दिया और जन्गीलाल भी हस्कर उठते हुए राहुल से बोला - चल बेटा निकल ले , ये गुड़िया काटने वाली है ।

फिर दोनो बाप बेटे हस्ते हुए बाहर आ गये ।

इधर राज ने अपने चाचा से सारे कपडे लिये और बिल लेके घर के लिए निकल गया ।


जारी रहेगी
Shadi vale ghar mein..kaam ke sath masti zari hai...anuj kab tak aag sambhalta hai dekhte hein...Mosi ko toh feel ho gya Anuj chahta kya hai... Shyad mosi hi madad kregi... Raj kuch jyada busy tha aaj ..chandu ke liye nikla toh champa mil gyi mast sa chumban or gadrae naram chutad masalne ka moka mil gya lekin choka lane ka vakt hi kahan ta... Jangilal shalini ke upr chada tha...muje toh laga tha lge hath Rahul samhal lega maa ko lekin episode idhr hi khatam ho gya.... Fir bhi mast update tha
 

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UPDATE 174 (A)

लेखक की जुबानी

दोपहर के डेढ़ बजने को थे , चुकि राज चंदू के साथ उसके घर की साफ सफाई मे लगा हुआ था तो अनुज और उसके पापा के लिए खाना लेके राज की मा निकलने को हुई ।


अब ऐसे मे रज्जो अकेले क्या करती तो वो भी रागिनी के साथ निकल गयी मार्केट वाले घर के लिए ।

इधर अनुज दुकान में बैठा था , दोपहर के समय ग्राहकी कम थी और उसके बेचैनी भूख ने बढा दी थी ।

कुछ ही देर मे दुकान पर उसके मा के साथ उसकी मौसी ने दस्तक दी ।

खाने के टिफ़िन के साथ अपनी मौसी को देख अनुज का चेहरा चमक उठा ।

अनुज - क्या मा कित्ने देर से आ रहे हो , कबसे भूख लगी

रागिनी - अरे बेटा वो तेरा भैया समान लाया था वही देख रही थी उसी मे देर हो गई, ले तु खा ले । मै तेरे पापा को खाना देके आती हू


अनुज - अरे आप दुकान पर बैठोगे तब न खाऊंगा

रज्जो मुस्कुरा कर - अरे लल्ला तु खा मै हू ना , जा छोटी तु खाना देके आ ।


अनुज अपनी मौसी की बात सुनकर बहुत खुश हुआ और सोचा क्यू ना जल्दी जल्दी खा कर मौसी के साथ कुछ टाईम बिताया जाये ।

इधर अनुज अन्दर के कमरे मे खाने चला गया और रज्जो दुकान मे बैठ कर ऐसे ही समान देखने लगी ।

अनुज फटाफट 10 मिंट मे खा कर बाहर आ गया ।

उसने देखा कि उसकी मौसी लिपस्टिक वाला बॉक्स खोल कर देख रही थी ।

अनुज हौले से अपनी मौसी के पास गया , उसने अपने मौसी के जिस्म से आती भीनी भीनी परफ्युम की खुस्बु ली और एक गहरी सास लेते हुए बोला - क्या देख रहे हो मौसी ?

अनुज के अचानक से बोलने से रज्जो चौकी फिर हस्ते हुए - अरे तु खा चुका

अनुज - हा वो भूख ज्यादा लगी थी ना , आप क्या खोज रहे हो

रज्जो लिपस्टिक का बॉक्स बन्द करके उसको उसकी जगह पर रखते हुए - वो मै बस ऐसे ही देख रही थी कि तेरी दुकान मे मेरे मतलब का कुछ है भी या नही ।


अनुज चहक कर - आप बोलो तो आपको क्या चाहिये , मेरे यहा तो सारे लेडिज समान मिलते है ।

रज्जो मुस्कुरा कर - सारे सामान मिलते है ।

अनुज - हा !

रज्जो कुछ सोच के - अच्छा तो जरा मुझे *** कम्पनी का लिपस्टिक दिखा

अनुज चहक कर दुकान मे एक ओर गया और वही अपनी मौसी को देख कर - कैसा चाहिये मौसी , डार्क सेट या लाईट


अनुज के सवाल से रज्जो मुस्कुराई और उसे सुबह का समय याद आया जब अनुज उसके चुचे टटोल रहा था, उसने बस परखने के लिए अनुज से मजाक शुरु किया ।

रज्जो - तु बता मेरे उपर कैसे अच्छा लगेगा

अपनी मौसी के सवाल से अनुज चौक गया और वो हिचकते हुए अपनी मौसी को एक नजर उपर से निचे देख कर जायजा लिया ।

हल्की गाजरी रंग साड़ी मे उसकी मौसी का अंग अंग खिल रहा था । अनुज थुक गटक कर अपने मौसी के होठो को देखा जिस्पे ब्राइट मरून मे शेड वाली लिपस्टिक लगी थी जो उन्के सावले स्किन टोन पर बहुत ही फ़ब रही थी ।

अनुज थोडा मुस्कुराया और शर्मा कर अपनी मौसी को दो तिन मैट शेड वाले ब्राउन और सेमी डार्क लिपस्टिक सजेस्ट किये


रज्जो ने सेमी डार्क पिन्क मैट वाली लिपस्टिक ट्राई की और सच मे उसके चेहरे पे बहुत ही खिल रहा था ।


रज्जो - अरे वाह तुने तो गजब के कलर बताये

अनुज हस कर - आपको पसंद आया ना
रज्जो खुश होकर अनुज के गाल चूमती हुई - बहुत ज्यादा

अनुज - आप चाहो तो और भी लेलो पप्पी इसका color नही छपता

रज्जो हसी - अच्छा सच मे ,, तुझे बहुत चाहिये चुम्मी तेरी भी शादी करवा दू उम्म्ं

अनुज शर्मा गया और रज्जो ने उसे अपने सीने से लगा लिया - मेरा प्यारा बच्चा

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि ऐसे अनुभव भी उसको मिल सकते थे और वो अपने चेहरे को अपनी मौसी के सीने पर घिसने लगा ।


रज्जो हस्ती हुई - अब बस कर हम दुकान मे है कोई देख लेगा

अनुज चहका कर सीधा होकर - तो अन्दर चले मौसी

अनुज की बात सुन्कर रज्जो ने मुस्कुराहत भरी भौहे चढाई और अनुज को भी अह्सास हुआ कि वो क्या बोल गया ।


रज्जो उससे अलग होकर हस्ती हुई - तू बहुत शैतान हो गया आजकल हम्म्म

अनुज हड़बड़ाया - म म मै ? क्या मतलब !

रज्जो तुनक कर - खुब समझती हू मै , लग रहा है राज से पहले तेरी ही शादी करनी पड़ेगी


अनुज की सासे तेज हो गई उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे , थोडी सी मस्ती अब उसको भारी लगने लगी थी । उस्के हाथ पाव फूलने शुरु हो गये थे ।


अनुज डरा हुआ लेकिन हसने का दिखावा करता हुआ - क्या मौसी हिहिही भैया से पहले मै कैसे और अभी तो मै बहुत छोटा हू हिहिहिही


रज्जो उसके कान पकड कर - शैतान कही का , मुझे नही पता कितना बड़ा हो गया है तू


अनुज हसता हुआ - आह्ह मौसी छोडो ना , मैने क्या किया है अब आप ही तो मुझे हग की है ना

रज्जो कान छोडते हुए - और वो जो तु सुबह सब्के सामने मेरे दूध छू रहा था वो


अब अनुज की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी , उसके गले से थुक गटकना भी दुभर हो चुका था । शर्म और भय से उसका चेहरा लाल हो गया था ।


मगर कब तक रज्जो अपने लाड़ले को ऐसे देख पाती इससे पहले अनुज रोना शुरु कर देता वो खिलखिला कर हस दी ।


अनुज अपनी डबड्बाइ आंखो से अपनी मौसी को हस्ता देख रहा था

रज्जो - देखा पकड लिया ना मैने तुझे , उम्म्ं अब बोल क्यू छू रहा था सुबह मे

अनुज अपने आसू पोछ कर - वो मै आपका हाथ पकडे हुए था तो मुझे नरम नरम सा कुछ लगा । मुझे लगा आपका पेट है ।


इतना बोल कर अनुज सुबकने लगा , खुद को बचाने का उसको यही रास्ता सूझ रहा था ।

रज्जो ने अपने लाड़ले को रोता देख पिघल गयी और हसते हुए अपने आंचल से उसका चेहरा साफ करते हुए बोली - क्या तु भी बच्चो के जैसे रो रहा है , मै तो बस पुछ रही हू ना ।

अनुज शान्त होकर अपनी मौसी को देखा ।

रज्जो - अगर तुझे अच्छा लग रहा था तो बता देना चाहिए साफ साफ ,


अनुज - नही वो मुझे ...

रज्जो उसी बात को काटकर मुस्कुराती हुई - तो क्या तुझे अच्छा नही लग रहा था ।

अनुज अपनी मौसी की शरारती मुस्कान देख कर शर्माहत भरी हसी के साथ - हा वो वो हिहुहिही


रज्जो हस कर - मै जान रही थी तु एक नम्बर का शैतान है , बदमाश कही का ।
इधर इनकी बाते और बढती इससे पहले रागिनी खाना देकर वापस आ चुकी थी ।
रागिनी अनुज को देख कर - अरे अनुज क्या हुआ ? तेरी आंखे लाल क्यू है


अब तो अनुज की फिर फट गयी कि कही उसकी मौसी उसकी मा को सब बोल ना दे । वो जानता था कि उसकी मौसी का स्वभाव बहुत चंच्ल है और उन्हे ऐसी बाते कहने मे कोई भी हिचक नही होती है ।

लेकिन अचरज तो तब हुआ जब रज्जो ने मुस्कुराते हुए रागिनी को जवाब दिया - अह कुछ नही छोटी वो खाना खा रहा था सब्जी वाले हाथ से ही उनसे आंख मल ली थी तो जलन के मारे लाल हो गयी है ।

रागिनी अनुज के पास आकर अपनी साडी की पल्लू को मुह की भाप देते हुए बहुत फ़िकर मे अनुज की आंखो की सेकाई करते हुए - क्या तु भी ऐसे छू दिया , देख कितनी लाल हो गयी है ।


अनुज अपनी मा को परेशान देख कर खुद को बहुत कोष रहा था और वही जब उसने मौसी को मुस्कुराता देखा तो अचानक से उसके दिल की तरंगे हिल्कोरे मारने लगी और वो शर्मा कर मुस्कुरा दिया ।


रागिनी अनुज से अलग होती हुई - अरे जीजी अब आप आई हो तो चलो थोडा शालिनी से मिल लेते है और कल पूजन शुरु हो रहा है उसका न्योता भी दे आते है ।


रज्जो - हा चलो ,

फिर रागिनी और रज्जो दोनो बहने अपने भारी भारी कुल्हे हिलाती हुई जंगीलाल के घर की ओर चल दी ।

वही अनुज एक अलग ही उलझन मे अटक गया कि मौसी की मुस्कान का क्या हिसाब लगाये वो ?


धीरे धीरे सोशल मीडिया पर ऐक्टिव होने से अनुज का ज्ञान बढा तो था लेकिन उसके जहन मे कुछ भ्रम ने भी जगह बना ली ।
अब वो जितना कुछ अपने जीवन मे सिख समझ पाया तो वो उसी के हिसाब से अपनी मौसी को परखने मे खोया हुआ था ।



जम्गिलाल के घर के किचन मे ताबड़तोड़ धक्को की बरसात जारी थी , किचन की सिंक के पास बरतन खंगाल रही शालिनी अपनी गाड़ फैलाये हुए खडी थी और पीछे से राहुल उसकी झिनी सी नाइटी उठाये सटासट अपनी मा की बुर मे लण्ड पेले जा रहा था ।



वही दुकान मे ग्राहको से डील कर रहे जंगीलाल की निगाहे दो भारी भरकम कूल्हो पर गयी जो उसकी दुकान पर चढ़े आ रहे थे ।

दोनो औरतो को देखते ही जन्गीलाल का चेहरा खिल गया

जन्गीलाल - अरे भाभी आप ,
फिर जंगीलाल ने रज्जो को उपर से निचे देखते हुए अपनी थुक गटकते हुए हाथ जोड़ कर उसका स्वागत करते हुए उठ खड़ा हुआ - अरे भाभी जी नमस्ते आईये बैठीये

ये बोलकर जंगीलाल ने रागिनी और रज्जो को कुर्सियाँ दे दी बैठने के लिए

रागिनी - अरे देवर जी , परेशान क्यू है , हम अन्दर चले जाते है ना , आप ग्राहको को देखीये


अन्दर जाने की बात सुनते ही जन्गीलाल के कान खड़े हो गये और उसे ध्यान आया कि शालिनी अन्दर किन कपड़ो मे है , और अन्दर राहुल भी है ।

अगर इन्होने उसे ऐसे कपड़ो मे देख लिया तो ना जाने क्या क्या सोच लेंगी ।

जन्गीलाल ग्राहको को उनका समान थैली भरकर देता हुआ - अरे भाभी हो गया , आप तो मुझसे जरा भी बाते करना ही नही चाहती , सीधा निशा की मा के पास चली जाती है


रागिनी झेप कर हसती हुई - अच्छा बाबा यही हू कहिये

जंगीलाल - आप बस बैठीए मै राहुल को भेज कर ठंड़ा मगाता हू


रागिनी - अरे उसकी जरुरत नही है , हम लोग खाना खा के आये है

जन्गीलाल - अरे कैसे जरुरत नही है

" भाभी जी कितने दिनो बाद ह्मारे यहा आई है , खातिरदारि तो बनती है ना " , जन्गीलाल ने रज्जो की ओर इशारा करके कहा ।


फिर वो गैलरी मे मुह देके जोर से राहुल को आवाज दिया ।

वही राहुल ने जैसे ही अपने बाप की आवाज सुनी , मा बेटे ठिठक गये और दोनो झट से अलग हो गये ।

शालिनी हड़बड़ा कर - अह बेटा जा जल्दी से देख क्या बुला रहे है तेरे पापा

राहुल ने अपना लण्ड पैन्त मे भरा और उसको सेट करते हुए अपने शर्ट के बाजुओ से अपने चेहरे का पसिना पोछते हुए तेज कदमो से दुकान मे आ गया ।


जंगीलाल - बेटा जरा कल्लु के यहा दो थमसअप लेके आ तो


राहुल ने फिर अपनी बड़ी मा और उनकी दीदी को देखा तो झट से उन्के पैर छू कर नमस्ते किया और निकल गया


इधर जन्गीलाल जब तक दोनो के हाल चाल और तैयारियो के बारे मे बाते कर रहा था कि तभी राहुल ठंडा लेके आ भी गया ।

इधर राहुल ने दोनो को ठन्डा दिया और भितर जाने को हुआ कि जन्गीलाल ने राहुल को टोका

जन्गीलाल अपनी आंखे नचा कर हसने का दिखावा करता हुआ - अह बेटा वो तेरी मा को बता दे कि बड़ी मा और उनकी दिदी आई है


राहुल समझ गया और फटाक से किचन मे भागा और हाफते हुए - मम्मी मम्मी , वो बड़ी मम्मी और उनकी दीदी आई है , आप ये कपडा बदल लो जल्दी से ।


घर पर मेहमान आने का सुनते ही शालिनी की भी हालत खराब हुई वो तेजी से भागती हुई कमरे मे गयी और जल्दी से फुल नाइटी डाल कर वापस किचन मे आ गयी ।


इधर जब राहुल वापस कर गैलरी के पास से ही अपने पापा को इशारा किया कि काम हो गया तो जन्गीलाल ने चैन की सास ली और हस कर - अरे राहुल बेटा, अपनी बड़ी मम्मी को घर मे लेके जाओ , जाईये भाभी जी


फिर दोनो बहने बारी बारी से उठी और भितर जाने लगी ,

16-16-35-859-1000


उसी समय जन्गीलाल की निगाहे रज्जो के मादक भारी भरकम कूल्हो पर गयी और अनायास उसके मुह से ये शब्द फुट पड़े - उफ्फ़ क्या गाड़ है यार ।
flirting-staring
जिसे रज्जो की तेज कानो से सुन ही लिया और फौरन गरदन घुमा के जन्गीलाल की ओर मुह करके देखा तो जंगीलाल की फट गयी और अगले ही पल रज्जो मुस्कुराते हुए भितर चली गयी और जंगीलाल ने चैन की सास ली ।
इधर महिलाए भीतर गयी और राहुल चुपचाप बाहर आ गया । दुकान मे आते ही उसका सामना अपने पापा से हुआ , वो अभी भी थोडा शर्मा रहा था ।
वही जन्गीलाल ने अपने भोले बेटे से कन्फ़र्म करने के लिए पुछा- बेटा वो तेरी मा ने कपडे बदल लिए ना

राहुल नजरे नीची करके हल्का मुस्कुरा कर - जी पापा !

जन्गीलाल अपने बेटे की ऐसी प्रतिक्रिया से थोडा असहज हुआ और उसे लगा कि शायद उसका बेटा इतना भी नादान नही है । सब समझता है ।


जन्गीलाल - अच्छा सुन , ये बात किसी से कहना मत कि तेरी मा मे ऐसे कपडे पहने थे

राहुल हस कर - नही पापा क्या आप भी ,

फिर थोडी देर की चुप्पी रही और राहुल को पता नही क्या सुझा उसने पापा ऐसा सवाल किया कि जन्गीलाल की घिग्गी बध गयी ।

राहुल - पापा आपने इतना छोटा क्यू लिया मम्मी के लिए , ऐसा तो वो फिल्मो मे हीरोइन लोग पहनती है ना


जन्गीलाल ने कुछ देर चुप रहा और फिर हस कर - तेरी मा कौन सी हीरोइन से कम है हाअहहहा

राहुल भी शर्माकर मुस्कुरादिया और पुछ पड़ा - तो क्या आप मम्मी के और भी ऐसे ड्रेस लाते हो

जन्गीलाल - अह नही बेटा ये बस पहली बार था

राहुल - तो और अच्छे अच्छे कपडे लाओ ना मम्मी के लिए, देखो ना मम्मी घर मे कितना काम करती है ना कही घुमने जाती है बस ऐसे ही घर मे पड़ी रहती है ।


जन्गीलाल - हमम बेटा बात तो तेरी सही है लेकिन बेटा हमेशा तो तेरी मा को ऐसे कपडे नही ना पहना सकता ।

राहुल - क्यू ?
जन्गीलाल - अरे बेटा देखा ना आज कैसे मेहमान आ गये थे और फिर निशा भी तो रहती है ना ।

राहुल - तो क्यू ना रात मे मम्मी को पहनाया जाये , तब कोई नही होगा ना

जंगीलाल के जहन मे राहुल की बाते सुनकर एक अलग ही फैंटसी ने जनम ले लिया था , वो एक गहरी सोच मे घूम सा गया कि

क्या होगा जब उसकी बीवी अपने ही बेटे के सामने ब्रा पैंटी मे घुमेगी ?
और कितना मजा आयेगा जब मै मेरे बेटे के सामने ही उसकी मा को छेड़ने मे ?
और कही उसके सामने खड़ा करके चोद दू तो ?

आह्ह , ये सब सोच कर ही जन्गीलाल का लण्ड फौलादी हो गया था ।
इधर राहुल भी अपने बाप से ऐसे बाते करके मन ही मन कोरी कलपनाये बुन चुका था और उसका लण्ड सर उठाने लगा था ।


इधर थोडी देर बाद ही रागिनी और रज्जो दुकान मे वापस आ गयी ।

राहुल को अपने लण्ड का तनाव बर्दाश्त ना हुआ और वो उसको सेट करने अंदर चला गया ।

रागिनी - अच्छा देवर जी हम चलते नमस्कार ।

जंगीलाल को मजबुरन अपने जगह से उठना पड़ गया और हाथ जोड़ उन्हे विदा किया ।

पहले रागिनी जो दुकान से उतर चुकी थी और फिर रज्जो को नमस्ते करते हुए चोर नजरो से अपने चढ़ढे मे तने हुए लण्ड को निहारा कि अभी भी उभरा हुआ तो नही ना दिख रहा था ।

वही रज्जो ने जंगीलाल की हरकतो को देखा तो वो मुस्कुरा दी और विदा लेके निकल गयी ये सोचते हुए कि जन्गीलाल भी उसकी चुतडो का दीवाना हो गया और अगर किस्मत साथ दे गयी तो उसको अपनी बुर मे लेके मौका वो नही चूकेगी ।
वही जन्गीलाल थोडा शर्मीन्दा होकर अपना लण्ड सेट करके बैठ गया ।


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चौराहा वाले घर पर किचन का सारा काम निपटा कर सोनल और निशा घर के बाकी कमरो को सेट करने मे लगी थी


निशा गेस्ट रूम के बेड पर बिस्तर लगाने के बाद तकिया रखते हुए सोनल से बोली - दीदी क्यू ना कल जीजू को भी बुला ले ।


सोनल जो आलमारी के ड्रा साफ कर रही थी वो अचरज भरी नजरो से निशा को देखकर - तु पागल है क्या निशा , वो कैसे आयेगा ।


निशा - अरे दीदी कल पूजा होनी है तो जैसे बाकी मेहमान आयेंगे वो भी आ जायेंगे ।


सोनल निशा की बातो को सोचने लगती है और उसकी भी बेचैनी बढने लगती है क्योकि उसे अमन से मिले कितना समय हो गया था और फिर शादी से पहले मिलने का मौका कहा मिलता ।


सोनल बेचैन होकर निशा - लेकिन ये होगा कैसे , मतलब कौन बुलायेगा ।

निशा हस के - अरे राज है ना , वो बड़े पापा से बात कर लेगा

सोनल कुछ सोच कर - वो कुछ गलत ना सोचे

निशा सोनल की खिचाई करते हुए - ओहो देखो तो नवाबजादी के नखरे , सुबह शाम जिसका लण्ड लिये बिना चैन नही होता उससे कहने मे शर्म आ रही है


सोनल हस कर - अरे वो बात नही है , तु समझती नही है राज बहुत दुष्ट है मुझे बहुत तंग करता है अमन के नाम पर

निशा - ठिक है तो मै बोल दूँगी बस तुम जीजू को फोन करो ना
सोनल - अभी तो वो नहाने गया है ना , बोला है उसने

निशा भौहे चढा कर - आप कर रही हो या मै करु


इधर सोनल फोन लगाने को हो रही थी उधर अमन के कमरे मे उसकी मा उसके लिए कपडे निकाल रही थी

इसि दौरान अमन के मोबाइल की रिंग तेजी से बजनी शुरु हो गयी ,

अमन बाथरूम से फोन की रिंग सुन कर अपनी मा को आवाज देता है - मम्मी देखना जरा किसका फोन है

ममता बेड पर रखे हुए फोन पर की स्क्रिन को देखते हुए फोन हाथ मे ले लेती है और मोबाइल स्क्रीन पर my jaan नाम से काल आता देख मुस्कुरा देती है ।


इतने मे अमन की आवाज फिर से आती है - किसका है मा

ममता हस कर - ये कोई MY JAAN करके है , कौन है ये

अपनी मा के शब्द सुनते ही अमन हड़बड़ा कर - उठाना मत मम्मी मै आ रहा हू

और फिर अमन तेजी से अपने शरिर पर पानी डालते हुए फटाफट तौलिया लपेट कर भिगे जिस्म के साथ ही कमरे के बाहर आता है

लेकिन तबतक ममता फोन उठा चुकी थी और वही सोनल बिना कोई हैलो हाय किये सिधा फोन पर चुम्मीया देना शुरु कर देती और धीरे से बोलती है , आई मिस यू जान


अपनी बहु का रोमांटिक मूड समझ कर ममता की हसी छुट जाती है और वो अपने हसी को होठो से दबाते हुए फोन को अमन के हाथ थमाती है

अमन इशारे से अपनी मा को देख कर पुछता है कि क्या बोली वो ?
तो ममता मुस्कुरा कर अमन के गाल अपने पास करते हुए 7 8 चुम्मीये देते हुए धीरे से उसके कान मे बोली - आई मिस यू जान


फिर खिलखिलाहत भरी मुस्कान के साथ कमरे के बाहर चली गयी और अमन शर्म से भी भीग गया ।

फिर वो सोनल से बात करता है तो पता चलता है कि कल उसे आना है तो वो भी एक्साईटेड हो जाता है ।


फिर वो फोन काट कर वापस बाथरूम मे नहाने पहुच जाता है

नहाने के बाद अमन को बार बार अपनी मा की हरकते याद आने लगती है कि उसकी मा भी अब उसके मजे लेने लगी ।

इधर कुछ समय बाद राज जब चंदू के घर मे सारे बन्दोबसत कर लेता है तो अपने घर आ जाता है , उसे सोनल इंसिस्ट करती है वो पापा से बात करके कल के पूजा के लिए अमन और उसके परिवार वालो को बुलाये ।

राज इसके लिए मना नही करता है और वो अपने पापा से फोन पर बात करता है । तो रंगीलाल की बाहे भी खिल जाती है और उसे ममता से मिलने का एक बहाना भी मिल जाता है ।


जारी रहेगी ।
Rajo or Anuj ka scene to shop mei ban hi gya....abb thodi himmat anuj ko hi krni padegi.....Rajo toh Jangilal ko bhi bha si gyi ...jangilal ke sath Rajo ka zabardast match hoga.... Aman ka bhi Maa ke sath mamla set hone lga hai jyada time nhi lgega
 
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