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Romance आरुषि

Ashish Jain

कलम के सिपाही
264
445
79
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Ashish Jain

कलम के सिपाही
264
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भाग 1



पहला
इश्क़ आपको प्यार में पड़ना सिखाता है, दूसरा इश्क़ प्यार करना सिखाता है। पहला इश्क़ उस आदमी की मेहनत कि तरह है जो एक बीज को उगाने के लिए करता है और दूसरा इश्क़ उस पौधे की तरह जो उस आदमी के घर को बाग करता है।
खैर, अपने साथ भी ये पहले इश्क़ वाली कहानी हुई, जो कि अब बहुत पुरानी हुई। अब वो ही घिसी पिटी कहानी, बंदी आयी छोड़ कर चली गयी। अब थोड़ी बहुत अपनी गलती तो थी ही जो अपन ने कभी नही मानी, पर इतनी भी नही कि उसने जाने की ही ठानी। अब गयी तो गयी, अपन भी निकल लिए उससे दूर। पर ये दिल हो रहा था उसके पास जाने को बहुत मजबूर। तो सोचा दिल को कहीं ओर लगाया जाए। क्यों ना किसी सफर पर चल दिया जाए। अब एक पूरा ग्रुप घूमने जा रहा था। मैं भी उसी में जगह पाने को अपनी किस्मत आजमा रहा था। अब अपन को भी एक नई कहानी लिखनी थी, अब अपने आगे ऊपर वाले कि भी क्या चलनी थी।
अब भाई moments हो गए चालू। ग्रुप में एक थी लड़की। जिसकी सीट अपनी सीट पर थी RAC। अब ठण्ड की starting थी उस टाइम और वो एक शॉल पैर पर डाल कर बैठ गयी अपने सामने में। अपन बन गए थे एक दम सख्त लौंडे, अभी अभी दिल टूटा था ना so, तो लगे पड़े थे अपनी ही मस्ती में। अब भाई आप कितने भी सख्त लौंडे हो, हवा में लड़की की उड़ती जुल्फे, और नींद के झटकों से बार बार खिड़की से टकराते उसके सिर को देख कर पिघल ही जाओगे। मैं भी पिघल गया।
तो उसके पैरों पर अपना हाथ टच किया। अब टच करने के पीछे अपना इंटेशन गलत नही था। पर शक्ल अच्छी नही हो तो इंटेशन मैटर नही करता। पर, पर अपनी शक्ल इतनी भी बुरी नही थी। तो उसने बोल दिया सॉरी, वो इसलिए कि शायद उसे लगा कि उसने नींद में मुझे पैर मार दिया हो। so अपन ने भी बोल दिया it's okk. अब पैर नही लगा इसका मतलब ये थोड़ी ना कि उसके सॉरी को वेस्ट जाने दे।
फिर अपन ने भी प्यार से कह दिया, तुम सही से सो सकती है। तो उसने पूछा, फिर आप कहाँ बैठेंगे..?
यहीं बाजू में थोड़ी सी जगह में बैठ जाऊंगा। इतना क्या बोल वो पैर फैला कर शॉल उड़कर सो गई और अपन अपनी किताब में घुस गए। अब बार बार उसके नाजुक पैर मुझे टच हो रहे थे। एक बार तो मन करा कि उठा कर कह दूं, कि तुम होंगी अपने पापा की परी, अपन भी कोई कम नही है, पैर अपनी मर्यादा में रखो।
पर, पर लहराती जुल्फे, सहलाते हाथ के सामने तुम साले कुछ भी नही हो।
वो उठी और वापिस बैठ गयी, मैने पूछा क्या हुआ, वो बोली आपको पैर लग रहे है। मैंने कहा तो मेरी साइड सिर करके लेट सकती हो। और अगर तुम नही लेटती तो मुझे बताओ मैं लेटता हूं (उसकी तरफ सिर करके) सख़्ती अभी भी बाकी है।
वो मेरी तरफ सिर करके लेट गयी और अपन भी खिड़की कि तरफ पीठ करके सो गए। सुबह उसका सिर मेरे पैरों पर, मेरा एक हाथ उसके कंधे पर, और उसका एक हाथ मेरे हाथ पर। और, और अपन चौडे होकर सातवें आसमान पर।
अब तक फिर भी सख्त थे अपन, क्योंकि अभी अभी ब्रेक-अप हुआ था ना सो। अब आंख खुली उसकी और बुद्धि भी, तुरंत उठ कर सीधी बैठी और सवाल दाग दिया, अपने उठाया क्यों नही मुझे। अब उस पट्ठी को क्या बताऊँ कि क्यों नही उठाया।
वो क्या है ना तुम नींद में थी तो नही उठाया। अपन ने भी जवाब देने की पूरी फॉर्मेलिटी निभाई। कुछ नही बोली वो और चुप-चाप बैठ गयी।
सुबह का टाइम था, चाय वाला आया, मैने पूछा उसे कि चाय पियोगी, उसने जेब से 20₹ का नोट निकाला और कहा 2 चाय देना भैया।
अपन ने भी बेज्जती महसूस करते हुए खिड़की के बाहर देखना अच्छा समझा। फिर उसने आवाज दी कि लीजिये चाय पीजिये। पर मैं चाय छोड़ चुका था तो मैने कहा कि मैं नही पीता.. तो वो नाक चढ़ा कर बोली, जब ले रही थी तब क्यों नही बोला अपने, मैंने कहा मुझे क्या पता कि एक मेरे लिए ले रही हो।
अब पता नही उसे क्या हुआ उसने गुस्से में दोनों चाय फेक दी। " " मैंने कहा फेंकी क्यों..?
वो:- आपसे मतलब..!
मैं:- बिल्कुल मतलब है, मेरे हिस्से की चाय थी, मैं फेंकता या रखता उससे तुम्हे क्या लेना देना था।
वो:- आप भी तो फेंकते ही ना..?
मैं:- नही, किसी को भी दे देता, ग्रुप में 50 आदमी और है..!
वो:- सॉरी..!"
अपन खिड़की के बाहर फिर देखने लगे।
" मैं:- नाम क्या है तुम्हारा..?
वो:- आरुषि, और आपका..?
मैं:- आरव..!
वो:- क्या करते हो..?
मैं:- B.sc.. और तुम..!
वो:- 12th मे हूं..!
मैं:- कौनसा subject..?
वो:- कॉमर्स..!
मैं:- कभी देखा नही तुम्हें पहले ग्रुप में।
वो:- हाँ, मैं जयपुर रहती हूं, छुट्टियां थी तो यहाँ आयी थी।
मैं:- चलो, अच्छा है..!"
अब डेस्टिनेशन आ गया, स्टेशन से बाहर निकले और गाड़ी का wait करने लगे। अब 4-5 दिन हमको साथ रहना था तो उस समय ज्यादा बाते भी नहीं की।
थोड़े टाइम साथ रहने के बाद दोनों की बॉन्डिंग अच्छी हो गयी थी।
" मैं:- सुनो, कोई boyfrind है क्या तुम्हारे..?
वो:- नहीं..!
मैं:- कोई था क्या..?
वो:- नही..!
मैं:- कैसा लड़का पसन्द है तुम्हें..!
वो:- Writer..!
मैं:- क्यों..?
वो:- क्योंकि वो अमर होते है।
मैं:- अमर तो धरती पर भगवान भी नही होते, मैं बोला।
वो:- पर writer होते है..
मैं:- कैसे..?
वो:- Writer बेशक़ मर जाये पर उसके words जिंदा रहते है।
मैं:- जल्दी ही मिलेगा, तुम्हे तुम्हारा writer.. मैंने हँस कर बोल दिया।"
अब लिखते विखते तो अपन भी थे, चाहते तो इम्प्रेशन झाड़ सकते थे, पर अभी अभी चोट खाई थी, यहाँ पर वो चोट भरने आये थे, न कि इम्प्रैशन झाड़ने..!
खैर 5 दिन कैसे बीते पता नही चला, इसी बीच उसका बर्थडे भी था, पूछा था मैंने क्या चाहिए। उसने कहा.. जवाब..!
मैने कहा सवाल क्या है..?
वो बोली टाइम आने पर पूछ लूंगी।
अब भी वापिस जाने की तैयारी, वापिस वो ही रात, तो वापिस मैंने कहा सो जाओ पैरों की तरफ सिर रख कर..!
वो बोली नहीं, आज आप सो जाओ, मेरे पैरों पर सिर रख कर..!
मैने पूछा are u okk..?
उसने कहा i m fine..! आज मेरा बर्थडे है सो आपको इतनी सी मेरी बात माननी पड़ेगी।
मैने कहाँ ठीक है.. और सो गया..!
आधी रात को उठाया उसने, मै जैसे ही बैठने लगा तो कहने लगी लेटे रहो आरव..!
मैं:- उठाया क्यों..?
वो:- जवाब चाहिए..!
मैं:- सवाल क्या है..?
वो:- आहिरा कौन है..?
मैं एक दम ब्लेंक, मैं सोचने लगा जिस लड़की को मै सिर्फ 5 दिन से ही जानता हूं, कभी मैंने उसके सामने आहिरा का जिक्र तक नही किया, वो कैसे मुझे उसके बारे में पूछ रही है।
दिमाग मे हजारों विचार आने लगे, कहीं ये आहिरा की दोस्त तो नही, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप कहीं पर भी इनकी बात तो नही हो गयी।
वो:- क्या हुआ।
मैं:- कुछ नही..!
वो:- कोई बात नही आप मुझे बर्थडे गिफ्ट नही दे सकते तो..!
मैं:- नही ऐसी बात नही है, आहिरा दोस्त थी मेरी।
वो:- सिर्फ दोस्त..?
मैं:- Ex थी..!
वो:- कितना प्यार करते हो उसे..!
मैं:- तुम्हे कैसे पता आहिरा के बारे मे..? हो कौन तुम..? कैसे जानती हो उसे..? उसी ने कहा है क्या तुम्हें ये सब पूछने के लिए..?
वो:- सो जाओ आप..(गोद की तरफ इशारा करते हुए कहा)
मैं:- कुछ पूछा है मैंने..(गुस्से में)
वो:- आपके बैग से आपकी डायरी गिर गयी थी.. उसे मैं रोज रात पड़ती थी इन 5 दिनों में..! उससे मुझे तीन चीज पता चली..! एक आप यहाँ आहिरा की यादों को भूलने के लिए आये हैं.. दूसरी आप writer है।
मैं:- और तीसरी..?
वो:- कि आपकी writing बहुत गंदी है।
मैं:- बिना पूछे किसी अनजान की पर्सनल चीज पढ़ना अच्छी बात नही है।
वो:- आप अनजान है..?
मैं:- नींद आ रही है मुझे..!
वो:- सो जाइये.. (फिर गोद की तरफ इशारा करते हुए)
मैं:- नही, i m fine..!
वो:- सुनो, I Love You.. ये बोला है मैंने जबाव देना आपको जरूरी नही है।
वो:- मैं आपकी गोद मे सो सकती हूं.?
मैं:- हुं..!
सुबह हुई, वो उठी..!
मैं:- चाय पियोगी..?
वो:- छोड़ दी..!
मैं:- कब..?
वो:- जब फेंकी थी..!
वो:- कितना प्यार करते हो आहिरा को..!
मैं:- जितना भी करता हूं, तुम्हे उससे ज्यादा करने की कोशिश करूंगा।
वो:- मतलब..?
मैं:- love u to..!
आहिरा मेरा पहला प्यार थी, लेकिन फिर भी इज्जत मेरे मन मे आरुषि के लिए ज्यादा थी। लोग कहते है कि प्यार दूसरी बार नही हो सकता, अगर आरुषि जैसे लड़की हो तो प्यार दो बार हो सकता है।
 

Baap Ji

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पहला
इश्क़ आपको प्यार में पड़ना सिखाता है, दूसरा इश्क़ प्यार करना सिखाता है। पहला इश्क़ उस आदमी की मेहनत कि तरह है जो एक बीज को उगाने के लिए करता है और दूसरा इश्क़ उस पौधे की तरह जो उस आदमी के घर को बाग करता है।
खैर, अपने साथ भी ये पहले इश्क़ वाली कहानी हुई, जो कि अब बहुत पुरानी हुई। अब वो ही घिसी पिटी कहानी, बंदी आयी छोड़ कर चली गयी। अब थोड़ी बहुत अपनी गलती तो थी ही जो अपन ने कभी नही मानी, पर इतनी भी नही कि उसने जाने की ही ठानी। अब गयी तो गयी, अपन भी निकल लिए उससे दूर। पर ये दिल हो रहा था उसके पास जाने को बहुत मजबूर। तो सोचा दिल को कहीं ओर लगाया जाए। क्यों ना किसी सफर पर चल दिया जाए। अब एक पूरा ग्रुप घूमने जा रहा था। मैं भी उसी में जगह पाने को अपनी किस्मत आजमा रहा था। अब अपन को भी एक नई कहानी लिखनी थी, अब अपने आगे ऊपर वाले कि भी क्या चलनी थी।
अब भाई moments हो गए चालू। ग्रुप में एक थी लड़की। जिसकी सीट अपनी सीट पर थी RAC। अब ठण्ड की starting थी उस टाइम और वो एक शॉल पैर पर डाल कर बैठ गयी अपने सामने में। अपन बन गए थे एक दम सख्त लौंडे, अभी अभी दिल टूटा था ना so, तो लगे पड़े थे अपनी ही मस्ती में। अब भाई आप कितने भी सख्त लौंडे हो, हवा में लड़की की उड़ती जुल्फे, और नींद के झटकों से बार बार खिड़की से टकराते उसके सिर को देख कर पिघल ही जाओगे। मैं भी पिघल गया।
तो उसके पैरों पर अपना हाथ टच किया। अब टच करने के पीछे अपना इंटेशन गलत नही था। पर शक्ल अच्छी नही हो तो इंटेशन मैटर नही करता। पर, पर अपनी शक्ल इतनी भी बुरी नही थी। तो उसने बोल दिया सॉरी, वो इसलिए कि शायद उसे लगा कि उसने नींद में मुझे पैर मार दिया हो। so अपन ने भी बोल दिया it's okk. अब पैर नही लगा इसका मतलब ये थोड़ी ना कि उसके सॉरी को वेस्ट जाने दे।
फिर अपन ने भी प्यार से कह दिया, तुम सही से सो सकती है। तो उसने पूछा, फिर आप कहाँ बैठेंगे..?
यहीं बाजू में थोड़ी सी जगह में बैठ जाऊंगा। इतना क्या बोल वो पैर फैला कर शॉल उड़कर सो गई और अपन अपनी किताब में घुस गए। अब बार बार उसके नाजुक पैर मुझे टच हो रहे थे। एक बार तो मन करा कि उठा कर कह दूं, कि तुम होंगी अपने पापा की परी, अपन भी कोई कम नही है, पैर अपनी मर्यादा में रखो।
पर, पर लहराती जुल्फे, सहलाते हाथ के सामने तुम साले कुछ भी नही हो।
वो उठी और वापिस बैठ गयी, मैने पूछा क्या हुआ, वो बोली आपको पैर लग रहे है। मैंने कहा तो मेरी साइड सिर करके लेट सकती हो। और अगर तुम नही लेटती तो मुझे बताओ मैं लेटता हूं (उसकी तरफ सिर करके) सख़्ती अभी भी बाकी है।
वो मेरी तरफ सिर करके लेट गयी और अपन भी खिड़की कि तरफ पीठ करके सो गए। सुबह उसका सिर मेरे पैरों पर, मेरा एक हाथ उसके कंधे पर, और उसका एक हाथ मेरे हाथ पर। और, और अपन चौडे होकर सातवें आसमान पर।
अब तक फिर भी सख्त थे अपन, क्योंकि अभी अभी ब्रेक-अप हुआ था ना सो। अब आंख खुली उसकी और बुद्धि भी, तुरंत उठ कर सीधी बैठी और सवाल दाग दिया, अपने उठाया क्यों नही मुझे। अब उस पट्ठी को क्या बताऊँ कि क्यों नही उठाया।
वो क्या है ना तुम नींद में थी तो नही उठाया। अपन ने भी जवाब देने की पूरी फॉर्मेलिटी निभाई। कुछ नही बोली वो और चुप-चाप बैठ गयी।
सुबह का टाइम था, चाय वाला आया, मैने पूछा उसे कि चाय पियोगी, उसने जेब से 20₹ का नोट निकाला और कहा 2 चाय देना भैया।
अपन ने भी बेज्जती महसूस करते हुए खिड़की के बाहर देखना अच्छा समझा। फिर उसने आवाज दी कि लीजिये चाय पीजिये। पर मैं चाय छोड़ चुका था तो मैने कहा कि मैं नही पीता.. तो वो नाक चढ़ा कर बोली, जब ले रही थी तब क्यों नही बोला अपने, मैंने कहा मुझे क्या पता कि एक मेरे लिए ले रही हो।
अब पता नही उसे क्या हुआ उसने गुस्से में दोनों चाय फेक दी। " " मैंने कहा फेंकी क्यों..?
वो:- आपसे मतलब..!
मैं:- बिल्कुल मतलब है, मेरे हिस्से की चाय थी, मैं फेंकता या रखता उससे तुम्हे क्या लेना देना था।
वो:- आप भी तो फेंकते ही ना..?
मैं:- नही, किसी को भी दे देता, ग्रुप में 50 आदमी और है..!
वो:- सॉरी..!"
अपन खिड़की के बाहर फिर देखने लगे।
" मैं:- नाम क्या है तुम्हारा..?
वो:- आरुषि, और आपका..?
मैं:- आरव..!
वो:- क्या करते हो..?
मैं:- B.sc.. और तुम..!
वो:- 12th मे हूं..!
मैं:- कौनसा subject..?
वो:- कॉमर्स..!
मैं:- कभी देखा नही तुम्हें पहले ग्रुप में।
वो:- हाँ, मैं जयपुर रहती हूं, छुट्टियां थी तो यहाँ आयी थी।
मैं:- चलो, अच्छा है..!"
अब डेस्टिनेशन आ गया, स्टेशन से बाहर निकले और गाड़ी का wait करने लगे। अब 4-5 दिन हमको साथ रहना था तो उस समय ज्यादा बाते भी नहीं की।
थोड़े टाइम साथ रहने के बाद दोनों की बॉन्डिंग अच्छी हो गयी थी।
" मैं:- सुनो, कोई boyfrind है क्या तुम्हारे..?
वो:- नहीं..!
मैं:- कोई था क्या..?
वो:- नही..!
मैं:- कैसा लड़का पसन्द है तुम्हें..!
वो:- Writer..!
मैं:- क्यों..?
वो:- क्योंकि वो अमर होते है।
मैं:- अमर तो धरती पर भगवान भी नही होते, मैं बोला।
वो:- पर writer होते है..
मैं:- कैसे..?
वो:- Writer बेशक़ मर जाये पर उसके words जिंदा रहते है।
मैं:- जल्दी ही मिलेगा, तुम्हे तुम्हारा writer.. मैंने हँस कर बोल दिया।"
अब लिखते विखते तो अपन भी थे, चाहते तो इम्प्रेशन झाड़ सकते थे, पर अभी अभी चोट खाई थी, यहाँ पर वो चोट भरने आये थे, न कि इम्प्रैशन झाड़ने..!
खैर 5 दिन कैसे बीते पता नही चला, इसी बीच उसका बर्थडे भी था, पूछा था मैंने क्या चाहिए। उसने कहा.. जवाब..!
मैने कहा सवाल क्या है..?
वो बोली टाइम आने पर पूछ लूंगी।
अब भी वापिस जाने की तैयारी, वापिस वो ही रात, तो वापिस मैंने कहा सो जाओ पैरों की तरफ सिर रख कर..!
वो बोली नहीं, आज आप सो जाओ, मेरे पैरों पर सिर रख कर..!
मैने पूछा are u okk..?
उसने कहा i m fine..! आज मेरा बर्थडे है सो आपको इतनी सी मेरी बात माननी पड़ेगी।
मैने कहाँ ठीक है.. और सो गया..!
आधी रात को उठाया उसने, मै जैसे ही बैठने लगा तो कहने लगी लेटे रहो आरव..!
मैं:- उठाया क्यों..?
वो:- जवाब चाहिए..!
मैं:- सवाल क्या है..?
वो:- आहिरा कौन है..?
मैं एक दम ब्लेंक, मैं सोचने लगा जिस लड़की को मै सिर्फ 5 दिन से ही जानता हूं, कभी मैंने उसके सामने आहिरा का जिक्र तक नही किया, वो कैसे मुझे उसके बारे में पूछ रही है।
दिमाग मे हजारों विचार आने लगे, कहीं ये आहिरा की दोस्त तो नही, फेसबुक, इंस्टाग्राम, व्हाट्सएप कहीं पर भी इनकी बात तो नही हो गयी।
वो:- क्या हुआ।
मैं:- कुछ नही..!
वो:- कोई बात नही आप मुझे बर्थडे गिफ्ट नही दे सकते तो..!
मैं:- नही ऐसी बात नही है, आहिरा दोस्त थी मेरी।
वो:- सिर्फ दोस्त..?
मैं:- Ex थी..!
वो:- कितना प्यार करते हो उसे..!
मैं:- तुम्हे कैसे पता आहिरा के बारे मे..? हो कौन तुम..? कैसे जानती हो उसे..? उसी ने कहा है क्या तुम्हें ये सब पूछने के लिए..?
वो:- सो जाओ आप..(गोद की तरफ इशारा करते हुए कहा)
मैं:- कुछ पूछा है मैंने..(गुस्से में)
वो:- आपके बैग से आपकी डायरी गिर गयी थी.. उसे मैं रोज रात पड़ती थी इन 5 दिनों में..! उससे मुझे तीन चीज पता चली..! एक आप यहाँ आहिरा की यादों को भूलने के लिए आये हैं.. दूसरी आप writer है।
मैं:- और तीसरी..?
वो:- कि आपकी writing बहुत गंदी है।
मैं:- बिना पूछे किसी अनजान की पर्सनल चीज पढ़ना अच्छी बात नही है।
वो:- आप अनजान है..?
मैं:- नींद आ रही है मुझे..!
वो:- सो जाइये.. (फिर गोद की तरफ इशारा करते हुए)
मैं:- नही, i m fine..!
वो:- सुनो, I Love You.. ये बोला है मैंने जबाव देना आपको जरूरी नही है।
वो:- मैं आपकी गोद मे सो सकती हूं.?
मैं:- हुं..!
सुबह हुई, वो उठी..!
मैं:- चाय पियोगी..?
वो:- छोड़ दी..!
मैं:- कब..?
वो:- जब फेंकी थी..!
वो:- कितना प्यार करते हो आहिरा को..!
मैं:- जितना भी करता हूं, तुम्हे उससे ज्यादा करने की कोशिश करूंगा।
वो:- मतलब..?
मैं:- love u to..!
आहिरा मेरा पहला प्यार थी, लेकिन फिर भी इज्जत मेरे मन मे आरुषि के लिए ज्यादा थी। लोग कहते है कि प्यार दूसरी बार नही हो सकता, अगर आरुषि जैसे लड़की हो तो प्यार दो बार हो सकता है।


Superb fabulous mind and heart touching
Bruh
Apun ki kiat me pyar hitch jitni ayi sab chinal
Waiting for next update
Bruh ye reality par based hai ya imagination?
 

Ashish Jain

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Superb fabulous mind and heart touching
Bruh
Apun ki kiat me pyar hitch jitni ayi sab chinal
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Bruh ye reality par based hai ya imagination?
बस यूं सामझ लो कि कुछ यादें ताजा करने की एक छोटी सी प्रयास....:shy:
 
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