• If you are trying to reset your account password then don't forget to check spam folder in your mailbox. Also Mark it as "not spam" or you won't be able to click on the link.

Adultery भाभियों का रहस्य

Sanju@

Well-Known Member
4,220
17,311
143
अध्याय 5

हवेली आने के बाद भी मैं थोडा बेचैन था , एक दोस्त मैंने खो दिया था और फिर गुंजन भाभी का नशा अभी तक हल्का हल्का सुरूर लिए मेरे जेहन में मंडरा रहा था ..
मैं अभी अपने कमरे में था की अन्नू वंहा पहुची
“अरे कुवर जी आप तो ईद के चाँद हो गए हो , सुबह से जो निकले अभी आ रहे हो “ उसने तंज कसते हुए कहा ..
मैं अभी अभी बिस्तर में लेटा ही था ..
“यार दिमाग मत खराब कर ऐसे भी आज सुबह से दिमाग का भोस…”
मैं इतना बोलते ही चुप हो गया
अन्नू अजीब निगाहों से मुझे देख रही थी
“क्या बोला तू …” उसने किसी खोजी की तरह सवाल किया
“कुछ भी तो नही .. बस आज अच्छा नहीं लग रहा “
“नही नही तूने गाली दी ..”
वो मेरे और करीब आ गई थी
“पागल है क्या मैं कभी गली देता हु क्या ?? अब अजीब सा लग रहा है “
मैंने बात को बदलते हुए कहा , लेकिन जैसे उसपर इसका कोई भी असर नहीं हुआ हो , वो मेरे पास ही आकर बैठ गई और मेरे सर को छूने लगी
“बुखार तो नहीं है , आखिर हुआ क्या है जो ऐसे खुन्नस में बैठे हो “
मैं थोड़ी देर चुप रहा , लेकिन अन्नू मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी और वो मुझे बड़े ही परखी नजरो से देख रही थी , उससे मैं झूठ नहीं बोल सकता था लेकिन सच भी नहीं बोल सकता था ..
मैंने बीच का रास्ता अपनाने का सोचा ,,क्यों ना ऐसा सच बोला जाए की आधी बात ही बताई जाए
“वो यार मेरा अंकित से झगड़ा हो गया बस कुछ और नहीं , इसी बात को लेकर थोडा अजीब लग रहा है “
अन्नू अंकित से मिल चुकी थी , मेरे एकमात्र दोस्त को वो भी अच्छे से जानती थी
“अंकित से झगड़ा ??? इतने सालो से तुम दोनों को देख रही हु आज तक तो तुम कभी नहीं झगड़े .. आज आखिर क्या हो गया “
“कुछ नहीं यार वो गुंजन ….” इतना बोलकर मुझे आभास हुआ की मैं तो पूरा सच बता रहा हु , मैं वही चुप हो गया
“गुंजन क्या ??? गुंजन तो उसकी भाभी का नाम है ना “ उसने फिर डिटेक्टिव बनते हुए कहा
“हा गुंजन भाभी … कुछ नही बस वो शराब के लिए …तुझे तो पता है की मुझे यंहा की देशी शराब कितनी पसंद है , भाभी वो देने से मना कर रही थी तो .. बस यु ही झगड़ा सा हो गया “
मैंने अपने तरफ से बात बनाने की पूरी कोशिस की थी , लेकिन शायद मैं सफल ना हुआ
अन्नू मेरे पास आई और मेरे मुह को हल्का सा सुंघा
“शराब तो तूने पि हुई है … बात क्या है कुवर जी …”
उसकी बातो का मेरे पास जवाब नही था और मैं उसे सच नहीं बताना चाहता था
“कुछ नहीं यार तू भी ना .. चल थक गया हु सोने दे “
उसने मुझे अजीब अंदाज में देखा
“साले कितना सोयेगा तू , कल से सो ही तो रहा है “
“प्लीज यार सोने दे न “
उसने एक बार मुझे देखा और बिना कुछ बोले वंहा से चली गई ….
****************
शाम हो चुकी थी और शरीर में एक अजीब सी थकान महसूस कर रहा था ..फ्रेश होकर निचे आया तो वंहा अब्दुल अम्मा के पास खड़ा हुआ दिखा ,
“जब से आया है बस सोते ही रहता है तबियत तो ठीक है न तेरी “
मुझे देखते ही अम्मा ने कहा
“जी अम्मा ठीक है बस थोडा सुस्ती सी है “
“हम्म्म तुमने इसे काम के लिए कहा था ???”
उन्होंने फिर से सवाल दागा ..
“हा वो यंहा का लेखा जोखा करने के काम में इसे लगा देते हो अच्छा हो जाता , गरीब आदमी है और पढने में भी बहुत तेज है , हिसाब किताब अच्छे से देख लेगा “
अम्मा ने एक बार मुझे देखा और एक बार अब्द्ल को , मैंने आज तक किसी की सिफारिस नहीं की थी , उन्होंने हामी भर दी , अब्दुल की आँखों में कृतज्ञता के भाव थे , इस काम के साथ वो अपनी पढाई भी कर पायेगा , मुझे भी इस बात की ख़ुशी थी ….
कुछ देर बाद ही अनु भी वंहा आ गई ,
हम दोनों हेवली के ही बगीचे में बैठे थे ..
“तुम आज बहुत परेशान थे आखिर हुआ क्या है ..”
अन्नू के चहरे की मासूमियत में एक चिंता की लकीर खिंच गई थी ..
“कुछ भी तो नहीं … “
मैंने उसी बेतकल्लुफी के साथ कह दिया , उसने मेरे हाथो को अपने हाथो में ले लिया और मेरे हाथो पर एक किस कर दिया ..
“तुम्हे ऐसे देखा नहीं जाता , तुम हसते खेलते ही अच्छे लगते हो “
उसकी मासूम सी आँखों में पानी का एक कतरा था , हलके काजल लगी आँखों में वो पानी उसकी उज्जवल आँखों को और भी बढ़ी बना रही थी ..
मैंने भी उसके हाथो को चूमा और उसके आँखों में आये पानी को अपनी उंगली से साफ़ किया
तू पागल है क्या क्यों रो रही है , मैंने उसके गालो को सहलाते हुए कहा था ..
उसने एक बार मुझे देखा और हलके से मेरे होठो को चूम लिया , उसके इस कृत्य से मैं थोडा सा चौका ..
सालो से हम साथ थे और हमारे बीच एक गहरी दोस्ती भी थी , हमने एक दुसरे के साथ बहुत समय अकेले बिताया था , प्यार से एक दुसरे को छुवा था , बाते की थी लेकिन दोस्ती की दिवार को कभी लांघा नहीं था , ना ही कभी इस पवित्र रिश्ते को अपनी वासना से बर्बाद करने की कोशिस की थी ..
अन्नू ने मेरे होठो को चूमा था , अगर कोई दूसरा समय होता तो शायद मैं इसे उसके प्रेम की प्रतिक्रिया के रूप में स्वीकार कर लेता , लेकिन आज उसके चुम्मन में एक अजीब सी बात थी , उसके दिल की धड़कने बहुत ही तेज चल रही थी , उसकी चंचल आँखे आज शांत थी और मुझे ही घुर रही थी , उसके आँखों में मेरे लिए विश्वास और प्रेम के अलावा भी कुछ दिखाई पड़ रहा था , ये वो अन्नू नहीं थी जिसे मैं जानता था , ये थोड़ी बेचैन थी , कुछ तो हुआ था इसे ..
“तुम्हे क्या हुआ है …??”
मैंने थोड़े आश्चर्य में भरकर उसे पूछा …
वो चुप ही रही और मुझे ही देखते रही ..
“कुछ हो रहा है निशांत कुछ अजीब सा ,समझ नहीं आ रहा है की क्या हो रहा है , मैंने एक अजीब सा सपना देखा और ….”
वो चुप हो गयी उसके दिल की धड़कने बहुत तेज थी जो की मुझे बाजु में बैठ कर भी समझ आ रही थी ..
“क्या देखा अन्नू ..”
मैंने हलके से उससे कहा ..
“कैस बताऊ … यंहा की ओरते और उन्होंने मुझे …तुम्हारे साथ … छि नहीं मैं पागल हो गई हु “
उसने तुरंत जैसे खुद को सम्हाला और खड़ी हो कर जाने लगी , लेकिन मैंने उसका हाथ थाम लिया ..
“बताओ की तुमने क्या देखा और कब देखा “
मैंने उसे थोड़े कडक स्वर में कहा
“कल रात ही , सुबह मैंने उसे एक सपना समझ कर ध्यान नही दिया , लेकिन अब अजीब सी बेचैनी हो रही है , मेरे दिमाग में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे है , दिन भर आँखों में बस …. छि मैं ये क्या सोच रही हु “
वो जैसे खुद को कंट्रोल करने की कोशिस कर रही थी ..
मुझे जैसे कुछ समझ आया कुछ ऐसा ही तो मेरे साथ भी हो रहा था , गुंजन भाभी को लेकर
“आँखों के सामने मेरा चहरा आ रहा है ???”
मेरी बात सुनकर उसने आश्चर्य से मेरी ओर देखा जैसे मैंने उसके दिल की बात कह दी हो ..
“मेरा हाथ छोडो निशांत हमें अब यंहा अकेले नहीं रहना चाहिए , मैं अपने दोस्ती के इस पावन रिश्ते को गन्दा नहीं कर सकती “
उसकी आवाज लडखडा रही थी वो लगभग रोते हुए बोली थी ,मैं उसकी तकलीफ समझ सकता था , एक तरफ नैतिकता और मेरे लिए उसकी दोस्ती की जंजीरे थी तो दूसरी तरफ मन में उठने वाला वो आकर्षण जो अजीब तरह से इतना ज्यादा था की आज मैं खुद अपना आपा खो चूका था , हमारे साथ कुछ तो गलत हुआ था , अन्नू की बात ही इस बात का जीता जगाता गवाह थी , क्या उसने भी वही देखा जो मैंने देखा ???
मैं उससे पूछना चाहता था लेकिन वो इतनी बेचैन थी की मुझे उसके उपर दया आई और उसके लिए चिंता भी होने लगी , अभी तो वो बहकी थी अगर मेरे अंदर भी वो आग जल जाती तो शायद वो हो जाता जो एक दोस्ती के रिश्ते में नहीं होना चाहिए …
मैंने उसका हाथ छोड़ दिया , लेकिन वो वंहा से गई नहीं , मैंने उसे देखा
“अगर मैं तुम्हारे साथ कुछ कर बैठू तो क्या तुम मुझे माफ़ करोगे “
उसने डबडबाई हुई आँखों से देखते हुए कहा , उसकी ऐसी हालत देख एक बार मेरा दिल भी रो पड़ा था …
“तुम्हारे लिए कुछ भी ..तुम जाकर ठन्डे पानी से नहाओ , ये सपना सिर्फ सपना नहीं है ..” मैं बस इतना बोल पाया ,उसने हां में सर हिलाया . मुस्कुराई और हवेली की ओर भाग गई ….


******************************
मैं बेचैन सा बगीचे में ही बैठा था कि मुझे अब्दुल आते हुए दिखाई दिया ..
“भाई धन्यवाद तुमने मेरी बड़ी मुश्किल हल कर दी “
“कोई नहीं यंहा रहकर पढाई कर और कलेक्टर बन , हमें भी तेरे उपर गर्ब होगा “
मेरी आत सुनकर वो मुस्कुराया
“पूरी कोशिस करूँगा … तुम चिंता में लग रहे हो ,क्या बात है , सुबह भी तुम्हारा अंकित से झगडा हो गया ??”
अब मैं उसे क्या बताता …
“तुम यंहा कब से हो …??” मैंने उससे सवाल किया
“जब मैं बहुत छोटा था तभी से मेरे अब्बू अम्मी यंहा कमाने आ गए थे “
“ओह … कुछ श्राप के बारे में जानते हो ??”
“श्राप …??” वो थोडा चौका फिर कुछ सोचने लगा और फिर बोल उठा
“हा सुना तो है की इस गांव में कोई श्राप है लेकिन वो क्या है ये कोई नहीं जानता , और कोई जानता भी हो तो बताता नहीं “
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा
“अगर बताता नहीं तो तुम्हे कैसे पता “ मैंने हँसते हुए कहा
“मेरे एक प्रोफ़ेसर ने मुझे बताया था , मनोविज्ञान और दर्शनशास्त्र के प्रकांड विद्वान , परामनोविज्ञान के ज्ञाता , डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले … हमारे ही कालेज में मनोविज्ञान पढ़ाते है , और भुत प्रेतों में बहुत ही दिलचस्पी रखते है , यंहा आकर वो कोई शोध भी करने को कह रहे थे ….”
“डॉ चुन्नीलाल …???” मैं शख्स का नाम सुनकर तो लग ही नही रहा था की कोई विद्वान होगा
“हा लोग उन्हें डॉ चुतिया भी कहते है “
मैं उसका नाम सुनकर जोरो से हँस पड़ा
“अबे ये कैसा नाम है ..”
“भाई नाम में मत जा बहुत पहुची हुई चीज है डॉ चुतिया , और सपनो पर तो विशेष महारत है उनकी “
“सपनो पर …???” मैं एक बार को चौका
“हा मनोविज्ञान में सपनो का बहुत महत्व होता है , कभी कोई परेशानी हो तो बताना “
उसकी बात सुनकर मैं कुछ सोच में पड़ गया ..
“अच्छा मिलवा सकता है इस चुतिया से “
वो हँस पड़ा
“बिलकुल कल ही चल …”
अब्दुल जा चूका था और मैं फिर से अपने सोच में खो गया था , दो लोगो को एक सा सपना नहीं आ सकता , लेकिन अन्नू को क्या सपना आया है ये तो मुझे भी नहीं पता था , लेकिन इन दोनों सपनो में कुछ तो समानता थी और शायद ये सपने ही ना हो ..????

क्या मुझे इस डॉ चुतिया के पास जाना चाहिए …??
इसे कैसे पता की गांव में श्राप है , शायद इसे ये भी पता हो की वो श्राप क्या है ???
मैंने फैसला कर लिया ..
चलो मिल ही लेते है डॉ चूतिया से ………….
बहुत ही सुंदर लाजवाब जबरदस्त और अद्भुत रमणिय अपडेट है भाई मजा आ गया
डॉ चुन्नीलाल (चुतिया) का प्रवेश होने जा रहा हैं ये क्या करता है
 
Last edited:

DARK WOLFKING

Supreme
15,534
31,895
244
अध्याय 5

हवेली आने के बाद भी मैं थोडा बेचैन था , एक दोस्त मैंने खो दिया था और फिर गुंजन भाभी का नशा अभी तक हल्का हल्का सुरूर लिए मेरे जेहन में मंडरा रहा था ..
मैं अभी अपने कमरे में था की अन्नू वंहा पहुची
“अरे कुवर जी आप तो ईद के चाँद हो गए हो , सुबह से जो निकले अभी आ रहे हो “ उसने तंज कसते हुए कहा ..
मैं अभी अभी बिस्तर में लेटा ही था ..
“यार दिमाग मत खराब कर ऐसे भी आज सुबह से दिमाग का भोस…”
मैं इतना बोलते ही चुप हो गया
अन्नू अजीब निगाहों से मुझे देख रही थी
“क्या बोला तू …” उसने किसी खोजी की तरह सवाल किया
“कुछ भी तो नही .. बस आज अच्छा नहीं लग रहा “
“नही नही तूने गाली दी ..”
वो मेरे और करीब आ गई थी
“पागल है क्या मैं कभी गली देता हु क्या ?? अब अजीब सा लग रहा है “
मैंने बात को बदलते हुए कहा , लेकिन जैसे उसपर इसका कोई भी असर नहीं हुआ हो , वो मेरे पास ही आकर बैठ गई और मेरे सर को छूने लगी
“बुखार तो नहीं है , आखिर हुआ क्या है जो ऐसे खुन्नस में बैठे हो “
मैं थोड़ी देर चुप रहा , लेकिन अन्नू मेरी बहुत अच्छी दोस्त थी और वो मुझे बड़े ही परखी नजरो से देख रही थी , उससे मैं झूठ नहीं बोल सकता था लेकिन सच भी नहीं बोल सकता था ..
मैंने बीच का रास्ता अपनाने का सोचा ,,क्यों ना ऐसा सच बोला जाए की आधी बात ही बताई जाए
“वो यार मेरा अंकित से झगड़ा हो गया बस कुछ और नहीं , इसी बात को लेकर थोडा अजीब लग रहा है “
अन्नू अंकित से मिल चुकी थी , मेरे एकमात्र दोस्त को वो भी अच्छे से जानती थी
“अंकित से झगड़ा ??? इतने सालो से तुम दोनों को देख रही हु आज तक तो तुम कभी नहीं झगड़े .. आज आखिर क्या हो गया “
“कुछ नहीं यार वो गुंजन ….” इतना बोलकर मुझे आभास हुआ की मैं तो पूरा सच बता रहा हु , मैं वही चुप हो गया
“गुंजन क्या ??? गुंजन तो उसकी भाभी का नाम है ना “ उसने फिर डिटेक्टिव बनते हुए कहा
“हा गुंजन भाभी … कुछ नही बस वो शराब के लिए …तुझे तो पता है की मुझे यंहा की देशी शराब कितनी पसंद है , भाभी वो देने से मना कर रही थी तो .. बस यु ही झगड़ा सा हो गया “
मैंने अपने तरफ से बात बनाने की पूरी कोशिस की थी , लेकिन शायद मैं सफल ना हुआ
अन्नू मेरे पास आई और मेरे मुह को हल्का सा सुंघा
“शराब तो तूने पि हुई है … बात क्या है कुवर जी …”
उसकी बातो का मेरे पास जवाब नही था और मैं उसे सच नहीं बताना चाहता था
“कुछ नहीं यार तू भी ना .. चल थक गया हु सोने दे “
उसने मुझे अजीब अंदाज में देखा
“साले कितना सोयेगा तू , कल से सो ही तो रहा है “
“प्लीज यार सोने दे न “
उसने एक बार मुझे देखा और बिना कुछ बोले वंहा से चली गई ….
****************
शाम हो चुकी थी और शरीर में एक अजीब सी थकान महसूस कर रहा था ..फ्रेश होकर निचे आया तो वंहा अब्दुल अम्मा के पास खड़ा हुआ दिखा ,
“जब से आया है बस सोते ही रहता है तबियत तो ठीक है न तेरी “
मुझे देखते ही अम्मा ने कहा
“जी अम्मा ठीक है बस थोडा सुस्ती सी है “
“हम्म्म तुमने इसे काम के लिए कहा था ???”
उन्होंने फिर से सवाल दागा ..
“हा वो यंहा का लेखा जोखा करने के काम में इसे लगा देते हो अच्छा हो जाता , गरीब आदमी है और पढने में भी बहुत तेज है , हिसाब किताब अच्छे से देख लेगा “
अम्मा ने एक बार मुझे देखा और एक बार अब्द्ल को , मैंने आज तक किसी की सिफारिस नहीं की थी , उन्होंने हामी भर दी , अब्दुल की आँखों में कृतज्ञता के भाव थे , इस काम के साथ वो अपनी पढाई भी कर पायेगा , मुझे भी इस बात की ख़ुशी थी ….
कुछ देर बाद ही अनु भी वंहा आ गई ,
हम दोनों हेवली के ही बगीचे में बैठे थे ..
“तुम आज बहुत परेशान थे आखिर हुआ क्या है ..”
अन्नू के चहरे की मासूमियत में एक चिंता की लकीर खिंच गई थी ..
“कुछ भी तो नहीं … “
मैंने उसी बेतकल्लुफी के साथ कह दिया , उसने मेरे हाथो को अपने हाथो में ले लिया और मेरे हाथो पर एक किस कर दिया ..
“तुम्हे ऐसे देखा नहीं जाता , तुम हसते खेलते ही अच्छे लगते हो “
उसकी मासूम सी आँखों में पानी का एक कतरा था , हलके काजल लगी आँखों में वो पानी उसकी उज्जवल आँखों को और भी बढ़ी बना रही थी ..
मैंने भी उसके हाथो को चूमा और उसके आँखों में आये पानी को अपनी उंगली से साफ़ किया
तू पागल है क्या क्यों रो रही है , मैंने उसके गालो को सहलाते हुए कहा था ..
उसने एक बार मुझे देखा और हलके से मेरे होठो को चूम लिया , उसके इस कृत्य से मैं थोडा सा चौका ..
सालो से हम साथ थे और हमारे बीच एक गहरी दोस्ती भी थी , हमने एक दुसरे के साथ बहुत समय अकेले बिताया था , प्यार से एक दुसरे को छुवा था , बाते की थी लेकिन दोस्ती की दिवार को कभी लांघा नहीं था , ना ही कभी इस पवित्र रिश्ते को अपनी वासना से बर्बाद करने की कोशिस की थी ..
अन्नू ने मेरे होठो को चूमा था , अगर कोई दूसरा समय होता तो शायद मैं इसे उसके प्रेम की प्रतिक्रिया के रूप में स्वीकार कर लेता , लेकिन आज उसके चुम्मन में एक अजीब सी बात थी , उसके दिल की धड़कने बहुत ही तेज चल रही थी , उसकी चंचल आँखे आज शांत थी और मुझे ही घुर रही थी , उसके आँखों में मेरे लिए विश्वास और प्रेम के अलावा भी कुछ दिखाई पड़ रहा था , ये वो अन्नू नहीं थी जिसे मैं जानता था , ये थोड़ी बेचैन थी , कुछ तो हुआ था इसे ..
“तुम्हे क्या हुआ है …??”
मैंने थोड़े आश्चर्य में भरकर उसे पूछा …
वो चुप ही रही और मुझे ही देखते रही ..
“कुछ हो रहा है निशांत कुछ अजीब सा ,समझ नहीं आ रहा है की क्या हो रहा है , मैंने एक अजीब सा सपना देखा और ….”
वो चुप हो गयी उसके दिल की धड़कने बहुत तेज थी जो की मुझे बाजु में बैठ कर भी समझ आ रही थी ..
“क्या देखा अन्नू ..”
मैंने हलके से उससे कहा ..
“कैस बताऊ … यंहा की ओरते और उन्होंने मुझे …तुम्हारे साथ … छि नहीं मैं पागल हो गई हु “
उसने तुरंत जैसे खुद को सम्हाला और खड़ी हो कर जाने लगी , लेकिन मैंने उसका हाथ थाम लिया ..
“बताओ की तुमने क्या देखा और कब देखा “
मैंने उसे थोड़े कडक स्वर में कहा
“कल रात ही , सुबह मैंने उसे एक सपना समझ कर ध्यान नही दिया , लेकिन अब अजीब सी बेचैनी हो रही है , मेरे दिमाग में अजीब अजीब से ख्याल आ रहे है , दिन भर आँखों में बस …. छि मैं ये क्या सोच रही हु “
वो जैसे खुद को कंट्रोल करने की कोशिस कर रही थी ..
मुझे जैसे कुछ समझ आया कुछ ऐसा ही तो मेरे साथ भी हो रहा था , गुंजन भाभी को लेकर
“आँखों के सामने मेरा चहरा आ रहा है ???”
मेरी बात सुनकर उसने आश्चर्य से मेरी ओर देखा जैसे मैंने उसके दिल की बात कह दी हो ..
“मेरा हाथ छोडो निशांत हमें अब यंहा अकेले नहीं रहना चाहिए , मैं अपने दोस्ती के इस पावन रिश्ते को गन्दा नहीं कर सकती “
उसकी आवाज लडखडा रही थी वो लगभग रोते हुए बोली थी ,मैं उसकी तकलीफ समझ सकता था , एक तरफ नैतिकता और मेरे लिए उसकी दोस्ती की जंजीरे थी तो दूसरी तरफ मन में उठने वाला वो आकर्षण जो अजीब तरह से इतना ज्यादा था की आज मैं खुद अपना आपा खो चूका था , हमारे साथ कुछ तो गलत हुआ था , अन्नू की बात ही इस बात का जीता जगाता गवाह थी , क्या उसने भी वही देखा जो मैंने देखा ???
मैं उससे पूछना चाहता था लेकिन वो इतनी बेचैन थी की मुझे उसके उपर दया आई और उसके लिए चिंता भी होने लगी , अभी तो वो बहकी थी अगर मेरे अंदर भी वो आग जल जाती तो शायद वो हो जाता जो एक दोस्ती के रिश्ते में नहीं होना चाहिए …
मैंने उसका हाथ छोड़ दिया , लेकिन वो वंहा से गई नहीं , मैंने उसे देखा
“अगर मैं तुम्हारे साथ कुछ कर बैठू तो क्या तुम मुझे माफ़ करोगे “
उसने डबडबाई हुई आँखों से देखते हुए कहा , उसकी ऐसी हालत देख एक बार मेरा दिल भी रो पड़ा था …
“तुम्हारे लिए कुछ भी ..तुम जाकर ठन्डे पानी से नहाओ , ये सपना सिर्फ सपना नहीं है ..” मैं बस इतना बोल पाया ,उसने हां में सर हिलाया . मुस्कुराई और हवेली की ओर भाग गई ….


******************************
मैं बेचैन सा बगीचे में ही बैठा था कि मुझे अब्दुल आते हुए दिखाई दिया ..
“भाई धन्यवाद तुमने मेरी बड़ी मुश्किल हल कर दी “
“कोई नहीं यंहा रहकर पढाई कर और कलेक्टर बन , हमें भी तेरे उपर गर्ब होगा “
मेरी आत सुनकर वो मुस्कुराया
“पूरी कोशिस करूँगा … तुम चिंता में लग रहे हो ,क्या बात है , सुबह भी तुम्हारा अंकित से झगडा हो गया ??”
अब मैं उसे क्या बताता …
“तुम यंहा कब से हो …??” मैंने उससे सवाल किया
“जब मैं बहुत छोटा था तभी से मेरे अब्बू अम्मी यंहा कमाने आ गए थे “
“ओह … कुछ श्राप के बारे में जानते हो ??”
“श्राप …??” वो थोडा चौका फिर कुछ सोचने लगा और फिर बोल उठा
“हा सुना तो है की इस गांव में कोई श्राप है लेकिन वो क्या है ये कोई नहीं जानता , और कोई जानता भी हो तो बताता नहीं “
उसकी बात सुनकर मैं हँस पड़ा
“अगर बताता नहीं तो तुम्हे कैसे पता “ मैंने हँसते हुए कहा
“मेरे एक प्रोफ़ेसर ने मुझे बताया था , मनोविज्ञान और दर्शनशास्त्र के प्रकांड विद्वान , परामनोविज्ञान के ज्ञाता , डॉ चुन्नीलाल तिवारी यरवदा वाले … हमारे ही कालेज में मनोविज्ञान पढ़ाते है , और भुत प्रेतों में बहुत ही दिलचस्पी रखते है , यंहा आकर वो कोई शोध भी करने को कह रहे थे ….”
“डॉ चुन्नीलाल …???” मैं शख्स का नाम सुनकर तो लग ही नही रहा था की कोई विद्वान होगा
“हा लोग उन्हें डॉ चुतिया भी कहते है “
मैं उसका नाम सुनकर जोरो से हँस पड़ा
“अबे ये कैसा नाम है ..”
“भाई नाम में मत जा बहुत पहुची हुई चीज है डॉ चुतिया , और सपनो पर तो विशेष महारत है उनकी “
“सपनो पर …???” मैं एक बार को चौका
“हा मनोविज्ञान में सपनो का बहुत महत्व होता है , कभी कोई परेशानी हो तो बताना “
उसकी बात सुनकर मैं कुछ सोच में पड़ गया ..
“अच्छा मिलवा सकता है इस चुतिया से “
वो हँस पड़ा
“बिलकुल कल ही चल …”
अब्दुल जा चूका था और मैं फिर से अपने सोच में खो गया था , दो लोगो को एक सा सपना नहीं आ सकता , लेकिन अन्नू को क्या सपना आया है ये तो मुझे भी नहीं पता था , लेकिन इन दोनों सपनो में कुछ तो समानता थी और शायद ये सपने ही ना हो ..????

क्या मुझे इस डॉ चुतिया के पास जाना चाहिए …??
इसे कैसे पता की गांव में श्राप है , शायद इसे ये भी पता हो की वो श्राप क्या है ???
मैंने फैसला कर लिया ..
चलो मिल ही लेते है डॉ चूतिया से ………….
nice update. to annu ko bhi kuch bata nahi paya par annu ko bhi sapna aaya tha aur lagta nahi wo sapna tha .
pehli baar annu ke kiss kiya nishant ko shayad uski bhi bhawnaye jaag rahi hai nishant ke liye .
abdul ko naukri de di aur usse shraap ke baare me bhi pata chala par pura nahi ki kya shraap mila hai gaon ko .

aur dr. chutiya ki entry ho gayi kahani me jo sapno ke baare me research kar rahe hai aur gaon ke shraap ke baare me bhi .🤣🤣🤣.
 

avsji

..........
Supreme
3,578
21,046
159
अपनी कहानी पर हज़ारों हज़ार शब्दों के अपडेट से अधिक reaction तो मुझे यहाँ चवन्नी साइज के कमेंट लिख कर मिल रहे हैं 🤣🤣🤣🤣👌
जय हो डॉक्टर साहब की 🙏
 
9,478
39,866
218
डॉ साहब की कहानी और Naina जी की गैरमौजूदगी थोड़ा अखड़ता सा है ।
खैर , डॉ साहब ! आप की पिछली तीनों कहानी की शुरुआत काफी अच्छी रही थी । चालीस - पचास अपडेट्स तक सब कुछ " वाह वाह " रहा था पर जैसे ही डाक्टर चुन्नीलाल करवदा की एंट्री हुई , कहानी अपने लक्ष्य से भटक गई । इसलिए मैं चाहता हूं इस कहानी में , अगर चुन्नीलाल की मौजूदगी जरूरी ही है तो बस एक मेंटर , पथ प्रदर्शक , एक बेहतरीन मनोबैज्ञानिक डॉ , एक कुलपति की तरह रहे ।
सेक्सुअल सम्बन्ध तो हर्गिज ही न करें । यह काम निशांत के लिए छोड़ दें । क्योंकि वही इस कहानी का नायक प्रतीक होता है ।

आप की लेखनी के तो हम बहुत पहले से ही कायल हैं । बहुतों लोगों ने आप से इंस्पायर्ड होकर लिखना शुरू किया होगा । और मैं खुद आपसे बहुत कुछ सीखा हूं ।

कहानी और अपडेट्स की बात करें तो अभी ज्यादा नहीं कह सकते क्योंकि अभी कहानी शुरूआती चरण में है । हां , ऐसा जरूर लगता है यह कहानी एक ऐसे गांव की है जहां रूढ़िवादी समाज और तंत्र मंत्र में यकीन रखने वाले लोग भरे हुए हैं । और इसी का फायदा उठाकर कूंवर जी अपनी सेक्सुअल जर्नी का लुत्फ उठायेंगे ।
" भाभियों का रहस्य " कहानी का शीर्षक है तो जाहिर है कुछ सस्पेंस की मौजूदगी भी जरूर होगी ।

सभी अपडेट्स बेहद ही शानदार थे डॉ साहब ।
आउटस्टैंडिंग एंड अमेजिंग एंड ब्रिलिएंट ।
 
Last edited:

ASR

I don't just read books, wanna to climb & live in
Supreme
563
3,767
123
Chutiyadr डाक्टर साहेब - बहुत अच्छी शुरूआत करी है, प्रारम्भ से ही सस्पेंस रहस्मय रोमांचक सेक्स से भरपुर, आपकी रचनाएं बहुत ही सुंदर मन को सुकून दिलाने वाली होती है...
बहुत उत्सुकता से अगले अपडेट की प्रतीक्षा में...
 
Top