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Incest लुच्ची माँ और हरामी बेटे।

Ek number

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हैलो दोस्तो मेरा नाम शिवानी हैं। और मैं एक राईटर हूँ, मैने कुछ बुक्स लिखी हैं जिस जो सेक्स से किसी भी तरहा से सम्बन्धित नहीं है। मैं अपनी बुक्स राईटिंग के लिए कुछ रिसर्च कर रही थी तो मुझे सेक्स स्टोरी के बारे मे पता चला। सुरू मे मुझे यह काफी अजीब लगा कि लोग एसा कुछ लिख रहे हैं और पढ़ रहे हैं। लेकिन धीरे धीरे मुझे भी यह पढ़ना अच्छा लगने लगा। और मैं रोज ये स्टोरी पढ़ने लगी। मुझे खास कर रिस्तो मे सैक्स वाली कहानीया ज्यादा अच्छी लगती है।

मैं अपने बारे में आप को बता दूं कि मेरा नाम शिवानी है। मेरी उम्र 28 साल हैं। मेरी शादी को 6 शाल हो चुके हैं। और मेरा 4 शाल का एक बेटा हैं। सेक्स स्टोरी पढ़ने का मुझ पर यह असर हुआ कि मुझे माँ बेटे से सम्बंधित कहानीयाँ पसन्द आने लगी। मैं अब जब भी अपने पती के साथ सैक्स करती हूँ तो मेरे बेटे के सहामने ही करती हूँ। ये मुझे बहुत मजा देता हैं। मेरा बेटा अभी ज्यादा तो सेक्स के बारे में नहीं जानता है। लेकिन उसे भी मुझे चुद्ते हुए देखने में मजा आता हैं। मेरे पती भी यह इन्जोय करते हैं। मैं जब अपने पती के ऊपर लेट कर धक्के मारती हूँ तो मेरा बेटा पीछे जा कर मेरी गाँड़ देखता हैं। उसे यह बहुत अच्छा लगता हैं। और मुझे भी यह बहुत ही मजा देता हैं।

खैर अब आती हूँ मैं अपनी कहानी की तरफ यह कहनी मेरे दिमाग कि उपज हैं। और माँ बेटो कि कहानी है इस कहानी के पात्र इस परकार हैं।

1-संजय

ये हैं इस परिवार के बड़े इन कि उम्र 40 साल हैं। और एक बिजनेस मैंन हैं। सैक्स के मामले में काफी मजबूत हैं। और काफी खुले विचारों के भी। इन के अपने की औरतों के साथ संबंध है। और पैसा देकर भी कई राते बितातें हैं। वैश्याओ के साथ। जहा तक अपनी पत्नी के साथ संबन्ध की बात है। उसके साथ भी सैक्स काफी अच्छा है। और अपनी पत्नी को भी काफी छूट देते है। यहा तक की अपनी पत्नी को किसी और के साथ सैक्स करते देखने में इन्हें काफी मजा आता हैं। इसी लिए ये अपनी पत्नी के साथ कई बार रात को क्लब जाते हैं शराब पीते हैं। और दूसरें मर्दों के साथ अपनी पत्नी को चुदवाते हैं। जिसमें इनहें और इनकी पत्नी दोनो को ही बहुत मजा आता हैं।

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2- सुगंधा

ये हैं संजय कि पत्नी नाम सुगंधा बेहद ही कामुक चंचल और होशयार औरत। दिखने में बला सी खूबसूरत, रंग गोरा लम्बाई 5 फूट 6 ईंच फिगर तो क्या ही गजब का हैं। चुच्ची 38 की कमर 26 की और गांड 38 कि बिल्कुल कसा हुआ शरीर। जितनी दिखने में कामुक उतनी ही अंदर से भी कामुक कोई मर्द इस को नजर भर देख भर ले इस की चूत से पानी आना शुरू हो जाता हैं। मर्दों को रिझाना और अपना अंग प्रदर्शन करना मानो इस का पसंदिदा काम हो। आज तक कई लोगों के साथ सेक्स चुकी हैं। जैसा पहलें बताया कई लोगों के साथ तो अपने पति के साहमने ही चुद चुकी हैं। शराब पीने के बाद तो मानो लण्ड चाहीए ही चाहीए किसी से भी चुद जाए अपने शरीर की आग को ठंडा करने के लिए। कभी कभी जब इस का पती घर पर नहीं होता था तो अपने यारों को घर पर भी बुला लेती थी। जी हा यार को ही नहीं यारों को यानी दो लण्ड एक साथ लेने का भी शोंक रखती हैं। सुगंधा लेकिन अब ऐसा नहीं करती हैं। अब इस के बेटे बड़े हो रहें हैं। इस लिए अब किसी को कम से कम घर तो नहीं बुलाती हैं।
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3- मोहित

ये हैं इन का बड़ा बेटा नाम मोहित माँ बाप के सारे गुण बेटे में कैसे नहीं होंगें। जितना सेक्स माँ और बाप में भरा हुआ ऊतना ही बेटे में भी हैं। हर समय लण्ड खड़ा रहता हैं। किसी ना किसी की चूत मिल जाए बस यही खयाल दिन रात रहता हैं। बड़े चुच्चे और गांण्ड वली औरते खास पसंद हैं। उम्र अभी सिर्फ 19 साल हैं। लेकिन किसी भी तरहा सैक्स के मामले में नौसिखिया नहीं हैं। पोर्न देखना सेक्स स्टोरी पढ़ना फेवरेट काम हैं। एक दो लड़की भी पटा कर चोद चुका हैं। बाप के पास पैसो कि कमी नहीं हैं। तो पैसे दे कर रंडीयो की भी चूत कई बार मार चुके हैं। दोनो भीई मिल कर। लण्ड का साईज 8 ईंच।
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4-रोहित

ये हैं छोटा बेटा उम्र 18 साल दोनो भाईयों में सिर्फ एक साल का ही अंतर हैं। और हरकतों में भी कोई खास अंतर नहीं हैं। जितना हरामी बड़ा भाई उतना ही बड़ा हरामी छोटा भाई औरतो को चोदने का खास शौकीन किसी भी औरत के छेड़ने में और गांण्ड पर हाथ फेरने में बहुत मजा आता था। ज्यादातर हरकतें दोनों भाई मिल कर ही किया करतें थें लण्ड का साईज 7 ईंच अपने भाई से थोड़ा सा कम लेकिन किसी भी औरत को पागल करने के लिए काफी।
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Nice start
 

Gary1511

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Update 4

संजय तो झड़ने के बाद मूँह दूसरी तरफ घुमा कर सो गया लेकिन सुगंधा को नींद नही आ रही थी उसके दिमाग में अभी भी सैक्स के दौरान अपने पती द्वारा कही गई बातें ही चल रही थी। वैसे तो संजय अक्शर सैक्स के दौरान ऐसी बाते किया करता था जो संजय और सुगंधा दोनों को सैक्स के लिए ज्यादा उत्तेजित किया करती थी लेकिन आज जो संजय ने कहा वह हमेशा से अलग था क्योंकि आज संजय और किसी के बारें में नहीं बल्की उन्हीं के बेटों के बारे में अपनी पत्नी को चोदते हुए बाते कर रहा था कह रहा था कि एक दिन तेरे दोनों बेटे तुझे चोदेंगे। तेरी गाण्ड में लण्ड डालेंगे। सुगंधा यह सब सोच सोच कर फिर से गर्म हुए जा रही थी कि उसके पती उसके बेटों और सुगंधा के बारे में सैक्स के दौरान ऐसी बाते कर रहा था। यही सब सोचते सोचते सुगंधा बिस्तर पर लेटे लेटे अपनी चूत में ऊगंली किये जा रही थी। आधी रात बीत गई सुगंधा दो बार ऊंगली कर कर के झड़ चुकी थी एक बार चुदाई के दौरान और दो बार ऊंगली के इस्तेमाल से झड़ने के बाद अब सुगंधा की कामुखता कुछ हद तक शांत हुई थी। लेकिन नींद अभी भी उसे नहीं आ रही थी। उसके दिमाग में अभी भी यही सब चल रहा था कि संजय ने सैक्स के दौरान ऐसा सब कुछ क्यों बोला क्या सच में संजय ऐसा चाहता है या यह सिर्फ सैक्स के दौरान एक फैंटसी मात्र ही थी। सुगंधा इसी सोच में बड़ी देर तक पड़ी रही और ना जाने कब सो गई।

सुबहा हूई सुगंधा सबसे पहले उठी उठने के बाद सुगंधा ने देखा वह आज फिर नंगी ही सोई हुई थी और बगल में उसका पती भी नंगा ही बेसुध पड़ा था। सुगंधा को फिर से एक बार रात की घटना (सैक्स के दौरान संजय के शब्द) याद आ गये सुगंधा के शरीर में फिर से एक बार करंट का दौड़ गया। खैर रोजाना की तरह सुगंधा सबसे पहले उठकर बाथरूम गई नहा कर टावल लपेट कर बाथरूम से बाहर आई। अब तक संजय भी जाग चुका था। बिस्तर पर लेटे लेटे ही उसने सुगंधा को देखकर स्माईल की और गुड़ं मॉर्निग विष किया। सुगंधा ने भी बिस्तर पर झुकते हुए संजय के होठो को चूमकर गुड़ मॉर्निग बोला संजय ने इस दौरान सुगंधा की चुच्ची जोर से टावल के ऊपर से ही दबा दी सुगंधा तुरंत वापस खड़ी हो गई। और संजय उसकी तरफ एक तीखी बेशर्म सी हँसी हँस दिया सुगंधा ने भी चीभ निकालकर उसे चीड़ाने का इशारा किया और अलमारी से अपने पहनने के लिए कपड़े निकालने लगी। लेकिन संजय उसे रोक देता है। और कहता है कि आज जो मैं तुम मेरी पसंद के कपड़े पहन्ना। संजय उसके कपडो में से एक सफेद रंग की कुर्ती और सफेद रंग की ही एक लैगिंग निकाल कर देता है। सुगंधा उन कपड़ो को देखकर कहती हैं। कि ये कपड़े तो बहुत पुराने हो चुके है। मैने बहुत दिनों से पहने भी नहीं है। और ये थोड़े टाईट भी हो गई होंगे मुझे। लेकिन संजय नहीं माना बोला- कोई बात नहीं बहुत दिन से नहीं पहने तो क्या हुआ आज पहन लो तो मैं देख ही सकता हूँ। इतना कह कर संजय बाथरूम में फ्रैस होने चला जाता है। सुगंधा वह कपड़े पहल लेती है। सच में सुगंधा बला सी सुन्दर लग रही थी उन कपड़ो में जैसे ही संजय बाथरूम से बाहर आकर सुगंधा को उन कपड़ो में देखता है। देखता ही रह जाता है। सुगंधा का कुर्ता थोड़ा टाईट तो था ही और थोड़ा ऊंचा भी था जो सुगंधा की गाण्ड को मुस्कुल से ही पूरा ढ़क पा रहा था। लैगिंग भी बहुत टाईट भी उसकी गाण्ड बहुत ऊभर कर उस लैगिंग में दिखाई दे रही थी। और कपडों का मैटीरियल भी थोड़ा हल्का ही था जिसमें से ज्यादा कुछ तो नहीं लेकिन अगर सुगंधा की कुर्ती पीछे से थोड़ी सी भी ऊपर होती तो ऊसकी पैंटी उसमें से थोड़ी थोड़ी देखी जा सकती थी।
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संजय सुगंधा को इस रूप में देखकर बहुत खुश होता है। और पीछे से उसे पकड़ लेता हैं। और अपना लण्ड सुगंधा की गाण्ड पर रगडने लगता है। और आपने हाथों से सुगंधा के बूब्स को दबा देता है। सुगंधा भी सिहर सी जाती है। थोड़ी देर बूब्स दबाने के बाद संजय अपने हाथ नीचे ले जाता है और सुगंधा की चीत पर रख देता है। और अपनी ऊंगलीयों से सुगंधा की चीत को सहलाने और मसलने लगता है। सुगंधा गर्म होने लगती है। फिर संजय सुगंधा को घुमा कर अपनी तरफ कर देता है। और उसके होठों को चूमने लगता है। और अपने हाथ पीछे लेजाकर सुगंधा की गाण्ड को दबाने लगता है। थोड़ी देर बाद सुगंधा पूरी तरह से गर्म हो जाती है। तभी संजय उसे छोड़कर बाथरूम में चला जाता है नहाने सुगंधा भी कमरे से बाहर आ जाती है। और देखती हैं। दोनों बेटे अभी भी सो ही रहे थे। वह

उनके कमरें में उन्हें उठाने जाती है। रोहित मोहित के कमरे में जाकर सुगंधा उन्हें आवाज लगाती है। तो दोनों भाई आखें मलते हुए उठते है। सुगंधा को अपने साहमने देखते है। तो देखते ही रह जाते है। सुगंधा का फिगर बहुत ही ज्यादा निखर कर इन कपड़ो में दिखाई दे रहा था। सुगंधा उन्हें उठाने के बाद बाहर जाने लगती है। तो दोनों भाईयों की नजर उसकी गाण्ड पर टिक जाती है। और उसकी मटकती हूई गाण्ड कुछ ज्यादा ही सैक्सी लग रही थी। उस टाईट सी लैगिंग में और कुर्ती भी आधी गाण्ड तक ही आ रही थी और वौ भी सुगंधा के हर कदम के साथ हिल रही थी जो सी इस दृश्य को और भी ज्यादा मन मोहक बना रही थी। खैर सुगंधा तो तब तक कमरे से बाहर निकल जाती है। लेकिन तब तक उसकी हिलती हुई गाण्ड अपना असर दोनों बेटों के लण्ड पर कर चुकी थी दोनों ही माँ कि गाण्ड को देखकर अपने अपने लण्ड को पकड़ लेते हैं। और पैंट के ऊपर से ही दबाने लगते है। दोनों भाई एक दूसरे की तरफ देखकर मुस्कुराते है।

रोहित- भाई रात के झटके से तो अभी तक ऊभर नहीं पा रहा था पूरी रात माँ की आवाजे ही कानों में गूंज रही थी कि सुबहा सुबहा फिर से 1000 वॉट का छटका दे कर चली गई।

मोहित रोहित की इस बात पर हँसता है और कहता है।– कैसा झटका।

रोहित- झटका नही झटके जो माँ कि गाण्ड को हिलते हुए देखकर लग रहे थे मेरे दिल पर।

मोहित- हाँ यार आज तो माँ कि गाण्ड कुछ ज्यादा ही कमाल की लग रही है। जाने आज पूरा दिन कैसे कन्ट्रोल कर पाऊंगा माँ को इन कपड़ो में देखकर मन तो कर रहा है अभी जा कर पकड़ लूँ।

रोहित- हाँ यार मन तो मेरा भी कुछ ऐसा ही कर रहा है। लेकिन क्या करें माँ है। अगर कोई और होती तो आज तो पकड़ कर रगड़ ही देता बाद में जो होती देखी जाती।

इतने में माँ फिर से बाहर से आवाज लगाती है।– उठे नहीं तुम लोग अभी तक नाश्ता बन गया है। जल्दी फ्रैश होकर बाहर आओं।

माँ की आवाज सुनकर दोनों को कुछ होश आता है। और दोनों अपने ख्यालो से बाहर आकर तुरंत बिस्तर से ऊठ खड़े हुए और एक एक कर के बाथरूम गये जल्दी जल्दी फ्रैश होकर बाहर आए। बाहर आकर डाईनिंग टेबल में बैठ गये। और रसोई में काम करते हुए सुगंधा पर दोनों की नजर जाती है। और फिर से दोनों की नजर सुगंधा की गाण्ड पर ही टिक जाती है। गलती इन दोनों की भी नहीं है सुगंधा की गाण्ड आज कुछ ज्यादा ही कामुक लग भी रही थी। दोनों बेटे माँ कि गाण्ड को निहारने में इतने खो गए थे कि कब संजय आया और ड़ाइनिंग टेबल पर आकर बैठ जाता है दोनों को होश ही नहीं रहता है। संजय दोनों बेटों को सुगंधा की गाण्ड को निहारते हुए देख रहा था। तभी संजय उन का ध्यान भंग करते हुए कहता है।

संजय- गुड़ मार्निंग यंग बॉयस।

संजय की आवाज सुनकर दोनों को होश आता है। सकपकाते हुए दोनों संजय की तरफ देखते है। और संजय को गुड़ मार्निग विश करते है।

संजय- कहाँ खोए हुए है दोनों जवान सुबहा सुबहा।

मोहित- कुछ नहीं पापा वो बस यही देख रहे थे कि माँ नाश्ते में क्या बना रही है।

मोहित और रोहित की बात सुनकर संजय भी मुस्कुराता है। और सोचता है कि हम जवान लड़के की तरह ये दोनों भी अपने बाप को चूतियाँ ही समझते है। लेकिन ये नही जानते जो ख्याल बेटे के दिमाग में आता है बाप को उसका परिणाम भी पहले से ही पता होता है।

इतने में सुगंधा भी नाश्ता लेकर आ जाती है। और सबका नाश्ता टेबल पर लगाने लगती है। और पूछती है। क्या बात हो रहीं है।

संजय- कुछ नहीं लगता है। जवान कुछ ज्यादा ही भूखे है। भूखे शेर की तरह अपने शिकार को निहार रहे हैं।

सुगंधा भी अपने पती का कहने का मतलब समझ जाती है कि जरूर आज फिर से दोनों उसकी गाण्ड़ को घूर रहे होंगे। लेकिन दोनों बेटे तो जवानी के नशे में थें। दोनों को लगता है बाप तो खाने पीने के अलावा कौर किसी बारे में सोच ही नहीं सकता है। तो दोनों बाप की बात सुनकर मुस्कुरा देते हैं। सुगंधा भी संजय की बात सुनकर मुस्कुरा देती है। और इस बार रसोई में बाकी सामान लेने जाते समय उसकी गाण्ड़ कुछ ज्यादा ही मटकने लगती है। जिससे उसकी टाईट लैगिंग में कशी हुई गाण्ड कुछ ज्यादा ही कामुख लगने लगती है। इस बार दोनों बेटों के साथ साथ संजय की नजर भी सुगंधा की गाण्ड पर टिक जाती है। सुगंधा रसोई में पहुँच कर पीछे पलट कर देखती है। तो तीनों को ही अपनी गाँण्ड को खा जाने वाली नजर से घूरता हुआ पाती है। मुस्कुराती हुई सुगंधा बाकी का नाश्ता लेकर टेबल पर वापस आती है और कहती है।

सुगंधा- लगता है जवानों के साथ साथ कमाण्डर भी काफी भूखा है।

संजय भी मुस्कुरा देता है। सभी लोग नाश्ता करने लगते है। नाश्ते के बाद मोहित और रोहित हाँल में मौजूद सोफा पर आकर बैठ जाते है। संजय ऑफिस जाने से पहले मोहका देखकर सुगंधा के पास रसोई में जाता है। और पीछे से सुगंधा को पकड़ कर कस कर अपनी बाहों में भर लेता है और धीरे से उसके कानों में कहता है दोनों शिरारी काफी भूखे लगते हैं। ध्यान रखना कही शिकार को पकड़ कर फाड़ ना डाले।



सुगंधा- कौन सा शिकार?

संजय पीछे हटता हुआ सुगंधा की गाण्ड पर एक जोर दार थप्पड़ मारता है और कहता है ये शिकार।

सुगंधा अचानक लगे थप्पड़ से एक दम शक पका सी जाती है। थप्पड़ की आवाज इतनी तेज थी की दोनों ही बेटों की नजर तुरंत रसोई की तरफ जाती है। लेकिन संजय अभी तक पीछे हट चुका था लेकिन सुगंधा का हाथ उसकी गाण्ड पर था और वो पीछे मुड़कर संजय की तरफ देख रही थी। नजारा देखकर दोनों भाई समझ जाते है कि उनके बाप में माँ कि गाँण्ड पर जोर दार थप्पड़ मारा है। दोनों ही मन में अफसोस करते है कि नजारा उनकी आखों से चूक गया। खैर संजय सब को बॉय बोलकर अपने ऑफिस के लिए निकल जाता है।

बाप के ऑफिस जाने के बाद दोनों बेटे अब बेफिर्क होकर सुगंधा से नजर बचा कर उसके शरीक को नीहारने लगते है। और अपने लण्ड़ को सहलाते रहते हैं। दोनों नोशिखिये मर्द सुगंधा की अनुभवी नजरों से बच नहीं पाते है। और सुगंधा ताड़ ही लेती है। दोनों बेटों की नजरों का निशाना। सुगंधा भी सुहबा से संजय की हरकतों की वजहा से गर्म महशूस कर रही थी। ना सिर्फ संजय की हरकते बल्की आज कल ना जाने क्यों सुगंधा कुछ ज्यादा ही कामुक महशूस कर रही थी। वो कहते है ना कि औरत के जिस्म पर अगर किसी मर्द की नजर टिकी हो तो औरत को बिना पता होते हुए भी उसके शरीर पर उसका असर हो ही जाता है। यही कुछ दिनों से सुगंधा के साथ भी हो रहा था। जब से सुगंधा के बेटे उसपर नजर गड़ाए गड़ाए हुए थे उसका असर सुगंधा से जिश्म पर भी हो रहा था या यूँ कहूँ कि सुगंधा की चूत पर हो रहा था जो की उस दिन से लगातार ही गर्म और गीली थी। खैर थोड़ी देर सुगंधा के जिसम को घूरने के बाद दोनों भाई हॉल से उठकर अपने कमरे में आते है। बारी बारी नहाते है। और तईयार होकर आज अपने कमरे में ही बैठकर पॉन देखने की जगहा फिर से लाईव नजारे देखने के लिए हॉल में ही आकर बैठ जाते है। तब तक सुगंधा भी अपना काम खत्म कर हॉल में ही टीवी देखने के लिए बैठ जाती है। तीनों मिलकर टीवी देखने लगते है। रोहित टीवी का रिमॉट उठाकर एक हालिवुड़ मूवी लगा देता है। तीनों इधर उधर की बाते करने लगते है। तभी रोहित अचानक से पूछता है।

रोहित- माँ आप और पापा उस दिन किस की पार्टी में गए थे।

सुगंधा- कौन से दिन।

रोहित अचानक से बोल देता है।– जिस दिन आपने वो सैक्सी सी लाल ड्रैस पहनी थी।

सैक्सी ड्रैस सुनकरा मोहित और सुगंधा थोड़े चौंक से तो जरूर जाते है लेकिन इतना भी ऑकवर्ड मूमैंट नहीं था। क्योंकि दोनों बेटे बच्पन से ही सुगंधा के साथ काफी फ्रैंक थे।

सुगंधा मुस्कुराते हुए कहती हैं- वो सैक्सी ड्रैस पहन कर मैं और तेरे पापा उनके एक दोस्त की पार्टी में गए थे उसके दोस्त के बेटे का जन्म दिन था। (सुगंधा साफ झूठ बोल रही थी लेकिन जिसकी उसको आदत थी।)

मोहित- काफी हाई फाई पार्टी थी क्या माँ आपको देखकर तो लग रहा था जैसे पार्टी कुछ ज्यादा ही खास थी।

सुगंधा- हाँ पार्टी ठीक ठाक ही थी लेकिन मुझे देखकर ऐसा क्यो लग रहा था कि पार्टी इतनी खास थी।

मोहित- आप जिस तरह तईयार हुई थी लग रहा था सभी की नजर पूरी पार्टी में आप पर ही टिकी रही होंगी।

सुगंधा मोहित की बात पर हँस दी और बोली नहीं नहीं ऐसा कुछ नहीं था वहा सभी औरते ऐसे ही तईयार होकर आई थी।

रोहित तपाक से बोलता है- मजे होंगे फिर तो उस पार्टी में सभी मर्दों के।

रोहित की बात सुनकर सुगंधा हँसने लगती है और कहती है- चल गंदा कुछ ज्यादा ही बदमाश हो गया है।

रोहित इस बात पर बेशर्मों की तरह हँस देता है। तभी सभी की नजर टीवी पर जाती है। टीवी में एक सैक्सी सा सीन चल रहा था। जिसमें एक लड़की और दो लड़के बॉथ टब में थे और तीनों का सैक्स चल रहा था। जाहिर है मूवी का सीन था तू फुल न्यूड़ तो नहीं दिखा रखा था लेकिन सीन था काफी सैक्सी।
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सीन देखकर तीनों की ही नजरें टीवी पर गड़ जाती है। सुगंधा जो पहले से ही कामुक महशूस कर रही थी शीन देखकर अपने पैर सौफा पर उपर रख कर उनहें जोर से दबा कर अपनी चूत को दबाने की कोशिश करती है। जिससे वह कुछ शांत हो सके। पैर उपर रखने से उसकी कशी हुई गाँण्ड उभर कर दोनों बेटों के साहमने आ जाती है। सुगंधा की नजर अभी भी टीवी पर ही थी लेकिन दोनों बेटों की नजर अब टीवी से हटकर सुगंधा की गाँण्ड़ पर जम गई थी क्योंकि टीवी से ज्यादा सैक्सी नजारा सुगंधा की गाँण्ड़ थी। नजारा कुछ ऐसा था।
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सुगंधा की गाँण्ड देखकर दोनों बेटे अपने अपने लण्ड के ऊपर हाथ रख कर उसे सहलाने लगते है। सुगंधा की नजर जैसे ही टीवी से हटती है। दोनों बेटों को अपनी गाँण्ड की तरफ घूरता हुआ पाती है। जो की उसे अंदर से और ज्यादा बेचैन कर देती है। और अपने पैरों को जोर से दबा कर अपनी चूत को बदाने की कोशिश करती है। जिसका असर उसकी गाँण्ड पर भी होता है जो कि दोनों बेटे उसकी गाँण्ड को देख कर उसमें हुई हल्चल को अच्छे से महशूस करते है। दोनों बेटे सब कुछ भूलकर सीधी नजरों से सुगंधा की गाँण्ड को घूरे जा रहे थे। नजारा हि कुछ ऐसा था सुगंधा की बड़ी और रसीली गाँण्ड वो भी इस टाईट और पतली सी लैगिंग में कसी हुई और ऊपर से सुगंधा जो अपने पैरो को दबा कर अपनी उत्तेजित चूत को दबा कर कुछ शांत करने की कोशिश कर रही थी उसके कारण उसकी चूतड़ो का माँस भी हलचल कर रहा था। जिसे देखकर दोनों जवान बेटे आपे से बाहर होते जा रहे थे। अगर सुगंधा ने टांग ना पहनी होती तो लैगिंग का कपड़ा इतना पतला था कि उसमें से हिसुगंधा की पैंटी साफ देखी जा सकती थी। हालांकि टांग इतनी छोटी थी कि उसका पूरा पीछे वाला हिस्सा तो सुगंधा की गाँण्ड में ही घुसा हुआ है। सुगंधा उन्हें ही देख रही थी। जैसे ही वो सुगंधा की तरफ देखते है अपनी पलकों को ऊँचा कर के क्या हुआ जैसा इशारा करती है। दोनों डर से जाते हैं मोहित हिम्मत कर के कुछ नहीं के लिए सिर्फ शर हिला कर जवाब देता है। बेटों की नजर में डर सा देख कर सुगंधा को हँसी आ जाती है। एक तीखी मुस्कान देती था। खैर अब बात हाथ से निकल जाए और दोनों जवान बेटे आपे से बाहर हो जाऐ उससे पहले सुगंधा ने इस सब को रोकना ही ठीक समझा और उसने अपने पैर सोफा से नीचे रख लिए और अपनी गाँण्ड का मनमोहक दृश्य दोनों बेटों की नजरों से ओझल कर दिया। अब तक टीवी में चल रहा वह सैक्स सीन भी खत्म हो चुका था। फिर सुगंधा कहती है कि- तुम ही देखों यह बोरिंग फिल्म मै तो बोर हो गई इस में और सुगंधा यह कह कर वहा से उठकर जाने लगी जैसे ही सुगंधा वहा से उठकर जाने लगती है आदत के मुताबिक दोनों बेटो नजर एक बार फिर से सुगंधा की गाँण्ड पर ही टिक जाती है। सुगंधा भी आदत से मजबूर थी अच्छी तरह से जानती थी कि दोनो बेटे उसकी गाँण्ड को घूरे बिना खुद को रोक नहीं पाएँगे। तो सुगंधा भी अपनी गाँण्ड को कुछ ज्यादा ही मटका मटका कर चलने लगती है। अपने कमरे के दरवाजे पर जाती है। मुड़ कर देखती है दोनो बेटे घूर घूर कर उसकी गाँण्ड़ को ही देख रहे थे। सुगंधा चाहती तो वहाँ से अंदर जा सकती थी बिना बेटों को यह अहसास होने दिए कि मैंने तुम्हें घूरते हुए देख लिया है। लेकिन इस बार सुगंधा ने ऐसा नहीं किया और दरवाजे पर ही खड़ी रही जब तक कि दोनों बेटों को यह अहसास नहीं हो गया कि उनकी माँ उन्हें ही देख रही है। जैसे ही दोनों बेटों को यह अहसास होता है। दोनों डर से जाते है। और हिम्मत कर के सुगंधा के चहरे कि तरफ देखते है और लगभग हँती हुई कमरे के अंदर चली जाती है। दोनों भाई राहत की साँस लेते है। रोहित मोहित से कहता है।

रोहित- भाई क्या माँ ने हमें उन की गाँण्ड़ घूरते हुए देख लिआ था।

मोहित- हाँ जैसे हम एक टक माँ कि गाँण्ड को ही घूर रहे थे तब माँ हमे ही देख रही थी तो पक्का माँ समझ गई होंगी कि हम उनकी गाँण्ड़ को ही घूर रहे थे।

रोहित- तो फिर माँ ने कुछ बोला क्यों नहीं। और उल्टा वो तो हमारी तरफ एक सैक्सी सी स्माईल पास कर के गई।

मोहित- हाँ यार यही मैं सोच रहा हूँ। मेरी तो गाँण्ड ही फट गई थी कि माँ ने हमें उनकी गाँण्ड़ घूरते हुए देख लिया है। अब तो पक्का हमारी गाँण्ड़ टूटने वाली है।

रोहित- ये ही मैं सोच रहा था। लेकिन माँ आज कल हमें कुछ ज्यादा ही शर्पराईज दे रही है।

मोहित- खैर वो सब छोड़ ये बता आज माँ कैसी लगी।

रोहित- क्या बताऊ यार आज तो मानो देखकर पागल ही रहा हूँ मैं इतनी टाईट कुर्ती में उभर के नजर आती हुई चुच्चीयाँ मानो अभी कुर्ती को फाड़ कर बाहर आ जाएंगी। और नीचे तो नजारा ही मत पूछ यार मोटी मोटी केले के तने के जैसी माँ की जाँघे उस कसी हुई लैगिंग में मानो जूस से भरी हुई हो और सोने पर सुहागा है उन की गाँण्ड़ जो ऐसे हिल रही है उस टाईट लैगिंग में मानो पानी का भरा गुब्बारा फुदक रहा हो। सच कहूँ यार आज तो लण्ड सुबहा से बैठने का नाम ही नहीं ले रहा है।

मोहित- बिल्कुल सही कहा तूने और तूने देखा था पापा ने सुबहा माँ की गाँण्ड़ पर कैसा जोरदार तमाचा मारा था। हाँ माँ जब अपने चूतड़ो को रगड़ कर सहला रही थी मन कर रहा था जा कर चूम लूँ माँ के चूलड़ को।

रोहित- पूछ मत यार आज तो मानो माँ हमारे सब्र का ईमतिहान ले रही हो। जितनी बार भी सहामने आती है। उतनी बार ही लण्ड़ खड़ा हो जाता है बुरा हाल है मेरा तो।

मोहित- हाँ यार सब ये नजारा पूरा दिन नजरों में भर लेना चाहता हूँ पता नहीं इसके बाद कब माँ ऐसे कपड़े पहनेंगी।

रोहित- एक आईडिया है जिस से हम रोज माँ को इस रूप में देख सकते है।

मोहित- वो कैसे?

रोहित अपना फोन निकाल कर रोहित को दिखाता है।

मोहित- क्या मतलब?

रोहित- अरे पागल अगर हम माँ की फोटो ले लें तो कैसा रहें गा।

मोहित- हाँ यार आईडियाँ तो अच्छा है। लेकिन अगर माँ की नजर पड़ गई तो अरे कुछ नहीं होगा। सिर्फ माँ के पीछे से ही फोटो लूँगा। वैसे भी असली मजा तो माँ की गाँण्ड में ही है।

रोहित- यार कह तो तू ठीक रहा है। आज का नजारा हम मिस नहीं कर सकते हैं।

ये बात करने के बाद दोनों भाई अपने कमरें में चले जाते है। और इँतजार करने लगते है। कि कब उनकी माँ फिर से उनके साहमने आएगीं और वे इस खूबसूरत दृश्य को एक बार फिर से देखेंगे और अपने फोन में हमेशा के लिए संजो कर रखेंगे। तभी बाहर हाँल में से सुगंधा की उन्हें आवाज लगाने की आवाज आती है। दोनों भाई दौड़ कर बाहर जाते है। तो सुगंधा कहती है कि उसकी एक फ्रैड़ का फोन आया है। उसे उस से कुछ काम है इसलिए वह उससे मिलने जा रही है। तुम लोग खाना खा लेना वह शाम तक घर वापस आ जाएगी।

दोनों भाई ठगें से एक दूसरे की तरफ देखते रह जाते है। क्या यार ये फ्रैड़ के पास भी आज ही जाना था एक तो माँ को देख नहीं पाएंगे इतनी देर तक आज तो मोहका मिला था माँ के शरीर का इतना सुन्दर रूप देखने का और ऊपर से फोटों लेने का जो प्लान बनाया था वह भी धरा का धरा रहा गया।

मोहित- ले लेले फोटों चली गयी माँ तो अपनी शहेली के घर सारा प्लान चौपट हो गया।

रोहित- कोई ना यार जाएंगी कहा बच कर आएगी तो वापस घर ही जब आएंगी तब ले लेंगे फोटों।

मोहित- हाँ देखते है मौहका मिलता कि नहीं।

दोनो भाई फिर अपने रूम में जाने लगते है। लेकिन तभी रोहित के दिमाग आता है। रोहीत- यार क्यों ना माँ की अलमारी एक बार फिर से देखी जाए।

मोहित- क्या देखना है उसमें देख तो ली थी सारी पैंटी उस दिन। (हालांकि मन मोहित का भी था लेकिन वह रोहित के मूँह से कहलवाना चाहता था)

रोहित- अरे चल ना यार एक बार और देखते है।

मोहित- ठीक है चल चलते है।

दोनों भाई झट से माँ पापा के कमरे में पहुँच जाते है। और अलमारी खोलकर सुगंधा के पैंटी ब्राँ वाली अलमीरा खोलते है। उसमें बहुत सारी पैंटी और ब्राँ थी सभी दोनों उस रात भी देख चुके थे लेकिन दोनों का मन नहीं भरा था तो आज फिर से हाथ में उठा कर दोनो एक एक कर के सारी पैंटीयाँ देखने लगे सूंघने लगे और चूत के साहने वाले हिस्से को चूमते। कुछ पैंटियों में अभी भी माँ कि चूत की महक सी समाई हुई थी। जिसे सूंघ कर दोनों पागल से हुए जा रहे थे। तभी मोहित कहता है।

मोहित- यार माँ कि वह बैंगनी वली पैंटी दिखाई नहीं दे रही शायद माँ मेरा शक ठीक था माँ ने कल वही वाली पैंटी पहनी होगी।

रोहित- तो अभी वह कहा होगी।

मोहित- शायद बाथरूम में।

रोहित भाग कर माँ के बाथरूम की तरफ जाता है। और बाथरूम में घुस जाता है। वहाँ उसे सुगंधा की वही बैंगनी पैंटी और ब्राँ मिलती है। रोहित झट से वह पैंटी उठाता है। तो मानो उसकी तो आज लॉटरी ही लग गई हो। सुगंधा की पैंटी तो मिली ही वो भी बिना धुली। सुगंधा को रोजाना अपने कपड़े धोने की आदत नहीं थी। और जैसी हालत सुगंधा की चूत की कल थी पूरे दिन गीली ही रही थी और पानी टपका रही थी। उसका साफ साफ असर उसकी पैंटी पर देखा जा सकता था पैंटी पर एक बहुत बड़ा निशान चूत के साहमने वाले हिस्से पर बना हुआ था ओर वह निशान फैल कर नीचे गाँण्ड के छेद के पास तक का रहा था। मतलब पानी इतना निकला कि चूत से बह कर गाँण्ड तक चला गया। रोहित पैंटी को आपनी नाक के पास लाकर सूंधने लगा और मदहोश सा हो गया। उसमें से आती हुई कामुक खुशबू उसे पागल कर रही थी। रोहित उसे सूंधते सूंधते अपनी आँखे बन्द कर लेता है और अपनी पैंट में हाथ डालकर अपना लण्ड बाहर निकाल लेता है और मुठ मारने लगता है। तभी चीभ निकाल कर कब वह उस पैंटी को चाटने लगता है उसे पता ही नही चलता। पैंटी को सूंघते और चाटते हुए जल्दी ही झड़ने लगता है। ये कुछ असर उसकी माँ की पैंटी से आती खुशबू का था कुछ सुबह से माँ जो नजारे उनहें दिखा रही थी उसका था। झड़ने के बाद जैसे ही रोहित आँखे खेलता है मोहित को अपने पास खड़ा पाता है। जो सुगंधा की उस बैंगनी ब्राँ को अपने लण्ड के चारों तरफ लपेट कर लण्ड़ को हिला रहा था। जल्दी ही वह भी झड़ जाता है। दोनों भाई इसके बाद बाथरूम में सारा सामान जैसा था वैसा ही रख कर बाहर आ जाते है। झड़ने के बाद दोनों भाई सोना चाहते थे। लेकिन दोनों सोचते है पहले खाना खा लिया जाए फिर आराम से सोएगें। दोनो भाई जल्दी ही खाना खाकर अपने कमरे में जाकर सो जाते है। मुठ मारकर सो रहे भाईयों को पता ही नही चलता कब दोपहर से शाम व शाम से रात हो जाती है। जब दोनों की आँखे खुलती है रात लगभग हो चुकी थी सुगंधा भी घर वापस आ चुकी थी रात का खाना भी सुगंधा बना चुकी थी संजय के आने का समय हो गया था। दोनों भाई अफसोस करते हैं। कि यार बड़ी देर सो गये ना माँ को दूख पाये ना ही फोटो क्लिक कर पाये पूरा समय सोने में ही बर्बाद कर दिया।

मोहित- यार इतनी देर सोये पूरा प्लान चौपठ हो गया। ना माँ को ताड़ ही सके ना ही फोटो ही ले पाए।

रोहित- हाँ यार समय तो बहुत खराब हो गया है लेकिन अभी भी कुछ नहीं बिगड़ा है। फोटों तो मैं अभी भी ले ही लूंगा।

मोहित- नहीं ले सकते यार अब तो पापा आने वाले हैं उनके साहमने कहा फोटो ले पाएगें।

रोहित- तू उसकी चिंता ना कर पापा इतना ध्यान नहीं देते है। मैं चुपचाप खाना खाते समय ले लूंगा फोटो।

मोहित- ध्यान से कही माँ की या पापा की नजर पड़ गई तो ज्वाब देते नहीं बनेगा की माँ कि इस तरह की फोटों क्यों ले रहे थे छिप छिप कर।

रोहित- हाँ। लेकिन तू फिर्क ना कर मैं अपने आप सब सम्भाल लूंगा।

इसके बाद दोनों भाई उठकर बाथरूम जाकर मूहं हाथ धोकर फ्रैश हो जाते है। थोड़ी देर में ही संजय भी आ जाता है। सुगंधा भी थोड़ी देर में ही सब को आवाज लगाती है कि ‘आ जाओं सब लोग मैं खाना लगा रही हूँ।’ रोहित मोहित जल्दी से डाईनिंग टेबल पर आ जाते है। संजय भी ज्यादा समय नहीं लगाता और जल्दी ही वह भी डाईनिंग टेबल पर होता है। सभी लोग फिर से एक बार सुगंधा के रूप रंग का दर्शन करते है। सुगंधा रसोई से खाना ला रही थी डाईनिंग टेबल पर और बार बार रसोई से हाँल में आ जा रही थी। रोहित और मोहित ने यही समय ठीक समझा फोटो लेने का मोहित रोहि त को इशारा करता है। रोहित भी समझ जाता है। लेकिन यह अनुभवी संजय की नजर से बच नही पाता संजय मन में सोचता है ‘पता नहीं दोनों के मन में क्या चल रहा है। लेकिन दोनो कुछ तो करना चाहते है। जो दोनों में ऐसी ईशारे बाजी चल रही है।’

तभी रोहित अपनी जेब से फोन निकालता है। और जैसे ही सुगंधा पलट कर रसोई में जाने लगती है। रोहित झट से सुगंधा की गाँण्ड का फोटे खीचता है। वह यह मौहका मिस नहीं करना चाहता था पता नहीं माँ कि गाँण्ड का यह नजारा फिर कब देखने को मिले लेकिन इसी जल्दी में वह एक गलती कर देता है। मोबाईल कैमरा का साऊंड़ बंद करना भूल जाता है। और जैसे ही सुगंधा की गाँण्ड़ का फोटो लेता है। मोबाईल से फोटो क्लिक होने की आवाज आजाती है। यह आवाज काम में व्यश्त सुगंधा को तो नहीं सुनती लेकिन टेबल पर मौजूद मोहित और संजय इस आवाज को अच्छे से सुन लेते है। संजय तो पहले से ही ताक में था पता करने के की ये दोनों करने क्या वाले है। फोटों की आवाज सुनकर समझ जाता है कि दोनों का प्लान सुगंधा की आज के इस रूप में कुछ फोटों खीचने का है। लेकिन वह ऐसे रीएक्ट करता है जैसे उसने कैमरा साऊंड़ पर ध्यान ही ना दुया हो और टेबल पर मौजूद शब्जी को टेश्ट करते हुए कहता है। क्या बाद है आज तो शब्जी बहुत अच्छी बनाई है। मोहित और रोहित संजय की यह बात सुनकर राहत की साँस लेते है। रोहित झट से कैमरा साऊँड़ आफ करता है। और फिर से सुगंधा के पिक्स लेने लगता है। सुगंधा भी अब आकर टेबल पर बैठ जाती है। संजय अपनी जेब से फोन निकाल कर सुगंधा के फोन पर एक मैसेज करता है।

संजय मैसेज में- जानेमन साहमने बैठा तुम्हारा छोटा बेटा तुमहारे फोटो क्लिक कर रहा है। जरा उसे कुछ पोस तो दो।

सुगंधा के फोन पर जैसे ही मैसेज की आवाज आती है। वह वही पास में रखे अपने फोन को चैक करती ही। सुगंधा अपना फोन अक्शर अनपे पास ही रखती है और शोसल मीडिया पर भी काफी एकटिव रहती है। सुगंधा देखती है कि संजय का मैसेज आया है। उसे अजीब लगता है कि संजय ऐसे क्यों मैसेज कर रहा है यह पर ही बैठ कर। तो वह मैसेज पठती ही। और मैसिज पड़ कर दंग रह जाती है। तिरझी नजर से रोहित को देखती है वह अभी भी फोन हाथ में लेकर बैठा था और फोन का कैमरा सुगंधा की तरफ ही था। सुगंधा पहले तो थोड़ी असहज होती है लेकिन तभी संजय टेबल के नीचे से उसके पैर पर अपना पैर लगाता है और आँखो से इशारा करता है। सुगंधा भी काफी खेली खाई औरत थी वह भी ज्यादा समय से ना व्यर्थ करते हुए कुर्सी पर बैठे बैठे ही एक जोर की साँस लेती है जैसे बहुत थक गई हो और इसी बहाने अपनी चुच्ची को बाहर को निकाल कर दिखाती है। जिससे उसकी चुच्ची जो काफी बड़ी और सुड़ोल है उभर कर दिखने लगते है। रोहित भी मौहका नहीं चूकता और झट से यह नजारा कैमरा में कैद कर लेता है।
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रोहित बहुत खुश था यह नजारा देखकर और उस से भी ज्यादा यह फोटो लेकर संजय भी सुगंधा की इस हरकत पर बहुत खुश था और उसका लण्ड भी सुगंधा की इस हरकत पर सलामी देता है। संजय अपने पैर से सुगंधा के पैर को मसल कर उसकी इस हरकत पर मानो शाबाशी देता है। सुगंधा भी समझ जाती है और उसके चरहे पर भी एक इमाईल आ जाती है। तभी संजय सुगंधा से कहता है।- डार्लिंग जरा आचार तो लेकर आना।

संजय यह इस लिए कहता है जिससे रोहित आसानी से सुगंधा की गाण्ड की भी कुछ फोटो ले सके। सुगंधा भी यह समझ जाती है और और मुस्कुराती हुई उठ कर किचन की तरफ जाने लगती है। तभी सुगंधा को एक शरारत सूझती है। वह अपने हाथ में मौजूद चम्मच गिरा देती है। और झुक कर उसे उठाने लगती है।
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नाजारा कुछ ऐसा था सुगंधा ने इसी तरह झुके हुए पीछे पलक कर देखा तीनो ही मर्दो की नजर उसी पर टिकी हुई थी सुगंधा के चहरे पर हँसी सी आ गई वह जरूरत से कुछ ज्यादा समय तक इसी तरह झुकी रही रोहित ने भी फोटो लेने मे देरी नही की रोहित और मोहित बहुत खुश थे। तभी सुगंधा अचार ले कर आ जाती है। और रोहित से पूछती है कि बेटा तुम भी आचार लोगे क्या और आचार उसे देने के बहाने टेबल पर साहमने की तरफ झुक जाती है। जिससे उसके बूब्स उसके टाईट कुर्ति जो कि सुगंधा के अधिकतर कपड़ो की तरह बड़े गले का ही था उसमें से सत्तर पर्तिशत तक बाहर झाँकने लगते है। रोहित के हाथ में फोन अभी भी था और वह झट से इस नजारे पर नजर गड़ाये गड़ये ही फोटों भी क्लिक कर लेता है।
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फिर सुगंधा इसी तरह मोहित से भी पूछती है फिर अचार संजय को देते हुए बैठ जाती है। संजय के पैर पर पैर मार कर एक शरारती हँसी हँसती है। और बैठ कर खाना खाने लगती है। सभी लोग अब अपना अपना खाना खत्म करते है। और संगुधा रसोई में बर्तन साफ करने लगती है। संजय अपने कमरें में चला जाता है। और रोहित और मोहित हाँल में ही बैठकर टीवी देखने लगते है। थोड़ी देर में ही सुगंधा भी अपना काम खत्म कर के अपने कमरे में जाने लगती है। बेटों से जाते हुए पूछती है। क्या बात आज सोने नहीं जाना है क्या तुम दोनों को अभी तक टीवी ही देख रहे हो।

मोहित- नहीं माँ आज दिन में देर तक सो गए थे तो अभी नींद नहीं आ रही है। अभी थोड़ी देर टीवी देखकर सोने चले जाएँगे। सुगंधा भी गुड़नाईट बोलकर अपने कमरे में जाने लगती है। हाँ फिर से गाँण्ड़ कुछ ज्यादा ही मटकाते हुए रोहित मोहित ध्यान से उसे देखते है। और सुगंधा कमरे के दरवाजे पर जा कर पलट कर दोनों की तरफ देखती है और दोनों को अपनी गाँण्ड़ घूरता पाकर दोनों की तरफ हँस कर कमरे में चली जाती है। रोहित मोहित भी अब थोड़े ज्यादा निड़र हो गये थे और इस बार सुगंधा को उसकी गाँण्ड घूरता देखने पर भी दोनों डरते नहीं है। और सुगंधा की तरफ देख कर हँस देते है। रोहित और मोहित सुगंधा के कमरे मे जाते ही टीवी की आवाज कम कर देते है। और जिस लिए दोनों आज हॉल में ही बैठे थे उसका इंतजार करने लगते है। जी हाँ आज दोनों भाई सुगंधा की चुदाई की आवाज सुन्ने के लिए पहले ही हॉल में आकर बैठ गये थे आज दोनो थोड़ा भी सीन मिस नहीं करना चाहते थे।

सुगंधा जैसे ही कमरे में जाती है। तो हैरान रह जाती है। संजय आज रूम में बिस्तर पर लेट कर सुगंधा का इंतजार कर रहा था लेकिन रोज की तरह नहीं संजय आज बिल्कुल नंगा लेटा हुआ था और अपने लण्ड़ को सहला रहा था। सुगंधा यह देखकर खुश भी होती है और हैरान होते हुए कहती है

सुगंधा- ये क्या आज तो आप पहले से ही मूड़ में है। अगर मेरी जगहा बच्चे कमरे में आ जाते तो?

संजय- वो कहा कमरे में आते है। और आ भी जाते तो उन्हें भी अपने पास ऐसे ही लेटा लेता तुम्हारे इंतजार में।

सुगंधा यह सुन कर हँसने लगती है। और संजय से बिस्तर पर आते हुए पूछती है।– क्या हुआ आज इतने मूड़ मे कैसे हो।

संजय पहले तो सुगंधा को बिस्तर पर आने से रोक देता है। और कहता है कि बिस्तर पर आज कपड़े पहन कर आना मना है। पहले बिस्तर से नीचे ही कपड़े उतार कर आओ।

सुगंधा भी संजय की बात सुन कर बिस्तर के नीचे खड़े होकर अपने कपड़े एक एक कर के उतारने लगती है।

संजय तब सुगंधा के अगले सवाल का जवाब देता है- कि गर्मं मैं क्या गर्मं तो आज तुम्हारे दोनों बेटे हो रहे होंगे तुम्हारे कामुख नाजारे देखकर। कैसे झुक झुक कर घोड़ी बनकर उन्हें अपनी गाँण्ड के नजारे दिखा रही थी। और कैसे टेबल पर लेट लेट कर अपनी चुच्ची उनके साहमने खाने के साथ परोस रही थी।

सुगंधा भी यह बात सुन कर थोड़ी शरमा सी जाती है। और अपने कपड़ उतारते हुए अदाओं से अपने शरीर पर हाथ फेरते हुए कहती है। कि आप ही ने तो कहा था मै तो बस आप का कहा मान रही थी। भला आप की बात टाली है मैंने कभी।

सुगंधा तब तक अपने सारे कपड़े उतार कर नंगी हो चुकी थी। संजय उसे पकड़ कर अपनी और खींच लेता है। और उसके बूब्स चूसते हुए कहता है।– जाने मन मेरी बात ऐसे ही मनती रहोगी तो जल्दी ही जवान लोड़ो की सवारी करेगी।

सुगंधा के बूब्स संजय जोर जोर से दबाने लगता है। सुगंधा सिस्कारी लेने लगती है। थोड़ी देर बाद दोनो 69 पोजीशन में आ जाते है। सुजंय सुगंधा की चूत चाटते हुए कहता है। कि क्या बात है। जाने मन आज कल तुमहारी चूत कुछ ज्यादा ही गीली रहने लगी है।

सुगंधा- जब दो जवान बेटों की नजर पूरे दिन मेरे जिस्म पर गड़ी रहेगी तो क्या मेरी चूत भी गीली नहीं रहेगी।

संजय- कही मेरे पीछे बेटो को चूत का रस चखा तो नही दिया है।

सुगंधा- अगर रश चखा दिया होता तो पूरा दिन ऐसे गीला होकर नहीं घूमना पड़ता ना। और आपके बिना जाने आज तक मैने किसी को भी अपने जिस्म को हाथ लगाने नहीं दिया है।

दोनों एक दूसरे के चूत और लँण्ड को मूह में लेकर चूमने और चाटने लगते है। उधर दोनों भाई बाहर बैठ कर रोहित के द्वारा सुगंधा के खींचे गये फोटे देख रहे थे और अपने लण्ड मसल रहे थे। तभी अन्दर संजय सुगंधा की चूत में लण्ड़ पेल देता है और सुगंधा के मुहँ से जोरदार सिस्की निकलती है। जो बाहर बैठे रोहित और मोहित को सुन जाती है। दोनों भाई समझ जाते हैं। कि चुदाई का खेल शुरू हो गया है दोनों दोड़ते हुए सुगंधा के रूम की तरफ भागते है। लेकिन हड़बड़ी में रोहित सुगंधा के कमरे के बाहर गिर जाता है जिससे उसका हलका सा धक्का कमरे के दरवाजे को लगता है जिस से दरवाजे पर आवाज होती है। सुगंधा और संजय का ध्यान एक दम से दरवाजे ही तरफ जाता है। ज्यदी ही दोनों समझ जाते है। कि बेटे बाहर कान लगा कर उनकी चुदाई की आवाज के मजे ले रहे है। और दोनों मियाँ बीवी एक दूसरी की तरफ देख कर हँसते है। और दोनों को पूरा मजा देने के लिए आखों ही आँखों में सहमती देते है।

रहित तुरंत उठ खड़ा होता है। और दोनों भाई कमरे के दरवाजे पर कान लगा लेते है। अंदर संजय सुगंधा की चूत में धक्के लगाने लगता है। सुगंधा सिस्कारी लेने लगती है। संजय उसे कहता है जोर से जाने मन जोर से और संजय जोरदार धक्के सुगंधा की चूत में मारता है। सुगंधा भी बहुत जोर जोर से सिस्किया लेने लगती है। धीरे धीरे सुगंधा जैसे जैसे और गर्म होने लगती है उसकी आवाज बड़ती जाती है। संजय तभी सुगंधा की टांग उठाकर उसकी गाँण्ड पर जोरदार तमाचा मारता है जिसपर सुगंधा बहुत जोर से चिल्लाती है जितनी जरूरत थी उससे दस गुना ज्यादा तेज। तभी संजय को एक शरात सूझती है वह बिस्तर से उठकर खड़ा हो जाता है। और सुगंधा को भी बिस्तर से खड़ा करता है और कमरे के दरवाजे के पास ले जाता है। सुगंधा तो ड़र ही जाती है कि कही संजय कमरे का दरवाजा ही ना खोल दे। लेकिन नहीं संजय ऐसा कुछ नहीं करता और कमरे के दरवाजे के पास लेजाकर संगुधा को दरवाजे के बिल्कुल पास में घोड़ी बना देता है। सुगंधा का चहरा गेट से बिल्कुल चिपका हुआ था। संजय पीछे से जाकर सुगंधा की गाण्ड में लण्ड़ पेल देता है। एक ही झटके में पूरा लण्ड सुगंधा की टाईट गाँण्ड में डाल देता है। सुगंधा बहुत जोर से चिल्लाती है। अब सुगंधा और बेटों के बीच सिर्फ एक दरवाजे की ही दूरी थी तो आवाज बिल्कुल साफ साफ सुनाई दे रही थी बाहर और उस पर सुगंधा चिल्ला भी इतनी तेज रही थी की आज तो अगर रोहित मोहित अपने कमरे में ही क्यो ना होते वहा तक भी उसकी आवाज साफ सुनी जा सकती थी। सुगंधा की आवाजे पूरे घर में गूँज रही थी।

आआआआआहहहहहहहहहहहहहहहह बेबीईईईईईईईईईईईई फ्कककककककककककककक मीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई यैससससससस बैबीईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईईई औऔऔऔ या या या या या या या आआआआआआ हहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहहह

बीच बीच में संजय सुगंधा की गाँण्ड पर जोर दार तमाचे भी जड़ रहा था जिसकी आवाज भी बाहर साफ सुनी जा सकती थी तमाचा लगते ही सुगंदा जोर से चिल्लाती थी। आआआआआऊऊऊऊऊऊचचचचचचचचचचच

आआआआहहहहहहहहहहह आआआआआहहहहहहहहहहहहहहहह यैयैयैयैयैयैस बेबीईईईईईईईईई

यही सब काफी देर तक चलता रहा दोनों भाई पागल से होकर बाहर खड़े लण्ड़ हिला रहे थे। और उनके मूँह से भी आज मुठ मारते मारते ही आवाजे निकल रही थी। थोड़ी देर बाद ही संजय झड़ गया सुगंधा भी कामुखता के कारण अब तक दो बार झड़ चुकी थी। बाहर खड़े दोनों भाईयों को भी झड़ने में ज्यादा समय नहीं लगा और वह भी जल्दी ही फारिख हो गये। सुगंधा झडने के बाद वही जमीन पर निढ़ाल होकर लेट गई बाहर खड़े रोहित मोहित भी समझ गये कि खेल अब ख्तम हो गया है। तो दोनों अपने कमरे में चले जाते है। थोड़ी देर बाद सुगंधा और संजय भी उठकर अपने बिस्तर पर जाकर सो जाते है।

तो दोस्तों कैसा लगा यह अपड़ेट कमैंट कर के जरूर बताना और हाँ अगर स्टोरी में आप के कोई सजेशन हाँ तो जरूर बताना कही कोई कमी लगे तो वो भी बताना उस पर भी जरूर काम करूँगी। और आप जैसी चाहते है आगे की स्टोरी वैसी ही बनाने की कोशिश करूँगी। अगला अपडेट जल्दी ही।
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sivani singh

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सौरी दोस्तों अपडेट लेट होने के लिए दरअसल मैं एक हाऊस वईफ हूँ और मुझे स्टोरी लिखने के लिए समय निकालना आसान नहीं होता है। पती से और घर के सभी लोगों से झिपा कर काम करना पड़ता है। खैर अब स्टोरी को आगे बड़ाते है। आप के काफी सारे स्टोरी के लिए सुझाव मिले जिनमें से कुछ मुझे बहुत अच्छे लगे आप लेग भी इसी तरहा अपने सुझाव देते रहिए।

तो वासना का वह दौर खत्म हुआ सुगंधा और अपने बाप की चुदाई की जोरदार आवाज सुनकर दोनों भाई अपने कमरे में आकर लेट जाते है लेकिन आज जो कुछ भी हुआ वह दोनो भाईयों के दिलो दिमाग पर एक गहरा असर कर गया था सब से पहले तो सुगंधा के कपड़े जो उसने पहने थे जिसमें उसके जिस्म के दर्शन बहुत ही बारीकी से किये जा सकते थे। फिर माँ कि हरकतों ने भी दोनों को कई बार चौकाया और फिर उनका अपनी माँ के फोटों लेना और फोटों भी उनकी उम्मीद से काफी सेक्सी मिले थे अचानक से उसकी माँ के झुक जाने की बजहा से उसकी गाँण्ड का कामुक नजारा फोन में कैद हो गया था और वैसे ही सुगंधा की चुच्ची का भी बहुत ही मनमोहक फोटों रोहित ने लिया था। और फिर आखिर में माँ और बाप के कमरे से आती चुदाई की आवाजे जिसे सुकर तो यह साफ दोनों भाई अपना आपा ही खो बैठे थे और दोनों भाई अभी अभी अपनी माँ की कामुक चुदाई की आवाजे सुनकर मुठ मारकर अपने कमरे में आए है। मुठ मारने के बाद भी यही सब सोचते सोचते दोनों भाईयों को अभी तक नींद नहीं आ रही थी। दोनों के हि दिमाग में यही सब चल रहा था कि आखिर यह सब उनके साथ हो क्या रहा है। अचानक से दो तीन दिन के अंदर ही सब कुछ कितनी तेजी से बदल रहा है। क्या यह सिर्फ संजोग है या उन दोनों की अच्छी किस्मत या फिर कुछ और.... यही सब सवाल दोनों ही भाईयों के दिमाग में लगातार चल रहे थे। तभी रोहित कहता है

रोहित- भाई आज तो माँ की आवाजे कुछ ज्यादा ही तेज और कामुक आ रही थी।

मोहित- हाँ यही मै भी सोच रहा था लग तो एसा रहा था कि जैसे माँ कि चुदाई बिल्कुल दरवाजे पर ही हो रही हो।

रोहित- हाँ यार बिल्कुल आवाजों से तो ऐसा ही लग रहा था। लेकिन ऐसा क्यों हुआ होगा कि पापा माँ को बिल्कुल दरवाजे के पास लाकर ही चोद रहे थे।

मोहित- ये तो पता नहीं लेकिन हो सकता है कि माँ और पापा अक्सर ऐसा करते हो उन्हें भी अलग अलग तरह से चुदाई में मजा आता हो जैसे की हमें आता है।

रोहित- हाँ ये हो सकता है। लेकिन क्या तुझे यह कुछ अजीब सा नहीं लग रहा जो भी पिछले कुछ दिनों से हो रहा है। पहले कभी हमने माँ कि चुदाई की आवाजे नहीं सुनी थी लेकिन दो दिन तीन दिन से रोज माँ कि चुदाई की आवाजे रोज ही सुन्ने को मिलने लगी है। और आज तो आवाजे इतनी तेज और कामुख थी की मानो घर से बाहर तक भी जा रही हो और माँ और पापा को इस बात की फिर्क ही ना हो की हम दोनों भी घर पर ही है।

मोहित- हाँ ये थोड़ा अजीब तो है और माँ के हाव भाव भी कुछ अलग लग रहे है। और माँ के आज के कपड़े भी कुछ ज्यादा ही सेक्सी थे। लेकिन हो सकता है कि यह हमारा नसीब अच्छा हो और इस से पहले कभी हमने माँ को ज्यादा सैक्स की नजर से देखा भी तो नहीं था जब हमने उस नजर से माँ को देखना शुरू किया तभी तो हमें माँ की कामुखता दिखाई देगी।

रोहित- बात तो सही है लेकिन यार कुछ तो चीजे अजीब है जैसे माँ की पैंटी हमारे कमरे में होना और उर माँ का इसपर कोई प्रतिक्रिया ना देना और हम तो टीवी में भी पॉर्न चला कर छोड़ आये थे और टीवी भी माँ ने ही देखा था उसके बाद फिर भी माँ ने कोई गुस्सा नहीं दिखाया और ना ही कोई बात की इस बारे में।

मोहित- हो सकता है कि माँ को भी यह सब अच्छा लग रहा हो इससे पहले हमने कभी यह सब किया भी तो नहीं यह तो हम जानते ही है कि माँ एक सैक्सी औरत तो है हि माँ और पापा का यूँ आए दिन रात को पार्टी में जाना और शराब पीना और ना जाने क्या क्या करते होंगे बाहर तो हो सकता है कि माँ को हमारी ये सब हरकते अच्छी लग रही हो।

रोहित- ये क्या कह दिया यार मेरा तो लण्ड तेरी ये बात सुन कर एक बार फिर से खड़ा हो गया है। काश तेरी बात सही हो। लेकिन इस बात का पता कैसे लगाया जा सकता है कि माँ को सच में हमारी यह सब हरकते अच्छी लग रही है।

मोहित- इस में हमें ज्यादा जल्दी बाजी नहीं करनी चाहिए हो सकता है कि यह सिर्फ हमारा वहम हो तो गड़बड हो जाएगी और अगर यह सच भी हुआ तो भी अगर हमने ज्यादा जल्दी की तो हो सकता है कि माँ गुस्सा हो जाए तो हमें थोड़े धैर्य से काम लेना होगा। जैसे दूध निकाले से पहले गाँय के थनों को पहले धीरे धीरे सहला कर गाँय को दूध देने के लिए तईयार किया जाता है वैसे ही हमें भी माँ को धीरे धीरे तईयार करना होगा।

रोहीत- तो तू क्या कह रहा है हमें भी माँ के थनों को धीरे धीरे सहलाना होगा हाहाहाहाहाहाहा

मोहित- हाँ अगर सब ठीक रहा तो एक दिन जरूर हम भी अपनी माँ के थनों को सहला कर उसे चुदने के लिए तईयार कर ही लेंगे। हीहीहीहीही.....

रोहीत- हाँ हाँ मुंगेरी लाल के हशीन सपने...

मोहित- सपना ही सही लेकिन माँ को तो सपने मे पेलना भी सौ हसीनों को पेलने से कही ज्यादा है।

रोहित- बात तो सही है। चल ना एक बार चल कर देखते है कि माँ सो गई या राऊँड़ टू तो नहीं शुरू हो गया।

मोहित- अरे नहीं कोई राऊंड़ टू नहीं होने वाला सो जा अब चुप चाप।

रोहित- चल ना यार एक बार मन कर रहा है वहा जाने का मन कर रहा है पूरी रात वही माँ के कमरे के बाहर ही खड़ा रहू।

मोहित- चल तू करता है तो एक बार चलते है।

दोनों भाई अपने कमरे से निकल कर माँ पापा के कमरे के बाहर जाते है काफी देर तक कान लगा कर अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करते है लेकिन कोई आवाज नहीं आती है आती भी कैसे दोनों पती पत्नी तो चुदाई से संतुष्ट होकर आराम से सो गये थे। दोनों भाई अपने रूम में जाने लगते है। लेकिन तभी रोहित के दिमाग में कुछ आता है और वो टीवी चला देता है।

मोहित- अब इतनी रात को तुझे टीवी क्यों देखना है।

रोहित- टीवी नहीं देखना है। एक आईडिया आया है दिमाग में।

मोहित देखने लगता है कि रोहित करने क्या वाला है तभी रोहित टीवी ऑन कर के उसमें वैब पेज ऑन कर देता है और उसमें मॉम सन पॉन सर्च करता है और उसमें से एक सैक्सी सी पॉर्न सर्च कर चला देता है और फिर सीधा टीवी बंद कर देता है जिससे टीवी चलाते ही यही वैब पेज सब से पहले खुलेगा।

मोहित- ये क्या किया पहले वैब पेज बंद तो कर देता।

रोहित- यही तो प्लान है मेरे भाई जब कल माँ टीवी खोलेंगी तो देखते है कि माँ का कैसा रीएक्शन आता है। पहले भी माँ ने हमारी देखी हुई पॉर्न पेज देखा था तो कोई रिएक्शन नही दिया देखते है इस बार क्या होता है।

मोहित- तू पागल हो गया है क्या अगर माँ गुस्सा हो गई तो और पापा को बता दिया तो।

रोहित- बता तो वो पिछली बार भी सकती थी। कुछ पाने के लिए कुछ रिश्क तो लेना पड़ता है अगर गुस्सा हो भी गई तो तब कि तब देखेंगे माफी मांग लेंगे लेकिन इस से बहुत सारी चीजे साफ हो जाएंगी।

मोहित- पता नहीं यार मुझे तो बहुत ड़र लग रहा है। कही ऐसा ना हो कि लेने कि जगहा देनी पड़ जाए।

रोहित- हाहाहाहा तू डर मत देखा जाएगाँ जो होगा।

दोनो भाई अपने कमरे में चले जाते है और अपनी माँ को याद करके अपने लण्ड बाहर निकाल कर मसलते मसलते आहे भरते भरते सो जाते है।

सुबहा होती है आज सबसे पहले संजय की आँख खुलती है। सुगंधा उसके पास नंगी लेटी हुई थी संजय ध्यान से सुगंधा की तपफ देखता है तो पाता है कि सुगंधा का हाथ सोते हुए भी उसकी चूत पर ही था। बल्की सोते समय भी सुगंधा की दो ऊंगलियाँ सुगंधा की चूत के अंदर ही थी।
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संजय यह देखकर समझ जाता है कि यह सब सुगंधा पर उसके जवान बेटों के आकर्षण का ही है। संजय समय ना गवाते हुए सीधा अपना चहरा सुगंधा की चूत के पास ले कर जाता है और सुगंधा की चूत की खुशबू लेता है सुगंधा की चूत रात की चुदाई के बाद और पूरी रात भर अपने बेटों के सपने की वजहा से लगातार पानी छोड़ रही थी जिस वजह से सुगंधा से एक बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी। संजय यह खुशबू सूंघ कर मदहोश सा हो जाता है और सीधा अपनी चीभ निकाल कर सुगंधा की चूत को चाटने लगता है। धीरे धीरे संजय सुगंधा की चूत में अपनी जीभ ऊपर से नीचे तक चलाने लगता है जिसका एहशास होते ही सुगंधा की नींद खुल जाती है और सुगंधा आँखे खोलकर देखती है उसका पती सुबहा सुबहा उसकी चूत चाट रहा है। यह काफी अजीब था क्योंकि शादी के इतने साल बाद अब संजय ऐसी हरकत कर रहा था जो कि वह शादी के कुछ साल बाद ही छोड़ चुका था। खैर सुगंधा के लिए बहुत सुखद था सुगंधा संजय के सर पर हाथ रख कर अपनी चूत चटवाने का मजा लेने लगती है। तभी सजय एक झलक सुगंधा की तरफ चहरा उठा कर सुगंधा को देखते हुए कहता है।

संजय- क्या बात है जाने मन आज तो सुबहा सुबहा ही चूत बहुत गीली हो रही है। लगता है पूरी रात ही जैसे इसमें से सोमरस बहता रहा हो।

सुगंधा इसके जवाब में कुछ बोल नहीं पाती है बस उसके मूँह से एक आह सी निकलती है। (आआआआहहहहहहहहहह)

संजय इसके बाद फिर से अपने काम पर लग जाता है और सुगंधा की चूत को जोर जोर से चूमने और चाटने लगता है बीच बीच में संचय सुगंधा की चूत के होठों पर दांतो से धीरे से बाईट भी कर रहा था जो सुगंधा को बहुत ही ज्यादा उत्तेजीत कर रहा था। सुगंधा जोर से सिस्कीया लेने लगती है और अपनी गाँण्ड ऊपर उठा उठा कर संजय से अपनी चूत को चटवाने लगती है। सुगंधा बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रही थी और संजय का सर जोर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थी संजय समझ जाता है कि सुगंधा अब अपने चरम सुख पर पहुँचने वाली है लेकिन संजय यह नहीं चाहता था संजय चाहता था की सुगंधा के अंदर यह आग जलती रहे। और वह पूरा दिन इस कामवास्ना की आग में जलती रहे इसलीए वह अचानक से सुगंधा की चूत को चाटना छोड़ देता है जो सुगंधा को थोड़ा बुरा लगता है लेकिन वह सोचती है कि अब संजय उसकों चोदने वाला है लेकिन एसा कुछ भी नहीं हुआ और संजय बिस्तर से उठकर खड़ा हो जाता है और सुगंधा को कहता है

संजय- चल रंण्डी भाग यहा से सुबहा सुबहा शुरू हो जाती है चूत टपकाने जा अब ऐसे ही चूत टपकाती घूम घर में पूरा दिन।

सुगंधा- संजय प्लीज ऐसा मत करो ना थोड़ी देर और करो तो मेरा पानी निकल जाएगाँ।

संजय- नहीं रंण्डी तुझे आज पूरा दिन ऐसे ही चूत टपकाते हुए घूमना पड़ेगा अपने बेटों के साहमने।

सुगंधा- ऐसा मत करों ना तुम तो मुझे जानते हो मैं तो झड़ने के बाद भी उनकी नजर अपने शरीर पर पड़ते ही फिर से गरम होने लगूँगी लेकिन अगर तुमने मुझे ऐसे बीच में ही छोड़ दिया तो मैं अपने आप को बिल्कुल भी संयम में नहीं रख पाऊंगी।

संजय- तो मत रखना अपने आप को संजय में देखते है कि तू किस कदर रंण्डी पर उतर सकती हैं।

सुगंधा को यह बोलकर संजय बाथरूम में चला जाता है। और सुगंधा बिस्तर पर लेटे लेटे अपनी चूत को सहलाती रह जाती है। और सोचने लगती अपने बेटों के बारें में किस तरहा वो दोनों सुगंधा के शरीर को घूर रहे थे और उनकी सारी की गई हरकतो के बारे में सोच कर अपनी चूत को सहलाती रहती है। तभी संजय बैड़रूम में वापस आ जाता है और सुगंधा को इस हालत में देखकर मुस्कुराता है और उसके दिमाग में एक शरारत आती है और वह सुगंधा का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर से उठाता है और उसके कमरे के दरवाजे पर ले जाता है और कमरे का दरवाजा खोल कर सुगंधा को कमरे से बाहर निकाल देता है और उसे बोलता है

संजय- जा रंण्डी इतनी ही गरम हो रही है अपने बेटों के बारें में सोचकर तो चली जा उनके पास नंगी होकर और मरा ले जाकर अपनी चूत चोद चोदकर तेरी चूत ही नहीं तेरी गांण्ड भी इतनी मारेंगे की तेरी सारी गरमी निकाल देंगे दोनो।
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सुगंधा इससे बहुत घबरा जाती है कही उसके बेटे जाग गये हो और कमरे से बाहर हो तो क्या होगा। सुगंधा हाँल में चारो तरफ देखती है तो उसके कही भी उसके बेटे नहीं दिखाई देते है। सुगंधा को थोड़ी राहत मिलती है। लेकिन तभी संजय कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है। संगाधा डर सी जाती है और दरवाजे को खोलने की कोशिश करती है लेकिन संजय दरवाजे को अंदर के लाक कर चुका था। सुगंधा संजय से करती है।

सुगंधा- अरे क्या कर रहे हो जल्दी से दरवाजा खोलो ना अगर कोई बाहर आ गया तो क्या होगा।

संजय- होगा क्या तुझे नंगा देखकर तेरे बेटे तेरे उपर चड़ जाएंगे और निकाल देंगे आज तेरे जिस्म की सारी गरमी।

सुगंधा पीछे मुड़कर अपने बेटों के कमरे की तरफ एक नजर देखती है। कमरा बंद था जिस्से सुगंधा चैन की सांस लेती है। और संजय से करती है- ज्यादा बकवास ना करों और चुपचाप दरवाजा खोलों।

संजय- यह दरवाजा तो ऐसे नहीं खुलने वाला हैं। अच्छीया चलो खोल दूंगा दरवाजा लेकिन उसके लिए तुम्हें एक काम करना पड़ेगा।

सुगंधा- क्या काम

संजय- ज्यादा कुछ नहीं जाओं अपने बेटों के कमरे में और देख कर आओ कि वो दोनो क्या कर रहें है।

सुगंधा- तुम क्या पागल हो गए हो क्या। चलो ज्यादा मस्ती मत करों और खोल दो चुपचाप दरवाजा।

संजय- अगर दरवाजा खुलवाना है तो जल्दी से जो मैने कहा है वह करो वरना खड़ी रहो बाहर ऐसे ही नंगी और करो इंतजार अपने बेटों के उठने का वैसे भी उनके उठने का भी समय होने ही वाला है आ जाएगें दोनों अपने कमरे से बाहर और तुम्हें नंगा देखकर वो क्या करेंगे वह तुम ही जानो।

सुगंधा संजय की बात सुनकर इतना तो समझ जाती है कि यह ऐसे तो दरवाजा नहीं खोलने वाला है इससे तो अच्छा है कि जल्दी से वह जाकर एक बार देख ही आए अपने बेटों के कमरें में। यह सोचकर सुगंधा अपने बेटों के कमरे की तरफ मुड़ती है और धीरे धीरे अपने बेटों के कमरे की तरफ बड़ने लगती है उसके मन में एक अजीब सी कशमकश सी चल रही थी एक तरफ उसे डर भी लग रहा था कि अगर उसके बेटे उठ गये और उसे इस हालत में देख लिया तो वह क्या करेंगी वहीं दूसरी तरफ उसके मन में एक उत्तेजना सी भी उठ रही थी वह आज पहली बार अपने घर में अपने बेटों के होते हुए ऐसे नंगी होकर घूम रही थी। वो भी अपने बेटों के कमरे में जा रही थी जहा उसके बेटे मैजूद है यह सोचकर सुगंधा के शरीर में एक अजीब सी तरंग उठ रही थी। और यही सब सोचते सोचते सुगंधा धीरे धीरे अपने बेटों के कमरे की तरफ बढ़ी जा रही थी। और इसी कश्मकश में सुगंधा की गांण्ड कुछ ज्यादा ही मटक रही थी और पीछे से उसकी नंगी गांण्ड मटकती और उछलती हुई बेहद ही मादक लग रही थी। संजय भी सुगंधा के जाने का आभास पाकर दरवाजा खोलकर सुगंधा को जाते हुए देखता है और पीछे से सुगंधा को जाते हुए देखकर वसका ध्यान भी सुगंधा की उझलती हुई गांण्ड पर जाता है जिसे देखकर संजय भी उसे देखता ही रह जाता है और अपने लण्ड को मसलने लगता है।

तब तक सुगंधा भी अपने बेटों के कमरे तक पहुँच जाती है वह हिम्मत कर के दरवाजे पर कान लगाकर पहले अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करती है लेकिन उसे अंदर से कोई आवाज नहीं आती है तो उसे लगता है कि शायद उसके बेटे अभी तक सो ही रहे है तो उसे कुछ राहत सी महशूस होती है। वह हिम्मत कर के दरवाजे को धीरे से धकेल कर थोड़ा सा खोलती है। सुगंधा को पता था कि उसके बेटे दरवाजा कभी लॉक कर के नहीं सोते है और दरवाजा खुला ही होगा। दरवाजा थोड़ा सा खोलकर सुगंधा अंदर झांक कर देखती तो वह राहत की सांस लेती है रोहित और मोहित सच में सो ही रहे थे। सुगंधा उनहें देखकर दरवाजा फिर से बंद करने लगती है लेकिन तभी उसकी नजर मे कुछ आता है सुगंधा चैंक कर दरवाजा फिर से धीरे से खोल कर देखती है तो दंग रह जाती है दोनो बेटे सीधे लेटे हुए थे और दोनो के लड़ उनकी पैंट से बाहर थे और सुबहा सुबहा का समय होने के कारण दोनों के लण्ड तनकर बिल्कुल सीधे खड़े थे। हालाकि कमरे में रोशनी बहुत ज्यादा नहीं थी और दोनो बेटों ने पैंट भी पहनी हुई थी तो लण्ड पूरी तरह से बाहर भी नहीं थे तो सुगंधा दो लण्ड को बहुत अच्छे से तो नहीं देख सकती थी और ना ही लण्डों के साईज का सही अंदाजा लगाया जा सकता था लेकिन जितना भी दिख रहा था सुगंधा को दोनों के लण्ड बहुत ही कड़क और अच्छे लगे सुगंधा कुछ देरतक अपने बेटों के देखती ही रह गई और ना जाने कब उसका हाथ अपने आप अपनी चूत पर पहुँच गया और वह अपने बेटों के कमरे के बाहर खड़ी होकर अपने बेटों के लण्ड़ों को देखकर अपनी चूत को मसलने लगी नजारा बहुत ही कामुक कर देने वाला था एक माँ बिल्कुल नंग अपने बेटों के कमरे के बाहर खड़ी होकर अपने बेटों के लण्ड को निहार रही है और साथ ही साथ अपनी अपनी चूत में ऊंगली भी कर रही है। अगर इस समय उसके बेटों की आँखे खुल जाती तो सुगंधा की चुदाई अपने बेटों से आज ही हो जानी तय थी।
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संजय भी अपने दरवाजे पर खड़ा यह सब देख रहा था और वह यह देखकर थोड़े आशर्चय में जरूर पड़ गया कि आखिर जो औरत अभी तक वहा तक जाने में इतना डर रही थी उसे अंदर ऐसा क्या दिख गया कि वह वही कमरे के दरवजे पर खडी होकर अपनी चूत में ऊगली करना सुरू कर देती है। संजय भी यह पता करने के लिए बेटों के कमरे की तरफ चल देता है और अपनी बीबी के पीछे जाके खड़ा हो जाता है और झाक कर कमरे में देखता है तो देखता है कि बेटे तो आराम से सो रहे है लेकिन ध्यान से देखने पर उसका ध्यान जाता है बेटों के लण्ड उनकी पैंट से बाहर निकले हुए है और खड़े है जिसे देखकर सुगंधा वासना में पागल हुई जा रही है सुगंधा अभी भी सभी चीजो से बेखबर लगातार अपनी चूत में ऊंगली किए जा रही थी। सुगंधा को इस हालत में देखकर संजय भी अपने आप को रोक नहीं पाता है और अपना एक हाथ आगे लेजाकर सुगंधा की गाँण्ड पर रख देता है और सुगंधा के एक चूतड़ को पकड़ कर जोर से दबा देता है जिस से सुगंधा और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाती है। और तेजी से अपनी चूत में ऊंगली करने लगती है। संजय अपनी बीबी के एक चूतड़ को पकड़े पकड़े ही अपनी एक ऊगली सुगंधा की गाँण्ड के छेद तक ले जाता है और धीरे से उसे सहलाते हुए अपनी ऊंगली सुगंधा की गाँण्ड में डाल देता है। सुगंधा के मूँह से एक हलकी सी सिस्की निकल जाती है संजय धीरे से सुगंधा के कान में कहता है- क्यों रण्डी रुका नहीं जा रहा ना अपने बेटों के लण्ड देख कर। जा चली जा अंदर और डाल ले पकड के ये लण्ड अपनी चूत में चुदवा ले अपने बेटों से ये कहते हुए संजय अपनी ऊंगली जड़ तक सुगंधा की गाण्ड में उतार देता है।

सुगंधा को तो बस जैसे कुछ होश ही नहीं था वह तो तेजी से अपनी चूत में ऊंगली अदर बाहर किये जा रही थी तभी मोहित के फोन का अलार्म बजने लगता है जिसकी आवाज सुनकर सुगंधा को कुछ होश आता है और इससे पहले कि बेटों की आंख खुले सुगंधा अपने कमरे की तरफ भागने लगती है तभी संजय सुगंधा का हाथ पकड़ लेता है। सुगंधा संजय की तरफ पलटती है तो संजय उसे अपनी तरफ खींच कर एक ही झटके में सुगंधा की चूत में अपनी दो ऊगलीयाँ उतार देता है। सुगंधा के मूह से एक जोर की आह निकल जाती है संजय अपनी ऊंगली सुगंधा की चूत से निकाल कर अपने मूहं में डाल लेता है और चटने लगता है यह देखकर सुगंधा को भी अच्छा लगता है और हव संजय को एक अपना एक होठ अपने दांतो के नीचे दबाकर एक कामुक सी स्माईल देती है और मुड़ कर अपने कमरे की तरफ दौड़ने लगती है दौड़ने से उसके बेहद गदराई गाँण्ड फिर से उछलने लगती है। जिसे संजय बहुत ध्यान से देख रहा था सुगंधा अपने कमरे में पहुच कर संजय की तरफ मुड़ कर एक बार और देखती है और संजय को अपनी गाँण्ड को घूरता पाकर अपने एक चूतड़ को परड़ कर दबाती है जिस से उसकी गाँण्ड भूरा छेद भी दिखने लगता है सुगंधा उसमें अपनी एक ऊंगली संजय को दिखाते हुए डालती है और फिर खिल खिलाकर हँसती हुए कमरे के अंदर चली जाती है। और भाग कर बाथरूम में घुस जाती है उधर अलारम की आवाज सुनकर दोनों बेटों की आंखे भी खुल जाती है। और दोनों धीरे धीरे आँखे मलते हुए उठते है। अपने लण्ड को पैंट के बहर पाते है और सोचते है कि अच्छा हुआ अभी तक माँ हमें जगाने के लिए कमरे में नहीं आई वहना पता नहीं क्या होता। जो कुछ भी काम वास्ना का खेल अभी उनके कमरे के बाहर चल रहा था उससे अंजान दोनों बेटे अपने बिस्तर से उठते है और फ्रैस होने अपने बाथरूम की तरफ जाते है।
अगला अपडेट भी तईयार है जल्दी ही अपलोड़ भी करूँगी तब तक आप अपने सुझाव और स्टोरी कैसी लग रही है प्लीज जरूर बताते रहीएँ।
 

Pk8566

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सौरी दोस्तों अपडेट लेट होने के लिए दरअसल मैं एक हाऊस वईफ हूँ और मुझे स्टोरी लिखने के लिए समय निकालना आसान नहीं होता है। पती से और घर के सभी लोगों से झिपा कर काम करना पड़ता है। खैर अब स्टोरी को आगे बड़ाते है। आप के काफी सारे स्टोरी के लिए सुझाव मिले जिनमें से कुछ मुझे बहुत अच्छे लगे आप लेग भी इसी तरहा अपने सुझाव देते रहिए।

तो वासना का वह दौर खत्म हुआ सुगंधा और अपने बाप की चुदाई की जोरदार आवाज सुनकर दोनों भाई अपने कमरे में आकर लेट जाते है लेकिन आज जो कुछ भी हुआ वह दोनो भाईयों के दिलो दिमाग पर एक गहरा असर कर गया था सब से पहले तो सुगंधा के कपड़े जो उसने पहने थे जिसमें उसके जिस्म के दर्शन बहुत ही बारीकी से किये जा सकते थे। फिर माँ कि हरकतों ने भी दोनों को कई बार चौकाया और फिर उनका अपनी माँ के फोटों लेना और फोटों भी उनकी उम्मीद से काफी सेक्सी मिले थे अचानक से उसकी माँ के झुक जाने की बजहा से उसकी गाँण्ड का कामुक नजारा फोन में कैद हो गया था और वैसे ही सुगंधा की चुच्ची का भी बहुत ही मनमोहक फोटों रोहित ने लिया था। और फिर आखिर में माँ और बाप के कमरे से आती चुदाई की आवाजे जिसे सुकर तो यह साफ दोनों भाई अपना आपा ही खो बैठे थे और दोनों भाई अभी अभी अपनी माँ की कामुक चुदाई की आवाजे सुनकर मुठ मारकर अपने कमरे में आए है। मुठ मारने के बाद भी यही सब सोचते सोचते दोनों भाईयों को अभी तक नींद नहीं आ रही थी। दोनों के हि दिमाग में यही सब चल रहा था कि आखिर यह सब उनके साथ हो क्या रहा है। अचानक से दो तीन दिन के अंदर ही सब कुछ कितनी तेजी से बदल रहा है। क्या यह सिर्फ संजोग है या उन दोनों की अच्छी किस्मत या फिर कुछ और.... यही सब सवाल दोनों ही भाईयों के दिमाग में लगातार चल रहे थे। तभी रोहित कहता है

रोहित- भाई आज तो माँ की आवाजे कुछ ज्यादा ही तेज और कामुक आ रही थी।

मोहित- हाँ यही मै भी सोच रहा था लग तो एसा रहा था कि जैसे माँ कि चुदाई बिल्कुल दरवाजे पर ही हो रही हो।

रोहित- हाँ यार बिल्कुल आवाजों से तो ऐसा ही लग रहा था। लेकिन ऐसा क्यों हुआ होगा कि पापा माँ को बिल्कुल दरवाजे के पास लाकर ही चोद रहे थे।

मोहित- ये तो पता नहीं लेकिन हो सकता है कि माँ और पापा अक्सर ऐसा करते हो उन्हें भी अलग अलग तरह से चुदाई में मजा आता हो जैसे की हमें आता है।

रोहित- हाँ ये हो सकता है। लेकिन क्या तुझे यह कुछ अजीब सा नहीं लग रहा जो भी पिछले कुछ दिनों से हो रहा है। पहले कभी हमने माँ कि चुदाई की आवाजे नहीं सुनी थी लेकिन दो दिन तीन दिन से रोज माँ कि चुदाई की आवाजे रोज ही सुन्ने को मिलने लगी है। और आज तो आवाजे इतनी तेज और कामुख थी की मानो घर से बाहर तक भी जा रही हो और माँ और पापा को इस बात की फिर्क ही ना हो की हम दोनों भी घर पर ही है।

मोहित- हाँ ये थोड़ा अजीब तो है और माँ के हाव भाव भी कुछ अलग लग रहे है। और माँ के आज के कपड़े भी कुछ ज्यादा ही सेक्सी थे। लेकिन हो सकता है कि यह हमारा नसीब अच्छा हो और इस से पहले कभी हमने माँ को ज्यादा सैक्स की नजर से देखा भी तो नहीं था जब हमने उस नजर से माँ को देखना शुरू किया तभी तो हमें माँ की कामुखता दिखाई देगी।

रोहित- बात तो सही है लेकिन यार कुछ तो चीजे अजीब है जैसे माँ की पैंटी हमारे कमरे में होना और उर माँ का इसपर कोई प्रतिक्रिया ना देना और हम तो टीवी में भी पॉर्न चला कर छोड़ आये थे और टीवी भी माँ ने ही देखा था उसके बाद फिर भी माँ ने कोई गुस्सा नहीं दिखाया और ना ही कोई बात की इस बारे में।

मोहित- हो सकता है कि माँ को भी यह सब अच्छा लग रहा हो इससे पहले हमने कभी यह सब किया भी तो नहीं यह तो हम जानते ही है कि माँ एक सैक्सी औरत तो है हि माँ और पापा का यूँ आए दिन रात को पार्टी में जाना और शराब पीना और ना जाने क्या क्या करते होंगे बाहर तो हो सकता है कि माँ को हमारी ये सब हरकते अच्छी लग रही हो।

रोहित- ये क्या कह दिया यार मेरा तो लण्ड तेरी ये बात सुन कर एक बार फिर से खड़ा हो गया है। काश तेरी बात सही हो। लेकिन इस बात का पता कैसे लगाया जा सकता है कि माँ को सच में हमारी यह सब हरकते अच्छी लग रही है।

मोहित- इस में हमें ज्यादा जल्दी बाजी नहीं करनी चाहिए हो सकता है कि यह सिर्फ हमारा वहम हो तो गड़बड हो जाएगी और अगर यह सच भी हुआ तो भी अगर हमने ज्यादा जल्दी की तो हो सकता है कि माँ गुस्सा हो जाए तो हमें थोड़े धैर्य से काम लेना होगा। जैसे दूध निकाले से पहले गाँय के थनों को पहले धीरे धीरे सहला कर गाँय को दूध देने के लिए तईयार किया जाता है वैसे ही हमें भी माँ को धीरे धीरे तईयार करना होगा।

रोहीत- तो तू क्या कह रहा है हमें भी माँ के थनों को धीरे धीरे सहलाना होगा हाहाहाहाहाहाहा

मोहित- हाँ अगर सब ठीक रहा तो एक दिन जरूर हम भी अपनी माँ के थनों को सहला कर उसे चुदने के लिए तईयार कर ही लेंगे। हीहीहीहीही.....

रोहीत- हाँ हाँ मुंगेरी लाल के हशीन सपने...

मोहित- सपना ही सही लेकिन माँ को तो सपने मे पेलना भी सौ हसीनों को पेलने से कही ज्यादा है।

रोहित- बात तो सही है। चल ना एक बार चल कर देखते है कि माँ सो गई या राऊँड़ टू तो नहीं शुरू हो गया।

मोहित- अरे नहीं कोई राऊंड़ टू नहीं होने वाला सो जा अब चुप चाप।

रोहित- चल ना यार एक बार मन कर रहा है वहा जाने का मन कर रहा है पूरी रात वही माँ के कमरे के बाहर ही खड़ा रहू।

मोहित- चल तू करता है तो एक बार चलते है।

दोनों भाई अपने कमरे से निकल कर माँ पापा के कमरे के बाहर जाते है काफी देर तक कान लगा कर अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करते है लेकिन कोई आवाज नहीं आती है आती भी कैसे दोनों पती पत्नी तो चुदाई से संतुष्ट होकर आराम से सो गये थे। दोनों भाई अपने रूम में जाने लगते है। लेकिन तभी रोहित के दिमाग में कुछ आता है और वो टीवी चला देता है।

मोहित- अब इतनी रात को तुझे टीवी क्यों देखना है।

रोहित- टीवी नहीं देखना है। एक आईडिया आया है दिमाग में।

मोहित देखने लगता है कि रोहित करने क्या वाला है तभी रोहित टीवी ऑन कर के उसमें वैब पेज ऑन कर देता है और उसमें मॉम सन पॉन सर्च करता है और उसमें से एक सैक्सी सी पॉर्न सर्च कर चला देता है और फिर सीधा टीवी बंद कर देता है जिससे टीवी चलाते ही यही वैब पेज सब से पहले खुलेगा।

मोहित- ये क्या किया पहले वैब पेज बंद तो कर देता।

रोहित- यही तो प्लान है मेरे भाई जब कल माँ टीवी खोलेंगी तो देखते है कि माँ का कैसा रीएक्शन आता है। पहले भी माँ ने हमारी देखी हुई पॉर्न पेज देखा था तो कोई रिएक्शन नही दिया देखते है इस बार क्या होता है।

मोहित- तू पागल हो गया है क्या अगर माँ गुस्सा हो गई तो और पापा को बता दिया तो।

रोहित- बता तो वो पिछली बार भी सकती थी। कुछ पाने के लिए कुछ रिश्क तो लेना पड़ता है अगर गुस्सा हो भी गई तो तब कि तब देखेंगे माफी मांग लेंगे लेकिन इस से बहुत सारी चीजे साफ हो जाएंगी।

मोहित- पता नहीं यार मुझे तो बहुत ड़र लग रहा है। कही ऐसा ना हो कि लेने कि जगहा देनी पड़ जाए।

रोहित- हाहाहाहा तू डर मत देखा जाएगाँ जो होगा।

दोनो भाई अपने कमरे में चले जाते है और अपनी माँ को याद करके अपने लण्ड बाहर निकाल कर मसलते मसलते आहे भरते भरते सो जाते है।

सुबहा होती है आज सबसे पहले संजय की आँख खुलती है। सुगंधा उसके पास नंगी लेटी हुई थी संजय ध्यान से सुगंधा की तपफ देखता है तो पाता है कि सुगंधा का हाथ सोते हुए भी उसकी चूत पर ही था। बल्की सोते समय भी सुगंधा की दो ऊंगलियाँ सुगंधा की चूत के अंदर ही थी।
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संजय यह देखकर समझ जाता है कि यह सब सुगंधा पर उसके जवान बेटों के आकर्षण का ही है। संजय समय ना गवाते हुए सीधा अपना चहरा सुगंधा की चूत के पास ले कर जाता है और सुगंधा की चूत की खुशबू लेता है सुगंधा की चूत रात की चुदाई के बाद और पूरी रात भर अपने बेटों के सपने की वजहा से लगातार पानी छोड़ रही थी जिस वजह से सुगंधा से एक बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी। संजय यह खुशबू सूंघ कर मदहोश सा हो जाता है और सीधा अपनी चीभ निकाल कर सुगंधा की चूत को चाटने लगता है। धीरे धीरे संजय सुगंधा की चूत में अपनी जीभ ऊपर से नीचे तक चलाने लगता है जिसका एहशास होते ही सुगंधा की नींद खुल जाती है और सुगंधा आँखे खोलकर देखती है उसका पती सुबहा सुबहा उसकी चूत चाट रहा है। यह काफी अजीब था क्योंकि शादी के इतने साल बाद अब संजय ऐसी हरकत कर रहा था जो कि वह शादी के कुछ साल बाद ही छोड़ चुका था। खैर सुगंधा के लिए बहुत सुखद था सुगंधा संजय के सर पर हाथ रख कर अपनी चूत चटवाने का मजा लेने लगती है। तभी सजय एक झलक सुगंधा की तरफ चहरा उठा कर सुगंधा को देखते हुए कहता है।

संजय- क्या बात है जाने मन आज तो सुबहा सुबहा ही चूत बहुत गीली हो रही है। लगता है पूरी रात ही जैसे इसमें से सोमरस बहता रहा हो।

सुगंधा इसके जवाब में कुछ बोल नहीं पाती है बस उसके मूँह से एक आह सी निकलती है। (आआआआहहहहहहहहहह)

संजय इसके बाद फिर से अपने काम पर लग जाता है और सुगंधा की चूत को जोर जोर से चूमने और चाटने लगता है बीच बीच में संचय सुगंधा की चूत के होठों पर दांतो से धीरे से बाईट भी कर रहा था जो सुगंधा को बहुत ही ज्यादा उत्तेजीत कर रहा था। सुगंधा जोर से सिस्कीया लेने लगती है और अपनी गाँण्ड ऊपर उठा उठा कर संजय से अपनी चूत को चटवाने लगती है। सुगंधा बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रही थी और संजय का सर जोर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थी संजय समझ जाता है कि सुगंधा अब अपने चरम सुख पर पहुँचने वाली है लेकिन संजय यह नहीं चाहता था संजय चाहता था की सुगंधा के अंदर यह आग जलती रहे। और वह पूरा दिन इस कामवास्ना की आग में जलती रहे इसलीए वह अचानक से सुगंधा की चूत को चाटना छोड़ देता है जो सुगंधा को थोड़ा बुरा लगता है लेकिन वह सोचती है कि अब संजय उसकों चोदने वाला है लेकिन एसा कुछ भी नहीं हुआ और संजय बिस्तर से उठकर खड़ा हो जाता है और सुगंधा को कहता है

संजय- चल रंण्डी भाग यहा से सुबहा सुबहा शुरू हो जाती है चूत टपकाने जा अब ऐसे ही चूत टपकाती घूम घर में पूरा दिन।

सुगंधा- संजय प्लीज ऐसा मत करो ना थोड़ी देर और करो तो मेरा पानी निकल जाएगाँ।

संजय- नहीं रंण्डी तुझे आज पूरा दिन ऐसे ही चूत टपकाते हुए घूमना पड़ेगा अपने बेटों के साहमने।

सुगंधा- ऐसा मत करों ना तुम तो मुझे जानते हो मैं तो झड़ने के बाद भी उनकी नजर अपने शरीर पर पड़ते ही फिर से गरम होने लगूँगी लेकिन अगर तुमने मुझे ऐसे बीच में ही छोड़ दिया तो मैं अपने आप को बिल्कुल भी संयम में नहीं रख पाऊंगी।

संजय- तो मत रखना अपने आप को संजय में देखते है कि तू किस कदर रंण्डी पर उतर सकती हैं।

सुगंधा को यह बोलकर संजय बाथरूम में चला जाता है। और सुगंधा बिस्तर पर लेटे लेटे अपनी चूत को सहलाती रह जाती है। और सोचने लगती अपने बेटों के बारें में किस तरहा वो दोनों सुगंधा के शरीर को घूर रहे थे और उनकी सारी की गई हरकतो के बारे में सोच कर अपनी चूत को सहलाती रहती है। तभी संजय बैड़रूम में वापस आ जाता है और सुगंधा को इस हालत में देखकर मुस्कुराता है और उसके दिमाग में एक शरारत आती है और वह सुगंधा का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर से उठाता है और उसके कमरे के दरवाजे पर ले जाता है और कमरे का दरवाजा खोल कर सुगंधा को कमरे से बाहर निकाल देता है और उसे बोलता है

संजय- जा रंण्डी इतनी ही गरम हो रही है अपने बेटों के बारें में सोचकर तो चली जा उनके पास नंगी होकर और मरा ले जाकर अपनी चूत चोद चोदकर तेरी चूत ही नहीं तेरी गांण्ड भी इतनी मारेंगे की तेरी सारी गरमी निकाल देंगे दोनो।
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सुगंधा इससे बहुत घबरा जाती है कही उसके बेटे जाग गये हो और कमरे से बाहर हो तो क्या होगा। सुगंधा हाँल में चारो तरफ देखती है तो उसके कही भी उसके बेटे नहीं दिखाई देते है। सुगंधा को थोड़ी राहत मिलती है। लेकिन तभी संजय कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है। संगाधा डर सी जाती है और दरवाजे को खोलने की कोशिश करती है लेकिन संजय दरवाजे को अंदर के लाक कर चुका था। सुगंधा संजय से करती है।

सुगंधा- अरे क्या कर रहे हो जल्दी से दरवाजा खोलो ना अगर कोई बाहर आ गया तो क्या होगा।

संजय- होगा क्या तुझे नंगा देखकर तेरे बेटे तेरे उपर चड़ जाएंगे और निकाल देंगे आज तेरे जिस्म की सारी गरमी।

सुगंधा पीछे मुड़कर अपने बेटों के कमरे की तरफ एक नजर देखती है। कमरा बंद था जिस्से सुगंधा चैन की सांस लेती है। और संजय से करती है- ज्यादा बकवास ना करों और चुपचाप दरवाजा खोलों।

संजय- यह दरवाजा तो ऐसे नहीं खुलने वाला हैं। अच्छीया चलो खोल दूंगा दरवाजा लेकिन उसके लिए तुम्हें एक काम करना पड़ेगा।

सुगंधा- क्या काम

संजय- ज्यादा कुछ नहीं जाओं अपने बेटों के कमरे में और देख कर आओ कि वो दोनो क्या कर रहें है।

सुगंधा- तुम क्या पागल हो गए हो क्या। चलो ज्यादा मस्ती मत करों और खोल दो चुपचाप दरवाजा।

संजय- अगर दरवाजा खुलवाना है तो जल्दी से जो मैने कहा है वह करो वरना खड़ी रहो बाहर ऐसे ही नंगी और करो इंतजार अपने बेटों के उठने का वैसे भी उनके उठने का भी समय होने ही वाला है आ जाएगें दोनों अपने कमरे से बाहर और तुम्हें नंगा देखकर वो क्या करेंगे वह तुम ही जानो।

सुगंधा संजय की बात सुनकर इतना तो समझ जाती है कि यह ऐसे तो दरवाजा नहीं खोलने वाला है इससे तो अच्छा है कि जल्दी से वह जाकर एक बार देख ही आए अपने बेटों के कमरें में। यह सोचकर सुगंधा अपने बेटों के कमरे की तरफ मुड़ती है और धीरे धीरे अपने बेटों के कमरे की तरफ बड़ने लगती है उसके मन में एक अजीब सी कशमकश सी चल रही थी एक तरफ उसे डर भी लग रहा था कि अगर उसके बेटे उठ गये और उसे इस हालत में देख लिया तो वह क्या करेंगी वहीं दूसरी तरफ उसके मन में एक उत्तेजना सी भी उठ रही थी वह आज पहली बार अपने घर में अपने बेटों के होते हुए ऐसे नंगी होकर घूम रही थी। वो भी अपने बेटों के कमरे में जा रही थी जहा उसके बेटे मैजूद है यह सोचकर सुगंधा के शरीर में एक अजीब सी तरंग उठ रही थी। और यही सब सोचते सोचते सुगंधा धीरे धीरे अपने बेटों के कमरे की तरफ बढ़ी जा रही थी। और इसी कश्मकश में सुगंधा की गांण्ड कुछ ज्यादा ही मटक रही थी और पीछे से उसकी नंगी गांण्ड मटकती और उछलती हुई बेहद ही मादक लग रही थी। संजय भी सुगंधा के जाने का आभास पाकर दरवाजा खोलकर सुगंधा को जाते हुए देखता है और पीछे से सुगंधा को जाते हुए देखकर वसका ध्यान भी सुगंधा की उझलती हुई गांण्ड पर जाता है जिसे देखकर संजय भी उसे देखता ही रह जाता है और अपने लण्ड को मसलने लगता है।

तब तक सुगंधा भी अपने बेटों के कमरे तक पहुँच जाती है वह हिम्मत कर के दरवाजे पर कान लगाकर पहले अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करती है लेकिन उसे अंदर से कोई आवाज नहीं आती है तो उसे लगता है कि शायद उसके बेटे अभी तक सो ही रहे है तो उसे कुछ राहत सी महशूस होती है। वह हिम्मत कर के दरवाजे को धीरे से धकेल कर थोड़ा सा खोलती है। सुगंधा को पता था कि उसके बेटे दरवाजा कभी लॉक कर के नहीं सोते है और दरवाजा खुला ही होगा। दरवाजा थोड़ा सा खोलकर सुगंधा अंदर झांक कर देखती तो वह राहत की सांस लेती है रोहित और मोहित सच में सो ही रहे थे। सुगंधा उनहें देखकर दरवाजा फिर से बंद करने लगती है लेकिन तभी उसकी नजर मे कुछ आता है सुगंधा चैंक कर दरवाजा फिर से धीरे से खोल कर देखती है तो दंग रह जाती है दोनो बेटे सीधे लेटे हुए थे और दोनो के लड़ उनकी पैंट से बाहर थे और सुबहा सुबहा का समय होने के कारण दोनों के लण्ड तनकर बिल्कुल सीधे खड़े थे। हालाकि कमरे में रोशनी बहुत ज्यादा नहीं थी और दोनो बेटों ने पैंट भी पहनी हुई थी तो लण्ड पूरी तरह से बाहर भी नहीं थे तो सुगंधा दो लण्ड को बहुत अच्छे से तो नहीं देख सकती थी और ना ही लण्डों के साईज का सही अंदाजा लगाया जा सकता था लेकिन जितना भी दिख रहा था सुगंधा को दोनों के लण्ड बहुत ही कड़क और अच्छे लगे सुगंधा कुछ देरतक अपने बेटों के देखती ही रह गई और ना जाने कब उसका हाथ अपने आप अपनी चूत पर पहुँच गया और वह अपने बेटों के कमरे के बाहर खड़ी होकर अपने बेटों के लण्ड़ों को देखकर अपनी चूत को मसलने लगी नजारा बहुत ही कामुक कर देने वाला था एक माँ बिल्कुल नंग अपने बेटों के कमरे के बाहर खड़ी होकर अपने बेटों के लण्ड को निहार रही है और साथ ही साथ अपनी अपनी चूत में ऊंगली भी कर रही है। अगर इस समय उसके बेटों की आँखे खुल जाती तो सुगंधा की चुदाई अपने बेटों से आज ही हो जानी तय थी।
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संजय भी अपने दरवाजे पर खड़ा यह सब देख रहा था और वह यह देखकर थोड़े आशर्चय में जरूर पड़ गया कि आखिर जो औरत अभी तक वहा तक जाने में इतना डर रही थी उसे अंदर ऐसा क्या दिख गया कि वह वही कमरे के दरवजे पर खडी होकर अपनी चूत में ऊगली करना सुरू कर देती है। संजय भी यह पता करने के लिए बेटों के कमरे की तरफ चल देता है और अपनी बीबी के पीछे जाके खड़ा हो जाता है और झाक कर कमरे में देखता है तो देखता है कि बेटे तो आराम से सो रहे है लेकिन ध्यान से देखने पर उसका ध्यान जाता है बेटों के लण्ड उनकी पैंट से बाहर निकले हुए है और खड़े है जिसे देखकर सुगंधा वासना में पागल हुई जा रही है सुगंधा अभी भी सभी चीजो से बेखबर लगातार अपनी चूत में ऊंगली किए जा रही थी। सुगंधा को इस हालत में देखकर संजय भी अपने आप को रोक नहीं पाता है और अपना एक हाथ आगे लेजाकर सुगंधा की गाँण्ड पर रख देता है और सुगंधा के एक चूतड़ को पकड़ कर जोर से दबा देता है जिस से सुगंधा और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाती है। और तेजी से अपनी चूत में ऊंगली करने लगती है। संजय अपनी बीबी के एक चूतड़ को पकड़े पकड़े ही अपनी एक ऊगली सुगंधा की गाँण्ड के छेद तक ले जाता है और धीरे से उसे सहलाते हुए अपनी ऊंगली सुगंधा की गाँण्ड में डाल देता है। सुगंधा के मूँह से एक हलकी सी सिस्की निकल जाती है संजय धीरे से सुगंधा के कान में कहता है- क्यों रण्डी रुका नहीं जा रहा ना अपने बेटों के लण्ड देख कर। जा चली जा अंदर और डाल ले पकड के ये लण्ड अपनी चूत में चुदवा ले अपने बेटों से ये कहते हुए संजय अपनी ऊंगली जड़ तक सुगंधा की गाण्ड में उतार देता है।

सुगंधा को तो बस जैसे कुछ होश ही नहीं था वह तो तेजी से अपनी चूत में ऊंगली अदर बाहर किये जा रही थी तभी मोहित के फोन का अलार्म बजने लगता है जिसकी आवाज सुनकर सुगंधा को कुछ होश आता है और इससे पहले कि बेटों की आंख खुले सुगंधा अपने कमरे की तरफ भागने लगती है तभी संजय सुगंधा का हाथ पकड़ लेता है। सुगंधा संजय की तरफ पलटती है तो संजय उसे अपनी तरफ खींच कर एक ही झटके में सुगंधा की चूत में अपनी दो ऊगलीयाँ उतार देता है। सुगंधा के मूह से एक जोर की आह निकल जाती है संजय अपनी ऊंगली सुगंधा की चूत से निकाल कर अपने मूहं में डाल लेता है और चटने लगता है यह देखकर सुगंधा को भी अच्छा लगता है और हव संजय को एक अपना एक होठ अपने दांतो के नीचे दबाकर एक कामुक सी स्माईल देती है और मुड़ कर अपने कमरे की तरफ दौड़ने लगती है दौड़ने से उसके बेहद गदराई गाँण्ड फिर से उछलने लगती है। जिसे संजय बहुत ध्यान से देख रहा था सुगंधा अपने कमरे में पहुच कर संजय की तरफ मुड़ कर एक बार और देखती है और संजय को अपनी गाँण्ड को घूरता पाकर अपने एक चूतड़ को परड़ कर दबाती है जिस से उसकी गाँण्ड भूरा छेद भी दिखने लगता है सुगंधा उसमें अपनी एक ऊंगली संजय को दिखाते हुए डालती है और फिर खिल खिलाकर हँसती हुए कमरे के अंदर चली जाती है। और भाग कर बाथरूम में घुस जाती है उधर अलारम की आवाज सुनकर दोनों बेटों की आंखे भी खुल जाती है। और दोनों धीरे धीरे आँखे मलते हुए उठते है। अपने लण्ड को पैंट के बहर पाते है और सोचते है कि अच्छा हुआ अभी तक माँ हमें जगाने के लिए कमरे में नहीं आई वहना पता नहीं क्या होता। जो कुछ भी काम वास्ना का खेल अभी उनके कमरे के बाहर चल रहा था उससे अंजान दोनों बेटे अपने बिस्तर से उठते है और फ्रैस होने अपने बाथरूम की तरफ जाते है।
अगला अपडेट भी तईयार है जल्दी ही अपलोड़ भी करूँगी तब तक आप अपने सुझाव और स्टोरी कैसी लग रही है प्लीज जरूर बताते रहीएँ।
Mast jabardast jindabad
 
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Roy monik

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सौरी दोस्तों अपडेट लेट होने के लिए दरअसल मैं एक हाऊस वईफ हूँ और मुझे स्टोरी लिखने के लिए समय निकालना आसान नहीं होता है। पती से और घर के सभी लोगों से झिपा कर काम करना पड़ता है। खैर अब स्टोरी को आगे बड़ाते है। आप के काफी सारे स्टोरी के लिए सुझाव मिले जिनमें से कुछ मुझे बहुत अच्छे लगे आप लेग भी इसी तरहा अपने सुझाव देते रहिए।

तो वासना का वह दौर खत्म हुआ सुगंधा और अपने बाप की चुदाई की जोरदार आवाज सुनकर दोनों भाई अपने कमरे में आकर लेट जाते है लेकिन आज जो कुछ भी हुआ वह दोनो भाईयों के दिलो दिमाग पर एक गहरा असर कर गया था सब से पहले तो सुगंधा के कपड़े जो उसने पहने थे जिसमें उसके जिस्म के दर्शन बहुत ही बारीकी से किये जा सकते थे। फिर माँ कि हरकतों ने भी दोनों को कई बार चौकाया और फिर उनका अपनी माँ के फोटों लेना और फोटों भी उनकी उम्मीद से काफी सेक्सी मिले थे अचानक से उसकी माँ के झुक जाने की बजहा से उसकी गाँण्ड का कामुक नजारा फोन में कैद हो गया था और वैसे ही सुगंधा की चुच्ची का भी बहुत ही मनमोहक फोटों रोहित ने लिया था। और फिर आखिर में माँ और बाप के कमरे से आती चुदाई की आवाजे जिसे सुकर तो यह साफ दोनों भाई अपना आपा ही खो बैठे थे और दोनों भाई अभी अभी अपनी माँ की कामुक चुदाई की आवाजे सुनकर मुठ मारकर अपने कमरे में आए है। मुठ मारने के बाद भी यही सब सोचते सोचते दोनों भाईयों को अभी तक नींद नहीं आ रही थी। दोनों के हि दिमाग में यही सब चल रहा था कि आखिर यह सब उनके साथ हो क्या रहा है। अचानक से दो तीन दिन के अंदर ही सब कुछ कितनी तेजी से बदल रहा है। क्या यह सिर्फ संजोग है या उन दोनों की अच्छी किस्मत या फिर कुछ और.... यही सब सवाल दोनों ही भाईयों के दिमाग में लगातार चल रहे थे। तभी रोहित कहता है

रोहित- भाई आज तो माँ की आवाजे कुछ ज्यादा ही तेज और कामुक आ रही थी।

मोहित- हाँ यही मै भी सोच रहा था लग तो एसा रहा था कि जैसे माँ कि चुदाई बिल्कुल दरवाजे पर ही हो रही हो।

रोहित- हाँ यार बिल्कुल आवाजों से तो ऐसा ही लग रहा था। लेकिन ऐसा क्यों हुआ होगा कि पापा माँ को बिल्कुल दरवाजे के पास लाकर ही चोद रहे थे।

मोहित- ये तो पता नहीं लेकिन हो सकता है कि माँ और पापा अक्सर ऐसा करते हो उन्हें भी अलग अलग तरह से चुदाई में मजा आता हो जैसे की हमें आता है।

रोहित- हाँ ये हो सकता है। लेकिन क्या तुझे यह कुछ अजीब सा नहीं लग रहा जो भी पिछले कुछ दिनों से हो रहा है। पहले कभी हमने माँ कि चुदाई की आवाजे नहीं सुनी थी लेकिन दो दिन तीन दिन से रोज माँ कि चुदाई की आवाजे रोज ही सुन्ने को मिलने लगी है। और आज तो आवाजे इतनी तेज और कामुख थी की मानो घर से बाहर तक भी जा रही हो और माँ और पापा को इस बात की फिर्क ही ना हो की हम दोनों भी घर पर ही है।

मोहित- हाँ ये थोड़ा अजीब तो है और माँ के हाव भाव भी कुछ अलग लग रहे है। और माँ के आज के कपड़े भी कुछ ज्यादा ही सेक्सी थे। लेकिन हो सकता है कि यह हमारा नसीब अच्छा हो और इस से पहले कभी हमने माँ को ज्यादा सैक्स की नजर से देखा भी तो नहीं था जब हमने उस नजर से माँ को देखना शुरू किया तभी तो हमें माँ की कामुखता दिखाई देगी।

रोहित- बात तो सही है लेकिन यार कुछ तो चीजे अजीब है जैसे माँ की पैंटी हमारे कमरे में होना और उर माँ का इसपर कोई प्रतिक्रिया ना देना और हम तो टीवी में भी पॉर्न चला कर छोड़ आये थे और टीवी भी माँ ने ही देखा था उसके बाद फिर भी माँ ने कोई गुस्सा नहीं दिखाया और ना ही कोई बात की इस बारे में।

मोहित- हो सकता है कि माँ को भी यह सब अच्छा लग रहा हो इससे पहले हमने कभी यह सब किया भी तो नहीं यह तो हम जानते ही है कि माँ एक सैक्सी औरत तो है हि माँ और पापा का यूँ आए दिन रात को पार्टी में जाना और शराब पीना और ना जाने क्या क्या करते होंगे बाहर तो हो सकता है कि माँ को हमारी ये सब हरकते अच्छी लग रही हो।

रोहित- ये क्या कह दिया यार मेरा तो लण्ड तेरी ये बात सुन कर एक बार फिर से खड़ा हो गया है। काश तेरी बात सही हो। लेकिन इस बात का पता कैसे लगाया जा सकता है कि माँ को सच में हमारी यह सब हरकते अच्छी लग रही है।

मोहित- इस में हमें ज्यादा जल्दी बाजी नहीं करनी चाहिए हो सकता है कि यह सिर्फ हमारा वहम हो तो गड़बड हो जाएगी और अगर यह सच भी हुआ तो भी अगर हमने ज्यादा जल्दी की तो हो सकता है कि माँ गुस्सा हो जाए तो हमें थोड़े धैर्य से काम लेना होगा। जैसे दूध निकाले से पहले गाँय के थनों को पहले धीरे धीरे सहला कर गाँय को दूध देने के लिए तईयार किया जाता है वैसे ही हमें भी माँ को धीरे धीरे तईयार करना होगा।

रोहीत- तो तू क्या कह रहा है हमें भी माँ के थनों को धीरे धीरे सहलाना होगा हाहाहाहाहाहाहा

मोहित- हाँ अगर सब ठीक रहा तो एक दिन जरूर हम भी अपनी माँ के थनों को सहला कर उसे चुदने के लिए तईयार कर ही लेंगे। हीहीहीहीही.....

रोहीत- हाँ हाँ मुंगेरी लाल के हशीन सपने...

मोहित- सपना ही सही लेकिन माँ को तो सपने मे पेलना भी सौ हसीनों को पेलने से कही ज्यादा है।

रोहित- बात तो सही है। चल ना एक बार चल कर देखते है कि माँ सो गई या राऊँड़ टू तो नहीं शुरू हो गया।

मोहित- अरे नहीं कोई राऊंड़ टू नहीं होने वाला सो जा अब चुप चाप।

रोहित- चल ना यार एक बार मन कर रहा है वहा जाने का मन कर रहा है पूरी रात वही माँ के कमरे के बाहर ही खड़ा रहू।

मोहित- चल तू करता है तो एक बार चलते है।

दोनों भाई अपने कमरे से निकल कर माँ पापा के कमरे के बाहर जाते है काफी देर तक कान लगा कर अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करते है लेकिन कोई आवाज नहीं आती है आती भी कैसे दोनों पती पत्नी तो चुदाई से संतुष्ट होकर आराम से सो गये थे। दोनों भाई अपने रूम में जाने लगते है। लेकिन तभी रोहित के दिमाग में कुछ आता है और वो टीवी चला देता है।

मोहित- अब इतनी रात को तुझे टीवी क्यों देखना है।

रोहित- टीवी नहीं देखना है। एक आईडिया आया है दिमाग में।

मोहित देखने लगता है कि रोहित करने क्या वाला है तभी रोहित टीवी ऑन कर के उसमें वैब पेज ऑन कर देता है और उसमें मॉम सन पॉन सर्च करता है और उसमें से एक सैक्सी सी पॉर्न सर्च कर चला देता है और फिर सीधा टीवी बंद कर देता है जिससे टीवी चलाते ही यही वैब पेज सब से पहले खुलेगा।

मोहित- ये क्या किया पहले वैब पेज बंद तो कर देता।

रोहित- यही तो प्लान है मेरे भाई जब कल माँ टीवी खोलेंगी तो देखते है कि माँ का कैसा रीएक्शन आता है। पहले भी माँ ने हमारी देखी हुई पॉर्न पेज देखा था तो कोई रिएक्शन नही दिया देखते है इस बार क्या होता है।

मोहित- तू पागल हो गया है क्या अगर माँ गुस्सा हो गई तो और पापा को बता दिया तो।

रोहित- बता तो वो पिछली बार भी सकती थी। कुछ पाने के लिए कुछ रिश्क तो लेना पड़ता है अगर गुस्सा हो भी गई तो तब कि तब देखेंगे माफी मांग लेंगे लेकिन इस से बहुत सारी चीजे साफ हो जाएंगी।

मोहित- पता नहीं यार मुझे तो बहुत ड़र लग रहा है। कही ऐसा ना हो कि लेने कि जगहा देनी पड़ जाए।

रोहित- हाहाहाहा तू डर मत देखा जाएगाँ जो होगा।

दोनो भाई अपने कमरे में चले जाते है और अपनी माँ को याद करके अपने लण्ड बाहर निकाल कर मसलते मसलते आहे भरते भरते सो जाते है।

सुबहा होती है आज सबसे पहले संजय की आँख खुलती है। सुगंधा उसके पास नंगी लेटी हुई थी संजय ध्यान से सुगंधा की तपफ देखता है तो पाता है कि सुगंधा का हाथ सोते हुए भी उसकी चूत पर ही था। बल्की सोते समय भी सुगंधा की दो ऊंगलियाँ सुगंधा की चूत के अंदर ही थी।
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संजय यह देखकर समझ जाता है कि यह सब सुगंधा पर उसके जवान बेटों के आकर्षण का ही है। संजय समय ना गवाते हुए सीधा अपना चहरा सुगंधा की चूत के पास ले कर जाता है और सुगंधा की चूत की खुशबू लेता है सुगंधा की चूत रात की चुदाई के बाद और पूरी रात भर अपने बेटों के सपने की वजहा से लगातार पानी छोड़ रही थी जिस वजह से सुगंधा से एक बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी। संजय यह खुशबू सूंघ कर मदहोश सा हो जाता है और सीधा अपनी चीभ निकाल कर सुगंधा की चूत को चाटने लगता है। धीरे धीरे संजय सुगंधा की चूत में अपनी जीभ ऊपर से नीचे तक चलाने लगता है जिसका एहशास होते ही सुगंधा की नींद खुल जाती है और सुगंधा आँखे खोलकर देखती है उसका पती सुबहा सुबहा उसकी चूत चाट रहा है। यह काफी अजीब था क्योंकि शादी के इतने साल बाद अब संजय ऐसी हरकत कर रहा था जो कि वह शादी के कुछ साल बाद ही छोड़ चुका था। खैर सुगंधा के लिए बहुत सुखद था सुगंधा संजय के सर पर हाथ रख कर अपनी चूत चटवाने का मजा लेने लगती है। तभी सजय एक झलक सुगंधा की तरफ चहरा उठा कर सुगंधा को देखते हुए कहता है।

संजय- क्या बात है जाने मन आज तो सुबहा सुबहा ही चूत बहुत गीली हो रही है। लगता है पूरी रात ही जैसे इसमें से सोमरस बहता रहा हो।

सुगंधा इसके जवाब में कुछ बोल नहीं पाती है बस उसके मूँह से एक आह सी निकलती है। (आआआआहहहहहहहहहह)

संजय इसके बाद फिर से अपने काम पर लग जाता है और सुगंधा की चूत को जोर जोर से चूमने और चाटने लगता है बीच बीच में संचय सुगंधा की चूत के होठों पर दांतो से धीरे से बाईट भी कर रहा था जो सुगंधा को बहुत ही ज्यादा उत्तेजीत कर रहा था। सुगंधा जोर से सिस्कीया लेने लगती है और अपनी गाँण्ड ऊपर उठा उठा कर संजय से अपनी चूत को चटवाने लगती है। सुगंधा बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रही थी और संजय का सर जोर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थी संजय समझ जाता है कि सुगंधा अब अपने चरम सुख पर पहुँचने वाली है लेकिन संजय यह नहीं चाहता था संजय चाहता था की सुगंधा के अंदर यह आग जलती रहे। और वह पूरा दिन इस कामवास्ना की आग में जलती रहे इसलीए वह अचानक से सुगंधा की चूत को चाटना छोड़ देता है जो सुगंधा को थोड़ा बुरा लगता है लेकिन वह सोचती है कि अब संजय उसकों चोदने वाला है लेकिन एसा कुछ भी नहीं हुआ और संजय बिस्तर से उठकर खड़ा हो जाता है और सुगंधा को कहता है

संजय- चल रंण्डी भाग यहा से सुबहा सुबहा शुरू हो जाती है चूत टपकाने जा अब ऐसे ही चूत टपकाती घूम घर में पूरा दिन।

सुगंधा- संजय प्लीज ऐसा मत करो ना थोड़ी देर और करो तो मेरा पानी निकल जाएगाँ।

संजय- नहीं रंण्डी तुझे आज पूरा दिन ऐसे ही चूत टपकाते हुए घूमना पड़ेगा अपने बेटों के साहमने।

सुगंधा- ऐसा मत करों ना तुम तो मुझे जानते हो मैं तो झड़ने के बाद भी उनकी नजर अपने शरीर पर पड़ते ही फिर से गरम होने लगूँगी लेकिन अगर तुमने मुझे ऐसे बीच में ही छोड़ दिया तो मैं अपने आप को बिल्कुल भी संयम में नहीं रख पाऊंगी।

संजय- तो मत रखना अपने आप को संजय में देखते है कि तू किस कदर रंण्डी पर उतर सकती हैं।

सुगंधा को यह बोलकर संजय बाथरूम में चला जाता है। और सुगंधा बिस्तर पर लेटे लेटे अपनी चूत को सहलाती रह जाती है। और सोचने लगती अपने बेटों के बारें में किस तरहा वो दोनों सुगंधा के शरीर को घूर रहे थे और उनकी सारी की गई हरकतो के बारे में सोच कर अपनी चूत को सहलाती रहती है। तभी संजय बैड़रूम में वापस आ जाता है और सुगंधा को इस हालत में देखकर मुस्कुराता है और उसके दिमाग में एक शरारत आती है और वह सुगंधा का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर से उठाता है और उसके कमरे के दरवाजे पर ले जाता है और कमरे का दरवाजा खोल कर सुगंधा को कमरे से बाहर निकाल देता है और उसे बोलता है

संजय- जा रंण्डी इतनी ही गरम हो रही है अपने बेटों के बारें में सोचकर तो चली जा उनके पास नंगी होकर और मरा ले जाकर अपनी चूत चोद चोदकर तेरी चूत ही नहीं तेरी गांण्ड भी इतनी मारेंगे की तेरी सारी गरमी निकाल देंगे दोनो।
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सुगंधा इससे बहुत घबरा जाती है कही उसके बेटे जाग गये हो और कमरे से बाहर हो तो क्या होगा। सुगंधा हाँल में चारो तरफ देखती है तो उसके कही भी उसके बेटे नहीं दिखाई देते है। सुगंधा को थोड़ी राहत मिलती है। लेकिन तभी संजय कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है। संगाधा डर सी जाती है और दरवाजे को खोलने की कोशिश करती है लेकिन संजय दरवाजे को अंदर के लाक कर चुका था। सुगंधा संजय से करती है।

सुगंधा- अरे क्या कर रहे हो जल्दी से दरवाजा खोलो ना अगर कोई बाहर आ गया तो क्या होगा।

संजय- होगा क्या तुझे नंगा देखकर तेरे बेटे तेरे उपर चड़ जाएंगे और निकाल देंगे आज तेरे जिस्म की सारी गरमी।

सुगंधा पीछे मुड़कर अपने बेटों के कमरे की तरफ एक नजर देखती है। कमरा बंद था जिस्से सुगंधा चैन की सांस लेती है। और संजय से करती है- ज्यादा बकवास ना करों और चुपचाप दरवाजा खोलों।

संजय- यह दरवाजा तो ऐसे नहीं खुलने वाला हैं। अच्छीया चलो खोल दूंगा दरवाजा लेकिन उसके लिए तुम्हें एक काम करना पड़ेगा।

सुगंधा- क्या काम

संजय- ज्यादा कुछ नहीं जाओं अपने बेटों के कमरे में और देख कर आओ कि वो दोनो क्या कर रहें है।

सुगंधा- तुम क्या पागल हो गए हो क्या। चलो ज्यादा मस्ती मत करों और खोल दो चुपचाप दरवाजा।

संजय- अगर दरवाजा खुलवाना है तो जल्दी से जो मैने कहा है वह करो वरना खड़ी रहो बाहर ऐसे ही नंगी और करो इंतजार अपने बेटों के उठने का वैसे भी उनके उठने का भी समय होने ही वाला है आ जाएगें दोनों अपने कमरे से बाहर और तुम्हें नंगा देखकर वो क्या करेंगे वह तुम ही जानो।

सुगंधा संजय की बात सुनकर इतना तो समझ जाती है कि यह ऐसे तो दरवाजा नहीं खोलने वाला है इससे तो अच्छा है कि जल्दी से वह जाकर एक बार देख ही आए अपने बेटों के कमरें में। यह सोचकर सुगंधा अपने बेटों के कमरे की तरफ मुड़ती है और धीरे धीरे अपने बेटों के कमरे की तरफ बड़ने लगती है उसके मन में एक अजीब सी कशमकश सी चल रही थी एक तरफ उसे डर भी लग रहा था कि अगर उसके बेटे उठ गये और उसे इस हालत में देख लिया तो वह क्या करेंगी वहीं दूसरी तरफ उसके मन में एक उत्तेजना सी भी उठ रही थी वह आज पहली बार अपने घर में अपने बेटों के होते हुए ऐसे नंगी होकर घूम रही थी। वो भी अपने बेटों के कमरे में जा रही थी जहा उसके बेटे मैजूद है यह सोचकर सुगंधा के शरीर में एक अजीब सी तरंग उठ रही थी। और यही सब सोचते सोचते सुगंधा धीरे धीरे अपने बेटों के कमरे की तरफ बढ़ी जा रही थी। और इसी कश्मकश में सुगंधा की गांण्ड कुछ ज्यादा ही मटक रही थी और पीछे से उसकी नंगी गांण्ड मटकती और उछलती हुई बेहद ही मादक लग रही थी। संजय भी सुगंधा के जाने का आभास पाकर दरवाजा खोलकर सुगंधा को जाते हुए देखता है और पीछे से सुगंधा को जाते हुए देखकर वसका ध्यान भी सुगंधा की उझलती हुई गांण्ड पर जाता है जिसे देखकर संजय भी उसे देखता ही रह जाता है और अपने लण्ड को मसलने लगता है।

तब तक सुगंधा भी अपने बेटों के कमरे तक पहुँच जाती है वह हिम्मत कर के दरवाजे पर कान लगाकर पहले अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करती है लेकिन उसे अंदर से कोई आवाज नहीं आती है तो उसे लगता है कि शायद उसके बेटे अभी तक सो ही रहे है तो उसे कुछ राहत सी महशूस होती है। वह हिम्मत कर के दरवाजे को धीरे से धकेल कर थोड़ा सा खोलती है। सुगंधा को पता था कि उसके बेटे दरवाजा कभी लॉक कर के नहीं सोते है और दरवाजा खुला ही होगा। दरवाजा थोड़ा सा खोलकर सुगंधा अंदर झांक कर देखती तो वह राहत की सांस लेती है रोहित और मोहित सच में सो ही रहे थे। सुगंधा उनहें देखकर दरवाजा फिर से बंद करने लगती है लेकिन तभी उसकी नजर मे कुछ आता है सुगंधा चैंक कर दरवाजा फिर से धीरे से खोल कर देखती है तो दंग रह जाती है दोनो बेटे सीधे लेटे हुए थे और दोनो के लड़ उनकी पैंट से बाहर थे और सुबहा सुबहा का समय होने के कारण दोनों के लण्ड तनकर बिल्कुल सीधे खड़े थे। हालाकि कमरे में रोशनी बहुत ज्यादा नहीं थी और दोनो बेटों ने पैंट भी पहनी हुई थी तो लण्ड पूरी तरह से बाहर भी नहीं थे तो सुगंधा दो लण्ड को बहुत अच्छे से तो नहीं देख सकती थी और ना ही लण्डों के साईज का सही अंदाजा लगाया जा सकता था लेकिन जितना भी दिख रहा था सुगंधा को दोनों के लण्ड बहुत ही कड़क और अच्छे लगे सुगंधा कुछ देरतक अपने बेटों के देखती ही रह गई और ना जाने कब उसका हाथ अपने आप अपनी चूत पर पहुँच गया और वह अपने बेटों के कमरे के बाहर खड़ी होकर अपने बेटों के लण्ड़ों को देखकर अपनी चूत को मसलने लगी नजारा बहुत ही कामुक कर देने वाला था एक माँ बिल्कुल नंग अपने बेटों के कमरे के बाहर खड़ी होकर अपने बेटों के लण्ड को निहार रही है और साथ ही साथ अपनी अपनी चूत में ऊंगली भी कर रही है। अगर इस समय उसके बेटों की आँखे खुल जाती तो सुगंधा की चुदाई अपने बेटों से आज ही हो जानी तय थी।
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संजय भी अपने दरवाजे पर खड़ा यह सब देख रहा था और वह यह देखकर थोड़े आशर्चय में जरूर पड़ गया कि आखिर जो औरत अभी तक वहा तक जाने में इतना डर रही थी उसे अंदर ऐसा क्या दिख गया कि वह वही कमरे के दरवजे पर खडी होकर अपनी चूत में ऊगली करना सुरू कर देती है। संजय भी यह पता करने के लिए बेटों के कमरे की तरफ चल देता है और अपनी बीबी के पीछे जाके खड़ा हो जाता है और झाक कर कमरे में देखता है तो देखता है कि बेटे तो आराम से सो रहे है लेकिन ध्यान से देखने पर उसका ध्यान जाता है बेटों के लण्ड उनकी पैंट से बाहर निकले हुए है और खड़े है जिसे देखकर सुगंधा वासना में पागल हुई जा रही है सुगंधा अभी भी सभी चीजो से बेखबर लगातार अपनी चूत में ऊंगली किए जा रही थी। सुगंधा को इस हालत में देखकर संजय भी अपने आप को रोक नहीं पाता है और अपना एक हाथ आगे लेजाकर सुगंधा की गाँण्ड पर रख देता है और सुगंधा के एक चूतड़ को पकड़ कर जोर से दबा देता है जिस से सुगंधा और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाती है। और तेजी से अपनी चूत में ऊंगली करने लगती है। संजय अपनी बीबी के एक चूतड़ को पकड़े पकड़े ही अपनी एक ऊगली सुगंधा की गाँण्ड के छेद तक ले जाता है और धीरे से उसे सहलाते हुए अपनी ऊंगली सुगंधा की गाँण्ड में डाल देता है। सुगंधा के मूँह से एक हलकी सी सिस्की निकल जाती है संजय धीरे से सुगंधा के कान में कहता है- क्यों रण्डी रुका नहीं जा रहा ना अपने बेटों के लण्ड देख कर। जा चली जा अंदर और डाल ले पकड के ये लण्ड अपनी चूत में चुदवा ले अपने बेटों से ये कहते हुए संजय अपनी ऊंगली जड़ तक सुगंधा की गाण्ड में उतार देता है।

सुगंधा को तो बस जैसे कुछ होश ही नहीं था वह तो तेजी से अपनी चूत में ऊंगली अदर बाहर किये जा रही थी तभी मोहित के फोन का अलार्म बजने लगता है जिसकी आवाज सुनकर सुगंधा को कुछ होश आता है और इससे पहले कि बेटों की आंख खुले सुगंधा अपने कमरे की तरफ भागने लगती है तभी संजय सुगंधा का हाथ पकड़ लेता है। सुगंधा संजय की तरफ पलटती है तो संजय उसे अपनी तरफ खींच कर एक ही झटके में सुगंधा की चूत में अपनी दो ऊगलीयाँ उतार देता है। सुगंधा के मूह से एक जोर की आह निकल जाती है संजय अपनी ऊंगली सुगंधा की चूत से निकाल कर अपने मूहं में डाल लेता है और चटने लगता है यह देखकर सुगंधा को भी अच्छा लगता है और हव संजय को एक अपना एक होठ अपने दांतो के नीचे दबाकर एक कामुक सी स्माईल देती है और मुड़ कर अपने कमरे की तरफ दौड़ने लगती है दौड़ने से उसके बेहद गदराई गाँण्ड फिर से उछलने लगती है। जिसे संजय बहुत ध्यान से देख रहा था सुगंधा अपने कमरे में पहुच कर संजय की तरफ मुड़ कर एक बार और देखती है और संजय को अपनी गाँण्ड को घूरता पाकर अपने एक चूतड़ को परड़ कर दबाती है जिस से उसकी गाँण्ड भूरा छेद भी दिखने लगता है सुगंधा उसमें अपनी एक ऊंगली संजय को दिखाते हुए डालती है और फिर खिल खिलाकर हँसती हुए कमरे के अंदर चली जाती है। और भाग कर बाथरूम में घुस जाती है उधर अलारम की आवाज सुनकर दोनों बेटों की आंखे भी खुल जाती है। और दोनों धीरे धीरे आँखे मलते हुए उठते है। अपने लण्ड को पैंट के बहर पाते है और सोचते है कि अच्छा हुआ अभी तक माँ हमें जगाने के लिए कमरे में नहीं आई वहना पता नहीं क्या होता। जो कुछ भी काम वास्ना का खेल अभी उनके कमरे के बाहर चल रहा था उससे अंजान दोनों बेटे अपने बिस्तर से उठते है और फ्रैस होने अपने बाथरूम की तरफ जाते है।
अगला अपडेट भी तईयार है जल्दी ही अपलोड़ भी करूँगी तब तक आप अपने सुझाव और स्टोरी कैसी लग रही है प्लीज जरूर बताते रहीएँ।
Intzar rahega agle update ka
 
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Ek number

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सौरी दोस्तों अपडेट लेट होने के लिए दरअसल मैं एक हाऊस वईफ हूँ और मुझे स्टोरी लिखने के लिए समय निकालना आसान नहीं होता है। पती से और घर के सभी लोगों से झिपा कर काम करना पड़ता है। खैर अब स्टोरी को आगे बड़ाते है। आप के काफी सारे स्टोरी के लिए सुझाव मिले जिनमें से कुछ मुझे बहुत अच्छे लगे आप लेग भी इसी तरहा अपने सुझाव देते रहिए।

तो वासना का वह दौर खत्म हुआ सुगंधा और अपने बाप की चुदाई की जोरदार आवाज सुनकर दोनों भाई अपने कमरे में आकर लेट जाते है लेकिन आज जो कुछ भी हुआ वह दोनो भाईयों के दिलो दिमाग पर एक गहरा असर कर गया था सब से पहले तो सुगंधा के कपड़े जो उसने पहने थे जिसमें उसके जिस्म के दर्शन बहुत ही बारीकी से किये जा सकते थे। फिर माँ कि हरकतों ने भी दोनों को कई बार चौकाया और फिर उनका अपनी माँ के फोटों लेना और फोटों भी उनकी उम्मीद से काफी सेक्सी मिले थे अचानक से उसकी माँ के झुक जाने की बजहा से उसकी गाँण्ड का कामुक नजारा फोन में कैद हो गया था और वैसे ही सुगंधा की चुच्ची का भी बहुत ही मनमोहक फोटों रोहित ने लिया था। और फिर आखिर में माँ और बाप के कमरे से आती चुदाई की आवाजे जिसे सुकर तो यह साफ दोनों भाई अपना आपा ही खो बैठे थे और दोनों भाई अभी अभी अपनी माँ की कामुक चुदाई की आवाजे सुनकर मुठ मारकर अपने कमरे में आए है। मुठ मारने के बाद भी यही सब सोचते सोचते दोनों भाईयों को अभी तक नींद नहीं आ रही थी। दोनों के हि दिमाग में यही सब चल रहा था कि आखिर यह सब उनके साथ हो क्या रहा है। अचानक से दो तीन दिन के अंदर ही सब कुछ कितनी तेजी से बदल रहा है। क्या यह सिर्फ संजोग है या उन दोनों की अच्छी किस्मत या फिर कुछ और.... यही सब सवाल दोनों ही भाईयों के दिमाग में लगातार चल रहे थे। तभी रोहित कहता है

रोहित- भाई आज तो माँ की आवाजे कुछ ज्यादा ही तेज और कामुक आ रही थी।

मोहित- हाँ यही मै भी सोच रहा था लग तो एसा रहा था कि जैसे माँ कि चुदाई बिल्कुल दरवाजे पर ही हो रही हो।

रोहित- हाँ यार बिल्कुल आवाजों से तो ऐसा ही लग रहा था। लेकिन ऐसा क्यों हुआ होगा कि पापा माँ को बिल्कुल दरवाजे के पास लाकर ही चोद रहे थे।

मोहित- ये तो पता नहीं लेकिन हो सकता है कि माँ और पापा अक्सर ऐसा करते हो उन्हें भी अलग अलग तरह से चुदाई में मजा आता हो जैसे की हमें आता है।

रोहित- हाँ ये हो सकता है। लेकिन क्या तुझे यह कुछ अजीब सा नहीं लग रहा जो भी पिछले कुछ दिनों से हो रहा है। पहले कभी हमने माँ कि चुदाई की आवाजे नहीं सुनी थी लेकिन दो दिन तीन दिन से रोज माँ कि चुदाई की आवाजे रोज ही सुन्ने को मिलने लगी है। और आज तो आवाजे इतनी तेज और कामुख थी की मानो घर से बाहर तक भी जा रही हो और माँ और पापा को इस बात की फिर्क ही ना हो की हम दोनों भी घर पर ही है।

मोहित- हाँ ये थोड़ा अजीब तो है और माँ के हाव भाव भी कुछ अलग लग रहे है। और माँ के आज के कपड़े भी कुछ ज्यादा ही सेक्सी थे। लेकिन हो सकता है कि यह हमारा नसीब अच्छा हो और इस से पहले कभी हमने माँ को ज्यादा सैक्स की नजर से देखा भी तो नहीं था जब हमने उस नजर से माँ को देखना शुरू किया तभी तो हमें माँ की कामुखता दिखाई देगी।

रोहित- बात तो सही है लेकिन यार कुछ तो चीजे अजीब है जैसे माँ की पैंटी हमारे कमरे में होना और उर माँ का इसपर कोई प्रतिक्रिया ना देना और हम तो टीवी में भी पॉर्न चला कर छोड़ आये थे और टीवी भी माँ ने ही देखा था उसके बाद फिर भी माँ ने कोई गुस्सा नहीं दिखाया और ना ही कोई बात की इस बारे में।

मोहित- हो सकता है कि माँ को भी यह सब अच्छा लग रहा हो इससे पहले हमने कभी यह सब किया भी तो नहीं यह तो हम जानते ही है कि माँ एक सैक्सी औरत तो है हि माँ और पापा का यूँ आए दिन रात को पार्टी में जाना और शराब पीना और ना जाने क्या क्या करते होंगे बाहर तो हो सकता है कि माँ को हमारी ये सब हरकते अच्छी लग रही हो।

रोहित- ये क्या कह दिया यार मेरा तो लण्ड तेरी ये बात सुन कर एक बार फिर से खड़ा हो गया है। काश तेरी बात सही हो। लेकिन इस बात का पता कैसे लगाया जा सकता है कि माँ को सच में हमारी यह सब हरकते अच्छी लग रही है।

मोहित- इस में हमें ज्यादा जल्दी बाजी नहीं करनी चाहिए हो सकता है कि यह सिर्फ हमारा वहम हो तो गड़बड हो जाएगी और अगर यह सच भी हुआ तो भी अगर हमने ज्यादा जल्दी की तो हो सकता है कि माँ गुस्सा हो जाए तो हमें थोड़े धैर्य से काम लेना होगा। जैसे दूध निकाले से पहले गाँय के थनों को पहले धीरे धीरे सहला कर गाँय को दूध देने के लिए तईयार किया जाता है वैसे ही हमें भी माँ को धीरे धीरे तईयार करना होगा।

रोहीत- तो तू क्या कह रहा है हमें भी माँ के थनों को धीरे धीरे सहलाना होगा हाहाहाहाहाहाहा

मोहित- हाँ अगर सब ठीक रहा तो एक दिन जरूर हम भी अपनी माँ के थनों को सहला कर उसे चुदने के लिए तईयार कर ही लेंगे। हीहीहीहीही.....

रोहीत- हाँ हाँ मुंगेरी लाल के हशीन सपने...

मोहित- सपना ही सही लेकिन माँ को तो सपने मे पेलना भी सौ हसीनों को पेलने से कही ज्यादा है।

रोहित- बात तो सही है। चल ना एक बार चल कर देखते है कि माँ सो गई या राऊँड़ टू तो नहीं शुरू हो गया।

मोहित- अरे नहीं कोई राऊंड़ टू नहीं होने वाला सो जा अब चुप चाप।

रोहित- चल ना यार एक बार मन कर रहा है वहा जाने का मन कर रहा है पूरी रात वही माँ के कमरे के बाहर ही खड़ा रहू।

मोहित- चल तू करता है तो एक बार चलते है।

दोनों भाई अपने कमरे से निकल कर माँ पापा के कमरे के बाहर जाते है काफी देर तक कान लगा कर अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करते है लेकिन कोई आवाज नहीं आती है आती भी कैसे दोनों पती पत्नी तो चुदाई से संतुष्ट होकर आराम से सो गये थे। दोनों भाई अपने रूम में जाने लगते है। लेकिन तभी रोहित के दिमाग में कुछ आता है और वो टीवी चला देता है।

मोहित- अब इतनी रात को तुझे टीवी क्यों देखना है।

रोहित- टीवी नहीं देखना है। एक आईडिया आया है दिमाग में।

मोहित देखने लगता है कि रोहित करने क्या वाला है तभी रोहित टीवी ऑन कर के उसमें वैब पेज ऑन कर देता है और उसमें मॉम सन पॉन सर्च करता है और उसमें से एक सैक्सी सी पॉर्न सर्च कर चला देता है और फिर सीधा टीवी बंद कर देता है जिससे टीवी चलाते ही यही वैब पेज सब से पहले खुलेगा।

मोहित- ये क्या किया पहले वैब पेज बंद तो कर देता।

रोहित- यही तो प्लान है मेरे भाई जब कल माँ टीवी खोलेंगी तो देखते है कि माँ का कैसा रीएक्शन आता है। पहले भी माँ ने हमारी देखी हुई पॉर्न पेज देखा था तो कोई रिएक्शन नही दिया देखते है इस बार क्या होता है।

मोहित- तू पागल हो गया है क्या अगर माँ गुस्सा हो गई तो और पापा को बता दिया तो।

रोहित- बता तो वो पिछली बार भी सकती थी। कुछ पाने के लिए कुछ रिश्क तो लेना पड़ता है अगर गुस्सा हो भी गई तो तब कि तब देखेंगे माफी मांग लेंगे लेकिन इस से बहुत सारी चीजे साफ हो जाएंगी।

मोहित- पता नहीं यार मुझे तो बहुत ड़र लग रहा है। कही ऐसा ना हो कि लेने कि जगहा देनी पड़ जाए।

रोहित- हाहाहाहा तू डर मत देखा जाएगाँ जो होगा।

दोनो भाई अपने कमरे में चले जाते है और अपनी माँ को याद करके अपने लण्ड बाहर निकाल कर मसलते मसलते आहे भरते भरते सो जाते है।

सुबहा होती है आज सबसे पहले संजय की आँख खुलती है। सुगंधा उसके पास नंगी लेटी हुई थी संजय ध्यान से सुगंधा की तपफ देखता है तो पाता है कि सुगंधा का हाथ सोते हुए भी उसकी चूत पर ही था। बल्की सोते समय भी सुगंधा की दो ऊंगलियाँ सुगंधा की चूत के अंदर ही थी।
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संजय यह देखकर समझ जाता है कि यह सब सुगंधा पर उसके जवान बेटों के आकर्षण का ही है। संजय समय ना गवाते हुए सीधा अपना चहरा सुगंधा की चूत के पास ले कर जाता है और सुगंधा की चूत की खुशबू लेता है सुगंधा की चूत रात की चुदाई के बाद और पूरी रात भर अपने बेटों के सपने की वजहा से लगातार पानी छोड़ रही थी जिस वजह से सुगंधा से एक बहुत ही मादक खुशबू आ रही थी। संजय यह खुशबू सूंघ कर मदहोश सा हो जाता है और सीधा अपनी चीभ निकाल कर सुगंधा की चूत को चाटने लगता है। धीरे धीरे संजय सुगंधा की चूत में अपनी जीभ ऊपर से नीचे तक चलाने लगता है जिसका एहशास होते ही सुगंधा की नींद खुल जाती है और सुगंधा आँखे खोलकर देखती है उसका पती सुबहा सुबहा उसकी चूत चाट रहा है। यह काफी अजीब था क्योंकि शादी के इतने साल बाद अब संजय ऐसी हरकत कर रहा था जो कि वह शादी के कुछ साल बाद ही छोड़ चुका था। खैर सुगंधा के लिए बहुत सुखद था सुगंधा संजय के सर पर हाथ रख कर अपनी चूत चटवाने का मजा लेने लगती है। तभी सजय एक झलक सुगंधा की तरफ चहरा उठा कर सुगंधा को देखते हुए कहता है।

संजय- क्या बात है जाने मन आज तो सुबहा सुबहा ही चूत बहुत गीली हो रही है। लगता है पूरी रात ही जैसे इसमें से सोमरस बहता रहा हो।

सुगंधा इसके जवाब में कुछ बोल नहीं पाती है बस उसके मूँह से एक आह सी निकलती है। (आआआआहहहहहहहहहह)

संजय इसके बाद फिर से अपने काम पर लग जाता है और सुगंधा की चूत को जोर जोर से चूमने और चाटने लगता है बीच बीच में संचय सुगंधा की चूत के होठों पर दांतो से धीरे से बाईट भी कर रहा था जो सुगंधा को बहुत ही ज्यादा उत्तेजीत कर रहा था। सुगंधा जोर से सिस्कीया लेने लगती है और अपनी गाँण्ड ऊपर उठा उठा कर संजय से अपनी चूत को चटवाने लगती है। सुगंधा बहुत ही ज्यादा उत्तेजित हो रही थी और संजय का सर जोर जोर से अपनी चूत पर दबा रही थी संजय समझ जाता है कि सुगंधा अब अपने चरम सुख पर पहुँचने वाली है लेकिन संजय यह नहीं चाहता था संजय चाहता था की सुगंधा के अंदर यह आग जलती रहे। और वह पूरा दिन इस कामवास्ना की आग में जलती रहे इसलीए वह अचानक से सुगंधा की चूत को चाटना छोड़ देता है जो सुगंधा को थोड़ा बुरा लगता है लेकिन वह सोचती है कि अब संजय उसकों चोदने वाला है लेकिन एसा कुछ भी नहीं हुआ और संजय बिस्तर से उठकर खड़ा हो जाता है और सुगंधा को कहता है

संजय- चल रंण्डी भाग यहा से सुबहा सुबहा शुरू हो जाती है चूत टपकाने जा अब ऐसे ही चूत टपकाती घूम घर में पूरा दिन।

सुगंधा- संजय प्लीज ऐसा मत करो ना थोड़ी देर और करो तो मेरा पानी निकल जाएगाँ।

संजय- नहीं रंण्डी तुझे आज पूरा दिन ऐसे ही चूत टपकाते हुए घूमना पड़ेगा अपने बेटों के साहमने।

सुगंधा- ऐसा मत करों ना तुम तो मुझे जानते हो मैं तो झड़ने के बाद भी उनकी नजर अपने शरीर पर पड़ते ही फिर से गरम होने लगूँगी लेकिन अगर तुमने मुझे ऐसे बीच में ही छोड़ दिया तो मैं अपने आप को बिल्कुल भी संयम में नहीं रख पाऊंगी।

संजय- तो मत रखना अपने आप को संजय में देखते है कि तू किस कदर रंण्डी पर उतर सकती हैं।

सुगंधा को यह बोलकर संजय बाथरूम में चला जाता है। और सुगंधा बिस्तर पर लेटे लेटे अपनी चूत को सहलाती रह जाती है। और सोचने लगती अपने बेटों के बारें में किस तरहा वो दोनों सुगंधा के शरीर को घूर रहे थे और उनकी सारी की गई हरकतो के बारे में सोच कर अपनी चूत को सहलाती रहती है। तभी संजय बैड़रूम में वापस आ जाता है और सुगंधा को इस हालत में देखकर मुस्कुराता है और उसके दिमाग में एक शरारत आती है और वह सुगंधा का हाथ पकड़ कर उसे बिस्तर से उठाता है और उसके कमरे के दरवाजे पर ले जाता है और कमरे का दरवाजा खोल कर सुगंधा को कमरे से बाहर निकाल देता है और उसे बोलता है

संजय- जा रंण्डी इतनी ही गरम हो रही है अपने बेटों के बारें में सोचकर तो चली जा उनके पास नंगी होकर और मरा ले जाकर अपनी चूत चोद चोदकर तेरी चूत ही नहीं तेरी गांण्ड भी इतनी मारेंगे की तेरी सारी गरमी निकाल देंगे दोनो।
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सुगंधा इससे बहुत घबरा जाती है कही उसके बेटे जाग गये हो और कमरे से बाहर हो तो क्या होगा। सुगंधा हाँल में चारो तरफ देखती है तो उसके कही भी उसके बेटे नहीं दिखाई देते है। सुगंधा को थोड़ी राहत मिलती है। लेकिन तभी संजय कमरे का दरवाजा अंदर से बंद कर लेता है। संगाधा डर सी जाती है और दरवाजे को खोलने की कोशिश करती है लेकिन संजय दरवाजे को अंदर के लाक कर चुका था। सुगंधा संजय से करती है।

सुगंधा- अरे क्या कर रहे हो जल्दी से दरवाजा खोलो ना अगर कोई बाहर आ गया तो क्या होगा।

संजय- होगा क्या तुझे नंगा देखकर तेरे बेटे तेरे उपर चड़ जाएंगे और निकाल देंगे आज तेरे जिस्म की सारी गरमी।

सुगंधा पीछे मुड़कर अपने बेटों के कमरे की तरफ एक नजर देखती है। कमरा बंद था जिस्से सुगंधा चैन की सांस लेती है। और संजय से करती है- ज्यादा बकवास ना करों और चुपचाप दरवाजा खोलों।

संजय- यह दरवाजा तो ऐसे नहीं खुलने वाला हैं। अच्छीया चलो खोल दूंगा दरवाजा लेकिन उसके लिए तुम्हें एक काम करना पड़ेगा।

सुगंधा- क्या काम

संजय- ज्यादा कुछ नहीं जाओं अपने बेटों के कमरे में और देख कर आओ कि वो दोनो क्या कर रहें है।

सुगंधा- तुम क्या पागल हो गए हो क्या। चलो ज्यादा मस्ती मत करों और खोल दो चुपचाप दरवाजा।

संजय- अगर दरवाजा खुलवाना है तो जल्दी से जो मैने कहा है वह करो वरना खड़ी रहो बाहर ऐसे ही नंगी और करो इंतजार अपने बेटों के उठने का वैसे भी उनके उठने का भी समय होने ही वाला है आ जाएगें दोनों अपने कमरे से बाहर और तुम्हें नंगा देखकर वो क्या करेंगे वह तुम ही जानो।

सुगंधा संजय की बात सुनकर इतना तो समझ जाती है कि यह ऐसे तो दरवाजा नहीं खोलने वाला है इससे तो अच्छा है कि जल्दी से वह जाकर एक बार देख ही आए अपने बेटों के कमरें में। यह सोचकर सुगंधा अपने बेटों के कमरे की तरफ मुड़ती है और धीरे धीरे अपने बेटों के कमरे की तरफ बड़ने लगती है उसके मन में एक अजीब सी कशमकश सी चल रही थी एक तरफ उसे डर भी लग रहा था कि अगर उसके बेटे उठ गये और उसे इस हालत में देख लिया तो वह क्या करेंगी वहीं दूसरी तरफ उसके मन में एक उत्तेजना सी भी उठ रही थी वह आज पहली बार अपने घर में अपने बेटों के होते हुए ऐसे नंगी होकर घूम रही थी। वो भी अपने बेटों के कमरे में जा रही थी जहा उसके बेटे मैजूद है यह सोचकर सुगंधा के शरीर में एक अजीब सी तरंग उठ रही थी। और यही सब सोचते सोचते सुगंधा धीरे धीरे अपने बेटों के कमरे की तरफ बढ़ी जा रही थी। और इसी कश्मकश में सुगंधा की गांण्ड कुछ ज्यादा ही मटक रही थी और पीछे से उसकी नंगी गांण्ड मटकती और उछलती हुई बेहद ही मादक लग रही थी। संजय भी सुगंधा के जाने का आभास पाकर दरवाजा खोलकर सुगंधा को जाते हुए देखता है और पीछे से सुगंधा को जाते हुए देखकर वसका ध्यान भी सुगंधा की उझलती हुई गांण्ड पर जाता है जिसे देखकर संजय भी उसे देखता ही रह जाता है और अपने लण्ड को मसलने लगता है।

तब तक सुगंधा भी अपने बेटों के कमरे तक पहुँच जाती है वह हिम्मत कर के दरवाजे पर कान लगाकर पहले अंदर की आवाज सुनने की कोशिश करती है लेकिन उसे अंदर से कोई आवाज नहीं आती है तो उसे लगता है कि शायद उसके बेटे अभी तक सो ही रहे है तो उसे कुछ राहत सी महशूस होती है। वह हिम्मत कर के दरवाजे को धीरे से धकेल कर थोड़ा सा खोलती है। सुगंधा को पता था कि उसके बेटे दरवाजा कभी लॉक कर के नहीं सोते है और दरवाजा खुला ही होगा। दरवाजा थोड़ा सा खोलकर सुगंधा अंदर झांक कर देखती तो वह राहत की सांस लेती है रोहित और मोहित सच में सो ही रहे थे। सुगंधा उनहें देखकर दरवाजा फिर से बंद करने लगती है लेकिन तभी उसकी नजर मे कुछ आता है सुगंधा चैंक कर दरवाजा फिर से धीरे से खोल कर देखती है तो दंग रह जाती है दोनो बेटे सीधे लेटे हुए थे और दोनो के लड़ उनकी पैंट से बाहर थे और सुबहा सुबहा का समय होने के कारण दोनों के लण्ड तनकर बिल्कुल सीधे खड़े थे। हालाकि कमरे में रोशनी बहुत ज्यादा नहीं थी और दोनो बेटों ने पैंट भी पहनी हुई थी तो लण्ड पूरी तरह से बाहर भी नहीं थे तो सुगंधा दो लण्ड को बहुत अच्छे से तो नहीं देख सकती थी और ना ही लण्डों के साईज का सही अंदाजा लगाया जा सकता था लेकिन जितना भी दिख रहा था सुगंधा को दोनों के लण्ड बहुत ही कड़क और अच्छे लगे सुगंधा कुछ देरतक अपने बेटों के देखती ही रह गई और ना जाने कब उसका हाथ अपने आप अपनी चूत पर पहुँच गया और वह अपने बेटों के कमरे के बाहर खड़ी होकर अपने बेटों के लण्ड़ों को देखकर अपनी चूत को मसलने लगी नजारा बहुत ही कामुक कर देने वाला था एक माँ बिल्कुल नंग अपने बेटों के कमरे के बाहर खड़ी होकर अपने बेटों के लण्ड को निहार रही है और साथ ही साथ अपनी अपनी चूत में ऊंगली भी कर रही है। अगर इस समय उसके बेटों की आँखे खुल जाती तो सुगंधा की चुदाई अपने बेटों से आज ही हो जानी तय थी।
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संजय भी अपने दरवाजे पर खड़ा यह सब देख रहा था और वह यह देखकर थोड़े आशर्चय में जरूर पड़ गया कि आखिर जो औरत अभी तक वहा तक जाने में इतना डर रही थी उसे अंदर ऐसा क्या दिख गया कि वह वही कमरे के दरवजे पर खडी होकर अपनी चूत में ऊगली करना सुरू कर देती है। संजय भी यह पता करने के लिए बेटों के कमरे की तरफ चल देता है और अपनी बीबी के पीछे जाके खड़ा हो जाता है और झाक कर कमरे में देखता है तो देखता है कि बेटे तो आराम से सो रहे है लेकिन ध्यान से देखने पर उसका ध्यान जाता है बेटों के लण्ड उनकी पैंट से बाहर निकले हुए है और खड़े है जिसे देखकर सुगंधा वासना में पागल हुई जा रही है सुगंधा अभी भी सभी चीजो से बेखबर लगातार अपनी चूत में ऊंगली किए जा रही थी। सुगंधा को इस हालत में देखकर संजय भी अपने आप को रोक नहीं पाता है और अपना एक हाथ आगे लेजाकर सुगंधा की गाँण्ड पर रख देता है और सुगंधा के एक चूतड़ को पकड़ कर जोर से दबा देता है जिस से सुगंधा और भी ज्यादा उत्तेजित हो जाती है। और तेजी से अपनी चूत में ऊंगली करने लगती है। संजय अपनी बीबी के एक चूतड़ को पकड़े पकड़े ही अपनी एक ऊगली सुगंधा की गाँण्ड के छेद तक ले जाता है और धीरे से उसे सहलाते हुए अपनी ऊंगली सुगंधा की गाँण्ड में डाल देता है। सुगंधा के मूँह से एक हलकी सी सिस्की निकल जाती है संजय धीरे से सुगंधा के कान में कहता है- क्यों रण्डी रुका नहीं जा रहा ना अपने बेटों के लण्ड देख कर। जा चली जा अंदर और डाल ले पकड के ये लण्ड अपनी चूत में चुदवा ले अपने बेटों से ये कहते हुए संजय अपनी ऊंगली जड़ तक सुगंधा की गाण्ड में उतार देता है।

सुगंधा को तो बस जैसे कुछ होश ही नहीं था वह तो तेजी से अपनी चूत में ऊंगली अदर बाहर किये जा रही थी तभी मोहित के फोन का अलार्म बजने लगता है जिसकी आवाज सुनकर सुगंधा को कुछ होश आता है और इससे पहले कि बेटों की आंख खुले सुगंधा अपने कमरे की तरफ भागने लगती है तभी संजय सुगंधा का हाथ पकड़ लेता है। सुगंधा संजय की तरफ पलटती है तो संजय उसे अपनी तरफ खींच कर एक ही झटके में सुगंधा की चूत में अपनी दो ऊगलीयाँ उतार देता है। सुगंधा के मूह से एक जोर की आह निकल जाती है संजय अपनी ऊंगली सुगंधा की चूत से निकाल कर अपने मूहं में डाल लेता है और चटने लगता है यह देखकर सुगंधा को भी अच्छा लगता है और हव संजय को एक अपना एक होठ अपने दांतो के नीचे दबाकर एक कामुक सी स्माईल देती है और मुड़ कर अपने कमरे की तरफ दौड़ने लगती है दौड़ने से उसके बेहद गदराई गाँण्ड फिर से उछलने लगती है। जिसे संजय बहुत ध्यान से देख रहा था सुगंधा अपने कमरे में पहुच कर संजय की तरफ मुड़ कर एक बार और देखती है और संजय को अपनी गाँण्ड को घूरता पाकर अपने एक चूतड़ को परड़ कर दबाती है जिस से उसकी गाँण्ड भूरा छेद भी दिखने लगता है सुगंधा उसमें अपनी एक ऊंगली संजय को दिखाते हुए डालती है और फिर खिल खिलाकर हँसती हुए कमरे के अंदर चली जाती है। और भाग कर बाथरूम में घुस जाती है उधर अलारम की आवाज सुनकर दोनों बेटों की आंखे भी खुल जाती है। और दोनों धीरे धीरे आँखे मलते हुए उठते है। अपने लण्ड को पैंट के बहर पाते है और सोचते है कि अच्छा हुआ अभी तक माँ हमें जगाने के लिए कमरे में नहीं आई वहना पता नहीं क्या होता। जो कुछ भी काम वास्ना का खेल अभी उनके कमरे के बाहर चल रहा था उससे अंजान दोनों बेटे अपने बिस्तर से उठते है और फ्रैस होने अपने बाथरूम की तरफ जाते है।
अगला अपडेट भी तईयार है जल्दी ही अपलोड़ भी करूँगी तब तक आप अपने सुझाव और स्टोरी कैसी लग रही है प्लीज जरूर बताते रहीएँ।
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