कोशिश करुँगी, आज कल में अपडेट यहाँ दे दूँ।
मुझे लगता है, उत्तेजना, देख सुख, मजे की सिसकियाँ, ये सब तो होना चाहिए, आखिर वयस्क फोरम है, लेकिन कभी कभी तन के साथ मन की बात भी अगर छलक जाए तो बुरा नहीं है, और नारी रूप का वह चित्र जिसमे, जैसे कोई रस का घट लगे, लेकिन अंदर दुःख भरा हो, बस छलछला के बाहर न निकले इसलिए मुस्कान का जबरदस्त ढक्कन लगा हो,
कभी कभी पढ़ के बस आँख की कोर हलके से गीली हो जाए, और कोई आँचल के कोने से उसे पोंछ ले और हंस के बात दूसरी ओर मोड़ दे,
कभी कभी इस की बात भी होनी चाहिए, लेकिन उस वेदना को कोई आप जैसा पढ़ने वाला, समझने वाला मिल जाए तो दुःख में भी सुंख मिल जाता है,
कोई वेदना को समझे, वही तो संवेदना है
कोई अनुभूति में साथ दे, उसे बिन बोले बाटे, वही तो सहानुभूति है
और आप और आप ऐसे अनेक पाठको के सहारे यह कहानी लता बेल सी, हाथ पकड़ के, सहारा ले ले के धीरे धीरे ही ऊपर चढ़ रही है आगे बढ़ रही है और यह मेरा मेरे पाठक मित्रों पर विशवास है, पिछले भाग में करीब करीब ५० हजार व्यूज मिले, जोरू के गुलाम के पिछले कई भाग में इन्सेस्ट क्या, सेक्स भी नहीं है और बहुत तकनीकी हैं लेकिन फिर भी पिछली पोस्ट में ५० हजार से ज्यादा व्यूज मिले
तो बस कोशिश करुँगी की जल्द अपडेट दूँ और अनुरोध है की अगले दो अपडेट जो नारी की वेदना से ही जुड़े होंगे बस उसी तरह आप भी अपनी मन की बात रखियेगा,
आभार