maine to shuruwat se padni shuru ki hai aur abhi 19 update pe pahuncha hun, rahi baat readers ke comments aur viewrship ki to beech beech mein aisa ho jata hai, thoda intezar karo par likhna mat chhodna.
लिखना कैसे छोड दू भाई , बहुत शकुन है इसमे सामाजिक जीवन का सारा घटिया सोच और मानसिक खुराफात यहा उडेल लेता हूँ ताकी व्यक्तिगत जीवन सही से गूजरे ।
पिछले 8 सालो से ऐडल्ट फोरम के माधय्म से जो कुछ भी मन में खुराफात भरा है सब इसी कहानी मे निचोड कर दिमाग से निकाल देना है ।
क्योकि अगले साल शादी हो जायेगी तो यहा आ पाना मुश्किल हो जायेगा ।
बाकी गुप्त पाठको से मुझे कोई आपत्ति नही है
कोई पढे या ना पढे , रेवो दे या ना दे
ना मै किसी के सुझाव या प्रभाव से ये कहानी शुरु की थी ना ही बंद करुंगा । क्योकि इस कहानी का पुरा होना ही मेरी मानसिक मुक्ति है ।
