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Adultery शीला की लीला (५५ साल की शीला की जवानी)

vakharia

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लंड को चुत की और चुत को लंड की जरूरत तब से पड़ती आई है जब से मानवजात का इस पृथ्वी पर अवतरण हुआ.. शीला बस यही खयालों में थी की कब रात हो और जीवा का मूसल जैसा लंड देखने को मिले!!

शीला की पुत्ती में फिर से खाज होने लगी..


जैसे तैसे समय बिताते हुए शाम के ७:०० बज गए.. उसने फटाफट शाम का खाना निपटा लिया और बेडरूम में पानी का एक जग रख दिया। आने वाले मेहमान की खातिरदारी करने के लिए वह तैयार होने लगी... बाथरूम में जाकर उसने अपनी चुत के बाल रेज़र से साफ कर दिए और उसपर क्रीम लगाकर मक्खन जैसी कोमल बना दिया.. जीवा ने आज तक उस गंवार रूखी के झांटेदार भोसड़े को देखा है.. आज जब वो शीला की मुलायम रेशम जैसी चुत को देखेगा तो उसके होश उड़ जाएंगे...

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जैसे जैसे समय बीतता गया.. शीला की धड़कनें तेज होने लगी.. शीला बेडरूम में गई और अपनी साड़ी और ब्लाउस को उतार फेंका.. मदन ने सिंगापोर से जो जाली वाली ब्रा भेजी थी... वह पहन ली.. उस ब्रा की छोटी सी कटोरियों में शीला के खरबूजे जैसे स्तन कैसे समाते भला!! जैसे तैसे दबा दबाकर उसने अपने स्तनों को ब्रा के अंदर ठूंस दिया.. जैसे रिक्शा वाले ३ के बदले ५ पेसेन्जर भरते है वैसे...

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उस छोटी सी ब्रा से उसके स्तन उभर कर बाहर झांक रहे थे.. आहाहाहा क्या लग रही थी शीला!! इस मस्त महंगी वाली ब्रा से शीला का सौन्दर्य झलक रहा था.. आईने में खुद के सौन्दर्य को देखकर वह अपनी चुत खुजाने लगी.. और मन ही मन बोलने लगी

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"जीवा, आज तो तू गया काम से.. आज तुझे रूखी को भुला न दिया तो मेरा नाम शीला नही.. आज की रात तुझे मरते दम तक याद रहेगी.. तुझे अगर तेरे खूँटे जैसे लंड पर गुमान है तो में भी तुझसे कम नही हूँ... आ जा रात को फिर देख इस शीला के जलवे..."

शीला ने अपने पति मदन का सफेद शर्ट निकाला.. बहोत टाइट था उसके लिए पर फिर भी पहन लिया... और नीचे मस्त काले रंग का बेलबॉटम पेन्ट पहनकर उलटी घूम गई और अपने आप को आईने में देखने लगी.. बाप रे बाप.. इस पेन्ट में उसके कूल्हे क्या कातिल नजर आ रहे थे!! वाह!! अपने कूल्हों को खुद ही थपकाकर फिर उसने मरून कलर की लिप्स्टिक से अपने होंठ पोत लिए.. "यह सारी लाली तेरे लंड पर चिपक जाने वाली है जीवा... जब में तेरा... अफ़ग़ानिस्तानी केले जैसे लंड को पूरा मुंह में लेकर चुसूँगी.. "

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उसने कटोरी में थोड़ा सा तेल भी निकाल कर रख दिया.. कहीं गांड मरवाने का मौका मिल जाए तो... तैयारी पूरी होनी चाहिए.. जब आग लगे तब कुआं खोदने क्यों जाना!! अलमारी से उसने महंगी शराब की बोतल निकाली जो मदन ने अपने दोस्त के हाथों भिजवाई थी.. अभी जीवा आया नही था इसलिए उसने तुरंत किचन में जाकर थोड़े काजू फ्राई कर लिए.. और ५५५ सिगरेट का पैकेट भी सजाकर टेबल पर रख दिया।

आज के भव्य चुदाई प्रसंग को शीला चार चाँद लगा देना चाहती थी... आज रात को.. न कोई डर होगा.. और ना ही कोई शर्म.. सारी हिचकिचाहट को छोड़कर आज तो मन भरकर चुदवाना था बस्स.. !!!

घड़ी का कांटा ८ बजे का समय दिखा रहा था। जीवा तो १० बजे आने वाला था.. अब दो घंटे बैठे बैठे क्या करूँ?? चलो कोई मस्त बीपी की डीवीडी चला देती हूँ... मस्त मस्त.. नंगी चुदाई वाली इतनी सारी डीवीडी पड़ी हुई है.. वो तो में भूल ही गई..!! जीवा को भी दिखाऊँगी.. की चुत कैसे चाटते है!! साले ये बीपी वाले बड़ा मस्त चुत चाटते है.. काश किसी गोरे से पाला पड जाएँ.. तो मज़ा आ जाएँ चुदवाने का!!

शीला ने ८-१० डीवीडी निकाली.. और एक के बाद एक सब लगाकर देख ली.. उसमे से एक जबरदस्त वाली फिल्म को चुना.. हाँ, ये वाली बड़ी मस्त है.. यही दिखाऊँगी जीवा को.. चूतिया पागल हो जाएगा देखके..

जैसे साज-शृंगार में कमी रह गई हो, शीला वापस बेडरूम में गई और शर्ट के बटन खोलकर अपनी काँखों पर परफ्यूम छिड़क दिया.. और आईने में फिर से अपने आप को देखने लगी.. कुछ बाकी तो नही रह गया ना!!

घड़ी में अब दस बज चुके थे.. घड़ी के पेंडुलम को देखकर वह सोचने लगी की जीवा का लंड भी उसके पतलून में ऐसे ही झूलता होगा!! जीवा.. जीवा.. कब आएगा रे तू!! हमारे देश में किसी को समय की पड़ी ही नही है!! और किसी काम के लिए देर से पहुंचना तो फिर भी समझ में आता है.. पर चुत चोदने के मौके के लिए भी लोग समय पर नही पहुँच पाते!!

शीला की चुत अब व्याकुल हो चली थी। आखिर थककर उसने रूखी को फोन लगाया.. रूखी ने जीवा के बारे में पूछकर वापिस फोन करने के लिए कहा.. वह भी तनाव में आ गई.. क्योंकी सुबह ४ बजे के बाद उसे भी तो जीवा से चुदवाना था.. !!

थोड़ी देर में रूखी का फोन आया और उसने शीला को बताया की वह शीला के घर अकेले आने से डर रहा था.. जीवा ने रूखी से कहा था की आजकल ऐसी कई घटनाएं घटी थी जिसमे चोदने के बहाने बुलाते थे और फिर बलात्कार केस की धमकी देकर पैसे मांगते थे!! इसी कारण वह डर रहा था। उसने रूखी से कहा की अगर शीला को एतराज न हो तो वह अपने दोस्त रघु को लेकर आ सकता है.. वरना वो नही आएगा!!

बहनचोद, आखिरी मौके पर अब यह नई समस्या आ गई.. जीवा तुरंत जवाब मांग रहा था की क्या करें!! अगर शीला मना करे तो सारी तैयारियों की माँ चुद जाएगी.. रूखी ने फोन पर कहा "भाभी जल्दी जवाब दीजिए.. वो आपकी गली के नुक्कड़ पर इंतज़ार कर रहा है.. आप कहो तो वो रघु के साथ आए वरना वापिस लौट जाएगा"

शीला ने सोचा.. बाप रे.. दो दो लोडे.. !!! उसने रूखी को बोल दिया "तू हाँ कह दे जीवा को.. बोल उसे की आ जाएँ.. जो होगा देखा जाएगा"

रूखी ने कहा "आप दरवाजे पर खड़े रहना.. वह बाइक पर आएगा.. हरा शर्ट पहना है उसने.. जैसे ही वो आए.. उसकी बाइक अंदर कंपाउंड में रखवा देना ताकि किसीको शक न हो!!"

"हाँ भाई हाँ.. अब तू फोन रख.. और सुबह जब रसिक घर से निकले तब मुझे फोन करके बता देना.. ताकि में जीवा और रघु को तेरे घर भेज सकु"

फोन रखकर शीला तुरंत दरवाजे पर जाकर खड़ी हो गई.. २ मिनट के बाद एक बाइक आया.. शीला ने दौड़कर कंपाउंड का लोहे का दरवाजा खोल दिया.. बाइक अंदर आ गया.. चारों तरफ अंधेरा था.. और हल्की हल्की बारिश भी हो रही थी... इसलिए आजू बाजू के घरवाले सब घर बंद कर बैठे थे.. वह दोनों तुरंत घर के अंदर घुस गए और शीला ने भी अंदर आकर दरवाजा लॉक कर दिया..

शीला तुरंत किचन से दो ग्लास पानी लेकर आई.. ग्लास देखते वक्त वह इन दोनों को देख रही थी "इन दोनों में से जीवा कौन और रघु कौन? पतलून उतरे तो लंड का नाप देखकर ही पता चलेगा.. "

ग्लास से पानी पीते पीते दोनों शीला के गदराए जिस्म को घूर रहे थे। शीला को ग्लास वापिस देते वक्त जीवा ने उसे कलाई से पकड़ लिया और अपनी ओर खींच लिया.. शीला अपना संतुलन गँवाकर जीवा की गोद में आ गिरी..

शीला का जबरदस्त गदराया जिस्म.. जीवा उसे आग़ोश में भरकर चूमने लगा..

"अरे रघु.. बहनचोद कातिल माल है ये.. जबरदस्त सेक्सी है ये तो!!"

:हाँ जीवा.. ऐसे तो सीधे सीधे चोदने में मज़ा नही आएगा.. लेकर चलते है इस छिनाल को खेत पर कुएं के पास.. वही पर दारू पीकर इसे खुले में चोदेंगे.. इतने छोटे से कमरे में क्या ही मज़ा आएगा!!" रघु ने कहा

इनकी बातें सुनकर शीला घबरा गई.. उसने कहा

"दारू तो यहाँ तैयार है.. और वो भी इंग्लिश.. मैं तुम लोगों के साथ किसी खेत-वेत में नही आने वाली.. जो भी करना है वो यहाँ मेरे घर पर ही होगा.. मैं बाहर नही आने वाली"

इस दौरान जीवा ने शीला के शर्ट के ऊपर से ही उसके बड़े बड़े स्तनों को मसलना शुरू कर दिया था.. रघु भी नजदीक आ गया और वह शीला की जांघों को सहलाने लगा.. उफ्फ़.. एक साथ दो मर्दों का स्पर्श होते ही शीला को जैसे करंट सा लग गया.. सिसकियाँ भरते हुए शीला ने आँखें बंद कर ली

जीवा का लंड शीला के नितंबों तले दबा हुआ था.. रघु शीला की जांघों को सहलाते हुए उसकी चुत तक पहुँच गया.. दूसरी तरफ जीवा ने शीला के शर्ट के ऊपरी दो बटन खोल दिए और अंदर हाथ डालकर उसकी मम्मों को मसल के रख दिया।

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"आहहह.. जरा धीरे से.. तोड़ दोगे क्या!!" शीला अपने दोनों हाथों को पीछे की ओर ले गई और जीवा की गर्दन और बालों को सहलाने लगी।

जीवा ने शीला की जालीदार ब्रा में से उसके दोनों स्तनों को बाहर खींच निकाला.. और उसकी निप्पलों को मरोड़ते हुए शीला के गाल पर हल्के से काट लिया..

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"कमीने.. मुझे खा जाएगा क्या तू!!" कहते हुए शीला खड़ी हो गई.. "रुको एक मिनट" कहते हुए उसने डीवीडी प्लेयर को रिमोट से चालू कर दिया "मस्त ब्लू फिल्म है.. देखोगे तो मन खुश हो जाएगा" कहते हुए वह जीवा के पास आकर लेट गई..

रघु ने पास पड़ी शराब की बोतल का ढक्कन खोला और शीला के जिस्म पर शराब गिराने लगा.. पूरा कमरा शराब की गंध से भर गया.. शीला का शर्ट शराब से भीग गया था जिसे यह दोनों चाटने लगे.. उसके स्तनों को चाटकर शीला की चुत और जांघों पर हाथ फेरते हुए रघु ने शीला का हाथ अपने लंड पर रख दिया.. पेन्ट के ऊपर से ही रघु के गन्ने जैसे लंड को सहलाने लगी शीला.. टीवी के स्क्रीन पर "ओ यस.. ओह येह.. फक मी" जैसी आवाजों के साथ फिरंगी रंडियाँ चुदाई में व्यस्त थी.. उन आवाजों से पूरा कमरा गूंज रहा था..

दो साल से खाली पड़े शीला के घर में आज काम-उत्सव शुरू हो गया था.. एक ही झटके में खींचकर जीवा ने शीला के शर्ट के बाकी के बटनों को तोड़ दिया और उसकी विदेशी ब्रा भी फाड़ दी.. शराब से लथपथ शर्ट और ब्रा को कोने में फेंक कर रघु और जीवा, शीला पर टूट पड़े।

भादों के महीने में गरम कुत्तिया पर जब एक कुत्ता चढ़ा हुआ हो और दो-तीन और कुत्ते ऊपर चढ़ने के बेकार कोशिश कर रहे हो.. वैसा द्रश्य था।

दोनों ने आपस में शीला का एक एक स्तन बाँट लिया.. और उसे चूसने लगे.. उसकी गुलाबी निप्पलों पर दो दो जीभ एक साथ चल जाने पर शीला सिसकने लगी.. उसके एक हाथ से वह अपने बेलबॉटम पेन्ट के ऊपर से अपनी चुत खुजा रही थी और दूसरे हाथ से रघु के लंड को पतलून के ऊपर से सहला रही थी.. खेल खेल में उसने रघु के पेन्ट की चैन खोल दी.. शीला का जिस्म अब हवस की आग से झुलस रहा था।

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अब शीला का पेन्ट भी उतर चुका था.. और पेन्टी तो कहाँ फट कर गिर गई उसका पता ही नही चला.. उसके भोसड़े पर जीवा का हाथ छूते ही शीला की भोस से कामरस टपकने लगा.. रघु ने थोड़ी सी शराब शीला की चुत पर गिराई और बोतल का मुंह शीला की चुत में डाल दिया..

"बहुत महंगी दारू है.. क्यों बर्बाद कर रहे हो? उससे अच्छा तो इसे आराम से पी लो तुम दोनों" शीला ने कहा

"पहले तुझे ठीक से गीली कर लेते है.. फिर पियेंगे" जीवा ने और थोड़ा दबाव बनाकर शीला की चुत में बोतल घुसाई

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"ऊई माँ.. मुझे जल रहा है.. निकालो बाहर इसे.. मर गई मैं.. आहह.. मुझे पेशाब लगी है.. में बाथरूम में होकर आती हूँ "

टीवी की ओर इशारा करते हुए रघु बोला "वो देख.. कैसे चूस रही है.. ले तू भी इसी तरह मेरा लंड चूस"

"तुम पेन्ट से लोडा बाहर निकालोगे तभी तो चुसूँगी ना... " शीला ने अपनी समस्या बताई "और टीवी में जो भी देखोगे.. वो सब कुछ हम थोड़ी ही करेंगे?"

"और क्या!! आज तो जैसा हम कहेंगे वैसा तुम्हें करना पड़ेगा... ले अब.. मेरे लोडे को सिगार समझकर मुंह में ले ले.. " चैन खुलते ही रॉयल एनफील्ड के जम्पर जैसा सख्त लंबा लंड स्प्रिंग की तरह उछलकर बाहर निकला..

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"ईशशश... " रघु का बरकती लंड देखकर शीला पागल सी हो गई.. उसने झुककर रघु के लंड को चूम लिया.. रघु अब पगलाये सांड जैसा हो गया था.. शीला ने उसके टट्टे कसकर पकड़े और बच बच आवाज के साथ चूसना चालू कर दिया..

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जीवा ने भी शीला के भोंसड़े में आधी बोतल घुसा दी.. और फिर अपना पतलून और कच्छा उतार फेंका.. शीला के गूँदाज स्तनों को मसलते हुए अपना मुंह शीला के मुंह के करीब ले गया और फिर बोला "अब मूत बोतल के अंदर मादरचोद.. जितना दारू कम हुआ है.. उतना फिर से भर दे.."

बिस्तर तो पहले से ही शराब गिरने से गीला था.. जीवा ने शीला के होंठों पर अपने होंठ रख दिया और जबरदस्त उत्तेजित होकर चूसने लगा.. शीला भी इस चुंबन का प्रति-उत्तर देते हुए... जीवा के होंठ चूसने लगी.. शीला को चूमते हुए जीवा अब भी उसके भोसड़े में शराब की बोतल अंदर बाहर किए जा रहा था.. शीला भी उत्तेजित होकर अपनी गांड को गोलाकार में घुमाते हुए बोतल से चुदने का मज़ा ले रही थी...


"आहहह.. ऊँहह.. हाय जीवा... अब रहा नही जाता... घुसेड़ दे बोतल पूरी की पूरी अंदर...फाड़ दो इसे" शीला बेकाबू होकर बकवास किए जा रही थी।

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ऐसे ही बातचीत करते रहने के बाद रूखी चली गई।

उसके साथ हुए इस मजेदार संभोग को याद करते करते शीला ने रात का खाना खाया और सो गई। बिस्तर पर लेटकर आँखें बंद करते ही उसे रूखी के मदमस्त गदराए मोटे मोटे स्तन नजर आने लगे... आहह.. कितने बड़े थे उसके स्तन... उसकी नंगी छातियों के उभार को देखकर ही मर्दों के कच्छे गीले हो जाएँ.. नीलगिरी के पेड़ के तने जैसी उसकी जांघें.. बड़े बड़े कूल्हें.. भारी कमर.. आहह.. सबकुछ अद्भुत था... !!

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हालांकि गंवार रूखी को ठीक से चुंबन करना नही आता था.. और वह चुत चाटने में भी अनाड़ी थी.. यह बात शीला को खटकी जरूर थी.. हो सकता है लंड चूसने में माहिर हो.. पर क्या रूखी ने कभी लेस्बियन अनुभव कीया होगा पहले? वैसे तो शीला के लिए भी यह प्रथम अनुभव था.. पर उसने ब्लू फिल्मों में ऐसे कई द्रश्य पहले देखे हुए थे.. तो उसे प्राथमिक अंदाजा तो था ही.. हो सकता है रूखी ने भी कभी ऐसी फिल्में देखी हो..उसके पति ने उसे इतनी बार ठोका है तो मोबाइल में बी.पी. भी दिखाया ही होगा..

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शीला के भोसड़े में नए सिरे से आग लग गई.. ऐसे ही विचारों में उसकी आँख लग गई.. और तब खुली जब डोरबेल बजने की आवाज सुनाई दी..

वह जाग गई.. "आज रसिक आया हो तो अच्छा.. " मन में सोचते हुए उसने दरवाजा खोला। सामने रसिक ही खड़ा था..

"कैसे हो रसिक?" पतीली में दूध डाल रहे रसिक को चौड़ी छाती को भूखी नज़रों से घूरते हुए शीला ने कहा। वह सोच रही थी की अभी यहीं रसिक उसे पकड़कर चोद दे तो कितना मज़ा आएगा!!

"आपने फिर फोन नही कीया मुझे, भाभी?" रसिक ने पूछा

"अरे में भूल ही गई मेरे काम में.. अंदर आ रसिक.. बैठ थोड़ी देर.. " शीला ने न्योता दिया

"नही भाभी.. अभी और बहोत घरों में दूध देने जाना है.. टाइम पर नही पहुंचता तो सब चिल्लाते है.. " रसिक ने कहा

शीला ने झुककर अपने गोरे गोरे मम्मों का जलवा दिखाकर रसिक को थोड़ी देर वहीं रुकने पर मजबूर कर दिया।

"भाभी अब में जाऊँ?" थोड़ी देर की चुप्पी के बाद रसिक ने कहा

"सुबह जल्दी निकला करो तुम.. तो यहाँ पर थोड़ी देर बैठकर आराम कर सकेगा" शीला ने कहा

"वो तो ठीक है भाभी... पर कहाँ सुबह सुबह आपकी नींद खराब करूँ!! आप भी पूरा दिन काम कर के थक जाती होगी"

शीला सोच रही थी... की मेरी थकान उतारने के लिए ही तो तेरी जरूरत है!! क्या हकीकत में ये रसिक इतना नादान है!! तभी रूखी को चोदता नही है..

शीला के मदमस्त बबले देखकर रसिक का लंड मेंडक की तरह कूदने लगा था जो शीला ने देख लिया। वह सोच रही थी की कल तो ये रसिक जल्दी आए या न आयें.. पर अभी चुत के अंदर जो आग लगी है, उसका में क्या करूँ? कैसे बुझाऊँ??

उसने कहा.. "रसिक, तू जल्दी आ जाया कर.. नींद का क्या है.. वो तो में दोपहर में पूरी कर लूँगी.. और वैसे भी मुझे रात को ठीक से नींद आती नही है"

"क्यों भाभी, भैया की बहुत याद आती है?"

"याद तो आती ही है..." कहते हुए शीला ने मदहोश होकर अंगड़ाई ली.. स्लीवलेस गाउन में से नजर आती उसकी गोरी काँखों को देखकर रसिक के लंड ने बगावत कर दी।

"भाभी, थोड़ा पानी मिलेगा? सुबह सुबह साइकिल चला कर गला सुख गया है"

शीला तुरंत किचन से पानी का ग्लास भरकर ले आई.. और रसिक को देते वक्त उसके हाथ को अच्छे से छु लिया.. रसिक भी शीला के हाथों को छूकर मस्तराम बन गया..

रसिक का लोडा उसके पतलून में तंबू बनाकर फुँकार रहा था.. पानी पीकर ग्लास लौटाते हुए उसने फिर से शीला के हाथ को जानबूझकर छु लिया।

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शीला की चुत में सुरसुरी होने लगी थी। उसने बाहर दोनों तरफ देखा.. चारों तरफ घनघोर अंधेरा था.. उसने यह मौका हड़प लिया.. और रसिक का हाथ पकड़कर खींचते हुए घर के अंदर ले गई और उससे लिपट पड़ी।

"आहह रसिक.. ऐसे क्यों खड़ा है.. मुझे कुछ कर ना.. कब तक ऐसे अनाड़ी बना रहेगा? कुछ समझता ही नही है तू तो..!!"

रसिक भी आखिर मर्द था.. उसने शीला के न्योते का स्वीकार करते हुए उसे कमर से जकड़ लिया.. आगोश में भरकर दबा दिया.. दो जवान धड़कनें एक हो गई.. शीला के भूखे स्तन रसिक की छाती से दब कर चपटे हो गए.. उन कडक बबलों का गरम स्पर्श अपनी छाती पर महसूस होते ही, रसिक दूध बेचना भूल गया.. वह अपने हाथों से शीला के भूखी जिस्म की भूगोल का मुआयना करने लगा...

रसिक की पतलून के ऊपर से ही शीला ने उसका लंड पकड़ लिया और दबाते हुए बोली

"रसिक.. यह तो खूँटे जैसा मोटा बन चुका है.. इसे इस हालत मे लेकर कहाँ घूमेगा तू!!"

"ओह भाभी... आपको देखकर ही यह ऐसा मोटा बन गया है" रसिक ने कराहते हुए कहा

"फिर देर किस बात की है रसिक... टूट पड़ मुझ पर और रौंद दे मुझे, हाय... "

"भाभी, आपका ये जोबन...कितना जबरदस्त है"

शीला ने रसिक के पतलून में हाथ डाल दिया और उसके नंगे राक्षस जैसे लंड को पकड़ लिया। उसने रसिक के होंठ पर अपने होंठ रख दिए और मस्त कामुक तरीके से चूसने लगी। पतलून के अंदर लंड को आगे पीछे कर हिलाते हुए अपने स्तनों को रसिक की छाती पर रगड़ने लगी। रसिक भी शीला के नितंबों पर हट्ठ फेर रहा था।

शीला अब घुटनों के बल बैठ गई.. और पतलून की चैन खोलकर रसिक के लंड को बाहर निकाला। रसिक के विकराल लंड को देखकर शीला पानी पानी हो गई। सोच रही थी की ये लंड है या ओएनजीसी की पाइपलाइन!!!! इतना बड़ा... !!!! बबुल के तने जितना मोटा.. उसका सुपाड़ा एकदम लाल था.. टमाटर जैसा.. जैसे अभी शेर शिकार कर आया हो और उसका मुंह खून से लथपथ हो ऐसा डरावना लग रहा था.. पर शेर कितना भी खूंखार क्यों न हो.. शेरनी भला उससे थोड़े ही डरती है!!

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शीला को अब डर के बदले रसिक के लंड पर बेशुमार प्यार आ रहा था.. उसने बड़े ही प्यार से उसके लंड को चूम लिया..

"आहहह भाभी" अपने लंड को थोड़ा सा धक्का देते हुए रसिक ने शीला के मुंह में डाल दिया.. लगभग ४ इंच जितना!! शीला रसिक का लंड चूसने लगी और उसके बोलबेरिंग जैसे अंडकोशों को अपने हाथ से सहलाने लगी। रसिक के लंड की सख्ती से शीला इतनी उत्तेजित हो गई की अपना मुंह फाड़कर जितना हो सकता था उतना लंड अंदर लेने लगी और आखिर लंड के मूल तक पूरा अंदर लेकर रही।

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दो साल की प्यास को आज बुझाने के लिए शीला पूर्णतः तैयार थी। पति की गैरमौजूदगी में उसने बीपी में देखे हुए लंड चुसाई के सारे सीन का अनुभव काम पर लगा दिया था.. इसके परिणाम स्वरूप रसिक "आहह ओहह" करते हुए कराह रहा था। रसिक के लिए यह बिल्कुल ही नया अनुभव था। उसकी गंवार पत्नी रूखी ने कभी उसका लंड नही चूसा था। इस प्रथम अनुभव को रसिक और लंबा खींच नही सका.. सिर्फ दो ही मिनट में उसने शीला के मुंह में अपनी सारी मर्दानगी को उंडेल दिया।

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शीला का पूरा मुंह रसिक के गरम लावारस जैसे वीर्य से भर गया। उसे यह जरा भी अंदाजा नही था की रसिक इतने जल्दी झड जाएगा। शीला की प्यास बुझती इससे पहले तो रसिक ठंडा हो गया!! रसिक ने तुरंत अपना लंड शीला के मुंह से निकाला और पेन्ट में रखकर चैन बंद कर दी और बोला

"आज तो मज़ा आ गया भाभी, कल और जल्दी आऊँगा.. आज देर हो गई है"

"रसिक, तेरा काम तो हो गया पर मेरा क्या? मेरी कश्ती तो किनारे पर आकर डूब गई!!" उदास शीला ने कहा "कुछ भी कर पर आज मुझे चोद कर ही जाने दूँगी.. भाड़ में गया तेरा दूध पर ऐसे मुझे तड़पती हुई छोड़कर मत जा" रोने जैसी शक्ल हो गई शीला की

रसिक दुविधा में आ गया.. अब क्या करें!!

"एक काम करता हूँ भाभी.. में दूध देकर सिर्फ १० मिनिट में आता हूँ, ठीक है ना!!" रसिक ने अपना कनस्तर उठाते हुए कहा

"मुझसे अब एक सेकंड भी बर्दाश्त नही होगा.. अभी के अभी चोद मुझे" कहते हुए शीला ने रसिक का हाथ खींचा और उसे बिस्तर तक ले गई और धक्का देकर लेटा दिया। तुरंत उसने अपना गाउन उतारा और नंगी हो गई... फिर रसिक पर भूखी शेरनी की तरह टूट पड़ी..

रसिक के शरीर के ऊपर सवार होकर उसने पागलों की तरह उसके शर्ट को नोच कर फाड़ दिया.. और उसकी खुली छाती पर यहाँ वहाँ चूमने लगी। उसने रसिक के दोनों हाथों को पकड़कर अपने स्तनों पर रख दिया और उससे मसलवाने लगी। रसिक के मुरझाए लंड पर अपनी गरम चुत को घिसने लगी। चुत का स्पर्श होते ही रसिक का लंड थोड़ी थोड़ी हरकत करने लगा पर पूरी तरह से टाइट नही हुआ। फिर भी शीला ने उस आधे मुरझाए लंड को अपने गरम सुराख पर रख दिया और पागलों की तरह कूदने लगी।

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शीला का यह रौद्र स्वरूप देखकर रसिक के होश उड़ गए.. क्या करना उसे पता ही नही चल रहा था.. शीला के नंगे मम्मे उसकी उछलकूद से ऊपर नीचे हो रहे थे.. स्तनों की उछलकूद से अंदाजा लग रहा था की शीला कितनी रफ्तार से उसे चोद रही थी। को स्त्री इतनी उत्तेजित भी हो सकती है यह रसिक ने कभी सोचा नही था।

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शीला के ताजमहल जैसे सुंदर नंगे जिस्म को देखकर रसिक भी उत्तेजित होने लगा.. उसका लंड सख्त हो गया.. शीला के भोसड़े में लंड की साइज़ बढ़ते ही.. उसे भी दोगुना मज़ा आने लगा और वह और उत्तेजित होकर कूदने लगी..

आखिर शीला की नाव किनारे पर पहुँच ही गई.. उसके भोसड़े से कामरस का झरना बहने लगा.. ऑर्गजम होते ही उसने रसिक के लंड को अजगर की तरह चारों तरफ से गिरफ्त में ले लिया... अपनी चुत की मांसपेशियों से उसने लंड को ऐसा दबोचा जैसे उसे फांसी देने जा रही हो।

शीला अब रसिक की बालों वाली छाती पर ढल गई.. रसिक का लँड़, शीला की चुत की गर्मी को और बर्दाश्त नही कर सका और सिर्फ १५ मिनिट के अंतराल में दूसरी बार झड़ गया..

शीला की माहवारी कब की रुक चुकी थी इसलिए गर्भ ठहरने का कोई प्रश्न ही नही था। दो साल से प्यासी उसकी चुत की धरती पर अमृततुल्य वीर्य की बूंदें पड़ते ही उसका रोम रोम पुलकित हो गया। रसिक के लंड से चुदकर वह धन्य हो गई।

सांसें नियंत्रित होते ही शीला ने चूमकर रसिक को कहा "क्या करती रसिक? मुझसे बर्दाश्त ही नही हो रहा था इसलिए... "

"वो तो ठीक है भाभी पर आपने मेरा शर्ट फाड़ दिया.. अब में कैसे दूध देने जाऊँ??" रसिक ने कहा

रसिक की फटी हुई कमीज देखकर शीला शर्म से लाल हो गई.. "रुको में तुम्हारे भैया को कोई शर्ट लाकर देती हूँ.. " अलमारी से तुरंत एक शर्ट निकालकर उसने रसिक को दीया।


"बहोत देर हो गई आज" कहते हुए रसिक ने शर्ट पहन लिया और भागा
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
रुखी के साथ लेस्बिअन संभोग कर शीला की कामज्वाला सुबह रसिक को देखकर फुट पडी उसने रसिक को जबरदस्तीसे घर के अंदर खिच कर एक प्रकारसे उसका बलात्कार ही कर दिया नतिजा दोनों तृप्त हो गये
वाह उस्ताद वाह
अब ये खेल कौनसी करवट लेता हैं देखते हैं आगे
 

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रसिक की फटी हुई कमीज देखकर शीला शर्म से लाल हो गई.. "रुको में तुम्हारे भैया को कोई शर्ट लाकर देती हूँ.. " अलमारी से तुरंत एक शर्ट निकालकर उसने रसिक को दीया।

"बहोत देर हो गई आज" कहते हुए रसिक ने शर्ट पहन लिया और भागा

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इस तरफ शीला सीधे बाथरूम में चली गई.. गीजर चालू कर वह नहाने बैठ गई। दो साल के बाद आज उसके भोसड़े की भरजोर चुदाई हुई थी इसलिए थोड़ा दर्द हो रहा था.. पर बहोत अच्छा लगा उसे.. साले का लंड क्या मस्त था.. बस थोड़ी सी ओर ट्रैनिंग देनी पड़ेगी.. फिर एक जबरदस्त चुदाई मशीन में तब्दील हो जाएगा रसिक!! मदन के लंड से दोगुना था रसिक का लंड!! शीला अपनी बुर पर साबुन मलते हुए रसिक के मूसल के विचारों में खो गई।

शीला का भोंसड़ा रसिक का लंड पाकर खिल सा गया था। पिछले दो सालों से लंड की गर्मी के बगैर, बेचारा उसका भोंसड़ा मुरझा सा गया था। पूरा दिन सुबह की चुदाई की यादों में ही गुजर गया... शाम के साढ़े पाँच बजे रूखी आई। शीला और रूखी दोनों बातें करने में व्यस्त हो गए।

बातों बातों में शीला ने रूखी का पल्लू हटा दिया... और उसकी चोली के बटन खोलकर एक चुचे को बाहर निकाला... और उसकी निप्पल को चूसते हुए दुग्धपान करने लगी... दूध पीना बीच में ही रोककर उसने रूखी की ओर देखा.. अपने होंठों से दूध की बूंदें पोंछते हुए शीला ने कहा

"रूखी, तेरा मरद आज सुबह मुझे चोदकर गया" छिनालों जैसी मुस्कान के साथ शीला ने कहा

एक पल के लिए चोंककर

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रूखी मुस्कुराई और बोली "कोई बात नही भाभी.. मैंने भी मेरे मरद के दोस्त जीवा से संपर्क बना लिया है.. वो न सही तो उसका दोस्त ही सही.. वैसे आपको चुदवाने में मज़ा तो आया न!!"

"बहोत मज़ा आया.. दो साल बाद असली लंड को हाथ में पकड़ने का मौका मिला... तेरे पति का लंड तो काफी तगड़ा है री" शीला ने शरमाते हुए कहा

"अरे भाभी, आपने मेरे यार जीवा का लंड नही देखा इसलिए मेरे मरद का लंड बड़ा लग रहा है.. जीवा का लंड तो... क्या बताऊँ आपको.. गधे के लंड जितना मोटा और तगड़ा.. अंदर घुसाकर मेरी मुनिया को ऐसे ठोकता है साला.. अंदर चुत में हंगामा मच जाता है" रूखी की आँखें बंद हो गई और वह जीवा के लंड के सपनों में खो गई।

रूखी शीला की चिकन जांघों पर हाथ फेरकर मजे लेते हुए बोली "भाभी आपका शरीर तो कितना गोरा और चिकना है.. सच कहूँ भाभी तो मुझे अभी जीवा से चुदवाने का बहुत मन कर रहा है "

"तो बुला ले उसे यहाँ.. तुम दोनों अंदर के रूम में अपना कार्यक्रम करते रहना... और में छुप कर देखूँगी.." शीला ने अपने होंठों पर जीभ फेरते हुए कहा

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"क्या सच में उसे यहाँ बुलाया सकती हूँ भाभी? पर कहीं रसिक को पता चल गया तो.. वो तो मुझे जिंदा गाड देगा" रूखी को डर लगा

"उसकी चिंता तू मत कर... मुझ पर छोड़ दे.. तू बुला ले जीवा को यहाँ" शीला ने रूखी का होसला बढ़ाते हुए कहा। वास्तव में जिस तरह रूखी ने जीवा के लंड का ब्यौरा दिया था.. शीला भी उस मुश्टंडे लंड को देखना चाहती थी...

रूखी ने अपने मोबाइल से जीवा को फोन लगाया... जीवा से बात की और शीला के घर का पता और दूसरे दिन मिलने का समय उसे बता दिया। अब शीला जीवा का लँड देखने के लिए बेकरार हो चली थी।

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"भाभी, आपको भी जीवा का लंड देखना है?" रूखी ने जैसे शीला के मन की बात पढ़ ली। बिना कुछ कहे शीला ने हाँ कहते हुए गर्दन हिलाई

"आप उस खिड़की के पीछे छुप जाना.. में कैसे भी करके जीवा को उस तरह घुमाऊँगी जिससे की आपको उसका लंड दिख जाए" रूखी ने कहा

"ठीक है रूखी... अभी मैं सोच रही हूँ की रसिक को फोन करूँ.. उसने मुझे फोन करने के लिए कहा था.. तू भी सुन की तेरा पति कैसे बात करता है" शीला ने शैतानी मुस्कान के साथ कहा

"हाँ हाँ भाभी.. लगाइए फोन" उत्सुकता वश रूखी ने कहा

शीला ने रसिक को फोन लगाया.. रसिक के फोन उठाने का इंतज़ार करती हुई शीला के स्तन रूखी मसल रही थी

"अभी रिंग जा रही है... और रूखी.. तू जरा धीरे धीरे दबा... रसिक से बात चल रही हो तब जोर से मत मसलना... वरना मेरी चीख निकल जाएगी और उसे पता चल जाएगा.. " तभी रसिक ने फोन उठाया " हैलो" शीला ने कहा

"अच्छा हुआ भाभी आपने फोन किया... मैं आपको ही याद कर रहा था" रसिक ने कहा

"अच्छा!! क्या याद कर रहे थे?" शीला ने शरारत करते हुए पूछा

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"भाभी, आपने जिस तरह मेरा मुंह में लिया था.. मज़ा आ गया.. रूखी तो कभी मेरा चूसती ही नही है" स्पीकर फोन पर यह सुनकर रूखी को गुस्सा आ गया

"रसिक, मुझे अभी चुदवाने का मन कर रहा है.. आ जा घर पर अभी" शीला ने कहा

"नही आ सकता भाभी... अभी खेत पर हूँ.. " रसिक ने कहा

"पर रसिक.. मुझसे रहा ही नही जाता... क्या करूँ?"

"आप यहाँ खेर पर या जाओ भाभी.. यहाँ कोई नही है... खेत में छोटा स कमरा बना है और उसमे खटिया भी है"

"खेत में भला तूने खटिया क्यों रखी है तूने? रूखी को वहाँ ले जाकर चोदता है क्या?" शीला ने पूछा

"रूखी मिले तो रूखी... और ना मिले तो सूखी.. में तो यहाँ खेत में काम करने आती मज़दूरनों को भी चोद देता हूँ" रसिक ने ताव में आकर कहा "और वैसे उस रूखी को बच्चों से फुरसत ही कहाँ मिलती है कभी.. "

"गजब का खिलाड़ी है रे तू रसिक.. " शीला ने हंसकर कहा

"खिलाड़ी मैं नही.. मेरा लंड है भाभी। इसे रोज चुत चाहिए.. अब घर में नही मिलती तो बाहर से लाकर भी इसे खुश रखना पड़ता है"

"तुम्हें तो बाहर मिल जाती है.. मुझ जैसी का क्या? में कहाँ जाऊँ?"

"आपको कहीं जाने की जरूरत नही है.. दोपहर के समय मेरे खेत पर आ जाइए.. रसिक का लंड आपकी सेवा में हाजिर रहेगा"

शीला हंसने लगी और कुछ नही बोली

"एक बात पूछूँ भाभी.. क्या आप रूखी को आपके जैसा लंड चूसना सीखा देंगे?" रसिक ने पूछा

"वो तो मैं कैसे सिखाऊँ उसे.. उसके सामने अगर तेरा लंड चुसूँगी तो वो कैसे सह लेगी भला"

"वो तो मुझे भी पता है भाभी पर आप ही कुछ करो ना!! रूखी एक नंबर की गंवार अनपढ़ है... " रसिक ने शिकायती स्वर में कहा

"जैसे तुम मर्दों को लंड चुसवाना अच्छा लगता है वैसे ही हम औरतों को अपनी पुत्ती चटवाना बहुत पसंद होता है यह तो पता है ना तुझे!! तो क्या कभी तूने रूखी की चुत को चाटकर उसे खुश किया है?" शीला ने वेधक सवाल पूछा

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"क्या भाभी आप भी... वहाँ भला कौन चाटता है!!" रसिक ने हँसते हुए कहा

"बहनचोद सुबह तो बड़ी मस्ती से चुसवाया था तब कितना मज़ा आया था तुझे... एक मिनट में ही मेरे मुंह में मलाई गिरा दी थी.. वैसे ही हम औरतों को अपनी चुत चटवाने में मज़ा आता है" शीला ने कहा

"अरे भाभी... क्या कहूँ.. आपने सुबह जिस तरह मेरा लंड चूसा था... उसे याद करते हुए मैंने सुबह से पाँच बार मूठ मार दी.. मेरा हाथ भी दर्द करने लगा है.. लगता है आज क्रोसिन लेनी पड़ेगी... इतनी बार पानी निकालने के बावजूद लंड फिर खड़ा हो गया है.. क्या करूँ बताइए" रसिक ने कहा

"आजा घर पर.. और मेरी गांड में डाल दे.. तेल लगाकर तैयार रखती हूँ" शीला ने चुटकी लेते हुए कहा

"क्या भाभी... गांड में भी कोई डालता है भला" अबुद्ध रसिक ने कहा

"क्यों नही डाल सकते.. घर पर आ तुझे सब सिखाती हूँ"

"आप तो जबरदस्त हो भाभी... रूखी अगर आपके जितनी माहिर होती तो मुझे इन मजदूरनों के गंदे भोसड़े चोदने नही पड़ते... कुछ सिखाओ आप उसे भाभी" रसिक ने कहा

"रसिक, मुझे तो एक साथ दो मर्द चोदे ऐसा भी बहुत पसंद है.. कभी तू अपने किसी दोस्त को लेकर घर आजा... सब साथ में मजे करेंगे."

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"सच में भाभी!! मेरा एक दोस्त है रघु.. उसकी बीवी कुएं में गिरकर मर गई थी.. तब से बेचारा चुत के लिए तड़प रहा है.. अगर आप कहों तो कल हम दोनों सुबह दूध देने आपके घर आयें??" रसिक के मन में लड्डू फूटने लगे

"हाँ तो आ जा.. मैं तो सामने से बुला रही हूँ... पर जरा जल्दी आना ताकि पूरा वक्त मिलें.. मुझे आराम से चुदवाना है.. हड़बड़ी में मज़ा नही आता" शीला ने कहा

"भाभी हम सुबह ४ बजे आ जाएंगे.. चलेगा ना!!" उत्साहित रसिक ने कहा

"पर घर पर रूखी से क्या कहेगा की इतनी जल्दी कहाँ जा रहा है?

"उसकी चिंता आप मत करो.. उसे बता दूंगा की खेत में पानी देने जा रहा हूँ "

"फिर ठीक है.. कल सुबह ४ बजे... पक्का ना!!:

"एकदम पक्का भाभी... आप बस लगाने के लिए तेल तैयार रखना" रसिक ने हँसते हुए कहा

"तू एक बार आ जा.. सब तैयार ही है" शीला ने कहा

"ठीक है भाभी, रखता हूँ" रसिक ने फोन काट दिया

फोन रखकर शीला ने रूखी के विशाल गुंबज जैसे स्तनों को दबाया और कहा "तू जीवा को आज रात यहाँ बुला ले.. पूरी रात वो यहाँ रहेगा.. सुबह जैसे ही रसिक यहाँ आएगा.. में जीवा को तुरंत तेरे घर भेज दूँगी.. ठीक है!!"

"वाह भाभी... गजब तरकीब ढूंढ निकाली आपने.. बड़ी उस्ताद हो" रूखी ने तारीफ करते हुए कहा

"रूखी, मैं अपने दिमाग और चुत दोनों का उपयोग कर सोचती हूँ " अपने सर पर उंगली रखकर हँसते हुए शीला ने कहा

रसिक कल भाभी के घर चला जाएगा... उसके जाते ही जीवा अपने पास आ जाएगा इस सोच से ही रूखी की चुत से बूंदें टपक पड़ी। पर वह ये नही जानती थी की शीला ने एक ही रात में तीन तीन लंड से चुदवाने का प्रबंध कर लिया था!!

रूखी ने लगभग १ घंटे तक शीला के साथ मस्ती की.. और फिर अपने घर के लिए निकल गई। जीवा के साथ रात बिताने के खयाल से ही वह रोमांचित हो गई थी। अब तो रसिक भी उसका कुछ नही बिगाड़ पाएगा.. क्योंकी उसकी पोल भी खुल चुकी थी। अब तक वह जीवा के साथ रिक्शा में हाइवे पर जाती.. और वहीं जितना हो सकता था उसके मजे लेती.. वो भी डरते डरते की कहीं कोई आ न जाए... उसमे उसे जरा भी मज़ा नही आता था.. जीवा का मोटी लौकी जैसा भारी लंड को वह किसी भी डर के बिना अपनी चुदासी चुत में लेना चाहती थी.. और अब उसे अपना सपना सच होता दिखाई दे रहा था

जीवा की हरएक हरकत को याद करते करते रूखी अपने घर की ओर जा रही थी... जीवा का खयाल आते ही उसके दूध से भरे हुए उरोज ओर फूल गए.. और उसके हर कदम के साथ उछलने लगे..

इस तरफ शीला... अपने दिमाग को खुद ही शाबाशी दे रही थी.. काश ये रूखी पहले मिल गई होती..!! दो दो साल से भोसड़े में गाजर मुली और ककड़ी डालकर चुत को सब्जीमंडी ना बनाना पड़ता..!! उसे ताज्जुब यह हो रहा था की आज से पहले उसे रसिक के बारे में खयाल क्यों नही आया?? वो तो कलमुँहा रोज दूध देने आता ही था!!

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शीला जब भी चौराहे से गुजरती तब सारे बूढ़े उसके स्तनों को टिकटिकी लगाकर देखते.. पूरा मोहल्ला उसे ठोंकने के लिए बेकरार था.. सब जानते थे की उसका पति २ सालों से विदेश था.. और तब से वह अपने बिस्तर में करवटें बदलती रही थी.. काफी लोगों ने कोशिश भी की थी.. जब भी वह कुछ सामान खरीदने जाती तब किराने की दुकान वाला हलकट उसके बोबलों को खुलेआम ताकता रहता.. मादरचोद साला!! और सबके सामने उसे देखते हुए अपने लंड को मसलने लगा था.. यह तो गनीमत थी की उसके साथ अनुमौसी भी थे वरना वह हरामज़ादा शीला पर टूट ही पड़ता.. और वो कॉर्पोरेटर का लड़का.. होली के दिन रंग लगाने के बहाने शीला के दोनों स्तनों को मसल गया था.. भड़वा साला!!

शीला को चुदने के लिए लंड का इंतेजाम करना कोई बड़ी बात नही थी.. उसके एक इशारे पर कई सारे मर मिटने को तैयार बैठे थे.. पर उसे डर था समाज का.. आज तक शीला ने बड़े ही विश्वास के साथ अपने आप को काबू में रखा था.. पर यह कमबख्त बारिश ने पूरा काम बिगाड़ दिया... इस मौसम में शीला का भोसड़ा बेकाबू हो गया.. और फिर रूखी और रसिक ने इस आग में पेट्रोल डालने का काम किया.. चलो, जो कुछ भी हुआ ठीक ही हुआ...!!

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लंड को चुत की और चुत को लंड की जरूरत तब से पड़ती आई है जब से मानवजात का इस पृथ्वी पर अवतरण हुआ.. शीला बस यही खयालों में थी की कब रात हो और जीवा का मूसल जैसा लंड देखने को मिले!! शीला की पुत्ती में फिर से खाज होने लगी..
बहुत ही गरमागरम कामुक और उत्तेजना से भरपूर कामोत्तेजक अपडेट है भाई मजा आ गया
शीला ने रसिक के साथ साथ रघू और जीवा के तगडे लंड का इंतजाम अपने भोसडे को शांत करने के लिये कर लिया
रुखी के मन से भी रसिक का डर निकल गया उसकी करतुतों के बारें में जानकर
खैर देखते हैं आगे क्या होता है
अगले रोमांचकारी धमाकेदार और चुदाईदार अपडेट की प्रतिक्षा रहेगी जल्दी से दिजिएगा
 

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Ati uttejak... Naye darshak ke liye kaafi maza.. par chudai ke mahir Khiladi jante hai ki agar Aisa chutiyapa kiya to bhosda nhi banega balki lene ke Dene pad jayenge ... Kahani bhut achchi hai... Sahi Jaa bhi Rahi hai... Update ka size bilkul thik hai.. update ragular bhi hai... Mujhe jis chiz ki Kami lag Rahi hai wo... Dudh wali bai... Uske kirdar me lagta hai koi Raaz hai... Uske kirdar se Sheela ki Leela me Naya nikhar aaya hai... Best of luck
 
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