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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

Sanju@

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UPDATE 172 ( A )

लेखक की जुबानी

CHAMANPURA

कमरे मे आकर अनुज अपने ही बिस्तर पर बैठा हाफ रहा था ,

उसे समझ नही आ रहा था मौसी ने आखिर क्यू आम घरेलु महिलाओ जैसे प्रतिक्रिया नही दी । जैसा कि बाकी औरते देती है जब वो गैर मर्द के सामने ऐसी किसी अवस्था मे होती है तो ।


उसकी मौसी के व्यव्हार ने अनुज का डर थोड़ा कम जरुर कर दिया था और भीतर से अब एक हिम्मत आ रही थी कि क्यू ना मौसी के उपर ही ट्राई किया जाये ।

शुरु से वो खुले विचारो वाली रही है और उससे बहुत स्नेह करती आई ,

अनुज अपनी मौसी के साथ बिताने कुछ यादगार पलो को याद करता है जब वो अपनी मौसी से लिपटा हुआ करता था लेकिन उन दिनो उसकी ऐसी कोई भावना नही होती ।

वहा एक सच्चा और प्रेम भरी दुलार पाने की भावना थी ।
उन बीते पलो को याद करते हुए अनुज अपने कपडे पहन रहा था और उसका लण्ड सर उठा रहा था ।


तभी पायलो की खनक उसे जीने पर सुनाई दी और वो समझ गया कि उसकी मौसी सीढियो से निचे आ रही है ।


वो फटाक से अपना टीशर्ट पहना और दरवाजा खोलकर बाहर तो देखा उसकी मौसी हाल से होकर निचे वाले जीने की ओर जा रही थी और उनकी भारी भरकम गाड़ उस कसी हुई नाइटी मे बहुत ही कामुक तरीके से थिरक रही थी ।

दोनो चुतड आपस मे टकराते एक जोरदार कम्पन पैदा कर रहे थे जिसकी मादक झलक नाइटी मे उभर रही थी ।

अपनी मौसी की बड़ी गाड़ को ऐसे हिलता देख अनुज का लण्ड पुरा फौलादी हो गया और वो लण्ड दबाता हुआ वैसे ही अपनी मौसी के चुतडो मे खोया हुआ निचे उतरने लगा ।


जैसे जैसे रज्जो अप्नी गाड़ मटका कर एक एक सीधी उतर रही थी वैसे वैसे अनुज का लण्ड फड़क रहा था ।

वही हाल मे सोफे पर पहले से राज , रन्गीलाल के साथ रागिनी बैठी हुई कुछ बात कर रही थी ।

सीढियो से आती पायलो की आहट से दोनो बाप बेटो ने नजर उठा कर रज्जो को देखा तो सामने बिना ब्रा के नाइटी मे उसकी भारी भारी मोटी मोटी चुचिया हिल्कोरे खा रही थी ।

एक ही पल मे दोनो के लण्ड उनके लोवर मे ठोकरे मारने लगे ।
इधर रज्जो निचे आते ही - छोटी(रागिनी) !! इधर आ तो

फिर रागिनी उठ कर रज्जो के साथ उसके कमरे मे चली गयी ।

वही दोनो बाप बेटो की सीढि पर पीछे से उतरते हुए अनुज पर गयी और दोनो की हवस भरी मुसकान सिकुड गयी और वो आपस मे बाते करने लगे ।


वही अनुज ने जैसे ही साम्ने अपने पापा और भैया को देखा उसकी हालत खराब होने लगी ।
वो किसी तरह से लोवर मे अपना लण्ड सेट करता हुआ निचे उतरा


राज - अरे तुने कंघी नही किया क्या ?

अपने भैया की बात सुनके अनुज को अपने बालो का ख्याल आया और वो अप्ने सर पर हाथ घुमा कर चेक करता है ।

वो जैसे ही वापस कंघी के लिए उपर जाने को होता है तो राज उसे टोक देता - अरे मेरे कमरे कर ले भाई , हाअह्हहा

अनुज भी हस कर शर्माता हुआ दरवाजा खोल कर राज के कमरे मे चला जाता है ।



वहा वो कन्घी कर रहा था और उसके जहन मे बार बार उसकी मौसी के ख्याल चल रहे थे ।

वो कंघी लेके कमरे के दरवाजे पर आकर सामने अपनी मा के कमरे मे झाकता है , जहा उसकी मा उसके मौसी के लिए साड़ी निकाल कर दे रही थी ।


फिर कमरे का दरवाजा बन्द हो जाता है और अनुज हाल मे वापस आ जाता है ।
इधर राज और उसके पापा आने वाले कार्यक्रम की तैयारियो की चर्चाओ मे लगे थे ।
उसके पापा ने चमनपुरा मे कार्ड से जुडे सभी काम कर दिये थे ।

राज ने विमला और सरोजा के लिए भी कार्ड के बारे मे पुछा तो उसके पापा ने कहा कि सन्जिव ठाकुर की पूरी फैमिली को निमंत्रण दिया गया है ।
और विमला भी वापस आ गयी है ।

बातो ही बातो मे पता चला कि रन्गीलाल ने चंदू के बाप रामवीर से बाते करके उसके चौराहे वाले घर की चाबिया ले ली थी ताकी कुछ मेहमानो की व्यवथा उसमे भी की जा सके ।


राज - पापा अभी खाना बनने मे समय है तो क्यू ना चलिये चंदू के घर का वयवस्था ही देख लिया जाये और क्या क्या करने लायाक है वो देख लिया


रंगीलाल - हा बेटा सही कह रहा है , अगर आज देख लेंगे तो कल उसी हिसाब से व्यवस्था कर दिया जायेगा ।

अनुज - मै भी चलू पापा

चुकि रंगीलाल को राज से रात के प्लान को लेके भी कुछ बाते करनी थी इसिलिए वो अनुज को मना कर देता है ये कह कर कि वो आराम करे और दोनो बाप बेटे निकल जाते है बाहर




......******.......*****......*******........*****.....

इधर एक ओर जहा इनकी शादियो की तैयारिया चल रही थी , वही सोनल और निशा दोनो बहाने सुहागरात की तैयारियो को स्पेशल बनाने मे लगी थी ।

किचन मे काम करते हुए निशा और अमन की चैटींग जारि थी ।
जो आज के अनुभव को लेके उसको परेशान किये जा रही थी ।
वही अमन निशा जैसी शरारती लड़की को पाकर उसका लण्ड पुरा समय फुला फुला रहने लगा था ।

लण्ड कसावट उसके लोवर मे तम्बू बनाये हुए थे ।

अपनी स्थिति बेफिकर होकर अमन मुस्कुरात हुआ सोफे पर पैर फैलाकर बैठा हुआ निशा से फोन पर चैटींग कर रहा था और इधर उसकी मा ममता उसको आवाज देने के लिए कमरे मे आ पहुची ।


अमन!!!! क्या कर रहाआ ....!
ममता जैसे ही आवाज लगाते हुए अमन के कमरे मे घुसी कि सामने सीधा उसकी नजरे अमन के लोवर मे बने तम्बू पर गयी और उसकी आंखे फैल गयी ।


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एक नजर वो अमन की ओर देखा तो वो मुस्कुरात हुआ मोबाइल मे चैटींग कर रहा था और बार बार अपना तना हुआ मुसल का सुपाडा मिज रहा था ।


ममता को समझते देर नही लगी कि अमन जरुर शादी को लेके उत्साहित है , और वो मुस्कुरा उठी ।

उसने नजरे चुराते हुए अमन को फिर से आवाज दी और अमन चौक कर दरवाजे पर नजरे फेर कर खड़ी अपनी मा को देखा तो उसको अपने तने हुए लण्ड का ख्याल आया और वो झट से पास एक तकिया अपनी गोद मे रखता हुआ बिसतर पर बैठ गया ।

शर्म और लाज से दोनो मा बेटे नजरे चुरा रहे थे और ममता ने मुस्कुरा कर चोर नजरो से अमन को देखा और फिर कमरे से बाहर आती हुई - चली से आ खाना तैयार है , पुरा दिन मोबाईल मे लगा रह्ता है ।


फिर ममता अपना माथा पीटती हुई हस्ती हुई निचे सीढियो की ओर होकर किचन की ओर आ गयी ।

वही अमन तकिये से अपना सर पीटता हुआ अपने आप को कोष रहा था कि ये कैसी बेवकूफ़ी कर दी उसने । अब वो अपनी मा से कैसे नजरे मिलायेगा ।


बहुत शर्म हया के साथ अमन अपना लण्ड सेट करके निचे डायनिंग टेबल पर गया वहा खाना पहले ही परोस कर रखा था ।

उस्के पापा और चाचा खा चुके थे और नजर घुमाने पर पाया कि उसकी मा किचन मे बरतन खाली कर रही है ।

अमन ने मन मारकर खाना खाया और बिना कुछ बोले चुपचाप उठ कर अपने कमरे मे चला गया ।

ममता ने जब ये नोटिस किया तो उसे थोडा दुख हुआ , रात मे सब काम खतम करके वो दूध लेके उपर अमन के कमरे मे गयी ।

कमरे मे अमन पंखे के निचे बिस्तर पर टेक लेके पैर फैला कर बैठा हुआ हाथ मे मोबाइल घुमा रहा था , जैसे किसी गहरी सोच मे खोया हुआ हो ।
ममता की नजरे जब अपने लाड़ले पर गयी तो उसे उस्का उतरा हुआ चेहरा बिल्कुल भी पसन्द नही आया और उसने सोचा कुछ ही दिनो मे शादी है और अगर घर का माहोल ऐसा ही रहा तो कैसे काम चलेगा ।


इसिलिए वो मुस्कुराती हुई दूध का ग्लास लेके अमन के पास पहुची
ममता उसके सर पर हाथ फेर कर - क्या हुआ बेटा, क्या सोच रहा है ?


अपनी मा के मुलायम स्पर्श पाकर अमन सिहर उठा और अपनी मा का मुस्कुराता चेहरा देखने लगा ।


उसकी मा ने फिर अपना सवाल दुहराया तो अमन - सॉरी मा वो मै .... सॉरी


ममता उसके सर को अपने गुदाज पेट से लगा कर उसके बालो को सह्लाती हुई - अरे कोई बात नही बेटा, उम्र है तेरी हो जाता है । उसमे इतना परेशान क्यू हो रहा है ।


ममता - हा लेकिन तुझे अपने कमरे की स्थिति का भी ध्यान होना चाहिए ना बेटा,

अमन अपनी मा से लिपटा हुआ किसी छोटे बच्चे की भाति - जी मा !

ममता उसके गालो को छू कर - और कुछ दिन सबर नही कर सकते तुम दोनो उम्म्ंम !!


अपनी मा की बाते सुन्कर अमन शर्मा कर मुस्कुरा दिया और अपना चेहरा अपनी मा के गुदाज पेट मे लगा कर उसके फैले कमर को पंजो मे कसता हुआ चिपक गया ।



ममता हस के - देखो देखो कैसे अब शर्मा रहा है , पागल कही का , मेरा बच्चा

ये बोल कर ममता ने झुक कर अमन के सर को चूमा और उससे अलग होती हुई - चल अब ये केसर हल्दी वाला दुध पी ले


अमन ने जैसे ही हल्दी वाले दूध की बात सुनी वो मुह बनाते हुए - मम्मी आप ये हल्दी वाला दूध क्यू दे रह हो आप मुझे 4 5 दिन से , इसका टेस्ट नही अच्छा लगता


ममता मुस्कुरा कर - नाटक मत कर अब , चल पी ले ताकत मिलती है इससे

अमन - मम्मी जिम जाता हू रोज , और diet भी करता हू इसकी जरुरत नही है मुझे

ममता - मैने बोला ना है जरुरत तो है

अमन - लेकिन किस लिये
ममता हस के - वही , जिसकी तैयारी मे तु और बहु दोनो बेसबरे हुए जा रहे हो


ये बोल्कर ममता हसती हुई कुल्हे हिलाती हुई कमरे से बाहर आ गयी और अमन कुछ देर तक पहले अपनी मा के व्यंग को समझा और जब समझ आ गया तो उसकी हसी रोके नही रुकी

कि अब तो उसकी मा ही उसके मजे लेने लगी ।
फिर वो दूध का ग्लास खाली करके सोनल के फोन आने का इन्तजार करने लगा ।


राज की जुबानी


सोनल और निशा खाना बना कर गर्मी से परेशान थी इसिलिए फ्रेश होने के लिए छत पर चली गयी थी

नहाने के बाद रज्जो मौसी ने कमरे से जाकर मा से उसकी काटन की साड़ी मांग ली पहनने के लिए और किचन मे खाने के लिए सलाद कातने लगी

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सब कुछ मेरी योजना के अनुसार हो रहा था
मा इस समय अभी नहा कर अपने कमरे मे थी ,

पाप और मै जैसे ही हाल मे आये तो हमारी नजर अनुज पर गयी जो उन्हे सोता हुआ दिखा और वो आपस से मुस्कराये

पुनः मैने पापा को इशारा किया और खुद हाल के सोफे पर बैठ कर मोबाईल चलाने मे लग गया ।

पापा धीरे से पीछे गये और रज्जो के बगल मे खड़ा होकर उसके जबरजस्त कूल्हो पर हाथ फेरते हुए कहा- कुछ मेरे लिए भी बनाया है क्या जानू ।

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मै बिना अनुज की ओर देखे बस किचन के नजारे निहार रहा था

वही किचन मे मौसी चहकी और पापा की ओर घूमी तो पापा ने भी चौकने का नाटक किया

रंगीलाल - अरे जीजी आप , मुझे ल्गा कि रागिनी

रज्जो तंज कसते हुए - क्यू आपको मेरे और रागिनी के पिछवाड़े मे कोई अन्तर नही मिलता क्या? खुब समझती हू आपकी चालाकिया जमाई बाबू


मौसी की बाते सुन्कर जहा मै हस रहा था


इधर रंगीलाल और रज्जो की वार्ता पुन: चालू हो गयी


रज्जो तुन्क कर - मैने तो सोचा था कि आज आपके कमरे मे सोउन्गी लेकिन हिहिहिही मुझे आपकी नियत ठिक नही लगती जमाई बाबू

रन्गीलाल हस कर - क्या जीजी आप भी बच्चो के सामने ऐसे बोल रही है

रज्जो - तो क्या अब आप मुझे अकेले मे कुछ बात करना चाहते है

पापा ने थोडा साहस करके एक बार मेरी ओर देखा और फिर हस्ते हुए - अरे अपनी बड़ी साली से छिप कर क्यू बात करनी जो कुछ कहना होगा खुल कर कहेन्गे

इतने मै किचन मे जा पहुचा


मै - क्या हुआ पापा , क्या हुआ मौसी

रज्जो - अब क्या ही बताऊ राज बेटा, मुझे तो बहुत डर लग रहा है

राज - क्या हुआ मौसी
रज्जो हस कर - अरे देख तेरे पापा मुझे तेरी मा समझ कर ....।


राज - हस कर क्या आप लोग भी ना , ठिक है ऐसी बात है तो मौसी आप मेरे कमरे मे सोयिये

रज्जो - हा बेटा और क्या , क्या पता रात के अन्धेरे मे तेरे पापा तेरी मा समझ कर मुझे ही पकड कर ना सो जाये हिहिहिहिही


पापा थोडा सा मेरे सामने शर्मिंदा होने का दिखावा करते है

इतने मे मा नहा कर हाल मे आती हुई - अरे आप लोगो को कुछ शर्म लिहाज है या नही , घर मे बच्चो के सामने ही आप दोनो साली जीजा वाला मजाक रुक नही रहा हौ ।



मम्मी के आने पर सब लोगो ने शान्त होने का दिखावा किया लेकिन रज्जो मौसी कहा चुप होने वाली थी ।


रज्जो हस कर पापा का मजा लेते हुए - रागिनी भई तु मेरा बैग राज के कमरे मे रखवा दे मै उसके साथ रहूँगी , भले ही थोडा गर्मी में रह लूंगी कुछ कप्डे उतार के सो जाऊंगी और क्या ?


रागिनी - अब बस भी करो जीजी , राज जा तु सोनल और निशा को बुला ले

मा ने अनुज की ओर देखा - आप लोग अपने मे ही लगे और मेरा बेटा देखो भूखे ही सो गया हौ ।


मा ने बड़ी फिकर से अनुज को सोफे पर गरदन टीकाए सोते हुए देखा ।

फिर मै अपनी बहनो को बुलाने उपर चला गया और मा ने अनुज को जगाया ।

फिर हम सब ने खाना खाया , खाते टाईम मै मौसा मा और पापा स्बके चेहरे पर एक हसी थी ।


फिर सब अपने अपने कमरे मे चले गये
मै और मौसी मेरे कमरे मे , फिर पापा मम्मी अपने कमरे मे


कमरे का दरवाजा बन्द करते ही मौसी खिलखिलाई - जमाई बाबू की तो हालत खराब कर दी मैने आज , तु टाईम पर नही आता तो वो क्या ही बोलते

मै हस कर - हा पापा का क्या हू बोलू , उनकी खराब हालत देख कर ही तो मै जल्दी आ गया उपर से अनुज के जागने का डर भी था


रज्जो - तो फिर अब आगे क्या

मै लपक कर उनकी साडी पकड कर खीच कर उसे उन्के जिस्म से अलग करता हुआ - इसे निकालो और आजाओ बिस्तर पर मजे करेंगे

रज्जो - और वो तेरे पापा के साथ वाला

मै - अरे होगा ना ,थोडा सबको सो जाने दो तक एक राउंड हम लोग अपना तो कर ले

रज्जो मौसी हस कर - तू बड़ा चालू है रे

मैने उनकी ओर बढ कर उनकी कमर मे हाथ डाल कर उनसे लिपट गया ।




लेखक की जुबानी

एक ओर जहा राज रंगीलाल और रज्जो अपनी काम क्रीड़ा की योजनाओ को आगे बढा रहे थे लेकिन इस बात से अंजान कि उनकी इस योजना के प्रभाव से अनुज बुरी तरह से परेशान हो चुका था



दरअसल वो निचे सोफे पर सोने का नाटक कर रहा था और जबसे रज्जो उसकी मा के कमरे से बाहर निकली थी तबसे वो सोने का नाटक कर कनअन्खियो से सारा वृतांत निहार रहा था ।


ना ही खाने मे उसका मन लगा और ना ही सब सोने की इच्छा हो रही थी ।
उसका लण्ड पुरा तना हुआ फौलादी हुआ जा रहा था लेकिन इसके उलट उसके जहन मे एक अलग ही मतभेद वाली जंग जारी थी ।


उसे यकीन नही हो पा रहा था कि मौसी ने क्यो ऐसे ही वो बात मजाक मे निकाल दी ।

माना कि पापा को पता नहीं था कि वहा मा नही मौसी खड़ी है लेकिन मौसी ने क्यू उसके पापा का हाथ आखिर तक अपने कमर रखे रहने दिया और उसपे से कैसी कैसी बातें कर रही थी ,

क्या ये सब जीजा साली के रिश्तो मे जायज है , उसका दिमाग घूम रहा था और ये सोच कर उसका लण्ड और भी बौखला रहा था कि क्या होगा अगर सच मे उसका बाप उसकी मौसी को चोद दे तो


और उसने अपनी ही कल्पना मे लण्ड मसलना शुरु कर दिया
बाथरूम का वो दृश्य याद आने लगा जब रज्जो मौसी उसके सामने सिर्फ एक भिगी हुई पेतिकोट मे खड़ी थी

वो उभरे हुए मोटे अंगूर के दाने जैसे निप्प्ल को याद कर कर के अनुज की हालत खराब होने लगी और तभी उसे रज्जो की ब्रा पैंटी की याद आई

उसने अपना दिमाग झटका और लपक कर हौले से दरवाजा खोल कर सरपट जीने की ओर भागा

छत के दरवाजे ने खोलने पर ना चाहते ही अपनी आवाज निकाल दी लेकिन हवस के अंधे अनुज ने इसकी परवाह नही की और भागकर बाथरूम के पास की अरगन पर गया , जहा उसे ब्रा पैंटी लहराती हुई मिली

अनुज ने फौरन उसे उतारा उसको हाथो मे भर के अपने नथुनो पर लगा कर सूंघने लगा

उसकी मादक गन्ध से अनुज की हालत और खराब होने लगी वो कभी ब्रा को अपने लण्ड पर उपर से घिसता तो कभी पैंटी को सूंघता

उसकी हालत खराब होने लगी और वो समझ गया कि अब रहा नही जायेगा इसिलिए वो लपक कर बाथरूम मे घूस गया

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फिर लण्ड मे पैंटी लपेट कर सुपाडे को बाहर रखते हुए तेजी से मुठियाने लगा - अह्ह्ह मौसीईई उह्ह्ह मौसीई आपकी चुची कितनी मस्त है और आपकी गाड़ अह्ह्ह आह्ह मौसी चुदवा लो ना उह्ंम्ंंम उम्म्ं आह्ह खुब भर भर लंड दूँगा आपकी बुर मे उह्ह्ह अपना बुर देदो नाहहह उह्ह्ह मौसी आह्ह्ह्ह्ह ओह्ह्ह्ह ओह्ह्ह ओह्हह्ह हा अह्ह्ह


थरथरा कर अपनी एडिया उचका कर अनुज ने गाढी और मोटी पिचकारी बाथरूम के दिवाल पर मारी और झटके खाने ल्गा ।

उसका तन सुस्त होने लगा और उसे बहुत हल्का फुल्का मह्सूस हुआ

लण्ड झाड़ कर उसने अपना बीर्य पानी डाल कर बहा दिया और वाप्स से ब्रा पैंटी टांग कर थोडा समय खुली जगह मे टहला और अपनी बिस्तर मे वापस कर सो गया ।



जारी रहेगी
बहुत ही गरमागरम और कामुक अपडेट है
राज और रंगीलाल रज्जो को चोदने का प्लान बना रहे हैं वही बेचारे अनुज का बुरा हाल हो रहा है
अमन निशा की शरारतों से अपने लन्ड को मसल रहा है जो उसकी मां ने देख लिया है वह भी उसके मजे ले रही है कुल मिला कर सब शादी में मजे ले रहे हैं
 

Sanju@

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UPDATE 172 (B)


एक राउंड की चुदाई पूरी हुई और मैने अपना हाफ चढ़ढा पहन लिया ।

मौसी ने भी अपना खुला ब्लाउज बन्द करती हुई पेतिकोट को घुटने से निचे करती हुई बोली - अब जा दरवाजा खोल दे , तभी ना तेरे पापा आयेंगे

मै मुस्कुराया और कमरे का दरवाजे की चटकनी खोल कर उसको हल्का सा भिड़का दिया ।

फिर हम लोग ऐसे ही चुपचाप अपने नाटक को चालू रखते हुए पापा के आने का इंतजार करने लगे ।

कुछ पल बीता और पापा के कमरे का दरवाजा खुलने की आहट हुई
हम दोनो सतर्क हुए और पापा ने हौले से मेरे कमरे के दरवाजे को खोल कर धीमी आवाज दिया - जीजी जाग रही हो क्या ?


रज्जो कुनमुना कर उठी और हल्की आवाज मे पापा से बात करने लगी - क्या जमाई बाबू आप भी , राज यही सो रहा है और आप है कि

पापा मौसी का हाथ पकड कर बाहर ले जाने लगे तो मौसी ने रोका - कहा ले जा रहे है जमाई बाबू

पापा -ओफो जीजी अब सबर नही होता आजाओ ना देखो राज सो रहा है

मौसी इथलाई - अगर जाग गया तो

पापा - अरे नही जागेगा आओ आप
फिर मौसी और पापा कमरे से बाहर निकल गये ।

वही मै खुशी से चहक उठा ।

कुछ पलो का इन्तेजार करना था मुझे जिसके लिए मेरी बेताबी बढती जा रही थी ।

5 , फिर 7 और फिर 10 मिंट तक मैने कैसे भी करके अपने को कमरे मे चक्कर काटते हुए रोका

लेकिन उसके बाद एक पल भी मुझसे रहा नही गया मै कमरे से बाहर निकल आया

कमरे से बाहर आते ही मै आस पास नजर घुमाई फिर दो कदम चल कर हाल मे आया
अंधेरे मे कुछ दिखा नही लेकिन मादक सिस्कियो की आवाज ने मेरे लण्ड और कान खडे कर दिये

मै समझ गया कि मेरे बाप ने लण्ड घुसेड़ दिया है

मै मेन बोर्ड के पास गया और वहा से हाल की बत्ती जला दी ।

सामने का नजारा बहुत ही लाजवाब और लण्ड फाडने वाला था


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सोफे पर मौसी अपना पेतिकोट कमर उठाये झुकी हुई थी और उनकी चुचिया खुले ब्लाउज ने निचे को लटक रही थी

पापा पीछे से उनका चौड़ा कुल्हा थामे उनकी गाड़ की सुराख मे लण्ड पले जा रहे थे ।

जैसे ही बत्ती जली हम तीनो ने ऐसे दिखावा किया जैसे सबकी फट गयी हो

कुछ पल की चुप्पी रही और पापा ने भी कुछ देर के लिए अपने धक्के रोक दिये , मौसी की सिसकिया भी गले मे दब सी गयी


मै - मौसी पापा आप लोग ये ...

इतने मे रज्जो मौसी नाटक करते हुए - देख ना बेटा आखिर तेरे पापा ने जिद कर ही ली , अह्ह्ह देख क्या कर रहे है मेरे साथ,,,, बचा मुझे तू ही


मै आगे बढ कर - पापा आप ये सब ....


पापा जो कि मौसी की चर्बीदार गाड़ मे गोते लगा रहे थे और वो अपना मजा किरकिर करने के मूड मे बिल्कुल भी नही थे

वो अपने दाँत भीचते हुए दो तिन करारे झटके के साथ अपना मुसल मौसी की गाड़ की गहराइयों मे ले जाते हुए बोले - चुप कर साली रंडी, बेटा देख मुझसे अब ये नाटक नही हो पायेगा , आज इस रन्डी के मुह मे अपना लण्ड भर दे

मौसी सिसकिया लेती हुई मुस्कुरा रही थी और पापा को परेशान करती हुई बोली - आह्ह जमाई बाबू ये क्या कह रहे हो आप उह्ह्ह लल्ल्ला के साथ आप , ये कैसे

पापा के जोश भरे वक्तव्य सुनकर मै भी सोचा ये ड्रामा अब बहुत हुआ और अपना लण्ड निकाल कर उसे मसलता हुआ मौसी के मुह के पास लाकर - इसे चुसो फिर बताता हू मौसी


ये बोल कर मैने अपना सुपाडा मौसी के होठो को स्पर्श कराने लगा ।
मौसी ने देर ना करते हुए उसको मुह मे भर किया

मै एक गहरी आह भरते हुए - आह्ह पापाअह्ह सच कर रहे थे आप मौसी के मुह मे जादू है उह्ह्ह क्या चुस्ती हो आप उम्म्ंम्ं मौसीउईई


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पापा मौसी की गाड़ की गहराइयों मे अपना लण्ड उतारते हुए - अरे बेटा एक बार अपनी मौसी की गाड़ मार के देख और भी मजा आयेगा उह्ह्ह साली की गाड़ मे बहुत चर्बी है अह्ह्ह देख कैसे कस ले रही है लण्ड मेरा

इधर मौसी ने मेरे मुह ए लण्ड उगल कर - ओहो तो ये क्या सब आप दोनो की मिलीभगत थी उह्ह्ह अह्ह्ह लेकिन आप दोनो ऐसे कबसे साथ मे


इससे पहले मै कोई जवाब देता मम्मी अपने कमरे से ब्लाउज पेतिकोट मे बाहर आकर - आप लोगो को कुछ समझ है या नही , ऐसे खुले मे बत्ती जला कर मजा कर रहे है , कोई उपर से आ गया तो


मम्मी की आवाज सुन्कर मौसी - अरे छोटी अब तु ही रोक इन्हे देख कैसे मुझे अकेले ही पिस रहे है दोनो मिल कर

मम्मी हसती हुई - क्या जीजी कितना ड्रामा करोगी आओ चलो कमरे मे चलते , आप लोग भी आईये


इसके बाद हम सब लोग पापा के कमरे मे चले गये

टिक टिक टिक ...........


समय बीता और मम्मी ने पापा के सामने मौसी को बताया कि वो मुझसे और पापा से चुदती है , राज को ये बात भी पता है कि आप उसके पापा से चुदती है , बस राज की इच्छा थी कि आपको भी हम लोग शामिल करे ।


मौसी - अगर ऐसी बात थी तो जमाई बाबू सीधे क्यू नही बोले ,

पापा - मुझे लगा कि आपको कही दिक्कत ना हो

मौसी हस कर - जब मै खुद मेरे बेटे से चुदती हू तो राज से क्या दिक्कत होती

" भला एक साथ दो लण्ड से मुझे कब ऐतराज होगा " , मौसी ने हम दोनो के लण्ड को थामते हुए कहा ।
मौसी की बाते सुनकर कर हम सब के चेहरे खिल गये और मौसी घुटनो के बल आ कर पापा का लण्ड मुह मे भर ली ।


मै आतुर होकर मा की ओर देखा - आओ ना मम्मी अब आप भी

मा मुस्कुराई और वो भी मौसी के बगल मे बैठ कर मेरा लण्ड पकड कर मुह मे भर के चुबलाने लगी
दोनो बहनो ने हम बाप बेटे के लण्ड को गले तक उतारने लगी

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जिससे हमारे लण्ड की उत्तेजना और भी बढने लगी
मै भी अपनी एडिया उठाई और गाड़ पिचका लण्ड को मा के गले मे उतारता हुआ उन्के बालो को खीचने लगा

मै - ओह्ह्ह मा उह्ह्ह उफ्फ़ और लो ना ओह्ह्ह लोह्ह उम्म्ं

मेरे जोशिले हरकतो से पापा और मौसी ने अचंभित होकर हमारि ओर देखा और पापा का लण्ड पहले से ज्यादा कसने लगा

उन्होने भी आवेश मे आकर मौसी के बालो को खीचते हुए अपने लण्ड को पकड कर उन्के होठो पर रगड़ते हुए गालो पर पटकने

मौसी भी लण्ड की भुखी उनके लण्ड के तनो को अपने नरम होठो मे पकडते हुए निचे की तरफ सरकती हुई सीधा पापा के आड़ो मे मुह लगा और

एक हाथ से पापा के लण्ड की चमड़ी खिच कर सुपाडा खोलती हुई उन्के आड़ो मे मुह मे भरने लगी

मौसी की इस कला से पापा भी चिहुके - उह्ह्ह जीजी अह्ह्ह खा जाओगी क्या उह्ह्ह आराम से उम्म्ंम

पापा की आवाज सुनकर मै मा को हलका छोड़ा तो देखा कि पापा की लण्ड पुरा फौलादी हुआ जा रहा था , मानो जिस्म का सारा खुन उन्के सुपाड़े मे भर गया हो ।
सुपाड़े की लाली और आलू जैसा आकार देख कर मै और भी उत्तेजित हुआ जा रहा था कि वही मा ने भी मौसी की देखा देखी मेरे आड़ो मुह मे भरना शुरु कर दिया

अचानक हुए हमले से मै भी अकड़ सा गया और पहली बार मा की आंखो मे मुझे उन्के भितर की छिपी हुई रंडी नजर आई

वो मेरे लण्ड को थामे मेरे आड़ो पर अपनी थुक भरी थूथ रगड़ते हुए अपनी हवस भरी नशिली आखो से मुझे देखे जा रही थी

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उनकी आंखो मे झाककर और अपनी कामुक स्थिति को देख कर मेरा दिल जोरो से धडकने ल्गा था
मेरा रोम रोम फड़क रहा था


हम चारो अपने बहसीपने के चरम पर थे , ना किसी का लाज ना किसी की फिकर और ना ही कोई डर

कमरे मे कुलर की तेज हनहनाहट के बावजूद भी मेरी और पापा की सिसकिया उठ रही थी और साथ मे दोनो बह्नो की हवस भरी गुर्राहट ।


हम दोनो का लण्ड लार और विर्य से चख्टा हुआ तना था , पूरी तरह से चुदाई के लिए तैयार और हमने ( मै और पापा ) आपस मे नजरे मिलाई और तय किया अब देर नही करनी चाहिये

क्योकि हम दोनो इस अनुभव से वाक़िफ थे कि औरत जब गर्म हो तो उसको चोदने मे देरी नही करनी चाहिये


हमने मुस्कराकर खुद को उनसे अलग किया और मैने झटके से मा उठाकर सामने सोफे पर धकेल दिया

फिर अपना लण्ड मसलता हुआ आगे बढा

मेरी इस हरकत से मा मुस्कुराई और जल्दी जल्दी अपना पेतिकोट उपर खिच कर अपनी जांघो को फैलाते हुए चुत को सहलाने लगी

मा - अह्ह्ह बेटा अब देर ना कर उह्ह्ह उम्म्ं

इधर मा मादक सिस्किया लेके अपनी बुर सहला रही थी वही मेरे बगल मे पापा खड़े होकर मौसी की चुचिया पीने लगे ।

मौसी मुस्कुराते हुए पापा के सर पर हाथ घुमा रही थी और पापा मौसी के पेतिकोट के उपर से ही उनकी बड़ी चर्बीदार गाड़ सहलाते हुए उन्के निप्प्ल चुस रहे थे

मन तो मेरा भी ललचाया कि झाकते हुए एक चुचे को मै भी दबोच लू लेकिन मा की मादक सिस्कियो ने उन्हे उनकी ओर खिच लिया

और मै घुटने के बल आकर सीधा मे चुत मे अपना मुह दे दिया

चुत के दाने पर मेरे तपते होठो का स्पर्श पाते हुए मा बिद्क कर उछल पड़ी और मैने कस कर उन्की जांघो को थाम्ने हुए उन्के बुर के होठो से अपने होठ मिलाते हुए उसको चुबलाना शुरु कर दिया

मा ने अपनी जान्घे मेरे कान्धो पर फेके हुए मुझे और भी अपनी ओर खिच रही थी साथ ही मेरे सर को अपने बुर पर दबाए जा रही थी ।

मा - ऊहह बेटा अह्ह्ह खा जा मेरी चुत को ऊहह खा जा अपनी मा की बुर को ऊहह सालो पहले तु यही से निकला था घुस जा फ़ाड के फिर से उह्ह्ह माअह्ह्ह उह्ह्ह उह्ह्ब


मा की उत्तेजना भरी बाते सुन कर मै और भी पागल होने लगा और अपनी थूथन को उसके चुत के फाको व दानो पर रगड़ने ल्गा

बौखलाई मा ने अब तेजी से चिल्ल्लाते हुए अपना सर झटक कर अपनी गाड पटकनी शुरु कर दी

जल्द ही एक गर्म मादक गन्ध के साथ उबलता हुआ लावा मा ने झरने से फूट पड़ा और मेरे होठो से लगने लगा

मेरी जीभ से जैसे ही उस गर्म नमकीन स्वाद को चखा मेरी दिल की असन्तुष्टि और बढ गयी और मैने मुह खोलते हुए मा के बुर के होठो मे अपने मुह मे भरते हुए शुरुकने ल्गा

गटागट 4 5 झटके के साथ मा का रस मेरे मुह मे जमा होने ल्गा जिसे मैने मेरे लार से मिलाते हुए घोंट गया औद वापस से जीभ निकाल के मा के बुर से फाको को फैलाते हुए अंडर की सफाई करने लगा


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अब मा हाफ रही थी , मैने मा की चुत की अच्छे से सफाई के बाद उठा और सीधा मा के होठो से होठ जोड कर उनकी रसिली बुर को कुरेदने लगा


इधर मुझे पता ही नही चला कि अब पापा ने भी बगल मे ही मौसी को लिटा कर उन्के चिकने भोसड़े को निचोड शुरु कर दिया

मौसी की तेज सिस्किया सुन्कर लण्ड की कसवाट बढने लगी थी

मैने इशारे मे मा से पुछा तो वो अपनी जांघो को खोलती हुई सहमती दे दी और मैने भी देर ना करते हुए उन्की एक टांग उठा कर अपने कन्धे पर रखी और अपना एक घुटना सोफे पर टीका कर लण्ड को उनकी बुर पर घिसने लगा

जिससे मा के बेचैनी और बढने लगी फिर उन्होने खुद पहल करके अपनी गाड़ उठाते हुए लण्ड को पकड कर चुत मे घुसाते हुए - उह्ह्ह क्या नाटक कर रहा है चोद ना ऊहह उम्म्ं


मा की बेताबी देख कर मै मुस्कुराता और आगे झुकता हुआ एक जोर का झटका दिया और एक ही बार मे आधे से ज्यादा लण्ड मा के बुर मे उतर गया

मा हाफ्ते हुए - ओह्ह्ह माह्ह्ह उह्ह्ह उह्ह्ह इतना मोटा कैसे हो गया तेरा आज उह्ह्ह

मै भी मा के चुत की कसावट मह्सूस करके वापस से धक्के ल्गाना चालू कर दिया - आह्ह माहह मुझे भी लग रहा हौ उह्ह्ह शायद मौसी की वजह से


मा सिस्क कर - ऊहह हा बेटा सच कह रहा है जीजी ने तो मजा ही ला दिया उह्ह्ह और पेल उम्म्म्ं उह्ह्ह


हमारी चुदाई की शुरुवात और बातचित सुन्कर पापा ने भी मौसी की चुत से अलग हुए और मुझे आगे देख कर - अरे बेटा साथ साथ चलना चाहिए ना हाहहह्हा

मै - तो आओ ना पापा अभी तो शुरु ही किया है अह्ह्व क्यू माह्ह उम्म्ं

मा मेरे तेज करारे लंड की घिसट अपनी नरम गीली बुर मे महसुस करके आहे भारती हुए - अह हाअह्ह बेटा उह्ह्ह इत्नी जल्दी थोडी ना खतम होगा आज तो पूरी रात मुझे चुदना है ना जाने कब मौका मिले उह्ह्ह


इधर पापा मौसी की चुत मे लण्ड घुसाते हुए - क्यू नही मिलेगा मौका , अब तो जब तक जीजी है हम रोज ऐसे ही मजे करेंगे क्यू जीजी

मौसी पापा के लण्ड को अपनी बुर की गहराइयों मे मह्सुस कर - उह्ह्ह हा जमाई बाबू इसमे कोई शक है क्या उह्ह्ह मै तो रोज चुदून्गी और आज तो मुझे मेरे भतीजे के मोटे लण्ड से भी तो चुदना है


मौसी मा के निप्प्ल को उल्टे हाथो से छुते हुए पूछी - कैसा लग रहा है छोटी मेरे भतीजे का लण्ड, कितना अन्दर जा रहा है उह्ह्ह अह्ह्ह उम्म्ंम सीईई और तेज ओह्ह्ह

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मा मौसी की बाते सुन्कर मादक आवाज मे - उह्ह्ह जीजी क्या बताऊ आज तो इसका लण्ड मेरी चुत फ़ाड कर भोस्डा ही बना देगा उह्ह्ह लाला और चोद ना ऊहह रुक मत फ़ाड देआज ऊहह सीई उम्म्ंम माआह्ह ऊहह जिजीईईई उह्ह्ह बहुत मजा आ रहा है
इधर पापा तेज धक्के से मौसी भी चुत को खोल्ते हुए - क्यू जीजी मेरे लण्ड से मजा नही आ रहा है कय उम्म्ंम


जीजी - ओह्ह जमाई बाबू क्या बताऊ आपके लण्ड ने तो खुजली और बढा रखी है जरा और कस से झटके दीजिये ना उह्ह्ह उम्म्ं हा ऐसे ही उह्ह्ह उह्ह्ह उफ्फ़फ्फ सीईईई ओह्ह्ह ओह्ह

पापा - ऐसे ना जीजी उम्म्ं


मौसी - हा हा ऐसे ही उम्म्ंम जमाई बाबू और पेलो उह्ह्ह आज तो सच मे बहुत मजा आ रहा है इतना मजा मैने कभी नही किया उह्ह्ह माअह्ह्ह

मा - आह्ह बेटा थोडा रुक जा

मै - क्या हुआ मा ऊहह

मा - बेटा मेरा पाव दुखने लगा आह्ह थोडा पोजीशन बदल ले
मै खुश होकर - हा क्यू नही

और मा ने देर ना करते हुए उठी और उसी जगह पर घोडी बनते हुए अपनी गाड़ उठा कर जांघो को मेरे सामने खोल दिया ।

मा की चिकनी और चर्बीदार गाड़ को देख कर मैने उसको मसलते हुए वापस से अपना लण्ड उनकी चुत के मुहाने पर लगाया और ग्चाक से अगले ही पल मे पुरा लण्ड उनकी पिघलती बुर मे उतार दिया

मा- आउउचह उह्ह्ह माह्ह अह्ह्ह ओह्ह अफ्फ्फ हा बेटा और घुसा उम्म्ं और कस के पेल मुझे उह्ह्ह बहुत अच्छा लग रहा है उह्ह्ह बेटा

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मा मारे उत्तेजना ने खुद भी अपनी गाड़ मेरे उपर फेकने लगी , और मै उन्के कुल्हे थामे हुए कस कस कर चोदने लगा और वही पापा भी मौसी की चुत की गहराईयो मे लगे रहे ।
पापा भी आज मा की उत्तेजना देख के बहुत चकित थे कि आज से पहले से ऐसा रूप मा का नही देखा था , जितना खुल के और इतनी हवस से वो चुदवा रही थी ।

उसके रन्डीपने से पापा को रहा ना गया और उन्होने अपनी जुबानी सेक्स शुरु कर दी ।

वो मौसी की चुत मे पेलते हुए बोले - क्यू मेरी रन्डी मजा आ रहा है ना उम्म्ंम

मा पहले मुस्कुराई और फिर सिस्कियो के भी हा बोली

पापा - अरे तो खुल कर बोल ना साली बहिनचोद ऊहह देख ना आज तेरे सामने तेरी बहिन का बुर फ़ाड रहा हू उह्ह्ह
मा को भी अब रहा ना गया - उह्ह्ह तो फ़ाड लो ना मेरे राजा , मेरी दीदी तो आपसे ही फ़ड़वाने आई है उह्ह्ह सीईई ओह्ह्ह

पापा मम्मी की बाते सुन्कर मै और भी जोश मे आ कर पेलने लगा

पापा - ओह्ह मेरी रन्डी रुक जा अभी तेरी भी फाडून्गा उह्ह्ह पहले तेरी इस रन्डी बहन की बुर को चोद चोद के भोस्डा बना दू ,

"क्यू मेरी रन्डी जीजी" , पापा ने मौसी को चोदते हुए उनकी आन्खो मे झाक कर कहा ।


मौसी मादक सिसकिया लेती हुई - उह्ह्व हा फाड़ डालो ना मेरे जमाई राजा उह्ह्ह और पेलो ना अपनी इस रन्डी को उह्ह्ह्ह उम्म्ं बना दो भोस्डा उह्ह्ह उह्ह्ह


पापा कस कस के धक्के ल्गाते हुए - आह्ह ले और ले बहिनचौद उह्ह्ह ले साली कुतिया उह्ह्ह लेह्ह्ह्ह उम्म्ं

मौसी - अह्ह्ग और चोदो उह्ह्ह रन्डी की तरह चोदो मुझे य्ह्ह्ह मस्त मजा आ रहा है आज उह्ह्ह


मै मा के चुत के धक्के की गति हलकी करता हुआ - क्या मौसी सिर्फ पापा को ही सारे मजे दोगे मुझे नही मिलेगा क्या कुछ


मेरी बात सुन्कर मौसी मुस्कुराई और पापा ने भी अपनी गति रोकदी

फिर पापा ने मुझपर तरस खाते हुए मौसी को इशारा किया ।
मैने भी मा को छोड़ा और पापा सोफे पर टाँगे फर्श पर फैला कर लेटते हुए मा से बोले - आजा मेरी रान्ड आ चुस मेरा लण्ड आह्ह


वही मौसी मुस्कुराती हुई मेरे ओर आई और मैने उन्के गुदाज चर्बीदार गाड़ को छूता हुआ उन्के चुचो को पकड लिया और पीछे होकर उन्हे मसलने लगा

मौसी की 42DD की चुचिया मेरे हाथो मे नही समा रही थी ।
मैने भर भर उनकी चुचियो को मसल रहा था और वही सामने सोफे पर मम्मी पापा के लण्ड को मुह मे लेना शुरु कर चुकी थी ।


मै - ऑफ़ मौसी क्या नरम नरम दूध है आप्का उम्म्ं मन कर इसको ऐसे ही मिजता रहू , कैसे इतना बड़ा कर ली हो

मौसी सिस्क्ती हुई - आह्ह बाप बेटे मे मिल कर बहुत चूसा है मेरी चुचियो को उह्ह्ह और रमन ने इनका दीवाना है लल्ला ऊहह उम्म्ं


मै - अब तो मै भी इनका दिवाना हो जाऊंगा मौसी उम्म्ं उम्म्ं सररर्प्प्प उम्म्ंम क्या मस्त स्वाद है इनका उम्म्ंम्ं
मै सामने आकर मौसी को चुचिया पकड कर उन्हे मुह मे भरने लगा


इत्ने मे पापा मा के बालो को पकड कर उन्के गले तक लण्ड घुसाते हुए बोले - आह्ह जीजी मुझे भूल गयी क्या , पहली मुलाकात से ही मै उनका दीवाना हू

मौसी सिस्क कर - हा जमाई बाबू , आपने ही तो मेरे स्तनो को और भी निखार दिया है

पापा हस कर - बस स्त्नो को ही क्या जीजी हाहहहहा


मैने मौसी को वापस सीधा सोफे पर लिटाया और बिना रुके एक ही बार मे पुरा पुरा का लण्ड मौसी की चुत मे उतार दिया

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मौसी चिल्लाई - आह्ह लल्ला उउउह उम्म्ं क्या मोटा लण्ड है रे तेरा उह्ह्ह और घुसा ना उम्म्ंम फ़ाड दे बेटा उह्ह्ह आज बहुत मजा आ रहा हौ ओह्ह हा ऐसे ही उम्म्ं

मैने कस कस के मौसी की बुर मे पेलना शुरु कर दिया
मै बहुत ही उत्तेजना मे कस कस के मौसी की चुत मे धक्के लगाये जा रहा था जिससे मौसी की 42 साइज़ की मोटी मोटी चुचिया हिल रही थी और मौसी मादक सिस्किया लेके चिल्ला रही थी

वही मा पापा के आड़ो को मस्लती हुई उन्के लण्ड को गले तक चोक किये जा रही थी

दोनो तरफ उत्तेजना चरम पर थी


मौसी अब झड़ने के करीब थी और उन्होने अपनी चुत मसलना शुरु कर दिया और अन्दर से मेरे लण्ड को कसने लगी थी

मौसी - ओह्ह बेटा ऊहह हा और तेज रुक मत उह्ह्ह आह्ह मेरा आयेगा हहहह ओह्ह और पेल अह्ह्ह


मै बिना रुके अपनी पूरी ताकत के साथ ताबड़तोड़ धक्के के साथ मौसी की बुर को चोदे जा रहा था

और वही पापा भी चर्म पर आ चुके थे मा ने उन्के लण्ड के सुपाड़े को मुह से छोड़ने को राजी नही थी और कुछ ही पलो मे पापा ने तेज कराह से अपनी गाड़ उचकाते हुए मा के सर को पकड़ कर लण्ड को गले तक भेद दिया

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मा की आंखे फैल गयी और होठ फटने को हो गये थे और वही पापा का लण्ड मा के गले मे झटके खाने लगा - ओह्ह्ह मेरी रान्ड़ ले साली मादरचोद उह्ह्ह मेरी रंडी उह्ह्ह ले ऊहह अह्ह्ह आह्ह


इधर पापा की तेज आह के साथ ही मौसी ने भी अपनी गाड़ पटकनी शुरु कर दी और तेजी से मेरे लण्ड पर झड़ने लगी , मैअब पूरी तरह से मौसी के उपर चढ़ कर बस कस कस के अपनी कमर पटक रहा था और मौसी ने मुझे अपने छाती से चिप्काये जकड़े हुए थी

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मै अपने ताकत के साथ भीचते हुए - ओह्ह्ह मौसी आने वाला है उह्ह्ह

ये बोलकर मै उठना चाहा तो मौसी ने मुझे कस कर जकड़ लिया - अन्दर की बहा दे बेटा उह्ह्ह भर दे अपनी चुद्क्कड मौसी की बुर को उह्ह्ओह्ह माअह्ह आह्ह भर से मेरी चुत को ओह्ह्ह


मौसी की बात सुनते ही मै खुद को रोक ना पाया और आखिर झटके के साथ ही मौसी के चुत की गहराई मे लण्ड को ले जाकर झटके मारने लगा


जल्द ही मै सुस्त पड़ गया और वैसे ही मौसी के उपर पड़ा हाफ्ता रहा ।

मौसी मुस्करा कर मेरे बालो को सहलाते हुए मुझे दुलारने लगी ।

वही पापा मम्मी भी सोफे पर बैठे हाफ रहे ।


जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है रज्जो और रागिनी की दमदार चुदाई हुई है
 

Sanju@

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UPDATE 172 ( C )

लेखक की जुबानी


एक ओर जहा निचे का माहौल इतना गर्म हो चुका था वही उपर सोनल के कमरे मे भी माहौल कम कामुक नही था ।


सोनल और अमन की दोपहर की अधूरी नानवेज चैट इतनी रात तक जारी थी ।

बेचैन अमन ने अपने मुसल को हिलाने का विडियो बना कर भेजा था जिसे देख कर सोनल और निशा की हालत और भी खराब हो रही थी दोनो की पनीयाई चुत ने अब उनकी जांघो मे बीच खुजली बढाने लगी थी ।

सोनल से चिपकी हुई निशा ने अपनी भारि सासो से सोनल के हाथ के मोबाइल मे चल रहे वीडियो को देख रही थी जिसमे अमन अपना 9 इंच का कैन जैसा मोटा लण्ड का सुपाडा खोलकर हिलाते हुए दिखा रहा था ।

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दोनो बहने की गले की खुस्की बढने लगी और निशा ने कामुकतावश हाथ बढा कर सीधे सोनल की पनीयाई चुत को शोट्स के उपर से छूने लगी

सोनल निशा के मादक स्पर्श से आंखे बन्द कर सिहर उठी और अपने होठ भींच्ते हुए सिसकी - उह्ह्ह निशा क्या कर रही है उम्म्ं

निशा उसके कानो के पास जाकर मादक आवाज मे - देख ना कितना तगडा लण्ड है उह्ह्ह मन कर खा ही जाऊ , कैसे तू लेगी इसको अपनी इस नाजुक चुत मे उह्ह्ह्ह


सोनल एक ठंडीआह भरते हुए मुस्कुराई - उह्ह्ह मै ले लूंगी ना तु क्यू परेशान है उम्म्ंम

निशा ने उसकी चुत के फाको को दबोचते हुए पुछा - क्यू मुझे नही दिलाएगी उह्ह्ह


सोनल - उउहू ये बस मेरा है उह्ह्ह
निशा - लेकिन तु तो मेरी है ना तो तेरा सब कुछ मेरा ही है , क्यू है ना

निशा ने सोनल के शोट्स मे जांघो के पास अन्दर हाथ घुसाकर चुत को टटोलते हुए पुछा ।

निशा की कामुकता भरे स्पर्श से सोनल के हाथो से मोबाईल छिटक गया और वो तड़प उठी ।

निशा ने एक ऊँगली को उसकी चुत मे घुसाई और अपना सवाल दुहराया - बोल ना , है ना मेरा भी हक उसपे उम्म्ं

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सोनल ने आंखे खोली और निशा की आंखे मे देखते हुए उसके होठ अपने होठ मे भर लिये और एक गहरा चुंबन लेके -अह्ह्ह हा मेरी जान , मेरा तो सब कुछ तेरा ही है ,

और अगले ही पल दोनो बहने अपनी काम क्रीड़ा मे मगन हो गयी ।



राज की जुबानी

ROUND 02


कमरे मे मौसी सोफे पर अपनी जान्घे फैलाये मादक सिसकिया ले रही थी और उनको दोनो तरफ से मैने और पापा ने जकड़ रखा था


मै और पापा दोनो मौसी की गदराई चर्बी से भरी मोटी मोटी चुचियो सहलाते हुए आगे झुक कर मौसी के कांख को चाट रहे थे ।

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मै पूरी तरह से पापा को कॉपी करने मे लगा हुआ था , जब वो मौसी की आर्मपिट चाटते तो मै भी मौसी की आर्मपिट चाटने लगता और जब पापा मौसी की रसिली चुची को पकड कर मुह मे भर लेते तो मै भी उनकी चुची को थाम कर अच्छे से उन्के मुनन्के जैसे दानेदार निप्प्ल को चुबलाता

वही मौसी आहे भरती हुई अपने बदन को ऐठे जा रही थी ।

मौसी हमारे सर को बालो को नोचती हुई - ऊहह लल्ला उम्म्ं ज्माई बाबूउउह्ह और चुसो उमम्म सीईई

इधर मै बड़े चाव से मौसी के चुची को पकड कर चुबला रहा था वही पापा ने अपना हाथ निचे ले जाकर मौसी के जांघो को सहलाते हुए उनको खोलने लगे और अपनी हथेली मे मौसी के फुले हुए बुर की चर्बी को भर भर सहलाने लगे ।

इधर मौसी की सिसकिया तेज हो गयी और कुछ ही पल मे मौसी की चुत बजबजाने लगी और पापा ने तेजी से मौसी की जांघो को फैलाते हुए अपनी 2 उंगलिया बुर मे पेलने लगे

और तेज फचफच की आवाज के साथ मौसी चिल्लाते हुए अकड़ने लगी ।

मै अपना लण्ड पकड कर मस्लाता हुआ अलग हुआ वही पापा भी झटके से अलग होते हुए निचे बैठ कर मौसी की बहती चुत पर अपना मुह लगा सारी मलाई चाटने लगे

मौसी सिस्क्ते हुए उनके सर को पकड कर अपनी बहती बुर पर दबाने लगी ।


मौसी - उह्ह्ह जमाई बाबू अब पेल भी दो ना उम्म्ं कितनी बह रही है मेरी चुत उह्ह्ह पेलो ना

पापा ने भी फुरती दिखाई और उठ खड़े हुए मै भी सोफे से उठ गया

पापा ने मौसी को करवट करके लिटाया और उन्के पीछे जाकर उनकी जांघो को उठाते हुए लण्ड को उनकी चुत मे पेल दिया


सोफ़ा चौड़ा होने पर भी मौसी एक दम मुहाने पर अटकी हुई थी और पापा पीछे से मौसी की बुर गचागच पेले जा रहे थे ।


मै वही मौसी के पास खड़ा लण्ड मसल रहा था कि मौसी ने मुझे पास आने का इशारा किया । मै खुश हुआ और अपना लण्ड सीधा उन्के मुह मे दे दिया

वो पापा के झटके के साथ मेरे लण्ड को गले तक उतारे जा रही थी मै भी उन्के सर को पकडे तेजी से पापा के झटके के साथ ताल मिलाते हुए मुह मे सटासट पले जा रहा था ।

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वही पापा मेरा जोश देख कर खुद भी और जोश मे आ गये और मौसी चुत के रस मे सना हुआ अपना लण्ड निकाल कर उसको मौसी की गाड़ मे घुसाते तेजी से मौसी की जांघ उठाकर पेलने लगे ।

कसी हुई गाड़ मे बड़ी मुस्किल से मौसी की जड़ो मे लण्ड जगह बनाने लगा और उनका चेहरा लाल पड़ने लगा

मैने भी कोई रहम नही दिखाया और तेजी उन्के सर को थामे मुह पेलाई जारी रखी , ज्ब्तक की मौसी ने मेरे जांघो को पिटना नही शुरु किया ,

मैने फौरन अपना 8 इन्च का आलू जैसे फुला हुआ लाल हुआ सुपाडा बाहर निकाला और मौसी हाफने लगी , उन्के मुह से लार बह रही थी और उनकी आंखे लाल होने लगी थी मैने अपना गीला लण्ड वापस से मौसी ने नथुनो के आस पास रगड़ने लगा ।

वही पापा लगातार मौसी के छेद बदल कर पेलाई किये जा रहे थे ।


जिस्से मौसी के गाड़ और चुत दोनो खुजली बढने के सिवा घट नही रही थी परेशां होकर मौसी बोल पडी - ऊहह जमाई कोई एक पेलो ना अच्छे से उह्ह्ह आप बस दोनो की खुजली बढा रहे हो


मौसी की बात सुनते ही मेरा दिमाग ठनका क्यो ना मौसी के दोनो छेदो को एक साथ भरा जाये और मैने हस्कर अपना लण्ड उन्के गालो पर घिसते हुए - मौसी चिंता ना करो अब आपके दोनो होलस की खुजली मिटेगी क्यू पापा


मेरी बात सुनते ही पापा चहक उठे और झट से उठ कर बैठ गये , मौसी थोडा असहज हुई
और असम्ज्स भरी नजरो से हमे देखने लगी

पापा ने सोफे पर एक कोना पकड़ा और जान्घे खोल कर लण्ड को सहलाते हुए उसे सीधा करते हुए - सोच क्या रही हो जीजी आओ ना मजा आयेगा


मौसी पापा ने सामने ऐसा दिखावा कर रही थी जैसे ये सब पहली बार हो रहा है जबकि वो मेरे और मौसा जी के साथ दोहरे लण्ड का मजा ले चुकी थी पहले ही ।

मै मुस्कराया और मौसी को आगे बढने का इशारा किया ।

मौसी ने जान्घे फेकते हुए पापा के लण्ड पर बैठ गयी और लण्ड को अपनी चुत की गहराई मे ले जाते हुए अपनी गाड़ फैलाते हुए पापा के उपर झुक गयी ।

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मैने भी अपना मसलते हुए आगे बढा और सुपाड़े पर थुक ल्गाते हुए मौसी के गाड़ की सुराख पर अपना सुपाडा टिकाते हुए लंड को मौसी की गाड़ मे घुसेड़ दिया
मौसी सिसकी और मैने आहिस्ता आहिस्ता लंड़ पर जोर देते हुए उनकी गाड़ के सुराख को फैलाते हुए आधे से ज्यादा लण्ड गाड मे पेल दिया ।

हम दोनो का लण्ड मारे उत्तेज्ना के बहुत ही ज्यादा फुला हुआ था और मौसी की सासे भी अब फुलनी शुरु हो गयी थी , क्योकि पापा कहा रुकने वाले थे वो मौसी की लचीली चुत मे निचे से कमर उठा कर सटासट पेलना शुरु कर दिया


पापा के लण्ड की घिसावत मुझे भी अपने लंद की निचली नसो मे मह्सूस हो रही थी और मै भी जोश मे आकर मौसी की गाड़ थामते हुए लण्ड चलाने लगा ।


मौसी की हालत बहुत खराब थी वो दो लण्ड की चुदाई से एक नशे ने झुम रही थी , और मानो हमारे लण्ड ने उनकी खुजली और भड़का थी ।

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वो चिल्लाने लगी - उह्ह्ह ज्माआई बाबू उह्ह्ह मजा आ गया ओह्ह्ह लल्ला तु भी कस कस के पेल ना उह्ह्ह काश ऐसे ही रोज रोज दो दो लण्ड मेरे चुत और गाड़ मे जाते ओह्ह्ब माअह मै तो पागल हो जाऊंगी

ओह्ह्ह अह्ह्ह और पेलो मुझे

मौसी चिल्ल्ल्ती हुई पापा के बालो को नोचने लगी । चुदाई की आवाज , और सिसकिया इत्नी तेज हो गयी कि किचन मे हमारे लिए ग्लूकोज़ पानी बनाने के लिए गयी मम्मी भी भागी भागी कमरे मे आ गयी


वो साम्ने मौसी की हालत देख कर हदस गयी, नजारा ही ऐसा था

मै मौसी के बालो को खींचे हुए कस कस के मौसी की गाड़ की गहराईयो मे हुमुच हुमुच कर अपना लण्ड उतार रहा था , वही निचे पापा मौसी के चुची मुह ने भर हुए अपनी कमर उछाल उछाल कर गचग्च ले पेल रहा थे और मौसी चिल्लाअये जा रही थी ।


मा की भी बेचैनी बढ गयी और वो अपनी मैकसी निकाल फेकि और भागकर हमारे बगल मे आ खड़ी हुई

मौसी ने जब मा को अपने पास देख तो मुस्कुराने लगी और हमारे तेज झटको मे हाफते हुए - ओह्ह्ह छोटी ऊहह तू रोज ऐसे ही मजे करती होगीहह उम्म्ं नाह्ह उन्म्ं बोल

मौसी की भुखी आन्खो ने झाक कर अपनी चुची उन्के मुह पर लगाती हुई मा बोली - उह्ह्ह जीजी सच कहू तो आज तक ऐसा इनदोनो ने मुझे नही चोदा ऊहह देखो कैसे भर भर लण्ड दे रहे है आपको उम्म्ंम सीईईई

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मौसी ने मा के चुचो को चुस्कर मुह हटाते हुए - ऊहह सच मे छोटी उह्ह्ह माह्ह्ह आज मेरी दोनो छेड़ो का भोसडा बना देंगे ये लोग उह्ह्ह माअह्ह्ह बहुत मजा रहा हौ उम्म्ंम्ं

ये बोल कर मौसी वापस ने मा के चुचियॉ को चुबलाने लगी ।
मा उनसे अलग हुई और बगल के सोफे पर बैठते हुए अपनी चुत को छूने लगी - लेलो जीजी जितने मजे लेना है ,लेकिन अगला राउंड मे अकेले लूंगी उम्म्ं मुझे भी हफते भर से नही मिला ये सुख


पापा - परेशान ना हो मेरी राड़ अगला नम्बर तेरा ही है ओह्ह्ह उन्न्ं


पापा - बेटा, अब जरा मुझे भी जीजी की गाड़ लेने दे ना

मै हस कर खड़ा हुआ - हा क्यू नही पापा ,

फिर पापा ने मौसी को उलटा होने को इशारा किया

पोजिसन वही थी लेकिन बस बीच मे मौसी उल्टी हो गयी थी , इधर निचे से पापा ने मौसी की गाड़ मे लण्ड घुसाया और उपर से मैने चुत मे


कुछ ही पलो मे नॉनस्टॉप ध्क्क्म पेल चुदाई और चिखो की शुरुवात हो गयी ,

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हम दोनो के लण्ड लय मे बारी बारी से मौसी की गाड़ और चुत मे अन्दर बाहर हो रहे थे और वही बगल मे मा अपनी जान्घे फैलाये हमे देख कर अपनी बुर मसले जा रही थी
और वो तेजी से अपनी बुर मे ऊँगली करके चिल्ल्लने लगी और कमर उठा कर फव्वारे छोडने लगी जिसे देख कर हम सब का जोश चौगुना हो गया

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मै और पापा ने भी अपने लण्ड की नसो को कसा और तन कर हुमुच कर पेलाई करने लगे और आखिरी कुछ झटको के साथ ही पहले मै और फिर पापा भी झड़ने लगे ।

हमने एक बार फिर मौसी के छेदो को डबाडब भर दिया ।
और सुस्त होकर अलग थलग हो कर हाफने लगे ।


कुछ देर बाद मा ने हम सबको ग्लूकोज़ वाला ठंडा पानी दिया और हमने फिर से स्फूर्ति आई ।

फिर मौसी एक चित सो गई और मै भी पापा के साथ मा की दोहरी चुदाई का आखिरी राउंड करके सो गया ।


......******.......******.......******.......

आज की ये रात तो बीत गयी लेकिन आने वाला क्या नये सपने लेके आयेगा , इन बचे शादी के 6 दिनो मे क्या धमाके होंगे इनसब के लिए आप सब तैयार रहियेगा ।


एक बात के लिए माफी चाहूँगा : देर से अपडेट के लिए नही :D .... पहली बार कहानी मे फोरसम सेक्स सिन ऐड किया । तो हो सकता है TharkiPo भाई की तरह मजा नामिले लेकिन अब लिख दिया तो एडजस्ट कर लेना ।


बाकी अपडेट के लिए परेशान ना हो
सब समय से होगा
क्योकि कहानी के इस फेज मे मेरे बहुत सपने जुड़े है जिन्हे हकिकत करने के लिए मै भी बेताब हू ।


कहानी जारी रहेगी
बहुत ही कामुक गरमागरम और उत्तेजना से भरपूर अपडेट है
एक और निशा और सोनल अमन के लन्ड को देखकर गरम हो गई है और दोनो एक दूसरे को शांत करने में लग गई है वही दूसरी ओर रंगीलाल और राज ने अपनी मोसी रज्जो और रागिनी के दोनो छेदो को भर दिया
 

Gurdep

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लेखक की जुबानी

दोपहर के डेढ़ बजने को थे , चुकि राज चंदू के साथ उसके घर की साफ सफाई मे लगा हुआ था तो अनुज और उसके पापा के लिए खाना लेके राज की मा निकलने को हुई ।


अब ऐसे मे रज्जो अकेले क्या करती तो वो भी रागिनी के साथ निकल गयी मार्केट वाले घर के लिए ।

इधर अनुज दुकान में बैठा था , दोपहर के समय ग्राहकी कम थी और उसके बेचैनी भूख ने बढा दी थी ।

कुछ ही देर मे दुकान पर उसके मा के साथ उसकी मौसी ने दस्तक दी ।

खाने के टिफ़िन के साथ अपनी मौसी को देख अनुज का चेहरा चमक उठा ।

अनुज - क्या मा कित्ने देर से आ रहे हो , कबसे भूख लगी

रागिनी - अरे बेटा वो तेरा भैया समान लाया था वही देख रही थी उसी मे देर हो गई, ले तु खा ले । मै तेरे पापा को खाना देके आती हू


अनुज - अरे आप दुकान पर बैठोगे तब न खाऊंगा

रज्जो मुस्कुरा कर - अरे लल्ला तु खा मै हू ना , जा छोटी तु खाना देके आ ।


अनुज अपनी मौसी की बात सुनकर बहुत खुश हुआ और सोचा क्यू ना जल्दी जल्दी खा कर मौसी के साथ कुछ टाईम बिताया जाये ।

इधर अनुज अन्दर के कमरे मे खाने चला गया और रज्जो दुकान मे बैठ कर ऐसे ही समान देखने लगी ।

अनुज फटाफट 10 मिंट मे खा कर बाहर आ गया ।

उसने देखा कि उसकी मौसी लिपस्टिक वाला बॉक्स खोल कर देख रही थी ।

अनुज हौले से अपनी मौसी के पास गया , उसने अपने मौसी के जिस्म से आती भीनी भीनी परफ्युम की खुस्बु ली और एक गहरी सास लेते हुए बोला - क्या देख रहे हो मौसी ?

अनुज के अचानक से बोलने से रज्जो चौकी फिर हस्ते हुए - अरे तु खा चुका

अनुज - हा वो भूख ज्यादा लगी थी ना , आप क्या खोज रहे हो

रज्जो लिपस्टिक का बॉक्स बन्द करके उसको उसकी जगह पर रखते हुए - वो मै बस ऐसे ही देख रही थी कि तेरी दुकान मे मेरे मतलब का कुछ है भी या नही ।


अनुज चहक कर - आप बोलो तो आपको क्या चाहिये , मेरे यहा तो सारे लेडिज समान मिलते है ।

रज्जो मुस्कुरा कर - सारे सामान मिलते है ।

अनुज - हा !

रज्जो कुछ सोच के - अच्छा तो जरा मुझे *** कम्पनी का लिपस्टिक दिखा

अनुज चहक कर दुकान मे एक ओर गया और वही अपनी मौसी को देख कर - कैसा चाहिये मौसी , डार्क सेट या लाईट


अनुज के सवाल से रज्जो मुस्कुराई और उसे सुबह का समय याद आया जब अनुज उसके चुचे टटोल रहा था, उसने बस परखने के लिए अनुज से मजाक शुरु किया ।

रज्जो - तु बता मेरे उपर कैसे अच्छा लगेगा

अपनी मौसी के सवाल से अनुज चौक गया और वो हिचकते हुए अपनी मौसी को एक नजर उपर से निचे देख कर जायजा लिया ।

हल्की गाजरी रंग साड़ी मे उसकी मौसी का अंग अंग खिल रहा था । अनुज थुक गटक कर अपने मौसी के होठो को देखा जिस्पे ब्राइट मरून मे शेड वाली लिपस्टिक लगी थी जो उन्के सावले स्किन टोन पर बहुत ही फ़ब रही थी ।

अनुज थोडा मुस्कुराया और शर्मा कर अपनी मौसी को दो तिन मैट शेड वाले ब्राउन और सेमी डार्क लिपस्टिक सजेस्ट किये


रज्जो ने सेमी डार्क पिन्क मैट वाली लिपस्टिक ट्राई की और सच मे उसके चेहरे पे बहुत ही खिल रहा था ।


रज्जो - अरे वाह तुने तो गजब के कलर बताये

अनुज हस कर - आपको पसंद आया ना
रज्जो खुश होकर अनुज के गाल चूमती हुई - बहुत ज्यादा

अनुज - आप चाहो तो और भी लेलो पप्पी इसका color नही छपता

रज्जो हसी - अच्छा सच मे ,, तुझे बहुत चाहिये चुम्मी तेरी भी शादी करवा दू उम्म्ं

अनुज शर्मा गया और रज्जो ने उसे अपने सीने से लगा लिया - मेरा प्यारा बच्चा

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि ऐसे अनुभव भी उसको मिल सकते थे और वो अपने चेहरे को अपनी मौसी के सीने पर घिसने लगा ।


रज्जो हस्ती हुई - अब बस कर हम दुकान मे है कोई देख लेगा

अनुज चहका कर सीधा होकर - तो अन्दर चले मौसी

अनुज की बात सुन्कर रज्जो ने मुस्कुराहत भरी भौहे चढाई और अनुज को भी अह्सास हुआ कि वो क्या बोल गया ।


रज्जो उससे अलग होकर हस्ती हुई - तू बहुत शैतान हो गया आजकल हम्म्म

अनुज हड़बड़ाया - म म मै ? क्या मतलब !

रज्जो तुनक कर - खुब समझती हू मै , लग रहा है राज से पहले तेरी ही शादी करनी पड़ेगी


अनुज की सासे तेज हो गई उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे , थोडी सी मस्ती अब उसको भारी लगने लगी थी । उस्के हाथ पाव फूलने शुरु हो गये थे ।


अनुज डरा हुआ लेकिन हसने का दिखावा करता हुआ - क्या मौसी हिहिही भैया से पहले मै कैसे और अभी तो मै बहुत छोटा हू हिहिहिही


रज्जो उसके कान पकड कर - शैतान कही का , मुझे नही पता कितना बड़ा हो गया है तू


अनुज हसता हुआ - आह्ह मौसी छोडो ना , मैने क्या किया है अब आप ही तो मुझे हग की है ना

रज्जो कान छोडते हुए - और वो जो तु सुबह सब्के सामने मेरे दूध छू रहा था वो


अब अनुज की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी , उसके गले से थुक गटकना भी दुभर हो चुका था । शर्म और भय से उसका चेहरा लाल हो गया था ।


मगर कब तक रज्जो अपने लाड़ले को ऐसे देख पाती इससे पहले अनुज रोना शुरु कर देता वो खिलखिला कर हस दी ।


अनुज अपनी डबड्बाइ आंखो से अपनी मौसी को हस्ता देख रहा था

रज्जो - देखा पकड लिया ना मैने तुझे , उम्म्ं अब बोल क्यू छू रहा था सुबह मे

अनुज अपने आसू पोछ कर - वो मै आपका हाथ पकडे हुए था तो मुझे नरम नरम सा कुछ लगा । मुझे लगा आपका पेट है ।


इतना बोल कर अनुज सुबकने लगा , खुद को बचाने का उसको यही रास्ता सूझ रहा था ।

रज्जो ने अपने लाड़ले को रोता देख पिघल गयी और हसते हुए अपने आंचल से उसका चेहरा साफ करते हुए बोली - क्या तु भी बच्चो के जैसे रो रहा है , मै तो बस पुछ रही हू ना ।

अनुज शान्त होकर अपनी मौसी को देखा ।

रज्जो - अगर तुझे अच्छा लग रहा था तो बता देना चाहिए साफ साफ ,


अनुज - नही वो मुझे ...

रज्जो उसी बात को काटकर मुस्कुराती हुई - तो क्या तुझे अच्छा नही लग रहा था ।

अनुज अपनी मौसी की शरारती मुस्कान देख कर शर्माहत भरी हसी के साथ - हा वो वो हिहुहिही


रज्जो हस कर - मै जान रही थी तु एक नम्बर का शैतान है , बदमाश कही का ।
इधर इनकी बाते और बढती इससे पहले रागिनी खाना देकर वापस आ चुकी थी ।
रागिनी अनुज को देख कर - अरे अनुज क्या हुआ ? तेरी आंखे लाल क्यू है


अब तो अनुज की फिर फट गयी कि कही उसकी मौसी उसकी मा को सब बोल ना दे । वो जानता था कि उसकी मौसी का स्वभाव बहुत चंच्ल है और उन्हे ऐसी बाते कहने मे कोई भी हिचक नही होती है ।

लेकिन अचरज तो तब हुआ जब रज्जो ने मुस्कुराते हुए रागिनी को जवाब दिया - अह कुछ नही छोटी वो खाना खा रहा था सब्जी वाले हाथ से ही उनसे आंख मल ली थी तो जलन के मारे लाल हो गयी है ।

रागिनी अनुज के पास आकर अपनी साडी की पल्लू को मुह की भाप देते हुए बहुत फ़िकर मे अनुज की आंखो की सेकाई करते हुए - क्या तु भी ऐसे छू दिया , देख कितनी लाल हो गयी है ।


अनुज अपनी मा को परेशान देख कर खुद को बहुत कोष रहा था और वही जब उसने मौसी को मुस्कुराता देखा तो अचानक से उसके दिल की तरंगे हिल्कोरे मारने लगी और वो शर्मा कर मुस्कुरा दिया ।


रागिनी अनुज से अलग होती हुई - अरे जीजी अब आप आई हो तो चलो थोडा शालिनी से मिल लेते है और कल पूजन शुरु हो रहा है उसका न्योता भी दे आते है ।


रज्जो - हा चलो ,

फिर रागिनी और रज्जो दोनो बहने अपने भारी भारी कुल्हे हिलाती हुई जंगीलाल के घर की ओर चल दी ।

वही अनुज एक अलग ही उलझन मे अटक गया कि मौसी की मुस्कान का क्या हिसाब लगाये वो ?


धीरे धीरे सोशल मीडिया पर ऐक्टिव होने से अनुज का ज्ञान बढा तो था लेकिन उसके जहन मे कुछ भ्रम ने भी जगह बना ली ।
अब वो जितना कुछ अपने जीवन मे सिख समझ पाया तो वो उसी के हिसाब से अपनी मौसी को परखने मे खोया हुआ था ।



जम्गिलाल के घर के किचन मे ताबड़तोड़ धक्को की बरसात जारी थी , किचन की सिंक के पास बरतन खंगाल रही शालिनी अपनी गाड़ फैलाये हुए खडी थी और पीछे से राहुल उसकी झिनी सी नाइटी उठाये सटासट अपनी मा की बुर मे लण्ड पेले जा रहा था ।



वही दुकान मे ग्राहको से डील कर रहे जंगीलाल की निगाहे दो भारी भरकम कूल्हो पर गयी जो उसकी दुकान पर चढ़े आ रहे थे ।

दोनो औरतो को देखते ही जन्गीलाल का चेहरा खिल गया

जन्गीलाल - अरे भाभी आप ,
फिर जंगीलाल ने रज्जो को उपर से निचे देखते हुए अपनी थुक गटकते हुए हाथ जोड़ कर उसका स्वागत करते हुए उठ खड़ा हुआ - अरे भाभी जी नमस्ते आईये बैठीये

ये बोलकर जंगीलाल ने रागिनी और रज्जो को कुर्सियाँ दे दी बैठने के लिए

रागिनी - अरे देवर जी , परेशान क्यू है , हम अन्दर चले जाते है ना , आप ग्राहको को देखीये


अन्दर जाने की बात सुनते ही जन्गीलाल के कान खड़े हो गये और उसे ध्यान आया कि शालिनी अन्दर किन कपड़ो मे है , और अन्दर राहुल भी है ।

अगर इन्होने उसे ऐसे कपड़ो मे देख लिया तो ना जाने क्या क्या सोच लेंगी ।

जन्गीलाल ग्राहको को उनका समान थैली भरकर देता हुआ - अरे भाभी हो गया , आप तो मुझसे जरा भी बाते करना ही नही चाहती , सीधा निशा की मा के पास चली जाती है


रागिनी झेप कर हसती हुई - अच्छा बाबा यही हू कहिये

जंगीलाल - आप बस बैठीए मै राहुल को भेज कर ठंड़ा मगाता हू


रागिनी - अरे उसकी जरुरत नही है , हम लोग खाना खा के आये है

जन्गीलाल - अरे कैसे जरुरत नही है

" भाभी जी कितने दिनो बाद ह्मारे यहा आई है , खातिरदारि तो बनती है ना " , जन्गीलाल ने रज्जो की ओर इशारा करके कहा ।


फिर वो गैलरी मे मुह देके जोर से राहुल को आवाज दिया ।

वही राहुल ने जैसे ही अपने बाप की आवाज सुनी , मा बेटे ठिठक गये और दोनो झट से अलग हो गये ।

शालिनी हड़बड़ा कर - अह बेटा जा जल्दी से देख क्या बुला रहे है तेरे पापा

राहुल ने अपना लण्ड पैन्त मे भरा और उसको सेट करते हुए अपने शर्ट के बाजुओ से अपने चेहरे का पसिना पोछते हुए तेज कदमो से दुकान मे आ गया ।


जंगीलाल - बेटा जरा कल्लु के यहा दो थमसअप लेके आ तो


राहुल ने फिर अपनी बड़ी मा और उनकी दीदी को देखा तो झट से उन्के पैर छू कर नमस्ते किया और निकल गया


इधर जन्गीलाल जब तक दोनो के हाल चाल और तैयारियो के बारे मे बाते कर रहा था कि तभी राहुल ठंडा लेके आ भी गया ।

इधर राहुल ने दोनो को ठन्डा दिया और भितर जाने को हुआ कि जन्गीलाल ने राहुल को टोका

जन्गीलाल अपनी आंखे नचा कर हसने का दिखावा करता हुआ - अह बेटा वो तेरी मा को बता दे कि बड़ी मा और उनकी दिदी आई है


राहुल समझ गया और फटाक से किचन मे भागा और हाफते हुए - मम्मी मम्मी , वो बड़ी मम्मी और उनकी दीदी आई है , आप ये कपडा बदल लो जल्दी से ।


घर पर मेहमान आने का सुनते ही शालिनी की भी हालत खराब हुई वो तेजी से भागती हुई कमरे मे गयी और जल्दी से फुल नाइटी डाल कर वापस किचन मे आ गयी ।


इधर जब राहुल वापस कर गैलरी के पास से ही अपने पापा को इशारा किया कि काम हो गया तो जन्गीलाल ने चैन की सास ली और हस कर - अरे राहुल बेटा, अपनी बड़ी मम्मी को घर मे लेके जाओ , जाईये भाभी जी


फिर दोनो बहने बारी बारी से उठी और भितर जाने लगी ,

16-16-35-859-1000


उसी समय जन्गीलाल की निगाहे रज्जो के मादक भारी भरकम कूल्हो पर गयी और अनायास उसके मुह से ये शब्द फुट पड़े - उफ्फ़ क्या गाड़ है यार ।
flirting-staring
जिसे रज्जो की तेज कानो से सुन ही लिया और फौरन गरदन घुमा के जन्गीलाल की ओर मुह करके देखा तो जंगीलाल की फट गयी और अगले ही पल रज्जो मुस्कुराते हुए भितर चली गयी और जंगीलाल ने चैन की सास ली ।
इधर महिलाए भीतर गयी और राहुल चुपचाप बाहर आ गया । दुकान मे आते ही उसका सामना अपने पापा से हुआ , वो अभी भी थोडा शर्मा रहा था ।
वही जन्गीलाल ने अपने भोले बेटे से कन्फ़र्म करने के लिए पुछा- बेटा वो तेरी मा ने कपडे बदल लिए ना

राहुल नजरे नीची करके हल्का मुस्कुरा कर - जी पापा !

जन्गीलाल अपने बेटे की ऐसी प्रतिक्रिया से थोडा असहज हुआ और उसे लगा कि शायद उसका बेटा इतना भी नादान नही है । सब समझता है ।


जन्गीलाल - अच्छा सुन , ये बात किसी से कहना मत कि तेरी मा मे ऐसे कपडे पहने थे

राहुल हस कर - नही पापा क्या आप भी ,

फिर थोडी देर की चुप्पी रही और राहुल को पता नही क्या सुझा उसने पापा ऐसा सवाल किया कि जन्गीलाल की घिग्गी बध गयी ।

राहुल - पापा आपने इतना छोटा क्यू लिया मम्मी के लिए , ऐसा तो वो फिल्मो मे हीरोइन लोग पहनती है ना


जन्गीलाल ने कुछ देर चुप रहा और फिर हस कर - तेरी मा कौन सी हीरोइन से कम है हाअहहहा

राहुल भी शर्माकर मुस्कुरादिया और पुछ पड़ा - तो क्या आप मम्मी के और भी ऐसे ड्रेस लाते हो

जन्गीलाल - अह नही बेटा ये बस पहली बार था

राहुल - तो और अच्छे अच्छे कपडे लाओ ना मम्मी के लिए, देखो ना मम्मी घर मे कितना काम करती है ना कही घुमने जाती है बस ऐसे ही घर मे पड़ी रहती है ।


जन्गीलाल - हमम बेटा बात तो तेरी सही है लेकिन बेटा हमेशा तो तेरी मा को ऐसे कपडे नही ना पहना सकता ।

राहुल - क्यू ?
जन्गीलाल - अरे बेटा देखा ना आज कैसे मेहमान आ गये थे और फिर निशा भी तो रहती है ना ।

राहुल - तो क्यू ना रात मे मम्मी को पहनाया जाये , तब कोई नही होगा ना

जंगीलाल के जहन मे राहुल की बाते सुनकर एक अलग ही फैंटसी ने जनम ले लिया था , वो एक गहरी सोच मे घूम सा गया कि

क्या होगा जब उसकी बीवी अपने ही बेटे के सामने ब्रा पैंटी मे घुमेगी ?
और कितना मजा आयेगा जब मै मेरे बेटे के सामने ही उसकी मा को छेड़ने मे ?
और कही उसके सामने खड़ा करके चोद दू तो ?

आह्ह , ये सब सोच कर ही जन्गीलाल का लण्ड फौलादी हो गया था ।
इधर राहुल भी अपने बाप से ऐसे बाते करके मन ही मन कोरी कलपनाये बुन चुका था और उसका लण्ड सर उठाने लगा था ।


इधर थोडी देर बाद ही रागिनी और रज्जो दुकान मे वापस आ गयी ।

राहुल को अपने लण्ड का तनाव बर्दाश्त ना हुआ और वो उसको सेट करने अंदर चला गया ।

रागिनी - अच्छा देवर जी हम चलते नमस्कार ।

जंगीलाल को मजबुरन अपने जगह से उठना पड़ गया और हाथ जोड़ उन्हे विदा किया ।

पहले रागिनी जो दुकान से उतर चुकी थी और फिर रज्जो को नमस्ते करते हुए चोर नजरो से अपने चढ़ढे मे तने हुए लण्ड को निहारा कि अभी भी उभरा हुआ तो नही ना दिख रहा था ।

वही रज्जो ने जंगीलाल की हरकतो को देखा तो वो मुस्कुरा दी और विदा लेके निकल गयी ये सोचते हुए कि जन्गीलाल भी उसकी चुतडो का दीवाना हो गया और अगर किस्मत साथ दे गयी तो उसको अपनी बुर मे लेके मौका वो नही चूकेगी ।
वही जन्गीलाल थोडा शर्मीन्दा होकर अपना लण्ड सेट करके बैठ गया ।


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चौराहा वाले घर पर किचन का सारा काम निपटा कर सोनल और निशा घर के बाकी कमरो को सेट करने मे लगी थी


निशा गेस्ट रूम के बेड पर बिस्तर लगाने के बाद तकिया रखते हुए सोनल से बोली - दीदी क्यू ना कल जीजू को भी बुला ले ।


सोनल जो आलमारी के ड्रा साफ कर रही थी वो अचरज भरी नजरो से निशा को देखकर - तु पागल है क्या निशा , वो कैसे आयेगा ।


निशा - अरे दीदी कल पूजा होनी है तो जैसे बाकी मेहमान आयेंगे वो भी आ जायेंगे ।


सोनल निशा की बातो को सोचने लगती है और उसकी भी बेचैनी बढने लगती है क्योकि उसे अमन से मिले कितना समय हो गया था और फिर शादी से पहले मिलने का मौका कहा मिलता ।


सोनल बेचैन होकर निशा - लेकिन ये होगा कैसे , मतलब कौन बुलायेगा ।

निशा हस के - अरे राज है ना , वो बड़े पापा से बात कर लेगा

सोनल कुछ सोच कर - वो कुछ गलत ना सोचे

निशा सोनल की खिचाई करते हुए - ओहो देखो तो नवाबजादी के नखरे , सुबह शाम जिसका लण्ड लिये बिना चैन नही होता उससे कहने मे शर्म आ रही है


सोनल हस कर - अरे वो बात नही है , तु समझती नही है राज बहुत दुष्ट है मुझे बहुत तंग करता है अमन के नाम पर

निशा - ठिक है तो मै बोल दूँगी बस तुम जीजू को फोन करो ना
सोनल - अभी तो वो नहाने गया है ना , बोला है उसने

निशा भौहे चढा कर - आप कर रही हो या मै करु


इधर सोनल फोन लगाने को हो रही थी उधर अमन के कमरे मे उसकी मा उसके लिए कपडे निकाल रही थी

इसि दौरान अमन के मोबाइल की रिंग तेजी से बजनी शुरु हो गयी ,

अमन बाथरूम से फोन की रिंग सुन कर अपनी मा को आवाज देता है - मम्मी देखना जरा किसका फोन है

ममता बेड पर रखे हुए फोन पर की स्क्रिन को देखते हुए फोन हाथ मे ले लेती है और मोबाइल स्क्रीन पर my jaan नाम से काल आता देख मुस्कुरा देती है ।


इतने मे अमन की आवाज फिर से आती है - किसका है मा

ममता हस कर - ये कोई MY JAAN करके है , कौन है ये

अपनी मा के शब्द सुनते ही अमन हड़बड़ा कर - उठाना मत मम्मी मै आ रहा हू

और फिर अमन तेजी से अपने शरिर पर पानी डालते हुए फटाफट तौलिया लपेट कर भिगे जिस्म के साथ ही कमरे के बाहर आता है

लेकिन तबतक ममता फोन उठा चुकी थी और वही सोनल बिना कोई हैलो हाय किये सिधा फोन पर चुम्मीया देना शुरु कर देती और धीरे से बोलती है , आई मिस यू जान


अपनी बहु का रोमांटिक मूड समझ कर ममता की हसी छुट जाती है और वो अपने हसी को होठो से दबाते हुए फोन को अमन के हाथ थमाती है

अमन इशारे से अपनी मा को देख कर पुछता है कि क्या बोली वो ?
तो ममता मुस्कुरा कर अमन के गाल अपने पास करते हुए 7 8 चुम्मीये देते हुए धीरे से उसके कान मे बोली - आई मिस यू जान


फिर खिलखिलाहत भरी मुस्कान के साथ कमरे के बाहर चली गयी और अमन शर्म से भी भीग गया ।

फिर वो सोनल से बात करता है तो पता चलता है कि कल उसे आना है तो वो भी एक्साईटेड हो जाता है ।


फिर वो फोन काट कर वापस बाथरूम मे नहाने पहुच जाता है

नहाने के बाद अमन को बार बार अपनी मा की हरकते याद आने लगती है कि उसकी मा भी अब उसके मजे लेने लगी ।

इधर कुछ समय बाद राज जब चंदू के घर मे सारे बन्दोबसत कर लेता है तो अपने घर आ जाता है , उसे सोनल इंसिस्ट करती है वो पापा से बात करके कल के पूजा के लिए अमन और उसके परिवार वालो को बुलाये ।

राज इसके लिए मना नही करता है और वो अपने पापा से फोन पर बात करता है । तो रंगीलाल की बाहे भी खिल जाती है और उसे ममता से मिलने का एक बहाना भी मिल जाता है ।


जारी रहेगी ।
NICE BHAI ❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃😃
 

Gurdep

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लेखक की जुबानी

* राहुल के घर

दोपहर की योजना के बाद से जंगीलाल की बेताबी बढ गयी थी , शाम को ग्राहकी कम होते ही वो निकल गया बाज़ार की ओर और राज के यहा ना जाके एक दुसरि पहचान वाली दुकान से उसने एक मोर्डन ब्रा पैंटी सेट शलिनी के नाप के लिये और वापस आ गया ।

दुकान पर आते ही राहुल ने सवाल किया - कहा गये थे पापा , मम्मी आवाज दे रही है मुझे

जन्गीलाल ने खाली दुकान देख के मुस्कुराता हुआ - वो मै जरा तेरी मा के लिए कपडे लेने गया था


राहुल को थोडा झटका लगा
कि उसका बाप इतनी जल्दी कैसे राजी हो गया

राहुल भी उत्सुकता दिखाते हुए - क्या लाये हो पापा

जंगीलाल खुशी जाहिर करते हुए झोला खोल कर - वो जो हेरोइन लोग पहनती है ना विदेशो मे , क्या बोलते है उसको बिकनी


अपने बाप की हवस भरी हसी और कपडे के बारे मे सुन्कर राहुल का लण्ड ठुमकने लगा


राहुल कुछ बोलता इतने मे शालिनी की आवाज आई गलियारे से - बेटा तेरे पापा आये कि नही अभी

जन्गीलाल हड़बड़ा कर - हा हा आया ,

फिर वो मुस्कुराता हुआ घर मे चला जाता है ।

वही राहुल अपना लण्ड मसल कर आज की रात की कल्पनाओ मे खो जाता है ।


** राज के घर

शाम के 7:30 बजे वक़्त हो चला था और हाल मे सामानो का ढेर लगा हुआ था । पूजा की तैयारियो को लेके रागिनी की चिंता देखी जा सकती थी ऐसे मे राज कहा अपनी जिम्मेदारियो से भागने वाला था वो भी मा के साथ लग कर सारा सेट करने मे लगा हुआ था ।

सोनल और निशा किचन मे लगी हुई थी ।
रंगीलाल अभी तक दुकान से वापस नही लौटा था ।

हाल मे बस अनुज और रज्जो बैठे हुए थे ।
अनुज के अरमान रह रह के अपनी मौसी को देख कर उबाल खा रहे थे और वही रज्जो कनअखियो से अपने छोटे भतीजे के आंखो की गुस्ताखियाँ और उसके चेहरे की बेचैनी पढे जा रही थी ।

रज्जो उठती हुई - छोटी जरा मै उपर छत नहा के आती हू

रागिनी - छत पर क्यू दिदी , यहा तो है ना बाथरूम


रज्जो ने तिरछी नजरो से अनुज को देखा और मुस्कुरा कर बोली - अरे यहा गर्मी बहुत है थोडा खुली हवा मे टहल लूंगी आराम हो जायेगा


रागिनी मुस्कुरा कर - ठिक है दिदी जाओ

फिर रज्जो ने तिरछी निगाहो से अनुज को देखा और बहुत मादक अदा से अपने हसिन कूल्हो को थिरकाते हुए राज के कमरे मे गयी और वहा से थोडी देर बाद अपने कपडे लेके बाहर निकली ।


अनुज तो जैसे अपनी मौसी की राह ही देख रहा था और रज्जो ने भी ये मह्सूस किया ।

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फिर वो इतराते हुए अपने कुल्हे हिलाते हुए उपर जाने लगी और चार सीढि चढ़ते ही एक नजर पलट कर अनुज को देखा जो उसे ही निहारे जा रहा था ।

फिर मुस्कुरा कर छ्त पर चली गयी , अपनी मौसी का यू उसे रिझाना अनुज के तन बदन मे आग लगा चुका था , लण्ड पुरे शबाब पर था और उसने भी कुछ ही मिनटो मे अंगड़ाई लेते हुए उठा और उपर जाने लगा


रागिनी - कहा जा रहा है अनुज ,

अनुज हड़बड़ा कर - मम्मी कपडे बदल लू मै गर्मी हो रही है

रागिनी - ठिक लेकिन नहा ले तु भी फिर जा

अनुज अपनी मा की परमिशन पाते ही खुश हो गया और लपक कर छत पर भागा
तने लण्ड का सुपाडा उपर से मुठियाते हुए अनुज अपने कमरे से सिर्फ अंडरवियर मे कान्धे पर तौलिया लिये बाहर आया और तेज कदमो से जिने की ओर बढ़ गया ।

छत पर रज्जो अपने अनुभव के हिसाब से अपनी तैयारी शुरू कर चुकी थी
साडी ब्लाउज खोलकर सिर्फ ब्रा और पेतिकोट मे बैठी धुल रही थी ।

बाथरूम की रोशनी मे मौसी के चिकने कन्धे और नंगी पीठ देख कर अनुज का लण्ड ठुमका और वो धीरे धीरे तेज धडकते दिल के साथ बाथरूम के पास खड़ा होकर भितर झाकने लगा ।

निचे बैठी रज्जो की मोटी मोटी नरम हिलती चुचियो की घाटी अनुज को साफ दिख रही थी ।

रज्जो को जैसे ही भनक पड़ि की अनुज आ गया तो वो अंजान होकर गरदन घुमा कर अनुज को देखती है तो उसकी निगाहे अंडरवियर मे बने तम्बू पर जाती है ।

रज्जो मुस्कुराती हुई - अरे लल्ला तु यहा

अनुज - हा मौसी वो मुझे भी नहाना था

रज्जो वापस कपडे धुलती हुई - अच्छा रुक मै ये कपडे धुल लू फिर तू नहा लेना , फिर मै नहाउंगी

अनुज - नही आप नहा लो मै यही हू

रज्जो - हमम खुब समझ रही हू तेरी चालाकी मै , तुझे तो बस मुझे नहाते हुए देखना है


अनुज - न न नही मौसी मैने कब कहा

रज्जो कातिल मुस्कान के साथ गरदन घुमा कर उसके बगल मे खडे हुए अनुज के लन्ड़ की ओर इशारा करते हुर बोली - तो ये काहे सर उठाया है उम्म्ं

अनुज ने फौरन लपक कर अपना लण्ड पकड लिया और छिपते हुए - वो वो मौसी , बस ऐसे ही सुसु लगा है ना

ये बोल के अनुज लपक कर पाखाने मे घुस गया और लण्ड बाहर निकाल कर हाफने लगा

फिर वो गहरी गहरी सासे लेते हुए लण्ड के तनाव मे थोडी कमी ला पाया लेकिन अभी भी उसके लण्ड मे हल्का तनाव था ।

अनुज अपना लण्ड सेट करके बाहर आया तो देखा कि उसकी मौसी अरगन पर अपनी साडी फैला रही थी


रज्जो अनुज को देख कर उसके पास जाती हुई -हमम कर लिया सुसु

अनुज ने एक नजर अपने अंडरवियर पर मारा और अपने आधे सोये लण्ड को देख कर बहुत ही आत्मविश्वास से कहा - जी मौसी , देखो अब नही उठा है ये

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रज्जो उसके पास खड़ी होकर अपना हाथ बढ़ाते हुए सीधा अनुज का लण्ड थाम कर उसको अंडरवियर के उपर से टटोलने लगति है और अनुज अपनी मौसी की इस हरकत से सिसिक पड़ता है - आह्ह मौसी क्या कर रही हो ।

और देखते ही देखते अनुज का लण्ड वापस से आकार लेने लगता है

रज्जो - देख रही हू तु कितना झुठ बोलता है

अनुज कसमसा कर - ऊहह मौसी ऐसे करोगी तो वो बड़ा ही होगा ना उम्म्ंम उह्ह्ह


रज्जो की हथेली मे अब अनुज का लण्ड भरने लगा था और रज्जो के गले की प्यास भी बढने लगी ।


रज्जो - चल झुठा ये मेरे छूने से नही तु जो मेरे दूधो को घुर रहा है इसकी वजह से है , समझा

अनुज अपनी निगाहे अपनी मौसी की रसभरी गुदाज चुचो से हटाकर नजरे फेरता हुआ - आह्ह नही मौसी वो तो आप ऐसे ही खुला रखे तो नजर चली जा रही है बार बार

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रज्जो अनुज के आड़ो को मसलते हुए एक हाथ से अपने ब्रा की स्ट्रिप अपने कन्धे से सरकाती हुई - और अगर मै इन्हे पुरा खोल दू फिर तो तेरी नजर ही नही हटेगी ना ,,क्यू

ये बोलते हुए रज्जो ने अपनी ब्रा की एक तरफ की स्ट्रिप कन्धे से सरकाते हुए अपनी एक चुची को बाहर कर दिया

उसको देखते ही अनुज अकड़ गया और उसकी निगाहे अपनी मौसी की नंगी मोटी चुची के गहरे भूरे निप्प्ल पर अटक गयी जो रात की अन्धेरे मे बाथरूम की हल्की रोषनी मे और भी गहरे रंग मे दिख रहा था ।


मौसी के निप्प्ल का कड़कपन देख कर अनुज का लण्ड रज्जो की हथेली मे फडका और वो थुक गटकने लगा ।

उसकी जुबान ही नही रही हो जैसे वो बस रज्जो के रसिले चूचे निहार रहा था

रज्जो ने मौका देख कर एक कदम आगे बढाया और अपने चुचे अनुज के होठो के करीब ले गयी

अनुज ने जिज्ञासा वश नजरे उठा कर अपनी मौसी को देखा तो रज्जो हस कर - अब देख क्या रहा है , पी ना , यही चाहता था ना तू दोपहर मे उम्म्ं


अनुज अपनी मौसी की शरारती मुस्कान से शर्मा गया अपनी मौसी से चिपक कर हग कर लिया ।

रज्जो खिलखिला कर हसती हुई - अरे मेरे लल्ला को इतना पसंद था तो कह देता मै तो तुरंत खोल कर दे देती तुझे , ले पी मेरा बच्चा

फिर रज्जो अनुज के बालो को सहलाते हुए दुसरे हाथ से अपनी चुची पकड कर अनुज के होठो से स्पर्श कराती है और अनुज मुह खोलता हुआ लपक लेता है ।
रज्जो अनुज के सर को सहलाते हुए सिस्किया लेने लगती है और अनुज वैसे ही खड़े खड़े ही अपनी मौसी की चुची को मुह मे भर के चुबलाते हुए दुसरे हाथ दुसरी चुची को भी ब्रा के उपर से मसलने लगता है


रज्जो सिसक कर मुस्कुराती हुई - ऊहह उम्म बदमाश कही का , देखो तो दोनो ऐसे रगड़ रहा है जैसे रबर की गेंद

अनुज सर उठा कर - मौसी आपकी चुची ,अह मतलब दूध तो उससे भी नरम है

ये बोल कर अनुज खुद से ही रज्जो के ब्रा से दुसरी चुची खोल कर पीने लगता है और रज्जो सिस्क पड़ती है

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रज्जो - ऊहह शैतान , तुझे तो सब पता है उम्म्ं सब तु ही पियेगा , अपनी मौसी को कुछ नही देगा क्या लल्ला


अनुज अलग होते हुए रज्जो का हाथ पकड कर बाथरूम मे लेके घुस गया और दरवाजा बन्द करके अपना अंडरवियर निकालते हुए - लो मौसी आप भी पी लो

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रज्जो अनुज की हरकत पर मुस्कुराई और बाथरूम की फर्श पर घुटने के बल होती हुई अनुज का लण्ड थाम कर उसको मुठियाने लगी - तु बहुत शैतान है , कहा से सिखा रे ये सब ऊमम

अनुज अपनी मौसी के नरम हाथो का स्पर्श पाकर हवा मे उड़ने लगा और अगले ही पल रज्जो ने उसका सुपाडा मुह मे भर लिया ।

अनुज - ऊहह मौसी उम्म्ंम सीईई आह्ह औए चुसो उह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त चुस्ते हो अप उम्म्ंम मजा आ रहा है ओह्ह्ह


अनुज की सिसकिया रज्जो को उत्तेजित किये जा रही थी और वो ज्यादा से ज्यादा अनुज का लण्ड निगल रही थी

तभी अनुज ने अपने पैर उचकाये और चिल्ल्लाता हुआ - ओह्ह मौसी मै आ रहा हू ओह्ह्ह पी लो मेरा लण्ड ओह्ह मौसी पी लो , लोह्ह्ह पी लो आह्ह्ह मौसी


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ये बोलते हुर अनुज रज्जो के सर को पकड कर लण्ड झटकने लगा और रज्जो का मुह अनुज के गाढ़े वीर्य से भर गया

जिस्से रज्जो सुरक गयी और फिर अनुज के लंड को अच्छे से साफ करते हुए उठ गयी ।

वही अनुज दिवाल से लग कर हाफने लगा और रज्जो शौवर चालू करके नहाने लगी


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अनुज अपनी मौसी को पेतिकोट मे भीगता देख फिर से जोश मे आने लगा , रज्जो की गाड उस भिगे पेतिकोट मे साफ साफ दिखने लगी और धिरे से अनुज जाकर अपनी मौसी से पीछे से चिपक गया

रज्जो खिलखिला कर - आह्ह क्या तु भी , अभी मन नही भरा तेरा

अनुज अपने हाथ आगे ले जाकर अपनी मौसी की चुचिया मसलता हुआ लण्ड को उसकी गाड़ मे चुबोते हुए - उहू , इससे क्यू मन भरेगा ।



रज्जो कसमसाते हुए - ओहो लल्ला देर ना कर कोई आ जायेगा , चल जल्दी से नहा के निचे जाना है


अनुज अपना लण्ड रज्जो की गाड़ की दरारो मे गीले पेतिकोट के उपर से फसाने की कोसिस करता हुआ - लेकिन आपका नही हुआ ना मौसी

रज्जो कसमसा के - हा बेटा लेकिन देर हो जायेगी ना


अनुज अपनी मौसी के कुल्हे सहलाता हुआ - मै चाट दू मौसी उसको जल्दी हो जायेगा

रज्जो कसमसाइ - ऊहह बेटा जैसी तेरी मर्जी

ये बोलते ही अनुज फौरन निचे सरक गया और पेतिकोट उपर उठाने लगा तो रज्जो ने उसे उपर खिचकर उसकी मदद ही

अब अनुज के सामने उसकी मौसी की नंगी फैली हुई चरबीदार गाड़ थी और उसके भिगे हुए पाटे उह्ह्ह


अनुज ने अपने नथुनो से रज्जो के मोटे दरारो को सुघा और एक नशे मे मस्त हो गया ।
फिर उसने अपने दोनो हाथो से मौसी की फैली हुई गाड़ को थामते हुए उन्ही दरारो मे अपना नथुना रगड़ने लगा

रज्जो - ऊहह लल्ला वहा क्यू कर रहा हौ , इधर आगे आ ना

अनुज दोनो हाथो से अपनी मौसी के गाड के दोनो हिस्सो को फैलाकर दरारो को चौड़ा करते हुए अपनी मौसी की गाड़ की भरी छेद को देख के - मौसी मुझे आपकी गाड़ चाटनी है

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ये बोलते ही अनुज ने अपना मुह रज्जो की गाड़ मे दे दिया और जीभ निकाल कर उसके गाड़ के सुराख को कुरेदना शुरु कर दिया

जिससे रज्जो की तडप और बढ गयी वो अपनी गाड़ और फैलाते हुए अनुज का सर पकड़ कर अपनी गाड मे दबाने लगी

अनुज की गीली नुकीली जीभ ने रज्जो के गाड़ के साथ साथ चुत को भी कुलबुलाने लगी

नतीजा रज्जो ने अनुज का सर छोड कर अपनी चुत को मलना शुरु कर दिया और कुछ ही पलो मे वो अकड़ने लगी और सीधी होकर खड़े खडे ही झड़ने लगी

फिर वो भी हाफ्ती हुई निचे बैठ गयी
जब उसकी सासे बराबर हुई तो देखा कि अनुज सामने खड़ा हस रहा था

रज्जो - शैतान कही का , अभी हस रहा है , चल नहा ले जल्दी से

फिर दोनो नहा कर निचे चले गये ।


वही निचे हाल मे रन्गीलाल आ चुका था , उसने जब रज्जो को तरोताजा देखा तो उसके बुझे हुए अरमानो को थोड़ी राहत मिली

क्योकि आज ममता के साथ समय बिताने का मौका जो नही मिला था । घर पर मुरारीलाल खुद उपस्थित था तो मज्बुन उसको न्योता देके वापस आना पडा ।
जल्द ही सारे लोग खाना खा कर अपने अपने कमरे मे सोने के लिए चले और रात फिर रज्जो रागिनी राज और रंगीलाल की धमाकेदार पारी चली ।

*** अमन का घर

दोपहर के वाक़ये के बाद अमन अपनी मा से थोडा लजा कर रह रहा था और डिनर के लिए भी वो अपना खाना लेके कमरे मे चला गया ।

ममता समझ रही थी कि आज उसने कुछ ज्यादा ही कर दिया बेचारे को शर्म आ रही है ।
रात के करीब 10 बजे वो रोज की तरह आज भी केसर बादाम वाला दूध लेके कमरे मे गयी ।

कमरे मे आज अमन सतर्क था क्योकि बीते कुछ पल उसकी मा के साथ अनुभव कुछ ठिक नही थे ।
इसलिए उसने सोनल को रुक कर फोन करने को बोला था क्योकि वो जानता था कि उसकी मा दूध लेके जरुर आयेगी ।

ममता के खुले दरवाजे पर ठक-ठक किया औद मुस्कुराते हुए - अन्दर आ जाऊ हीरो उम्म

अमन अपनी मा के द्वारा टांग खिचे जाने से फिर से झेप गया और हसते हुए - क्या मम्मी आप भी ना , मजे ले रहे हो

ममता चल कर कमरे मे अमन के पास आती हुई - अरे भाई तु शादी से पहले ही चुम्मीया ले रहा है और दे रहा है और मै मजे भी ना लू , ये कौन सी बात हुई भाई ।

अमन हस कर - तो क्या आपको जलन हो रही क्या , मुझे मिल रही है और आपको नही , हाहहहहा

ममता तुनक कर - जलन तो होगी ही ना , बचपन से अब तक सारी चुम्मीया सिर्फ़ मुझे मिलती थी, यहा तक कि तेरे पापा को भी तु नही देता था और अब


अमन हसता हुआ - अब क्या ?

ममता ताना मारती हुई - अरे अब तो जवाँ जवाँ हीरोइन जैसी बीवी मिल रही है तो उसी को देगा भाई तु चुम्मीया , मुझ बुढ़ी को क्यू पूछेगा ।


अमन हस के अपनी मा को अपनी ओर घुमाता हुआ - किसने कह दिया कि मेरी मा बुढ़ी हो गयी है , आप तो साउथ फिल्मो की हीरोइन हो हिहिहिही

अमन ने अपनी मा के चेहरे को थामा और बारी बारी से दोनो गालो को चुमते हुए - लो आपको भी दिया , अब खुश

ममता मुह फेर कर इतराती हुई - उसको 8 और मुझे सिर्फ 2 हुउह

अमन हस के अपनी मा को पीछे से हग करगा हुआ - उसके बाये गाल पर चुम्मियो की बौछार कर देता
ममता खिलखिला के हस पडती है - हिहिहिहिही बस कर बाबा कितनी देगा


अमन - जितना उसको दूँगा उसे एक ज्यादा ही , क्योकि मै आपसे भी बहुत प्यार करता हू मम्मी आई लव यू

ममता हस कर - हम्म्म बड़ा प्यार आ रहा है अपनी मा पे , शादी के बाद देखती हू कितना प्यार लुटाता है मुझपे ।

अमन वापस से ममता के गालो पर एक जोर की पप्पी लेता हूआ- हा देखना शादी के बाद तो सोनल के सामने भी आपको प्यार दूँगा ऐसे उम्माह ऐसे उम्म्माअह उउमाअह ऐसे हिहिहिही


ममता अपने गाल पोछते हुए - बस के भाई , ये दूध पी और सो जा


अमन - ओके मम्मी गुड नाइट , लव यू

ममता खिलखिला कर - चल सो जा , बडा आया लव यू बोलने वाला हिहिहिही

"बीवी के सामने मुझे प्यार करेगा हिहिही पागल कही का " , ममता खुद से बड़बड़ाती हुई निचे चली गयी ।

**** राहुल के घर

रात का खाना तैयार हो चुका था , शाम से जंगीलाल राहुल को दुकान पर बिठाये शालिनी को तरह से मनाने मे लगा था ।

शलिनी भी दिल ही दिल मे ये मोमेंट अनुभव करना चाहती थी लेकिन एक हिचक सी हो रही थी उसको ।

लेकिन जंगीलाल ने आखिरकर अपने कामूक स्पर्षो से शालिनी को राजी कर ही लिया ।

फिर शालिनी उपर नहाने के लिए चली गयी ।

इधर जंगीलाल राहुल के साथ दुकान बढा कर फटाफट हाल मे आकर शालिनी के निचे आने का इन्तजार करने लगा ।

जंगीलाल ले दे राहुल को बस इतना ही कनविन्स कर रहा था कि उसकी मा उस ड्रेस मे हीरोइन लगेगी ।
लेकिन राहुल के हवस की भनक उसके बाप को ना थी ।
तभी जीने की सीढियो से पैरो की चाप की आहते आनी शुरु हो गयी

दोनो बाप बेटो का कलेजा कापने लगा और लण्ड अपने सर उठाने लगा ।

जल्द ही शालिनी शर्माहट भरी मुस्कान के साथ जीने की आखिरी सीढिया उतर रही थी और उसने अपना जिस्म एक तौलिये से लपेट कर ढक रखा था ।

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शालिनी के गोरे चिट्टे जिस्म की चमक ने दोनो बाप बेटो की कामुकता को आग ही लगा दी , दोनो साथ मे उठ खडे हुए और थुक गटकते हुए शालिनी के हसिन जिस्म को निहारने लगे ।


जारी रहेगी
NICE HOT UPDATE HA 💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍
 

Gurdep

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लेखक की जुबानी

* राहुल के घर

दोपहर की योजना के बाद से जंगीलाल की बेताबी बढ गयी थी , शाम को ग्राहकी कम होते ही वो निकल गया बाज़ार की ओर और राज के यहा ना जाके एक दुसरि पहचान वाली दुकान से उसने एक मोर्डन ब्रा पैंटी सेट शलिनी के नाप के लिये और वापस आ गया ।

दुकान पर आते ही राहुल ने सवाल किया - कहा गये थे पापा , मम्मी आवाज दे रही है मुझे

जन्गीलाल ने खाली दुकान देख के मुस्कुराता हुआ - वो मै जरा तेरी मा के लिए कपडे लेने गया था


राहुल को थोडा झटका लगा
कि उसका बाप इतनी जल्दी कैसे राजी हो गया

राहुल भी उत्सुकता दिखाते हुए - क्या लाये हो पापा

जंगीलाल खुशी जाहिर करते हुए झोला खोल कर - वो जो हेरोइन लोग पहनती है ना विदेशो मे , क्या बोलते है उसको बिकनी


अपने बाप की हवस भरी हसी और कपडे के बारे मे सुन्कर राहुल का लण्ड ठुमकने लगा


राहुल कुछ बोलता इतने मे शालिनी की आवाज आई गलियारे से - बेटा तेरे पापा आये कि नही अभी

जन्गीलाल हड़बड़ा कर - हा हा आया ,

फिर वो मुस्कुराता हुआ घर मे चला जाता है ।

वही राहुल अपना लण्ड मसल कर आज की रात की कल्पनाओ मे खो जाता है ।


** राज के घर

शाम के 7:30 बजे वक़्त हो चला था और हाल मे सामानो का ढेर लगा हुआ था । पूजा की तैयारियो को लेके रागिनी की चिंता देखी जा सकती थी ऐसे मे राज कहा अपनी जिम्मेदारियो से भागने वाला था वो भी मा के साथ लग कर सारा सेट करने मे लगा हुआ था ।

सोनल और निशा किचन मे लगी हुई थी ।
रंगीलाल अभी तक दुकान से वापस नही लौटा था ।

हाल मे बस अनुज और रज्जो बैठे हुए थे ।
अनुज के अरमान रह रह के अपनी मौसी को देख कर उबाल खा रहे थे और वही रज्जो कनअखियो से अपने छोटे भतीजे के आंखो की गुस्ताखियाँ और उसके चेहरे की बेचैनी पढे जा रही थी ।

रज्जो उठती हुई - छोटी जरा मै उपर छत नहा के आती हू

रागिनी - छत पर क्यू दिदी , यहा तो है ना बाथरूम


रज्जो ने तिरछी नजरो से अनुज को देखा और मुस्कुरा कर बोली - अरे यहा गर्मी बहुत है थोडा खुली हवा मे टहल लूंगी आराम हो जायेगा


रागिनी मुस्कुरा कर - ठिक है दिदी जाओ

फिर रज्जो ने तिरछी निगाहो से अनुज को देखा और बहुत मादक अदा से अपने हसिन कूल्हो को थिरकाते हुए राज के कमरे मे गयी और वहा से थोडी देर बाद अपने कपडे लेके बाहर निकली ।


अनुज तो जैसे अपनी मौसी की राह ही देख रहा था और रज्जो ने भी ये मह्सूस किया ।

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फिर वो इतराते हुए अपने कुल्हे हिलाते हुए उपर जाने लगी और चार सीढि चढ़ते ही एक नजर पलट कर अनुज को देखा जो उसे ही निहारे जा रहा था ।

फिर मुस्कुरा कर छ्त पर चली गयी , अपनी मौसी का यू उसे रिझाना अनुज के तन बदन मे आग लगा चुका था , लण्ड पुरे शबाब पर था और उसने भी कुछ ही मिनटो मे अंगड़ाई लेते हुए उठा और उपर जाने लगा


रागिनी - कहा जा रहा है अनुज ,

अनुज हड़बड़ा कर - मम्मी कपडे बदल लू मै गर्मी हो रही है

रागिनी - ठिक लेकिन नहा ले तु भी फिर जा

अनुज अपनी मा की परमिशन पाते ही खुश हो गया और लपक कर छत पर भागा
तने लण्ड का सुपाडा उपर से मुठियाते हुए अनुज अपने कमरे से सिर्फ अंडरवियर मे कान्धे पर तौलिया लिये बाहर आया और तेज कदमो से जिने की ओर बढ़ गया ।

छत पर रज्जो अपने अनुभव के हिसाब से अपनी तैयारी शुरू कर चुकी थी
साडी ब्लाउज खोलकर सिर्फ ब्रा और पेतिकोट मे बैठी धुल रही थी ।

बाथरूम की रोशनी मे मौसी के चिकने कन्धे और नंगी पीठ देख कर अनुज का लण्ड ठुमका और वो धीरे धीरे तेज धडकते दिल के साथ बाथरूम के पास खड़ा होकर भितर झाकने लगा ।

निचे बैठी रज्जो की मोटी मोटी नरम हिलती चुचियो की घाटी अनुज को साफ दिख रही थी ।

रज्जो को जैसे ही भनक पड़ि की अनुज आ गया तो वो अंजान होकर गरदन घुमा कर अनुज को देखती है तो उसकी निगाहे अंडरवियर मे बने तम्बू पर जाती है ।

रज्जो मुस्कुराती हुई - अरे लल्ला तु यहा

अनुज - हा मौसी वो मुझे भी नहाना था

रज्जो वापस कपडे धुलती हुई - अच्छा रुक मै ये कपडे धुल लू फिर तू नहा लेना , फिर मै नहाउंगी

अनुज - नही आप नहा लो मै यही हू

रज्जो - हमम खुब समझ रही हू तेरी चालाकी मै , तुझे तो बस मुझे नहाते हुए देखना है


अनुज - न न नही मौसी मैने कब कहा

रज्जो कातिल मुस्कान के साथ गरदन घुमा कर उसके बगल मे खडे हुए अनुज के लन्ड़ की ओर इशारा करते हुर बोली - तो ये काहे सर उठाया है उम्म्ं

अनुज ने फौरन लपक कर अपना लण्ड पकड लिया और छिपते हुए - वो वो मौसी , बस ऐसे ही सुसु लगा है ना

ये बोल के अनुज लपक कर पाखाने मे घुस गया और लण्ड बाहर निकाल कर हाफने लगा

फिर वो गहरी गहरी सासे लेते हुए लण्ड के तनाव मे थोडी कमी ला पाया लेकिन अभी भी उसके लण्ड मे हल्का तनाव था ।

अनुज अपना लण्ड सेट करके बाहर आया तो देखा कि उसकी मौसी अरगन पर अपनी साडी फैला रही थी


रज्जो अनुज को देख कर उसके पास जाती हुई -हमम कर लिया सुसु

अनुज ने एक नजर अपने अंडरवियर पर मारा और अपने आधे सोये लण्ड को देख कर बहुत ही आत्मविश्वास से कहा - जी मौसी , देखो अब नही उठा है ये

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रज्जो उसके पास खड़ी होकर अपना हाथ बढ़ाते हुए सीधा अनुज का लण्ड थाम कर उसको अंडरवियर के उपर से टटोलने लगति है और अनुज अपनी मौसी की इस हरकत से सिसिक पड़ता है - आह्ह मौसी क्या कर रही हो ।

और देखते ही देखते अनुज का लण्ड वापस से आकार लेने लगता है

रज्जो - देख रही हू तु कितना झुठ बोलता है

अनुज कसमसा कर - ऊहह मौसी ऐसे करोगी तो वो बड़ा ही होगा ना उम्म्ंम उह्ह्ह


रज्जो की हथेली मे अब अनुज का लण्ड भरने लगा था और रज्जो के गले की प्यास भी बढने लगी ।


रज्जो - चल झुठा ये मेरे छूने से नही तु जो मेरे दूधो को घुर रहा है इसकी वजह से है , समझा

अनुज अपनी निगाहे अपनी मौसी की रसभरी गुदाज चुचो से हटाकर नजरे फेरता हुआ - आह्ह नही मौसी वो तो आप ऐसे ही खुला रखे तो नजर चली जा रही है बार बार

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रज्जो अनुज के आड़ो को मसलते हुए एक हाथ से अपने ब्रा की स्ट्रिप अपने कन्धे से सरकाती हुई - और अगर मै इन्हे पुरा खोल दू फिर तो तेरी नजर ही नही हटेगी ना ,,क्यू

ये बोलते हुए रज्जो ने अपनी ब्रा की एक तरफ की स्ट्रिप कन्धे से सरकाते हुए अपनी एक चुची को बाहर कर दिया

उसको देखते ही अनुज अकड़ गया और उसकी निगाहे अपनी मौसी की नंगी मोटी चुची के गहरे भूरे निप्प्ल पर अटक गयी जो रात की अन्धेरे मे बाथरूम की हल्की रोषनी मे और भी गहरे रंग मे दिख रहा था ।


मौसी के निप्प्ल का कड़कपन देख कर अनुज का लण्ड रज्जो की हथेली मे फडका और वो थुक गटकने लगा ।

उसकी जुबान ही नही रही हो जैसे वो बस रज्जो के रसिले चूचे निहार रहा था

रज्जो ने मौका देख कर एक कदम आगे बढाया और अपने चुचे अनुज के होठो के करीब ले गयी

अनुज ने जिज्ञासा वश नजरे उठा कर अपनी मौसी को देखा तो रज्जो हस कर - अब देख क्या रहा है , पी ना , यही चाहता था ना तू दोपहर मे उम्म्ं


अनुज अपनी मौसी की शरारती मुस्कान से शर्मा गया अपनी मौसी से चिपक कर हग कर लिया ।

रज्जो खिलखिला कर हसती हुई - अरे मेरे लल्ला को इतना पसंद था तो कह देता मै तो तुरंत खोल कर दे देती तुझे , ले पी मेरा बच्चा

फिर रज्जो अनुज के बालो को सहलाते हुए दुसरे हाथ से अपनी चुची पकड कर अनुज के होठो से स्पर्श कराती है और अनुज मुह खोलता हुआ लपक लेता है ।
रज्जो अनुज के सर को सहलाते हुए सिस्किया लेने लगती है और अनुज वैसे ही खड़े खड़े ही अपनी मौसी की चुची को मुह मे भर के चुबलाते हुए दुसरे हाथ दुसरी चुची को भी ब्रा के उपर से मसलने लगता है


रज्जो सिसक कर मुस्कुराती हुई - ऊहह उम्म बदमाश कही का , देखो तो दोनो ऐसे रगड़ रहा है जैसे रबर की गेंद

अनुज सर उठा कर - मौसी आपकी चुची ,अह मतलब दूध तो उससे भी नरम है

ये बोल कर अनुज खुद से ही रज्जो के ब्रा से दुसरी चुची खोल कर पीने लगता है और रज्जो सिस्क पड़ती है

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रज्जो - ऊहह शैतान , तुझे तो सब पता है उम्म्ं सब तु ही पियेगा , अपनी मौसी को कुछ नही देगा क्या लल्ला


अनुज अलग होते हुए रज्जो का हाथ पकड कर बाथरूम मे लेके घुस गया और दरवाजा बन्द करके अपना अंडरवियर निकालते हुए - लो मौसी आप भी पी लो

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रज्जो अनुज की हरकत पर मुस्कुराई और बाथरूम की फर्श पर घुटने के बल होती हुई अनुज का लण्ड थाम कर उसको मुठियाने लगी - तु बहुत शैतान है , कहा से सिखा रे ये सब ऊमम

अनुज अपनी मौसी के नरम हाथो का स्पर्श पाकर हवा मे उड़ने लगा और अगले ही पल रज्जो ने उसका सुपाडा मुह मे भर लिया ।

अनुज - ऊहह मौसी उम्म्ंम सीईई आह्ह औए चुसो उह्ह्ह उम्म्ंम्ं क्या मस्त चुस्ते हो अप उम्म्ंम मजा आ रहा है ओह्ह्ह


अनुज की सिसकिया रज्जो को उत्तेजित किये जा रही थी और वो ज्यादा से ज्यादा अनुज का लण्ड निगल रही थी

तभी अनुज ने अपने पैर उचकाये और चिल्ल्लाता हुआ - ओह्ह मौसी मै आ रहा हू ओह्ह्ह पी लो मेरा लण्ड ओह्ह मौसी पी लो , लोह्ह्ह पी लो आह्ह्ह मौसी


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ये बोलते हुर अनुज रज्जो के सर को पकड कर लण्ड झटकने लगा और रज्जो का मुह अनुज के गाढ़े वीर्य से भर गया

जिस्से रज्जो सुरक गयी और फिर अनुज के लंड को अच्छे से साफ करते हुए उठ गयी ।

वही अनुज दिवाल से लग कर हाफने लगा और रज्जो शौवर चालू करके नहाने लगी


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अनुज अपनी मौसी को पेतिकोट मे भीगता देख फिर से जोश मे आने लगा , रज्जो की गाड उस भिगे पेतिकोट मे साफ साफ दिखने लगी और धिरे से अनुज जाकर अपनी मौसी से पीछे से चिपक गया

रज्जो खिलखिला कर - आह्ह क्या तु भी , अभी मन नही भरा तेरा

अनुज अपने हाथ आगे ले जाकर अपनी मौसी की चुचिया मसलता हुआ लण्ड को उसकी गाड़ मे चुबोते हुए - उहू , इससे क्यू मन भरेगा ।



रज्जो कसमसाते हुए - ओहो लल्ला देर ना कर कोई आ जायेगा , चल जल्दी से नहा के निचे जाना है


अनुज अपना लण्ड रज्जो की गाड़ की दरारो मे गीले पेतिकोट के उपर से फसाने की कोसिस करता हुआ - लेकिन आपका नही हुआ ना मौसी

रज्जो कसमसा के - हा बेटा लेकिन देर हो जायेगी ना


अनुज अपनी मौसी के कुल्हे सहलाता हुआ - मै चाट दू मौसी उसको जल्दी हो जायेगा

रज्जो कसमसाइ - ऊहह बेटा जैसी तेरी मर्जी

ये बोलते ही अनुज फौरन निचे सरक गया और पेतिकोट उपर उठाने लगा तो रज्जो ने उसे उपर खिचकर उसकी मदद ही

अब अनुज के सामने उसकी मौसी की नंगी फैली हुई चरबीदार गाड़ थी और उसके भिगे हुए पाटे उह्ह्ह


अनुज ने अपने नथुनो से रज्जो के मोटे दरारो को सुघा और एक नशे मे मस्त हो गया ।
फिर उसने अपने दोनो हाथो से मौसी की फैली हुई गाड़ को थामते हुए उन्ही दरारो मे अपना नथुना रगड़ने लगा

रज्जो - ऊहह लल्ला वहा क्यू कर रहा हौ , इधर आगे आ ना

अनुज दोनो हाथो से अपनी मौसी के गाड के दोनो हिस्सो को फैलाकर दरारो को चौड़ा करते हुए अपनी मौसी की गाड़ की भरी छेद को देख के - मौसी मुझे आपकी गाड़ चाटनी है

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ये बोलते ही अनुज ने अपना मुह रज्जो की गाड़ मे दे दिया और जीभ निकाल कर उसके गाड़ के सुराख को कुरेदना शुरु कर दिया

जिससे रज्जो की तडप और बढ गयी वो अपनी गाड़ और फैलाते हुए अनुज का सर पकड़ कर अपनी गाड मे दबाने लगी

अनुज की गीली नुकीली जीभ ने रज्जो के गाड़ के साथ साथ चुत को भी कुलबुलाने लगी

नतीजा रज्जो ने अनुज का सर छोड कर अपनी चुत को मलना शुरु कर दिया और कुछ ही पलो मे वो अकड़ने लगी और सीधी होकर खड़े खडे ही झड़ने लगी

फिर वो भी हाफ्ती हुई निचे बैठ गयी
जब उसकी सासे बराबर हुई तो देखा कि अनुज सामने खड़ा हस रहा था

रज्जो - शैतान कही का , अभी हस रहा है , चल नहा ले जल्दी से

फिर दोनो नहा कर निचे चले गये ।


वही निचे हाल मे रन्गीलाल आ चुका था , उसने जब रज्जो को तरोताजा देखा तो उसके बुझे हुए अरमानो को थोड़ी राहत मिली

क्योकि आज ममता के साथ समय बिताने का मौका जो नही मिला था । घर पर मुरारीलाल खुद उपस्थित था तो मज्बुन उसको न्योता देके वापस आना पडा ।
जल्द ही सारे लोग खाना खा कर अपने अपने कमरे मे सोने के लिए चले और रात फिर रज्जो रागिनी राज और रंगीलाल की धमाकेदार पारी चली ।

*** अमन का घर

दोपहर के वाक़ये के बाद अमन अपनी मा से थोडा लजा कर रह रहा था और डिनर के लिए भी वो अपना खाना लेके कमरे मे चला गया ।

ममता समझ रही थी कि आज उसने कुछ ज्यादा ही कर दिया बेचारे को शर्म आ रही है ।
रात के करीब 10 बजे वो रोज की तरह आज भी केसर बादाम वाला दूध लेके कमरे मे गयी ।

कमरे मे आज अमन सतर्क था क्योकि बीते कुछ पल उसकी मा के साथ अनुभव कुछ ठिक नही थे ।
इसलिए उसने सोनल को रुक कर फोन करने को बोला था क्योकि वो जानता था कि उसकी मा दूध लेके जरुर आयेगी ।

ममता के खुले दरवाजे पर ठक-ठक किया औद मुस्कुराते हुए - अन्दर आ जाऊ हीरो उम्म

अमन अपनी मा के द्वारा टांग खिचे जाने से फिर से झेप गया और हसते हुए - क्या मम्मी आप भी ना , मजे ले रहे हो

ममता चल कर कमरे मे अमन के पास आती हुई - अरे भाई तु शादी से पहले ही चुम्मीया ले रहा है और दे रहा है और मै मजे भी ना लू , ये कौन सी बात हुई भाई ।

अमन हस कर - तो क्या आपको जलन हो रही क्या , मुझे मिल रही है और आपको नही , हाहहहहा

ममता तुनक कर - जलन तो होगी ही ना , बचपन से अब तक सारी चुम्मीया सिर्फ़ मुझे मिलती थी, यहा तक कि तेरे पापा को भी तु नही देता था और अब


अमन हसता हुआ - अब क्या ?

ममता ताना मारती हुई - अरे अब तो जवाँ जवाँ हीरोइन जैसी बीवी मिल रही है तो उसी को देगा भाई तु चुम्मीया , मुझ बुढ़ी को क्यू पूछेगा ।


अमन हस के अपनी मा को अपनी ओर घुमाता हुआ - किसने कह दिया कि मेरी मा बुढ़ी हो गयी है , आप तो साउथ फिल्मो की हीरोइन हो हिहिहिही

अमन ने अपनी मा के चेहरे को थामा और बारी बारी से दोनो गालो को चुमते हुए - लो आपको भी दिया , अब खुश

ममता मुह फेर कर इतराती हुई - उसको 8 और मुझे सिर्फ 2 हुउह

अमन हस के अपनी मा को पीछे से हग करगा हुआ - उसके बाये गाल पर चुम्मियो की बौछार कर देता
ममता खिलखिला के हस पडती है - हिहिहिहिही बस कर बाबा कितनी देगा


अमन - जितना उसको दूँगा उसे एक ज्यादा ही , क्योकि मै आपसे भी बहुत प्यार करता हू मम्मी आई लव यू

ममता हस कर - हम्म्म बड़ा प्यार आ रहा है अपनी मा पे , शादी के बाद देखती हू कितना प्यार लुटाता है मुझपे ।

अमन वापस से ममता के गालो पर एक जोर की पप्पी लेता हूआ- हा देखना शादी के बाद तो सोनल के सामने भी आपको प्यार दूँगा ऐसे उम्माह ऐसे उम्म्माअह उउमाअह ऐसे हिहिहिही


ममता अपने गाल पोछते हुए - बस के भाई , ये दूध पी और सो जा


अमन - ओके मम्मी गुड नाइट , लव यू

ममता खिलखिला कर - चल सो जा , बडा आया लव यू बोलने वाला हिहिहिही

"बीवी के सामने मुझे प्यार करेगा हिहिही पागल कही का " , ममता खुद से बड़बड़ाती हुई निचे चली गयी ।

**** राहुल के घर

रात का खाना तैयार हो चुका था , शाम से जंगीलाल राहुल को दुकान पर बिठाये शालिनी को तरह से मनाने मे लगा था ।

शलिनी भी दिल ही दिल मे ये मोमेंट अनुभव करना चाहती थी लेकिन एक हिचक सी हो रही थी उसको ।

लेकिन जंगीलाल ने आखिरकर अपने कामूक स्पर्षो से शालिनी को राजी कर ही लिया ।

फिर शालिनी उपर नहाने के लिए चली गयी ।

इधर जंगीलाल राहुल के साथ दुकान बढा कर फटाफट हाल मे आकर शालिनी के निचे आने का इन्तजार करने लगा ।

जंगीलाल ले दे राहुल को बस इतना ही कनविन्स कर रहा था कि उसकी मा उस ड्रेस मे हीरोइन लगेगी ।
लेकिन राहुल के हवस की भनक उसके बाप को ना थी ।
तभी जीने की सीढियो से पैरो की चाप की आहते आनी शुरु हो गयी

दोनो बाप बेटो का कलेजा कापने लगा और लण्ड अपने सर उठाने लगा ।

जल्द ही शालिनी शर्माहट भरी मुस्कान के साथ जीने की आखिरी सीढिया उतर रही थी और उसने अपना जिस्म एक तौलिये से लपेट कर ढक रखा था ।

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शालिनी के गोरे चिट्टे जिस्म की चमक ने दोनो बाप बेटो की कामुकता को आग ही लगा दी , दोनो साथ मे उठ खडे हुए और थुक गटकते हुए शालिनी के हसिन जिस्म को निहारने लगे ।


जारी रहेगी
NICE HOT UPDATE HA 💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💪💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓💓❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤❤🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🤩🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻✍️🏻👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽👌🏽😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😙😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😘😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍😍
 

Sanju@

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UPDATE 173


लेखक की जुबानी

रात तो बीत गयी लेकिन चढ़ती सुबह और अंगड़ाई लेती कमर ने सबसे पहले अनुज को जगाया ।

अपने पावो को फैलाते हुए एक जम्हाई के साथ बड़ा सा मुह खोलते हुए पुरे जिस्म की नसो के साथ साथ लण्ड की नसो को भी स्ट्रेच करते हुए अनुज ने उठ कर बैठ गया ।

कुछ पल का धुन्धलापन रहा और वो आंख मिजते हुए गरदन घुमा कर दिवाल घड़ी पर नजर घुमाया तो सुबह 6 बज रहे थे ।

एक और उबासी से बड़ा सा मुह फैलाते हुए उठ खड़ा हुआ और आगे बढते हुए अपना तना हुआ लण्ड अंडरवियर मे हाथ डाल कर पकडते हुए उसको उपर लास्टीक मे दबा दिया , ताकी कही कमरे से बाहर निकलने पर दीदी या घर की कोई अन्य सद्स्य से ऐसे ही तने तम्बू मे सामना ना हो जाये ।

ज्महाई लेते और अपनी नसे खोलता हुआ अनुज जीने से होकर उपर छत पर जाने लगा ,

लेकिन आज जीने का दरवाजा उसे ही खोलना पड़ा जिससे उसे भनक पड़ गयी कि अभी घर मे उसके सिवा कोई नही जगा है । यहा तक कि उसकी सोनल दीदी भी नही , जो कि वो घर मे सबसे पहले उठने की आदी थी ।


दरवाजा खोल कर अनुज ने अधखुली आंखो से लालिमा भरे सूरज को देखा और हलके हल्के रोशनी अपनी पूरी आंख फैलाई कि सामने अरगन पर उसके मौसी की लहराती ब्रा पैंटी पर नजर गयी और बीती रात की सारी दासता उसके सामने आ गयी ।


पुरा लण्ड झटके भर मे फौलादी हो गया , इतना कि सुपाडे ने लास्टीक फैला कर बाहर की झाकने लगा था ।
एक गहरी आह भरते हुए अनुज ने अपने लण्ड के कुनमुनाते मुहाने को दबाया और पाखाने मे घुस गया ।

गाड़ से सरकती टट्टी और टुल्लू से बालटी मे पानी भरने की आवाज को अनदेखा करके अनुज अपनी रज्जो मौसी के ख्यालो मे गुम था ।

लण्ड अरमान सजोते सजोते उसकी आन्ते खाली हो चुकी थी , चुतड पर लगा मल सुखने लगा था और करीब 20 मिन्ट से भी अधिक का समय बीत गया था ।

मगर मजाल है लण्ड की कसावट और अनुज के सपनो की उड़ान मे कोई गिरावट दर्ज हो पाती , लेकिन तभी किसी ने दरवाजा पीटा

और अनुज हड़बड़ाया , तुरन्त अपना पिछवाडा चमकाकर अपना कच्छा चढाते हुए बाहर निकला ।

सामने उसकी सोनल दिदी खड़ी थी ।


सोनल हस्ती हुई - कितने दिन से रोक के रखा था जो इतना टाईम लगा रहा था

अनुज स्वभाव से ही शर्मिला था और अपनी दीदी से बहुत ही लजाता था । सोनल भी इस बात का बखूबी फायदा लेती थी और अपने छोटे भाई को थोडा बहुत छेड़ती ही रहती ।


मुस्कुराकर अनुज बाहर लगे बेसिन पर हाथ धुलने लगा और सोनल पाखाने घुस गयी ।

अनुज ने अपना ब्रश निकाला और घुमाने लगा और फिर बाथरूम मे जाकर नहाने के लिए दरवाजा बन्द कर दिया ।

दरवाजा बन्द होते ही बाथरूम की अरगन पर उसे उसकी सोनल दीदी के कपडे टंगे मिले जिन्हे लेकर वो उपर नहाने के लिए आई थी ।


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तौलिया लोवर टीशर्त छोड कर अनुज का ध्यान उसकी दीदी की ब्लैक ब्रा और लाल पैंटी सेट ने खींचा ।

जो एकदम कोरी थी , शायद एक भी बार ना पहनी गयी हो ऐसा अनुज को लगा ।

एतना अच्छा आया मौका अनुज कैसे जाने देता , और उसने वो मखमाली अह्सास अपने हाथो मे भरते हुए अपने नथुनो को उन्के करीब ले गया ।


ताजा नयू रेडीमेट पैंटी मे भी अनुज ने अपनी बहन के चुत की गन्ध तालाशने लगा और अपना मुसल सहलाते हुए सिस्क पड़ा ।


तभी बाहर से सोनल की आवाज आई कि जलदी से नहा कर वो बाहर आये ,

बहन की आवाज सुन्कर अनुज हड़बड़ाया और पैंटी छोड कर नहाने बैठ गया और फटाफट नहाते हुए बाहर निकल गया ।
निचे कमरे मे आकर उसने अपने कपडे पहने और दरवाजा बन्द करके कुछ पुरानी सेक्स कहानीया खोलने जिसमे रिशतेदारों से चुदाई के तरीके बताये थे ।

इधर अनुज अपनी तैयारी मे लगा रहा और 8बजे के करीब वो अपना मुसल शान्त कर निचे हाल मे आया ।

किचन मे सोनल और निशा नाश्ता बनाने मे लगी थी ।

उसके पापा रंगीलाल और राज हाल मे बैठे आज की तैयारियो के बारे मे बाते कर रहे थे ।

लेकिन अनुज की निगाहे तो बस उसकी मौसी को खोज रही थी ।
तभी राज के कमरे से रज्जो अपने बालो को मे तौलिया लपेटे एक काटन मैकसी मे बाहर आई

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तरोताजा जिस्म और शैम्पू की भीनी खुस्बु हाल मे फैल गयी ।
रज्जो ने अपने सीने पर कोई दुपट्टा नही ले रखा था ।

रज्जो ने आते ही पहले रंगीलाल को देखा और मुस्कुराई , जिसे देख कर अनुज को अजीब सा लगा और कल रात वाली बहस याद आने लगी ।फिर उसके लण्ड ने सर उठाना शुरु कर दिया ।


"अरे जीजी आईये बैठीये" , अनुज के बाप ने उसकी मौसी को अपने पास मे बैठने का न्योता दिया ।

रज्जो अनुज के सामने से इथलाती हुई अपनी बड़ी सी गाड़ ठिक उसके मुह के सामने से हिलाते हुए आगे गयी और उसके पापा के पास अपनी चर्बीदार गाड़ फैला कर बैठ गयी ।
इधर उनका हाल चाल और बाते चल रही थी कि अनुज का मन हुआ वो भी अपनी मौसी के करीब बैठे , लेकिन कैसे कुछ बात तो हो


तभी अनुज का दिमाग ठनका और वो उठ कर अपनी मौसी के पास बैठते बहुत ही बेफिक्रे ढंग से उनका बाजू थामते हुए - मौसी आप अकेले क्यू आ गयी , भाभी को क्यू नही लाई ?


अनुज के इस सवाल पर उसके भैया ने भी साथ दिया ।

राज - हा मौसी आप अकेले क्यू ?

रज्जो - अरे बहु अगर आ जाती तो वहा बाप पेटो की भूख कौन शान्त करता , उन्हे बनाता खिलात कौन


अनुज रज्जो के बाहो मे हाथ घुसा कर उल्टे पंजे से अपनी मौसी की गुदाज चुचियो को मैक्सि के उपर से छुते हुए उसके चर्बीदार कन्घे पर अपना सर लगाकर - अरे तो सारे लोग चले आते ना


रज्जो हस कर अपना कन्धा उचकाकर - हमम हम्म्म जैसे तुम लोग बड़ा आ गये थे एक साथ घर छोड कर


अब अनुज के पास दाँत दिखा कर हसने के अलावा कोई उपाय नही था और वो मन ही मन खुश था कि उसको थोड़ी कामयाबी तो हाथ लगी , उल्टे हाथ ही सही लेकिन उसने मौसी के मोटी नरम चुचियो के स्पर्श तो पा लिये ।


कुछ देर तक ऐसी ही बाते चलती रही और अनुज नास्ते तक अपनी मौसी की चर्बीदार कूल्हो के स्पर्श के साथ साथ हौले हौले से रज्जो की चुची को उल्टे हाथ से घिसता रहा ।


रज्जो को पहले तो ये सब सामान्य लगा लेकिन जब बातो ही बातो मे अनुज ने उंगलियाँ भी फिरानी शुरु कर दी तो रज्जो समझ गयी कि उसके लाडके भतीजे को उसकी चुचियो की नरमी भा गयी और बिना कोई प्रतिक्रिया के चुपचाप मुस्कुराकर उस पल के मजे लेने लगी ।



राज की जुबानी

सुबह के नास्ते के बाद सारे लोग अपने अपने कामो मे लग गये ।

मेरे उपर काम का बोझ बढ़ गया ।
कारण था कल से घर मे 24 घन्टे का अखंड पाठ होना था , जिसकी मनती मा ने पहले ही ले रखी थी । जब गृह प्रवेश होना था ।

समानो की लिस्ट से लेके आने वाले मेहमानो की व्यव्स्था भी देखनी थी ।
फिर उसके अगले दिन भोज भी होना था जिसमे क्षेत्र ज्वार के 400-500 लोग खाने आने वाले थे ।


खैर फ़ुरसत के पल तो अब शायद ही मुझे मिल पाते लेकिन मैने मेरे पापा से सिख रखा था ।
कि कोई भी काम बोझ समझ कर नही उनमे छिपी मस्तीयो को खोज कर करो , फिर काम काम नही खेल लगेगा ।

फिर क्या था , मैने मम्मी से पर्ची ली और निकल गया ।

सबसे पहले मैने किराने के समान के लिए लिस्ट वहा नोट करवाइ और उहे घर पहचाने को बोल दिया
फिर पंसारी के यहा से पूजा की सामाग्री ली ।
और इतनी भागा दौडी मे मुझे 11 बज गये ।

फिर अगला काम था मेरे बाजार वाले घर की गली मे , एक चाचा के यहा से कुछ कपडे लेने था दुसरा मुझे चंदू से मिलना था क्योकि मुझे उसके घर में मेहमानो के लिए व्यव्स्था करनी थी । जिसमे मेहनत बहुत होनी थी ।


इस लिए मैने सोचा क्यू ना पहले चंदू की थोडी खोज खबर लू फिर चाचा के यहा ज्यादा समय नही लगेगा ।


फिर मै बिना कोई देरी के मस्त होकर उसके घर मे घुसा , ना कोई आवाज ना ठकठक

सरपट जीने की सीढिया फांदता उपर हाल मे आ गया ।

गरदन घुमाया तो कोई नजर नही आया और रजनी दिदी का कमरा अन्दर से बन्द था ।

मै समझ गया कि मा बेटे अपने धुन मे ताल से ताल मिला रहे होगे

समय तो था नही लेकिन हवस ने मेरे लण्ड की बेताबी बढा दी , सोचा क्यू ना एक बार दरवाजा खोला जाये

जैसे ही मै दरवाजे के करीब पहुंच कर उसका हैंडल पकदता कि पीछे से आकर चंपा ने मेरे हाथ रोक लिये


मै चौक कर देखा तो वो खड़ी मुस्करा रही थी

चंपा ने ना मे गरदन हिलाती हुई - उहु , पापा है अन्दर

पापा शब्द सुनकर मेरे कान खडे हो गये और सामने चंपा खिलखिला रही थी ।

मै दबी आवाज मे - चंदू कहा है ?

चंपा मुस्कुरा कर इठलाती हुई - वो तो बाबूसाहब के यहा है

मैने चम्पा के व्य्व्हार को नोटिस किया और फिर उस्के कपडो पर नजर मारी तो वो समान्य दिनो जैसे ही कप्डे मे थी टीशर्त और स्कर्ट मे ।

मै समझ रहा था कि अगर मै उससे कुछ कहू तो वो बिल्कुल भी मना नही करेगी लेकिन कम्बख्त मुझे समय ही कहा था ।


मै हस कर - वो कब आयेगा
चंपा - जब पापा जायेंगे अभी तब

मै - उससे बात करनी थी जरा काम था
तभी चंपा ने मुस्कुराई और अपने गाड़ उछालते हुए अपने कमरे मे गयी ।

उसकी हिलती हुई गाड़ देख कर आखिर मेरा मन डोल ही गया और मैने कस कर अपने लण्ड को भींच उसके कमरे मे लपक गया

मेरे आने का अह्सास चंपा को हुआ तो वो भी मेरी ओर पलटी

फिर क्या अगले ही मेरे होठ उसके होठो से लिपट गये और मेरे हाथ उसके चर्बीदार गाड़ को भर भर के स्कर्ट के उपर से मसलने लगे ।

वो जोरो से मेरे होठ को चुस रही थी और मैने उसकी गाड मसलकर महसुस की उसके आज पैंटी नही पहन रखी है , फिर क्या

मैने उसका स्कर्ट उठाने मे देरी नही की और उसके नंगी गाड़ की हाथो मे लेके फैलाने लगा ।

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कितने दिनो बाद ये मौका आया था कि चम्पा की चर्बीदार गाड मेरे हाथ मे थी ।

हाथो मे भरके मसलने के बाद ही कुछ ही देर मे मुझे अपने काम की सुझी और मेरा होश वापस आया ।

अगले ही पल मै चम्पा से अलग हो गया ।

चंपा उखड़ कर इशारे पुछने लगी कि क्या हुआ ?
मैने उसकी कमर मे हाथ डाल कर उसको वापस से अपनी ओर खिंच कर उसके होठ चुमते हुए - सॉरी मेरी जान, यहा मै रिस्क नही ले सकता । समझ रही हो ना तुम

मेरा इशारा चंपा के मम्मी पापा की ओर था

चंपा - तो निचे चलते है ना

मै - समझो ना मेरी जान, मुझे काम भी तो बहुत है और दीदी की शादी मे टाईम नही मिल पा रहा है । सॉरी

चंपा मुस्कुराई - कोई बात नही ।

मै - तो बताओगी उस कमीने से बात कैसे होगी

चंपा ने हाथ मे अपना मोबाइल लिया और एक नम्बर डायल किया ,

तभी सामने से किसी ने कॉल उठाया

चंपा - हा मालती , वो जरा चंदू से बात करवाना

चंपा की बात सुनकर मेरी आंखे फैल गयी और अगले ही पल मालती की आवाज आई - हम्म्म लो बात करो दिदी है ।

मेरी हालत और खराब हो गयी कि मालती चंदू के पास कैसे ?

तभी चंदू की आवाज आई - हा दिदी बोलो

चंपा - लो राज बात करेगा तुमसे

मै - हा कहा है तु कमीने
चण्दू हस कर - तेरी भाभी की बाहो मे हिहिहिही
तभी मुझे मालती और चंदू की खिलखिलाहट भरी फुसफुसाहट आई

मै समझ गया कि इसने मालती को पटा ही लिया ।
मै हस के - अरे यार वो तेरे चौराहे वाले घर मे मेहमानो के लिए व्यवथा करनी है तु कब फ्री होगा ।


चंदू - बस पापा को आने दे फिर मै आ जाता हू

मै - ठिक है 1बजे तक आ उस वाले घर पर

चंदू - ठिक है ।

फिर फोन कट गया और मैने चंपा से विदाई मागी

वो मुस्कुरा एक और गहरा चुम्बन करके मुझे निचे तक छोडने आई और आखिर मे मैने वाप्स से एक बार उसके चुतडो को हथेली मे भरके दबोचा और निकल गया चाचा के यहा ।


लेखक की जुबानी


तैयारियाँ तो सब ओर हो रही थी और इन्ही तैयारियो के बीच राहुल की मा शालिनी ने भी अपनी खास तैयार कर रखी थी ।

सुबह नास्ते के बाद उसने अपने बेटे और पति दोनो को सरप्राइज देने के लिए वही छोटी वाली नाइटी पहनी जिसमे देखने की आस दोनो बाप बेटो को थी ।

लेकिन मौका पहले जन्गीलाल को ही मिला घड़ी मे सवा ग्यारह बज चुके थे और घर के हाल मे जन्गीलाल शालिनी को आगे झुकाये हुए ताबड़तोड़ चोदे जा रहा था और वही राहुल इनसब से बेफिकर होकर दुकान पर बैठा हुआ ग्राहक से डील कर रहा था ।


ऐन मौके पर राज दुकान पर आ पहुचता है ।

राहुल उसे देख कर नम्स्ते करता हुआ बैठने के लिए बोलता है ।

राज - चाचा कहा है राहुल ?

राहुल मुस्कुरा कर - भैया वो अन्दर है , क्या हुआ

राज - ठिक है मै मिल लेता हुआ ,

इतने मे उठ कर भीतर जाने को होता कि राहुल के दिमाग की घंटी बज उठती है क्योकि वो भली भाति जान रहा था कि इन दिनो निशा के ना रहने के कारण घर का माहौल क्या है और कही उसका बाप हाल मे ही उसकी मा के मुह मे लण्ड पेल रहा हो ।


राहुल हिच्ककर खड़ा हुआ - अह रुको भैया वो सो रहे होगे मै जगा के लाता हू

और राज इससे पहले कुछ प्रतिक्रिया दिखाता उससे पहले ही राहुल लपक के गैलरी से भीतर चला गया । राज को थोडा अजीब तो लगा लेकिन उसने राहुल पर ध्यान ना देते हुए समान की लिस्ट पढने लगा ।

इधर मुहाने पर जाते ही राहुल ने सामने का नजारा देखा तो हैरान हो गया उसका बाप उसकी मा को झुकाये हुए उसकी गाड़ मे खुब हच्क ह्च्क के लण्ड दे रहा था ,


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उसकी मा उस गुलाबी नाइटी मे सामने झुकी हुई झटके खा रही थी और आखिर कुछ झट्को के साथ उसके बाप ने उसकी मा को ऐसे ढकेला जैसे किसी रोड छाप रन्डी को चोद कर छोड देते है तड़पने के लिए


वही उसकी मा फर्श पर औंधे मुह झुके हुए हाफते हुए मुस्कुरा रही थी और उस्का बाप सोफे पर बैठा हाफ रहा था ।

जन्गीलाल - ऊहह जान मजा ही ला लिया तुमने तोह , एकदम रन्डी है तू

शालिनी हाफते हुए जन्गीलल के पाव के पास बैठ कर - अभी आपने देखा ही कहा है अपनी जान का रंडीपना , और देखना है उम्म

जन्गीलाल हाफ कर - क्यू नही मेरी रन्डी आ एक बार और हो जाये , देख लण्ड तो तैयार ही है
और अगले ही पल शालिनी ने जंगीलाल के लण्ड को पकड कर चुसना शुरु कर दिया ।

वही राहुल का ये सब देख कर हालत खराब हो गया और उसे समझ नही आ रहा था कि वो क्या करे ।

इस लिये वो थोडा पीछे हुआ और अपने पापा को आवाज देने लगा

राहुल की आवाज सुनते ही जन्गीलाल उठ खड़ा हुआ - जान उठो उठो , तुम जल्दी से छिप जाओ ये कपडे बदल लो


शालिनी हस कर - ओहो आप भी ना अपना ही बेटा है उस्से क्या शर्माना

ये बोलकर शालिनी ने अपनी नाइटी सही की और सोफे के पास खड़ी हो गयी ।

इधर जन्गीलाल ने भी लण्ड को चढ़ढे मे घुसा दिया और बनियान पहन लिया

राहुल हाल मे आता हुआ - पापा वो राज भैया आये है , आपसे मिलने


फिर राहुल अपने पा पा के सामने ही अपनी मा को उस नाइटी मे देखता है जिसमे उसकी मा की चिकनी जान्घे साफ साफ दिख रही थी ।

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राहुल समझ रहा था कि उसकी मा को फर्क नही पड रहा है लेकिन वो अपने बाप से थोडा असहज हो रहा था इसिलिए उसने इस माहौल को मजाक का रूप देते हुए हस कर बोला


राहुल - हिहिहिही कया मम्मी , निशा दिदी के बचपन वाली फ्रॉक क्यू पहनी हो आप


राहुल ही मासूमियत भरी बात सुनकर दोनो मिया बीवी हस दीये खास कर जंगीलाल , उसे और खुशी हुई कि उसके बेटे को ये सब अजीब नही लगा

इतने मे शालिनी बोल पड़ी- देखा मै ना कहती थी कि ये छोटा हुउह


जन्गीलाल अपनी बीवी का तुनकना रास आया और वो हस कर - अच्चा बाबा अगली बार बड़ा लाउन्गा तब तक यही पहनो


राहुल ने भी मौके का फाय्दा लेकर बोला - हिहिहिही हा मम्मी यही पहनो आप छोटी बच्ची जैसे दिख रहे हो हहह्शा

शालिनी - चुप कर बदमाश

जंगीलल - ठिक ही तो कह रहा वो , मेरी गुड़िया हिहिहिही

शालिनी तुनक कर - अच्छा गुड़िया के गुड्डा जी अब जाईये देखीये राज को क्या काम है ।


अपनी मा की बात सुनकर राहुल खिलखिला कर हस दिया और जन्गीलाल भी हस्कर उठते हुए राहुल से बोला - चल बेटा निकल ले , ये गुड़िया काटने वाली है ।

फिर दोनो बाप बेटे हस्ते हुए बाहर आ गये ।

इधर राज ने अपने चाचा से सारे कपडे लिये और बिल लेके घर के लिए निकल गया ।


जारी रहेगी
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है
 
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UPDATE 174 (A)

लेखक की जुबानी

दोपहर के डेढ़ बजने को थे , चुकि राज चंदू के साथ उसके घर की साफ सफाई मे लगा हुआ था तो अनुज और उसके पापा के लिए खाना लेके राज की मा निकलने को हुई ।


अब ऐसे मे रज्जो अकेले क्या करती तो वो भी रागिनी के साथ निकल गयी मार्केट वाले घर के लिए ।

इधर अनुज दुकान में बैठा था , दोपहर के समय ग्राहकी कम थी और उसके बेचैनी भूख ने बढा दी थी ।

कुछ ही देर मे दुकान पर उसके मा के साथ उसकी मौसी ने दस्तक दी ।

खाने के टिफ़िन के साथ अपनी मौसी को देख अनुज का चेहरा चमक उठा ।

अनुज - क्या मा कित्ने देर से आ रहे हो , कबसे भूख लगी

रागिनी - अरे बेटा वो तेरा भैया समान लाया था वही देख रही थी उसी मे देर हो गई, ले तु खा ले । मै तेरे पापा को खाना देके आती हू


अनुज - अरे आप दुकान पर बैठोगे तब न खाऊंगा

रज्जो मुस्कुरा कर - अरे लल्ला तु खा मै हू ना , जा छोटी तु खाना देके आ ।


अनुज अपनी मौसी की बात सुनकर बहुत खुश हुआ और सोचा क्यू ना जल्दी जल्दी खा कर मौसी के साथ कुछ टाईम बिताया जाये ।

इधर अनुज अन्दर के कमरे मे खाने चला गया और रज्जो दुकान मे बैठ कर ऐसे ही समान देखने लगी ।

अनुज फटाफट 10 मिंट मे खा कर बाहर आ गया ।

उसने देखा कि उसकी मौसी लिपस्टिक वाला बॉक्स खोल कर देख रही थी ।

अनुज हौले से अपनी मौसी के पास गया , उसने अपने मौसी के जिस्म से आती भीनी भीनी परफ्युम की खुस्बु ली और एक गहरी सास लेते हुए बोला - क्या देख रहे हो मौसी ?

अनुज के अचानक से बोलने से रज्जो चौकी फिर हस्ते हुए - अरे तु खा चुका

अनुज - हा वो भूख ज्यादा लगी थी ना , आप क्या खोज रहे हो

रज्जो लिपस्टिक का बॉक्स बन्द करके उसको उसकी जगह पर रखते हुए - वो मै बस ऐसे ही देख रही थी कि तेरी दुकान मे मेरे मतलब का कुछ है भी या नही ।


अनुज चहक कर - आप बोलो तो आपको क्या चाहिये , मेरे यहा तो सारे लेडिज समान मिलते है ।

रज्जो मुस्कुरा कर - सारे सामान मिलते है ।

अनुज - हा !

रज्जो कुछ सोच के - अच्छा तो जरा मुझे *** कम्पनी का लिपस्टिक दिखा

अनुज चहक कर दुकान मे एक ओर गया और वही अपनी मौसी को देख कर - कैसा चाहिये मौसी , डार्क सेट या लाईट


अनुज के सवाल से रज्जो मुस्कुराई और उसे सुबह का समय याद आया जब अनुज उसके चुचे टटोल रहा था, उसने बस परखने के लिए अनुज से मजाक शुरु किया ।

रज्जो - तु बता मेरे उपर कैसे अच्छा लगेगा

अपनी मौसी के सवाल से अनुज चौक गया और वो हिचकते हुए अपनी मौसी को एक नजर उपर से निचे देख कर जायजा लिया ।

हल्की गाजरी रंग साड़ी मे उसकी मौसी का अंग अंग खिल रहा था । अनुज थुक गटक कर अपने मौसी के होठो को देखा जिस्पे ब्राइट मरून मे शेड वाली लिपस्टिक लगी थी जो उन्के सावले स्किन टोन पर बहुत ही फ़ब रही थी ।

अनुज थोडा मुस्कुराया और शर्मा कर अपनी मौसी को दो तिन मैट शेड वाले ब्राउन और सेमी डार्क लिपस्टिक सजेस्ट किये


रज्जो ने सेमी डार्क पिन्क मैट वाली लिपस्टिक ट्राई की और सच मे उसके चेहरे पे बहुत ही खिल रहा था ।


रज्जो - अरे वाह तुने तो गजब के कलर बताये

अनुज हस कर - आपको पसंद आया ना
रज्जो खुश होकर अनुज के गाल चूमती हुई - बहुत ज्यादा

अनुज - आप चाहो तो और भी लेलो पप्पी इसका color नही छपता

रज्जो हसी - अच्छा सच मे ,, तुझे बहुत चाहिये चुम्मी तेरी भी शादी करवा दू उम्म्ं

अनुज शर्मा गया और रज्जो ने उसे अपने सीने से लगा लिया - मेरा प्यारा बच्चा

अनुज को उम्मीद ही नही थी कि ऐसे अनुभव भी उसको मिल सकते थे और वो अपने चेहरे को अपनी मौसी के सीने पर घिसने लगा ।


रज्जो हस्ती हुई - अब बस कर हम दुकान मे है कोई देख लेगा

अनुज चहका कर सीधा होकर - तो अन्दर चले मौसी

अनुज की बात सुन्कर रज्जो ने मुस्कुराहत भरी भौहे चढाई और अनुज को भी अह्सास हुआ कि वो क्या बोल गया ।


रज्जो उससे अलग होकर हस्ती हुई - तू बहुत शैतान हो गया आजकल हम्म्म

अनुज हड़बड़ाया - म म मै ? क्या मतलब !

रज्जो तुनक कर - खुब समझती हू मै , लग रहा है राज से पहले तेरी ही शादी करनी पड़ेगी


अनुज की सासे तेज हो गई उसे समझ नही आ रहा था कि क्या करे , थोडी सी मस्ती अब उसको भारी लगने लगी थी । उस्के हाथ पाव फूलने शुरु हो गये थे ।


अनुज डरा हुआ लेकिन हसने का दिखावा करता हुआ - क्या मौसी हिहिही भैया से पहले मै कैसे और अभी तो मै बहुत छोटा हू हिहिहिही


रज्जो उसके कान पकड कर - शैतान कही का , मुझे नही पता कितना बड़ा हो गया है तू


अनुज हसता हुआ - आह्ह मौसी छोडो ना , मैने क्या किया है अब आप ही तो मुझे हग की है ना

रज्जो कान छोडते हुए - और वो जो तु सुबह सब्के सामने मेरे दूध छू रहा था वो


अब अनुज की सिट्टीपिट्टी गुम हो गयी , उसके गले से थुक गटकना भी दुभर हो चुका था । शर्म और भय से उसका चेहरा लाल हो गया था ।


मगर कब तक रज्जो अपने लाड़ले को ऐसे देख पाती इससे पहले अनुज रोना शुरु कर देता वो खिलखिला कर हस दी ।


अनुज अपनी डबड्बाइ आंखो से अपनी मौसी को हस्ता देख रहा था

रज्जो - देखा पकड लिया ना मैने तुझे , उम्म्ं अब बोल क्यू छू रहा था सुबह मे

अनुज अपने आसू पोछ कर - वो मै आपका हाथ पकडे हुए था तो मुझे नरम नरम सा कुछ लगा । मुझे लगा आपका पेट है ।


इतना बोल कर अनुज सुबकने लगा , खुद को बचाने का उसको यही रास्ता सूझ रहा था ।

रज्जो ने अपने लाड़ले को रोता देख पिघल गयी और हसते हुए अपने आंचल से उसका चेहरा साफ करते हुए बोली - क्या तु भी बच्चो के जैसे रो रहा है , मै तो बस पुछ रही हू ना ।

अनुज शान्त होकर अपनी मौसी को देखा ।

रज्जो - अगर तुझे अच्छा लग रहा था तो बता देना चाहिए साफ साफ ,


अनुज - नही वो मुझे ...

रज्जो उसी बात को काटकर मुस्कुराती हुई - तो क्या तुझे अच्छा नही लग रहा था ।

अनुज अपनी मौसी की शरारती मुस्कान देख कर शर्माहत भरी हसी के साथ - हा वो वो हिहुहिही


रज्जो हस कर - मै जान रही थी तु एक नम्बर का शैतान है , बदमाश कही का ।
इधर इनकी बाते और बढती इससे पहले रागिनी खाना देकर वापस आ चुकी थी ।
रागिनी अनुज को देख कर - अरे अनुज क्या हुआ ? तेरी आंखे लाल क्यू है


अब तो अनुज की फिर फट गयी कि कही उसकी मौसी उसकी मा को सब बोल ना दे । वो जानता था कि उसकी मौसी का स्वभाव बहुत चंच्ल है और उन्हे ऐसी बाते कहने मे कोई भी हिचक नही होती है ।

लेकिन अचरज तो तब हुआ जब रज्जो ने मुस्कुराते हुए रागिनी को जवाब दिया - अह कुछ नही छोटी वो खाना खा रहा था सब्जी वाले हाथ से ही उनसे आंख मल ली थी तो जलन के मारे लाल हो गयी है ।

रागिनी अनुज के पास आकर अपनी साडी की पल्लू को मुह की भाप देते हुए बहुत फ़िकर मे अनुज की आंखो की सेकाई करते हुए - क्या तु भी ऐसे छू दिया , देख कितनी लाल हो गयी है ।


अनुज अपनी मा को परेशान देख कर खुद को बहुत कोष रहा था और वही जब उसने मौसी को मुस्कुराता देखा तो अचानक से उसके दिल की तरंगे हिल्कोरे मारने लगी और वो शर्मा कर मुस्कुरा दिया ।


रागिनी अनुज से अलग होती हुई - अरे जीजी अब आप आई हो तो चलो थोडा शालिनी से मिल लेते है और कल पूजन शुरु हो रहा है उसका न्योता भी दे आते है ।


रज्जो - हा चलो ,

फिर रागिनी और रज्जो दोनो बहने अपने भारी भारी कुल्हे हिलाती हुई जंगीलाल के घर की ओर चल दी ।

वही अनुज एक अलग ही उलझन मे अटक गया कि मौसी की मुस्कान का क्या हिसाब लगाये वो ?


धीरे धीरे सोशल मीडिया पर ऐक्टिव होने से अनुज का ज्ञान बढा तो था लेकिन उसके जहन मे कुछ भ्रम ने भी जगह बना ली ।
अब वो जितना कुछ अपने जीवन मे सिख समझ पाया तो वो उसी के हिसाब से अपनी मौसी को परखने मे खोया हुआ था ।



जम्गिलाल के घर के किचन मे ताबड़तोड़ धक्को की बरसात जारी थी , किचन की सिंक के पास बरतन खंगाल रही शालिनी अपनी गाड़ फैलाये हुए खडी थी और पीछे से राहुल उसकी झिनी सी नाइटी उठाये सटासट अपनी मा की बुर मे लण्ड पेले जा रहा था ।



वही दुकान मे ग्राहको से डील कर रहे जंगीलाल की निगाहे दो भारी भरकम कूल्हो पर गयी जो उसकी दुकान पर चढ़े आ रहे थे ।

दोनो औरतो को देखते ही जन्गीलाल का चेहरा खिल गया

जन्गीलाल - अरे भाभी आप ,
फिर जंगीलाल ने रज्जो को उपर से निचे देखते हुए अपनी थुक गटकते हुए हाथ जोड़ कर उसका स्वागत करते हुए उठ खड़ा हुआ - अरे भाभी जी नमस्ते आईये बैठीये

ये बोलकर जंगीलाल ने रागिनी और रज्जो को कुर्सियाँ दे दी बैठने के लिए

रागिनी - अरे देवर जी , परेशान क्यू है , हम अन्दर चले जाते है ना , आप ग्राहको को देखीये


अन्दर जाने की बात सुनते ही जन्गीलाल के कान खड़े हो गये और उसे ध्यान आया कि शालिनी अन्दर किन कपड़ो मे है , और अन्दर राहुल भी है ।

अगर इन्होने उसे ऐसे कपड़ो मे देख लिया तो ना जाने क्या क्या सोच लेंगी ।

जन्गीलाल ग्राहको को उनका समान थैली भरकर देता हुआ - अरे भाभी हो गया , आप तो मुझसे जरा भी बाते करना ही नही चाहती , सीधा निशा की मा के पास चली जाती है


रागिनी झेप कर हसती हुई - अच्छा बाबा यही हू कहिये

जंगीलाल - आप बस बैठीए मै राहुल को भेज कर ठंड़ा मगाता हू


रागिनी - अरे उसकी जरुरत नही है , हम लोग खाना खा के आये है

जन्गीलाल - अरे कैसे जरुरत नही है

" भाभी जी कितने दिनो बाद ह्मारे यहा आई है , खातिरदारि तो बनती है ना " , जन्गीलाल ने रज्जो की ओर इशारा करके कहा ।


फिर वो गैलरी मे मुह देके जोर से राहुल को आवाज दिया ।

वही राहुल ने जैसे ही अपने बाप की आवाज सुनी , मा बेटे ठिठक गये और दोनो झट से अलग हो गये ।

शालिनी हड़बड़ा कर - अह बेटा जा जल्दी से देख क्या बुला रहे है तेरे पापा

राहुल ने अपना लण्ड पैन्त मे भरा और उसको सेट करते हुए अपने शर्ट के बाजुओ से अपने चेहरे का पसिना पोछते हुए तेज कदमो से दुकान मे आ गया ।


जंगीलाल - बेटा जरा कल्लु के यहा दो थमसअप लेके आ तो


राहुल ने फिर अपनी बड़ी मा और उनकी दीदी को देखा तो झट से उन्के पैर छू कर नमस्ते किया और निकल गया


इधर जन्गीलाल जब तक दोनो के हाल चाल और तैयारियो के बारे मे बाते कर रहा था कि तभी राहुल ठंडा लेके आ भी गया ।

इधर राहुल ने दोनो को ठन्डा दिया और भितर जाने को हुआ कि जन्गीलाल ने राहुल को टोका

जन्गीलाल अपनी आंखे नचा कर हसने का दिखावा करता हुआ - अह बेटा वो तेरी मा को बता दे कि बड़ी मा और उनकी दिदी आई है


राहुल समझ गया और फटाक से किचन मे भागा और हाफते हुए - मम्मी मम्मी , वो बड़ी मम्मी और उनकी दीदी आई है , आप ये कपडा बदल लो जल्दी से ।


घर पर मेहमान आने का सुनते ही शालिनी की भी हालत खराब हुई वो तेजी से भागती हुई कमरे मे गयी और जल्दी से फुल नाइटी डाल कर वापस किचन मे आ गयी ।


इधर जब राहुल वापस कर गैलरी के पास से ही अपने पापा को इशारा किया कि काम हो गया तो जन्गीलाल ने चैन की सास ली और हस कर - अरे राहुल बेटा, अपनी बड़ी मम्मी को घर मे लेके जाओ , जाईये भाभी जी


फिर दोनो बहने बारी बारी से उठी और भितर जाने लगी ,

16-16-35-859-1000


उसी समय जन्गीलाल की निगाहे रज्जो के मादक भारी भरकम कूल्हो पर गयी और अनायास उसके मुह से ये शब्द फुट पड़े - उफ्फ़ क्या गाड़ है यार ।
flirting-staring
जिसे रज्जो की तेज कानो से सुन ही लिया और फौरन गरदन घुमा के जन्गीलाल की ओर मुह करके देखा तो जंगीलाल की फट गयी और अगले ही पल रज्जो मुस्कुराते हुए भितर चली गयी और जंगीलाल ने चैन की सास ली ।
इधर महिलाए भीतर गयी और राहुल चुपचाप बाहर आ गया । दुकान मे आते ही उसका सामना अपने पापा से हुआ , वो अभी भी थोडा शर्मा रहा था ।
वही जन्गीलाल ने अपने भोले बेटे से कन्फ़र्म करने के लिए पुछा- बेटा वो तेरी मा ने कपडे बदल लिए ना

राहुल नजरे नीची करके हल्का मुस्कुरा कर - जी पापा !

जन्गीलाल अपने बेटे की ऐसी प्रतिक्रिया से थोडा असहज हुआ और उसे लगा कि शायद उसका बेटा इतना भी नादान नही है । सब समझता है ।


जन्गीलाल - अच्छा सुन , ये बात किसी से कहना मत कि तेरी मा मे ऐसे कपडे पहने थे

राहुल हस कर - नही पापा क्या आप भी ,

फिर थोडी देर की चुप्पी रही और राहुल को पता नही क्या सुझा उसने पापा ऐसा सवाल किया कि जन्गीलाल की घिग्गी बध गयी ।

राहुल - पापा आपने इतना छोटा क्यू लिया मम्मी के लिए , ऐसा तो वो फिल्मो मे हीरोइन लोग पहनती है ना


जन्गीलाल ने कुछ देर चुप रहा और फिर हस कर - तेरी मा कौन सी हीरोइन से कम है हाअहहहा

राहुल भी शर्माकर मुस्कुरादिया और पुछ पड़ा - तो क्या आप मम्मी के और भी ऐसे ड्रेस लाते हो

जन्गीलाल - अह नही बेटा ये बस पहली बार था

राहुल - तो और अच्छे अच्छे कपडे लाओ ना मम्मी के लिए, देखो ना मम्मी घर मे कितना काम करती है ना कही घुमने जाती है बस ऐसे ही घर मे पड़ी रहती है ।


जन्गीलाल - हमम बेटा बात तो तेरी सही है लेकिन बेटा हमेशा तो तेरी मा को ऐसे कपडे नही ना पहना सकता ।

राहुल - क्यू ?
जन्गीलाल - अरे बेटा देखा ना आज कैसे मेहमान आ गये थे और फिर निशा भी तो रहती है ना ।

राहुल - तो क्यू ना रात मे मम्मी को पहनाया जाये , तब कोई नही होगा ना

जंगीलाल के जहन मे राहुल की बाते सुनकर एक अलग ही फैंटसी ने जनम ले लिया था , वो एक गहरी सोच मे घूम सा गया कि

क्या होगा जब उसकी बीवी अपने ही बेटे के सामने ब्रा पैंटी मे घुमेगी ?
और कितना मजा आयेगा जब मै मेरे बेटे के सामने ही उसकी मा को छेड़ने मे ?
और कही उसके सामने खड़ा करके चोद दू तो ?

आह्ह , ये सब सोच कर ही जन्गीलाल का लण्ड फौलादी हो गया था ।
इधर राहुल भी अपने बाप से ऐसे बाते करके मन ही मन कोरी कलपनाये बुन चुका था और उसका लण्ड सर उठाने लगा था ।


इधर थोडी देर बाद ही रागिनी और रज्जो दुकान मे वापस आ गयी ।

राहुल को अपने लण्ड का तनाव बर्दाश्त ना हुआ और वो उसको सेट करने अंदर चला गया ।

रागिनी - अच्छा देवर जी हम चलते नमस्कार ।

जंगीलाल को मजबुरन अपने जगह से उठना पड़ गया और हाथ जोड़ उन्हे विदा किया ।

पहले रागिनी जो दुकान से उतर चुकी थी और फिर रज्जो को नमस्ते करते हुए चोर नजरो से अपने चढ़ढे मे तने हुए लण्ड को निहारा कि अभी भी उभरा हुआ तो नही ना दिख रहा था ।

वही रज्जो ने जंगीलाल की हरकतो को देखा तो वो मुस्कुरा दी और विदा लेके निकल गयी ये सोचते हुए कि जन्गीलाल भी उसकी चुतडो का दीवाना हो गया और अगर किस्मत साथ दे गयी तो उसको अपनी बुर मे लेके मौका वो नही चूकेगी ।
वही जन्गीलाल थोडा शर्मीन्दा होकर अपना लण्ड सेट करके बैठ गया ।


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चौराहा वाले घर पर किचन का सारा काम निपटा कर सोनल और निशा घर के बाकी कमरो को सेट करने मे लगी थी


निशा गेस्ट रूम के बेड पर बिस्तर लगाने के बाद तकिया रखते हुए सोनल से बोली - दीदी क्यू ना कल जीजू को भी बुला ले ।


सोनल जो आलमारी के ड्रा साफ कर रही थी वो अचरज भरी नजरो से निशा को देखकर - तु पागल है क्या निशा , वो कैसे आयेगा ।


निशा - अरे दीदी कल पूजा होनी है तो जैसे बाकी मेहमान आयेंगे वो भी आ जायेंगे ।


सोनल निशा की बातो को सोचने लगती है और उसकी भी बेचैनी बढने लगती है क्योकि उसे अमन से मिले कितना समय हो गया था और फिर शादी से पहले मिलने का मौका कहा मिलता ।


सोनल बेचैन होकर निशा - लेकिन ये होगा कैसे , मतलब कौन बुलायेगा ।

निशा हस के - अरे राज है ना , वो बड़े पापा से बात कर लेगा

सोनल कुछ सोच कर - वो कुछ गलत ना सोचे

निशा सोनल की खिचाई करते हुए - ओहो देखो तो नवाबजादी के नखरे , सुबह शाम जिसका लण्ड लिये बिना चैन नही होता उससे कहने मे शर्म आ रही है


सोनल हस कर - अरे वो बात नही है , तु समझती नही है राज बहुत दुष्ट है मुझे बहुत तंग करता है अमन के नाम पर

निशा - ठिक है तो मै बोल दूँगी बस तुम जीजू को फोन करो ना
सोनल - अभी तो वो नहाने गया है ना , बोला है उसने

निशा भौहे चढा कर - आप कर रही हो या मै करु


इधर सोनल फोन लगाने को हो रही थी उधर अमन के कमरे मे उसकी मा उसके लिए कपडे निकाल रही थी

इसि दौरान अमन के मोबाइल की रिंग तेजी से बजनी शुरु हो गयी ,

अमन बाथरूम से फोन की रिंग सुन कर अपनी मा को आवाज देता है - मम्मी देखना जरा किसका फोन है

ममता बेड पर रखे हुए फोन पर की स्क्रिन को देखते हुए फोन हाथ मे ले लेती है और मोबाइल स्क्रीन पर my jaan नाम से काल आता देख मुस्कुरा देती है ।


इतने मे अमन की आवाज फिर से आती है - किसका है मा

ममता हस कर - ये कोई MY JAAN करके है , कौन है ये

अपनी मा के शब्द सुनते ही अमन हड़बड़ा कर - उठाना मत मम्मी मै आ रहा हू

और फिर अमन तेजी से अपने शरिर पर पानी डालते हुए फटाफट तौलिया लपेट कर भिगे जिस्म के साथ ही कमरे के बाहर आता है

लेकिन तबतक ममता फोन उठा चुकी थी और वही सोनल बिना कोई हैलो हाय किये सिधा फोन पर चुम्मीया देना शुरु कर देती और धीरे से बोलती है , आई मिस यू जान


अपनी बहु का रोमांटिक मूड समझ कर ममता की हसी छुट जाती है और वो अपने हसी को होठो से दबाते हुए फोन को अमन के हाथ थमाती है

अमन इशारे से अपनी मा को देख कर पुछता है कि क्या बोली वो ?
तो ममता मुस्कुरा कर अमन के गाल अपने पास करते हुए 7 8 चुम्मीये देते हुए धीरे से उसके कान मे बोली - आई मिस यू जान


फिर खिलखिलाहत भरी मुस्कान के साथ कमरे के बाहर चली गयी और अमन शर्म से भी भीग गया ।

फिर वो सोनल से बात करता है तो पता चलता है कि कल उसे आना है तो वो भी एक्साईटेड हो जाता है ।


फिर वो फोन काट कर वापस बाथरूम मे नहाने पहुच जाता है

नहाने के बाद अमन को बार बार अपनी मा की हरकते याद आने लगती है कि उसकी मा भी अब उसके मजे लेने लगी ।

इधर कुछ समय बाद राज जब चंदू के घर मे सारे बन्दोबसत कर लेता है तो अपने घर आ जाता है , उसे सोनल इंसिस्ट करती है वो पापा से बात करके कल के पूजा के लिए अमन और उसके परिवार वालो को बुलाये ।

राज इसके लिए मना नही करता है और वो अपने पापा से फोन पर बात करता है । तो रंगीलाल की बाहे भी खिल जाती है और उसे ममता से मिलने का एक बहाना भी मिल जाता है ।


जारी रहेगी ।
बहुत ही शानदार और लाजवाब अपडेट है अनुज धीरे धीरे रज्जो मोसी के साथ मजे ले रहा है ममता अपने बेटे अमन से मजे ले रही है ममता राज के घर आ रही हैं ये सुनकर रंगीलाल के मजे हो रहे हैं
 
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