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Romance भंवर (पूर्ण)

nain11ster

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Update:- 34



अपस्यु देर रात 2 बजे बालकनी से आखरी बार फिर वो झरोखा एक बार देखा… उसके चेहरे पर एक संतोषजनक मुस्कान थी और चंद दिल के अल्फ़ाज़…


रूप आकर्षण में जो मोह गया मन
सो प्रेम परिभाषित कहां से होय ।
हृदय संग जो प्रीत का मेल भय

फिर रूप मोह रहा ना कोय ।।


सुबह खामोश थी और अपस्यु के चेहरे पर खुशी की मुस्कान। लगभग 4 बजे अपस्यु ने आरव और कुंजल को उठाया। कुंजल नकीयाते उठी, आखें बंद और शरीर मारा हुआ। जबरदस्ती उठाने का नतीजा यह हुआ कि कुंजल कभी इस दीवार पर टिक कर सोती तो कभी उस दीवार पर। सुबह 4 से 6 के वर्कआउट में वो 12 बार सोई होगी। 8 बार पानी पी होगी और 5-6 बार बाथरूम गई।

इतनी मेहनत करनी होगी उसने कभी सोचा ना था। तीनों जल्दी से तैयार हो गए कॉलेज के लिए। आरव और कुंजल कार से निकले। अपस्यु भी पीछे से निकालने ही वाला था कि उसे नंदनी ने रोक लिया।

नंदनी उसे रोकती उसके चेहरे को गौर से देखने लगी…. "हल्का हल्का निशान अब भी है"… "कल तक ठीक हो जाएगा मां" .. और उनके गालों पे किस करता हुए कॉलेज को निकला।

साहित्य की पहली क्लास और अपस्यु के पसंदीदा कवि प्रेमचंद जी की चर्चा चल रही थी। अपस्यु उसकी एक कविता में खोता चला गया। तभी उसके इस प्यारे से विषय में खलल डालती साची ने एक छोटा सा नोट लिख कर बढ़ा दिया… "तुमसे बात करनी है"… अपस्यु ने उस पत्री को एक नजर देखा और फिर जवाब में लिख दिया… "ठीक है क्लास के बाद".. इतना लिख, फिर से अपस्यु कवि की उस कल्पना में डूब गया जिसका वर्णन इस वक़्त प्रोफेसर कर रही थी।

अपस्यु बहुत ही प्रभावित हुआ अपने प्रोफेसर से और जैसे ही क्लास समाप्त हुई वो भागकर उनके पास पहुंचा…. "नमस्ते गुरुवी, मैं अपस्यु हूं"

प्रोफेसर:- तुम वहीं नटखट बालक हो ना जो मेरी कक्षा में दूसरा या तीसरा दिन उपस्थित है?
अपस्यु:- क्षमा कीजिए गुरूवी। लेकिन साहित्य के ऊपर आप को सुनने के बाद अब मुझे अफसोस हो रहा है कि मैं आप की कक्षा कैसे छोड़ सकता हूं।
प्रोफेसर:- मुझे रिझाने कि कोशिश की जा रही है क्यों..
अपस्यु:- नहीं मैंने सरल तरीके से अपनी बात रखी है।
प्रोफेसर:- अच्छा है। कक्षा में अब से उपस्थित रहना।
अपस्यु:- जी गुरूवी। अब आज्ञा चाहूंगा।..

प्रभावित हुए प्रोफेसर से बात करने के बाद अपस्यु, साची से मिलने कैंटीन के ओर चला जा रहा था, तभी रास्ते में ही साची उसे रोकती हुई कहने लगी… "कैंटीन में बहुत भीड़ है, कहीं और चलते है।"

अपस्यु मुस्कुराते हुए प्रतिक्रिया दिया और प्यार से पूछा… "तो कहां चलना है।".... साची बिना कोई भाव प्रकट किए हुए उसे कॉलेज के बाहर उसी कैंटीन में चलने के लिए बोली जहां ये दोनों पहली मुलाकात में रुके थे।

अपस्यु और साची दोनों आमने-सामने बैठे थे। साची का चेहरा जहां कोई भाव व्यक्त नहीं कर रहा था वहीं अपस्यु का हंसमुख चेहरा था… कुछ देर के खमशी के बाद… "तो…"

अपस्यु:- जी मै समझा नहीं।
साची:- तुम्हे कुछ नहीं कहना।
अपस्यु:- मुझे किस विषय में क्या कहना था साची।
साची:- वही जो तुमने किया।
अपस्यु:- मुझे याद नहीं अा रहा मैंने क्या किया? जरा प्रकाश तो डाल दीजिए विषय पर।
साची:- वहीं मुझसे झूट क्यों बोला?
अपस्यु:- मुझे नहीं लगता कि मैंने कोई झूट तुमसे कहा होगा। क्योंकि झूट कहने की कोई तो वजह चाहिए। लेकिन यदि तुम्हे ऐसा लगता है कि मैंने कोई झूट बोला है तो अभी बताओ।
साची:- झूठ नहीं कहा कि तुम अनाथ हो।
अपस्यु:- पहली बात तो ये की मैंने ऐसा कभी नही कहा।… (साची बीच में कुछ बोलने कि कोशिश की, तब अपस्यु अपना हाथ दिखाते) .. पहले पूरा सुनो.. मैंने कभी ऐसा नहीं कहा लेकिन यदि तुमने ऐसा सुना भी होगा तो भी ये सच था, उस समय मैं अनाथ था अब नहीं हूं।
साची:- तो क्या रातों रात आसमन से सब उतर आए?
अपस्यु:- मैंने जवाब विनम्र होकर और शालीनता के साथ दी है। मैं चाहूंगा तुम भी शब्दों कि मर्यादा को उल्लांघित ना करो। फिर से प्रश्न पूछो।
साची:- जब तुम अनाथ थे तो तुम्हारा परिवार कहां से आया।
अपस्यु:- मेरे और मेरे अंकल के बीच कुछ आंतरिक मामला था सुलझ गया सो अब मेरे पास मेरा परिवार है। यहां पर ना मैं झूटा हूं और ना वो जिसने तुम्हे ये बताया। बस तुम बेवकूफ हो। और कोई शंका है मन में।
साची:- अच्छा तो मैं बेवकूफ हो गई और तुम झूठे नहीं हो। तो फिर ये बताओ कि तुम्हारी आमदनी जब 50-60 हजार है महीने की तो फिर वो करोड़ों की कार कहां से आई।
अपस्यु:- एक बात बताओ तुम्हारे बेईमान बाप और चाचा के पास इतने पैसे कहां से आते हैं जो हर महीने अपने बेटो को $10K USD भेजते है।
साची:- how dare you..

अपस्यु:- अपनी जगह बैठ जाओ, क्योंकि ना तो मुझ से तेज चिल्ला सकती हो और ना ही मुझ से ज्यादा तेवर तुम्हारे पास होगा। अब ध्यान से सुनो, तुमने भी मेरी बहन और भाई के सामने इतने ही प्यारे-प्यारे शब्द कहे थे, शुक्र करो मैंने तुम्हे यहां अकेले में कहा। जब तुम्हारे नौकर पेषा अभिभावक अपनी 80-90 हजार की सैलरी में से 70 हजार रुपया तुम्हारे भाई को भेज कर भी इतना कुछ बना चुके हैं तो मैं तो फिर भी एक अरबपति का बेटा रहा हूं। सबकुछ लूट जाने के बाद ये मेरी गरीबी की अवस्था है। 2 करोड़ सालाना देकर तो मैं एक अनाथालय चला रहा हूं फिर मेरे लिए लंबोर्गिनी कौन सी बड़ी बात है आज रोल्स रॉयस घर के आगे खड़ी कर दूं। लेकिन फिर भी देखो, तुम्हारी बदतमीजी का जवाब यहां मै मुस्कुरा कर दे रहा हूं और तुम सभी लोगों के सामने मुझे बेज्जत करने के बाद भी अकड़ कर सवाल पूछ रही हो।

साची:- नहीं .. वो .. मुझे माफ़ कर दो प्लीज।
अपस्यु:- दिल में बैर होता तो आराम से यहां बैठकर बात नहीं कर रहा होता।
साची मुस्कुराती हुई…. "मैं भी ना पूरे बेवकूफ ही थी। मुझे अपने किए पर बहुत पछतावा हो रहा है। सो सबकुछ भूलकर आज से हम दोस्त"….

अपस्यु:- तुम्हे हमेशा दोस्त बनाने की बड़ी जल्दी रहती है। अभी के लिए हम क्लासमेट ही अच्छे हैं। वैसे इतनी बातें हो ही गई है तो मैं एक बात कहता चलूं, किसी करीबी पर तुम्हे हक, गुस्सा और अपना बेवकूफी दिखाना हो ना तो उसे अकेले में दिखाओ, किसी के परिवार के सामने किसी की बेज्जाति करना एक अपराध के समान है, दोबारा ये भूल किसी और के साथ मत करना। शायद उसे या उसके किसी परिवार के सदस्य में हमारे परिवार जितना संस्कार ना हो।

साची का मुंह एकदम छोटा पड़ गया। वो पीछे से कुछ बोली लेकिन अपस्यु उसे अनसुना करके गीत गुनगुनाते हुए निकल गया। बातों के दौरान ही उसके दूसरे क्लास का वक़्त हो गया था, लेकिन उसे इस क्लास में बिल्कुल भी दिलचस्पी नहीं थी इसलिए अपस्यु कुंजल के क्लास में जाकर बैठा।

आज उस बेंच पर फिर से विन्नी और क्रिश बैठे मिले। अपस्यु को देखते ही वो उठकर जाने लगे, लेकिन इसबार अपस्यु उन्हें रोक लिया और चारो वहीं बैठ गए। क्लास के दौरान अपस्यु ने विन्नी और क्रिश को सॉरी का एक नोट लिखकर दिया , जिसके नीचे बड़ा सा स्माइली बना था।

विन्नी ने उस चिट को देखा और बिना कोई प्रतिक्रिया के उसे नीचे फेक दी। अपस्यु ने एक बार और पुनः प्रयास किया लेकिन इस बार सॉरी और स्माइली के साथ-साथ नीचे एक नोट भी लिखा था… "इस बार दोनों ने करेले जैसी शक्ल वाली प्रतिक्रिया दी, तो जोर से चिल्लाते हुए दंडवत माफी मांग लूंगा।"

इस बार विन्नी और क्रिश दोनों हंस दिए और उसकी ओर देखकर कहने लगे .. "माफ़ किया".. दोनों अपने पढ़ाई में लग गए और इधर अपस्यु कुंजल को
परेशान करने लगा। एक तो आज उसकी नींद पूरी न हुई थी ऊपर से अपस्यु का तंग करना, वो पूरा चिढ़ गई।

लेकिन अभी तो ये करेला ही था इसपर नीम चढ़ना बाकी था। पीछे से 5 मिनट बाद आरव भी वहीं चला आया। इस बार अराव को देखकर विन्नी और क्रिश इशारों में पूछे "अब".. दोनों भाई एक साथ हाथ जोड़ कर विनती करने लगे.. "प्लीज".. दोनों भाइयों का बदला रूप देख कर विन्नी और क्रिश ने जाते-जाते एक नोट छोड़ा… "क्लास के बाद कैंटीन में मिलना"…

इधर वो दोनो गए इधर एक साइड आरव तो दूसरे साइड अपस्यु.. अब चढ़ गया था करेले पर नीम। कुंजल के पास कभी इधर से नोट्स अा रहे थे तो कभी उधर से। अंत में हार कर बेचारी ने अपने किताब कॉपी को बंद किया, पैर को मोड़ कर टेबल पर रखी और अपना सिर घुटनों पर टिका कर आराम से बैठ गई।

क्लास खत्म होने के बाद तीनों कैंटीन पहुंचे जहां उनकी मुलाकात क्रिश और विन्नी से हुई। दोनों भाई ने यहां पर उस दिन के लिए माफी मांगी। उसके बाद कुछ ट्रीट और फ्रेंड्स एंड फैमिली टाइम।

वक़्त अच्छा बीत रहा था। सुबह ट्रेनिंग दिन में कॉलेज लौटकर आए तो कुछ घूमना टहलना और रात को परिवार के साथ बात करते करते सो जाना। हालांकि अराव की एक्स्ट्रा ड्यूटी लावणी के साथ बात करने की भी थी, सो वो पूरी निष्ठा और ईमानदारी के साथ रोज रात के 2 बजे तक पूरा करता था।

वैसे अराव का देर रात तक जागना और सुबह जल्दी उठ जाने के कारण उसके आदत में भी कुंजल की तरह ही बदलाव अा चुका था.. कॉलेज से लौटकर बैग पटके और सीधा बिस्तर पर जाकर खुद भी बिछ गए।

इसी दौरान कॉलेज में साची से मुलाकात भी होती रही। ऐसा नहीं था कि दिल में कोई बैर की भावना से उसे देखना या उससे नफरत जैसी कोई फीलिंग थी। बस वो आम सहपाठियों की तरह ही एक सहपाठी थी जिससे हंस कर मिलना और थोड़ी सी बातचीत बस।

लगभग 10 दिन बीतने को आए थे। यूं तो हर बीता हुआ दिन कुंजल के लिए भारी पर रहा था। लेकिन दसवां दिन आते-आते, नशे कि वो अशिम पिरा, अपने पूर्ण चरम पर थी। कुंजल का व्यवहार बिल्कुल पागलों जैसा हो चला था और अब नौबत ये अा चुकी थी कि जल्द ही कुंजल के लिए कुछ नहीं किया गया तो उसके हालत का ज्ञान मां को भी हो जाएगा और उसकी मानसिक संतुलन भी पूरी तरह बिगड़ सकती है…

सुबह 4 बजे जबसे वो उठी, ट्रेनिंग एरिया में उसे देखकर अपस्यु और अराव के दिमाग काम करना बंद कर चुका था। और बस कुछ ही देर की बात थी जब मां भी जाग जाती और उन्हें भी सबकुछ पता चल जाता।
 

kamdev99008

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:congrats: प्रथम शतक...............आपकी कथा के पन्नो पर
 

Aakash.

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Update:-33(B)



आरव:- कोई बात नहीं। तुम्हे बिल्कुल भी डरने कि जरूरत नहीं है। तुम बस बैकअप पॉवर स्टेशन कहां है वो मुझे बताकर गाड़ी में इंतजार करना। जब मैं कहूं "हो गया" तब तुम्हे सिर्फ इतना करना है कि कार को रेवर्स करके लेे आना और गली के बीचों-बीच लगा देना ताकि रास्ता ब्लॉक हो जाए।

कुंजल:- बस इतना ही..

अराव:- हां बस इतना ही.. और हां कार के अंदर ही बैठी रहना क्योंकि ये बुलेट प्रूफ है। कुछ भी हो जाए बाहर मत निकालना।

कुंजल को सारी बातें समझाते-समझाते, दोनों गली के दूसरे मोड़ पर पहुंच गए। आरव अपना बैग उठाया, और चल दिया बैकअप पॉवर स्टेशन के पास। वहां बस एक छोटी सी बाधा थी जिसे आरव क्लियर करते हुए अपस्यु से कहा… रेडी.. फिर 3, 2, 1,… इधर अपस्यु ने ट्रांसफार्मर में शॉर्ट शिर्कट किया उधर अराव ने बैकअप पॉवर स्टेशन कि बैंड बजा दिया।

अराव के इशारे पर कुंजल अपना काम करके बस इंतजार करने लगी। इधर अपस्यु भी गली के दूसरे मोड़ को वहीं की एक कार से ब्लॉक करके, उसमें धमाका किया। दोनों भाई ने चेहरे पर मस्क लगाया और बाहर चारो ओर धुआं ही धुआं।

सब प्लान के मुताबिक हो रहा था। पॉवर कट और उसके 2 मिनट में ही बाहर का रास्ता ब्लॉक करके चारो ओर धुआं करना।.. अब दोनों भाई दरवाजे पर बैठकर उसके खुलने का इंतजार करने लगे।

जैसा कि उन्हें पता था, कुछ लोग पॉवर सप्लाई चेक करने बाहर अा रहे होंगे.. जैसे ही दरवाजा खुला… दोनों भाई स्मोक बॉम्ब लेे कर तैयार थे। जब उन्होंने दरवाजा खोला तो बाहर पूरा अंधेरा कोहरा जैसा लगा, जिसमें उनकी टॉर्च और फ़्लैश लाइट कोई काम कि नहीं थी।

खतरे का अंदाजा होते ही वो लोग दरवाजा बंद करने लगे लेकिन धुएं और अंधेरे की आड़ में दोनों भाई अंदर घुस चुके थे और जिन-जिन के हाथो की टॉर्च लाइट जल रही थी। सबको अंधेरे में "वन लास्ट शॉट" पड़ रहे थे। बिल्कुल साधा हुआ निशाने के साथ, कान के ठीक नीचे एक जोरदार प्रहार और बस एक चींख निकल कर आवाज़ दब जाती।

दोनों भाई एक-एक कदम बढ़ रहे थे और एक-एक स्मोक बॉम्ब डालते आगे बढ़ रहे थे। टॉर्च जला कर लोग देखने कि कोशिश तो कर रहे थे लेकिन एक इंच आगे देखने में भी परेशानी हो रही थी, गोली किसपर चलाते। और बस चंद सेकेंड का ही मोहलत होता, उसके बाद तो धुएं कि चपेट में आने वाले बेहोश होकर गिर रहे थे।

काम जैसा सोचा ठीक वैसा ही हुआ और दोनों भाई वहां से एग्रीमेंट की फाइल उड़ाने में कामयाब हो गए। एग्रीमेंट के पेपर हाथ में आते ही अराव ने अपस्यु को वहां से निकलने के लिए खिंचा। लेकिन एग्रीमेंट ढूंढ़ने के चक्कर में अपस्यु के हाथ एक कमाल कि डायरी लग गई। अपस्यु कुछ देर रुकने का संकेत दिया और उस डायरी के सारे पन्नों को अपने मोबाइल के कमरे में पैक कर लिया।

काम होते ही निकालने का इशारा मिला। इस्तमाल हुई गाडियां अलग अलग मेट्रो स्टेशन के पार्किंग में लगाकर आरव और अपस्यु मेट्रो से होटल ताज पैलेस के पास पहुंचे वही कुंजल बीएमडब्लू को लेकर होटल ताज पैलेस पहुंच गई।

तीनों ताज के बाहर मिले और वहीं से फिर अंदर सिन्हा जी के फैमिली डिनर पार्टी पर चले गए। एक पूरा हॉल एरिया ही बुक था जहां कुछ और गेस्ट भी थे। अपस्यु को देखकर सिन्हा जी अपने एक गेस्ट को छोड़कर उससे मिलने चले गए।

सिन्हा:- कातिल दिखने लगे हो तुम तो। यहां की लड़कियों का आकर्षण तुम ही हो। अपस्यु:- अरे अरे अरे… सर जी हुआ क्या है…

"हेल्लो हैंडसम, कहां रहते हो आजकल, कोई मुलाकात ही नहीं। डैड बता रहे थे कि तुम दिल्ली शिफ्ट हो गए"… पीछे से सिन्हा जी की बेटी "ऐमी" अपनी बात कहती वहीं खड़ी हो गई।

अपस्यु और सिन्हा जी के बीच कुछ नजरों का इशारा हुआ और अपस्यु, आरव की ओर देखने लगा…. "तुम दोनों बातें करो मैं आया".. और इतना कहकर सिन्हा जी आरव और कुंजल के पास पहुंच गए।.. इधर अपस्यु, ऐमी को हां में जवाब देकर इधर- उधर देखने लगा..

ऐमी:- दिल्ली आए फिर भी कोई मुलाकात नहीं।
अपस्यु:- थोड़ा व्यस्त चल रहा था ऐमी इसलिए नहीं मिल पाया। अब तो यहीं हूं मुलाकात होते रहेगी। वैसे मैंने सुना था तुम यूएस जा रही थी वो क्या करने..
ऐमी:- बैचलर इन म्यूजिक
अपस्यु:- हां वही।
ऐमी:- नहीं जा सकी यार। डैड ने कहा म्यूजिक ही सीखना है तो यहीं सीख लो। यूएस घूमने के लिए तुम्हे वहां पढ़ने कि क्या जरूरत है.. जाओ जितने दिन तक मन हो घूम आओ..
अपस्यु:- गई थी फिर घूमने..
ऐमी:- येस.. 2 महीने का यूरोप टूर और 1 मंथ का यूएस.. लास वेगास क्या जगह है यार.. मज़ा आ गया।
अपस्यु:- तो पापा को बोलकर वहीं सैटल हो जाना था ना।
ऐमी:- नाइट लाइफ ही बढ़िया है। डे लाइफ तो बोरिंग है यार। वहां की लाइफ में वो थ्रिल और एडवेंचर नहीं जो यहां की लाइफ में है। हां घूमने के लिए मस्त जगह है पर रहने के लिए… अपने इंडिया से बेस्ट कोई जगह नहीं।
"क्या बातें हो रही है तुम दोनों में"… सिन्हा जी काम निपटाकर उनके बीच पहुंचे..
ऐमी:- कुछ नहीं डैड वो वर्ल्ड टूर वाली बातें चल रही थी...
अपस्यु:- ठीक है ऐमी, सर, अब मैं चलता हूं।
ऐमी:- डैड ये अपस्यु कितना बदल गया है ना.. पहले पार्टी खत्म होने तक रुकता था.. आज आया और जा रहा है।
सिन्हा जी:- कोई काम होगा बेटा, इसलिए जा रहा है।

अपस्यु ने फिर ज्यादा बातें नहीं बनाया और वहां से दोनों को अलविदा कहकर तीनों भाई बहन निकल गए। तीनों अपने कार में सवार होकर तेज म्यूजिक बजाया और कार अपनी रफ्तार से निकाल पड़ी "किट्टी सु" पब।

पब के अंदर पहुंचते ही तीनों बार काउंटर पर पहुंचे.. सब कुछ भूल कर मस्ती में 4 टकीला शॉट लगाया और डीजे की धुन पर थिरकने लगे। अपस्यु थोड़ी देर नाचने के बाद बार काउंटर पर बैठ गया और कॉकटेल का आंनद लेते दोनों को मस्ती में नाचते हुए देखने लगा। उन्हें नाचते देख अपस्यु मुस्कुरा भी रहा था और कॉकटेल का मज़ा भी लेे रहा था।

तीनों ने वहां खूब मस्ती की, पार्टी रात के 11:30 बजे तक चली उसके बाद तीनों वापस से फ्लैट पहुंचे। आरव और कुंजल कुछ ज्यादा ही पी लिए थे इसलिए वो दोनो आते ही सो गए और अपस्यु खिड़की के बाहर झांक कर सहर की रौशनी को देख रहा था।

"छपाक- छपाक"… श्वंस अंदर ही अटकी राह गई और आरव और कुंजल चौकते हुए उठकर बैठ गए।

"पास में नींबू पानी रखा है, पियो और जल्दी से रेडी हो जाओ"… अपस्यु ने दोनों को जगाते हुए कहा। आधे घंटे बाद दोनों तैयार होकर आए तब तक दोनों का नाश्ता भी लग चुका था। ..

अपस्यु:- मैंने कल रात सोच लिया..
अराव:- क्या सोच लिया..
अपस्यु:- कुंजल रिहैब सेंटर जाएगी।
कुंजल:- भाई नहीं.. प्लीज.. देखो कल रात मैंने कहां कुछ भी लिया।
अपस्यु:- एक बार का नशेड़ी हमेशा का नशेड़ी
कुंजल:- जी नहीं … मैं एडिक्ट नहीं हूं।
आरव:- प्रूफ करो।
कुंजल:- कैसे प्रूफ करना होगा।
अपस्यु:- 15 दिन रोज सुबह ब्लड टेस्ट…
कुंजल:- ठीक है मुझे मंजूर है।

"चलो फिर बैग पैक करो। और हां मां को आज मैं चिल्ड्रंस केयर घुमाने ले जा रहा हूं, तो जबतक हम लौटे, कुंजल को सभी बुनियादी बातें बताकर ट्रेनिंग का आइडिया दे देना। कल सुबह से इसकी ट्रेनिंग शुरू होगी।"… अपस्यु अपना बैग पैक करते हुए बोला।

सुबह के तकरीबन 11 बज रहे थे। नंदनी और अपस्यु दोनों सुनंदा चिल्ड्रंस केयर पहुंचे। जैसे ही अपस्यु वहां के कैंपस में पहुंचा सभी दौड़े चले आए।.... अपस्यु उनके साथ थोड़ी देर तक बात किया फिर नंदनी को लेकर वहां की सारी व्यवस्था दिखाने लगा। वहां रहने वाले सभी बच्चे नंदनी को अपना-अपना कमरा दिखाने लगे। वहां उनका रहन-सहन देखकर नंदनी काफी खुश हुई।

सबके कमरे घूमने के बाद अपस्यु जैसे ही गैलरी में आया.. सामने से वैभव दौड़ता हुआ आया और अाकर सीधा नीचे बैठ गया। उसे देखते ही अपस्यु मुस्कुराने लगा और खुद तो बैठा ही साथ में नंदनी को भी बैठने का इशारा किया..

वैभव:- भैय्या… (थोड़ा सांस लिया)… भैय्या… (फिर सांस लिया)
अपस्यु:- रुक जा बाबा.. पहले पूरा सांस लेले फिर बोल…
"इक मिनट".. बोलकर वैभव अपने सीने पर हाथ रखकर अपनी सासें सामान्य करते हुए… "भैय्या यहां मन नहीं लगता है। बस स्कूल से कैंपस और कैंपस से स्कूल होता रहता है। यहां तो कहीं बाहर भी नहीं जा सकते और तो और इतना बड़ा ग्राउंड भी नहीं है कि खेल सकते है।"

अपस्यु:- बाप रे इतनी ज्यादा प्रॉबलम।
वैभव:- और नहीं तो क्या? अगर ऐसा ही चलता रहा तो हम तो खेलना ही भूल जाएंगे।
अपस्यु:- आप इनसे मिले.. ये देखिए मेरी मां अाई हैं।
विभव:- मां .. वो जो आप ने उस दिन फिल्म में दिखाया था वैसा ही ना।
नंदनी:- इधर अा जाओ… मै यहां नहीं थी ना इसलिए आपने फिल्मों में ही मां को देखा है। अब मै अा गई हूं ना तो आप को मां कहीं और ढूंढनी नहीं पड़ेगी।
वैभव:- सच्ची में…
नंदनी:- हां बिल्कुल सच्ची।

वैभव ने नंदनी के गालों पर किस किया और वो फिर से भाग गया खेलने के लिए। नंदनी, वैभव को सुनकर काफी खुश हुई फिर वहां से दोनों आफिस में पहुंचे… वहां के सारे स्टाफ और सुपरवाइजर से मिलने के बाद दोनों शाम के 6 बजे तक लौट आए।

नंदनी बहुत खुश नजर आ रही थी। वो अपने सभी बच्चों के साथ बैठकर चिल्ड्रंस केयर का अपना अनुभव साझा करने लगी। अपस्यु और आरव भी वहां के कुछ खट्टे-मीठे यादें साझा करने लगे। रविवार का खुशहाल परिवारिक माहौल चलता रहा और सब बैठकर एक दूसरे की खिचाई और बातचीत में मशगूल थे।

परिवार के साथ वक़्त कैसे बीता पता भी नहीं चला। बात करते-करते शाम गुजर गई और बात करते-करते सभी सो भी गए, किंतु अपस्यु अब भी जाग रहा था। अपनी सोच में डूबा वो देर रात 2 बजे बालकनी से फिर से वो झरोखा एक बार देखा… उसके चेहरे पर एक संतोषजनक मुस्कान थी और चंद दिल के अल्फ़ाज़…


रूप आकर्षण में जो मोह गया मन
सो प्रेम परिभाषित कहां से होय ।
हृदय संग जो प्रीत का मेल भय

फिर रूप मोह रहा ना कोय ।।

(जो किसी के रूप को देख कर आकर्षित हो जाए, उसे सच्चे प्रेम की कल्पना नहीं करनी चाहिए। और जहां दिल से दिल मिल जाते हैं, फिर रूप रंग कोई मायने नहीं रखता)
Everyone worked together very accurately and this mission was also completed, at first I thought there would be some problems in this work, but from reading the update it seems that the task was very easy.
A new character has appeared in the story, Ami. why Apasyu and Aarav are not happy to meet Ami. Well let's see what her role is.
Kunjal's position depends on her mental state. The fund goes to the care of children, it is a good thing, it also helps a lot and it is good.
What was in the diary that Apasyu took pictures on mobile? From the balcony, Apasyu is watching the moon.
रूप आकर्षण में जो मोह गया मन
सो प्रेम परिभाषित कहां से होय ।
हृदय संग जो प्रीत का मेल भय
फिर रूप मोह रहा ना कोय ।।

Lovely...?

As always the update was great, You are writing very well, Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story.

Thank You...
???
 

Chinturocky

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बहुत ही बेहतरीन और संयत प्रतिक्रिया अपस्यु की।
संबंध भी नही बिगडा़ और सबक भी मिल गया।
देखना है सांची कैसे मनाति है अपस्यु को?
कुंजन का इलाज भी कैसे होता है?
 

rgcrazyboy

:dazed:
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ek jhagade ke baad love story shuru se shuru hogi.
to is ka kya matalb nikalta hai yaha pahle wali love story main nadani jada the kya ek taraf se. :dazed:
ab lagata hai ki aage kuch dhamal hoga love story main. :)
 

THE FIGHTER

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जो अपस्यु ने सीधे और सरल भाषा में उत्तर दिया है हमें बहोत भाया ये
कुछ अलग तो नहीं था इस पाठ में फिर भी इसे हम ८ अंक दे देते है
२ अंक इसलिए काटे जो कि ये पाठ बाहोत सीधे और सरल तरीके में लिखा गया है सिवाय साची और अपास्यू के बीच जो संभाषण हुआ उसके अलावा कुछ खास ना था
चलो कोई बात नहीं एखाद पाठ ऐसे सरल सीधे तरीके से निकाल जाता है
 

rgcrazyboy

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जो अपस्यु ने सीधे और सरल भाषा में उत्तर दिया है हमें बहोत भाया ये
कुछ अलग तो नहीं था इस पाठ में फिर भी इसे हम ८ अंक दे देते है
२ अंक इसलिए काटे जो कि ये पाठ बाहोत सीधे और सरल तरीके में लिखा गया है सिवाय साची और अपास्यू के बीच जो संभाषण हुआ उसके अलावा कुछ खास ना था
चलो कोई बात नहीं एखाद पाठ ऐसे सरल सीधे तरीके से निकाल जाता है

ऐ सा ना बोलने का नहीं तो नैनू गोली मार देगा :dazed:
 
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