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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
Last edited:

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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UPDATE 189

10 बजने को हो रहे थे और घर की औरतें वापस आ चुकी थी ।
हाल मे बैठी हुई गप्प ठहाके लगाए जा रहे थे । घर मे मर्द जन सलून मे लाईनें लगवा कर बाल दाढ़ी बनवाने ब्यस्त थे ।
चंदू के घर मे भंडारी दोपहर का खाना बनाने मे लगे थे , जिनकी फिलहाल देखरेख राज के नाना के जिम्मे थी ।

इसी समय सोनल के मोबाइल पर अमन का फोन आता है , सोनल सबके सामने अमन का फोन झिझक मे call you back के मैसेज के साथ काट देती है ।

तभी उधर से अमन का मैसेज आता है कि मम्मी को बात करना है ।
सोनल फटाक से अमन का नम्बर रिडायल कर देती है ।

थोड़ी धीमी बातचीत के बाद सोनल फोन अपनी मा को दे देती है ।

रागिनी फोन लेके थोडा बात करती है और फिर उठकर अपने कमरे मे चली जाती है ।

रागिनी - हा समधन जी बोलिए अब

ममता हस कर - आस पास कोई है तो नही ना ,
रागिनी - नही बोलिए क्या बात है ?

ममता - देखिये ये बात सिर्फ आपके और मेरे बीच ही रहनी चाहिए और हिहिहिही

रागिनी - क्या हुआ बोलिए तो

ममता- दरअसल मुझे आपकी मदद
चाहिये थी
वोह्ह हिहिहिहिही

रागिनी के भी गाल खिल गये ममता की खिलखिलाहट भरी हसी सुन कर - अरे बताईये तो सही
ममता - वो क्या है इस बार सालों बाद मेरी बड़ी ननद आई है और मैने सोचा क्यू ना ननद रानी के साथ उनके मायके में ही थोड़ी मस्ती की जाये

रागिनी हसते हुए - हा हा क्यो नही , ननद की खातिरदारी मायके मे भौजाइयां ना करेगी तो कौन करेगा । तो बतायिये इसमे मै कैसे मदद कर सकती हूँ

ममता थोडा हिचक कर हसते हुए - हिहिही वो मै सोच रही थी कि उनकी खातिरदारी आपके यहा शादी मे हो जाये हिहिहिहिही

रागिनी खिलखिलाकर - हा हा क्यूँ नही ननद रानी पर दो चार छुट्टे सांड छोड़ ही दूँगी हिहिही

ममता - हा लेकिन कौन होगा और कैसे
रागिनी - वो सब मुझपे छोडिए लेकिन अगर आपका ये प्लान मैने सफल कर दिया तो बदले मे आपको भी मेरा एक काम करना पड़ेगा हिहिहिही

ममता - अरे आप जो कहेंगी हिहिही बस ननद रानी की जम कर रग्दाई होनी चाहिए

रागिनी - हम्म्म ठिक है चलिये और सब ठिक है ना

ममता - हा हा
इधर इनकी बातें हो रही थी वही भरी महफिल मे यूँ रागिनी के पास सोनल के ससुराल का सुबह सुबह फोन आने से घर के बाकी मेहमानो को थोड़ी चिंता होने लगी ।

शिला के कहने पर रज्जो उठ कर रागिनी के कमरे मे जायजा लेने पहुची तब तक रागिनी फोन काट चुकी थी ।

रज्जो - सब ठिक तो है ना छोटी
रागिनी मुस्कराते हुए गालों के साथ - हा जीजी क्या हुआ ।

रज्जो - वो सुबह सुबह ये सोनल के ससुराल वालों को फोन आया तो मुझे लगा.... सब कुछ ठिक है ना

रागिनी मुस्कुरा कर - हा जीजी सब ठिक है वो बस

रज्जो - हम्म्म समझ गयी कुछ दहेज की ही बात होगी , बता क्या फरमायिश की है अब सोनल की सास ने ?

रागिनी अपनी बहन के पास आकर उसके कन्धे पर हाथ रखती हुई मुस्कुरा कर बोली - जीजी फरमायिश तो समधन ने की है मगर हिहिहिही लेंगी नही देन्गी ?

रज्जो उलझन भरे लहजे मे - मतलब

रागिनी हस्ती हुई - अरे जीजी सालों बाद उनकी बड़ी ननद मायके आई है तो मेरी समधन ने खास सिफारिश की है कि आज शादी मे उनकी अच्छे से खातिरदारी की जाये हिहिहिहिही ।


रज्जो - ओह ये बात है , फिर तो रग्डाई कर ही देन्गी मिल कर हम औरतें

रागिनी - आँहा , हम औरते नही हमारे यहा के मर्द करेंगे

रज्जो आंखे उठा - तो क्या वो सब भी
रागिनी - समधन की ओर पूरी छूट है और तीनो छेद भरने का हुक्म आया है हिहिहिही
रज्जो - अरे तो फिर तो फिल्म भी शूट होनी ही चाहिए हाहाहहा

रागिनी - वो भी कर लेंगे लेकिन पहले ये सोचो हमारे तरफ किस किस को मैदान मे उतारा जाये , राज के पापा तो मान भी जाये मगर वो और मै तो शादी मे ही फसे रहेंगे ।

रज्जो - तेरे जीजा को मै मना लूंगी

रागिनी - क्या सच मे जीजाजी तैयार हो जायेन्गे
रज्जो - जब उन्होने अपनी बहन नही छोड़ी तो ये फिर हिहिहिहिही
रागिनी - हम्म फिर और किसे आगे रखा जाये
रज्जो - अरे अपने देवर से बात कर ना

रागिनी थोडा असहज होकत - हा
जीजी लेकिन मैंने कभी ऐसा कुछ देवर जी से... मतलब हम लोग उतना आमने सामने खुल कर नही रहते और होली वाली बात के बाद तो और भी नही ।


रज्जो चहक कर - क्या होली पर ऐसा क्या हुआ था
रागिनी लजाती हुई - बस वही होली की मस्ती और देवर भौजाई वाली होली

रज्जो - हा लेकिन क्या ?

रागिनी शर्माती हुई गुलाबी गालो से - दरअसल मैने जब उनको अबीर से नहला दिया तो वो मुझे दौडाते हुए उपर छत पर बाथरूम के पास कोने तक ले गये और फिर उन्होने दबोचा।

रज्जो उत्तेजित होकर - फिर
रागिनी हस्ती हुई - फिर वही खिंचातानी और उन्होने मेरे पेट पर अबीर मलते हुए मुझे अपनी बाहो मे मसल ही डाला, मेरे जिस्म मे सिहरन सी हो गयी । होली की मस्तीयों मे खोई हुई मेरे जुबान भी फिसल गई थी मानो और जब उन्होने मेरी साडी हटा कर मेरे नाभि पर गुलाल मलते हुए कहा- आज मत रोको भौजी आज तो रंग लेने दो

रज्जो तेज सांसो से - तो ??
रागिनी - हिहिही फिर भरी मस्ती मे मेरी जुबान फिसल गयी कि " कहो तो चोली भी खोल दू "

रज्जो हस कर - सच्ची हिहिहिही

रागिनी हस्ते हुए - हा जीजी और फिर उन्होने जबरन मेरे जोबनो को ब्लाउज के उपर से मेरे दूध लाल हरे कर दिये थे और इतना मसला कि उफ्फ़

रज्जो अपनी पनियाती चूत
को जांघो से कस्ती हुई एक गहरी सास लेकर - हा तो फिर अब क्या दिक्कत है ?

रागिनी हस कर - दिक्कत वही है जीजी उस दिन होली की मस्तियो मे हम लोग कुछ ज्यादा ही बहक गये थे और अब हम दोनो एक दुसरे से थोड़ी झिझक होती है कि क्या क्या कह और कर गये थे हम लोग ।

रज्जो - हम्म्म ये भी है और तु तो तेरे देवर के साथ आगे बढ़ने नही वाली तो हिहिहिही

रागिनी - धत्त दीदी क्या आप भी अब क्या मै सबसे वही सब करती फिरू आप ही करो बाबा , मेरे से नही होगा हिहिहिही

रज्जो - अरे मत कर , लेकिन भाई तेरे देवर से तो तु ही बात करेगी ना , अब मेरा बात करना उचित तो होगा नही

रागिनी - हम्म्म वो भी है , अभी आने दो इनलोगो को अभी तो सैलून गये है ये लोग

रज्जो - अरे सैलून से याद आया वो मेकअप वाली कब आ रही है पुछा तुने सोनल से , अरे हम औरतों को भी थ्रेडिंग और वो स्पा और थोडा सा टचअप चाहिये ना ।

रागिनी - हिहिहिही हा जीजी बात हुई है वो दोपहर तक आ जायेगी ।


रज्जो - चल ठिक है फिर

अमन के घर

नास्ते के लिए सब लोग छत पर जमा थे
मगर महफिल की जान तो संगीता ही बनी हुई थी ।

भोला , ममता , मदन और मुरारी सब घूम फिर पर संगीता पर नजरे गडाये हुए थे ।

मुरारी भी बीती रात से मदन और संगीता पर नजरे रखे हुए था ।

नासते के दौरान भोला के कुछ बात चीत हुई तो उसे अपने जीजा के लिए अफसोस हुआ कि उसके साथ धोखा हो रहा है ।
मगर वो ये बात बस खुद के सीने मे दबा कर ही रह सकता था ।
मन मे सवालों और कल्पनाओ का तुफान उठ रहा था मुरारी के मन मे मगर वो खुद के जज्बात कैसे समेटे हुआ था वो ही जान रहा था ।

भोला - अरे भाई साहब मै क्या कहता हु , आप भी चलिये मेरे साथ सलून और फिर पता नही समय मिले ना मिले

मुरारी - नही तुम मदन हो आओ मै रुक के आऊंगा

भोला - अरे नही मदन भाई नही आ रहे है वो थोडा रुक के आयेंगे उन्हे जरा बाथरूम जाना है । दरअसल नाई ने फोन किया था मदन भाई के पास कि अभी वो खाली है तो मैने सोचा कि

मुरारी मदन के ना जाने पर खुश हुआ और भोला के साथ चल दिया , मगर घर के निकलने के बाद उसको शन्का हुइ कि मदन जरुर संगीता के साथ कुछ करेगा ।

ये ख्याल आते ही मुरारी की बेचैनी फिर से बढ गयी , उसके चेहरे पर चिंता की लाली उभरने लगी

उलझन भरे मानसिक हलचल मे वो घर से दूर आ पहुचा और उसके मन मे उठ रहे कल्पनाओ मे सागर ने उसकी चाल धीमी कर दी थी जिस्से भोला कुछ दुर आगे निकल आया था

भोला घूम कर मुरारी को आवाज दी - क्या हुआ भैया रुक क्यूँ गये ।

मुरारी चौका - हा !!
भोला - अरे पुछ रहा हु रुक क्यूँ गये ऐसे आप !!

मुरारी अपनी कुरते का जेब टटोलकर - कुछ नही वो पर्स भूल गया , तुम चलो मै लेके आता हु

भोला - अरे भैया मेरे पास पैसे है चलिये आप !!

मुरारी - नही नही वो नाई की दुकान के पास ही माली वाला है ना उसको पैसे भी देने है , तुम चलो मै जल्दी ही पहुच रहा हु , वैसे भी बैठना पडेगा ही वहा जाकर

भोला - ठिक है भैयया आप आओ मै चलता हू

भोला बजार की ओर निकल गाय
और मुरारी अपनी उफनाती सासो के साथ तेज कदमो से घर की ओर बढ गया ।

उसको घर से निकले अब तक 10 मिन्ट से ज्यादा हो गये थे और घर मे दाखिल होते ही लपक कर वो मदन के कमरे की ओर बढा मगर वहा कोई नही दिखा ।
निचे सब कुछ सुनसान पड़ा हुआ था , सारी चहल पहल उपर छत पर ही थी ।

मुरारी सरपट जीने से होकर संगीता का कमरा चेक किया वहा भी कोई नही , स्टोर रूम , अमन का कमरा , बाकी के दो कमरे सब बाहर से चटखनि लगे हुए थे , वो थोदा सुनिश्चित करने के लिए उपर गया , मगर वहा दोनो गायब दिखे ।


मुरारी की बेचैनी अब बढने लगी , वो एक बार फिर उपर से निचे सब देखता जांचता आया और तभी उसकी नजर सबसे निचे के फ्लोर पर हाल से पीछे बाथरूम की ओर जा रहे गलियारे पर गयि ।

एक बार फिर मुरारी का कलेजा धड़का ।
दबे पाव वो बाथरूम की ओर बढ़ गया और नतिजना उसका शक सही निकला

बाथरूम का दरवाजा बन्द था और मदन की हल्की सिसकियाँ उसे सुनाई दी

बाथरूम के बाहर दरवाजे के पास कान लगाये मुरारी ने आवाज सुनी

" उम्म्ंम्ं दिदीईईई उह्ह्ह ओह्ह्ह क्या चुसते हो आप उम्मममंं सीईईई "

मदन की उखड़ती सासो से निकलती आह सुनकर मुरारी के जिस्म मे भी सिहरन फैल ग्यी
मगर अब भी उसका गुस्सा उस पर हावी था , मुठ्ठियां भीच कर वो गुस्से से तनमनाया दरवाजे पर मुक्का मारने ही वाला था कि संगीता की आवाज आई - पहली बार किसी औरत का स्पर्श पाये हो ना भैया तो ऐसा ही लगेगा , कितनी जिद की हमने की कर लो शादी मगर तुम अपनी प्रेम कहानी के अधूरे पन्ने पटलते रह गये हुउह , अब इस उम्र मे औरत का स्पर्श तो अनोखा लगेगा ही


संगीता के शब्दों मे मुरारी की भीतर से झकझोर कर रख दिया और अगले ही पल मदन का उसके परिवार के लिए समर्पित जीवन का पुरा पोथा ही उलट पुलट होने ल्गा
मुरारी के खुद को रोक लिया और मदन को लेके उसका गुस्सा अब कम हो चुका था । मदन का अकेलापन घर मे जो कोई नही समझा वो उसकी अपनी बहन मे समझा , मगर अभी भी वो दो भाई बहनो के आपस के रिश्ते को लेके आहत था ।

मदन - ओह्ह दीदी मगर आपके छूने का अहसास ऊहह उम्म्ं और लोहहब ओह्ह मेरा आयेगाग्घ उम्म्ंम्ं सीईई ओह्ह दीईईदीईई उम्म्ंम्म्ं
मदन की आहे और संगीता के गले मे फसे लन्ड ही गुगूआहट ने मुरारी के लन्ड को तान दिया और उस्का दिल जोरो से धडकने लगा


बेचैन होकर वो तेज कदमो से बाहर चला गया और सलून की ओर बढ गया ।
इस बार वो अब पहले से ज्यादा उलझा हुआ मह्सुस कर रहा था , मदन को लेके उसकी भावना थोडी नरम हो चुकी थी वही संगीता का उसके भाई के लिए इस हद तक प्रेम उसकी समझ से परे था ।

ना जाने कौन सी परिस्थिति मे वो दोनो कैसे ? सवालों का नया रूप अब उसके जहन पर छा चुका था ।
खैर उलझे विचारो मे वो इस बात के लिए सुकरगुजार था कि सही समय पर उसने खुद को रोक लिया नही तो आज गुस्से वो क्या कर जाता ये उसे खुद नही पता था ।

छोटे भाई की खुशिओं के लिए वो भी चिंतित हुआ मगर उसमे सगी बहन का आना उसे खटक रहा था ।
विचारो मे उलझा मुरारी सलून आ चुका था और उसका न्म्बर भी आ गया था ।

राज के घर

इधर चाय की चुस्कियां चल रही थी वही सीढियों पर बैठे हुए अरुण-राहुल साथ मे गीता बबिता को निहार रहे थे ।

दोनो बहने भी कम ना थी , अच्छे से अपने नये दिवानो के इरादे समझकर मुस्कुरा रही थी आंखो ही आन्खो मे ।
मगर घर के बड़ो के बीच उनसे इतराया भी नही जा रहा था और ना ही अरुण-राहुल से खुल कर आंखे सेका जा रहा था ।

ऐसे मे रंगी-जंगी आते है ।
रंगी अपने कमरे मे चला जाता और जंगी शालिनी को उपर कपडे देने का बोल कर सीढियो से उपर चला जाता है ।

मौका देखकर रज्जो रागिनी को जंगी की ओर इशारा करती है तो रागिनी ने भी आंखो से सहमती दिखाई ।
रागिनी भी हाल से उठ कर जीने की ओर बढी - ओहो भाई तुम दोनो ऐसे रास्ते बाँधे काहे बैठे हो , और जगह नही मिली

अरुण और राहुल को डांट मिलने गीता-बबिता मुह फेर कर हस देती है ।
रागिनी उपर जाकर हाल मे ना रुक कर सीधे जीने से उपर चली जाती है
कुछ ही देर मे जंगीलाल कमर मे तौलिया लपेटे बनियान मे कन्धे पर कुर्ता पजामा रखे हुए उपर आता है और बाथरूम की ओर बढ़ ही रहा होता है कि

रागिनी झिझक भरे लहजे मे - अह देवर जी सुनिये

जंगी चौक कर - भ भाभी अ आप यहा , मतलब कहिये क्या हुआ

रागिनी जन्गी को बनियान और तौलिये मे देख कर असहज होती हुई नजरे फेर कर मुस्कुराने लगी - वो मुझे !! कैसे कहू

जन्गी चिंता के भाव मे - क्या हुआ भाभी कोई परेशानी वाली बात तो नही

रागिनी - नही नही , वो बस हिहिहिही दरअसल आज शादी मे मुझे आपकी एक मदद चाहिये

जंगी - हा भाभी बोलिए इसमे इतना झिझक क्यूँ , हम लोग आपके लिए ही तो है यहा

रागिनी - दरअसल आज मुझे पता चला है कि आज शाम बारात मे दूल्हे की बुआ आ रही है बड़ी वाली

जन्गी - हम्म तो ?
रागिनी हस्ती हुई - तो क्या ? अरे समधि की बहन आयेगी तो मेरे देवर डोरे नही डालेन्गे क्या उनपे हिहिहिही

जन्गी हस कर - हाहाहहा भाभी क्या आप भी !!!

रागिनी - मै मजाक नही कर रही हु
जंगी - मतलब सच मे ? इस उम्र मे ? दूल्हे की बुआ से ?

रागिनी - क्यू नही हो पायेगा ??
जन्गी - हो जायेगा लेकिन अगर बात आगे बढ गयी तो ?

रागिनी लजाती हुई हस कर - तो क्या , आपकी मेहनत का इनाम होगा आप जानो क्या करना है उसका हिहिहिहिही मगर एक शर्त है

जन्गी - क्या ?
रागिनी - अगर कोई मामला सेट हुआ तो उस फिल्म की वीडियो जरुर बना लिजियेगा हिहिहिही
जंगी - क्या वीडियो ? मगर क्यू ?

रागिनी - अरे ननद का वीडियो समधन को अच्छी कीमत पर बेचून्गी और क्या हिहिहिही

जन्गी - क्या भाभी आप भी ना हिहिहिही
रागिनी - ये बात बस हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए और याद रहे मेरी नाक नही कटनी चाहिये हिहिहिही

"पक्का भाभी , आपकी इज्जत को सम्भालना आखिर मेरा भी तो फर्ज है " , जन्गी ने रागिनी के साडी से झाकते जोबनो को निहारते हुए कहा ।
रागिनी जन्गी के शब्दों और उसकी निगाहो को भाप कर अपना पल्लू सही करते हुए बोली - ठिक है आप नहा लो मै जा रही हु


जन्गी - बस जा ही रही हो भाभी !!
रागिनी - क्यूँ कुछ काम था ?
जंगी हस्ता हुआ - जरा पीठ मल देती भाभी तो ...!! हाहाहहा

रागिनी लजाती हुई - धत आप भी ना हिहिहिही

रागिनी सरपट जीने से निचे चली गयी

जन्गी - आह्ह भौजी आज नही तो कल मलोगी मेरे तन को जरुर लेकिन आज रात ये नया माल पेलने को मिल जाये तो क्या ही मजा होगा । इस्स्स्स्स अह्ह्ह



रज्जो - कमलनाथ

कमलनाथ - उह्ह्ह जान ऐसे ही उम्म्ंम्ं सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो कमलनाथ का सुपाडा मुह से निकालती हुई - इतने दिन से तडप रहे थे ना मेरे राजाह्ह्ह उह्ह्ह कितना फूल गया है उम्म्ंम जी कर रहा है अभी इसको भर अपनी बुर मे उम्म्ंम

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कमलनाथ - तो भर लो ना मेरी जान उम्म्ंम सीईई उह्ह्ह
रज्जो - नही मेरे राजा अभी नही , शादी के बाद घर पर यहा कोई भी आजायेगा कभी भी उम्म्ंम्ं
कमलनाथ - आह्ह मेरी जान तो ऐसे कब तक मै उह्ह्ह उम्म्ं और लो ऊहह आयेगा उह्ह्ह सीईईई

रज्जो ने उसका लन्ड मुह मे भरे हुए आड़ो को मसलती हुई सुपाडा सुरकने लगि और कमलनाथ उसके मुह मे झड़ने लगा ।


उसका लन्ड साफ कर रज्जो इतराई - अगर नही कर सकते इंतजार तो आज रात बारात मे कोई आये उसी को पटा लो हिहिहिहिही

कमलनाथ - अच्छा जी
रज्जो - हम्म सुना है दूल्हे की बड़ी बुआ आ रही है , सगाई मे देखा था मैने पीछे से एकदम कसा माल है। मै तो कह रही हु कि उसी को हिहिहिही

कमलनाथ का मुसल फडका- क्या सच मे जान , तुम्हे कोई ऐतराज नही होगा

रज्जो अपने पति के गाल सहलती हुई - मेरे राजा की खुशी से बढ़ क्या होगा मेरे लिए उम्म्ं

कमलनाथ उसको बाहो मे कसते हुए - मगर क्या वो तैयार होगी
रज्जो - अरे बारात मे तो हम औरते चाह्ती ही है कि कोई हम पर भी फीदा हो और हमे भी निहारे , मगर इस फैशन के जमाने मे सारा गलैमर जवाँ छोरियां और भाभियाँ उड़ा ले जाती है और उस औरत को परखा है मैने सगाई मे वो लोगो की नजरों मे बनी हुई फिर रही थी ।

कमलनाथ - अगर ऐसी बात तो फिर मै तैयार हु
वही बाहर हाल मे धीरे धीरे लोगो की संख्या छट रही थी ।
धीरे धीरे सभी औरतों और लड़कियो का समूह उपर चला गया

जाते हुए भी बबिता और गीता आपस मे हस्ती हुई और राहुल-अरुण का मजाक बनाती हुई उपर जाने लगी ।

राहुल को चिढ़ हुई तो उसने भी वही जिने के पास खड़े खड़े अरुण से बोला - भाई अरुण एक बात ब्ताओगे

अरुण - पूछो भाई
राहुल की बातों पर बबिता का पुरा ध्यान था
राहुल - यार वो कौन सी चीज होती है जो देख कर डिलीट कर देना चाहिए

अरुण सोचने का नाटक करता है और वही बबिता की सासे अटक जाती है और उसे समझते देर नही लगती कि जब वो अपने बाबू सोना से लगी हुई थी तब राहुल ने सब कुछ सुन लिया था ।

उसके चेहरे की चमक अब हल्की हो चूकि थी और राहुल अरुण को लेके बाहर टहलने निकल जाता है ।
वही निचे से कमलनाथ भी नहाने के लिए उपर की छत पर कपडे लेके पहुचा हुआ था , मगर बाथरूम मे जंगी की वजह से वो छत से नजारे सेक रहा था

तभी उसकी नजर दो औरतों पर गयी जो घर से दूर पर ही थी और एक बड़ा बैग लेके टहलती हुई आ रही थी ।

नजदिकियां जब कम हुई तो पता चला कि जो फैशन झारती हुई चेहरे को सजाती अपने डीप गले के शार्ट टॉप और चर्बिदार कूल्हो पर कसी हुई जीन्स मे थी वो असल मे शादी शुदा थी और जबकी उसके साथ मे चल रही लड़की जो साधारण कुर्ती लेगी मे थी उसकी शादी नही हुई थी , मगर जोबन उस्के भी कसे हुए थे ।

उस जीन्स टॉप वाली महिला के कसे हुए गोरे जोबन की घाटी मंजिला छत से साफ साफ नजर आ रही थी
जिस्से कमलनाथ के कमर पर लिपटे गमछे मे तम्बू बन चुका था ।

कमलनाथ - आह्ह क्या माल है यारर

तभी उसके पास आकर खड़ा हुआ जंगी मुस्कुरा कर बोला - माल तो मस्त है ही भैया हाहाहाहा

कमलनाथ सकपकाया - अरे ज जंगी भाई त तुम , वो मै

जंगी हसता हुआ - अरे काहे परेशान हो रहे हो , साली को जानता हु । ये पार्लर वाली एक नम्बर की रन्डी है

कमलनाथ थुक गटक कर एक नजर निचे देखा तो वो राज के घर मे प्रवेश कर रही थी ।


कमलनाथ - मतलब मै समझा नही , आप जानते है इसको

जन्गी कमलनाथ की बात पर हसने लगा ।

जारी रहेगी
 

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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Super Update 188 Bhai ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏 We want More please don't take long gap 🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏 waiting For next Update ❤️❤️❤️❤️❤️

Bhai hamne bhi bhaut shaadi attend kiboar kahin kuch dekhane aur karne ko nahi mila

aur fir ye kadva mitha hoge khan khan jayega ye to babita hi jane...

superb bhai kya likhte ho aap
But yrrr bhai aap bht der se update kyu dete ho ham sab kitna intjar krte h aap ke update ka ab to aap setale ho gye hoge na apni job me to kyu itna late update ata h bhai plsss update regular de diya karo pehle ki tarh bhai
Thanks for ur update bhai ji

Romanchak. Pratiksha agle rasprad update ki

One of the greatest story..

Waiting for updates

Behtareen update Mitra, har jagah dheere sameekaran ban rahe Hain, babita ke Babu ka khana koi aur hi khayega lagta hai... Waise hi shadi se pahle Aman jawan ho jayega aur karne wali kahin uski maa na ho..
Aise hi Kai sameekaran banati hui ek bahut zaroori kadi ke roop mein ye update...

Bhai itne update ho gaye Baki sab ka chodo par Kam se Kam raj aur uski family ka foursome karwao anuj ka bhi Haq hai Apne maa behen chodne ka aur Sonal ka Apne baap ko ar ha Bhai Kuch orgy karwao

Bahut badiya update ❤️❤️❤️

Bhai update kab tak aayega...... waiting

New update is posted
 

Raj Kumar Kannada

Good News
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UPDATE 189

10 बजने को हो रहे थे और घर की औरतें वापस आ चुकी थी ।
हाल मे बैठी हुई गप्प ठहाके लगाए जा रहे थे । घर मे मर्द जन सलून मे लाईनें लगवा कर बाल दाढ़ी बनवाने ब्यस्त थे ।
चंदू के घर मे भंडारी दोपहर का खाना बनाने मे लगे थे , जिनकी फिलहाल देखरेख राज के नाना के जिम्मे थी ।

इसी समय सोनल के मोबाइल पर अमन का फोन आता है , सोनल सबके सामने अमन का फोन झिझक मे call you back के मैसेज के साथ काट देती है ।

तभी उधर से अमन का मैसेज आता है कि मम्मी को बात करना है ।
सोनल फटाक से अमन का नम्बर रिडायल कर देती है ।

थोड़ी धीमी बातचीत के बाद सोनल फोन अपनी मा को दे देती है ।

रागिनी फोन लेके थोडा बात करती है और फिर उठकर अपने कमरे मे चली जाती है ।

रागिनी - हा समधन जी बोलिए अब

ममता हस कर - आस पास कोई है तो नही ना ,
रागिनी - नही बोलिए क्या बात है ?

ममता - देखिये ये बात सिर्फ आपके और मेरे बीच ही रहनी चाहिए और हिहिहिही

रागिनी - क्या हुआ बोलिए तो

ममता- दरअसल मुझे आपकी मदद
चाहिये थी
वोह्ह हिहिहिहिही

रागिनी के भी गाल खिल गये ममता की खिलखिलाहट भरी हसी सुन कर - अरे बताईये तो सही
ममता - वो क्या है इस बार सालों बाद मेरी बड़ी ननद आई है और मैने सोचा क्यू ना ननद रानी के साथ उनके मायके में ही थोड़ी मस्ती की जाये

रागिनी हसते हुए - हा हा क्यो नही , ननद की खातिरदारी मायके मे भौजाइयां ना करेगी तो कौन करेगा । तो बतायिये इसमे मै कैसे मदद कर सकती हूँ

ममता थोडा हिचक कर हसते हुए - हिहिही वो मै सोच रही थी कि उनकी खातिरदारी आपके यहा शादी मे हो जाये हिहिहिहिही

रागिनी खिलखिलाकर - हा हा क्यूँ नही ननद रानी पर दो चार छुट्टे सांड छोड़ ही दूँगी हिहिही

ममता - हा लेकिन कौन होगा और कैसे
रागिनी - वो सब मुझपे छोडिए लेकिन अगर आपका ये प्लान मैने सफल कर दिया तो बदले मे आपको भी मेरा एक काम करना पड़ेगा हिहिहिही

ममता - अरे आप जो कहेंगी हिहिही बस ननद रानी की जम कर रग्दाई होनी चाहिए

रागिनी - हम्म्म ठिक है चलिये और सब ठिक है ना

ममता - हा हा
इधर इनकी बातें हो रही थी वही भरी महफिल मे यूँ रागिनी के पास सोनल के ससुराल का सुबह सुबह फोन आने से घर के बाकी मेहमानो को थोड़ी चिंता होने लगी ।

शिला के कहने पर रज्जो उठ कर रागिनी के कमरे मे जायजा लेने पहुची तब तक रागिनी फोन काट चुकी थी ।

रज्जो - सब ठिक तो है ना छोटी
रागिनी मुस्कराते हुए गालों के साथ - हा जीजी क्या हुआ ।

रज्जो - वो सुबह सुबह ये सोनल के ससुराल वालों को फोन आया तो मुझे लगा.... सब कुछ ठिक है ना

रागिनी मुस्कुरा कर - हा जीजी सब ठिक है वो बस

रज्जो - हम्म्म समझ गयी कुछ दहेज की ही बात होगी , बता क्या फरमायिश की है अब सोनल की सास ने ?

रागिनी अपनी बहन के पास आकर उसके कन्धे पर हाथ रखती हुई मुस्कुरा कर बोली - जीजी फरमायिश तो समधन ने की है मगर हिहिहिही लेंगी नही देन्गी ?

रज्जो उलझन भरे लहजे मे - मतलब

रागिनी हस्ती हुई - अरे जीजी सालों बाद उनकी बड़ी ननद मायके आई है तो मेरी समधन ने खास सिफारिश की है कि आज शादी मे उनकी अच्छे से खातिरदारी की जाये हिहिहिहिही ।


रज्जो - ओह ये बात है , फिर तो रग्डाई कर ही देन्गी मिल कर हम औरतें

रागिनी - आँहा , हम औरते नही हमारे यहा के मर्द करेंगे

रज्जो आंखे उठा - तो क्या वो सब भी
रागिनी - समधन की ओर पूरी छूट है और तीनो छेद भरने का हुक्म आया है हिहिहिही
रज्जो - अरे तो फिर तो फिल्म भी शूट होनी ही चाहिए हाहाहहा

रागिनी - वो भी कर लेंगे लेकिन पहले ये सोचो हमारे तरफ किस किस को मैदान मे उतारा जाये , राज के पापा तो मान भी जाये मगर वो और मै तो शादी मे ही फसे रहेंगे ।

रज्जो - तेरे जीजा को मै मना लूंगी

रागिनी - क्या सच मे जीजाजी तैयार हो जायेन्गे
रज्जो - जब उन्होने अपनी बहन नही छोड़ी तो ये फिर हिहिहिहिही
रागिनी - हम्म फिर और किसे आगे रखा जाये
रज्जो - अरे अपने देवर से बात कर ना

रागिनी थोडा असहज होकत - हा
जीजी लेकिन मैंने कभी ऐसा कुछ देवर जी से... मतलब हम लोग उतना आमने सामने खुल कर नही रहते और होली वाली बात के बाद तो और भी नही ।


रज्जो चहक कर - क्या होली पर ऐसा क्या हुआ था
रागिनी लजाती हुई - बस वही होली की मस्ती और देवर भौजाई वाली होली

रज्जो - हा लेकिन क्या ?

रागिनी शर्माती हुई गुलाबी गालो से - दरअसल मैने जब उनको अबीर से नहला दिया तो वो मुझे दौडाते हुए उपर छत पर बाथरूम के पास कोने तक ले गये और फिर उन्होने दबोचा।

रज्जो उत्तेजित होकर - फिर
रागिनी हस्ती हुई - फिर वही खिंचातानी और उन्होने मेरे पेट पर अबीर मलते हुए मुझे अपनी बाहो मे मसल ही डाला, मेरे जिस्म मे सिहरन सी हो गयी । होली की मस्तीयों मे खोई हुई मेरे जुबान भी फिसल गई थी मानो और जब उन्होने मेरी साडी हटा कर मेरे नाभि पर गुलाल मलते हुए कहा- आज मत रोको भौजी आज तो रंग लेने दो

रज्जो तेज सांसो से - तो ??
रागिनी - हिहिही फिर भरी मस्ती मे मेरी जुबान फिसल गयी कि " कहो तो चोली भी खोल दू "

रज्जो हस कर - सच्ची हिहिहिही

रागिनी हस्ते हुए - हा जीजी और फिर उन्होने जबरन मेरे जोबनो को ब्लाउज के उपर से मेरे दूध लाल हरे कर दिये थे और इतना मसला कि उफ्फ़

रज्जो अपनी पनियाती चूत
को जांघो से कस्ती हुई एक गहरी सास लेकर - हा तो फिर अब क्या दिक्कत है ?

रागिनी हस कर - दिक्कत वही है जीजी उस दिन होली की मस्तियो मे हम लोग कुछ ज्यादा ही बहक गये थे और अब हम दोनो एक दुसरे से थोड़ी झिझक होती है कि क्या क्या कह और कर गये थे हम लोग ।

रज्जो - हम्म्म ये भी है और तु तो तेरे देवर के साथ आगे बढ़ने नही वाली तो हिहिहिही

रागिनी - धत्त दीदी क्या आप भी अब क्या मै सबसे वही सब करती फिरू आप ही करो बाबा , मेरे से नही होगा हिहिहिही

रज्जो - अरे मत कर , लेकिन भाई तेरे देवर से तो तु ही बात करेगी ना , अब मेरा बात करना उचित तो होगा नही

रागिनी - हम्म्म वो भी है , अभी आने दो इनलोगो को अभी तो सैलून गये है ये लोग

रज्जो - अरे सैलून से याद आया वो मेकअप वाली कब आ रही है पुछा तुने सोनल से , अरे हम औरतों को भी थ्रेडिंग और वो स्पा और थोडा सा टचअप चाहिये ना ।

रागिनी - हिहिहिही हा जीजी बात हुई है वो दोपहर तक आ जायेगी ।


रज्जो - चल ठिक है फिर


अमन के घर

नास्ते के लिए सब लोग छत पर जमा थे
मगर महफिल की जान तो संगीता ही बनी हुई थी ।

भोला , ममता , मदन और मुरारी सब घूम फिर पर संगीता पर नजरे गडाये हुए थे ।

मुरारी भी बीती रात से मदन और संगीता पर नजरे रखे हुए था ।

नासते के दौरान भोला के कुछ बात चीत हुई तो उसे अपने जीजा के लिए अफसोस हुआ कि उसके साथ धोखा हो रहा है ।
मगर वो ये बात बस खुद के सीने मे दबा कर ही रह सकता था ।
मन मे सवालों और कल्पनाओ का तुफान उठ रहा था मुरारी के मन मे मगर वो खुद के जज्बात कैसे समेटे हुआ था वो ही जान रहा था ।

भोला - अरे भाई साहब मै क्या कहता हु , आप भी चलिये मेरे साथ सलून और फिर पता नही समय मिले ना मिले

मुरारी - नही तुम मदन हो आओ मै रुक के आऊंगा

भोला - अरे नही मदन भाई नही आ रहे है वो थोडा रुक के आयेंगे उन्हे जरा बाथरूम जाना है । दरअसल नाई ने फोन किया था मदन भाई के पास कि अभी वो खाली है तो मैने सोचा कि

मुरारी मदन के ना जाने पर खुश हुआ और भोला के साथ चल दिया , मगर घर के निकलने के बाद उसको शन्का हुइ कि मदन जरुर संगीता के साथ कुछ करेगा ।

ये ख्याल आते ही मुरारी की बेचैनी फिर से बढ गयी , उसके चेहरे पर चिंता की लाली उभरने लगी

उलझन भरे मानसिक हलचल मे वो घर से दूर आ पहुचा और उसके मन मे उठ रहे कल्पनाओ मे सागर ने उसकी चाल धीमी कर दी थी जिस्से भोला कुछ दुर आगे निकल आया था

भोला घूम कर मुरारी को आवाज दी - क्या हुआ भैया रुक क्यूँ गये ।

मुरारी चौका - हा !!
भोला - अरे पुछ रहा हु रुक क्यूँ गये ऐसे आप !!

मुरारी अपनी कुरते का जेब टटोलकर - कुछ नही वो पर्स भूल गया , तुम चलो मै लेके आता हु

भोला - अरे भैया मेरे पास पैसे है चलिये आप !!

मुरारी - नही नही वो नाई की दुकान के पास ही माली वाला है ना उसको पैसे भी देने है , तुम चलो मै जल्दी ही पहुच रहा हु , वैसे भी बैठना पडेगा ही वहा जाकर

भोला - ठिक है भैयया आप आओ मै चलता हू

भोला बजार की ओर निकल गाय
और मुरारी अपनी उफनाती सासो के साथ तेज कदमो से घर की ओर बढ गया ।

उसको घर से निकले अब तक 10 मिन्ट से ज्यादा हो गये थे और घर मे दाखिल होते ही लपक कर वो मदन के कमरे की ओर बढा मगर वहा कोई नही दिखा ।
निचे सब कुछ सुनसान पड़ा हुआ था , सारी चहल पहल उपर छत पर ही थी ।

मुरारी सरपट जीने से होकर संगीता का कमरा चेक किया वहा भी कोई नही , स्टोर रूम , अमन का कमरा , बाकी के दो कमरे सब बाहर से चटखनि लगे हुए थे , वो थोदा सुनिश्चित करने के लिए उपर गया , मगर वहा दोनो गायब दिखे ।


मुरारी की बेचैनी अब बढने लगी , वो एक बार फिर उपर से निचे सब देखता जांचता आया और तभी उसकी नजर सबसे निचे के फ्लोर पर हाल से पीछे बाथरूम की ओर जा रहे गलियारे पर गयि ।

एक बार फिर मुरारी का कलेजा धड़का ।
दबे पाव वो बाथरूम की ओर बढ़ गया और नतिजना उसका शक सही निकला

बाथरूम का दरवाजा बन्द था और मदन की हल्की सिसकियाँ उसे सुनाई दी

बाथरूम के बाहर दरवाजे के पास कान लगाये मुरारी ने आवाज सुनी

" उम्म्ंम्ं दिदीईईई उह्ह्ह ओह्ह्ह क्या चुसते हो आप उम्मममंं सीईईई "

मदन की उखड़ती सासो से निकलती आह सुनकर मुरारी के जिस्म मे भी सिहरन फैल ग्यी
मगर अब भी उसका गुस्सा उस पर हावी था , मुठ्ठियां भीच कर वो गुस्से से तनमनाया दरवाजे पर मुक्का मारने ही वाला था कि संगीता की आवाज आई - पहली बार किसी औरत का स्पर्श पाये हो ना भैया तो ऐसा ही लगेगा , कितनी जिद की हमने की कर लो शादी मगर तुम अपनी प्रेम कहानी के अधूरे पन्ने पटलते रह गये हुउह , अब इस उम्र मे औरत का स्पर्श तो अनोखा लगेगा ही


संगीता के शब्दों मे मुरारी की भीतर से झकझोर कर रख दिया और अगले ही पल मदन का उसके परिवार के लिए समर्पित जीवन का पुरा पोथा ही उलट पुलट होने ल्गा
मुरारी के खुद को रोक लिया और मदन को लेके उसका गुस्सा अब कम हो चुका था । मदन का अकेलापन घर मे जो कोई नही समझा वो उसकी अपनी बहन मे समझा , मगर अभी भी वो दो भाई बहनो के आपस के रिश्ते को लेके आहत था ।

मदन - ओह्ह दीदी मगर आपके छूने का अहसास ऊहह उम्म्ं और लोहहब ओह्ह मेरा आयेगाग्घ उम्म्ंम्ं सीईई ओह्ह दीईईदीईई उम्म्ंम्म्ं
मदन की आहे और संगीता के गले मे फसे लन्ड ही गुगूआहट ने मुरारी के लन्ड को तान दिया और उस्का दिल जोरो से धडकने लगा


बेचैन होकर वो तेज कदमो से बाहर चला गया और सलून की ओर बढ गया ।
इस बार वो अब पहले से ज्यादा उलझा हुआ मह्सुस कर रहा था , मदन को लेके उसकी भावना थोडी नरम हो चुकी थी वही संगीता का उसके भाई के लिए इस हद तक प्रेम उसकी समझ से परे था ।

ना जाने कौन सी परिस्थिति मे वो दोनो कैसे ? सवालों का नया रूप अब उसके जहन पर छा चुका था ।
खैर उलझे विचारो मे वो इस बात के लिए सुकरगुजार था कि सही समय पर उसने खुद को रोक लिया नही तो आज गुस्से वो क्या कर जाता ये उसे खुद नही पता था ।

छोटे भाई की खुशिओं के लिए वो भी चिंतित हुआ मगर उसमे सगी बहन का आना उसे खटक रहा था ।
विचारो मे उलझा मुरारी सलून आ चुका था और उसका न्म्बर भी आ गया था ।


राज के घर

इधर चाय की चुस्कियां चल रही थी वही सीढियों पर बैठे हुए अरुण-राहुल साथ मे गीता बबिता को निहार रहे थे ।

दोनो बहने भी कम ना थी , अच्छे से अपने नये दिवानो के इरादे समझकर मुस्कुरा रही थी आंखो ही आन्खो मे ।
मगर घर के बड़ो के बीच उनसे इतराया भी नही जा रहा था और ना ही अरुण-राहुल से खुल कर आंखे सेका जा रहा था ।

ऐसे मे रंगी-जंगी आते है ।
रंगी अपने कमरे मे चला जाता और जंगी शालिनी को उपर कपडे देने का बोल कर सीढियो से उपर चला जाता है ।

मौका देखकर रज्जो रागिनी को जंगी की ओर इशारा करती है तो रागिनी ने भी आंखो से सहमती दिखाई ।
रागिनी भी हाल से उठ कर जीने की ओर बढी - ओहो भाई तुम दोनो ऐसे रास्ते बाँधे काहे बैठे हो , और जगह नही मिली

अरुण और राहुल को डांट मिलने गीता-बबिता मुह फेर कर हस देती है ।
रागिनी उपर जाकर हाल मे ना रुक कर सीधे जीने से उपर चली जाती है
कुछ ही देर मे जंगीलाल कमर मे तौलिया लपेटे बनियान मे कन्धे पर कुर्ता पजामा रखे हुए उपर आता है और बाथरूम की ओर बढ़ ही रहा होता है कि

रागिनी झिझक भरे लहजे मे - अह देवर जी सुनिये

जंगी चौक कर - भ भाभी अ आप यहा , मतलब कहिये क्या हुआ

रागिनी जन्गी को बनियान और तौलिये मे देख कर असहज होती हुई नजरे फेर कर मुस्कुराने लगी - वो मुझे !! कैसे कहू

जन्गी चिंता के भाव मे - क्या हुआ भाभी कोई परेशानी वाली बात तो नही

रागिनी - नही नही , वो बस हिहिहिही दरअसल आज शादी मे मुझे आपकी एक मदद चाहिये

जंगी - हा भाभी बोलिए इसमे इतना झिझक क्यूँ , हम लोग आपके लिए ही तो है यहा

रागिनी - दरअसल आज मुझे पता चला है कि आज शाम बारात मे दूल्हे की बुआ आ रही है बड़ी वाली

जन्गी - हम्म तो ?
रागिनी हस्ती हुई - तो क्या ? अरे समधि की बहन आयेगी तो मेरे देवर डोरे नही डालेन्गे क्या उनपे हिहिहिही

जन्गी हस कर - हाहाहहा भाभी क्या आप भी !!!

रागिनी - मै मजाक नही कर रही हु
जंगी - मतलब सच मे ? इस उम्र मे ? दूल्हे की बुआ से ?

रागिनी - क्यू नही हो पायेगा ??
जन्गी - हो जायेगा लेकिन अगर बात आगे बढ गयी तो ?

रागिनी लजाती हुई हस कर - तो क्या , आपकी मेहनत का इनाम होगा आप जानो क्या करना है उसका हिहिहिहिही मगर एक शर्त है

जन्गी - क्या ?
रागिनी - अगर कोई मामला सेट हुआ तो उस फिल्म की वीडियो जरुर बना लिजियेगा हिहिहिही
जंगी - क्या वीडियो ? मगर क्यू ?

रागिनी - अरे ननद का वीडियो समधन को अच्छी कीमत पर बेचून्गी और क्या हिहिहिही

जन्गी - क्या भाभी आप भी ना हिहिहिही
रागिनी - ये बात बस हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए और याद रहे मेरी नाक नही कटनी चाहिये हिहिहिही

"पक्का भाभी , आपकी इज्जत को सम्भालना आखिर मेरा भी तो फर्ज है " , जन्गी ने रागिनी के साडी से झाकते जोबनो को निहारते हुए कहा ।
रागिनी जन्गी के शब्दों और उसकी निगाहो को भाप कर अपना पल्लू सही करते हुए बोली - ठिक है आप नहा लो मै जा रही हु


जन्गी - बस जा ही रही हो भाभी !!
रागिनी - क्यूँ कुछ काम था ?
जंगी हस्ता हुआ - जरा पीठ मल देती भाभी तो ...!! हाहाहहा

रागिनी लजाती हुई - धत आप भी ना हिहिहिही

रागिनी सरपट जीने से निचे चली गयी

जन्गी - आह्ह भौजी आज नही तो कल मलोगी मेरे तन को जरुर लेकिन आज रात ये नया माल पेलने को मिल जाये तो क्या ही मजा होगा । इस्स्स्स्स अह्ह्ह




रज्जो - कमलनाथ

कमलनाथ - उह्ह्ह जान ऐसे ही उम्म्ंम्ं सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो कमलनाथ का सुपाडा मुह से निकालती हुई - इतने दिन से तडप रहे थे ना मेरे राजाह्ह्ह उह्ह्ह कितना फूल गया है उम्म्ंम जी कर रहा है अभी इसको भर अपनी बुर मे उम्म्ंम

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कमलनाथ - तो भर लो ना मेरी जान उम्म्ंम सीईई उह्ह्ह
रज्जो - नही मेरे राजा अभी नही , शादी के बाद घर पर यहा कोई भी आजायेगा कभी भी उम्म्ंम्ं
कमलनाथ - आह्ह मेरी जान तो ऐसे कब तक मै उह्ह्ह उम्म्ं और लो ऊहह आयेगा उह्ह्ह सीईईई

रज्जो ने उसका लन्ड मुह मे भरे हुए आड़ो को मसलती हुई सुपाडा सुरकने लगि और कमलनाथ उसके मुह मे झड़ने लगा ।


उसका लन्ड साफ कर रज्जो इतराई - अगर नही कर सकते इंतजार तो आज रात बारात मे कोई आये उसी को पटा लो हिहिहिहिही

कमलनाथ - अच्छा जी
रज्जो - हम्म सुना है दूल्हे की बड़ी बुआ आ रही है , सगाई मे देखा था मैने पीछे से एकदम कसा माल है। मै तो कह रही हु कि उसी को हिहिहिही

कमलनाथ का मुसल फडका- क्या सच मे जान , तुम्हे कोई ऐतराज नही होगा

रज्जो अपने पति के गाल सहलती हुई - मेरे राजा की खुशी से बढ़ क्या होगा मेरे लिए उम्म्ं

कमलनाथ उसको बाहो मे कसते हुए - मगर क्या वो तैयार होगी
रज्जो - अरे बारात मे तो हम औरते चाह्ती ही है कि कोई हम पर भी फीदा हो और हमे भी निहारे , मगर इस फैशन के जमाने मे सारा गलैमर जवाँ छोरियां और भाभियाँ उड़ा ले जाती है और उस औरत को परखा है मैने सगाई मे वो लोगो की नजरों मे बनी हुई फिर रही थी ।

कमलनाथ - अगर ऐसी बात तो फिर मै तैयार हु
वही बाहर हाल मे धीरे धीरे लोगो की संख्या छट रही थी ।
धीरे धीरे सभी औरतों और लड़कियो का समूह उपर चला गया

जाते हुए भी बबिता और गीता आपस मे हस्ती हुई और राहुल-अरुण का मजाक बनाती हुई उपर जाने लगी ।

राहुल को चिढ़ हुई तो उसने भी वही जिने के पास खड़े खड़े अरुण से बोला - भाई अरुण एक बात ब्ताओगे

अरुण - पूछो भाई
राहुल की बातों पर बबिता का पुरा ध्यान था
राहुल - यार वो कौन सी चीज होती है जो देख कर डिलीट कर देना चाहिए

अरुण सोचने का नाटक करता है और वही बबिता की सासे अटक जाती है और उसे समझते देर नही लगती कि जब वो अपने बाबू सोना से लगी हुई थी तब राहुल ने सब कुछ सुन लिया था ।

उसके चेहरे की चमक अब हल्की हो चूकि थी और राहुल अरुण को लेके बाहर टहलने निकल जाता है ।
वही निचे से कमलनाथ भी नहाने के लिए उपर की छत पर कपडे लेके पहुचा हुआ था , मगर बाथरूम मे जंगी की वजह से वो छत से नजारे सेक रहा था

तभी उसकी नजर दो औरतों पर गयी जो घर से दूर पर ही थी और एक बड़ा बैग लेके टहलती हुई आ रही थी ।

नजदिकियां जब कम हुई तो पता चला कि जो फैशन झारती हुई चेहरे को सजाती अपने डीप गले के शार्ट टॉप और चर्बिदार कूल्हो पर कसी हुई जीन्स मे थी वो असल मे शादी शुदा थी और जबकी उसके साथ मे चल रही लड़की जो साधारण कुर्ती लेगी मे थी उसकी शादी नही हुई थी , मगर जोबन उस्के भी कसे हुए थे ।

उस जीन्स टॉप वाली महिला के कसे हुए गोरे जोबन की घाटी मंजिला छत से साफ साफ नजर आ रही थी
जिस्से कमलनाथ के कमर पर लिपटे गमछे मे तम्बू बन चुका था ।

कमलनाथ - आह्ह क्या माल है यारर

तभी उसके पास आकर खड़ा हुआ जंगी मुस्कुरा कर बोला - माल तो मस्त है ही भैया हाहाहाहा

कमलनाथ सकपकाया - अरे ज जंगी भाई त तुम , वो मै

जंगी हसता हुआ - अरे काहे परेशान हो रहे हो , साली को जानता हु । ये पार्लर वाली एक नम्बर की रन्डी है

कमलनाथ थुक गटक कर एक नजर निचे देखा तो वो राज के घर मे प्रवेश कर रही थी ।


कमलनाथ - मतलब मै समझा नही , आप जानते है इसको

जन्गी कमलनाथ की बात पर हसने लगा ।

जारी रहेगी
Super Update Bhai 189 ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️ Waiting For Next Update we want more ❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️❤️🙏
 

ajaydas241

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UPDATE 189

10 बजने को हो रहे थे और घर की औरतें वापस आ चुकी थी ।
हाल मे बैठी हुई गप्प ठहाके लगाए जा रहे थे । घर मे मर्द जन सलून मे लाईनें लगवा कर बाल दाढ़ी बनवाने ब्यस्त थे ।
चंदू के घर मे भंडारी दोपहर का खाना बनाने मे लगे थे , जिनकी फिलहाल देखरेख राज के नाना के जिम्मे थी ।

इसी समय सोनल के मोबाइल पर अमन का फोन आता है , सोनल सबके सामने अमन का फोन झिझक मे call you back के मैसेज के साथ काट देती है ।

तभी उधर से अमन का मैसेज आता है कि मम्मी को बात करना है ।
सोनल फटाक से अमन का नम्बर रिडायल कर देती है ।

थोड़ी धीमी बातचीत के बाद सोनल फोन अपनी मा को दे देती है ।

रागिनी फोन लेके थोडा बात करती है और फिर उठकर अपने कमरे मे चली जाती है ।

रागिनी - हा समधन जी बोलिए अब

ममता हस कर - आस पास कोई है तो नही ना ,
रागिनी - नही बोलिए क्या बात है ?

ममता - देखिये ये बात सिर्फ आपके और मेरे बीच ही रहनी चाहिए और हिहिहिही

रागिनी - क्या हुआ बोलिए तो

ममता- दरअसल मुझे आपकी मदद
चाहिये थी
वोह्ह हिहिहिहिही

रागिनी के भी गाल खिल गये ममता की खिलखिलाहट भरी हसी सुन कर - अरे बताईये तो सही
ममता - वो क्या है इस बार सालों बाद मेरी बड़ी ननद आई है और मैने सोचा क्यू ना ननद रानी के साथ उनके मायके में ही थोड़ी मस्ती की जाये

रागिनी हसते हुए - हा हा क्यो नही , ननद की खातिरदारी मायके मे भौजाइयां ना करेगी तो कौन करेगा । तो बतायिये इसमे मै कैसे मदद कर सकती हूँ

ममता थोडा हिचक कर हसते हुए - हिहिही वो मै सोच रही थी कि उनकी खातिरदारी आपके यहा शादी मे हो जाये हिहिहिहिही

रागिनी खिलखिलाकर - हा हा क्यूँ नही ननद रानी पर दो चार छुट्टे सांड छोड़ ही दूँगी हिहिही

ममता - हा लेकिन कौन होगा और कैसे
रागिनी - वो सब मुझपे छोडिए लेकिन अगर आपका ये प्लान मैने सफल कर दिया तो बदले मे आपको भी मेरा एक काम करना पड़ेगा हिहिहिही

ममता - अरे आप जो कहेंगी हिहिही बस ननद रानी की जम कर रग्दाई होनी चाहिए

रागिनी - हम्म्म ठिक है चलिये और सब ठिक है ना

ममता - हा हा
इधर इनकी बातें हो रही थी वही भरी महफिल मे यूँ रागिनी के पास सोनल के ससुराल का सुबह सुबह फोन आने से घर के बाकी मेहमानो को थोड़ी चिंता होने लगी ।

शिला के कहने पर रज्जो उठ कर रागिनी के कमरे मे जायजा लेने पहुची तब तक रागिनी फोन काट चुकी थी ।

रज्जो - सब ठिक तो है ना छोटी
रागिनी मुस्कराते हुए गालों के साथ - हा जीजी क्या हुआ ।

रज्जो - वो सुबह सुबह ये सोनल के ससुराल वालों को फोन आया तो मुझे लगा.... सब कुछ ठिक है ना

रागिनी मुस्कुरा कर - हा जीजी सब ठिक है वो बस

रज्जो - हम्म्म समझ गयी कुछ दहेज की ही बात होगी , बता क्या फरमायिश की है अब सोनल की सास ने ?

रागिनी अपनी बहन के पास आकर उसके कन्धे पर हाथ रखती हुई मुस्कुरा कर बोली - जीजी फरमायिश तो समधन ने की है मगर हिहिहिही लेंगी नही देन्गी ?

रज्जो उलझन भरे लहजे मे - मतलब

रागिनी हस्ती हुई - अरे जीजी सालों बाद उनकी बड़ी ननद मायके आई है तो मेरी समधन ने खास सिफारिश की है कि आज शादी मे उनकी अच्छे से खातिरदारी की जाये हिहिहिहिही ।


रज्जो - ओह ये बात है , फिर तो रग्डाई कर ही देन्गी मिल कर हम औरतें

रागिनी - आँहा , हम औरते नही हमारे यहा के मर्द करेंगे

रज्जो आंखे उठा - तो क्या वो सब भी
रागिनी - समधन की ओर पूरी छूट है और तीनो छेद भरने का हुक्म आया है हिहिहिही
रज्जो - अरे तो फिर तो फिल्म भी शूट होनी ही चाहिए हाहाहहा

रागिनी - वो भी कर लेंगे लेकिन पहले ये सोचो हमारे तरफ किस किस को मैदान मे उतारा जाये , राज के पापा तो मान भी जाये मगर वो और मै तो शादी मे ही फसे रहेंगे ।

रज्जो - तेरे जीजा को मै मना लूंगी

रागिनी - क्या सच मे जीजाजी तैयार हो जायेन्गे
रज्जो - जब उन्होने अपनी बहन नही छोड़ी तो ये फिर हिहिहिहिही
रागिनी - हम्म फिर और किसे आगे रखा जाये
रज्जो - अरे अपने देवर से बात कर ना

रागिनी थोडा असहज होकत - हा
जीजी लेकिन मैंने कभी ऐसा कुछ देवर जी से... मतलब हम लोग उतना आमने सामने खुल कर नही रहते और होली वाली बात के बाद तो और भी नही ।


रज्जो चहक कर - क्या होली पर ऐसा क्या हुआ था
रागिनी लजाती हुई - बस वही होली की मस्ती और देवर भौजाई वाली होली

रज्जो - हा लेकिन क्या ?

रागिनी शर्माती हुई गुलाबी गालो से - दरअसल मैने जब उनको अबीर से नहला दिया तो वो मुझे दौडाते हुए उपर छत पर बाथरूम के पास कोने तक ले गये और फिर उन्होने दबोचा।

रज्जो उत्तेजित होकर - फिर
रागिनी हस्ती हुई - फिर वही खिंचातानी और उन्होने मेरे पेट पर अबीर मलते हुए मुझे अपनी बाहो मे मसल ही डाला, मेरे जिस्म मे सिहरन सी हो गयी । होली की मस्तीयों मे खोई हुई मेरे जुबान भी फिसल गई थी मानो और जब उन्होने मेरी साडी हटा कर मेरे नाभि पर गुलाल मलते हुए कहा- आज मत रोको भौजी आज तो रंग लेने दो

रज्जो तेज सांसो से - तो ??
रागिनी - हिहिही फिर भरी मस्ती मे मेरी जुबान फिसल गयी कि " कहो तो चोली भी खोल दू "

रज्जो हस कर - सच्ची हिहिहिही

रागिनी हस्ते हुए - हा जीजी और फिर उन्होने जबरन मेरे जोबनो को ब्लाउज के उपर से मेरे दूध लाल हरे कर दिये थे और इतना मसला कि उफ्फ़

रज्जो अपनी पनियाती चूत
को जांघो से कस्ती हुई एक गहरी सास लेकर - हा तो फिर अब क्या दिक्कत है ?

रागिनी हस कर - दिक्कत वही है जीजी उस दिन होली की मस्तियो मे हम लोग कुछ ज्यादा ही बहक गये थे और अब हम दोनो एक दुसरे से थोड़ी झिझक होती है कि क्या क्या कह और कर गये थे हम लोग ।

रज्जो - हम्म्म ये भी है और तु तो तेरे देवर के साथ आगे बढ़ने नही वाली तो हिहिहिही

रागिनी - धत्त दीदी क्या आप भी अब क्या मै सबसे वही सब करती फिरू आप ही करो बाबा , मेरे से नही होगा हिहिहिही

रज्जो - अरे मत कर , लेकिन भाई तेरे देवर से तो तु ही बात करेगी ना , अब मेरा बात करना उचित तो होगा नही

रागिनी - हम्म्म वो भी है , अभी आने दो इनलोगो को अभी तो सैलून गये है ये लोग

रज्जो - अरे सैलून से याद आया वो मेकअप वाली कब आ रही है पुछा तुने सोनल से , अरे हम औरतों को भी थ्रेडिंग और वो स्पा और थोडा सा टचअप चाहिये ना ।

रागिनी - हिहिहिही हा जीजी बात हुई है वो दोपहर तक आ जायेगी ।


रज्जो - चल ठिक है फिर


अमन के घर

नास्ते के लिए सब लोग छत पर जमा थे
मगर महफिल की जान तो संगीता ही बनी हुई थी ।

भोला , ममता , मदन और मुरारी सब घूम फिर पर संगीता पर नजरे गडाये हुए थे ।

मुरारी भी बीती रात से मदन और संगीता पर नजरे रखे हुए था ।

नासते के दौरान भोला के कुछ बात चीत हुई तो उसे अपने जीजा के लिए अफसोस हुआ कि उसके साथ धोखा हो रहा है ।
मगर वो ये बात बस खुद के सीने मे दबा कर ही रह सकता था ।
मन मे सवालों और कल्पनाओ का तुफान उठ रहा था मुरारी के मन मे मगर वो खुद के जज्बात कैसे समेटे हुआ था वो ही जान रहा था ।

भोला - अरे भाई साहब मै क्या कहता हु , आप भी चलिये मेरे साथ सलून और फिर पता नही समय मिले ना मिले

मुरारी - नही तुम मदन हो आओ मै रुक के आऊंगा

भोला - अरे नही मदन भाई नही आ रहे है वो थोडा रुक के आयेंगे उन्हे जरा बाथरूम जाना है । दरअसल नाई ने फोन किया था मदन भाई के पास कि अभी वो खाली है तो मैने सोचा कि

मुरारी मदन के ना जाने पर खुश हुआ और भोला के साथ चल दिया , मगर घर के निकलने के बाद उसको शन्का हुइ कि मदन जरुर संगीता के साथ कुछ करेगा ।

ये ख्याल आते ही मुरारी की बेचैनी फिर से बढ गयी , उसके चेहरे पर चिंता की लाली उभरने लगी

उलझन भरे मानसिक हलचल मे वो घर से दूर आ पहुचा और उसके मन मे उठ रहे कल्पनाओ मे सागर ने उसकी चाल धीमी कर दी थी जिस्से भोला कुछ दुर आगे निकल आया था

भोला घूम कर मुरारी को आवाज दी - क्या हुआ भैया रुक क्यूँ गये ।

मुरारी चौका - हा !!
भोला - अरे पुछ रहा हु रुक क्यूँ गये ऐसे आप !!

मुरारी अपनी कुरते का जेब टटोलकर - कुछ नही वो पर्स भूल गया , तुम चलो मै लेके आता हु

भोला - अरे भैया मेरे पास पैसे है चलिये आप !!

मुरारी - नही नही वो नाई की दुकान के पास ही माली वाला है ना उसको पैसे भी देने है , तुम चलो मै जल्दी ही पहुच रहा हु , वैसे भी बैठना पडेगा ही वहा जाकर

भोला - ठिक है भैयया आप आओ मै चलता हू

भोला बजार की ओर निकल गाय
और मुरारी अपनी उफनाती सासो के साथ तेज कदमो से घर की ओर बढ गया ।

उसको घर से निकले अब तक 10 मिन्ट से ज्यादा हो गये थे और घर मे दाखिल होते ही लपक कर वो मदन के कमरे की ओर बढा मगर वहा कोई नही दिखा ।
निचे सब कुछ सुनसान पड़ा हुआ था , सारी चहल पहल उपर छत पर ही थी ।

मुरारी सरपट जीने से होकर संगीता का कमरा चेक किया वहा भी कोई नही , स्टोर रूम , अमन का कमरा , बाकी के दो कमरे सब बाहर से चटखनि लगे हुए थे , वो थोदा सुनिश्चित करने के लिए उपर गया , मगर वहा दोनो गायब दिखे ।


मुरारी की बेचैनी अब बढने लगी , वो एक बार फिर उपर से निचे सब देखता जांचता आया और तभी उसकी नजर सबसे निचे के फ्लोर पर हाल से पीछे बाथरूम की ओर जा रहे गलियारे पर गयि ।

एक बार फिर मुरारी का कलेजा धड़का ।
दबे पाव वो बाथरूम की ओर बढ़ गया और नतिजना उसका शक सही निकला

बाथरूम का दरवाजा बन्द था और मदन की हल्की सिसकियाँ उसे सुनाई दी

बाथरूम के बाहर दरवाजे के पास कान लगाये मुरारी ने आवाज सुनी

" उम्म्ंम्ं दिदीईईई उह्ह्ह ओह्ह्ह क्या चुसते हो आप उम्मममंं सीईईई "

मदन की उखड़ती सासो से निकलती आह सुनकर मुरारी के जिस्म मे भी सिहरन फैल ग्यी
मगर अब भी उसका गुस्सा उस पर हावी था , मुठ्ठियां भीच कर वो गुस्से से तनमनाया दरवाजे पर मुक्का मारने ही वाला था कि संगीता की आवाज आई - पहली बार किसी औरत का स्पर्श पाये हो ना भैया तो ऐसा ही लगेगा , कितनी जिद की हमने की कर लो शादी मगर तुम अपनी प्रेम कहानी के अधूरे पन्ने पटलते रह गये हुउह , अब इस उम्र मे औरत का स्पर्श तो अनोखा लगेगा ही


संगीता के शब्दों मे मुरारी की भीतर से झकझोर कर रख दिया और अगले ही पल मदन का उसके परिवार के लिए समर्पित जीवन का पुरा पोथा ही उलट पुलट होने ल्गा
मुरारी के खुद को रोक लिया और मदन को लेके उसका गुस्सा अब कम हो चुका था । मदन का अकेलापन घर मे जो कोई नही समझा वो उसकी अपनी बहन मे समझा , मगर अभी भी वो दो भाई बहनो के आपस के रिश्ते को लेके आहत था ।

मदन - ओह्ह दीदी मगर आपके छूने का अहसास ऊहह उम्म्ं और लोहहब ओह्ह मेरा आयेगाग्घ उम्म्ंम्ं सीईई ओह्ह दीईईदीईई उम्म्ंम्म्ं
मदन की आहे और संगीता के गले मे फसे लन्ड ही गुगूआहट ने मुरारी के लन्ड को तान दिया और उस्का दिल जोरो से धडकने लगा


बेचैन होकर वो तेज कदमो से बाहर चला गया और सलून की ओर बढ गया ।
इस बार वो अब पहले से ज्यादा उलझा हुआ मह्सुस कर रहा था , मदन को लेके उसकी भावना थोडी नरम हो चुकी थी वही संगीता का उसके भाई के लिए इस हद तक प्रेम उसकी समझ से परे था ।

ना जाने कौन सी परिस्थिति मे वो दोनो कैसे ? सवालों का नया रूप अब उसके जहन पर छा चुका था ।
खैर उलझे विचारो मे वो इस बात के लिए सुकरगुजार था कि सही समय पर उसने खुद को रोक लिया नही तो आज गुस्से वो क्या कर जाता ये उसे खुद नही पता था ।

छोटे भाई की खुशिओं के लिए वो भी चिंतित हुआ मगर उसमे सगी बहन का आना उसे खटक रहा था ।
विचारो मे उलझा मुरारी सलून आ चुका था और उसका न्म्बर भी आ गया था ।


राज के घर

इधर चाय की चुस्कियां चल रही थी वही सीढियों पर बैठे हुए अरुण-राहुल साथ मे गीता बबिता को निहार रहे थे ।

दोनो बहने भी कम ना थी , अच्छे से अपने नये दिवानो के इरादे समझकर मुस्कुरा रही थी आंखो ही आन्खो मे ।
मगर घर के बड़ो के बीच उनसे इतराया भी नही जा रहा था और ना ही अरुण-राहुल से खुल कर आंखे सेका जा रहा था ।

ऐसे मे रंगी-जंगी आते है ।
रंगी अपने कमरे मे चला जाता और जंगी शालिनी को उपर कपडे देने का बोल कर सीढियो से उपर चला जाता है ।

मौका देखकर रज्जो रागिनी को जंगी की ओर इशारा करती है तो रागिनी ने भी आंखो से सहमती दिखाई ।
रागिनी भी हाल से उठ कर जीने की ओर बढी - ओहो भाई तुम दोनो ऐसे रास्ते बाँधे काहे बैठे हो , और जगह नही मिली

अरुण और राहुल को डांट मिलने गीता-बबिता मुह फेर कर हस देती है ।
रागिनी उपर जाकर हाल मे ना रुक कर सीधे जीने से उपर चली जाती है
कुछ ही देर मे जंगीलाल कमर मे तौलिया लपेटे बनियान मे कन्धे पर कुर्ता पजामा रखे हुए उपर आता है और बाथरूम की ओर बढ़ ही रहा होता है कि

रागिनी झिझक भरे लहजे मे - अह देवर जी सुनिये

जंगी चौक कर - भ भाभी अ आप यहा , मतलब कहिये क्या हुआ

रागिनी जन्गी को बनियान और तौलिये मे देख कर असहज होती हुई नजरे फेर कर मुस्कुराने लगी - वो मुझे !! कैसे कहू

जन्गी चिंता के भाव मे - क्या हुआ भाभी कोई परेशानी वाली बात तो नही

रागिनी - नही नही , वो बस हिहिहिही दरअसल आज शादी मे मुझे आपकी एक मदद चाहिये

जंगी - हा भाभी बोलिए इसमे इतना झिझक क्यूँ , हम लोग आपके लिए ही तो है यहा

रागिनी - दरअसल आज मुझे पता चला है कि आज शाम बारात मे दूल्हे की बुआ आ रही है बड़ी वाली

जन्गी - हम्म तो ?
रागिनी हस्ती हुई - तो क्या ? अरे समधि की बहन आयेगी तो मेरे देवर डोरे नही डालेन्गे क्या उनपे हिहिहिही

जन्गी हस कर - हाहाहहा भाभी क्या आप भी !!!

रागिनी - मै मजाक नही कर रही हु
जंगी - मतलब सच मे ? इस उम्र मे ? दूल्हे की बुआ से ?

रागिनी - क्यू नही हो पायेगा ??
जन्गी - हो जायेगा लेकिन अगर बात आगे बढ गयी तो ?

रागिनी लजाती हुई हस कर - तो क्या , आपकी मेहनत का इनाम होगा आप जानो क्या करना है उसका हिहिहिहिही मगर एक शर्त है

जन्गी - क्या ?
रागिनी - अगर कोई मामला सेट हुआ तो उस फिल्म की वीडियो जरुर बना लिजियेगा हिहिहिही
जंगी - क्या वीडियो ? मगर क्यू ?

रागिनी - अरे ननद का वीडियो समधन को अच्छी कीमत पर बेचून्गी और क्या हिहिहिही

जन्गी - क्या भाभी आप भी ना हिहिहिही
रागिनी - ये बात बस हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए और याद रहे मेरी नाक नही कटनी चाहिये हिहिहिही

"पक्का भाभी , आपकी इज्जत को सम्भालना आखिर मेरा भी तो फर्ज है " , जन्गी ने रागिनी के साडी से झाकते जोबनो को निहारते हुए कहा ।
रागिनी जन्गी के शब्दों और उसकी निगाहो को भाप कर अपना पल्लू सही करते हुए बोली - ठिक है आप नहा लो मै जा रही हु


जन्गी - बस जा ही रही हो भाभी !!
रागिनी - क्यूँ कुछ काम था ?
जंगी हस्ता हुआ - जरा पीठ मल देती भाभी तो ...!! हाहाहहा

रागिनी लजाती हुई - धत आप भी ना हिहिहिही

रागिनी सरपट जीने से निचे चली गयी

जन्गी - आह्ह भौजी आज नही तो कल मलोगी मेरे तन को जरुर लेकिन आज रात ये नया माल पेलने को मिल जाये तो क्या ही मजा होगा । इस्स्स्स्स अह्ह्ह




रज्जो - कमलनाथ

कमलनाथ - उह्ह्ह जान ऐसे ही उम्म्ंम्ं सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो कमलनाथ का सुपाडा मुह से निकालती हुई - इतने दिन से तडप रहे थे ना मेरे राजाह्ह्ह उह्ह्ह कितना फूल गया है उम्म्ंम जी कर रहा है अभी इसको भर अपनी बुर मे उम्म्ंम

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कमलनाथ - तो भर लो ना मेरी जान उम्म्ंम सीईई उह्ह्ह
रज्जो - नही मेरे राजा अभी नही , शादी के बाद घर पर यहा कोई भी आजायेगा कभी भी उम्म्ंम्ं
कमलनाथ - आह्ह मेरी जान तो ऐसे कब तक मै उह्ह्ह उम्म्ं और लो ऊहह आयेगा उह्ह्ह सीईईई

रज्जो ने उसका लन्ड मुह मे भरे हुए आड़ो को मसलती हुई सुपाडा सुरकने लगि और कमलनाथ उसके मुह मे झड़ने लगा ।


उसका लन्ड साफ कर रज्जो इतराई - अगर नही कर सकते इंतजार तो आज रात बारात मे कोई आये उसी को पटा लो हिहिहिहिही

कमलनाथ - अच्छा जी
रज्जो - हम्म सुना है दूल्हे की बड़ी बुआ आ रही है , सगाई मे देखा था मैने पीछे से एकदम कसा माल है। मै तो कह रही हु कि उसी को हिहिहिही

कमलनाथ का मुसल फडका- क्या सच मे जान , तुम्हे कोई ऐतराज नही होगा

रज्जो अपने पति के गाल सहलती हुई - मेरे राजा की खुशी से बढ़ क्या होगा मेरे लिए उम्म्ं

कमलनाथ उसको बाहो मे कसते हुए - मगर क्या वो तैयार होगी
रज्जो - अरे बारात मे तो हम औरते चाह्ती ही है कि कोई हम पर भी फीदा हो और हमे भी निहारे , मगर इस फैशन के जमाने मे सारा गलैमर जवाँ छोरियां और भाभियाँ उड़ा ले जाती है और उस औरत को परखा है मैने सगाई मे वो लोगो की नजरों मे बनी हुई फिर रही थी ।

कमलनाथ - अगर ऐसी बात तो फिर मै तैयार हु
वही बाहर हाल मे धीरे धीरे लोगो की संख्या छट रही थी ।
धीरे धीरे सभी औरतों और लड़कियो का समूह उपर चला गया

जाते हुए भी बबिता और गीता आपस मे हस्ती हुई और राहुल-अरुण का मजाक बनाती हुई उपर जाने लगी ।

राहुल को चिढ़ हुई तो उसने भी वही जिने के पास खड़े खड़े अरुण से बोला - भाई अरुण एक बात ब्ताओगे

अरुण - पूछो भाई
राहुल की बातों पर बबिता का पुरा ध्यान था
राहुल - यार वो कौन सी चीज होती है जो देख कर डिलीट कर देना चाहिए

अरुण सोचने का नाटक करता है और वही बबिता की सासे अटक जाती है और उसे समझते देर नही लगती कि जब वो अपने बाबू सोना से लगी हुई थी तब राहुल ने सब कुछ सुन लिया था ।

उसके चेहरे की चमक अब हल्की हो चूकि थी और राहुल अरुण को लेके बाहर टहलने निकल जाता है ।
वही निचे से कमलनाथ भी नहाने के लिए उपर की छत पर कपडे लेके पहुचा हुआ था , मगर बाथरूम मे जंगी की वजह से वो छत से नजारे सेक रहा था

तभी उसकी नजर दो औरतों पर गयी जो घर से दूर पर ही थी और एक बड़ा बैग लेके टहलती हुई आ रही थी ।

नजदिकियां जब कम हुई तो पता चला कि जो फैशन झारती हुई चेहरे को सजाती अपने डीप गले के शार्ट टॉप और चर्बिदार कूल्हो पर कसी हुई जीन्स मे थी वो असल मे शादी शुदा थी और जबकी उसके साथ मे चल रही लड़की जो साधारण कुर्ती लेगी मे थी उसकी शादी नही हुई थी , मगर जोबन उस्के भी कसे हुए थे ।

उस जीन्स टॉप वाली महिला के कसे हुए गोरे जोबन की घाटी मंजिला छत से साफ साफ नजर आ रही थी
जिस्से कमलनाथ के कमर पर लिपटे गमछे मे तम्बू बन चुका था ।

कमलनाथ - आह्ह क्या माल है यारर

तभी उसके पास आकर खड़ा हुआ जंगी मुस्कुरा कर बोला - माल तो मस्त है ही भैया हाहाहाहा

कमलनाथ सकपकाया - अरे ज जंगी भाई त तुम , वो मै

जंगी हसता हुआ - अरे काहे परेशान हो रहे हो , साली को जानता हु । ये पार्लर वाली एक नम्बर की रन्डी है

कमलनाथ थुक गटक कर एक नजर निचे देखा तो वो राज के घर मे प्रवेश कर रही थी ।


कमलनाथ - मतलब मै समझा नही , आप जानते है इसको

जन्गी कमलनाथ की बात पर हसने लगा ।

जारी रहेगी
Wow जन्गी रागिनी 😮 Mast Update Brother :booby2::booby2::booby2::booby2::booby2::booby2::booby2::booby2::booby2::booby2::booby2::booby2:
 

Deepaksoni

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UPDATE 189

10 बजने को हो रहे थे और घर की औरतें वापस आ चुकी थी ।
हाल मे बैठी हुई गप्प ठहाके लगाए जा रहे थे । घर मे मर्द जन सलून मे लाईनें लगवा कर बाल दाढ़ी बनवाने ब्यस्त थे ।
चंदू के घर मे भंडारी दोपहर का खाना बनाने मे लगे थे , जिनकी फिलहाल देखरेख राज के नाना के जिम्मे थी ।

इसी समय सोनल के मोबाइल पर अमन का फोन आता है , सोनल सबके सामने अमन का फोन झिझक मे call you back के मैसेज के साथ काट देती है ।

तभी उधर से अमन का मैसेज आता है कि मम्मी को बात करना है ।
सोनल फटाक से अमन का नम्बर रिडायल कर देती है ।

थोड़ी धीमी बातचीत के बाद सोनल फोन अपनी मा को दे देती है ।

रागिनी फोन लेके थोडा बात करती है और फिर उठकर अपने कमरे मे चली जाती है ।

रागिनी - हा समधन जी बोलिए अब

ममता हस कर - आस पास कोई है तो नही ना ,
रागिनी - नही बोलिए क्या बात है ?

ममता - देखिये ये बात सिर्फ आपके और मेरे बीच ही रहनी चाहिए और हिहिहिही

रागिनी - क्या हुआ बोलिए तो

ममता- दरअसल मुझे आपकी मदद
चाहिये थी
वोह्ह हिहिहिहिही

रागिनी के भी गाल खिल गये ममता की खिलखिलाहट भरी हसी सुन कर - अरे बताईये तो सही
ममता - वो क्या है इस बार सालों बाद मेरी बड़ी ननद आई है और मैने सोचा क्यू ना ननद रानी के साथ उनके मायके में ही थोड़ी मस्ती की जाये

रागिनी हसते हुए - हा हा क्यो नही , ननद की खातिरदारी मायके मे भौजाइयां ना करेगी तो कौन करेगा । तो बतायिये इसमे मै कैसे मदद कर सकती हूँ

ममता थोडा हिचक कर हसते हुए - हिहिही वो मै सोच रही थी कि उनकी खातिरदारी आपके यहा शादी मे हो जाये हिहिहिहिही

रागिनी खिलखिलाकर - हा हा क्यूँ नही ननद रानी पर दो चार छुट्टे सांड छोड़ ही दूँगी हिहिही

ममता - हा लेकिन कौन होगा और कैसे
रागिनी - वो सब मुझपे छोडिए लेकिन अगर आपका ये प्लान मैने सफल कर दिया तो बदले मे आपको भी मेरा एक काम करना पड़ेगा हिहिहिही

ममता - अरे आप जो कहेंगी हिहिही बस ननद रानी की जम कर रग्दाई होनी चाहिए

रागिनी - हम्म्म ठिक है चलिये और सब ठिक है ना

ममता - हा हा
इधर इनकी बातें हो रही थी वही भरी महफिल मे यूँ रागिनी के पास सोनल के ससुराल का सुबह सुबह फोन आने से घर के बाकी मेहमानो को थोड़ी चिंता होने लगी ।

शिला के कहने पर रज्जो उठ कर रागिनी के कमरे मे जायजा लेने पहुची तब तक रागिनी फोन काट चुकी थी ।

रज्जो - सब ठिक तो है ना छोटी
रागिनी मुस्कराते हुए गालों के साथ - हा जीजी क्या हुआ ।

रज्जो - वो सुबह सुबह ये सोनल के ससुराल वालों को फोन आया तो मुझे लगा.... सब कुछ ठिक है ना

रागिनी मुस्कुरा कर - हा जीजी सब ठिक है वो बस

रज्जो - हम्म्म समझ गयी कुछ दहेज की ही बात होगी , बता क्या फरमायिश की है अब सोनल की सास ने ?

रागिनी अपनी बहन के पास आकर उसके कन्धे पर हाथ रखती हुई मुस्कुरा कर बोली - जीजी फरमायिश तो समधन ने की है मगर हिहिहिही लेंगी नही देन्गी ?

रज्जो उलझन भरे लहजे मे - मतलब

रागिनी हस्ती हुई - अरे जीजी सालों बाद उनकी बड़ी ननद मायके आई है तो मेरी समधन ने खास सिफारिश की है कि आज शादी मे उनकी अच्छे से खातिरदारी की जाये हिहिहिहिही ।


रज्जो - ओह ये बात है , फिर तो रग्डाई कर ही देन्गी मिल कर हम औरतें

रागिनी - आँहा , हम औरते नही हमारे यहा के मर्द करेंगे

रज्जो आंखे उठा - तो क्या वो सब भी
रागिनी - समधन की ओर पूरी छूट है और तीनो छेद भरने का हुक्म आया है हिहिहिही
रज्जो - अरे तो फिर तो फिल्म भी शूट होनी ही चाहिए हाहाहहा

रागिनी - वो भी कर लेंगे लेकिन पहले ये सोचो हमारे तरफ किस किस को मैदान मे उतारा जाये , राज के पापा तो मान भी जाये मगर वो और मै तो शादी मे ही फसे रहेंगे ।

रज्जो - तेरे जीजा को मै मना लूंगी

रागिनी - क्या सच मे जीजाजी तैयार हो जायेन्गे
रज्जो - जब उन्होने अपनी बहन नही छोड़ी तो ये फिर हिहिहिहिही
रागिनी - हम्म फिर और किसे आगे रखा जाये
रज्जो - अरे अपने देवर से बात कर ना

रागिनी थोडा असहज होकत - हा
जीजी लेकिन मैंने कभी ऐसा कुछ देवर जी से... मतलब हम लोग उतना आमने सामने खुल कर नही रहते और होली वाली बात के बाद तो और भी नही ।


रज्जो चहक कर - क्या होली पर ऐसा क्या हुआ था
रागिनी लजाती हुई - बस वही होली की मस्ती और देवर भौजाई वाली होली

रज्जो - हा लेकिन क्या ?

रागिनी शर्माती हुई गुलाबी गालो से - दरअसल मैने जब उनको अबीर से नहला दिया तो वो मुझे दौडाते हुए उपर छत पर बाथरूम के पास कोने तक ले गये और फिर उन्होने दबोचा।

रज्जो उत्तेजित होकर - फिर
रागिनी हस्ती हुई - फिर वही खिंचातानी और उन्होने मेरे पेट पर अबीर मलते हुए मुझे अपनी बाहो मे मसल ही डाला, मेरे जिस्म मे सिहरन सी हो गयी । होली की मस्तीयों मे खोई हुई मेरे जुबान भी फिसल गई थी मानो और जब उन्होने मेरी साडी हटा कर मेरे नाभि पर गुलाल मलते हुए कहा- आज मत रोको भौजी आज तो रंग लेने दो

रज्जो तेज सांसो से - तो ??
रागिनी - हिहिही फिर भरी मस्ती मे मेरी जुबान फिसल गयी कि " कहो तो चोली भी खोल दू "

रज्जो हस कर - सच्ची हिहिहिही

रागिनी हस्ते हुए - हा जीजी और फिर उन्होने जबरन मेरे जोबनो को ब्लाउज के उपर से मेरे दूध लाल हरे कर दिये थे और इतना मसला कि उफ्फ़

रज्जो अपनी पनियाती चूत
को जांघो से कस्ती हुई एक गहरी सास लेकर - हा तो फिर अब क्या दिक्कत है ?

रागिनी हस कर - दिक्कत वही है जीजी उस दिन होली की मस्तियो मे हम लोग कुछ ज्यादा ही बहक गये थे और अब हम दोनो एक दुसरे से थोड़ी झिझक होती है कि क्या क्या कह और कर गये थे हम लोग ।

रज्जो - हम्म्म ये भी है और तु तो तेरे देवर के साथ आगे बढ़ने नही वाली तो हिहिहिही

रागिनी - धत्त दीदी क्या आप भी अब क्या मै सबसे वही सब करती फिरू आप ही करो बाबा , मेरे से नही होगा हिहिहिही

रज्जो - अरे मत कर , लेकिन भाई तेरे देवर से तो तु ही बात करेगी ना , अब मेरा बात करना उचित तो होगा नही

रागिनी - हम्म्म वो भी है , अभी आने दो इनलोगो को अभी तो सैलून गये है ये लोग

रज्जो - अरे सैलून से याद आया वो मेकअप वाली कब आ रही है पुछा तुने सोनल से , अरे हम औरतों को भी थ्रेडिंग और वो स्पा और थोडा सा टचअप चाहिये ना ।

रागिनी - हिहिहिही हा जीजी बात हुई है वो दोपहर तक आ जायेगी ।


रज्जो - चल ठिक है फिर


अमन के घर

नास्ते के लिए सब लोग छत पर जमा थे
मगर महफिल की जान तो संगीता ही बनी हुई थी ।

भोला , ममता , मदन और मुरारी सब घूम फिर पर संगीता पर नजरे गडाये हुए थे ।

मुरारी भी बीती रात से मदन और संगीता पर नजरे रखे हुए था ।

नासते के दौरान भोला के कुछ बात चीत हुई तो उसे अपने जीजा के लिए अफसोस हुआ कि उसके साथ धोखा हो रहा है ।
मगर वो ये बात बस खुद के सीने मे दबा कर ही रह सकता था ।
मन मे सवालों और कल्पनाओ का तुफान उठ रहा था मुरारी के मन मे मगर वो खुद के जज्बात कैसे समेटे हुआ था वो ही जान रहा था ।

भोला - अरे भाई साहब मै क्या कहता हु , आप भी चलिये मेरे साथ सलून और फिर पता नही समय मिले ना मिले

मुरारी - नही तुम मदन हो आओ मै रुक के आऊंगा

भोला - अरे नही मदन भाई नही आ रहे है वो थोडा रुक के आयेंगे उन्हे जरा बाथरूम जाना है । दरअसल नाई ने फोन किया था मदन भाई के पास कि अभी वो खाली है तो मैने सोचा कि

मुरारी मदन के ना जाने पर खुश हुआ और भोला के साथ चल दिया , मगर घर के निकलने के बाद उसको शन्का हुइ कि मदन जरुर संगीता के साथ कुछ करेगा ।

ये ख्याल आते ही मुरारी की बेचैनी फिर से बढ गयी , उसके चेहरे पर चिंता की लाली उभरने लगी

उलझन भरे मानसिक हलचल मे वो घर से दूर आ पहुचा और उसके मन मे उठ रहे कल्पनाओ मे सागर ने उसकी चाल धीमी कर दी थी जिस्से भोला कुछ दुर आगे निकल आया था

भोला घूम कर मुरारी को आवाज दी - क्या हुआ भैया रुक क्यूँ गये ।

मुरारी चौका - हा !!
भोला - अरे पुछ रहा हु रुक क्यूँ गये ऐसे आप !!

मुरारी अपनी कुरते का जेब टटोलकर - कुछ नही वो पर्स भूल गया , तुम चलो मै लेके आता हु

भोला - अरे भैया मेरे पास पैसे है चलिये आप !!

मुरारी - नही नही वो नाई की दुकान के पास ही माली वाला है ना उसको पैसे भी देने है , तुम चलो मै जल्दी ही पहुच रहा हु , वैसे भी बैठना पडेगा ही वहा जाकर

भोला - ठिक है भैयया आप आओ मै चलता हू

भोला बजार की ओर निकल गाय
और मुरारी अपनी उफनाती सासो के साथ तेज कदमो से घर की ओर बढ गया ।

उसको घर से निकले अब तक 10 मिन्ट से ज्यादा हो गये थे और घर मे दाखिल होते ही लपक कर वो मदन के कमरे की ओर बढा मगर वहा कोई नही दिखा ।
निचे सब कुछ सुनसान पड़ा हुआ था , सारी चहल पहल उपर छत पर ही थी ।

मुरारी सरपट जीने से होकर संगीता का कमरा चेक किया वहा भी कोई नही , स्टोर रूम , अमन का कमरा , बाकी के दो कमरे सब बाहर से चटखनि लगे हुए थे , वो थोदा सुनिश्चित करने के लिए उपर गया , मगर वहा दोनो गायब दिखे ।


मुरारी की बेचैनी अब बढने लगी , वो एक बार फिर उपर से निचे सब देखता जांचता आया और तभी उसकी नजर सबसे निचे के फ्लोर पर हाल से पीछे बाथरूम की ओर जा रहे गलियारे पर गयि ।

एक बार फिर मुरारी का कलेजा धड़का ।
दबे पाव वो बाथरूम की ओर बढ़ गया और नतिजना उसका शक सही निकला

बाथरूम का दरवाजा बन्द था और मदन की हल्की सिसकियाँ उसे सुनाई दी

बाथरूम के बाहर दरवाजे के पास कान लगाये मुरारी ने आवाज सुनी

" उम्म्ंम्ं दिदीईईई उह्ह्ह ओह्ह्ह क्या चुसते हो आप उम्मममंं सीईईई "

मदन की उखड़ती सासो से निकलती आह सुनकर मुरारी के जिस्म मे भी सिहरन फैल ग्यी
मगर अब भी उसका गुस्सा उस पर हावी था , मुठ्ठियां भीच कर वो गुस्से से तनमनाया दरवाजे पर मुक्का मारने ही वाला था कि संगीता की आवाज आई - पहली बार किसी औरत का स्पर्श पाये हो ना भैया तो ऐसा ही लगेगा , कितनी जिद की हमने की कर लो शादी मगर तुम अपनी प्रेम कहानी के अधूरे पन्ने पटलते रह गये हुउह , अब इस उम्र मे औरत का स्पर्श तो अनोखा लगेगा ही


संगीता के शब्दों मे मुरारी की भीतर से झकझोर कर रख दिया और अगले ही पल मदन का उसके परिवार के लिए समर्पित जीवन का पुरा पोथा ही उलट पुलट होने ल्गा
मुरारी के खुद को रोक लिया और मदन को लेके उसका गुस्सा अब कम हो चुका था । मदन का अकेलापन घर मे जो कोई नही समझा वो उसकी अपनी बहन मे समझा , मगर अभी भी वो दो भाई बहनो के आपस के रिश्ते को लेके आहत था ।

मदन - ओह्ह दीदी मगर आपके छूने का अहसास ऊहह उम्म्ं और लोहहब ओह्ह मेरा आयेगाग्घ उम्म्ंम्ं सीईई ओह्ह दीईईदीईई उम्म्ंम्म्ं
मदन की आहे और संगीता के गले मे फसे लन्ड ही गुगूआहट ने मुरारी के लन्ड को तान दिया और उस्का दिल जोरो से धडकने लगा


बेचैन होकर वो तेज कदमो से बाहर चला गया और सलून की ओर बढ गया ।
इस बार वो अब पहले से ज्यादा उलझा हुआ मह्सुस कर रहा था , मदन को लेके उसकी भावना थोडी नरम हो चुकी थी वही संगीता का उसके भाई के लिए इस हद तक प्रेम उसकी समझ से परे था ।

ना जाने कौन सी परिस्थिति मे वो दोनो कैसे ? सवालों का नया रूप अब उसके जहन पर छा चुका था ।
खैर उलझे विचारो मे वो इस बात के लिए सुकरगुजार था कि सही समय पर उसने खुद को रोक लिया नही तो आज गुस्से वो क्या कर जाता ये उसे खुद नही पता था ।

छोटे भाई की खुशिओं के लिए वो भी चिंतित हुआ मगर उसमे सगी बहन का आना उसे खटक रहा था ।
विचारो मे उलझा मुरारी सलून आ चुका था और उसका न्म्बर भी आ गया था ।


राज के घर

इधर चाय की चुस्कियां चल रही थी वही सीढियों पर बैठे हुए अरुण-राहुल साथ मे गीता बबिता को निहार रहे थे ।

दोनो बहने भी कम ना थी , अच्छे से अपने नये दिवानो के इरादे समझकर मुस्कुरा रही थी आंखो ही आन्खो मे ।
मगर घर के बड़ो के बीच उनसे इतराया भी नही जा रहा था और ना ही अरुण-राहुल से खुल कर आंखे सेका जा रहा था ।

ऐसे मे रंगी-जंगी आते है ।
रंगी अपने कमरे मे चला जाता और जंगी शालिनी को उपर कपडे देने का बोल कर सीढियो से उपर चला जाता है ।

मौका देखकर रज्जो रागिनी को जंगी की ओर इशारा करती है तो रागिनी ने भी आंखो से सहमती दिखाई ।
रागिनी भी हाल से उठ कर जीने की ओर बढी - ओहो भाई तुम दोनो ऐसे रास्ते बाँधे काहे बैठे हो , और जगह नही मिली

अरुण और राहुल को डांट मिलने गीता-बबिता मुह फेर कर हस देती है ।
रागिनी उपर जाकर हाल मे ना रुक कर सीधे जीने से उपर चली जाती है
कुछ ही देर मे जंगीलाल कमर मे तौलिया लपेटे बनियान मे कन्धे पर कुर्ता पजामा रखे हुए उपर आता है और बाथरूम की ओर बढ़ ही रहा होता है कि

रागिनी झिझक भरे लहजे मे - अह देवर जी सुनिये

जंगी चौक कर - भ भाभी अ आप यहा , मतलब कहिये क्या हुआ

रागिनी जन्गी को बनियान और तौलिये मे देख कर असहज होती हुई नजरे फेर कर मुस्कुराने लगी - वो मुझे !! कैसे कहू

जन्गी चिंता के भाव मे - क्या हुआ भाभी कोई परेशानी वाली बात तो नही

रागिनी - नही नही , वो बस हिहिहिही दरअसल आज शादी मे मुझे आपकी एक मदद चाहिये

जंगी - हा भाभी बोलिए इसमे इतना झिझक क्यूँ , हम लोग आपके लिए ही तो है यहा

रागिनी - दरअसल आज मुझे पता चला है कि आज शाम बारात मे दूल्हे की बुआ आ रही है बड़ी वाली

जन्गी - हम्म तो ?
रागिनी हस्ती हुई - तो क्या ? अरे समधि की बहन आयेगी तो मेरे देवर डोरे नही डालेन्गे क्या उनपे हिहिहिही

जन्गी हस कर - हाहाहहा भाभी क्या आप भी !!!

रागिनी - मै मजाक नही कर रही हु
जंगी - मतलब सच मे ? इस उम्र मे ? दूल्हे की बुआ से ?

रागिनी - क्यू नही हो पायेगा ??
जन्गी - हो जायेगा लेकिन अगर बात आगे बढ गयी तो ?

रागिनी लजाती हुई हस कर - तो क्या , आपकी मेहनत का इनाम होगा आप जानो क्या करना है उसका हिहिहिहिही मगर एक शर्त है

जन्गी - क्या ?
रागिनी - अगर कोई मामला सेट हुआ तो उस फिल्म की वीडियो जरुर बना लिजियेगा हिहिहिही
जंगी - क्या वीडियो ? मगर क्यू ?

रागिनी - अरे ननद का वीडियो समधन को अच्छी कीमत पर बेचून्गी और क्या हिहिहिही

जन्गी - क्या भाभी आप भी ना हिहिहिही
रागिनी - ये बात बस हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए और याद रहे मेरी नाक नही कटनी चाहिये हिहिहिही

"पक्का भाभी , आपकी इज्जत को सम्भालना आखिर मेरा भी तो फर्ज है " , जन्गी ने रागिनी के साडी से झाकते जोबनो को निहारते हुए कहा ।
रागिनी जन्गी के शब्दों और उसकी निगाहो को भाप कर अपना पल्लू सही करते हुए बोली - ठिक है आप नहा लो मै जा रही हु


जन्गी - बस जा ही रही हो भाभी !!
रागिनी - क्यूँ कुछ काम था ?
जंगी हस्ता हुआ - जरा पीठ मल देती भाभी तो ...!! हाहाहहा

रागिनी लजाती हुई - धत आप भी ना हिहिहिही

रागिनी सरपट जीने से निचे चली गयी

जन्गी - आह्ह भौजी आज नही तो कल मलोगी मेरे तन को जरुर लेकिन आज रात ये नया माल पेलने को मिल जाये तो क्या ही मजा होगा । इस्स्स्स्स अह्ह्ह




रज्जो - कमलनाथ

कमलनाथ - उह्ह्ह जान ऐसे ही उम्म्ंम्ं सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो कमलनाथ का सुपाडा मुह से निकालती हुई - इतने दिन से तडप रहे थे ना मेरे राजाह्ह्ह उह्ह्ह कितना फूल गया है उम्म्ंम जी कर रहा है अभी इसको भर अपनी बुर मे उम्म्ंम

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कमलनाथ - तो भर लो ना मेरी जान उम्म्ंम सीईई उह्ह्ह
रज्जो - नही मेरे राजा अभी नही , शादी के बाद घर पर यहा कोई भी आजायेगा कभी भी उम्म्ंम्ं
कमलनाथ - आह्ह मेरी जान तो ऐसे कब तक मै उह्ह्ह उम्म्ं और लो ऊहह आयेगा उह्ह्ह सीईईई

रज्जो ने उसका लन्ड मुह मे भरे हुए आड़ो को मसलती हुई सुपाडा सुरकने लगि और कमलनाथ उसके मुह मे झड़ने लगा ।


उसका लन्ड साफ कर रज्जो इतराई - अगर नही कर सकते इंतजार तो आज रात बारात मे कोई आये उसी को पटा लो हिहिहिहिही

कमलनाथ - अच्छा जी
रज्जो - हम्म सुना है दूल्हे की बड़ी बुआ आ रही है , सगाई मे देखा था मैने पीछे से एकदम कसा माल है। मै तो कह रही हु कि उसी को हिहिहिही

कमलनाथ का मुसल फडका- क्या सच मे जान , तुम्हे कोई ऐतराज नही होगा

रज्जो अपने पति के गाल सहलती हुई - मेरे राजा की खुशी से बढ़ क्या होगा मेरे लिए उम्म्ं

कमलनाथ उसको बाहो मे कसते हुए - मगर क्या वो तैयार होगी
रज्जो - अरे बारात मे तो हम औरते चाह्ती ही है कि कोई हम पर भी फीदा हो और हमे भी निहारे , मगर इस फैशन के जमाने मे सारा गलैमर जवाँ छोरियां और भाभियाँ उड़ा ले जाती है और उस औरत को परखा है मैने सगाई मे वो लोगो की नजरों मे बनी हुई फिर रही थी ।

कमलनाथ - अगर ऐसी बात तो फिर मै तैयार हु
वही बाहर हाल मे धीरे धीरे लोगो की संख्या छट रही थी ।
धीरे धीरे सभी औरतों और लड़कियो का समूह उपर चला गया

जाते हुए भी बबिता और गीता आपस मे हस्ती हुई और राहुल-अरुण का मजाक बनाती हुई उपर जाने लगी ।

राहुल को चिढ़ हुई तो उसने भी वही जिने के पास खड़े खड़े अरुण से बोला - भाई अरुण एक बात ब्ताओगे

अरुण - पूछो भाई
राहुल की बातों पर बबिता का पुरा ध्यान था
राहुल - यार वो कौन सी चीज होती है जो देख कर डिलीट कर देना चाहिए

अरुण सोचने का नाटक करता है और वही बबिता की सासे अटक जाती है और उसे समझते देर नही लगती कि जब वो अपने बाबू सोना से लगी हुई थी तब राहुल ने सब कुछ सुन लिया था ।

उसके चेहरे की चमक अब हल्की हो चूकि थी और राहुल अरुण को लेके बाहर टहलने निकल जाता है ।
वही निचे से कमलनाथ भी नहाने के लिए उपर की छत पर कपडे लेके पहुचा हुआ था , मगर बाथरूम मे जंगी की वजह से वो छत से नजारे सेक रहा था

तभी उसकी नजर दो औरतों पर गयी जो घर से दूर पर ही थी और एक बड़ा बैग लेके टहलती हुई आ रही थी ।

नजदिकियां जब कम हुई तो पता चला कि जो फैशन झारती हुई चेहरे को सजाती अपने डीप गले के शार्ट टॉप और चर्बिदार कूल्हो पर कसी हुई जीन्स मे थी वो असल मे शादी शुदा थी और जबकी उसके साथ मे चल रही लड़की जो साधारण कुर्ती लेगी मे थी उसकी शादी नही हुई थी , मगर जोबन उस्के भी कसे हुए थे ।

उस जीन्स टॉप वाली महिला के कसे हुए गोरे जोबन की घाटी मंजिला छत से साफ साफ नजर आ रही थी
जिस्से कमलनाथ के कमर पर लिपटे गमछे मे तम्बू बन चुका था ।

कमलनाथ - आह्ह क्या माल है यारर

तभी उसके पास आकर खड़ा हुआ जंगी मुस्कुरा कर बोला - माल तो मस्त है ही भैया हाहाहाहा

कमलनाथ सकपकाया - अरे ज जंगी भाई त तुम , वो मै

जंगी हसता हुआ - अरे काहे परेशान हो रहे हो , साली को जानता हु । ये पार्लर वाली एक नम्बर की रन्डी है

कमलनाथ थुक गटक कर एक नजर निचे देखा तो वो राज के घर मे प्रवेश कर रही थी ।


कमलनाथ - मतलब मै समझा नही , आप जानते है इसको

जन्गी कमलनाथ की बात पर हसने लगा ।

जारी रहेगी
Dhashu update bhai ji
Ab dekhte h saddi wali rat me kiski chudai hoti h
Salini anuj ka bhi kuch karwao na bhai
Intjar rahega aap ke agle update ka
 

TharkiPo

I'M BACK
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UPDATE 189

10 बजने को हो रहे थे और घर की औरतें वापस आ चुकी थी ।
हाल मे बैठी हुई गप्प ठहाके लगाए जा रहे थे । घर मे मर्द जन सलून मे लाईनें लगवा कर बाल दाढ़ी बनवाने ब्यस्त थे ।
चंदू के घर मे भंडारी दोपहर का खाना बनाने मे लगे थे , जिनकी फिलहाल देखरेख राज के नाना के जिम्मे थी ।

इसी समय सोनल के मोबाइल पर अमन का फोन आता है , सोनल सबके सामने अमन का फोन झिझक मे call you back के मैसेज के साथ काट देती है ।

तभी उधर से अमन का मैसेज आता है कि मम्मी को बात करना है ।
सोनल फटाक से अमन का नम्बर रिडायल कर देती है ।

थोड़ी धीमी बातचीत के बाद सोनल फोन अपनी मा को दे देती है ।

रागिनी फोन लेके थोडा बात करती है और फिर उठकर अपने कमरे मे चली जाती है ।

रागिनी - हा समधन जी बोलिए अब

ममता हस कर - आस पास कोई है तो नही ना ,
रागिनी - नही बोलिए क्या बात है ?

ममता - देखिये ये बात सिर्फ आपके और मेरे बीच ही रहनी चाहिए और हिहिहिही

रागिनी - क्या हुआ बोलिए तो

ममता- दरअसल मुझे आपकी मदद
चाहिये थी
वोह्ह हिहिहिहिही

रागिनी के भी गाल खिल गये ममता की खिलखिलाहट भरी हसी सुन कर - अरे बताईये तो सही
ममता - वो क्या है इस बार सालों बाद मेरी बड़ी ननद आई है और मैने सोचा क्यू ना ननद रानी के साथ उनके मायके में ही थोड़ी मस्ती की जाये

रागिनी हसते हुए - हा हा क्यो नही , ननद की खातिरदारी मायके मे भौजाइयां ना करेगी तो कौन करेगा । तो बतायिये इसमे मै कैसे मदद कर सकती हूँ

ममता थोडा हिचक कर हसते हुए - हिहिही वो मै सोच रही थी कि उनकी खातिरदारी आपके यहा शादी मे हो जाये हिहिहिहिही

रागिनी खिलखिलाकर - हा हा क्यूँ नही ननद रानी पर दो चार छुट्टे सांड छोड़ ही दूँगी हिहिही

ममता - हा लेकिन कौन होगा और कैसे
रागिनी - वो सब मुझपे छोडिए लेकिन अगर आपका ये प्लान मैने सफल कर दिया तो बदले मे आपको भी मेरा एक काम करना पड़ेगा हिहिहिही

ममता - अरे आप जो कहेंगी हिहिही बस ननद रानी की जम कर रग्दाई होनी चाहिए

रागिनी - हम्म्म ठिक है चलिये और सब ठिक है ना

ममता - हा हा
इधर इनकी बातें हो रही थी वही भरी महफिल मे यूँ रागिनी के पास सोनल के ससुराल का सुबह सुबह फोन आने से घर के बाकी मेहमानो को थोड़ी चिंता होने लगी ।

शिला के कहने पर रज्जो उठ कर रागिनी के कमरे मे जायजा लेने पहुची तब तक रागिनी फोन काट चुकी थी ।

रज्जो - सब ठिक तो है ना छोटी
रागिनी मुस्कराते हुए गालों के साथ - हा जीजी क्या हुआ ।

रज्जो - वो सुबह सुबह ये सोनल के ससुराल वालों को फोन आया तो मुझे लगा.... सब कुछ ठिक है ना

रागिनी मुस्कुरा कर - हा जीजी सब ठिक है वो बस

रज्जो - हम्म्म समझ गयी कुछ दहेज की ही बात होगी , बता क्या फरमायिश की है अब सोनल की सास ने ?

रागिनी अपनी बहन के पास आकर उसके कन्धे पर हाथ रखती हुई मुस्कुरा कर बोली - जीजी फरमायिश तो समधन ने की है मगर हिहिहिही लेंगी नही देन्गी ?

रज्जो उलझन भरे लहजे मे - मतलब

रागिनी हस्ती हुई - अरे जीजी सालों बाद उनकी बड़ी ननद मायके आई है तो मेरी समधन ने खास सिफारिश की है कि आज शादी मे उनकी अच्छे से खातिरदारी की जाये हिहिहिहिही ।


रज्जो - ओह ये बात है , फिर तो रग्डाई कर ही देन्गी मिल कर हम औरतें

रागिनी - आँहा , हम औरते नही हमारे यहा के मर्द करेंगे

रज्जो आंखे उठा - तो क्या वो सब भी
रागिनी - समधन की ओर पूरी छूट है और तीनो छेद भरने का हुक्म आया है हिहिहिही
रज्जो - अरे तो फिर तो फिल्म भी शूट होनी ही चाहिए हाहाहहा

रागिनी - वो भी कर लेंगे लेकिन पहले ये सोचो हमारे तरफ किस किस को मैदान मे उतारा जाये , राज के पापा तो मान भी जाये मगर वो और मै तो शादी मे ही फसे रहेंगे ।

रज्जो - तेरे जीजा को मै मना लूंगी

रागिनी - क्या सच मे जीजाजी तैयार हो जायेन्गे
रज्जो - जब उन्होने अपनी बहन नही छोड़ी तो ये फिर हिहिहिहिही
रागिनी - हम्म फिर और किसे आगे रखा जाये
रज्जो - अरे अपने देवर से बात कर ना

रागिनी थोडा असहज होकत - हा
जीजी लेकिन मैंने कभी ऐसा कुछ देवर जी से... मतलब हम लोग उतना आमने सामने खुल कर नही रहते और होली वाली बात के बाद तो और भी नही ।


रज्जो चहक कर - क्या होली पर ऐसा क्या हुआ था
रागिनी लजाती हुई - बस वही होली की मस्ती और देवर भौजाई वाली होली

रज्जो - हा लेकिन क्या ?

रागिनी शर्माती हुई गुलाबी गालो से - दरअसल मैने जब उनको अबीर से नहला दिया तो वो मुझे दौडाते हुए उपर छत पर बाथरूम के पास कोने तक ले गये और फिर उन्होने दबोचा।

रज्जो उत्तेजित होकर - फिर
रागिनी हस्ती हुई - फिर वही खिंचातानी और उन्होने मेरे पेट पर अबीर मलते हुए मुझे अपनी बाहो मे मसल ही डाला, मेरे जिस्म मे सिहरन सी हो गयी । होली की मस्तीयों मे खोई हुई मेरे जुबान भी फिसल गई थी मानो और जब उन्होने मेरी साडी हटा कर मेरे नाभि पर गुलाल मलते हुए कहा- आज मत रोको भौजी आज तो रंग लेने दो

रज्जो तेज सांसो से - तो ??
रागिनी - हिहिही फिर भरी मस्ती मे मेरी जुबान फिसल गयी कि " कहो तो चोली भी खोल दू "

रज्जो हस कर - सच्ची हिहिहिही

रागिनी हस्ते हुए - हा जीजी और फिर उन्होने जबरन मेरे जोबनो को ब्लाउज के उपर से मेरे दूध लाल हरे कर दिये थे और इतना मसला कि उफ्फ़

रज्जो अपनी पनियाती चूत
को जांघो से कस्ती हुई एक गहरी सास लेकर - हा तो फिर अब क्या दिक्कत है ?

रागिनी हस कर - दिक्कत वही है जीजी उस दिन होली की मस्तियो मे हम लोग कुछ ज्यादा ही बहक गये थे और अब हम दोनो एक दुसरे से थोड़ी झिझक होती है कि क्या क्या कह और कर गये थे हम लोग ।

रज्जो - हम्म्म ये भी है और तु तो तेरे देवर के साथ आगे बढ़ने नही वाली तो हिहिहिही

रागिनी - धत्त दीदी क्या आप भी अब क्या मै सबसे वही सब करती फिरू आप ही करो बाबा , मेरे से नही होगा हिहिहिही

रज्जो - अरे मत कर , लेकिन भाई तेरे देवर से तो तु ही बात करेगी ना , अब मेरा बात करना उचित तो होगा नही

रागिनी - हम्म्म वो भी है , अभी आने दो इनलोगो को अभी तो सैलून गये है ये लोग

रज्जो - अरे सैलून से याद आया वो मेकअप वाली कब आ रही है पुछा तुने सोनल से , अरे हम औरतों को भी थ्रेडिंग और वो स्पा और थोडा सा टचअप चाहिये ना ।

रागिनी - हिहिहिही हा जीजी बात हुई है वो दोपहर तक आ जायेगी ।


रज्जो - चल ठिक है फिर


अमन के घर

नास्ते के लिए सब लोग छत पर जमा थे
मगर महफिल की जान तो संगीता ही बनी हुई थी ।

भोला , ममता , मदन और मुरारी सब घूम फिर पर संगीता पर नजरे गडाये हुए थे ।

मुरारी भी बीती रात से मदन और संगीता पर नजरे रखे हुए था ।

नासते के दौरान भोला के कुछ बात चीत हुई तो उसे अपने जीजा के लिए अफसोस हुआ कि उसके साथ धोखा हो रहा है ।
मगर वो ये बात बस खुद के सीने मे दबा कर ही रह सकता था ।
मन मे सवालों और कल्पनाओ का तुफान उठ रहा था मुरारी के मन मे मगर वो खुद के जज्बात कैसे समेटे हुआ था वो ही जान रहा था ।

भोला - अरे भाई साहब मै क्या कहता हु , आप भी चलिये मेरे साथ सलून और फिर पता नही समय मिले ना मिले

मुरारी - नही तुम मदन हो आओ मै रुक के आऊंगा

भोला - अरे नही मदन भाई नही आ रहे है वो थोडा रुक के आयेंगे उन्हे जरा बाथरूम जाना है । दरअसल नाई ने फोन किया था मदन भाई के पास कि अभी वो खाली है तो मैने सोचा कि

मुरारी मदन के ना जाने पर खुश हुआ और भोला के साथ चल दिया , मगर घर के निकलने के बाद उसको शन्का हुइ कि मदन जरुर संगीता के साथ कुछ करेगा ।

ये ख्याल आते ही मुरारी की बेचैनी फिर से बढ गयी , उसके चेहरे पर चिंता की लाली उभरने लगी

उलझन भरे मानसिक हलचल मे वो घर से दूर आ पहुचा और उसके मन मे उठ रहे कल्पनाओ मे सागर ने उसकी चाल धीमी कर दी थी जिस्से भोला कुछ दुर आगे निकल आया था

भोला घूम कर मुरारी को आवाज दी - क्या हुआ भैया रुक क्यूँ गये ।

मुरारी चौका - हा !!
भोला - अरे पुछ रहा हु रुक क्यूँ गये ऐसे आप !!

मुरारी अपनी कुरते का जेब टटोलकर - कुछ नही वो पर्स भूल गया , तुम चलो मै लेके आता हु

भोला - अरे भैया मेरे पास पैसे है चलिये आप !!

मुरारी - नही नही वो नाई की दुकान के पास ही माली वाला है ना उसको पैसे भी देने है , तुम चलो मै जल्दी ही पहुच रहा हु , वैसे भी बैठना पडेगा ही वहा जाकर

भोला - ठिक है भैयया आप आओ मै चलता हू

भोला बजार की ओर निकल गाय
और मुरारी अपनी उफनाती सासो के साथ तेज कदमो से घर की ओर बढ गया ।

उसको घर से निकले अब तक 10 मिन्ट से ज्यादा हो गये थे और घर मे दाखिल होते ही लपक कर वो मदन के कमरे की ओर बढा मगर वहा कोई नही दिखा ।
निचे सब कुछ सुनसान पड़ा हुआ था , सारी चहल पहल उपर छत पर ही थी ।

मुरारी सरपट जीने से होकर संगीता का कमरा चेक किया वहा भी कोई नही , स्टोर रूम , अमन का कमरा , बाकी के दो कमरे सब बाहर से चटखनि लगे हुए थे , वो थोदा सुनिश्चित करने के लिए उपर गया , मगर वहा दोनो गायब दिखे ।


मुरारी की बेचैनी अब बढने लगी , वो एक बार फिर उपर से निचे सब देखता जांचता आया और तभी उसकी नजर सबसे निचे के फ्लोर पर हाल से पीछे बाथरूम की ओर जा रहे गलियारे पर गयि ।

एक बार फिर मुरारी का कलेजा धड़का ।
दबे पाव वो बाथरूम की ओर बढ़ गया और नतिजना उसका शक सही निकला

बाथरूम का दरवाजा बन्द था और मदन की हल्की सिसकियाँ उसे सुनाई दी

बाथरूम के बाहर दरवाजे के पास कान लगाये मुरारी ने आवाज सुनी

" उम्म्ंम्ं दिदीईईई उह्ह्ह ओह्ह्ह क्या चुसते हो आप उम्मममंं सीईईई "

मदन की उखड़ती सासो से निकलती आह सुनकर मुरारी के जिस्म मे भी सिहरन फैल ग्यी
मगर अब भी उसका गुस्सा उस पर हावी था , मुठ्ठियां भीच कर वो गुस्से से तनमनाया दरवाजे पर मुक्का मारने ही वाला था कि संगीता की आवाज आई - पहली बार किसी औरत का स्पर्श पाये हो ना भैया तो ऐसा ही लगेगा , कितनी जिद की हमने की कर लो शादी मगर तुम अपनी प्रेम कहानी के अधूरे पन्ने पटलते रह गये हुउह , अब इस उम्र मे औरत का स्पर्श तो अनोखा लगेगा ही


संगीता के शब्दों मे मुरारी की भीतर से झकझोर कर रख दिया और अगले ही पल मदन का उसके परिवार के लिए समर्पित जीवन का पुरा पोथा ही उलट पुलट होने ल्गा
मुरारी के खुद को रोक लिया और मदन को लेके उसका गुस्सा अब कम हो चुका था । मदन का अकेलापन घर मे जो कोई नही समझा वो उसकी अपनी बहन मे समझा , मगर अभी भी वो दो भाई बहनो के आपस के रिश्ते को लेके आहत था ।

मदन - ओह्ह दीदी मगर आपके छूने का अहसास ऊहह उम्म्ं और लोहहब ओह्ह मेरा आयेगाग्घ उम्म्ंम्ं सीईई ओह्ह दीईईदीईई उम्म्ंम्म्ं
मदन की आहे और संगीता के गले मे फसे लन्ड ही गुगूआहट ने मुरारी के लन्ड को तान दिया और उस्का दिल जोरो से धडकने लगा


बेचैन होकर वो तेज कदमो से बाहर चला गया और सलून की ओर बढ गया ।
इस बार वो अब पहले से ज्यादा उलझा हुआ मह्सुस कर रहा था , मदन को लेके उसकी भावना थोडी नरम हो चुकी थी वही संगीता का उसके भाई के लिए इस हद तक प्रेम उसकी समझ से परे था ।

ना जाने कौन सी परिस्थिति मे वो दोनो कैसे ? सवालों का नया रूप अब उसके जहन पर छा चुका था ।
खैर उलझे विचारो मे वो इस बात के लिए सुकरगुजार था कि सही समय पर उसने खुद को रोक लिया नही तो आज गुस्से वो क्या कर जाता ये उसे खुद नही पता था ।

छोटे भाई की खुशिओं के लिए वो भी चिंतित हुआ मगर उसमे सगी बहन का आना उसे खटक रहा था ।
विचारो मे उलझा मुरारी सलून आ चुका था और उसका न्म्बर भी आ गया था ।


राज के घर

इधर चाय की चुस्कियां चल रही थी वही सीढियों पर बैठे हुए अरुण-राहुल साथ मे गीता बबिता को निहार रहे थे ।

दोनो बहने भी कम ना थी , अच्छे से अपने नये दिवानो के इरादे समझकर मुस्कुरा रही थी आंखो ही आन्खो मे ।
मगर घर के बड़ो के बीच उनसे इतराया भी नही जा रहा था और ना ही अरुण-राहुल से खुल कर आंखे सेका जा रहा था ।

ऐसे मे रंगी-जंगी आते है ।
रंगी अपने कमरे मे चला जाता और जंगी शालिनी को उपर कपडे देने का बोल कर सीढियो से उपर चला जाता है ।

मौका देखकर रज्जो रागिनी को जंगी की ओर इशारा करती है तो रागिनी ने भी आंखो से सहमती दिखाई ।
रागिनी भी हाल से उठ कर जीने की ओर बढी - ओहो भाई तुम दोनो ऐसे रास्ते बाँधे काहे बैठे हो , और जगह नही मिली

अरुण और राहुल को डांट मिलने गीता-बबिता मुह फेर कर हस देती है ।
रागिनी उपर जाकर हाल मे ना रुक कर सीधे जीने से उपर चली जाती है
कुछ ही देर मे जंगीलाल कमर मे तौलिया लपेटे बनियान मे कन्धे पर कुर्ता पजामा रखे हुए उपर आता है और बाथरूम की ओर बढ़ ही रहा होता है कि

रागिनी झिझक भरे लहजे मे - अह देवर जी सुनिये

जंगी चौक कर - भ भाभी अ आप यहा , मतलब कहिये क्या हुआ

रागिनी जन्गी को बनियान और तौलिये मे देख कर असहज होती हुई नजरे फेर कर मुस्कुराने लगी - वो मुझे !! कैसे कहू

जन्गी चिंता के भाव मे - क्या हुआ भाभी कोई परेशानी वाली बात तो नही

रागिनी - नही नही , वो बस हिहिहिही दरअसल आज शादी मे मुझे आपकी एक मदद चाहिये

जंगी - हा भाभी बोलिए इसमे इतना झिझक क्यूँ , हम लोग आपके लिए ही तो है यहा

रागिनी - दरअसल आज मुझे पता चला है कि आज शाम बारात मे दूल्हे की बुआ आ रही है बड़ी वाली

जन्गी - हम्म तो ?
रागिनी हस्ती हुई - तो क्या ? अरे समधि की बहन आयेगी तो मेरे देवर डोरे नही डालेन्गे क्या उनपे हिहिहिही

जन्गी हस कर - हाहाहहा भाभी क्या आप भी !!!

रागिनी - मै मजाक नही कर रही हु
जंगी - मतलब सच मे ? इस उम्र मे ? दूल्हे की बुआ से ?

रागिनी - क्यू नही हो पायेगा ??
जन्गी - हो जायेगा लेकिन अगर बात आगे बढ गयी तो ?

रागिनी लजाती हुई हस कर - तो क्या , आपकी मेहनत का इनाम होगा आप जानो क्या करना है उसका हिहिहिहिही मगर एक शर्त है

जन्गी - क्या ?
रागिनी - अगर कोई मामला सेट हुआ तो उस फिल्म की वीडियो जरुर बना लिजियेगा हिहिहिही
जंगी - क्या वीडियो ? मगर क्यू ?

रागिनी - अरे ननद का वीडियो समधन को अच्छी कीमत पर बेचून्गी और क्या हिहिहिही

जन्गी - क्या भाभी आप भी ना हिहिहिही
रागिनी - ये बात बस हम दोनो के बीच ही रहनी चाहिए और याद रहे मेरी नाक नही कटनी चाहिये हिहिहिही

"पक्का भाभी , आपकी इज्जत को सम्भालना आखिर मेरा भी तो फर्ज है " , जन्गी ने रागिनी के साडी से झाकते जोबनो को निहारते हुए कहा ।
रागिनी जन्गी के शब्दों और उसकी निगाहो को भाप कर अपना पल्लू सही करते हुए बोली - ठिक है आप नहा लो मै जा रही हु


जन्गी - बस जा ही रही हो भाभी !!
रागिनी - क्यूँ कुछ काम था ?
जंगी हस्ता हुआ - जरा पीठ मल देती भाभी तो ...!! हाहाहहा

रागिनी लजाती हुई - धत आप भी ना हिहिहिही

रागिनी सरपट जीने से निचे चली गयी

जन्गी - आह्ह भौजी आज नही तो कल मलोगी मेरे तन को जरुर लेकिन आज रात ये नया माल पेलने को मिल जाये तो क्या ही मजा होगा । इस्स्स्स्स अह्ह्ह




रज्जो - कमलनाथ

कमलनाथ - उह्ह्ह जान ऐसे ही उम्म्ंम्ं सीईईई ओह्ह्ह
रज्जो कमलनाथ का सुपाडा मुह से निकालती हुई - इतने दिन से तडप रहे थे ना मेरे राजाह्ह्ह उह्ह्ह कितना फूल गया है उम्म्ंम जी कर रहा है अभी इसको भर अपनी बुर मे उम्म्ंम

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कमलनाथ - तो भर लो ना मेरी जान उम्म्ंम सीईई उह्ह्ह
रज्जो - नही मेरे राजा अभी नही , शादी के बाद घर पर यहा कोई भी आजायेगा कभी भी उम्म्ंम्ं
कमलनाथ - आह्ह मेरी जान तो ऐसे कब तक मै उह्ह्ह उम्म्ं और लो ऊहह आयेगा उह्ह्ह सीईईई

रज्जो ने उसका लन्ड मुह मे भरे हुए आड़ो को मसलती हुई सुपाडा सुरकने लगि और कमलनाथ उसके मुह मे झड़ने लगा ।


उसका लन्ड साफ कर रज्जो इतराई - अगर नही कर सकते इंतजार तो आज रात बारात मे कोई आये उसी को पटा लो हिहिहिहिही

कमलनाथ - अच्छा जी
रज्जो - हम्म सुना है दूल्हे की बड़ी बुआ आ रही है , सगाई मे देखा था मैने पीछे से एकदम कसा माल है। मै तो कह रही हु कि उसी को हिहिहिही

कमलनाथ का मुसल फडका- क्या सच मे जान , तुम्हे कोई ऐतराज नही होगा

रज्जो अपने पति के गाल सहलती हुई - मेरे राजा की खुशी से बढ़ क्या होगा मेरे लिए उम्म्ं

कमलनाथ उसको बाहो मे कसते हुए - मगर क्या वो तैयार होगी
रज्जो - अरे बारात मे तो हम औरते चाह्ती ही है कि कोई हम पर भी फीदा हो और हमे भी निहारे , मगर इस फैशन के जमाने मे सारा गलैमर जवाँ छोरियां और भाभियाँ उड़ा ले जाती है और उस औरत को परखा है मैने सगाई मे वो लोगो की नजरों मे बनी हुई फिर रही थी ।

कमलनाथ - अगर ऐसी बात तो फिर मै तैयार हु
वही बाहर हाल मे धीरे धीरे लोगो की संख्या छट रही थी ।
धीरे धीरे सभी औरतों और लड़कियो का समूह उपर चला गया

जाते हुए भी बबिता और गीता आपस मे हस्ती हुई और राहुल-अरुण का मजाक बनाती हुई उपर जाने लगी ।

राहुल को चिढ़ हुई तो उसने भी वही जिने के पास खड़े खड़े अरुण से बोला - भाई अरुण एक बात ब्ताओगे

अरुण - पूछो भाई
राहुल की बातों पर बबिता का पुरा ध्यान था
राहुल - यार वो कौन सी चीज होती है जो देख कर डिलीट कर देना चाहिए

अरुण सोचने का नाटक करता है और वही बबिता की सासे अटक जाती है और उसे समझते देर नही लगती कि जब वो अपने बाबू सोना से लगी हुई थी तब राहुल ने सब कुछ सुन लिया था ।

उसके चेहरे की चमक अब हल्की हो चूकि थी और राहुल अरुण को लेके बाहर टहलने निकल जाता है ।
वही निचे से कमलनाथ भी नहाने के लिए उपर की छत पर कपडे लेके पहुचा हुआ था , मगर बाथरूम मे जंगी की वजह से वो छत से नजारे सेक रहा था

तभी उसकी नजर दो औरतों पर गयी जो घर से दूर पर ही थी और एक बड़ा बैग लेके टहलती हुई आ रही थी ।

नजदिकियां जब कम हुई तो पता चला कि जो फैशन झारती हुई चेहरे को सजाती अपने डीप गले के शार्ट टॉप और चर्बिदार कूल्हो पर कसी हुई जीन्स मे थी वो असल मे शादी शुदा थी और जबकी उसके साथ मे चल रही लड़की जो साधारण कुर्ती लेगी मे थी उसकी शादी नही हुई थी , मगर जोबन उस्के भी कसे हुए थे ।

उस जीन्स टॉप वाली महिला के कसे हुए गोरे जोबन की घाटी मंजिला छत से साफ साफ नजर आ रही थी
जिस्से कमलनाथ के कमर पर लिपटे गमछे मे तम्बू बन चुका था ।

कमलनाथ - आह्ह क्या माल है यारर

तभी उसके पास आकर खड़ा हुआ जंगी मुस्कुरा कर बोला - माल तो मस्त है ही भैया हाहाहाहा

कमलनाथ सकपकाया - अरे ज जंगी भाई त तुम , वो मै

जंगी हसता हुआ - अरे काहे परेशान हो रहे हो , साली को जानता हु । ये पार्लर वाली एक नम्बर की रन्डी है

कमलनाथ थुक गटक कर एक नजर निचे देखा तो वो राज के घर मे प्रवेश कर रही थी ।


कमलनाथ - मतलब मै समझा नही , आप जानते है इसको

जन्गी कमलनाथ की बात पर हसने लगा ।

जारी रहेगी
Behtareen update Mitra, is update ne to utsukata ko aur badha diya hai, naye naye sameekaran bade hi lubhawane ban rahe hain, besabri se intezar agale update ka
 
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