- 23,186
- 62,306
- 259
छुटकी - होली दीदी की ससुराल में भाग १०३ इमरतिया पृष्ठ १०७६
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें।
अपडेट पोस्टेड, कृपया पढ़ें, लाइक करें और कमेंट जरूर करें।
Last edited:
Man gae Komalji bhai bahen ke bich shararat bhari chemistry aap peda kar sakti ho. Vesi koi nahi kar sakta. Is part me comments ke lie bahot kuchh he. Amezing. Par hame bhokla diya. Kya likhe kya nahi.भाग ७४ -मस्ती रेनू और कमल की,
13,48,221
![]()
और घंटे भर बाद बेला और चुन्नू की गाँठ जुड़वाने के बाद जब मैं पहुंची तो, मान गयी मैं चमेलिया को, एक बार कमल के मोटे लंड की हदस निकल जाने के बाद, रेनुवा कुतिया अस निहुर के चूतड़ उठाये के खुद अपने भैया का लंड गपागप घोंट रही थी और कमल भी उसकी दोनों मोटी मोटी चूँची पकड़ के कस कस के चोद रहा था.
रेनुआ अभी भी चोकर रही थी, तड़प रही थी। कमल का बांस था ही बड़ा लम्बा और मोटा ऊपर से चोदता भी वो बड़े बेरहमी से। लेकिन जिस तरह से रेनू की चूँचियाँ पथरायीं थीं, निपल टनटना रहे थे साफ़ था उसे मजा भी बहुत आ रहा था दर्द भले चाहे जितना हो रहा हो .
![]()
इसी दर्द में तो मजा है, लेकिन असली दर्द तो अभी बाकी था और इसीलिए मैं आयी थी।
और ननद को सिखाने की मजे लेने के लिए मजा देना भी पड़ता है और भाई बहिनिया का रिश्ता खुल के मज़ा लेने का है,...
थोड़ी देर मैं अपने देवर रेनू के भाई के पीछे खड़ी मुस्कराती देखती रही, उसकी बहन रेनू को मस्त मजा आ रहा था लेकिन मारे झिझक के बोल नहीं रही थी, चार साल से तो छिनरपन कर रही थी, भैया से नहीं चुदवाउंगी, नहीं घोटूँगी,... तो इतनी जल्दी कैसे मन की बात कह दे, फिर भौजाई सब थीं, चिढ़ाएँगी नहीं का।
उसकी देह से मस्ती टपक रही थी , सच में किस्मत वाली थी स्साली रेनुआ की घोड़े ऐसे लंड वाला भाई मिला था वो भी जब से झांटे आयीं तब से उसे पेलने के लिए दीवाना,...
रेनू एकदम झड़ने के कगार पर थी,
मैंने कमल से कुछ कहा, एक दो मिनट तो वो झिझका फिर मान गया।
वो समझ गया था, भौजी की बात मानने में ही समझदारी है, और उसने न सिर्फ चुदाई रोक दी बल्कि अपना मोटा मूसल भी करीब करीब बाहर निकाल लिया, यहाँ तक की उसी चूँची भी उसने छोड़ दिया,
रेनू को पता नहीं था की इस सीख के पीछे मेरा हाथ है। कुछ देर में ही रेनू कुलबुलाने लगी, चूत की आग बड़ी से बड़ी सती साध्वी की पिघला देती है और ये तो मेर्री ससुराल की ननद थी, पैदायशी छिनार, भाईचोद। अंत में बोल ही पड़ी, धीमे से
" भैया गुस्सा हो गए,... "
![]()
" नहीं तो" गुस्से वाली आवाज में उसका भाई कमल बोला।
" नहीं,... मतलब,... फिर, मेरा मतलब झिझकते हुए रेनू बोली, फिर रुक क्यों गए "
" क्या रुक गया, क्या कर रहा था,... " कमल उसी अंदाज में बोला।
" वही जो कर रहे थे, कर न, मैं तो मना भी नहीं कर रही थी " रेनू शिकायत भरे अंदाज में बोली,
" अरे साफ साफ़ बोल न क्या कर रहा था, ... नहीं बोलेगी तो मैं जा रहा हूँ,... " कमल ने आलमोस्ट खूंटा निकालते हुए बोला।
![]()
चारो और से लड़कियों के सिसकने की अपने भाइयों को उकसाने की खुल के गरियाने की आवाजें आ रही थीं, .अरे चोद न भैया , जोर से पेल .. बड़ी मुश्किल से रेनू के बोल फूटे,...
" वही जो कर रहे थे, चोद रहे थे " ... धीमे से झिझकती बोली।
" इसलिए रुक गया की तुझे मजा नहीं आ रहा था, तो मैं जबरदस्ती तो करता नहीं सिर्फ अपने मजे के लिए,... तुझे नहीं मजा आ रहा है तो मैं नहीं करूँगा "
कमल अभी भी उसे रगड़ रहा था। अब उसको भी बहन से उगलवाने में मजा आ था की छुटकी बहिनिया अपने भैया के लंड की दीवानी है। उसने उदास आवाज में कहा,
" नहीं नहीं भैया मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , चोदो न भैया, मेरे अच्छे भइया, मेरे प्यारे भैया,"
रेनू समझ गयी अब उसने छिनरपन किया तो मोटा बांस हाथ से निकल जाएगा।
![]()
और अब कमल से नहीं रहा जारहा था, कहाँ महीने दो महीने में दो चार बच्चे वालों की माँ मिलती ही भोंसडे वाली और यहाँ घर का माल, कच्ची कली आज तक बिनचुदी। खुद चुदने के लिए, ... अब वो प्यार से उसकी गदरायी गोल गोल चूँची सहलाने लगा, और छेड़ते हुए बोल,
" बोल न किसको चोदू, क्या चोदू "
" अरे और किसको चोदेगा होनी एकलौती बहिनिया को चोद उसकी कच्ची चूत चोद, चोद न भैया,.... "
और यह कह के रेनू ने कस के चूतर का धक्का दिया और साथ में कमल ने भी आधा से ज्यादा खूंटा बहन की बिल गप्प से घोंट गयी।
" और फिर तूने मना कर दिया तो फिर,.... " कस के चूँची मसलते गाल काटते कमल ने अपनी छोटी बहन से पूछा।
चूतड़ मटका के सिसकते हुए रेनू बोली,
" भैया एक बार मजा लेने के बाद पहली बात तो मैं मना नहीं करुँगी, इतनी भी बुद्धू नहीं हूँ मैं और दूसरी बात, अगर मना भी करूँ तो कोई जरूरी है तू मान,... कर लेना जबरदस्ती " बड़ी अदा से बहन बोली,
![]()
अब उसके बाद तो कमल को कौन रोक सकता था, थोड़ी देर में जब मोटा सुपाड़ा बहन की बच्चेदानी से जोर से टकराया तो वो झड़ने लगी. लय तूफ़ान में पत्ता कांपेगा, क्या बाढ़ में नदी हिलोरे लेगी, जिस तरह रेनू काँप रही थी, झड़ना रुकता फिर शुरू हो जाता,
और जब कमल ने दुबारा हलके हलके धक्के मारने शुरू किये तो उसी तरह से रेनू जवाब देते बोली,
" भैया, चार साल पहले अगर तू ऐसे ही जबरदस्ती कर देता न, ... सच में मैं बहुत रोती चिल्लाती, लेकिन कब तक और घर में तो सब तेरा ही साथ देती,... "
टिपिकल लड़की अपना दोष कभी नहीं मानेगी लेकिन मान गयी मैं अपने देवर को
" अरे तब नयकी भौजी नहीं थीं न, और वो नहीं होती तो तू आज भी नीचे नहीं आती " देवर बोला और फिर तूफानी चुदाई
![]()
थोड़ी देर में देवर ननद साथ साथ झड़े , कटोरी भर मलाई भाई ने बहिनिया की बिल में छोड़ी.
![]()
Ashirvad aur mohar to bhouji ne lagai he. Amezing. Full chhed chhad. Superbबहिन भाई में इलू इलू
![]()
मेरी बांकी हिरनिया, प्यारी ननदिया ने जिस तरह से अपनी प्यार भरी बड़ी बड़ी आँखों से मुड़ के अपने भैया की ओर देखा, मैं समझ गयी, बहिन भाई में इलू इलू चालू हो गया. चमेलिया ने सहारा देके, रेनू को आम के बड़े पेड़ के नीचे लिटाया। लिटाया क्या, वो आम के पेड़ के तने के सहारे, अधलेटी, मीठे मीठे दर्द में डूबी, जाँघे उस की फटी जा रही थीं, चूत के अंदर भी जहाँ झिल्ली फटी थी, हलकी हलकी चुभन हो रही थी। कभी उसे दर्द का अहसास होता तो कभी कनखियों से अपने भाई को जो उसी के बगल में चिपका बैठा था, को देख लेती थी.
भाई तो एकटक उसे देख रहा था. जिस मिठाई को खाने के लिए वो चार साल से बेचैन था, लिबरा रहा था, आज ऐसे बगीचे में मिल गयी, और एक बार नहीं दो बार। कभी मन करता की झुक के अपनी बहन रेनू के गाल चूम ले तो कभी उस इंटरवाली के गदराये जोबन को देख के मन ललचा रहा था, मन कर भी रहा था, झिझक भी रहा था.
रेनू की झुकी हुयी निगाहें जिस तरह से लरजते हुए चुपके से अपने भैया को देख रही थीं, और कभी उसके सोते जागते मूसल को जिसने उसकी कुँवारी ओखली में इतना ग़दर मचाया था, ...
![]()
वो भले सोच रही हो की कोई नहीं देख रहा हो, लेकिन हम दोनों भौजाइयां देख भी रही थीं, समझ भी रहीं थी, मुस्करा भी रही थीं.
मैंने छेड़ा,
क्यों बिन्नो मजा आया मेरे देवर के साथ,...
![]()
चमेलिया इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाली नहीं थी अपनी ननद को, गाल पे जोर से चिकोटी काटते बोली,
" अरे अस चूतड़ मटकाय मटकाय के अपने भैया का लंड घोंट रही थी, अब लजा रही हो। बोलो साफ़ साफ़ मजा आया न भाई चोद को चोद के "
अब रेनू ने खुल के अपने भाई कमल को देखा और मुस्करा पड़ी, सब दर्द भूल चुकी थी वो। चमेलिया मेरी एकलौती देवरानी मुझे भी नहीं छोड़ने वाली थी, मुझ से बोली,
" अरे तनी अपने बहनचोद देवर से पूछो बहिनिया चोद के मजा आया की नहीं। "
अब कमल के शर्माने की बारी थी लेकिन हम दोनों क्यों थीं वहां पर, कमल का जो हाथ रेनू के कंधे पर था, चमेलिया ने खींच के उसे रेनू के जोबन पर रख दिया और हड़का के बोली,
"बहिन के कहाँ हाथ रखा जाता है ये भी सिखाना पडेगा "
![]()
बस अब तो हवा मिठाई मिल गयी थी, कमल ने हलके हलके उभारों को दबाना मसलना शुरू कर दिया, कभी निपल मसलता कभी निपल पकड़ के खींचलेता।
![]()
जब रेनू नौवें में थीं स्कूल के टॉप में छोटे छोटे चूजे, देखता था तभी से ललचाता था, अब मिला है मौका,...
रेनू भी अब एक बार फिर से गरमा रही थी. उसकी फैली हुयी खुली खुली जाँघों के बीच मलाई बह रही थी, उसके भाई की। उसकी निगाहों को देख के मुझे भी शरारत सूझी, मैंने हथेली से रेनू की चूत रगड़नी शुरू कर दी, और सब मलाई निकाल के रेनू के चेहरे पर मल दिया और छेड़ा,
" अब रूप निखर आया है मेरे देवर की दुलहिनिया का"
और फिर ऊँगली डाल के रेनू की अब खुल गयी बुर में ऊँगली डाल के करोच करोच के , जैसे कोई दही की कहतरी से किनारे लगी सूखी मलाई निकाले,
![]()
मलाई निकाल के उसके मुंह में , और चिढ़ाया,
"अरी बिन्नो, नीचे वाले मुंह ने तो मलाई घोंट ली है ज़रा ऊपर वाले मुंह को भी तो कुछ स्वाद चखा दो,... " फिर ऑफर दिया, " क्यों मन कर रहा है एक बार और खाओगी मलाई"
अब रेनू खुल के अपने भैया के खूंटे को देख रही थी, अभी भी सोया ज्यादा था जागा कम। सोते हुए भी ६ इंच से कम का नहीं रहा होगा। दो बार चोद चूका था कच्ची कली को, झिल्ली भी फाड़ी थी तो थोड़ा थकना नेचुरल था। लेकिन जो नैना ननदिया ने कमल के बारे में बताया था और गाँव में काम करने वालियों ने कमल था पक्का चोदू, इसलिए दो बार के बाद तीसरी बार उसके लिए कोई नयी बात नहीं थी।
" बोल हो जाए एक बार ओर "
मैंने फिर छेड़ा। पहली बार तो जोर जबरदस्ती थी थोड़ी , लेकिन अबकी खेल मन मर्जी वाला होना और वो भी शुरुआत रेनू को ही करनी थी। रेनू के मुंह में भी जुबान आ गयी थी, खिलखिलाते हुए बोली,
" अरे नयकी भौजी अभी सो रहा है "
Muje umid thi hi. Sirf 2 hi nandiya ko chhinar banake aap nahi chhodoge. Kisi aur nandiya ka kissa to jarur hoga. Maza aa gaya. Love it.लीना
![]()
एक और मैं दूसरी ओर कमल बीच में रेनू और दूसरी ओर उसका भाई कमल. गाँड़ फटने की चिलख अभी भी बार बार रेनू के पिछवाड़े हो रहा था, लगता था चमड़ी अंदर की कई जगह छील गया था और फिर कमल का मुट्ठी ऐसा मोटा सुपाड़ा उसी छिली हुयी जगह को रगड़ता दरेरता बार बार अंदर बाहर हुआ था, जरा सा भी वो कमर हिलाती थी तो तेज चुभन फिर से शुरू हो जाती थी. लेकिन पिछवाड़े का तो मजा ही दर्द का मजा है। मैंने और कमल ने मिल के हम दोनों के बीच उसे सम्हाल के बैठाया था, एक ओर से मैं पकडे थी दूसरी ओर से कमल ने।
तबतक चारों ओर से नंदों की सिसकियाँ चीखे सुनाई दे रही थीं और भौजाइयों की खिलखिलाती हंसी, खनकती, छलकती। पहले तो जब कमल रेनू पर चढ़ा था तो बाग़ के उस कोने में हम लोग ही थे, पर अब जैसे जैसे ननदों की भीड़ बढ़ी,...
हम लोगों के आस पास भी दो चार ननदें और उनके भाई चढ़े हुए,
![]()
तभी मुझे लीना दिखी,...
![]()
आज मौजूद नंदों में सबसे बारी उमर वाली, कल ही की तो बात है, होलिका माई ने अपने हाथ से जिन जिन लड़कियों की माहवारी पिछली होली के बाद से शुरू हुयी थी उन सबको आशीर्वाद भी दिया था और योनि में ऊँगली लगा के रस लगा के फिर अपनी देह का भभूत, उन्ही में लीना भी थी। और सबसे सुकुवार। लीना का खून खच्चर तो बस होली के महीने दो महीने पहले शुरू हुआ था, चूँचियाँ भी बस छोटी छोटी आनी ही शुरू हुयी थीं,... कल शाम को वो मेरे साथ ही बैठी थी, और जब लौटते हुए बवंडर उठा, तो वो एकदम हदस गयी, मुझसे चिपक गयी थी। मैं भी अपने अँकवार में उसे बाँध के,...
लीना का एक ही सगा भाई था, बिट्टू। उससे पांच छह साल ज्यादा ही बड़ा रहा होगा, बीए में था। कमल का समौरिया होगा या एकाध साल बड़ा। खूब लहीम शहीम। ६ फुटा, देह भी कसरती। और उसे सुगना भौजी ले आयीं थी साथ में। जैसा बाकी देवरों के साथ हो रहा था, सुगना ने बिट्टू के आँखों पर पट्टी बांध रखी थी,... और उसे लिटा के लीना के भाई के खड़े खूंटे को पकड़ के, हलके हलके मुठिया के लीना को चढ़ने का इशारा किया, पर लीना ने मना कर दिया और मीठे मीठे मुस्करा के बोली,
" भौजी, बियाह नहीं हुआ तो का बरात भी नहीं गए,... " और खुद अपनी किशोर मुट्ठी में पकड़ के भाई का लंड , फिर झुक के जीभ निकाल के खुले सुपाड़े को चाट लिया।
![]()
बिट्टू ने लीना की आवाज तो पहचान ही ली। लेकिन एक कच्ची कोरी के मुंह का असर लंड फनफना रहा था, पागल हो रहा था. लेकिन लीना ने एक और शरारत की, झुक के बिट्टू के कान में बोली, ...
" हे भैया बहिनिया क मजा लेना है न तो खुद मेहनत करनी पड़ेगी, ...बोल हाँ की ना। वरना मेरी कच्ची गुल्लक तो आज फूटेगी ही, तुम नहीं तो,... " और ये कह के अपने भाई बिट्टू के आँख की पट्टी खोल दी।
बिट्टू ने सीधे लीना को पकड़ के नीचे लिटा दिया,... और वो उसके ऊपर चढ़ता ही की सुगना भौजी ने टोक दिया।
" मेरी कोरी ननदिया ऐसे नहीं मिलेगी, सुगना भौजी क नेग होता है, पहले नेग कबुलो,... वो भी तीन बार,... और उसके बाद तनी शहद का छत्ता चाटो। "
ननद तो ननद लीना सुगना को चिढ़ाते अपने भाई से बोली, " भैया चलो पहले भौजी क नंबर लगाओ "
![]()
" अरे तो का तू सोच रही है छोडूंगी इसको, अपनी ननद दिलवा रही हूँ। लेकिन पहले ननद क नंबर, लेकिन उसके पहले चलो चाटो चूसो। "
सुगना खिलखिलाते बोली, ...
सुगना ऐसी रसीली भौजाई पूरे गाँव बल्कि पूरे बाइस पुरवा में नहीं थीं। मिलवाया तो था ,
सुगना एकदम रस की जलेबी, वो भी चोटहिया, गुड़ की जलेबी, हरदम रस छलकता रहता, डेढ़ दो साल पहले ही गौने उतरी थी, जोबन कसमसाता रहता, चोली के भीतर जैसे अंगारे दहकते रहते, जैसी टाइट लो कट चोली पहनती सुगना भौजी, सीना उभार के चलतीं, जवान बूढ़ सब का फनफना जाता था, ... गौना उतरने के कुछ दिन बाद ही मरद कमाने चला गया, क़तर, दुबई कहीं, सास थीं नहीं। ननद बियाहिता। घर में खाली सुगना और उसके ससुर।
![]()
अभी बेला और चुन्नू की भी गाँठ उसी ने जुड़वायी थी।
बिट्टू कुछ सोचता, लीला ने खुद अपनी टाँगे फैला दी, और बिट्टू का सर पकड़ के अपने बिल पे.... और भाई को हड़काते हुए बोली
" इतना भी नहीं सीखा की बड़ों की बाते मानते हैं, सुगना भौजी कुछ कह रही हैं। "
सपड़ सपड़, चपड़ चपड़
![]()
रेनू की निगाहें लीना और बिट्टू पर चिपकी थी और वो ध्यान से लीना की बातें सुन रही थी, एक एक हरकतें देख रही थी।
कमल की निगाह तो बस रेनू के चेहरे पर,...ललचाती
Wah Komalji. Dard ko mazedaar bana na to koi aap se sikhe. Rusavai aur becheni ko gudgudi romantic aur shararat se bhar diya. Upar se vo bhi incast me. Amezig.बदल गयी रेनू
![]()
रेनू की निगाहें लीना और बिट्टू पर चिपकी थी और वो ध्यान से लीना की बातें सुन रही थी, एक एक हरकतें देख रही थी।
कमल की निगाह तो बस रेनू के चेहरे पर,...ललचाती
लीना के चेहरे से ख़ुशी झलक रही थी, पहली बार उसकी चुनमुनिया पे मरद की जीभ लगी थी वो भी एकलौते सगे बड़े भाई की। वो चूतड़ उठा उठा के चटवा रह थी, चिढ़ा रही थी अपने भाई को उकसा रही थी, और साथ में सुगना भाभी भी अपनी ननद के साथ मिल के
" बहुत रसमलाई खाये होंगे ऐसी रसमलाई न खाये होंगे बाबू, सगी बहिनिया से मीठी कोई रसमलाई नहीं होती। "
![]()
" अरे सुगना भौजी, ये बेचारा कब से ललचा रहा था आपका देवर,... " लीना भी चिढ़ा रही थी और कस कस के अपने भाई के सर को पकड़ के अपनी कच्ची बिना झांटो वाली चूत पे रगड़ रही थी।
![]()
रेनू सोच रही थी एक ये लीना है कल की बच्ची और एक मैं थी।
इस से भी बड़ी, ... नौवें में, कमल भैया ने खाली चुम्मी लेने की कोशिश की थी और मैंने कैसे झिड़क दिया था माँ ने भी समझाया, कलावती तो जिस दिन से मेरी माहवारी शुरू हुयी थी उस दिन से ही लेकिन मैं ही पागल,...
थोड़ी देर में लीना ने खुद ही अपने भाई को हटा दिया और अपनी दोनों टाँगे फैला के, आँखों के इशारे से अपने भाई बिट्टू को, सुगना ने लीना के जितने कपडे उतरे थे सब के सब लीना के छोटे छोटे चूतड़ के नीचे लगा के,... और लीना ने खुद ही अपने भाई के कंधो पर टाँगे उठा के रख दी,...
" आओ न भैया,... "
जिस सेक्सी आवाज में लीना ने बिट्टू से कहा कोई भी मर्द मना नहीं कर सकता था, ये नहीं था लीना को डर नहीं लग रहा था, लेकिन वो अपना डर अपने भैया पर जरा भी जाहिर न होने देना चाहती थी। कोई भी भाई बहन को दर्द नहीं देना चाहता, लेकिन बिना दर्द दिए बहन चुद भी नहीं सकती। और ये बात भाई से ज्यादा बहने जानती हैं। बिट्टू का कमल ऐसा मोटा तो नहीं था लेकिन कम भी नहीं था और इस उम्र वाली के लिए तो ऊँगली में भी जान निकल जाती है और वो भी बिना तेल या वैसलीन के,...
रीनू लीना की एक एक हरकत देख रही थी, कैसे लीना ने बाग़ में लगी घास को कस के पकड़ रखा था, पर जाँघे पूरी तरह खोल रखी थीं, देह को ढीला कर दिया था।
क्या धक्का मारा बिट्टू ने लीना की पतली कमर पकड़ के, गप्प दो धक्के में ही सुपाड़ा अंदर। लीना की चूत फटी जा रही थी, दर्द पूरी देह में था लेकिन वो अपने भाई को देख के मुस्करा रही थी,...
उस के भाई को कुछ तो अंदाज था लीना के दर्द का लेकिन लीना ने चिढ़ाया,... " क्यों भैया, अरे अभी तो पूरा मूसल बाकी है। किस के लिए बचा रखा है ? मैं तो तेरी एकलौती बहन हूँ, कोई चचेरी ममेरी भी नहीं है। "
![]()
और उस के बाद धक्के पर धक्के,...
लीना के चूतड़ के नीचे के खेत के ढेले चूर चूर हो गए, एकदम पतली धूल। जो घास उसने पकड़ रखी थी उखड़ के उसके हाथ में आ गयी थी. जहाँ भाई का खूंटा घुसा था, वहां से रिस रिस कर खून की बूंदे गिर रही थी, मिट्टी का रंग भूरा हो रहा था। लीना के मुंह से चीख निकल गयी,
![]()
और भाई का धक्का रुक गया, औजार अभी भी आधा बाहर था. लेकिन लीना ने तुरंत अपनी टांगों से भाई की कमर को कस के अपनी ओर खींचा, और दर्द के बावजूद हलके से मुस्करा दी.
रेनू की निगाह, लीना की फटी चूत से निकलती खून की बूंदे,... लीना की मुस्कराहट, किस तरह उसने अपने भाई को अपने अंदर खींचा,... अपने भाई के मजे के लिए लिए कुछ भी दर्द सहने को तैयार थी वो
रेनू कमल के सीने पर सर रख के उसी के सहारे बैठी थी, अपनी बड़ी बड़ी आँखे अपने भाई की ओर उठा के देखते हुए उसका चेहरा अचानक उदास हो गया, एकदम झांवा, आँखे जैसे बुझ गयीं,... हलके से बोली,...
" भैया मैं बहुत बुरी हूँ, ... आपको इत्ते दिन, क्या क्या न बोला,... "
कमल प्यार से अपनी बहन के लम्बे बाल सहला रहा था, और रेनू के मुंह से शब्द बस निकलते जा रहे थे जैसे नदी ने बाँध तोड़ दिया हो,...
" पूरे चार साल, ... आप ने, माँ ने सब ने कितना समझाया,... लेकिन मैं एकदम पागल,... न जाने क्या हो गया था मुझको,... बहुत दुःख दिया आपको मैंने,... कैसे ट्रीट किया,... सच में मैं बहुत बुरी हूँ "
![]()
अब मुझे लग गया की मुझे बीच में पड़ना चाहिए, मैंने बात को हलकी करते हुए रेनू को चिढ़ाया,...
" अरे ननद रानी, तू बुर वाली है बुरी नहीं, चार साल का सूद के साथ अब आज से हिसाब चुकता कर दे. मत छोड़ इसे "
" हिम्मत है इनकी अब ये नहीं चढ़ेगा मेरे ऊपर तो मैं चढूँगी इसके ऊपर, नयकी भौजी ऐसी गुरु मिल गयी है ' एकदम से रेनू का मूड बदल गया कस के अपने भाई को चूमते बोली,
![]()
और एक हाथ से खूंटे को पकड़ के दबोच लिया।
" और अगर ये मेरा देवर किसी और माल पे चढ़े तो मुंह फुला के तो न बैठ जायेगी मेरी बिन्नो " मैंने रेनू से बात साफ़ कर ली।
" एकदम नहीं, ... मेरा भाई पक्का सांड़ है,... और का कहते हैं हाथी घूमे गाँव गाँव, जिसका हाथी उसका नांव,... तो लौट के आएगा रात को,... "
" अपनी मेहरिया के पास ही " रेनू की बात हँसते हुए मैंने पूरी की।
" एकदम मरद मेहरिया झूठ, भौजी रोज आप का नंबर ड़काऊंगी। " रेनू ने मेरे मन की बात कह दी।
![]()
" हर रात गौने की रात " मैंने बात आगे बढ़ाई। फिर कमल से वही सवाल पूछ लिया,...
" अगर मेरी ननद किसी और के आगे टांग फैलाये "
लेकिन जवाब अबकी फिर रेनू ने ही दिया,...
" अरे नहीं भौजी , इतना मस्त मूसल छोड़ के मैं काहें जाउंगी किसी और के पास,... मैं तो बस अपने कमल भैया से बार बार, वो जब चाहे जहाँ चाहे जैसे चाहे,... लेकिन भौजी मेरी एक बात आप भी रखिये,... मैंने देखिये आप के सामने तो एक बार,... आप भी अपने देवर से "
" हे स्साली बचपन की छिनार, तेरा मन भरता होगा एक बार में, तेरी भौजी का एक बार में कुछ नहीं होगा ,... सिर्फ एक बार क्यों,... और तुझसे लजाती हूँ क्या "
![]()
तबतक एक बार हम सबका ध्यान लीना और बिट्टू की ओर चला गया दोनों झड़ रहे थे साथ साथ।
कोई मुझे बुला रहा था,
महुआ के पेड़ों के एक झुण्ड के पीछे से गुलबिया और उसकी ननद कजरी, मुझे इशारा कर रहे थे,... मुझे याद आ गया, मैं उठी और साथ में रेनू और कमल भी, दोनों ने कपड़े पहन लिए थे.
मैंने दो शर्ते कमल को बोली थीं रेनू की दिलवाने के लिए, बस पहली शर्त मैंने याद दिलाई
एक कच्ची कली है, बेलवा के साथ पढ़ती है, बहुत नखड़ा करती है स्साली , अपने गाँव की नहीं है, उसकी झिल्ली फाड़नी है वो भी बेरहमी से, जहां जाए दूर से पता चल जाए किसी तगड़े मरद के नीचे से रगड़वा के आ रही है, स्साली बहुत नखड़ा पेलती है, पूरे गाँव की इज्जत का सवाल है, एकदम कच्ची कोरी है।
बिना बोले उसके आंख का अचरज मैं देख रही थी, आज के पहले वो सोच नहीं सकता था, की किसी कुँवारी लड़की के साथ, चुदी चुदाई भी,... चंदा ऐसी जो सदाबर्त चलाती थीं, जिनकी टाँगे फैली ज्यादा रहती थीं,... वो भी उसके नाम से टांग सिकोड़ लेती थी,
एक तो इतना मोटा मूसल दूसरे उसकी बेरहमी भी मशहूर हो गयी थी जो रेनू की सहेली का किया धरा था,... कुछ तो ताने भी मार देतीं,...
अरे तेरे घर में खुद एक कोरा माल पड़ा है, वो तो तेरे से,...
बेचारे कमल का काम कभी महीने दो महीने दो चार बच्चे की माँ,... कोई कामवाली कभी मान जाती, उसका मन रख लेती,...
और आज उसकी बहन के ऊपर न सिर्फ चढ़ने का मौका मिल गया बल्कि पिछवाड़ा भी, स्साली रेनुवा जब चूतड़ कसमसा के टाइट शलवार में चलती थी तो दूर से देखने वालों की पैंट भी टाइट हो जाती थी, वो तो भाई था, हर पल घर में रहता था। लेकिन मरवाने को कौन कहे छूने भी नहीं देती थी. और ऊपर से मैं बोल रही थी, चल तुझे एक कच्ची कली और दिलवाऊं,... वो भी एकदम कमसिन। रेनुवा की फटी नहीं थी लेकिन वो इंटर में पहुँच गयी थी जबकि गाँव में हाईस्कूल का रिजल्ट निकलने के पहले कोई न कोई निवान कर ही देता था.
और मैं जिसके बारे में बात कर रही थी वो एकदम ही सुकुवार,...
हाँ इस पुरवा की नहीं थी,... लेकिन थी तो बाइस पुरवा की ही.
Thanks so much, har post ke baad aapke comment ka intezaar rahega. aap ka support hi is kahaani ko aage le jaa raha hai. ek baar fir se thank.Sandarr
Yeh hui na baat. Renu ka juban khul gyi abभाग ७४ -मस्ती रेनू और कमल की,
13,48,221
![]()
और घंटे भर बाद बेला और चुन्नू की गाँठ जुड़वाने के बाद जब मैं पहुंची तो, मान गयी मैं चमेलिया को, एक बार कमल के मोटे लंड की हदस निकल जाने के बाद, रेनुवा कुतिया अस निहुर के चूतड़ उठाये के खुद अपने भैया का लंड गपागप घोंट रही थी और कमल भी उसकी दोनों मोटी मोटी चूँची पकड़ के कस कस के चोद रहा था.
रेनुआ अभी भी चोकर रही थी, तड़प रही थी। कमल का बांस था ही बड़ा लम्बा और मोटा ऊपर से चोदता भी वो बड़े बेरहमी से। लेकिन जिस तरह से रेनू की चूँचियाँ पथरायीं थीं, निपल टनटना रहे थे साफ़ था उसे मजा भी बहुत आ रहा था दर्द भले चाहे जितना हो रहा हो .
![]()
इसी दर्द में तो मजा है, लेकिन असली दर्द तो अभी बाकी था और इसीलिए मैं आयी थी।
और ननद को सिखाने की मजे लेने के लिए मजा देना भी पड़ता है और भाई बहिनिया का रिश्ता खुल के मज़ा लेने का है,...
थोड़ी देर मैं अपने देवर रेनू के भाई के पीछे खड़ी मुस्कराती देखती रही, उसकी बहन रेनू को मस्त मजा आ रहा था लेकिन मारे झिझक के बोल नहीं रही थी, चार साल से तो छिनरपन कर रही थी, भैया से नहीं चुदवाउंगी, नहीं घोटूँगी,... तो इतनी जल्दी कैसे मन की बात कह दे, फिर भौजाई सब थीं, चिढ़ाएँगी नहीं का।
उसकी देह से मस्ती टपक रही थी , सच में किस्मत वाली थी स्साली रेनुआ की घोड़े ऐसे लंड वाला भाई मिला था वो भी जब से झांटे आयीं तब से उसे पेलने के लिए दीवाना,...
रेनू एकदम झड़ने के कगार पर थी,
मैंने कमल से कुछ कहा, एक दो मिनट तो वो झिझका फिर मान गया।
वो समझ गया था, भौजी की बात मानने में ही समझदारी है, और उसने न सिर्फ चुदाई रोक दी बल्कि अपना मोटा मूसल भी करीब करीब बाहर निकाल लिया, यहाँ तक की उसी चूँची भी उसने छोड़ दिया,
रेनू को पता नहीं था की इस सीख के पीछे मेरा हाथ है। कुछ देर में ही रेनू कुलबुलाने लगी, चूत की आग बड़ी से बड़ी सती साध्वी की पिघला देती है और ये तो मेर्री ससुराल की ननद थी, पैदायशी छिनार, भाईचोद। अंत में बोल ही पड़ी, धीमे से
" भैया गुस्सा हो गए,... "
![]()
" नहीं तो" गुस्से वाली आवाज में उसका भाई कमल बोला।
" नहीं,... मतलब,... फिर, मेरा मतलब झिझकते हुए रेनू बोली, फिर रुक क्यों गए "
" क्या रुक गया, क्या कर रहा था,... " कमल उसी अंदाज में बोला।
" वही जो कर रहे थे, कर न, मैं तो मना भी नहीं कर रही थी " रेनू शिकायत भरे अंदाज में बोली,
" अरे साफ साफ़ बोल न क्या कर रहा था, ... नहीं बोलेगी तो मैं जा रहा हूँ,... " कमल ने आलमोस्ट खूंटा निकालते हुए बोला।
![]()
चारो और से लड़कियों के सिसकने की अपने भाइयों को उकसाने की खुल के गरियाने की आवाजें आ रही थीं, .अरे चोद न भैया , जोर से पेल .. बड़ी मुश्किल से रेनू के बोल फूटे,...
" वही जो कर रहे थे, चोद रहे थे " ... धीमे से झिझकती बोली।
" इसलिए रुक गया की तुझे मजा नहीं आ रहा था, तो मैं जबरदस्ती तो करता नहीं सिर्फ अपने मजे के लिए,... तुझे नहीं मजा आ रहा है तो मैं नहीं करूँगा "
कमल अभी भी उसे रगड़ रहा था। अब उसको भी बहन से उगलवाने में मजा आ था की छुटकी बहिनिया अपने भैया के लंड की दीवानी है। उसने उदास आवाज में कहा,
" नहीं नहीं भैया मुझे बहुत मज़ा आ रहा था , चोदो न भैया, मेरे अच्छे भइया, मेरे प्यारे भैया,"
रेनू समझ गयी अब उसने छिनरपन किया तो मोटा बांस हाथ से निकल जाएगा।
![]()
और अब कमल से नहीं रहा जारहा था, कहाँ महीने दो महीने में दो चार बच्चे वालों की माँ मिलती ही भोंसडे वाली और यहाँ घर का माल, कच्ची कली आज तक बिनचुदी। खुद चुदने के लिए, ... अब वो प्यार से उसकी गदरायी गोल गोल चूँची सहलाने लगा, और छेड़ते हुए बोल,
" बोल न किसको चोदू, क्या चोदू "
" अरे और किसको चोदेगा होनी एकलौती बहिनिया को चोद उसकी कच्ची चूत चोद, चोद न भैया,.... "
और यह कह के रेनू ने कस के चूतर का धक्का दिया और साथ में कमल ने भी आधा से ज्यादा खूंटा बहन की बिल गप्प से घोंट गयी।
" और फिर तूने मना कर दिया तो फिर,.... " कस के चूँची मसलते गाल काटते कमल ने अपनी छोटी बहन से पूछा।
चूतड़ मटका के सिसकते हुए रेनू बोली,
" भैया एक बार मजा लेने के बाद पहली बात तो मैं मना नहीं करुँगी, इतनी भी बुद्धू नहीं हूँ मैं और दूसरी बात, अगर मना भी करूँ तो कोई जरूरी है तू मान,... कर लेना जबरदस्ती " बड़ी अदा से बहन बोली,
![]()
अब उसके बाद तो कमल को कौन रोक सकता था, थोड़ी देर में जब मोटा सुपाड़ा बहन की बच्चेदानी से जोर से टकराया तो वो झड़ने लगी. लय तूफ़ान में पत्ता कांपेगा, क्या बाढ़ में नदी हिलोरे लेगी, जिस तरह रेनू काँप रही थी, झड़ना रुकता फिर शुरू हो जाता,
और जब कमल ने दुबारा हलके हलके धक्के मारने शुरू किये तो उसी तरह से रेनू जवाब देते बोली,
" भैया, चार साल पहले अगर तू ऐसे ही जबरदस्ती कर देता न, ... सच में मैं बहुत रोती चिल्लाती, लेकिन कब तक और घर में तो सब तेरा ही साथ देती,... "
टिपिकल लड़की अपना दोष कभी नहीं मानेगी लेकिन मान गयी मैं अपने देवर को
" अरे तब नयकी भौजी नहीं थीं न, और वो नहीं होती तो तू आज भी नीचे नहीं आती " देवर बोला और फिर तूफानी चुदाई
![]()
थोड़ी देर में देवर ननद साथ साथ झड़े , कटोरी भर मलाई भाई ने बहिनिया की बिल में छोड़ी.
![]()
Renu ki sharam abhi bhi nhi khuli, chup chap sun rhi h, bolegi kabबहिन भाई में इलू इलू
![]()
मेरी बांकी हिरनिया, प्यारी ननदिया ने जिस तरह से अपनी प्यार भरी बड़ी बड़ी आँखों से मुड़ के अपने भैया की ओर देखा, मैं समझ गयी, बहिन भाई में इलू इलू चालू हो गया. चमेलिया ने सहारा देके, रेनू को आम के बड़े पेड़ के नीचे लिटाया। लिटाया क्या, वो आम के पेड़ के तने के सहारे, अधलेटी, मीठे मीठे दर्द में डूबी, जाँघे उस की फटी जा रही थीं, चूत के अंदर भी जहाँ झिल्ली फटी थी, हलकी हलकी चुभन हो रही थी। कभी उसे दर्द का अहसास होता तो कभी कनखियों से अपने भाई को जो उसी के बगल में चिपका बैठा था, को देख लेती थी.
भाई तो एकटक उसे देख रहा था. जिस मिठाई को खाने के लिए वो चार साल से बेचैन था, लिबरा रहा था, आज ऐसे बगीचे में मिल गयी, और एक बार नहीं दो बार। कभी मन करता की झुक के अपनी बहन रेनू के गाल चूम ले तो कभी उस इंटरवाली के गदराये जोबन को देख के मन ललचा रहा था, मन कर भी रहा था, झिझक भी रहा था.
रेनू की झुकी हुयी निगाहें जिस तरह से लरजते हुए चुपके से अपने भैया को देख रही थीं, और कभी उसके सोते जागते मूसल को जिसने उसकी कुँवारी ओखली में इतना ग़दर मचाया था, ...
![]()
वो भले सोच रही हो की कोई नहीं देख रहा हो, लेकिन हम दोनों भौजाइयां देख भी रही थीं, समझ भी रहीं थी, मुस्करा भी रही थीं.
मैंने छेड़ा,
क्यों बिन्नो मजा आया मेरे देवर के साथ,...
![]()
चमेलिया इतनी आसानी से नहीं छोड़ने वाली नहीं थी अपनी ननद को, गाल पे जोर से चिकोटी काटते बोली,
" अरे अस चूतड़ मटकाय मटकाय के अपने भैया का लंड घोंट रही थी, अब लजा रही हो। बोलो साफ़ साफ़ मजा आया न भाई चोद को चोद के "
अब रेनू ने खुल के अपने भाई कमल को देखा और मुस्करा पड़ी, सब दर्द भूल चुकी थी वो। चमेलिया मेरी एकलौती देवरानी मुझे भी नहीं छोड़ने वाली थी, मुझ से बोली,
" अरे तनी अपने बहनचोद देवर से पूछो बहिनिया चोद के मजा आया की नहीं। "
अब कमल के शर्माने की बारी थी लेकिन हम दोनों क्यों थीं वहां पर, कमल का जो हाथ रेनू के कंधे पर था, चमेलिया ने खींच के उसे रेनू के जोबन पर रख दिया और हड़का के बोली,
"बहिन के कहाँ हाथ रखा जाता है ये भी सिखाना पडेगा "
![]()
बस अब तो हवा मिठाई मिल गयी थी, कमल ने हलके हलके उभारों को दबाना मसलना शुरू कर दिया, कभी निपल मसलता कभी निपल पकड़ के खींचलेता।
![]()
जब रेनू नौवें में थीं स्कूल के टॉप में छोटे छोटे चूजे, देखता था तभी से ललचाता था, अब मिला है मौका,...
रेनू भी अब एक बार फिर से गरमा रही थी. उसकी फैली हुयी खुली खुली जाँघों के बीच मलाई बह रही थी, उसके भाई की। उसकी निगाहों को देख के मुझे भी शरारत सूझी, मैंने हथेली से रेनू की चूत रगड़नी शुरू कर दी, और सब मलाई निकाल के रेनू के चेहरे पर मल दिया और छेड़ा,
" अब रूप निखर आया है मेरे देवर की दुलहिनिया का"
और फिर ऊँगली डाल के रेनू की अब खुल गयी बुर में ऊँगली डाल के करोच करोच के , जैसे कोई दही की कहतरी से किनारे लगी सूखी मलाई निकाले,
![]()
मलाई निकाल के उसके मुंह में , और चिढ़ाया,
"अरी बिन्नो, नीचे वाले मुंह ने तो मलाई घोंट ली है ज़रा ऊपर वाले मुंह को भी तो कुछ स्वाद चखा दो,... " फिर ऑफर दिया, " क्यों मन कर रहा है एक बार और खाओगी मलाई"
अब रेनू खुल के अपने भैया के खूंटे को देख रही थी, अभी भी सोया ज्यादा था जागा कम। सोते हुए भी ६ इंच से कम का नहीं रहा होगा। दो बार चोद चूका था कच्ची कली को, झिल्ली भी फाड़ी थी तो थोड़ा थकना नेचुरल था। लेकिन जो नैना ननदिया ने कमल के बारे में बताया था और गाँव में काम करने वालियों ने कमल था पक्का चोदू, इसलिए दो बार के बाद तीसरी बार उसके लिए कोई नयी बात नहीं थी।
" बोल हो जाए एक बार ओर "
मैंने फिर छेड़ा। पहली बार तो जोर जबरदस्ती थी थोड़ी , लेकिन अबकी खेल मन मर्जी वाला होना और वो भी शुरुआत रेनू को ही करनी थी। रेनू के मुंह में भी जुबान आ गयी थी, खिलखिलाते हुए बोली,
" अरे नयकी भौजी अभी सो रहा है "
Renu to jese mooh me fevicol laga kar bethi hai, sirf chup chap maje lena chahti haiजग गया शेर
![]()
" बोल हो जाए एक बार ओर " मैंने फिर छेड़ा। पहली बार तो जोर जबरदस्ती थी थोड़ी , लेकिन अबकी खेल मन मर्जी वाला होना और वो भी शुरुआत रेनू को ही करनी थी। रेनू के मुंह में भी जुबान आ गयी थी, खिलखिलाते हुए बोली,
" अरे नयकी भौजी अभी सो रहा है "
" अरे तो जगा दो न, तनी झुक के चुम्मा चाटी करो, मुंह में ले के चुसो, कस कस के,.... अभी देखो मेरे देवर का शेर जग जाएगा " मैंने चढ़ाया कमल की बहन को।
हिम्मत कर के रेनू ने अपने भाई के खूंटे पर हाथ रख दिया था लेकिन चूमने में वो झिझक रही थी पर टिपकिल ननद। भौजाई को चिढ़ाने का मौका कौन ननद छोड़ती है। मुझे उकसाते बोली,
" अरे भौजी कुल काम ननद ही करेगी, माना हमार एकलौता प्यारा प्यारा भाई है लेकिन भौजी क भी तो देवर है। "
" एक भौजाई तोहरे बगल में भी तो बैठी हैं हमार देवरानी "
चमेलिया मेरी ननद की ओर से बोल रही थी मैंने उसे ही फंसा दिया लेकिन मेरी देवरानी हार नहीं मानने वाली थी, रेनू से बोली, एकदम हमार देवर है तो हम भी चूम चाट लेंगे लेकिन ओकरे बाद जहाँ जहां जउन छेद में हमरे देवर का मन करेगा ओहि में,...
" एकदम भौजी " रेनू फंस गयी जाल में।
एक झटके में चमेलिया ने कमल का लंड पकड़ के जो रगड़ा तो एक झटके में बड़ा सा सुपाड़ा खुल गया।
चमेलिया की जीभ उस सुपाड़े पर पतुरिया की तरह नाच रही थी, फिर गप्प से सुपाड़ा मुंह में ले कर चुभलाने लगी, थोड़ी देर में ही कमल का लंड सख्त खड़ा, ...
![]()
मुंह बाहर निकाल के दो मिनट बाद खूंटा पकड़ के चमेलिया ने रेनू को पेश किया, जैसे दो सहेलिया मिल के लॉलीपॉप चूसती है एक बार एक ने फिर दूसरी,... झिझकते हुयी रेनू ने खुद अपने मुंह में अपने भाई का सख्त लंड ले लिया, मुश्किल से आधा सुपाड़ा अंदर गया होगा, लेकिन गाँव की भौजाईयां काहें होती हैं, मैंने और चमेलिया ने एक साथ रेनू का सर पकड़ के उसके भाई के मूसल पे दबा दिया , इंच इंच कर के तीन चार इंच घोंट गयी होगी। कौन भाई बहन का मुंह चोदने का सुख छोड़ देता, फिर कमल ऐसा भाई,, अब उसने रेनू का सर पकड़ लिए और आगे पीछे कर के,
![]()
मेरे और चमेलिया के हाथ खाली हो गए थे, ननद के एक एक जोबन हम दोनों ने बाँट लिए थे और चमेलिया की ऊँगली ननद की बिल में। दो बार चुदने के बाद भी रेनू की अभी बड़ी टाइट थी, चमेलिया ऊँगली कर रही थी और मैं रेनू के गोल गोल चूतड़ सहला रही थी और बार बार मेरी निगाह रेनू के पिछवाड़े के छेद पर,... छेद क्या बस टाइट दरार थी , मुश्किल से दिखती थी। लेकिन थी बड़ी प्यारी एकदम लेने लायक।
मैंने कमल को इशारा किया और उसने बहन के मुंह से खूंटा निकाल लिया।
रेनू को इशारा भी नहीं करना पड़ा, वो एक बार फिर से जिस बड़े पुराने आम के पेड़ को पकड़ के निहुरी थी, वही पकड़ के निहुर गयी। और कमल अंदर।
चमेलिया की पुकार मची थी, गुलबिया अकेली पड़ रही थी, रमजनिया को जाना भी था. दूबे भौजी दो बार पूछ चुकी थीं, तो मैंने चमेलिया को जाने का इशारा कर दिया, और रेनू के भाई कमल के पीछे जा कर खड़ी हो गयी, आज सब भौजाइयां सिर्फ साड़ी पहनी थी, अपने जोबन कस के उसमें बांधे, जरा सा सरका दो तो... और मैं तो होलिका माई की उतरन, उनका परसाद साड़ी पहनी थी... ज़रा सा साड़ी ऊपर से नीचे सरकी, दोनों बरछी की नोक देवर की पीठ में धंसने लगी और कान में मैंने उसके फुसफुसा के पूछा,
मेरी एक नजर रेनुवा की चूत में धंसे उसके भाई के खूंटे पर पड़ी, सच में बहुत ही मोटा था, और जिस बेरहमी से वो पेल रहा था,... रेनू कभी जोर से चीखती तो कभी मजे से सिसकती,...
![]()
दोनों खुली बरछी की नोंक मैंने देवर के पीठ में रगड़ते चिढ़ाया,...
" क्यों देवर रज्जा, मजा आ रहा है बहिनिया चोदने में,... बहुत मस्त माल है। "
![]()
जवाब उसने थोड़ा सा खूंटा निकाल के एक धक्के में आधा अंदर पेल कर दिया और रेनुआ चीख पड़ी,
ओह्ह्ह उफ्फ्फ्फ़ जान गयी,... नहीं, उह्ह्ह,...
गाँव की बड़ी उमर की कामवालियों ने कमल को सब गुन ढंग सीखा दिया था,... मैंने इशारे से निहुरी रेनू की फैली टांगो की ओर इशारा किया और कमल ने अपनी दोनों टांगो को अपनी बहन की टांगों के बीच में डाल के अच्छी तरह से फैला दिया,...
" तेरी बहन की गाँड़ भी बड़ी मस्त है, एकदम कोरी, मारोगे,... " मैंने कमल के कान में जीभ से सुरसुरी करते पूछा।
![]()
" अरे भौजी ससुरी मारने नहीं देगी, मन तो बहुत कर रहा है, कब से कर रहा है,... बुरिया पेलने में ही इतना चोकर रही है " कमल में उसी तरह से हलके हलके अपनी परेशानी बताई।
Please read up to the last part and share your thoughtsRenu to jese mooh me fevicol laga kar bethi hai, sirf chup chap maje lena chahti hai