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Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

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Riky007

उड़ते पंछी का ठिकाना, मेरा न कोई जहां...
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Avinashraj

Well-Known Member
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की तभी गजब हो गया. बिजली की रौशनी से मेरी आँखे चुंधिया गयी. और उसी एक पल में उस हमलावर ने मुझे धक्का दिया और ऐसे गायब हो गया जैसे की वो था ही नहीं. एक बार फिर मैं खाली हाथ रह गया. गुस्से से मैंने धरती पर लात मारी . पर ये अपनी खीज मिटाना ही था . इस बार मैंने लगभग पकड़ ही लिया था उसको.

“कब तक बचेगा तू ” मैंने खुद को दिलासा दिया. और एक महत्वपूर्ण बात और मेरे मन में आई की आज वो कुछ कमजोर सा लगा मुझे. खैर, सुबह मुझ शहर जाना था चंपा के साथ. मैं तैयार हो रहा था की मंगू आ गया. मैंने देखा वो कुछ लंगडाकर चल रहा था .

मैं- क्या हुआ बे

मंगू- भाई कल छप्पर की छत बाँध रहा था तभी गिर गया तो चोट लग आगयी

मैंने गौर किया जब मैंने उस हमलावर को बैलगाड़ी के पहिये पर फेंका था तो उसे भी ऐसी ही चोट लगी थी. तो क्या मंगू हो सकता था वो . मेरे दिमाग में शक सा होने लगा था .

मैं- तो रात को किसने कहा था छत बाँधने के लिए

मंगू- रात को कहा मैं तो दोपहर में कर रहा था ये काम

हो सकता था की वो झूठ बोल रहा हो . हम बात कर ही रहे थे की मैंने देखा भैया-भाभी कही जा रहे थे .

मैं- सुन मंगू . मुझे मालूम हो गया है की नहर की पुलिया कैसे टूटी थी . आगे से हमें इंतजाम करना होगा की यदि ऐसी कोई भी घटना हो तो पानी खेतो तक न आ सके.

मंगू- हम क्या कर सकते है . इतने पानी को कैसे रोका जाए

मैं कुछ न कुछ तो उपाय होगा ही .

मंगू- भाई. मैं देख रहा हूँ की पिछले कुछ दिनों से तू कुछ उखड़ा उखड़ा सा रहता है . मुझसे भी ठीक से बात नहीं करता . क्या कोई भूल हुई मुझसे

मैं- मंगू तूने मुझे बताया नहीं कविता के बारे में .

मेरी बात सुन कर मंगू के चेहरे का रंग उड़ गया .उसने एक गहरी साँस ली और बोला- भाई . मैं क्या बताता तुझे. कैसे बताता . लाली का हाल हम सबने देखा ही था न. किसी को भी अगर मालूम हो जाता तो मुझे और कविता को भी ऐसे ही लटका दिया जाता.

मैं- क्या तूने अपने भाई को इस लायक भी नहीं समझा

मंगू- अपनी जान से ज्यादा तुझे मानता हु इसलिए तुझसे छिपाई क्योंकि जानता हु जो लाली जो हमारी कुछ नहीं लगती थी उसके लिए गाँव के सामने अड़ गया मेरे लिए न जाने तू क्या कर जाता. इसी डर से मैं तुझे नहीं बताया भाई .

मुझे समझ नही आ रहा था की मैं मंगू की बात को सही समझू या फिर चंपा की बात को . आख़िरकार मैंने भांडा फोड़ने का निर्णय कर ही लिया .

मैं- कुछ और ऐसा है जो तुझे लगता है की मुझे बताना चाइये

मंगू कुछ नहीं बोला उसने अपना सर झुका लिया. मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला- तू मेरा भाई है . मेरा दोस्त मेरा सब कुछ है तू . एक बात हमेशा याद रखना तेरे साथ हमेशा मैं खड़ा हूँ . खड़ा रहूँगा.

मंगू मेरे गले लग गया और बोला- मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी कबीर

मैं- जानता हु ,और यही समय है भूल को सुधारने का जो हुआ उसे वापिस नहीं किया जा सकता पर आगे से वैसा न हो तो ही हम सब के लिए बेहतर होगा. फिलहाल खेतो के लिए मजदूरो का इंतजाम कर जितने मिले उतने बेहतर . दिन में ही काम के लिए तैयार करना उनको. मुझे खेत तैयार चाहिए जल्दी से जल्दी .

मंगू ने हाँ में सर हिलाया. उसके बाद हम दोनों ने खाना खाया और फिर मैं चंपा के साथ शहर के लिए निकल गया. वहां हम उसी डॉक्टर के पास गए . चूँकि वो जानता था मुझे इसलिए पैसो के जोर से मैंने उसे चंपा के गर्भपात के लिए मना लिया. उसने अपना काम कर दिया और चंपा को कुछ बेहद जरुरी हिदायते भी दी. जब हम वहां से निकल रहे थे की अचानक से भाभी वहां आ टपकी. उसके पीछे पीछे भैया भी थे.

भाभी भी हम लोगो को वहां देख कर चौंक गयी.

भाभी- तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो .

चंपा भाभी को देख कर बुरी तरह से घबरा गयी . चूँकि उसने अभी अभी गर्भपात करवाया था कमजोरी थी और फिर एक औरत दूसरी को भांप ही लेती है .

मैं- शहर आये थे . मैंने सोचा की डॉक्टर साहब से अपना कन्धा भी दिखा देता हूँ.

भैया- ये अच्छा किया तुमने. वैसे यहाँ आने का इरादा था तो हमारे साथ ही आ जाते.

भाभी की नजरे चंपा पर ही जमी थी .पर भैया की वजह से वो कुछ कह नहीं पा रही थी .

भैया- तुम लोग बाहर बैठो हम डॉक्टर से मिलके आते है फिर साथ ही चलेंगे

मेरे लिए एक नयी मुसीबत हो गयी थी . खैर हम बाहर आये.

मैं- चंपा सुन. भाभी को शक हो गया है चाहे कुछ भी हो जाये तू ये मत कबूल करना की हम यहाँ किसलिए आये थे . वर्ना ऐसा तूफान आएगा जो सब कुछ बर्बाद कर देगा.

चंपा- किस्मत ही फूटी है कबीर.

मैं- माँ चुदाय किस्मत . मैं बोल रहा हूँ वो समझ घर जाते ही वो तेरा रिमांड लेगी. वो तुझको तंग करेगी क्योंकि अभी तू कमजोरी महसूस कर रही है वो तुझसे भारी काम करवाएगी. जितना मैं उसे समझता हूँ तुझे देखते ही वो जान गयी है की हम यहाँ किसलिए आई है . और अगर तू टूट भी जाए तो तू अपने बचाव के लिए भाभी के आगे सारा दोष मुझ पर डाल देना. जब कोई रास्ता न बचे तो तू कहना की मैंने जबरदस्ती की थी तेरे साथ .

चंपा- इतनी बेगैरत नहीं हूँ मैं की तेरा यूँ इस्तेमाल करू मैं

मैं- समझ जा . क्या मालूम ये घडी टल जाए वर्ना तेरा हाल भी लाली जैसा ही होगा.



मैं जानता था की भाभी पक्का यही सोचेंगे की मैंने चंपा को पेल दिया . क्योंकि वो शक में इतनी अंधी हो चुकी थी . खैर उन दोनों के आने के बाद हम लोग भैया की गाड़ी में बैठे और घर आ गए. पर भाभी ने वैसा कुछ भी नहीं किया जो मैं सोच रहा था . शाम तक सब ठीक ही था . शाम को चाची ने मुझसे कहा की बहुरानी तुझे बुला रही है , अपने कमरे में .

मैं- मुझसे क्या काम है

चाची- वो ही जाने

मैं उठ कर भाभी के कमरे में गया .

भाभी- चोट कैसी है तुम्हारी

मैं- जी ठीक है

भाभी- मेरे प्यारे देवर जी , चंपा को ऐसा कौन सा रोग हो गया था की तुम उसे सीधा बड़े डॉक्टर के पास लेकर गए .

मैं- ये सवाल जवाब किस लिए भाभी , हम दोनों जानते है इस बात को

भाभी- उफ्फ्फ ये बेशर्मी तुम्हारी जानते हो मैंने अगर तुम्हारे भैया को बता दिया तो क्या होगा

मैं- हम को किसी का डर नहीं

भाभी- तुम डर की बात करते हो मैं चाहूंगी न तो तू थर थर कांप जाओगे.

मैं- चाहे भैया को बता दो. पिताजी को बता दो चाहे सारे गाँव में ढोल बजा दो

अगले ही पल भाभी की उंगलिया मेरे गाल पर छप गयी.

भाभी- उसको तो मैं क्या दोष दू जब हमारा ही खून गन्दा है . मेरी नजरो में गिर गए हो तुम लोग . अरे तुमको अपनी औलाद जैसे पाला मैंने और तुम मेरे ही घर में कचरा फैला रहे हो. जवानी इतनी ही मचल रही थी तो एक बार मुझसे कह तो दिया होता ब्याह करवा देती तुम्हारा . पर ये मत समझना की इस बात को मैं दबा दूंगी. तुम दोनों की खाल उतारूंगी मैं.

“मैं हाजिर हूँ मोहब्बत की सजा पाने को ” मैंने कहा और अगले ही पल भाभी ने भैया की बेल्ट उठाई और मारने लगी मुझे......................
Nyc update bhai
 

Rekha rani

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जबरदस्त अपडेट रहा ये एक दम शॉकिंग, राय साहब ने तो गजब किया हुआ है, दूसरे ने किया तो उसको लटका दिया मारकर, अब जब आमना सामना होगा कबीर से तो अपनी करनी को मानेगे या बेटे को रस्ते से हटाने का सोचेंगे। चाची और चम्पा दोनों चुतिया बना रही है कबीर को, दोनों रॉय साहब से चुदती आ रही थी लेकिन कुछ भी बताया नही।
शायद राय साहब की चाल हो सकती है कि चम्पा को कबीर से चुदने को बोला ताकि वो मालूम होने पर कुछ बोल न पाए, इसलिए ही चाची साथ हो।
अगर राय साहब से चम्पा चुद रही थी तो मंगू दूसरी गलती कोनसी मान रहा था
 

Avinashraj

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#

जब भाभी का दिल भर गया तो उन्होंने बेल्ट फेक दी और मुझे अपने सीने से लगा कर रोने लगी. रोती ही रही. जिन्दगी में पहली बार मैंने भाभी की आँखों में आंसू देखे.

भाभी- किस मिटटी का बना है तू

मैं- तुम जानो तुम्हारी ही परवरिश है

भाभी- इसलिए तो मैं डरती हूँ . तेरी नेकी ही तेरे जी का जंजाल बनेगी

मैं- जब जानती हो तो फिर क्यों करती हो ये सब

भाभी- क्योंकि तू झूठ पे झूठ बोलता है . तू ही कहता है न की मैं भाभी नहीं माँ हु तेरी और तू उसी माँ से झूठ बोलता है . तू नहीं जानता तू किस चक्रव्यूह में उलझता जा रहा है . तू सोचता है की तू जो कर रहा है भाभी को क्या ही खबर होगी. मैं तुझे समझाते हुए थक गयी की नेकी अपनी जगह होती है और चुतियापा अपनी जगह .

मैं-काश आप मुझे समझ सकती

भाभी- मैं तुझसे समझ सकती . अरे गधे , होश कर . खुली आँखों से देख दुनिया को. तुझे क्या लगता है भाभी पागल है जो तेरे पीछे पड़ी है . तू जो भी कर रहा है सब कुछ जानती हूँ मैं . सब कुछ . जो राह तूने चुनी है उस पर तुझे कुछ नहीं मिलेगा धोखे के सिवाय. जो भी रिस्तो के दामन तू थाम रहा है सब झूठे है . मक्कारी का चोला है सब के चेहरे पर यही तो तुझे समझाने की कोशिश कर रही हु मैं.

मैं- मैं बस अपनी दोस्ती का फर्ज निभा रहा हूँ

भाभी- फर्ज निभाने का मतलब ये नहीं की आँखों पर पट्टी बाँध ली जाये.

मैं- मतलब

भाभी- जिसके लिए तूने इतना बड़ा कदम उठा लिया. मुझसे तक तू झूठ बोला जिसके पाप का बोझ अपने सर पर तूने उठा लिया उस से जाकर एक बार ये तो पूछ की किसका है वो .

मैं- मुझे जरूरत नहीं मैं उसे और शर्मिंदा नहीं करना चाहता

भाभी- य क्यों नहीं कहता की तुझमे हिम्मत नहीं है तू उस सच का हिस्सा तो बनना चाहता है पर जानना नहीं चाहता उस सच को .

मैं- तुम जानती हो न सब कुछ बता दो फिर.

भाभी- जानता है पीठ पीछे ये दुनिया मुझे बाँझ कहती है . पर मैंने कभी बुरा नहीं माना क्योंकि अभिमानु कहता है कबीर इस आँगन में है तो हमें औलाद की क्या जरूरत . तू कभी नहीं समझ पायेगा मुझे कितनी फ़िक्र है तेरी. पराई लाली के लिए जब तुझे गाँव से लड़ते देखा तो तेरे मन के बिद्रोह को मैंने पहचान लिया था . उसी पल से मैं हर रोज डरती हूँ , मैं जानती हूँ तुझे . तुझ पर बंदिशे इसलिए ही लगाई क्योंकि मुझे डर है की तू किसी का हाथ अगर थाम लेगा तो छोड़ेगा नहीं और फिर वो घडी आएगी जो मैंने उस दिन देखि थी . अपने बच्चे को उस हाल में कौन देख पायेगी तू ही बता.

मैं खामोश रहा

भाभी- तूने एक बार भी चंपा से नहीं पूछा की उसके बच्चे का बाप कौन है . ये तेरी महानता है पर तुझे मालूम होना चाहिए . तू हिम्मत नहीं करेगा उस से पूछने की , उसे रुसवा करने की पर इतना तो समझ की दोस्ती का मान तभी होता है जब वो दोनों तरफ से निभाई जाए.

मैं- तुम तो सब जानती हो तो फिर तुम ही बता दो न कौन है वो सक्श

भाभी ने एक गहरी साँस ली और बोली- राय साहब

भाभी ने जब ये कहा तो हम दोनों के बीच गहरी ख़ामोशी छा गयी . ये एक ऐसा नाम था जिस पर इतना बड़ा इल्जाम लगाने के लिए लोहे का कलेजा चाहिए था .और इल्जाम भी ऐसा था की कोई और सुन ले तो कहने वाले का मुह नोच ले.

मैं- होश में तो हो न भाभी

भाभी- समय आ गया है की तू होश में आ कबीर और आँखे खोल कर देख इस दुनिया को. जानती हु परम पूजनीय पिताजी पर इस आरोप को सुन कर तुझे गुस्सा आएगा पर मैं तुझे वो काला सच बता रही हूँ जो इस घर के उजालो में दबा पड़ा है .

मैं- मैं नहीं मानता . तुम झूठ कह रही हो .

भाभी- ठीक है फिर तुम्हारे और चाची के बीच जो रिश्ता आगे बढ़ गया है कहो की वो भी झूठ है .

भाभी ने एक पल में मुझे नंगा कर दिया . भाभी मेरे और चाची के अवैध संबंधो के बारे में जानती थी .

मै चुप रहा . कुछ कहने का फायदा नहीं था .

भाभी- कहो की जो मैं कह रही हूँ झूठ है .

मैं सामने खिड़की से बाहर देखने लगा.

भाभी- मैंने तुमसे इस बारे में कोई सवाल नहीं किया क्योंकि चाची की परवाह है तुम्हे पर वकत है की तुम्हे अब फर्क करना सीखना होगा.

मैं- राय साहब बेटी समझते है चंपा को

भाभी- तू जाकर पूछ चंपा से तेरी दोस्ती की कसम दे उसे . तुझे जवाब मिल जायेगा

मैं- क्या चाची के भी पिताजी से ऐसे सम्बन्ध है

भाभी- ये चाची से क्यों नहीं पूछते तुम

मैं- मेरे सर पर हाथ रख कर कहो ये बात तुम भाभी

भाभी मेरे पास आई और बोली- तू रातो के अंधेरो में भटकता है एक बार इस घर के अंधेरो में देख तुझे उजालो से नफरत हो जाएगी.

मैं- और निशा, उसका क्या तुम्हारी वजह से वो छोड़ गयी मुझे

भाभी- उसे जाना था . वो जानती है एक डाकन और तेरा कोई मेल नहीं

मैं- जी नहीं पाऊंगा उसके बिना

भाभी- तो फिर मरने की आदत डाल ले.

मैं- मोहब्बत की है मैंने निशा से उसे भूल जाऊ ये हो नहीं सकता .

भाभी- दुनिया में कितनी हसीना है . एक से बढ़ कर एक तू किसी पर भी ऊँगली रख मैं सुबह से पहले तेरे फेरे करवा दूंगी.

मैं- तुम समझ नहीं रही हो भाभी . तुम समझ सकती ही नहीं भाभी

भाभी- मैं समझना चाहती ही नहीं क्योंकि मुझमे इतनी शक्ति नहीं है की अपने बच्चे को ज़माने से लड़ते देखू.

भाभी उठ कर चली गयी मेरे मन में ऐसा तूफान छोड़ गयी जो आने वाले समय में सब कुछ बर्बाद करने वाला था . सारी दुनिया के लिए पूजनीय, सम्मानीय मेरा बाप अपनी बेटी की उम्र की लड़की को पेल रहा था . पर सवाल ये था की अगर चंपा को राय साहब ने गर्भवती किया था तो फिर वो पिताजी से मदद क्यों नहीं मांगी .....................कुछ तो गड़बड़ थी .
Ye kya gadbad hui nyc update
 

Pankaj Tripathi_PT

Love is a sweet poison
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Suspense hi monopoly hai is story ki bhai. Kabir ka usi samay neend khulna shayad signal hai kisi tarah ka. Ray sahab wala angle sahi pakda aapne
Suspense hai tbhi Story me jaan bhi hai Bhai humen bandh ke rkha hua hai. Ye nind khulne ka connection shayad nisha ji ki dein hai. Ray sahab se yaad aya Kya Ray sahab iss sbke piche hath Kya uss adamkhor narbhkshi ko Ray sahab ka Shay prapt hai? Ya khud Ray sahab hi hai.?
की तभी गजब हो गया. बिजली की रौशनी से मेरी आँखे चुंधिया गयी. और उसी एक पल में उस हमलावर ने मुझे धक्का दिया और ऐसे गायब हो गया जैसे की वो था ही नहीं. एक बार फिर मैं खाली हाथ रह गया. गुस्से से मैंने धरती पर लात मारी . पर ये अपनी खीज मिटाना ही था . इस बार मैंने लगभग पकड़ ही लिया था उसको.

“कब तक बचेगा तू ” मैंने खुद को दिलासा दिया. और एक महत्वपूर्ण बात और मेरे मन में आई की आज वो कुछ कमजोर सा लगा मुझे. खैर, सुबह मुझ शहर जाना था चंपा के साथ. मैं तैयार हो रहा था की मंगू आ गया. मैंने देखा वो कुछ लंगडाकर चल रहा था .

मैं- क्या हुआ बे

मंगू- भाई कल छप्पर की छत बाँध रहा था तभी गिर गया तो चोट लग आगयी

मैंने गौर किया जब मैंने उस हमलावर को बैलगाड़ी के पहिये पर फेंका था तो उसे भी ऐसी ही चोट लगी थी. तो क्या मंगू हो सकता था वो . मेरे दिमाग में शक सा होने लगा था .

मैं- तो रात को किसने कहा था छत बाँधने के लिए

मंगू- रात को कहा मैं तो दोपहर में कर रहा था ये काम

हो सकता था की वो झूठ बोल रहा हो . हम बात कर ही रहे थे की मैंने देखा भैया-भाभी कही जा रहे थे .

मैं- सुन मंगू . मुझे मालूम हो गया है की नहर की पुलिया कैसे टूटी थी . आगे से हमें इंतजाम करना होगा की यदि ऐसी कोई भी घटना हो तो पानी खेतो तक न आ सके.

मंगू- हम क्या कर सकते है . इतने पानी को कैसे रोका जाए

मैं कुछ न कुछ तो उपाय होगा ही .

मंगू- भाई. मैं देख रहा हूँ की पिछले कुछ दिनों से तू कुछ उखड़ा उखड़ा सा रहता है . मुझसे भी ठीक से बात नहीं करता . क्या कोई भूल हुई मुझसे

मैं- मंगू तूने मुझे बताया नहीं कविता के बारे में .

मेरी बात सुन कर मंगू के चेहरे का रंग उड़ गया .उसने एक गहरी साँस ली और बोला- भाई . मैं क्या बताता तुझे. कैसे बताता . लाली का हाल हम सबने देखा ही था न. किसी को भी अगर मालूम हो जाता तो मुझे और कविता को भी ऐसे ही लटका दिया जाता.

मैं- क्या तूने अपने भाई को इस लायक भी नहीं समझा

मंगू- अपनी जान से ज्यादा तुझे मानता हु इसलिए तुझसे छिपाई क्योंकि जानता हु जो लाली जो हमारी कुछ नहीं लगती थी उसके लिए गाँव के सामने अड़ गया मेरे लिए न जाने तू क्या कर जाता. इसी डर से मैं तुझे नहीं बताया भाई .

मुझे समझ नही आ रहा था की मैं मंगू की बात को सही समझू या फिर चंपा की बात को . आख़िरकार मैंने भांडा फोड़ने का निर्णय कर ही लिया .

मैं- कुछ और ऐसा है जो तुझे लगता है की मुझे बताना चाइये

मंगू कुछ नहीं बोला उसने अपना सर झुका लिया. मैंने उसके कंधे पर हाथ रखा और बोला- तू मेरा भाई है . मेरा दोस्त मेरा सब कुछ है तू . एक बात हमेशा याद रखना तेरे साथ हमेशा मैं खड़ा हूँ . खड़ा रहूँगा.

मंगू मेरे गले लग गया और बोला- मुझसे बहुत बड़ी भूल हो गयी कबीर

मैं- जानता हु ,और यही समय है भूल को सुधारने का जो हुआ उसे वापिस नहीं किया जा सकता पर आगे से वैसा न हो तो ही हम सब के लिए बेहतर होगा. फिलहाल खेतो के लिए मजदूरो का इंतजाम कर जितने मिले उतने बेहतर . दिन में ही काम के लिए तैयार करना उनको. मुझे खेत तैयार चाहिए जल्दी से जल्दी .

मंगू ने हाँ में सर हिलाया. उसके बाद हम दोनों ने खाना खाया और फिर मैं चंपा के साथ शहर के लिए निकल गया. वहां हम उसी डॉक्टर के पास गए . चूँकि वो जानता था मुझे इसलिए पैसो के जोर से मैंने उसे चंपा के गर्भपात के लिए मना लिया. उसने अपना काम कर दिया और चंपा को कुछ बेहद जरुरी हिदायते भी दी. जब हम वहां से निकल रहे थे की अचानक से भाभी वहां आ टपकी. उसके पीछे पीछे भैया भी थे.

भाभी भी हम लोगो को वहां देख कर चौंक गयी.

भाभी- तुम लोग यहाँ क्या कर रहे हो .

चंपा भाभी को देख कर बुरी तरह से घबरा गयी . चूँकि उसने अभी अभी गर्भपात करवाया था कमजोरी थी और फिर एक औरत दूसरी को भांप ही लेती है .

मैं- शहर आये थे . मैंने सोचा की डॉक्टर साहब से अपना कन्धा भी दिखा देता हूँ.

भैया- ये अच्छा किया तुमने. वैसे यहाँ आने का इरादा था तो हमारे साथ ही आ जाते.

भाभी की नजरे चंपा पर ही जमी थी .पर भैया की वजह से वो कुछ कह नहीं पा रही थी .

भैया- तुम लोग बाहर बैठो हम डॉक्टर से मिलके आते है फिर साथ ही चलेंगे

मेरे लिए एक नयी मुसीबत हो गयी थी . खैर हम बाहर आये.

मैं- चंपा सुन. भाभी को शक हो गया है चाहे कुछ भी हो जाये तू ये मत कबूल करना की हम यहाँ किसलिए आये थे . वर्ना ऐसा तूफान आएगा जो सब कुछ बर्बाद कर देगा.

चंपा- किस्मत ही फूटी है कबीर.

मैं- माँ चुदाय किस्मत . मैं बोल रहा हूँ वो समझ घर जाते ही वो तेरा रिमांड लेगी. वो तुझको तंग करेगी क्योंकि अभी तू कमजोरी महसूस कर रही है वो तुझसे भारी काम करवाएगी. जितना मैं उसे समझता हूँ तुझे देखते ही वो जान गयी है की हम यहाँ किसलिए आई है . और अगर तू टूट भी जाए तो तू अपने बचाव के लिए भाभी के आगे सारा दोष मुझ पर डाल देना. जब कोई रास्ता न बचे तो तू कहना की मैंने जबरदस्ती की थी तेरे साथ .

चंपा- इतनी बेगैरत नहीं हूँ मैं की तेरा यूँ इस्तेमाल करू मैं

मैं- समझ जा . क्या मालूम ये घडी टल जाए वर्ना तेरा हाल भी लाली जैसा ही होगा.



मैं जानता था की भाभी पक्का यही सोचेंगे की मैंने चंपा को पेल दिया . क्योंकि वो शक में इतनी अंधी हो चुकी थी . खैर उन दोनों के आने के बाद हम लोग भैया की गाड़ी में बैठे और घर आ गए. पर भाभी ने वैसा कुछ भी नहीं किया जो मैं सोच रहा था . शाम तक सब ठीक ही था . शाम को चाची ने मुझसे कहा की बहुरानी तुझे बुला रही है , अपने कमरे में .

मैं- मुझसे क्या काम है

चाची- वो ही जाने

मैं उठ कर भाभी के कमरे में गया .

भाभी- चोट कैसी है तुम्हारी

मैं- जी ठीक है

भाभी- मेरे प्यारे देवर जी , चंपा को ऐसा कौन सा रोग हो गया था की तुम उसे सीधा बड़े डॉक्टर के पास लेकर गए .

मैं- ये सवाल जवाब किस लिए भाभी , हम दोनों जानते है इस बात को

भाभी- उफ्फ्फ ये बेशर्मी तुम्हारी जानते हो मैंने अगर तुम्हारे भैया को बता दिया तो क्या होगा

मैं- हम को किसी का डर नहीं

भाभी- तुम डर की बात करते हो मैं चाहूंगी न तो तू थर थर कांप जाओगे.

मैं- चाहे भैया को बता दो. पिताजी को बता दो चाहे सारे गाँव में ढोल बजा दो

अगले ही पल भाभी की उंगलिया मेरे गाल पर छप गयी.

भाभी- उसको तो मैं क्या दोष दू जब हमारा ही खून गन्दा है . मेरी नजरो में गिर गए हो तुम लोग . अरे तुमको अपनी औलाद जैसे पाला मैंने और तुम मेरे ही घर में कचरा फैला रहे हो. जवानी इतनी ही मचल रही थी तो एक बार मुझसे कह तो दिया होता ब्याह करवा देती तुम्हारा . पर ये मत समझना की इस बात को मैं दबा दूंगी. तुम दोनों की खाल उतारूंगी मैं.

“मैं हाजिर हूँ मोहब्बत की सजा पाने को ” मैंने कहा और अगले ही पल भाभी ने भैया की बेल्ट उठाई और मारने लगी मुझे......................
Jesa ki iss bar bhi woh adamkhor narbhkshi bhagne me kamyab rha jo shayad kuch chotil bhi Ho gya hai. Same usi time me mangu ka chotil hona ye ittefaq nhi Ho skta. lekin mangu ne chhat se girne ka bahana bnaya. OR usi pal me bhabhi or bhaiya ka bhi doctor ke paas jana abhi tk ye clear nhi hua hai ke ye dono doctor ke paas kyo gye kisko Kya hua hai. Ye bada hi pechida mamla hota ja rha hai ek trf mangu ka langda hona dusri trf bhaiya bhabhi bhi doctor ke jana teeno shq ke ghere me hai. Thik usi doctor ko champa ko dikhna or insb ka samna hona bhabhi ka shq gehra. Ho gya hai kabir pr, mangu. Ne kavita se smbandh ko kabool kr liya hai lekin champa ka abhi bhi Usne kabool nhi kiya hai bss itna hi kaha hai ke Usse bhot badi glti Ho gai hai. Kya glti hui hai ye nhi btaya bss kabir ne khud me hi maan liya ke Mangu ne kabul kr liya ki uska champa se smbandh hai. Ek baat OR gaur krne wali hai ke itna sb kuch Ho gya ray sahab ke trf se koi pratikriya Abhi tk nahi aya. Main ek bar fir dohrana chahunga ke champa ne aisa kyo kaha ki woh abhimanyu ko sab sach bta degi kis sach ki baat kr Rhi thi ki usse pregnant Ho gai.? Yahan pr bhi kabir ne baate saaf krne ki koshish nahi ki usko champa se puchna chahiye tha kis sach ki bat kr rhi Ho lekin yahan bhi khud me maan liya.. Lekin ek baat ka bhi khyaal ata hai ki kabir samne wale ko dikhana chahta hai ke woh bewkuf nadaan hai jisse samne wala ya wali jo bhi koi hai glti kr baithe or fir kabir apna patta khole. Rahi baat bhabhi ki to uske liye toh ek hi baat hai woh kabir ko kbhi smjh Hi nahi paai uska pyar sneh sb dikhawa hai..
 

Studxyz

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तूफानी अपडेट रहा फौजी भाई भाभी ने तो कबीर पर बम फोड़ दिया राय साहब तो तगड़े चोदू निकले तभी शायद
शर्म या फिर डर के मारे चम्पा मुँह नहीं खोल रही चाची जो अपने भतीजे से चुद गयी जेठ से भी ज़रूर चुदती होगी कबीर मासूमों के जैसे अकेला ही इंसानियत का बोझ ऐसे परिवार के लिए उठा रहा है जिन के लिए रिश्ते नातों की कोई परवाह नहीं है

अभिमानु का भी कोई चक्कर होगा तभी भाभी को नहीं चोदता और तभी दुनिया उसे बाँझ कहने लगी है | भाभी ही एक कबीर की सच्ची वफादार है या इसका भी कोई इतिहास है या फिर भविष्य में कोई राज़ खुलेगा ? क्यों की जस्सी भाभी का उधारण सब के आगे है :vhappy:
 

Sanju@

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#47

कदम इतने भारी हो गए थे की क्या ही कहे. दुःख इस बात का नहीं था की निशा नाता तोड़ गयी थी दुःख ये था की जो हुआ गलत हुआ . बेशक वो एक डायन थी पर मेरे लिए वो बस एक दोस्त थी , एक साथी थी जिसके साथ रह कर मैंने जाना था की जिन्दगी कितनी खूबसूरत थी . वो चंद मुलाकाते इस जीवन का सबसे खूबसूरत दौर थी . जिस तरह से वो दिवाली की रात मेरे लिए आई थी . जिस तरह से वो मेरे कंधे पर सर रख कर बैठती थी .



भाभी की बातो से इतना आहत हो जाएगी निशा मैं ये जानता तो कभी नहीं कहता उसे वहां जाने को . जब मैं गाँव पहुंचा तो सब लोग अपने अपने घरो में दुबके हुए थे . बस मैं एक तनहा था . मैं उसी पेड़ के चबूतरे पर बैठ गया जहाँ पर लाली को लटकाया था . मैं सोचने लगा चंपा-मंगू मेरे बचपन के साथी मुझसे न जाने क्या छिपाए हुए थे. मेरी भाभी जिसकी मुस्कान देखे बिना मैंने कभी अन्न ग्रहण नहीं किया था सब लोग पराये हो बैठे थे . और वजह क्या थी , की मैं अपनी जिन्दगी अपनी मर्जी से जीना चाहता था .



घर पहुंचा तो दरवाजा खुला हुआ था चाची शायद जाग गयी थी . मैंने चुपचाप रजाई ओढ़ी और सोने की कोशिश करने लगा. जब जागा तो देर हो गयी थी . मालूम हुआ की पिताजी रात को लौट आये थे और मेरे जागने का इंतज़ार कर रहे थे . मैं तैयार होकर उनके पास गया .

मैं- आपने याद किया पिताजी

पिताजी- बरखुरदार, समझ नहीं आता की तुमसे क्या कहे. तुमने तो जैसे कसम ही खा ली है की राय साहब के नाम को मिटटी में मिला ही दोगे

मैं- क्या भूल हुई मुझसे पिताजी

पिताजी- रुडा और उसके लड़के से झगडा करने की क्या जरूरत थी तुमको.

मैं- उन निचो को सबक सिखा रहा था मैं तो

पिताजी- रुडा हमारा बहुत सम्मान करता है कबीर.

मैं- इस बात से वो सही तो साबित नहीं हो जाता

पिताजी- सही तो तुम भी नहीं हो. राय साहब का लड़का दारू के नशे में नाचने गाने वाले भाँड़ो के साथ चुतड मटका रहा था कितने फक्र की बात है हमारे लिए. कब तक हम तुम्हारी गुस्ताखियों पर पर्दा डालते रहेंगे.

मैं- लड़ाई रुडा के लड़के ने शुरू की थी

पिताजी- तंग आ गए है हम ये बहाने सुन सुन कर

मैं- तो आप ही बताये आप की ख़ुशी के लिए मैं क्या करू.

पिताजी- सुधर जाओ. इस उम्र में अच्छा नहीं होगा की हम तुम्हारी खाल खींचे

मैं खामोश रहा . जानता था की बात बढाने का कोई फायदा नहीं है.

पिताजी- दूसरी बात. हमें कहना तो नहीं चाहिए पर कहना पड़ रहा है . ये जो तुम कहाँ भी अपनी राते काली कर रहे हो . ये याद रखना इस गाँव की तमाम बहन-बेटी-बहुओ को हम एक नजर से देखते है . जवान बेटे को काबू रखना थोडा मुश्किल जरुर होता है बाप के लिए पर मेरी बात याद रखना यदि कोई भी ऐसी-वैसी शिकायत आई की तुमने किसी भी बहन-बेटी को ख़राब किया तो हम ये भूल जायेंगे की तुम हमारा खून हो.

ये चुतिया बात सुन कर मुझे तैश आ गया .

मैं- पिताजी , ये कहना गुस्ताखी ही होगी पर मैं ये गुस्ताखी करूँगा जरुर. आपको अपनी औलाद पर इतना भरोसा तो रखना चाहिए . मैं उलझा हूँ अपने आप में मुझे बस थोडा सकूं चाहिए . मिले तो मेहरबानी इस परिवार की . मेरा किसी भी औरत-भाभी- बहन से कोई ऐसा रिश्ता नहीं है . मेरे कुछ सवाल है जिनका जवाब की तलाश है बस

पिताजी- काम में मन लगाओ उलझने अपने आप सुलझ जाएँगी. कितनी बार कहा है अभिमानु के काम में हाथ बंटाओ या कहो तो कोई और काम धंधा जो भी तुम करना चाहो खोल दू

मैं- किसान हु पिताजी . गुजारे लायक आमदनी धरती दे देती है मुझे और फिर मेरी ख्वाहिशे है ही कितनी

पिताजी- तेरी इस सादगी ने ही मुझे पशोपेश में डाला हुआ है . खैर कल हम शेखर बाबू के घर जायेंगे और हो सका तो विवाह की तारीख पक्की कर आयेंगे. तुम अभी मलिकपुर जाओ सुनार के पास और पूछो की चंपा के गहने कब तक तैयार होंगे.

मैं- चंपा ने गहनों के लिए मन कर दिया

पिताजी ने अपना चश्मा उतारा और बोले- जा जाकर उसे बुला ला.

मैंने चंपा को संदेस दे दिया और वापिस से चाची के घर चला गया जहाँ पर भाभी भी मोजूद थी .

मैं- पिताजी गुस्सा है मुझसे, तुम्हारे पास मौका है और कान भर दो उनके

भाभी- देख रही हो चाची . अब हम पराये हो गए इसके लिए . हम तो इसका भला ही चाहते है न

मैं- काश मैं तुमको बता सकता की मेरे मन में कितनी व्यथा भरी है इस समय . ये रात जो बीती कितनी लम्बी थी मैं ही जानता हूँ.

भाभी- चाची लड़का आशिक हो गया है तुम्हारा

मैं- आशिकी तो अभी शुरू ही नहीं हुई भाभी, जिस दिन उसने कहा मुझसे की थाम ले हाथ मेरा. तुम्हारी कसम इस चोखट पर दुल्हन बना कर खड़ी करूँगा उसे. और कोई भी रोक नहीं पायेगा मुझे.

चाची- तुम दोनों क्यों लड़ रहे हो बात क्या है और ये किसका जिक्र है मुझे बताओ जरा

भाभी- हमारे कुवर का दिल लग गया है और जिस से लगा है वो एक डाकन है .

मैं- वो डाकन ही मेरी दुल्हन बनेगी

चाची इस से पहले की कुछ कहती चंपा अन्दर आ गयी और बोली- राय साहब ने कहा है की अभी मलिकपुर चलो .

मैं चंपा संग बाहर निकल गया उसे साइकिल पर बिठाया और मलिकपुर की तरफ चल दिए. थोड़ी देर में ही गाँव छूट गया .

चंपा- खामोश क्यों है कुछ तो बोल . क्या नाराज है मुझसे

मैं- नाराज तो हूँ .

चंपा- और ये नाराजगी कैसे दूर होगी

मैं- तू दे देगी तो दूर हो जाएगी .

चंपा- ये तू कह रहा है . ये तू कह ही नहीं सकता तू मुझे जलील करना चाहता है न कबीर.

मैं- जलील तो मेरी जिन्दगी मुझे कर रही है चंपा

चंपा- मैं जानती हूँ . तू जानना चाहता है की मैंने झूठ क्यों बोला पर यकीन कर मेरा

मैं- मुझे फर्क नहीं पड़ता ,

चंपा -तेरी यही जिद है तो तू वादा कर मुझसे तुझे जो मैं बताउंगी वो बात किसी भी तीसरे को मालूम नहीं होगी. ऐसा हुआ तो तू मेरा मरा हुआ मुह देखेगा .

मैंने साइकिल रोकी .

मैं- उस रात तेरे बाहर जाने की वजह क्या थी .

चंपा की आँखों में आंसू भर आये.

“तू यकीन करेगा न मेरा . ” चंपा की रुलाई फूट पड़ी .
कहते हैं कि प्यार जितना गहरा होता है बिछड़ने पर दर्द भी उतना ही गहरा होता है निशा के जाने पर कबीर को हुआ है
"जिस दिन उसने कहा मुझसे की थाम ले हाथ मेरा. तुम्हारी कसम इस चोखट पर दुल्हन बना कर खड़ी करूँगा उसे. और कोई भी रोक नहीं पायेगा मुझे"
ये लाइन बहुत ही सुंदर है
पिताजी भाभी सब कबीर की परवाह करते हैं इस कारण पिताजी ने कबीर को नसीहत दी है अब चंपा कोन सा राज खोलने वाली है
 

Sanju@

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#48



मैं बस चंपा को देखता रहा मुझे इंतजार था सच सुनने का

चंपा- उस रात मैं दाई के पास गयी थी ,

मैं- तुझे दाई से क्या काम पड़ गया .

चंपा- क्योंकि मेरे पास और कोई चारा नहीं था . कबीर मैं पेट से हूँ.

चंपा ने जब ऐसा कहा तो मेरे कदमो के निचे से जमीन सरक गयी. मैंने अपना माथा पीट लिया . मैं सड़क किनारे धरती पर बैठ गया क्योंकि मेरे पैरो में शक्ति नहीं बची थी खड़ा होने की .

चंपा- उस रात मैं तीन लोगो से मिलना चाहती थी तुझसे, दाई से और अभिमानु से . मैं दाई के दरवाजे तक पहुँच तो गयी थी पर मेरी हिम्मत नहीं हुई की उसे बता सकू . फिर मैंने सोचा की तुझे बता दू पर एक बार फिर मैं हिम्मत नहीं कर पाई. तू मंगू वाली बात से वैसे ही नाराज था मेरे पास अब सिर्फ एक रास्ता था की मैं अभीमानु से मदद मांगू . मैं इसी कशमकश में उलझी थी की तभी उस कारीगर ने मुझ पर हमला कर दिया और किस्मत से तू वही आ गया .

मुझे बिलकुल समझ नही आ रहा था की मैं क्या कहूँ .

चंपा- बोल कुछ तो

मैं- कितने दिन का है ये

चंपा- शायद एक महीने का

मैं -तू नहीं जानती तूने क्या किया है . अरे मुर्ख किसी को भी अगर भनक हुई न तो तेरा क्या हाल होगा सोचा तूने.

चंपा- जानती हूँ इसीलिए मैंने सोचा की अभिमानु को सब सच बता दूंगी

मैं- तेरी खाल उतार देता वो .जानती है न अपने छोटो से कितना स्नेह है उसे . तेरी हरकत जान कर भैया मालूम नहीं क्या करते तब तो मरी ही मरी थी तू. पर तू फ़िक्र मत कर , करूँगा कुछ न कुछ . तुझे बच्चा गिराना होगा .

चंपा ने नजरे नीची कर ली.

मैं- अब क्या फायदा . मैंने तुझे कितना समझाया मुझे क्या तू बुरी लगती थी . ये गंद फैलाना होता तो मैं ही रगड़ लेता तुझे. और मंगू की तो मैं गांड ऐसी तोडूंगा याद रखेगा वो . तू जानती है मैं कितना परेशां हूँ भाभी ने मेरा जीना हराम किया हुआ है मेरे से मेरी उलझने नहीं सुलझ रही और तुम लोग रुक ही नहीं रहे रायता फ़ैलाने से.

चंपा- गलती हुई मुझसे . मैं तुझे वचन देती हूँ कबीर मैं आगे से ऐसा कुछ नहीं करुँगी.

मैं- तेरी गांड ना तोड़ दूँ मैं दुबारा ऐसा हुआ तो. बैठ अब मलिकपुर वाला काम निपटाके मैं ले चलूँगा शहर तुझे मेरा दिल तो नहीं कर रहा क्योंकि इस जीव का क्या दोष है . तेरे पापो की सजा इसे भुगतनि पड़ेगी . न जाने इस पाप की क्या सजा होगी.

बुझे मन से हम लोग मलिकपुर की तरफ चल दिए एक बार फिर से. वहां जाकर मैंने सुनार को राय साहब की चिट्ठी दी और चंपा ने अपना नाप दिया. सुनार ने बहुत देर लगाई तरह तरह के गहने दिखाता रहा वो हमें. वापसी में मैंने देखा की हलवाई ताजा जलेबी उतार रहा था चंपा को जलेबी बहुत पसंद थी तो मैंने हलवाई से कहा की थोड़ी जलेबी हमें दे. मैंने सोचा की तब तक मैं साइकिल में हवा भर लेता हूँ .चंपा जलेबी खा ही रही थी की उधर से सूरजभान निकल आया.

“उफ़ आज तो शहद ने शहद को चख लिया ” सूरजभान ने चंपा के होंठो से लिपटी चाशनी देखते हुए फब्ती कसी.

चंपा- होश में रह कर बात कर तेरा मुह तोड़ दूंगी

सूरजभान- मुह का मेरा सब कुछ तोड़ दे. ऐसा फूल देख कर दिल कर रहा है की चख लू मैं . बोल क्या खुशामद करू मैं तेरी .

सूरजभान अपनी गाड़ी से उतर कर चंपा के पास गया और उसका हाथ पकड़ लिया

चंपा- हाथ छोड़ मेरा

सूरजभान- तू एक बार दे दे . हाथ क्या मैं जहाँ छोड़ दू.

सूरजभान ने अपनी पकड़ मजबूत कर दी चंपा की कलाई पर .

“माना की घी का कनस्तर खुले में है पर कुत्ते को अपनी औकात नहीं भूलनी चाहिए . हाथ पकड़ ने से पहले सोच तो लेता की इसके साथ कौन है ” मैंने उन दोनों की तरफ आते हुए कहा .

सूरजभान ने पलट कर मुझे देखा और उसके चेहरे का रंग बदल गया .

सूरजभान- तू, तू यहाँ

मैं- हाथ छोड़ इसका

सूरजभान- नहीं छोडूंगा, मेरा दिल आ गया है इस पर तू कही और जाकर अपना मुह मार.

मैं- मुझे दुबारा कहने की आदत नहीं है . मेरी बात ख़त्म होने से पहले अगर तूने इसका हाथ नहीं छोड़ा तो तेरा हाथ तेरा कंधा छोड़ देगा .

सूरजभान- एक बार क्या तू जीत गया खुद को खुदा समझ रहा है उस दिन मैं नशे में था वर्ना तेरी हेकड़ी तभी मिटा देता.

मैं- आज तो नशे में नहीं है न तू .

सूरजभान ने चंपा का हाथ छोड़ दिया पर नीचता कर ही दी उसने . उसने चंपा के सीने पर हाथ फेर दिया. और मैंने उसकी गर्दन पकड़ ली.

मैं- भोसड़ी के , तुझे समझ नहीं आया मैंने कहा न ये मेरे साथ है फिर भी बहन के लंड तू मान नहीं रहा . जानना चाहता है , देखना चाहता है मेरे अन्दर जलती आग को.

सूरजभान ने एक मुक्का मेरे पेट में मारा और बोला- अभिमानु आया था . माफ़ी मांग कर गया था वो . कह रहा था की गलती हो गयी उसके भाई से माफ़ करो. उस से जाकर पूछना की सूरजभान कौन है . फिर बात करना . मैं वो आग हूँ जिसमे तू झुलसेगा नहीं जलेगा.

मैं- इतने बुरे दिन नहीं आये है की मेरे जीते जी मेरा भाई किसी से माफ़ी मांगे. तूने तो औकात से बड़ी बात कह दी . शुक्र मना की मैंने भैया से वादा किया है की खून खराबा नहीं करूँगा वर्ना दारा की लाश तूने देखि तो जरुर होगी . सोच मैं तेरे साथ क्या करूँगा.

मेरी बात सुन कर सूरजभान के चेहरे पर हवाइया उड़ने लगी वो पीछे सरक गया . मैंने चंपा का हाथ थामा और दुसरे हाथ में साइकिल लेकर आगे बढ़ गया .

“ये दुश्मनी बड़ी शिद्दत से निभाई जाएगी कबीर. शुरुआत तूने की थी अंत मैं करूँगा. मुझे शक् तो था पर तूने आज मोहर लगा दी . मैं कसम खाता हूँ तू रोयेगा. तू भीख मांगेगा मौत की और मैं हसूंगा ” सूरजभान ने पीछे से कहा

मैं- इंतजार रहेगा मुझे उस दिन का

मैंने बिना उसकी तरफ देखे कहा .

सूरजभान- पहला झटका तो तूने देख ही लिया अपनी बर्बाद फसलो को देखना तुझे मेरी याद आयेगी

उसकी ये बात सुनकर मैं बुरी तरह चौंक गया तो क्या नहर टूटने में इस मादरचोद का हाथ था. पर मैंने सब्र किया क्योंकि मेरे साथ चंपा थी . दो पल मैं रुका और बोला- तेरे बाप ने मर्द पैदा किया है तुझे तो ये रांड वाली हरकते मत करना . शेर का शिकार करने के लिए शेर का कलेजा ही चाहिए चूहे का नहीं . जिस दिन तुझे लगे की तू इस काबिल है की कबीर को टक्कर दे सकता है मिलना मुझसे . तेरी एक एक हड्डी को तेरे बंद से निकाल लूँगा.

सूरजभान- वो दिन जल्दी ही आएगा.

मैंने उस को अनसुना किया और आगे बढ़ गया.
चंपा ने अपना राज खोल दिया वो अब पेट से है लेकिन किसका बच्चा है ये नही पता क्योंकि हमे केवल इतना पता है की उसके संबंध मंगू से है लेकिन हम कह नही सकते कि ये बच्चा मंगू का है या किसी और का
सूरजभान उस दिन कबीर से हार गया था उसका बदला लेने के लिए उसने कबीर की फसल खराब कर दी है लेकिन ये क्या उसे कबीर से सीधे बात करना था ये करना गलत है लेकिन लगता है कि एक दिन ये कबीर के हाथो मारा जायेगा
 

Studxyz

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अभी कहानी मे थोड़ी जान आएगी

इतने नाटकीय घटनाक्रम के बाद निशा डायन जी की कमी कुछ कम खलेगी पर उसकी वापसी जल्द ही होनी चाहिए नहीं तो कहानी में रोमांस नहीं रहेगा
 
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