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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
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Update-1

मैं पहली बार उसे देख रहा था। दिल में कुछ मीठा एहसास और मन में कतुहल सी थी। मेरा दिल बेईमान, नजरें उसपर से हटने का नाम ही नहीं ले रही थी और मै बस उसे ही घुरे जा रहा था। शायद उसने ने भी मुझे पकड़ लिया लेकिन वो सामान्य रूप से ही अपना काम करती रही और काम ख़त्म होने के बाद चली गई।

उसके जाने के बाद भी, पता नहीं मैं कितनी देर तक उसे देखने की आश लगाए उस बालकनी में खड़ा रहा। फिर पीछे से आवाज़ आई, "चलो अपस्यु देर हो गई तो कैंटीन बंद हो जाएगी"

उस आवाज़ ने जैसे मेरा ध्यान भंग कर दिया हो, वहां से मै लौट तो आया किंतु मेरा हृदय वहीं रह गया। अब तो जैसे वो बालकनी ही मेरा पूरा संसार था। उसके देखने कि आश लिए मैं बालकनी में ही उसका इंतजार करता रहता। कभी एक क्षण तो कभी चंद मिनट कि वो झलकियां दिखा कर चली जाती।

मेरे बदले व्यव्हार को मेरा कमरा साझा करने वाला मेरा जुड़वा भाई आरव भी गौर कर रहा था किंतु वो भी अब तक इस मामले में मुझ से खुल कर बात नहीं कर रहा था। शायद उसे भी ज्ञात था कि इस उम्र का तकाजा ही यही है।

लगभग महीना समाप्त होने को आया था और मै आज भी बालकनी से चिपका उसी के दीदार में लगातार वहीं इंतजार करता रहता। अंत में एक दिन आरव ने ही अपनी चुप्पी तोड़ी…

"अपस्यु माजरा क्या है? घंटो यहीं बैठे रहते हो"

मैं (अपस्यु)- आरव, लगता है मेरा उस से कुछ पुराना नाता है। केवल उसी को देखने का मन करता है।

आरव:- "उसी को" मतलब किस को?

मै :- नाम तो नहीं मालूम लेकिन हां सामने के बंगलो की कोई लड़की है।

आरव:- ओह हो ! तो ऐसी बात है, अब आगे क्या?

मैं:- आगे क्या?

आरव:- वहीं तो मैं तुम से जानना चाह रहा हूं…. अब आगे क्या?

मै:- वहीं तो मैं तुम से पूछ रहा हूं कि मुझे कुछ पाता नहीं, अब आगे क्या करू?

आरव:- मैं तो केवल इतना ही कहूंगा कि आगे जो भी करना वो अपने पिछली ज़िन्दगी को याद रख कर ही करना। मैं मना तो नहीं कर रहा तुम्हे दिल लगाने के लिए लेकिन ये याद रखना भी जरूरी है कि हम इस शहर में अपनी मर्जी से आए नहीं अपितु लाए गए है।

आरव की बात सुनकर मैं खामोश हो गया और बालकनी से वापस अा कर अपने बिस्तर पर बैठ गया। आरव की बात सुनने के बाद एक पल में ही जैसे अब तक की सारी कहानी आंखों के सामने घूमती नजर आने लगी। मैं खामोश बैठा कई बातों का आकलन एक साथ करने लगा और मुझे इस तरह खामोश और उदास पा कर पहले आरव ने चिल्लाना शुरू किया और आगे मैंने भी पूरे जोश से उसका साथ दिया…

"हम मतवालों की टोली हैं, ना रुके है कभी, ना झुके हैं कभी और ना टूटे है कभी। मस्ती में आज फिर निकलेंगे मस्ताने दो, दीवाने दो।"

और कई अरसे बाद हमारी वहीं ज़हरीली हसी चारो ओर गूंज रही थी। लगभग रात के 11 बज रहे थे, हम दोनों भाई पूरे जोश के साथ रात्रि भ्रमण को निकाल पड़े। "डेविल ब्रदर्स" की फटफती यानी कि बुलेट अपने शानदार आवाज़ के साथ सड़क पर उतर चुकी थी।

फिर तो पुराना माहौल बन सा गया था.. दोनों भाई ने 2-2 पेग लगाया और काफी मस्ती के बाद अपने आशियाने कि ओर लौटने लगे। घर के नुक्कड़ पर हमारी फतफटी रुकी और जमाने बाद हमने अपना अपना पान लगवाया।

पान खाते हुए मैंने आरव को फ्लैट जाने के लिए बोल दिया और खुद पैदल ही वहां से लौटने लगा। अब इसे किस्मत कहूं या इत्तेफ़ाक, लेकिन कभी- कभी कुछ ऐसी घटना हो जाती है जो उम्मीद से परे होता है।

घर लौटने के क्रम में मुझे वो सामने से आती हुई दिखी। शायद वो खाना खाने के बाद टहलने निकली थी, उसके साथ कोई और भी थी किंतु उसपर ध्यान देना मैंने जरूरी नहीं समझा और उसी को एकटक निहारता रहा।

दिल का आलम तो पूछिए मत अंदर जो हो रहा था वो बयान नहीं किया जा सकता था। अजीब सी बेचैनी और दिल जोरों से धड़क रहा था। वो जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी मेरी धड़कने वैसे वैसे तेज हो रही थी। मेरे कदम जो अपने फ्लैट के ओर तेजी से बढ़ रहे थे वो मानो वहीं जम गए थे।

वो अपनी चाल से आगे बढ़ती मेरे करीब, और करीब पहुंच रही थी। उफ्फ…… ! जब वो मेरे करीब से गुजरी…… मैं बिल्कुल सुन पड़ गया.. अजीब मनोदशा जो आज से पहले मैंने कभी अनुभव ना किया हो। जैसे मैं किसी भंवर में हूं और उसमे फंसता चला जा रहा हूं….
 

kamdev99008

FoX - Federation of Xossipians
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:congrats: नैन भाई.................... आपको देखने को तरस गए थे ..............
ये भी ..............प्यार-गम या खुशी जैसी एक दिल छूने वाली प्रेमकथा बनेगी ऐसा मुझे विश्वास है.................


बस ऐसे ही अपने प्रेम सरोवर को अपडेट से भरते रहिए...................
 

-:AARAV143:-

☑️Prince In Exile..☠️
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:good: update bhai...
Pahile update mein hi romance chalu ho Gaya bhai Ka
Character mast hai story ke :cool:
Aur ye dono bhayiyo ka koi past hai..mast hai padhne mein maza aayenga
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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हर मोड़- मोड़, हर डगर- डगर
भंवर है ये भंवर- भंवर....
कोई नोटों की कमाई में लिप्त है
कोई वोटों की दुहाई में संलिप्त है।
हर किसी कहानी कि बस एक दास्तां
जहां घिरे वहीं फसे, फसे तो बस फंसते रहे
फिर चाहे प्यार में फसे या परिवार में फसे
व्यापार में फसे या गलत कारोबार में फसे
हर मोड़- मोड़, हर डगर- डगर

भंवर है ये भंवर- भंवर....
First of all, I would like to congratulate and thank you for writing a new story. The name of the story "Bhavar" is very good. I hope everyone likes your story.
Thank You...
???
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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You started the story brilliantly, I loved it. The story is of a boy named Apasue. From the words of Aarav it seems, there was definitely something in the past. Reading the first update of the story made my heart happy. Your writing deserves praise. It is a romantic story and I like the romantic stories very much.
Thank You...
???
 

Naina

Nain11ster creation... a monter in me
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First of all :congrats: for new story nainu ji...
ye apasyu kis ladki ko dekh BP high kar raha hai... aur woh apasyu laya gaya hai us shahar mein iska matlab kya hua :hmm2:
aur pichli zindagi kyun yaad karne ko kaha aarav ne... kahin koi sandehjanak kam to nahi karta tha pichle zindagi mein apasyu ?
Khair
Let's see what happens next
Brilliant update nainu ji... Great going :applause: :applause:
 
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