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Adultery सपना या हकीकत [ INCEST + ADULT ]

DREAMBOY40

सपनों का सौदागर 😎
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कुछ मेडिकल इमर्जेंसी की वजह से इन दिनों व्यस्त हूं दोस्तो और परेशान भी 🥲
समय मिलने पर अपडेट दिया जायेगा और सभी को सूचित किया जाएगा ।
तब तक के लिए क्षमा प्रार्थी हूं
🙏

 
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TharkiPo

I'M BACK
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Waahbhai ye Champa to bahut hi gajab ka maal nikali... Ab ye aa gayi hai to kitne kaand karegi aur kitno ka pani bahayegi ye to aane wala samay hi batayega.
Aur baki Janipur mein nanad bhabhi ki kamuk nokjhok dekhkar to dil khush ho jata hai..
Har jagah aisi hi nanad bhabhi ho to kitna prem rahe duniya mein...


Bahut hi rochak update.. aage ka intezar
 
Last edited:

Nevil singh

Well-Known Member
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UPDATE 108

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पिछ्ले अपडेट मे आपने पढा कि एक ओर जहा पल्लवि और अनुज एक दुसरे से खुल रहे थे और वही अनुज धीरे धीरे कुछ नये रिश्तो के बारे मे नयी चीजे सिख रहा था ।
इनसब से अलग चमनपुरा मे राज और चंपा आने वाले कल के लिए कुछ तैयारियो मे लगे थे । देखते है ये तैयारियाँ कितनी मजेदार मौहाल बनाने वाली है ।

अब आगे



चम्पा के जाने के बाद मै वापस दुकान मे लग जाता हू ।
शाम को 7बजे तक मै चौराहे वाले घर पहुचता हूँ और मा किचन मे सिर्फ साड़ी ब्लाउज मे किचन मे काम कर रही होती है ।

मा की उभरे हुए हिलते कूल्हो को देख कर मुझे बडी उत्तेजना मह्सूस होती है
मै किचन मे घुसा और मा से चिपक के अपने फन उठाते लंड को मा के गाड़ में चिपका दिया ।

मा मेरे स्पर्श से कसमसाइ- उह्ह्ह बेटा रुक जा ना
मै मा से और चिपक कर अपने हाथ आगे ले जाकर मा की चुचियॉ को हाथो मे भर लिया ।
मा सिस्क कर - सीईई उम्म्ंम्म्ं बेटा बस कर उम्म्ंम्म्ं बना लेने दे ना खाना , देख सब्जी जल जा रही है

मै मुस्कुरा कर वापस हट गया ।
मा - तू जा नहा ले , तेरे पापा भी आ गये है नहा रहे हैं वो भी ।
मै मुस्कुरा के - ठीक है मा

फिर मै भी नहाने चला गया और नहा कर सिर्फ अंडरवियर पहन कर बाहर आया ।

तो हाल मे पापा भी एक फुल बाजू की बनियान और जांघिया पहने हुए बैठे थे ।
तभी दरवाजे पर खटखट हुई ।

पापा ने एक नजर मुझे देखा -बेटा कुछ पहन ले ,,ऐसे अच्छा नही लगता
फिर पापा एक गम्छा लपेट लिये जो बहुत पतला ही था ।

मै भी कमरे मे गया टीशर्ट हाफ़ लोवर डाल के आ गया । तब तक हाल मे शकुन्तला ताई एक झोला लेके आई थी ।

मैने उनको नमस्ते किया ।
शकुन्तला ताई , एक टाइट नाय्लान मैक्सि पहनी थी ,,जिसमे उनकी चुचियॉ का उभार साफ दिख रहा और दोनो तरफ बटन जैसे उभरे निप्प्ल के दाने बता रहे थे कि ताइ ने निचे कुछ नही पहना था ।

वही पापा जो ताई बगल मे ही थोडी दुर पर बैठे थे और ताई को निहारे जा रहे थे । उनके लण्ड मे तनाव इत्ना था कि गम्छा के उपर से भी उभार पता चल रहा था ।

शकुन्तला ताई बहुत ही हिचक के बात कर रही थी ।
मै - और बताओ ताई ,कैसे आना हुआ

शकुन्त्ला मुस्कुरा कर - कुछ नही बेटा वो तेरी मा से काम था ।
मै - हा कहिये न , मा अभी नहाने गयी है उनको समय लगेगा ।

शकुन्तला जल्द से जल्द मेरे पापा के हवसी नजरो से बच कर निकल जाना चाहती थी ।क्योकि बार बार उसका ध्यान पापा के लण्ड के उभार पर ही जा रहा था ।

शकुन्तला हिचक कर - हा वो बेटा मै कह रही थी कि दो मेरे साइज़ की कच्छी लेते आना तो कल

मै मुस्कुरा- अच्छा ठीक है , साइज़ बता दीजिये

शकुन्तला एक बार पापा को देखी और फिर मुझे देख कर मुस्कुराते हुए - साइज़ तो मुझे ध्यान नही है बेटा लेकिन

मै - लेकिन क्या
शकुन्तला झिझक कर पहले पापा को देखी ,जो मुस्कुरा रहे थे और फिर झोले मे से अपनी एक पैंटी निकाल के मुझे दिखाती हुई - ये देख इसी साइज़ की लेते आना

मुझे उम्मिद नही थी कि शकुन्तला ताई ऐसा कुछ करेंगी ,, उनकी मुलायम पैंटी को हाथ मे लेते ही लण्ड ने फौरन सिर उठाना शुरु कर दिया ।

मै थुक गटक कर उस मरून पैंटी को उन्के सामने ही खोलकर देखने लगा ।

मै खुद को सामान्य रखते हुए - ताई ये बहुत ढीली हो गयी है और साइज़ का लेबल भी नही है ।

तब तक पापा को भी मस्ति सुझी और मुझसे बोले - अरे नही बेटा , उसमे होगा , ला मुझे दे मै देखता हू ।

मै बिना कोई प्रतिक्रिया के वो पैंटी पापा को उछाल दी ।
शकुन्तला को बहुत ही अजीब लगा , लेकिन वो कया कर सकती थी सिवाय मुस्कुराने के ।

पापा भी उसको देख कर मुस्कराते हुए - जानती है भाभी ,, इन टाइप की कच्छीओ मे अंदर की तरफ एक छोटा सा लेबल लगा होता है ,,रुकिये मै दिखाता हू ।

फिर पापा शकुन्तला के सामने ही उसकी पैंटी को उलटने लगे और निचे की सिलाई के पास एक रोल हुआ छोटा सा स्टीकर था ।

पापा उस स्टीकर को खोलते हुए - हाहाहा देखिये मिल गया , 40 नम्बर है आपका

मै मुस्कुरा कर - ठीक है ताई मै कल दुकान से वापस लेते आऊंगा ।

शकुन्तला - हा लेकिन थोडा गाढ़ा रंग ही लेना ना बेटा

मै ह्स कर - अरे ताई आप चिन्ता ना करो ,,मेरे पास काजल भाभी का नम्बर है ,मै सारे रंग का फ़ोटो खीच कर कल व्हाटसअप पर भेज दूँगा ,,,आपको जो रंग पसन्द होगा बता देना

शकुन्तला को बडी खुशी हुई और फिर वो पापा को देखी जो उसकी पैंटी को अपने हाथो मे मिज रहे थे ।

शकुन्तला मुस्कुरा कर - लाईये , अब मै चलती हू
पापा को भी ध्यान आया और वो मुस्कुरा कर - हा लिजिए भाभी जी ,,,

फिर शकुन्तला ने वो पैंटी झोले मे रख दी और उठ कर जाने वाली थी कि मा हाल मे नहा कर एक मैकसी डाले हुए आती है ।

मा - अरे दीदी आप आई है क्या , बैथिये मै चाय लाती हू

शकुन्तला - नही नही सोनल की अम्मा रहने दो । कहा इस गर्मी मे चाय

मा मुस्कुरा कर - अच्छा ठीक है ,,ये बताईए आज हमारे यहा कैसे आना हुआ ।

तभी मै और पापा एक साथ बोले - वो कच्छी के लिए

मा हस कर - मतलब
शकुन्तला पूरी तरह से शर्मा गयी ।

शकुन्तला - अरे वो मुझे दो कच्छी चाहिये थी ,, तो सोचा क्या उसके लिए बाजार जाऊ ,,यही कह दूँगी तो कोई भी लेते आयेगा ।
मा - हा सही कहा ।

फिर ऐसे ही थोडी बाते हुई और फिर वो चली गयी ।
उनके जाने के बाद मा मुस्कुरा कर - आप बड़ा लेबल खोज रहे थे अपनी भौजी की कच्छी मे हिहिहिही

पापा हस कर - मतलब तुमने सब सुन लिया हाहाहा
मा ह्स कर - हा तो नजर रखनी पड़ेगी ना कि मेरे पति कहा कहा नजर मार रहे है ।

मा की बातो से मै हसने लगा ।
पापा हस कर - अरे इसमे क्या नजर मारना ,,हम तो वैसे ही मजे ले रहे था हाहाहा
मा - हमम ले लिये मजा फिर हा

पापा - हा साली की पैंटी ने मेरा लण्ड खड़ा कर दिया ,,अब आओ इसको शांत करो

मा ह्स कर - धत्त आपको तो वही लगा रहता है ,, चलो पहले खाना खा लो फिर कुछ

फिर हम सब खाना खाकर पापा के कमरे मे चले गये अपने रात की चुदाई का कोटा पुरा करने ।


लेखक की जुबानी

जहा एक तरफ चमन मे ये सब घटित हो रहा था वही राज के मौसी के यहा भी हसी ठिठोली और मस्तियाँ भी कम नही हो रही थी ।

पल्लवि और अनुज काफी खुल रहे है एक दुसरे से
हर कोई काम के लिए पल्लवि पहले अनुज को ही आवाज देती थी या किसी ना किसी बहाने से वो अनुज के आस पास मडराती रहती थी ।

शाम होते होते कमलनाथ , राजन और रमन काफी सारा समान एक टेम्पो मे लाद कर आ गये थे । फिर उपर एक खाली कमरे मे सारे समान को रखवा दिया गया ।

फिर रात का खाना बनाने की तैयारी होने लगी । इधर पल्लवि अनुज के लिए हर चीज़ का ध्यान करने लगी ,,चाय नाश्ता खाना सब खुद उसको देने लगी ।
अनुज को भी काफी अच्छा मह्सूस हो रहा था लेकिन जब सब लोग के साथ मे भी पलल्वी उसका नाम लेती तो वो बडा अटपटा मह्सूस करता था, उसको डर सा लगने लगता था कि कही कोई उसे चिढा ना दे या कोई उसको शक की निगाह से ना देखे । इसिलिए अनुज थोडा सा किनारा ही कर रहा था ।
अनुज से अपनी मन मुताबिक प्रतिक्रिया ना पाकर पल्लवि तुनक जाती थी ,,और फिर हस कर ना जाने कितने दुलार से अनुज को देखती थी कि मानो कीतना भोला सा लड़का है वो ।

खैर खाने का दौर खतम हुआ और फिर सोने की बारी आई तो निचे का एक कमरे सोनल और पल्लवि को दिया गया , साथ मे बिस्तर भी ।
फिर पल्लवि सोनल के साथ निकल गयी और जाते हुए वो पलट कर अनुज को देखती है एक कातिल मुस्कान के साथ ,,अनुज झेप सा जाता है ।

फिर रज्जो और ममता ने आपस मे ना जाने कौन सी आंख मिचोली की । कि रज्जो ने ममता और राजन को उपर कमरा दे दिया ।

अनुज इनसब बातो को देख समझ रहा था और वो जान रहा था कि उसे उपर नही बल्कि निचे ही सोने को दिया जायेगा ,,,मगर वो रमन के साथ नही सोना चाहता था क्योकि आज रात दो खुले कमरो मे चुदाई होने वाली थी और उसके बारे मे सोच सोच कर दोपहर से ही अनुज का लार और लण्ड दोनो टपक रहे थे ।

रज्जो बोली - ठीक फिर अनुज रमन के साथ सो जायेगा

अनुज - नही मौसी मै इस कमरे मे सोउँगा ,,कल रात मे रमन भैया को दिक्कत हो रही थी सोने ,,,

हालाकि रमन को दिक्कत कुछ और बात से थी ,,भले उसने अपनी मा की चुत चोद ली थी फिर भी वो एक शर्मिला लड़का था और वो नये लोगो ने मिलने जूलने मे असहज महसूस करता था । कल अनुज उसके साथ सोया था तो वो अपनी होने वाली बीबी से रात मे मीठी मीठी बात नही कर पाया था ।

रमन - हा मा , अनुज सही कह रहा है
रज्जो - ठीक है फिर , ले अनुज ये अपना एक तखिया और बिस्तर ,,,अच्छे से लगा लेना और पंखा चला कर सो जाना ।

अनुज खुशी से - जी मौसी

फिर रमन और अनुज अपने कमरे मे चले गये और वही रज्जो ममता राजन और कमलनाथ उपर चले गये सोने के लिए
थोडी देर मे पुरे घर मे चुप्पी सी छा गयी । सोनल और पल्लवि एक कमरे मे जाकर सोने की तैयारी करने लगे ।
रमन अपने कमरे मे जाते ही अपनी होने वाली बीबी से फोन पर लग गया ।
इधर अनुज को बेचैनी सी होने लगी कि उपर क्या होगा , क्या सच मे रज्जो मौसी और ममता बुआ दरवाजा खुला रख कर सेक्स करने वाले है । अनुज की लण्ड ने फिर से हुन्कार भरनी शुरु कर दी ।
थोडी ही देर मे उसका लण्ड तन कर कडक हो गया ।
उसे बहुत गर्मी सी मह्सूस होने लगी तो बंद कमरे मे होने के कारण उसने अपना लण्ड बाहर निकाला और हल्का हल्का सहलाने लगा । धीरे धीरे वो कल्पना मे डूबने लगा कि उपर अभी क्या हो रहा होगा
वही उपर के कमरो मे रज्जो और ममता ने बडी ही चालाकी से दरवाजे खुले रख कर बस पर्दा बंद कर दिया था और अपने अपने पतियो के साथ रासलीला मे लगी हुई थी । दोनो कमरो मे गजब की लण्ड चुसाई हो रही थी । रज्जो और ममता ने जानबुझ कर अपने पतियो को ऐसे जगह पर खड़ा किया था कि कोई भी अगर हल्का सा पर्दा खोल कर अंदर झाँकेगा तो सबसे पहले उसकी नजरे उनके पतियो के लण्ड पर ही जायेगी । इनसब के बीच जहा रज्जो चुदवाने को तडप रही थी वो बस अपने काम मे लगी रही और उसे फ़िकर ही नही थी कि ममता आयेगी या नही ।
वही दुसरे कमरे मे ममता को बडी आश थी कि रज्जो उसके कमरे मे झांकने आये ,,मगर बितता समय उसको बेचैन कर रहा था ,, बार बार उसका ध्यान अपने पति के लण्ड से हट कर बगल के कमरे मे हो रहे चुदाई माहौल को देखने को उत्सुक हो रहा था । कि आखिर ऐसा क्या हो रहा होगा जो अब तक रज्जो आई नही देखने ।
राजन को अहसास हुआ कि उसकी बीवी का मन सही से उसका लण्ड चुसने मे नही है और वो बार बार दरवाजे पर क्यू देख रही है ।

राजन - क्या हुआ ममता ,,कुछ परेशान हो
ममता एक दम से चौकी और बोली - हा वो मेरा पेट खराब लग रहा,,मै जरा उपर पाखाने से आती हू ।

ममता ने फौरन राजन का लण्ड छोड कर खड़ी हो गयी।

राजन जल बीन मछली के जैसे तडप कर रह गया । उसका खड़ा लण्ड एकदम से तप सा रहा था और उसे चुत की तलब सी हो रही थी ।

राजन सिस्क कर उखड़े मन से -ओह्ह ठीक है जाओ जल्दी आना
ममता - हा बस अभी आई
ममता ये बोल कर कमरे से बाहर निकल गयी और राजन वही बिस्तर पर लेट गया ।

ममता कमरे से निकल कर तुरंत अपने बगल के कमरे के दरवाजे पर गयी और कान लगाते ही उसे अपने रज्जो भाभी की सिसकियाँ सुनाई दी । ममता के दिल की धड़कन तेज हो गयी और उसके चुचक कड़े हो गया ,,,उसके जांघो मे सिहरन सी होने लगी । एक अन्जाना सा डर और कपकपी उसके पेट मे होने लगी । उसने बडी हिम्मत करके एक गहरी सास ली और हल्का सा पर्दा अपनी उंगलियो मे पकड कर हटाया तो उनकी आंखे चौडी हो गयी ।
अंदर कमलनाथ बिस्तर पर लेटा हुआ था और रज्जो उसके मुह पर अपना भारी गाड रखे हुए उसके लण्ड की ओर झुकी हुई थी । कमलनाथ अपना मुह अपनी गदराई बिबी के गाड़ और भोसदे मे घुसाये हुए चुस रहा था ,,वही रज्जो कमलनाथ का लण्ड को आड़ो से लेकर उपर सुपाडे तक सहला रही । उसने अपनी लार से कमलनाथ का लण्ड पुरा चिकना कर दिया था और बडी बेरहमी से अपनी गाड को कमलनाथ मे मुह पर दरते हुए सिसक कर उसके सुपाडे से चमडी उपर निचे कर रही थी ।

कमरे के अंदर अपने भैया भाभी का इतना कामुक सीन देख कर ममता की सासे फुलने लगी ,,
उसकी नजरे अपने भैया के मोटे काले लण्ड पर गयी जो लार से लिपटा हुआ चमक रहा था और वही उसकी भाभी उसके भैया के आड़ो को हलोरते हुए लण्ड को गले तक ले जा रही थी ।

ममता पागल सी होने लगी ,,उसकी चुचीयो मे झुनझुनी सी होने लगी ,,और वो खुद अपनी चुचियॉ को ब्लाउज के उपर से सहलाना शुरु कर दी
धीरे धीरे ममता को नशा होने लगा ,,वो पागल सी होने लगी ,,,उसकी चुत अपने भैया का लण्ड देख कर कुलबुलाने लगी
और धीरे धीरे उसका हाथ अपनी चुत तक चला गया और वो खुद अपनी चुत को मसलने लगी और मादक सिसकिया लेने लगी ।
इधर राजन भी कम बेताब नही था ,,,एक तो सुबह जबसे उसने अपनी सल्हज रज्जो की मुलायम चुची को सह्लाया और उसने उसका लण्ड थामा था ,वो परेशान था और अभी उसकी बीबी उसका खड़ा लण्ड छोड कर बाथरूम चली गयी ।।

राजन की हालत खराब थी वो जल्द से जल्द ममता की चुत मे घूसना चाहता था इसिलिए वो उठा और ये सोच कर बाहर निकलने लगा की उपर छत पर ही जैसे ममता पाखाने से बाहर आयेगी उसकी चुत मे लण्ड घुसा देगा ।
मगर जैसे ही राजन कमरे से बाहर आया ,,उसकी नजर बगल के कमरे मे अन्दर की तरफ झांकती ममता पर गयी । जो अबतक अपना ब्लाउज खोल चुकी थी और अपनी चुचियॉ को मसल्ते हुए अन्दर की 69 पोजीशन मे चल रही क्रीड़ा देख रही थी।
राजन एक पल को ममता को रज्जो के कमरे के बाहर देख कर चौक गया ,,,मगर जब उसने अपनी बीबी की स्थिति देखी तो समझ गया कि जरुर कुछ गरम क्रियाकलाप चल रहा है अंदर ।

राजन का लण्ड वापस से तन गया ,,उसकी भी सान्से भारी हो गयी कि अन्दर ऐसा क्या देख रही है ममता ,,कही रज्जो नंगी होकर चुदवा तो नही रही ।
राजन इस कल्पना मात्र से गनगना गया
राजन दबे पाव ममता के पीछे गया और हल्का सा गरदन को उचका कर पर्दे से वो भी अन्दर झाँका तो वही सीन जारी था,, जहा कमलनाथ रज्जो की भारी गाड को सहलाते हुए अपना नथुना और मुह उस के भोसडे मे घुसाये हुए थे और वही रज्जो उसका लण्ड गुउउउऊ गुउउऊ करके पुरा गले तक ले जा रही थी और कामुकता वश अपनी गाड़ को कमलनाथ के मुह पर दर रही थी ।
राजन की आंखे फैल गयी उसने फौरन अपना पाजामा खोलकर निचे गिरा दिया और पीछे से ममता की चुचियॉ पकड ली ।

ममता को इसका अह्सास होते ही वो हल्की सी सिस्की ,तो फौरन राजन ने उसके मुह पर हाथ रख बोला - मै हू ,,,यहा क्या कर रही हो

राजन ममता की चुचियॉ को मसलते हुए बोला
ममता राजन की इस हरकत से उसकी बाहो मे पिघलती चली गयी और उसका हाथ अनजाने मे राजन के लण्ड को स्पर्श कर गया ।

ममता ने फौरन राजन का लण्ड हाथ मे भर कर मुठियाने लगी और उसकी नजरे अभी भी अपने भैया के लण्ड पर ही जमी थी ,,,वही राजन की नजर रज्जो के उभरे हुए हिलते कूल्हो पर थी म
राजन ममता की चुचिया मिज्ते हुए धीमी आवाज मे उसके कान मे बोला - तू यहा क्या कर रही है ,,,

ममता जो अब पकड़ी गई थी तो झूठ बोलते हुए - वो मै पाखाने से आई तो मुझे भाभी की सिस्किया सुनाई दी तो देखने लगी अह्ह्ह उम्म्ंम्ं

राजन ममता की चुत को पेतिकोट के उपर से सहलाते हुए - अह्ह्ह ममता ,,रज्जो भाभी तो बहुत गरम लग रही है ,,,तू भी चुस ना वैसे ही मेरा लण्ड

ममता अपने पति की भावना बखूबी समझ रही थी ,,वो जान रही थी की उसका पति की नजरे उसके भाभी के जिस्मो पर है ।
वो मुस्कुरा कर घूमी और वही राजन के पैरो मे बैठ गयी और उस्का लण्ड चूसना शुरु कर दी ।

राजन को बडी शान्ति मिली जब ममता ने उसका लण्ड मुह मे भर लिया तो ।
इधर उपर ये सब प्रोग्राम चल रहा था और निचे अनुज की हालत भी कुछ खास नही थी । उसे बहुत मन था कि उपर जाकर देखे , खासकर की उसकी रज्जो मौसी ,,कैसे नन्गी होकर चुदवा रही होगी ।

अनुज ने बडी हिम्मत करके उठा और दबे पाव तक जीने के पास गया ,,, वो उपर जाने को हुआ लेकिन फिर उसे डर लगने लगा ,,,कही कोई जाग ना रहा हो । इसिलिए वो वापस कमरे की ओर जाने लगा ,,,मगर उसका लण्ड इसके लिये तैयार नही था ।

वो वापस से जीने की ओर गया और दबे पाव बिना कोई आहट के वो उपर की ओर जाने लगा म
वही उपर का माहौल थोडा बदल चुका था ,,, कमरे मे रज्जो घोडी बनी हुई थी और कमलनाथ उसके भारी गुदाज गाड़ को थामे हुए बहुत जोरदार तरीके से पेल रहा था ।वही राजन भी ममता को दरवाजे की ओर झुका कर उसका पेतिकोट उठाकर पीछे से पेलता हुआ ,,अन्दर कमरे मे देख रहा था । एक तरफ जहा राजन को रज्जो की बडी चर्बिदार गाड और लटकी हुई भारी भारी चुचिया जोश दे रही थी ,,वही ममता को उसके भैया कमलनाथ का उसके भाभी को ताबड़तोड़ धक्के लगा कर चोदने का अंदाज पसन्द आ रहा था ।
उन्होने से हल्का सा पर्दा खोल रखा था और दोनो अंदर का नजारा देख कर बहुत ही उत्तेजना के साथ अपनी चुदाई कर रहे थे ।

इतने मे अनुज उपर जिने के मुहाने के करीब पहुच गया और उसकी नजर सीधा अपनी मौसी के कमरे मे बाहर गयी । वहा का नजारा देख कर वो फौरन निचे झुक गया ।

अनुज के दिल की धड़कन तेज हो गयी । उसका लण्ड पूरी तरह से कडक हो गया । उसको कमरे के बाहर और पर्दे के किनारे से कमरे के अन्दर दोनो सीन एक साथ दिख रहे थे । उसका दिल ये सोच कर बहुत तेज धडक रहा था कि ममता बुआ सच मे अपने भैया का लण्ड देखकर चुदाई करवा रही ।

अनुज ने वही सीढ़ी पर बैठ जाना ही उचित समझा और अपना लण्ड निकाल कर सहलाने लगा ।

उधर कमरे के अन्दर और बाहर जबरदस्त चुदाई चल रही थीं और यहा अनुज उन्हे देखते हुए काफी उत्तेजित हो रहा था और आज उसके जीवन का पहला वीर्यपात हो रहा था । अनुज के लण्ड ने वही सीढ़ी पर ही भल्भला कर गरम पानी उगलना शुरु कर दिया और थोडी ही देर मे अनुज एकदम थक सा गया ।

थोडी देर मे उसकी सासे बराबर हुई तो उसे ध्यान आया कि उसने ये क्या कर दिया ।उसको खुद पर बहुत घिन मह्सूस हुई और उसे अपने राज भैया की बात याद आई की मूठ मारने से बाल झड़ता है ।

अनुज ने एक नजर वापस से कमरे की ओर देखा तो राजन अपना लण्ड ममता के मुह पर झाड़ रहा था ,,वही कमरे मे कमलनाथ रज्जो की कमर पर झड़ कर ढह गया था ।

अनुज को लगा यही सही समय है ।।उसने फौरन जेब से रुमाल निकाल कर मुह बनाते हुए अपना वीर्य सीढि से साफ किया और फौरन दबे पाव अपने कमरे मे चला गया ।
इधर अनुज अपने कमरे मे आया और उधर राजन ममता को लेके अपने कमरे मे आ गया और थोडी ही देर मे उसे नीद आने लगी ।

जो जाग रहे थे उन्हे भी थकान की वजह से नीद आ रही थी । सवाल सब्के मन मे थे और कुछ सवाल तो अभी नयी सुबह का इन्तजार भी कर रहे थे । देखते हैं कि क्या होता है आगे ।



जारी रहेगी
Komal update dost
 

Nevil singh

Well-Known Member
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UPDATE 109

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पीछले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एकतरफ चमनपूरा मे रंगीलाल ने शकुन्तला की पोल खोल दी वही राज के मौसी के यहा रात मे गजब की रोमांचक घटनाये घटी और कुछ गहरे सवालो की उधेड़बुन के साथ रात बित गयी ।

अगली सुबह राजन की नीद करीब करीब 5 बजे तक खुली , वो उठा और एक नजर ममता को देखा । फिर उसे रात की घटना याद आई और उसका लण्ड कड़क हो गया ।
वो भी अन्गडाई लेके उठा और कमरे से बाहर आकर वो जीने से छ्त पर जाने के लिए मूड़ा ही था कि उसे रज्जो के कमरे से रोशनी बाहर आती दिखी ।

राजन की आंखे चमक उठी और वो लपक के रज्जो के कमरे की ओर गया ,,तो देखा दरवाजा और पर्दा कल रात मे जैसे था ,वैसे का वैसा ही पडा है और अंदर कमरे मे रज्जो और कमलनाथ नंगे एक-दूसरे से चिपके सोये है ।

राजन का लण्ड रज्जो की फुली हुई चुत देख कर खड़ा हो गया । तभी कमरे मे 5 बजे का अलार्म बजा और रज्जो उठ कर बैठ गयी । राजन फौरन दरवाजे से हट गया । मगर अन्दर रज्जो को आभास हो गया कि दरवाजे पर कोई है।

राजन भी वहा से तुरंत छत की ओर निकला मगर तब तक रज्जो उठा कर पर्दे के पीछे से राजन को सीढि से उपर जाते देख चुकी थी ।

रज्जो मन मे - कही जीजा जी ही तो नही थे ??

रज्जो को अब खुद पर बडी शर्मिंदगी हो रही थी और कि उसकी लापरवाही मे आज सुबह सुबह नंदोई जी ने उसको नंगा देख लिया होगा ।
अब ना जाने कैसे वो उनका सामना करेगी ।

वहा से हट कर रज्जो ने दरवाजा बंद कर दिया और एक मैकसी डाल कर , कमलनाथ को एक चादर से ढक कर ,खुद निचे के बाथरुम में फ्रेश होने के लिए चली गयी ।
थोडी देर बाद धीरे धीरे सब उठ कर अपने अपने कामो मे लग गये । रज्जो भी फ्रेश होकर उपर गलियारे मे झाडू लगा रही थी कि उसकी नजर अपने कमरे के बाहर दरवाजे पर टपके वीर्य की कुछ बूंदो पर गयी जो सूख चुकी थी और उसे देख कर रज्जो को भोर के समय का ख्याल आया जब उसने राजन को दबे पाव उसके कमरे के बाहर से सीढ़ी की ओर जाते देखा था ।

रज्जो मन मे मुस्करा कर - मतलब जीजा जी ने पुरा मजा लिया सुबह सुबह ,,, नजर रखनी पड़ेगी अब मुझे भी हिहिहिही

फिर रज्जो ने वो दाग एक गीले कपडे से साफ करके बाकी का काम खतम करके नहाने के लिए अपने कपडे लेके उपर चली गयी ।

जहा ममता और राजन पहले से ही मौजुद थे। राजन जो कि अभी अभी नहा कर निकला था और सिर्फ एक गम्छा लपेट कर अपना जांघिया झाड कर छत की अरगन पर फैला रहा था ।

रज्जो इस समय एक मैकसी मे थी और उसके चुचिय चलने पर बहुत हिल दुल रही थी ।इधर राजन की नजर रज्जो पर पड़ते ही उसे सुबह और रात मे रज्जो का रन्डीपना याद आ गया कि कितनी भुखी है लण्ड की ।

ये सोचते ही राजन के लण्ड ने एक बार फिर से अंगड़ाई ली और ऊभार उपर से साफ दिखने लगा ।

राजन एक गाव का किसान आदमी था ,उसने खेतो मे बहुत मेहनत किया था तो उसका बदन बहुत कसा हुआ था ।
रज्जो की नजरे भी एक बार अपने नंदोई की नंगी चौडी छाती पर गयी फिर उसके लण्ड के उभार पर मारा और फिर जब राजन से नजरे मिली तो अनायास ही उसकी एक मुस्कुराहत निकल पडी ,जिस्मे शर्माहट भरी हुई थी ।

रज्जो नजरे चुराते हुए बाथरूम की ओर निकल गयी जहा ममता नहाने बैठी हुई थी ।

राजन ने भी मुस्करा कर अपना कपडा लेके निचे चला गया ।

रज्जो बाथरूम के पास जाकर देखा तो ममता भी लगभग नहा चुकी थी और एक पेतिकोट को अपनी छातियों पर बाँधे हुए कपडे खंगाल रही थी ।

रज्जो इतरा कर - ओह्हो लग रहा है रात मे भैया का खुन्टा देख कर बहुत गरम हो गयी थी ,,जो बडे सवेरे नहा ली हम्म्म

ममता रज्जो की बात सुन कर मुस्कुराते हुए - हा देखा मैने कैसे जुल्म करती हो मेरे भैया पर आप ,, इतना बड़ा तबेले जैसा गाड रख दी बेचारे के मुह पर

रज्जो ममता को छेड़ते हुए - ओहो मतलब सच मे आई थी देखने अपने भैया का खुन्टा हम्म्म्म
ममता रज्जो की बाते सुन कर शर्मा कर झेप सी गयी और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ कि जल्दीबाजी मे उसने क्या क्या बोल दिया ।

रज्जो ममता को शर्म से लाल होता देख - ओह्हो देखो कैसे शर्मा रही है ,,जैसे रात मे अपने भैया से सुहागरात मना के आई हो

ममता ह्स कर - अरे भाभी आप छोडो तब ना मै कुछ करू ,,,आपने ही पुरा कब्जा कर रखा था ।

रज्जो वापस ममता को छेड़ कर - ओहो मतलब पुरा मन है अपने भैया को सईया बनाने का हम्म्म

ममता फिर से शर्म से लाल हो गयी ,,वो जान रही थी कि बातो मे वो अपने भाभी से नही जीत सकती ,,, वो कुछ भी बोले उसकी चित ही होनी है । इसिलिए उसने फिल्हाल के लिए किनारा करना ही सही समझा

ममता बालटी मे कपडे लेके - अरे भाभी हटो ,,क्या सुबह सुबह आप भी हिहिहिही

रज्जो किनारे होकर - अरे मेरी ननद रानी ,,एक बार लेके तो देखो अपने भैया का ,,फिर क्या सुबह क्या रात हिहिहिही

ममता बस हस दी और जानबुझ कर कोई जवाब नही दिया क्योकि वो फिर से अपनी भाभी के जाल मे फंसना नही चाहती थी ।

रज्जो भी कोई प्रतिक्रिया ना पाकर समझ गयी कि अब उसकी ननद शर्मा रही है तो उसने भी ज्यादा खिंचाई नही की और अपने कामो मे लग गयी ।
थोडी देर बाद सारे लोग हाल मे एक्ठ्ठा हुए , तब तक पल्लवि और सोनल ने नाश्ता तैयार कर लिया था ।

फिर सबने नाश्ता कर लिया और आज के काम के बारे मे चर्चा होने लगी कि आगे क्या होना है क्या बाकी है ।

कुछ सामनो की पर्चीया बनाई गयी और रज्जो ने तय किया कि आज छोटे मोटे काम निपटा लिया जाये और कल का लाया हुआ सामान सही जगह रख कर सहेज लिया जाय । फिर कल सारे लोग माल चलेंगे , वही रमन के लिए दूल्हे का कपडा और बाकी जिसको जरुरत होगी उसके हिसाब सब कोई ले लेगा ।


माल जाने की बात सुन कर पल्लवि अनुज सोनल बहुत ही चहक उठे । हालांकि अनुज पहले भी जानिपुर आ चुका था मगर पल्लवि और सोनल के लिए ये पहला अनुभव था ।

सारे लोग खुशी खुशी अपने अपने कामो मे लग गये । कमल्नाथ और राजन फिर से बाहर निकल गये कुछ अधूरे कामो के लिये ।
रमन अनुज को लिवा कर ब्रेकरी वाले दुकान पर चला गया और बाकी महिला मंडल घर के कामो मे लग गयी ।

इधर जहा ये सब घटित हो रहा था वही चमनपुरा मे दो जवाँ दिलो के धडकते अरमाँ अपनी उड़ान भर रहे थे ।


राज की जुबानी

रात मे अपना चुदाई का कोटा पुरा करके हम सब लोग सो गये ।
सुबह उठकर सारे लोग नाश्ते के बाद अपने अपने कामों में लग गये ।
मै भी 8 बजे तक दुकान खोलकर बैठ गया और थोडा साफ सफाई करते वक़्त मेरी नजर पैंटी के डब्बे पर गयी तो मुझे शकुन्तला ताई की बात याद आई । मेरे चेहरे पर अनायास मुस्कुराहत आ गयी ।

मैने थोडी देर बाद सारा काम खतम किया और कुछ ग्राहको से काम निपटा कर फ्री हुआ ।

फिर मैने शकुन्तला ताई के नाप की कुछ पैंटी के रंग का फ़ोटो निकाल कर काजल भाभी के व्हाटसअप पर भेज दिया और तुरंत उनको फोन भी लगा दिया ।

ये मेरा काजल भाभी को पहला काल था जो मैने सगाई के दिन ही पंखुडी भाभी के माध्यम से उनका नम्बर लिया था ।

तिन बार रिंग जाने के बाद ही फोन पिक हुई
काजल भाभी - हा हैलो ,कौन
मै काजल भाभी की मीठी धीमी आवाज सुन कर ही गदगद हो गया - नमस्ते भाभी मै बोल रहा हू राज
काजल थोडा हस कर - अरे बाबू आप हो ,,मै सोची किसका नम्बर है , कहिये फोन क्यू किया
मै हस कर - बस आपकी याद आई तो कर लिया हिहिहिही
काजल भाभी शर्मा गयी और थोडा असहज होकर - मतलब बाबू ,हम समझे नही

मै ह्स कर - अरे आप तो परेशान हो गयी होहिहिही ,,वो कल शाम को ताई जी आई थी घर ना ,तो उनको कुछ अंडरगारमेंट्स के कपडे चाहिये थे ,, साइज़ तो मुझे पता है आप रंग उनको दिखा दो ,मैने व्हाटसअप किया है आपको

काजल अंडरगारमेंट्स की बात पर फिर से शर्मा गयी मगर उसकी सास की बात थी तो - जी बाबू , रुकिये हम अभी मम्मी जी को दिखा कर फोन करते है ।

फिर फोन कट गया ।
मै बाकी के कामो मे लग गया और थोडी ही देर मे काजल भाभी का फोन आने लगा तो मेरे चेहरे पर मुस्कान छा गयी ।

मै फोन उठा कर - हा भाभी बोलिए
काजल भाभी - हा बाबू ,वो एक नेवी ब्लू और एक ब्राउन कलर वाला कर देना ।
मै खुश होकर - ठीक है भाभी , और कुछ आपके लिए

काजल हस कर - अरे मेरे लिए क्या हिहिहिही
मै - अरे वही बाली , रिंग ,लिपस्टिक, आईलाईनर , सिन्दूर बिन्दी हिहिहिहिही
काजल भाभी हस कर - अरे नही नही बाबू कुछ नही ,,कुछ चहिये होगा तो हम बता देंगे,,आपका नम्बर है ना हिहिहिही
मै खुश होकर - जी ठीक है भाभी ,रखता हू फिर ।
काजल भाभी - हा बाबू रखिये बाय ।

फिर फोन कट गया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहत थोडी देर छायी रही ।
मै वापस दुकान के कामो मे लग गया । करीब 11बजे चंदू का मेरे पास फोन आया की वो चौराहे वाले घर पहुच गया है और थोडी देर मे मै भी पहुच जाऊ । मैने भी उसको 12बजे तक आने को बोलकर फोन रख दिया ।

थोडी देर बाद मा दोपहर का खाना लेके आई और मैने चौराहे पर जाने के लिए नया बहाना खोज लिया था ।

मै - मा वो मै कह रहा था कि चंदू का फोन आया था , हमारे स्कूल पर कोई काम है ,,तो मै जाकर देख लू , एक घंटा लग जायेगा ।

मा थोडा सोच कर- अच्छा ठीक है , लेकिन पहले ये खाना खा ले और पापा का टिफ़िन देके उधर से ही निकल जाना ।

मै भी खाना खाकर और पापा का टिफ़िन देते हुए निकल गया चौराहे की ओर ।
थोडी ही देर मे मै चौराहे वाले घर पर पहुचा और गेट खोल कर घर मे प्रवेश किया और सबसे पहले जाकर मम्मी पापा का कमरा सही किया क्योकि उनके कमरे बेड का गद्दा बहुत मोटा था और रोज रात मे मा की चुदाई मे बहुत मजा आता था ।

कमरा सेट करने के बाद मैने चंदू को फोन किया ,,मेरे दिल की धड़कने तेज हो गयी थी और आने वाले रोमांच को लेके लण्ड ने भी अंगड़ाई लेनी शुरु कर दी थी ।

मैने दो बार फोन किया लेकिन चंदू ने फोन नही उठाया ,, मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि ये साला फोन क्यू नही उठा रहा है ।

मै वही हाल मे चक्कर काटने लगा और फिर थोडी शंका हुई तो बाथरूम मे जाकर पेशाब करने लगा ,,,खडे लण्ड से पेशाब निकलने मे भी मुझे थोडी जलन सी हुई ।

मैने वही बाथरूम से निकल्ते ही फिर से ट्राई किया और आखिरी रिंग जाते जाते चंदू ने फोन पिक किया ।

मै गुस्से से तिलमिला कर - अबे साले फोन क्यू नही उठा रहा है ।
चन्दू - भाई मै झडने के करीब था तो कैसे उठा लेता , और मै तेरे भी तो जुगाड मे लगा था ना । जल्दी से दरवाजा खोल बाहर ही हू ।

मै चौक कर खुश हुआ और खुद को ठीक किया और फिर दरवाजा खोला तो सामने चंदू और चंपा थे । दोनो मुस्कुरा रहे थे ।

फिर चंदू मुझे हटा कर चम्पा का हाथ पकड कर अंदर जाने लगा
।मै उसे रोकते हुए - अबे तू कहा जा रहा है ,,दीदी को कौन देखेगा फिर ।

चंदू हस कर - मैने मा को घर जाने के लिए बोल दिया। ये बोलकर दीदी को लाया हू कि मुझे कालेज पर काम है और दीदी को वही अपने एक सहेली से मिलना है ।

मैने मुस्करा कर एक नजर चम्पा को देखा तो वो शर्मा कर मुस्कुरा रही थी ।
चंदू - भाई जल्दी कर ले 1 बजे तक पापा के आने का समय है ,,वो घर पर दीदी को नही देखेंगे तो मा पर गुस्सा करेंगे ,तू तो जानता ही है ना पापा को मेरे ।

मै चंदू की बातो पर ध्यान नही दे रहा था ,,मेरी नजारे तो चंपा के टीशर्ट मे उभरे हुए उसकी 34C की ब्ड़ी ब्ड़ी चुचियॉ के नुकीले निप्प्ल पर थी । चंपा की नजर जब मुझ पर गयी तो उसके दिल की धडकनें तेज हो गयी और चुचिय टीशर्ट को उपर उठाने लगी ।

चंदू ने भी मेरी नजर को भाप लिया तो तपाक से चंपा के पीछे गया और उसका टीशर्ट उठा कर चुचियॉ को नंगा कर दिया ।

चंदू - भाई तरस क्यू रहा है ,,ऐसे देख ले ना ,
चंदू के इस हरकत से चंपा सिहर गयी और उसकी आंखे बंद हो गयी । मेरी नजरे चंपा के गोल गोल हल्के सावले चुचो पर थी ,,,उसके निप्प्ल बहुत सख्त थे ।

मै थुक गटक कर एक बार पैंट के उपर से अपने सर उठाते लण्ड को दबाया तो मेरे तन बदन मे सरसराहट और तेज हो गयी । मै धीरे से एक कदम आगे बढा , तबतक चंदू ने चंपा की चुचिया निचे से थाम ली और वही अपने भाई का स्पर्श अपनी चुचियॉ पर पाकर चम्पा चंदू की बाहो मे पिघल गयी ,,वो लम्बी लम्बी सासे लेने गयी जिससे उसकी थन जैसी चुचिया उपर निचे होने लगी ।

मै अब चम्पा के सामने आ चुका था और मैने हौले से हाथ बढा कर अपनी कड़क हथेली को चंपा के नुकीले निप्प्ल पर साम्ने से रखा

चंपा - सीईई उम्म्ंम्ं ,,,फिर वो तेजी से सासे लेने लगी ।
उसकी बेताबी देखकर मैने अपना लण्ड एक हाथ से पैंट के उपर से सहलाते हुए दुसरे हाथ की हथेली को उसकी चुची पर अच्छे से फिराया और फिर उसको निचे से उठाया तो काफी वजनदार था वो ।
मेरे बदन मे एक कपकपी सी होने लगी ,, एक नया सा अह्सास था और मेरे अन्दर का हवस मुझ पर हावी हो रहा।
इतने मे चंदू ने चम्पा को मेरी तरफ धकेला ,मै बडी मुस्किल से चम्पा को लेके संभला ,, मगर इस घटना मे चंपा की चुची पर मेरी पकड और तेज हो गयी थी ,,जिससे चम्पा की सिसकी निकल गयी ।

चंदू - ले भाई मजा कर ,,मै यही हू हिहिहिजी

चम्पा जो कि अब मेरी बाहो मे थी ,,उसकी कमर के निचले हिस्से और कूल्हो पर मेरा हाथ रेंग रहा था और दुसरा हाथ अब भी वैसे ही उसकी चुची पर कसा हुआ था ।

चन्दू के मुह से ऐसी बाते सुन कर हम दोनो एक दुसरे को देख कर मुस्कुराये और मैने चम्पा के होठो से अपने होठ जोड लिये
उफ्फ्फ क्या गरम तपते होठ थे उसके ,,चंपा ने तेजी से मेरे होठो को चूसने लगी, उसकी गरमी देख कर मै भी जोश मे आ गया और एक हाथ को उसी चुची पर मस्ल्ते हुए दुसरे हाथ को चम्पा के गाड पर फिराने लगा ।

स्कर्ट के उपर से सहलाने पर मुझे चंपा की गाड अन्दर से बिल्कुल नंगी मह्सूस हुई जिससे मेरे तन और लण्ड में गर्मी बढ गयी ।

मैने अपने दोनो हाथ पीछे ले जाकर चम्पा की गाड नोचने लगा ,,बदले मे चंपा अपनी एडिया उठा कर मेरे होठ चूसे जा रही थी ।

मैने धीरे धीरे स्कर्ट को उपर उठा दिया और उसके नंगी मुलायम गाड के सहलाते हुए उन्हे मसलने लगा ।

उधर चंदू वही हाल मे लगे सोफे पर बैठ कर अपना लण्ड निकाल कर उसे सहलाने लगा ।
चंपा की सिसकियाँ बहुत ही कामुक थी और वो खुद का जिस्म मेरे बदन पर घिसने लगी ।
मैने उसके गाड के पाटो को फैलाया और बीच वाली ऊँगली को उसकी गाड़ मी गहरी दरारो मे डाल कर रगड़ने लगा ।
चंपा ने एक गहरी अह्ह्ह भरी और मेरे कंधो को पकड मजबूत कर ली ,,उसके नुकीले नाखून टीशर्ट मे घूस कर चुबने लगे । मेरे हर बार अपनी उन्गली उसके गाड की दरारो से उसकी सुराख तक ले जाते वक़्त वो तेजी अपने चुतडॉ को सख्त कर लेती और गहरी सिसकिया लेने लगती ।

मै जितना सोच रहा था चम्पा उससे कही ज्यादा गरम लडकी थी , उसके हाथ अब मेरे पैंट के उपर से लण्ड के उभार को टटोलने लगे थे । मैने उसकी आंखो मे एक नशा सा देखा , वो सिस्कते हुए मुस्कुराई और निचे मेरे पैरो मे सरकती चली गयी ।

चम्पा की आवाज भारी थी और उसकी मादक सिस्कियो से भरी हसी मुझे और भी उत्तेजीत कर रही थी । उसने जल्दी जल्दी मेरे बेल्ट खोल कर पैंट निचे कर दिया और अंडरवियर मे उभरे हुए लण्ड को उपर से सहलाया ।

मै उसकी अदा से पूरी तरह काप गया , मेरे बदन मे झुरझुरी सी होने लगी ,,पाव कांपने लगे ,,अगले ही पल चम्पा ने अंडरवियर मे हाथ डाल कर मेरे मुसल को निकाला जो पूरी तरह से तीर के जैसे सीधा और नुकीला हिल रहा था ।

चम्पा ने एक बार बडी मादकता से अपनी नाक के मेरे सुपाडे के पास रख कर उसकी गर्मी और गन्ध को आंखे बंद कर मह्सूस किया और उसके चेहरे पर एक मुस्कान छा गयी ।

जब उसने अप्नी आन्खे खोली तो वो एक नशे मे थी और उसकी वो मुस्कान मेरे दिल की धडकनें तेज कर रही थी ,, उसने अपनी नशीली आंखो और उसी कातिल मुस्कान के साथ मुझे देखते हुए अपनी नुकीले नाखूनों से मेरे आड़ो को खरोचते हुए इठलाई ।

मेरी आंखे इस अहसास से बंद सी हो गयी और मेरे हाथ उसके सर पर चले गये । मैने अपनी एड़ियो को उचकाया और उसके सर को अपने लण्ड की तरफ खीचा ।

एक गरम भाप और फिर मानो मुलायम बर्फ की खोल मे मेरा लण्ड सरकने ।
आंखे खोला तो चम्पा मेरा आधा लण्ड घोट चुकी थी और उसकी आंखे बंद थी ,,, लण्ड को इतनी चाव से चूसने पर मुझे गीता की याद आई ,,,वो भी ऐसे ही मेरे लण्ड को चुसती थी ,,मगर उसके छोटे हाथो और नरम होठ का स्पर्श कुछ अलग था ,,,जबकी यहा तो चंपा एक माहिर खिलाडी लग रही थी ।

उसने मेरे आड़ो को अपने एक मुठ्ठि मे कस रखा था जिससे मेरे लण्ड की लम्बाई मे हल्का इजाफा था ,,जिसे वो पुरा गले तक उतार चुकी थी ।

मै पागल सा होने लगा उसकी मुठ्ठि मेरे आड़ो को और कस रही थी ,,एक मीठा दर्द सा हो रहा था क्योकि मेरे आड़ो मे रस निकल कर मेरे सुपाडे की ओर जाने चाहते थे । मगर चम्पा ने ऐन जगह पर मेरे लण्ड को कसा हुआ था ।

ऐसा अनुभव मैने आज तक नही किया था ,, चम्पा जैसी गरम लड़की को भोगना आसान नही था , उसके लण्ड चुसने का अंदाज निराला था ,,
मै धीरे धीरे चरम की ओर बढ रहा था ,
ऐसे मे चंपा ने हौले से मेरा लण्ड अपने मुह से निकालते हुए मेरे आड़ो से पकड ढीली की
जिससे तेजी से सारा वीर्य मेरे आड़ो से सुपाडे मे भरने लगा । मेरे लण्ड मे गरमी बढने लगी और मै दुगनी ताकत से अपने लण्ड की निचली नशो पर काबू करने लगा ,, मेरा चेहरा तप रहा था ,,एडिया उठ चुकी थी, लण्ड पूरी तरह से तन गया था ,,सुपाडे मे गर्मी बढ गयी थी ।।

ऐसे मे चंपा ने मेरे लण्ड को उपर करके निचले हिस्से मे सूपाडे की गांठ पर जीभ फिराने लगी और मेरा सारा सन्तुलन और ताकत एक साथ एक गाढ़े फब्बारे के जैसा फुट पडा ,,, मेरा सुपाडा सारा माल एक साथ चंपा के मुह पर ऊड़ेलने ,,,आज तक मैने इतनी ऊततेज्ना मह्सूस नही की थी ।
मेरा लण्ड झटके दे रहा था और चम्पा के चेहरा मेरे वीर्य से टपक रहा था ।

मेरे हाथ आनायास ही मेरे लण्ड पर गये और मैने अच्छे से उसे झाड़ते हुए एक गहरी सास ली ,,,मै संतुष्ट था कि मै उस दर्द से आजाद था ।

वही जब नजर चंपा पर गयी तो वो मुस्कुरा रही थी और अपने मुछो के पास से टपकते बीर्य को जीभ से साफ कर रही थी ।

मै एक बार हल्का सा हसा और दो कदम पीछे होकर बेड पर बैठ गया ।

वही चंदू बस अपना लण्ड सहलाते हुए मुस्कुरा रहा था ।
चंपा उठी और मुझसे बाथरूम का पुछ कर मेरे कमरे की ओर चली गयी ।

मैने धीरे धीरे अपनी सास बराबर की और एक नजर चंदू को देखा तो वो मुझे इशारे से मेरा हाल पुछ रहा था ।

मै भी मुस्कुरा दिया ,, थोडी देर बाद चंपा बाहर आई
फिर मैने अपने कपड़े सही किये और सबको ठण्डा पानी पीने को दिया ।

फिर चंपा के बगल मे जाकर बैथ गया । चंपा मुझसे ऐसे चिपक गयी मानो मेरी प्रेमिका हो । हमने कोई बाते नही की बस एक दुसरे को देख कर मुस्कराये ।

चंदू हस कर - फिर भाई क्या इरादा है हाह्हहहा
मै थोडा शर्मा कर हसा - आज बस इतना ही भाई ,,बहुत थकान सी लग रही है हिहिहिही

चंदू हस कर - होता है भाई ,,तेरा पहली बार है ना ,,तो थकान तो होगा ही हिहिहिही

चंदू की बात पर चंपा ने मुझे ऐसे घूरा मानो मेरी चोरी पकड ली हो । मै उसकी आंखो मे देखकर इशारा से बोला क्या हुआ


वो बस मुस्कुरा दी ,,मुझे पता था कि चंपा जान रही थी कि ये मेरा पहली बार नही था ।

चंदू - तो फिर कब की प्लानिंग करनी है ।
मैने एक अंगड़ाई ली और चम्पा को देख कर उसके पुछते हुए - कल ???

वो शर्मा कर हा मे इशारा कर दी
फिर हम लोग मार्केट वाले घर के लिए एक साथ ही निकल गये ।

रास्ते मे काफी लोगो ने टीशर्ट मे उभरी हुई चंपा की नुकीली चुचिया और उसकी पतली स्कर्ट मे हिलते गाड को घूरा,,मगर हम तीनो ने उन पलो को भी इंजॉय किया ।
थोडी देर बाद मै दुकान पर चला गया और अपने कामो मे लग गया ।

शाम को 7 वजे तक शकुन्तला ताई की पैंटी लेके मै और मा साथ मे ही अपने चौराहे वाले घर वापस आ गये ।

मै पैंटी का थैला जानबुझ कर अपने कमरे मे रख दिया और नहाने चला गया ।
हम दोनो नहा के आये कि इतने मे पापा भी आ चुके थे ।

फिर पापा ने वही हाल मे ही अपने कपडे निकालने शुरु कर दिये । और एक तौलिया लपेट कर बनियान डाल ली ।

इधर मा भी कीचन मे भीड़ गयी और पापा को नहाने जाने को बोला ,,,मगर ऐन मौके पर डोर बेल बजी ।

हम तीनो जान रहे थे कि इस वक्त कौन आया होगा और हमारे चेहरे मुस्कुरा रहे थे ।

जारी रहेगी
आप सभी प्रतिक्रियाओ का इंतजार रहेगा
Mast update mitr
 

rkv66

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दहकता हुआ शोला 😂😂😂😂 ... चलो अच्छा है गुप्त रूप से ही मगर कहानि का मजा तो ले ही रहे थे । आज पहली बार कुछ बोला तो पता चला कि आपके लिए भी मेरी कहानी की कुछ वैलयू है ।

वैसे सही पकड़े है ये कहानी सिर्फ मुठ्ठलो के लिये ही है । अब मिस्ट्री सस्पेंस पढना होता तो लोग इस काली दुनिया मे आते ही क्यू ।
रही बात incest और adultery की तो उसके सब्के अपने अपने मायने ,,, कभी कभी सोचता हूँ कि अगर मेरी ये कहानी जो कि असल मे ऐडल्टरी है अगर ये इंटरनेट की सबसे पहली incest story कहानी होती तो Incest और adult के क्या मायने होते ।

अब बाते है नैरेशन की तो वो आप लेखक को ही तय करने दो कि कहानी उसे कैसे चलानी है । सब कुछ आपके हिसाब से हो जायेगा तो लेखक के मन और कल्पना का क्या रह जायेगा । 😂😂😂😂


अब आखिरी बात , अगर आप सोच रहे हैं कि ये सब ज्ञान और विवरण मै आपके सन्दर्भ मे कह रहा हूँ तो गलत है आप , ये मेरे उन लोयल पाठको के लिये संदेश है कि मेरी कहानी पूरी होगी ।
Very well Said, Dreamboy Bhai
 

Naik

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UPDATE 109

CHODAMPUR SPECIAL UPDATE

पीछले अपडेट मे आपने पढा कि जहा एकतरफ चमनपूरा मे रंगीलाल ने शकुन्तला की पोल खोल दी वही राज के मौसी के यहा रात मे गजब की रोमांचक घटनाये घटी और कुछ गहरे सवालो की उधेड़बुन के साथ रात बित गयी ।

अगली सुबह राजन की नीद करीब करीब 5 बजे तक खुली , वो उठा और एक नजर ममता को देखा । फिर उसे रात की घटना याद आई और उसका लण्ड कड़क हो गया ।
वो भी अन्गडाई लेके उठा और कमरे से बाहर आकर वो जीने से छ्त पर जाने के लिए मूड़ा ही था कि उसे रज्जो के कमरे से रोशनी बाहर आती दिखी ।

राजन की आंखे चमक उठी और वो लपक के रज्जो के कमरे की ओर गया ,,तो देखा दरवाजा और पर्दा कल रात मे जैसे था ,वैसे का वैसा ही पडा है और अंदर कमरे मे रज्जो और कमलनाथ नंगे एक-दूसरे से चिपके सोये है ।

राजन का लण्ड रज्जो की फुली हुई चुत देख कर खड़ा हो गया । तभी कमरे मे 5 बजे का अलार्म बजा और रज्जो उठ कर बैठ गयी । राजन फौरन दरवाजे से हट गया । मगर अन्दर रज्जो को आभास हो गया कि दरवाजे पर कोई है।

राजन भी वहा से तुरंत छत की ओर निकला मगर तब तक रज्जो उठा कर पर्दे के पीछे से राजन को सीढि से उपर जाते देख चुकी थी ।

रज्जो मन मे - कही जीजा जी ही तो नही थे ??

रज्जो को अब खुद पर बडी शर्मिंदगी हो रही थी और कि उसकी लापरवाही मे आज सुबह सुबह नंदोई जी ने उसको नंगा देख लिया होगा ।
अब ना जाने कैसे वो उनका सामना करेगी ।

वहा से हट कर रज्जो ने दरवाजा बंद कर दिया और एक मैकसी डाल कर , कमलनाथ को एक चादर से ढक कर ,खुद निचे के बाथरुम में फ्रेश होने के लिए चली गयी ।
थोडी देर बाद धीरे धीरे सब उठ कर अपने अपने कामो मे लग गये । रज्जो भी फ्रेश होकर उपर गलियारे मे झाडू लगा रही थी कि उसकी नजर अपने कमरे के बाहर दरवाजे पर टपके वीर्य की कुछ बूंदो पर गयी जो सूख चुकी थी और उसे देख कर रज्जो को भोर के समय का ख्याल आया जब उसने राजन को दबे पाव उसके कमरे के बाहर से सीढ़ी की ओर जाते देखा था ।

रज्जो मन मे मुस्करा कर - मतलब जीजा जी ने पुरा मजा लिया सुबह सुबह ,,, नजर रखनी पड़ेगी अब मुझे भी हिहिहिही

फिर रज्जो ने वो दाग एक गीले कपडे से साफ करके बाकी का काम खतम करके नहाने के लिए अपने कपडे लेके उपर चली गयी ।

जहा ममता और राजन पहले से ही मौजुद थे। राजन जो कि अभी अभी नहा कर निकला था और सिर्फ एक गम्छा लपेट कर अपना जांघिया झाड कर छत की अरगन पर फैला रहा था ।

रज्जो इस समय एक मैकसी मे थी और उसके चुचिय चलने पर बहुत हिल दुल रही थी ।इधर राजन की नजर रज्जो पर पड़ते ही उसे सुबह और रात मे रज्जो का रन्डीपना याद आ गया कि कितनी भुखी है लण्ड की ।

ये सोचते ही राजन के लण्ड ने एक बार फिर से अंगड़ाई ली और ऊभार उपर से साफ दिखने लगा ।


राजन एक गाव का किसान आदमी था ,उसने खेतो मे बहुत मेहनत किया था तो उसका बदन बहुत कसा हुआ था ।
रज्जो की नजरे भी एक बार अपने नंदोई की नंगी चौडी छाती पर गयी फिर उसके लण्ड के उभार पर मारा और फिर जब राजन से नजरे मिली तो अनायास ही उसकी एक मुस्कुराहत निकल पडी ,जिस्मे शर्माहट भरी हुई थी ।

रज्जो नजरे चुराते हुए बाथरूम की ओर निकल गयी जहा ममता नहाने बैठी हुई थी ।

राजन ने भी मुस्करा कर अपना कपडा लेके निचे चला गया ।

रज्जो बाथरूम के पास जाकर देखा तो ममता भी लगभग नहा चुकी थी और एक पेतिकोट को अपनी छातियों पर बाँधे हुए कपडे खंगाल रही थी ।

रज्जो इतरा कर - ओह्हो लग रहा है रात मे भैया का खुन्टा देख कर बहुत गरम हो गयी थी ,,जो बडे सवेरे नहा ली हम्म्म

ममता रज्जो की बात सुन कर मुस्कुराते हुए - हा देखा मैने कैसे जुल्म करती हो मेरे भैया पर आप ,, इतना बड़ा तबेले जैसा गाड रख दी बेचारे के मुह पर

रज्जो ममता को छेड़ते हुए - ओहो मतलब सच मे आई थी देखने अपने भैया का खुन्टा हम्म्म्म
ममता रज्जो की बाते सुन कर शर्मा कर झेप सी गयी और उसे अपनी गलती का अहसास हुआ कि जल्दीबाजी मे उसने क्या क्या बोल दिया ।

रज्जो ममता को शर्म से लाल होता देख - ओह्हो देखो कैसे शर्मा रही है ,,जैसे रात मे अपने भैया से सुहागरात मना के आई हो

ममता ह्स कर - अरे भाभी आप छोडो तब ना मै कुछ करू ,,,आपने ही पुरा कब्जा कर रखा था ।

रज्जो वापस ममता को छेड़ कर - ओहो मतलब पुरा मन है अपने भैया को सईया बनाने का हम्म्म

ममता फिर से शर्म से लाल हो गयी ,,वो जान रही थी कि बातो मे वो अपने भाभी से नही जीत सकती ,,, वो कुछ भी बोले उसकी चित ही होनी है । इसिलिए उसने फिल्हाल के लिए किनारा करना ही सही समझा

ममता बालटी मे कपडे लेके - अरे भाभी हटो ,,क्या सुबह सुबह आप भी हिहिहिही

रज्जो किनारे होकर - अरे मेरी ननद रानी ,,एक बार लेके तो देखो अपने भैया का ,,फिर क्या सुबह क्या रात हिहिहिही

ममता बस हस दी और जानबुझ कर कोई जवाब नही दिया क्योकि वो फिर से अपनी भाभी के जाल मे फंसना नही चाहती थी ।

रज्जो भी कोई प्रतिक्रिया ना पाकर समझ गयी कि अब उसकी ननद शर्मा रही है तो उसने भी ज्यादा खिंचाई नही की और अपने कामो मे लग गयी ।
थोडी देर बाद सारे लोग हाल मे एक्ठ्ठा हुए , तब तक पल्लवि और सोनल ने नाश्ता तैयार कर लिया था ।

फिर सबने नाश्ता कर लिया और आज के काम के बारे मे चर्चा होने लगी कि आगे क्या होना है क्या बाकी है ।

कुछ सामनो की पर्चीया बनाई गयी और रज्जो ने तय किया कि आज छोटे मोटे काम निपटा लिया जाये और कल का लाया हुआ सामान सही जगह रख कर सहेज लिया जाय । फिर कल सारे लोग माल चलेंगे , वही रमन के लिए दूल्हे का कपडा और बाकी जिसको जरुरत होगी उसके हिसाब सब कोई ले लेगा ।


माल जाने की बात सुन कर पल्लवि अनुज सोनल बहुत ही चहक उठे । हालांकि अनुज पहले भी जानिपुर आ चुका था मगर पल्लवि और सोनल के लिए ये पहला अनुभव था ।

सारे लोग खुशी खुशी अपने अपने कामो मे लग गये । कमल्नाथ और राजन फिर से बाहर निकल गये कुछ अधूरे कामो के लिये ।
रमन अनुज को लिवा कर ब्रेकरी वाले दुकान पर चला गया और बाकी महिला मंडल घर के कामो मे लग गयी ।

इधर जहा ये सब घटित हो रहा था वही चमनपुरा मे दो जवाँ दिलो के धडकते अरमाँ अपनी उड़ान भर रहे थे ।


राज की जुबानी

रात मे अपना चुदाई का कोटा पुरा करके हम सब लोग सो गये ।
सुबह उठकर सारे लोग नाश्ते के बाद अपने अपने कामों में लग गये ।
मै भी 8 बजे तक दुकान खोलकर बैठ गया और थोडा साफ सफाई करते वक़्त मेरी नजर पैंटी के डब्बे पर गयी तो मुझे शकुन्तला ताई की बात याद आई । मेरे चेहरे पर अनायास मुस्कुराहत आ गयी ।

मैने थोडी देर बाद सारा काम खतम किया और कुछ ग्राहको से काम निपटा कर फ्री हुआ ।

फिर मैने शकुन्तला ताई के नाप की कुछ पैंटी के रंग का फ़ोटो निकाल कर काजल भाभी के व्हाटसअप पर भेज दिया और तुरंत उनको फोन भी लगा दिया ।

ये मेरा काजल भाभी को पहला काल था जो मैने सगाई के दिन ही पंखुडी भाभी के माध्यम से उनका नम्बर लिया था ।

तिन बार रिंग जाने के बाद ही फोन पिक हुई
काजल भाभी - हा हैलो ,कौन
मै काजल भाभी की मीठी धीमी आवाज सुन कर ही गदगद हो गया - नमस्ते भाभी मै बोल रहा हू राज
काजल थोडा हस कर - अरे बाबू आप हो ,,मै सोची किसका नम्बर है , कहिये फोन क्यू किया
मै हस कर - बस आपकी याद आई तो कर लिया हिहिहिही
काजल भाभी शर्मा गयी और थोडा असहज होकर - मतलब बाबू ,हम समझे नही

मै ह्स कर - अरे आप तो परेशान हो गयी होहिहिही ,,वो कल शाम को ताई जी आई थी घर ना ,तो उनको कुछ अंडरगारमेंट्स के कपडे चाहिये थे ,, साइज़ तो मुझे पता है आप रंग उनको दिखा दो ,मैने व्हाटसअप किया है आपको

काजल अंडरगारमेंट्स की बात पर फिर से शर्मा गयी मगर उसकी सास की बात थी तो - जी बाबू , रुकिये हम अभी मम्मी जी को दिखा कर फोन करते है ।

फिर फोन कट गया ।
मै बाकी के कामो मे लग गया और थोडी ही देर मे काजल भाभी का फोन आने लगा तो मेरे चेहरे पर मुस्कान छा गयी ।

मै फोन उठा कर - हा भाभी बोलिए
काजल भाभी - हा बाबू ,वो एक नेवी ब्लू और एक ब्राउन कलर वाला कर देना ।
मै खुश होकर - ठीक है भाभी , और कुछ आपके लिए

काजल हस कर - अरे मेरे लिए क्या हिहिहिही
मै - अरे वही बाली , रिंग ,लिपस्टिक, आईलाईनर , सिन्दूर बिन्दी हिहिहिहिही
काजल भाभी हस कर - अरे नही नही बाबू कुछ नही ,,कुछ चहिये होगा तो हम बता देंगे,,आपका नम्बर है ना हिहिहिही
मै खुश होकर - जी ठीक है भाभी ,रखता हू फिर ।
काजल भाभी - हा बाबू रखिये बाय ।

फिर फोन कट गया और मेरे चेहरे पर मुस्कुराहत थोडी देर छायी रही ।
मै वापस दुकान के कामो मे लग गया । करीब 11बजे चंदू का मेरे पास फोन आया की वो चौराहे वाले घर पहुच गया है और थोडी देर मे मै भी पहुच जाऊ । मैने भी उसको 12बजे तक आने को बोलकर फोन रख दिया ।

थोडी देर बाद मा दोपहर का खाना लेके आई और मैने चौराहे पर जाने के लिए नया बहाना खोज लिया था ।

मै - मा वो मै कह रहा था कि चंदू का फोन आया था , हमारे स्कूल पर कोई काम है ,,तो मै जाकर देख लू , एक घंटा लग जायेगा ।

मा थोडा सोच कर- अच्छा ठीक है , लेकिन पहले ये खाना खा ले और पापा का टिफ़िन देके उधर से ही निकल जाना ।

मै भी खाना खाकर और पापा का टिफ़िन देते हुए निकल गया चौराहे की ओर ।
थोडी ही देर मे मै चौराहे वाले घर पर पहुचा और गेट खोल कर घर मे प्रवेश किया और सबसे पहले जाकर मम्मी पापा का कमरा सही किया क्योकि उनके कमरे बेड का गद्दा बहुत मोटा था और रोज रात मे मा की चुदाई मे बहुत मजा आता था ।

कमरा सेट करने के बाद मैने चंदू को फोन किया ,,मेरे दिल की धड़कने तेज हो गयी थी और आने वाले रोमांच को लेके लण्ड ने भी अंगड़ाई लेनी शुरु कर दी थी ।

मैने दो बार फोन किया लेकिन चंदू ने फोन नही उठाया ,, मुझे बहुत गुस्सा आ रहा था कि ये साला फोन क्यू नही उठा रहा है ।

मै वही हाल मे चक्कर काटने लगा और फिर थोडी शंका हुई तो बाथरूम मे जाकर पेशाब करने लगा ,,,खडे लण्ड से पेशाब निकलने मे भी मुझे थोडी जलन सी हुई ।

मैने वही बाथरूम से निकल्ते ही फिर से ट्राई किया और आखिरी रिंग जाते जाते चंदू ने फोन पिक किया ।

मै गुस्से से तिलमिला कर - अबे साले फोन क्यू नही उठा रहा है ।
चन्दू - भाई मै झडने के करीब था तो कैसे उठा लेता , और मै तेरे भी तो जुगाड मे लगा था ना । जल्दी से दरवाजा खोल बाहर ही हू ।

मै चौक कर खुश हुआ और खुद को ठीक किया और फिर दरवाजा खोला तो सामने चंदू और चंपा थे । दोनो मुस्कुरा रहे थे ।

फिर चंदू मुझे हटा कर चम्पा का हाथ पकड कर अंदर जाने लगा
।मै उसे रोकते हुए - अबे तू कहा जा रहा है ,,दीदी को कौन देखेगा फिर ।

चंदू हस कर - मैने मा को घर जाने के लिए बोल दिया। ये बोलकर दीदी को लाया हू कि मुझे कालेज पर काम है और दीदी को वही अपने एक सहेली से मिलना है ।

मैने मुस्करा कर एक नजर चम्पा को देखा तो वो शर्मा कर मुस्कुरा रही थी ।
चंदू - भाई जल्दी कर ले 1 बजे तक पापा के आने का समय है ,,वो घर पर दीदी को नही देखेंगे तो मा पर गुस्सा करेंगे ,तू तो जानता ही है ना पापा को मेरे ।

मै चंदू की बातो पर ध्यान नही दे रहा था ,,मेरी नजारे तो चंपा के टीशर्ट मे उभरे हुए उसकी 34C की ब्ड़ी ब्ड़ी चुचियॉ के नुकीले निप्प्ल पर थी । चंपा की नजर जब मुझ पर गयी तो उसके दिल की धडकनें तेज हो गयी और चुचिय टीशर्ट को उपर उठाने लगी ।

चंदू ने भी मेरी नजर को भाप लिया तो तपाक से चंपा के पीछे गया और उसका टीशर्ट उठा कर चुचियॉ को नंगा कर दिया ।

चंदू - भाई तरस क्यू रहा है ,,ऐसे देख ले ना ,
चंदू के इस हरकत से चंपा सिहर गयी और उसकी आंखे बंद हो गयी । मेरी नजरे चंपा के गोल गोल हल्के सावले चुचो पर थी ,,,उसके निप्प्ल बहुत सख्त थे ।

मै थुक गटक कर एक बार पैंट के उपर से अपने सर उठाते लण्ड को दबाया तो मेरे तन बदन मे सरसराहट और तेज हो गयी । मै धीरे से एक कदम आगे बढा , तबतक चंदू ने चंपा की चुचिया निचे से थाम ली और वही अपने भाई का स्पर्श अपनी चुचियॉ पर पाकर चम्पा चंदू की बाहो मे पिघल गयी ,,वो लम्बी लम्बी सासे लेने गयी जिससे उसकी थन जैसी चुचिया उपर निचे होने लगी ।

मै अब चम्पा के सामने आ चुका था और मैने हौले से हाथ बढा कर अपनी कड़क हथेली को चंपा के नुकीले निप्प्ल पर साम्ने से रखा

चंपा - सीईई उम्म्ंम्ं ,,,फिर वो तेजी से सासे लेने लगी ।
उसकी बेताबी देखकर मैने अपना लण्ड एक हाथ से पैंट के उपर से सहलाते हुए दुसरे हाथ की हथेली को उसकी चुची पर अच्छे से फिराया और फिर उसको निचे से उठाया तो काफी वजनदार था वो ।
मेरे बदन मे एक कपकपी सी होने लगी ,, एक नया सा अह्सास था और मेरे अन्दर का हवस मुझ पर हावी हो रहा।
इतने मे चंदू ने चम्पा को मेरी तरफ धकेला ,मै बडी मुस्किल से चम्पा को लेके संभला ,, मगर इस घटना मे चंपा की चुची पर मेरी पकड और तेज हो गयी थी ,,जिससे चम्पा की सिसकी निकल गयी ।

चंदू - ले भाई मजा कर ,,मै यही हू हिहिहिजी

चम्पा जो कि अब मेरी बाहो मे थी ,,उसकी कमर के निचले हिस्से और कूल्हो पर मेरा हाथ रेंग रहा था और दुसरा हाथ अब भी वैसे ही उसकी चुची पर कसा हुआ था ।

चन्दू के मुह से ऐसी बाते सुन कर हम दोनो एक दुसरे को देख कर मुस्कुराये और मैने चम्पा के होठो से अपने होठ जोड लिये
उफ्फ्फ क्या गरम तपते होठ थे उसके ,,चंपा ने तेजी से मेरे होठो को चूसने लगी, उसकी गरमी देख कर मै भी जोश मे आ गया और एक हाथ को उसी चुची पर मस्ल्ते हुए दुसरे हाथ को चम्पा के गाड पर फिराने लगा ।

स्कर्ट के उपर से सहलाने पर मुझे चंपा की गाड अन्दर से बिल्कुल नंगी मह्सूस हुई जिससे मेरे तन और लण्ड में गर्मी बढ गयी ।

मैने अपने दोनो हाथ पीछे ले जाकर चम्पा की गाड नोचने लगा ,,बदले मे चंपा अपनी एडिया उठा कर मेरे होठ चूसे जा रही थी ।

मैने धीरे धीरे स्कर्ट को उपर उठा दिया और उसके नंगी मुलायम गाड के सहलाते हुए उन्हे मसलने लगा ।

उधर चंदू वही हाल मे लगे सोफे पर बैठ कर अपना लण्ड निकाल कर उसे सहलाने लगा ।
चंपा की सिसकियाँ बहुत ही कामुक थी और वो खुद का जिस्म मेरे बदन पर घिसने लगी ।
मैने उसके गाड के पाटो को फैलाया और बीच वाली ऊँगली को उसकी गाड़ मी गहरी दरारो मे डाल कर रगड़ने लगा ।
चंपा ने एक गहरी अह्ह्ह भरी और मेरे कंधो को पकड मजबूत कर ली ,,उसके नुकीले नाखून टीशर्ट मे घूस कर चुबने लगे । मेरे हर बार अपनी उन्गली उसके गाड की दरारो से उसकी सुराख तक ले जाते वक़्त वो तेजी अपने चुतडॉ को सख्त कर लेती और गहरी सिसकिया लेने लगती ।

मै जितना सोच रहा था चम्पा उससे कही ज्यादा गरम लडकी थी , उसके हाथ अब मेरे पैंट के उपर से लण्ड के उभार को टटोलने लगे थे । मैने उसकी आंखो मे एक नशा सा देखा , वो सिस्कते हुए मुस्कुराई और निचे मेरे पैरो मे सरकती चली गयी ।

चम्पा की आवाज भारी थी और उसकी मादक सिस्कियो से भरी हसी मुझे और भी उत्तेजीत कर रही थी । उसने जल्दी जल्दी मेरे बेल्ट खोल कर पैंट निचे कर दिया और अंडरवियर मे उभरे हुए लण्ड को उपर से सहलाया ।

मै उसकी अदा से पूरी तरह काप गया , मेरे बदन मे झुरझुरी सी होने लगी ,,पाव कांपने लगे ,,अगले ही पल चम्पा ने अंडरवियर मे हाथ डाल कर मेरे मुसल को निकाला जो पूरी तरह से तीर के जैसे सीधा और नुकीला हिल रहा था ।

चम्पा ने एक बार बडी मादकता से अपनी नाक के मेरे सुपाडे के पास रख कर उसकी गर्मी और गन्ध को आंखे बंद कर मह्सूस किया और उसके चेहरे पर एक मुस्कान छा गयी ।

जब उसने अप्नी आन्खे खोली तो वो एक नशे मे थी और उसकी वो मुस्कान मेरे दिल की धडकनें तेज कर रही थी ,, उसने अपनी नशीली आंखो और उसी कातिल मुस्कान के साथ मुझे देखते हुए अपनी नुकीले नाखूनों से मेरे आड़ो को खरोचते हुए इठलाई ।

मेरी आंखे इस अहसास से बंद सी हो गयी और मेरे हाथ उसके सर पर चले गये । मैने अपनी एड़ियो को उचकाया और उसके सर को अपने लण्ड की तरफ खीचा ।

एक गरम भाप और फिर मानो मुलायम बर्फ की खोल मे मेरा लण्ड सरकने ।
आंखे खोला तो चम्पा मेरा आधा लण्ड घोट चुकी थी और उसकी आंखे बंद थी ,,, लण्ड को इतनी चाव से चूसने पर मुझे गीता की याद आई ,,,वो भी ऐसे ही मेरे लण्ड को चुसती थी ,,मगर उसके छोटे हाथो और नरम होठ का स्पर्श कुछ अलग था ,,,जबकी यहा तो चंपा एक माहिर खिलाडी लग रही थी ।

उसने मेरे आड़ो को अपने एक मुठ्ठि मे कस रखा था जिससे मेरे लण्ड की लम्बाई मे हल्का इजाफा था ,,जिसे वो पुरा गले तक उतार चुकी थी ।

मै पागल सा होने लगा उसकी मुठ्ठि मेरे आड़ो को और कस रही थी ,,एक मीठा दर्द सा हो रहा था क्योकि मेरे आड़ो मे रस निकल कर मेरे सुपाडे की ओर जाने चाहते थे । मगर चम्पा ने ऐन जगह पर मेरे लण्ड को कसा हुआ था ।

ऐसा अनुभव मैने आज तक नही किया था ,, चम्पा जैसी गरम लड़की को भोगना आसान नही था , उसके लण्ड चुसने का अंदाज निराला था ,,
मै धीरे धीरे चरम की ओर बढ रहा था ,
ऐसे मे चंपा ने हौले से मेरा लण्ड अपने मुह से निकालते हुए मेरे आड़ो से पकड ढीली की
जिससे तेजी से सारा वीर्य मेरे आड़ो से सुपाडे मे भरने लगा । मेरे लण्ड मे गरमी बढने लगी और मै दुगनी ताकत से अपने लण्ड की निचली नशो पर काबू करने लगा ,, मेरा चेहरा तप रहा था ,,एडिया उठ चुकी थी, लण्ड पूरी तरह से तन गया था ,,सुपाडे मे गर्मी बढ गयी थी ।।

ऐसे मे चंपा ने मेरे लण्ड को उपर करके निचले हिस्से मे सूपाडे की गांठ पर जीभ फिराने लगी और मेरा सारा सन्तुलन और ताकत एक साथ एक गाढ़े फब्बारे के जैसा फुट पडा ,,, मेरा सुपाडा सारा माल एक साथ चंपा के मुह पर ऊड़ेलने ,,,आज तक मैने इतनी ऊततेज्ना मह्सूस नही की थी ।
मेरा लण्ड झटके दे रहा था और चम्पा के चेहरा मेरे वीर्य से टपक रहा था ।

मेरे हाथ आनायास ही मेरे लण्ड पर गये और मैने अच्छे से उसे झाड़ते हुए एक गहरी सास ली ,,,मै संतुष्ट था कि मै उस दर्द से आजाद था ।

वही जब नजर चंपा पर गयी तो वो मुस्कुरा रही थी और अपने मुछो के पास से टपकते बीर्य को जीभ से साफ कर रही थी ।

मै एक बार हल्का सा हसा और दो कदम पीछे होकर बेड पर बैठ गया ।

वही चंदू बस अपना लण्ड सहलाते हुए मुस्कुरा रहा था ।
चंपा उठी और मुझसे बाथरूम का पुछ कर मेरे कमरे की ओर चली गयी ।

मैने धीरे धीरे अपनी सास बराबर की और एक नजर चंदू को देखा तो वो मुझे इशारे से मेरा हाल पुछ रहा था ।

मै भी मुस्कुरा दिया ,, थोडी देर बाद चंपा बाहर आई
फिर मैने अपने कपड़े सही किये और सबको ठण्डा पानी पीने को दिया ।

फिर चंपा के बगल मे जाकर बैथ गया । चंपा मुझसे ऐसे चिपक गयी मानो मेरी प्रेमिका हो । हमने कोई बाते नही की बस एक दुसरे को देख कर मुस्कराये ।

चंदू हस कर - फिर भाई क्या इरादा है हाह्हहहा
मै थोडा शर्मा कर हसा - आज बस इतना ही भाई ,,बहुत थकान सी लग रही है हिहिहिही

चंदू हस कर - होता है भाई ,,तेरा पहली बार है ना ,,तो थकान तो होगा ही हिहिहिही

चंदू की बात पर चंपा ने मुझे ऐसे घूरा मानो मेरी चोरी पकड ली हो । मै उसकी आंखो मे देखकर इशारा से बोला क्या हुआ


वो बस मुस्कुरा दी ,,मुझे पता था कि चंपा जान रही थी कि ये मेरा पहली बार नही था ।

चंदू - तो फिर कब की प्लानिंग करनी है ।
मैने एक अंगड़ाई ली और चम्पा को देख कर उसके पुछते हुए - कल ???

वो शर्मा कर हा मे इशारा कर दी
फिर हम लोग मार्केट वाले घर के लिए एक साथ ही निकल गये ।

रास्ते मे काफी लोगो ने टीशर्ट मे उभरी हुई चंपा की नुकीली चुचिया और उसकी पतली स्कर्ट मे हिलते गाड को घूरा,,मगर हम तीनो ने उन पलो को भी इंजॉय किया ।
थोडी देर बाद मै दुकान पर चला गया और अपने कामो मे लग गया ।

शाम को 7 वजे तक शकुन्तला ताई की पैंटी लेके मै और मा साथ मे ही अपने चौराहे वाले घर वापस आ गये ।

मै पैंटी का थैला जानबुझ कर अपने कमरे मे रख दिया और नहाने चला गया ।
हम दोनो नहा के आये कि इतने मे पापा भी आ चुके थे ।

फिर पापा ने वही हाल मे ही अपने कपडे निकालने शुरु कर दिये । और एक तौलिया लपेट कर बनियान डाल ली ।

इधर मा भी कीचन मे भीड़ गयी और पापा को नहाने जाने को बोला ,,,मगर ऐन मौके पर डोर बेल बजी ।

हम तीनो जान रहे थे कि इस वक्त कौन आया होगा और हमारे चेहरे मुस्कुरा रहे थे ।

जारी रहेगी
आप सभी प्रतिक्रियाओ का इंतजार रहेगा
Behtareen zaberdast update bhai
 

Sis lover

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UPDATE 007


अब तक :
मौसी - अच्छा ऐसा क्या , चल मै भी देखू कितना जोर है तेरे उन्के मे ,,लेकिन मै बस छिप के सुनुगी बस

मा - हिहिहिही ,,,ठीक है दीदी फिर वो दोनो नीचे जाने लगी ।

मैने अपनी आँखे खोली और सोचने लगा अबे क्या हो रहा है मेरे घर मे कही सपना तो नही देख रहा हूँ

अब आगे :

मा और मौसी दोनो नीचे जाने लगे , मुझे भी नीचे जाने का मन करने लगा क्योकि मुझे बचपन का वो वाक्य याद आने ल्गा था जब पहली बार पापा ने मम्मी से खुल कर मौसी की चुचियो की बात की थी । ये सब सोचकर मेरा लंड खड़ा हो गया था और आगे क्या होने वाला है इसके लिए उत्तेजना होने लगी थी

करीब 5 मिनट बाद मै उठा और नंगे पैर नीचे जाने ल्गा जब सबसे निचली मंजिल की सीढ़ी की तरफ नीचे देखा तो भाग्य से सीढ़ी खाली मिली
मुझे डर था कि कहीं मौसी सीढ़ी पर ना बैठी हो और मुझे मम्मी पापा की चुदाई वाली बात ना सुनने को मिले ।

जब मै दुकान के आखिरी सीढ़ी तक गया तो मैने देखा मम्मी और पापा पिछ्ले कमरे मे है और मौसी कमरे के खिड़की के पास खडी है

जब मैने देखा तो मौसी सिर्फ ब्लाऊज पेतिकोट मे थी और उन्होने अपने चूड़ी कंगन पायल सब निकाले हुए थे ।

ब्लाऊज मे कैद उनकी बड़ी बड़ी रसीली चूचियो और भारी भरकम पेतिकोट मे कसाव लिये 44 साइज़ के चुतड़ देख कर मेरा लंड और कसने लगा ,,,, मै सोचने लगा मौसी काश मैं भी आपको भोग पाता

मौसी बड़े ध्यान से बंद कमरे मे खिड़की से देख रही थी और अन्दर मम्मी पापा मे बात चित हो रही थी साथ मे मा की सिसकी भी आ रही थी ।

पापा - सुनो जान अब तो लंड चुस लो मेरा , कबसे चुत चटवा रही हो
मा - कहो तो दीदी को बुला दू आकर चुस ले आपका लंड ,,, आज तो वो यही है ना ,,,,,हिहिहिहिह
पापा - वाह्ह मेरी रान्ड क्या बात कही है तुने ,,,, काश रज्जो दीदी मेरा लण्ड चुस्ती और मैं उनके भारी चुचो मे लंड मसल पाता

ये सुन कर मौसी शर्मा रही थी और मुस्कुरा के अन्दर देख रही थी

मा - ह्य्य्य देखो कितना तडप रहे हो मेरी दीदी के लिए
लाओ मेरे राजा मै लंड चुस्ती हू
फिर गुगुगुगगहू की आवाज आने लगती है

पापा - ओह्ह्ह मेरी रान्ड ,,, कितनी अच्छी तरह से चुस्ती है लंड ओह्ह्ह्ह अह्ह्ह्ह उम्म्ंम ऐसे ही चुस

पापा - रागिनी एक बात बता
मा - स्स्स्स्र्रृऊउऊप्प्प करके ,,हो बोलिये जान
पापा - ये कमल भाई ( मौसा) इतने दिन तक इतनी गदाराई माल (मौसी) से दूर कैसे रहते है
मा - पता नही जी गुगुगुगगगग
पापा - अगर तुम इतनी बड़ी रान्ड हो गयी है कि बिना एक दिन लंड किये सोती नही है तो तेरी दीदी कैसे रह लेती है

ये बात कह कर मानो पापा ने मौसी की दुख्ती रग पर हाथ रख दिया हो , उनका जोश बढने लगा और अपना जीभ होटों पर फिराते हुए ब्लाऊज के ऊपर से ही चुचिया म्स्ल्ने लगी ,,,

मौसी का ये रूप देख कर मेरा लौंडा फटने को आ गया , मन तो कर रहा था कि मै जाऊ और मौसी को भी उनके हक का प्यार दू
लेकिन मेरा लंड अब लोवर मे पुरा टनटना गया तो मैने उसे लोवर से बाहर निकला तो कुछ राहत हुई

मा - हा जी मुझे भी दीदी का ये दर्द देखा नही जाता क्या करू आप ही बताओ
पापा - अगर तुम कहो तो मै उन्की चुत की आग बुझा दू
मा - ओहो बड़े उतावले हो रहे हो दीदी को चोदने के लिए ,,, चलो पहले मेरी चुत मे लंड डालो
थोडी देर बाद थपथप की आवाज आने लगी और मौसी भी पेतिकोट के ऊपर से चुत रगड़ने लगी ये देख मै भी अपना लंड मस्ल्ने लगा ।

फिर पापा की आवाज आई - मेरी जान कोसिस करो ना तुम रज्जो दीदी को मनाओ मेरे लिये
आज सुबह जब से उसको देखा है नजर उसके थन जैसी लटकती चुचियो पर है ना जाने कितना कामरस भरा होगा उन रसीले चुचो मे

मा - ओह्ह्ह आह्ह्ह्ह ह्म्मोह्ह्ह उफ्फ्फ लेकिन दीदी मनेगी इसके लिए मुझे तो नही लगता

पापा - ह्ह्य्य्ह्ह्ह वो तुम्हारी बात मानती है और तुम्हे नही लगता रज्जो दिदी को भी सुख भोगने का हक है

मा - ओह्ह्ह अह्ह्ह्ह हम्म्म ठीक है मेरे राजा मै आपके लिए दीदी को मनाऊंगी
लेकिन अभी के लिए मुझे ही रज्जो दिदी समझ के चोद लो मेरी जान

ओह्ह्ह्हू य्ह्ह्ह्ह्ब उफ्फ्फ्फ आह्ह्ह्ह्बब। थपथप थप थप थप थप थप थप थप उफ्फ्फ उअह्ह्ज उह्ह्फ्फ्फ

उधर मौसी अंदर देखते हुए अपने चुत को पेतिकोट के ऊपर से रगड़ते हुए झड़ गयी
उनका पेतिकोट आगे से भीग गया और वो दीवाल से लग कर हाफ रही थी

हाफते वक़्त उनकी तेज़ सांसो से चुचिया ऊपर नीचेहो रही थी,,,
और मै अपनी गदाराई मौसी का ये काम से भरा रूप देखकर जल्दी से ऊपर आ गया और जल्दी से बाथरूम मे घुस कर तेज़ी से मौसी की हवस भरी हरकतो को सोचते हुए झड़ने लगा

आज पहली बार मेरे लंड से माल निकला था लेकिन मन में अभी भी मौसी को चोदने का ख्याल भरा था
मै जल्दी से बाथरूम से निकल कर चटाई पर आ गया
क्योकि मुझे पता था कि मौसी अब ज्यादा देर रुकेगि नही और हुआ भी ऐसा ही मेरे छत पर पहुचने के 5 मिनत बाद मौसी आई ,,,,और बाथरूम चली गयी
फिर मै आँखे बंद करके मौसी को अपनी कल्पनाओ मे भोगते हुए कब सो गया पता नही च्ला ।


दोस्तो आगे के अपडेट मे देख्ते है की क्या राज के पापा को मौसी मिलेगी या नही

आपके सुझावों का स्वागत है और निःशुल्क प्रेम भरे टिप्पणियों का भी

धन्यवाद
वाह चूत और लण्ड का क्गेल शुरु
 
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