• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery तेरे प्यार मे.... (Completed)

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,387
24,523
159
ये भाभी जो है कार्टून टाइप है -- बाहुबली की राजमाता जैसी। 😂😂
जब तक इनके चूतड़ों पर किसी की लात नहीं लगेगी, तब तक ये ऐसे ही उड़ती रहेंगी .
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,387
24,523
159
कहानी एकदम चुटियापे की ओर मुड़ गई है,

जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ रही है नायक और ज्यादा मूर्ख और कमजोर प्रतीत हो रहा है या हो सकता है की शुरू से कबीर इतना स्ट्रॉन्ग कैरेक्टर का ना हो हम लोगो ने ही गलत आंकलन किया हो

अभी तक देख के कबीर इतना बुद्धिमान तो नहीं लग रहा की अकेले दम पर कोई सवाल का जवाब ढूंढ पाएगा
देखते है आगे क्या होगा
सही है 👌
 

avsji

Weaving Words, Weaving Worlds.
Supreme
4,387
24,523
159
कहानी एकदम चुटियापे की ओर मुड़ गई है,

जैसे जैसे कहानी आगे बढ़ रही है नायक और ज्यादा मूर्ख और कमजोर प्रतीत हो रहा है या हो सकता है की शुरू से कबीर इतना स्ट्रॉन्ग कैरेक्टर का ना हो हम लोगो ने ही गलत आंकलन किया हो

अभी तक देख के कबीर इतना बुद्धिमान तो नहीं लग रहा की अकेले दम पर कोई सवाल का जवाब ढूंढ पाएगा
देखते है आगे क्या होगा
सही है 👌
 

Aakash.

sᴡᴇᴇᴛ ᴀs ғᴜᴄᴋ
Staff member
Sr. Moderator
46,026
160,832
304
#49

चंपा- कौन था ये और तुझे कैसे जानता है

मैं- लम्बी कहानी है तू सुन नहीं पायेगी मैं बता नहीं पाउँगा

चंपा- तेरे सामने उसने मुझे पकड़ा तेरा खून नहीं खौला इतना निर्मोही हो गया तू

मैं- खून तो मेरा उस दिन से खौल रहा है . खून तो मेरा तब से उबल रहा है जब से मुझे मालूम हुआ की तेरे पेट में बच्चा है . ये तेरी खुशकिस्मती है जो मैं शांत हूँ, रही बात उस सूरजभान की तो मैं जानता हु मैं क्या कर सकता हूँ इसलिए खुद को रोका है .एक बार बेकाबू हुआ था आज तक पछतावा है मुझे. मेरे मन में बहुत सवाल है चंपा इतने की मैं पूछता रहूँगा तू जवाब देते देते थक जाएगी. फ़िलहाल मेरी इच्छा है की किसी तरह तेरा ब्याह हो जाये और तू यहाँ से राजी ख़ुशी निकल जाये मैं नहीं चाहता की एक और लाली की लाश पेड़ पर टंगी मिले.



चंपा फिर कुछ नहीं बोली. तनहा दिल लिए हम दोनों वापिस घर आये. मैंने उस से चाय बनाने को कहा और हाथ मुह धोनेचला गया . चबूतरे पर बैठ कर मैं चुसकिया ले रहा था की भैया आ गए.

मैं- आपसे मिलने की ही सोच रहा था मैं .

भैया- हाँ छोटे बता क्या कहना था .

मैं- मुझे कुछ पैसे चाहिए थे .

भैया ने दस दस के नोटों की गद्दी निकाली और मुझे दे दी .

मैं- पचास वाली की जरूरत है भाई

भैया ने एक बार मेरी तरफ देखा और बोले- हाँ क्यों नहीं

भैया ने बड़े नोटों की गद्दी मुझे दी.

मैं- एक बात पूछनी थी

भैया- पहेलियाँ क्यों बुझा रहा है जो मन में है सीधा कह न

मैं- सूरजभान से माफ़ी मांगने की क्या जरुरत आन पड़ी थी आपको . आप जानते है की मेरा भाई मेरा गुरुर है और मेरी वजह से मेरे भाई को झुकना पड़े ये बर्दाश्त नहीं होगा मुझे

भैया- तू भी न छोटी छोटी बातो को दिल से लगा लेता है . हम व्यापारी आदमी है . हमें अपना रसूख देखना है हम लोग समय आने पर लोगो को झुकाते है . एक बार बात आई गयी करने के हमें भविष्य में फायदे मिलेंगे.

भैया झूठ बोल रहे थे मैं एक पल में जान गया था . मेरा भाई , मेरा बाप जिनके आगे दुनिया झुकती थी वो किसी के आगे हाथ जोड़ दे. मामला कुछ और ही था . पर मैं भैया के आगे कुछ नहीं बोला.

मैं- भैया , वो चंपा की तबियत कुछ ठीक नहीं है आप की आज्ञा हो तो मैं उसे शहर के डॉक्टर को दिखा लाऊ

भैया- ये कोई पूछने की बात है . जायेगा तो तेरा कन्धा भी दिखा आना

मैंने हाँ में सर हिलाया . तभी भाभी ने भैया को आवाज दी तो वो चले गए .

मेरा दिल कर रहा था की मैं मंगू से पुछु पर चाह कर भी हिम्मत नहीं कर पाया. अँधेरा घिरने लगा था मैंने शाल ओढा और अलाव जला कर बैठ गया . सामने बहुत सी समस्या थी सूरजभान ने मेरी फासले डुबाने को नहर तोड़ दी. मेरे साथ और भी गाँव वालो का नुकसान हुआ था . मैंने सोचा की इस मामले को पांच गाँवो की महापंचायत में उठाऊ पर सूरजभान धूर्त था वो साला साफ़ मुकर जाता और मेरे पास सबूत नहीं था .

जमीनों की रखवाली के लिए मजदुर लगा नहीं सकता था क्योंकि उस हमलावर के खौफ से कोई तैयार नहीं था जान सबको प्यारी थी. आज से चांदनी राते शुरू हो रही थी जितने भी हमले हुए थे इन चांदनी रातो में हुए थे . क्या ये सिलसिला फिर से शुरू होगा ये सोच कर मेरी झुरझुरी छूट गयी .



“खाने में क्या बनाऊ कबीर ” चंपा ने मुझसे पूछा तो मेरी तन्द्रा टूटी.

मैं- भूख नहीं है

चंपा मेरे पास बैठी और बोली- जानती हु तू मेरी वजह से परेशां है .

मैं- तेरी वजह से क्यों परेशां होने लगा मैं. मुझे और भी बहुत समस्या है .

चंपा- तेरा हक़ बनता है मुझसे नाराज होने का .

मैं- मेरे हक़ की बात करती है तू . मेरा हक़ था तेरी दोस्ती का मैं अपनी दोस्ती निभा रहा हूँ. मरते दम तक निभाऊंगा .



सर में दर्द हो रहा था तो मैं बिस्तर में घुस गया . न जाने कितनी देर बाद मेरी आँख खुली . कमरे में घुप्प अँधेरा था . प्यास के मारे गला सूख रहा था . मैं पानी के लिए मटके के पास गया . पानी पी ही रहा था की मुझे लगा खिड़की पर कोई है . इतनी रात में हमारी खिड़की पर कौन हो सकता है . मैंने चुपचाप दबे पाँव दरवाजा खोला और खिड़की के पास गया . वहां कोई नहीं था सिवाय सन सनाती सर्द हवा के.

मैं अच्छी तरह से जानता था की मेरा वहम तो कतई नहीं था . चूँकि आज बिजली नही थी तो मुझे दिक्कत हो रही थी अँधेरे में देखने के लिए. तभी भैंसों की चिंघाड़ से मेरे कान सतर्क हो गए. मैं तुरंत उस तरफ भागा ये हमारे पड़ोसियों का तबेला था . मैंने देखा की तबेले का दरवाजा खुला हुआ था और अन्दर एक भैंस दर्द से बिलख रही थी उस पर कोई झुका हुआ था .

“बस बहुत हुआ . बहुत खून पी लिया तूने अब और नहीं ” मैंने कहा

वो जो भी था उसने पलट कर मुझे देखा और उसकी लाल आँखे मुझे ऊपर से निचे तक देखने लगी.

“तू जो भी है जैसा भी है . मैं उम्मीद करता हूँ की तू मेरी बात समझ रहा होगा. आज मैं तुझे जाने नहीं दूंगा. आज की रात तू मुझसे मुकाबला कर या तो तू नहीं या मैं नहीं ” मैंने जोर देकर कहा.

वो शक्श दो पल मेरे करीब आकर मुझे देखता रहा और फिर उसने दूसरी तरफ छलांग लगा ही दी थी की मैंने उसका हाथ पकड़ लिया

मैं- नहीं . बिलकुल नहीं .

मै पहले ही गुस्से से भरा था ऊपर से इसकी ही तो तलाश थी मुझे . इसे अगर आज जाने देता तो फिर ये किसी न किसी को मारता . मैंने खीच कर मुक्का उसकी नाक पर मारा . वो कुछ कदम पीछे सरका और अगले ही पल उसने मेरी गर्दन पकड़ ली. उसकी मजबूत पकड़ मेरी सांसो को रोकने लगी. मैं छुटने की भरपूर कोशिश कर रहा था पर नाकामी ही मिली मैंने उसके पेट पर लात मारी उसने मुझे हवा में फेंक दिया.



पर आज मैं कोई मौका उसे नहीं देना चाहता था . मैंने उसका पैर पकड़ा और उसे पीछे की तरफ खींचा . इसी बीच उसके नाखून मेरी शर्ट को फाड़ गए. वो भागता इस से पहले ही मैंने उसे पटक दिया. तबेले का दरवाजा जोर की आवाज करते हुए टूट कर बिखर गया. हम दोनों गली में आ गए. वो उठ खड़ा हुआ उसने अपने कंधे चटकाए और दो तीन मुक्के मारे मेरे सीने पर. मुझे महसूस हुई उसकी ताकत .



पर आज कबीर ने ठान लिया था की इस किस्से को यही ख़त्म करना है .

मैं- चाहे जितनी कोशिश कर ले आज या तो तू नहीं या मैं नहीं.

इस बार मैंने उसे उठा कर फेंका तो वो बैलगाड़ी के पहिये में लगे लोहे के टुकड़े से जा टकराया. जोर से चीखा वो .

मैं- जिनको तूने मारा वो भी ऐसे ही चीखे होंगे न.

मैं उसके पास गया और उसके पाँव को मरोड़ने लगा. पर तभी साला गजब ही हो गया.
Kabir to hamesha se hi apni jagah sahi hai champa ka accha dost, bade bhai or pitaji ka sahara lekin shayad baaki sab uske man ko nahi samjh paaye. Paise bhi kabir ne shayad champa ka baccha girane ke liye hi liye hai, gaav me badnami na ho isiliye shahar me ye kaam karne ka faisla sahi liya hai usne.

Kon hai wah jo raato me insano ke saath aisa karta hai or aaj to jaanwar ka hi khoon pi raha tha shayad kabir use pahechaan liya hai agle update me pata chalega ki maazra kya hai waise punam ki raat me nisha ne kaha tha aane ko lekin wo to waha nahi hai kabir ko ye akelapan kha jaayega waha.
 

Luckyloda

Well-Known Member
2,563
8,296
158
भाभी ने भी कतई गांड फाडने की सोच रखी है कबीर की

आज तो भैया की बेल्ट से कबीर का बक्कल ही उतार देगी अगर चंपा समय पर नही आई तो
???



Baki bhabhi ne bhi katai shak ke naam per Aankhen band kar Rakhi Hain
 

Aakash.

sᴡᴇᴇᴛ ᴀs ғᴜᴄᴋ
Staff member
Sr. Moderator
46,026
160,832
304
Ek anmol dost hai champa ke saath fir bhi uska mol samjh nahi pa rahi hai champa khair bhabhi waha aa gayi or unhe shak bhi ho gaya hai pahle hi wo kabir ke baare me galat sochti hai matlab baat or jaada bigad gayi.

Kabir ki soch hi aisi hai wo apne rahte champa ki ijaat ko kharab nahi karna chahta hai or upar se gaav ka mahol, kabir ko acche kaam karne ki saja mil rahi hai haina, khair mujhe parwaah champa ki nahi hai jab uska sach saamne aayega to kabir ka dil tut jaayega ek dost ke rup me hi sahi. Ye bebasi sahi nahi mitra..

Rahi baat wishwaash ki to humne kai baar humne kaha hai agar aap sahi ho to safai dene ki jarurat nahi hai or champa ka kriya-karm jab saamne aayega tab hi kuch samjhega ki majburi hai ya fir sawrth.

Ek sahi waqt aayega jab hamara hero apne Asli rang me honga tab har baat ka jawab diya jaayega har kisi ko chahe wo surajbhaan ho ya bhabhi ya gaav ki panchayat, filhaal hamare paas koi sabut nahi hai. Mangu ka pair sahi nahi hai or raat me us khoon pine waale ke bhi pair me kabir dawaara chotil hona shak paida kar deta hai khair intzaar rahega Jab kabir mandir ki or jaayega...
 
Top