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Abhaar dostgood one bhai...
DREAMBOY40
Sala mujhe ye nhi samaj ata ki mai apni fantacy share krta hu to logo ko kyu mirchi lagti h bhai unko nhi pasand ata h to kyu mere comment me post krte h yrrr
Sahi kaha DREAMBOY40 bhai...चोदू ज्ञान =>> अपनी आवाज और लौडा सही जगह उठानी चाहिये
यहा लोग तुमको नही मेरे स्टोरी पढने आते है
मोरल ऑफ दि स्टोरी ये है कि अपनी थ्रीड ओपेन करो और वहा लिखो । तुमको सपोर्ट करने वाली ऑडीएनस भी मिलेगी ।
Sangita aur madan ka accha chal raha hai... Dheere dheere aage badenge
Jab likhunga jab mood hoga... abhi bakchodi ka mood chal raha haiUpdate kab tak ayega
Behatreen update mitra, lagta hai har or chudai ka nasha chadha hai, har kamre se aah ooh sunai degi jaldi hi, kuch naye kirdaron ka samanvay bhi acha lag raha hai, bas ek nivedan ki naye kirdaron ke sath sath jo mukhya kirdar hain un par bhi dhyan banaye rakhein, Bahut dino se Ragini ko sookha hi rakh rahe ho uske bhi jalwe dikhao, ab to Rangi- Jangi bhi aapas mein khul chuke hain,UPDATE 183 B
अमन के घर
संगीता और भोला की योजना सुबह से ही शुरु हो गयी थी ।
मदन का कमरा नीचे ही हाल से लगा हुआ था । अकेले रहने और हाल से सटे होने के नाते अक्सर उसका कमरा एक गेस्ट रूम मे तौर भी यूज़ हो जाता था ।
दृश्य 01
निचे किचन मे महिलाए मिलकर नास्ते की तैयारियाँ कर रही थी और वही मदन मुरारी और एक दो जन आपस मे बैठे बाते कर रहे थे । भोला अभी उपर अपने कमरे मे था ।
तभी मुरारी और मदन की बात चीत से संगीता को भनक हुई कि मदन कुछ ही देर मे स्टोर रूम से समान लेके उपर छत पर जायेगा ।
संगीता को ये समय अपनी योजना के लिए सही लगा और वो किचन से निकल कर चुपचाप उपर कमरे मे चली गयी । उसने भोला को मदन के उपर आने की खबर दी और दोनो तैयार होने लगे ।
उपर फिल्हाल कोई नही था , संगीता और भोला दरवाजा खोलकर अपने कमरे मे खड़े थे इस इंतेजार मे कि कब मदन उनके बगल के कमरे का दरवाजा खोलता है ।
कुछ ही मिंट मे सीढियो से आहट हुई और जैसे ही बगल एक स्टोर रूम के दरवाजे पर खटपट हुई , दोनो ने अपना ड्रामा शुरु कर दिया ।
भोला तेज फुसफुसाहट भरी आवाज मे - ओहो संगीता सीई अह्ह्ह ठहर जाओ , मुरारी भाई ने मुझे निचे बुलाया है ।
संगीता - नह्ह प्लीज बस थोड़ी देर ना ऊहह प्लीज ना रिंकि के पापा
अपनी बहन और जीजा के फुसफुसाहट भरे संवाद ने मदन का ध्यान उनकी ओर खिंच और उसके गतिमान हाथ जड़ हो गये ।
उसने अपने सतर्क कान गरदन बढा कर अपनी बहन के कमरे की ओर किये इस जिज्ञासा मे कि आखिर किस बात के लिए उसकी दीदी अपने पति से जिद कर रही है ।
भोला - नही संगीता समझो ना , इस समय हम रिस्क नही ले सकते , रात मे देखते है ना ।
भोला की बातो ने मदन की उत्सुकता और बढा दी , उसकी धडकने भी तेज हुई कि आखिर उसके दीदी जीजा किस बारे मे बात कर रहे है । एक रिटार्य आर्मी जवाँ रहने के नाते उसके जहन मे कई सारे नकारात्मक ख्याल आ रहे थे । मगर बिना सच्चाई जाने वो किसी भी निष्कर्ष पर नही जा सकता था । आखिर ये लोग उसके अपने थे ।
तभी संगीता की आवाज आई - रात मे कैसे करोगे ? रात मे रिंकि भी तो यही सोती है प्लीज मान जाओ ना , क्यू तडपा रहे हो देखो ना मेरे दुध भी कडे हो रहे है प्लीज ।
अपनी बहन की बात सुनते ही मदन के कान खड़े हो गये और उसकी आंखे फैल गयी साथ ही चेहरे पर मुस्कान आ गयी कि वो फालतू ही शक कर रहा था , यहा उसकी बहन रोमैंटिक बाते कर रहे है । वही उसे इस बात की भी भनक नही हो पाई कि धिरे धिरे उसका मुसल सर उठाने लगा था ।
भोला - ओहो मेरी जान प्लीज बस दो दिन और रुक जाओ ना , फिर तुम जितना कहोगी उतना चोदूंगा पूरी रात कस कस के
संगीता ने एक गहरी आह भरी - लेकिन मेरा अभी मन है ना
भोला - नही संगीता मुझे जाना होगा मुरारी भाई वेट कर रहे है
मदन को लगा कि भोला अभी निकलेगा इसीलिए वो झटके से दरवाजा खोलकर स्टोर रूम मे घुस गया और भोला सरपट निचे चला गया
तभी संगीता भी दरवाजे से बाहर निकलती है और तुनकते हुए - इनके तो अलग ही नखरे है , ना जाने किस मिट्टी के बने है हुउह
अपनी बहन की किरकिरी होने पर मदन की हसी छुट जाती है और वो उसे औरत का ये रूप देखकर अलग ही तरह का आनंद होता है ।
मगर उसने कभी सोचा भी कि उसकी अपनी सगी बहन इतनी कामुक होगी ।
मदन एक पल को सोचता है कि अगर उसकी प्रेमिका होती तो क्या वो भी ऐसे ही जिद दिखाती । मदन मुस्कुराता है और वापस काम मे लग जाता है ।
इधर भोला और संगीता सीढ़ी पर आकर मिलते है और खिलखिला कर एक दुसरे को ताली देते है ।
दृश्य 02
मदन उपर छ्त पर समान पहुचा रहा होता है इस दौरान मुरारी और अन्य जन नास्ता करके बगल के हाते मे खाने का प्रबंध देखने चले जाते है जहा 500 लोगो को आज दोपहर "हल्दी का भात " खाने का निमंत्रण दिया गया था ।
ममता भोला के लिए नासता लाने को होती है मगर भोला मदन के आने का इन्तेजार करता और जब मदन आता है तो दोनो साथ बैठ जाते है अलग अलग सोफे पर ।
मदन भोला के बाये हाथ के सोफे पर बैठा था । सामने कांच का टेबल रखा हुआ था और जिस पर चाय पकोड़े चिप्स रखे थे ।
तभी भोला ने संगीता को अवाज दी कि वो पानी लेके आये ।
मदन अखबार लेके बैठा हुआ पकोड़े नोच रहा था तभी संगीता पानी लेके आई और भोला देने लगी ।
भोला ने संगीता को मदन की ओर इशारा किया कि ये अख्बार मे ध्यान मगन है इसका ध्यान भंग करो ।
संगीता मुस्कुराई और पानी भरा स्टील गिलास छन्न करके फर्श पर गिरा दिया ।
मदन - अरे क्या हुआ
भोला - कुछ नही भाईसाहब वो रिंकि की मा से पानी गिर गया
"जाओ जल्दी से कपडा लाओ कोई गिर जायेगा भई " , संगीता भागी भागी किचन गयी और अपने चुचे उछालते हुए तेजी से हाल मे आने लगी ।
अपनी बहन की उछलती चुचिय देख कर मदन ने नजरे फेर ली और जबरन अखबार मे नजरे जमाने लगा ।
आन्खे उसकी शब्दो को निहार तो रही थी मगर उसके जहन मे अपने दीदी को देखने की चाह हो रही थी ।
तभी उसने अक्बार का कोना उंगलियो से मोड़ते हुए कनअखियो से संगीता की ओर देखा तो वो झेप गया ।
सामने संगीता अपने पति से नजरे मिलाती हुई उसे रिझाने के इरादे से अपने साडी का पल्लू सीने से थोडा निचे उतारते हुए अपने डीप गले से अपने गोरे स्तन के उभारो का दरशन भोला को करवाति हुई एक पोछा से पानी बालटी मे गार रही थी
तभी मदन की नजर अपनी बहन की गुदाज गहरी नाभि पर गयी जिसे देखते ही मदन का मुसल सर उठाने लगा और उसके मुह मे पानी भरने लगा ।
थुक गटक कर उसने अपनी बहन का कामोत्तेजक रूप देखा उसकी सासे फुलने लगी और फिर संगीता उठी । बालटी लेके अपने मादक कुल्हे हिलाती हुई किचन मे चली गयी ।
वही मदन इस बात से बेफिकर था कि शायद अखबार की आड़ मे उसे किसी ने देखा नही मगर भोला की तेज नजरो ने अपने साले को गरदन घुमा कर उसकी बहन के मटकते चुतड देखता पकड लिया था ।
भोला अपनी योजना पर मुस्कराया और चाय की चुस्की लेने लगा ।
मगर मदन भीतर से पुरा बेचैन हुआ पड़ा था , आज ना जाने कैसे संजोग उसके साथ हो रहे थे उसे जरा भी समझ नही आ रहा था ।
तभी संगीता ने किचन से निकलते हुए ममता को बोला - भाभी मेरी साडी भीग गयी है मै बदल के आती हु ।
फिर उसने एक शरारत भरी नजरो से भोला को देखा और उपर आने का इशारा किया ।
भोला ने मुस्कुरा कर ना मे सर झटक दिया ।
वही मदन इस बात पर खुश हो रहा था कि दोनो कितने नादान है उनहे लग रहा है जैसे उनकी लुकाछिपी कोई देख नही रहा है ।
मगर उसे क्या पता वो खुद अपनी बहन की साजिश मे शिकार हुआ जा रहा था ।
इधर मदन को लगा कि शायद कुछ देर मे भोला उपर जायेगा मगर भोला जरा भी अपनी जगह से नही हिला और मदन को भोला से ईर्ष्या होने लगी कि क्यू वो अपनी बीवी के पास नही जा रहा है जबकी वो उसे रिझाये जा रही है ।
अगर कोई मदन को सामने से बोलता कि " उसे ये जलन भरी भावना इसीलिए हो रही है कि उसे अपनी बहन का जिस्म देखने का मौका नही मिल पाया " , तो शायद मदन इस बात को कभी नही स्वीकारता मगर कारण तो यही था । भोला के जेंटलमैन वाले व्यव्हार ने मदन के जहन मे एक जलन वाली भावना भर दी , उसे लगने लगा कि भोला तो उसकी बहन की कदर ही नही जानता ।
मगर हकिकत से अंजान मदन समझ नही पाया कि उसके भीतर उठ रही भावना भी भी उन दोनो की चाल थी जिससे मदन संगीता के लिए थोडा पोजेसिव हो जाये ।
शकुन्तला के घर
बाथरूम से निकल कर शकुन्तला इतराती हुई अपने चुतड ऐसे ढंग से मटका कर चल रही थी मानो उसकी जवानी के दिन लौट आये ।
सीने मे गजब का फुलाव , कमर तनी हुई पूरी लचक खा रही थी , उसके गीले बालो को झटकते हुए उसने अपने जिस्म को निहारा और आईने मे राज को बेहाल देख कर एक शरारत भरी मुस्करा बिखेर दी ।
सामने जोबन पर लगी तौलिये की गाठ को ऊँगलीयो से उधेड़ते हुए उसने अपने बाहो को फैलाया और पीठ रगड़ती हुई उपर ले गयि ।
इस बात से बखूबी जानकर की उस छीने से तौलिये मे निचे उसके उजले मलायम चुतड बेपरदा हो जायेंगे ।
ताई की नंगी गुदाज गाड़ देख कर राज की सासे फुलने लगी और लन्ड जोर जोर से फुदकने लगा ।
राज ने जोर से अपना मुसल भींच कर मन को तसल्ली दी कि अभी कुछ पल रुक जा
तभी शकुन्तला ने अपने बाहे समेटते हुए तौलिया निचे किया और इस कामुक ढंग से ऐसे शरारती ढंग से किया कि राज को उसके गाड़ भूरे दरारो की शुरुवात झलक मिलती रहे और ऐसे ही उसने गरदन फेर कर उसकी ओर तनिक भर देखा और मन ही मन चहक उठी ।
बिना एक पल गवाये राज की उत्तेजना बढाते हुए उसने वो तौलिया वही जमीन पर गिरा कर आगे बिस्तर की ओर बढ़ गयी
नगन गोरे गुदाज चुतडो की मादक थिरकन देख कर राज का सुपाडा फ़नकार मारने लगा , जोरो की जलन सी होने लगी ।
वही शकुन्तला ने बिना राज की ओर देखे उसके ओर अपने तंदुरुस्त नितंब फैलाये उनपे पैंटी चढाने लगी ।
राज वही हाल के बैठा कमरे के सारे नजारे देखता रहा और धिरे धीरे करके शकुन्तला एक एक करके अपने जिस्म को धकने लगी ।
सुखे नरम चुचो की दरश के आश मे राज के होठ सुखे जा रहे थे मगर शकुन्तला ने छटाक भर ना पलटी और उसकी ओर पीठ किये ब्रा पहन ली और फिर ब्लाऊज के हुक लगाते हुए पलटी ।
उज्ले पेट पर गहरी नाभि के तुरंत निचे पेतिकोट कसा हुआ था और वही से ढलानो पर शकुन्तला की पैंटी की कसी हुई शेप साफ साफ दिख रही थी ।
नगन होकर शकुन्तला राज पर वो छाप नही छोड पाई थी जो असर उसने अपने जोबनो को ढक कर दिया था ।
शकुन्तला साड़ी बान्धने लगी थी और राज को हर पल अपनी चालाकी के लिए अफसोस हुआ जा रहा था कि ना जाने ऐसा संजोग कब बने? कब शकुन्तला अकेले ऐसे मिल पाये ?
मगर कुछ तो था जो उसको अब रोक रहा था , शायद वो हार ही थी राज जो शकुन्तला के सामने वो घुटने टेक चुका था ,
साडी पहन कर शकुन्तला बाल बनाने लगी और राज के चेहरे के उडे हुए भाव देख कर वो बस मुस्कुरा रही थी ।
राज दिखावे के लिए अब मोबाइल चलाने लगा था , मगर उसके जहन मे हर बितता पल ये अहसास दिला रहा था कि इससे अच्छा मौका फिर कभी नही आयेगा ?
शकुन्तला तैयार होकर राज के पास खडी हुई - चल , आजा चलते है
ये बोलकर शकुन्तला अपने मादक कुल्हे हिलाती हुई आगे बढी और उन्हे देख कर राज का लन्ड फिर से बगावत पर आ गया ।
आखिर उसने अपने दिल की सुन ली और शकुन्तला को पकड कर झटके से दिवाल से लगा दिया ।
शकुन्तला इतराती हुई अपने विजयी मुस्कुराहट के साथ सिसकी - अह्ह्ह राज क्या करता है
राज ने अपने होठ से जवाब देते हुए उसकी साडी पेतिकोट सहित उपर करके पैटी के उपर से उसकी गाड पर लगा दिया
शकुन्तला इस स्पर्श से सिस्क पड़ी, राज ने उसके नरम कूल्हो को पकड़ते हुए उसके गाड़ की खुस्बु लेता हुआ उसके गाड़ के मुलायम पाटो को काटने लगा ।
शकुन्तला दिवाल से चिपकी हुई एडिया उठाए घुटी हुई सिस्किया लेने लगी
राज खड़ा हुआ और शकुन्त्ला को हाल की चौकी पर झुका दिया और उसकी कच्छी खिंचने लगा
शकुन्तला ने निर्विरोध अपनी टाँगे ढीली कर दी और राज को अपने गाड़ के आगे घुटनो के बल झुका दिया ।
राज ने उसके चुतदो को थामा और जीभ से एक बार उसकी फैली हुई बुर और गाड़ की सुराख पर जीभ फिराई जिससे शकुन्तला की आख उलटने लगी ,
अगले ही पल उसने अपना पुरा मुह उसकी गाड़ मे देते हुए उसकी गाड़ चाटने लगा और जीभ से कुरेदने लगा ।
शकुन्तला बेबस ऐठती अकड़ती हुई आंखे पटलति सिस्क्ने लगी , राज अपने होठो से उसकी चुत के निचले छोर को सुरकता हुआ जीभ को नुकिला कर उसकी गाड मे भेदने लगा ,
शाकुंतला को ये अह्सास मदहोश कर गया ,
राज ने देरी ना करते हुए खड़ा हुआ और अपना मुसल निकाल कर टिप पर थुक लगाते हुए उसे शकुन्तला की गाड़ के छेद पर टिका दिया
शकुन्तला समझ गयी कि जिस तरह से आज उसने राज को अपनी गाड़ दिखा कर रिझाया है वो नही बक्सने वाला,
और अगले ही राज ने उग्लियो मे ढेर सारा थुक लेके उसके गाड़ की सुराख पर मलने लगा और फिर अपना चिकना सुपाडा पकड कर दबाता हुआ घुसेड़ने लगा ,
शकुन्तला ने भी अपने चुतदो के पाटे दोनो ओर से जोर से पकड कर फैला रखा
लन्ड बड़ी आसानी से उसके गाड़ अन्दर और अन्दर घुसता चला गया ।
शकुन्तला के गाड़ की दीवारे फैलती चली गयी , महिनो बाद उसने लन्ड की गर्माहट महसुस की थी और उसकी चुत पिघलने लगी ,
राज ने उसकी साडी हाथो मे पेतिकोट सहित समेटता हुआ अब झटके लगाने लगा , कसी हुई गाड मे राज मे फुल हुआ सुपाडा रगड़ रगड़ कर जगह बना रहा था और राज हुम्च हुम्च कर कस कस के पेलने लगा ,
हाल मे घुटी हुई मादक सिसकिया अब चिखो मे बदलने लगी और राज कस कस कर पेलने लगा ,
शाकुंतला - आह्ह बेटा और पेल उह्ह्ह हा हा ऐसे हहहह उम्म्ं अह्ह्ह और तेज ऊहह फ़ाड दे उह्ह्ह अमुह्ह
शकुन्त्ला के पहले संवाद पर राज ने भी मुह खोला - ऊहह ताई आपकी गाड़ मस्त कसी हुई है ओह्ह्ह कितने दिनो ने नही पेलवाया उह्ह्ह
शकुन्तला अपनी गाड़ उठाए हुए आहे भरती हुई - सालो से पुछ बेटा ओह्ह्ह उह्ह्ह कितने सालो लन्ड ने छुआ नही मेरे जिस्म को ओह्ह्ह बेटा और पेल ओह्ह्ह और तेज्ज्ज्ज ओह्ह अह्ह्ह्ह अह्ह्ह तेरा मोटा लन्ड मेरी चुत की दिवारो की खुजली बढा रहा है
शकुन्तला ने अपने बुर के फाको को मसलते हुए कहा ।
राज ने हाथ आगे बढाते हुए उसके बालो को पकडते हुए कस कस के पेल रहा था - अह्ह्ह ताईई ऊहह मस्त माल हो आप उह्ह्ह कितना तड़पाता आपने ओह्ह्ह
शकुन्तला- तड़पाती नही तो क्या तु इतना मजे से पेलता उह्ह्ह बोल ओह्ह्ह
राज- आह्ह ताईई सच कह रही हो , कल से ही मूड था आपको पेलने का अह्ह्ह अह्ह्ह ताई मै आऊंगा ओह्ह्ह
शकुन्तला- ओह्ह बेटा भर दे मेरी गाड़ ओह्ह उह्ह्ह उडेल दे सारा उह्ह्ह उम्म्ंम
राज के लन्ड का फब्बरा शकुन्तला के जोशिले श्बदो के साथ ही फूट पड़ा , गाड़ को सुराख को बड़ा करता हुआ राज का लण्ड उसकी जड़ो मे झटके खाने लगा और उसकी गाड़ मे अपना गर्म गर्म माल भरने लगा ।
आखिरी बूंद आने तल शकुन्तला ने अपने गाड़ के छल्ले को लन्ड पर कसे रखा और फिर ढील दिया , राज लण्ड निचुड़ कर ऊपर रबड़ी लपेटे हुए बाहर निकल आया ।
दोनो ने अपने जिस्म को साफ किया और अपने कपडे सही करके जल्दी से राज के घर के लिए निकल गये ।
राज को आए 30 मिंट से उपर हो गये थे , राज को डर था कि पक्का डांट मिलने वाली थी ।
घर मे गया तो निचे सब कुछ शान्त और खाली था ।
उसने शकुन्तला को उपर की छत भेजते हुए खुद अपनी मा को तालाशने उसके कमरे के दरवाजे को खोलकर जैसे ही कमरे मे झाका सामने आईने के सामने
एक औरत अपने बाल संवार रही थी , जिसकी बड़ी सी चुतड पर साडी कसी हुई थी और उसके ब्लाउज से झांकती नंगी गोरी पीठ साफ नजर आ रही थी ।
तभी वो औरत दरवाजे की आहट पर घूम कर देखती है और उसके कजरारी आन्खे देख कर राज का चेहरा खिल जाता है
जारी रहेगी
Shandar updateUPDATE 182 A
राज के घर
मेहंदी का प्रोग्राम खतम हुआ और सारे लोग खानाआ खा रहे थे मगर शिला के लिए dildo ना मिलना एक परेशानी बनी हुई थी क्योकि जैसा उसको रज्जो ने समझाया था कि निशा dildo रखने वापस जायेगी तो पकड़ी जायेगी ।
मगर उसको तो इसकी फ़िकर ही नही थी ।
वही खाने के बाद सारे लोग अपने कमरे जाने लगे तो ध्यान आया कि आज फिर जंगीलाल को अकेले उपर सोना पड़ेगा मगर रागिनी को ये पसंद नही आया
रागिनी - ऐसा करिये देवर जी आप अपने भैया के साथ गेस्ट रूम मे सो जाईये और मै दीदी लोगो के साथ अपने रूम मे सो जाऊंगी यहा वाला बेड बडा है तीन लोगो को दिक्कत नही होगी
रागिनी के प्रस्ताव से रंगी का मुह उतर गया वही जंगी को भी आशा था कि कल रात के जैसे रज्जो को आज रात भी चोद पाता ।
खैर ये ऐसा मानवता भरा निर्णय था जिसे कोई टाल नही सकता था और सारे लोग अपने अपने तय कमरे मे चले गये ।
रंगी-जंगी
दोनो भाई बिस्तर पर आ चुके थे , चुकि गेस्ट रूम मे शिला और रज्जो ही रह रही थी और सोने का प्रोग्राम अचानक से बना था तो उन्हे मौका नही मिला था अपने कमरे सहेजने का
कमरे मे जाते ही दोनो भाई अपने कपडे निकाल कर बनियान और जान्घिये मे आ गये । जैसे ही बिसतर पर तकिया सेट करने लगे एक कोने मे उन्हे 44 साइज़ की पैंटी दिखाई दी ।
जंगी ने खिंच कर वो पैंटी बाहर निकालता हुआ - भैया ये कच्छी किसकी होगी
रंगी - इस कमरे मे शिला दीदी और रज्जी जीजी रहती है उन्ही मे से किसी का होगा
जंगी मुस्कुरा कर पैंटी का लेबल देखता है और उसे हथेली मे भर कर सूंघता है - आह्ह भैया ये रज्जो भाभी की चूत की खुस्बु मस्त है ।
रंगी उससे पैंटी छिन कर एक ओर फेक देता है - पागल है क्या तु, अगर शिला जीजी की हुई तो !
जंगी खीझकर - अरे शिला दीदी की कैसे होगी उनकी तो बाथरूम मे ...
जंगी बोल्ते बोलते चुप हो गया और रंगी भी अपनी बहन की पैंटी पर खुद के छोटे भाई से बाते करने मे असहज होने लगा ।
कुछ पल बाद रंगी मुस्कुरा कर - चल छोड आजा सोते है
जंगी - कहा इतनी जल्दी नीद आने वाली है भैया ,
रंगी - क्यू तु थका नही दो दो बार करके हाहहह
जंगी - क्या भैया इन्सब से भला कोई थकता है और जब रज्जो भाभी जैसी जबरदस्त गाड़ हो अह्ह्ह आज तो मजा ही आगया
रन्गी - हा मजे तो तुने अकेले ही लिये हिहिहिही
जंगी हस कर - हा तो गाली भी सबसे ज्यादा मुझको ही मिली
रंगी कुछ सोचता हुआ - ना जाने ये औरतो को चुदते हुए बहिन की गाली देने मे क्या मजा आता है यार समझ नही आया
जंगी - पता नही भैया लेकिन जो भी हो सुन कर जोश भी बहुत आता है
रंगी उसकी पर आहे भरता हुआ - हा भाई , हमने तो कभी अपनी बहन को गलत नजरो से देखा नही होता है और ये औरते एक चुदाई मे बहिनचोद बना देती है
जंगी हस कर - क्या भैया झुठ ना बोलो , अभी शाम को बाथरूम मे दीदी को देख कर आपको कुछ कुछ हुआ नही था , हाहहह
रंगी उस पल को याद करता हुआ अपना मुसल मसलकर - अरे वो तो बस अचानक से नजर चली गयी और दीदी को भी तो चाहिये ना दरवाजा बन्द कर ले । ना कमरे का दरवाजा बंद था और ना ही बाथरूम का ।
रंगी - उपर से डीजे की आवाज मे पता ही नही चला कि बाथरूम मे कोई है और हम लोगो को भी जल्दी से नहाना भी था ।
जंगी - हा भैया कभी कभी ऐसे ऐसे संजोग हो जाते है जीवन मे वहा क्या कहा जाये समझ ही नही आता और मन को तो डाट बोल कर समझा भी लो लेकिन इसको कोई क्या समझाए कि गलती से बहन नंगी गाड़ दिख भी जाये तो खड़ा नही होते हहहाहा
रन्गी उसकी बाते सुन्कर हसता हुआ - हाहाहाहा , सही कह रहा है भाई और दीदी की गाड़ ऐसी है कि .....
जंगी अपने भाइ के अचानक चुप हो जाने से समझ गया कि वो शिला को लेके असहज हो रहा है ।
जंगी - क्या भैया बोलो ना खुल के , वैसे भी कौन सा हम लोग सच मे कुछ करने वाले हैं बताओ ना दीदी के बारे मे
रंगी ने गहरी सास ली - क्या बताऊ भाई दीदी की गाड़ जबसे देखी , अजीब सा हो रहा है जिस्म मे
जंगी अपना मुसल मसल कर - कैसा भैया
रंगी - भाई दीदी की गाड़ का सुराख देखा था तुने कैसे गुलाबी था , मन तो कर रहा था कि बस जीभ लगा कर चाट लू
जन्गी - सीईई भैया सच कह रहे हो , और आपने देखा दीदी कैसे कसे कसे कपडे पहनती है
रंगी अपना मुसल मसलते हुए - हा भाई , मुझे तो समझ नही आता इसके ससुराल वालो का क्या हाल होता है उनकी बडी बड़ी गाड़ देख कर
जंगी - हा भैया शादी के बाद से तो दीदी और भी गदरा गयी है उह्ह्ह्ह
रंगी - हा भाई लगता है जीजा खुब लेता होगा हुम्च कर
जंगी थोडा चुप रहा और कुछ देर बाद हिचकता हुआ - भैया एक बात आ रही है दिमाग मे अगर बुरा ना मानो तो कहू
रंगी - अरे बोल ना भाई अब मुझसे क्या छिपाना
जन्गी तेज धडकते दिल के साथ - भैया आपको नही लगता कि दीदी ने ससुराल एक से ज्यादा लन्ड ली होगी ।
अपने भाई की बात सुनकर रन्गी का शरिर सिहर उठा वो भी थोडा झिझक कर - हा लेकिन जीजा के अलावा और किसका लेगी
जंगी - क्या पता छोटे जीजा का
रंगी - हा हो सकता है भाई , अब तु ही देख ना दीदी और हम लोगो की शादी मे बहुत समय का अन्तर नहीं था । मगर हमारी बिवियो के चुतड देख और दीदी के
जंगी - हा भइया मै तो शालिनी को रोज ही पेलता हु और आप भी भाभी को ? सॉरी बुरा मत मानना भैया
रंगी हस कर - हा भाई रोज ही मगर दीदी जैसी तरक्की नही हुई हाहहहह
जंगी - हा भैया हाहहह
रंगी कुछ सोच कर - वैसे एक बात पूछू छोटे
जंगी - हा भैया बोलो ना
रंगी - अगर मौके मिले ती क्या तु दिदी को चोदना चाहेगा
अपने बडे भाई की बात सुनकर जंगी का सीना जोरो से धडकने लगा और उस्का मुसल पुरा तना हुआ था - क्यू आप नही चाहोगे क्या
रंगी - मन तो मेरा बचपन से रहा है छोटे , याद है स्कूल से आने के बाद कैसे हम लोग दीदी के उपर लद जाते थे , मुझे उनकी गाड़ पर सोना बहुत पसंद था
जंगी - हा भैया , उस समय भी दीदी की चर्चा होती थी गाव मे कि स्कूल का मास्टर उन्को खुब मिजता था ।
रंगी अपना मुसल मसलता हुआ - हा भाई मगर तब भरोसा करना मुश्किल लगता था और अब लग्ता है कि वो सारी बाते सच ही थी ।
जंगी - क्या !
रन्गी - यही कि अपनी दीदी एक नम्बर की रंडी है चुदवाने मे
जंगी अपने भाई की बात सुनकर जोर से अपना मुसल भिचा और फचफचाकर ढेर साला माल उसके हाथ मे आ गया और उसकी सासे उखड़ने लगी
जंगी की हालत देख कर रंगी हस्ता हुआ - हट बहिनचोद यही हिला लिया क्या रे । जा साले धूल के आ
जंगी - सोअओरी भैयाआ अब कहा जाऊ धूलने उपर जाना पड़ेगा, ये कच्छी मे ही पोछ लू क्या
रन्गी ने हस के हामी भर दी
जंगी वही 44 साइज़ की पैंटी से अपना वीर्य साफ करता हुआ - अगर हुआ भी दीदी का तो अब काहे का टेनसन हिहिहीहि
सोनल - निशा - रीना
सोनल - यार भाभी कब तक ये मेहंदी हटेगी , 3 घन्टे हो गये
रीना सोनल को छेड़ती हुई - अरे रात भर रहेगी हिहिहिही
निशा भी दो चूड़ी कस कर - और तुझे क्या करना है , देख अब आज मेहँदी लग गयि है तो तुझे जीजू के सामने शादी तक नही जाना है , क्यू भाभी ?
रीना - हा हा और क्या ? ये वीडियो काल और ये बातचीत बन्द करो ।
सोनल - क्या बात भी नही कर सकती
रीना निशा को हस्ती हुई देख कर सोनल के मजे लेते हुई - हा और क्या , अरे दोनो तड़पे रहोगे तभी तो सुहागरात मे बिस्तर टूटेगा हाअह्हहा
रिना ने हस कर निशा को ताली दी हिहिहिही
निशा - हा और क्या ? अब से तेरा मोबाइल मेरे पास रहेगा
ये बोलकर निशा ने सोनल का मोबाइल ले लिया जिसमे पहले से ही अमन के काफी सारे मैसेज आ रहे रखे थे ।
सेक्सी pics और वीडियो काल के लिए मिन्नते पढी गयी थी ।
निशा - देखो देखो भाभी क्या मैसेज आया है हिहिहिही ,
सोनल निशा की ओर लपकी तो रीना ने उसे डाटा- हेईई बैठो वैसे ही मेहंदी खराब हो जायेगा
सोनल खीझ कर - निशा कमीनी देदे मेरा मोबाइल
निशा दुर हट कर - देखो तो भाभी , मेहंदी की तस्वीरे मागी गयी है हिहिहिही
रीना - अच्छा जी , जरा लगा तो नंदोई जी के पास फोन लेती हु खबर इनकी
सोनल की सांसे अटकी - क्या भाभी !! नही नही प्लीज ना
रीना - लगा ना तु निशा
निशा चहककर फोन का डिस्प्ले रीना को दिखाती हुई - रिन्ग जा रही है हिहिहिही
इधर फोन पिकअप हुआ
अमन - क्या बेबी इतनी देर से वेट कर रहा हु , कहा थी यार
अमन की बात सुनकर रिना और निशा खिलखिलाई , वही सोनल की शर्मिन्दी भरी बेचैनियाँ बढने लगी ।
रीना हस के - अरे नंदोई जी बस दो रात का और इन्तजार कर लो, फिर तो दुल्हनिया लेके ही जा रहे हो ना
अमन को समझते देर नही लगी कि उसे इस नये सम्बोधन से रीना के अलावा कोई और नही बुलाने वाला था तो अमन झेप सा गया और हसकर - अरे भाभी जी नमस्ते , कैसी है आप
रीना - मै तो ठिक हु लेकिन आप बड़े बेकरार लग रहे है , हिहिहीहि
अमन शर्मा कर - अरे नही वो तो बस , और बताईये खाना पीना हुआ
रीना - हा हो गया और आपका
अमन - अभी ज्स्ट मेरा भी हुआ
रीना - अच्छा ये बताईये , अपनी दुल्हनिया की मेहंदी की तस्वीरे क्यू माग रहे है आप हम्म्म
अमन समझ गया कि जरुर उसका मैसेज पढा जा चुका है - अरे बस देखने के लिए
रीना - देखीये नंदोई जी अगर आपकी कोई अपनी पसंदीदा जगह हो तो ब्ता दो वहा भी मेहंदी रख देंगे हिहिहीहि लेकिन देखने को मिलेगा तो सुहागरात पे ही
निशा और रीना ने एक साथ ठहाके लगाये ।
अमन और सोनल शर्म से लाल हुए जा रहे थे ।
अपने पति की खिचाई देखकर सोनल से रहा नही गया और वो भी बोल पड़ी- क्या जी आप क्या शर्मा रहे है आपकी सरहज है बोल दीजिये कि भाभी जी अपनी नाभि पर मेहंदी रख कर विदा करियेगा अपनी ननद को हहाह्हा
रीना और निशा चौकी ये भी बोल पड़ी ।
रीना - हाय हाय देखो तो कैसे पति को बचाने कुद पड़ी अभी तक तो जुबान सिली हुई थी
सोनल हस कर - हा तो मै कम थोड़ी हु आपसे हिहिहीहि बोलिए रखेंगी मेहंदी वहा पे , आपके नंदोई जी की ख्वाईश है
उधर अमन बस कालिंग पर ननद भौजाई की चटपटी नोकझोक सुन्कर हस रहा था ।
रीना तुन्ककर - ठिक है रख दूँगी लेकिन तुम्हे भी एक जगह लगवाना पडेगा
सोनल - कहा
रीना ने बिना आवाज के सोनल से होठो के इशारे से बोली - अपनी बुर पर
सोनल की आंखे फैल गयी और वो हस्ती हुई ना मे सर हिलाने लगी ।
रीना ने हा मे सर हिला रही थी ।
कुछ पल की चुप्पी पर अमन को समझ नही आ रहा था तो उसे लगा कोई नेटवर्क इसू होगा तो उसने फोन काट दिया ।
फोन कटते ही रीना खुलकर - अब पलटो मत रखवाना तो पडेगा ही
सोनल - क्या भाभी नही नही प्लीज !!
रीना - मै तो नंदोई जी की ख्वाईश पूरी करने वाली , निशा अभी तु मेरी नाभि पर मेहंदी लगा देना
निशा हस कर - जी भाभी ,
रीना - मगर ननद रानी तुम्हारी चुत पर गुलाब की पंखुडियां मै ही खिलाउन्गी हिहिहीहि
सोनल - धत्त नही भाभी प्लीज मुझे शरम आयेगी
रीना - निशा जल्दी कोन ला और तुम अच्छे से लेट जाओ नही जबरजस्टि करने से बाज नही आने वाली मै
सोनल अपने हाथ पाव मे लगी मेंह्दी से मजबुर थी और रीना से शर्त लगाना भी महगा पड़ रहा था उसे
मजबुर होकर सोनल को लेटना लड़ा और रीना ने सोनल के क्रॉपटॉप का लहगा उपर करने लगी ।
राज - कमलनाथ
राज - क्या बात है मौसा बड़े खुश लग रहे हो , कुछ काण्ड तो नही ना कर दिया मेरे पीठ पीछे हिहिहीहि
कमलनाथ - यहा कहा कुछ मिल रहा है
राज - अरे मौसी की बात कर रहा हु मै
कमलनाथ - अरे उसे फ़ुरसत कहा है काम से इधर-उधर भागी भागी फिरती है
राज - अरे तो कोई फ़ुरसत वाली तालाश लो हिहिहिहू
कमलनाथ - मतलब
राज - मतलब आप सब समझ रहे हो मौसा बस दिखावा नही कर रहे हो
कमलनाथ - अब तुझसे क्या छिपाना बेटा, आज शाम के प्रोग्राम मे एक से एक हसिन औरते आई ती , एक वो जो तेरे दोस्त की मम्मी थी उसके चुचे तो रज्जो से भी भारी थे
राज हस कर - हम्म्म रजनी दीदी है वो
कमलनाथ - एक बार मरतबा तो हमारी नजरे भी टकराई और उसने मुझे देखा भी कि मै उसके चुचे निहार रहा हु ।
राज - फिर
कमलनाथ- क्या फिर ! अरे घर पर आये मेहमानो को असहज ना लगे तो मैने ध्यान नही दिया । फिर वो एक औरत थी उसने सिन्दर नही लगाया था उसकी आंखे बड़ी कटीली थी साली ने ऐसी अदा से देखा दो चार बार लन्ड खडा हो गया । पक्का चोदू माल है वो
राज खिलखिलाकर हसता हुआ - अरे वो विमला मौसी है उनका भी घर नाना के घर के पास ही है
कमलनाथ - अच्छा और वो भी तो कड़क थी जो उठ कर चली गयी थी , उसे देखकर लगता है कि जैसे उसके चुचे किसी ने मिजे ही ना हो , कितने तने हुए थे कड़क एकदम , उतना तो उस हरी साडी वाली के नही थी जो सोनल बिटिया को मेह्न्दी रख रही थी
राज - हमम्म तो सास बहू दोनो के दूध पकड़ लिये आप हिहिहीहि
कमलनाथ - कहा कोई मिल रहा है यार बस देखो और लन्ड मिजो
राज - अच्छा और किसको किसको ताड़ा आपने
कमलनाथ अब असहज होने लगा क्योकि अब जितने थे सब राज के खास और घर के लोग थे । रागिनी निशा शिला और शालिनी ।
राज - बोलो ना मौसा बेझिझ्क , अच्छा मेरी चाची कैसी लेगी , है ना एकदम फीट
कमलनाथ - हा बेटा वो तो बहुत जवाँ है अभी लगता है निशा उनकी बेटी है दोनो बहाने लगती है
राज समझ गया कि कमलनाथ ने निशा को भी परखा था ।
राज - और बुआ
कमलनाथ शिला के नाम पर थोडा खटका - आह उन्के बारे मे क्या बोलू , तु तो खुद ही जान रहा है मतलब
राज - अरे बोलो ना मौसा
कमलनाथ- सच कहू तो मुझे तेरी बुआ ही सबसे मसत लगी आज , और उनका पिछवाड़ा सीईई
राज - हम्म वो तो है , बुआ की गाड़ मस्त है हिहिहीहि लेकिन आपको मिलेगी नही
कमलनाथ मन मे बडबडाया - अरे बेटा तुझे क्या पता कितनी बड़ी चुद्क्कड है तेरी बुआ , कैसे खुद से खोलकर बैठ गयी थी
राज कमलनाथ को चुप देख कर - क्या हुआ मौसा , सपने ना देखो बुआ के हिहिहिही
कमलनाथ - हाह्हहा ऐसी कोई बात नही है
राज - हम्म सब लोग तो हो गये अब बची मेरी मम्मी !
कमलनाथ - क्या तेरी मम्मी ?
राज - हा ! क्यू ? ऐसा तो होगा नही कि उनके मटकते पिछवाड़े पर आपकी नजर ना गयि हो ।
कमलनाथ - नही वो बात नही है , लेकिन सच मे बेटा कसम से मैने तेरी मा पर ध्यान ही नही दिया एक भी बार
राज - हा बेचारी बिजी जो इतना है
कमलनाथ चुप रहा ।
राज - अब बस आखिरी
कमलनाथ - कौन
राज - अरे रीना भाभी आपकी बहू उम्म्ं
कमलनाथ - उसको तो रोज देखता हु मै
राज - अरे रोज देखते हो तब बात और थी मगर अब जब आप ये जान रहे हो कि आपका बेटा आपकी बिवी चोद रहा है और आपका भी तो हक होता है ना कि अपने बेटे की बीवी चोदो
कमलनाथ - क्या नही नही ! बेचारी बहू को क्यू लाना इनसब मे , मै तो ये बात आपस मे ही रखने वाला हु ।
राज - हम्म्म ठिक है आपकी मर्जी , वैसे छोटा परिवार है आपका । हसी खुशी चारो लोग एक साथ रहो क्या हर्ज है ।
कमलनाथ थोडा सोच मे था
राज - अगर मै आपकी जगह होता और मेरे सामने ये सिचुएशन आती तो मै कुछ ना कुछ करके रमन भैया के साथ मिल कर मौसी को जरुर पेलता
राज की बाते सुनकर कमलनाथ मुसल तन गया कि कैसे वो अपने बेटे के साथ अपनी बीवी चोदेगा
राज - और फिर रीना भाभी को शामिल कर अदला-बदली कर रोज चुदाई करता
कमलनाथ - आह बेटा सोचना आसान है मगर करना मुश्किल
राज - अरे मौसा आप बस रमन भैया को शामिल करो , फिर आगे का आईडिया खुद मिल जायेगा आपको , सोचो ना एक ही कमरे मे एक ही बिस्तर पर आप अपनी बहु को चोद रहे हो और आपका बेटा आपके सामने अपनी मा को पेल रहा होगा
कमलनाथ - ऊहह बेटा मजा आ जायेगा अगर ऐसा हुआ तो
राज - आप बस यहा से जाने के बाद पहले मौसी को रमन भैया के लिए मनाना , सारे प्लान एक साथ मत बता देना । नही तो शायद मौसी मना कर दे ।
कमलनाथ राज की बाते सुनकर रज्जो का उसकी बहू के पोजिसिवनेस याद आया कि कैसे रज्जो इस मामले सख्त थी ।
मगर रमन को शामिल करने के बाद ये सब सच मे आसान हो ही जायेगा और बहू तो हो ही चुकी है उसके लन्ड की दीवानी ।
ये सब सोच कर कमलनाथ ने मुस्कुरा कर - हामी भर दी
रागिनी - रज्जो - शिला
शिला - हम्म्म तो भैया ने अपनी साली के तबसे दीवाने थे
रागिनी हस कर - अरे आपके भैया तो शादी के पहले से ही आपके चुतडो के दीवाने है हिहिहीहि
रज्जो - अरे जब घर मे इतनी गदराई माल रहे तो कोई नामर्द ही होगा जिसके सुपाडे मे खुजली ना उठे
रागिनी - हा और क्या , एक बार मैने हसी हसी मे चुदते समय बहिनचोद क्या बोला , उस रात जो चुदाई हुई अह्ह्ह दीदी क्या बताऊ
शिला - धत्त अब बस भी करो ना
रज्जो - अरे दीदी अब तो ले चुकी हो अपने राजा भैया का लन्ड, अब काहे ही शर्म हाहहहा
शिला - हा लेकिन मै तुम दोनो जैसी बेशर्म नही हु ना ,
रागिनी - ओहोहो , देखो तो कैसे सती सावित्री बन रही है दीदी , अरे जीजी(रज्जो) जब मै गाव गयि थी राखी पर तो फोन करके मुझे सुना सुना कर अपनी गाड़ मे उनका मुसल ले रही थी
रज्जो - वैसे जमाई बाबू देते तो जोर का ही है सीईई आह्ह साली चुत कुलबुलाने लगी सोच कर
शिला - कहिये तो बुला दू भैया को हिहिही
रागिनी- हा हा खुब समझ रही हु जीजी के बहाने आपको अपनी बुर की खुजली मिटानी है हाहहह
शिला - बोल तो ऐसे रही हो कि भैया आयेन्गे और हम दोनो को चोदेगे तो तू भल चुप चाप देखोगी ही उम्म्ंम
शिला की बात पर तीनो हस पडे
रागिनी बात बदलती हुई - अच्छा वो छोड़ो, अरे कल और मेहमान आयेंगे । बाउजी भी कल आने वाले हैं उनके लिए क्या किया जाये । फिर शादिमे सुना है समधन और उसकी ननद भी आ रही है । उनका स्वागत कुछ खास होना चाहिए ना
रज्जो - अरे क्यू नही आने दो ऐसी रगड़ रगड़ के गालिया मिलेंगी ना कि उसी से पेट और भोस्डा दोनो भर देंगे उनके
शिला - हा और क्या , वैसे भी संधन पर 6-6 यार नही 900गदहे चढाने पड़ेन्गे हहहाहा
शिला की बात पर सब हस पड़े और सारे लोग रोमान्स छोड़ शादी पर बाते करने लगे ।
शालिनी - अनुज - राहुल
बन्द कमरे की बत्ती बुझी हुइ थी , और संजोग की बात थी कि किसी के पास टॉर्च या मोबाइल जैसा कुछ भी नही था ।
तीनो एक साथ सोये हुए थे ।
अनुज और राहुल की योजना शुरु करने का वक्त हो गया था ।
अनुज - राहुल भाई मै बाहर सोने जा रहा हु , मुझे यहा दिक्कत हो रही है
शालिनी - क्या हुआ बेटा जगह कम हो रही है क्या
अनुज - हा चाची , मुझे अकेले सोने की आदत है तो , आप लोग आराम करो मै बाहर हाल के सोफे पर सो जाता हु
शालिनी - लेकिन बाहर बेटा मच्छर लगेंगे
अनुज - अरे ये चादर लेके जा रहा हु मै
राहुल - अच्छा ठिक है दरवाजा खुला ही रहेगा , अगर दिक्कत होगी तो वापस आजाना भाई
अनुज - हा भाई
फिर अनुज चुपचाप कमरे से बाहर निकल गया और हाल मे आके गैलरी और हाल की लाईट भी बुझा दी ।
कमरे मे सोई शालिनी को हल्के खुले दरवाजे से बाहर की बन्द होती बत्ती दिखी तो
राहुल सफाई देता हुआ - अरे उसे लाईट मे सोने की आदत नही है ना इसीलिए
शालिनी - हम्म चल सो जा
राहुल लपक कर अपनी मा से चिपक गया - क्या मा सो जाऊ , चलो ना कुछ करते है प्लीज
शालिनी - नही पागल दरवाजा खुला है
राहुल अपनी मा के चुचे मसलता हुआ उसके होठ पर होठ रख दिया और उन्हे चुसने लगा
बेटे के सख्त मुसल को अपने जान्घो पर घिसावट और चुचो पर रग्डाई ने शालिनी को झटके मे सिस्कने पर मजबुर कर दिया था ।
शालिनी - ऊहह बेटा मान जाआह्ह्ह ना
राहुल - मम्मी रहा नही जा रहा है उम्म्ंम प्लीज करने दो ना
शालिनी - उम्म्ंम सीई आह्ह्ह कर ले फिर उह्ह्ह लेकिन कुछ बोलना नही
राहुल - हम्म्म
फिर राहुल ने अपनी मा को मिजना शुरु कर दिया ।
अमन के घर
रात के साढ़े 10 बजने को हो रहे थे और मुरारी अपने कमरे मे सोने की तैयारी कर रहा था ।
ममता भी किचन मे अमन के लिए दूध तैयार करने के बाद उपर जाने को हुई कि उसकी नजर हाल की घड़ी पर गयी जहा पहले से ही साढ़े 10 बजने वाले थे । उस्के जहन मे भोला से किया वादा याद आया और उसकी बुर कुलबुला उठी ।
फिर वो कुछ सोच कर दुध का गिलास किचन मे रखा और कमरे मे चली गयी ।
कमरे मे देखा तो मुरारी बत्ती बुझा कर सोया हुआ था और ममता ने बत्ती जलाई तो मुरारी ने करवट लेके अपने आंखो पर हाथ रख कर तीखी रोशनी लेके सर छिपा कर सोने की कोसिस करने लगा ।
ममता उसको देख कर मुस्कुराई और कमरे से लगे बाथरूम मे ना जाकर वही कमरे मे एक ओर खडी होकर अपने सीने से दुप्प्टा उतार दिया ।
फिर खुद को आईने मे देखा तो थोडा शर्माइ और भोला की बाते याद कर उसके जिस्म मे सुरसुरी उठने लगी ।
उसे भोला की फरमाईशे गुदगुदा रही थी और वो मुस्कुराये जा रही थी । इस बात से बेफिकर की उसी कमरे मे उसका पति भी सोया हुआ है ।
ममता ने आईने मे अपने सलवार का नाड़ा खोला और उसको सरका दिया ।
मगर उसकी गुदाज गाड़ को सूट ने घुटनो तक छिपा रखा था , साइड से उसकी फुल कवर वाली पैंटी उसके चुतड़ो पर चढ़ी हुई थी ।
ममता ने उसको भी खिंच कर निचे कर दिया ।
वही मुरारी जो सोने की कोसिस कर रहा था जब उसने पाया कि काफी समय से कमरे मे एकदम शान्ति सी है और कमरे की लाईट बुझी नही
तो उसने करवट सीधी की और ममता को बत्ती बुझाने को बोलने वाला था कि उसकी नजर अपनी बीवी के बड़ी सी फैली हुई नंगी गाड़ पर गयी ।
ममता अब तक अपना सूट भी उपर कर चुकी थी । वो सिर्फ ब्रा मे आईने के सामने खडी थी ।
अपनी बीवी को यू अचानक से नंगा देख कर मुरारी का लन्ड तन गया और उसने जान्घिये के उपर से अपना लन्ड मसलते हुए खड़ा हो गया ।
उसने ममता को भनक लगे दिये बिना ही अपना लन्ड खडा करके ममता के पीछे खड़ा होकर अपना मुसल उसकी गाड़ के दरारो मे घुसेड़ता हुआ उसको पीछे से दबोच लिया और ममता अपने सपनो से बाहर आती हुई चिहुक उठी ।
उसे समझते देर नही लगी कि उसका पति अभी सोया नही है ।
ममता ने कसमसाते हुए मुरारी का हाथ छुड़ाती हुई - हुह छोडिए ना , आप तो सो गये थे ना
मुरारी अपना लन्ड ममता की गाड़ मे रगड़ता हुआ - तुमने तो नीद हुई भागा दी अमन की मा सीई अह्ह्ह
ममता - धत्त छोडिए , मुझे अभी उपर जाना है अमन को दूध देना है और दीदी के बात करनी है
मुरारी चौक कर - क्या ! तो फिर तुम कपडे क्यू निकाली हो
ममता हस कर - वो तो ये अंडरगार्मेन्ट तंग हो गये है और देखीये ना कैसे ये निशान हो जा रहे है तो रात मे सोने मे दिक्कत होती है
मुरारी - अरे तो नये लेलो ना
ममता - यहा मिलता कहा है मेरे नाप का
मुरारी - अरे अब तो समधि जी कि दुकान है उनसे बोल दो वो मगा देंगे ना
मुरारी की बात सुनते ही ममता को वो पल याद आया जब उस्की समधन मे जबरजस्ती उसकी एक पैंटी लेके गयि थी ये बोलकर वो उसके नाप के अंडरगारमेन्ट देगी
ममता - धत्त क्या आप भी , अब मै क्या उनको अपना साइज़ बताऊ
मुरारी उसके नरम नरम चुतड मसल कर - अरे तुम्हे बताने की क्या जरुरत है वो तो तुम्हे देख कर ही साइज़ बता देंगे ।ये दुकान वाले बॉडी देख कर साइज़ बता देते है ।
ममता ये सोच कर शर्म से लाल होने लगी कि रंगीलाल के सामने वो कई बार गयी है तो क्या वो उसका साइज़ जानता होगा ।
ममता उसको हटा कर अलग हुई और अपना सलवार पहनने लगी - बस करिये आप और सो जाईये । मै अभी दीदी से मिल कर आती हु
मुरारी ने सारे अरमान पल भर मे मुरझाने लगे और वो उम्मीद भरी नजरो से अपना मुसल हिलात हुआ - और इसका क्या कसुर है जो इसे सजा देके जा रही हो।
ममता इतरा कर अपना ब्रा खोलती हुई साइड रख दी और फिर सूट पहनती हुई बोली
ममता हस के - चलो साथ आप भी दीदी से इसका भी इलाज पुछ लूंगी हिहिहीहि
मुरारी झेपता हुआ मुस्कुरा दिया ।
ममता ने आईने ने खुद को देखा और एक नजर सूट मे झलकती बड़ी बड़ी छातियो के मुनक्के को देखकर इतराते हुए - बोलो च्लोगे
मुरारी उसको पीछे से हग करता हुआ उसके कन्धे पर अपने चेहरे को टिका कर सामने आईने मे उसे निहारता हुआ - ठिक है चलूंगा लेकिन एक शर्त है
ममता - क्या बोलो ना
मुरारी - इलाज तुम ही करोगी वो भी दीदी के सामने हाह्हा बोलो मंजूर है
ममता समझ गयी कि वो मुरारी बस तुक्का फेक रहा है मगर ममता ने उसको और उलझाने के लिए मुस्कुरा कर बोली - ठिक है , मुझे कोई प्रोब्लम नही है अगर आपको अपनी दिदी के सामने अपना जांघिया उतारना सही लग रहा है तो
ममता के जवाब से मुरारी झेप गया , उसे लगा कि ममत शर्मायेगी या फिर इंकार करेगी मगर वो तो तैयार हो गयी ।
ममता मे मुरारी को खोया खोया देख कर उसके मजे लेते हुए बोली - अरे आपके लिए कौन सी नयी बात है बचपन मे तो कई बार नंगे हुए ही होगे क्यू ? एक बार और सही ।
ममता की बात पर मुरारी हस दिया - तुम ना एक न्म्बर की बेशर्म हो , चलो जाओ
ममता हस कर - ओहोहो , खुद बोलो तो ठिक और मै बोलू तो बेशर्म
मुरारी- हा तो अब दीदी के सामने मै कैसे नंगा हो जाऊ , अच्छा थोडी ना लगेगा
ममता एक और टोंट मारती हुई - बात अच्छा या बुरा लगने की नही है हिहिही वो तो नियत की बात है ।
मुरारी - मतलब
ममता - अरे मै और आप दोनो मेरी छिनार ननदिया को अच्छे से जानते है , खड़ा लन्ड देखा नही कि झपट पड़ेगी । क्यू इसी का डर है ना आपको हहाहहा
मुरारी - क्या!!! नहीईई! और तुम ये सब .. मजा ले रही हो मेरा अब
ममता खिलखिला कर - नही मै सोच रही हु कि आपको मजा दिला दू , अभी जा रही हु उपर और बोलती हु दीदी को कि आपके भैया थोडा परेशान है , वो जरुर आयेगी हिहिही
ये बोलकर ममता हस कर निकल गयी और
मुरारी उसकी शरारत पर मुस्कुराता हुआ अपना मुसल जान्घिये मे घुसा कर बिस्तर पर लेट गया ।
इधर ममता किचन मे वापस आई और उपर जाने से पहले अपने सीने से दुपट्टा हटा दिया ये सोच कर कि नंदोई जी को रिझाने मे थोडा मजा आयेगा ।
उसने दूध के दो ग्लास लिये
एक ग्लास अमन के लिए और दुसरा नंदोई के लिए
खुद के भीतर उमड़ते जज्बातो को शान्त करती हुई और चेहरे की बेचैनी को मुस्कुराहट मे बदलती हुई ममता जीने से उपर गयी और पहले नंदोई के कमरे मे घुसती है
जारी रहेगी ।