pawankamdev123
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गजब हो गया भाई... राय साहब का काला नकाब तो भाभी ने एक पल में उतार दिया... इसका मतलब राय साहब बहुत रंगीले है... क्या ये बातें अभिमानु को पता है...
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mera andaza sahi nikla Ray sahab hi champa ke bache Ka Baap nikla. Pr sochne wali baat ye hai ki bhabhi ko ye sb kaise pta.? OR jab pta tha toh kabir ko pehle Kyo nhi btaya or ab kyo btaya woh bhi belt se. Dhulaai krke ye baat hazam nhi ho rhi. Kya bhabhi ka iske piche koi swarth hai.? Bhabhi ko kabir or chachi ke Bare me pta hai. Chachi Zrur Ray sahab se bhi chudti hogi. Ab sawal ye bhi uthta hai ki chachi itna easily kabir se kaise chud gai Kya iske piche bhi. Ray sahab ka hath hai jisse Ray sahab ka jb bhed khule tb kabir ko blackmail kr ske same champa pe bhi apply hota hai. Sawal to ye bhi uthta hai ki Kya kabir ke chacha ke gayab hone ke piche kahin Ray sahab ka hath to nhi.?? Ray sahab jb champa ko shikar bna skte hai Toh Kya Ray sahab ne bhabhi pe try nahi kiya hoga.? Bhabhi ke baaton me kuch Rahsya hai jb bhabhi ne kaha ke ghar ke andhere Ke samne ujalon se nfrt Ho jayega. Agr bhabhi Ray sahab ke kabu nhi aai Toh Kya kabir ka frz nahi bnta ki woh bhabhi ko bache ka sukh de... Dekhte hai ane wale pal me or kya-2 dekhne ko milega#
जब भाभी का दिल भर गया तो उन्होंने बेल्ट फेक दी और मुझे अपने सीने से लगा कर रोने लगी. रोती ही रही. जिन्दगी में पहली बार मैंने भाभी की आँखों में आंसू देखे.
भाभी- किस मिटटी का बना है तू
मैं- तुम जानो तुम्हारी ही परवरिश है
भाभी- इसलिए तो मैं डरती हूँ . तेरी नेकी ही तेरे जी का जंजाल बनेगी
मैं- जब जानती हो तो फिर क्यों करती हो ये सब
भाभी- क्योंकि तू झूठ पे झूठ बोलता है . तू ही कहता है न की मैं भाभी नहीं माँ हु तेरी और तू उसी माँ से झूठ बोलता है . तू नहीं जानता तू किस चक्रव्यूह में उलझता जा रहा है . तू सोचता है की तू जो कर रहा है भाभी को क्या ही खबर होगी. मैं तुझे समझाते हुए थक गयी की नेकी अपनी जगह होती है और चुतियापा अपनी जगह .
मैं-काश आप मुझे समझ सकती
भाभी- मैं तुझसे समझ सकती . अरे गधे , होश कर . खुली आँखों से देख दुनिया को. तुझे क्या लगता है भाभी पागल है जो तेरे पीछे पड़ी है . तू जो भी कर रहा है सब कुछ जानती हूँ मैं . सब कुछ . जो राह तूने चुनी है उस पर तुझे कुछ नहीं मिलेगा धोखे के सिवाय. जो भी रिस्तो के दामन तू थाम रहा है सब झूठे है . मक्कारी का चोला है सब के चेहरे पर यही तो तुझे समझाने की कोशिश कर रही हु मैं.
मैं- मैं बस अपनी दोस्ती का फर्ज निभा रहा हूँ
भाभी- फर्ज निभाने का मतलब ये नहीं की आँखों पर पट्टी बाँध ली जाये.
मैं- मतलब
भाभी- जिसके लिए तूने इतना बड़ा कदम उठा लिया. मुझसे तक तू झूठ बोला जिसके पाप का बोझ अपने सर पर तूने उठा लिया उस से जाकर एक बार ये तो पूछ की किसका है वो .
मैं- मुझे जरूरत नहीं मैं उसे और शर्मिंदा नहीं करना चाहता
भाभी- य क्यों नहीं कहता की तुझमे हिम्मत नहीं है तू उस सच का हिस्सा तो बनना चाहता है पर जानना नहीं चाहता उस सच को .
मैं- तुम जानती हो न सब कुछ बता दो फिर.
भाभी- जानता है पीठ पीछे ये दुनिया मुझे बाँझ कहती है . पर मैंने कभी बुरा नहीं माना क्योंकि अभिमानु कहता है कबीर इस आँगन में है तो हमें औलाद की क्या जरूरत . तू कभी नहीं समझ पायेगा मुझे कितनी फ़िक्र है तेरी. पराई लाली के लिए जब तुझे गाँव से लड़ते देखा तो तेरे मन के बिद्रोह को मैंने पहचान लिया था . उसी पल से मैं हर रोज डरती हूँ , मैं जानती हूँ तुझे . तुझ पर बंदिशे इसलिए ही लगाई क्योंकि मुझे डर है की तू किसी का हाथ अगर थाम लेगा तो छोड़ेगा नहीं और फिर वो घडी आएगी जो मैंने उस दिन देखि थी . अपने बच्चे को उस हाल में कौन देख पायेगी तू ही बता.
मैं खामोश रहा
भाभी- तूने एक बार भी चंपा से नहीं पूछा की उसके बच्चे का बाप कौन है . ये तेरी महानता है पर तुझे मालूम होना चाहिए . तू हिम्मत नहीं करेगा उस से पूछने की , उसे रुसवा करने की पर इतना तो समझ की दोस्ती का मान तभी होता है जब वो दोनों तरफ से निभाई जाए.
मैं- तुम तो सब जानती हो तो फिर तुम ही बता दो न कौन है वो सक्श
भाभी ने एक गहरी साँस ली और बोली- राय साहब
भाभी ने जब ये कहा तो हम दोनों के बीच गहरी ख़ामोशी छा गयी . ये एक ऐसा नाम था जिस पर इतना बड़ा इल्जाम लगाने के लिए लोहे का कलेजा चाहिए था .और इल्जाम भी ऐसा था की कोई और सुन ले तो कहने वाले का मुह नोच ले.
मैं- होश में तो हो न भाभी
भाभी- समय आ गया है की तू होश में आ कबीर और आँखे खोल कर देख इस दुनिया को. जानती हु परम पूजनीय पिताजी पर इस आरोप को सुन कर तुझे गुस्सा आएगा पर मैं तुझे वो काला सच बता रही हूँ जो इस घर के उजालो में दबा पड़ा है .
मैं- मैं नहीं मानता . तुम झूठ कह रही हो .
भाभी- ठीक है फिर तुम्हारे और चाची के बीच जो रिश्ता आगे बढ़ गया है कहो की वो भी झूठ है .
भाभी ने एक पल में मुझे नंगा कर दिया . भाभी मेरे और चाची के अवैध संबंधो के बारे में जानती थी .
मै चुप रहा . कुछ कहने का फायदा नहीं था .
भाभी- कहो की जो मैं कह रही हूँ झूठ है .
मैं सामने खिड़की से बाहर देखने लगा.
भाभी- मैंने तुमसे इस बारे में कोई सवाल नहीं किया क्योंकि चाची की परवाह है तुम्हे पर वकत है की तुम्हे अब फर्क करना सीखना होगा.
मैं- राय साहब बेटी समझते है चंपा को
भाभी- तू जाकर पूछ चंपा से तेरी दोस्ती की कसम दे उसे . तुझे जवाब मिल जायेगा
मैं- क्या चाची के भी पिताजी से ऐसे सम्बन्ध है
भाभी- ये चाची से क्यों नहीं पूछते तुम
मैं- मेरे सर पर हाथ रख कर कहो ये बात तुम भाभी
भाभी मेरे पास आई और बोली- तू रातो के अंधेरो में भटकता है एक बार इस घर के अंधेरो में देख तुझे उजालो से नफरत हो जाएगी.
मैं- और निशा, उसका क्या तुम्हारी वजह से वो छोड़ गयी मुझे
भाभी- उसे जाना था . वो जानती है एक डाकन और तेरा कोई मेल नहीं
मैं- जी नहीं पाऊंगा उसके बिना
भाभी- तो फिर मरने की आदत डाल ले.
मैं- मोहब्बत की है मैंने निशा से उसे भूल जाऊ ये हो नहीं सकता .
भाभी- दुनिया में कितनी हसीना है . एक से बढ़ कर एक तू किसी पर भी ऊँगली रख मैं सुबह से पहले तेरे फेरे करवा दूंगी.
मैं- तुम समझ नहीं रही हो भाभी . तुम समझ सकती ही नहीं भाभी
भाभी- मैं समझना चाहती ही नहीं क्योंकि मुझमे इतनी शक्ति नहीं है की अपने बच्चे को ज़माने से लड़ते देखू.
भाभी उठ कर चली गयी मेरे मन में ऐसा तूफान छोड़ गयी जो आने वाले समय में सब कुछ बर्बाद करने वाला था . सारी दुनिया के लिए पूजनीय, सम्मानीय मेरा बाप अपनी बेटी की उम्र की लड़की को पेल रहा था . पर सवाल ये था की अगर चंपा को राय साहब ने गर्भवती किया था तो फिर वो पिताजी से मदद क्यों नहीं मांगी .....................कुछ तो गड़बड़ थी .
कबीर चंपा का एक अच्छा दोस्त हैं इसलिए उसे चंपा की परवाह है उसे पता है कि इन बातो का पता चला तो क्या होगा कबीर ने भईया से पैसे चंपा का बच्चा गिराने के लिए ही लिए है वह शहर में जाकर ये काम करेगा ताकि किसी को भी इसका पता ना चले#49
चंपा- कौन था ये और तुझे कैसे जानता है
मैं- लम्बी कहानी है तू सुन नहीं पायेगी मैं बता नहीं पाउँगा
चंपा- तेरे सामने उसने मुझे पकड़ा तेरा खून नहीं खौला इतना निर्मोही हो गया तू
मैं- खून तो मेरा उस दिन से खौल रहा है . खून तो मेरा तब से उबल रहा है जब से मुझे मालूम हुआ की तेरे पेट में बच्चा है . ये तेरी खुशकिस्मती है जो मैं शांत हूँ, रही बात उस सूरजभान की तो मैं जानता हु मैं क्या कर सकता हूँ इसलिए खुद को रोका है .एक बार बेकाबू हुआ था आज तक पछतावा है मुझे. मेरे मन में बहुत सवाल है चंपा इतने की मैं पूछता रहूँगा तू जवाब देते देते थक जाएगी. फ़िलहाल मेरी इच्छा है की किसी तरह तेरा ब्याह हो जाये और तू यहाँ से राजी ख़ुशी निकल जाये मैं नहीं चाहता की एक और लाली की लाश पेड़ पर टंगी मिले.
चंपा फिर कुछ नहीं बोली. तनहा दिल लिए हम दोनों वापिस घर आये. मैंने उस से चाय बनाने को कहा और हाथ मुह धोनेचला गया . चबूतरे पर बैठ कर मैं चुसकिया ले रहा था की भैया आ गए.
मैं- आपसे मिलने की ही सोच रहा था मैं .
भैया- हाँ छोटे बता क्या कहना था .
मैं- मुझे कुछ पैसे चाहिए थे .
भैया ने दस दस के नोटों की गद्दी निकाली और मुझे दे दी .
मैं- पचास वाली की जरूरत है भाई
भैया ने एक बार मेरी तरफ देखा और बोले- हाँ क्यों नहीं
भैया ने बड़े नोटों की गद्दी मुझे दी.
मैं- एक बात पूछनी थी
भैया- पहेलियाँ क्यों बुझा रहा है जो मन में है सीधा कह न
मैं- सूरजभान से माफ़ी मांगने की क्या जरुरत आन पड़ी थी आपको . आप जानते है की मेरा भाई मेरा गुरुर है और मेरी वजह से मेरे भाई को झुकना पड़े ये बर्दाश्त नहीं होगा मुझे
भैया- तू भी न छोटी छोटी बातो को दिल से लगा लेता है . हम व्यापारी आदमी है . हमें अपना रसूख देखना है हम लोग समय आने पर लोगो को झुकाते है . एक बार बात आई गयी करने के हमें भविष्य में फायदे मिलेंगे.
भैया झूठ बोल रहे थे मैं एक पल में जान गया था . मेरा भाई , मेरा बाप जिनके आगे दुनिया झुकती थी वो किसी के आगे हाथ जोड़ दे. मामला कुछ और ही था . पर मैं भैया के आगे कुछ नहीं बोला.
मैं- भैया , वो चंपा की तबियत कुछ ठीक नहीं है आप की आज्ञा हो तो मैं उसे शहर के डॉक्टर को दिखा लाऊ
भैया- ये कोई पूछने की बात है . जायेगा तो तेरा कन्धा भी दिखा आना
मैंने हाँ में सर हिलाया . तभी भाभी ने भैया को आवाज दी तो वो चले गए .
मेरा दिल कर रहा था की मैं मंगू से पुछु पर चाह कर भी हिम्मत नहीं कर पाया. अँधेरा घिरने लगा था मैंने शाल ओढा और अलाव जला कर बैठ गया . सामने बहुत सी समस्या थी सूरजभान ने मेरी फासले डुबाने को नहर तोड़ दी. मेरे साथ और भी गाँव वालो का नुकसान हुआ था . मैंने सोचा की इस मामले को पांच गाँवो की महापंचायत में उठाऊ पर सूरजभान धूर्त था वो साला साफ़ मुकर जाता और मेरे पास सबूत नहीं था .
जमीनों की रखवाली के लिए मजदुर लगा नहीं सकता था क्योंकि उस हमलावर के खौफ से कोई तैयार नहीं था जान सबको प्यारी थी. आज से चांदनी राते शुरू हो रही थी जितने भी हमले हुए थे इन चांदनी रातो में हुए थे . क्या ये सिलसिला फिर से शुरू होगा ये सोच कर मेरी झुरझुरी छूट गयी .
“खाने में क्या बनाऊ कबीर ” चंपा ने मुझसे पूछा तो मेरी तन्द्रा टूटी.
मैं- भूख नहीं है
चंपा मेरे पास बैठी और बोली- जानती हु तू मेरी वजह से परेशां है .
मैं- तेरी वजह से क्यों परेशां होने लगा मैं. मुझे और भी बहुत समस्या है .
चंपा- तेरा हक़ बनता है मुझसे नाराज होने का .
मैं- मेरे हक़ की बात करती है तू . मेरा हक़ था तेरी दोस्ती का मैं अपनी दोस्ती निभा रहा हूँ. मरते दम तक निभाऊंगा .
सर में दर्द हो रहा था तो मैं बिस्तर में घुस गया . न जाने कितनी देर बाद मेरी आँख खुली . कमरे में घुप्प अँधेरा था . प्यास के मारे गला सूख रहा था . मैं पानी के लिए मटके के पास गया . पानी पी ही रहा था की मुझे लगा खिड़की पर कोई है . इतनी रात में हमारी खिड़की पर कौन हो सकता है . मैंने चुपचाप दबे पाँव दरवाजा खोला और खिड़की के पास गया . वहां कोई नहीं था सिवाय सन सनाती सर्द हवा के.
मैं अच्छी तरह से जानता था की मेरा वहम तो कतई नहीं था . चूँकि आज बिजली नही थी तो मुझे दिक्कत हो रही थी अँधेरे में देखने के लिए. तभी भैंसों की चिंघाड़ से मेरे कान सतर्क हो गए. मैं तुरंत उस तरफ भागा ये हमारे पड़ोसियों का तबेला था . मैंने देखा की तबेले का दरवाजा खुला हुआ था और अन्दर एक भैंस दर्द से बिलख रही थी उस पर कोई झुका हुआ था .
“बस बहुत हुआ . बहुत खून पी लिया तूने अब और नहीं ” मैंने कहा
वो जो भी था उसने पलट कर मुझे देखा और उसकी लाल आँखे मुझे ऊपर से निचे तक देखने लगी.
“तू जो भी है जैसा भी है . मैं उम्मीद करता हूँ की तू मेरी बात समझ रहा होगा. आज मैं तुझे जाने नहीं दूंगा. आज की रात तू मुझसे मुकाबला कर या तो तू नहीं या मैं नहीं ” मैंने जोर देकर कहा.
वो शक्श दो पल मेरे करीब आकर मुझे देखता रहा और फिर उसने दूसरी तरफ छलांग लगा ही दी थी की मैंने उसका हाथ पकड़ लिया
मैं- नहीं . बिलकुल नहीं .
मै पहले ही गुस्से से भरा था ऊपर से इसकी ही तो तलाश थी मुझे . इसे अगर आज जाने देता तो फिर ये किसी न किसी को मारता . मैंने खीच कर मुक्का उसकी नाक पर मारा . वो कुछ कदम पीछे सरका और अगले ही पल उसने मेरी गर्दन पकड़ ली. उसकी मजबूत पकड़ मेरी सांसो को रोकने लगी. मैं छुटने की भरपूर कोशिश कर रहा था पर नाकामी ही मिली मैंने उसके पेट पर लात मारी उसने मुझे हवा में फेंक दिया.
पर आज मैं कोई मौका उसे नहीं देना चाहता था . मैंने उसका पैर पकड़ा और उसे पीछे की तरफ खींचा . इसी बीच उसके नाखून मेरी शर्ट को फाड़ गए. वो भागता इस से पहले ही मैंने उसे पटक दिया. तबेले का दरवाजा जोर की आवाज करते हुए टूट कर बिखर गया. हम दोनों गली में आ गए. वो उठ खड़ा हुआ उसने अपने कंधे चटकाए और दो तीन मुक्के मारे मेरे सीने पर. मुझे महसूस हुई उसकी ताकत .
पर आज कबीर ने ठान लिया था की इस किस्से को यही ख़त्म करना है .
मैं- चाहे जितनी कोशिश कर ले आज या तो तू नहीं या मैं नहीं.
इस बार मैंने उसे उठा कर फेंका तो वो बैलगाड़ी के पहिये में लगे लोहे के टुकड़े से जा टकराया. जोर से चीखा वो .
मैं- जिनको तूने मारा वो भी ऐसे ही चीखे होंगे न.
मैं उसके पास गया और उसके पाँव को मरोड़ने लगा. पर तभी साला गजब ही हो गया.
फौजी भाई की लेखनी की यही तो ताकत है कि जब लोग कहानी को नीरस समझने लगते हैं, तभी झटका लगता है।Fauji bhai... Itna bada jhatka de diya ek pal mein hi... Shyad main glt the... Bhabhi ko kabir ki fikar hai... Shayd wo isliye itna kathore ho gyi hai... Bss ek kaam krna... Bhabhi or kabir ka rishta hmesha majbut rhe... Koi taqat unke beech ki vishwas pyar or bharosa na tod paye... Shandar
पक्का राय साहब कुछ बड़ा करने वाले हैं कबीर के साथ, तभी चाची को चारा बना कर फेका गया है।its not easy to review or comment on this fiery, dramatic and shocking updates
bhabhi ne to story ko poora palat ke rakh diya aur ray sahib ke to kya hi kehne chmapa ko pregnant kiya aur chachi se bhi pakka relation zaroor hoga to kya chachi, champa mil kar kabir ko use karti rahi hain ?
bhabhi ne bacha liya kabir ko nahi to champa aur chachi pata nahi kis sazish mein kabir ko fasa deti aur abhi to mangu ka bhi role kuch clear nahi hai ki wo bhi es sazish me shamil hai ki nahi ?
vaid aur abhimanu ka kya relation hai aur abhimanu ki married life bhi thik nahi hai ? kuch naa kuch behind scnes en dono ke beech mein lafda hai ?
itni thrilling story hai ki ek secret khulta hai to 4 aur secret khade ho jate hain bhai manish maan gaye you are master of keep readers guessing update after update
Another million dollar question is kya rai sahib apni bahu ko bhi use karta hai ?
Pregnancy hone ke bawjud champa ne rai sahib se help kyon nahi li kya wo kabir ko mohra bana ke fasana chahti thi ?
mujhe ye kahani kbhi niras lgi hi nhi...bss kbhi kbhi bhabhi ji ka behavior ajeeb lga... par aaj smjh aaya ki wo aisa apne kaleje ke tukde ki hifajat ke liye kr rhi haiफौजी भाई की लेखनी की यही तो ताकत है कि जब लोग कहानी को नीरस समझने लगते हैं, तभी झटका लगता है।