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Adultery छुटकी - होली दीदी की ससुराल में

Shetan

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aap ke comments meri kahani ko utsahit karte hain, aur agaae badhne men help karate hain , bas ye saath bana rahe
Sath to ab kabhi nahi chhutne vala komalji. Ek brack liya he mene. Bas apni chhoti si kahani ke lie. Esa mat sochna ki me chali gai.
Aap ka har ek axar me betabi se padhne vali hu. Ye chudel ka vada he. Bas kuchh wakt is chudel ka intjar karna.
 

komaalrani

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Sath to ab kabhi nahi chhutne vala komalji. Ek brack liya he mene. Bas apni chhoti si kahani ke lie. Esa mat sochna ki me chali gai.
Aap ka har ek axar me betabi se padhne vali hu. Ye chudel ka vada he. Bas kuchh wakt is chudel ka intjar karna.
but its time well spent. aapkaki kahani bahoot bahoot acchi hai, Horor genre men aisi story likhana bahoot mushkil hai
 

komaalrani

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एकदम सही बात कही आपने प्यार और बिरहा यह दोनों चीजें गध के अपेक्षा पद में ज्यादा ही सही तरीके से व्यक्त की जा सकती हैं।
Thanks so much
 

komaalrani

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पहिला निशाना ही सही जगह लग गया क्या
ekdam, balvaan ke saath saath viryvaan bhi hai balak
 

komaalrani

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komaalrani

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एकदम से तहलका मचा देगा... अपने आस-पास के कोमलान्गियों के बीच...
yesssss
 

Shetan

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but its time well spent. aapkaki kahani bahoot bahoot acchi hai, Horor genre men aisi story likhana bahoot mushkil hai
Me bas vahi likhne or sochne ke lie brack liya he. Muje apni kahani likhne me aapki kahani ka bhi bahot aham roll he.

Me kuchh wakt action likh rahi thi. Sath me thode emotional seen bhi baki he.

Me romance likhna hota he to mohe rang de ko dill se padhti hu. Pahele padhna fir feel karna. Or bad me vo feel ko screen pe utarna. Tab to likhne me maza aata he. Bas kuchh wakt bad romance aaega. Or muje mohe rang de ki fir se yaad aaegi.
 

Shetan

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but its time well spent. aapkaki kahani bahoot bahoot acchi hai, Horor genre men aisi story likhana bahoot mushkil hai
Are Komalji man gae. Aap ki skill hi nahi aap ka dill bhi bada he. Apne apni post pe meri kahani ki tarif kari.

Amuman log sirf apni kahani pramot karne ke lie kuchh bhi bolte he. Par aap to great ho komaljo.

Chudel ka vada. Aap ke har aksar ko siddat se padhegi. Or vese bhi aap ke jesa to koi likh bhi nahi sakta.
 

Random2022

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भैया बहिनी




जमीन पर बिखरे दोनों के कपड़ों की तरह शरम भी अब कहीं फर्श पर बिखरी थी, खुली खिड़की से ठंडी ठंडी हवा आ रही थी, थोड़े बहुत बादल कभी चाँद को घेर कर अँधेरा कर देते तो कभी चांदनी उन्हें बिखरा के गीता और उसके भाई अरविन्द की काम क्रीड़ा देखने कमरे में घुस के पसर जाती।


बात गीता ने ही शुरू की, ... बिन बोले, कभी छोटे छोटे चुम्मी से तो कभी अपनी उँगलियों से भाई अरविन्द के चौड़े सीने पे कुछ लिख के,... और फिर फुसफुसाहटों में, ...

" भैया तेरा मन बहुत दिन से कर रहा था न "



हाँ "

बहुत हलके से बोला अरविन्द लेकिन कस के अपने चौड़े सीने से बहन के छोटे छोटे जोबन को दबा देकर और जोर से बहन की बात में हामी भरी। बहन ज्यादा बोल्ड थी, वो खुल के बोली,...

" भैया, मेरा मन भी बहुत दिन से कर रहा था,... तेरे साथ करवाने को,... तेरा मन कर रहा था तो किया कयों नहीं ?"

" अब करूँगा अपनी बहना से प्यार रोज करूंगा, बिना नागा, दिन रात,... " और अरविन्द ने कस के अपनी बहन को चूम लिया





और जैसे उसके इरादे की हामी भरते, उसका खूंटा भी अब खड़ा होने लगा था।

गीता ने भी अपने सगे भाई को कस के चूम लिया,... और उसका एक हाथ खींच के अपने उत्तेजना से पथराये जोबन पे रख दिया , मन तो उसका यही कर रहा था, भैया कस के दबाएं मसलें कुचले,... मीज मीज के इसे, ... और जैसे बिन उसके बोले भैया ने इरादा समझ लिया और अब वो कस कस के अपनी छोटी बहन की चूँचियाँ मसल रगड़ रहे थे,

गीता और कस के भैया से चिपक गयी, बस मन कर रहा था ये रात कभी ख़तम न हो। अपनी देह वो भैया की देह से रगड़ने लगी, मन तो उसका बस यही मन कर रहा था की भैया कस के पेल दें, लेकिन उनकी बाहों से वो अलग भी नहीं होना चाहती थी, और अब चांदनी पूरी तरह दोनों की देह को नहला रही थी , गीता खुल के सब देख रही थी,


बात गीता के मन की ही हुयी , वो भले ही अनाड़ी थी पर भैया उसका पूरा खिलाडी था,

हाँ भाई बहन के रिश्ते के नाते कुछ बहन की कच्ची कोरी उमर के नाते लेकिन अब दो बार कस कस के चोद लेने के बाद, ...


खूंटा अब पूरा खड़ा हो चुका था,, उसने साइड में लेटे लेटे ही,...



साइड में बहन की जाँघों को पूरा फैलाया, एक हाथ से पकड़ के अपनी टांग के ऊपर, अब खूंटा सीधे बिल के पास, ... एक हाथ में तेल लेके एक बार फिर से कस के अपने लंड को मुठियाते हुए उसे तेल से चुपड़ दिया,... दो बार की हचक की चुदाई के बाद चूत का मुंह थोड़ा खुल गया था पर फिर भी एक हाथ की ऊँगली से दोनों फांको को फैला के , सुपाड़ा सटा दिया,...




और बस एक करारा धक्का और आधे से ज्यादा मोटा सुपाड़ा बहन की बुर के अंदर,... और बहन की बुर ने उसे भींच लिया कस के .

दो बार की मलाई और कडुआ तेल से गीता की बुर चप चप कर रही थी।




इसलिए सुपाड़े को घुसने में उत्ती दिक्क्त नहीं हुयी, दो तीन धक्के और पूरा सुपाड़ा अंदर पैबस्त हो गया, गीता की बिल में लेकिन एक बार फिर से तेजी से दर्द की लहर उठी और वो उसे पी गयी लेकिन उसे इसका इलाज मालूम था और उसने अपने होंठ भैया के होंठों पे रख दिए , अरविन्द को और इशारा करने की जरूरत नहीं थी , जीभ की नोक से उसने बहिना के रसीले गुलाबी होंठों को खोल दिया और अपनी जीभ बहन के मुंह में पूरी अंदर तक घुसेड़ दिया।




यही स्वाद तो हर बहन चाहती ,है नीचे वाले मुंह में भैया का खूंटा धंसा हो और ऊपर वाले मुंह में भैया की जीभ। अरविन्द ने अपने होंठों से उसके होंठों को एकदम सील करदिया था , कभी बहन के होंठों को चूस चूस के उसका रस लूटता तो कभी हलके से दांत गड़ा देता,

बेचारी गीता सिसक भी नहीं पाती पर इसी बेबसी के लिए तो हर बहन तरसती है, और वो चाहती भी यही थी की भैया के जीभ का रस उसे मुंह के अंदर मिले।


उसे कस के दबोच के उसके भाई अरविंद ने चार खूब करारे धक्के लगाए , अब तो बहन चाह के भी चीख नहीं सकती थी , लंड आधे से ज्यादा घुस गया, और उसने धक्का लगाना रोक दिया , एक हाथ कस के बहन के जोबन का रस ले रहा था तो दूसरा क्लिट की हाल चाल,

गीता गरमा रही थी, और वो समझ गयी थी उसे क्या करना है , भैया क्या चाहता है उससे,



वो भी भाई को कस के पकडे थी, और गाँव की लड़की ताकत में किसी से कम नहीं , बस कस के उसने भी भाई पर अपनी बाँहों की पकड़ बढ़ाई और कस के धक्का मारा, पहली बार तो कुछ नहीं हुआ लेकिन दो चार धक्के के बाद लंड इंच इंच कर के उसकी बुर में सरक सरक के अंदर जाने लगा,... बुर उसकी दर्द से फटी जा रही थी लेकिन पहली बार वो खुद धक्के मार मार के इस बदमाश मोटू को घोंट रही थी।

लेकिन आठ दस धक्के के बाद उसकी कमर थकने लगी,...

कुछ देर दोनों रुके रहे पर अब भाई ने नंबर लगाया लेकिन बजाय अंदर पेलने के वो धीरे धीरे सरका के बाहर निकाल रहा था , गीता से नहीं रहा गया,... और अब एक बार उसने धक्को की जिम्मेदारी सम्हाल लिया और जितना बाहर निकला था वो एक बार फिर से अंदर,...


बारिश तेज हो गयी थी , और हवा का रुख बदल गया था।




खुली खिड़की से तेज बौछार अब पलंग पे आ रही थी और दोनों भाई बहन भीग रहे थे, लेकिन जोश में कोई कमी नहीं थी। जैसे बारिश में भी सहेलियां , ननद भौजाई , सावन में भीगते हुए भी झूले का मजा लेती रहती हैं, ... उसी तरह दोनों बारी बारी से झूले की पेंग की तरह धक्के लगा रहे थे, जल्दी किसी को नहीं थी , भाई दो बार बहन की बुर में झड़ चुका था वैसे भी वो लम्बी रेस का घोडा था , बीस पच्चीस मिनट के पहले और अबकी तो तीसरा राउंड था,...

और बहन भी अब दर्द की दरिया पार कर सिर्फ खुल के मजे ले रही थी और समझ रही थी की नयी नयी आयी भौजाइयों को क्यों रात होते ही नींद आने लगती है , जम्हाई भरने लगती हैं पिया के पास जाने को।

आठ दस मिनट के बाद ही अबकी पूरा मोटू गीता के अंदर घुसा , लेकिन एक बार जैसे ही बच्चेदानी पे धक्का लगा , गीता कापने लगी, झड़ने लगी , पर भाई अबकी रुका नहीं , दोनों हाथों से उसने कस के बहन की चूँची पकड़ के , पहले तो कुछ देर तक मसला और जैसे ही बहन का कांपना रुका , एकदम तूफानी धक्के ,...



हर धक्का सीधे बच्चेदानी पे , आलमोस्ट पूरा लंड बाहर और फिर रगड़ते दरेरते चूत फाड़ते पूरी ताकत से बहन की बच्चेदानी पे जबरदस्त चोट मारता और बहन काँप जाती, कुछ दर्द से लेकिन ज्यादा मजे से,... दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद जब गीता झड़ी तो साथ साथ उसका भाई अरविन्द भी उसकी चूत में


दोनों थोड़ी देर में ही नींद में गोते लगा रहा थे, देस दुनिया से बेखबर। भाई बहन तीन बार के मिलन के बाद खूब गहरी नींद,..

Geeta , itne salon ki kasar ek raat me hi nikal legi
 

Random2022

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भाग ३२ - इन्सेस्ट गाथा अरविन्द और गीता,



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सुबह सबेरे



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आलमोस्ट पूरा लंड बाहर और फिर रगड़ते दरेरते चूत फाड़ते पूरी ताकत से बहन की बच्चेदानी पे जबरदस्त चोट मारता और बहन काँप जाती, कुछ दर्द से लेकिन ज्यादा मजे से,... दस पंद्रह मिनट की जबरदस्त चुदाई के बाद जब गीता झड़ी तो साथ साथ उसका भाई अरविन्द भी उसकी चूत में

.दोनों थोड़ी देर में ही नींद में गोते लगा रहा थे, देस दुनिया से बेखबर। और भाई बहन तीन बार के मिलन के बाद खूब गहरी नींद,..


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गीता की नींद थोड़ी देर में खुली, तो उसने देखा की वो करवट लेटी थी थी, भइया उसके पीछे से उसे पकडे ,एक हाथ उसके उभार पे , थोड़ा सरक के नीचे,... गीता ने भैया का हाथ ठीक कर के एक बार फिर से उभार पर,... 'वो' भी पीछे से उसकी दरार में चिपका,... हलके से वो मुस्करायी , और खुद ही अपने को पीछे से सरका के और चिपका लिया , भैया से ,...

और फिर सो गयी,...


और जब उसकी नींद खुली , आँखे उसने तब भी नहीं खोली थी,... पीछे से ही ' वो ' अंदर से दरार में घुसने की कोशिश कर रहा , खूब मोटा तगड़ा , पूरा जगा,... गीता ने अपनी टांग को और उठा लिया , बस उसे मौका मिल गया और हलके हलके धक्के , ... अब बहन भी ,...जैसे दो सखियाँ सावन में झूले की पेंगे दे रही हों ,... बारी बारी से ,... बस हलके हलके ,..,



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तीन बार की मलाई अंदर अंदर ,... बहुत देर तक ,... और भैया बहन दोनों साथ साथ ही ,... और एक बार फिर से दोनों नींद में ,...


बहना बस यही मना रही थी आज सूरज खूब देर से निकले , रात खूब लम्बी हो ,...

पर सुबह हुयी और नींद गीता की ही पहले खुली भैया ने अभी भी पीछे से उसको पकड़ रखा था , बहुत हलके से वो हटी ,... बादल खूब थे , एक बार फिर बूंदे शुरू हो गयीं थी लेकिन आवाजों से पता चल रहा था सुबह हो गयी थी ,... गाय दुहने वाली आ गयी थीं, ग्वालिन भौजी।



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वो सम्हल के बिस्तर से उतरी, पलंग के नीचे उसकी समीज मुड़ी तुड़ी पड़ी थी ,... अब अपने को इस हालत में देख के एक पल के लिए वो शर्मा गयी और समीज पहन लिया , और उसी के ऊपर भैया की जांघिया ,... मुड़ के उसने देखा। ..

कित्ता प्यारा लग रहा था , भैया और भैया का ' वो ' सोते समय इत्ता सीधा और जागते ही ,... लेकिन वो मुस्करायी,

उस समय भी तो प्यारा ही लगता था था ,... भैया के जांघिए को भी उसने शरारत से उठा लिया ,... और अपने साथ बरामदे में ला के वहीँ टांग दिया और खुद रसोई में ,...



और थोड़ी देर में चाय बना के भैया के पास ,... उठो न भैया ,...सुबह हो गयी है कब तक सोओगे,...



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वो ऐसे बोल रही थी जैसे रात में कुछ हुआ ही न हो,...

पर उठते ही भैया ने खींच के अपनी गोद में बिठा लिया और जो चाय वो पी रही थी यही प्याला , जहाँ उसके होंठ लगे थे , वहीँ होठ लगा के पी गया,.... समीज एक बार फिर सिकुड़ मिकुड के ऊपर ,

दोनों उभार बाहर ,...


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और कभी वहां हाथ कभी होंठ , ...


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वो कौन कम थी, ... अपने छोटे छोटे चूतड़ों से भैया के मूसल को रगड़ रही थी, अब उसे डर नहीं लगता था प्यार आता था , रात में तीन बार घोंट चुकी थी , जड़ तक , और उसके बाद एक बार सुबह सबेरे भी आधे सोते आधे जागे, कुल चार बार रबड़ी मलाई खा चुकी थी भैया की , अब तक उसके जाँघों में लिथड़ी थी,...


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Yeh geeta to komal ji ka record ke barabari karli
 
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