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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

Prime
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Update:-55



अपस्यु बचाव के लिए जबतक बेहोश पड़े गार्ड के पास लेटता, उससे पहले ही उसके शरीर को 2 गोली और भेद चुकी थी। दर्द ने उसके गति को धीमा तो किया लेकिन वो दो गार्ड के बीच लेटकर अपने लिए थोड़ा वक़्त निकला। उल्टी गिनती के अब 90 सेकंड ही बचे थे।

सभी माइक्रो डिवाइस नीचे खुले रास्ते में जरिए नीचे पहुंच चुके थे। एक बड़ा सा वाल्ट था, जिसके ऊपर एक रेटीना स्कैनेर लगा हुआ था। सारे माइक्रो डिवाइस, उस स्कैनर के ऊपर आकर उसे पूरा कवर कर चुके थे। उसके कोने से वो जगह बनाते धीरे-धीरे अन्दर घुसते चले गए। स्कैनर में लगे वायर के रास्ते वो सारे डिवाइस वाल्ट के अंदर तक पहुंच चुके थे। वहां जितनी भी फाइल रखी थी लगभग सभी फाइल्स में घुसकर अंदर हर पन्ने को पूरा स्कैन होने लगा।

ऐमी वक़्त पर काम ख़त्म करके सभी डिवाइस को वापस आने का कमांड दे चुकी थी और इस बीच अपस्यु भी बेहोश गार्ड के बीच आकर लेट चुका था। अपस्यु को इस बात का इल्म था कि जो भी फायरिंग कर रहा है वो लेटे हुए पर इसलिए गोली नहीं चला सकता क्योंकि वो उसी के साथी होंगे।

अपस्यु जैसे ही लेटा, उसकी तेज चलती सासों के साथ आ रही दर्द कि हल्की आवाज ऐमी साफ सुन पा रही थी। "वहां क्या हो रहा है.. तुम सुरक्षित तो हो अल्फा (अपस्यु)"…. "लेटे रहना बीटा (ऐमी).. क्या तुम 6 फिट ऊंचा आग जला सकते हो बीटा"…. "कितने सेकंड का विंडो चाहिए"… "3 सेकंड का विंडो चाहिए…. 30⁰ पुरव 1 मीटर के रेडियस में आग चाहिए।"

10 सेकंड का वक़्त लेती हुई ऐमी ने जवाब दिया… "मै तैयार हूं अल्फा"…. "मेरे 3 की गिनती पर तैयार हो जाना एक बार फिर कदम मिला कर भागने के लिए बीटा"… "मै तैयार हूं।"…

3 की गिनती के साथ ही ऐमी कमांड देकर दौड़ने के लिए तैयार थी। ऐमी के कमांड देते ही सभी माइक्रो डिवाइस 1 मीटर के रेडियस का सर्किल बनाते हुए, वहां 10 फिट ऊंचा धमाका हुआ। अचानक से तेज लपटें उठीं, और अपस्यु ऐमी का हाथ पकड़ कर तुरंत ग्राउंड फ्लोर के बाहर आया।

इधर आग जलने के कारण थर्मल डिवाइस बॉडी स्कैन तो नहीं कर पा रही थी लेकिन हवा में लगातार गोलियां फायर हो रही थी। बाहर निकलते ही ऐमी ने सिक्योरिटी अलर्ट के पास लगी डिवाइस में एक छोटा सा धमाका की और देखते ही देखते फिर से वो ग्राउंड फ्लोर स्टील के मजबूत दीवारों से ढक चुकी थी।

उल्टी गिनती के 30 सेकंड बचे थे। बाहर घुएं का कोहरा छटने लगा था, पुलिस के सायरन की आवाज़ दोनों को सुनाई भी देने लगी। अपस्यु ने फिर से बाहर स्मोक का कोहरा बना दिया और ऐमी ने लैपटॉप बैग में डाला। दोनों वापसी के लिए तैयार थे।

दौड़ते हुए दोनों ने तकरीबन 100 मीटर की दूरी तक पूरा कोहरा की चादर बिछाते हुए आगे बढ़े और अपने तय समय से 1 मिनट की देर से 10.21 मिनट पर वापस कमरे के पीछे पहुंच चुके थे।

ऐमी खिड़की से अंदर गई और पीछे से अपस्यु पहुंचा… दोनों बिना कोई देर किए अपने बुलेट प्रूफ जैकेट को निकालाना शुरू कर चुके थे। ऐमी जबकि अपने ऊपर कपड़े डाल रही थी और अपस्यु अपने चोट खाई जगह को कॉटन से दबा कर खून को नीचे गिरने से रोक रहा था।

"ऐमी, क्या तुम जल्दी से इनपर पट्टियां बांध कर मास्क करोगी।" ऐमी पीछे पलटकर, जब अपस्यु के खुले बदन पर बहते खून को कॉटन से साफ करती देखी, तो वो हताश हो गई…. "अपस्यु तुम्हे ट्रीटमेंट की जरूरत है। अभी हॉस्पिटल चलो।"

अपस्यु:- हां मै जानता हूं मुझे ट्रीटमेंट की जरूरत है लेकिन अभी नहीं। पट्टियां लगाओ और उपर बॉडी को मास्क करो। भूल गई पुलिस पहले अपने पास ही आएगी पूछताछ के लिए।

ऐमी:- लेकिन तुम्हे बुलेट लगी है, आम जख्म नहीं है।

अपस्यु:- जानता हूं। मै वो सेल रिकवर थेरेपी लेता हूं, कुछ वक़्त का सपोर्ट मिल जाएगा जबतक तुम स्वस्तिका से बात करके देखो यदि वो बंगलौर आ सके तो।

ऐमी की घबराहट और बेचैनी दोनों अपने सबब पर थी। वो टाइट पट्टी लगा कर अपस्यु के बदन के उपरी हिस्से में स्किन की बनी एक सूट डाली जों देखने में बिल्कुल असली और उसको ऊपर से काटने पर खून भी निकलता था।

ऐमी उसके उपर की बॉडी मास्क करके, वहां के फ्लोर पर टपके खून पर किसी तरह का केमिकल डालकर, तेजी के साथ साफ की। दोनों के बुलेट प्रूफ जैकेट और अन्य संदेह जनक सामान को लेकर एक बार फिर से खिड़की से बाहर गई और छिपाने के तय स्थान पर उनको छिपा कर वापस आयी।

अपस्यु लेटा हुआ था, ऐमी ने वापस अाकर सबसे पहले बचा काम खत्म की। अपने लैपटॉप से सारे स्कैन फाइल को एक साथ डिलीट मारी और सारे हैकिंग सॉफ्टवेर को वो अपने लैपटॉप से गायब कर दी। काम खत्म करने के बाद वो अपस्यु के सिरहाने बैठी और उसके बालों मै हाथ फेरती उसे देखने लगी…. "11.10 में मुंबई से स्वस्तिका की फ्लाइट है। लगभग 1 बजे तक वो हमारे साथ होगी।"….

अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है। वैसे तुम इतनी मायूस होकर मुझे क्यों देख रही हो?

ऐमी के आंसू टपक कर अपस्यु के चेहरे के ऊपर गिरी। ऐमी अपने आशु पोंछती कहने लगी… "पहली बार तुम्हारे चेहरे पर मै दर्द को देख रही हूं। तुमसे ये दर्द नहीं छिप रहा अपस्यु।

अपस्यु:- हां जानता हूं, मुझे शवंस लेने ने भी बहुत तकलीफ़ हो रही है। क्या तुम कहीं से कोकीन ला सकती हो क्या?

ऐमी हड़बड़ी में वहां से निकली और कार स्टार्ट करके पास में ही किसी डिस्को का पता लगाकर वहां पहुंची। नजरे अब बस उसकी ढूंढ़ने लगीं… ज्यादा वक़्त नहीं लगा, उसे एक ड्रग बेचने वाला मिल गया।

ऐमी जल्दी से उसके पास पहुंची और हड़बड़ी में पैसे निकालकर उससे कोकीन मांगने लगी। उस ड्रग डीलर ने पहले उसे ऊपर से नीचे तक देखा और देखकर मना कर दिया। ऐमी उससे मिन्नतें करने लगी… "प्लीज दे दो।" लेकिन वो ड्रग डीलर ऐमी को सुनने के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था।

ऐमी परेशान होने लगी लेकिन वो अपनी जिद पर अड़ा रहा। ऐमी अपने बैग से 1लाख की पूरी गद्दी टेबल पर पटककर कहने लगी….. "या तो अभी मेरी चीज दे दो। और कहीं तुम्हे ऐसा लगता हो की मै कोई खबरी हूं तो तुम इस वक़्त तो गलत हो, लेकिन मेरे पास इतना पैसा है कि मै देखूंगी तुम कभी जेल से बाहर ना आने पाओ।"..

उसके ड्रग डीलर के साथ एक और डीलर था, वो पैसे उठाकर कहने लगा…. "इतने से नहीं होगा और पैसे चाहिए, और हां तेरे पास कितने भी पैसे हो, हमारे बैकग्राउंड के आगे सब मूत देंगे।"

ऐमी ने अपना बैग देखा उसने पैसे नहीं थे, फिर वो अपनी डायमंड इयर रिंग उतार कर देती हुई कहने लगी…. "12 लाख की कीमत का है… अब दोगे या मै कहीं और जाऊं।"

दोनों ड्रग डीलर जोड़-जोड़ से हंसते हुए, ऐमी को कोकीन कि एक छोटी सी पुड़िया थामा कर, उसके पीछे हाथ फेरते हुए कहने लगा…. "हम तुझे यहीं मिल जाएंगे, दोबारा जब जरूरत हो तो फिर आना।"

ऐमी वो पुड़िया उठकर वहां से जाते-जाते बोली…. "फ़िक्र मत करो मै वापस जरूर आऊंगी, ये वादा रहा।"…

ऐमी जबतक वापस पहुंची 11.30 बजने ही वाला था। वो जैसे ही कमरे के पास पहुंची, 2 स्टाफ वहां पहले से खड़े थे…. "मैडम आप कहां चली गई थी, आप का इंतजार हो रहा है बैंक स्टेज पर, 11.30 बजे से आप का शो है।

ऐमी:- प्लीज मुझे माफ़ कीजियेगा। आप लोग बढ़िये मै आयी...

स्टाफ:- मैम इट्स ओके, हम यहां इंतजार कर रहे है।

ऐमी झटपट में अंदर गई और अपस्यु को एक नजर देखने लगी। उसका बदन पूरा जल रहा था, उसकी आखें बिल्कुल लाल हो चुकी थी, लेकिन इतना होने के बाद भी वो अपनी आखें खोले हुए था।…. "ऐमी वो दो और जाओ, मैं भी आया तुम्हारे पीछे।"

उसकी हालत देखकर वो अपने आंसू छिपाती, वहां से निकल गई। अपस्यु किसी तरह उठकर टेबल पर ड्रग फैलाया और अपने नाक से उसे खींचने लगा। ऐमी के द्वारा लाए हुए कोकीन को वो पूरा इस्तमाल करने के बाद कुछ देर के लिए बैठा और फिर लड़खड़ाते किसी तरह खड़ा हुआ।

खड़ा होकर सिर को वो 2 बार झटका। बैग के अंदर से 2 सीरप की बॉटल निकला। इनमे सेल रिकवर और डेवलपमेंट वाली वहीं द्रव्य था जो आईवी सेट के जरिए अपस्यु ने अपने एक्सिडेंट के वक़्त इस्तमाल किया था। दोनों सीरप को पीने के बाद वो कुछ देर और वहीं बैठा.. फिर खुद को सामान्य की स्तिथि में दिखाते हुए वो प्रोग्राम हॉल में पहुंचा।

बिल्कुल खामोश, बिल्कुल शांत जैसे सब अपनी धड़कने रोके ऐमी के दर्द को सुन रहे थे… फिर उस खामोशी में दर्द के साथ वो आवाज़ आयी... "सुन रहा है ना तू, रो रही हूँ मैं सुन रहा है ना तू, क्यूँ रो रही हूँ मैं… सुन रहा है ना तू, क्यूँ रो रही हूँ मैं.. यारा"…

ऐमी का गाना जैसे ही समाप्त हुआ, लोग खड़े होकर तालियां बजाने लगे। अपस्यु को ऐमी का हाल-ए-दिल पता था, इसलिए वह बैंक स्टेज पर पहुंचा। जब वो पहुंचा तब ऐमी उसे देख कर दौड़कर उसके पास पहुंची और उसके गले लगकर खुद को शांत करने लगी।

अपस्यु उसे खुद से अलग करता हुआ, उसके चेहरे को साफ किया… "आय मिस अवनी, रोते नहीं है।"

ऐमी:- मै कहां रो रही हूं, बस तुम्हारी हीरोगिरी रुला रही है।
अपस्यु:- शांत बच्चा शांत। चलो यहां से चलते है।

दोनों बैंक स्टेज से निकलकर वापस आ ही रहे होते है कि पुलिस की एक टुकड़ी उन्हें ढूंढते हुए वहां पहुंचती हैं। प्रोग्राम ऑर्गनाइजर उन्हें ऐमी और अपस्यु के पास लेकर पहुंच ही रहे होते और सभी रास्ते में ही टकराते है…

ऑर्गनाइजर:- यहीं है दोनों, जिन्हे आप ढूंढ़ रहे है।
पुलिस:- आप मिस्टर अपस्यु और मिस ऐमी है।
अपस्यु:- क्या हुआ सर, कोई बात हुई है क्या?

पुलिस:- हमे प्लीज कोऑपरेट कीजिए। जितना पूछा जाए उतना ही जवाब दीजिए।

अपस्यु:- सॉरी सर.. हां मै अपस्यु हूं और ये ऐमी।

पुलिस:- आप दोनों अपनी-अपनी आईडी दिखाइए।

दोनों अपनी आईडी पुलिस वाले को दिखाने लगे। आईडी देखने के बाद पुलिसवाला पूछने लगा…. "आप दोनों 10.00 बजे कहां थे।

ऐमी:- मेरा प्रोग्राम था इसलिए हम दोनों यहीं थे।

क्रॉस चेक करने के लिए पुलिस वालों ने पूरा सीसी टीवी फुटेज देखा उनके कमरे की तलाशी ली। बैग लैपटॉप सरा सामान उन लोगों ने चेक कर लिया… जब वो चेक करके अपस्यु से कुछ पूछने लगे तभी ऐमी बीच में ही पूछने लगी…

"सर आधे घंटे से आप हमसे पूछताछ कर रहे है, अब बताइएगा हुआ क्या है।"… ऐमी थोड़ा तेवर दिखाती हुई पूछने लगी..

"मिस कहा ना आप हमे कोऑपरेट कीजिए.. आप बिल्कुल शांत खड़े रहीए।".. पुलिसवाला उसे घूरते हुए कहने लगा… ऐमी ने भी बिना देर लिए सिन्हा जी को फोन लगा दी… "पापा देखो ना यहां पुलिस वाला अाधे घंटे से हमे परेशान कर रहा है और कुछ बता भी नहीं रहा कि क्यों हमसे पूछताछ कर रहा है।"…

ऐमी अपनी बात समाप्त करके फोन स्पीकर पर डाली…. "हेल्लो तुम किस केस में मेरी बच्ची से इंक्वायरी कर रहे हो।"…

पुलिस:- देखिए यहां एक रॉबरी हुई है उसी के सिलसिले में पूछताछ चल रही है। आप प्लीज हमे हमारा काम करने दीजिए।

सिन्हा जी:- ऐमी बेटा, वो उनकी छोटी सी इंक्वायरी चल रही है, और कोई परेशानी नहीं है। हां अगर ऐसा लगे कि जानबुझ कर परेशान किया जा रहा है फिर फोन करना।

सिन्हा जी ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और पुलिस वाला ऐमी से पूछने लगा… "आप के पापा क्या करते हैं।"

ऐमी:- सुप्रीम कोर्ट में वकील है, एडवोकेट अनिरुद्ध सिन्हा..

पुलिस:- क्या !! आप वो मशहूर वकील एडवोकेट सिन्हा की बेटी है।

ऐमी:- जी हां सर। वैसे आप को तसल्ली हो गई या और कुछ पूछना है। मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि कोई रॉबरी हुई है तो आप क्रिमिनल को पकड़ने के बदले यहां पूछताछ करने क्यों आ गए?

पुलिस:- हमारा काम है हर संभावना को देखना। कल रात ओवर स्पीड ड्राइविंग तुम लोग ही कर रहे थे ना, और किसी कार का एक्सिडेंट भी हुआ था तुमसे रेस करने के चक्कर में।

ऐमी:- वो ! अच्छा हुआ ऐक्सिडेंट हो गया उनका सर। आप जानते भी है कल क्या हुआ था हमारे साथ।

पुलिस:- हां मै सब जानता हूं। खैर मै चलता हूं, थैंक्स फॉर कोऑपरेशन। और हां अपने दोस्त को बोलो थोड़ा नशा कम करे।

ऐमी हंसती हुई उसके बात का अभिवादन की और उसके जाते ही वो अपस्यु को देखने लगी। ऐमी अपने साथ ऑर्गनाइजर के एक स्टाफ को लेकर वहां का सरा सामान पैक करवाई और अपस्यु को लेकर पार्किंग तक पहुंची।

रास्ते में ऐमी, अपस्यु से बात करती रही लेकिन अपस्यु हिम्मत अब टूट चुकी थी। वो बेहोश सा होने लगा था, फिर भी वो किसी तरह खुद को खींचते हुए पार्किंग तक पहुंचा। लेकिन ज्यों ही वो कार में बैठा, उसके मुंह से खून की उल्टियां होने लगी और वो बेहोश होकर वहीं सीट पर गिर गया।
 

Milan2010

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haaa toh mai fir laut aaya nain bhai
muje laga tha ki maine 6 updates tak padh rakhi hai story..lekin mai galat tha, 7th update tak padh chuka tha
dekhte hai meri gher hajri mai apne aur apusyu ne kya kaand kar rakha hai..haa mai arav ko bhula nahi hu, agar usne meri sachi par najar dali hai toh uski khair nahi
toh chaliye shuru karte hai padhna...aur mai chalta hu apni sachi :love: ke pass

स्कूटी के रफ्तार पकड़ते ही, आरव अपनी बाहें फैला कर उसके बदन के मध्य हिस्से को अपनी बाहों के जकड़ में लिया। लावणी को जैसे ही ये मेहसूस हुआ उसकी आंखें आश्चर्य से बड़ी हो गई और अगली हरकत ने तो उसे अनियंत्रित ही कर दिया।

बाहों में जकड़ने के बाद आरव अपने चेहरे को लावणी के बाएं कंधे पर रख कर, साइड से हेलमेट को ही चूमते उसे "I Love You" कहने लगा… लावणी को कुछ समझ में ही नहीं अा रहा था कि वो क्या करे और अचानक ही उसने ब्रेक लगा दी।
are ooo chachi, jyada bhav mat khaaya kar
arav apna bhai h isliye de raha hu tuje...toh jyada naa nunnuu naa kar aur uske pyaar ko apna le
vese toh arav satkela hai..aur chamiya bhi hai..par kya karu...hai toh apna bhai hi toh haa bol de

ब्रेक लगते ही पीछे से एक बाइक ने उसे धराम से ठोका। कुछ गाडियां अनियंत्रित होती, उसके स्कूटी के दाएं बाएं से 2-4 बातें सुनाते हुए निकली। वो जिसकी बाइक पीछे ठुकी थी वो बेचारा तो सड़क पर गिर गया। हाथ-पाऊं उसके छिल गए थे और जब गुस्से में वो हेलमेट निकाल कर लावणी के ओर बढ़ा तो लावणी पाऊं डर से थर-थर कांपने लगे।

वो लड़का उनके पास गुस्से में पहुंचा तो जरूर, परन्तु किसी लड़की को चालक देख, उसके तेवर ही बदल गए। आरव और उस लड़के के बीच कुछ देर बातचीत का सिलसिला आगे बढ़ा और अंत में लावणी उसे सॉरी कह कर कुछ मुआवजा दी और वो चला गया।
chalo kuch toh kaam aaya arav ke saath aaana
ab arav ko ilu ilu bolkar baat aage badhao

लड़की सड़क पर रो रही थी, वो भी दिल्ली में, सीन तो क्रिएट होना ही था। आरव वहां के माहौल को भांपते हुए तुरंत चालक की जगह बैठ कर हेलमेट लगाया और लावणी को पीछे बैठने के लिए बोलने लगा, लेकिन लावणी बस आंसू बहाए जा रही थी बैठने का नाम ही नहीं के रही थी…

किसी तरह मिन्नतें कर, वादा कर की अब वो छेड़छाड़ नहीं करेगा, तब कहीं जा कर लावणी बैठी। दोनों बैठ कर कॉलेज के ओर बढ़ने लगे.. सम्पूर्ण शांति स्थापित हो चुकी थी दोनों के बीच और बिना किसी बताचित के गाड़ी आगे बढ़ रही थी।
abe yeh kaaa kar diya arav :slap:
faale ladki ko rulata hai tu :buttkick:
maana ki lavni aunty hai toh kya hua..hai toh ladki na :chair:

लावणी की बात सुनकर आरव उसे आंख दिखाते हुए… "चल चुपचाप, कोई डेट पर कॉफी पिलाने नहीं लाया बस मन कर गया"…

आरव की कड़क आवाज़ सुनते ही लावणी तेजी से जा कर टेबल पर बैठ गई उसके पीछे-पीछे आरव भी जा कर बैठ गया… "आरव कॉफी की एक चुस्की लेते हुए… "ये बता तू और तेरी वो बहन दोनों दिमाग से पैदल ही हो या फिर कुछ ज्यादा ही समझदारी भगवान ने तुमलोगों को दी है"
launvi aunty ko daaant padi :vhappy: maja aaya

लावणी गुस्से में अपनी जगह से थोड़ा उठ कर आरव को उंगली दिखाती कहने लगी…. ये क्या बकवास है, मेरी बहन के बारे में कुछ मत बोलना।

आरव:- सॉरी सॉरी.. तू गुस्सा कहे कर रही, बैठ जा आराम से.. वैसे मेरा सवाल सही था पर तुझे गुस्सा अा गया इसलिए थोड़ा बदल कर पूछता हूं.. ये बताओ तुम दोनों बहने किस योजना के कारण आज हमारे साथ कॉलेज जा रही…

लावणी:- ना-ना कोई योजना वोजना नहीं है, आप गलत सोच रहे हैं। वो तो हम पड़ोस में रहते ना, तो साची दी ने सोचा कि साथ जाएंगे तो जान-पहचान बढ़ेगी…

आरव:- वाह क्या नेक ख्याल है.. सारे जवाब रटा दिया क्या तेरी बहन ने.. तू जो बोले, उस हम मान ले इतने बड़े वाले है क्या हम दोनों। हमारे माथे पर क्या 'चूउउ'.. खैर जाने दे

लावणी… ये कैसी बातें कर रहे हो?
had hai, aunty ke samne chup kaun rehta hai bhala, baat adhuri naa chodte aarav, yeh bhi sikhana padega kya ab meko :slap:
aur yeh aunty kya hai ratna hi janti hai..1 dabane par yeh ans milega do dabane par yeh
sahi hai yeh toh

आरव:- दिमाग सटका हुआ है लावणी। यार हमारे नाम से दूर भागने वाली तुम लोग इतना मेहरबान अचानक से हो जाओगी तो क्या हमे पता भी नहीं चलेगा कि तुम हम से कोई काम निकलवा रही। इससे कहीं ज्यादा बेहतर होता कि तुम सीधे अा कर प्रॉब्लम बता देते। ये धोके से फसा कर काम निकलवाना… मेरी तो जुबान गंदी है पर तुम्हारी तो सोच ही गंदी है।

लावणी को शायद अपने किए का पछतावा हुआ… "I am sorry, Aarav"
:weep: rula diya bhai aarav, maan na pada
apsuyu ke saath rehkar thoda bahut tu bhi shikh liya hai
:shocked: yeh kya lavni aunty ne sorry kaha
matlab kuch toh jhol hai bada waala..ho sakta hai ragging ho yaa koi pareshan kar raha ho

लावणी फिर पूरी कहानी बताने लगी… "कॉलेज के शुरवात दिनों से लेकर रैगिंग तक। फिर रैगिंग के बाद भी होम मिनिस्टर के बेटे शशांक वर्मा का दोनों बहनों को बुरी तरह परेशान किया जाना। अलग-अलग तरह की मांगे, जैसे कल सिगरेट पिलाना है, ये पिलाना वो पिलाना। साथ में ये भी बताई की कल रात दोनों बहने बाज़ार से सिगरेट लेना भूल गई थी तो उन्ही के लिए सिगरेट खरीदने गई थी"…
ragging :angry: voh bhi sachi ki :angry:
vese nain bhai maine bhi socha toh yahi tha ki shayad ragging ho..aur vohi nikla
kya writer sahab, aapse ye umid na thi
toh ab lagta hai villan aahi gaya kahani me, naam hai shashank verma
dekhte hai kya kya hua tha
ho sakta hai shayad aage kahani flashback me jaaye

इतना सुनते ही आरव अपनी जगह से उठकर अपना चेहरा लावणी के चेहरे के बिल्कुल करीब लेे जाकर, अपनी बड़ी-बड़ी आंखें दिखाते… "क्या बोली"

लावणी थोड़े पीछे हटती हुई डर से अपनी आंखें बंद करते … "सॉरी सॉरी वो फ्लो में निकाल गया"

तबतक आरव पीछे जा चुका था और उसे देख कर हंसते हुए… "बस भी करो यार इतना डरना… हर बात पर डर जाती हो.. मैं तो मज़ाक में आगे आया था" …
lagta hai lavni aunty siddhi ladki hai, not bad
arav ke liye sahi h

लावणी थोड़ी सी निश्चिंत होती हुई…. क्या करूं, मेरा स्वभाव ही ऐसा है या शायद शुरू से पापा ने इतना डरा कर रखा है कि अब तो किसी भी बात पर, किसी से भी डर जाती हूं। ये तो अब मेरे जीवन का हिस्सा है… वैसे अब मैं डर भागने के लिए थोड़ा वर्कआउट कर रही हूं समय लगेगा पर नतीजा जरूर निकलेगा..

आरव… डर भागने का वर्कआउट, कोई क्लास ज्वाइन किया है या किसी बाबा का ताबीज खरीदा है।
darr bhagane ka workout :hmm2:
iiii toh hum pehli baar sun rela hai

लावणी "नहीं नहीं" कहती हुई.. डर भागने वाला वो पूरा नुस्खा.. जो साची ने लावणी को बताया था वो शब्दों में बिना किसी बदलाव के पूरा चिपकाती हुई कहती है… "सामना करने जाती हूं डर जाती हूं.. फिर भी हिम्मत नहीं हारी। फिर से सामना करने की सोचूंगी, फिर सामना करने जाऊंगी और फिर भी ना हुआ तो अगली कोशिश…
ladkiyo me yeh talent aata kaha se hai, meko jawab do lavni :bat:
itna mai janta hu ladkiya ratta marne me expert rehti hai..par itni bhi ratta kese mar leti ho tum log
mujse toh 2 line bhi rati naa jaati :banghead:

एक तो दारू ऊपर से लावणी को खरीदने के लिए भेजना.. पहले तो ना-नुकर करने लगी। फिर जब आरव ने तना मारा.. "उस लड़के के डर ये सब खरीद सकती हो, पर मेरे कहने पर नहीं। वो तुम्हारा सोशन करे तो उस डर से खरीदो पर मदद करने वाला बोले तो मना कर दो".. फिर क्या था आखिरकार लावणी मन बना कर वोदका खरीदने चली गई..

इधर लावणी ने जैसे ही अपना कदम वाइन शॉप के ओर बढ़ाना शुरू की उधर आरव ने भी अपना संदेश मोबाइल में छापना शुरू किया… "इधर का काम लगभग हो गया है.. हम आधे से एक घंटे में कॉलेज में होंगे… तुम अपना गेम प्लान कर सकते हो"… और टाइप कर के कबूतर उड़ा दिया अपस्यु के नंबर पर।
bilkul sahi kaha arav, mai teri baat se agree karta hu
aisa hi hota hai mere jese sidhe ladko ke saath :weep:

ab yeh kya naya jhol hai re bawa
agla update padhing
 

Milan2010

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इधर लावणी ने जैसे ही अपना कदम वाइन शॉप के ओर बढ़ाना शुरू की उधर आरव ने भी अपना संदेश मोबाइल में छापना शुरू किया… "इधर का काम लगभग हो गया है.. हम आधे से एक घंटे में कॉलेज में होंगे… तुम अपना गेम प्लान कर सकते हो"… और टाइप कर के कबूतर उड़ा दिया अपस्यु के नंबर पर।

लावणी जब वोदका की बोतल लेकर पहुंची तब आरव मोबाइल को अपने जेब में रख रहा था.. लावणी को देखकर… "लेे अाई, इसे बैग में डाल कर चलो बैठो"..

लावणी भी बिना कोई सवाल किए जैसा आरव ने कहा ठीक वैसा ही किया और जाकर पीछे बैठ गई। स्कूटी अब सीधा एक पान दुकान पर रुकी जहां से आरव ने बाकी जरूरी सामान जैसे की ग्लास, कुछ पैकेट चखने के, ठंडा, सोडा, और सिगरेट। ये सब सामान अपने बैग में डाल कर वहां से निकल गया।

पीने के लिए उसने एक जगह चुनी और स्कूटी पर ही ग्लास, सोडा, चखना और ठंडा बिछा कर महफ़िल शुरू करने की तैयारी कर लिया.. अब बचा था अहम चीज जिसे आरव ने लावणी को निकालने के लिए बोला.. वोदका

लावणी को कुछ समझ ना आने की स्थिति में वो बॉटल निकलती हुई पूछने लगी… "तुम ये सब क्या कर रहे हो, कहीं यहीं पर दारू पीने का तो इरादा ना है"

आरव हंसते हुए… "नहीं रे, मेरा ऐसा कोई इरादा नहीं। हम यहां पीने नहीं बल्कि तुम्हारे दिल से डर निकालने आए हैं"

लावणी:- और वो कैस होगा?

आरव उसे बॉटल दिखाते हुए…. देखो, इसे कहते हैं दवा। इसके बारे में जितना जनों उतना ही कम लगता है और इसका प्रयोग तुम किसी भी मौके पर कर सकती हो। दुनिया की इकलौती ऐसी चीज है जो हर मौके पर सही फिट बैठ कर सीधा परिणाम देती है वो भी अपने मन मुताबिक। बस अलग-अलग मौकों पर अलग-अलग डोज की जानकारी होनी चाहिए।
ab yeh konsa game khela jaa raha hai, mere samaj se bahar hai abhi toh

लावणी:- तुम्हारी ये बकवास मेरे समझ से बाहर है.. जो भी करना है जल्दी करो कॉलेज के लिए देर हो रही है।

आरव:- देखा इस दवा का असर, कुछ देर पहले "आप-आप" कर रही थी दवा देख कर .. "तुम-तुम" करने लगी.. थोड़ी देर ठहर जाओ अभी तो "तू" आना बाकी है… खैर बातों में वक़्त ना जाया करते हुए शुरू करते हैं डर भागने कि प्रक्रिया… इसके लिए सब से पहले बॉटल खोला.. अब चूंकि मामला डर का है और तुम्हारा पहला मौका तो डोज बनता है 180ml वो भी तीन हिस्सो में। ये लो तुम्हारा डर भागने का पहला डोज 60ml।

लावणी अपने आखें बड़ी किए… "पागल हो गए हो क्या… किसी को पता चला ना तो मेरा कॉलेज छुड़वा कर घर में बिठा देंगे"।

आरव:- ठीक है तुम मत पियो, लेकिन मै तुम्हे कुछ बताता हूं, अगर उसके बाद लगे तो तुम ग्लास उठा कर पी लेना वरना कोई बात नहीं। वोदका ही सही पर है तो दारू, मैं बर्बाद थोड़े ना जाने दूंगा।

लावणी:- ऐसा होगा ही नहीं की तुम मुझे दारू पीने के लिए कनविंस कर लो..
are arav bawa, tu bhi kaha iss aunty ko samjane me lag gaya
ise ratta marne ke liye bol toh shayad tera kaam asan ho jayega :lol:

आरव… देखते है.. तो सुनो .. वो लड़का शशांक तुम्हारे बदन पर हाथ लगाया.. तुम ने सह लिया। अब मैं तुम्हारे सामने सरिर के उस भाग नाम तो नहीं ले सकता…. लेकिन धिक्कार है….. मुझे यहां तुम्हारे सामने नाम लेने में शर्म अा रही है और शायद उसने तो सब के सामने पकड़ लिया होगा। और यदि ना भी पकड़ा हो, तो भी तुम्हारा ये डर एक दिन उसे हिम्मत दे ही देगा… फिर कपड़े फटेंगे.. फिर वीडियो बनेगा। ये डर का सिलसिला है.. शशांक से बच भी गए तो कोई दूसरा मिलेगा, नहीं तो कोई तीसरा.. तुम डरती रहोगी वो तुम्हे नोचते रहेंगे..

लावणी:- "बस"…. एक ही झटके में 60ml गटक गई। "तुम्हे पक्का यकीन है, इस से डर दूर हो जाएगा"….

आरव:- पक्के से भी पक्का.. तुम अब बस ध्यान लगाओ कि उस शशांक के साथ क्या करना है?
yeh manjra abhi mere samaj me naa aa raha, ho kya raha hai kahani me
aage padhta

आरव:- पक्के से भी पक्का.. तुम अब बस ध्यान लगाओ कि उस शशांक के साथ क्या करना है?

शशांक के बाड़े में सोचते-सोचते, लावणी 180ml के बदले 240ml गटक गई। 240ml गटकने के बाद थोड़े से नशे में वो पूछने लगी… "यार मुझे तो कुछ हुआ ही नहीं। तू तो कहता था डर भाग जाएगा पर ये तो असर ही नहीं करती"..

आरव हंसते हुए… "करेगी लावणी जरूर करेगी, चलो अब कॉलेज चलते है"

लावणी, पूरे जोश में... ए रुक, मेरी स्कूटी है मैं चलाऊंगी, आज उस शशांक को मैं इसी स्कूटी से ठोक दूंगी"

आरव:- अरे नहीं लावणी तुम यदि ड्राइव करोगी तो…

लावणी:- चुप, मैं ही चलाऊंगी, तुम्हे क्या लगता है इस वोदका से कुछ नशा भी होता है क्या, बेकार दारू"

आरव, स्कूटी लावणी को थामते हुए… "ठीक है लो ड्राइव करो"
ho gaya satyanaaash :banghead:
abe gonchu, lavni aunty pehle hi scooty thik se naa chalati thi aur ab yeh halat me
hey nain devta, raksha karna mere bhai arav ki :pray:

आरव का जब संदेश आया तबतक अपस्यु कॉलेज पहुंचने ही वाला था। कॉलेज के पास एक कैंटीन को देख कर उसने अपनी फटफटी वहीं रोकी और दोनों अंदर चले गए।

साची:- तुम कुछ प्लान कर रहे हो क्या?
haaayyy reeee, meri saachi :love: :love:
sachi jaan, gussa toh nahi hona, bahut dino ke baad mai tumse mil raha
voh kya haina thoda sa busy ho gaya tha, isliye nahi mil paaya
maaf karna paglu :sorry:

haa vese mai toh bhul hi gaya, apasyu kuch plan kar raha hai, kya plan hai vese..meko bhi sunna h

साची:- वो तो अभी कैंटीन में बैठा होगा और मुझे वहां जाकर सिगरेट जलानी है और उसके मुंह से लगा कर रखना है।

अपस्यु ने पहले अपनी घड़ी देखी, फिर संदेश आने का समय देखा.. लगभग 20 मिनट हो चुके थे संदेश आए… "ठीक है जैसा उसने कहा तुम जा कर वैसा ही करो"

साची:- मगर…

अपस्यु:- भरोसा रखो, सब कुछ तय हो चुका है। बस जैसा मैं कैह रहा हूं, तुम ठीक वैसे ही करो।
yeh galat baat hai sachi, meko plan naa bataya tum logo ne
par lagtaa hai jese ab mast action aane vaala hai kahani me

सहमी सी वो धीमे-धीमे आगे बढ़ रही थी और उसे आते देख शशांक और उसके दोस्त जोड़-जोड़ से हसने लगे… "कितनी देर लगा दी जानेमन आते-आते, कब से सिगरेट की तलब लगी थी"

साची बिना कोई प्रतिक्रिया दिए सिगरेट जला कर, शशांक के मुंह के आगे लाकर रख देती है और अपना चेहरा दूसरी ओर घुमा लेती है। शशांक सिगरेट की एक कस खींचते हुए, साची के कमर में हाथ डालकर उसे चेयर के हैंडरेस्ट पर बिठा देता है… "अरे तू भी एक कस खींच ले, मुझे बिल्कुल भी बुरा नहीं लगेगा"..
oyeeee, chod use :angry:
ye tooh hadd paar ho gayi, ab tu nahi bachega ?
meri sachi ko haath kese lagaya be ?

अपस्यु को पहले तो ये मामला, मात्र कुछ रैगिंग कर रहे लडको का लगा। लेकिन जब साची के साथ हो रहे दुर्व्यवहार को देखा और पिछले एक महीने की बात जब ध्यान में अाई तो बस इतना ही ख्याल आया कि, ये लड़के तो कब का सीमा लांघ चुके हैं।

अभी इनकी हरकतें जारी ही थी कि अब अाई लावणी।…. "साले कुत्ते के बच्चे चल दूर हट मेरी दी से"

पूरा कैंटीन जो मौन बैठा तमाशा देख रहा था .. सब का ध्यान लावणी के ओर केंद्रित हुआ। साची, लावणी का ये रूप देख कर बिल्कुल हैरान हो गई .. और उधर ये असुर प्रवृति के लड़के ने जब लावणी को अपने खिलाफ बोलते पाया… फिर असुर तो असुर ही होते है।
suspence ke andar suspence
yeh kala toh aapse meko bhi sikhni padegi nain bhai

well written updates :claps:
 

Milan2010

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लावणी का इस तरह से बोलना उन्हें रास ना आया। शशांक लावणी को कुछ अपशब्द कहते हुए गुस्से में अपनी जगह से उठा। उठने के क्रम में साची, जो चेयर के हैंडरेस्ट पर बैठी थी, वो खुद को संभाल ना पाने की स्थिति में नीचे गिर जाति है।

साची को नीचे गिरते देख लावणी अपना आपा खो देती है और सैंडल निकाल कर शशांक के ओर दौड़ लगा देती है… लेकिन शशांक उसका गला पकड़ कर पूरे हाथों कि दूरी बनाए.. "देखो कूतिया को आज भौंक और काट दोनों रही है। लगता है आज ज्यादा ही गर्मी चढ़ी है इसे"।

लावणी:- छोड़, साले छोड़… और उसने क्या सिखाया था… ए आरव किधर है रेय, वर्ड कौन सा था … हां.. साले, हरामि, कुत्ते के पिल्ले, छोड़ मुझे, तुझे अभी बताती हूं। बहुत सह लिया तेरा .. बहुत डर-डर के जी लिया .. आज फैसला होगा..
uddiiiii baba toh toh chamatkar hi hui gawa re baba
lawni aunty toh budhiya ban gayi :lol:
lekin manna padega bandi ne kaafi daring ki hai
iske liye salute toh banta hai ek :claps:

इतने में चटाक से एक जोरदार तमाचा लावणी के गाल पर। इतना जोड़ का, की थप्पड लावणी को पड़े और दर्द साची तक गया। साची को ना जाने क्या हुआ, वो गुस्से से उठी और शशांक को इतना तेज धक्का दी की वो लड़खड़ा कर नीचे गिर गया। जब तक शशांक के दोस्त साची को संभालते, लावणी शशांक के ऊपर बैठ कर जल्दी-जल्दी पूरे दम से जो चार पांच सैंडल घुमा कर उसके थोपरे पर चिपकाई, उसकी गवाही तो उसका चेहरा ही दे रहा था।

सैंडल का सोल आरा-तिरछा लगने की वजह से उसके चेहरे पर सैंडल के सोल की लंबी-लंबी लाइनिंग छप गई। दिमाग बिल्कुल सन्न रह गया और जबतक उसके दोस्त लावणी को हटाते तबतक तो उसने शशांक का दिमाग ठंडा कर दिया था। ऊपर से उसे हटाने के क्रम में वो "वैय-वैय" करती उसने शशांक के ऊपर ही उल्टियां कर दी। लगभग उसके सिना और चेहरा इस उल्टी के चपेट में अा गया।
yeh toh gadbad ho gayi
ab shayad apasyu aur aarav ko yanha aa hi jaana chahiye

सैंडल का सोल आरा-तिरछा लगने की वजह से उसके चेहरे पर सैंडल के सोल की लंबी-लंबी लाइनिंग छप गई। दिमाग बिल्कुल सन्न रह गया और जबतक उसके दोस्त लावणी को हटाते तबतक तो उसने शशांक का दिमाग ठंडा कर दिया था। ऊपर से उसे हटाने के क्रम में वो "वैय-वैय" करती उसने शशांक के ऊपर ही उल्टियां कर दी। लगभग उसके सिना और चेहरा इस उल्टी के चपेट में अा गया।

इतना सब तमाशा होता रहा लेकिन वहां मौजूद सभी छात्र-छत्राएं तमाशबीन की तरह तमाशा देखते रहे, कई लोग तो वीडियो बनाने का असफल प्रयास भी करते रहे लेकिन कोई बीच-बचाव को नहीं गया।

खैर मामला तूल पकड़ता देख, स्टाफ रूम से एडमिनिस्ट्रेशन टीम निकले, इधर सिक्योरिटी गार्ड जो शशांक की सुरक्षा के लिए तैनात थे, उन्होंने साची और लावणी को पकड़ कर अलग कर वहीं बिठा लिया।

अपस्यु बस इनकी भड़ास पूरी होने तक का इंतजार कर रहा था… जैसे ही उसने लावणी का पूरा एक्शन देखा, उसके तुरंत बाद ही दोनों बहनों को वहां से निकालने की प्रक्रिया शुरू हो गई।

आरव को पहले ही निर्देश मिल चुके थे उसे क्या करना है, इधर अपस्यु सीधा कैंटीन में घुसा और शशांक के सिक्योरिटी गार्ड से भीड़ गया.. बहासा-बहसी होने लगी। वक़्त मज़ा लेने का था तो भीड़ क्यों ना लगे ऊपर से शशांक के सताए कुछ लोग भी पहुंचे जिनमें थोड़ी बहुत हिम्मत अा गई थी।

इधर बहस छिड़ी, भीड़ लगी और उधर आरव ने मौका देख कर दोनों बहनों को वहां से निकाल लिया। हालांकि लावणी को अभी और लड़ना था और वो जाने के लिए तैयार ही नहीं हो रही थी, लेकिन किसी तरह उसे वहां से निकाल लिया गया। वो तीनो कैंटीन के गेट के नीचे आए ही थे कि उतने में ही पूरा एडमिनिस्ट्रेशन स्टाफ पहुंच गया। लावणी को बड़बड़ाते हुए पा कर उन्हें गेट पर ही सब ने रोका.. "क्या हुआ है इसे, और तुम दोनों (आरव और साची) इसे कहां लेे जा रहे हो"।
itna short action, muje laga kuch dhamaka hoga
par chalo acha hai yeh bhi
hero aur villain ka amna samna toh ho gaya

तभी स्टाफ में से किसी ने कहा "उधर चलो, मामला फसा तो समझो नौकरी गई".. सभी स्टाफ कैंटीन निकल लिए और इधर आरव दोनों को स्कूटी पर बिठा कर किसी फ्लैट में लेे आया। अभी तीनों वहां पहुंचे ही थे कि पीछे से अपस्यु भी पहुंचा… "कैसी है वो"..
triples, voh bhi scooty me :shocked:
par yeh mama ji ne roka nahi kaa
yaha toh sala dande padte aur memo fatta hai..delhi me lockdown nahi hai kaaa :lol:

आरव:- पता नहीं, बेसुध है।

तभी साची गुस्से में तमतमाई दोनों भाई के पास पहुंची :- क्या नाटक हैं.. मदद करने के बदले उल्टा हमे ही फसा दिए। और इसके साथ क्या किया तुम्हारे भाई ने?

अपस्यु:- शांत हो जाओ.. तुम जैसा सोच रही हो वैसा कुछ भी नहीं है।

साची:- नहीं होना मुझे शांत …

अपस्यु:- एकदम चुप, और जा कर कोना पकड़ लो।.. फिर आरव से बात करते हुए… "कितना पी थी"..

आरव:- बहुत कैपेसिटी है भाई, गटागट 4 पेग मार ली, ना रोकता ती शायद पूरी बॉटल पी जाती।

साची:- मुझे लगा ही था तुम लोगों ने इसे कुछ नशा करवाया है। हे भगवान..
are meri angry young girl :love: , thodi shant hoja., pehle puch toh le inn dono ne aisa kyu kiya hai

इसे पहले की आगे और कुछ मेलो ड्रामा होता साची का, अपस्यु उस दोबारा चुप करवाते हुए… "देखो तुम क्या चाहती हो कि तुम और तुम्हारी बहन कल अखबार की सुर्खियों में हो"…. साची ने ना में अपना सिर हिलाया… "हां तो जाओ फ्रिज से नींबू निकालो उसे लावणी के मुंह में निचोड़ते रहो। और प्लीज वहीं रहो, और मुझे करने दो जो मैं कर रहा हूं।

साची:- भड़कते क्यों हो, जा रही हूं.. ये बात आराम से भी कर सकतें थे…

अपस्यु:- 4 बजे तक मैं ना आऊं तो इन लोगों को घर भेज देना और तू भी वहीं चले जाना। और हां साची के साथ जाकर उसके लिए कपड़े लेे अा..

आरव:- कपड़े क्यों ?

अपस्यु:- अरे कपड़े गंदे हो गए हैं उसके। चेंज करवा कर, इसके पहने कपड़े धुलवा देना और जाने से पहले फिर चेंज करवा देना.. समझा।

आरव:- ओह अब समझ में आया.. तू कहां जा रहा है।
:lol: chalo finaaly tu kuch samja
arav, bhai tuje bahut kuch sikhna baaki hai abhi

आरव:- अपस्यु नाम है उसका..

आरव की बात सुन कर साची हंसती हुई… स्टाइलिस्ट नाम के चक्कर में कैसे-कैसे नाम रख देते हैं।

आरव थोड़ा गुस्सा दिखाते हुए… कभी हिंदी नहीं पढ़ी क्या.. अपस्यु का अर्थ होता है कुशल, सक्रिय.. और ये नाम उसके ऊपर पूरा सार्थक होता है। वैसे तुम्हे खुद के नाम का अर्थ पता भी है या फिर जिंदगी भर डिक्शनरी से इंगलिश के शब्द के ही अर्थ ढूंढ़ती रही हो और हिंदी शब्द के अर्थ के लिए डिक्शनरी खोलने में शर्म आती है।
arav :slap:
sachi se aaram se baat kariyo, varna muh tod dunga tera
vese sahi kaha bhai, aajkal hum sab english se judte jaa rahe hai aur hamari hindi bhasa se dur hote jaa rahe hai
:claps:

आरव की बातों में ऐसा ताना था कि बेचारी साची शांत ही हो गई। दोनों के बीच फिर से 10 मिनट की खामोशी और फिर… "वैसे तुम दोनों में बड़ा कौन है, अपस्यु ही होगा"

आरव:- बड़ा नहीं बहुत बड़ा है। कहने को ही हम सिर्फ जुड़वा है लेकिन वो भाई नहीं मेरा बाप है बाप।
apasyu aur aarav dono judwa hai :shocked:

आरव:- हैंडपंप देखा है, ऊपर की लंबाई कितनी छोटी होती है और नीचे कि गहराई कितना ज्यादा। ठीक वो ऐसा ही है। हमारी उम्र अभी 20 की है लेकिन वो अपने उम्र से 20 साल ज्यादा का तजुर्बेकार है।

साची:- हीहीहीही… वैसे बातें तो तुम भी बहुत समझदारी वाली कर लेते हो।

आरव:- हाहाहाहा.. नहीं जी वो तो उस गधे ने दिन रात सुना-सुना कर रटा दिया है। वो ऊपर के नाम के अर्थ वाला डाइलोग उसने किसी दिन मुझे चिपकाया था आज मैंने तुम पर चिपका दिया।

इसी के साथ दोनों ठहाके मार कर हसने लगे…
matlab dono hi ek jese hai
arav aur lavani...dono ratte baaz hai
sahi hai fir toh...isiliye inn dono ki jodi khub jamegi
 

Milan2010

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अपस्यु बाहर आते ही सबसे पहले कैफेटेरिया गया वहां एक कप कॉफी पीते-पीते अपना लैपटॉप खोला और उसपर वो कैंटीन वाली वीडियो देखने लगा। उस वीडियो में कुछ कटाई-छटाई के बाद उसने लैपटॉप बंद किया और कॉल मिलाने लगा…

कॉल पिक होते ही:- सिन्हा सर मैं अपस्यु बोल रहा हूं, कहीं व्यस्त तो नहीं थे?

सिन्हा:- हां एक केस में उलझा हूं।

अपस्यु:- मुझे बस एक छोटी सी सहायता चाहिए।

सिन्हा:- जल्दी बोलो।

अपस्यु:- केंद्रीय गृह मंत्री जी से एक मीटिंग फिक्स करवा दीजिए।

सिन्हा:- होम मिनिस्टर जी से तुम्हे क्या काम?

अपस्यु:- आप से होगा कि नहीं वो बताइए?

सिन्हा:- कितना अर्जेंट है..

अपस्यु:- बस यूं समझिए कि 5 मिनट का काम है अगर अभी बोलिएगा तो अभी उनके पास पहुंच जाऊंगा।
home minister se meeting :shocked:
yeh apsyu konsi bala hai bhaaya
aur yeh sinha kaun hai :hmm2:

तकरीबन 15 मिनट बाद .. "हां सर कहिए"

सिन्हा:- अभी असेम्बली में है, 1 घंटे बाद चले जाना और अपनी आईडी दिखा देना, काम हो जाएगा।

अपस्यु:- आईडी… मज़ाक कर रहे हैं क्या सर, जिनके पास आईडी ना होगा वो क्या मिलेगा नहीं?

सिन्हा:- ओह भूल गया था। माफ़ करना.. ठीक है तुम गेट पर पहुंचकर मुझे कॉल करना काम हो जाएगा। और हां इस बार कीमत लगेगी..

अपस्यु:- बस अनैतिक कोई काम नहीं बताइएगा सर मैं सहायता नहीं कर पाऊंगा।

सिन्हा:- कोई अनैतिक काम नहीं है। सब नीति के तहत ही है..

अपस्यु:- ठीक है आज रात मिलता हूं आप से।

सिन्हा:- नहीं आज रात मत आना। मैं खुद तुम से संपर्क कर लूंगा।

अपस्यु:- ठीक है सर मैं चलता हूं…

"सिन्हा" वहीं वकील थे जिन्होंने आरव को छुड़ाया था। उनसे बात करने के बाद अपस्यु सीधा निकला मंत्री जी के घर। तय समय पर दोनों की मुलाकात भी हो गई..
sinha ke baare me toh pata chal gaya, par isme bhi kuch naye sawal samne laa khade kar diye hai

मंत्री जी:- सिन्हा साहब बता रहे थे तुम्हे कुछ काम था। बताओ

अपस्यु:- सर आप इस देश के बहुत बड़े नेता है आप से मिल पाना मेरे लिए बहुत बड़ी बात है।

मंत्री जी:- अरे ऐसी कोई बात नहीं। हम तो बस सेवा का काम करते हैं।

अपस्यु:- वैसे सर ये कैसा लगेगा सुनने में कि केंद्रीय गृह मंत्री का बेटा एक दिलफेंक आवारा.. जो अपने बाप के पोस्ट का नाजायज फायदा उठा रहा।

मंत्री जी गुस्से से लाल आखें दिखाते हुए… "तू मुझे ब्लैकमेल कर रहा है। जनता भी है मैं कौन हूं"

अपस्यु:- आप के बारे में जानना कितनी बड़ी बात है मंत्री जी, क्या आप मेरे बारे में जानते हैं। होम मिनिस्ट्री.. हां.. मतलब पुलिस से लेे कर सीक्रेट सर्विस सभी एजेंसी को मेरे पीछे लगा सकते हैं.. लेकिन फिर भी मैं बिना डरे आप के सामने खड़ा हूं..

मंत्री जी:- मूर्ख बालक, एक पल के लिए कोई किसी के सामने भी खड़ा हो सकता है। तुझे क्या लगता है तू मेरे घर अा कर मुझे सुना कर चला जाएगा और मैं कुछ नहीं कर सकता।

अपस्यु:- मैंने ऐसा कब कहा मंत्री जी। और हां आप बहुत कुछ कर सकते हैं। लेकिन मैं फिर भी नहीं डरने वाला।

मंत्री जी कुछ देर तक उसकी बात पर सोचने के बाद थोड़ा मुस्कुराते हुए.. "माफ़ करना, क्या करूं राजनीति में रह कर मेरा रोम-रोम उसी भाषा को बोलने लगा है। ठीक है मैंने मान लिया तुम नहीं डरने वाले अब अपने आने का कारण बताओ।

अपस्यु:- मंत्री जी ये देखिए आज सुबह की ये वीडियो है। वैसे आपको मुझे धन्यवाद कहना चाहिए क्योंकि वीडियो जैमर नहीं लगता तो ऐसी वीडियो देश भर में घूम रही होती।

वो वीडियो जैसे-जैसे आगे बढ़ रही थी, मंत्री जी का पारा वैसे-वैसे सातवे आसमान पर.. उन्होंने फौरन अपने पीए से बोलकर शशांक को अभी के अभी सामने खड़ा करने के लिए बोले… कुछ 5 मिनट बाद मुंह पर तौलिया लपेटे वो मंत्री जी के पास पहुंचा…

मंत्री जी:- मुंह पर से कपड़ा हटाओ शशांक..

शशांक:- पापा वो..

मंत्री जी:- कपड़ा हटाओ…

शशांक ने जैसे ही कपड़ा हटाया, उसके मुंह पर बनी रेखाएं और सुजन के निशान अपनी कहानी बयां करने लगे। इतने में अपस्यु मंत्री जी कहने लगा.. "सर आप की आज्ञा हो तो क्या मैं एक बार शशांक से मिल लूं"

मंत्री जी ने इशारे में हां किया और अपस्यु पहुंच गया शशांक के पास.. उसकी आखों में देखा और खींच कर एक तमचा जड़ दिया…. मंत्री जी के घर में किसी ने हाथ उठा दिया.. सभी गार्ड दौड़े अपस्यु के ओर, इधर पहले थप्पड की झनझनाहट दिमाग से गई नहीं थी कि अपस्यु ने दूसरा थप्पड भी लगा दिया। ये थप्पड उस से भी ज्यादा शानदार था और शायद अंदर का जबड़ा तक हिल गया था जिसकी गवाही उसके मुंह से निकलता खून दे रहा था।
apsuyu ka action time :ecs:
maja aagaya padhkar
par yeh apsuyu ka kuch toh bada rahasya hai
dekhte hai kab samne aata hai
par bande me kaafi daring hai, home minister ke ghar jaakar usi ke bete ko uske hi ghar me maarna
:claps:

मंत्री जी:- कमाल है मैं एक बच्चे कि इतनी देर से सुन रहा। वैसे सिन्हा ने जितना तुम्हारे बारे में बताया, तुम उससे भी बढ़ कर निकले। कभी मेरी भी सहायता करोगे।

अपस्यु:- स्वागत है सर, आपकी सहायता करना मेरा स्वाभाग्य होगा। वैसे मेरी एक सलाह है.. अपने बेटे को क्यों नहीं कहीं विदेश भेज देते हैं पढ़ने के लिए। यहां तो एमएलए का लड़का विदेश में पढ़ता है और आप तो सेंट्रल मिनिस्टर हैं।

मंत्री जी:- क्या कहूं इसकी मां की जिद के वजह से ये यहां रह गया। तुम बेफिक्र रहो अब ये उस कॉलेज में नहीं जाएगा। मेरे जाने का वक़्त हो गया है बाकी चर्चा फिर कभी करेंगे.. और हां अपना नंबर मेरे पीए को देते जाना।

अपस्यु:- आप के समय देने के लिए धन्यवाद सर। वैसे मैं एक बात बताता चलूं, मुझे आप के बेटे से कोई समस्या नहीं बस गुस्सा उसका आचरण देख कर अा जाता है।


अपस्यु मंत्री जी से मिल कर लौट आया। सारी कहानी सामान्य हो चुकी थी। अपस्यु की फटफटी अपने रफ्तार से सड़क पर दौड़ रही थी, की तभी अचानक पीछे से एक कार ने उसे जोरदार टक्कर मारी और ठीक उसी वक़्त जब अपस्यु हवा में था सामने से रफ्तार में अा रही बस ने उसे ठोका….
yeh kya scene hui gava :shocked:


anways abtak ke saare updates padh liye, padhkar bahut maja aaya
har ek scene ko kaafi mehant aur khubsurati se likha hai
:claps: :claps: :10: :10:
 

Chutiyadr

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अपस्यु:- नहीं आज सुबह एक घटना हुई, जिसमें मैंने कुछ गलत नहीं किया लेकिन मुझे उसका सरप्राइज रिएक्शन देखने मिला। मुझे लगा जैसे ये मेरे योजना कि सच्चाई बयां हो गई हो। एकतरफा प्लैनिंग ही बस मैंने किया है लेकिन किस वक़्त कौन सरप्राइज कर जाए किसे पता।

ऐमी:- मतलब ये भी एक तरह से अपनी तैयारियों की मजबूती देना हुआ। कुछ केस के जरिए ये आकने की कोशिश की हम जो प्लैनिंग करते है उसमे और जब वास्तव ने जो परिस्थितियां होती है उनमें कितने फर्क आते है. और लोग हमे कैसे चौंका सकते है।

"बिल्कुल सही आकलन… बस जो अंतर है, वो केवल इतना है कि, यहां हमें दोबारा मौका मिलेगा। एक बार नजरों में किसी के आ गए, तो छिपना आसान होगा। लेकिन वहां किसी की नजरों में आए तो फिर आर या पार वाली कहानी होगी। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि, अब एकतरफा अपनी योजना नहीं बल्कि उनके हिसाब से भी सोचकर देखना चाहिए, कि वो कितने सुनियोजित है और हम कहां-कहां चुक कर सकते है। इसलिए ये जरूरी हो जाता है कि कुछ क्रिमिनल्स को पहले परख कर देख लें कि उनकी क्या सोच रहती है किसी ऐसे दुश्मन से बचाव के लिए जिन्हे वो जानते ही नहीं।"
last bahut achcha laga , bahut badi bat kah di aapne :superb:
khud ke soch se uper jakar dusaro ki soch ko bhi parakh lena chahiye ki wo kisi subject ko kaise sochte honge :approve:
 

Naina

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Update:-55



अपस्यु बचाव के लिए जबतक बेहोश पड़े गार्ड के पास लेटता, उससे पहले ही उसके शरीर को 2 गोली और भेद चुकी थी। दर्द ने उसके गति को धीमा तो किया लेकिन वो दो गार्ड के बीच लेटकर अपने लिए थोड़ा वक़्त निकला। उल्टी गिनती के अब 90 सेकंड ही बचे थे।

सभी माइक्रो डिवाइस नीचे खुले रास्ते में जरिए नीचे पहुंच चुके थे। एक बड़ा सा वाल्ट था, जिसके ऊपर एक रेटीना स्कैनेर लगा हुआ था। सारे माइक्रो डिवाइस, उस स्कैनर के ऊपर आकर उसे पूरा कवर कर चुके थे। उसके कोने से वो जगह बनाते धीरे-धीरे अन्दर घुसते चले गए। स्कैनर में लगे वायर के रास्ते वो सारे डिवाइस वाल्ट के अंदर तक पहुंच चुके थे। वहां जितनी भी फाइल रखी थी लगभग सभी फाइल्स में घुसकर अंदर हर पन्ने को पूरा स्कैन होने लगा।

ऐमी वक़्त पर काम ख़त्म करके सभी डिवाइस को वापस आने का कमांड दे चुकी थी और इस बीच अपस्यु भी बेहोश गार्ड के बीच आकर लेट चुका था। अपस्यु को इस बात का इल्म था कि जो भी फायरिंग कर रहा है वो लेटे हुए पर इसलिए गोली नहीं चला सकता क्योंकि वो उसी के साथी होंगे।

अपस्यु जैसे ही लेटा, उसकी तेज चलती सासों के साथ आ रही दर्द कि हल्की आवाज ऐमी साफ सुन पा रही थी। "वहां क्या हो रहा है.. तुम सुरक्षित तो हो अल्फा (अपस्यु)"…. "लेटे रहना बीटा (ऐमी).. क्या तुम 6 फिट ऊंचा आग जला सकते हो बीटा"…. "कितने सेकंड का विंडो चाहिए"… "3 सेकंड का विंडो चाहिए…. 30⁰ पुरव 1 मीटर के रेडियस में आग चाहिए।"

10 सेकंड का वक़्त लेती हुई ऐमी ने जवाब दिया… "मै तैयार हूं अल्फा"…. "मेरे 3 की गिनती पर तैयार हो जाना एक बार फिर कदम मिला कर भागने के लिए बीटा"… "मै तैयार हूं।"…

3 की गिनती के साथ ही ऐमी कमांड देकर दौड़ने के लिए तैयार थी। ऐमी के कमांड देते ही सभी माइक्रो डिवाइस 1 मीटर के रेडियस का सर्किल बनाते हुए, वहां 10 फिट ऊंचा धमाका हुआ। अचानक से तेज लपटें उठीं, और अपस्यु ऐमी का हाथ पकड़ कर तुरंत ग्राउंड फ्लोर के बाहर आया।

इधर आग जलने के कारण थर्मल डिवाइस बॉडी स्कैन तो नहीं कर पा रही थी लेकिन हवा में लगातार गोलियां फायर हो रही थी। बाहर निकलते ही ऐमी ने सिक्योरिटी अलर्ट के पास लगी डिवाइस में एक छोटा सा धमाका की और देखते ही देखते फिर से वो ग्राउंड फ्लोर स्टील के मजबूत दीवारों से ढक चुकी थी।

उल्टी गिनती के 30 सेकंड बचे थे। बाहर घुएं का कोहरा छटने लगा था, पुलिस के सायरन की आवाज़ दोनों को सुनाई भी देने लगी। अपस्यु ने फिर से बाहर स्मोक का कोहरा बना दिया और ऐमी ने लैपटॉप बैग में डाला। दोनों वापसी के लिए तैयार थे।

दौड़ते हुए दोनों ने तकरीबन 100 मीटर की दूरी तक पूरा कोहरा की चादर बिछाते हुए आगे बढ़े और अपने तय समय से 1 मिनट की देर से 10.21 मिनट पर वापस कमरे के पीछे पहुंच चुके थे।

ऐमी खिड़की से अंदर गई और पीछे से अपस्यु पहुंचा… दोनों बिना कोई देर किए अपने बुलेट प्रूफ जैकेट को निकालाना शुरू कर चुके थे। ऐमी जबकि अपने ऊपर कपड़े डाल रही थी और अपस्यु अपने चोट खाई जगह को कॉटन से दबा कर खून को नीचे गिरने से रोक रहा था।

"ऐमी, क्या तुम जल्दी से इनपर पट्टियां बांध कर मास्क करोगी।" ऐमी पीछे पलटकर, जब अपस्यु के खुले बदन पर बहते खून को कॉटन से साफ करती देखी, तो वो हताश हो गई…. "अपस्यु तुम्हे ट्रीटमेंट की जरूरत है। अभी हॉस्पिटल चलो।"

अपस्यु:- हां मै जानता हूं मुझे ट्रीटमेंट की जरूरत है लेकिन अभी नहीं। पट्टियां लगाओ और उपर बॉडी को मास्क करो। भूल गई पुलिस पहले अपने पास ही आएगी पूछताछ के लिए।

ऐमी:- लेकिन तुम्हे बुलेट लगी है, आम जख्म नहीं है।

अपस्यु:- जानता हूं। मै वो सेल रिकवर थेरेपी लेता हूं, कुछ वक़्त का सपोर्ट मिल जाएगा जबतक तुम स्वस्तिका से बात करके देखो यदि वो बंगलौर आ सके तो।

ऐमी की घबराहट और बेचैनी दोनों अपने सबब पर थी। वो टाइट पट्टी लगा कर अपस्यु के बदन के उपरी हिस्से में स्किन की बनी एक सूट डाली जों देखने में बिल्कुल असली और उसको ऊपर से काटने पर खून भी निकलता था।

ऐमी उसके उपर की बॉडी मास्क करके, वहां के फ्लोर पर टपके खून पर किसी तरह का केमिकल डालकर, तेजी के साथ साफ की। दोनों के बुलेट प्रूफ जैकेट और अन्य संदेह जनक सामान को लेकर एक बार फिर से खिड़की से बाहर गई और छिपाने के तय स्थान पर उनको छिपा कर वापस आयी।

अपस्यु लेटा हुआ था, ऐमी ने वापस अाकर सबसे पहले बचा काम खत्म की। अपने लैपटॉप से सारे स्कैन फाइल को एक साथ डिलीट मारी और सारे हैकिंग सॉफ्टवेर को वो अपने लैपटॉप से गायब कर दी। काम खत्म करने के बाद वो अपस्यु के सिरहाने बैठी और उसके बालों मै हाथ फेरती उसे देखने लगी…. "11.10 में मुंबई से स्वस्तिका की फ्लाइट है। लगभग 1 बजे तक वो हमारे साथ होगी।"….

अपस्यु:- हम्मम ! ठीक है। वैसे तुम इतनी मायूस होकर मुझे क्यों देख रही हो?

ऐमी के आंसू टपक कर अपस्यु के चेहरे के ऊपर गिरी। ऐमी अपने आशु पोंछती कहने लगी… "पहली बार तुम्हारे चेहरे पर मै दर्द को देख रही हूं। तुमसे ये दर्द नहीं छिप रहा अपस्यु।

अपस्यु:- हां जानता हूं, मुझे शवंस लेने ने भी बहुत तकलीफ़ हो रही है। क्या तुम कहीं से कोकीन ला सकती हो क्या?

ऐमी हड़बड़ी में वहां से निकली और कार स्टार्ट करके पास में ही किसी डिस्को का पता लगाकर वहां पहुंची। नजरे अब बस उसकी ढूंढ़ने लगीं… ज्यादा वक़्त नहीं लगा, उसे एक ड्रग बेचने वाला मिल गया।

ऐमी जल्दी से उसके पास पहुंची और हड़बड़ी में पैसे निकालकर उससे कोकीन मांगने लगी। उस ड्रग डीलर ने पहले उसे ऊपर से नीचे तक देखा और देखकर मना कर दिया। ऐमी उससे मिन्नतें करने लगी… "प्लीज दे दो।" लेकिन वो ड्रग डीलर ऐमी को सुनने के लिए तैयार ही नहीं हो रहा था।

ऐमी परेशान होने लगी लेकिन वो अपनी जिद पर अड़ा रहा। ऐमी अपने बैग से 1लाख की पूरी गद्दी टेबल पर पटककर कहने लगी….. "या तो अभी मेरी चीज दे दो। और कहीं तुम्हे ऐसा लगता हो की मै कोई खबरी हूं तो तुम इस वक़्त तो गलत हो, लेकिन मेरे पास इतना पैसा है कि मै देखूंगी तुम कभी जेल से बाहर ना आने पाओ।"..

उसके ड्रग डीलर के साथ एक और डीलर था, वो पैसे उठाकर कहने लगा…. "इतने से नहीं होगा और पैसे चाहिए, और हां तेरे पास कितने भी पैसे हो, हमारे बैकग्राउंड के आगे सब मूत देंगे।"

ऐमी ने अपना बैग देखा उसने पैसे नहीं थे, फिर वो अपनी डायमंड इयर रिंग उतार कर देती हुई कहने लगी…. "12 लाख की कीमत का है… अब दोगे या मै कहीं और जाऊं।"

दोनों ड्रग डीलर जोड़-जोड़ से हंसते हुए, ऐमी को कोकीन कि एक छोटी सी पुड़िया थामा कर, उसके पीछे हाथ फेरते हुए कहने लगा…. "हम तुझे यहीं मिल जाएंगे, दोबारा जब जरूरत हो तो फिर आना।"

ऐमी वो पुड़िया उठकर वहां से जाते-जाते बोली…. "फ़िक्र मत करो मै वापस जरूर आऊंगी, ये वादा रहा।"…
maana ki meko imli se nafrat si hai.. :D
Par yeh galat hai yaar.. kisiki majboori ka fayda uthana... undono ki himmat kaise huyi imli is tarike se chune ki :mad:
Iska badla jarur legi imli.. aur leni hi hogi ushe...

ऐमी जबतक वापस पहुंची 11.30 बजने ही वाला था। वो जैसे ही कमरे के पास पहुंची, 2 स्टाफ वहां पहले से खड़े थे…. "मैडम आप कहां चली गई थी, आप का इंतजार हो रहा है बैंक स्टेज पर, 11.30 बजे से आप का शो है।

ऐमी:- प्लीज मुझे माफ़ कीजियेगा। आप लोग बढ़िये मै आयी...

स्टाफ:- मैम इट्स ओके, हम यहां इंतजार कर रहे है।

ऐमी झटपट में अंदर गई और अपस्यु को एक नजर देखने लगी। उसका बदन पूरा जल रहा था, उसकी आखें बिल्कुल लाल हो चुकी थी, लेकिन इतना होने के बाद भी वो अपनी आखें खोले हुए था।…. "ऐमी वो दो और जाओ, मैं भी आया तुम्हारे पीछे।"

उसकी हालत देखकर वो अपने आंसू छिपाती, वहां से निकल गई। अपस्यु किसी तरह उठकर टेबल पर ड्रग फैलाया और अपने नाक से उसे खींचने लगा। ऐमी के द्वारा लाए हुए कोकीन को वो पूरा इस्तमाल करने के बाद कुछ देर के लिए बैठा और फिर लड़खड़ाते किसी तरह खड़ा हुआ।

खड़ा होकर सिर को वो 2 बार झटका। बैग के अंदर से 2 सीरप की बॉटल निकला। इनमे सेल रिकवर और डेवलपमेंट वाली वहीं द्रव्य था जो आईवी सेट के जरिए अपस्यु ने अपने एक्सिडेंट के वक़्त इस्तमाल किया था। दोनों सीरप को पीने के बाद वो कुछ देर और वहीं बैठा.. फिर खुद को सामान्य की स्तिथि में दिखाते हुए वो प्रोग्राम हॉल में पहुंचा।

बिल्कुल खामोश, बिल्कुल शांत जैसे सब अपनी धड़कने रोके ऐमी के दर्द को सुन रहे थे… फिर उस खामोशी में दर्द के साथ वो आवाज़ आयी... "सुन रहा है ना तू, रो रही हूँ मैं सुन रहा है ना तू, क्यूँ रो रही हूँ मैं… सुन रहा है ना तू, क्यूँ रो रही हूँ मैं.. यारा"…

ऐमी का गाना जैसे ही समाप्त हुआ, लोग खड़े होकर तालियां बजाने लगे। अपस्यु को ऐमी का हाल-ए-दिल पता था, इसलिए वह बैंक स्टेज पर पहुंचा। जब वो पहुंचा तब ऐमी उसे देख कर दौड़कर उसके पास पहुंची और उसके गले लगकर खुद को शांत करने लगी।

अपस्यु उसे खुद से अलग करता हुआ, उसके चेहरे को साफ किया… "आय मिस अवनी, रोते नहीं है।"

ऐमी:- मै कहां रो रही हूं, बस तुम्हारी हीरोगिरी रुला रही है।
अपस्यु:- शांत बच्चा शांत। चलो यहां से चलते है।

दोनों बैंक स्टेज से निकलकर वापस आ ही रहे होते है कि पुलिस की एक टुकड़ी उन्हें ढूंढते हुए वहां पहुंचती हैं। प्रोग्राम ऑर्गनाइजर उन्हें ऐमी और अपस्यु के पास लेकर पहुंच ही रहे होते और सभी रास्ते में ही टकराते है…

ऑर्गनाइजर:- यहीं है दोनों, जिन्हे आप ढूंढ़ रहे है।
पुलिस:- आप मिस्टर अपस्यु और मिस ऐमी है।
अपस्यु:- क्या हुआ सर, कोई बात हुई है क्या?

पुलिस:- हमे प्लीज कोऑपरेट कीजिए। जितना पूछा जाए उतना ही जवाब दीजिए।

अपस्यु:- सॉरी सर.. हां मै अपस्यु हूं और ये ऐमी।

पुलिस:- आप दोनों अपनी-अपनी आईडी दिखाइए।

दोनों अपनी आईडी पुलिस वाले को दिखाने लगे। आईडी देखने के बाद पुलिसवाला पूछने लगा…. "आप दोनों 10.00 बजे कहां थे।

ऐमी:- मेरा प्रोग्राम था इसलिए हम दोनों यहीं थे।

क्रॉस चेक करने के लिए पुलिस वालों ने पूरा सीसी टीवी फुटेज देखा उनके कमरे की तलाशी ली। बैग लैपटॉप सरा सामान उन लोगों ने चेक कर लिया… जब वो चेक करके अपस्यु से कुछ पूछने लगे तभी ऐमी बीच में ही पूछने लगी…

"सर आधे घंटे से आप हमसे पूछताछ कर रहे है, अब बताइएगा हुआ क्या है।"… ऐमी थोड़ा तेवर दिखाती हुई पूछने लगी..

"मिस कहा ना आप हमे कोऑपरेट कीजिए.. आप बिल्कुल शांत खड़े रहीए।".. पुलिसवाला उसे घूरते हुए कहने लगा… ऐमी ने भी बिना देर लिए सिन्हा जी को फोन लगा दी… "पापा देखो ना यहां पुलिस वाला अाधे घंटे से हमे परेशान कर रहा है और कुछ बता भी नहीं रहा कि क्यों हमसे पूछताछ कर रहा है।"…

ऐमी अपनी बात समाप्त करके फोन स्पीकर पर डाली…. "हेल्लो तुम किस केस में मेरी बच्ची से इंक्वायरी कर रहे हो।"…

पुलिस:- देखिए यहां एक रॉबरी हुई है उसी के सिलसिले में पूछताछ चल रही है। आप प्लीज हमे हमारा काम करने दीजिए।

सिन्हा जी:- ऐमी बेटा, वो उनकी छोटी सी इंक्वायरी चल रही है, और कोई परेशानी नहीं है। हां अगर ऐसा लगे कि जानबुझ कर परेशान किया जा रहा है फिर फोन करना।

सिन्हा जी ने कॉल डिस्कनेक्ट किया और पुलिस वाला ऐमी से पूछने लगा… "आप के पापा क्या करते हैं।"

ऐमी:- सुप्रीम कोर्ट में वकील है, एडवोकेट अनिरुद्ध सिन्हा..

पुलिस:- क्या !! आप वो मशहूर वकील एडवोकेट सिन्हा की बेटी है।

ऐमी:- जी हां सर। वैसे आप को तसल्ली हो गई या और कुछ पूछना है। मुझे तो समझ में नहीं आ रहा कि कोई रॉबरी हुई है तो आप क्रिमिनल को पकड़ने के बदले यहां पूछताछ करने क्यों आ गए?

पुलिस:- हमारा काम है हर संभावना को देखना। कल रात ओवर स्पीड ड्राइविंग तुम लोग ही कर रहे थे ना, और किसी कार का एक्सिडेंट भी हुआ था तुमसे रेस करने के चक्कर में।

ऐमी:- वो ! अच्छा हुआ ऐक्सिडेंट हो गया उनका सर। आप जानते भी है कल क्या हुआ था हमारे साथ।

पुलिस:- हां मै सब जानता हूं। खैर मै चलता हूं, थैंक्स फॉर कोऑपरेशन। और हां अपने दोस्त को बोलो थोड़ा नशा कम करे।

ऐमी हंसती हुई उसके बात का अभिवादन की और उसके जाते ही वो अपस्यु को देखने लगी। ऐमी अपने साथ ऑर्गनाइजर के एक स्टाफ को लेकर वहां का सरा सामान पैक करवाई और अपस्यु को लेकर पार्किंग तक पहुंची।

रास्ते में ऐमी, अपस्यु से बात करती रही लेकिन अपस्यु हिम्मत अब टूट चुकी थी। वो बेहोश सा होने लगा था, फिर भी वो किसी तरह खुद को खींचते हुए पार्किंग तक पहुंचा। लेकिन ज्यों ही वो कार में बैठा, उसके मुंह से खून की उल्टियां होने लगी और वो बेहोश होकर वहीं सीट पर गिर गया।
Yeh kya hero is haal mein... are nainu ji hero ko kuch mat hone dijiyega plz... :pray:
( chaliye sakaratmak revo de di hai... ab aaj se ishq, risk restart kijiye)
Khair let's see what happens next
Brilliant update with awesome writing skill nainu ji :yourock: :yourock:
 
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