• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Romance आरुषि

Vikram singh rana

Active Member
509
3,075
138
Hello brother......
Sorry for the late comments......

First all updates are long.....and very well written.....
Now at tha story.....

Wese sach bataun...... romance mujhe jyada pasand nahi hai......
Lekin aapne jis tarah se dono ke relationship ko dikhaya hai.....usme har feeling ko darshaya hai.....
That was awesome......

Khas kar wo Arab ke likhe latter's.....the best part in itself.....

OR jo aapne himmat dikhaai hai.....romance section me kahani likh kar....uske liye....aap tariff ke patra hai....khas kar puri iss baat ke liye....KI aapne romance ko purely dikhaya hai....without sex....and without any vulgar things.....
OR dusri chij..... iss forum.....ya lagbhag aise sabhi forum par bas insect.....adultery hee dekhne ko mlti hai.....romance ke naam par bhar bhar ke sex....OR nothing....so that iss really good....

So beautiful story and brilliant writing skills....
Just keep it up....
Entertainmen us....
Keep writing.....
Thanks.....

From now I'm also with you.....
Once again thanks....
 

Ashish Jain

कलम के सिपाही
264
446
79
भाग 13


आरव की मम्मी:- आरुषि अंशिका जल्दी जल्दी काम खत्म करके तैयार होने चली जाओ..! मेहमानों के आने का टाइम हो गया है..! बाकि की तैयारियां मैं देख लूंगी..!

आरुषि की मम्मी:- श्वेता जी हमें भी कुछ काम करने दीजिये, कल से हम भी बैठे बैठे बोर हो रहे है..! आप कुछ करने ही नहीं दे रही..! हम मेहमान थोड़ी है..!

आरव की मम्मी:- हम भी कहाँ कुछ कर रहे है, आँचल जी..! सब कुछ तो इन दोनों बेटियों ने संभाल रखा है..!

आरुषि की मम्मी:- हाँ वो तो है, बड़ी बदल गयी है आरुषि भी, पहले एक काम नहीं करती थी घर का.. और आज देखो कैसे हाथ बटाँ रही है..!

आरव की मम्मी:- और उस साहबजादे को देखो, आराम से वहाँ गप्पे मार रहा है दोस्तों के साथ..!

आरुषि की मम्मी:- कई दिनों के बाद मिले है, करने दो ना बात..! कहाँ रोज रोज मिलना होता है उनका..!

आरव की मम्मी:- चलिए आँचल जी, हम भी तैयार हो कर आ जाते है, मेहमानों का समय भी हो चला है आने का..!

आरुषि की मम्मी:- जी..!



आरुषि के पापा:- क्या लगता है जैन साहब आपको, दोनों एक-दूसरे के साथ जिंदगी बिता लेंगे क्या..!

आरव के पापा:- अब आप और हम क्या कह सकते है, पाटोदी जी..! अभी तक जितना देखा और सुना है, उस हिसाब से दोनों एक-दूसरे के लिए पूरक है..! बाकि आपको बेटी देनी है इस घर में तो आप भी अच्छे से सोच समझ कर फैसला कीजियेगा..!

आरुषि के पापा:- जी आप लोगों से अच्छा घर परिवार और कहाँ मिलेगा इसे..! मुझे घर परिवार की चिंता नहीं है..! बस इस बात की चिंता है कि दोनों के ताल-मेल में आगे चल कर कोई दिक्कत ना हो..! दोनों बच्चे ही तो है अभी, भगवान करे भविष्य में दोनों अच्छे से अपनी जिंदगी व्यतीत करें..! चाहे अच्छा समय हो या बुरा एक-दूसरे का साथ दे..!

आरव के पापा:- निश्चिन्त रहिये पाटोदी साहब आप, आरुषि हमारी भी बेटी ही है, उसे किसी प्रकार का कोई भी कष्ट नहीं होगा इस घर में..! ये हमारा आप से वादा है..!

आरुषि के पापा:- इस बात से में एक दम निश्चिन्त हूँ, जैनसाहब..!

आरव के पापा:- आज सही मौका है, दोनों बच्चों से पूछ कर आज दोनों परिवारों के रिश्तों के विषय में जानकारी मेहमानों को दे दे..! कब तक उनके सवालों को टालते रहेंगे..!

आरुषि के पापा:- हाँ..! बहुत दिन से मीडिया में भी बहुत कुछ चल रहा है..! अब समय आ गया इन रिश्तों को नाम देने का..!



आरव:- अरे, आज जान लेने का इरादा है क्या..? कितनी खूबसूरत लग रही हो तुम..! समझ नहीं आ रहा.. पार्टी मेरे लिए रखी गयी है या तुम्हारे लिए..! लोग मुझसे ज्यादा तुम्हे देख रहे है..! जलन हो रही है, मुझे तो तुमसे..!

आरुषि:- तो जलते रहो.. मुझे क्या..! अब मिसेज आरव बनने जा रही हूँ, तो इतना तो खूबसूरत लगना पड़ेगा ना..! वैसे आप भी कम नहीं लग रहे..! इस टी-शर्ट के ऊपर ब्लेज़र मस्त लग रहा है आप पर..! ऊपर से दोनों मैचिंग मैचिंग..!

अंशिका:- हाँ तो..! ड्रेस मैंने सेलेक्ट करी है, किसी ऐसे वैसे ने थोड़ी की है.. मुझे तो कोई कुछ क्रेडिट दे ही नहीं रहा..! लगे पड़े हो एक दूसरे में..! दोनों में से किसी ने भी ये नहीं बताया कि मैं कैसी लग रही हूँ..!

आरव:- हाँ..! तू भी ठीक ठाक लग रही है.. (हँसते हुए..!)

आरुषि:- क्या आरव आप भी.. हर समय सताते रहते हो अंशिका को..! बहुत अच्छी लग रही हो तुम अंशिका..! और थैंक यू फॉर ड्रेस..! बहुत खूबसूरत चॉइस है तुम्हारी..!

अंशिका:- तुमसे अच्छी तो मेरी भाभी है भैया..! अब लाते रहना खुद ही अपने कपडे..! मैं नहीं करने वाली आज के बाद आपके लिए शॉपिंग..!

आरव:- हाँ..! चल चल ठीक है..! मत करना..! मैं खुद कर लूंगा..!
अंशिका:- हाँ..! पता है मुझे कैसी शॉपिंग करते हो आप..(हँसते हुए..!)



आरुषि के पापा:- बेटा आरव और आरुषि यहाँ आना..!

आरव:- जी अंकल आया..!

आरुषि के पापा:- बेटा दोनों सोच समझ कर जवाब देना..! अगर और समय चाहिए तो और समय ले लेना..! हमें कोई जल्दी नहीं है..!

आरव:- क्या बात है अंकल.. बताइए..?

आरव के पापा:- बेटी आरुषि, क्या तुम आरव के साथ शादी को तैयार हो..!

आरुषि:- अंकल, आप लोग बड़े हो.. आप जो फैसला लोगे वो हमारे भले के लिए ही लोगे..! रही बात आरव कि.. तो मुझे आरव बहुत पसंद है.. और मुझे कोई भी हिचक नहीं है इनके साथ जिंदगी बिताने में... अगर आरव को मंजूर हो तो..!

आरुषि के पापा:- तुम्हारा क्या कहना है बेटा आरव..?

आरव:- जिस तरह आरुषि ने मेरा हर मोड़ पर साथ दिया है, उस हिसाब से मुझे नहीं लगता कि मुझे इससे अच्छा ऑप्शन कहीं और मिलेगा अंकल..! अगर दोनों परिवार राजी है, तो मुझे भी कोई हिचक नहीं है.. आरुषि को अपना लाइफ पार्टनर बनाने में..!

आरव के पापा:- आपको कैसा लगा हमारा परिवार, आंचल जी..!

आरुषि की मम्मी:- जी, मुझे तो बहुत अच्छा लगा.. आप लोगो से मिलकर..! मैं तो बहुत पहले ही इस रिश्ते को मंजूरी दे चुकी हूँ..!
आरुषि के पापा:- आपका क्या विचार है, श्वेता जी..! कैसी लगी, हमारी आरुषि आपको..!

आरव की मम्मी:- बहुत अच्छी है भाईसाहब आरुषि बेटी तो..! जब से इससे मिली हूँ, तब से कभी मुझे ऐसा नहीं लगा कि आरुषि से मैं पहली बार मिली हूँ..! हमेशा ऐसा लगा जैसे अपनी ही बेटी से मिल रही हूँ..!

आरव के पापा:- तो फिर आज मैं दोनों परिवारों के रिश्तों का एनाउंसमेंट कर देता हूँ..! अगर सब की सहमति हो तो..!
आरुषि के पापा:- जी, जैनसाहब..! उचित समय देख कर.. कर दीजियेगा..!



【 हैप्पी बर्थडे टू यू, हैप्पी बर्थडे आरव.. हैप्पी बर्थडे टू यू..!】
【 पीछे धीमे आवाज में म्यूजिक..!】
【केक कटिंग के बाद】



आरव के पापा:- हेल्लो लेडीज़ एंड जेंटलमेंट..! आप लोगों का इस पार्टी में अपना कीमती समय निकाल कर आने के लिए.. मैं तहदिल से आपका अभिनंदन करता हूँ, और साथ ही एक ख़ुशख़बरी आप लोगों के साथ साझा करना चाहता हूँ..! ये हमारे लिए अत्यंत ख़ुशी की बात है कि हमारे बेटे आरव का रिश्ता पाटोदी साहब की बेटी आरुषि से तय हुआ है। दोनों बच्चे बहुत दिन से एक-दूसरे को जानते थे, तो दोनों परिवारों ने तय किया कि क्यों न इन दोस्ती को अब रिश्तों में बदल दिया जाये..! हमारा प्रस्ताव मानने के लिए मैं पाटोदी परिवार का अत्यंत आभारी हूँ.. और ईश्वर से कामना करता हूँ कि दोनों बच्चे हमेशा खुश रहे..!



आरुषि:- अब तो ऑफिशल हो गया, मिसेज आरव बनना.. आरव जी!

आरव:- हाँ.. लेकिन एक दिक्कत है..!

आरुषि:- क्या.?

आरव:- अब कुछ दिन तक अपन को दूर रहना पड़ेगा.. कैसे होगा यार मुझसे ये..! इतने दिन साथ रहते रहते तुम्हारी आदत सी हो गयी है मुझे..! ऊपर से तुम, मुझे एक भी काम नहीं करने देती थी.. कैसे मैनेज करूँगा यार मैं अकेले..!

आरुषि:- थोड़े दिन कर लेना आरव..! बाकि अब तो जिंदगी भर के लिए ही आ रही हूँ मैं आपकी लाइफ में..!

आरव:- वैसे एक बात बताओ.. तुमने अंकल आंटी को आहिरा वाली बात बता रखी है ना..!

आरुषि:- नहीं..! मुझे सब पता है तो उन्हें बताने की क्या जरूरत..!

आरव:- नहीं.. आरुषि..! मैं ये बात उन से छुपा कर ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ाना चाहता..! तुम प्लीज् उन्हें सब बता देना..!

आरुषि:- आप कहते हो तो बता दूंगी, पर मुझे नहीं लगता इसकी कोई जरूरत होगी..!

आरव:- सच कभी न कभी तो उजागर होता ही है.. इससे अच्छा है कि हम ही क्यों न पहले ही सब सच बोल दे..! इसलिए जरूरत है उन्हें सब बताने की..! तुम जरूर उन्हें सब बताना..!

आरुषि:- जी, मेरे सच के देवता..!

आरव:- मतलब कुछ भी..!

आरुषि:- क्या कुछ भी..!

आरव:- कुछ नहीं, मुझे तो ये बताओ.. मेरा गिफ्ट कहाँ पर है..!

आरुषि:- तैयार है, बस देना बाकि है..!

आरव:- तो दो ना..!

आरुषि:- थोड़ा पर्सनल है, सब के सामने नहीं दे सकती..!

आरव:- अच्छा, ऐसा भी क्या गिफ्ट है.. जरा मैं भी तो देखूं.!

आरुषि:- जब मिलेगा तब देख लेना..!

आरव:- अच्छा..! वैसे कब मिलेगा ये गिफ्ट..!

आरुषि:- कुछ दिन बाद..!

आरव:- तुम लड़कियों को भगवान ने ये अलग से राईट दिया है क्या..? इंतज़ार करवाने का..!

आरुषि:- अब ये तो भगवान से ही पूछो आप..!

आरव:- आज अपना लास्ट दिन है मिलने का..! अब तो शादी के बाद ही मिलना होगा..!

आरुषि:- हाँ..! मुझे भी ऐसा ही लगता है..! मम्मी ने साथ चलने को बोला है..!

आरव:- अब वापिस लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप का दौर आने वाला है अपना..!

आरुषि:- हाँ..! लेकिन इस बार पहले जैसा मत करना..! मुझे मेरा पूरा टाइम मिलना चाहिए..!

आरव:- जी मालिक..! और कुछ आज्ञा..!

आरुषि:- और कुछ तो अब बाद में ही बताउंगी..!

आरव:- चल आज पूरे दिन थक गयी होगी, काम करते करते.. सो जा.. जाकर..!

आरुषि:- हाँ..! गुड नाईट..!



आरव:- अंशिका..! सो जा जाकर..! पूरा दिन हो गया तुझे काम करते करते..! बीमार पड़ जायेगी..!

अंशिका:- हाँ..! मुझे सुलाना तो एक बहाना है..! असल में तो भाभी के साथ वक़्त बिताना है..!

आरव:- तेरा दिमाग हमेशा इन्हीं चीज में चलता है..! भेज दिया उसे भी सोने को..! भलाई का जमाना ही नहीं है आज कल तो..!

अंशिका:- बड़े आये भलाई करने वाले..!



【 सुबह, आरुषि अपने परिवार के साथ मुम्बई चली गयी..! और आरव देहली को निकल गया..!】

 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
Staff member
Divine
Moderator
31,212
78,144
304
Eventually, Aarav and Aarushi's relationship is confirmed. Both the families are very happy with this and I am also very happy. Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story. Thank You...:heart::heart::heart:
 
  • Like
Reactions: Sagar_01

Vikram singh rana

Active Member
509
3,075
138
भाग 13


आरव की मम्मी:- आरुषि अंशिका जल्दी जल्दी काम खत्म करके तैयार होने चली जाओ..! मेहमानों के आने का टाइम हो गया है..! बाकि की तैयारियां मैं देख लूंगी..!

आरुषि की मम्मी:- श्वेता जी हमें भी कुछ काम करने दीजिये, कल से हम भी बैठे बैठे बोर हो रहे है..! आप कुछ करने ही नहीं दे रही..! हम मेहमान थोड़ी है..!

आरव की मम्मी:- हम भी कहाँ कुछ कर रहे है, आँचल जी..! सब कुछ तो इन दोनों बेटियों ने संभाल रखा है..!

आरुषि की मम्मी:- हाँ वो तो है, बड़ी बदल गयी है आरुषि भी, पहले एक काम नहीं करती थी घर का.. और आज देखो कैसे हाथ बटाँ रही है..!

आरव की मम्मी:- और उस साहबजादे को देखो, आराम से वहाँ गप्पे मार रहा है दोस्तों के साथ..!

आरुषि की मम्मी:- कई दिनों के बाद मिले है, करने दो ना बात..! कहाँ रोज रोज मिलना होता है उनका..!

आरव की मम्मी:- चलिए आँचल जी, हम भी तैयार हो कर आ जाते है, मेहमानों का समय भी हो चला है आने का..!

आरुषि की मम्मी:- जी..!



आरुषि के पापा:- क्या लगता है जैन साहब आपको, दोनों एक-दूसरे के साथ जिंदगी बिता लेंगे क्या..!

आरव के पापा:- अब आप और हम क्या कह सकते है, पाटोदी जी..! अभी तक जितना देखा और सुना है, उस हिसाब से दोनों एक-दूसरे के लिए पूरक है..! बाकि आपको बेटी देनी है इस घर में तो आप भी अच्छे से सोच समझ कर फैसला कीजियेगा..!

आरुषि के पापा:- जी आप लोगों से अच्छा घर परिवार और कहाँ मिलेगा इसे..! मुझे घर परिवार की चिंता नहीं है..! बस इस बात की चिंता है कि दोनों के ताल-मेल में आगे चल कर कोई दिक्कत ना हो..! दोनों बच्चे ही तो है अभी, भगवान करे भविष्य में दोनों अच्छे से अपनी जिंदगी व्यतीत करें..! चाहे अच्छा समय हो या बुरा एक-दूसरे का साथ दे..!

आरव के पापा:- निश्चिन्त रहिये पाटोदी साहब आप, आरुषि हमारी भी बेटी ही है, उसे किसी प्रकार का कोई भी कष्ट नहीं होगा इस घर में..! ये हमारा आप से वादा है..!

आरुषि के पापा:- इस बात से में एक दम निश्चिन्त हूँ, जैनसाहब..!

आरव के पापा:- आज सही मौका है, दोनों बच्चों से पूछ कर आज दोनों परिवारों के रिश्तों के विषय में जानकारी मेहमानों को दे दे..! कब तक उनके सवालों को टालते रहेंगे..!

आरुषि के पापा:- हाँ..! बहुत दिन से मीडिया में भी बहुत कुछ चल रहा है..! अब समय आ गया इन रिश्तों को नाम देने का..!



आरव:- अरे, आज जान लेने का इरादा है क्या..? कितनी खूबसूरत लग रही हो तुम..! समझ नहीं आ रहा.. पार्टी मेरे लिए रखी गयी है या तुम्हारे लिए..! लोग मुझसे ज्यादा तुम्हे देख रहे है..! जलन हो रही है, मुझे तो तुमसे..!

आरुषि:- तो जलते रहो.. मुझे क्या..! अब मिसेज आरव बनने जा रही हूँ, तो इतना तो खूबसूरत लगना पड़ेगा ना..! वैसे आप भी कम नहीं लग रहे..! इस टी-शर्ट के ऊपर ब्लेज़र मस्त लग रहा है आप पर..! ऊपर से दोनों मैचिंग मैचिंग..!

अंशिका:- हाँ तो..! ड्रेस मैंने सेलेक्ट करी है, किसी ऐसे वैसे ने थोड़ी की है.. मुझे तो कोई कुछ क्रेडिट दे ही नहीं रहा..! लगे पड़े हो एक दूसरे में..! दोनों में से किसी ने भी ये नहीं बताया कि मैं कैसी लग रही हूँ..!

आरव:- हाँ..! तू भी ठीक ठाक लग रही है.. (हँसते हुए..!)

आरुषि:- क्या आरव आप भी.. हर समय सताते रहते हो अंशिका को..! बहुत अच्छी लग रही हो तुम अंशिका..! और थैंक यू फॉर ड्रेस..! बहुत खूबसूरत चॉइस है तुम्हारी..!

अंशिका:- तुमसे अच्छी तो मेरी भाभी है भैया..! अब लाते रहना खुद ही अपने कपडे..! मैं नहीं करने वाली आज के बाद आपके लिए शॉपिंग..!

आरव:- हाँ..! चल चल ठीक है..! मत करना..! मैं खुद कर लूंगा..!
अंशिका:- हाँ..! पता है मुझे कैसी शॉपिंग करते हो आप..(हँसते हुए..!)



आरुषि के पापा:- बेटा आरव और आरुषि यहाँ आना..!

आरव:- जी अंकल आया..!

आरुषि के पापा:- बेटा दोनों सोच समझ कर जवाब देना..! अगर और समय चाहिए तो और समय ले लेना..! हमें कोई जल्दी नहीं है..!

आरव:- क्या बात है अंकल.. बताइए..?

आरव के पापा:- बेटी आरुषि, क्या तुम आरव के साथ शादी को तैयार हो..!

आरुषि:- अंकल, आप लोग बड़े हो.. आप जो फैसला लोगे वो हमारे भले के लिए ही लोगे..! रही बात आरव कि.. तो मुझे आरव बहुत पसंद है.. और मुझे कोई भी हिचक नहीं है इनके साथ जिंदगी बिताने में... अगर आरव को मंजूर हो तो..!

आरुषि के पापा:- तुम्हारा क्या कहना है बेटा आरव..?

आरव:- जिस तरह आरुषि ने मेरा हर मोड़ पर साथ दिया है, उस हिसाब से मुझे नहीं लगता कि मुझे इससे अच्छा ऑप्शन कहीं और मिलेगा अंकल..! अगर दोनों परिवार राजी है, तो मुझे भी कोई हिचक नहीं है.. आरुषि को अपना लाइफ पार्टनर बनाने में..!

आरव के पापा:- आपको कैसा लगा हमारा परिवार, आंचल जी..!

आरुषि की मम्मी:- जी, मुझे तो बहुत अच्छा लगा.. आप लोगो से मिलकर..! मैं तो बहुत पहले ही इस रिश्ते को मंजूरी दे चुकी हूँ..!
आरुषि के पापा:- आपका क्या विचार है, श्वेता जी..! कैसी लगी, हमारी आरुषि आपको..!

आरव की मम्मी:- बहुत अच्छी है भाईसाहब आरुषि बेटी तो..! जब से इससे मिली हूँ, तब से कभी मुझे ऐसा नहीं लगा कि आरुषि से मैं पहली बार मिली हूँ..! हमेशा ऐसा लगा जैसे अपनी ही बेटी से मिल रही हूँ..!

आरव के पापा:- तो फिर आज मैं दोनों परिवारों के रिश्तों का एनाउंसमेंट कर देता हूँ..! अगर सब की सहमति हो तो..!
आरुषि के पापा:- जी, जैनसाहब..! उचित समय देख कर.. कर दीजियेगा..!



【 हैप्पी बर्थडे टू यू, हैप्पी बर्थडे आरव.. हैप्पी बर्थडे टू यू..!】
【 पीछे धीमे आवाज में म्यूजिक..!】
【केक कटिंग के बाद】



आरव के पापा:- हेल्लो लेडीज़ एंड जेंटलमेंट..! आप लोगों का इस पार्टी में अपना कीमती समय निकाल कर आने के लिए.. मैं तहदिल से आपका अभिनंदन करता हूँ, और साथ ही एक ख़ुशख़बरी आप लोगों के साथ साझा करना चाहता हूँ..! ये हमारे लिए अत्यंत ख़ुशी की बात है कि हमारे बेटे आरव का रिश्ता पाटोदी साहब की बेटी आरुषि से तय हुआ है। दोनों बच्चे बहुत दिन से एक-दूसरे को जानते थे, तो दोनों परिवारों ने तय किया कि क्यों न इन दोस्ती को अब रिश्तों में बदल दिया जाये..! हमारा प्रस्ताव मानने के लिए मैं पाटोदी परिवार का अत्यंत आभारी हूँ.. और ईश्वर से कामना करता हूँ कि दोनों बच्चे हमेशा खुश रहे..!



आरुषि:- अब तो ऑफिशल हो गया, मिसेज आरव बनना.. आरव जी!

आरव:- हाँ.. लेकिन एक दिक्कत है..!

आरुषि:- क्या.?

आरव:- अब कुछ दिन तक अपन को दूर रहना पड़ेगा.. कैसे होगा यार मुझसे ये..! इतने दिन साथ रहते रहते तुम्हारी आदत सी हो गयी है मुझे..! ऊपर से तुम, मुझे एक भी काम नहीं करने देती थी.. कैसे मैनेज करूँगा यार मैं अकेले..!

आरुषि:- थोड़े दिन कर लेना आरव..! बाकि अब तो जिंदगी भर के लिए ही आ रही हूँ मैं आपकी लाइफ में..!

आरव:- वैसे एक बात बताओ.. तुमने अंकल आंटी को आहिरा वाली बात बता रखी है ना..!

आरुषि:- नहीं..! मुझे सब पता है तो उन्हें बताने की क्या जरूरत..!

आरव:- नहीं.. आरुषि..! मैं ये बात उन से छुपा कर ये रिश्ता आगे नहीं बढ़ाना चाहता..! तुम प्लीज् उन्हें सब बता देना..!

आरुषि:- आप कहते हो तो बता दूंगी, पर मुझे नहीं लगता इसकी कोई जरूरत होगी..!

आरव:- सच कभी न कभी तो उजागर होता ही है.. इससे अच्छा है कि हम ही क्यों न पहले ही सब सच बोल दे..! इसलिए जरूरत है उन्हें सब बताने की..! तुम जरूर उन्हें सब बताना..!

आरुषि:- जी, मेरे सच के देवता..!

आरव:- मतलब कुछ भी..!

आरुषि:- क्या कुछ भी..!

आरव:- कुछ नहीं, मुझे तो ये बताओ.. मेरा गिफ्ट कहाँ पर है..!

आरुषि:- तैयार है, बस देना बाकि है..!

आरव:- तो दो ना..!

आरुषि:- थोड़ा पर्सनल है, सब के सामने नहीं दे सकती..!

आरव:- अच्छा, ऐसा भी क्या गिफ्ट है.. जरा मैं भी तो देखूं.!

आरुषि:- जब मिलेगा तब देख लेना..!

आरव:- अच्छा..! वैसे कब मिलेगा ये गिफ्ट..!

आरुषि:- कुछ दिन बाद..!

आरव:- तुम लड़कियों को भगवान ने ये अलग से राईट दिया है क्या..? इंतज़ार करवाने का..!

आरुषि:- अब ये तो भगवान से ही पूछो आप..!

आरव:- आज अपना लास्ट दिन है मिलने का..! अब तो शादी के बाद ही मिलना होगा..!

आरुषि:- हाँ..! मुझे भी ऐसा ही लगता है..! मम्मी ने साथ चलने को बोला है..!

आरव:- अब वापिस लॉन्ग डिस्टेंस रिलेशनशिप का दौर आने वाला है अपना..!

आरुषि:- हाँ..! लेकिन इस बार पहले जैसा मत करना..! मुझे मेरा पूरा टाइम मिलना चाहिए..!

आरव:- जी मालिक..! और कुछ आज्ञा..!

आरुषि:- और कुछ तो अब बाद में ही बताउंगी..!

आरव:- चल आज पूरे दिन थक गयी होगी, काम करते करते.. सो जा.. जाकर..!

आरुषि:- हाँ..! गुड नाईट..!



आरव:- अंशिका..! सो जा जाकर..! पूरा दिन हो गया तुझे काम करते करते..! बीमार पड़ जायेगी..!

अंशिका:- हाँ..! मुझे सुलाना तो एक बहाना है..! असल में तो भाभी के साथ वक़्त बिताना है..!

आरव:- तेरा दिमाग हमेशा इन्हीं चीज में चलता है..! भेज दिया उसे भी सोने को..! भलाई का जमाना ही नहीं है आज कल तो..!

अंशिका:- बड़े आये भलाई करने वाले..!



【 सुबह, आरुषि अपने परिवार के साथ मुम्बई चली गयी..! और आरव देहली को निकल गया..!】

Very good update.....
Aarav ke character ko kaafi achcha se dikhaya hai.....jise koi bhi apni life se easily relate kar sakta hai....
Thats Fabulous.....
Thanks.....
 

Ashish Jain

कलम के सिपाही
264
446
79
भाग 14





【 आरुषि और आरव कॉल पर..!】

आरुषि:- पहुँच गए फ्लैट पर..?
आरव:- हाँ, बस अभी पंहुचा ही हूँ..! एअरपोर्ट पर हितेन आ गया था मुझे लेने..! तुम बताओ, तुम्हे तो कोई दिक्कत नहीं हुई ना..?
आरुषि:- नहीं, हम भी अच्छे से पहुँच गए..! वैसे आपको क्या हुआ है, आवाज थोड़ी भारी भारी सी लग रही है.. सब ठीक है ना..?
आरव:- हाँ, सब ठीक है..! तुम चिंता मत करो..! एअरपोर्ट से घर आते आते थोड़ा सिर में दर्द होने लगा..!
आरुषि:- ज्यादा हो रहा हो तो डॉक्टर के पास चले जाओ.. मैं हितेन को कॉल कर देती हूँ..! वो चले जायेंगे आपके साथ..!
आरव:- नहीं.. जरूरत नहीं है अभी..! मैं दवाई ले कर सो जाऊंगा..! ठीक हो जायेगा सुबह तक..!
आरुषि:- खाना वगैरह ऑर्डर कर लो..! खाना खा कर ही सोना..!
आरव:- हाँ, आते वक़्त मम्मी ने रखा था खाना..! वो खा लूंगा..! तुम चिंता मत करो..!
आरुषि:- थोड़े दिन की बात है, प्लीज् अपना ध्यान रखना..!
आरव:- पागल रो क्यों रही है..? मैं ठीक हूँ यहाँ..! तू अब थोड़ा टाइम परिवार के साथ बीता अपना..!
आरुषि:- हम्म..!
आरव:- मॉर्निंग में प्लीज् मुझे कॉल करके उठा देना..! वरना पता चला की 11 यहीं बज जायेंगे..!
आरुषि:- हाँ..! पहले आप जल्दी से खाना खाओ.. और दवाई ले कर सो जाओ..!
आरव:- हाँ, गुड नाईट..!
आरुषि:- गुड नाईट..!

【 सुबह 】

आरुषि:- कितनी गहरी नींद में सोये हो आज आप, कितने फ़ोन के बाद उठे हो..!
आरव:- पता ही नहीं चला यार, तुम्हारे फ़ोन का..!
आरुषि:- सिरदर्द कैसा है..!
आरव:- क्या पता यार..! वैसा ही है जैसे नाईट में था..!
आरुषि:- प्लीज् आप पहले डॉक्टर के पास जाना, बाद में ऑफिस..!
आरव:- हाँ..! चला जाऊंगा..!
आरुषि:- और हाँ, खुद ड्राइविंग मत करना, मैं हितेन को कॉल करती हूँ.. वो आ जायेंगे.. आपके पास.. उनके साथ जाना..!
आरव:- ठीक है.. अभी जाकर नहा लूँ..? वरना लेट हो जायेगा..!
आरुषि:- हाँ, आप जाइए..! मैं हितेन को बोलती हूँ..!
आरव:- ओके..!

【 आरुषि और हितेन कॉल पर 】

आरुषि:- हेल्लो हितेन..!
हितेन:- हाँ, भाभी जी..! बोलिये कैसे कॉल किया..?
आरुषि:- सॉरी, आपको थोड़ी तक़लीफ़ दे रही हूँ..! वो क्या है न.. आज आरव की तबीयत थोड़ी ठीक नहीं है..! सो प्लीज् आप उन्हें घर जाकर रिसीव करके डॉक्टर के पास चेक-अप के लिए ले जाइये.. और प्लीज् उन्हें ड्राइविंग मत करने दीजियेगा..!
हितेन:- जी भाभी जी, इसमें तक़लीफ़ की क्या बात है..! मैं जाकर देखता हूँ उसे..!
आरुषि:- जी थैंक्स..!

【 थोड़ी देर बाद आरुषि और आरव कॉल पर 】

आरुषि:- मैंने हितेन को बोल दिया, वो आ जायेंगे अभी थोड़ी देर में..! तब तक आप नास्ता कर लीजिये..! मैंने मेड को सब कुछ बता दिया.. आपको क्या पसंद है क्या नहीं..!
आरव:- ये मेड वाली बात मुझे बताई क्यों नहीं..? अचानक से कोई दरवाजे पर आकर बोलने लगा कि मुझे यहाँ मेम साहब ने भेजा है..!
आरुषि:- सरप्राइज था आपके लिए..!
आरव:- अरे वाह, मेरी होने वाली बीवी मुझे मेड का सरप्राइज दे रही है..!
आरुषि:- हाँ, अब ज्यादा नहीं.. जाकर नास्ता कर लो..! और एक चाबी साथ ले कर जाना..!
आरव:- जी..!

【 थोड़ी देर बाद 】

आरव:- दूसरी चाबी कहाँ रखी है यार..?
आरुषि:- वही देखो, टी.वी. के नीचे वाले ड्रॉवर में..!
आरव:- हाँ देखता हूँ..!
आरुषि:- मिल गयी..?
आरव:- हाँ..! और फॉर्मल पर जो वॉच में पहनता हूँ वो कहाँ है..?
आरुषि:- वो मेरे cupboard में ऊपर से forth लाइन में रखी है..! जो चाहिए ले लो..!
आरव:- मेरी वॉच तुम्हारे cupboard में रखने की चीज है क्या..?
आरुषि:- सुबह दोनों को साथ तैयार होना पड़ता था तो उसी में रखने लगी थी मैं.. टाइम बच जाए इसलिए..! जो चीज आपको आपकी cupboard में ना मिले वो मेरी वाली में देख लेना..! वहां मिल जायेगी..!
आरव:- तुम भी गजब हो..!
आरुषि:- हाँ तो मेरी सुविधा के अनुसार में रख लेती थी..!

【 आरव असंतुलित हो कर बेड पर गिर जाता है..! 】

आरुषि:- हेल्लो, हेल्लो.. आरव.. हेल्लो..!
आरव:- हेल्लो.. हाँ बोलो..!
आरुषि:- ये आवाज किस चीज की थी.. और आप रिप्लाई क्यों नहीं दे रहे थे..!
आरव:- कुछ नहीं वॉच पहनते पहनते मोबाइल गिर गया था..!
आरुषि:- आप सच बोल रहे हो ना..?
आरव:- अरे हाँ, बाबा..!

【 साहब कोई आया है, मेड ने चिल्ला कर कहा..! 】

आरव:- लगता है, हितेन आ गया.. मैं बाद में बात करता हूँ..!
आरुषि:- ठीक है, अपना ध्यान रखना..!

हितेन:- क्या हुआ तुझे, भाभी बोल रही थी.. तेरी तबियत ख़राब है..!
आरव:- पता नहीं यार, कल से क्या हो रहा है..! बहुत ज्यादा सिरदर्द हो रहा है.. अभी तो चक्कर भी आ गए थे..!
हितेन:- चल पहले हॉस्पिटल चलते है, मैने डॉक्टर का अपॉइंटमेंट ले लिया है..!
आरव:- हाँ, पर ये बात आरुषि को मत बताना तू.. वो फालतू में चिंता करेगी..!

【 आरव और हितेन, हॉस्पिटल में चेक-अप के बाद..! 】

हितेन:- यार, आज तो मिस्टर वालिया के साथ मीटिंग है.. तेरा जाना जरुरी है..! तुझे ही सब पता है, उनके साथ कैसे डील करनी है..! वरना मैं कर लेता..!
आरव:- हाँ, तू ऐसा कर मुझे ऑफिस छोड़ दे..! बाद में आकर तू रिपोर्ट्स कलेक्ट करके डॉक्टर को दिखा देना.. और मेडिसन पूछ लेना..! क्योंकि रिपोर्ट्स का वेट करते करते बहुत टाइम हो जायेगा..!
हितेन:- हाँ, ऐसा ही करते है..! मैं छोड़ देता हूँ, ऑफिस तुझे.. फिर शाम को मिलता हूँ..!
आरव:- okk..!

【 शाम को आरव के फ्लैट पर..! 】

हितेन:- अरे, ऑफिस से अकेला ही क्यों आ गया तू..!
आरव:- वो मीटिंग जल्दी खत्म हो गयी थी, तेरा फ़ोन भी नहीं लग रहा था..! इसीलिए मैं कैब से घर आ गया..!
हितेन:- हाँ, वो मैं थोड़े काम से आउट साइड में था..!
आरव:- क्या बोला डॉक्टर ने..?
हितेन:- कुछ नहीं, नॉर्मल है.. मौसम चेंज की वजह से है..! ये मेडिसन है..! ले लेना..!
आरव:- ठीक है, वैसे रिपोर्ट्स कहाँ है..?
हितेन:- वो मैं नीचे गाड़ी में भूल आया..!
आरव:- कोई ना, तेरा भी पूरा दिन स्पोइल हो गया, आज मेरे कारण..! जा मिस सेकेट्री तेरा वेट कर रही होगी..!
हितेन:- हाँ, आज उसे फ़ोन ही नहीं किया मैंने..!
आरव:- और सुन, आरुषि का फ़ोन आये तो बोल देना सब नॉर्मल ही है..!
हितेन:- ठीक है..!

【 आरव और आरुषि कॉल पर..!】

आरुषि:- क्या बोला डॉक्टर..?
आरव:- सब नॉर्मल है.. ऐसे ही मौसम के चेंजेस की वजह से है..!
आरुषि:- झूठ तो नहीं बोल रहे ना..! रिपोर्ट्स की फ़ोटो भेजो..!
आरव:- हितेन से पूछ ले मुझ पर विश्वास नहीं है तो, और रिपोर्ट्स भी उसी के पास है..!
आरुषि:- ओके, और बताओ..! डिनर कर लिया..?
आरव:- हाँ, तुम्हारी सरप्राइज वाली मैड बना कर गयी थी..! वैसे तुम्हारे जैसा खाना नहीं बनाती वो..!
आरुषि:- थोड़े दिन की बात है, थोडा एडजस्ट कर लो..!
आरव:- करना ही पड़ेगा.. और ऑप्शन भी क्या है..!
आरुषि:- अगर आप कहो तो मैं आ जाती हूँ, थोड़े दिन के लिए वहाँ..!
आरव:- अरे नहीं..! तुम रहो वही पर..! मैं ठीक हूँ यहाँ..!
आरुषि:- चलो, फिर दवाई ले कर सो जाओ आप..!
आरव:- हाँ, मुझे उठा देना..! कल जल्दी ऑफिस जाना है..!
आरुषि:- ठीक है..!

【 सुबह 】

आरुषि:- गुड मॉर्निंग, आरव..!
आरव:- मोर्निंग गुड..!
आरुषि:- अगर तबीयत ठीक नहीं है, तो मत जाओ.. आज ऑफिस..!
आरव:- नहीं यार, जाना पड़ेगा..! जरुरी है..!
आरुषि:- फिर हितेन को बुला लीजिये.. साथ चले जाना..!
आरव:- नहीं यार.. रोज रोज अच्छा नहीं लगता..! उसके भी अपने कुछ काम रहते होंगे..!
आरुषि:- फिर आप कैब करके जाना.. ड्राइविंग बिल्कुल मत करना..!
आरव:- okk..! फ़िलहाल तो तैयार हो जाऊं..!
आरुषि:- ठीक है..!

【 कुछ टाइम बाद 】

आरुषि:- निकल गए क्या ऑफिस के लिए..?
आरव:- हाँ..!
आरुषि:- कैब में ही हो ना..!
आरव:- हाँ..!
आरुषि:- रुको, मैं वीडियो कॉल करती हूँ..!
आरव:- अरे नहीं, वो कैब लेट हो रही थी, इसलिए खुद ड्राइव करके जाने लगा यार..!
आरुषि:- मना किया था ना आपको, ऊपर से झूठ भी बोलने लगे..!
आरव:- सॉरी यार..! अच्छा सुन, किसी का कॉल आ रहा है, मैं करता हूँ तुझे वापिस कॉल..!

【 आरव कॉल पर 】

आरव:- हेलो, who are you..?
हितेन:- हितेन बोल रहा हूँ भाई, जल्दी, सेक्टर 12 रोड पर आ, मेरा एक्सीडेंट हो गया..!
आरव:- पर ये नंबर किसका है..? तेरा फ़ोन कहाँ है..?
हितेन:- मेरा फ़ोन टूट गया.. किसी और का नंबर है ये..!
आरव:- ओके, आता हूँ..!

【 आरव का सिर चकराता हुआ.. और कार को सेक्टर 12 रोड पर लेता हुआ..!】

【 कॉल】

आरुषि:- किसका कॉल था..?
आरव:- वो हि.............!

【 आरव की कार और ट्रक का जोर से धमाका होता हुआ.. आरुषि रोते हुए..!】

आरुषि:- हेल्लो..! हेल्लो आराव..! हेल्लो आरव.. प्लीज् रिप्लाई..! हेल्लो..........!
 
  • Like
Reactions: Aakash.
Top