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Incest कैसे कैसे परिवार

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आठवाँ घर: स्मिता और विक्रम शेट्टी
अध्याय ८.३.८
************

अब तक:

महक आज अपनी भावी ससुराल में रुकी थी और उसे अपने भावी सास और ससुर से समागम करने का प्रथम अवसर प्राप्त होने जा रहा था. श्रेया और मोहन इस समय श्रेया के घर पर थे जहाँ सामूहिक पारिवारिक चुदाई की योजना थी. मेहुल नूतन के पास था और अब नूतन की गांड मारने के लिए उत्सुक था. स्मिता और विक्रम कई दिन बाद अकेले घर में थे और इसका वो सम्पूर्ण लाभ उठाना चाहते थे.

अब आगे:
************
सुजाता का घर:

तीनों जोड़े एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे से लिपटे रहे. समय जैसे थमा हुआ था. उन्हें पता था कि आज रात हर मिश्रण में चुदाई का आनंद मिलेगा और इसके लिए वे पूर्ण रूप से तत्पर थे.
सभी कुछ देर यूँ ही शांति से लेटे रहे. फिर विवेक उठा और सबके लिए नए पेग बनाये. श्रेया भी उठी और उसकी सहायता करने लगी. देखते ही देखते स्नेहा भी आ गई और तीनों ने मिलकर सबके पेग बनाये. उधर सुजाता, अविरल और मोहन भी अब बैठ गए थे. सुजाता दोनों के बीच में स्थापित हो गई. स्नेहा और श्रेया ने आकर उन्हें उनके पेग दिए और फिर तीनों भाई बहन अपने पेग लेकर उनके सामने बैठ गए.
“तुम दोनों सप्ताह में एक दिन आ ही जाया करो. देखो कितना अच्छा लग रहा है, सब ऐसे बैठे हुए हैं.” सुजाता ने कहा. अविरल ने भी उसका समर्थन किया.
मोहन: “ठीक है, हम दोनों हर शुक्रवार आ जाया करेंगे. अन्य किसी दिन सम्भव नहीं है.”
श्रेया और स्नेहा एक दूसरे से लिपट गयीं. सुजाता भी अपनी इच्छा पूरी होते देख प्रसन्न हो गई. सबके चेहरों पर एक प्रसन्नता थी. अपने पेग के घूँट लेते हुए अन्य बातें चलती रहीं. सुजाता चुदाई के लिए आतुर हो रही थी और अपने दोनों ओर बैठे अपने दामाद के लौडों को सहला रही थी.
“लगता है मम्मी को अब इन दोनों से एक साथ चुदना है. है न मम्मी?” श्रेया ने सुजाता की इच्छा का अनुमान लगाया.
“हाँ पर….” सुजाता कुछ बोलती इसके पहले ही स्नेहा बोल उठी.
स्नेहा: “मम्मी, आप हम तीनों भाई बहन को आनंद लेने दो, आप पापा और जीजू से चुदवाओ। अगर हुआ तो भैया को भी भेज देंगे आपकी सेवा में. तब मैं और दीदी भी एक दूसरे को सुख देंगे.”
“कितनी प्यारी बच्ची है. ठीक है. विवेक को भी भेज ही देना, जब मन करे.”
सुजाता ने झुकते हुए मोहन के लंड को मुंह में लिया और कुछ देर चूसकर अविरल की ओर मुड़ गई. बड़ी सरलता से वो एक एक करके दोनों लंड चूस रही थी. स्नेहा ने विवेक के लंड को कुछ देर चूसा और फिर लेट गई. श्रेया ने उसके मुंह पर अपनी चूत लगाई और झुकते हुए अपने मुंह से स्नेहा की चूत को चाटना आरम्भ कर दिया. विवेक ने अपने सामने परोसी हुई अपनी दीदी श्रेया की सुडोल गांड को देखा तो उसे अपना लक्ष्य दिख गया.
विवेक ने अपनी माँ की ओर एक बार देखा जो अब तक दोनों लौड़ों को चूसने में ही व्यस्त थी. उसके एक एक मम्मे पर उनके पति और दामाद के हाथ थे और उनकी चूत में अविरल की उँगलियाँ चल रही थीं. विवेक को पता था कि अब शीघ्र ही उसकी माँ चुदने के लिए व्याकुल होने वाली है. उसने अपने सामने खिली हुई गांड को देखा और आगे बढ़कर उसपर अपना थूक लगाया. अंगूठे की सहायता से थूक को अंदर धकेला. श्रेया ने विवेक का तात्पर्य समझा अपनी गांड को ढीला किया तो विवेक का अंगूठा सरलता से अंदर प्रवेश कर गया.
अपने लंड को अपनी दीदी की गांड पर रखते हुए उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उसकी दोनों बहनें एक दूसरे की चूत चाटने में कितनी मग्न थीं. हल्के दबाव के साथ उसके सुपाड़े ने श्रेया की मखमल सी कोमल गांड में अपना स्थान बना ही लिया.
“शाबास! विवेक. अपनी दीदी की गांड अच्छे से मारना। बेचारी तुम्हारे लंड के लिए बहुत तरसती है.”
श्रेया ने अपना मुंह स्नेहा की चूत से हटाया, “तो आप अब हर सप्ताह आने के लिए स्वीकृति दे ही दीजिये.”
“अरे, जब मम्मीजी ने कह दिया तो मैं कैसे मना कर सकता हूँ? हैं न मम्मीजी?”
इस बात से वातावरण कुछ हल्का हो गया. पर सुजाता की प्यास भड़क गई.
“तो फिर आ जाओ और मेरी गांड मारो दामादजी.” सुजाता ने अपने मुंह से लंड निकाले और अविरल की ओर देखा.
“मुझे क्या देख रही हो, चढ़ जाओ और मोहन तुम्हारी गांड मार लेगा पीछे से.” अविरल ने सुजाता को कहा.
मोहन भी अब सास की गांड मारने के लिए उत्सुक था. उसने अपने लंड पर थूक लगाया, तब तक सुजाता अविरल के लंड पर चढ़ाई कर चुकी थी और पूरे लंड को उसकी चूत निगल गई थी. मोहन ने आव देखा न ताव और अपने लंड को सुजाता की गांड पर लगाया और एक झटके से सुपाड़ी को अंदर डाल दिया. सुजाता के मुंह से एक आनंद भरी सिसकारी निकली. उधर विवेक भी श्रेया की गांड में अपने लंड पर दबाव बनाये हुए उसे और अंदर धकेल रहा था. श्रेया की जीभ स्नेहा की चूत में अंदर जाकर अपनी छोटी बहन का रस पीने में व्यस्त थी.
सुजाता को मोहन ने सम्भलने का अवसर नहीं दिया. उसे अपनी सास की अनंत कामपिपासा का ज्ञान था और वो जानता था कि सुजाता दुहरी चुदाई में किसी भी प्रकार की कोताही सहन नहीं करती थी. विवाह के पहले भी वो अपने समुदाय के अन्य लड़कों के साथ उसकी कई बार चुदाई कर चुका था. वो सुजाता को वैसे ही चोदता था जैसे कि वो चाहती थी. अपने लंड को कुछ बाहर खींचकर एक लम्बे धक्के के साथ उसने लंड को लगभग पूरा गांड में डाल दिया. अपने ससुर के लंड का अनुभव उसे उस महीन झिल्ली के उस पर हो रहा था.
एक बार फिर लंड को बाहर निकालकर इस बार और अधिक शक्ति के साथ उसने धक्का लगाया और लंड को पूरा गांड में पेल ही दिया.
“आहा मोहन, क्या पेला है बेटा। अब तुम दोनों मेरी तगड़ी चुदाई करो. मेरी आत्मा तृप्त कर दो.” सुजाता ने कहा और अविरल के होंठ चूसने लगी.
अविरल ने अपनी कमर उठाकर धक्के लगाने आरम्भ किये और मोहन ने भी उसकी ताल में ताल मिलाकर सुजाता की चूत और गांड में लंड के हमले लगाते हुए सुजाता के मम्मों को अपने हाथों से मसलने लगा. मोहन वैसे तो बहुत शांत स्वभाव का था और उसकी चुदाई भी उसी प्रकार से होती थी, परन्तु अपनी सास के साथ वो एक नए ही रूप में दिखता था. ससुर और दामाद मिलकर सुजाता को निर्ममता से चुदाई करने लगे थे.
विवेक के लंड ने अब अपना पूरा मार्ग सरल कर लिया था और अब वो बड़ी सतर्कता के साथ अपनी बड़ी बहन की गांड मार रहा था. स्नेहा उसी चूत से बहते रस को छप छप कर पी रही थी और स्नेहा की चूत का रस श्रेया पी रही थी. विवेक के लंड की गति उतनी द्रुत नहीं थी जितनी उनके पास में चल रही चुदाई में थी. वो श्रेया की गांड का पूरा आनंद लेकर उसे मंथर गति से ही चोद रहा था.
अचानक विवेक ने अपनी गति कुछ बढ़ाई क्योंकि उसके मन में एक नया विचार आया था. श्रेया चाहकर भी अपनी गांड उछालकर उसके लंड का साथ नहीं दे सकती थी, क्योंकि उसकी चूत से स्नेहा की जीभ निकल जाती. पर वो अपने भाई और बहन के इस दोहरे हमले का आनंद पूर्ण रूप से ले रही थी. विवेक का ध्यान इस समय बँटा हुआ था, एक ओर वो श्रेया की गांड मरने में व्यस्त था और अपने लंड को अंदर बाहर होते देख रहा था, वहीं दूसरी ओर उसका ध्यान अपनी माँ की ओर भी था जिसे उसके पापा और जीजा चोद रहे थे. मोहन और अविरल की तीव्र और शक्तिशाली चुदाई से उसकी माँ के मुंह से निकलती हुई कामोत्तेजक चीखें उसे और भी प्रेरित कर रही थीं.
वो आगे झुका और उसने श्रेया के कान में कुछ कहा. श्रेया ने बिना कुछ कहे सिर हिलाया. तो विवेक ने अपनी गति कुछ और बढ़ाई और फिर रुक गया. स्नेहा को भी इस बात का भान हुआ.
विवेक ने बहुत सावधानी के साथ अपने लंड को श्रेया की गांड से निकाला और फिर उठकर अपनी माँ सुजाता के सामने बिस्तर पर जा खड़ा हुआ. अविरल ने नीचे से उसे देखा और मुस्करा पड़ा, वहीँ जब मोहन ने ये देखा तो अपनी गति और बढ़ा दी. एक अच्छे दामाद का ये कर्तव्य है कि वो अपनी सास के सुख के लिए कर प्रकार का प्रयास करे. इस समय श्रेया ने भी अपने भाई के तने लंड को देखा जिसपर उसकी गांड का रस चिपका हुआ था. सुजाता की गांड पर जब मोहन ने हल्की सी चपत लगाई तो उसने अपनी आँखें खोलीं और अपने सामने अपने बेटे के लंड को लहराते हुए देखा.
उसकी आँखों में एक नई चमक आ गई और उसके शरीर में एक नए आनंद का संचार हुआ. तीन तीन लंड से चुदने का ये स्वर्णिम अवसर, वो भी जब वो तीनों ही उसके अपने परिवार के हों, उसके उन्माद को और भी बढ़ाने में सफल हुआ. बिना हाथों से छुए उसने अपना मुंह खोला और विवेक के लंड पर जीभ फिराई. फिर अपनी जीभ के द्वारा ही उसने लंड को अपने मुंह में लेने का प्रयास किया, पर सफल न हो पाई. विवेक ने अपनी माँ की सहायता करते हुए उसका सिर अपने हाथों से पकड़ा और थोड़ा लंड को मुंह में डाल दिया. सुजाता उसे इतने में ही चाटने लगी और फिर धीरे धीरे अंदर अपने मुंह में लेने लगी.
लंड के पर्याप्त मात्रा में अंदर जाने के बाद ही उसने अपने हाथों का प्रयोग किया और विवेक के लंड को चूसने लगी.
“मॉम, अधिक नहीं. मैं तो दीदी की गांड का स्वाद दिलाने के लिए आया हूँ. और हर कुछ मिनटों में आता रहूँगा।”
“ये तो बहुत अच्छी बात है.” सुजाता ने मुंह से लंड निकाला और कहने के बाद फिर से चूसने लगी.
जब श्रेया ने ये बात सुनी तो उसने अपने मुंह को स्नेहा की चूत से हटाया.
“तब तो हमें अपनी स्थिति बदल लेनी चाहिए. स्नेहा तुम पलट कर दूसरी ओर हो जाओ, और मैं इस ओर हो जाती हूँ, जिससे की विवेक भैया को हर बार चलकर इतनी दूर न जाना पड़े. बस गांड में से लंड निकालें और माँ से चुसवा लें.”
श्रेया के सुझाव में तर्क था और तत्क्षण ही ये परिवर्तन भी कर लिया गया. विवेक ने अपने लंड को सुजाता के मुंह से निकाला.
“बस मॉम, मैं यूँ गया और यूँ आया.” विवेक ने श्रेया की गांड के पीछे आते हुए कहा.
सुजाता ने अपने होंठों पर जीभ फिराई, “जब मन करे सो आ. वैसे तेरे पापा और जीजा भी थोक कर चोद रहे हैं आज.”
विवेक ने अपने लंड को श्रेया की गांड में फिर से डाला और इस बार गति कम नहीं रखी. श्रेया समझ गई कि उसकी गांड की अब घनघोर चुदाई भी होगी और उसकी माँ का भी उसकी गांड के स्वाद से कई बार परिचय होगा। उसने स्नेहा की चूत को चाटने पर और उत्साह दिखाया. स्नेहा कुछ व्यथित थी. ऊपर श्रेया के सिर के होने से उसे अधिक कुछ दिख नहीं रहा था और सुनाई सब दे रहा था. उसने सोचा कि ऐसे तो उसे केवल रेडियो की ही कमेंट्री सुनने मिलेगी, दूरदर्शन का आँखों देखा हाल नहीं. श्रेया की चूत को चाटते हुए वो इसका तोड़ सोच रही थी.
कुछ ही धक्कों के बाद विवेक अपनी माँ के सामने लौट गया. स्नेहा ने श्रेया की गांड पर थपकी दी. श्रेया ने अपनी चूत को उसके मुंह से हटाया.
“दीदी, भैया को बोलो मुझे भी आपकी गांड का स्वाद लेना है. एक बार मुझे और फिर एक बार मॉम को.”
श्रेया ने स्वीकृति दी और विवेक ने भी सुन लिया. दोनों बहनें एक दूसरे की चूत पर फिर से टूट पड़ीं. इस बार विवेक ने वही किया, श्रेया की गांड कुछ देर मारकर श्रेया को आगे किया और स्नेहा को लंड सौंप दिया. दो तीन बार इसी चक्र के बाद अब उसके टट्टे खाली होने की अर्चना करने लगे. दूसरी ओर भी अब चुदाई समाप्त होने में अधिक देर न थी. मोहन और अविरल अपनी पूरी शक्ति सुजाता की चुदाई में झोंक रहे थे और सुजाता की चीखें धीरे धीरे क्षीण हो रही थीं. अब उसके मुंह से सिसकारियां ही निकल रही थीं.
अविरल ने अपने रस की फुहार सुजाता की चूत में उढेली तो सुजाता की चूत को ठंडक पड़ी. पर गांड की जलन को ठंडा होना शेष था. एक अच्छे दामाद का कर्तव्य पूरा करते हुए मोहन ने अपने रस से अपनी सास की गांड भरने में अधिक समय नहीं लिया. साथ ही अब विवेक भी सुजाता से अपने लंड के अंतिम पड़ाव के लिए लंड चुसवा ही रहा था. चूत और गांड को ठंडक मिली ही थी कि विवेक ने अपने रस से सुजाता के मुंह में वीर्यपात कर दिया. सुजाता निःसंकोच उस रस को पी गई. अब उसके मन को शांति मिली थी. उसके तीनों छेदों में उसके परिवार के पुरुषों ने अपने रस का योगदान दिया था. स्नेहा और श्रेया भी अपने चरम पर पहुंचकर एक दूसरे से लिपटी हुई थीं. मोहन और विवेक अपने कृत्य के समापन के बाद हट गए और सुजाता को सहारा देकर अविरल के ऊपर से हटाया.
सुजाता के चेहरे पर एक संतुष्टि थी और चेहरे पर एक चमक.
“क्यों मॉम, कैसा रहा?” श्रेया ने पूछा.
“अरे तू तो जानती ही है. इससे अधिक आनंद कभी मिल ही नहीं सकता. चलो अब मैं थोड़ा सफाई कर के आती हूँ फिर सोचेंगे कि सोना ये या चोदना।”

नूतन और मेहुल:

नूतन बिस्तर पर ड्रिंक ले कर बैठ गई, मेहुल ने भी वही किया. फिर नूतन कुछ देर तक उन अध्यायों को छानती रही. अंत में उसने एक अध्याय चुना.
टीवी पर एक सुंदर महिला के दर्शन हुए. उसके पीछे नूतन आई और फिर एक अन्य महिला. उन दोनों को देखकर मेहुल अचरज में पड़ गया. पहले आने वाली महिला एक प्रसिद्ध टीवी की कलाकार थी जो माँ और प्रेममई सास की भूमिका के लिए जानी जाती थी. उसके साथ वाली महिला भी उनके साथ एक धारावाहिक में कार्य कर रही थी और उसमें वो दोनों प्रतिद्वंदी थीं. पहली स्त्री कमल रंधावा थी और दूसरी जो विलेन थी उसका नाम दर्शा था. नूतन ने उन्हें कमरे में छोड़ा और बाहर चली गई.
नूतन ने शांति तोड़ी, “कमल क्लब की सदस्या है पर दर्शा नहीं है. इसीलिए उन्हें यहाँ आना पड़ता है. दोनों को स्त्रियों से भी सेक्स करना अच्छा लगता है. जहाँ तक कमल की बात है, तो वो हर प्रकार की चुदाई में सम्मिलित होती है, पर दर्शा अन्य पुरुषों से केवल गांड ही मरवाती है. वैसे इस वीडियो में उसका कारण भी पता चल जायेगा.”
मेहुल ने सिर हिलाया पर अपनी आंखें टीवी से हटाई नहीं. अब तक कमल और दर्शा एक दूसरे को चूमने में व्यस्त हो चुके थे और फिर उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए और संभाल कर अलमारी में टाँग दिए.
दर्शा: “तो आज क्या सोचा है?’
कमल: “वही हर बार के समान इस बार भी तीन लड़के आने वाले हैं. दो मेरे लिए तो एक तेरी गांड के लिए. क्यों नहीं चुदवा लेती सच में मन संतुष्ट हो जायेगा.”
दर्शा: “नहीं कमल, तू तो मेरे पति और मेरे समझौते के बार में जानती ही. मेरी चूत केवल उनके लिए है और वो भी किसी और की चूत में अपना लंड नहीं डालते. हाँ, हम दोनों को गांड मरवाने और मारने की पूरी स्वंत्रता है.”
“मैं सच में तुम दोनों के इस समीकरण पर अचम्भित हूँ. पर जैसा तुम चाहो.” दोनों बाथरूम में जाकर बाहर निकली ही थीं कि कमरे में तीन रोमियो अंदर आ गए.
नूतन में मेहुल को समझाया, “मैं तुम्हें ये सब दूसरों की चुदाई दिखने के लिए नहीं दिखा रही हूँ, बल्कि किस प्रकार की कामक्रीड़ाएं चलती हैं ये बताना चाहती हूँ. तो आगे बढ़ा देती हूँ.”
इसके बाद कुछ आगे बढ़कर कुछ और दृश्य दिखाए जिसमें कमल की डबल चुदाई और दर्शा की गांड की चुदाई थे. मेहुल ने इतना तो देख ही लाया कि कमल को तीनों लड़कों ने हर छेद में चोदा और तीनों ने ही दर्शा की गांड भी मारी। इसके बाद नूतन ने अगले वीडियो को लगाया.

हालाँकि नूतन ये दर्शा रही थी कि वो अपने मन से वीडियो का चयन कर रही थी, परन्तु ऐसा नहीं था. वो शोनाली के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ही उन्हें चुन रही थी. नूतन को कुछ वीडियो के बारे में तो समझ आया था परन्तु एक ऐसा वीडियो था जिसके बारे में उसे कुछ दुविधा थी. अगले वीडियो को चलाते हुए उसने मेहुल को कुछ और बताया.
“इस सदस्या के पति स्वास्थ्य कारणों से अब सम्भोग नहीं पाते। उनकी दवाइयों के कारण अब उनके लंड में इतनी शक्ति नहीं है. अधिक वृद्ध तो नहीं हुए हैं परन्तु उनका लंड खड़ा होता भी है देर के लिए और उतनी देर में वे इन्हें संतुष्ट नहीं कर पाते। क्लब में तो ये महिला आती ही हैं, परन्तु कभी कभी उनके पति भी उनकी चुदाई देखने में रूचि दिखाते हैं. मेरे विचार से तुम उन दोनों को देखकर पहचान भी जाओगे.”
इतनी बात बताई ही थी कि टीवी पर नूतन ने आगमन किया और उसके पीछे एक महिला और पुरुष भी आ गए. मेहुल उन्हें देखकर पहचान गया. वे नगर के एक प्रतिष्ठित व्यवसाई थे और उन्हें उसके पिता के द्वारा आयोजित कुछ पार्टियों में देखा था. उनकी पत्नी उनसे अधिक छोटी नहीं थीं और वो उसकी माँ की घनिष्ट मित्र थी. भरा पूरा शरीर, जिसे देखकर मेहुल का मन कई बार मचला था पर परिवार की प्रतिष्ठा के कारण कभी अपनी रूचि पर कोई कार्यवाही नहीं की. परन्तु अब उसे लगता था कि आंटी भी कुछ ही समय में उसके नीचे होंगी. मोहनी सच में मोहनी ही थी, पार्टियों में उनके आसपास भँवरे घूमते थे पर उन्होंने कभी किसी को भी भाव नहीं दिया. आज मेहुल को उसका कारण समझ आ गया था. उनके पति सोहनलाल को तीन या चार वर्ष पहले ह्रदय आघात हुआ था, और सम्भवतः इसी कारण उनकी कामशक्ति क्षीण हो गई थी.
नूतन ने उन्हें पूरे सम्मान से कमरे में लेकर छोड़ा और फिर सोहनलाल को कुछ कहते हुए बाहर चली गई. नूतन की ओर मेहुल देखा तो उसने बताया कि उन्हें कुछ समय के लिए रुकने के लिए कहा था क्योंकि कोई भी रोमियो आया नहीं था. मोहिनी ने अपने वस्त्र उतार कर अलमारी में रखे और यही सोहनलाल ने भी किया. दोनों ने हल्के फुल्के गाउन पहन लिए थे. मोहिनी को चूमते हुए सोहनलाल ने उसे विश्वास दिया. और फिर एक ओर रखे हुए सोफे पर जाकर बैठ गए.
कुछ देर में तीन रोमियो अंदर आये और मेहुल को आश्चर्य इस बात पर हुआ कि उन्होंने पहले झुककर सोहनलाल के पाँव छुआ और आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे मोहिनी के पास गए और उसके भी पाँव छुए. मोहिनी की आयु पचास वर्ष से अधिक थी. पर उसने स्वयं को बहुत सहेज कर रखा था. और उसके शरीर में कहीं भी झुर्री इत्यादि नहीं थीं. इसके बाद तीनों रोमियो ने भी अपने कपड़े उतार कर अलमारी में टाँगे पर उन्होंने कोई कपड़ा नहीं डाला. मेहुल को भी उनके लंड के आकार को देखकर समझ में आया कि इस क्लब का नाम दिंची क्लब क्यों है.
एक और बात जिसे मेहुल ने विशेष रूप से समझा कि सम्भवतः इन तीनों रोमियो से इस जोड़े की पहचान भी थी. उसने नूतन से पूछा कि क्या हर बार इन्हीं को बुलाया जाता है? इस पर नूतन ने मना किया, परन्तु ये भी बताया कि अधिकतर रोमियो से सोहनलाल मिल चुके हैं और इसीलिए ऐसा प्रतीत होता है. मेहुल को अभी भी कुछ संदेह था, पर वो चुप ही रहा. तीनों रोमियो ने मोहिनी को घेर लिया और उसके शरीर से खेलने लगे. मोहिनी भी उनका पूरा साथ दे रही थी. सोहनलाल भी उन सबको उत्साहित कर रहे थे.
अचानक मोहिनी ने उन्हें हटाया और सोहनलाल के पास जाकर उन्हें अपनी बाँहों में ले लिया. सोहनलाल ने उसे चूमा और कहा कि वो आनंद ले, वो इसकी अधिकारी है. फिर उसने उन तीनों रोमियो को कहा कि वे तीनों मिलकर मोहिनी की हर प्रकार से प्यास बुझाएं. महिनी तीनों के बीच में लौट गई और फिर आगे का खेल आरम्भ हो गया.
नूतन ने इसके बाद पिछले वीडियो के समान ही इस वीडियो के मुख्य आकर्षण दिखाए. इसमें भी मोहिनी की एकल, दुहरी और तीनों छेदों में एक साथ चुदाई के दृश्य थे. वीडियो की कुल अवधि लगभग तीन घंटे की थी और उसके अंत में मोहिनी के शरीर पर लालिमा छाई हुई थी. उसकी चूत और गांड से रस बह रहा था और वो बेसुध सी लेटी हुई थी. तीनों रोमियो अपने कार्य सम्पन्न करने के बाद बाथरूम से नहाकर निकले और अपने कपड़े पहने. इसके बाद उन्होंने सोहनलाल के पाँव छुए. सोहनलाल ने उन्हें अच्छे प्रदर्शन के लिए धन्यवाद दिया और फिर वो तीनों चले गए.
इसके बाद नूतन दिखाई दी जिसने मोहिनी को लेजाकर बाथरूम में नहलाया और उसे उसके वस्त्र पहनने में सहायता की. तब तक मोहिनी भी अपने पूर्ण रूप में आ चुकी थी. उसने नूतन को धन्यवाद किया और उचित रोमियो के चयन के लिए भी धन्यवाद किया. सोहनलाल ने भी नूतन किया और फिर कुछ देर तक तीनों ने बैठकर अन्य विषयों पर बात की जिसमे से कुछ संबंध नूतन के व्यवसाय से भी था. इसके बाद वो भी चले गए.
नूतन ने मेहुल को समझाया, “हमारे यहाँ सदस्य बनने वाली लगभग हर महिला को अपने पति की प्रत्यक्ष या परोक्ष सहमति प्राप्त है. सोहनलाल जी अपने स्वास्थ्य बिगड़ने के पहले मोहिनी जी को रगड़ कर चोदते थे, इसीलिए वो कभी कभी यहाँ आकर ये निश्चित करते हैं कि अब भी मोहिनी की उसी प्रकार से चुदाई की जा रही है. हाँ ये डबल ट्रिपल चुदाई पहले कभी नहीं की गई थी, पर अब नियमित हो चुकी है.”
“सेक्स का विषय ही अनोखा है. इसमें जितनी प्रकार की लीलाएं हैं वो किसी और क्रीड़ा में नहीं. और विकृतियां भी उतनी ही है. परन्तु जिसे जिस में सुख मिले, बिना किसी दूसरे को कष्ट दिए हुए या उसकी स्वीकृति के बिना तो सब चंगा है.”
“तुम सच कह रहे हो.”


सुनीति का घर:

कुछ समय तक इसी प्रकार से भावी सास बहू भावी ससुर के लंड को चूसती चाटती रहीं. अब आशीष चुदाई के लिए तत्पर था और महक और सुनीति भी.
“महक, आओ, अब पहले तुम्हारी चूत का ही आनंद दे दो इनको.”
सुनीति ने महक को अपने साथ बिस्तर पर लिटा लिया और उसके होंठ चूमने लगी. एक हाथ से उसके मम्मों को भी सहला रही थी. फिर दूसरे हाथ से महक के पैरों को खोला. दो उँगलियाँ उसकी चूत में डालकर कुरेदा तो महक चिंहुक पड़ी. महक को अपनी जांघों पर कुछ आभास हुआ तो उसने नीचे देखा. आशीष का मुंह उसकी चूत के निकट था और उसकी जांघों पर आशीष की साँसों की ऊष्मा का आभास था. आशीष ने अपनी जीभ से महक की जाँघों पर चाटना आरम्भ किया तो महक की तो जैसे धड़कन ही रुक सी गई.
आशीष ने चूत तक पहुंचने में कुछ देर लगाई और इस पूरी अवधि में सुनीति महक के होंठ चूसती रही, स्तन मसलती रही और अपनी उँगलियाँ महक की चूत में डाले रही. जब आशीष की जीभ ने महक की चूत को स्पर्श किया तो सुनीति ने अपनी ऊँगली निकाली और आशीष के मुंह में डाल दी. आशीष ने उसे चाट कर साफ किया. उसके नथुनों में महक की चूत की लुभावनी सुगंध समा गई. अपनी जीभ से उसने महक की चूत को चाटना आरम्भ कर दिया.
महक अब कामपिपासा से परिपूर्ण हो चुकी थी. वो चाहती तो थी कि अब ये अठखेलियाँ बंद हों और उसकी असली चुदाई की जाये, पर वो अपने भावी सास ससुर से ये कहना नहीं चाहती थी. दूसरी ओर सुनीति और आशीष उससे यही सुनना चाहते थे और इसीलिए वो उसे इतना छेड़ रहे थे. सुनीति ने अपनी उँगलियों से महक के भग्नाशे को जब दबाया तो महक से रुका नहीं गया. उसने ढेर सा रस आशिष के मुंह में छोड़ा।
फिर कराहते हुए बोल पड़ी, “पापाजी, अब और मत सताओ, प्लीज. मम्मीजी प्लीज पापा को बोलो न कि अब चोद डालें मुझे. पापाजी प्लीज, मम्मीजी प्लीज. प्लीज.”
आशीष और सुनीति इसी प्रतिक्रिया के लिए आतुर थे. आशीष ने एक बार फिर महक की चूत पर जीभ फिराई और उठकर अपने लंड को उसकी रसभरी चूत पर रख दिया.
“आपकी होने वाली पहली बहू है, अच्छे से चोदना इसे.” सुनीति ने आशीष ने कहा और महक के स्तन दबाकर उसे चाटने लगी. आशीष ने अपने लंड को महक की चूत पर रखते हुए एक अच्छा शक्तिशाली झटका दिया तो महक की चूत में उसके लंड ने आधा रास्ता तय कर लिया. पाँच सेकण्ड रुकने के को बाहर खींचा और इस बार के धक्के ने उसके लंड को अपनी भावी बहू की चूत में पूर्ण रूप से स्थापित कर लिया.
“बहुत तंग है क्या? सुनीति ने पूछा.
“हाँ, और गर्म भी बहुत है.”
“होगी ही.” इसके साथ ही सुनीति ने अपने एक हाथ को नीचे किया और महक के भग्नाशे से खेलने लगी. एक मम्मे को चाटते हुए, भग्न से खेलते हुए वो अपने पति को प्रोत्साहित करने में जुट गई. महक भी इस आनंद से अछूती न थी. इस प्रकार की चुदाई उसके अपने परिवार के बाहर पहली बार हो रही थी. अन्य हर बार एक शारीरिक भूख को ही मिटाया जाता था, और इस बार उसे सच में प्रेम की अनुभूति हो रही थी.
आशीष ने जैसे ही अपने लंड को अंदर बाहर अंदर करना आरम्भ किया महक का शरीर आनंद से भर उठा.
“ओह! पापाजी. चोदो मुझे। बहुत अच्छा लग रहा है. मैं आपकी बड़ी बहू जो बनने वाली हूँ, अच्छे से स्वागत करिये मेरा.” महक के मुंह सी यूँ ही निकल गया.
सुनीति ने उसकी चूची और चूत से खेलते हुए उसे सांत्वना दी, “तेरा भाग्य अच्छा है बहू, न केवल तेरे ससुर तुझे अच्छे से छोड़ेंगे, पर तेरा देवर, पति, इनके पिताजी और मेरे पिताजी भी तेरी भरपूर चुदाई करके तुझे सदा सुहागन और सुखी रखने वाले हैं. जितने भाग्यशाली हम हैं तेरे जैसी बहू और परिवार को पाकर उतनी ही तुम भी हो. अभी अपने ससुर से चुदाई का आनंद लो. तेरी नन्द भी कुछ कम नहीं है, न माँ, सब तुझे पूरा प्यार देंगे.”
महक ये सब सुनकर भावुक हो गई. आशीष ने अपने लंड को उसकी कमसिन चूत में गहराई तक उतारकर चोदना चालू रखा और सुनीति उसके शरीर के अन्य अंगों से खेलती रही. आशीष भी इस चुदाई का पूरा आनंद ले रहा था और ये भी सोच रहा था कि किस दिन वो अपनी समधन पर चढ़ पायेगा. महक और वो एक दूसरे की चुदाई में खोये हुए अवश्य थे पर एक दूसरे के परिवारों के बारे में भी रह रह कर सोच रहे थे. अब ऐसा तो हो नहीं सकता था कि सुनीति ऐसा न करती.
पंद्रह मिनट की इस प्रेमपूर्वक चुदाई के बाद आशीष और महक झड़ गए. सुनीति ने भी ये जान लिया कि आशीष ने ये मात्र स्वागत के लिए ऐसी चुदाई की है. अगली चुदाई में वो महक की चोद देगा. आशीष ने अपने लंड को बाहर निकाला तो सुनीति ने महक की ओर संकेत किया.
“बहू, अपने पापाजी के लंड को साफ कर दो, पहली बार तुम्हारी चूत का रस पिया है इसने.” सुनीति ने कहा.
महक कोहनी के बल बैठी और आशीष ने उसके मुंह में अपना लंड दे दिया. महक ने सप्रेम उसे चाटा। नीचे उसकी चूत पर उसकी सास का मुंह लगा हुआ था. सुनीति ने उसकी चूत में से अपने पति का रस एकत्रित किया और रुक गई. आशीष के लंड को जब महक ने हटाया तो सुनीति ने उसके मुंह से मुंह मिलाया और महक को उसके और आशीष के रस का मिश्रण पिला दिया. सास बहू कुछ देर यूँ ही एक दूसरे को चूमते रहे. आशीष ने अगले पेग बनाये.
रात अभी शेष थी.

क्रमशः

अगले भाग में:
१. सुजाता के घर की पारिवारिक चुदाई का दृश्य.
२. नूतन के द्वारा कुछ और रहस्योद्घाटन और उसकी गांड में मेहुल का आगमन.
३. स्मिता और विक्रम का प्रेमोत्सव
४. सुनीति के घर में महक के स्वागत की शेष कथा.
Superb update. Mehul ka sneha ki family ke saath bhi milan dikha do. Update thoda jaldi mile to aur maza aa jayega.
 

gkapil

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महक की भावी ससुराल कि कहानी बहुत सुंदर थी।
 

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आठवाँ घर: स्मिता और विक्रम शेट्टी
अध्याय ८.३.८
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अब तक:

महक आज अपनी भावी ससुराल में रुकी थी और उसे अपने भावी सास और ससुर से समागम करने का प्रथम अवसर प्राप्त होने जा रहा था. श्रेया और मोहन इस समय श्रेया के घर पर थे जहाँ सामूहिक पारिवारिक चुदाई की योजना थी. मेहुल नूतन के पास था और अब नूतन की गांड मारने के लिए उत्सुक था. स्मिता और विक्रम कई दिन बाद अकेले घर में थे और इसका वो सम्पूर्ण लाभ उठाना चाहते थे.

अब आगे:
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सुजाता का घर:

तीनों जोड़े एक दूसरे को चूमते हुए एक दूसरे से लिपटे रहे. समय जैसे थमा हुआ था. उन्हें पता था कि आज रात हर मिश्रण में चुदाई का आनंद मिलेगा और इसके लिए वे पूर्ण रूप से तत्पर थे.
सभी कुछ देर यूँ ही शांति से लेटे रहे. फिर विवेक उठा और सबके लिए नए पेग बनाये. श्रेया भी उठी और उसकी सहायता करने लगी. देखते ही देखते स्नेहा भी आ गई और तीनों ने मिलकर सबके पेग बनाये. उधर सुजाता, अविरल और मोहन भी अब बैठ गए थे. सुजाता दोनों के बीच में स्थापित हो गई. स्नेहा और श्रेया ने आकर उन्हें उनके पेग दिए और फिर तीनों भाई बहन अपने पेग लेकर उनके सामने बैठ गए.
“तुम दोनों सप्ताह में एक दिन आ ही जाया करो. देखो कितना अच्छा लग रहा है, सब ऐसे बैठे हुए हैं.” सुजाता ने कहा. अविरल ने भी उसका समर्थन किया.
मोहन: “ठीक है, हम दोनों हर शुक्रवार आ जाया करेंगे. अन्य किसी दिन सम्भव नहीं है.”
श्रेया और स्नेहा एक दूसरे से लिपट गयीं. सुजाता भी अपनी इच्छा पूरी होते देख प्रसन्न हो गई. सबके चेहरों पर एक प्रसन्नता थी. अपने पेग के घूँट लेते हुए अन्य बातें चलती रहीं. सुजाता चुदाई के लिए आतुर हो रही थी और अपने दोनों ओर बैठे अपने दामाद के लौडों को सहला रही थी.
“लगता है मम्मी को अब इन दोनों से एक साथ चुदना है. है न मम्मी?” श्रेया ने सुजाता की इच्छा का अनुमान लगाया.
“हाँ पर….” सुजाता कुछ बोलती इसके पहले ही स्नेहा बोल उठी.
स्नेहा: “मम्मी, आप हम तीनों भाई बहन को आनंद लेने दो, आप पापा और जीजू से चुदवाओ। अगर हुआ तो भैया को भी भेज देंगे आपकी सेवा में. तब मैं और दीदी भी एक दूसरे को सुख देंगे.”
“कितनी प्यारी बच्ची है. ठीक है. विवेक को भी भेज ही देना, जब मन करे.”
सुजाता ने झुकते हुए मोहन के लंड को मुंह में लिया और कुछ देर चूसकर अविरल की ओर मुड़ गई. बड़ी सरलता से वो एक एक करके दोनों लंड चूस रही थी. स्नेहा ने विवेक के लंड को कुछ देर चूसा और फिर लेट गई. श्रेया ने उसके मुंह पर अपनी चूत लगाई और झुकते हुए अपने मुंह से स्नेहा की चूत को चाटना आरम्भ कर दिया. विवेक ने अपने सामने परोसी हुई अपनी दीदी श्रेया की सुडोल गांड को देखा तो उसे अपना लक्ष्य दिख गया.
विवेक ने अपनी माँ की ओर एक बार देखा जो अब तक दोनों लौड़ों को चूसने में ही व्यस्त थी. उसके एक एक मम्मे पर उनके पति और दामाद के हाथ थे और उनकी चूत में अविरल की उँगलियाँ चल रही थीं. विवेक को पता था कि अब शीघ्र ही उसकी माँ चुदने के लिए व्याकुल होने वाली है. उसने अपने सामने खिली हुई गांड को देखा और आगे बढ़कर उसपर अपना थूक लगाया. अंगूठे की सहायता से थूक को अंदर धकेला. श्रेया ने विवेक का तात्पर्य समझा अपनी गांड को ढीला किया तो विवेक का अंगूठा सरलता से अंदर प्रवेश कर गया.
अपने लंड को अपनी दीदी की गांड पर रखते हुए उसने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि उसकी दोनों बहनें एक दूसरे की चूत चाटने में कितनी मग्न थीं. हल्के दबाव के साथ उसके सुपाड़े ने श्रेया की मखमल सी कोमल गांड में अपना स्थान बना ही लिया.
“शाबास! विवेक. अपनी दीदी की गांड अच्छे से मारना। बेचारी तुम्हारे लंड के लिए बहुत तरसती है.”
श्रेया ने अपना मुंह स्नेहा की चूत से हटाया, “तो आप अब हर सप्ताह आने के लिए स्वीकृति दे ही दीजिये.”
“अरे, जब मम्मीजी ने कह दिया तो मैं कैसे मना कर सकता हूँ? हैं न मम्मीजी?”
इस बात से वातावरण कुछ हल्का हो गया. पर सुजाता की प्यास भड़क गई.
“तो फिर आ जाओ और मेरी गांड मारो दामादजी.” सुजाता ने अपने मुंह से लंड निकाले और अविरल की ओर देखा.
“मुझे क्या देख रही हो, चढ़ जाओ और मोहन तुम्हारी गांड मार लेगा पीछे से.” अविरल ने सुजाता को कहा.
मोहन भी अब सास की गांड मारने के लिए उत्सुक था. उसने अपने लंड पर थूक लगाया, तब तक सुजाता अविरल के लंड पर चढ़ाई कर चुकी थी और पूरे लंड को उसकी चूत निगल गई थी. मोहन ने आव देखा न ताव और अपने लंड को सुजाता की गांड पर लगाया और एक झटके से सुपाड़ी को अंदर डाल दिया. सुजाता के मुंह से एक आनंद भरी सिसकारी निकली. उधर विवेक भी श्रेया की गांड में अपने लंड पर दबाव बनाये हुए उसे और अंदर धकेल रहा था. श्रेया की जीभ स्नेहा की चूत में अंदर जाकर अपनी छोटी बहन का रस पीने में व्यस्त थी.
सुजाता को मोहन ने सम्भलने का अवसर नहीं दिया. उसे अपनी सास की अनंत कामपिपासा का ज्ञान था और वो जानता था कि सुजाता दुहरी चुदाई में किसी भी प्रकार की कोताही सहन नहीं करती थी. विवाह के पहले भी वो अपने समुदाय के अन्य लड़कों के साथ उसकी कई बार चुदाई कर चुका था. वो सुजाता को वैसे ही चोदता था जैसे कि वो चाहती थी. अपने लंड को कुछ बाहर खींचकर एक लम्बे धक्के के साथ उसने लंड को लगभग पूरा गांड में डाल दिया. अपने ससुर के लंड का अनुभव उसे उस महीन झिल्ली के उस पर हो रहा था.
एक बार फिर लंड को बाहर निकालकर इस बार और अधिक शक्ति के साथ उसने धक्का लगाया और लंड को पूरा गांड में पेल ही दिया.
“आहा मोहन, क्या पेला है बेटा। अब तुम दोनों मेरी तगड़ी चुदाई करो. मेरी आत्मा तृप्त कर दो.” सुजाता ने कहा और अविरल के होंठ चूसने लगी.
अविरल ने अपनी कमर उठाकर धक्के लगाने आरम्भ किये और मोहन ने भी उसकी ताल में ताल मिलाकर सुजाता की चूत और गांड में लंड के हमले लगाते हुए सुजाता के मम्मों को अपने हाथों से मसलने लगा. मोहन वैसे तो बहुत शांत स्वभाव का था और उसकी चुदाई भी उसी प्रकार से होती थी, परन्तु अपनी सास के साथ वो एक नए ही रूप में दिखता था. ससुर और दामाद मिलकर सुजाता को निर्ममता से चुदाई करने लगे थे.
विवेक के लंड ने अब अपना पूरा मार्ग सरल कर लिया था और अब वो बड़ी सतर्कता के साथ अपनी बड़ी बहन की गांड मार रहा था. स्नेहा उसी चूत से बहते रस को छप छप कर पी रही थी और स्नेहा की चूत का रस श्रेया पी रही थी. विवेक के लंड की गति उतनी द्रुत नहीं थी जितनी उनके पास में चल रही चुदाई में थी. वो श्रेया की गांड का पूरा आनंद लेकर उसे मंथर गति से ही चोद रहा था.
अचानक विवेक ने अपनी गति कुछ बढ़ाई क्योंकि उसके मन में एक नया विचार आया था. श्रेया चाहकर भी अपनी गांड उछालकर उसके लंड का साथ नहीं दे सकती थी, क्योंकि उसकी चूत से स्नेहा की जीभ निकल जाती. पर वो अपने भाई और बहन के इस दोहरे हमले का आनंद पूर्ण रूप से ले रही थी. विवेक का ध्यान इस समय बँटा हुआ था, एक ओर वो श्रेया की गांड मरने में व्यस्त था और अपने लंड को अंदर बाहर होते देख रहा था, वहीं दूसरी ओर उसका ध्यान अपनी माँ की ओर भी था जिसे उसके पापा और जीजा चोद रहे थे. मोहन और अविरल की तीव्र और शक्तिशाली चुदाई से उसकी माँ के मुंह से निकलती हुई कामोत्तेजक चीखें उसे और भी प्रेरित कर रही थीं.
वो आगे झुका और उसने श्रेया के कान में कुछ कहा. श्रेया ने बिना कुछ कहे सिर हिलाया. तो विवेक ने अपनी गति कुछ और बढ़ाई और फिर रुक गया. स्नेहा को भी इस बात का भान हुआ.
विवेक ने बहुत सावधानी के साथ अपने लंड को श्रेया की गांड से निकाला और फिर उठकर अपनी माँ सुजाता के सामने बिस्तर पर जा खड़ा हुआ. अविरल ने नीचे से उसे देखा और मुस्करा पड़ा, वहीँ जब मोहन ने ये देखा तो अपनी गति और बढ़ा दी. एक अच्छे दामाद का ये कर्तव्य है कि वो अपनी सास के सुख के लिए कर प्रकार का प्रयास करे. इस समय श्रेया ने भी अपने भाई के तने लंड को देखा जिसपर उसकी गांड का रस चिपका हुआ था. सुजाता की गांड पर जब मोहन ने हल्की सी चपत लगाई तो उसने अपनी आँखें खोलीं और अपने सामने अपने बेटे के लंड को लहराते हुए देखा.
उसकी आँखों में एक नई चमक आ गई और उसके शरीर में एक नए आनंद का संचार हुआ. तीन तीन लंड से चुदने का ये स्वर्णिम अवसर, वो भी जब वो तीनों ही उसके अपने परिवार के हों, उसके उन्माद को और भी बढ़ाने में सफल हुआ. बिना हाथों से छुए उसने अपना मुंह खोला और विवेक के लंड पर जीभ फिराई. फिर अपनी जीभ के द्वारा ही उसने लंड को अपने मुंह में लेने का प्रयास किया, पर सफल न हो पाई. विवेक ने अपनी माँ की सहायता करते हुए उसका सिर अपने हाथों से पकड़ा और थोड़ा लंड को मुंह में डाल दिया. सुजाता उसे इतने में ही चाटने लगी और फिर धीरे धीरे अंदर अपने मुंह में लेने लगी.
लंड के पर्याप्त मात्रा में अंदर जाने के बाद ही उसने अपने हाथों का प्रयोग किया और विवेक के लंड को चूसने लगी.
“मॉम, अधिक नहीं. मैं तो दीदी की गांड का स्वाद दिलाने के लिए आया हूँ. और हर कुछ मिनटों में आता रहूँगा।”
“ये तो बहुत अच्छी बात है.” सुजाता ने मुंह से लंड निकाला और कहने के बाद फिर से चूसने लगी.
जब श्रेया ने ये बात सुनी तो उसने अपने मुंह को स्नेहा की चूत से हटाया.
“तब तो हमें अपनी स्थिति बदल लेनी चाहिए. स्नेहा तुम पलट कर दूसरी ओर हो जाओ, और मैं इस ओर हो जाती हूँ, जिससे की विवेक भैया को हर बार चलकर इतनी दूर न जाना पड़े. बस गांड में से लंड निकालें और माँ से चुसवा लें.”
श्रेया के सुझाव में तर्क था और तत्क्षण ही ये परिवर्तन भी कर लिया गया. विवेक ने अपने लंड को सुजाता के मुंह से निकाला.
“बस मॉम, मैं यूँ गया और यूँ आया.” विवेक ने श्रेया की गांड के पीछे आते हुए कहा.
सुजाता ने अपने होंठों पर जीभ फिराई, “जब मन करे सो आ. वैसे तेरे पापा और जीजा भी थोक कर चोद रहे हैं आज.”
विवेक ने अपने लंड को श्रेया की गांड में फिर से डाला और इस बार गति कम नहीं रखी. श्रेया समझ गई कि उसकी गांड की अब घनघोर चुदाई भी होगी और उसकी माँ का भी उसकी गांड के स्वाद से कई बार परिचय होगा। उसने स्नेहा की चूत को चाटने पर और उत्साह दिखाया. स्नेहा कुछ व्यथित थी. ऊपर श्रेया के सिर के होने से उसे अधिक कुछ दिख नहीं रहा था और सुनाई सब दे रहा था. उसने सोचा कि ऐसे तो उसे केवल रेडियो की ही कमेंट्री सुनने मिलेगी, दूरदर्शन का आँखों देखा हाल नहीं. श्रेया की चूत को चाटते हुए वो इसका तोड़ सोच रही थी.
कुछ ही धक्कों के बाद विवेक अपनी माँ के सामने लौट गया. स्नेहा ने श्रेया की गांड पर थपकी दी. श्रेया ने अपनी चूत को उसके मुंह से हटाया.
“दीदी, भैया को बोलो मुझे भी आपकी गांड का स्वाद लेना है. एक बार मुझे और फिर एक बार मॉम को.”
श्रेया ने स्वीकृति दी और विवेक ने भी सुन लिया. दोनों बहनें एक दूसरे की चूत पर फिर से टूट पड़ीं. इस बार विवेक ने वही किया, श्रेया की गांड कुछ देर मारकर श्रेया को आगे किया और स्नेहा को लंड सौंप दिया. दो तीन बार इसी चक्र के बाद अब उसके टट्टे खाली होने की अर्चना करने लगे. दूसरी ओर भी अब चुदाई समाप्त होने में अधिक देर न थी. मोहन और अविरल अपनी पूरी शक्ति सुजाता की चुदाई में झोंक रहे थे और सुजाता की चीखें धीरे धीरे क्षीण हो रही थीं. अब उसके मुंह से सिसकारियां ही निकल रही थीं.
अविरल ने अपने रस की फुहार सुजाता की चूत में उढेली तो सुजाता की चूत को ठंडक पड़ी. पर गांड की जलन को ठंडा होना शेष था. एक अच्छे दामाद का कर्तव्य पूरा करते हुए मोहन ने अपने रस से अपनी सास की गांड भरने में अधिक समय नहीं लिया. साथ ही अब विवेक भी सुजाता से अपने लंड के अंतिम पड़ाव के लिए लंड चुसवा ही रहा था. चूत और गांड को ठंडक मिली ही थी कि विवेक ने अपने रस से सुजाता के मुंह में वीर्यपात कर दिया. सुजाता निःसंकोच उस रस को पी गई. अब उसके मन को शांति मिली थी. उसके तीनों छेदों में उसके परिवार के पुरुषों ने अपने रस का योगदान दिया था. स्नेहा और श्रेया भी अपने चरम पर पहुंचकर एक दूसरे से लिपटी हुई थीं. मोहन और विवेक अपने कृत्य के समापन के बाद हट गए और सुजाता को सहारा देकर अविरल के ऊपर से हटाया.
सुजाता के चेहरे पर एक संतुष्टि थी और चेहरे पर एक चमक.
“क्यों मॉम, कैसा रहा?” श्रेया ने पूछा.
“अरे तू तो जानती ही है. इससे अधिक आनंद कभी मिल ही नहीं सकता. चलो अब मैं थोड़ा सफाई कर के आती हूँ फिर सोचेंगे कि सोना ये या चोदना।”

नूतन और मेहुल:

नूतन बिस्तर पर ड्रिंक ले कर बैठ गई, मेहुल ने भी वही किया. फिर नूतन कुछ देर तक उन अध्यायों को छानती रही. अंत में उसने एक अध्याय चुना.
टीवी पर एक सुंदर महिला के दर्शन हुए. उसके पीछे नूतन आई और फिर एक अन्य महिला. उन दोनों को देखकर मेहुल अचरज में पड़ गया. पहले आने वाली महिला एक प्रसिद्ध टीवी की कलाकार थी जो माँ और प्रेममई सास की भूमिका के लिए जानी जाती थी. उसके साथ वाली महिला भी उनके साथ एक धारावाहिक में कार्य कर रही थी और उसमें वो दोनों प्रतिद्वंदी थीं. पहली स्त्री कमल रंधावा थी और दूसरी जो विलेन थी उसका नाम दर्शा था. नूतन ने उन्हें कमरे में छोड़ा और बाहर चली गई.
नूतन ने शांति तोड़ी, “कमल क्लब की सदस्या है पर दर्शा नहीं है. इसीलिए उन्हें यहाँ आना पड़ता है. दोनों को स्त्रियों से भी सेक्स करना अच्छा लगता है. जहाँ तक कमल की बात है, तो वो हर प्रकार की चुदाई में सम्मिलित होती है, पर दर्शा अन्य पुरुषों से केवल गांड ही मरवाती है. वैसे इस वीडियो में उसका कारण भी पता चल जायेगा.”
मेहुल ने सिर हिलाया पर अपनी आंखें टीवी से हटाई नहीं. अब तक कमल और दर्शा एक दूसरे को चूमने में व्यस्त हो चुके थे और फिर उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए और संभाल कर अलमारी में टाँग दिए.
दर्शा: “तो आज क्या सोचा है?’
कमल: “वही हर बार के समान इस बार भी तीन लड़के आने वाले हैं. दो मेरे लिए तो एक तेरी गांड के लिए. क्यों नहीं चुदवा लेती सच में मन संतुष्ट हो जायेगा.”
दर्शा: “नहीं कमल, तू तो मेरे पति और मेरे समझौते के बार में जानती ही. मेरी चूत केवल उनके लिए है और वो भी किसी और की चूत में अपना लंड नहीं डालते. हाँ, हम दोनों को गांड मरवाने और मारने की पूरी स्वंत्रता है.”
“मैं सच में तुम दोनों के इस समीकरण पर अचम्भित हूँ. पर जैसा तुम चाहो.” दोनों बाथरूम में जाकर बाहर निकली ही थीं कि कमरे में तीन रोमियो अंदर आ गए.
नूतन में मेहुल को समझाया, “मैं तुम्हें ये सब दूसरों की चुदाई दिखने के लिए नहीं दिखा रही हूँ, बल्कि किस प्रकार की कामक्रीड़ाएं चलती हैं ये बताना चाहती हूँ. तो आगे बढ़ा देती हूँ.”
इसके बाद कुछ आगे बढ़कर कुछ और दृश्य दिखाए जिसमें कमल की डबल चुदाई और दर्शा की गांड की चुदाई थे. मेहुल ने इतना तो देख ही लाया कि कमल को तीनों लड़कों ने हर छेद में चोदा और तीनों ने ही दर्शा की गांड भी मारी। इसके बाद नूतन ने अगले वीडियो को लगाया.

हालाँकि नूतन ये दर्शा रही थी कि वो अपने मन से वीडियो का चयन कर रही थी, परन्तु ऐसा नहीं था. वो शोनाली के द्वारा दिए गए निर्देशों के अनुसार ही उन्हें चुन रही थी. नूतन को कुछ वीडियो के बारे में तो समझ आया था परन्तु एक ऐसा वीडियो था जिसके बारे में उसे कुछ दुविधा थी. अगले वीडियो को चलाते हुए उसने मेहुल को कुछ और बताया.
“इस सदस्या के पति स्वास्थ्य कारणों से अब सम्भोग नहीं पाते। उनकी दवाइयों के कारण अब उनके लंड में इतनी शक्ति नहीं है. अधिक वृद्ध तो नहीं हुए हैं परन्तु उनका लंड खड़ा होता भी है देर के लिए और उतनी देर में वे इन्हें संतुष्ट नहीं कर पाते। क्लब में तो ये महिला आती ही हैं, परन्तु कभी कभी उनके पति भी उनकी चुदाई देखने में रूचि दिखाते हैं. मेरे विचार से तुम उन दोनों को देखकर पहचान भी जाओगे.”
इतनी बात बताई ही थी कि टीवी पर नूतन ने आगमन किया और उसके पीछे एक महिला और पुरुष भी आ गए. मेहुल उन्हें देखकर पहचान गया. वे नगर के एक प्रतिष्ठित व्यवसाई थे और उन्हें उसके पिता के द्वारा आयोजित कुछ पार्टियों में देखा था. उनकी पत्नी उनसे अधिक छोटी नहीं थीं और वो उसकी माँ की घनिष्ट मित्र थी. भरा पूरा शरीर, जिसे देखकर मेहुल का मन कई बार मचला था पर परिवार की प्रतिष्ठा के कारण कभी अपनी रूचि पर कोई कार्यवाही नहीं की. परन्तु अब उसे लगता था कि आंटी भी कुछ ही समय में उसके नीचे होंगी. मोहनी सच में मोहनी ही थी, पार्टियों में उनके आसपास भँवरे घूमते थे पर उन्होंने कभी किसी को भी भाव नहीं दिया. आज मेहुल को उसका कारण समझ आ गया था. उनके पति सोहनलाल को तीन या चार वर्ष पहले ह्रदय आघात हुआ था, और सम्भवतः इसी कारण उनकी कामशक्ति क्षीण हो गई थी.
नूतन ने उन्हें पूरे सम्मान से कमरे में लेकर छोड़ा और फिर सोहनलाल को कुछ कहते हुए बाहर चली गई. नूतन की ओर मेहुल देखा तो उसने बताया कि उन्हें कुछ समय के लिए रुकने के लिए कहा था क्योंकि कोई भी रोमियो आया नहीं था. मोहिनी ने अपने वस्त्र उतार कर अलमारी में रखे और यही सोहनलाल ने भी किया. दोनों ने हल्के फुल्के गाउन पहन लिए थे. मोहिनी को चूमते हुए सोहनलाल ने उसे विश्वास दिया. और फिर एक ओर रखे हुए सोफे पर जाकर बैठ गए.
कुछ देर में तीन रोमियो अंदर आये और मेहुल को आश्चर्य इस बात पर हुआ कि उन्होंने पहले झुककर सोहनलाल के पाँव छुआ और आशीर्वाद लिया। इसके बाद वे मोहिनी के पास गए और उसके भी पाँव छुए. मोहिनी की आयु पचास वर्ष से अधिक थी. पर उसने स्वयं को बहुत सहेज कर रखा था. और उसके शरीर में कहीं भी झुर्री इत्यादि नहीं थीं. इसके बाद तीनों रोमियो ने भी अपने कपड़े उतार कर अलमारी में टाँगे पर उन्होंने कोई कपड़ा नहीं डाला. मेहुल को भी उनके लंड के आकार को देखकर समझ में आया कि इस क्लब का नाम दिंची क्लब क्यों है.
एक और बात जिसे मेहुल ने विशेष रूप से समझा कि सम्भवतः इन तीनों रोमियो से इस जोड़े की पहचान भी थी. उसने नूतन से पूछा कि क्या हर बार इन्हीं को बुलाया जाता है? इस पर नूतन ने मना किया, परन्तु ये भी बताया कि अधिकतर रोमियो से सोहनलाल मिल चुके हैं और इसीलिए ऐसा प्रतीत होता है. मेहुल को अभी भी कुछ संदेह था, पर वो चुप ही रहा. तीनों रोमियो ने मोहिनी को घेर लिया और उसके शरीर से खेलने लगे. मोहिनी भी उनका पूरा साथ दे रही थी. सोहनलाल भी उन सबको उत्साहित कर रहे थे.
अचानक मोहिनी ने उन्हें हटाया और सोहनलाल के पास जाकर उन्हें अपनी बाँहों में ले लिया. सोहनलाल ने उसे चूमा और कहा कि वो आनंद ले, वो इसकी अधिकारी है. फिर उसने उन तीनों रोमियो को कहा कि वे तीनों मिलकर मोहिनी की हर प्रकार से प्यास बुझाएं. महिनी तीनों के बीच में लौट गई और फिर आगे का खेल आरम्भ हो गया.
नूतन ने इसके बाद पिछले वीडियो के समान ही इस वीडियो के मुख्य आकर्षण दिखाए. इसमें भी मोहिनी की एकल, दुहरी और तीनों छेदों में एक साथ चुदाई के दृश्य थे. वीडियो की कुल अवधि लगभग तीन घंटे की थी और उसके अंत में मोहिनी के शरीर पर लालिमा छाई हुई थी. उसकी चूत और गांड से रस बह रहा था और वो बेसुध सी लेटी हुई थी. तीनों रोमियो अपने कार्य सम्पन्न करने के बाद बाथरूम से नहाकर निकले और अपने कपड़े पहने. इसके बाद उन्होंने सोहनलाल के पाँव छुए. सोहनलाल ने उन्हें अच्छे प्रदर्शन के लिए धन्यवाद दिया और फिर वो तीनों चले गए.
इसके बाद नूतन दिखाई दी जिसने मोहिनी को लेजाकर बाथरूम में नहलाया और उसे उसके वस्त्र पहनने में सहायता की. तब तक मोहिनी भी अपने पूर्ण रूप में आ चुकी थी. उसने नूतन को धन्यवाद किया और उचित रोमियो के चयन के लिए भी धन्यवाद किया. सोहनलाल ने भी नूतन किया और फिर कुछ देर तक तीनों ने बैठकर अन्य विषयों पर बात की जिसमे से कुछ संबंध नूतन के व्यवसाय से भी था. इसके बाद वो भी चले गए.
नूतन ने मेहुल को समझाया, “हमारे यहाँ सदस्य बनने वाली लगभग हर महिला को अपने पति की प्रत्यक्ष या परोक्ष सहमति प्राप्त है. सोहनलाल जी अपने स्वास्थ्य बिगड़ने के पहले मोहिनी जी को रगड़ कर चोदते थे, इसीलिए वो कभी कभी यहाँ आकर ये निश्चित करते हैं कि अब भी मोहिनी की उसी प्रकार से चुदाई की जा रही है. हाँ ये डबल ट्रिपल चुदाई पहले कभी नहीं की गई थी, पर अब नियमित हो चुकी है.”
“सेक्स का विषय ही अनोखा है. इसमें जितनी प्रकार की लीलाएं हैं वो किसी और क्रीड़ा में नहीं. और विकृतियां भी उतनी ही है. परन्तु जिसे जिस में सुख मिले, बिना किसी दूसरे को कष्ट दिए हुए या उसकी स्वीकृति के बिना तो सब चंगा है.”
“तुम सच कह रहे हो.”


सुनीति का घर:

कुछ समय तक इसी प्रकार से भावी सास बहू भावी ससुर के लंड को चूसती चाटती रहीं. अब आशीष चुदाई के लिए तत्पर था और महक और सुनीति भी.
“महक, आओ, अब पहले तुम्हारी चूत का ही आनंद दे दो इनको.”
सुनीति ने महक को अपने साथ बिस्तर पर लिटा लिया और उसके होंठ चूमने लगी. एक हाथ से उसके मम्मों को भी सहला रही थी. फिर दूसरे हाथ से महक के पैरों को खोला. दो उँगलियाँ उसकी चूत में डालकर कुरेदा तो महक चिंहुक पड़ी. महक को अपनी जांघों पर कुछ आभास हुआ तो उसने नीचे देखा. आशीष का मुंह उसकी चूत के निकट था और उसकी जांघों पर आशीष की साँसों की ऊष्मा का आभास था. आशीष ने अपनी जीभ से महक की जाँघों पर चाटना आरम्भ किया तो महक की तो जैसे धड़कन ही रुक सी गई.
आशीष ने चूत तक पहुंचने में कुछ देर लगाई और इस पूरी अवधि में सुनीति महक के होंठ चूसती रही, स्तन मसलती रही और अपनी उँगलियाँ महक की चूत में डाले रही. जब आशीष की जीभ ने महक की चूत को स्पर्श किया तो सुनीति ने अपनी ऊँगली निकाली और आशीष के मुंह में डाल दी. आशीष ने उसे चाट कर साफ किया. उसके नथुनों में महक की चूत की लुभावनी सुगंध समा गई. अपनी जीभ से उसने महक की चूत को चाटना आरम्भ कर दिया.
महक अब कामपिपासा से परिपूर्ण हो चुकी थी. वो चाहती तो थी कि अब ये अठखेलियाँ बंद हों और उसकी असली चुदाई की जाये, पर वो अपने भावी सास ससुर से ये कहना नहीं चाहती थी. दूसरी ओर सुनीति और आशीष उससे यही सुनना चाहते थे और इसीलिए वो उसे इतना छेड़ रहे थे. सुनीति ने अपनी उँगलियों से महक के भग्नाशे को जब दबाया तो महक से रुका नहीं गया. उसने ढेर सा रस आशिष के मुंह में छोड़ा।
फिर कराहते हुए बोल पड़ी, “पापाजी, अब और मत सताओ, प्लीज. मम्मीजी प्लीज पापा को बोलो न कि अब चोद डालें मुझे. पापाजी प्लीज, मम्मीजी प्लीज. प्लीज.”
आशीष और सुनीति इसी प्रतिक्रिया के लिए आतुर थे. आशीष ने एक बार फिर महक की चूत पर जीभ फिराई और उठकर अपने लंड को उसकी रसभरी चूत पर रख दिया.
“आपकी होने वाली पहली बहू है, अच्छे से चोदना इसे.” सुनीति ने आशीष ने कहा और महक के स्तन दबाकर उसे चाटने लगी. आशीष ने अपने लंड को महक की चूत पर रखते हुए एक अच्छा शक्तिशाली झटका दिया तो महक की चूत में उसके लंड ने आधा रास्ता तय कर लिया. पाँच सेकण्ड रुकने के को बाहर खींचा और इस बार के धक्के ने उसके लंड को अपनी भावी बहू की चूत में पूर्ण रूप से स्थापित कर लिया.
“बहुत तंग है क्या? सुनीति ने पूछा.
“हाँ, और गर्म भी बहुत है.”
“होगी ही.” इसके साथ ही सुनीति ने अपने एक हाथ को नीचे किया और महक के भग्नाशे से खेलने लगी. एक मम्मे को चाटते हुए, भग्न से खेलते हुए वो अपने पति को प्रोत्साहित करने में जुट गई. महक भी इस आनंद से अछूती न थी. इस प्रकार की चुदाई उसके अपने परिवार के बाहर पहली बार हो रही थी. अन्य हर बार एक शारीरिक भूख को ही मिटाया जाता था, और इस बार उसे सच में प्रेम की अनुभूति हो रही थी.
आशीष ने जैसे ही अपने लंड को अंदर बाहर अंदर करना आरम्भ किया महक का शरीर आनंद से भर उठा.
“ओह! पापाजी. चोदो मुझे। बहुत अच्छा लग रहा है. मैं आपकी बड़ी बहू जो बनने वाली हूँ, अच्छे से स्वागत करिये मेरा.” महक के मुंह सी यूँ ही निकल गया.
सुनीति ने उसकी चूची और चूत से खेलते हुए उसे सांत्वना दी, “तेरा भाग्य अच्छा है बहू, न केवल तेरे ससुर तुझे अच्छे से छोड़ेंगे, पर तेरा देवर, पति, इनके पिताजी और मेरे पिताजी भी तेरी भरपूर चुदाई करके तुझे सदा सुहागन और सुखी रखने वाले हैं. जितने भाग्यशाली हम हैं तेरे जैसी बहू और परिवार को पाकर उतनी ही तुम भी हो. अभी अपने ससुर से चुदाई का आनंद लो. तेरी नन्द भी कुछ कम नहीं है, न माँ, सब तुझे पूरा प्यार देंगे.”
महक ये सब सुनकर भावुक हो गई. आशीष ने अपने लंड को उसकी कमसिन चूत में गहराई तक उतारकर चोदना चालू रखा और सुनीति उसके शरीर के अन्य अंगों से खेलती रही. आशीष भी इस चुदाई का पूरा आनंद ले रहा था और ये भी सोच रहा था कि किस दिन वो अपनी समधन पर चढ़ पायेगा. महक और वो एक दूसरे की चुदाई में खोये हुए अवश्य थे पर एक दूसरे के परिवारों के बारे में भी रह रह कर सोच रहे थे. अब ऐसा तो हो नहीं सकता था कि सुनीति ऐसा न करती.
पंद्रह मिनट की इस प्रेमपूर्वक चुदाई के बाद आशीष और महक झड़ गए. सुनीति ने भी ये जान लिया कि आशीष ने ये मात्र स्वागत के लिए ऐसी चुदाई की है. अगली चुदाई में वो महक की चोद देगा. आशीष ने अपने लंड को बाहर निकाला तो सुनीति ने महक की ओर संकेत किया.
“बहू, अपने पापाजी के लंड को साफ कर दो, पहली बार तुम्हारी चूत का रस पिया है इसने.” सुनीति ने कहा.
महक कोहनी के बल बैठी और आशीष ने उसके मुंह में अपना लंड दे दिया. महक ने सप्रेम उसे चाटा। नीचे उसकी चूत पर उसकी सास का मुंह लगा हुआ था. सुनीति ने उसकी चूत में से अपने पति का रस एकत्रित किया और रुक गई. आशीष के लंड को जब महक ने हटाया तो सुनीति ने उसके मुंह से मुंह मिलाया और महक को उसके और आशीष के रस का मिश्रण पिला दिया. सास बहू कुछ देर यूँ ही एक दूसरे को चूमते रहे. आशीष ने अगले पेग बनाये.
रात अभी शेष थी.

क्रमशः

अगले भाग में:
१. सुजाता के घर की पारिवारिक चुदाई का दृश्य.
२. नूतन के द्वारा कुछ और रहस्योद्घाटन और उसकी गांड में मेहुल का आगमन.
३. स्मिता और विक्रम का प्रेमोत्सव
४. सुनीति के घर में महक के स्वागत की शेष कथा.
Bhai agar ek ek krke update de ..jaise ek update mein mein ekk ghar ka update
 
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