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Romance आरुषि

Rahul

Kingkong
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ye to wonderfull story hai:dost:
 

Ashish Jain

कलम के सिपाही
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भाग 11



" आरव, तेरा पाटोदी परिवार के साथ क्या चल रहा है..? तेरे पापा ने कल न्यूज़ देखी तो बताया कि उसमें तेरे और उनकी बेटी के बारे में आ रहा था और तेरा दोस्त बता रहा था कि तुम दोनों साथ रहते हो। सच है क्या ये..? और सच है तो फिर हमें पहले क्यों नहीं बताया। आजकल कुछ बताता ही कहाँ है तू हमें..! हम ही है जो तेरी चिंता में यहाँ दिन रात एक करते है..!" (आरव की मम्मी) कॉल पर..!

आरव:- अरे मम्मी..! साँस तो ले लो..! बताता हूँ ना सब वहाँ पर आकर..! और आप फालतू में चिंता मत करा करो, यहाँ पर सब एक दम मस्त है और पापा को भी कहना सब ठीक है।

आरव की मम्मी:- पापा को तो कह दूंगी, पर यहाँ सबको क्या कहूँ, सब न्यूज़ देख कर तेरे बारे में पूछ रहे है..!अब हमे ही कुछ नहीं पता तो उनको क्या जवाब दें..!

आरव:- मम्मी आ रहा हूँ मैं परसो, सब बता दूंगा..! आरुषि भी आएगी साथ में, उससे भी मिल लेना..! और मेरा बर्थडे भी है अगले दिन..! तो सबको बुला लेना, सब को सब पता भी चल जायेगा..! और पूरे पाटोदी परिवार से भी तब ही मिल लेना..!

आरव की मम्मी:- तू हर समय अपने मन की करता है, 4 दिन बाद तेरा बर्थडे है ऊपर से सब को invite भी करना है..! कैसे होगा सब इतने से समय में..! और मैंने कॉल कर लिया तो तूने बता दिया वरना तू तो कॉल करके बताता भी नहीं...!

आरव:- मम्मी यार..! करने ही वाला था कॉल..! और पापा का मूड बताओ ना कैसा है..! गुस्सा वगैरह तो नहीं है..?

आरव की मम्मी:- ले कर ले तू ही बात..!

आरव के पापा:- बेटा बहुत बड़े हो गए आप आजकल..! सब फैसले अकेले ही लेने लगे, हमें बताना भी जरुरी नहीं समझा..!

आरव:- पापा वो बात नहीं है, मैं सोचा कि आप गुस्सा होंगे तो नहीं बता पाया..!

आरव के पापा:- बेटा..! हम गुस्सा तो है, पर इसलिए नहीं कि तुम किसी रिलेशनशिप में हो बल्कि इसलिए कि तुमने हमें बताना तक जरुरी नहीं समझा..! वो तो कल न्यूज़ में पता चल गया वरना पता नहीं और कब तक छुपाते तुम हमसें..!

आरव:- सॉरी पापा..! अब मत करो ना गुस्सा..!

आरव के पापा:- हाँ ठीक है, आरुषि बेटी से बात कराओ..!

आरव:- हाँ करवाता हूँ..!

" मैं कैसे बात करूँ, क्या बात करूंगी उनसे..! आपके कारण मुझे और डाँट पड़ेगी उनसे..!" आरुषि ने फुसफुसाते हुए आरव से कहा और फोन ले लिया..!

आरुषि:- नमस्ते अंकल..!

आरव के पापा:- नमस्ते..! बेटी, उसने अपने मन से ना सही पर आप तो उसे कह सकती थी कि घर पर बता दे सब..!

आरुषि:- मैंने इनसे कई बार कहा था अंकल कि घर पर सब बता दो, पर ये ही नहीं बताते थे..!

आरव के पापा:- आने दो बेटा उसे घर पर, उसकी खबर लेता हूँ..! और आपको परेशान तो नहीं करता ना ये ज्यादा..!

आरुषि:- नहीं अंकल, बहुत अच्छे है ये..!

आरव के पापा:- चलो ठीक है फिर, आओ परसो घर यहीं बात करेंगे..!

आरुषि:- जी अंकल..! नमस्ते..!


आरुषि:- कितनी बार कहा था आपसे कि घर पर बता दो, पर आप मेरी सुनते ही नहीं..! अंकल कितना गुस्सा हो रहे थे आपसे..!

आरव:- ठीक है ना यार, अब तुम शुरू मत हो जाओ डांटने को.. वैसे ही बहुत डांट पड़ गयी आज..!

आरुषि:- कम ही पड़ी है, अभी तो और पड़ेगी, घर चलो एक बार..! आपके साथ साथ मुझे भी पड़ेगी..!

आरव:- नहीं पड़ेगी, पापा का गुस्सा बहुत जल्दी ठंडा पड़ जाता है..! और कौन सा कोई क्राइम किया है अपन ने..!

आरुषि:- अपन ने नहीं, आपने..! घर पर नहीं बता कर..!

आरव:- कोई ना, सब संभाल लूंगा मैं..!

आरुषि:- चलो आप फ्रेश हो जाओ, तब तक मैं कुछ बना लेती हूँ..!

आरव:- अरे..! तुम भी तो थकी हुई आई हो, बैठो, कुछ नहीं बनाना..! ऑर्डर कर लेंगे कुछ भी..! घर पर आई नहीं कि फिर काम पर लग गयी..!

आरुषि:- हाँ, वैसे भी मेरी कमर और पैर दर्द हो रहे है, शायद menses होने वाली हूँ..!

आरव:- मतलब अब 5 दिन तक तुम्हारा गुस्सा सहन करना पड़ेगा..! कोई नहीं आरव बेटा.. तेरा time ही ख़राब चल रहा है अभी..!

आरुषि:- आपको मेरा गुस्सा तो दिख गया, पर मुझे कितना दर्द होता है वो नहीं दिखा..!

आरव:- अरे हाँ यार..! ये तो में भूल ही गया..! सॉरी यार..!

आरुषि:- कोई ना..! वैसे भी मेरे आरव इन दिनों में मेरी केअर भी बहुत करते है..!

आरव:- मतलब..! बाकि दिन नहीं करता..?

आरुषि:- बाकि दिन भी करते है पर इतनी नहीं..!

आरव:- अच्छा जी..! वैसे एक बात तो है, इन दिनों तुम में बहुत changes आते है..! कभी तो एक दम से बच्ची बन जाती हो, कभी दादी अम्मा जितनी mature..!

आरुषि:- क्या पता..! मैंने तो कभी नोटिस किया नहीं ये सब..!

आरव:- हाँ तो फिर परसो चलना है जयपुर..! तुम्हारे मम्मी पापा को भी बोलना है..! उस हिसाब से वो टाइम मैनेज करेंगे..!

आरुषि:- मेरे मम्मी पापा मतलब..! आपके कुछ नहीं लगते क्या..?

आरव:- अरे यार..! बात मत पकड़ा कर..! अंकल आंटी..! अब ठीक है..!

आरुषि:- हाँ..! थोड़ा थोडा..!

आरव:- ज्यादा ज्यादा.. शादी के बाद होगा..!

आरुषि:- आप बात कर लो पापा से..! तब तक मैं खाना ऑर्डर कर देती हूँ..!

आरव:- ठीक है..!


【 कुछ टाइम के बाद, डोरबेल बजती है..!】


" आरव देखना जरा..! शायद खाना आया होगा..! ( आरुषि ने चिल्ला कर कहा..!)"

आरव:- मैंने भी सुना मेरी जान.. डोरबेल बजी तो..!

आरुषि:- तो फिर जाकर खोलो ना..!

आरव:- खोल तो रहा हूँ..!


【 थोड़ी देर बाद 】


आरुषि:- अरे वाह..! आप तो सब परोस कर बैठे है..!

आरव:- हाँ..! पर तुमने एक घण्टा लगा दिया नहाने में..! पूरा खाना ठंडा हो गया..!

आरुषि:- सॉरी यार..! पर आप खा लेते ना..!

आरव:- कभी ऐसा हुआ है, जब दोनों घर पर साथ हो तो कभी किसी एक ने खाना खाया हो..! अकेले ने तो छोड़ो, कभी अलग प्लेट में नहीं खाया..! तुमने ही तो सिखाया था ये.. अब खुद ही भूल गयी..!

आरुषि:- शादी के बाद भी ऐसे ही रहना..! बदल मत जाना..!

आरव:- बाद की बाद से देखेंगे..! अभी तो आओ खाना खाते है..!

आरुषि:- पापा से बात हुई..?

आरव:- हाँ..! बड़ा प्यार करते है तुम्हे..!

आरुषि:- क्यों..? ऐसा क्या हो गया..?

आरव:- मैंने बोला कि अंकल मुझे पता है आपको बहुत काम होंगे.. पर इसी बहाने दोनों फॅमिली का मिलना भी हो जायेगा..! इसीलिए जितना भी समय मिले आप निकाल कर जरूर आना..!

आरुषि:- तो..!

आरव:- तो वो बोले कि बेटा समय आप लोगों से ज्यादा कीमती थोड़ी है..! हम जरूर आएंगे..! उस दिन की सब मीटिंग्स वगैरह कैंसिल..!

आरव:- हाँ..! पर आपने ये क्यों बोला कि मुझसे बहुत प्यार करते है..?

आरव:- और क्या..! तुम्हारे लिए वो सारी मीटिंग्स वगैरह कैंसिल कर रहे है...!

आरुषि:- मेरे लिए नहीं..! हमारे लिए..! हम दोनों से बहुत ज्यादा प्यार करते है..!

आरव:- मुझे तो तुम्हारे प्यार में से जो थोड़ा बहुत प्यार बच रहा है वो ही मिल रहा है..! बाकि तो तुम्हें ही मिल रहा है..!

आरुषि:- नहीं..! पापा दोनों को बराबर प्यार करते है..! और मम्मी तो मुझसे ज्यादा आपको करती है..! हर समय फ़ोन पर बस आपके बारे में पूछती है..!

आरव:- अच्छा..! पर कभी बात ही नहीं की आंटी ने मुझसे फ़ोन पर..!

आरुषि:- वो इतने दिन मिले नहीं थे ना इसलिए..! अब मिल आये तो देखना रोज बात करेंगी..!

आरव:- चलो अच्छा है..! बस दोनों परिवारों की मुलाकात अच्छी हो जाये..! मान जाये दोनों परिवार..! तो अच्छा होगा..!

आरुषि:- अपना प्यार सच्चा है ना तो सब अच्छा ही होगा..!

आरव:- उम्मीद तो ये ही है..! चलो..! अब सोते है..!

आरुषि:- नहीं..! बहुत दिन हो गए.. साथ डांस नहीं किया..! पहले वो फिर सोना..!

आरव:- जैसी आपकी मर्जी..!
 

Ashish Jain

कलम के सिपाही
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Beutifull awesome mind blowing update
Arushi ka background to bhut powerful hai.
Mujhe ye arushi k parents kuch jyada mithe lag rahe hai.
Sale kuch kare na hero k sath
Apni arushi bhut cute hai
Kisi baat ka ghamndi bhi use
Thank you dear for update
धन्यवाद भाई...
 
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Ashish Jain

कलम के सिपाही
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Aarav goes to Aarushi's house with Aarushi, and everything is going well there. Aarav felt uneasiness or fear in the party. Now this is the first time. Media people have no business other than to ask questions. Everything is going well in Aarushi's house, now don't know what happens at Aarav's house.
As always the update was great, You are writing very well, Till then waiting for the next part of the story. Thank You...:heart::heart::heart:
बोहोत बोहोत धन्यवाद...
 
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bahut achcha chal raha sab koi dhamaka mat karna nahi ho:hunter:
 
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ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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First of all, why do you post update so late? Today's update was very good. Both families are very happy with this relationship. Now let's see what happens next, Till then waiting for the next part of the story. Thank You...:heart::heart::heart:
 
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भाग 12




आरुषि:- मुझे बहुत डर लग रहा है यार..!

आरव:- क्यों..?

आरुषि:- अरे यार..! पहली बार मिलने जा रही हूँ अंकल आंटी से..! पता नहीं क्या सोचेंगे वो मेरे बारे में..!

आरव:- मैं भी तो पहली ही बार मिलने गया था, तुम्हारे घर..!

आरुषि:- हाँ तो..! मैंने पहले से बता रखा था आपके बारे में घर पर..! आपने तो वो भी नहीं बताया...! इसके बावजूद भी आप एक नाईट होटल में रुक कर आये थे मेरे घर..!

आरव:- अच्छा ठीक है ना यार..! कुछ नहीं सोचेंगे मम्मी पापा..! तुम्हें तो बहुत प्यार मिलेगा वहाँ..! लंका तो मेरी लगेगी..! मैं तो सोच रहा हूँ अपने घर भी एक नाईट होटल में रुक कर ही जाऊँ..! तब तक तुम संभाल लेना वहाँ..! सब नार्मल कर देना..!

आरुषि:- ज्यादा होशियारी मत दिखाओ..! मैं नहीं जाने वाली अकेली..! वैसे ही डर से गला सुखा जा रहा है..! ऊपर से आप ऐसी बाते कर रहे हो..!

आरव:- अच्छा..! अंकल आंटी कब पहुँच रहे है..? बात हुई थी क्या तुम्हारी उनसे..?

आरुषि:- हाँ..! वो भी लेट नाईट तक पहुँच जायेंगे..!

आरव:- चलो अच्छा है, फिर मैं और पापा लेने चले जायेंगे उन्हें एअरपोर्ट तक..!

आरुषि:- मुझे अकेले छोड़ कर जाओगे..?

आरव:- घर है मेरा वो, कोई जंगल नहीं जो अकेले छोड़ कर जाओगे..! अजीब बातें करती हो कभी कभी..!

आरुषि:- अरे वो बात नहीं है आरव..! मैं किसी को जानती नहीं हूँ ना घर में सो बोला..!

आरव:- अब सब से मिलोगी, बात-चीत करोगी..! तभी तो जान पाओगी ना..!

आरुषि:- हाँ, ये भी है..!

ड्राईवर:- लो सर, आपकी मंजिल आ गयी..!

आरव:- थैंक यू सर, यहाँ तक पहुँचाने के लिए..!

ड्राईवर:- इसमें थैंक यू की क्या बात है सर, ये तो हमारा काम है..!

आरव:- फिर भी बड़े अच्छे से ड्राइव किया आपने उसके लिए थैंक यू..!

ड्राईवर:- वैसे सर, एक बात पूछनी थी बुरा नहीं मानो तो..!

आरव:- बिल्कुल, पूछिए ना..!

ड्राईवर:- आप दोनों वो ही हो ना जो थोड़े दिन पहले न्यूज़ में आ रहे थे..! मेम साहब पाटोदी जी की बेटी..!

आरव:- बात यहाँ तक भी पहुँच गयी..! गजब है..! हाँ हम वो ही है..!

ड्राईवर:- सर, कभी काम पड़े वापिस तो जरूर याद कीजियेगा..! ये मेरा कार्ड है..!

आरव:- जी जरूर सर..!


【 आरव आरुषि गाडी से घर की तरफ आपस में बात करते करते जाते हुए..!】


आरुषि:- बस ये ही कारण है कि मैं शुरुआत से पब्लिक लाइफ में नहीं आना चाहती थी..! पब्लिक लाइफ में आकर अपनी कुछ प्राइवेसी नहीं रहती..!

आरव:- अब जो है, उसे स्वीकारना सीखो..! सच्चाई को तुम कुछ समय तक सिर्फ छुपा सकती हो। मिटा नहीं सकती..! आज नहीं तो कल ये तो होना ही है..! तो क्यों न आज से ही इसकी आदत डाल ली जाये..!

आरुषि:- हाँ..! सही कह रहे हो आप..!


【आरव का घर】


आरव की मम्मी:- आओ बेटी, अंदर आओ..! कैसा रहा सफ़र..?

आरुषि:- ठीक था आंटी..!(पैर छूते हुए)

आरव की मम्मी:- अरे ठीक है न बेटा इसकी कोई जरूरत नहीं है..!
[अंशिका बेटा.. देख भाई आ गया..! उनका सामान कमरे में रखवा दे जरा..! थोड़ा चिल्लाकर आरव की बहन को आवाज देती हुई]

आरव की मम्मी:- और बेटा, क्या पीना पसंद करोगी..! वो ही बना देती हूँ जल्दी से..!

आरुषि:- कुछ नहीं आंटी..!

आरव:- वो अकेली नहीं आई मम्मी, मैं भी आया हूँ घर.. थोड़ा प्यार मुझे भी दिखा लो..!

आरव की मम्मी:- हाँ..! बड़ी जंग फतह करके आया है न तू जो प्यार दिखाऊं..! बहुत बड़ा हो गया तू.. मम्मी से बातें छिपाने लगा..!

आरव:- अरे..! ठीक है न मम्मी.. फ़ोन पर डांट लिया था ना..!
अंशिका:- मम्मी डांटने से कुछ नहीं होगा..! भैया को तो मार लगाओ..!

आरव:- हाँ..! तू और आ जा आग लगाने..!

आरव की मम्मी:- बेटा आप लोग थक गए होंगे.. जाओ फ्रेश हो कर थोड़ा आराम कर लो..! आरव का कमरा साफ़ करवा दिया आपके लिए..! नाश्ता वहीं पहुँचवा दूंगी मैं..!

आरव:- ठीक मॉम..!

आरव की मम्मी:- तू कहाँ चला..! तेरे लिए कमरा अलग है वहीं रह..!

आरव:- ठीक है मॉम..! (उदास सा चेहरा बना कर)..! वैसे पापा कहाँ गए.. दिख नहीं रहे..!

अंशिका:- काम से गए है बाहर आते ही होंगे..!

आरव:- ओके..! आता हूँ मैं चेंज करके..!


【 कुछ देर बाद】


आरव के पापा:- अरे बेटी तुम नीचे क्यों आ गयी.. थक गयी होगी, थोड़ा आराम कर लो..!

आरुषि:- अंकल ऊपर अकेले का मन नहीं लग रहा था.. तो आ गयी..(पैर छुते हुए)..!

आरव के पापा:- वो श्री मान तो घोड़े बेच कर सो रहे है, ऐसा नहीं कि घर पर आया है तो पापा से मिल ले..! और बताओ.. भाई साहब कब तक आयेंगे.. बात हुई क्या तुम्हारी उनसे..!
आरुषि:- हाँ..! नाईट तक आ जायेंगे..!

आरव के पापा:- बेटा कल का फंक्शन है इसके बर्थडे का..! जितना हमसें हो सका उतना तो हमने कर लिया काम..! बाकि अब तुम्हें ही संभालना है..!

आरुषि:- ये भी कोई कहने की बात है अंकल..! मैं आंटी का हाथ बटाती हूँ जाकर..!

आरव के पापा:- हाँ..! जरा भाई साहब को फ़ोन लगा कर देना..! उनको भी खुद कह दूँ मैं..! वरना क्या सोचेंगे वो..!
आरुषि:- ऐसा कुछ नहीं है अंकल..! आरव ने और मैंने कह दिया था.. और आंटी की मम्मी से बात हो गयी थी..!

आरव के पापा:- फिर भी लगा कर दो..! हम भी बात कर ले भाईसाहब से..!

आरुषि:- हाँ..! जरूर कीजिये..!


【कुछ देर बाद】


आरव:- नमस्ते पापा..! और बताइये तबीयत कैसी है आपकी..!
आरव के पापा:- हाँ मिल गया समय तुम्हें हमारे हाल-चाल पूछने का..! आने के बाद मिला तक नहीं अभी तक..!

आरव:- पापा आपका वेट करते करते ही सो गया..!

अंशिका:- पापा झूठ बोल रहे है भैया..! ये तो आते ही सो गए थे..!

आरव:- तू चुप हो जा अंशी..! वरना बहुत पिटेगी..!

आरव के पापा:- उसे क्यों धमका रहा है, जा जाकर तैयार हो कर गाडी निकाल..! भाई साहब की फ्लाइट का टाइम होने को है..! उन्हें लेने एअरपोर्ट चलना है..!

आरव:- जी पापा..!


【 आरव की मम्मी, अंशिका और आरुषि खाने की तैयारी करते हुए..!】


आरव की मम्मी:- बेटा तुम्हारे मम्मी पापा को ये खाना पसंद है न, वरना और कुछ बना दूँ..!

आरुषि:- नहीं आंटी..! घर के खाने में तो सब पसंद है उन्हें..!

अंशिका:- आंटी नहीं, अब मम्मी जी बोलना सीख जाइए भाभी जी..!

आरुषि:- हाँ वो हाँ मम्मी जी.. (नजरें नीचे झुकाती हुई)..!

आरव की मम्मी:- बड़ी टांग खींचने लगी आजकल तू सबकी..! उसका जो मन होगा बोल लेगी वो..! ज्यादा अजीब फील मत करवा उसे..!

आरुषि:- नहीं, अजीब नहीं है..! मैं धीरे धीरे आदत डाल लुंगी..!
आरव की मम्मी:- जो तुम्हे अच्छा लगे वो बोलो बेटा.. कोई जबरदस्ती नहीं है..!

आरुषि:- जी..!

" आरव और उसके पापा दोनों पाटोदी फॅमिली को एअरपोर्ट से लाने के लिए निकल जाते है। और घर पर आरुषि और आरव की फॅमिली दोनों ही पूरी कोशिश करते है कि एक दूसरे से घुलने मिलने लगे !
कितना अजीब होता होगा ना इन लड़कियों के लिए जब वो शादी करके एकाएक एक घर को छोड़कर किसी दूसरे घर में बस जाती है, जिसे वो अच्छे से जानती भी नहीं है..! नए लोग, नए सिद्धांत, नए रीति-रिवाज और वो सब भी तब जब आप पूर्ण रूप से परिपक्व हो चुके होते हो। सब चीजे, अच्छा या बुरा समझने लगते हो..!"


【कार के हॉर्न की आवाज】


आरव की मम्मी:- बेटा लगता है, तुम्हारे मम्मी पापा आ गए..!

आरुषि:- हाँ..!


【 आगे आरव की कार, पीछे मीडिया का हुजूम.. साथ साथ चले आ रहे थे..! पता नहीं, इन मीडिया वालों को कहाँ से पल पल की ख़बर मिलती रहती है..! पाटोदी फॅमिली को तो शायद इन सब की आदत पड़ चुकी थी, परंतु आरव की फॅमिली के लिए ये सब अनुभव एक दम नया था..!】


आरव की मम्मी:- इन लोगों को कैसे पता चल गया कि भाई साहब यहाँ आ रहे है..?

आरुषि:- क्या पता आंटी..! ये सब मुझे भी अच्छा नहीं लगता..!

आरव की मम्मी:- बेटा, जो सच है, उसे स्वीकार कर जीना सीख जाओ..! ये सब अब आपकी लाइफ का हिस्सा बन जायेंगे..! इनके साथ deal करना जल्दी सीख लो तुम..!

मीडिया:- सर, कुछ दिन पहले मिस्टर आरव आपके घर पर आये थे, आज आप अपनी फॅमिली के साथ इनके घर पर आये हो..! हमें सूत्रों से पता चला है कि जल्द ही दोनों परिवार, पारिवारिक रिश्तों में जुड़ जायेंगे..! क्या ये सही है..?

मिस्टर पाटोदी:- पारिवारिक रिश्ते तो दोनों परिवारों के जुड़े हुए ही है..! और फ़िलहाल अभी हम यहाँ आरव का बर्थडे सेलिब्रेट करने आये है..!

मीडिया:- मिस्टर आरव और आपकी बेटी आरुषि कब शादी के बंधन में बंध रहे है, मिस्टर पाटोदी..?

मिस्टर पाटोदी:- इतनी जल्दी तो हम दोनों के परिवारों को नहीं है, जितनी जल्दी आप लोगों को है..! ( हँसते हुए)
अभी वो दोनों अच्छे दोस्त है, अगर आगे ऐसी कोई बात होती है तो आप लोगों को खबर कर दिया जायेगा..!

मीडिया:- मिस्टर आरव, आपके, पाटोदी फॅमिली के साथे रिश्ते की खबर मीडिया में आते ही, मिस्टर पाटोदी की कंपनियों के साथ साथ आपकी कंपनी के शेयरों की कीमतों में भी इजाफ़ा होते हुए दिखा है..! क्या ये सब एक पब्लिसिटी स्टंट तो नहीं है..?

आरव:- अगर ये ही करना होता तो, हम दोनों दिल्ली में स्ट्रगल करते हुए, 5 साल यहाँ वहाँ नहीं भटक रहे होते..! ये पब्लिसिटी स्टंट कब का खेल लिए होते..! दोनों परिवारों के मार्गदर्शन और आरुषि के साथ ने हमारी कंपनी को यहाँ खड़ा किया है..! किसी पब्लिसिटी स्टंट ने नहीं.. और हमारे ऐसे संस्कार भी नहीं कि सिर्फ कुछ मुनाफे के लिए हम रिश्तों का सहारा ले..! थोड़ा समय दोनों परिवारों को साथ बिताने दीजिये ..! अब प्लीज़ कोई question नहीं..!

मिस्टर पाटोदी:- आपका बेटा अच्छे से हैंडल कर लेता है मीडिया को जैन साहब..( घर के अंदर जाते हुए..!)

आरव के पापा:- हाँ.. मुझे भी आज ही पता चला..(हँसते हुए..)!


【रात को, आरव और आरुषि छत पर】


आरुषि:- अच्छा बोले आज आप मीडिया के सामने..! पर एक बात गलत बोल गए..!

आरव:- क्या..?

आरुषि:- वो "आरुषि के साथ से" वाली बात..! मुझे तो आपके बिजेनस की ABCD भी नहीं पता, तो साथ कैसे दे सकती हूँ..!

आरव:- जरुरी है कि ABCD पता हो तभी साथ दे सकती हो, मेरे स्ट्रगल के टाइम पर कैसे तुमने जॉब और घर दोनों संभाला वो मैं कभी नहीं भूल सकता..!

आरुषि:- अच्छा छोड़ो उन बातों को, देखो 11:55 हो गए..! 5 मिनट बाद आपका बर्थडे है..!

आरव:- अच्छा, तो फिर मुझे बर्थडे गिफ्ट में क्या मिलने वाला है..!

आरुषि:- आरुषि पाटोदी की विश से बड़ा और क्या गिफ्ट होगा..!

आरव:- है ना, इससे भी बड़ा गिफ्ट..!

आरुषि:- क्या..?

आरव:- आरुषि पाटोदी खुद..! मुझे तो वो ही चाहिए..!

आरुषि:- अब इस गिफ्ट तो आपको सिर्फ मिस्टर पाटोदी ही दे सकते है..! उनसे संपर्क कीजिये..!


【 रात 12:00 बजे 】


आरुषि:- विश यू अ वैरी हैप्पी बर्थडे माय फ्यूचर हस्बैंड..! लव यू सो मच..! विल यू मैरी मी..? ( एक घुटने पर बैठ कर अपना एक हाथ आगे ले जाते हुए..!)

आरव:- थैंक यू माय फ्यूचर better half..! I'll marry with you..! ( आरुषि को अपनी बांहों में लेकर.. एक दूसरे को kiss करते हुए..!)


【अंशिका थोडा खाँसते हुए..!】
【आरुषि शरमा कर आरव के पीछे छुपती हुई..!】


आरव:- हाँ.. अब तू आ जा कबाब में हड्डी बनने..! थोड़ी प्राइवेसी मत रहने देना..!

अंशिका:- अच्छा बहुत ज्यादा बोल रहे हो ना आप, सब लोग नीचे ढूंढ रहे है आप दोनों को..! अभी बताती हूँ सब को क्या चल रहा था..!

आरव:- अरे सुन ना यार.. तू तो बुरा मान गयी.. मेरी प्यारी बहन है ना तू..! प्लीज़ बचा ले ना..!

अंशिका:- अब आये ना लाइन पर.. पहले प्रॉमिस करो कि मुझे नया फ़ोन दिलाओगे..!

आरव:- अरे, पक्का दिलाऊंगा.. अभी बचा ले..!

अंशिका:- और ड्रेस भी..!

आरव:- अरे ठीक है ना... पर अभी जल्दी आरुषि को लेकर नीचे जा..!

अंशिका:- हाँ..! मैं भाभी को लेकर नीचे जाती हूँ और सबको ऊपर भेजती हूँ..!

आरुषि:- भाभी..? अभी तो शादी ही नहीं हुई.. मुझे नाम से ही बोल लिया करो तुम..!

अंशिका:- ये बात बाद में कर लेंगे.. और नीचे जा कर हाँ में हाँ मिला लेना बस...!


【 आरुषि और अंशिका छुपके से नीचे जाते हुए】


आरुषि की मम्मी:- कहाँ थी तुम इतनी देर आरुषि, अपने रूम में तो नहीं थी..! और न ही आरव दिख रहे है.. वो भी अपने रूम से गायब है..!

अंशिका:- आंटी, भा..भी.. मतलब कि आरुषि मेरे साथ मेरे रूम में थी.. क्यों आरुषि..?

आरुषि:- हा..हा..हाँ..! रूम में ही तो थे..! आरव कहाँ है..?

आरव की मम्मी:- बेटा उसे ही तो विश करने के लिए ढूंढ रहे है..!

अंशिका:- मम्मी भाई शायद छत पर होंगे..!

आरव की मम्मी:- हाँ..! वहीं होगा..!


【 हैप्पी बर्थडे टू यू आरव, सब एक साथ बोलते हुए..!】


आरव:- थैंक आल ऑफ़ यू..!

आरव की मम्मी:- छत पर अकेले क्या कर रहा है..?

आरव:- वो..वो.. बस तारे देखने आ गया था..!

आरव की मम्मी:- देहली में तारे नहीं है क्या..?

आरव:- नहीं, वो बात नहीं है मम्मी..!

अंशिका:- बातें छोड़ों अब, आपके लिए मेरे पास एक गिफ्ट है चलो दिखती हूँ..!

आरव:- हाँ.. चल ना..!

अंशिका:- आप भी चलो आरुषि..!

आरुषि:- हाँ.. चलो..!

अंशिका:- आगे से लिपस्टिक के निशान मिटा देना भैया के..(आरुषि के कान में धीरे से फ़ुसफ़ुसाते कर हंसती हुई..)!
 

Aakash.

ᴇᴍʙʀᴀᴄᴇ ᴛʜᴇ ꜰᴇᴀʀ
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